मुंबई ट्रिप से लौटे हुए आँचल को 2 महीने बीत चुके थे. इस बीच बहुत कुछ ऐसा हुआ जो उसकी फैमिली के लिए बुरा साबित हुआ. सुनील का बिज़नेस काफ़ी खराब चलने लगा था. और ये सब मुंबई से लौटने के बाद शुरू हुआ.
मुंबई से तो वो दोनो खुशी खुशी लौटे थे. सुनील इसलिए खुश था क्यूंकी उसको अपने डिसट्रिब्युटर्स गुल्मोहर और अंकुर से बकाया 85 लाख का चेक मिला था और आँचल इसलिए खुश थी की मुंबई में दोनो भाइयों के साथ होटेल में उसने जमकर चुदाई का लुत्फ़ उठाया था, हालाँकि गुल्मोहर के मोटे लंड की रगड़ से उसकी चूत में थोड़ी सूजन आ गयी थी.
लेकिन उनकी खुशी ज़्यादा दिन नही टिकी. 85 लाख का चेक बाउन्स हो गया . आँचल का ससुर गुस्से से पागल हो गया. एक तो वो अपनी मादक बहू को चोद नही पा रहा था उससे फ्रस्टरेट हो गया था. अब उसके बेटे सुनील को डिसट्रिब्युटर्स ने बेवकूफ़ बना दिया था. उसने बेटे को डांटा की तुमसे इतना काम भी नही हो पाया.
ससुर तुरंत मुंबई गया और चेक पेमेंट ना होने पर , गुल्मोहर और अंकुर दोनो भाइयों के खिलाफ FIR करवा दी.
ऑटो इंडस्ट्री रिसेशन में चल रही थी , इससे सुनील की ऑटो पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री में भी काम काफ़ी कम हो गया. पैसों की तंगी हुई तो सुनील ने अपना मकान गिरवी रखकर बैंक से फैक्ट्री के लिए बहुत लोन ले लिया. जैसे जैसे दिन गुज़रते गये बिज़नेस के खराब हालात के टेंशन से सुनील का कॉन्फिडेन्स और उसकी सेक्स की इच्छा दोनो ही ख़तम होते गये.
आँचल अपने परिवार की बिगड़ती आर्थिक हालत से चिंतित थी. उसके अपने खर्चे भी कम हो गये और घर में नौकर भी सब हटाने पड़े सिर्फ़ एक आया ही रह गयी. आँचल को ही खाना पकाने और घर के बाकी काम करने पड़ते थे. ऊपर से सुनील तो अब बेड में उसके साथ कुछ करता ही नही था. उसके सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन बढ़ने लगे. आँचल अंगुली करके थोड़ा काम चला रहा थी लेकिन असली चुदाई के लिए उसका मन तड़प रहा था , मन को शांति तो अच्छी चुदाई से ही मिलती है.
घर के बिगड़े हालात से आँचल की सास टेंशन से बीमार पड़ गयी और उसने बिस्तर पकड़ लिया. आँचल के ऊपर बहुत बोझ पड़ गया. सास को भी देखना है, घर के सारे काम जो उसने पहले कभी किए नही थे वो भी करने पड़ रहे हैं, और अपनी सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन अलग से. उसे लगा ऐसा ही ज़्यादा दिन चला तो मैं तो पागल हो जाऊँगी.
घर के दमघोंटू माहौल से निकलने के लिए आँचल ने रोज़ शाम को बैडमिंटन खेलने के लिए क्लब जाना शुरू कर दिया. आजकल सुनील शाम को जल्दी घर आ जाता था. उसके घर आने के बाद आँचल को 2 घंटे के लिए खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल जाता था क्यूंकी आँचल के क्लब से लौटने तक माँ की देखभाल सुनील कर लेता था. आँचल का ससुर मुंबई में ही रहकर कोर्ट केस अटेंड कर रहा था इसलिए सुनील या आँचल में से किसी एक का बीमार सास के पास रहना ज़रूरी था.
आँचल को क्लब जाते हुए एक हफ़्ता हो गया था , वहाँ विकी और उसके टीन ग्रूप से (अपडेट 15) आँचल घुलमिल गयी थी. वो चार टीनएजर्स थे, विकी की GF करिश्मा और अनिल और सैफ. आँचल रोज़ उनके साथ बैडमिंटन खेलती थी और उनके साथ हँसी मज़ाक से उसका टेंशन दूर हो जाता था. मादक आँचल को अपने साथ वाइट टीशर्ट और स्कर्ट में खेलते देखकर वो टीनएजर्स भी खुश रहते थे और उसकी तारीफ करने का कोई मौका नही गँवाते थे. आँचल उनके बीच अपने को रानी की तरह महसूस करती थी क्यूंकी वो उससे 6-7 साल छोटे थे और उसके आगे पलक पावडे बिछाए रहते थे. विकी उनमे सबसे लंबा और हैंडसम था , आँचल को भी वो अच्छा लगता था लेकिन उसकी GF करिश्मा की वजह से आँचल अपने को कंट्रोल में रखती थी. आँचल को हँसमुख और सुंदर करिश्मा भी अच्छी लगती थी.
सेक्सी आँचल को करिश्मा भी बहुत पसंद करती थी. करिश्मा अभी टीनएजर थी और उसकी बॉडी अभी डेवेलप हो रही थी. चेंजिंग रूम में नहाकर कपड़े बदलते समय आँचल की बड़ी बड़ी गोरी चूचियों की तरफ वो आकर्षित रहती थी. करिश्मा ने ये भी गौर किया था की उसका BF विकी आँचल को इंप्रेस करने की कोशिश में लगा रहता है और डबल्स गेम खेलते समय आँचल की जाँघ या साइड से चूचियों को छूने का कोई मौका नही छोड़ता है. इससे कभी कभी करिश्मा को जलन भी होती थी पर हँसमुख स्वभाव की होने से वो ज़्यादा बुरा नही मानती थी. वैसे भी वो खुद ही आँचल की तरफ आकर्षण महसूस करती थी.
एक दिन बैडमिंटन खेलने के बाद आँचल ने चेंजिंग रूम मे कपड़े उतारे और शावर में नहाने लगी. वो अपनी छाती और कांख में साबुन लगा रही थी , तभी उसने करिश्मा को घूरते पाया.
थोड़ी देर नज़रअंदाज़ करने के बाद आँचल ने पूछ ही लिया," क्या हुआ करिश्मा ? ऐसे क्या देख रही हो ?"
पकड़े जाने से करिश्मा घबरा गयी और उसने सच सच बोल दिया," वो …वो ..मैं तुम्हारे बूब्स देख रही थी , कितने बड़े बड़े और सुडोल हैं…"
करिश्मा की फ्रैंक बात से आँचल शरमा गयी और बोली," उम्म, थैंक्स करिश्मा. तुम भी तो बहुत सुंदर हो."
आँचल से अपनी तारीफ सुनकर करिश्मा भी खुश हो गयी. उसने अपने कपड़े उतारे और आँचल की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए उसके बगल के शावर में नहाने लगी. आँचल ने नहाती हुए करिश्मा का गोरा क्यूट बदन देखा , उभरे हुए उरोज़ , छरहरी कमर , कसे हुए नितम्ब , लम्बी गोरी चिकनी टाँगें. वो सोचने लगी ये तो सिर्फ़ 18 साल की है , पता नही इसने विकी के साथ सेक्स का मज़ा लिया भी है या नही. दोनो एक दूसरे की तरफ देखते हुए नहा रही थीं. सेक्स के बारे में सोचने से आँचल की उत्तेजना बढ़ने लगी. उसके निपल सख़्त होकर तन गये और चूत में गीलापन बढ़ने लगा.
आँचल अपनी चूत में साबुन लगाने लगी, करिश्मा अभी भी आँचल की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी.
फिर आँचल अपनी पीठ में साबुन लगाने लगी.
तभी करिश्मा उसके पीछे आ गयी और बोली," लाओ मैं तुम्हारी पीठ में साबुन लगा दूं" और आँचल के हाथ से साबुन लेकर उसकी पीठ में लगाने लगी.
आँचल इधर उधर देखने लगी की कोई देख तो नही रहा. आँचल को नर्वस देखकर करिश्मा बोली, " जब मैं तुम्हारी पीठ में साबुन लगा लूँगी तो फिर तुम भी मेरी पीठ में साबुन लगा देना."
करिश्मा ने पहले आँचल की पीठ के उपरी हिस्से, गर्दन और कंधों में साबुन लगाया . करिश्मा के पीठ मलने से आँचल के मुँह से हल्की सिसकारी निकल गयी. करिश्मा समझ गयी की आँचल एग्ज़ाइटेड हो रही है , वो खुद भी गरम हो रही थी.
पहले करिश्मा गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में पड़ती थी . वहाँ हॉस्टिल में लड़कियों के साथ उसने बहुत मज़े किए थे. उसका पहला और एकलौता BF विकी था और उसी के साथ वो सेक्स का मज़ा ले चुकी थी.
जबसे करिश्मा ने आँचल को शावर में नहाते हुए देखा था वो तभी से उसके नंगे बदन को छूना चाहती थी. आज कई महीनो बाद ये मौका हाथ लगा था क्यूंकी बीच में आँचल ने क्लब आना छोड़ दिया था. हॉस्टिल में लड़कियों के साथ करिश्मा को अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स हो गया था.
आँचल को हल्की हल्की सिसकारियाँ लेते देखकर करिश्मा अब पीठ में नीचे की तरफ साबुन लगाने लगी. आँचल के बड़े बड़े नितंबों में साबुन लगाते हुए वो नितंबों को पकड़कर दबा भी दे रही थी. फिर उसने एक हाथ से आँचल के बायें नितंब को पकड़ा और नितंबों के बीच की दरार में उंगलियाँ डालकर उसकी गांड के छेद और चूत में साबुन लगाने लगी.
अब आँचल अपने ऊपर काबू नही रख पाई और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
"अच्छा लग रहा है ?" करिश्मा ने मासूमियत से पूछा.
करिश्मा अब पीछे से ही हाथ डालकर आँचल की क्लिट मसल रही थी और एक उंगली चूत में डालकर अंदर बाहर कर रही थी.
"उम्म्म्म…..ह…" आँचल ने जवाब दिया.
आँचल को लगा अब ओर्गास्म आने ही वाला है , वो आँखे बंद करके मज़े लेने लगी. करिश्मा बड़े प्यार से उसे मज़े दे रही थी. तभी किसी के चलने की आवाज़ आई.
करिश्मा आँचल की चूत से अपनी उंगली निकालकर झट से बगल के अपने शावर में चली गयी.
उस चेंजिंग रूम की इंचार्ज वहाँ आ गयी. आँचल का मज़ा खराब हो गया , उसने करिश्मा की तरफ हैरानी से देखा , क्या हुआ ? . करिश्मा ने उसको इशारे से बताया कोई आ गया है.
आँचल ने पीछे मुड़कर इंचार्ज को देखा. ओर्गास्म ना आ पाने से उसको बहुत फ्रस्ट्रेशन फील हुआ.
आँचल को फ़्रस्ट्रेटेड देखकर करिश्मा बोली," जानू , कल दोपहर के बाद मेरे घर आओ. उस समय कोई नही होगा वहाँ."
नहाकर कपड़े बदलने के बाद करिश्मा आँचल के पास आई और उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में पकड़कर बोली," जानू , सॉरी आज तुम्हारा मज़ा खराब हो गया. लेकिन कल बहुत मज़ा आएगा तुम्हें , प्रॉमिस."
फिर उसने आँचल को अपना फोन नंबर दिया और कल दोपहर के बाद फोन करने को कहा.
आँचल जब घर पहुँची तो बहुत हॉर्नी फील कर रही थी. क्यूंकी उसका ओर्गास्म बाहर नही निकल पाया था.
आँचल को करिश्मा का टच करना बहुत अच्छा लगा था और वो फिर से करिश्मा का साथ चाह रही थी पर कल दोपहर तक इंतज़ार करना था.
डिनर के बाद आँचल ने सुनील के लंड को मलते हुए सेक्स के लिए कहा.
सुनील बोला," आज नही डार्लिंग, आज मैं बहुत थका हुआ हूँ." और वो उसकी तरफ पीठ करके करवट लेकर सो गया. धन्य हो ! शादी ही क्यूँ की थी इस आदमी ने .
आँचल थोड़ी देर सुनील को खर्राटे लेते देखकर कुढ़ती रही. फिर उठकर बाथरूम चली गयी . बाथटब में गरम पानी में लेटकर करिश्मा के बारे में सोचते हुए उसने मूठ मारी और ओर्गास्म आने से उसकी सेक्सुअल टेंशन रिलीज़ हो गयी.
अगली सुबह आँचल ने सुनील से कहा की दोपहर के बाद उसको कुछ काम से बाहर जाना है तो आया को सास की देखभाल के लिए बोल दूँगी. सुनील के जाने के बाद आँचल से इंतज़ार बर्दाश्त नही हुआ और वो करिश्मा को फोन करने लगी पर कोई फोन नही उठा रहा था. उसने दो तीन बार ट्राइ किया पर कोई फायदा नही हुआ.
आँचल बहुत फ़्रस्ट्रेटेड हो गयी, कैसी है ये करिश्मा , फोन भी नही उठा रही है.
आख़िरकार दोपहर बाद 1 pm पर आँचल ने फिर से करिश्मा को फोन किया , इस बार करिश्मा ने मीठी आवाज़ में हेलो बोला.
आँचल बोली, यार कबसे फोन कर रही हूँ , फोन नही उठा रही हो.
करिश्मा ने उसे अपने घर का एड्रेस बताया और कहा अभी घर में कोई नही है.
आँचल ने तुरंत ऑटो पकड़ा और करिश्मा के बताए एड्रेस पर पहुँच गयी.
आँचल को अपने घर देखकर करिश्मा खुश हो गयी और उसने आँचल के होठों पर किस करके विश किया.
आँचल ने भी जवाब में करिश्मा के होठों को किस किया और अपनी जीभ उसके होठों के बीच से मुँह में घुसा दी. मादक आँचल को पूरे मूड में देखकर करिश्मा मुस्कुरायी और अपने बेडरूम में ले गयी.
करिश्मा मन ही मन सोचने लगी आँचल को टीज़ कर करके मज़ा दूँगी , इस सेक्सी औरत को तड़पकर सिसकारियाँ लेते हुए देखने में ज़्यादा मज़ा आएगा.
करिश्मा आँचल को अपने बेडरूम में ले गयी और धीरे धीरे उसकी साड़ी, ब्लाउज, पेटिकोट और ब्रा उतारने लगी. कपड़े उतारते समय वो आँचल के बदन को छू रही थी जिससे आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. फिर आँचल ने भी करिश्मा के कपड़े उतार दिए लेकिन उसको जल्दबाज़ी हो रही थी , इसलिए उसने फटाफट करिश्मा के कपड़े उतार फेंके.
अब दोनो औरतें बिल्कुल नंगी थी. एक दूसरे के बदन पर हाथ फिराते हुए दोनो होठों का चुंबन लेने लगी. आँचल इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो रखी थी की करिश्मा के किस करने और बदन में हाथ फिराने से उसको खड़े खड़े ही जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो आहह….....ऊऊहह…......उन्न्ञंफफफ़फ़गगगघह करती हुई झड़ गयी. उसने करिश्मा को अपने आलिंगन में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. करिश्मा दुबली पतली थी उससे आँचल संभाली नही गयी और उसने जैसे तैसे आँचल को बेड में लिटा दिया.
फिर करिश्मा ने आँचल की मस्त बड़ी बड़ी गोरी चूचियों को हाथों में पकड़कर दबाना शुरू किया. आँचल की चूचियों को मसलने से खुद करिश्मा के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी. फिर उसने आँचल के बड़े निपल को मुँह में भर लिया और एक एक करके दोनो निपल्स को चूसने लगी. आँचल मदहोशी से सिसकारियाँ ले रही थी. आँचल को करिश्मा की चूत को चाटने का मन हुआ, लेकिन करिश्मा उसकी चूचियों को चूसने और मसलने में मगन थी. आँचल भरी पूरी औरत थी और करिश्मा टीनेजर थी , तो आँचल ने करिश्मा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टाँगें खींचकर अलग कर दी. और फिर करिश्मा की चूत में मुँह लगाकर जीभ से चाटने लगी. करिश्मा अपने से बड़ी आँचल का मुक़ाबला नही कर पाई और लेटे हुए सिसकारियाँ लेने लगी. आँचल ने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा और गीली चूत में उंगली घुसाकर अंदर बाहर करने लगी.
करिश्मा अपने हॉस्टिल के लेस्बियन संबंधों में डॉमिनेंट पार्ट्नर रहती थी . आँचल को भी उसने तड़पाते हुए मज़े देने की सोची थी लेकिन यहाँ आँचल के सामने उसकी नही चली और उसे लगा की आँचल उसकी चूत ही खा जाएगी.
"उन्न्ञंह…ऊओह …उफफफफ्फ़… आँचल……" करिश्मा को ओर्गास्म आ गया और वो आँचल के मुँह में चूतरस बहाते हुए झड़ गयी.
फिर आँचल ने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसके बूब्स को चूसने लगी. और एक उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी. कुछ देर बाद उसने चूत में दो उंगली डाल दी. आँचल अपनी गोद में करिश्मा को मनमर्ज़ी से चोद रही थी. और करिश्मा सिसकारियाँ ले रही थी.
करिश्मा को एक और ओर्गास्म आ गया.
"ऊओ….करिश्मा , मज़ा आ रहा है नाआआ………." खुद भी सिसकारियाँ लेते हुए आँचल बोली.
करिश्मा को शुरू में दर्द हुआ था क्यूंकी अनाड़ी आँचल ने उत्तेजना में दो उंगलियों से उसकी टाइट चूत में दर्द करवा दिया था लेकिन आँचल की गोद में टाँगे फैलाए हुए बैठने से और आँचल द्वारा डॉमिनेट किए जाने से उसको बहुत कामतृप्ति मिली.
फिर आँचल ने उंगलियाँ करिश्मा की चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दी. और अपनी उंगलियाँ उससे चटवाकर साफ़ करवाई. फिर गोद में बिठाये हुए ही अपनी चूचियां उसके मुँह में डालती हुई बोली," तू ये माँग रही थी ना, चूस मेरे मम्मों को. हाथ से देख कितने भारी हैं, चूस करिश्मा चूस…"
करिश्मा उसके मम्मों को चूसती रही और उत्तेजना से आँचल की चूत से रस बहने लगा.
फिर आँचल ने करिश्मा को गोद से उतारा और खुद बेड में लेट गयी. और बोली," चूस मेरी चूत को …"
करिश्मा ने आँचल की चिकनी चूत के फूले हुए होठों में अपना मुँह लगा दिया और उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ने लगी.
"आहह…ओह…" आँचल ने सिसकारी ली.
फिर करिश्मा ने आँचल की फड़कती चूत के अंदर जीभ डाल दी और उसे अंदर घुमाने लगी.
"उहह…ऑश…उन्न्नह…उननग्ज्ग……एसस्स्सस्स….ज़ोर से और ज़ोर से …." आँचल बोली और अपने बड़े नितंबों को उछालकर करिश्मा के मुँह में झटका देने लगी.
"उईईईईईईईईई….माआआअ……" आँचल उत्तेजना में सिसकी लेती रही.
फिर करिश्मा ने आँचल के नितंब पकड़े और एक अंगुली उसकी गांड के छेद में डाल दी.
"ऊओह ……..आहह…मैं मर गयी ………..उन्न्नह………आऐईयईईईई.." आँचल मज़े और दर्द से चिल्लाई और ओर्गास्म से झड़ गयी.
आँचल को ओर्गास्म के मज़े लेते देखकर करिश्मा उत्तेजित हो गयी और अपनी टेबल से वाइब्रेटिंग डिल्डो उठा लाई. फिर डिल्डो को ऑन करके आँचल की क्लिट को छेड़ने लगी. अपनी क्लिट पर वाइब्रेशन से आँचल फिर से सिसकारियाँ लेने लगी. करिश्मा ने डिल्डो को आँचल की चूत में घुसाना शुरू किया. डिल्डो बड़ा था तो आँचल को अपनी चूत स्ट्रेच होती हुई महसूस हुई. आँचल ने पहले कभी डिल्डो यूज़ नही किया था और इस डिल्डो का सेन्सेशन उसको अच्छा लग रहा था. अब करिश्मा डिल्डो को आँचल की चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी.
"उईईईईई …..करिश्मा ……." आँचल अपने नितंबों को ऊपर उछालने लगी.
फिर करिश्मा ने डिल्डो रोक दिया ताकि मज़ा लंबा खिच सके. डिल्डो के रुकने से आँचल तड़पने लगी.
"चोद साली करिश्मा…प्लीज़…….. चोद मुझे … " आँचल फ्रस्ट्रेशन से चिल्लाई.
आँचल को अपनी खुशामद करते देखकर करिश्मा मुस्कुरायी और मन ही मन बोली, तड़पा तड़पा के मज़े दूँगी तुझे. अब वो डॉमिनेंट पार्ट्नर बन चुकी थी और इसमे उसे मज़ा आ रहा था.
फिर उसने डिल्डो एक तरफ रख दिया और आँचल की टाँगें फैलाकर खुद उनके बीच आ गयी. अब दोनो की चूत एक के ऊपर एक थी. करिश्मा ने अपनी गीली चूत को आँचल की रस टपकाती चूत से रगड़ना शुरू किया. दोनो ही सिसकारियाँ लेने लगी. कुछ देर बाद करिश्मा ने आँचल से पेट के बल लेटने को कहा.
करिश्मा अब आँचल के बड़े बड़े नितंबों को पकड़कर मसलने लगी और बीच बीच में उनपर थप्पड़ मारने लगी. और थप्पड़ मारने से नितंबों को हिलते हुए देखकर मज़े लेने लगी. पीछे से आँचल की चूत में भी किसी किसी समय वो उंगली करने लगी.
फिर करिश्मा ने आँचल की मांसल जांघों को मसलना शुरू किया. करिश्मा के मसलने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. अब करिश्मा को भी मज़े की ज़रूरत थी.
" बहुत मज़े कर लिए तूने…अब उठ और चूस मुझे…" आँचल से अपनी चूत चाटने को कहने लगी.
आँचल उठी और करिश्मा की चूत में जीभ लगाकर चाटने लगी. फिर चूत के अंदर जीभ डालकर करिश्मा को मज़े देने लगी. करिश्मा ने आँचल का सर पकड़कर अपनी चूत में दबा दिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. थोड़ी देर बाद करिश्मा को ओर्गास्मआ गया और आँचल के सर को चूत में दबाए रखकर उसने उसका मुँह अपने चूतरस से भर दिया. कुछ पलों के बाद जब उसका ओर्गास्म ख़तम हुआ तो उसने आँचल का सर छोड़ दिया. आँचल ने चूतरस और लार से भीगा हुआ अपना मुँह ऊपर उठा लिया.
उसके बाद करिश्मा ने अपनी कमर में डिल्डो बेल्ट से बाँध लिया. और डॉगी पोज़ में आँचल की चूत में डिल्डो डालकर चोदने लगी. सपोर्ट के लिए उसने आँचल के हिलते हुए बूब्स पकड़ लिए. आँचल थोड़ी ही देर में झड़ गयी लेकिन करिश्मा रुकी नही और उसे चोदते रही.
"उहह….आअहह….बस करो करिश्मा…..उन्न्नह….दुख़्ता है …बससस्स…" आँचल दर्द से गुस्से में चिल्लाई.
आँचल को दर्द से चिल्लाते देखकर करिश्मा रुक गयी. और आँचल के चेहरे को अपने हाथों में पकड़कर बोली," आई ऍम सॉरी, आँचल. मुझे पता नही चला की तुम्हें दर्द होने लगा है."
फिर उसने आँचल के चेहरे को सब जगह चूमकर प्यार जताया और दिखाया कि उसको कष्ट पहुंचाने का उसका कोई इरादा नही था.
दोनो बहुत थक गयी थीं और कुछ देर तक नंगी ही बेड पर लेटी रहीं.
फिर करिश्मा कपड़े पहनते हुए बोली , चलो अब क्लब चलते हैं.
आँचल बहुत थक गयी थी और उसकी सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन भी रिलीज़ हो गयी थी. उसका क्लब जाने का मन नही था पर करिश्मा के कहने पर वो राज़ी हो गयी.
क्लब पहुचने के बाद करिश्मा अपने BF विकी और उसके फ्रेंड्स के साथ बैडमिंटन खेलने लगी. आँचल चेयर में बैठकर उनका खेल देखती रही , थकावट से उसने बैडमिंटन नही खेला.
करिश्मा खेलने के दौरान उसकी तरफ देखकर शरारत से मुस्कुराती रही.
कुछ देर बाद आँचल ने कहा की उसे घर जाना है और करिश्मा से अपनी कार में उसे घर छोड़ देने को कहा.
विकी करिश्मा की कार चलाने लगा और बॅक सीट में आँचल करिश्मा और सैफ के बीच में बैठ गयी. दोनो ही आँचल के बदन को छूने लगे. सैफ पीछे से हाथ डालकर उसकी गर्दन और कंधों पर हाथ फिराने लगा और करिश्मा उसकी जांघों पर हाथ रखकर धीरे धीरे रगड़ने लगी. आँचल ने उन दोनो को नही रोका उसे जल्दी से घर पहुँचकर गरम पानी से नहाने की पड़ी थी , उसकी चूत भी डिल्डो की रगड़ से थोड़ी दर्द कर रही थी.
आँचल ने देखा सैफ के पैंट में तंबू बनने लगा है . तभी उसका घर आ गया और सबको मुस्कुराते हुए गुडबाय बोलकर वो कार से उतर गयी.
अपने बाथरूम में बाथटब में बैठकर गरम पानी में नहाते समय आँचल के दर्द से आँसू आ गये , करिश्मा ने बड़ी बेरहमी से डिल्डो से उसे चोदा था और गुस्सा करने पर ही वो रुकी थी. आँचल ने चूत में हाथ लगाकर सूजन को महसूस किया.
उस रात सुनील के साथ सोते समय आँचल चुपचाप करवट लेकर सो गयी , सुनील के लिए ये आश्चर्य की बात थी.
आँचल क्लब से शाम को घर पहुँची तो उसका ससुर मुंबई से घर वापस आ चुका था. ससुर और सुनील में केस को लेकर बातचीत हो रही थी. तभी ससुर की नज़र वाइट टीशर्ट और शॉर्ट स्कर्ट पहने हुई आँचल पर पड़ी (आज आँचल ने बैडमिंटन खेला नही था लेकिन अपनी ड्रेस उसने चेंज नही की और उसी में घर आ गयी) , ससुर के लंड में दर्द की लहर उठी. केस के बारे में बात करना भूलकर वो सोचने लगा आख़िर कब इस चिकनी बहू को चोदने की मेरी इच्छा पूरी होगी ? हर बार मेरा प्लान गड़बड़ हो जाता है. काश उसी दिन मैंने इसे चोद दिया होता जब कुक सलीम इसे नंगी छोड़कर भाग गया था. अब देखो कैसे मेरे सामने छोटी स्कर्ट पहने बैठी है , आहा मक्खन जैसी गोरी गोरी चिकनी जांघें हैं इसकी. आँचल सुनील और ससुर के साथ छोटी वाइट स्कर्ट में अपनी टाँगें मिलाए बैठी थी . ससुर की नज़रें उसकी दूधिया जांघों पर ही थी तभी बातों बातों में आँचल ने अपनी टाँगें थोड़ी अलग करी और ससुर को उसकी वाइट पैंटी दिख गयी. आअहह………..साली सामने रसमलाई है और मैं खा नही पा रहा हूँ.
ससुर की मुंबई ट्रिप से कोई खास फायदा नही हुआ था. दोनों भाई गुल्मोहर और अंकुर के खिलाफ बाउन्स चेक का केस कोर्ट में लंबा खिच रहा था. और अब अगली डेट दो महीने बाद की थी तो ससुर वापस देल्ही आ गया.
अब उनकी आर्थिक हालत ख़स्ता थी, बैंक से बहुत लोन ले लिया था. उसका ब्याज और किस्त देने में उनको बहुत परेशानी आ रही थी.
सुनील ने आँचल से कहा," अपने पापा से 25 लाख रुपये माँग लो , हमारी थोड़ी हेल्प हो जाएगी."
आँचल ने अपने पापा को फोन किया," पापा यहाँ हमारी कंडीशन थोड़ी खराब है , आप इधर आ जाओ, कुछ बात करनी है."
आँचल के पेरेंट्स देल्ही में ही रहते थे , वो दोनों आँचल की ससुराल आ गये. आँचल ने उनको सारी बात बताई की कैसे फैक्ट्री के लोन की किस्त चुकाने में आफ़त आ रही है और जगह जगह डिसट्रिब्युटर्स के पास पैसा अटका पड़ा है.
आँचल के पापा बोले," देखो बेटा , मैं तो रिटायर्ड आदमी हूँ , 25 लाख कहाँ से लाऊंगा. कुछ प्रॉपर्टी है मेरे पास जिसको बेचकर ज़्यादा से ज़्यादा 15-18 लाख मिल सकते हैं. इसमे भी दो महीने लग ही जाएँगे सौदा करने में. मैं अपनी तरफ से जितना हो सकता है उतनी मदद कर दूँगा . ठीक है बेटा ?"
आँचल बोली," जैसा आप ठीक समझें वैसा ही कीजिए पापा."
अब सुनील और ससुर ने डिसाइड किया की बाकी जितने भी डिसट्रिब्युटर्स हैं उन सब के पास जाते हैं और रुका हुआ पेमेंट माँग कर लाते हैं, जिससे जितना भी मिल जाए. इस टूर में उनको दो हफ्ते लग जाएँगे.
तब तक आँचल सुबह से लेकर लंच टाइम तक फैक्ट्री अटेंड करेगी. लेकिन आँचल की सास अभी भी बीमार थी . इसलिए ये डिसाइड हुआ की सास अपने भाई के घर दो हफ्ते के लिए रहेगी वहाँ उसकी देखभाल हो जाएगी . आँचल अपने पेरेंट्स के घर रहेगी और वहीं से सुबह फैक्ट्री जाएगी.
आँचल ने अपना सामान पैक किया और मम्मी पापा के साथ मायके चली गयी. मायके में नौकर रामू ने मुस्कुराते हुए आँचल का स्वागत किया. मैडम वापस आ गयी है , अब तो मज़ा आएगा चोदने में, बहुत दिन हो गये मैडम को चोदे हुए. हंसते हुए रामू को देखकर आँचल के बदन में झुरजुरी दौड़ गयी , उसको याद आया पिछली बार जबरदस्त चुदाई के बाद सर्वेंट क्वॉर्टर्स से ही ऑटो लेकर ससुराल भागना पड़ा था.
आँचल के मम्मी पापा अपनी लाड़ली बेटी के परिवार की बिगड़ी हुई फाइनेंसियल कंडीशन से दुखी थे , वो दोनों रात में काफ़ी देर तक आँचल के बेडरूम में उससे इस बारे में बात करते रहे फिर चिंता में डूबे सोने चले गये.
अगली सुबह चाय देने आँचल की माँ भी रामू के साथ आई तो आँचल को रामू से अकेले में बात करने का मौका नही मिला. आँचल फटाफट तैयार हुई और कार ड्राइव करके फैक्ट्री पहुँच गयी. फैक्ट्री पहुँचकर उसने देखा स्टाफ और वर्कर्स के चेहरों पर चिंता की लकीरें थी.
आँचल ने सबको मीटिंग के लिए बुलाया और बोली," अगले दो हफ्ते तक मैं फैक्ट्री का कामकाज़ देखूँगी. चिंता मत करो किसी की भी नौकरी नही जाएगी. जो भी पैसे की परेशानी है उसका कुछ ना कुछ हल हम लोग निकाल लेंगे."
आँचल ने फैक्ट्री मैनेजर मुकेश बंसल से कहा ," मेरे केबिन में अकाउंट स्टेट्मेंट्स और बैंक लोन फाइल्स लेकर आओ."
बंसल लगभग 48 साल की उमर का था , पेट बाहर को निकला हुआ , कद काठी भी साधारण ही थी. पहली बार उसका सामना सुनील की बजाय उसकी खूबसूरत बीवी से हो रहा था. आँचल को फाइल्स दिखाते हुए उसकी नज़र आँचल के खूबसूरत बदन और उसकी क्लीवेज पर पड़ जा रही थी. आँचल ने अकाउंट स्टेट्मेंट्स वगैरह देखे , बंसल को आश्चर्य हुआ ये हाउसवाइफ फटाफट सब कैसे समझ जा रही है. आँचल ने DU से कॉमर्स की डिग्री फर्स्ट क्लास में पास की थी. अपने स्कूल में भी वो मैथ्स और अकाउंटिंग में बहुत अच्छी थी.
आँचल के केबिन में एसी काम नही कर रहा था , गर्मी से उसको पसीना आ रहा था. फैन से देल्ही की गर्मी में कुछ फायदा नही होता. बंसल झुककर आँचल को फाइल्स दिखा रहा था. उसको आँचल के पसीने की गंध आई. आँचल की कांख (armpit) के पास ब्लाउज पसीने से गीला हो गया था. बंसल उस मादक गंध से उत्तेजित होने लगा. खड़े खड़े उसने देखा पसीने की बूंदे आँचल के बूब्स की गहरी खाई में नीचे को लुढ़क रही हैं. बंसल का लंड खड़े होकर पैंट की तंग जगह में दर्द करने लगा.
आँचल के बदन के पसीने की मादक गंध से कामांध होकर बंसल उसके और नज़दीक़ झुककर खुशबू अपनी नाक में भरने लगा. फैक्ट्री की खराब फाइनेंसियल कंडीशन को समझने में आँचल को दो घंटे लग गये. तब तक खड़े खड़े बंसल की टाँगें बैठने लगी लेकिन लंड खड़ा ही था. अब बंसल की भी हिम्मत बढ़ने लगी. फाइल उठाने के बहाने वो उसकी नंगी बाँह (स्लीवलेस ब्लाउज पहने थी) और कंधों से अपने हाथ टच करने लगा और एक बार उसने आँचल के बूब्स से भी हाथ टच कर दिया.
बूब्स पर हाथ टच होते ही आँचल ने नज़र उठाकर बंसल को देखा.
बंसल की साँस अटक गयी, उसने तुरंत माफी माँग ली, " ग़लती से टच हो गया, मैडम."
आँचल ने कोई जवाब नही दिया.
आँचल को गुस्सा ना करते देखकर बंसल की जान में जान आई और उसकी हिम्मत और भी बढ़ गयी. वो फाइल्स रखने और उठाने के बहाने उसकी बाँह और कंधों से अपनी बाँह टच करते रहा . औरतें सब समझती हैं , आँचल भी समझ रही थी. ये मोटा अपनी बाँह मुझसे बहाने से रगड़ रहा है. लेकिन उसने अपनी भावनाओ को कंट्रोल में रखा और अकाउंट्स को समझने में ही सारा ध्यान लगाया. ये भी एक नयी बात थी, शायद घर की खराब हालत की वजह से , वरना उसके दिमाग़ की बजाय उस पर दिल ज़्यादा हावी रहता था.
जब आँचल ने सारे अकाउंट्स चेक कर लिए तो उसने बंसल से चेयर पर बैठने को कहा और बोली," स्टाफ की सैलरी के लिए बैंक से आज पैसे निकालने है. आप चेक बनाओ."
बंसल आँचल की टेबल के सामने बैठने लगा, आँचल ने उसकी पैंट में बने तंबू को नोटिस किया. मेरी बगल में खड़ा होकर ये तंबू ही बना रहा था कमीना……..
बंसल ने देखा आँचल की नज़र उसके तंबू पर है , वो मुस्कुराया , आँचल झेंप गयी और झट से नज़रें हटा ली .
बंसल मुस्कुराते हुए सोचने लगा," चुदासी औरत लगती है ये, मेरे छूने से इसको भी कुछ एफेक्ट तो पड़ा ही है…….."
आँचल झेंपते हुए सोचने लगी , मोटे कमीने ने लंड को ताकते हुए पकड़ लिया मुझे.
फिर झेंप मिटाने के लिए उसने बात बदल दी और बोली," बैंक में हमारा बैलेंस कितना है ? सैलरी देने के लिए पूरा है की नही ?"
बंसल ने बैलेंस चेक किया और बताया, " आज सैलरी देने के लिए तो हो जाएगा , मैडम."
फिर बंसल ने चेक बनाने शुरू किए.
आँचल ने सभी चेक्स में साइन कर दिए. तब तक दोपहर के 1 बज गये.
आँचल ने बंसल से कहा," आप बैंक से पैसा लाओ और स्टाफ में सैलरी बाँट दो. अभी मैं घर जा रही हूँ और कल कुछ क्रेडिटर्स के साथ मीटिंग करूँगी. "
सुनील ने बैंक के अलावा भी और जगह से लोन लिया हुआ था और वो लोग अब पैसा लौटने को दबाव बना रहे थे. आँचल कल उनके साथ मीटिंग करने वाली थी.
फिर आँचल उठी और ऑफिस से बाहर चली गयी.
बंसल आँचल के बड़े बूब्स और फिर पीछे से उसकी मटकती हुई गांड देखते रहा. साली के नितंब कैसे हिल रहे हैं…….कभी इधर को कभी उधर को …आहह………. सुनील साहब बहुत लकी हैं जो ऐसा मस्त माल उनको मिला है.
घर पहुँचकर आँचल ने मम्मी पापा के साथ लंच किया और अपने बेडरूम में रेस्ट करने चली गयी. थोड़ी देर बाद उसके मम्मी पापा क्लब में कार्ड खेलने चले गये. अब वो शाम को ही लौटेंगे, अपने दोस्तों के साथ कार्ड खेलकर.
आँचल थोड़ी उत्तेजना महसूस कर रही थी, बंसल ने उसे गरम कर दिया था. सोचने लगी मुंबई से आने के बाद एक बार भी ढंग से चुदाई नही हो पाई. ऊपर से घर के रोज़ नये नये टेंशन.
उसने रामू को आवाज़ दी और एक कप कॉफी लेकर आने को कहा. फिर सोचने लगी मम्मी पापा के लौटने तक आज रामू के साथ जमकर चुदाई का मज़ा लेती हूँ. ……….आहहहह……….