Erotica आँचल की अय्याशियां

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अपायंटमेंट के दिन आँचल बेमन से अपनी सास के साथ स्वामी भोगानंद के आश्रम गयी. वहाँ पहुँचकर उन दोनो को एक वेटिंग रूम में बिठा दिया गया और कहा गया की स्वामी भोगानंद के दर्शन के लिए यहीं बैठ कर इंतज़ार करो. करीब आधा घंटा वेट करने के बाद आँचल को बेचैनी होने लगी और उसका मन हुआ की वो अपने घर वापस चली जाए. पर सास के सामने कुछ नही बोल पाई.

लेकिन उनको मालूम ही नही था की अपने एसी रूम में बैठकर भोगानंद CCTV में उसकी बेचैनी सब देख रहा है. वो एक लड़की से अपना लंड चुसवा रहा था और CCTV में आँचल को भी देख रहा था. आँचल को देखकर वो सोच रहा था ये मक्खन मलाई आज मेरे जाल में आ फँसी है. उत्तेजना से उसने लंड चूस रही लड़की के मुँह में वीर्य भर दिया और खुद फटाफट उठ कर अपने वस्त्र ठीक किए. आँचल को वो जाने का मौका देने वाला नही था, इसलिए उसने जब आँचल को बेचैन होता देखा तो फटाफट वेटिंग रूम में आ गया.

आँचल ने देखा सफेद वस्त्र पहने हुए लंबा चौड़ा दाडीवाला बाबा है और उसकी चौड़ी छाती बालों से भरी है. उसकी आँखों में बहुत चमक और तेज था. आँचल ने उठकर उसको हाथ जोड़े और नज़रें झुकाकर खड़ी हो गयी. स्वामी भोगानंद ने उन दोनो से बैठने को कहा और उनकी समस्या पूछी. जब सास ने बताया की शादी को 6 महीने हो गये है और बहू प्रेग्नेंट नही हुई है , तो नयी नवेली शादीशुदा आँचल को सिड्यूस करने के ख़याल से स्वामी की लार टपकने लगी. उसने आँचल को अपने पास बुलाया और फिर एक हाथ से उसके बालों को सहलाते हुए , उसकी आँखों में आँखे डालकर धीमे स्वर में पूछा, " तुम्हारा पिछला पीरियड कब आया था ?"

स्वामी के अपने पीरियड के बारे में पूछने से आँचल एकदम से शरमा गयी और फिर नज़रें नीचे करके उसने डेट बता दी.
स्वामी ने फटाफट मन ही मन डेट का हिसाब लगाया और फिर सास से बोला, " आज से दो दिन बाद यानी की परसो से आँचल को लगातार 3 दिन तक आश्रम में आना होगा. तड़के सुबह 5:30 बजे आ जाना. मैं इसके लिए तीन घंटे तक स्पेशल पूजा करूँगा और उसके बाद कुछ खास जड़ी बूटी दवाई के लिए दूँगा. उस दवाई को आँचल को तीसरी रात को अपने पति के साथ सेक्स से पहले खाना होगा. और गारंटी है की अगले पीरियड आने से पहले ही ये प्रेग्नेंट हो जाएगी."

ये सुनकर सास बहुत खुश हुई और स्वामी भोगानंद को बार बार धन्यवाद देने लगी . फिर उसने स्वामी को स्पेशल पूजा के लिए 25000 रुपये दिए. सास ने स्वामी से कहा की परसो सुबह ठीक 5:30 बजे वो दोनो आश्रम में हाज़िर हो जाएँगी.

स्वामी भोगानंद बोला, " अरे नही नही …..आपको आने की ज़रूरत नही है. सिर्फ़ आँचल को ही भेजना. आपके आने से पूजा में दुष्प्रभाव पड़ जाएगा और फिर फल नही मिलेगा. इसलिए आप मत आना वरना आँचल प्रेग्नेंट नही होगी."

ये सुनकर सास डर गयी और हाथ जोड़कर बोली, " अगर मेरे आने से पूजा खराब हो जाएगी तो मैं नही आऊँगी , बहू को अकेले ही भेज दूँगी."

स्वामी बोला, " हाँ एक बात और…..जब तक आँचल आश्रम में आती रहेगी , इसके पति को आँचल से दूर रहना होगा. तभी पूजा सफल होगी."

दोनो सास बहू आश्रम से घर आ गयी. आँचल को अपनी सास का ये नाटक पसंद नही आ रहा था. वो चाह रही थी की सुनील का सेक्स कमजोरी का इलाज़ हो और उसकी सास आँचल का ही इलाज़ करवाने पर तुली थी. उसने सोचा , ये बुढ़िया खाली मेरे से इधर उधर के फालतू चक्कर लगवा रही है , मुझे क्या हुआ है मैं तो ठीक हूँ, मुझे परेशान करने की बजाय अपने बेटे का कमजोरी का इलाज़ करवा लेती तो ज़्यादा अच्छा रहता.

लेकिन अब तो सास 25000 रुपये भी पूजा के लिए दे चुकी थी , अब मना करना मुश्किल था इसलिए आँचल को ना चाहते हुए भी स्वामी के पास पूजा के लिए जाना पड़ा.

पूजा के दिन सुबह सुनील उसको कार में आश्रम के गेट तक छोड़ गया और दोपहर में लेने आऊँगा बोलकर चला गया. इतनी सुबह अभी बाहर उजाला नही हुआ था , हल्का अंधेरा ही था. आँचल उसी वेटिंग रूम में जाकर बैठ गयी. जल्दी ही दो लड़कियाँ वहाँ आई , उन्होने सिर्फ़ एक सफेद कपड़ा अपने बदन पर डाला हुआ था. आँचल ने हैरानी से देखा उस सफेद कपड़े के अंदर उन्होने कुछ भी नही पहना था और उनकी चूचियाँ और चूत के ऊपर के काले काले बाल सफेद कपड़े से साफ दिख रहे थे. उन्होने आँचल से अपने साथ चलने को कहा.

वो दोनो आँचल को एक ऐसे कमरे में ले गयी जहाँ सिर्फ़ कैंडल्स जल रही थी. फिर उन्होने आँचल से अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होने को कहा क्यूंकी पूजा से पहले आँचल को पवित्र जल से नहला के शुद्ध करना होगा . आँचल के चेहरे के भाव देखकर वो लड़की बोली इसमे घबराने की कोई बात नही है.

लेकिन आँचल नंगी होने को तैयार नही हुई. दोनो लड़कियों ने बहुत ज़ोर दिया की स्पेशल पूजा के लिए सभी औरतों को ऐसा ही करना पड़ता है. पर आँचल नही मानी. थोड़ी देर तक समझाने के बाद वो दोनो लड़कियाँ आँचल को अकेले छोड़कर चले गयी.

कुछ देर बाद स्वामी भोगानंद खुद उस कमरे में आया और आँचल से कहा की जैसा जैसा तुमको बताया गया है वैसा तुमको करना पड़ेगा. स्वामी की चमकती आँखों का सामना आँचल नही कर पाई और उसने हामी भर दी. स्वामी कमरे से बाहर चला गया और वो दोनो लड़कियाँ फिर से कमरे में आई.

फिर उन्होने आँचल के कपड़े एक एक कर उतारने शुरू कर दिए. आँचल को पता नही था पर कमरे में एक बड़े काले परदे के पीछे से भोगानंद , आँचल को निर्वस्त्र होते हुए देख रहा था. आँचल ने अपने कपड़े उतारे और फिर वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में रह गयी. स्वामी सब देख रहा था. फिर आँचल ने अपनी ब्रा भी उतार दी. उसकी दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अब नग्न थीं. फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी. स्वामी ने देखा उसकी मादक चूत के ऊपर काले काले बालों का घेरा है. भोगानंद का लंड टन टनाकर खड़ा हो गया.

फिर उन लड़कियों ने आँचल को फर्श पर लिटा दिया और एक सुगंधित तेल को उसके बदन पर मलने लगीं. उन्होने धीरे धीरे उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया और चूचियों पर कुछ ज़्यादा ही देर तक मसलते हुए तेल लगाया. तेल की भीनी भीनी खुशबू और लड़कियों के अपनी चूचियों को मसलने से अब आँचल को उत्तेजना आने लगी. उसकी चूचियों के निपल तन के खड़े हो गये और उसको अपनी चूत में रस निकलता महसूस हुआ. और उन लड़कियों के हाथों के उसके नंगे बदन पर स्पर्श से उसकी हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी.

आँचल को उत्तेजित होते देखकर , लड़कियाँ एक दूसरे को देखकर मुस्करायीं. उन्होने ना जाने कितनी जवान औरतों के ऊपर ये उत्तेजित करने का तरीका अपनाया था. वो दोनो अपने काम में अब माहिर हो चुकी थीं. वो दोनो समझ गयीं अब इसकी चुदाई के रास्ते खुल गये हैं.

मालिश के दौरान उन्होने आँचल की चूत के होठों के ऊपर भी तेल लगाया , वहाँ गीलापन देखकर वो समझ गयीं ये लड़की तो कामुक है. अभी हमने इसकी क्लिट को मसला भी नही है और यहाँ इसका चूत रस निकलना शुरू हो गया है, ये तो जल्दी ही उत्तेजित हो गयी. स्वामी भोगानंद ये सब पर्दे के पीछे से देखकर अपना लंड मसल रहा था , ये तो जल्दी ही गीली होने लगी है , बहुत कामुक लगती है.

लड़कियों के मालिश करने से आँचल सिसक रही थी , " आहह……आहह….उईईईईईई…."

"अच्छा लग रह है तुमको ?" एक लड़की ने पूछा.

आँचल ने ज़ोर से सिसकारियाँ भरते हुए जवाब दिया, " आ…हाँ….बहुत अच्छा…..उन्न्ञन्नाआहह…"

अब उस ठंडे फर्श पर नंगी पड़ी आँचल पूरी तरह से उत्तेजना में भर चुकी थी. उसने एक लड़की की चूची पर अपना हाथ फेर दिया. पर उस लड़की ने आँचल के हाथ पर एक थप्पड़ मारकर झटक दिया. और उसे झिड़कते हुए बोली, " ये तू क्या कर रही है ?"

आँचल मदहोशी में कहने लगी , " आहह…इधर आओ ….मेरे पास आओ….., प्लीज़ ….आहह…." वो उन अधनंगी लड़कियों के बदन को छूना चाह रही थी पर उन्होने उसे हाथ नही लगाने दिया.

फिर उन लड़कियों को लगा की अब आँचल को ओर्गास्म आ जाने वाला है और ये झड़ने वाली है तो उन्होने उसके बदन की मालिश रोक दी. उनको भोगानंद ने साफ निर्देश दे रखा था की इसको चुदाई के लिए तैयार कर के रखो लेकिन खुद उसके साथ कुछ मत करना, बस उत्तेजित करके तडपा के छोड़ देना.

उन्होने आँचल को फर्श से उठाया और एक पतला पारदर्शी सफेद कपड़ा पहना दिया जिससे उसका बदन और भी कामुक लग रहा था. फिर वो आँचल को एक कमरे में ले गयीं और वहाँ फर्श पर बैठा दिया. आँचल अभी भी उत्तेजना से तेज तेज साँसे ले रही थी.

फिर स्वामी भोगानंद उस कमरे में आया , उसे देखकर तीनो खड़ी हो गयी और उसको हाथ जोड़कर प्रणाम किया. वो आँचल के पास आया और एक झटके में उसका सफेद वस्त्र खींच लिया. अब आँचल पूरी नग्न थी. उसका पूरा बदन तेल और पसीने से भीगकर चमक रहा था और चूत के काले बाल भीगकर आपस में उलझ गये थे. स्वामी के तेज को नग्न आँचल सह नही पाई और उसने कमज़ोरी सी महसूस की तब उन दोनो लड़कियों ने उसे सहारा दिया.

स्वामी ने एक बाल्टी से आँचल के ऊपर बर्फीला ठंडा पानी डाल दिया . आँचल की साँसे थम सी गयी और वो हकबकाकर ज़ोर से चिल्ला पड़ी. फिर स्वामी ने एक टॉवेल लिया और आँचल का बदन पोछने लगा. वो काफ़ी देर तक उसकी गोरी बड़ी चूचियों को टॉवेल से रगड़ता रहा और फिर नीचे जांघों को टॉवेल से पोछा. उसके बाद चूत को भी पोछने के बहाने टॉवेल से काफ़ी देर तक रगड़ा. रफ टॉवेल के इस तरह अपने बदन, चूचियों और चूत पर देर तक मल मल कर रगडे जाने से आँचल मदहोशी में ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत से रस बहने लगा. फिर स्वामी ने अपने वस्त्र उतार दिए और आँचल के सामने अब वो भी पूरी तरह से नग्न हो गया.

आँचल ने अपने सामने उस लंबे चौड़े स्वामी को नंगे खड़ा देखा , उसका मोटा लंड खुली हवा में झटके खा रहा था. आँचल सिसकारियाँ लेती हुई घुटने के बल बैठ गयी और स्वामी का लंड मुँह में लेने लगी.

लेकिन स्वामी ने उसको रोक दिया और बोला, " ये क्या कर रही हो तुम?"

"आह…….मुझे चूसना है, प्लीज़……? " , रोके जाने से निराश होते हुए आँचल बोली.

"तुम होश में तो हो ? शादीशुदा औरत होकर भी तुम ये क्या कर रही हो ?" स्वामी बोला.

आँचल अब उत्तेजना से तड़प रही थी और वो चुदाई के लिए तरस रही थी.

उसने कहा, " मुझे चोदो….हाँ मुझे चोदो स्वामीजी…..प्लीज़…."

लेकिन उसको पता नही था की कमरे में लगे कैमरा से ये सब रेकॉर्ड हो रहा है, असल बात ये थी की स्वामी का बहुत नाम था, इसलिए आँचल की सेक्स के लिए सहमति बहुत ज़रूरी थी. अब वो खुद अपने मुँह से चोदने के लिए कह रही थी जो की रेकॉर्ड हो चुका था. अगर कोई औरत बाद में खुद या किसी के दबाव में आकर स्वामी पर रेप का इल्ज़ाम लगाती तो स्वामी उसके घरवालों को वो टेप दिखा सकता था की ये तो खुद ही चोदने को बोल रही थी. उस आश्रम में सभी औरतों के साथ ऐसा ही टेप बनाया जाता था जिसमे उनको उत्तेजित करके इतना तड़पाया जाता था की वो खुद ही चोदने को बोलती थी.

अभी तक स्वामी को कभी भी उन टेप्स का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नही पड़ी थी क्यूंकी किसी भी औरत ने उसके खिलाफ कंप्लेंट नही करी. लेकिन एक मामला ऐसा था जब स्वामी ने टेप का यूज़ किया था. हुआ ये की एक बार स्वामी को एक पॉलिटीशियन से काम पड़ा , तो उस काम को करने के बदले में उसने एक औरत को कहा की तुम 2 घंटे के लिए उस मोटी तोंद वाले नेता के पास जाकर उसको खुश कर दो , नहीं तो मैं तुम्हारा टेप तुम्हारे घरवालों को दिखा दूँगा. इस तरह स्वामी ने नेता से अपना काम निकलवा लिया.

उस आश्रम में सभी जवान शादीशुदा औरतें अपनी सास के साथ आती थी और इसी तरह स्वामी उन सब को चोदता था.
 

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लेकिन आँचल के मामले में स्वामी ये देखकर खुश था की ये खूबसूरत औरत तो खुद ही चुदवाने को इतना बेचैन है. क्यूंकी वो अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नही थी , बाकी औरतें इतनी जल्दी गरम नही होती और बहुत ना नुकुर नखरे करती थीं . आँचल को उत्तेजना से तड़पता देखकर स्वामी सोचने लगा , इसको चोदने में तो बहुत ही मज़ा आएगा.

आँचल जबसे मायके से आई थी , तबसे उसकी ढंग से चुदाई नहीं हो पाई थी. मायके में रामू और दूसरे नौकर ने रामू के कमरे में उसको जी भरके छोड़ा था लेकिन उस बात को अब काफ़ी दिन बीत चुके थे. एक अच्छी चुदाई के लिए वो तरस रही थी. अपने सामने खड़े नंगे स्वामी और उसके फनफनाते लंड को देखकर उसकी चूत गीली हो गयी और रस निकलकर जांघों में बहने लगा.

आश्रम में पहले दो लड़कियों ने बदन की मालिश करके उसे उत्तेजित किया था फिर स्वामी ने टॉवेल से बदन रगड़कर और उत्तेजित कर दिया था. आँचल ने देखा ये स्वामी का शरीर तो किसी पहलवान जैसा लंबा चौड़ा है , वो उसका लंड अपनी चूत में लेने को मचल उठी. लेकिन उसकी समझ में नही आ रहा था की स्वामी उसको मना क्यूँ कर रहा है ?

"मुझे चोद स्वामी …ओह…", आँचल ने फिर से कहा.

स्वामी घुटनो के बल अपने सामने बैठी खूबसूरत आँचल के मुँह से ये शब्द सुनकर बहुत खुश हुआ और अपने लंड को हाथ में पकड़कर , आँचल के चेहरे के करीब लाया. आँचल ने लंड मुँह में लेने के लिए होंठ खोल दिए लेकिन स्वामी उसको तड़पाते हुए लंड को मुँह के अंदर डालने के बजे होठों के दोनो तरफ घुमाने लगा. उसने देखा की ये औरत मेरे लंड को अपने मुँह में लेने को कितना तड़प रही है. उसने हंसते हुए अपने लंड से आँचल के गाल पर दो तीन थप्पड़ मारे और फिर उन दोनो लड़कियों से आँचल को दूसरे कमरे में ले जाने को कहा.

वो दोनो लड़कियाँ आँचल को पकड़कर एक दूसरे कमरे में ले गयी. उस कमरे के बीच मे एक बड़ा बेड था और पूरी छत पर शीशे (मिरर्स) लगे हुए थे. कमरे में एसी लगा हुआ था और दीवारों पर हर तरफ संभोग करते स्त्री-पुरुषों की पिक्चर्स लगी हुई थी.

स्वामी कमरे में आया और उन दोनो लड़कियों से बाहर जाने को कहा. जब वो दोनो बाहर चली गयी तो उसने आँचल को उठाया और बेड पर पटक दिया. आँचल स्वामी की ताक़त देखकर हैरान रह गयी. उसने आँचल को एक बच्चे के जैसे उठा लिया था और बेड पर फेंक दिया. आँचल की हाइट 5'4" थी और वेट 62 किलो था. और स्वामी ने बिना परेशानी के उसे उठा के नरम बिस्तर पर पटक दिया था. वो स्वामी से इंप्रेस होकर उसके चोदने का इंतज़ार करने लगी.

आँचल को बेड पर पड़े हुए अपना इंतज़ार करते देखकर स्वामी भोगानंद मुस्कुराया और बोला, " तुम्हारा पति तुम्हें बच्चा नही दे सकता , कोई बात नही……….मैं तुम्हें बच्चा दूँगा."

जवाब में आँचल सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही. स्वामी ने अपना लंड आँचल की प्यासी परंतु गीली चूत पर लगाया और उत्तेजना से फूले हुए चूत के होठों के भीतर डालकर एक झटके में सुपाड़ा अंदर घुसा दिया.

"आह…उन्न्ञन्…..ओइईईईईईईई…माआआआअ….", आँचल की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही सुपाड़ा अंदर घुसा , आँचल के मुँह से चीख निकल गयी.
फिर पूरे लंड को आँचल की चूत में गहराई तक घुसाकर स्वामी ने लम्बे लेकिन धीमे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए. स्वामी के ताकतवर धक्कों से आँचल का जिस्म हिल गया. उत्तेजना में अब वो भी अपनी गांड ऊपर को उछालकर स्वामी के धक्कों का जवाब देने लगी.

"उंगग्घह….अहह……और ज़ोर से चोदो ……अहह", आँचल ने स्वामीजी से आग्रह किया.

स्वामी आँचल की चूत की टाइटनेस से बड़ा खुश हुआ की इस शादीशुदा औरत की चूत तो कुँवारी लड़की जैसी टाइट है , ज़रूर इसके पति का लंड पतला होगा जिससे चूत फैल ना पाने से टाइट ही रह गयी है. उसने आँचल के आग्रह करने पर फटाफट तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. तेज तेज धक्कों से आँचल की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ धक्कों के साथ ही तेज़ी से हिलने लगी. इस मादक दृश्य को देखकर स्वामी कामानंद से पागल हो उठा और कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद खूबसूरत आँचल की टाइट चूत को उसने अपने गरम वीर्य से पूरा भर दिया.

आँचल ने अपनी चूत में गरम वीर्य को महसूस किया और इस बात का शुक्र मनाया की उसने पिल ले ली थी , नही तो इतने वीर्य के अपनी चूत की गहराई में घुसने से वो ज़रूर प्रेग्नेंट हो जाती.

तभी स्वामी ने उसको गुड़िया के जैसे उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया. फिर वो आँचल के खूबसूरत चेहरे को चूमने, चाटने लगा और बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने और दांतो से काटने लगा.
उसके चेहरे को चाटते हुए स्वामी बोला, " अच्छा लगा तुम्हें ?"

" उम्म्म्म…..स्वामीजी….उउउम्म्म्मम..", आँचल ने मदहोशी में जवाब दिया.

उसके नितंबों में नीचे से स्वामी का खड़ा लंड चुभ रहा था.
फिर स्वामी ने आँचल की दोनो टांगों को आपस में चिपका कर सीधा ऊपर को कर दिया और उसकी चूत में लंड डाल दिया. दोनो टांगों के आपस में सटे होने से इस पोज़ में आँचल की चूत और भी टाइट हो गयी और स्वामी के मोटे लंड से आँचल को लगा की उसकी चूत की दीवारें बिल्कुल स्ट्रेच हो गयी हैं. फिर स्वामी ने आँचल को अपनी गोद में उछालना शुरू किया और उसका लंड किसी पिस्टन की तरह चूत में अंदर बाहर होने लगा. आँचल की चूचियाँ स्वामी के चेहरे के सामने उछलने लगी . स्वामी ने उनपर मुँह लगाकर उन्हे जितना हो सके मुँह में भर लिया और उनपर दाँत काटने लगा. आँचल उत्तेजना और दर्द से चीखने लगी. फिर आँचल को गोद में उछाल कर चोदते हुए स्वामी ने उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल दी.

आँचल उत्तेजना से सिसकारियाँ ले रही थी , गांड में उंगली जाने से उसको बर्दाश्त से बाहर हो गया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए उसको जबरदस्त ओर्गास्म आ गया , कामसुख और दर्द की लहरें उसके जिस्म में उठी और वो झड़ गयी. वो ज़ोर से चिल्लाई," स्वामीईई……….. उईईईईईई……… माआआआअ….."

फिर स्वामी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसको गोद में उठाकर बेड पर ले गया. बेड में बिठाकर उसने आँचल से उस उंगली को चूसने को कहा जो आँचल की गांड में घुसाई थी. आँचल के चेहरे पर आए ह्युमिलिएशन के भाव देखकर उसे बहुत मज़ा आया. फिर उसने आँचल को पलट कर घुटनो के बल कुतिया बना दिया. फिर उसके बड़े गोल नितंबों को हाथ से मसलते हुए डॉगी पोज़ में लंड आँचल की चूत में डाल दिया. चोदते चोदते स्वामी आँचल के नितंबों पर थप्पड़ मारने लगा. आँचल को चुदाई का आनंद और थप्पड़ का दर्द एक साथ मिलने लगा. स्वामी उत्तेजना से पागल होकर आँचल को बुरी तरह से रौंदने लगा और साथ ही साथ नितंबों पर थप्पड़ भी लगाता रहा. थप्पड़ों की मार से आँचल के नितंबों पर लाल निशान बन गये. अपनी चूत पर स्वामी के लंड से पड़ते धक्कों से उसको ओर्गास्म पर ओर्गास्म आते रहे और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए कई बार झड़ गयी. स्वामी ने भी आँचल की चूत अपने वीर्य से एक बार फिर से भर दी और उसके बदन पर ही लेट गया. स्वामी के वेट से आँचल का बदन दब गया और वो दोनो पसीने से भीगे हुए कुछ पल तक ऐसे ही लेटे रहे.

फिर स्वामी आँचल के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया. तभी वो दोनो लड़कियाँ कमरे में आई और उन्होने आँचल को बेड से उठाया. आँचल लड़खड़ाते कदमों से उनकी सहायता से चलने लगी. आँचल ने देखा स्वामी बेड पर लेटे हुए मुस्कुरा रहा है.

स्वामी बोला, " कल फिर ठीक टाइम पर आ जाना . और चोदना है तुम्हें."

आँचल ने झिझकते हुए कहा, " आऊँगी…"

तो ये थी स्वामी की स्पेशल पूजा जिसके लिए उसने आँचल की सास से 25000 रुपये रखवा लिए थे.

फिर वो दोनो लड़कियाँ आँचल को बाथरूम में ले गयी. वहाँ उन्होने आँचल के बदन में साबुन लगाया और शावर के नीचे ठंडे पानी से उसे नहलाने लगी.

तभी बाथरूम में स्वामी आ गया. उसका लंड तन के खड़ा था. उसने आँचल को अपनी तरफ खींचा. फिर उसकी एक टाँग उठाकर एक धक्का मारकर लंड फिर से चूत में घुसेड दिया.

इस अचानक हुए हमले से आँचल सिसक उठी, "…..ह…..उउउनघगह…"

स्वामी ने उसको एक हाथ से सपोर्ट देते हुए ज़ोर ज़ोर से खड़े खड़े ही चोदना शुरू कर दिया.

दोनो लड़कियाँ आँख फाडे हैरानी से ये सब देख रही थी. ऐसा पहले कभी नही हुआ था. शायद स्वामी ने आँचल जैसी मादक औरत पहले कभी नही देखी थी. वो अपने आश्रम के कायदे भी भूल गया और अपनी सेविकाओ के सामने ही अपनी कामान्धता से पागल हो गया.

अपने सामने आँचल को स्वामी से चुदते देखकर वो दोनो लड़कियाँ भी उत्तेजित हो गयी. आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए चुद रही थी. अब उनमे से एक लड़की से रहा नही गया और उसने अपनी चूत में उंगली डालकर मूठ मारनी शुरू कर दी.
जोरदार चुदाई से स्वामी और आँचल एक बार और झड़ गये . फिर अपना मुरझाया हुआ लंड लेकर स्वामी बाथरूम से बाहर चला गया. आँचल की टाँगे कंपकपा रही थी वो फर्श पर शावर के नीचे गिर पड़ी.

स्वामी के जाने के बाद वो दोनो लड़कियाँ आँचल पर टूट पड़ी. उनमे से एक ने आँचल के चेहरे और चूचियों को चूमना , चाटना शुरू कर दिया और दूसरी लड़की आँचल की चूत चाटने लगी. उन दोनो लड़कियों ने आँचल को फिर और कई बार झड़ा दिया.

थोड़ी देर बाद स्वामी फिर वहाँ आया और आँचल से तैयार होने को कहने लगा क्यूंकी उसका पति सुनील उसे घर ले जाने आ चुका था और वेटिंग रूम में बैठ उसका इंतज़ार कर रहा था.

वो दोनो लड़कियाँ आँचल को कपड़े पहनाने लगी. आँचल मन ही मन सोचने लगी 4 घंटे कैसे निकल गये पता ही नही चला. क्या मस्त चुदाई का आनंद मिला है मुझे आज.

आँचल स्वामीजी के साथ वेटिंग रूम में आई, सुनील ने स्वामी को देखकर हाथ जोड़ दिए. आँचल के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव देखकर सुनील खुश हुआ ,उसने सोचा पूजा बहुत अच्छी तरह से हुई , लग रहा है.

स्वामी ने सुनील से कहा , " कल इसको फिर टाइम पर ले आना."
और फिर आँचल के चेहरे पर आई शरम को देखकर मुस्कुराने लगा.

घर पहुँचने के बाद सुनील वापस फैक्ट्री चला गया.

लंच टाइम में आँचल के ससुर ने उससे पूछा , " पूजा कैसी रही ?"

आँचल ने सर झुकाकर जवाब दिया, " स्वामीजी ने बहुत अच्छे ढंग से पूजा की."

फिर ससुर बोला," कल मैं तुम्हें पूजा के बाद आश्रम से लेने आऊँगा क्यूंकी बैंक में कुछ पेपर्स पर तुम्हारे साइन करवाने हैं."

लेकिन आँचल को मालूम नही था की ठरकी बुड्ढा बैंक के बहाने से उसको उसी दोस्त के होटेल में ले जाना चाहता है जहाँ वो अपने दोस्त के साथ मिलकर कभी कभी रंडी चोदता है. ससुर मन ही मन सोच रहा था कल तो होटेल में इस सेक्सी बहू को मैं चोदूँगा ही चोदूँगा.
 

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लंच के बाद आँचल अपने बेडरूम में चली गयी और दरवाज़ा बंद करके बाथरूम में बाथटब में गरम पानी भरके टब में बैठकर नहाने लगी. आज के दिन जो उसको मज़ा मिला था उन पलों के बारे में सोचने लगी. स्वामी भोगानंद वास्तव में एक अनुभवी चोदू था. स्वामी और उसकी चुदाई के बारे में सोचने से आँचल उत्तेजना महसूस करने लगी. अभी दो दिन तक और स्वामी उसको पूजा के बहाने चोदने वाला था.

वो दोनो लड़कियाँ भी सेक्सी थी और ख़ासकर जिस लड़की ने आँचल की चूत चाटी थी , उसका ऐसा करना आँचल को बहुत पसंद आया था. आँचल सोचने लगी काश स्वामी उन दोनो लड़कियों को भी सेक्स करते समय बुला ले तो मज़ा बढ़ जाएगा.आँचल उन दोनो लड़कियों को अपने सामने स्वामी से चुदते हुए देखना चाहती थी. इन सब कामुक ख़यालों को सोचते हुए आँचल की चूत से रस बहकर बाथटब के गरम पानी में मिल गया. आँचल चूत में उंगली डालकर मूठ मारने लगी. फिर आँचल को याद आया की उन दोनो लड़कियों ने अपनी चूत में बाल साफ किए हुए थे.

आँचल ने कभी भी अपनी चूत शेव नही की थी उसकी चूत में काले घने बाल थे. वो बाथटब से उठी और सुनील के रेज़र से चूत के सारे बाल साफ कर दिए. अपनी चिकनी साफ चूत को देखकर उसे ऐसा लगा की जैसे ये शादीशुदा औरत की ना होकर किसी कुँवारी लड़की की चूत है. उस टाइट चूत की वजह से ही उसे चोदने वालों को इतना ज़्यादा मज़ा मिलता था की वो कामोन्माद से पागल हो जाते थे.

फिर चिकनी चूत पर हाथ फेरते हुए वो अपनी क्लिट को मसलने लगी और जल्दी ही ओर्गास्म से झड़ गयी. गरम पानी से नहाने के बाद उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी और दोपहर की नींद लेने के लिए बेड में लेट गयी. जैसे ही उसको नींद आने लगी , किसी ने उसका दरवाज़ा खटखटाया. कौन आ मरा ये नींद खराब करने ! हद है .

आँचल ने उठ कर दरवाज़ा खोला , कौन था भाई ?
और कौन होगा वही ठरकी ससुर था.

ससुर कहने लगा की ताश के पत्ते खेलने का मूड हो रहा है. आँचल ना नुकुर करने लगी लेकिन बुड्ढा सीधे अंदर आकर बेड में बैठ गया और ताश के पत्ते फेटने लगा. आँचल को ना चाहते हुए भी खेलने के लिए ससुर के साथ बैठना पड़ा.

खेलते वक़्त ससुर की नज़रे देखकर आँचल समझ गयी की ये पारदर्शी नाइटी के मज़े ले रहा है. आँचल ने तो सोने के लिए वो नाइटी पहनी थी उसे क्या पता था की ससुर उसके बेडरूम में आ धमकेगा . उसका मन हुआ की बाथरूम जाकर नाइटी बदल के आए. लेकिन फिर उसने सोचा की उस दिन सलीम के चोदने के बाद मुझे बेड पर नंगी रोते हुए ससुर देख ही चुका है , तो रहने देती हूँ.

वैसे भी आँचल को अपने ससुर को टीज़ करने में मज़ा आता था . उसने सोचा चलो बुड्ढे को तड़पाकर मज़े लेती हूँ. घर में सास है तो ये कुछ गड़बड़ कर नही पाएगा. आँचल पत्ते उठाने के बहाने जानबूझकर झुकने लगी और ससुर को अपनी चूचियाँ दिखाने लगी. ससुर समझ गया ये सेक्सी बहू फिर मुझे टीज़ कर रही है. वो उत्तेजित होने लगा. मन ही मन सोचने लगा कल तुझे पूजा के बाद मैं आश्रम में लेने आऊँगा और फिर दोस्त के होटेल ले जाकर जी भरके चोदूँगा.

फिर आँचल खेलने के बहाने ससुर की बाँह टच करने लगी और सेक्सी सा चेहरा बनाकर मंद मंद मुस्कुराने लगी. अब ससुर से कंट्रोल नही हो पाया और उसने आँचल का हाथ पकड़कर अपने पैंट में खड़े लंड के ऊपर रख दिया. आँचल हैरानी से अवाक रह गयी उसकी हालत देखकर ससुर मुस्कुराने लगा.

आँचल ने अपने हाथ में पैंट के अंदर फनफनाते लंड को महसूस किया , जो लोहे की तरह सख़्त हो चुका था. आँचल धीरे से बोली, " उन्ह……..ससुरजी ये आप क्या कर रहे हैं ?"

ससुर भी धीरे से बोला, " देखोगी क्या ?"

"नही…नही…उम्म्म…कोई आ जाएगा," आँचल ने जवाब दिया.

जब ससुर ने देखा की बहू तो अपना हाथ नही छुड़ा रही है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी, वो बोला, " ज़ोर से पकड़ो, खुद ही देख लो , मैं अभी भी जवान हूँ."

ससुर ने देखा की उसके कहने से, आँचल ने उसके लंड को पैंट के बाहर से थोड़ा ज़ोर से पकड़ लिया है , वो उत्तेजना में बोला, " कल देखना मैं तुम्हे चोदूँगा और तुम्हारी जवानी की प्यास बुझाऊँगा , मेरी आँचल रानी."

ससुर के खड़े लंड को पकड़ने से और उसके मुँह से कल को अपनी चुदाई के इरादे की बात सुनकर आँचल की उत्तेजना बढ़ गयी और उसकी साँसे भारी हो गयी. उसके दिमाग़ की बजाय फिर जिस्म की प्यास हावी होने लगी. उसका ससुर के लंड से हाथ हटाने को मन ही नही कर रहा था . वो सोचने लगी ससुरजी का लंड कितना सख़्त और मोटा लग रहा है पैंट के बाहर से ही. आँचल की चूत से रस बहने लगा.

अपनी बहू को विरोध ना करते देखकर और गहरी गहरी साँसे लेते हुए देखकर , ससुर बोला," मेरी आँचल रानी, मैं तुम्हें बहुत मज़ा दूँगा, तुम्हें चोदकर मस्त कर दूँगा."

फिर वो आँचल के करीब आ गया और उसको अपने आलिंगन में जकड़ लिया.

अपने ससुर के टाइट आलिंगन से आँचल कसमसाई,"…उउउन्न्ह….ओह्ह ससुरजी…."

ससुर आँचल की पीठ पर हाथ फिराने लगा. ससुर की गंदी बातों और अपने बदन से छेड़खानी से आँचल मदहोश हो गयी. अगर ससुर चाहता तो बहू को इस समय आराम से चोद सकता था क्यूंकी आँचल मदहोशी से विरोध नही कर पाती. लेकिन घर में सास के होने से ऐसा करने में बहुत ख़तरा था.

ससुर उसको आलिंगन में लेकर उसके बदन पर हाथ फेरते हुए बोला," मैं तुम्हारी चूत से तुम्हारा रस पीयूँगा , मेरी आँचल रानी."

ससुर के मुँह से ऐसी कामुक बातें सुनकर आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. ससुर की फट गयी कोई सुन ना ले , उसने जल्दी से आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख दिया. आँचल की पैंटी चूतरस से पूरी भीग चुकी थी और चूत के होंठ उत्तेजना से फूल चुके थे. उसको ओर्गास्म आ गया और वो ससुर के आलिंगन में झड़ गयी.

तभी उनको सास की आवाज़ सुनाई दी जो नौकर से पूछ रही थी , " तुमने साहब को कहीं देखा ?"

सास बेडरूम की तरफ ही आ रही थी.
आँचल बेड से कूदकर बातरूम में भागी , वो अभी भी उत्तेजना से कांप रही थी.

ससुर अपने लंड के इरेक्शन को छुपाने की कोशिश करने लगा और उत्तेजना से छलक आए पसीने को चेहरे से पोछने लगा. फिर जल्दी से हाथ में ताश के पत्ते लेकर बैठ गया.

तभी सास बेडरूम में आ गयी.

ससुर को वहाँ बैठे देखकर वो भड़क गयी और बोली," यहाँ पत्ते लेकर क्या बैठे हो. बहू सुबह उतनी देर तक पूजा से थककर लौटी है .थोड़ी देर दोपहर में उसको आराम तो करने देते. अब चलो यहाँ से."

बीवी की डांट खाकर ससुर चुपचाप सास के पीछे पीछे आँचल के बेडरूम से बाहर चला गया.

आँचल अपने बाथरूम से सब सुन रही थी और डर और उत्तेजना से कांप रही थी. उसने सोचा अभी सास ने पकड़ ही लिया था ससुर के साथ. ससुर के साथ तो बहुत ही ख़तरा है. मुझे अपने जिस्म पर काबू रखना चाहिए.

लेकिन वो अपने जिस्म पर काबू कैसे रख सकती थी ? वो सेक्सुअली फ्रस्टरेटेड थी क्यूंकी उसका पति बिस्तर में उसको सैटिस्फाई नही कर पाता था. वो जवान थी, खूबसूरत थी और अब जब उसने असली चुदाई का स्वाद चख लिया था तो वो कैसे कंट्रोल कर सकती थी. उसको चुदाई में बहुत मज़ा आता था लेकिन उसका पति जल्दी झड़ जाने के कारण उसकी प्यास नही बुझा पाता था.

लेकिन ससुर के साथ कोई भी संबंध बहुत रिस्की था , ये उसने अभी देख लिया था की वो कैसे सास द्वारा पकड़े जाने से बाल बाल बची थी. इसलिए आँचल ने फ़ैसला किया की वो ससुर को अपने से दूर ही रखेगी. वो ससुर के साथ कल बैंक जाने से बचने का रास्ता ढूंढने लगी.

फिर उसने अपने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और बेड में सोचते सोचते उसे नींद आ गयी.

उठने के बाद आँचल ने बैडमिंटन खेलने के लिए क्लब जाने की सोची. इससे उसकी थोड़ी एक्सर्साइज़ भी हो जाएगी और सुनील के घर आने तक वो अपने सास ससुर से दूर भी रह पाएगी. क्लब पहुँचने के बाद उसने लेडीज लॉकर रूम में कपड़े बदलकर सफेद टीशर्ट और सफेद स्कर्ट पहन ली. क्लब में ड्रेस के मामले में बहुत सख्ती थी और कैज़ुअल ड्रेस में खेलने की मनाही थी.

आँचल क्लब में किसी को भी नही पहचानती थी इसलिए उसने वहाँ के एक कर्मचारी से एक गेम खेलने की रिक्वेस्ट की. वो 20 मिनिट का गेम खेलने को तैयार हो गया. उस बुड्ढे कर्मचारी ने आँचल को पूरे कोर्ट में दौड़ा दौड़ा कर खूब एक्सर्साइज़ करवा दी.

वहीं कुछ स्कूल के लड़के भी खड़े थे , वो सब आँचल को देख रहे थे. सेक्सी आँचल को कोर्ट में इधर उधर दौड़ते और उसकी चूचियों को टीशर्ट में उपर नीचे हिलते देखकर उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था. आँचल जब शट्लकॉक उठाने के लिए झुकती थी तो वो उसकी पैंटी देखने की कोशिश करते थे. आँचल का ध्यान उनकी तरफ नही था. वो लड़के क्लब में बैडमिंटन खेलने अपने ग्रुप के साथ आया करते थे और आज मादक आँचल को टीशर्ट और स्कर्ट में बैडमिंटन खेलते देखकर अपना खेलना भूल गये थे. उनकी निगाहे आँचल पर ही जमी थी.

गेम खत्म होने के बाद आँचल पसीने से लथपथ हो गयी. उसकी टीशर्ट पसीने से भीगकर उसके बदन से चिपक गयी और गीली होने से थोड़ी पारदर्शी हो गयी. आँचल कोर्ट के किनारे बैठकर टॉवेल से अपने को पोछने लगी. तभी वो 3 लड़के उसके पास आए और उसे गुड आफ्टरनून बोले. फिर उन्होने आँचल से 2-2 का जोड़ा बनाकर डबल्स गेम खेलने की रिक्वेस्ट की. आँचल ने कहा थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ फिर खेलेंगे.

उनमे से 2 लड़के कोर्ट में खेलने लगे लेकिन जो सबसे लंबा लड़का था वो आँचल के पास बैठा रहा. उसने अपना नाम विकी बताया और अपने दोस्तों के बारे में आँचल को बताने लगा. बोलते हुए वो आँचल को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था. विकी ने आँचल की खूबसूरती की तारीफ की और उससे पूछा की वो किस कॉलेज में पढ़ती है ? जब आँचल ने बातया की वो शादीशुदा है और मिसेज जोशी है तो विकी कहने लगा, आप टीशर्ट और स्कर्ट में बहुत खूबसूरत लग रही हो, शादीशुदा औरत कौन बताएगा आपको.

आँचल विकी के मुँह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर शरमा गयी और मन में उसे खुशी हुई की मैं इतनी सुंदर दिखती हूँ. फिर विकी के साथ जोड़ा बनाकर उसने गेम खेलना शुरू किया. विकी बैडमिंटन खेलने में एक्सपर्ट था उसको खेलते देखकर आँचल उसकी चुस्ती और फिजिक से प्रभावित हुई.

गेम के दौरान जब भी शट्लकॉक आँचल के पास गिरती तो विकी फटाफट उठाने आ जाता और आँचल की स्कर्ट के अंदर झाँककर उसकी जांघें और पैंटी देखने का आनंद लेता. दो तीन बार उसने गेम के बहाने से आँचल की जांघों और उसकी चूचियों को छू भी दिया पर हर बार सॉरी कहकर ऐसा दिखाता जैसे ग़लती से टच हुआ है.

जब आँचल थक गयी तो लेडीज रूम में जाकर उसने शावर के नीचे नहाया. लेडीज रूम मे लाइन से शावर बने हुए थे लेकिन ओपन थे. आँचल ने वहाँ कुछ लड़कियों को तारीफ भरी निगाहों से अपने बदन को ताकते पाया. आँचल को पता नही था की उन लड़कियों में एक विकी की गर्लफ्रेंड करिश्मा भी थी. करिश्मा ने देखा था की कैसे गेम खेलने के बहाने उसका BF आँचल के बदन को छूने की कोशिश कर रहा था. करिश्मा को जलन महसूस हुई. जब उसने आँचल को लॉकर रूम में जाते देखा तो वो भी उसके पीछे चली आई. नहाते समय आँचल के मादक जिस्म को देखकर करिश्मा को उत्तेजना महसूस हुई.

नहाने के बाद फटाफट कपड़े पहनकर आँचल अपने घर चली गयी.

रात में डिनर करते समय आँचल ने देखा आज ससुर बहुत खुश है . उसको कुछ ज़्यादा ही खुश और मुस्कुराते देखकर वो समझ गयी की ये कल के अपने चुदाई के प्लान से इतना खुश हो रहा है . वो परेशान हो गयी की इस समस्या का हल कैसे निकाले.
 

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अगले दिन सुबह सुनील ने आँचल को स्वामी के आश्रम में पूजा के लिए कार से पहुँचा दिया. आँचल स्टड स्वामी के साथ फिर से चुदाई को लेकर बहुत एक्साइटेड थी. लेकिन इस बार उसको वेटिंग रूम में 1 घंटे से भी ज़्यादा समय तक बैठना पड़ा. बात ये थी की अंदर स्वामी एक नयी नवेली शादीशुदा औरत को चोद रहा था.

एक घंटे बाद वो दोनो लड़कियाँ आई और आँचल को स्वामी के कमरे में ले गयी. स्वामी को देखते ही आँचल अपने कपड़े उतारने लगी . आँचल की चुदने को जल्दबाज़ी देखकर स्वामी खुश हो गया. नंगी आँचल को स्वामी ने अपनी गोद में बैठा लिया. आँचल के नरम नितंबों के स्पर्श से स्वामी का लंड खड़ा होने लगा. आँचल ने भी अपने नितंबों के नीचे स्वामी के खड़े होते लंड को महसूस किया. उसने स्वामी को अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी चूचियों को उसकी छाती में दब जाने दिया.

स्वामी उसकी चूची को अपने हाथ से पकड़कर निपल के चारो और अंगूठा घुमाने लगा. आँचल के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. फिर अचानक उसने एक झटके में अपना लंड आँचल की चूत में घुसा दिया.

आँचल अचानक हुए हमले से चिल्लाई ," ओइईईईईईईई.......उूुुुऊउगगगघह…"

चूत में पूरा लंड जाने के बाद स्वामी ने अपने सामने लटकती आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों पर ध्यान लगाया . वो उनको चूसने , चूमने और काटने लगा. जी भरकर चूसने के बाद उसने आँचल के नितंबों के नीचे हाथ डालकर उसको लंड पर ऊपर उछालना शुरू किया.

आँचल अपनी चूत में स्वामी के मोटे लंड के अंदर बाहर होने से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी ,"..ह…उन्न्ञन्…..स्वामीजी चोदो…उफफफ्फ़…उन्न्ञननणणन्…..अहह…."

स्वामी बोला," मज़ा आ रहा है तुम्हें ?"

"उनन्ं….हाआन्न….स्वामीजी….." आँचल ने लंड पर उछलते हुए जवाब दिया.

स्वामी के मोटे लंड से आँचल की टाइट चूत की खूब रगड़ाई हो रही थी. ऐसी रगड़ से वो मदहोश हो गयी. मादक आँचल को अपनी गोद में मदहोश होकर चुदवाते देखकर स्वामी ने उसके रसीले होठों को चबा लिया . आँचल को पहला ओर्गास्म आ गया और वो सिसकारियाँ लेती हुई झड़ गयी. कुछ पल बाद स्वामी ने उसकी छूट को गरम वीर्य से भर दिया. स्वामी आँचल को अपने आलिंगन में कस के जकड़े हुए था और उसकी चूत में वीर्य की धार पर धार छोड़ता जा रहा था.

फिर उसी पोज़ में वो उठा और आँचल की चूत से अपना लंड निकाले बिना ही उसको उठाकर बेड तक ले गया. बेड में आँचल को लिटाने के बाद स्वामी को ध्यान आया की कल तो आँचल की चूत में घने काले बाल थे. आँचल की चिकनी चूत को देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और सोचने लगा इश्स शादीशुदा औरत की चूत बिल्कुल लड़की जैसी टाइट कैसे है.

स्वामी ने पूछा," तुम्हारा पति अच्छे से चोदता है तुम्हें ?"

"उन्न्ह….नही स्वामीजी…." आँचल अभी भी चुदाई के नशे में थी.

उन दोनो लड़कियों में से एक लड़की ने आँचल की चिकनी चूत देखी तो वो अपने को रोक नही पाई और आँचल के बगल में लेटकर उसने आँचल की चूत में मुँह लगा दिया और उसकी चूत से निकलते रस को चाटने लगी. अपनी चूत और क्लिट पर लड़की की जीभ की रगड़ से आँचल कामानंद से सिसकारियाँ लेने लगी. अपनी चूत चटवाना आँचल को बहुत अच्छा लगता था. उसका भी मन चूत चाटने का होने लगा.

आँचल बोली, " इधर दो….उन्न्ह…अपनी चूत इधर दो…..उंगग्गघह.."

आँचल की बात सुनकर उस लड़की ने 69 पोज़ में अपनी चूत आँचल के मुँह पर लगा दी. अब दोनो एक दूसरे की क्लिट और गीली रस से भरी चूत को जीभ से चाटने, चूमने और चूसने लगी.

स्वामी अपने सामने के नज़ारे को देखकर बहुत उत्तेजित हो गया और सिसकारियाँ लेती लड़कियों के बगल में बेड पर लेट गया. फिर उसने आँचल की गांड के छेद में उंगली घुसा दी और उंगली से गांड चोदने लगा. चूत और गांड दोनो की रगड़ाई से आँचल आनंद से चीखने लगी और ओर्गास्म पर ओर्गास्म से झड़ती रही.

फिर स्वामी ने आँचल के पेट के दोनो ओर अपनी टाँगे रख दी और उसकी दोनो चूचियों के बीच लंड रगड़ने लगा. दूसरी लड़की ने आँचल के सर के नीचे तकिया लगा कर उसका सर थोड़ा उठा दिया. स्वामी उसकी दोनो बड़ी चूचियों को आपस में मिलाकर बीच में लंड डालकर चूची चोदने लगा. आँचल को दर्द हुआ.

आँचल दर्द से कराह उठी, " नहिन्न…उन्न्ञन्…बहुत ज़ोर से दबा रहे है आप…नहिन्न…."

आँचल का दर्द देखकर स्वामी थोड़ी देर तक रुक गया और बोला," क्यूँ रो रही है ? अभी तो तेरी गांड में घुसाऊँगा."

फिर उसने आँचल को घुटनो के बल कुतिया बना दिया और उसकी चूत में पीछे से लंड घुसा दिया.

टाइट चूत में स्वामी का मोटा लंड घुसने से आँचल चिल्लाई,"उननगज्गघह…ओइइ…"

स्वामी को डोगी पोज़ बहुत पसंद था. आश्रम में आने वाली जवान औरतों को वो डोगी पोज़ में ज़रूर चोदता था. आँचल के उठे हुए नितंबों में थप्पड़ मारते हुए वो तेज तेज धक्के लगाने लगा. धक्कों से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियाँ लटककर आगे पीछे को हिलने लगी. स्वामी हाथ आगे करके चूचियों को मसलने लगा.

स्वामी ने आँचल की चूत में तेज तेज धक्के मारते हुए पूछा," क्या तुम्हारे पति ने ऐसे चोदा है ?"

"उन्न्गह…..ऊओुईइ….माआआआ….." आँचल ने सिसकारियों से जवाब दिया.

स्वामी मज़े लेते हुए बोला," अपनी माँ को क्यूँ याद कर रही हो ? मज़ा नही आ रहा है क्या ?"

स्वामी ने उत्तेजना में आँचल के बड़े नितंब थप्पड़ मार मार कर लाल कर दिए.

"उन्न्नह….ओह…..स्वामी….आह…" आँचल दर्द से चिल्लाई और वो झड़ती रही ……..और झड़ती रही.

फिर स्वामी ने अपना लंड चूत से बाहर निकालकर आँचल की गांड के छेद में लगा दिया. सुपाड़े को अंदर डालने के लिए उसने एक धक्का लगाया.

" ओइईईईईईई…माआ……आआअहह……, मैं मर जाऊँगी, बहुत दर्द हो रहा है," आँचल गांड में दर्द से चिल्ला पड़ी.

सुपाड़े को गांड में घुसाते हुए स्वामी बोला," बस थोड़ा दुखेगा, तेरी गांड बहुत टाइट है ना….अभी मज़ा भी मिलेगा तुम्हें….".

फिर सुपाड़ा अंदर जाने के बाद स्वामी ने बाकी का हिस्सा भी पूरा गांड में घुसा दिया. आँचल को लगा उसकी गांड दो हिस्सों में फट गयी है. दर्द से उसके आँसू बहने लगे और वो रोने लगी.
पर स्वामी ने उसके रोने पर कोई ध्यान नही दिया और उसकी गांड मारते रहा.

थोड़ी देर बाद आँचल को दर्द कुछ कम हो गया और अब गांड में लंड की रगड़ से उसको भी थोड़ा मज़ा मिलने लगा.

तभी एक लड़की वहाँ आई और स्वामी से बोली की आँचल का ससुर उसे लेने आ गया है.
स्वामी उत्तेजना में था उसने लड़की की बात पर कोई ध्यान नही दिया. स्वामी ने आँचल की गांड मारना जारी रखा . कुछ देर बाद उसने आँचल की गांड को अपने वीर्य से भर दिया.
अब स्वामी बहुत थक चुका था , सुबह से दो औरतों को कई बार चोदने की वजह से. वो आँचल के बदन के उपर ही लेट गया. आँचल उसके वजन से दब गयी.

जब लड़कियों ने फिर से ससुर की बात कही तो स्वामी बोला, " इसको ले जाकर नहलाओ और कपड़े पहना दो."

आँचल ने स्वामी से विनती की, " स्वामीजी , मैं ऐसे उनके पास नही जा सकती,वो सब समझ जाएँगे. प्लीज़…..उनको बोलो की मैं यहाँ से निकल चुकी हूँ. मैं ऑटो पकड़कर चली जाऊँगी."

स्वामी बोला," ठीक है. जैसा तुम चाहती हो हम वैसा ही करेंगे पर इसके बदले तुम्हें भी मेरा काम करना होगा."

आँचल ने बिना काम पूछे ही तुरंत हामी भर दी.

स्वामी ने लड़की से कहा की वो आँचल के ससुर से जाकर कह दे की वो यहाँ से पहले ही जा चुकी है.
फिर उसने आँचल से कहा, " कल सुबह 6 बजे आने की बजाय 10 बजे आना."

आँचल ने ठीक है कहा और नहाने चली गयी. नहा धोकर कपड़े पहनने के बाद वो आश्रम से बाहर आ गयी और ऑटो ढूंढने लगी.

जब एक ऑटो ड्राइवर ने उससे पूछा की कहाँ चलना है ? तो आँचल ने सोचने में थोड़ा वक़्त लगाया क्यूंकी उसकी समझ में नही आ रहा था की वो घर जाए या बैंक जाए.

ऑटो वाले ने उसको सोचते देखकर हाइ क्लास कॉल गर्ल समझा, वो उसे घूरते हुए बोला, " होटेल में जाने का है क्या ?"

उसकी बात सुनकर आँचल को बहुत गुस्सा आया. उसने कहा, " कनाट प्लेस चलो."

आँचल ने सोचा की खुद ही बैंक जाकर पेपर में साइन करके आती हूँ.
बैंक में पहुँचकर आँचल सीधे बैंक मैनेजर के केबिन में चली गयी और अपना परिचय दिया.

बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी था जिसकी उमर करीब 50 वर्ष की थी. अपने केबिन में खूबसूरत आँचल को देखकर मैनेजर उसकी बात ध्यान से सुनने लगा. फिर उसने पिओन को बुलाकर साइन करने के लिए पेपर्स और चाय लाने को कहा. आँचल से बात करते समय सेठी का ध्यान आँचल की चूचियों पर ही था.

सेठी को चूचियाँ घूरते देखकर आँचल को ध्यान आया की आश्रम से आते समय जल्दबाज़ी में वो ब्रा और पैंटी पहनना भूल गयी थी. उसके सूज़े हुए निपल पतले ब्लाउज से दिख रहे थे. तब उसको ध्यान आया की ऑटो ड्राइवर उसको कॉल गर्ल क्यूँ समझ रहा था क्यूंकी बिना ब्रा के निपल उसने भी देख लिए होंगे. मैनेजर के सामने बैठी आँचल शरमा गयी पर अब कुछ किया नही जा सकता था. बैंक में काम खत्म होकर घर लौटने तक उसे इन्ही कपड़ो से काम चलाना था.

मैनेजर भगवान द्वारा अपने केबिन में भेजी गयी अप्सरा को देखकर बहुत खुश था, इसीलिए जब पिओन फटाफट साइन करने के लिए पेपर्स ले आया तो उसे बहुत गुस्सा आया. मन ही मन सोचने लगा, कम्बख़्त थोड़ी देर लगाकर नही ला सकता था.

फिर मैनेजर ने आँचल से पेपर्स पर साइन करने को कहा और खुद जाकर आँचल के पीछे खड़ा हो गया, कहाँ कहाँ पर साइन करने है ये बताने के लिए.

आँचल को कुछ मतलब नही था की वो किन पेपर्स पर साइन कर रही है, जैसा मैनेजर ने बताया वैसे उसने साइन कर दिए. पीछे खड़ा मैनेजर उसकी बिना ब्रा की चूचियों का नज़ारा देख रहा था. आँचल की दूध जैसी गोरी चूचियाँ और उनके बीच की गहरी खाई देखकर मैनेजर का लंड खड़ा हो गया. फिर वो हाथ लगाकर बताने लगा की यहाँ पर साइन करने है और बहाने से उसकी बाँह छूने लगा. उसने बैठी हुई आँचल की बाँह और कंधे से अपना खड़ा लंड भी रगड़ दिया.
 

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