Erotica आँचल की अय्याशियां

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आँचल बैंक मैनेजर सेठी के खड़े लंड से रगड़ महसूस कर रही थी पर उसने ऐसे दिखाया जैसे उसे कुछ पता नही है. वो समझ गयी थी उसकी मादक जवानी से बुड्ढा उत्तेजित हो गया है. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर मैनेजर उससे पेपर्स पर साइन करवाते रहा और बहाने से उसके बदन से अपना लंड भी रगड़ते रहा. जब सब जगह साइन हो गये तो उसने आँचल से फोटोग्राफ्स माँगे. आँचल के पास कोई फोटो नही थी उसने कहा की वो मंडे को फोटोज भिजवा देगी.

सेठी ने बहाना बनाया ," मैडम फोटो तो आज ही चाहिए."
आँचल की कुछ समझ में नही आया .

आँचल को चुप देखकर सेठी बोला, "आप चिंता मत कीजिए मिसेज जोशी, मैं आपको एक फोटो स्टूडियो में लिए चलता हूँ ."

फिर उसने पिओन को बुलाकर उससे कहा की ड्राइवर से कहो आफीशियल कार बैंक के गेट पर लाए.
बैंक की कार में आँचल के साथ सेठी पीछे की सीट पर उससे सट के बैठा था. उसने अपनी टाँगे आँचल की टाँगों से सटा रखी थी और अपना एक हाथ आँचल के पीछे सीट पर रखा था जो आँचल के कंधों को सहला रहा था.
आँचल ने सेठी के हाथ को अपने कंधों पर महसूस किया और देखा की पैंट में उसका लंड तंबू बना रहा है. सेठी आँचल को बता रहा था की वो कितनी इंपॉर्टेंट पोस्ट पर है. उसने आँचल से कहा की जब भी उसे लोन की ज़रूरत होगी मेरे पास बिना झिझक चले आना , तुरंत जितना चाहिए उतना लोन सेंक्शन कर दूँगा. सेठी ने बताया की मैंने तुम्हारे पति की फैक्ट्री को कितना सारा लोन दिया है.
सेठी ने आँचल से कहा की मैं तुम्हारी शादी में भी आया था , तब तुम दुल्हन की ड्रेस में कितनी खूबसूरत लग रही थी.

जब भी वो कार खराब रोड पर झटके खाती तो आँचल की बिना ब्रा में बड़ी चूचियाँ ज़ोर से हिलती और उन्हे हिलते देखकर उत्तेजना से सेठी आँचल से थोड़ा और सट जाता.
आँचल भी सेठी की इन हरकतों से उत्तेजित होने लगी. सेठी के पैंट में बने तंबू से उसने अंदाज़ा लगा लिया की इसका लंड बड़ा ही लग रहा है. सेठी ने जब आँचल को अपने पैंट में बने तंबू को देखते पाया तो उसकी उत्तेजना और हिम्मत दोनो बढ़ गयी. अब उसने हाथ थोड़ा नीचे किया और आँचल की गर्दन पर पीछे से हाथ फिराने लगा. उसने आँचल के फिगर और उसकी खूबसूरती की तारीफ करनी शुरू कर दी.

सेठी ने अपने बैंक में बहुत सी औरतों को चोदा था , जो वहाँ काम करती थी उनको भी और जो बैंक में काम कराने आती थी उनको भी. अपनी बड़ी पोज़िशन की वजह से उसका रौबदाब बैंक में रहता था. आँचल की गर्दन मलते हुए वो आँचल को भी चोदने का प्लान बना रहा था.

तभी ड्राइवर ने कार फोटो स्टूडियो के आगे रोक दी. सेठी और आँचल कार से उतर गये. सेठी ने आँचल की बाँह कोहनी से थोड़ा ऊपर पकड़ ली और चलने लगा. बाँह पकड़ने से आँचल की मुलायम चूची से उसका हाथ छू जा रहा था. वैसे खड़े लंड के साथ चलने में खुद उसे भी परेशानी हो रही थी.

आँचल बुड्ढे की बोल्डनेस देखकर हैरान थी और साथ ही उत्तेजित भी. उसने सेठी को अपनी बाँह पकड़ने से रोका नही. वो ये देखना चाहती थी अब बुड्ढा आगे क्या करता है. आँचल मादक सा मुँह बनाकर सेठी के साथ चलती रही. सेठी के ऊपर अपने रूप का जादू चलने से उसे सेठी अपना गुलाम जैसा महसूस हो रहा था जो की उसकी फोटो के लिए अपना बैंक छोड़कर उसके आगे पीछे घूम रहा था. आँचल के मादक जिस्म का जादू हर मर्द के ऊपर ऐसे ही चल जाता था. और इस बात का उसे गर्व भी था.

फोटो स्टूडियो में फोटोग्राफर ने पूछा की 5 मिनट में पोलोराइड फोटो चाहिए या पासपोर्ट साइज़ वाली ? उसके लिए 2 घंटे लगेंगे. सेठी तुरंत बोला बैंक में पासपोर्ट वाली ही लगेगी.
फिर सेठी ने आँचल को स्टूल में बिठा दिया और इसी बहाने उसकी चूचियाँ भी छू ली. फिर सही पोज़ बनाने के लिए उसके चेहरे को दोनो हाथों से पकड़कर सीधा करने लगा. फोटोग्राफर भी हैरान था जो काम मेरा है ये बुड्ढा खुद ही कर रहा है . कहाँ बिठाना है कैसा पोज़ बनाना है , ये मैं बताऊँगा या ये बुड्ढा.

उधर आँचल भी सेठी की सब हरकतें समझ रही थी. अपने चेहरे और बदन पर सेठी के बार बार टच करने से उसे हॉर्नी फील हो रहा था. उसने अपने होंठ पॉउट करके फोटो खिचाने के लिए एक सेक्सी सा पोज़ बनाया. सेठी ठीक उसके आगे खड़ा होकर उसके बाल और चेहरा ठीक कर रहा था. सेठी का लंड ठीक आँचल के मुँह के सामने था. आँचल का मन हुआ की वहीं पर सेठी के पैंट की ज़िप खोलकर उसका लंड मुँह में ले ले. इस ख्याल से ही उसकी चूत से रस निकलने लगा.

फोटो खिचाने के बाद सेठी बोला पास में ही एक रेस्टोरेंट है वहाँ लंच कर लेते हैं , क्यूंकी फोटो मिलने में तो 2 घंटे लगेंगे. आँचल ने हामी भर दी. सेठी उसको एक रेस्टोरेंट में ले गया वहाँ बहुत कम लोग थे और लाइट भी काफ़ी कम रोशनी वाली थी . शायद कपल्स की सुविधा के लिए वहाँ कम रोशनी थी जिससे वो अपनी चुम्मा चाटी कर सकें . रेस्टोरेंट में सेठी और बोल्ड हो गया. वो बातें करते करते आँचल की पीठ पर हाथ फिराने लगा. आँचल ने उसकी गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस की. सेठी उसके कंधे और गर्दन को भी मल रहा था. फिर सेठी ने आँचल से बियर पीने को कहा. आँचल ने पहले कभी बियर नही पी थी पर सेठी के ज़ोर देने पर वो मान गयी.
सेठी ने एक ग्लास में बियर डालकर उसको आँचल के होठों पर लगाया, आँचल ने थोड़ी बियर गटक ली. आँचल को बियर पिलाते हुए सेठी ने उसके ब्लाउज पर हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को दबाने लगा. आँचल हल्के से मोन करने लगी. फिर सेठी ने अचानक आगे झुककर आँचल के होठों पर अपने होंठ लगाकर एक चुंबन ले लिया.

सेठी की बोल्डनेस से अचंभित होकर आँचल ने उसे टोका," मिस्टर सेठी….."

"आप बहुत सेक्सी हैं मिसेज जोशी. मैं अपने ऊपर कंट्रोल नही कर पाया." सेठी बोला. और उसने फिर से आँचल के होंठ पर चुंबन लेकर उसके निचले होंठ को अपने दांतो से हल्का सा काट लिया.

"उननग्ग्घह…….ऊओह…" उत्तेजना से आँचल की सिसकी निकल गयी . उसने हाथ आगे बढ़ाकर टेबल के नीचे सेठी के पैंट के अंदर उसका लंड पकड़ लिया. सख़्त मोटा लंड अपने हाथ में महसूस करते ही उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी.
आँचल की हालत देखकर सेठी समझ गया अब इसको चोदने में कोई परेशानी नही होगी. उसने फटाफट बिल पेमेंट किया और वेटर को 500 रुपये देकर उससे दूसरी मंज़िल में कमरे की चाभी माँगी.

वेटर ने सेठी को मादक आँचल के साथ देखा जो सिसकारियाँ ले रही थी. वो मन ही मन सोचने लगा साले बुड्ढे ने क्या सेक्सी माल पटाया है. वैसे वो सेठी को जानता था क्यूंकी सेठी अपने बैंक की ट्रेनी लड़कियों और कभी कभी कॉल गर्ल्स को लेकर वहाँ आता था और रूम की चाभी उसी से माँगता था.
आँचल ने सेठी को रुपये देते हुए देखा , सेठी और वेटर की आँखो ही आँखो में हुई बात और वेटर के मुस्कुराने से आँचल शरमा गयी. उत्तेजना से उसका बुरा हाल था और उसे इश्स बात से कोई फरक नही पड़ता था की वेटर उसके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो चुदाई के लिए अब और इंतज़ार नही कर पा रही थी.

वेटर चाभी लेकर आया तो देखा बुड्ढा आँचल को किस कर रहा था. वो दोनो अपने अगल बगल भी ध्यान नही दे रहे थे. वैसे उस समय लोग तो कम ही थे वहाँ फिर भी….
वेटर सोचने लगा क्या उसको भी इस सेक्सी औरत को चोदने का चांस मिलेगा ? आँचल की ब्लाउज से बाहर दिखती चूचियों को देखकर वो अपनी जीभ होठों पर फिराते हुए सेठी की किस्मत से जलन करने लगा. साला इस उमर में भी इतनी चिकनी माल को चोद पा रहा है.

आँचल सेठी के साथ किस कर रही थी और वेटर उसको देखकर मन ही मन सोच रहा था," साले बुड्ढे ने आज तो मस्त छोकरी पटाई है, क्या मस्त मम्मे हैं इसके. ज़रूर मज़ा आएगा बुड्ढे को, साला…"

सेठी मादक आँचल को सिड्यूस करके बहुत खुश था . चाभी मिलने के बाद वो आँचल की बाँह पकड़कर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा. रेस्टोरेंट में मौजूद लोग और वेटर्स की जलन भरी निगाहों से उसे और मज़ा आ रहा था. सेठी जानबूझकर लोगों को जलाने के लिए रेस्टोरेंट मैनेजर के पास जाकर रुका और उससे थोड़ी देर बातचीत की . लोगों को दिखाने के लिए आँचल के बदन पर वो हाथ भी फिराता जा रहा था.

सेठी के टच करने से आँचल मदहोशी में थी उसे अपनी होने वाली चुदाई के ख़याल से चूत रस बहता महसूस हो रहा था.

मैनेजर ने आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां देखी , फिर उसे घूरते हुए सेठी से पूछा," कितने में सौदा हुआ ?"

उसकी बात पर सेठी हंसा और आँचल को सीढ़ियों से ऊपर कमरे में ले गया.
 

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मैनेजर ने आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां देखी , फिर उसे घूरते हुए सेठी से पूछा," कितने में सौदा हुआ ?"

उसकी बात पर सेठी हंसा और आँचल को सीढ़ियों से ऊपर कमरे में ले गया.

कमरे में पहुचने के बाद बैंक मैनेजर सेठी ने फटाफट आँचल की साड़ी उतार दी. अब आँचल सिर्फ़ पेटीकोट और एक पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी. सेठी ने ब्लाउज के बाहर से ही निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा फिर ऐसे ही उसने दूसरे निपल को भी चूसा. सेठी के मुँह की लार से वो पतले कपड़े का ब्लाउज पारदर्शी हो गया और ब्लाउज के बाहर से ही चूचियां दिखने लगी.

सेठी के चूचियों को चूसने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी,"..उनन्नज्ग्घह….आअहह…."

फिर सेठी ने आँचल का पेटीकोट उतार दिया और ब्लाउज खींचकर निकाल फेंका. आँचल ने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी. उसकी बिना बालों की चिकनी चूत देखकर सेठी के मुँह में पानी आ गया. उसने आँचल को बेड में लिटा दिया और उसकी चूत में जीभ लगाकर चाटने लगा. आँचल की गुलाबी चूत के फूले होठों को देखकर सेठी कामवसना से पागल हो उठा. वो आँचल की क्लिट को जीभ से छेड़ने लगा.

"आअहह.......आअहह" सेठी की जीभ अपनी चूत पर रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. अपनी चूत चटवाना उसको बहुत पसंद था. सेठी के चूत चाटने से आँचल बहुत उत्तेजित हो गयी . उसकी चूत से रस निकलने लगा. आँचल उत्तेजना में भरकर अपने नितंबों को सेठी के मुँह पर उछालने लगी. जल्द ही उसको पहला ओर्गास्म आ गया और चूत से रस बहाते हुए वो झड़ गयी.

सेठी आँचल की कामुकता से हैरान रह गया और सोचने लगा ये तो बहुत ही मज़े ले रही है. उसने जीभ लगाकर आँचल की चूत से बहते रस को चाट लिया.
फिर सेठी ने अपने कपड़े उतार दिए. सेठी कद काठी में कोई खास नही था.
आँचल को उसका शरीर देखकर थोड़ी निराशा हुई. लेकिन जब उसने अपना पैंट और अंडरवियर उतारा तो उसके बड़े और मोटे तने हुए लंड को देखकर आँचल का मुँह खुला का खुला रह गया. उसकी आँखे सेठी के लंड पर ही जम गयी.

सेठी ने आँचल के चेहरे के भाव देखे. उसे इसकी आदत थी. जो भी औरत उसके लंड को देखती थी ऐसा ही रिएक्शन देती थी. सेठी बहुत अनुभवी चोदू था. कुछ औरतें उसके बड़े लंड को देखकर घबरा जाती थी और घबराहट से उनकी चूत बिल्कुल सूख जाती थी. सेठी उनको धैर्य से बहला फुसलाकर धीरे धीरे चोदता था और जब औरत की चूत से रस निकलना शुरू हो जाता था तब वो उनको अच्छी तरह से चोदता था. आँचल को देखकर सेठी समझ गया इसकी हालत भी वैसी ही हो रही है. उसने आगे बढ़कर आँचल का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.

अपने हाथ से बड़े लंड को महसूस करके आँचल डर गयी," नही नही….मिस्टर सेठी….मैं मर जाऊंगी , इतना बड़ा…"

उसके और कुछ कहने से पहले ही सेठी ने अपने लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच रख दिया. धीमे धीमे आँचल के गाल और बाल सहलाते हुए बोला," घबराओ नही मिसेज जोशी, तुम बस इसे चूसो. सिर्फ़ चूसो और कुछ मत सोचो."

आँचल सुपाड़े को चूसने लगी . सेठी ने धीरे धीरे अपना आधे से ज़्यादा लंड उसके मुँह में घुसा दिया. कुछ पल बाद सेठी को लगा की आँचल का दम घुट रहा है तो उसने लंड मुँह से बाहर निकाल लिया और लार से सने हुए लंड को आँचल के चेहरे पर रगड़ने लगा. कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने फिर से लंड आँचल के मुँह में घुसा दिया. धीरे धीरे मोटे लंड की आदत हो जाने के बाद आँचल मज़े से सेठी का लंड चूसने लगी. कुछ देर बाद उसने सेठी की गोलियों को भी चूसा. अब सेठी से कंट्रोल नही हो रहा था . आँचल ने इतनी अच्छी तरह से मज़े ले लेके उसका लंड चूसा की उसे लगा वो अब झड़ जाएगा.

सेठी ने आँचल के मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी क्लिट और चूत के फूले होठों को चूसने लगा. आँचल मज़े से सिसकारियाँ लेने लगी. आँचल की डर और घबराहट से सूख चुकी चूत फिर से गीली होने लगी थी. सेठी को अपनी जीभ में चूत रस का स्वाद आया. उसने आँचल की टांगों को उठा कर अपने कंधों में रख लिया और आँचल की टाइट चूत के छेद में लंड का सूपाड़ा घुसाया.

"आआआअहह …ओइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….म्म्म्माआआआआआआ…" मोटे लंड के टाइट चूत में घुसते ही आँचल चिल्लाई.

सेठी बड़ी मुश्किल से आँचल की चूत में आधा लंड ही घुसा पाया , अब आगे को लंड घुस ही नही पा रहा था. वो धीरे धीरे और ज़्यादा लंड अंदर घुसाने की कोशिश करता रहा.

आँचल दर्द से चिल्लाई," मिस्टर सेठी…….ओइईई…माआआ….तुम मेरी फाड़ दोगे…….ओइईई.."

फिर सेठी ने पूरा लंड बाहर निकाल लिया और फिर धीरे से अंदर घुसाना शुरू किया. ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. उसके बाद उसने अपने दोनो हाथ आँचल की चूचियों पर रख दिए और धीरे धीरे चूत पर धक्के मारने लगा. उसकी गोलियाँ आँचल के नितंबों से टकरा रही थी. लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से आँचल की चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी.

"मज़ा आ रहा है ना ? तेरी चूत तो बहुत टाइट और मस्त है आँचल जोशी " , आँचल की टाइट चूत के मज़े लेते हुए सेठी बोला. मादक आँचल को अपने से चुदते हुए देखकर और सिसकारियाँ लेते हुए देखकर बुड्ढा अपने पहलवान लंड की ही तरह जवान महसूस कर रहा था.

" आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो …चोदो …उईईई माआ..और चोदो …" उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालती हुई आँचल बोली.

आँचल को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर सेठी भी जोश में आ गया और उसने आँचल की चूत में ताबड़तोड़ स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए. उसकी गोलियों के तेज़ी से आँचल की गांड से टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.

"ऊऊउीईईई…ओह…आआअहह…..उईईई..म्म्माआ…." सेठी के मोटे लंड के तेज तेज धक्कों से आँचल चिल्ला पड़ी.

थोड़ी ही देर में उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.
आँचल को झड़ते देखकर सेठी ने धक्के लगाने की स्पीड कम कर दी. और वो ओर्गास्म का आनंद लेती आँचल के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. फिर कुछ देर वो आँचल की टाइट चूत में जकड़े हुए अपने लंड को रोके हुए ही रहा. कुछ देर बाद उसने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और फिर से कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.

आँचल ने मदहोशी में देखा , बुड्ढा पसीने से भीगा हुआ धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है. सेठी आँचल की बड़ी बड़ी दूध जैसी गोरी गोरी चूचियों को दोनो हाथ से बुरी तरह से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. आँचल झड़ती रही …और झड़ती रही……

कुछ देर बाद सेठी ने अपने गरम वीर्य से आँचल की चूत को पूरा भर दिया. फिर आँचल की चूत से लंड बाहर निकालकर सेठी ने आँचल के मुँह में डाल दिया. आँचल के मुँह में भी थोड़ा वीर्य चला गया जो उसने गटक लिया. फिर वो आँचल के बगल में लेट गया. दोनो के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसे रुक रुक कर चल रही थी.

कुछ समय बाद सेठी बेड से उठा और बाथरूम में नहाने चला गया. नहाने के बाद उसने आँचल से भी नहाने को कहा. आँचल फटाफट नहा के आई और कपड़े पहनने लगी. उसका ब्लाउज सेठी की लार से गीला था और ज़ोर से खींचने से फट भी गया था. जब उसने ब्लाउज पहना तो उसकी चूचियां और निपल ब्लाउज के पतले गीले कपड़े से साफ दिखाई दे रहे थे. आँचल ने जैसे तैसे अपने पल्लू से छाती को ढका और सीढ़ियों से नीचे आ गयी.

वहाँ रेस्टोरेंट मैनेजर और कुछ वेटर्स खड़े थे. वो सब आँचल को ललचाई आँखो से देखने लगे. उसके सूज़े होंठ और बदन को देखकर लग रहा था की वो बुरी तरह से चुदी है. सेठी ने मैनेजर को कमरे की चाबी दी.

मैनेजर ने आँचल को ऊपर से नीचे घूरते हुए सेठी की पीठ ठोकी, " साला बहुत मज़ा किया , क्या माल ठोका है तुमने आज."

सेठी ने आँचल की कमर में हाथ डाला और उसे बाहर कार की तरफ ले जाने लगा. जाते जाते उसने मैनेजर और वेटर्स को आँख मारी.

कार में बैठने के बाद सेठी ने आँचल से कहा की फोटोग्राफ्स मैं खुद ही ले लूँगा. और ड्राइवर से कहा की तुम मुझे बैंक में उतार दो और उसके बाद आँचल को घर छोड़ देना.

"मज़ा आया इस बुड्ढे के साथ ?" सेठी ज़ोर से आँचल से बोला, बिना इस बात की परवाह किए हुए की ड्राइवर भी सब सुन रहा है.

आँचल को चुप देखकर फिर बोला," बोलो, मिसेज जोशी , मज़ा आया कि नही ?"

आँचल ने उसके बार बार पूछने पर धीमे से कहा , " हाँ …"

आँचल की धीमी आवाज़ सुनकर सेठी ज़ोर से हंसा और बोला," मुझे फोन मारना , और भी मज़ा दूँगा."

फिर अपने बैंक में सेठी उतर गया और ड्राइवर से आँचल को उसके घर तक छोड़ आने को कहा.
 

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रास्ते भर सेठी का ड्राइवर आँचल को ललचाई आँखो से देखता रहा. रोड पर जब भी कार को झटका लगता था तो आँचल की बिना ब्रा के चूचियां ब्लाउज में उछल जाती थी. उस पतले कपड़े के ब्लाउज में उसके सूज़े हुए निप्पल भी साफ दिख रहे थे. आँचल ने ड्राइवर को बार बार अपने को घूरते पाया , वो चुपचाप बैठी रही और जल्दी से सफ़र खत्म हो तो घर पहुँचू , ऐसा सोचने लगी.

घर पहुचने के बाद वो फटाफट अपने बेडरूम में चली गयी , इस डर से की किसी से सामना ना हो जाए . सास ससुर शायद अपने कमरे में थे. बाथरूम में नहाकर उसने नाइटगाउन पहन लिया और सुनील के लौटने का इंतज़ार करने लगी.

रात में डिनर करते समय ससुर नाराज़ लग रहा था.

ससुर आँचल से बोला," तुम दिन भर कहाँ थी ? तुमने बैंक के काम को इतनी लापरवाही से लिया . बहुत ज़रूरी काम था बैंक में और जब मैं तुम्हें लेने आश्रम पहुँचा तो तुम वहाँ से चली गयी थी. तुम्हे मेरा इंतज़ार करना चाहिए था . मैं तुम्हें बैंक ले जाता."

ससुर के डाँटने पर आँचल ने माफी माँगी और बोली," आज पूजा थोड़ी जल्दी खत्म हो गयी थी इसलिए मैंने आपका इंतज़ार नही किया और खुद ही बैंक जाकर पेपर्स पर साइन कर दिए."

"तो फिर तुमने घर लौटने में इतनी देर क्यूँ की ?"

" बैंक में मैनेजर ने बताया की कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स भी चाहिए. फोटो स्टूडियो में गयी तो उन्होने बताया की 2 घंटे लगेंगे. बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी अच्छे आदमी थे , उन्होने कहा इतना वेट यहाँ बैठकर करने से अच्छा है , मैं तुम्हें लंच पर लिए चलता हूँ. तो मैं उनके साथ लंच के लिए चली गयी. इन सब में थोड़ी देर हो गयी."

आँचल के मुँह से सेठी के साथ लंच की बात सुनकर ससुर मन ही मन गुस्से से पागल हो गया. सेठी के क़िस्सों से वो भली भाँति वाक़िफ़ था. उस रेस्टोरेंट के ऊपर बने सेठी के पसंदीदा कमरे में खुद ससुर ने सेठी के साथ औरतें चोदीं थी. आँचल के मुँह से उसी रेस्टोरेंट का नाम सुनकर ससुर समझ गया , कमीने सेठी ने आज मेरी बहू को जरूर चोद डाला होगा वहाँ. साला मैंने इतनी प्लानिंग की थी अपनी इस मादक बहू को फँसाने की और मज़े लूट ले गया कमीना सेठी.

फिर अपना गुस्सा पीकर बात बदलते हुए ससुर सुनील से बोला, " तुम्हें कल सुबह मुंबई जाना है. वहाँ हमारा जो मेन डिसट्रिब्युटर है उसका बहुत सारा पेमेंट रुका पड़ा है. उससे पैसे लेके आओ. ठीक है ?"
आगे बोला, " तुम चिंता मत करो, बहू को मैं पूजा के लिए आश्रम छोड़ दूँगा और लेने भी चला जाऊंगा ."

सुनील बोला," ठीक है पापा, मैं कल सुबह मुंबई चला जाऊंगा ."

ससुर मन ही मन खुश होने लगा , अब कैसे बचेगी मेरी जान आँचल रानी , अब तो मैं तुझे चोदूँगा ही चोदूँगा . इस खुशी से उसकी भूख बढ़ गयी और उसने भरपेट डिनर किया.

आँचल ससुर की चाल सब समझ रही थी , बुड्ढा खुद कही नही जाता है और सुनील को कभी सोनीपत , कभी मुंबई भेज देता है. मैं ये चाल कामयाब होने ही नही दूँगी.

डिनर के बाद बेडरूम में आँचल ने सुनील से कहा," प्लीज़ सुनील , मैं भी तुम्हारे साथ मुंबई आना चाहती हूँ. मुझे भी ले चलो ना अपने साथ."

"लेकिन कल की पूजा का क्या होगा ?"

"स्वामी भोगानंद जी कह रहे थे की पूजा हो चुकी है जितनी होनी थी , अब मेरे आश्रम जाने की कोई ज़रूरत नही है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. देखो सुनील , हम हनीमून के बाद से कहीं घूमने नही गये. अगर मैं तुम्हारे साथ मुंबई गयी तो मैं भी घूम आऊँगी , थोड़ा मेरा मन भी बदल जाएगा."

मादक आँचल की बात कौन मर्द टाल सकता था . सुनील भी जल्दी ही राज़ी हो गया. दोनो सुबह जल्दी उठकर पहली फ्लाइट से मुंबई चले गये.

ससुर को बाद में जब ये बात पता चली की बहू फिर गच्चा दे गयी तो उसने अपना माथा पीट लिया.

मुंबई पहुँचकर सुनील ने एयरपोर्ट के पास एक 3 स्टार होटेल में रूम लिया.

थोड़ी देर बाद उसने आँचल से कहा ,"तुम खुद ही थोड़ी साइटसीयिंग कर लेना. मुझे मीटिंग से आने में शाम हो जाएगी फिर हम जुहू बीच घूमने जाएँगे. ठीक है ?"

"हाँ , ठीक है."

सुनील के जाने के बाद आँचल ने कोलाबा एरिया में जाकर थोड़ी शॉपिंग करने का मन बनाया. रिसेप्शनिस्ट से पूछने पर उसने बताया की लोकल ट्रेन से चली जाओ.
आँचल ने ऑटो लिया और स्टेशन पहुँच गयी. वहाँ जाकर उसने पता किया की कौन सी ट्रेन पकड़नी है. स्टेशन में लोगों की भीड़ की वजह से उसे ट्रेन में चढ़ने में परेशानी हुई. लोगों के धक्के खाती हुई वो एक कम्पार्टमेंट में चढ़ गयी.

ट्रेन में चढ़ते ही उसे पछतावा होने लगा. उसे अपनी गांड में फिरते हाथ महसूस हुए. कोई उसकी गांड में चिकोटी भी काट गया था. लोगों के बीच उसकी हालत सैंडविच की तरह हो गयी थी. आँचल की शिफॉन साड़ी में अजनबी लोग उसके बदन पर हाथ फिरा रहे थे. जब ट्रेन चलने लगी तो ट्रेन के धक्कों के साथ ही लोग भी धक्के लगाने लगे. आँचल कुछ नही कर सकती थी. उसने ध्यान भटकाने के लिए ट्रेन के बाहर की सीनरी देखने की कोशिश की. लेकिन बाहर झोपड़ पट्टी, स्लम की गंदगी के सिवाए कुछ नही दिखाई दे रहा था.

आँचल ने एक हाथ से सपोर्ट के लिए रेलिंग को पकड़ रखा था. इससे उसकी चूचियों को हाथ का प्रोटेक्शन नही मिल पा रहा था और साइड से या आगे से लोग उसकी चूचियों को टच कर दे रहे थे. तभी ट्रेन सिग्नल के लिए रुक गयी . आँचल ने देखा पटरियों के पास ही कोई आदमी लेट्रीन कर रहा है.

तभी आँचल को अपने नितंबों पर कुछ महसूस हुआ. उसके ठीक पीछे खड़ा आदमी उसके नितंबों पर अपना खड़ा लंग रगड़ रहा था. भीड़ भाड़ होने की वजह से आँचल ज़्यादा हिल डुल नही पा रही थी. कुछ देर बाद उस आदमी की हिम्मत और बढ़ गयी. उसने दोनो नितंबों के बीच की दरार में साड़ी के बाहर से ही लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

अपने नितंबों पर मोटे सख़्त लंड की रगड़ से आँचल उत्तेजित होने लगी. तभी एक झटके से ट्रेन चल पड़ी. पीछे खड़े आदमी ने आँचल की कमर पकड़ ली. आँचल की मुलायम गोरी त्वचा पर उस आदमी के रूखे हाथों के स्पर्श से आँचल की धड़कने बढ़ गयी. वो आदमी पीछे से अपना लंड चुभाता रहा और आँचल की कमर पर हाथ भी फिराता रहा. उसकी बोल्डनेस देखकर आँचल को घबराहट हुई पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगी.

आँचल ने अपने अगल बगल नज़रें घुमाकर देखा की कोई उनकी ओर तो नही देख रहा ? लेकिन सभी धक्का मुक्की से अपने को बचाने की जुगत में लगे थे. मुंबई की भीड़ भरी लोकल ट्रेन्स में उनका ये रोज़ रोज़ का सफ़र था पर देल्ही की आँचल के लिए ये नया अनुभव था. शायद उस आदमी को भी अंदाज़ा हो गया था की ये खूबसूरत औरत कहीं बाहर से आई है और उसका विरोध नही कर रही है इसलिए वो थोड़ा और बोल्ड हो गया. उसने आँचल का हाथ पकड़ लिया और पीछे ले जाकर अपने खड़े लंड पर दबा दिया. फिर उसने आँचल के खड़े हाथ (जिससे उसने रेलिंग पकड़ रखी थी) की कांख को पकड़ लिया और आँचल को थोड़ा साइड्वेज घुमा दिया. अब वो उस आदमी का चेहरा देख सकती थी. आँचल ने एक नज़र उस आदमी पर डाली , वो मुस्कुरा रहा था , आँचल ने शरम से अपनी नज़रें झुका ली.

वो आदमी करीब 40 साल की उमर का , ठिगने कद का और काले रंग का था. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर , अब वो आदमी आगे हाथ बढ़ाकर पतले ब्लाउज के बाहर से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. आँचल के तने हुए निपल और ऐरोला पर वो अपना अंगूठा और उंगलियाँ घुमाने लगा. आँचल की साँसे रुक रुक कर आने लगी. उसे अपनी चूत से रस बहता महसूस हुआ. उसने बड़ी मुश्किल से अपने होंठ दांतों में दबाकर अपने को सिसकारियाँ लेने से रोका.

फिर वो आदमी आँचल के हाथ से अपने पैंट के बाहर से ही लंड को रगड़ने लगा. मादक आँचल के बदन की खुशबू से वो कामवासना से पागल हो गया था. कुछ ही देर ऐसे हाथ रगड़ने से वो हरामी अपने पैंट के अंदर ही झड़ गया. और झड़ते हुए आँचल की चूचियों को ज़ोर से मसलते रहा. आँचल दर्द से अपने होंठ काटती रही. फिर उसने आँचल को छोड़ दिया और वहीं अपने स्टॉप पर ट्रेन से उतर गया.

आँचल उत्तेजना से गीली हो गयी थी पर शरम से ह्युमिलिटेड भी महसूस कर रही थी. मैंने कैसे उस आदमी को इतना सब कुछ करने दिया ? लेकिन इन सब बातों को सोचने का वो सही समय नही था. ट्रेन में और भी लोग चढ़ गये और कम्पार्टमेंट खचाखच भर गया. आँचल लोगों के बीच दब गयी. लोग उसके बदन पर हाथ फिराते रहे , चिकोटी काटते रहे. आख़िर चर्चगेट स्टेशन आ ही गया और लोगों की भीड़ के धक्के खाती हुई आँचल ट्रेन से उतर गयी.

स्टेशन के प्लेटफार्म पर आँचल ने अपने कपड़े देखे. उसकी शिफॉन साड़ी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. अपने बदन से उसे , और लोगों की गंध आ रही थी. स्टेशन से बाहर आकर आँचल ने घृणा से अपना टिकट फाड़ कर फेंक दिया और प्रण कर लिया की मुंबई की लोकल ट्रेन में वो अब नही बैठेगी, छी !

वहाँ से आँचल ने कोलाबा के लिए टैक्सी पकड़ी और कुछ घंटे कपड़ों और सैंडल्स की शॉपिंग करते हुए बिताए. वहाँ शॉपिंग करते हुए भी उसने देखा की लोग उसके बदन को छूने और पिंच करने का कोई मौका नही छोड़ रहे. इन सब बातों से वो इरिटेट हो गयी और एक टैक्सी में अपना खरीदा हुआ सामान लेकर वापस होटेल आ गयी.

होटेल के कमरे में पहुँचकर आँचल ने रूम सर्विस से खाना मँगवाया और नहाने चली गयी. नहाने के बाद वो टीवी देखने लगी. आँचल नहाकर अपने बेड पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लेटकर टीवी चैनल बदलने लगी. तभी उसने देखा एक चैनल में ब्लू फिल्म आ रही है. उसने टीवी का वॉल्यूम हल्का कर दिया और ब्लू फिल्म देखने लगी. ब्लू फिल्म में एक गोरी लड़की को एक काला आदमी चोद रहा था . वो लड़की बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.

बड़ी बड़ी चूचियों वाली गोरी लड़की को हबशी काले बड़े लंबे लंड से पीछे से चोद रहा था. हबशी के तेज तेज धक्कों से लड़की की चूचियां हवा में उछल रही थी. ये सीन देखकर आँचल उत्तेजित हो गयी और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डालकर चूत में उंगली करने लगी.

कुछ देर बाद उसने पैंटी उतार फेंकी और अपनी नंगी हो चुकी चूत पर उंगलियाँ चलाने लगी और ज़ोर ज़ोर से क्लिट को रगड़ने लगी. उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी. टीवी स्क्रीन पर वो हबशी उस गोरी लड़की को पीछे से बेरहमी से चोद रहा था और वो लड़की ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. सुबह ट्रेन में हुई घटना और अब ब्लू फिल्म ने आँचल को बहुत उत्तेजित कर दिया , वो तेज़ी से अपनी क्लिट को मसलने लगी . कुछ ही पलों में उसका बदन अकड़ गया और एक जबरदस्त ओर्गास्म से उसका बदन काँपने लगा ……..आअहह………… उसकी कमर ऊपर को उठ कर टेढ़ी हो गयी फिर वापस बेड पर गिर पड़ी. आँचल झड़ चुकी थी. झड़ने के बाद उसने देखा टीवी पर वो हबशी अभी भी चोदे ही जा रहा है. क्या नाटक है साला . आँचल ने टीवी बंद कर दिया और बेड पर सो गयी.

आअहह…… शांति मिल गयी …….अब बढ़िया नींद आएगी.
 

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देर शाम को सुनील ने रूम का दरवाज़ा खटखटाया , आँचल अभी भी सोयी हुई थी. उसने जल्दी से पैंटी पहनी और ऊपर से गाउन पहन लिया.

दरवाज़ा खोलने पर सुनील अंदर आया और आँचल से बोला, " तुम जल्दी से तैयार हो जाओ .नीचे डिसट्रिब्युटर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं. वो हमें डिनर में ले जाने के लिए आए हैं."

आँचल ने पूछा, " जाना कहाँ है ? उसी हिसाब से मैं कपड़े पहनूंगी ."

सुनील बोला," वो हमें 5 star होटेल Sun-n-Sand में ले जा रहे हैं. इसलिए तुम थोड़ी सेक्सी ड्रेस पहन लो."

सुनील अपनी खूबसूरत बीवी को शो ऑफ करके डिसट्रिब्युटर को इंप्रेस करना चाह रहा था.
आँचल ने एक टाइट फिटिंग वाली वन पीस सेक्सी रेड ड्रेस पहन ली. जो उसके घुटनो से बहुत ऊपर थी. आँचल खुश थी की सुनील खुद उससे सेक्सी ड्रेस पहनने को कह रहा है इसलिए उसने भी रिवीलिंग ड्रेस पहन ली. ड्रेस बहुत टाइट थी इसलिए आँचल ने अंदर से ब्रा पैंटी नही पहनी. पैरो में ऊँची हील वाली सैंडल पहनने से वो चलते समय और भी सेक्सी लग रही थी. आँचल के साथ चलते हुए सुनील बहुत गर्व महसूस कर रहा था क्यूंकी होटेल में सब उसी की ओर देख रहे थे. होटेल की लॉबी में पहुँचकर सुनील ने डिसट्रिब्युटर से आँचल को मिलवाया.

आँचल ने देखा डिसट्रिब्युटर दो भाई थे, बड़ा वाला गुल्मोहर शाह 45 साल का और छोटा भाई अंकुर शाह 35 साल का था. दोनो भाई खूबसूरत आँचल को देखकर सोच रहे थे सुनील की बीवी तो इतनी मादक निकली. उन्हे अपने को घूरते पाकर आँचल के निपल एक्साइट्मेंट से तन गये. दूसरे आदमियों पर अपनी खूबसूरती का जादू चलने से आँचल को बहुत अच्छा लगता था. आँचल को पता था की बिना ब्रा के उस पतली ड्रेस में उसके निपल कड़े होकर दिख रहे हैं.

सुनील भी खूबसूरत आँचल का पति होने से गर्व महसूस कर रहा था. वहाँ खड़े लोगो को जलाने के लिए वो जानबूझकर आँचल की पीठ पर हाथ फिरा रहा था. फिर वो चारों लोग होटेल से बाहर आकर कार में बैठ गये.
डिनर के लिए सुनील और आँचल टेबल के एक तरफ थे और दोनो भाई उनके सामने बैठे थे. आँचल ने देखा की दोनो भाई उससे बहुत इंप्रेस्ड हैं. बड़ा भाई गुल्मोहर थोड़ा मोटा और सावला था लेकिन छोटा भाई अंकुर लंबा , गोरा और हैंडसम था. डिनर करते समय आँचल के बारे में ही बातें हो रही थी.

अंकुर ने पूछा कि आँचल का मुंबई में दिन कैसा बीता और उसे मुंबई कैसा लगा , पसंद आया या नही. आँचल ने बताया की लोकल ट्रेन में उसका सफ़र बहुत खराब रहा. रास्ते भर लोग धक्कामुक्की करते रहे. और कोलाबा में शॉपिंग करते समय भी यही हाल रहा. कुल मिलाकर उसे मुंबई पसंद नही आया.

आँचल की बात सुनकर अंकुर बोला," भाभी, अगर सुनील भाई साहब ने पहले बताया होता की आपको घूमने जाना है तो मैं अपनी कार और ड्राइवर को आपके पास भेज देता."

आँचल मुस्कुरायी और बोली, " थैंक्स, कार से तो मुझे बहुत सहूलियत हो जाती. लेकिन हम लोग कल वापस देल्ही जा रहे हैं इसलिए आपका ऑफर मैं नेक्स्ट टाइम एक्सेप्ट कर लूँगी."

तभी सुनील बोल पड़ा,"आँचल मैं तुम्हें बताना भूल गया की हम यहाँ एक दिन और रुकने वाले हैं. कल मुझे गुल्मोहर के साथ पुणे जाना है . इसलिए अब हम कल नही बल्कि परसो देल्ही वापस जाएँगे."

ये बात सुनकर अंकुर खुश हो गया और बोला," भाभी , कल के दिन भी आप यहीं हो, इसलिए मेरी कार और ड्राइवर कल दिन भर के लिए आपके पास रहेंगे. अब आप मना मत करना."

फिर बोला," आपको शॉपिंग के लिए कोलाबा जाने की ज़रूरत नही , मेरा ड्राइवर आपको ब्रीच कैंडी ले जाएगा शॉपिंग के लिए वो बेस्ट जगह है. भाभी , आप मुंबई में और क्या देखना चाहेंगी ? "

आँचल अंकुर के ऑफर से मन ही मन खुश हुई की चलो अब टैक्सी और ट्रेन के सफ़र का झंझट नही रहेगा. वो अंकुर से बोली," मैं हमेशा से मुंबई में फिल्म शूटिंग देखना चाहती थी."

उसके ऐसा कहते ही गुल्मोहर बोल पड़ा," भाभी वो मुझ पर छोड़ दो. जब आप शॉपिंग कर लोगी तो उसके बाद आपको फिल्म शूटिंग भी दिखा देंगे."

फिर आँचल की चूचियों पर नज़रें गड़ाकर बोला," भाभी, आप फिल्म हेरोयिन्स से ज़्यादा खूबसूरत हो. आपको तो मॉडलिंग या एक्टिंग करने के बारे में सोचना चाहिए. फिर तो रोज़ शूटिंग ही शूटिंग, है ना." और अपने जोक पर खुद ही हंस पड़ा.

आँचल को , खुलेआम अपनी चूचियों को घूरते हुए और आँचल पर जोक मारकर हंसते हुए गुल्मोहर को देखकर गुस्सा आया. वो चुप रही और गुल्मोहर की बात का कोई जवाब नही दिया. उसने मन ही मन सोचा की छोटा भाई कितना हैंडसम है और ये मोटा घूरता ही रहता है और बेहूदी बात करके हंसता है. उसने गुल्मोहर को इग्नोर करके अंकुर की तरफ ध्यान दिया.

रात में जब वो दोनो होटेल के कमरे में वापस आए तो आँचल लोगों के सामने सेक्सी ड्रेस में घूमने फिरने से थोड़ी उत्तेजना महसूस कर रही थी. सुनील ने उसकी उत्तेजना को और भड़का दिया," आँचल तुमने देखा वो दोनो भाई तुमको कैसे देख रहे थे. तुमसे उनकी नज़रें हट ही नही रही थी."

आँचल बोली," उग्घ…वो गुज्जु भाई गुल्मोहर तो मुझे बहुत बेशर्मी से घूर रहा था. सुनील अगर तुम वहाँ पर नही होते ना तो वो मेरी ड्रेस फाड़ डालता और मेरा रेप कर देता." उत्तेजना से आँचल की चूत गीली होने लगी.
आँचल की बातों से सुनील भी उत्तेजित हो गया . उसने फटाफट आँचल के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया. बिना किसी फोरप्ले के उसने आँचल की टाँगे फैलाई और उसकी गीली चूत में लंड डाल दिया. फिर चूत में तेज तेज धक्के लगाने लगा. जैसे ही आँचल को मज़ा आने लगा वो अपनी गांड ऊपर उछालकर सुनील के धक्कों का जवाब देने लगी, तभी सुनील झड़ गया. आँचल सोचने लगी मज़ा शुरू होते ही खत्म हो गया. सुनील अपनी खूबसूरत बीवी के सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन की परवाह किए बिना ही बगल में आराम से करवट लेकर सो गया.

आँचल 10 – 15 मिनिट तक अपनी किस्मत को कोसते हुए चुपचाप लेटी रही लेकिन फ्रस्ट्रेशन से उसको नींद नही आ रही थी. फिर उसने टीवी ऑन करके वही ब्लू मूवीज वाला चैनल लगा दिया. कुछ देर बाद उसने सुनील को भी उठा दिया. सुनील अपनी आँखे मलता हुआ उठ बैठा. सुनील ने देखा आँचल ब्लू फिल्म देख रही है जिसमे एक आदमी लड़की को डॉगी स्टाइल में पीछे से चोद रहा है और वो लड़की उत्तेजना में चिल्ला रही थी. सुनील भी ये सीन देखकर उत्तेजित हो गया और जल्दी ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.

सुनील ने आँचल को मूवी के जैसे कुतिया बना दिया और उसकी गांड ऊँची करके पीछे से चूत में अपना लंड डाल दिया. आँचल को मूवी में लड़की के जैसे चुदवाने में मज़ा आने लगा लेकिन कुछ ही धक्कों के बाद सुनील फिर झड़ गया और आँचल के बदन के ऊपर बेड में ढेर हो गया.

आँचल ने सुनील को अपने बदन से धक्का देकर बगल में हटा दिया और फ्रस्ट्रेशन से उसके आंसू निकल आए. सुनील जल्दी ही खर्राटे लेकर सो गया. आँचल थोड़ी देर चुपचाप रोती रही. फिर कुछ देर बाद उसने टीवी का वॉल्यूम कम कर दिया और ब्लू फिल्म देखकर मूठ मारते हुए अपनी उत्तेजना शांत करने लगी.

अगली सुबह 5 बजे सुनील ने आँचल से कहा," डार्लिंग, मैं पुणे जा रहा हूँ. गुल्मोहर की बजाए अब कोई दूसरा आदमी मेरे साथ पुणे जा रहा है. रात 9 बजे तक लौट आऊंगा." फिर आँचल को किस करके सुनील चला गया.
आँचल देर तक सोती रही . फोन की घंटी बजी तो उसकी नींद खुली. फोन में अंकुर बोला," भाभी मैंने ड्राइवर को कार लेकर आपके पास भेज दिया है. वो आपको ब्रीच कैंडी शॉपिंग के लिए ले जाएगा. "

फिर बोला," अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मेरे साथ आज लंच करिएगा."

अंकुर के साथ टाइम बिताने की बात सुनकर आँचल का मूड ठीक हो गया. वो बोली," आपके साथ लंच करके मुझे खुशी होगी."

अंकुर बोला," ओबेरॉय होटेल के पास कॉफी शॉप में आ जाना लंच के लिए ठीक 1:30 pm पर."

आँचल बोली," ठीक है, मैं आ जाऊँगी."

आँचल खुश होकर नहाने चली गयी. नहाने के बाद उसने बाथिंग गाउन पहन लिया और रिसेप्शनिस्ट को फोन किया की उसको साड़ी और ब्लाउज में फटाफट प्रेस चाहिए.

कुछ देर बाद डोरबेल बजी और एक वेटर उसके कपड़े ले जाने के लिए आया. जैसे ही आँचल कपड़े देने के लिए मुड़ी उसका पैर लंबे बाथिंग गाउन में पड़ गया और एक झटके में गाउन उसके कन्धों से उतर कर फर्श पर गिर गया. वेटर अपने सामने नंगी आँचल को देखकर हैरान रह गया.

आँचल ने शरमाकर झट से अपनी चूचियों और चूत को हाथों से ढकने का प्रयास किया . फिर झुककर अपना गाउन उठाया और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से वेटर को आँचल की मस्त बड़ी गांड के भी दर्शन हो गए .
आँचल बहुत एंबॅरस्ड फील कर रही थी. बाथरूम में गाउन पहनकर वो हिचकिचाते हुए बाहर आई और वेटर को कपड़े दिए. वेटर उसको देखकर मुस्कुराया और कपड़े ले लिए. आँचल की गोरी बड़ी बड़ी चूचियां , चिकनी चूत और बड़ी गांड देखने के बाद अपनी किस्मत पर खुश होता हुआ रूम से बाहर जाने लगा.

आँचल हकलाते हुए बोली ," मुझे कपड़े जल्दी चाहिए." और दरवाजा बंद कर दिया . वेटर अभी भी मुस्कुरा रहा था.

वेटर के जाने के बाद आँचल ने जल्दी से गाउन के अंदर ब्रा और पेटीकोट पहन लिया. और वेटर के अपने कपड़े लाने का इंतज़ार करने लगी.

वेटर के डोरबेल बजाने पर इस बार उसने थोड़ा सा ही दरवाजा खोला और वहीं पर कपड़े लेकर दरवाजा बंद कर दिया. वेटर को अंदर आने देने की ग़लती वो दोहराना नही चाहती थी.

साड़ी पहनकर जब वो शॉपिंग करने के लिए नीचे होटेल की लॉबी में आई तो उसे लगा की रिसेप्शन में होटेल के स्टाफ वाले उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं.

क्या ये आँचल का वहम था या वेटर ने सबको बता दिया था ?
 

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