Erotica आँचल की अय्याशियां

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एक सुबह जब सुनील काम पर चला गया तो रेखा आँचल के कमरे में आई और बोली, " मेमसाब, नहाने से पहले मैं आपकी बॉडी मसाज कर दूं ? मेरी पहले वाली मेमसाब भी मुझसे खूब मसाज करवाती थी. आप कहो तो आपकी भी कर दूं." आँचल ने सोचा मसाज करवा के देख लेती हूँ , वास्तव में अच्छे से करती है या खाली बातें बना रही है . रेखा : " मेमसाब! आप पेट के बल लेट जाओ . मैं तेल गरम करके लाती हूँ और तौलिया भी ले आती हूँ. " जब रेखा वापस आई तो उसने देखा मेमसाब नाइटगाउन में पेट के बल लेटी है. रेखा: " मेमसाब! ये गाउन तो तेल से खराब हो जाएगा. आप इसको उतार दो." आँचल ने गाउन के अन्दर कुछ भी नही पहना था , इसलिए वो बाथरूम चली गयी और गाउन उतारकर ब्रा पैंटी पहन ली. बाथटब में मूठ मारते समय आँचल अपनी नौकरानी रेखा को भी फैंटसाइज करती थी इसलिए अब ब्रा पैंटी में रेखा से मसाज करवाने के ख़याल से उसको उत्तेजना आने लगी. जब आँचल बेडरूम में वापस आई तो चौंक गयी . रेखा सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी बाकी कपड़े उसने उतार दिए थे. आँचल ने देखा की रेखा ने इंपोर्टेड लेस वाली ब्रा पैंटी पहनी हुई है. वो समझ गयी की ज़रूर इसने ये इतनी महँगी ब्रा पैंटी अपनी पिछली मेमसाब से चुराई होंगी. रेखा को आम(मैंगो) बहुत पसंद थे. हर समय आम आम करती थी पर उसके खुद के आम बहुत छोटे थे. रेखा थोड़े काले रंग की पतली दुबली सी थी और छोटी छोटी चूचियाँ पाले थी. पर वो एक नंबर की चुदक्कड़ थी , मुहल्ले के सभी नौकरों से चुदवा चुकी थी . टाँगे उसकी नीचे को कम और ऊपर को ज़्यादा रहती थीं. जब रेखा ने आँचल को ब्रा पैंटी में देखा तो देखती रह गयी. उसकी गोरी गोरी बड़ी चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को मचल रही थी. आँचल ने रेखा को इस तरह घूरते हुए पाया तो आँचल शरमा गयी और बेड पर पेट के बल लेट गयी.

रेखा आँचल के कंधों पर तेल लगाकर मालिश करने लगी. मालिश के साथ साथ वो आँचल की खूबसूरत गोरी त्वचा (स्किन) की तारीफ भी करते जा रही थी. फिर उसने पीछे से आँचल की ब्रा का हुक खोल दिया और पीठ , कमर में तेल मालिश करने लगी. आँचल को मालिश से बहुत अच्छा महसूस हो रहा था . वो दोनो मालिश के साथ बातें करने लगीं.

रेखा : " मेमसाब आप कितनी सुंदर हो ! आपकी स्किन बिल्कुल साफ सुथरी कितनी अच्छी है बिल्कुल गोरी उजली ! मेरी किसी भी पुरानी मेमसाब की इतनी सुंदर नही थी. आप वाक़ई बहुत खूबसूरत हो." मालिश करते करते दोनो को उत्तेजना आने लगी फिर उनकी बातें सेक्स की तरफ मुड़ गयी.

अब रेखा जांघों की मालिश कर रही थी. जांघों के अंदरूनी हिस्से की मालिश करते समय वो जानबूझकर आँचल की चूत के होठों को टच कर दे रही थी . जिससे आँचल की हल्की हल्की सिसकारी निकल जा रही थी. रेखा ने देखा आँचल की पैंटी में गीलापन आ रहा है. वो समझ गयी अब मेमसाब उत्तेजित हो गयी है.

रेखा : " मेमसाब, वो जो नया कुक आया है ना अपने यहाँ, वो बहुत हरामी है."
आँचल : " हरामी ? क्या मतलब ? "
तभी रेखा ने आँचल से पलटकर पीठ के बल लेटने को कहा. आँचल पलट गयी पर उसको ध्यान नही रहा की रेखा ने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया है. रेखा ने देखा की आँचल के निप्पल उत्तेजना से बिल्कुल तन चुके हैं. अब रेखा भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.
रेखा : " मेमसाब, वो छोकरा सिर्फ़ नाम का ही छोकरा है . पर असल में उसका बहुत बड़ा है ."
आँचल : "क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या उसने तुम्हें चोदा है ?"
रेखा आँचल को सेक्स की बातों में लगाकर अब उसकी चूचियों और निप्पल में तेल लगाकर उन्हे दबोच और मसल रही थी. आँचल पूरी तरह से एक्साइटेड होकर ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
रेखा : " मेमसाब, उसका खंभे जैसा है , मोटा और लंबा."
ये सुनकर आँचल को तुरंत अपने मायके के नौकर रामू और उसके मोटे लंड की याद आ गयी. वो सिसकारी लेते हुए बोली, " उह आहह …….खंभा ? क्या है खंभा ? बोलो ना आह……."
रेखा ने दोनो हाथों से आँचल की पैंटी के कोने पकड़े और उनको नीचे को खींचने लगी. आँचल ने अपने नितंबों को थोड़ा उठाकर पैंटी उतरने में रेखा की मदद की. रेखा ने देखा आँचल की पैंटी पूरी गीली हो चुकी है और उसकी चूत के होंठ उत्तेजना से बिल्कुल फूले हुए हैं. उसको आँचल की आँखों में कामुकता दिखी . अब उससे और कंट्रोल नही हुआ और उसने आँचल की चूत में अपना मुँह लगा दिया और आँचल का चूतरस पीने लगी. अपनी चूत पर रेखा के होंठ और जीभ के स्पर्श से आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. रेखा ने अपनी जीभ आँचल की चूत के अंदर घुसा दी और लपालप उसकी चूत चाटने लगी. थोड़ी ही देर में आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म आया उसकी कमर हवा में उठकर टेढ़ी हो गयी और चूत से चूतरस बह निकला. ये देखकर रेखा ने अपनी ब्रा पैंटी उतार फेंकी और नंगी होकर अपनी चूत को आँचल के मुँह पर रगड़ने लगी. आँचल भी अपनी जीभ से रेखा की क्लिट को चाटने लगी और रेखा की चूत में जीभ घुसकर उसका चूतरस पीने लगी. अब दोनो ने एक दूसरे की चूत में अंदर तक जीभ घुमाना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद दोनो को ओर्गास्म आ गया. आँचल ने रेखा से उस हरामी छोकरे के बारे में और जानना चाहा. लेकिन रेखा ने शर्त रख दी की वो उस छोकरे के बारे में तभी बात करेगी अगर आँचल अपने गर्म बाथटब में रेखा के साथ नहाने के लिए तैयार होगी. आँचल ने रेखा की बात मान ली और दोनो बाथटब में बैठकर एक दूसरे के नंगे बदन में साबुन लगाने लगी. रेखा उस छोकरे के साथ अपनी चुदाई की बातें आँचल को बताने लगी और आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए उनमे साबुन लगाने लगी. उसका मन ही नही भर रहा था उन चूचियों से.

रेखा ने बताया की जिस दिन उस छोकरे को नौकरी पर रखा था उस दिन वो रात में उसको गद्दे चादर बिस्तर देने उसके कमरे में गयी . वो हरामी उस समय मूठ मार रहा था. रेखा उसके बड़े खंभे जैसे लंड को देखकर हैरान रह गयी. फिर बाथटब में पानी के अंदर आँचल की क्लिट को अपनी अंगुलियों से छेड़ते हुए रेखा ने बताया की उस छोकरे को मूठ मारते हुए देखकर वही पर उसकी चूत से पानी निकल गया था. आँचल ने मन ही मन उस छोकरे का बड़ा लंड इमेजिन किया और सिसकारियाँ लेने लगी.
रेखा : " बस मेमसाब , उस छोकरे ने कुछ पूछा नही और मेरा हाथ पकड़कर अपने खंभे जैसे लंड पर रख दिया." फिर रेखा उसके साथ हुई चुदाई के बारे में बताने लगी. उसकी कहानी सुनकर आँचल बाथटब में एक बार और झड़ गयी.
रेखा : " मेमसाब , वो बहुत हरामी छोकरा है. वो कहता है की उसने कई मेमसाब और आया लोगो को चोदा है." ये सुनकर आँचल की चूत से फिर पानी निकलने लगा. रेखा आँचल की चूचियों को अपने दांतों से काटते हुए बोली, " मेमसाब , आप बच के रहना , वो कहता है की आप मस्त माल हो और आपको चोदने में बहुत मज़ा आएगा." आँचल सिसकारियाँ लेते हुए बोली, " आह…उहह…उफफफ्फ़ …..मुझे चोदेगा ….आह…. ओह गॉड …." आँचल को एक जबरदस्त ओर्गास्म आया और उसका पूरा बदन अकड़ गया. उसकी चूत से रस का झरना बह निकला और बाथटब के पानी में जा मिला. आँचल और उसकी नौकरानी रेखा ने एक दूसरे से खूब मज़ा लिया.


लेकिन इस बार आँचल को कोई गिल्टी फीलिंग नही हुई. आँचल को रेखा से जलन हुई की मेरी नौकरानी उस छोकरे के खंभे से रोज़ मज़े ले रही है और मैं मेमसाब होकर भी मेरी सेक्स की प्यास अधूरी है. आँचल ने अपनी नौकरानी रेखा के साथ खूब मज़ा किया . लेकिन उसे इस बात से घबराहट हुई की उसका नया कुक सलीम उसे चोदना चाहता है. उसने सोचा की इसमे बहुत ख़तरा है . क्यूंकी उसका ससुर हर समय उसके आस पास ही मंडराता रहता है , उसको कुछ शक़ भी हो सकता है. आँचल ने निर्णय लिया की इससे पहले कुछ गड़बड़ हो सलीम को नौकरी से निकाल देना ही ठीक रहेगा. आँचल ने सोचा रेखा को तो मैं हैंडल कर लूँगी उससे ज़्यादा नुकसान नही है. थोड़ा बहुत मेकअप का सामान ही तो मांगती है . वैसे भी वो कितनी अच्छी तरह से चूत चाटती है. लेकिन आँचल को ये मालूम नही था की रेखा ने सलीम को वो सब बातें बता दी है जो उसके और रेखा के बीच हुई थी . रेखा ने सलीम को बता दिया था की कैसे तुम्हारे बड़े लंड का जिक्र करने से मेमसाब की पैंटी गीली हो गयी थी. और ये भी की जब रेखा ने आँचल को बताया था की " मेमसाब वो आपको चोदने का इरादा रखता है " तो कैसे मेमसाब चूत से रस बहाते हुए झड़ गयी थी .



रेखा से ये सब बातें सुनकर सलीम बहुत उत्तेजित हो गया और उसने मेमसाब के बारे में सोचते हुए रात भर रेखा को जमकर चोदा. रेखा को चोदते समय वो मेमसाब के गोरे उजले रंग, बड़ी बड़ी चूचियाँ और मक्खन जैसी मुलायम लेकिन बड़ी गांड के बारे में सोच रहा था. अपनी अम्मी की मोटी गांड मारते मारते उसे अब गांड मारना ही पसंद था. और ख़ासकर बड़े घरों की मेमसाब की गांड मारकर उसे और ज़्यादा मज़ा आता था.



उधर आँचल के ससुरजी के अलग ही चुदाई के प्लान बन रहे थे. उसको लगता था की मेरे घर पर होते हुए भी बहू किसी बाहरवाले से चुद के आ गयी ये तो मेरे साथ सरासर धोखा है. अगर मेरा बेटा उसको सैटिस्फाई नही कर पा रहा है तो मुझको चांस मिलना चाहिए था बहू को सैटिस्फाई करने का. इससे घर की बात घर में ही रहती. आँचल जैसी मादक बहू के घर में आने से उसकी जवानी फिर से लौट आई थी उसे अपना लंड फिर से जवान लगने लगा था. वो ससुरा अपना थोड़ा सेक्सुअल टेंशन दूर करने के लिए दो चार रंडियां भी चोद आया पर उससे कुछ फायदा नही हुआ , उसे बहू ही चाहिए थी. उसके एक दोस्त का न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के पास होटेल था , उसी होटेल के कमरे में ससुर और उसके दोस्त ने रंडियां चोदीं थी. वो सोच रहा था की बहू को कैसे उस होटेल में ले जाऊँ , अगर एक बार वहाँ आ गयी तो फिर उसे चोदने में कोई प्राब्लम नही है. आँचल के पति सुनील को घर में चल रही इन बातों की कोई भनक नही थी की कौन कौन उसकी खूबसूरत बीवी को चोदने का प्लान बना रहा है. सुनील कभी कभी आँचल को चोद लिया करता था लेकिन आँचल के बढ़ते सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन से वो अंजान था. उसकी तरफ से तो सेक्स करने का मतलब था चूत में लंड घुसाओ और अपना पानी निकाल दो . उसे कोई ज़्यादा इन बातों का अनुभव नही था. बीवी को भी संतुष्ट करना पड़ता है इस बारे में उसने कभी सोचा ही नही. लेकिन आँचल अब जानती थी की असली चुदाई क्या होती है , क्यूंकी ये उसे समीर और किमी के साथ अनुभव हो चुका था. उसे पता था की मर्द एक औरत को कितना सुख दे सकता है और एक औरत भी औरत को मज़ा दे सकती है अगर वो



किमी जैसी माहिर हो. एक अच्छी और जबरदस्त चुदाई के लिए आँचल की चूत तड़पने लगी. रामू और समीर के बड़े लंड देख लेने के बाद अब उसे सुनील का लंड पतला छोटा लगता था. सुनील से चुदवाते समय अब उसे लगता था इस पतले छोटे लंड से चूत की रगड़ाई नही हो पा रही. अगली सुबह सुनील के ऑफीस जाने के बाद आँचल ने रेखा को अपने बेडरूम में बुलाया . उसे बहुत उत्तेजना महसूस हो रही थी और वो रेखा की मदद से अपनी उत्तेजना शांत करना चाह रही थी. जब रेखा ने बेडरूम में आकर अपने कपड़े उतारे तो आँचल चौंक गयी. रेखा के बदन में जगह जगह हल्के निशान पड़े हुए थे. आँचल के पूछने पर उसने बताया की सलीम ने उसे रात भर बुरी तरह चोदा और अब उसकी चूत दुख रही है और वो निशान उसके काटने के हैं. ये बात सुनकर आँचल की चूत से रस बहने लगा और उसकी पैंटी गीली हो गयी. आँचल ने रेखा से कहा की वो उसको सारी चुदाई के बारे में पूरे विस्तार से बताए की सलीम ने उसे कैसे कैसे चोदा. रेखा उसे अपना किस्सा सुनाने लगी . किस्सा सुनते सुनते दोनो ही बहुत उत्तेजित हो गयी और एक दूसरे को चूमने , चाटने, काटने और मसलने लगी. कुछ देर में उनको ओर्गास्म भी आ गया.
वैसे तो आँचल को रेखा के मुँह से सलीम और रेखा की चुदाई का किस्सा सुनकर बहुत मज़ा आया था , पर उसके मन में सलीम को लेकर डर भी था. वो उसे नौकरी से निकालने का कोई बहाना ढूंढने लगी. धीरे धीरे उसने अपने पति और ससुर के सामने खाना खाते समय खराब खाने की शिकायत करना शुरू कर दिया. लेकिन इससे पहले की आँचल सलीम को नौकरी से निकलवा पाती वो बीमार पड़ गयी. उसे वायरल फीवर हो गया था. शुरू के दो दिन तक तेज बुखार रहा तो उसके पति सुनील ने घर पर ही रहकर उसकी देखभाल की. तीसरे दिन उसका बुखार काफ़ी कम हो गया तो सुनील अपने ऑफिस चला गया. सुनील के ऑफिस जाने के बाद आँचल के ससुर ने मौका देखकर उसकी देखभाल शुरू कर दी. वो दिन भर उसके पास ही बैठा रहा और बुखार चेक करने के बहाने से कभी आँचल का माथा , कभी उसके गाल , कभी बाँहों , कभी कंधों को छू रहा था. आँचल नाइटी पहने थी , इससे ससुर को कभी उसकी कांख , कभी ब्रा का कोई कोना और नाइटी के बाहर से ही उसकी मांसल जांघों का शेप दिख जा रहा था. आँचल अपने ससुर की सब हरकतें समझ रही थी पर वो बीमारी में देखभाल के बहाने से उससे चिपका हुआ था इसलिए वो उसको मना भी नही कर पाई. दो दिन तक ससुर ऐसे ही उससे चिपका रहा. अब आँचल काफ़ी हद तक ठीक हो चुकी थी. अपने ससुर के साथ दो दिन के हर समय के साथ से उसे अब कुछ उत्तेजना सी महसूस होने लगी. अपने पास बैठे हुए ससुर के पैंट में बना तंबू उसने देख लिया था और एक दो बार तो उसका ससुर जानबूझकर बहाने से उसकी बाँह से अपने तंबू को रगड़ भी चुका था. उधर ससुरजी के मन में अलग ही ख़याली पुलाव पक रहे थे. उसने नोटिस किया की बहू मेरे तंबू को घूर रही थी और जब मैं उसको बहाने बहाने से इधर उधर टच करता हूँ तो कुछ विरोध भी नही कर रही है. ये समय बिल्कुल ठीक है अब हथौड़ा मार ही देना चाहिए. अगले दिन सनडे है , सुनील तो घर पर होगा लेकिन रेखा की कल छुट्टी रहेगी. अगर मैं सुनील को किसी बहाने से कहीं बाहर भेज दूं तो बहू और मैं अकेले ही रह जाएँगे फिर तो मैं जी भर के बहू को चोदूँगा. मुझे लगता है अब बहू की भी यही इच्छा है और वो इसके लिए तैयार दिखती है , नही तो मुझे अपने बदन को टच क्यूँ करने देती. शाम को जब सुनील घर आया तो ससुर बोला, " बेटा , एक कस्टमर है सोनीपत में. मैं चाहता हूँ की तुम कल सनडे को जाओ और उससे मिलो. मैंने अपायंटमेंट भी ले लिया है."
सुनील बोला, " ठीक है , मैं मिल लूँगा उससे."
अब ससुर हिसाब लगाने लगा , सुनील को जाने में दो घंटे और आने में दो घंटे और मीटिंग का टाइम भी जोड़ लो तो इसका दिनभर लग ही जाएगा आने जाने में . तब तक मैं……….आआआहह.
आँचल को दिन भर चोदने के ख़याल से ससुर के मुँह से लार टपकने लगी . अरे यार , इस चिकनी छोकरी को तो मैं सेक्स का ऐसा पाठ पढ़ाऊँगा की ये भी क्या याद करेगी की किस एक्सपीरियेन्स्ड मर्द से पाला पड़ा है. दिन भर चोदने को मिलेगी , अहा मुझे तो अपने लक पर विश्वास ही नही हो रहा , मज़ा आ जाएगा टनाटन.
आँचल को ससुर के इस प्लान के बारे में कुछ नही पता था. सनडे को उसने देखा की सुनील किसी मीटिंग के लिए सोनीपत जा रहा है. जैसे ही सुनील घर से बाहर निकला , ससुर आँचल की देखभाल करने के बहाने उसके कमरे में घुस गया. अब वो सोचने लगा बहू को सिड्यूस करना कैसे शुरू करूँ , थोड़ी देर में ही उसके दोस्त का फोन आ गया. उसके दोस्त की बीवी की रात में मृत्यु हो गयी थी और अभी सुबह उसका क्रियाकर्म करना था. ससुर का दिल बैठ गया अब क्रियाकर्म में तो उसको जाना ही पड़ेगा. लेकिन उसने अपने को दिलासा दिया की दोपहर के बाद तक मैं वापस आ जाऊँगा फिर भी मेरे पास कुछ घंटे तो बचेंगे ही , जिसमे मैं बहू को चोद सकता हूँ, सुनील तो शाम को ही वापस आएगा. फिर उसने आँचल से आराम करने को कहा और खुद दोस्त के घर चला गया. उनके कुक सलीम ने देखा घर में कोई नही है अब ये अच्छा मौका है. वो आँचल के बेडरूम में घुसा और बोला, " मेमसाब लंच के लिए क्या पकाना है ? आपको अभी कुछ चाहिए तो नही ?" उसने देखा आँचल नाइटी में लेटी है. उसकी गोरी गोरी बाहें और नाइटी में बड़ी बड़ी चूचियाँ देखकर सलीम के मुँह से लार टपकने लगी. आँचल ने सलीम की आँखों में वासना देखी और उसे डर लगने लगा लेकिन साथ ही साथ उत्तेजना भी महसूस हुई. रेखा ने बताया था इसका खंभे जैसा है , फिर आँचल की निगाहें उसके निक्कर की तरफ मुड़ गयी.सलीम ने देखा आँचल उसके निक्कर को देख रही है . उसकी हिम्मत बढ़ गयी और अपने लंड को निक्कर के बाहर से ही सहलाते हुए वो आँचल के थोड़ा और करीब आते हुए बोला, " क्या देख रही हैं मेमसाब ? कुछ चाहिए क्या ?" आँचल ने उसे ऐसा करते देखा तो अपना सर झटका और अपने को संयत करते हुए कहा , " न.... नही कुछ नही चाहिए. तुम जाओ अभी." आँचल का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. सलीम समझ गया , मुँह से जाओ कह रही है और अंदर से उत्तेजित हो रही है, उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो आँचल की बेड के पास आ खड़ा हुआ. फिर आँचल के माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, " मेमसाब अब तो आपका बुखार बिल्कुल उतर गया है." आँचल ने मन ही मन कहा इस छोकरे की हिम्मत तो देखो मेरे बेडरूम में घुसकर मुझे छू रहा है. उसने थोड़ा कठोर आवाज़ में कहा, " मेरे लिए नाश्ता लेकर आओ, जल्दी…"सलीम मुस्कुराया और बोला, " पर आपको तो मेरी बनाई हुई चीजें अच्छी नही लगती हैं ". फिर उसने अपने निक्कर में से पूरा तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसको आगे पीछे अपने हाथ में हिलाता हुआ बोला, " ये तो ज़रूर अच्छा लगेगा आपको". सलीम समझ गया , मुँह से जाओ कह रही है और अंदर से उत्तेजित हो रही है, उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो आँचल की बेड के पास आ खड़ा हुआ. फिर आँचल के माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, " मेमसाब अब तो आपका बुखार बिल्कुल उतर गया है."
आँचल ने मन ही मन कहा इस छोकरे की हिम्मत तो देखो मेरे बेडरूम में घुसकर मुझे छू रहा है. उसने थोड़ा कठोर आवाज़ में कहा, " मेरे लिए नाश्ता लेकर आओ, जल्दी…"सलीम मुस्कुराया और बोला, " पर आपको तो मेरी बनाई हुई चीजें अच्छी नही लगती हैं ". फिर उसने अपने निक्कर में से पूरा तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसको आगे पीछे अपने हाथ में हिलाता हुआ बोला, " ये तो ज़रूर अच्छा लगेगा आपको".सलीम का खंभे जैसा लंड देखकर आँचल धक से रह गयी. वो पहली बार ख़तने वाला लंड देख रही थी. सलीम के लंड के सुपाड़े के ऊपर कोई चमड़ी नही थी. आँचल के मुँह से कोई बोल नही फूटे. सलीम को मालूम था की उसके लंड को देखकर औरतें हक्की बक्की रह जाती हैं. अब उसने अपने हाथ आँचल के माथे से हटाकर उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया और आँचल की आँखों के सामने उसका लंड फनफना रहा था. आँचल को बहुत डर लग रहा था लेकिन उसकी चूत से पानी भी निकलता जा रहा था. उसने धीमी आवाज़ में अटकती सांसो के बीच कहा, " उहह.... मुझे माफ़ करो सलीम, तुम यहाँ से चले जाओ , प्लीज़!" आँचल की उलझन देखकर सलीम मुस्कुराया और उसके गालों को मलते हुए बोला , " मैं चला जाऊँगा बस तुम एक बार इसे अपने हाथ में ले लो ." सलीम जानता था की उसके लंड को देखकर औरतें घबरा जाती हैं. उनको कैसे धीरे धीरे पटाके काबू में करना है ये उसने सीख लिया था. उसने फिर आँचल से बोला , मैं चला जाऊँगा तुम बस एक बार अपने हाथ मे ले लो.
आँचल काँपती हुई आवाज़ में बोली, " पक्का ? तुम चले जाओगे ? अगर मैं हाथ में ले लूँगी तो ?"
सलीम फिर मुस्कुराया और बोला, " पक्का मेमसाब."
फिर आँचल ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. उसके हाथ में सलीम का खंबे जैसा लंड अच्छी तरह से पकड़ा ही नही जा रहा था. सलीम ने उससे अपना मुँह खोलने को कहा. आँचल ने जैसे सुना ही नही वो उसके लंड को अपने हाथों में देखकर उसी में हैरानी से खो सी गयी थी.
सलीम ने कहा, " कैसा लगा पकड़ने में मेमसाब ?". फिर बोला , "अब अपने मुँह में लेकर चूसो इसे ."
जब सलीम ने देखा की आँचल तो जैसे जड़वत हो गयी है तो उसने उसके हाथ से लंड हटाकर आँचल के गालों पर रगड़ना शुरू किया.
आँचल ने तुरंत कहा, " नही ! तुमने कहा था की तुम चले जाओगे ." "थोड़ा सा चूसो फिर मैं पक्का चला जाऊँगा", सलीम ने जवाब दिया.
आँचल ने अपने होंठ थोड़ा खोले और सलीम ने उन होठों के बीच अपना लंड घुसा दिया. जब उसने देखा की ये तो आराम से लंड चूस रही है तो वो समझ गया की ये मुझसे चुदवाना चाहती है.
उसने आँचल की गर्दन पकड़ ली और लंड थोड़ा और अंदर घुसा दिया फिर पूछा, " मेमसाब, कैसा लग रहा है मेरा लंड ?"
आँचल लंड चूसने में मगन थी इसलिए उसने जवाब में सिर्फ़ …. ग..गु गो गु … की आवाज़ निकली.
फिर वो सलीम की गोलियों को सहलाने लगी. सलीम समझ गया इसको मज़ा आ रहा है. उसने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और अपनी गोलियाँ चाटने को कहा. आँचल ने तुरंत गोलियों को चाटना शुरू कर दिया. सलीम अब उसको पूरी नंगी देखना चाहता था इसलिए बोला, " अपने कपड़े निकाल , मुझे तेरी चूचियाँ देखनी हैं." आँचल ने अपनी नाइटी उतार दी . अब वो सिर्फ़ लेस वाली पैंटी में थी. उसकी गोरी गोरी चूचियों को खुला देखकर सलीम उनको मुँह में भरकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. फिर चूचियों को रफ तरीके से मसलने और काटने लगा. आँचल दर्द से चिल्लाई.
सलीम उसको एक थप्पड़ मारते हुए बोला, " साली, रेखा की चूचियाँ और चूत , तू चूसती है और अब रोती है." फिर उसने आँचल की गीली हो चुकी पैंटी को फाड़ दिया . आँचल की टाँगों को ज़ोर से अलग करते हुए उसने आँचल की चूत में अपना लंड घुसेड दिया. आँचल दर्द से चिल्ला पड़ी, " आ आ आ हह……ऊओ आह माँ.....आह मेरी फट रही है ……..आह माँआअ …"
आँचल की टाइट चूत देखकर सलीम हैरान रह गया. आँचल के रोने धोने से वो और एक्साइट हो गया और उसकी चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
फिर बोला, " तेरी चूत तो बहुत मस्त है, मज़ा आ गया."
अब वो पूरा लंड बाहर निकालकर फिर एक झटके में पूरा अंदर धाँसने लगा. अब उसकी स्पीड तेज हो गयी थी. आँचल को किसी ने इतनी तेज तेज नही चोदा था. अब उसने भी सलीम के धक्कों के साथ ही अपनी गांड ऊपर को उछालनी शुरू कर दी इस तरह वो भी सलीम को चोदने लगी. उसको ओर्गास्म पर ओर्गास्म आने लगे और उसके मुँह से तेज सिसकारियाँ निकल रही थी ….ऊओ अहह ओइईईईईईईईईई........... उफफफफफफफफफफफफ्फ़ अहह…" सलीम की गोलियाँ हर झटके के साथ आँचल की गांड से टकरा रही थी ….ठप….. ठप….. ठप .. इसी तरह वो आँचल को धकाधक चोदता रहा. जब वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड पूरा चूत के अंदर डाल दिया और आँचल के चूत की गहराइयों में अपना वीर्य छोड़ दिया. फिर उसने अपना लंड चूत से निकालकर आँचल के मुँह में डाल दिया. आँचल को लंड से वीर्य के साथ अपने चूतरस का स्वाद आया और उसने लंड चूसना शुरू कर दिया. आँचल ने देखा की सलीम का मुरझाया हुआ लंड भी आँचल के पति सुनील के खड़े लंड से बड़ा था.
आँचल के चूसने से सलीम का लंड फिर खड़ा हो गया. उसने आँचल को पलट दिया और घुटनो के बल कुतिया बना दिया. अब आँचल के पीछे जाकर उसने आँचल की चूत में अपना लंड घुसेड दिया और वो पीछे से धकाधक चोदने लगा साथ ही साथ आँचल की बड़ी गांड में थप्पड़ भी मारते जा रहा था…चटाक़……. चटाक़…… चटाक़. आँचल कभी भी डॉगी स्टाइल में नही चुदी थी , उसे बहुत मज़ा आ रहा था. चूत में लंड के ताबड़तोड़ धक्कों के साथ अपनी गांड पर पड़ते थप्पड़ से उसको जल्दी ही जबरदस्त ओर्गास्म आ गया …आ आहह ओइईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आअहह……..उसके घुटने कमजोर पड़ गये और वो बेड पर गिर पड़ी. उसकी जांघें और टाँगे ओर्गास्म की उत्तेजना से कांप रही थी. सलीम ने उसको फिर उठाने की कोशिश की पर आँचल बिना उसके सपोर्ट के नही उठ पा रही थी. इतनी बार झड़ जाने से आँचल अब कमज़ोरी महसूस कर रही थी. उसका पूरा बदन पसीने से भीग चुका था . उसकी आँखों में अजीब से भाव थे जैसे वो शून्य को घूर रही हो. उसके घुटने कमज़ोरी से कांप रहे थे. सलीम के काटने से उसके गालों और चूचियों पर लाल निशान पड़ चुके थे. उसकी गांड थप्पड़ मारे जाने से लाल हो चुकी थी. लेकिन सलीम तो अभी शुरू ही हुआ था , उसने सुनील की टेबल से सब काग़ज़ फेंक दिए और आँचल को टेबल पर बैठा दिया फिर उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर आँचल की चूत में फिर से अपना लंड घुसेड दिया , एक जोरदार झटके में लंड पूरा चूत में अंदर तक धँस गया. फिर वो तेज़ी से लंड अंदर बाहर पेलने लगा.
आँचल चिल्लाई …अहह् ………..आहह…… ओइईईई… आअरहगगगघहीुई..म्म्म्माआ… इस पोज़िशन में सलीम का लंड बहुत डीप पेनिट्रेट कर रहा था. आँचल को लगा आज तो उसकी चूत फट के चिथड़ा हो जाएगी. उसकी पहले से ही लाल हो चुकी गांड भी टेबल से रगड़ खाकर और लाल हो गयी. जैसे ही सलीम झड़ने को हुआ उसने अपना लंड आँचल की चूत से बाहर निकाला और आँचल के बाल पकड़कर उसका चेहरा नीचे झुका दिया और वीर्य की धार को उसके बालों , उसके खूबसूरत चेहरे और उसकी गोरी चूचियों पर छोड़ दिया . आँचल अपना बैलेंस नही बना सकी और टेबल से नीचे गिरने लगी, तभी सलीम ने उसको पकड़कर नीचे फर्श पर बैठा दिया .तभी आँचल का फोन बजने लगा. सलीम ने फोन उठाया तो देखा सुनील की कॉल थी . लेकिन आँचल उठकर फोन पर बात करने की हालत में नही थी. सलीम ने आँचल को फोन दिया और खुद उसकी चूचियाँ मसलने लगा. सुनील ने फोन पर आँचल से पूछा की वो अब कैसा फील कर रही है और तबीयत कैसी है , आँचल सिर्फ़ हूँ हाँ में ही जवाब दे पाई .इतनी खूबसूरत औरत को बुरी तरह से चोदकर भी सलीम का मन नही भरा , उसको फोन पर हूँ हाँ करते देखकर उसका लंड फिर तन गया. उसने फर्श पर बैठे बैठे ही आँचल को कमर और गांड से पकड़कर उठाया और अपने लंड पर बैठा दिया .आँचल अभी फोन पकड़े हुए ही थी. लंड के चूत में घुसते ही आँचल के मुँह से आह निकली , दूसरी तरफ सुनील ने समझा की उसकी बीवी की तबीयत खराब है और वो उल्टी कर रही है. आँचल डर गयी उसने समझा कहीं सुनील कुछ शक़ ना कर बैठे , इसलिए उसने नॉर्मल तरीके से बात करना चाहा , लेकिन सलीम उसकी गांड उठा उठा के धीरे धीरे चूत चोद रहा था इसलिए उसके मुँह से सिसकियाँ निकल जा रही थी. सलीम इस बात से और एक्साइटेड हो गया की मेमसाब अपने हसबैंड से फोन पर बात कर रही है और मैं उसे चोद रहा हूँ. वो समझ गया की मेमसाब डर से , सुनील से नॉर्मल होके बात करने की कोशिश कर रही है , उसने नीचे से तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिए.
अब आँचल सलीम की गोद में तेज धक्कों से चुदते हुए उछलने लगी उसकी तेज सिसकारियाँ निकलने लगी . लेकिन अभी भी वो फोन पकड़े हुए थी . उसको ओर्गास्म आ गया. सुनील को फोन पर सिर्फ़ आहह….उफ़फ्फ़….अरगगगगगग…अर्र्र्र्र्ररर…..ओइईईईईईईईईई…. सुनाई दे रहा था.
सुनील बोला, " आँचल , आँचल क्या बात है ? तुम ऐसी अजीब आवाज़ें क्यूँ निकाल रही हो , तबीयत ज़्यादा ही खराब हो रही है क्या ?"
ओर्गास्म खत्म होने के बाद आँचल ने सुनील को बोला की उसको अभी उल्टी आई थी , इसलिए उसके मुँह से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी. फिर उसने कहा मेरी तबीयत ठीक नही है तुम जल्दी घर आ जाओ और फोन रख दिया.
आँचल को अपने पति से झूठ बोलते देखकर सलीम बोला, " अच्छा नाटक करती है तू साली !"
आँचल बोली, " आह ,....उफ़फ्फ़ अब मुझे छोड़ दो सलीम , प्लीज़ अब तुम जाओ."
आँचल को फर्श पर पड़े देखकर और अपने को छोड़ देने की मिन्नतें करते देखकर सलीम ज़ोर से हंसा फिर आँचल की गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला ," साली अभी तो तेरी गांड चोदूँगा , क्या मस्त बड़ी गांड है तेरी."फिर उसने आँचल को पकड़कर खड़ा कर दिया. लेकिन आँचल कमज़ोरी महसूस कर रही थी इसलिए खड़ा नही हो पाई और सलीम के हाथों में झूल गयी. सलीम ने उसको पेट के बल बेड पर लिटा दिया और फिर घुटने अंदर को मोड़कर आँचल की गांड हवा में ऊपर को उठा दी. फिर उसके दोनो नितंबों को फैला कर गांड के छेद में लंड घुसाने की कोशिश करने लगा.
जैसे ही सलीम का लंड का सुपाड़ा आँचल की गांड में घुसा आँचल ज़ोर से चिल्लाई, " अहह ओह फट गयी ……ईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआ…."

"साली लगता है कभी तेरे पति ने तेरी गांड नही मारी , तभी तो तू इतना फुदकती रहती है" , आँचल की गांड के बहुत टाइट छेद को देखकर सलीम बोला.
फिर उसने अपना लंड छेद से हटा लिया और अपनी उँगलियों पर थूका और उंगली को गांड के छेद में घुमाने लगा.
आँचल फिर चिल्लाई, "आहह….मत करो सलीम…आहह ओइईई…"
लेकिन सलीम भोसड़ी का बहुत गांडू था , अपनी अम्मी की गांड मारते मारते अब उसको गांड मारने की आदत पड़ गयी थी. इसलिए वो नही माना और फिर उसने अपना लंड आँचल की गांड के छेद पर टिका कर धक्का मारा.
"आहह…..मैं मर गयी ……..कमीने कुत्ते हरामजादे ने मेरी गांड फाड़ दी...... उईईईईईईईईईई माआआआआआ…", आँचल फिर चिल्लाई .
आँचल के रोने चिल्लाने से सलीम और एक्साइटेड हो गया और आँचल की कुँवारी गांड को बुरी तरह से चोदने लगा. दर्द से आँचल की आँखों से टपाटप आँसू बहने लगे. कुछ देर बाद सलीम उसकी गांड में ही झड़ गया. और आँचल को बेड पर रोता छोड़कर बेडरूम से चला गया. जब सलीम अपने कमरे में पहुँचा तो उसे होश आया की मैंने ये क्या कर दिया . डर के मारे अब खुद उसकी गांड फट के हाथ में आ गयी और उसने फटाफट अपना दो कौड़ी का सामान प्लास्टिक के थैले में डाला और घर छोड़कर भाग गया.
तब तक दोपहर के 2 बज चुके थे और आँचल का ससुर भी क्रियाकर्म से वापस आ पहुँचा. वो दिन भर आँचल को चोदने का ही प्लान बनाने में था . इसलिए जैसे ही घर पहुँचा टाइम वेस्ट ना करते हुए सीधे आँचल के बेडरूम में घुस गया. पर बेडरूम का नज़ारा देखते ही उसकी गांड फट गयी . ये तीसरी गांड थी जो आज उस घर में फटी थी. उसने देखा आँचल बेड पर नंगी पड़ी है और सुबक रही है. उसके पूरे बदन में निशान बने हुए हैं और बदन में जहाँ तहाँ वीर्य लगा हुआ है. उसकी गांड से थोड़ा खून भी निकल रहा था. जैसे ही आँचल ने अपने ससुर को देखा उसने ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया.
ससुर उसके पास पहुँचा और उसके नंगे बदन को अपने आलिंगन में लेकर उसको दिलासा देते हुए बोला, " तुम्हारी ऐसी हालत किसने की ?"
आँचल बोली, " वो हमारा कुक सलीम , उसी कमीने ने मेरा रेप किया है."
ससुर मन ही मन सोचने लगा , इस लड़की को मैं चोदने को मरा जा रहा हूँ और यहाँ ये दो कौड़ी का नौकर सलीम इसको चोद गया और पहले दिन भी ना जाने बाहर किससे चुदवा के आई थी. पता नही और कौन कौन चोद गया इसे , सिर्फ़ मैं ही नही चोद पा रहा हूँ बस.

ससुर गुस्से में सलीम के कमरे की तरफ दौड़ा तो वहाँ जाकर देखा की वो भोसड़ी का तो भाग लिया. फिर वो वापस आँचल के पास आया .

आँचल उससे हाथ जोड़ते हुए बोली , " प्लीज़ आप सुनील या किसी और को ये सब मत बताना."
ससुर बोला, " ठीक है, मैं किसी को ये बात नही बताऊँगा."

फिर उसने गरम पानी करके आँचल को नहाने और कपड़े पहनने में मदद की.


उसके बाद उसने आँचल का कमरा धो दिया और फिर साफ करके वीर्य और चूतरस के सभी निशान फर्श से मिटा दिए और बेड की शीट्स वगैरह सब बदल दी. ताकि सुनील के आने तक बेडरूम फिर से पहले जैसा साफ सुथरा हो जाए.
 

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आँचल के ससुर ने जब आँचल को बेडरूम में नंगी चूड़ी हुई पड़े देखा तो इससे आँचल को बहुत एम्बररासेमेंट फील हुआ. वो दर गयी और उसने झट से सलीम पर रेप का इल्ज़ाम लगा दिया. लेकिन असल बात ये थी की जब से नौकरानी रेखा ने उसे बताया था की सलीम का बहुत बड़ा लॅंड है और रेखा उससे खूब चुड़वति है तो तभी से आँचल के मॅन में भी उससे चुड़वणी की इक्चा पैदा हो गयी थी. वैसे भी उसकी छूट उँचुड़ी ही रह जाती थी इसलिए सलीम को वो अपने को छोड़ने से रोक नही पाई.

उसके मॅन से अपने मयके के नौकर रामू के लंड की यादें अभी मिटी नही थी , बल्कि उन पलों को याद करके उसकी छूट पानी छोड़ देती थी. इसलिए ससुराल के नौकर सलीम से भी उसने मज़ा लेने में देर नही की.

सलीम के लंड के लिए वो प्यासी थी और सलीम के साथ हुई घमासान चुदाई का उसने भरपूर मज़ा भी लिया था , लेकिन तभी तक जब तक की उसने अपना लंड आँचल की गंद में नही घुसाया था. सलीम के लंड से अपनी गंद फदवाने में आँचल को बिल्कुल भी मज़ा नही आया था , बल्कि असहनिया दर्द से वो रो पड़ी थी और वो बड़ी बेदर्दी से उसकी गंद मरते रहा. इसलिए सलीम के घर छोड़कर भाग जाने से उसे बहुत खुशी हुई.

अपने ससुर की मदद से , उसने सुनील के वापस लौटने से पहले ही बेडरूम धो कर सॉफ लिया था. जब सुनील वापस लौटा तो उसने समझा आँचल की तबीयत वाक़ई खराब है उसे बहुत चिंता हुई. उसने अपने पापा से कहा की जब तकाअन्चल अक्चा महसूस नही करती वो फॅक्टरी नही जाएगा और उसके बदले कुछ दिन तक पापा फॅक्टरी चले जाएँ.

बुद्धा ये सुनकर फ्रस्टरेट हो गया पर उसको फॅक्टरी जाना ही पड़ा. वो सोच रहा था अब बहू को नंगी देख लिया है , नहला धुला भी दिया है , अब तो बहू छोड़ने देगी पर सुनील ने उसको फॅक्टरी भेज दिया. वा रे फूटी किस्मत!

सुनील को आँचल ने झूठी कहानी सुना दी की सलीम उनके घर से कुछ रूपीए चुराकर भाग गया है. ज़्यादा अमाउंट नही था इसलिए सुनील ने पोलीस कंप्लेंट के चक्कर में पड़ना ठीक नही समझा.

आँचल ने देखा की फॅक्टरी जाने के नाम पर उसके ससुर का मुँह कैसे उतार गया है. वो जानती थी की उसके ससुर ने सलीम के जाने के बाद उसकी बहुत मदद की थी और बेडरूम सॉफ किया था , उसको बातरूम भी ले गया था , नहाने और कपड़े पहनने में भी मदद की थी , क्यूंकी उस समय गंद मरने से उसकी हालत वाक़ई खराब थी. और वो ये भी जानती थी की इसके बदले में वो ससुर अब उससे क्या माँगेगा. इसलिए उसके फॅक्टरी जाने से वो खुश हुई क्यूंकी अब ससुर सुबह जाकर शाम को ठक्कर लौट-ता था.

आँचल जानबूझकर तबीयत खराब होने का बहाना करती रही जबकि असल में उसकी गंद में तोड़ा दर्द था बाकी वो पूरी तरह से ठीक थी. अगले कुछ दिन तक सुनील ने घर पर ही रहकर आँचल का ध्यान रखा. उसने एक बुड्दा कुक भी रख लिया और आँचल के ज़ोर देने पर नयी नौकरानी भी रख ली. आँचल को रेखा से ब्लॅकमेल होने का दर था इसलिए उसने बहाने बनाकर सुनील से उसको निकलवा दिया. आँचल बीमारी का बहाना बनाकर कुछ दिन तक आराम करती रही. उधर ससुर इन सब बातों से अलग फ्रस्टरेट हो रहा था.

आँचल की बीमारी की खबर सुनकर उसके माता पिता भी उसको मिलने आए. उन्होने सुनील से कहा थोड़े दिन के लिए आँचल को हम अपने साथ मयके ले जाना चाहते हैं. वैसे भी वो शादी के बाद से मयके नही जा पाई थी.

सुनील ने ये बात मान ली और आँचल अपने मयके चली गयी. उस दिन जब ससुर शाम को घर आया तो उसे पता चला की बहू मयके चली गयी है , वो बड़ा दुखी हो गया. आँचल की सास बहुत दिन से अपने रिश्तेदार के घर शादी में गयी हुई थी और कुछ दिन में लौटने वाली थी. ससुर दुखी हुआ की बुदिया के लौटने के बाद उसका बहू को छोड़ने का कोई चान्स नही है.

मयके पहुचने के बाद आँचल का सामना अपने नौकर रामू से हुआ. वो हरामी छोकरा आँचल को वापस देखकर बहुत खुस हुआ और आँचल को वासना भारी नज़रों से तकने लगा. आँचल का चेहरा शरम से लाल हो गया क्यूंकी वो ससुराल में रामू के लंड को याद करके बहुत मूठ मारा करती थी. अपने मयके आकेर आँचल ने बहुत खुशी महसूस की . रामू को देखकर उसने बहुत हॉर्नी फील किया.

आँचल के पेरेंट्स ने उसको एकद्ूम से खुश देखा तो उन्होने सोचा की मयके आने की खुशी से ये बीमार से खुशी महस्सोस कर रही होगी , उन्हे आँचल पर कोई शक़ नही हुआ की इसमे इतना चेंज एकद्ूम कैसे आ गया की अभी तो ससुराल में बीमारी से लेती थी और यहाँ इतनी खुश दिख रही थी.

रामू भी आँचल के जाने के बाद उसको मूठ मरते समय बहुत याद करता था , उसको लगा अब इसकी शादी हो गयी है अब इसको छोड़ने में कोई लाफद नही है.
उस रात को आँचल ने रामू के लंड को याद करके मूठ मारी. उसने फॅंटसाइज़ किया की रामू का बड़ा लंड उसकी छूट में अंदर बाहर हो रहा है. एक तरह से रामू का लंड उसके पहले प्यार के जैसा था क्यूंकी सबसे पहले उसने उसी का देखा था, अपनी शादी से कुछ ही दिन पहले.

जब सुबह हुई तो बेड पर लेते लेते आँचल सोचने लगी की रामू के साथ अकेले वक़्त बिताने का मौका कैसे मिलेगा , इस ख्याल से उसको अपनी छूट से रस बहता महसूस हुआ.


पिछले कुछ सालों से मयके में रामू उसके लिए बेड टी ला रहा था . आँचल जानबूझकर उसको अपने बदन को देखने देती थी , कभी कभी उसकी निघट्य उपर उठ जाती थी तो रामू को उसकी मांसल झंघें भी देखने को मिल जाती थी, और कभी कभी चुचियाँ भी देखने को मिल जाती थी.

आँचल ने आज जानबूझकर पनटी नही पहनी थी और वो पेट के बाल लेती थी और उसने अपनी टाँगें फैला ली थी. उसने अपनी निघट्य भी उपर को खींच ली थी , जिससे जब रामू सुबह की छाई लेके आए तो उसको आँचल की जांघों के साथ ही उसकी गीली छूट का भी नज़ारा दिखे . तभी उसको कदमों की आहत सुनाई दी , उसने सोचा रामू छाई लेके आ रहा होगा. और उसकी उततेज़ना बादने लगी.

लेकिन उसको अपनी मा के बोलने की आवाज़ आई , वो झटके से उठ के सीधी हो गयी . तभी उसके बेडरूम में उसकी मा नौकर रामू के साथ आई.

रामू ने कमरे में अंदर घुसते समय निघट्य में आँचल का अधनंगा बदन देख लिया था , फिर जब वो झटके से सीधी हुई तो उसकी निघट्य के अंदर , बिना ब्रा के , ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे को हिलती हुई बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उसको देखने को मिली. उस पतली निघट्य में आँचल के ताने हुए निप्पल सॉफ सॉफ दिख रहे थे. रामू समझ गया की आँचल बहुत एग्ज़ाइटेड हो रखी है.

ये सब देखकर आँचल की मा ने रामू को तुरंत कमरे के बाहर भेज दिया.
फिर वो आँचल से बोली, " कैसे कपड़े पहन रखे हैं, सब कुछ तो दिख रहा है. अब तुम्हारी शादी हो चुकी है . ऐसे झीने झीने कपड़े तुम सिर्फ़ अपने पति के सामने पहना करो. यहाँ तोड़ा ढंग के कपड़े पहना करो. आया समझ में ? "

आँचल को निराशा हुई पर मजबूरी में सहमति में सर हिलना पड़ा. कहाँ वो रामू को बेड टी के टाइम सिड्यूस करने की सोच रही थी और यहाँ उसे मा के साथ बेड टी पीनी पड़ी और तमीज़ से रहने का लेक्चर अलग से.

अगले दो दिन तक आँचल को अकेले रामू के साथ कोई मौका नही मिला. उसकी मा घर पर ही थी. आँचल बहुत फ्रस्टरेटेड हो गयी. वो रामू के इतने नज़दीक़ थी पर चुदाई का मौका नही मिल पा रहा था.

आज उसको अपनी ससुराल वापस जाना था. शाम को सुनील उसको ले जाने आने वाला था. अब उसका फ्रस्ट्रेशन और भी बाद गया की मयके में आकेर भी रामू के साथ कोई मौका नही मिला.

लेकिन दोपहर में उसकी मा मार्केट चली गयी. मा के जाते ही आँचल रामू को ढोँढने लगी. लेकिन उसको घर में रामू नही दिखा. फिर वो घर के पिछवाड़े में बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ गयी. वहाँ रामू के कमरे के दरवाज़े को उसने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया पर अंदर कोई नही था. कमरे को खाली देखकर वो निराश हुई. लेकिन उसने देखा कमरे की दीवारों में फिल्म स्टार्स , मॉडेल्स के कुछ अधनंगे और कुछ पूरी नंगी मॉडेल्स के पोस्टर चिपके हुए हैं.

रामू की चारपाई में तकिये के नीचे उसे हिन्दी की सेक्स कहानियों की किताब मिली. आँचल वहीं चारपाई में बैठकर वो गंदी किताब पड़ने लगी. कमरे में नंगे पोस्टर्स के बीच वो गंदी कहानियों की किताब पड़ने से आँचल बहुत उततेज़ीत हो गयी और उसकी छूट से रस बहने लगा. उसने अपने जीन्स का बटन खोला और रामू के बेड में लेटकर अपनी गीली छूट में उंगली करने लगी.

रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया.

रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
 

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लेकिन दोपहर में उसकी मा मार्केट चली गयी. मा के जाते ही आँचल रामू को ढोँढने लगी. लेकिन उसको घर में रामू नही दिखा. फिर वो घर के पिछवाड़े में बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ गयी. वहाँ रामू के कमरे के दरवाज़े को उसने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया पर अंदर कोई नही था. कमरे को खाली देखकर वो निराश हुई. लेकिन उसने देखा कमरे की दीवारों में फिल्म स्टार्स , मॉडेल्स के कुछ अधनंगे और कुछ पूरी नंगी मॉडेल्स के पोस्टर चिपके हुए हैं. रामू की चारपाई में तकिये के नीचे उसे मास्टराँ की सेक्स कहानियों की हिन्दी किताब मिली. आँचल वहीं बेड में बैठकर वो गंदी किताब पड़ने लगी. कमरे में नंगे पोस्टर्स के बीच वो गंदी कहानियों की किताब पड़ने से आँचल बहुत उततेज़ीत हो गयी और उसकी छूट से रस बहने लगा. उसने अपने जीन्स का बटन खोला और रामू के बेड में लेटकर अपनी गीली छूट में उंगली करने लगी.

रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया. रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

रामू से अब रहा नही गया , उसने फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके और सिसकारियाँ लेती आँचल के चेहरे के पास अपना लंड हिलने लगा. फिर लंड पूरा खड़ा होते ही उसने आँचल की जीन्स और पनटी एक झटके में उतार फेंकी. फिर आँचल की गंद को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी छूट में उंगली करने लगा. वो अपने अंगूठे से उसकी क्लाइटॉरिस को मसल रहा था और गीली रस से भारी छूट में फ़चफ़च उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. आँचल अपनी गंद उपर को उछालने लगी. जल्दी ही उसको एक और ऑर्गॅज़म आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई दोसरि बार झाड़ गयी.

फिर रामू ने आँचल के बाकी कपड़े भी उतार दिए और उसको पूरी नंगी कर दिया. आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को खुली हवा में हिलते देखकर रामू उततेज़ना से भर उठा और उसने चुचियों के बीच निप्पालों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हे चूसने और काटने लगा. साथ ही साथ चुचियों को ज़ोर ज़ोर से हाथों में पकड़कर मसालने लगा.

आँचल को रामू का लंड चूसने की तड़प हुई . वो अपने हाथ में रामू का लंड पकड़कर उसे उपर नीचे हिलने लगी. फिर रामू ने आँचल को उठाकर अपनी गोद में बिता लिया और उसकी छूट की छेड़ में अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया. फिर धीरे धीरे उसने आँचल को अपने लंड पर बिता दिया.

जैसे ही सूपड़ा छूट के अंदर घुसा , आँचल चिल्लाई, " आररर्ग्घह उंगग्गग अहह ओइईईईईईई…."

अपनी गोद में बैठी आँचल को सिसकारियाँ लेते देखकर रामू उततेज़ना में भर गया और उसने आँचल की छूट में अंदर तक पूरा लंड घुसा दिया. आँचल को ऐसा लगा जैसे रामू के बड़े लंड से उसकी छूट पूरी भर गयी है और छूट की देवरें पूरी तरह से स्ट्रेच हो गयी हैं. रामू ने आँचल की छूट की टाइटनेस को महसूस किया , उसे लगा आँचल की टाइट छूट ने उसके लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया है , आनंद से वो पागल सा हो गया. उसने पहले रंडियन छोड़ी थी पर रंडी छोड़ते समय उसे लगता था जैसे किसी थैली में टूतब्रश डाल रहा हो.

इतनी खूबसूरत और एकद्ूम टाइट छूट वाली लड़की को छोड़ने में ऐसा आनंद उसे आ रहा था जो उसके पूरे खानदान में सयद किसी को भी नही आया होगा.
फिर रामू ने लंड को अपनी जगह पर बिना हिलाए रखकर आँचल को कसकर आलिंगन में भर लिया और उसके गोरे खूबसूरत बदन को चॉंने , चाटने और काटने लगा. आँचल दर्द और उततेज़ना से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

फिर रामू आँचल की गंद को हाथों से पकड़कर उसको अपने लंड पर उपर नीचे उछालने लगा , रामू का लंड अब छूट में तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा . उछालने से आँचल की बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे उछालने लगी . इससे उततेज़ीत होकर रामू ज़्यादा देर रोक नही पाया और उसने आँचल की छूट को अपने गरम वीर्या से पूरा भर दिया. वीर्या गिरते गिरते वो आँचल की चुचियों को चोसने काटने लगा. फिर उसने अपना लंड आँचल की छूटरस से भीगी हुई छूट से बाहर निकाला. इतने बड़े लंड के बाहर निकालने से प्वाअक की आवाज़ हुई और आँचल की छूट का मुँह खुला रह गया.

फिर उसने अपने मुरझा चुके लंड को आँचल के मुँह में दल दिया. आँचल सतसट उसका लंड चूसने लगी. आँचल के लंड चूसने से थोड़ी ही देर में छोकरे रामू का लंड फिर खड़ा हो गया. अब उसने आँचल को लिटाकर उसकी टाँगे पकड़ के उपर को घुटने से मोड़ दी और फिर छूट में लंड घुसेड दिया.
अब रामू , आँचल की छूट में हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. आँचल भी उततेज़ीत होकर उसका पूरा साथ देने लगी और अपनी गंद उपर को उछालने लगी जैसे वो नीचे से रामू को छोड़ रही हो. ये देखकर रामू खुस हो गया. आँचल के ऐसे गंद उपर को उछालने से उसकी गोरी गोरी मखहान जैसे जंघें भी उछाल रही थी और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे हिल रही थी.

आँचल तो अपने पहले लंड रामू के साथ चुदाई से इतने आनंद में थी की उसको दीं दुनिया की कुछ ना होश ना दर्र ना शरम , सब कुछ वो भूल गयी थी. वो इतनी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी की रामू को उसके मुँह में हाथ रखना पद रहा था की कहीं कोई सुन ना ले. उसके तेज तेज आवाज़ निकालने से रामू का हाल ऐसा था की ये खुद तो मरेगी साथ में मुझे भी मरवाएगी.

आँचल उततेज़ना से चिल्लाई, " आहह......श....माआ..... , बहुत मज़ा आ रहा है रामू , ऑश......ऑश......... आहह…..ओइईईईईईईईई ".

उसको ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते रहे और वो झड़ती रही , झड़ती रही और झड़ती रही ना जाने कितनी बार………

रामू उसकी छूट को धमाधम छोड़े जा रहा था और उसकी ना जानने कब की प्यास बुझाए जा रहा था . आँचल बहुत खुश थी उसकी प्यास आज कोई जी भरकर बुझा रहा था. रामू की रस्सी वाली चारपाई में लेते लेते धक्के खाते खाते उसके नितंब दुखने लगे थे , पर उसे इसकी कोई परवाह नही थी , जो मज़ा उसे मिल रहा तह उसके आयेज बाकी परेशानियों का कोई महटवा नही था.

रामू के तेज तेज धक्कों से वो पुरानी चारपाई ऐसे आवाज़ कर रही थी की दर था कहीं टूट ना जाए. तभी आँचल ने दूर कहीं किसी के डोरबेल बजाने की आवाज़ सुनी , लेकिन वो रामू से . "और तेज ! और तेज !" ही कहती रही.
रामू ने भी डोरबेल की आवाज़ सुन ली थी , पर उततेज़ना में उसने भी उनसुना कर दिया.

"छोड़ो ….....मुझे छोड़ो रामू ……और छोड़ो …ज़ोर से ….और ज़ोर से….आ आहह…… ओइईईईई माआ……." आँचल को ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते गये.

इतनी खूबसूरत लड़की को चुदसी औरत के जैसे चिल्लाते देखकर रामू भी रुक नही पाया और जोरदार स्ट्रोक लगते हुए उसने आँचल की छूट एक बार फिर अपने वीर्या से भर दी . फिर झाड़ते झाड़ते , अपना पूरा वज़न आँचल के बदन में डालकेर वो उततेज़ना में उसकी चुचियों को चाटने और काटने लगा.

जब चुदाई ख़तम हुई तो रामू को होश आया कोई बहुत देर से डोरबेल बजाए जा रहा था. वो झट से उठा और आँचल को खींचकर उठाने लगा.

लेकिन आँचल मदहोश थी वो उठी ही नही. रामू घबराहट में उसको नंगी ही चोरकर फटाफट अपने कपड़े पहनकर उनके घर की तरफ मैं दरवाज़ा खोलने को भगा.

रामू के कमरे के दूसरी तरफ पड़ोसी के नौकर का कमरा था. दोनो घर के बीच में दीवार थी. अपने कमरे में वो नौकर दोपहर की नीड ले रहा था. लेकिन आँचल की ज़ोर ज़ोर से कामोततेज़ाक सिसकारियों से उसकी नींद खुल गयी . वो दीवार के उस पार से तनका झकी करने लगा. वो दीवार फांदकर रामू के कमरे की खिड़की से चुपचाप चुदाई देखने लगा और बहुत उततेज़ीत हो गया. वो रामू का दोस्त था और कई बार साथ साथ उन दोनो ने रंडियन छोड़ी थी. रामू ने उसको शादी से पहले आँचल को लंड चूसने वाला किस्सा भी बताया था. 55 साल की उमर का होने के बावजूद चिकनी आँचल को चूड़ते देखकर उसका लंड पाजामा फड़कर बाहर आने को हो गया.

जब उसने रामू को घर के अंदर जाते हुए देखा तो मौका तड़कर वो रामू के कमरे में घुस गया. कमरे में आँचल टाँगे फैलाए नंगी पड़ी हुई थी , उसकी छूट का छेड़ जोरदार चुदाई से अभी खुला हुआ ही था. आँचल ने उसको देख लिया पर तब तक वो नौकर आँचल के उपर चाड गया. अपना लंड आँचल की छूट में घुसकर उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए. धक्कों से वो पुरानी चारपाई , चुवन ! चुवन ! की आवाज़ करने लगी.

छूट में लंड अंदर बाहर होने से आँचल की सिसकारियाँ निकालने लगी. उसका जिस्म बुड्ढे के धक्कों का जवाब देते हुए गंद उपर को उछालने लगा.
लेकिन उसका दिमाग़ कह रहा था की ये ग़लत है , वो बोली, " मत करो….उहह …..अहह…..मुझे चोरो………..ओइईईईई माआअ…"

नौकर छोड़ते रहा और आँचल को ऑर्गॅज़म आ गया , उसकी छूट ने फिर पानी छोड़ दिया. लेकिन वो "मुझे चोर दो, मत करो " कहती रही. ये सुनकर नौकर ने आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख कर मुँह बंद कर दिया. और फिर ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. जब आँचल को ऑर्गॅज़म आया तो उसने उततेज़ना में अपने मुँह पर रखे हुए नौकर के हाथ में ज़ोर से दाँत काट दिया.
अब बुद्धा नौकर भी झड़ने लगा . झाड़ते समय वो चिल्लाया, " ह….साली छूट……."
और फिर आँचल की छूट में अपना वीर्या गिरा दिया.

उनकी खुस-किस्मती से सर्वेंट क्वॉर्टर घर के पिछवाड़े में होने से उनकी ये आवाज़ें घर के अंदर नही गयी . झड़ने के बाद नौकर अपना मुरझाया हुआ झानतु लंड फटाफट अपने पाजामा में घुसकर , अपने ज़ख्मी हाथ (आँचल के दाँत काटने से) को सहलाता हुआ दीवार फांदकर अपने कमरे में भाग लिया.

आँचल गहरी गहरी साँसे लेती हुई नंगी चारपाई में पड़ी रही. उसने बुड्ढे नौकर को अपने बदन का मज़ा लेने से रोकने की कोई कोशिश नही की थी , सिर्फ़ मुँह से " मत करो मत करो" कह दिया बस. उसका बदन चुदाई के मज़े चाहता था , पर दिमाग़ इन सब के लिए माना करता था. पर हर बार की तरह जिस्म और दिमाग़ की लड़ाई में जीत जिस्म की ही होती थी.

उधर रामू ने मैं दरवाज़ा खोला तो बाहर आँचल की मा और सुनील खड़े थे. पिछले 10 मिनिट्स से सुनील डोरबेल बजाए जा रहा था लेकिन आँचल की मा मार्केट से अभी पहुँची थी.
जब सुनील ने उसको बताया की वो काफ़ी देर से बाहर खड़ा है तो आँचल की मा ने रामू को खूब हड़काया , " कहाँ मारा था इतनी देर तक , जमाई के लिए दरवाज़ा क्यूँ नही खोला."

रामू ने बहाना बनाया की वो अपने कमरे में सो रहा था इसलिए डोरबेल नही सुनी. उसका तका हुआ चेहरा और उलझे बाल देखकर उन्होने उसकी बात पर विस्वास कर लिया. सुनील ने बताया वो आँचल को घर ले जाने के लिए आया है. अब रामू की गांद फट गयी.
आँचल की मा , आँचल को आवाज़ देते हुए उसके रूम में गयी, पर आँचल अपने बेडरूम में नही थी.

फिर उसने रामू से पूछा, " आँचल कहाँ है ?"

रामू को कुछ समझ नही आया , वो बोला, " मेंसाब् तो अपने घर चली गयी है."

आँचल की मा बोली," घर चली गयी ? बिना बताए ? लेकिन उसका सूटकेस तो यही है."

रामू बोला, " वो ऑटो से चली गयी है और सूटकेस जब सुनील आएगा उसको दे देना बोल के गयी है."

सुनील की भी कुछ साँझ नही आया की आँचल ने ऐसा क्यूँ किया , पर उसे कोई शक़ नही हुआ.

आँचल की मा ने सुनील से कहा , " बेटा सुनील , तुम छाई पानी पी के ही जाओगे. रामू जल्दी से छाई बना के ला."

रामू किचन में जाने की बजाए जल्दी से अपने कमरे की और भगा , वहाँ आँचल अभी भी नंगी आँखें बंद करके चारपाई में लेती हुई थी. उसने फटाफट आँचल को सब बातें बताई और जल्दी जल्दी उसका जीन्स और टॉप पहना के उसको सर्वेंट क्वॉर्टर के पीछे के रास्ते से रोड पर जकेर ऑटो पकड़ के सीधे अपने ससुराल जाने को कहा. उधर आँचल की मा, " रामू ! रामू ! " चिल्ला रही थी. रामू आँचल को वहीं चोरके फिर फटाफट अंदर छाई बनाने किचन में भगा.

आँचल अभी भी मदहोशी में थी , उसका दिमाग़ सही से काम नही कर रहा था. वो जैसे तैसे उठी और पीछे के रास्ते रोड पर आ गयी, वहाँ उसको वही बुद्धा नौकर मिला . नौकर को अपनी तरफ गंदी वासना भारी नज़रों से घूरते देखकर आँचल का सर शरम से झुक गया. खुस-किस्मती से किसी ने भी उसे बुड्ढे नौकर से चूड़ते हुए नही देखा था. बुद्धा जल्दी जल्दी छोड़कर झाड़ गया था और फिर वापस चला गया था.

आँचल लड़खड़ते कदमों से ऑटो धोँदणे लगी. उसने देखा सब लोग उसी को घूर रहे हैं और गंदी तरह से हंस रहे हैं. वो शक़ल से ही बहुत चूड़ी हुई लग रही थी. उपर से हुआ ये की जल्दबाज़ी में रामू ने उसे सिर्फ़ टॉप और जीन्स पहना दिया. ब्रा और पनटी रामू के ही कमरे में रह गयी. उसके बाल बिखरे हुए थे और होंठ सूज़े हुए थे. पसीने से उसका टॉप उसके बदन से चिपक गया था.

ब्रा ना होने से बड़ी बड़ी चुचियाँ और सूज़े हुए निप्पल टॉप से बाहर को निकल रहे थे. जीन्स भी जल्दबाज़ी में ढंग से नही पहनी थी और पीछे गंद की दरार दिखाई दे रही थी , अंदर से पनटी थी नही. ऐसी हालत में सब के घूर्ने से वो शरम से ज़मीन में गड़ गयी लेकिन तभी एक ऑटो वाला मिल गया और वो झट से उसमे बैठ गयी. अब घॉरर्ने की बरी औूतोवले की थी. उसने पहले तो आक्ची तरह से उपर से नीचे तक आँचल को घूरा फिर सिडेगलशस में उसकी हिलती हुई चुचियों को देखते हुए ऑटो चलाने लगा. रास्ते भर उसने ऑटो को जानबूझकर झटके देते हुए चलाया ताकि झटकों से आँचल की बड़ी हिलती हुई चुचियों का मज़ा ले. आँचल सब समझ रही थी लेकिन अपने होत दाँतों में दबाकर सर नीचे झुकाए बैठी रही.

ससुराल पहुँचते ही सबसे पहले सामना हुआ संस्कारी ससुर से. ससुर ने ऐसी हालत में आँचल को देखा तो माता पीट लिया , " हे भगवान फिर चुड गयी बहू . सला सबका नंबर लग गया. मेरी किस्मत ही फूटी है जो घर में होकर भी मेरा इसको छोड़ने का नंबर नही लग पा रहा."
आँचल ने ससुर को देखा तो एक नर्वस सी स्माइल दी और फटाफट अपने बेडरूम में भाग गयी. उसने सोचा ये बुद्धा बार बार मुझे छुड़ा हुआ देख लेता है , अब में ज़्यादा दिन तक इसके हाथ से बच नही पौँगी.

लेकिन उसकी ख़ुस्माती थी की उसकी सास अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी और घर पर सास के होने से ससुर को ज़्यादा ताक झक का मौका नही मिलने वाला था.
 

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अपने बेडरूम मे जाने के बाद आँचल ने दरवाज़ा बंद किया और वो जल्दी से बाथरूम में नहाने चली गयी. उसे मालूम था मायके में उसे ना पाकर सुनील भी आता ही होगा. नहाने के बाद उसने तरोताज़ा और खुशी महसूस की. खूब चुदाई होने से अब वो बहुत सॅटिस्फाइड फील कर रही थी . लेकिन सुनील के बारे में सोचकर उसे गिल्टी भी फील हुआ. वो सोचने लगी सुनील में थोड़ी कमी ज़रूर है , पर है तो वो अच्छा आदमी. उसका ख्याल रखता है सब ज़रूरते पूरी करता है.

आँचल ने सोचा अब वो सुनील से किसी अच्छे सेक्स क्लिनिक जाकर वहाँ डॉक्टर से एडवाइस लेने को कहेगी , रोज़ अख़बार में कितने सेक्स क्लिनिक्स के एड आए रहते हैं. सुनील को अपनी सेक्स ड्राइव बढ़ाने और शीघ्र पतन की समस्या के इलाज़ के लिए डॉक्टर को दिखाना ही चाहिए. आँचल ने देख लिया था की समीर, रामू, सलीम ये सब लोग कितनी देर तक उसे चोदते रहे थे और एक बार झड़ने के तुरंत बाद फिर से उनका लंड तनकर खड़ा हो जाता था. इन सबने ने आँचल को एक चुदाई सेशन में कई कई बार ओर्गास्म दिया था और जबरदस्त चुदाई से आँचल को बहुत मज़ा मिला था. वो सोचने लगी की अगर उसका पति सुनील भी अपना इलाज़ करवा ले तो उसको घर पर ही भरपूर चुदाई का मज़ा मिलेगा .

यही सब बातें सोचते हुए आँचल ने नहाकर एक पारदर्शी नाइटी पहन ली और सुनील का इंतज़ार करने लगी. फिर उसने सोचा की अब तक किस्मत ने साथ दिया है और सुनील या किसी और ने उसे चुदते हुए नही पकड़ा , लेकिन कभी पकड़ लिया तो बहुत बदनामी होगी और माँ बाप को मुँह दिखाने लायक नही रहेगी. उसका ससुर ज़रूर जान गया था की ये कई बार चुद के घर आई है पर अपने परिवार की और बेटे सुनील की बदनामी के डर से वो मुँह नही खोलेगा ये बात आँचल समझ गयी थी. वैसे भी ससुर उल्टा इस जानकारी का फायदा उठाकर उसे चोदने की कोशिश में लगा रहता था. लेकिन अब अपनी सास के वापस लौट आने से ससुर को तो कोई मौका वो देने वाली नही थी.

अगर किसी तरह से वो सुनील को इलाज़ के लिए राज़ी करने में सफल हो जाती है तो फिर उसे दूसरे मर्दों का मुँह ताकने की ज़रूरत नही पड़ेगी. सुनील ही उसको खुश रख पाएगा. वरना कभी ना कभी तो वो पकड़ी जाएगी और फिर अंज़ाम बहुत बुरा भी हो सकता था. उसने निश्चय कर लिया की वो सुनील को इलाज़ के लिए मनाने की पूरी कोशिश करेगी.

उधर आँचल का ससुर आँचल को चोद पाने का कोई मौका ना मिल पाने से बहुत ही फ्रस्टरेट हो गया. वो सोचता था घर के नौकर तक मेरी बहू को चोद गये और मैं मालिक होकर भी सूखा बैठा हूँ. आज ही अपने मायके से जब आँचल लौटी थी तो उसके भरपूर चुदाई से मिली संतुष्टि से दमकते चेहरे को देखकर ससुर बहुत एक्साइटेड हो गया और साथ ही साथ झल्ला भी गया की फिर कहीं से चुदा के आ गयी ये आज. लेकिन वो ठरकी ससुर कर ही क्या सकता था सिर्फ़ बाथरूम में जाकर आँचल के दमकते चेहरे को याद करके उसके नाम की मूठ लगा आया. वैसे भी अब उसकी बीवी अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी तो बहू के साथ ज़्यादा कुछ वो कर भी नही सकता था. लेकिन वो हार मानने वालों में से नही था उसने सोचा मौके का इंतज़ार करना ही ठीक रहेगा , जब भी सही मौका लगेगा चोद डालूँगा साली को.

उधर सुनील को उसकी सास यानी आँचल की माँ ने जल्दी लौटने नही दिया. घर में आँचल के ना होने से उसे बहुत एंबरेसमेंट हुई तो उसने सुनील की खूब आवभगत करी ताकि जमाई राजा खुश हो जाए और बुरा ना माने कि आँचल बिना बताए चली गयी. जब सुनील अपने घर पहुँचा तो रात हो गयी थी. वो अपने साथ आँचल के कपड़ों से भरा सूटकेस भी उसके मायके से लाया था जिसे आँचल वहीं छोड़ आई थी. वो अपनी बीवी को मिस कर रहा था , इसलिए जब उसने आँचल को पारदर्शी नाइटी पहने बेड पर लेटे हुए देखा तो खुश हो गया . उसे इस बात की भनक ही नही थी की उसकी प्यारी बीवी अपने मायके में क्या गुल खिलाके आई है. बेड पर लेटी आँचल को देखकर सुनील का चुदाई का मूड बन गया और वो आँचल को आलिंगन में भरके किस करने लगा और उसकी चूचियाँ मसलने लगा. आँचल भी उत्तेजित होने लगी और उसे खुशी हुई की चलो आज तो पतिदेव की सेक्स की इच्छा बढ़ी हुई लग रही है , आज तो ये मज़ा देगा ही देगा. थी वो सुनील की बाँहों में लेकिन फिर उसको याद आने लगे दोपहर के वो सीन , जब रामू के कमरे में उसकी ठोक ठोक कर चुदाई हुई थी. अब वो गरम होने लगी.

तभी किसी ने बेडरूम का दरवाज़ा खटखटाया . हद है यार ये कौन है जो ठीक चुदाई के टाइम में डिस्टर्ब कर रहा है .

आँचल और सुनील दोनो का मूड ऑफ हो गया. दरवाज़ा खोला तो सामने सास ससुर खड़े थे. उसकी सास ने उसको चूमा और शादी में मिली हुई दो साड़ी उसको भेंट की. आँचल को पारदर्शी नाइटी में देखकर ससुर का लंड वहीं पैंट में तंबू बनाने लगा. उसने " वेलकम होम बहू " कहके बहू को आलिंगन में भर लिया और अपना तंबू उसके पेट पर रगड़ दिया. और ज़ोर से आलिंगन करके उसकी बड़ी चूचियाँ अपनी छाती से दबा दी. फिर उसने आँचल के गाल से अपने गाल भी रगड़ दिए और एक हल्का गालों का किस ले लिया.

आँचल ने अपने पेट पर ससुर का लंड महसूस किया , वो अपने ससुर के इस बोल्ड व्यवहार से भौंचक्की रह गयी. ससुर के इस ठरकीपन से वो सास के सामने शरम से लाल हो गयी.

सुनील अपनी चुदाई का प्रोग्राम डिस्टर्ब होने से अपसेट था लेकिन उसको अपने बाप के व्यवहार में कोई ग़लत बात नही लगी. उन लोगों को बातें करता हुआ छोड़कर वो नहाने चला गया. आँचल देख रही थी की उसका ससुर पारदर्शी नाइटी में उसके अंदरूनी अंगों को खा जाने वाली नज़रों से ताक रहा है. उसके ऐसे ताकने से आँचल को अपनी चूत में गीलापन महसूस हुआ और फिर उसने बेड पर बैठे बैठे ही पोज़िशन बदलने के बहाने ससुर को अपना बदन दिखाकर तड़पाना शुरू कर दिया. वो बात अपनी सास से कर रही थी पर ध्यान उसका ससुर की हरकतों की तरफ था. उसके जिस्म ने दिमाग़ को फिर अपने कंट्रोल में ले लिया और वो मासूम बहू की तरह सास से बात करते हुए ससुर को बदन की झलकियाँ दिखाने लगी.

ठरकी ससुर सब समझ रहा था , मन ही मन सोचने लगा , " साली टीज़िंग बिच! अगर उसी दिन जब सलीम तुझे बेड पर नंगी छोड़कर भाग गया था , तब मैंने भी मौके का फायदा उठाकर तुझे चोद दिया होता तो आज ऐसे नखरें करके मुझे नही तड़पाती . पर मुझे उस दिन तेरी हालत पर दया आ गयी और मैंने चोदने का मौका गवां दिया. और अब तू मेरी बीवी के सामने मुझे टीज़ कर रही है क्यूंकि तू जानती है की अब मैं बीवी के सामने कुछ नही कर सकता ."

तभी सुनील भी नहाकर आ गया और फिर पूरा परिवार डिनर के लिए डाइनिंग रूम मे जाने लगा.
सबसे लास्ट में आँचल के पीछे ससुर चल रहा था. आँचल की मटकती गांड को देखकर उसने अपना हाथ गांड पर रख दिया और फिर थोड़ी गांड दबा दी. आँचल असहाय थी , सास और पति के सामने कुछ नही कर पाई , ससुर मज़े लेता रहा और मन ही मन सोचने लगा, " ये तो रोक नही रही है, लगता है मुझसे चुदवाने को तैयार है. अहा! मज़ा आ गया आज पहली बार इस चिकनी की गांड पर हाथ फेरा है."

डिनर के बाद जब आँचल और सुनील अपने बेडरूम में वापस आए तो दोनो ही उत्तेजित फील कर रहे थे. सुनील इसलिए क्यूंकी उसकी बीवी कई दिन से मायके में थी तो वो चोद नही पाया था. और आँचल इसलिए उत्तेजित थी क्यूंकी उसके ठरकी ससुर ने अपनी हरकतों से उसके बदन में आग लगा दी थी.

आँचल ने जब सुनील का तना हुआ लंड देखा तो जल्दी से घुटनों के बल बैठ गयी और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी . अपनी खूबसूरत बीवी को फटाफट लंड चूसते देखकर सुनील भौचक्का रह गया . आँचल के खूबसूरत चेहरे में लंड अंदर बाहर जाते देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और तुरंत मुँह में ही झड़ गया . आँचल गटागट सारा वीर्य निगल गयी , सुनील ये देखकर और भी हैरान हो गया. छी ! ये तो सब पी गयी. उसकी नज़र में सेक्स करना मतलब बीवी की टाँगे फैलाओ और चूत में वीर्य गिरा दो , बस इतना ही था. लंड चूसने , चूत चाटने , गांड मारने , डॉगी पोज़ और भी अन्य कई तरीक़ो से भी सेक्स किया जा सकता है , इसका उसे कोई ज्ञान नही था ना ही वो इन सब में कोई इंटरेस्ट रखता था . वैसे भी उसे अपनी फैक्ट्री से फ़ुर्सत ही नही मिलती थी.

आँचल ने सुनील का लंड तब तक मुँह से नही निकाला जब तक वो मुरझा के बिल्कुल छोटा नही हो गया. आँचल को बहुत उत्तेजना चढ़ी हुई थी और एक मोटा लंड उसको अपनी चूत में चाहिए था. लेकिन सुनील उसके मुँह में झड़ चुका था और उसका लंड अब मुरझा चुका था. सुनील बेड पर लेट गया. आँचल ने सुनील के बदन में हर जगह चूमना शुरू कर दिया. उसने सुनील के चेहरे , छाती को चूमा उसके कंधे को दांतो से काट लिया और फिर मुरझाया हुआ लंड फिर से मुँह में डालकर उसको खड़ा करने की कोशिश करने लगी पर सब बेकार. सुनील ने ,मुझे नींद आ रही है, कहते हुए आँचल को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर ओढ़कर करवट लेकर सो गया.

आँचल को बहुत गुस्सा आया और उसने बहुत फ्रस्टरेटेड फील किया. लेकिन उसने अपने ऊपर काबू रखा और सुनील को कुछ भी भला बुरा नही कहा. रात में एक बार और उसने सुनील के लंड को खड़ा करने की कोशिश की पर सुनील ने उसको एक तरफ को धकेल दिया.

अगली सुबह सुनील जब नहाकर बाथरूम से बाहर आया तो आँचल ने हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठाया और बोली, " देखो सुनील, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है."

सुनील ने कहा, " . क्या बात है ?"

आँचल : " देखो हमारी शादी हुए 6 महीने बीत गये हैं और तुम्हारी माँ और मेरी माँ , दोनो ही बच्चे के लिए मुझे पूछ रही थी."

फिर उसने सुनील से झूठ बोला की वो कोई पिल भी नही ले रही है और तुम भी कंडोम यूज नही करते फिर भी मैं प्रेग्नेंट नही हो रही हूँ. इसलिए हमको अपने फैमिली डॉक्टर से कन्सल्ट करना चाहिए.
(असल बात ये थी की जब समीर ने उसे चोदा था वो तबसे प्रेग्नेंट होने के डर से पिल ले रही थी.)

फैमिली डॉक्टर के पास जाने की सलाह से सुनील गुस्सा हो गया , वो किसी जान पहचान वाले आदमी से अपनी सेक्स लाइफ के बारे में डिस्कस करने को तैयार ही नही हुआ.

फिर उसने कहा, " अभी हमारी शादी को 6 महीने ही तो हुए है. टाइम आने पर तुम प्रेग्नेंट भी हो जाओगी , चिंता मत करो."

आँचल चुप रही पर मन ही मन बोली, अगर हफ्ते में एक दिन मुझे चोदोगे तो मैं कैसे प्रेग्नेंट होऊँगी ईडियट!
वैसी भी प्रेग्नेन्सी का तो बहाना था , वो तो सिर्फ़ सुनील को किसी डॉक्टर को दिखाना चाहती थी. ताकि उसके जल्दी झड़ जाने का इलाज़ हो सके. प्रेग्नेंट वो होती कैसे जब पिल ले रही थी. वैसे भी अभी वो जवानी के मज़े लेना चाहती थी और इतनी जल्दी बच्चा नही चाहती थी. और अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए जितने लोगों से उसने चुदवाया था और जितना वीर्य उसकी चूत की गहराईयों में पड़ चुका था , उससे तो वैसे ही वो अब तक प्रेग्नेंट हो जाती अगर पिल ना लेती तो. लेकिन सुनील को डॉक्टर के पास जाने को तैयार ना देखकर उसने बात आगे नही बढ़ायी और कोई दूसरा तरीका आज़माने की सोची.

कुछ दिन बाद आँचल की सास ने उससे बच्चे की बात छेड़ी. आँचल ने पूछने पर बताया की वो कोई कॉन्ट्रासेप्टिव नही ले रही है. उसकी सास पुराने विचारों की थी , उसका कहना था कि शादी के बाद बहू का तुरंत बच्चा होना ज़रूरी है इससे पति पत्नी में जोड़ और मजबूत हो जाता है. फिर वो कहने लगी की तुम मेरे साथ एक स्वामी बाबा के पास चलो. स्वामी भोगानंद चमत्कारी बाबा है. जो भी औरत उनके पास जाती है उसको बच्चा ज़रूर पैदा होता है.

आँचल इसके लिए राज़ी नही थी पर सास को मना नही कर पाई. इलाज की ज़रूरत सुनील को थी आँचल को नही. फिर उसकी सास ने स्वामी भोगानंद से अगले हफ्ते का अपायंटमेंट ले लिया. आँचल ने सोचा की वो इसमे सुनील को भी इन्वॉल्व कर लेगी तो सुनील जाने के लिए मना कर देगा और उसे भी स्वामी के आश्रम में नही जाना पड़ेगा. लेकिन हुआ उल्टा . सुनील को जब आँचल ने ये बात बताई तो वो बोला, " मम्मी ने बिल्कुल ठीक सजेशन दिया है. तुम स्वामी को अपने को दिखा लाओ."

आँचल के पास अब कोई चारा नही था , वो मन ही मन सुनील पर गुस्सा हुई, तुम बस मम्मी मम्मी ही करते रहो. जो मम्मी ने कहा वही सही.
 

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