Erotica आँचल की अय्याशियां

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होटेल से बाहर निकलकर आँचल अंकुर की कार में बैठ गयी. कार ड्राइवर उसे ब्रीच कैंडी ले गया. वहाँ शॉपिंग करने में आँचल को बहुत मज़ा आया. शॉप्स भी अच्छी थी और धक्कामुक्की बिल्कुल नही थी. आँचल ने कुछ इंपोर्टेड ब्रा ,पैंटीज और हैंडबैग्स खरीदे. आँचल ने मन ही मन यहाँ शॉपिंग करने का सुझाव देने के लिए अंकुर को धन्यवाद दिया. जब उसकी शॉपिंग खत्म हुई तो दोपहर के 1 बज गये थे. आँचल कार में बैठकर ओबेरॉय होटेल की तरफ चल दी जहाँ उसे अंकुर के साथ लंच करना था.

कॉफी शॉप में आँचल ने देखा अंकुर अभी नही पहुँचा था. आँचल वहाँ बैठकर उसका इंतज़ार करने लगी. थोड़ी ही देर में अंकुर वहां पहुँचा और आँचल को अपना इंतज़ार करते पाकर, आँचल की ओर देखकर मुस्कुराया. आँचल के पास पहुँचकर अंकुर ने उसके गाल पर किस करके विश किया. आँचल ने उसके पौरुष की गंध को महसूस किया. अंकुर को देखकर आँचल को सुनील के कजिन समीर की याद आती थी. दोनो ही लंबे चौड़े , हैंडसम और कॉन्फिडेंट थे. सबसे पहले आँचल को समीर ने ही सिड्यूस किया था. इसलिए वो उसे भूली नहीं थी.

आँचल के बगल में ना बैठकर अंकुर उसके सामने टेबल के दूसरी तरफ बैठ गया. लंच के दौरान अंकुर उससे एक जेंटलमैन की तरह व्यवहार करते रहा और मुंबई की बातें , ख़ासकर अपनी गुज्जु कम्यूनिटी के हँसी मज़ाक के किस्से सुनाता रहा.

आँचल को महसूस हुआ कि अंकुर की पर्सनालिटी से वो अंकुर की तरफ आकर्षित हो रही है. अंकुर की हल्की फुल्की बातों पर वो खुलकर हंस रही थी. अंकुर का साथ उसे बहुत पसंद आ रहा था.

अंकुर ने बताया कि उसके बड़े भाई गुल्मोहर ने शाम को फिल्म शूटिंग देखने का इंतज़ाम करवा दिया है. एक प्राइवेट बंगले में शूटिंग हो रही थी और आँचल को लेने 6 pm पर कार उसके होटेल आ जाएगी. फिर अंकुर ने कहा की उसको आँचल के साथ लंच करके बहुत अच्छा लगा और जब वो दोबारा मुंबई आएगी तो वो उससे ज़रूर मिलेगा.

आँचल का अंकुर के साथ अच्छा टाइम पास हो रहा था, अंकुर के जाने की बात सुनकर वो उदास हो गयी. वो बाकी दिन भी अंकुर के साथ बिताना चाह रही थी क्यूंकी सुनील तो पुणे गया था और रात को लौटने वाला था. तब तक तो वो होटेल में अकेले बोर हो जाएगी.

आँचल बोली," मैं जुहू बीच देखना चाहती हूँ, लेकिन अकेले जाकर क्या करूँगी. अगर आप साथ चलो तो…."
अंकुर ने मना करके आँचल का दिल दुखाना ठीक नही समझा और साथ चलने की हामी भर दी. दोनो कार में बैठकर जुहू बीच की तरफ चल दिए.

कार की बैकसीट में अंकुर आँचल से थोड़ी जगह छोड़कर बैठा था. आँचल सोचने लगी इसकी जगह कोई और होता तो अब तक मुझसे सटकर बैठकर, इधर उधर हाथ फिराने लगता. ये उसके लिए नया अनुभव था क्यूंकी अब तक तो सभी मर्द उससे चिपटने को उतावले रहते थे. वो सोचने लगी कहीं ये गे तो नही ? या फिर शर्मीला ? आख़िर ये मुझसे दूरी क्यूँ रख रहा है. कॉफ़ी शॉप में भी बगल की सीट खाली होते हुए भी सामने बैठा , यहाँ कार में भी अलग हटके बैठा है. वो अंकुर की तरफ आकर्षित थी लेकिन अंकुर एक जेंटलमैन की तरह बिहेव कर रहा था.

आँचल ने सोचा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. इस हैंडसम बंदे को सिड्यूस करती हूँ. आँचल बहाने से थोड़ा खिसक गयी अब दोनो की टाँगे सट गयी थी. फिर वो अपने हाथ से बाल पीछे को करने लगी जिससे उसकी छाती आगे को तन गयी , वो चाहती थी की ऐसा करने से उसके पतले कपड़े के ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को मचलती चूचियों का हिलना डुलना अंकुर को दिखे.

अंकुर ने आँचल को छूने का कोई प्रयास नही किया लेकिन आँचल ने तिरछी नज़रों से देख लिया की उसके पैंट में तंबू बनने लगा है. आँचल मन ही मन मुस्कुरायी. मादक आँचल के रूप के जादू से कोई मर्द नही बच सकता था.

आँचल ने अपने बालों से हाथ हटाकर नीचे लाते हुए अपनी बाँह अंकुर की बाँह से छुआ दी. फिर बातें करते हुए कार की खिड़की से बाहर किसी बिल्डिंग या किसी और चीज़ की ओर इशारा करते हुए अपना बदन अंकुर के और करीब झुका दे रही थी.

[आँचल को पता नही था लेकिन पहली रात को डिनर के बाद दोनो भाइयों में आँचल की खूबसूरती को लेकर बातें हुई थी.
गुल्मोहर बोला," सुनील की बीवी इतनी खूबसूरत होगी ये तो मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था. इस साली को तो मैं हाथ से जाने नही दूँगा. शाम को शूटिंग दिखाकर आँचल को मैं ज़रूर चोदूँगा."
फिर उसने सुनील के साथ पुणे जाने का प्रोग्राम बहाना बनाकर कैंसिल कर दिया और अपने मैनेजर को सुनील के साथ पुणे भेज दिया और ये हिदायत भी दे दी की रात 11 बजे से पहले पुणे से लौटना नही. सुनील को पुणे में ही ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रोकने की उनकी ये चाल थी.]

लेकिन यहाँ कार में तो उल्टा हो रहा था. अंकुर सोचने लगा ये तो खुद मेरा ही शिकार कर रही है. दोनो भाइयों में हमेशा बड़े की ही चलती थी अंकुर का नंबर गुल्मोहर के बाद ही आता था. इस बार भी गुल्मोहर ने शूटिंग के बाद आँचल को फँसाने का प्लान बनाया था . गुल्मोहर जब आँचल को चोद लेता फिर उसके बाद अंकुर को चांस मिलता. अंकुर सोचने लगा हमेशा मलाई बड़ा भाई खा जाता है मुझे बची खुची जूठन खानी पड़ती है. लेकिन इस बार मैं ऐसा नही होने दूँगा. भाड़ में गया बड़े भाई का प्लान. अभी मेरे पास अच्छा मौका है , इस बार पहले मैं मलाई खाऊंगा .

कुछ देर बाद आँचल ने अंकुर की ओर झुकते हुए एक बिल्डिंग की ओर इशारा किया और उसके बारे में पूछा. अंकुर ने आँचल के कंधों पर हाथ रख दिया और अपना चेहरा आँचल के करीब लाकर उसको बिल्डिंग के बारे में बताने लगा. बताते हुए उसने आँचल के कंधे को पकड़कर थोड़ा अपने और नज़दीक़ कर लिया और आँचल को देखकर मुस्कुराया.

आँचल खुश हो गयी . चलो आख़िर इसने कुछ तो हरकत की. शायद अब लाइन में आ रहा है. वो भी अंकुर को देखकर मुस्कुरायी. फिर नीचे उसकी पैंट में बने तंबू को देखा. हम्म्म ...… इसका भी लंड बड़ा ही लग रहा है.

अंकुर ने देख लिया आँचल बीच बीच में उसके पैंट की तरफ देख रही है. वो सोचने लगा इसका चुदाई का बहुत मन हो रहा है. अब अंकुर की हिम्मत बढ़ गयी . वो आँचल की गर्दन और कंधे सहलाने लगा. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर उसने दूसरा हाथ आँचल की साड़ी के पल्लू के अंदर डाल दिया. और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. अपनी चूचियों पर अंकुर के हाथ के स्पर्श से आँचल के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली.
अंकुर धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको मसलने लगा. आँचल अपने होठ को दाँत में दबाकर सिसकारियाँ रोकने का प्रयास करने लगी.

फिर अंकुर ने आँचल के रसीले होठों का चुंबन ले लिया और बोला," भाभी आप बहुत ही मादक हो , बहुत ही सेक्सी…"

आँचल उत्तेजित होकर बोली," अंकुररर..…" और उसे अपने होठों का चुंबन लेने दिया.

अंकुर ने आँचल के होठों का चुंबन लेना जारी रखा. आँचल ने अपना मुँह खोल दिया और उसकी जीभ को अंदर आने दिया. अंकुर अपनी जीभ आँचल के मुँह में घुमाने लगा और दोनो हाथों से आँचल की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. आँचल के कड़े हो चुके निपल्स को वो महसूस कर रहा था. और उन्हे चूसने के लिए उतावला हो रहा था. सोच रहा था कल रात से ही इस औरत ने मुझ पर जादू कर दिया है.

अंकुर के किस करने और चूचियां मसलने से आँचल की चूत गीली होने लगी. थोड़ी देर बाद अंकुर ने चुंबन खत्म किया , आँचल गहरी साँसे लेने लगी. फिर अंकुर ने ब्लाउज और ब्रा को ऊपर को खींच दिया जिससे आँचल की चूचियां थोड़ी बाहर को आ गयी . और हाथों से चूचियों को पकड़कर निपल को भी बाहर निकाल लिया. ज़ोर से ऊपर खींचने से पतला ब्लाउज फट गया.

ड्राइवर ने रियर व्यू मिरर में आँचल की गोरी चूचियां और तने हुए निपल देखे. उसका ध्यान भंग हो गया और उसने कार की स्पीड कम कर दी. अब उसका इंटरेस्ट कार चलाने में कम और पीछे देखने में ज़्यादा हो गया. आँचल के मादक जिस्म को देखने का मौका वो भी छोड़ना नहीं चाहता था.

अंकुर ने अपना मुँह निपल पर लगाकर उसे चूसना शुरू कर दिया. आँचल अब ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. और उत्तेजना में उसने अंकुर के लंड को पैंट के बाहर से पकड़ लिया. फिर वो उसकी पैंट की ज़िप खोलकर लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. तभी मोबाइल की घंटी बज गयी.

अंकुर ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ गुल्मोहर था. अंकुर ने गुजराती में उसको सब बता दिया.

अंकुर बोला," मैं तुमसे बात कर रहा हूँ और ये मेरा लंड ज़िप से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है. आँचल को सिड्यूस करने के लिए बाहर घुमाने फिराने की ज़रूरत नही है, इसको मैं सीधे होटेल के कमरे में ला रहा हूँ वहीं मैं इसकी जमकर चुदाई करूँगा. तुम भी होटेल आ जाओ."

फिर साथ में ये बताना नही भूला," जब तक तुम होटेल पहुचोगे मैं इसे चोद चुका होऊंगा ( इस तरह तुमसे आगे निकल जाऊंगा …)."

आँचल गुजराती नही समझती थी , उत्तेजना में उसे मतलब भी नही था कि अंकुर किससे और क्या बात कर रहा है. उसकी आँखे झूम रही थी. उसने देखा ड्राइवर मिरर से उसी को घूर रहा है. आँचल ने भी बेशर्मी से उसको घूरा और सिसकारियाँ लेती रही, अंकुर फोन पर बात करते समय भी उसके निपल मसल रहा था. आँचल उत्तेजना से कांप रही थी और उससे एक सिंपल सी पैंट की ज़िप भी नही खुल पा रही थी.

फोन बंद करने के बाद अंकुर ने अपनी ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया . अंकुर का लंड देखकर आँचल ने सिसकारी ली. उसको एक रगड़कर चुदाई की ज़रूरत थी और अंकुर का बड़ा और मोटा लंड चुदाई के लिए बिल्कुल पर्फेक्ट था. आँचल झुकी और लंड मुँह में ले लिया. दूसरे हाथ से उसकी गोलियों को सहलाती हुई वो मज़े से लंड चूसने लगी. अंकुर आनंद से आहे भरने लगा.

आँचल के नीचे झुकने से ड्राइवर को फ्री शो दिखना बंद हो गया. उसका मूड खराब हो गया. हद है.

आँचल अब तक लंड चूसने में एक्सपर्ट हो चुकी थी. जैसे ही उसे लगता की अब अंकुर झड़ जाएगा वो लंड चूसना बंद कर देती , कुछ पलों बाद फिर चूसने लगती और फिर बंद कर देती. इस तरह उसने लंड चुसाई लंबी खींच दी.

अंकुर मज़े से पागल हुआ जा रहा था, किसी ने मेरा लंड ऐसा नही चूसा जैसा ये साली सेक्सी कुतिया चूस रही है. आँचल के खेल से वो तड़पने लगा और बोला, " भाभी प्लीज़ मुझे झड़ने दो, रुक मत जाओ, चूसती रहो."
आँचल मज़े ले रही थी , देखो किसी बच्चे की तरह मेरी खुशामद कर रहा है.

आँचल को रुका हुआ देखकर अंकुर ने खुद ही अपनी गांड उठाकर आँचल के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में उसने आँचल का मुँह अपने वीर्य से भर दिया.

" भाभीईईईई…." कहते हुए उसने वीर्य की धार आँचल के मुँह में छोड़ दी और लंड से वीर्य निकलता रहा और आँचल के मुँह में जाता रहा.

आँचल जितना वीर्य निगल सकती थी उसने निगल लिया , फिर उसने अपना चेहरा उठाया और लंड से निकलता वीर्य उसके चेहरे , बालों और साड़ी में गिर गया.

ड्राइवर ने आँचल के खूबसूरत चेहरे को वीर्य से सना हुआ देखा , इस नज़ारे से उसका लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो गया और कार उसके कंट्रोल से बाहर होकर इधर उधर होने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने अपने ऊपर काबू पाया और कार को कंट्रोल किया.

अंकुर ने आँचल के चेहरे पर वीर्य लगा देखकर अपने रुमाल से साफ करने की कोशिश की. आँचल मदहोश थी , उसे अब अपनी चूत में एक मोटा लंड चाहिए था. अंकुर ने आँचल से कहा, की हम तुम्हारे होटेल पहुँचने वाले हैं और उसके फटे ब्लाउज और ब्रा से जैसे तैसे उसकी चूचियां ढक दी. और साड़ी के पल्लू को आगे कर दिया.

होटेल पहुँचकर अंकुर ने आँचल की कमर में हाथ डाला और रिसेप्शनिस्ट से कमरे की चाभी माँगी. होटेल के स्टाफ ने आँचल को उत्तेजित हालत में देखा. वो समझ गये की इसका पति तो पुणे गया हुआ है , आज ये जमकर चुदने वाली है.
 

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आँचल ने होटेल स्टाफ की ललचाई नज़रों को इग्नोर कर दिया.
होटेल के कमरे में पहुंचकर अंकुर ने 2 बॉटल बियर का ऑर्डर दिया.

आँचल ने अपने कपड़े उतार दिए और अंकुर को आलिंगन कर लिया. आँचल को चुदाई के लिए जल्दबाज़ी करते देखकर अंकुर ने भी अपने कपड़े निकाल फेंके और आँचल को बेड पर लिटा दिया. फिर आँचल की टाँगे फैलाकर उसकी चूत में मुँह लगा दिया.

आँचल पहले से ही गीली हो रखी थी , अपनी चूत पर अंकुर की जीभ लगने से सिसकारियाँ लेने लगी ,"ओह……अंकुर, हाँ ………….ऐसे ही चूसो …….मुझे चूसो अंकुर…………..अहह…….."

वो पहले से ही कार में बहुत उत्तेजित हो गयी थी. अंकुर के उसकी चूत चाटने से थोड़ी ही देर में उसको ओर्गास्म आ गया. अंकुर ने उसकी क्लिट को चाटते हुए आँचल का बदन अकड़ता महसूस किया. आँचल ने अपने नितंबों को थोड़ा हवा में उठाया फिर नीचे गिरा दिया. वो झड़ गयी.

चूत चाटते हुए अंकुर ने एक अंगुली आँचल की गांड के छेद में घुसा दी. आँचल को दर्द और आनंद की मिली जुली फीलिंग्स आई ,"ओइईईईई…………ओह………"

आँचल की उत्तेजना देखकर अंकुर अपने को रोक नही पाया और एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़कर आँचल की चूत के होठों के बीच फँसा दिया. पहले धक्के में सुपाड़ा अंदर घुस गया. आँचल को अपनी चूत स्ट्रेच होते हुए फील हुई. उसकी सिसकारी निकल गयी,"आअरगघह…."

अंकुर ने दोनो हाथों से आँचल की पहाड़ जैसी उठी हुई गोरी गोरी चूचियां पकड़ी और चूत पर धक्के मारने लगा. लंड के अंदर घुसते ही उसे फील हुआ की आँचल की चूत ने उसके लंड को जकड़ लिया है.
"भाभी आपकी चूत तो किसी कुंवारी की तरह टाइट है."

"उनन्नज्……उहह……..उन्न्ञन्.." चूत की दीवारों पर लंड रगड़ने से आँचल को बहुत मज़ा मिल रहा था. "आह….चोदो मुझे……चोदोओओओ ….."

अंकुर के धक्कों के जवाब में आँचल अपनी गांड ऊपर को उछालने लगी और फिर अपनी मांसल जांघों के घेरे में अंकुर की कमर को कस लिया जैसे अब जाने ही नही देगी.

अंकुर तेज तेज चोदते हुए चूचियों को मुँह में भरकर काटने लगा , " भाभिइइइ, सस्साली तू मस्त चीज़ है रे…."

दोनो चुदाई में इतना शोर कर रहे थे की उन्होने डोरबेल नही सुनी.

दरवाज़े के बाहर वेटर बियर लेकर खड़ा था. अंदर से आवाज़ें आने पर वो दरवाज़े पर कान लगाकर आँचल की सिसकारियाँ सुनने लगा.
तभी आँचल को ओर्गास्म आ गया," उूउउइईईईई……म्म्माआअ….अहह….उन्न्नननगज्गघह…" और वो ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई झड़ने लगी.

"सस्स्साली चूततततत्त…." मस्ती में अंकुर चिल्लाया और आँचल की चूत को अपने गाड़े वीर्य से भर दिया.

बाहर वेटर का लंड सिर्फ़ आवाज़ सुनकर ही पैंट फाड़ने लगा. वो बियर बॉटल पकड़े हुए ही आँखे बंद करके , अंदर के नज़ारे को इमेजिन करते हुए, अपनी गांड आगे पीछे करने लगा जैसे किसी को चोद रहा हो.

झड़ने के बाद अंकुर आँचल के बदन पर गिर पड़ा. थोड़ी देर तक दोनो अपनी सांसो पर काबू पाने का प्रयास करते रहे. तभी वेटर ने फिर से डोरबेल बजाई.

अंकुर ने झट से टॉवेल अपनी कमर पर लपेट लिया और आँचल ने अपने ऊपर चादर डाल ली. अंकुर ने थोड़ा सा दरवाजा खोला लेकिन वेटर जानबूझकर बियर और स्नैक्स की ट्रे लेकर अंदर आ गया. टेबल पर ट्रे रखते हुए उसने आँचल को अस्तव्यस्त हालत में बेड पर चादर से ढके हुए देखा , उसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरे पर पसीना आ रहा था. ट्रे रखने के बाद भी वो बेशर्मी से आँचल को घूरता रहा और अपनी टिप का इंतज़ार करने लगा.

अंकुर ने एक हाथ से अपना टॉवेल पकड़े हुए ही फर्श पर पड़ी अपनी पैंट उठाई और 50 का नोट वेटर को पकड़ा दिया. जा भाई अब यहाँ से , साला घूरे ही जा रहा है. टिप मिलने के बाद वेटर भारी कदमों से ऐसे जा रहा था जैसे बाहर जाने का उसका मन ही ना हो.

वेटर के जाते ही गुल्मोहर आ गया. अंकुर और आँचल की हालत देखकर वो सब समझ गया.
और बोला," भाभी आप बहुत खूबसूरत लग रही हो और खुश भी…"

आँचल को पता नही था की गुल्मोहर भी वहाँ आने वाला है, वो तो सिर्फ़ अंकुर के साथ मज़े का सोच के आई थी. गुल्मोहर को सामने देखकर आँचल को शरम महसूस हुई और उसका चेहरा फीका पड़ गया.

अंकुर बियर बॉटल से ग्लास में बियर डालने लगा. गुल्मोहर बेड में आँचल के पास जाकर बैठ गया और उसके गाल सहलाने लगा. आँचल के चेहरे के उड़े हुए रंग को देखकर बोला," भाभी घबराओ मत, तुम्हें मज़ा आएगा."

फिर उसने एक झटके में आँचल के ऊपर से चादर हटा दी और उसके नंगे बदन को ललचाई नज़रों से देखने लगा.
"भाभी आप बहुत मस्त चीज़ हो, आओ मेरे पास, डरो मत…" कहते हुए उसने आँचल को बेड से उतार दिया और पास में पड़े सोफे में बैठकर आँचल को अपनी गोद में खींच लिया.

आँचल गुल्मोहर को पसंद नही करती थी पर इस समय वो असहाय महसूस कर रही थी और कुछ नही बोली.
गुल्मोहर ने उसकी चूचियों को अपने हाथ से पकड़ा जैसे उनका वजन तौल रहा हो. और फिर उसके निपल्स को मुँह में भरकर चूसने लगा. गुल्मोहर के चूचियों को ज़ोर से मसलने से आँचल के मुँह से एक चीख निकली.
उसका रिएक्शन देखकर गुल्मोहर हंसा और बोला," भाभी दर्द हुआ क्या ? लगता है भाई ने बहुत मसला है इन्हे.."

गुल्मोहर उसकी चूचियों और निपल को चूसते और मसलते रहा और आँचल के मुँह से आह निकलती रही. वो आँचल के नंगे बदन पर मनमर्ज़ी से हाथ फिराता रहा और उसका खड़ा होता लंड आँचल को अपने नंगे नितंबों के नीचे महसूस हुआ.

अंकुर ये सब देखते हुए ठंडी बियर पी रहा था. अपने बड़े भाई की गोद में नंगी बैठी हुई मादक आँचल की आहें सुनकर उसका लंड फिर खड़ा हो गया.

अंकुर के टॉवेल में बने तंबू को देखकर गुल्मोहर बोला, " भाभी वो तो छोटा भाई है, इसलिए उसका मुझसे छोटा है. अब तुम बड़े भाई का बड़ा लंड देखोगी..".

फिर उसने आँचल को सोफे पर बैठा दिया और फटाफट अपने कपड़े उतार दिए.
आँचल ने जैसे ही उसका बड़ा और मोटा लंड देखा वो हिप्नोटाइज हो गयी. ये तो मिस्टर सेठी से भी मोटा है. इतने मोटे लंड से मिलने वाले चुदाई के मज़े के बारे में सोचकर आँचल की चूत के होंठ फड़कने लगे और चूत रस बहने लगा.

अंकुर भी अपने भाई के लंड को देख रहा था . आँचल की टाइट चूत में इतना मोटा लंड घुसेगा कैसे , ये सोचकर उसको भी एक्साइट्मेंट होने लगी.

गुल्मोहर सोफे पर बैठ गया और आँचल को अपनी गोद में बिठा लिया. फिर आँचल की टाँगे फैलाकर उसकी चूत के होठों पर लंड रगड़ने लगा. आँचल को अपनी टांगों के बीच वो लंड ऐसा लगा जैसा वो उसका अपना लंड हो. आँचल ने अपनी अंगुलियां उसके चारो ओर लपेटकर उसकी मोटाई का अंदाज़ा लेने का प्रयास किया लेकिन वो उसकी अंगुलियों में पूरा आया ही नही.

"उन्न्ह…." उसके मुँह से निकला. वो सोचने लगी कितना मोटा लंड है पकड़ में भी नही आ रहा.

"भाभी घबराओ नही…", आँचल के चेहरे के भाव देखकर गुल्मोहर बोला.

फिर आँचल की क्लिट और चूत की दरार में लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगा. क्लिट पर लंड रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत फिर से गीली होने लगी. गुल्मोहर ने आँचल के नितंबों को दोनो हाथों से पकड़ा और धीरे धीरे सुपाड़े को चूत के अंदर घुसाने लगा.

"आहह…एयेए….आअहह….आअहह…….." आँचल को लगा जैसा उसका निचला हिस्सा किसी ने चीर दिया है.
जब लंड का तीन चौथाई हिस्सा चूत में घुस गया तो गुल्मोहर ने आँचल की गांड पकड़कर उसे अपने लंड पर उछालना शुरू किया. आँचल की टाइट चूत उसके मोटे लंड से बहुत स्ट्रेच हो गयी. आँचल को लगा जैसे कोई गर्म मोटी रोड उसकी चूत में घुस गयी हो.

"आअहह….ओइईईईईईईई….उफफफफफफफफफफफफ्फ़……..म्म्माआआआ…."

आँचल को इतना चिल्लाते देखकर गुल्मोहर को लगा वो जैसे किसी कुँवारी लड़की की सील तोड़ रहा हो.
"भाभी घबराओ नही…..मज़ा आएगा , तेरी चूत को बहुत मज़ा आएगा……." आँचल को अपने लंड पर उछालते हुए गुल्मोहर बोला.

अब गुल्मोहर का पूरा लंड आँचल की चूत में घुस चुका था. आँचल की टाइट चूत ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से जकड़ रखा था की कामोत्तेजना से गुल्मोहर पागल हो गया. वो आँचल के बड़े बड़े नितंबों को टाइट पकड़कर उसे तेज तेज अपने लंड पर उछालने लगा.

"आहह….उरररज्ग्घह..उन्न्ननज्ग्घह….ऑहह….चोदो ….मुझे ….और चोदो ……" आँचल चुदाई के मज़े से आनंदित होती हुई बोली.

कुछ देर बाद "आ…ओह….उफफफ्फ़…"करती हुई आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो चूतरस बहाती हुई गुल्मोहर की गोद में झड़ गयी.

आँचल को झड़ते देखकर गुल्मोहर ने उसकी चूत से लंड बाहर निकाल लिया और उसको नीचे कार्पेट पर पेट के बल लिटा दिया. फिर आँचल की गांड ऊपर उठाकर पीछे से चूत में लंड घुसेड दिया.

"आआआआआ…ओइईईईईईईईई……." एक झटके में लंड घुसने से औंधी पड़ी आँचल चिल्ला पड़ी.

गुल्मोहर ने उसकी बड़ी गांड में एक ज़ोर से थप्पड़ मारा . और नितंबों को हिलते देखकर वो तेज़ी से आँचल की चूत चोदने लगा. आँचल के हिलते नितंबों और धक्कों से आगे पीछे को हिलती बड़ी बड़ी चूचियों को देखकर अंकुर से रहा नही गया और चिल्लाती हुई आँचल के मुँह में उसने अपना लंड डाल दिया.

अब दोनो भाई मादक आँचल के नंगे बदन का मज़ा लेते हुए उसे चोदने लगी. यही सेक्सी कुतिया कल तक हमें टीज़ कर रही थी. आँचल को भी जबरदस्त चुदाई का भरपूर मज़ा मिल रहा था. उसकी टाइट चूत की बहुत दिन बाद जमकर ठुकाई हो रही थी.

एक एक करके दोनो भाइयों ने आँचल की चूत और मुँह को गाड़े वीर्य से भर दिया. और अपने मुरझाए लंड बाहर निकाल लिए. आँचल कार्पेट पर गिर पड़ी. दोनो भाई और आँचल गहरी गहरी साँसे लेने लगे.
फिर उन तीनो ने ठंडी बियर पीकर अपने गरम हो चुके बदन को ठंडक पहुँचाई.

कुछ देर बाद गुल्मोहर ने फिर से आँचल को अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी बाँह ऊपर करके उसकी कांख (armpit) को चाटने लगा . उसको औरतों की कांख बहुत अच्छी लगती थी. आँचल की कांख चाटते हुए उसने अपने दाँत भी गड़ा दिए.

अंकुर उनके सामने आकर बैठ गया और आँचल की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा. कुछ ही देर में उसकी गोरी गोरी चूचियों पर काटने के लाल निशान पड़ गये और अंकुर की लार से वो गीली हो गयीं.
दोनो भाइयों के अपने नंगे बदन को ऐसे मसलने से आँचल उत्तेजना से मचलने लगी और उसकी दर्द कर रही चूत फिर से गीली होने लगी. दोनो भाइयों ने उसके पूरे नंगे बदन को चूम और चाट लिया और इससे आँचल के जिस्म में आग लग गयी.

फिर अंकुर ने आँचल को गुल्मोहर की गोद से खींचकर बेड पर लिटा दिया और उसके पेट में बैठ गया. फिर उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूचियों को आपस में मिलाकर उनके बीच लंड घुसकर चूची-चुदाई करने लगा.
चूचियों पर लंड रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी और अंकुर भी कुछ ही देर में झड़ गया और अपना सारा वीर्य चूचियों पर उडेल कर बेड से उतर गया.

अब आँचल ने गुल्मोहर को अपना तना हुआ मोटा लंड हाथ में पकड़े हुए बेड पर चढ़ते देखा. उसने आँचल की टाँगे पकड़कर घुटने मोड़ दिए लेकिन घुटने आपस में मिलाए रखे और चूत के छेद पर सुपाड़ा लगा दिया. गुल्मोहर को मालूम था की ऐसे घुटने मिलाकर चोदने से चूत और भी टाइट फील होगी.

जैसे ही सुपाड़ा अंदर घुसा, आँचल चिल्ला पड़ी," आरररगज्गघह….उउउर्रणननन्ग्घह…"

गुल्मोहर ने दोनो घुटने मिलाकर ऊपर को मोड़कर पकड़े हुए थे और आँचल की टाइट चूत में लंड घुसाकर चुदाई शुरू कर दी. आँचल की उठी हुई गांड में गुल्मोहर की बड़ी गोलियाँ टकराने से कमरे में ठप ठप ठप………. का चुदाई संगीत गूंजने लगा.

गुल्मोहर चूत पर धक्के मारते रहा और आँचल चिल्लाती रही,"ओइईईईई….माआआ…ओह…आआहह…ओह…"
आँचल झड़ती रही और झड़ती रही और झड़ती रही , ना जाने कितनी बार ……………..

लेकिन गुल्मोहर नही झड़ा वो बेरहमी से आँचल की चूत की ठुकाई करते रहा.

अंकुर भी अपने बड़े भाई का स्टैमिना देखकर दंग रह गया. दोनो भाइयों ने पहले भी साथ में औरतें चोदी थी पर इस बार गुल्मोहर को ना जाने क्या हो गया था. आँचल जैसी मादक और खूबसूरत औरत फिर मिले ना मिले , इस ख़याल से वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था और आँचल को चोदते ही जा रहा था.

काफ़ी देर तक चोदते रहने के बाद गुल्मोहर ने अपने वीर्य से आँचल की चूत को भर दिया और फिर लंड को बाहर निकाल लिया. फुचच की आवाज़ के साथ आँचल की टाइट चूत से उसका लंड बाहर आया. और आँचल की चूत ने राहत की सांस ली.

तभी अंकुर की नज़र घड़ी पर पड़ी. उसने भाई से कहा, " बहुत देर हो गयी भाई, अब हमें यहाँ से निकलना चाहिए. सुनील आता ही होगा."

गुल्मोहर बोला," यार आज टाइम का पता ही नही चला."

और दोनो फटाफट अपने कपड़े पहनने लगे , फिर चुपचाप कमरे से बाहर चले गये.

उन दोनो के जाने के बाद आँचल का बेड से उठने का मन ही नही हो रहा था. आज दोनो ने उसकी इतनी रगड़ कर चुदाई की थी की उसका वैसे ही सो जाने को दिल कर रहा था. लेकिन सुनील किसी भी समय आ सकता था.

आँचल बेड से उठी और दरवाजा लॉक कर दिया. फिर बाथरूम जाकर नहाने लगी और अपनी दर्द कर रही चूत को भी पानी से ठंडा करने लगी.

नहाने के बाद उसने कमरा ठीक ठाक किया और थकान से चूर होकर नंगी ही चादर ओढ़कर लेट गयी. जबरदस्त चुदाई से मिली कामतृप्ति से खुश होकर आँचल जल्दी ही मीठी नींद में सो गयी.
 

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