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अब तक

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब आगे

अगली सुबह मेरी निद खुली तो 8बजे थे । रात की थकान से मै देर से उठा था तो देखा मा और पापा उठ चुके है और ऊपर भी चले गए हैं ।

मै रात की बातो को लेकर थोड़ा खुश था और उठकर ऊपर गया तो पापा, अनुज नास्ता कर रहे थे और मा दीदी कीचेन मे थी ।

मैने एक नजर बेडरूम मे डाली तो देखा बुआ कमरे मे भी नही ,,मतलब वो छत पर गयी होगी नहाने के लिए,,,,, बुआ का ख्याल आते ही लण्ड अंगड़ाई लेने लगा । मैंने तुंरत तौलिया लिया और ऊपर च्ला गया नहाने

मै छत पर पहुचा तो देखा बुआ बाथरूम के दरवाजे पर अन्दर की तरफ पैर रखे हुए कपड़े धुल रही थी ।
उस समय बुआ सिर्फ पेतिकोट मे थी और पेतिकोट को अपने भारी चुचो के ऊपर चढा कर बाँधा हुआ था ।

उफ्फ्फ पीछे से उनकी मोटी गाड़ पेतिकोट मे और फैल गई थी । मेरा तो लण्ड खड़ा हो गया था ,,, मैने तुरंत सारे कपडे निकाल कर अंडरवियर मे आ गया और धीरे से बुआ के पीछे बैठ गया और उनकी गरदन मे हाथ डाल कर एक चुची को पकड कर ऊपर खीचते हूए मिजने लगा
बुआ मेरे हुए अचानाक हमले से चौक गयी थी हुचुक कर उठ गई फिर मुड कर देखा तो मै था

बुआ - अरे लल्ला तुने तो डरा ही दिया ,,, और ये क्या कर रहा है तू खुली छत पर

मै - सॉरी बुआ वो आपको ऐसे ओपेन देख कर उत्तेजित हो गया था,,,, और देखो यहा कोई नही देख सकता

बुआ - य्हा कोई नही है लेकिन निचे तो सरे लोग है ना अगर कोई आ जाता तो

मै भी अन्दर बाथरूम मे घुस गया बुआ को हग कर लिया आह्हह कितना मुलायम जिस्म था

मैने उन्के कंधे पर सर रखा और उनकी चुचि के निप्प्ल जो पेतिकोट मे साफ दिख रहे थे उनको सहलाते हुए बोला - बुआ मुझे भी नहाना है आपके साथ
फिर उन्के गरदन को चूमने ल्गा जिसका असर बुआ पर होने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला मान जा सब निचे है
मै - पापा दुकान गये , अनुज खेलने चला गया , मा और दीदी कीचेन मे है ,,प्लीज ना बुआ मान जाओ ,,,,
फिर से बुआ की चुचियो को मस्लना सुरु किया और फिर उनका पेतिकोट का नादा खोल दिया जिससे वो सरक कर निचे गिर गया ,,,, दिन के उजाले मे बुआ का गदराया जिस्म और कामुक लग रहा था

मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और बुआ की कमर मे हाथ डाल कर उनके होटो को चूसना सुरु कर दिया और एक हाथ से उनकी चूचियो को म्सल्ने ल्गा ,,, बुआ जैसी गर्म औरत कैसे पीछे रहती वो भी मेरा साथ देने लगी ।
फिर कुछ देर बाद मैने अपना हाथ उनकी नंगी चुतडो पर घुमाने ल्गा साथ ही झुक कर उनकी चूचि के बड़े बड़े मून्क्के वाले निप्प्ल को चूसने लगा ,,,लेकिन बुआ को चैन कहा उन्होने ने भी मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे खड़े लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया

फिर मै बुआ के काम आसान करते हुए अपना अंडरवियर भी निकाल दिया और वाप्स बुआ की जवानी से खेलने लगा
अब स्थिति यू थी कि मेरे और बुआ के होठ जुड़े हुए थे और मेरा बाया हाथ बुआ की पहाड़ जैसी ऊँची और रबर सी लचीली गान्द पर रेग था जबकि दाये हाथो से बुआ की रसिली मोटी चुचियो की मिजायि हो रही थी ,,वही बुआ का एक हाथ मेरे गरदन पर और दुसरा हाथ से मेरे कडक लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही थी
फिर हमदोनो ने अपनी पोजिसन बदली और बुआ अपने घुटनो पर आ गयी । चंद पलो मे ही मेरे लण्ड को थोड़ी ठण्डक मिलने लगी ,,,क्योकि बुआ ने मेरे खड़े लण्ड को चूसना सुरु कर दिया था ।
उनके नरम होठ मेरे सख्त लण्ड को लार से लीपने लगे और मुह के अंदर बुआ की जीभ मेरे सुपाडे पर लोटने लगी । इस आनन्द को पाकर मेरे अंदर एक तुफान सा उठने लगा , मेरे लण्ड की नशे और अकड गई,,, क्योकि मुझे बुआ को चोद्ना था तो मै अभी झड़ना नही चाहता था ,,,तो मैने बुआ को उठाया और बोला

मै - बुआ चलो ना नहाते है
बुआ - अरे हा तेरे खड़े लण्ड के चक्कर मे मै तो भूल ही गई,,,हा चल जल्दी आजा
बैठ पहले मै तुझे नहला देती ही
मै खुश हो गया और
फिर मैने निचे बैठ गया और बुआ बाल्टी से पानी निकाल कर मेरे ऊपर डालने लगी ,,, फिर साबुन लेकर पहले बालो मे फिर बॉडी पर साबुन लगाने लगी ,,,कमर तक लगाने के बाद बुआ ने मुझे खड़ा होने हो कहा और फिर मै खड़ा हुआ तो बुआ ने मेरे पैर के साथ साथ मेरे खड़े लण्ड पर भी अच्छे से साबुन लगाया फिर उन्होने पानी डाल कर अच्छे से बदन को साफ किया ,,, शरीर के साथ मेरा लण्ड भी खिल उठा ,

बुआ - बेटा तू चल मै नहा के आती हू ,,आज बाजार जाना है ना हमे

मै - क्या बुआ आपने मुझे नहला दिया अब मै भी तो नहलाउँगा ना आपको

बुआ - हिहिहिह ,, अच्छा लेकिन मुझे बहुत गुदगुदी होगी न
मै - अरे बुआ प्यार से नहलाउन्गा ना
चलो बैठ जाओ आप ।
फिर मैने एक मग्गे मे पानी लिया और थोड़ा थोड़ा करके पानी उनके बालो मे गिराने लगा जिससे पानी एक पतली धार लेके उनकी चिकनी पीठ से होते हुए उनकी मोटी मोटी चुतड की दरारो से होकर बाथरूम के फर्श पर गिरने लगी ,,,, मुझे ऐसे बुआ को छेदने मे मज़ा आने लगा और हल्का हल्का पानी उनके पीठ पर गिरने से वो सिहर जा रही थी ,,,

बुआ - क्या कर रहा है बेटा जल्दी कर कोई आ जायेगा
मैने भी मौके की नजाकत को समझा और अच्छे से पानी डाला । फिर शैम्पू से बुआ के बालो को साफ करने ल्गा ,,,एक बार फिर शैम्पू की गाज बुआ की नंगी पीठ से उनके चुतडो पर जाने लगी जिससे बुआ को उन्के गांड मे खुजली मह्सूस हुई और वो हाथ पीछे ले जाकर चुतडो की दरारो मे खुजली करने लगी जिससे उन्के मोटे मोटे गांड हिलने लगे

फिर मैने बुआ को खड़ा किया और अच्छे उन्की पीठ के साबुन लगाया और पीछे से ही हाथो को आगे कर उनके चुचो पर साबुन लगाकर मसलने लगा थोडी देर बाद मै निचे बैठ कर बुआ की जांघो मे साबुन लगाया और पीछे से ही उनकी गान्द के निचे से हाथ ले जाकर चुत के ऊपर साबुन लगाने ल्गा जिससे बुआ थोड़ा झुक कर अपनी जांघो को खोला तो मैने भी एक हाथ आगे लेजाकर उन्के चुचो को वापस मसलने लगा । फिर मैने बुआ की गान्द को अपने सामने करते हुए उन्हे दीवाल से लगा दिया ,,, मेरे लगातर मसलने से वो नशे मे थी खुद से सिसिकिया लेटे हुए अपनी चुचिया मसल रही थी
फिर मैने साबुन लिया और बुआ की भारी मोटी लचीली गान्द के पाटो पर खुब सारा साबुन लगाने ल्गा और फिर उनकी चुत से लेकर उनके गान्द के उपरी सिरे तक दरारो मे साबुन भर दिया । इधर मेरा लण्ड भी उफान पर था तो मै थोडा साबुन वापस अपने खड़े लण्ड पर लगाया और बुआ की कमर को दोनो हाथो से पकड कर अपने लण्ड को बुआ की साबुन से भीगी हुई गांड की दरारो के ऊपर रगड़ने ल्गा लेकिन मेरे साबुन लगाने से बुआ की गान्द पर फिसलन बहुत ज्यादा थी जिससे मेरा लण्ड बार बार बुआ की जांघो मे उनकी चुत पर टकरा जा रहा था ऐसे मे मुझे एक विचार आया और मैने बुआ को थोड़ा पीछे खीच कर उनको आगे की तरफ झुका दिया जिससे उनकी मोटी गान्ड़ और ज्यादा फैल कर मेरे सामने आ गई । मैने भी मोर्चा सम्भाला और अपना लण्ड को मसल कर साबुन की गाज को ज्यादा किया और दोनो हाथो से उनके लचीले गांड के मोटे पाटो को फैलाया और अपना लण्ड उनकी उभरी गान्ड की दरारो मे डाल दिया और कमर पर हाथ रख कर लंड को गान्ड की गहरी लकीर मे आगे पीछे करने लगा,, कुछ की धक्को मे बुआ के मोटी गान्ड की दरारो ने मेरा आधा लण्ड निगल लिया ,,, साबुन की फिसलन से जल्द ही बुआ की दरारे मेरे मोटे सुपाड़े से चौडी होने लगी,,,ऐसे ही थोडी मस्ती के बाद मैने बुआ की पानी डाल के साफ किया क्योकि उनके बदन का साबुन सूखने लगा था ,,, फिर मैने बुआ को पानी से अच्छे से मल मल कर साफ किया और वापस खड़ा किया ,,, फिर खुद को भी पानी डाल कर साफ किया। मैने उन्के नरम भिगे चुचो पर नजर डाली तो मुह मे पानी आ गया तो वापस से एक बार फिर बुआ की रसिली चुची को पीने लगा ।
सच मे नहाने के बाद बुआ के चुचे और भी ज्यादा नरम और मीठे लग रहे थे । एक बार फिर से मैने बुआ के हाथ मे अपना लंड थमा दिया और वो भी मेरे दिये काम को बखुबी करने के लिए बैठ गई और मेरे लण्ड को निगलना शुरू कर दिया ,,, इसी बिच मेरी नजर बाथरूम के दरख्त पर रखी तेल की शिसी पर गई और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई ।
करीब 5 मिंट हो चुके थे बुआ को मेरे लण्ड चुस्ते और हमारे बदन का पानी निचड़ चूका था ।
फिर मैने बुआ को घुमा कर उन्हे फर्श पर ही घोडी बना दिया और तेल की शीशी को हाथ मे लेकर उनकी दोनो जान्घो मे बीच घुटनो के बल आ गया । नहाने के बाद से बुआ की गोरी और मोटी गान्ड और ज्यादा मुलायम और चिकनी हो गयी थी।
फिर मैने एक हाथ बुआ की चुत पर रखा जो अभी भी पनियायी थी । फिर मैने उनकी चुत को सहलाते हुए चार उंगलिया उनकी चुत पर और अंगूठा उन्की गान्द की हल्की भूरि छेद पर रखकर सहलाने लगा । मैने तेल की शिशि को अपने मुह से खोला और टप टप टप करके उनकी गाड़ की दरारो मे गिराने लगा ,,,धीरे धीरे तेल रिस कर मेरे अंगूठे तक आई तो मैने उसे बुआ की गाड़ की छेद पर अच्छे से मलने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला क्या कर रहा तू
मै - आपके गान्ड मे लण्ड डालने की तैयारी बुआ
बुआ - उम्म्ंम तो जल्दी कर ना। अब रहा नही जा रहा है

मैने भी अच्छे से तेल बुआ की गान्ड मे लिप कर थोड़ा तेल अपने लंड के सुपाडे पे भी लगाया और झुक कर लण्ड को बुआ की गान्द की छेद पर रख कर सुपाडे को जोर देते हुए अंदर ठेल दिया और कुछ ही सैकेण्ड मे बुआ ने अपनी गान्ड को सिकोड़ कर मेरा आधा लण्ड अपनी गान्द मे समा लिया मैने वापस से तेल की शीशी उठाई और बाकी बचे लण्ड के हिस्से और बुआ की फैली हुई गान्ड की छेद की गोलाई पर तेल गिराने लगा और तेल गिराने के साथ ही मैने लण्ड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।

बुआ - आह्ह बेत कितना तेल गिरायेगा ,,, मेरी गान्ड पहले से ही खुली है ,,बस तू फाड इसको उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे ही पुरा जड़ तक लण्ड को डाल अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं,,, उफ्फ्फ बेटा अह्ह्ह्ह जैसे लग रहा है कितने दिनो बाद लण्ड को गान्ड मे लिया है अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आह्हह उउह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं हा बेटा चोद और चोद और तेज्ज़्ज़्ज़ अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

मै भी बुआ को उत्तेजित देख तेज़ी से उनकी गान्ड मे लण्ड डालने लगा ,,, हर धक्के के साथ उनकी लचीली मोटी गान्ड मेरे लण्ड को वापस आधा बाहर की तरफ धकेल देती थी जिससे मुझे कम ताकत मे भी जोरदार चुदाई का आनन्द मिल रहा था । मेरी जान्घे उनकी मोटी चुतडो से लगातर टकरा कर थप थ्प्प्प्प थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाजे देने लगी ।,,,,

मै - बुआ बहुत ही मस्त गांड है तुम्हारी ,,,, आप तो लण्ड लेने मे माहिर लगती हो आह्हह क्या मुलायम गान्ड

बुआ - हा बेटा 30 साल हो गये लण्ड लेते हुए तो माआअहिर होओ हीइ जाआऊंगी नाआह्ह्जह्ह्ह्ज उम्म्ंम और तेजह्ह्ह्ज अह्ह्ह्ह मै झडने वाली हू बेटा एक बार चुत मे डाल देगा ,,, बहुत मन है चुत मे लेने का अह्ह्ज डाल दे ना

मै भी बुआ पर तरस खा कर एक झटके मे गान्ड से लण्ड को निकाला और गप्प से उनकी रसिली चुत मे बोर दिया
मै - लो बुआआअह्ह्ह डाआआअललल्ल दियाअह्ह् ,,, लगता है आपको एक साथ दो लण्ड लेने की आदत है तभी इतनाहहहह तड़प रही हो ।

बुआ - अह्ह्ह्ज्ज हम्म्म्मममं उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं हहहह अह्ह्ह्ह्ह तेज्ज्ज्ज औउउउउरररर तेजजजजज अह्ह्ह्ह

मै - बोलो ना बुआ कभी लिया है एक साथ दो लण्ड,,,,
बुआ - हा बेटा घर पर तो रोज रात मे दो लण्ड लेती हू तभी तो ऐसी फैल गई हू ना ,,,,, मेरे दोनो पति मिल के चोद्ते है मुझे अह्ह्ह्ह्ह आह्हह फाड दे मेरे चुत को चटनी बना दे मेरे लाल उह्ंम्ंंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह

मै एक पल को रुक गया दो पति ,, बुआ ने दुसरी शादी भी की है लेकिन किस्से क्यू

बुआ - क्यू रुक गया बेटा अभी पेल दे ना मै बाद मे सब बता दूँगी ,,,आह्हह आह्हह हा ऐसे ही ऐसे ही बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्माआआ माआआ उम्म्ंम्ं हा बेटा निकलेगा मेरा अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और तेज

बुआ एकदम झडने के करीब तो उन्होंने अपनी चुत को मेरे लण्ड पर कसना सुरु कर दिया जिससे मेरे तेज धक्को ने मेरे लण्ड की नशो को बुआ की चुत मे रगड़ना सुरु कर दिया ,, धीरे धीरे बुआ की चूत ने मेरे लंड को निचोडने लगी और मेरे लण्ड का आकार और बढने लगा ,,, मेरा सुपाडा अब पूरी तरह से तपने लगा और लंड की नशे मेरे वीर्य से भरने लगी,,, लेकिन मेरे धक्के की गति कम नही हुई कुछ ही पलो मे ,,,, बुआ ने अपनी चूत ढीली कर ली और उन्का गर्म लावा मेरे लण्ड की चमडी की जलाने लगा जिससे मेरा सुपाडा ज्यादा देर तक वीर्य को नशो मे नही रोक सका और भलाभल तेज़ी से धक्को के साथ बुआ की चुत मे वीर्य उगलने लगा और कुछ आखिरी धक्को के साथ ही मै बुआ की पीठ पर ढह गया और हाफ्ने लगा ,,,,साथ ही बुआ की तेज सांसे भी मुझे महसूस हो रही थी । थोडी देर बाद जब सांसे नॉर्मल हुई तो मै उनके ऊपर से उठा । बुआ से उठा भी नही जा रहा था आखिरकार 20 मिनटो से एक ही पोजिसन मे चुद जो रही थी ...फिर मैने बुआ की मदद की और हम दोनो ने फिर से नहाया और बुआ ने लाया हुआ सूत सलवार पहन लिया
मै - चलो बुआ अब नीचे चलते है ।
बुआ - नही पहले मुझे जाने दे 5मिंट बाद आना तू
मै - और वो दो पति वाली बात समझ नही आई मुझे
बुआ मुस्कराई और बोली - वो बाद मे अभी लेट हो रहा है बेटा ,
फिर मैने बुआ को एक किस्स किया और उन्हे जाने दिया । करीब 5मिंट बाद मै भी निचे गया और नास्ता करने लगा ।

मा - बेटा सुन आज दोपहर तक ही दुकान खोलना , फिर दोपहर बाद हम लोग साथ मे बाजार चलेंगे , मैने तेरे पापा को बोल दीया है ।

मै - ठीक है मा चलो मै दुकान खोल दू ।
फिर मैने बुआ को देखा और एक स्माइल की फिर मै दुकान पर चला आया ।

एक घन्टे बाद मा और बुआ निचे आई
मा - बेटा मै और तेरी बुआ , तेरे चचा के यहा जा रहे हैं साड़ी लेने के लिए,,, कुछ चाहिये होगा तो सोनल को आवाज दे देना

मै - ठीक है मा , जल्दी आईएगा
बुआ - हा बेटा जल्दी ही आएगे कौन सा तेरी मा तेरे चाचा के साथ रहने जा रही है हाहाहाअहा
मा - क्या दीदी आप भी चलिये अब
फिर मा और बुआ निकल गये चाचा के यहा । मै वापस दुकान पर काम करने लगा करीब आधे घण्टे बाद दीदी ऊपर से आई और बोली

दिदी - भाई वो तेरा मोबाईल मिलेगा वो मुझे कुछ ड्रेस देखना था
मै - अरे आओ ना दीदी साथ मे देखते है
दीदी - नही भाई मुझे और भी थोडा काम है ना
मै - जैसे कि
दीदी - तू देगा कि नही
मै - अरे मै कब मना कर रहा हू ये लो
फिर दिदी मोबाईल लेकर ऊपर चली गई मैने इस बात के लिए कोई ध्यान नही दिया और दुकान मे लग गया ।
करीब 11 बजे तक मा और बुआ वापस आ गए ।

मै - क्या मा इतनी देर यही कर दी तो हम लोग बाजार कब जायेंगे
मा - अरे बेटा वो त्योहार की वजह से दुकान पर भीड़ थी और फिर हम दोनो ने वो करीम के यहा ब्लाऊज पेतिकोट सिलने को भी दे दिया ना कल शाम तक मिल जायेगा ।

मै - अच्छा ठीक है तो अब दूकान बंद कर दू , क्योकि अभी चाचा और पापा दोनो को खाना देने जाना पडेगा ना फिर हम लोगो को तैयार भी होना है

मा - हा बेटा तू दुकान बंद कर दे और ऊपर आजा ।
करीब 20 मिंट बाद मै ऊपर गया।

मा - बेटा एक काम कर ये तू अपने पापा का खाना देके आजा और चाचा का खाना अनुज लेके चला जायेगा ।

मै - ठीक है मा लाओ ।
फिर मै खाना लेके पापा के दुकान पर गया और पापा मे मुझे कुछ पैसे दिये शॉपिंग के लिए और मै भी खुश होकर वापस आ गया घर ,, फिर हम लोगो ने साथ मे खाना खाया और सब तैयार होने लगे ।

दीदी ने आज एक बहुत ही खुबसुरत नेवी ब्लू रंग का सूट सल्वार पहना था ।
वही मा ने पिंक कलर की बहुत ही सुन्दर साडी पहनी थी ।
बुआ तो पहले की तरह एक ब्लू रंग की कुर्ती और क्रीम कलर की लेगी मे बहुत सेक्सी दिख रही थी ।
मैने और अनुज ने भी जीन्स टीशर्ट पहना था ।

फिर एक बजे से हम लोग घर बंद करके निकल गए शॉपिंग के लिए ।

देखते है दोस्तो नये शॉपिंग मॉल मे क्या क्या नयी घटनाये होने वाली है ।
 
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दोस्तो पिछ्ले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि राज की चांदी ही चांदी हो रही है और आज वो फुल फैमिली के साथ बाजार मे खुले नये शॉपिंग कॉमप्लेक्स के लिए निकल चूका है अब आगे ।


अब आगे

हम सभी लोग मेन मार्केट की तरफ निकले । त्योहार की वजह से काफी भीड़ थी और बाजार कमसिन लड़कीयो से लेकर गदरायी औरतो से भरी थी । मै खुद भी 3 जबरदस्त मालो के साथ बाजार मे घूम रहा था । काफी लड़को और मर्दो की नजरे मेरे बुआ दीदी और मा की तरफ थी । खासकर बुआ की तरफ ,,, उनकी कसी लेगी मे उभरी गान्ड के जब मेरे पापा ही दीवाने हो गये तो गैर लोगो की क्या बात थी । मुझे धीरे धीरे मह्सूस होने लगा कि जैसे जैसे लोग मा दीदी और बुआ को घुर रहे थे ,, वैसे ही उनके हाव भाव और चलने के अन्दाज मे बदलाव साफ नजर आने लगा था । मै खुद पीछे चल कर अपनी तीनो घरेलू हसिनाओ की चाल पर खास नजार गडाये हुए था । सबसे आगे दीदी और अनुज चल रहे थे । एकतरफ जहा अनुज लड़को द्वारा दीदी को ताडने से मुह बना रहा था वही दीदी मुह पर दुपट्टा लगा कर मुस्कुरा रही थी क्योंकि मार्किट मे कुछ लडके हमारे कोचिंग स्कूल और दूसरें मुहल्ले के भी थे । उन सबकी नजरे मेरी कमसिन बहन पर थी ।
दीदी और अनुज के पीछे मा और बुआ चल रहे थे । आहहा उन दोनो का मै खुद दीवाना था । एक तरफ जहां मा की मदमस्त साडी मे कैद जवानी वही दुसरी तरफ कुर्ती लेगी मे कसी भरी बदन वाली बुआ ।
दोनो गान्द चलते हुए बहुत मटक रहे थे जिनको देख कर कुछ लडके और मर्द एक तक बुआ की कसी जांघो और मा के ब्लाऊज के उबारो को अन्त तक देखते ही रह जाते थे ।

मै भी इनसब का मज़ा लेते हुए जा रहा था साथ ही मा और बुआ की चटपटी बाते भी सुन रहा था ।

बुआ - देख रही हो भाभी ,, मर्द तो मर्द ये कच्ची उम्र के लडके भी कम नही है ,,, एकटक नजरे हमारे माल पर टीकाए ही जा रहे हैं

मा - हा जब ऐसे ही गान्ड मटकाओगी तो लोग तो देखेंगे ही ना

बुआ - आहा मेरे गान्द की बड़ी फ़िकर है आपको अरे अपने उभरे हुए चुचो को देखो भाभी सबकी नजारे वही है

मा - अब मालदार हो गयी हू तो दिखेगा ही न माल हीहीहि
बुआ - देखो कोई लुट ना ले जाये हमारे माल को
मा - अरे आपके भईया के रहते किसकी मजाल जो आपके माल को हाथ लगाये हीहीहि

बुआ - क्या भाभी आप ,,,
मा - हहहहह

मै दोनो की चटपटी बाते सुन कर खुश हो रहा था
बातो ही बातो मे हम लोग सरोजा कॉमप्लेक्स आ गये थे ।
क्या शानदार बिल्डिंग थी तीन मंजिला ।
ग्राउंड फ्लोर पर जेन्स के लिए, फ़र्स्ट फ्लोर पर लेडीज के साथ बच्चो के लिए और सबसे उपरी फ्लोर सिनेमा रेस्तराँ के लिए था ।
हम सब लोग एक साथ एन्ट्री ली और अंदर का माहौल एकदम खुसनुमा था हर तरफ चहल पहल थी । अनुज तो अन्दर घुसते ही सबसे पहले जीन्स वाले सेक्शन मे भाग गया ,, वही मा और बुआ ऊपर वाले फ्लोर पर जाने लगी ,,,तभी दीदी ने मुझसे मेरा मोबाइल मागा और बोली उसे कुछ तस्वीरे निकालनी है फिर वो भी मोबाईल लेकर मा और बुआ के साथ ऊपर चली गयी । मै भी बहुत खुश था सोचा चलो अपने छोटे भाई के साथ टाईम पास करते हुए खरीदारि करु ।
मै भी अनुज की तरफ जीन्स वाले सेक्शन मे चला गया ,,, जहा अनुज बडे खुश होकर बस देखे जा रहा था लेकिन कोई भी ट्राई या माप नहो रहा था मै उसके पास गया

मै - क्या हुआ भाई तूझे पसंद नही आ रही है क्या इतने सब मे से

अनुज - भैया दाम देख रहे हो कोई भी जीन्स हजार रुपये से निचे की नही है कैसे लू

मै - बक्क पगलेट पैसे की चिन्ता क्यू कर रहा है जो चाहिये लेले मेरे भाई मै हू ना

अनुज खुश होते हुए - सच मे भैया
मैने उसके कंधे पर हाथ रख कर हिलते हुए बोला हा भाई सच ,, अब बता कौन सा पसन्द किया

अनुज - अभी कहा भैया मै तो दाम देख के परेसान था अभी देख ले रहा हू।
फिर मैने और अनुज ने दो दो जीन्स और एक एक शर्त और टीशर्त लिये ।
मै - चल अब तो शॉपिंग हो गयी है तू रेस्टरूम मे इन्तेजार कर मै ऊपर देखकर आता हू।
फिर मुझे याद आया कि दीदी के लिए मोबाइल भी लेना और एक गिफ्ट भी
फिर मैने मोबाईल शोरूम की तरफ गया जो ग्राउंड फ्लोर पर ही था ,, वहा से मैने एक ब्राण्ड न्यू मोबाईल लिया जो कि 12 हजार का था , फिर मैने वो मोबाईल को गिफ्ट रैप करवा कर अनुज को दे दिया और बोला कि राखी पर दीदी के लिए गिफ्ट है खोल्ना मत ,,,अनुज अपनी खरीदारी से खुश था तो कोई सवाल नही किया । फिर मै फ़र्स्ट फ्लोर के लिए ऊपर जाने वाला था कि मुझे अमन दिखा जो मोबाईल कान मे लगाये सीढ़ी से छत पर जा रहा था ,,मै एक पल को सोचा ये अकेला यहा क्यू आया है और लेडिज फ्लोर पर क्यू जा रहा है कही दीदी से तो .....

मै इतना सोचते ही जल्दी से अमन के पीछे भागा और आहिस्ता आहिस्ता उसका पिछा करने लगा ,,, इसबिच अमन लगातार किसी से फोन पर बात किये जा रहा था और फ़र्स्ट फ्लोर पर जाकर अमन लिफ्ट की तरफ रखे ट्रॉली सेट्स के पास हो गया । तभी वो एक तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा और ठीक उसके सामने मेरी दीदी चल आ गयी और वो दोनो बाते किये जा रहे थे । समझ गया कि दीदी मे मोबाईल क्यू मागा और अमन यहा क्यू आया था । मुझे एक बार फिर से गुस्सा आने लगा ।इसी बीच दोनो लेडिज सेक्शन मे ट्रॉली लेके साथ मे ही निकल गए और गलियारे मे घूम घूम कर छिपते छिपाते एक दुसरे की उंगलिया पकड रहे थे । मै बहुत गुस्से मे था मन तो कर रहा था कि अभी जाकर अमन को पिट दू लेकिन मै मजबुर था। इसीलिये मै सही मौके का इंतजार करने लगा और फिर वो लोग लेडिज सेक्शन मे सबसे किनारे वाले हिस्से मे गये और वहा पर कुछ राजस्थानी चनिया चोली के इटेम थे जिससे उधर कोई था नही । ये लोग भी उसी कम्पाउंड के पास बैठ कर एक दुसरे को लिप टू लिप किस्स करने लगे ,, मेरे लिए यही सही मौका था और मै भी तपाक से उनके सामने आया

मै - ये सब क्या है दिदी
अमन - देख भाई तू गलत मत समझ मै सोनल से प्य.....
मै - मैने तुझसे कुछ पुछा क्या
दीदी - देख भाई जो भी बात करनी होगी घर पर करेंगे प्लीज अभी मान जा ,,
अमन - हा भाई प्लीज
मै - अब क्या बात करोगी आप दीदी मुझे नही करनी कोई बात आपसे
और मै तैस मे निकल आया ।
फिर मै मा और बुआ को खोजने निकला तो वो लोग मुझे साड़ीयो के सेल मे खड़ी दिखी

मै - क्या मा अभी तो चाचा के यहा से साडी ली हो अब फिर से

मा - अरे बेटा यहा साड़ियो पर भारी डिसकाउंट चल रहा था तो मैने और तेरी बुआ ने एक एक लेली हीहीहि
मै मा और बुआ को खुश देख कर सुकून मे था

मै - अरे बुआ आपने वो टीशर्त और घाघरा लिया की नही
बुआ - क्या बेटा तू सच मे मुझे पहनायेगा वही
मै - अरे लेलो ना बुआ प्लीज अच्छा लगेगा आप पर ,,,
बुआ - अच्छा चल ठीक है
फिर मै मा और बुआ हम लोग टीशर्ट वाले compartment मे गये वहा से बुआ की नाप की एक XXXL साइज़ की ब्लैक रंग की एक टीशर्ट लेली । फिर हम लोग स्कर्ट वाले सेक्शन मे गये और घूतने से थोडी निचे वाली बुआ के नाप की हल्के आसमानी रंग की स्कर्ट पसंद की

बुआ - अरे लल्ल्ला ये स्कर्ट तो छोटी है घुटनो से थोडी ही निचे रहेगी

मा - क्या हुआ दीदी वैसे भी घर मे ही पहनोगी ना कोई बात नहीं,, आप पर ये रंग खुब खिलेगा और प्रिंट भी प्यारा है इसका

इधर हम लोग शॉपिंग कर रहे थे कि दीदी आ गई और मै एकदम से चुप हो गया

मै - अगर सब लोगो की खरीदी हो गई हो तो चले बिल बनवा ले
मा - हा बेटा,,लेकिन अनुज कहा है दिख नही रहा
मै- मा वो ग्राउंड फ्लोर पर है
मा - अच्छा ठीक है
बुआ - और बेटी तेरा हो गया न खरीदी
दीदी - नही बुआ मुझे कुछ पन्सद नही आया , चलो घर चलते है

मै समझ गया दीदी मेरी वजह से परेशान थी इसीलिये कोई चीज़ नही ली

मै - ऐसा है आप लोग दीदी के लिए कुछ खरीद लो मै ऊपर जा रहा हू फ्रेश होने
दीदी - रुक भाई मै भी चलुंगी ,,, मा और बुआ आप लोग रुको मै आती हू

फिर मै और दीदी ऊपर जाने लगे ,,इस बिच ना मै दीदी को देख रहा था ना कुछ बोल रहा था । मुझे बखुबी पता था कि वो मेरे से बात करने ही आई हैं

दीदी - सॉरी भाई ,, प्लीज गुस्सा ना हो ,,
मै - क्यू ना होऊ दीदी ,,आप हमारे साथ समय बिताने निकले थे कि उसके , अभी तो मै था देखा , गलती से मा या बुआ या मुहल्ले के कोई लोग देख लेटे तो

दीदी चुप थी और उनकी आँखो मे आंसू ,, मै उनकी नम आँखों में देख कर पसीज गया ,,
मै - देखो एक ही बात पर मेरा गुस्सा कम होगा ,,, अगर आप कपडे लोगे तो हिहिहिही

दीदी मुस्कुराकर आँखे पोछने लगी और बोली - हम्म्म ठीक है लेकिन पसंद तू ही करना ठीक

मै - ठीक ,,चलो अब फ्रेश हो लो , मै भी आता हू होकर
फिर हम दोनो अलग अलग वॉशरूम मे गये और फ्रेश होकर बाहर आये तो खुसी मन से मा और बुआ के पास आये

फिर दीदी को प्ता चला कि बुआ ने टीशर्त और स्कर्ट लिया है तो वो बोली की मै एक सेट लुंगी गर्मी मे पहन्ने के लिये ,, लेकिन दीदी ने लॉन्ग स्कर्ट लिया था । फिर मैने दीदी के लिए एक प्यारा सा प्लाजो सूट पसंद किया जो सबको पसंद आया । फिर हम लोग निचे गये बिल्लिंग करवाया और घर के लिए निकल गये ।

रास्ते मे बुआ - अरे भाभी भईया की नयी वाली दुकान कहा है

मा - वो तो यही से थोड़ी दूर आगे वाली गली मे है ,, चलिये चलते है उधर के समोसे चाट बहुत टेस्टि होते है ,,,हीहीहि

अनुज - हा मा भूख लगी है मुझे भी
सब हसने लगे और फिर हम लोग पापा की दुकान पर पहुच गये जहा पापा बैठे थे और हमे एक साथ देख कर बहुत खुश हो गये और जब उनकी नजर गदरायी बुआ की कसी हुई जांघो पर गयी तो आगे आये तो बोले
पापा - अरे जीजी आप लोग यहा
बुआ - हा भईया सोचा घर जाते हुए आपसे मिल के ही चलू हिहिहिही
पापा - ऐसी बात है तो जाना क्यू है यही रहिये शाम को हम लोग साथ मे घर चला जाएगा हाहाहाहा
मा - क्या जी आप हमे बाहर ही खड़े किये रहोगे

पापा - अरें नही नही नही ,,, आओ चलो अंदर रेस्टरूम मे चलते है ।
फिर हम सब लोग रेस्टरूम मे आ गये और बैठ कर बाते करने लगे । फिर पापा ने हम सब के लिए ठंडा मगवाया और समोसा चाट भी । जहा हम लोग समोसा चाट का मज़ा ले रहे थे वही पापा एक टक बस बुआ की गदरायी जवानी को ताडे जा रहे थे ।

दिदी - पापा नल कहा है हाथ धुलना था
अनुज - चलो दीदी पीछे की तरफ है
मै - हा चलो मै भी चलता हू फिर वो लोग गोदाम के आखिरी में लगे नलके के पास जाने ल्गे
लेकिन मुझे तो पापा मा और बुआ के बीच की बात सुननी थी ,,लेकिन देखा वो लोग भी खड़े होकर हाथ धूल्ने आ रहे हैं तो मै भी अंदर की तरफ जाने को हुआ कि

पापा - अरे जीजी आपको शर्त याद है ना , चलो अभी मौका है नाप लो
बुआ - उसकी जरुरत नही है आप जीत गये भईया ,, वो आज करीम दर्जी के यहा मैने देखा था भाभी के ब्लाऊज का माप हिहिहिही

मा - अरे वाह तो आपको वो देना पडेगा जो ये कहेंगे
बुआ - हा भाभी ,,,वैसे क्या चाहिये आपको भैया

पापा - अभी समय ठीक नही है टाईम आने पर मै माग लुन्गा बस आप मत मुकर जाना

बुआ - मै नही मुकरंगी भैया आप ब्स याद से माग लेना हिहिजी चलो मै हाथ धुल के आती हू ,,,
फिर मै भी अंदर चला गया और हाथ धुले फिर हम लोग वापस घर आ गये । घर पहुचे तो 5 बज गए और आज का क्लास भी छूट गया था । फिर मैने दुकान खोली और 2 घन्टे बाद पापा भी आ गये । फिर थोडी देर बाद हमने दुकान बन्द की और ऊपर चले गये ।

जहा किचन मे मा और बुआ लगी थी । वही दीदी और अनुज अपने कपड़े देख रहे थे । मैने दीदी का मोबाइल पहले ही निकाल कर अपने बैग मे रख लिया था ।
पापा - अरे वाह बच्चो ल्गा रहा है आज बहुत ज्यादा शॉपिंग की गई है ।
फिर मा और बुआ भी कमरे मे आ गये ।

दिदी - पता है पापा आज बुआ ने एक मॉर्डन टीशर्ट और स्कर्त लिया और मैने भी ।
पापा तो खुशी से फुले नही समाए

पापा - अरे वाह जीजी आपने बताया नही की आपने ये ड्रेस भी लिया है
मा - अरे वो तो आपको कल पहन कर दिखाने वाली थी
पापा - ये तो बहुत अच्छी बात है , और तुमने अपने लिये नही लिया रागिनी टीशर्ट स्कर्ट

मा - धत्त ,,क्या जी आप भी मैने कभी पहना थोडी है
पापा - मै तो हमेशा कहता हू तुम भी जीजी की तरह थोडा फैशन वाले कपडे पहने करो

मै - मैने तो बोला कितनी बार लेकिन मा ने मना कर दिया
मा - तू चुप कर ,,, चलो बाते बहुत हो गयी अब खाना खा लो बहुत थक गई हू मै

फिर सब लोगो ने खाना खाया और छत पर चले गए टहलने । आज मै बहुत ज्यादा थक गया था तो सबको बोलकर निचे चला गया सोने क्योकि मुझे ल्गा आज मा भी थकी है तो कुछ होगा नहीं तो क्या फाय्दा जाग कर ,,, और बिस्तर पर आते ही मुझे निद लग गयी और मै एक गहरी नींद मे चला गया ।
रात के किसी पहर मे मुझे कोई आवाज सुनाई दी जो चुदाई की सिस्कियो और बेड के हिलने की थी । मेरी आंखे नींद मे जकड़ी थी तो मैने सर घुमा कर दाई तरफ देखा तो दो लोगो के बीच चुदाई चलने की एक धूमिल तस्वीर सामने आ रही थी। फिर मैने आँखो की पलको मे थोडा खिचाव किया लेकिन कोई फायदा नही था , मेरी आंखे जलने लगी थी भरसक । मेरी बहुत ही थोडी खुली आँखो से दो नंगे लोगो के बिस्तर पर ऊपर निचे होने की धुध्ली छवियां दिख रही थी । मै सोचने लगा लगता है कि पापा और मा दोनों चुदाई कर रहे हैं ,,, मेरे मन में ये विचार आया कि मा चुद रही है तो मेरा लण्ड अकडने लगा । मगर मै बेबस था चाह कर भी वो नजारा नही देख पा रहा था । एक तरफ मेरी आँखो को निद की जरुरत थी वही मेरे लण्ड को चुत की जरुरत मह्सूस होने लगी । ऐसे ही कसमकस के बीच मुझे पापा की आवाज सुनाई दी जिससे मै पूरी तरह से हिल गया और मेरी धद्कने भी तेज होने लगी ,,,मुझ उस चीज़ की मेरे सामने होने की उम्मीद नही की
और वो बात थी
पापा - अह्ह्ह्ह दीदी क्या गरम चुत है तुम्हारी



दोस्तो ये क्या हो रहा है , राज जब छत पर से सोने निचे आया तो इस बीच ऐसा क्या हुआ की उसके पापा बुआ को चोद पा रहे थे । देखते है अगले अपडेट मे ,, आप सभी अपने विचार रखे ।
 
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एक तरफ मेरी आँखो को निद की जरुरत थी वही मेरे लण्ड को चुत की जरुरत मह्सूस होने लगी । ऐसे ही कसमकस के बीच मुझे पापा की आवाज सुनाई दी जिससे मै पूरी तरह से हिल गया और मेरी धद्कने भी तेज होने लगी ,,,मुझ उस चीज़ की मेरे सामने होने की उम्मीद नही की
और वो बात थी
पापा - अह्ह्ह्ह दीदी क्या गरम चुत है तुम्हारी

अब आगे

जैसे ही मेरे कानो मे पापा की ये आवाज आई ,,, मै सन्न रह गया कि ये कब हुआ कैसे हुआ । आखिर बुआ कैसे मान गई कही शर्त के बदले तो राजी नही ना हुई है ,, और मैने सारी रसभरी पलो को खो दिया जो बुआ और पापा के चुदाई से पहले हुई होगी । मै अपने आप को कोसने लगा कि साला क्यू मै सो गया और एक नये मज़े को किरकिरा कर दिया खुद ही । एक तरफ जहां मै बंद आँखो से मन ये सब सोच रहा था वही मेरे बगल मे पापा बुआ को घपाघप चोदे जा रहे थे और बुआ सिस्के जा रही थी । पापा लगातर बुआ के जिस्मो के बारे मे तारिफ करते हुए उन्हे चोदे जा रहे थे । धिरे धीरे मेरा मन थोडा शांत हुआ और इस बात के उत्तेजित होने लगा की पापा मेरे बगल मे ही बुआ को चोद रहे हैं । इसी बीच मुझे मा की आवाज सुनाई दी

मा - हा राज के पापा चोदिये अपनी जीजी को ,,,और तेज हा
पापा - हा जान आज तो सच मे बहुत मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्ह मेरी शिला जीजी आह्हह आपके चुचे अह्ह्ह्ह

मै मा आवाज सुन कर और शौक मे था कि मा भी शामिल है इस चुदाई मे ,,, लेकिन अगर ऐसी बात थी तो ये लोग छत पर भी तो कर सकते थे फिर यहा क्यू रिस्क ले रहे है ,,, अब तक मेरी सबर का बान्ध टुट चूका था ,,, मेरे मन मे था कि अगर ये लोग बेशर्म होकर बिना मेरी फिक्र किये मज़े ले रहे हैं ।

फिर मैने धीरे से गरदन को बाई तरफ किया और अपने बाए हाथ से दोनो आँखो मे जमे कीचड़ की रगड़ कर साफ किया ,, लेकिन ऐसा करने से मेरी आँखों मे और जलन होने लगा लेकिन मेरे लण्ड की जलन के आगे ये कुछ भी नही था फिर थोडी कोसिस करके मैने धीरे धीरे आंखे खोली तो अब कुछ कुछ दिखने लगा इस दौरान मुझे एक धुआंधार चुदाई की रसिली आवाजे सुनाई दे रही थी और फिर मैने जैसे ही मुंडी दाई तरफ घुमायी मेरी आखों मे चमक वापस आ गई और मेरे चेहरे खिल गये ,,

दरअसल बात ये थी पापा मा को बुआ बना कर उन्हे चोद रहे थे और मा पापा के लण्ड को उत्तेजित करने के लिये बार बार बुआ का नामसे उनको चढा रही थी ,,, जैसे ही मैने देखा पापा बुआ को नही बल्कि मा को चोद रहे है खुश हो गया था ,,, तभी मेरी नजरे पापा और मा पर गयी जहा मा मेरे पैर के साइड सर करके लेती थी वही पापा मा की जन्घे उठाए हुए घपाघप मा की चुत मे लण्ड डुबोये जा रहे थे। मै अब खुश था क्योकि मै चाहता था जब पापा बुआ को पहली बार चोदे तो उस समय मै भी वो नजारा देख सकु ।

फिर ऐसे ही विचारो मे खोया खोया वापस से आंखे बंद कर लिया ,,,क्योकि मा और पापा की चुदाई की आवाजे मुझे लोरी सी लगने लगी ,,अखिर बचपन से सुनता देखता आया जो था । रात मे ऐसे ही कब मै सो गया पता नही चला । सुबह मेरी आंख खुली तो 7 बज रहे थे । मा और पापा ऊपर चले गए थे , मै भी उठा और छत पर चला गया । जहा पापा और अनुज बैठ कर नास्ता कर रहे थे वही दीदी और बुआ किचन मे थी । लेकिन मा कही दिख नही रही थी । मैने किचन मे देखा तो दीदी नहा चुकी थी क्योकि उनके कपड़े बदले हुए थे वही बुआ ने कल वाले ही कपडे पहने थे मतबल वो नहाई नही थी ।
फिर मै ऊपर जाने लगा तो पापा- अरे बेटा कहा जा रहा है
मै - नहाने और फ्रेश होने पापा
पापा- अरे लेकिन अभी तो तेरी मा गई है ऊपर नहाने
मै- तो क्या हुआ मुझे पहले टॉयलेट जाना है न

अनुज हस्ता हुआ - क्यो भईया रात मे ज्यादा खा लिये थे क्या
और उसकी बात सुन कर सब हसने लगे
मै - आप लोग करो बहस मुझे बहुत तेज लगी है
इस पर भी सब हसने लगे ।

मै भी जल्दी से ऊपर गया और खाली करने ल्गा फिर मै निकला तो मुझे हाथ धुलना था लेकिन बाथरूम अन्दर से बंद था और अंदर मा नहा रही थी क्योकि अंदर से पानी की आवाज सुनाई दे रही थी ।
मै सोचने लगा मा अंदर क्या सारे कपडे खोल कर नहा रही होगी और कैसे अपने चुचो मे साबुन मल रही होगी , कैसे चुत को हथेली से भर कर रगड़ रगड़ कर साबुन लगा रही होगी । ये सोचते ही मेरा लण्ड हाफ चढ़ढे मे खड़ा होने ल्गा मैने उसको ऐडजस्ट करते हुए सोचा क्यू ना मा से दरवाजा खुलवा कर सुबह सुबह उनके अनमोल रत्नो के दर्शन किये जाये और साथ मा के साथ थोड़े मज़े भी कर लूं । यही सोच कर अपने टीशर्ट और हाफ चढ़ढे को बाहर ही निकाल दिया और एक बनियान अंडरवियर मे मैने दरवाजा खटखटाया

मा - कौन है बाहर अभी मै नहा रही हू ,,,
मै - मै हू मा राज ,,, मुझे हाथ धुल्ना था दरवाजा खोलिये
मा - अरे रुक जा बेटा बस 5 मिंट
मै - क्या मा तब तक मै ऐसे गंदे हाथो क साथ रहूँगा क्या

मा को मेरी फ़िकर हुई और बोली - अच्छा और कौन है बाहर
मै - कोई नही है मा सब निचे है
मा - अच्छा ठीक है रुक एक मिंट मै खोल रही हू
मै काफी खुश हो गया और जानबुझ कर लण्ड को उठा कर अपने अंडरवियर मे एक नुकिला टेन्ट बना लिया हालाँकि ऐसा करने से मुझे थोडा दर्द हो रहा था लेकिन मा को थोडा रिझाने के लिए इतना जरुरी लग रहा था ।

फिर ने दरवाजा खोला और खुद दरवाजे के पीछे थी

मा - चल जल्दी अन्दर आ जा और धुल के हाथ ,,

सबसे पहले मेरी नजर मा के दरवाजे से झाकते हुए चेहरे और एक नंगी बाह पर गई तो मेरी आंखे चमक गई और मुझे लगा की मा अन्दर पूरी नंगी होगी ,,, मुझे एक शानदार मौका दिखने लगा , मै खुश होकर अंदर गया तो झट से मा ने दरवाजा बंद कर दिया ,, जब मेरी नजर मा पर गयी तो मा सिर्फ पेतिकोट मे थी और उसके रसिले चुचे पुरे तरह से नंगे थे । जो नहाने के बाद और भी ज्यादा मुलायम लग रहे थे और उनकी गहरे भूरे रंग के मुनक्के वाली निप्प्ल पर कुछ पानी के अंश ऐसे चमक रहे थे जैसे मानो मा की चुची को सजाया गया हो ।

मा की नजर जब मेरे पर गयी तो पाया की मै उनकी नंगी चुचियो को घुरे जा रहा हू और उसी से मेरा लण्ड तन कर खड़ा है
मा मुस्कुराते हुए - अब नही जल्दी हो रही है तुझे हा
मै हड़बड़ा गया और टोटी खोल कर अच्छे से हाथ धुला और वापस घुमा तो मा ने ब्लाऊज डाल लिया था बस बटन बंद कर रही थी

मै - अरे मा ये क्या कर रही हो
मा - क्यू अब नहा ली हू तो कपडे भी ना पहनू
मै - अरे मा लेकिन बिना ब्रा के
मा ह्स्ते हुए - हीहीहि तेरे चक्कर मे मै तो भूल ही गई,, जरा वो ब्रा उतार के दे
मा मे वापस ब्लाउज निकाल दिया। मैने भी ब्रा उतारा और उस पर लगी स्टीकर को पढने लगा
मा - क्या कर रहा है बेटा ला जल्दी
मै - मा इसपे तो 40 का साइज़ लिखा है लेकिन आप तो 38 का पहनते हो ना
मा - हा वो इस महीने मेरे साइज़ बढ़ गये है बेटा
मै - वो कैसे
मा मुस्कुराते हुए - क्या बताऊ अब तुझे कैसे ,,,
मै - बताओ ना मा
मा - धत्त पागल,, कैसे बढ़ता तुझे नही पता क्या
मै - कहा पता है आप तो मुझे सिखाने वाली थी ना ,,,बताओ ना कैसे
मा - बेटा वो तेरे पापा ने पिछ्ले कुछ दिनो ने तेरी मौसी और बुआ के चक्कर मे इतना मसला है इसिलिए,,,,अब समझ गया ना सब कुछ मेरे मुह से निकलवाना चाहता है ये लड़का
मै - अरे तो आप मा हो ना आप नही ब्तओगे तो कौन बतायेगा ये सब
मा हस्ते हुए - हमम ये भी है
मै मा के चुचो को घुरते हुए एक छोटे बच्चे की तरह -- मा मुझे दूध पिला दो मन कर रहा है

मा ने एक बार अपने नंगे चुचो को देखा फिर मेरे तरफ नजर मेरे ऊपर नजर मारी फिर मेरे खड़े लण्ड को देखा ,,,

मा - नही बेटा निचे जाना है सब राह देख रहे होते है ना ,,, और कल रात मे तेरे पापा ने मुझे तेरी बुआ बना कर कुछ ज्यादा तेज मसल दिया है मेरे दूध को इस टाईम दर्द है ,,,,
मेरा चेहरा उतर गया ,,,इतना हसिन खजाना मेरे सामने था लेकिन मै बेबस था कुछ न कर पाने को जिससे मेरा लण्ड भी बैठने लगा कि अब कुछ नही होने वाला है

मा ने मेरा लटका चेहरा देख कर बोली - तू चिन्ता ना कर दोपहर मे दुकान मे आऊंगी तब कर लेना

मै खुश हो गया और मा के गाल पर पप्पी दी और बोला - थैंक्स मा ,,,

फिर मा ने ब्रा पहनी और ब्लाऊज पहना फिर बाकी कपडे छत पर डाल कर ब्लाउज पेतिकोट मे ही निचे चली गई । मै भी जल्दी से नहा लिया और नीचे चला गया तब तक पापा भी चले गये थे दुकान मै भी नास्ता किया और चला गया दुकान पर अपने ।

कारिब 10 बजे मै दुकान मे मोबाइल चला रहा था तो उसी समय बुआ निचे आई ,,, ओहोहो कसम से कयामत लग रही थी बुआ उस ब्लैक टीशर्ट और हल्के आसमानी स्कर्ट मे ,,,, बुआ के चुचे पुरे टीशर्ट मे कस कर फैले थे और उनके मोटे दाने वाले निप्प्ल मानो छेद कर बाहर आ जायेगे ,,, और बुआ की मस्त गदरायी गाड़ इतनी उभरी हुई थी कि उनका स्कर्ट पीछे से घुटनो के एक बीते तक ऊपर हवा मे लहरा रहा था ,,, सच मे आज बुआ एकदम भोजपुरी फिल्मों की रानी चटर्जी लग रही थी ,,, उनके चुचो का उभार उन्के सीने से 5 से 6 इन्च तक का लग रहा था ।
मै बुआ को देखते ही मस्त हो गया और मेरा तुरंत लोवर मे खड़ा हो कर बुआ की रसदार गदरायी जिस्म को अपनी सलामी देने लगा ।
मै बुआ मे खोया हुआ था तभी
बुआ - बेटा जरा अपनी कम्मो बुआ के पास फोन लगाना ,, कल रक्षा बंधन है तो वो कब तक आ रही है यहा

मै खुश होते हुए - अच्छा हा ,,, वैसे बुआ आप सच मे हेरोइन लग रही हो एक दम भोजपुरी फिल्मों वाली ,,, वैसे ही मोटे मोटे उभार और पीछे

बुआ मुस्कुराते हुए - चुप बदमाश पहले कम्मो को फोन ल्गा ।
मै भी ह्स्ते हुए कम्मो बुआ को फोन लगा कर बुआ को दे दिया और फिर 2 मिंट बाद बुआ ने मेरे फोन वापस कर दिये ।

मै - क्या हुआ बुआ क्या बोली कम्मो बुआ
बुआ - अरे बेटा घर पर भी रिस्तेदार बहुत ज्यादा आये है न तो वो कल दिन मे आयेगी और कल ही चली जायेगी राखी बाँध कर
मै - क्या ,,, हम लोगो से बिना मिले ही
बुआ - हा बेटा वो मेरी दोनो नंद और मेरे ससुर की छोटी बहन आई है तो वो कैसे उन लोगो को छोड कर आयेगी
मै - हा ये भी सही बात है चलो कोई नही आप हो ना मेरे लिए

बुआ - अच्छा क्यू क्म्मो बुआ आती तो क्या उनके साथ भी वही सब करता क्या
मै - इतनी अच्छी किस्मत कहा बुआ ,,,जो आपके साथ कम्मो बुआ भी
बुआ - किस्मत का क्या भरोसा बेटा , कल को तेरा ये भी सपना पूरा हो जाये हीहीहि

मै खुश होते हुए - अरे वाह बुआ आपने तो मुझे खुश कर दिया
बुआ - हमम तब मेरे लिए कोई तोहफा लाओ
मै - रात मे लोगी या अभी हिहुहिही
बुआ - चल बदमाश बहुत शरारती हो गया है । चल मै अब उपर जा रही हू अभी छोटे को खाना देने जाना है

मै - यही पहन के जाओगे क्या बुआ
बुआ - हा अब यही पहना है आज तो यही पहन के जाउंगी ना
मै - ध्यान देना बुआ कही चाचा भी ना पापा की तरह ,,,हाहाहाहाहाहा
बुआ - तू ना ,,,वैसे भी छोटे को उसकी बीवी के अलावा कोई नहीं दिखता ,,, वो तो मेरे तरफ देखता ही नही ।
मै - हा लेकिन आज बात कुछ अलग है ना
बुआ शर्माने लगी - धत्त ऐसा कुछ नही है तू भी ना ,,,अब जाने दे मुझे
मै ह्स्ते हुए - मैने कब पकड़ा आपको ,,कहो तो तो पकड़ लू चलो कमरे मे हिहिहिहिह
बुआ - अरे वैसे नही अपनी बातो से छोड मुझे पागल हीहीहि
फिर बुआ ह्स्ते हुए ऊपर जाने लगी ।
फिर थोड़े समय बाद बुआ के साथ मा भी निचे है दो बैग लेकर ।
मा - बेटा ये ले जा पापा को टिफ़िन देते आ और तेरी बुआ चाचा को दे देंगी

मै टिफ़िन लेकर निकल गया और पापा को देकर 25 मिंट मे वापस आया ।
तो देखा मा मेरी ही राह देख रही थी

मा - बेटा ये ले खीर वाली टिफ़िन और चाचा के यहा दे आ ,,, जलदी जल्दी मे मै भूल गयी
मै - अरे मा इतना टाईम हो गया अब तो चाचा खा भी लिये होगे

मा - अरे तो क्या हुआ तू लेके जा खा लेंगे वो ना
मै - अच्छा ठीक है मा लाओ
फिर मैने वो टिफ़िन लिया और चाचा के यहा चला गया तो देखा की शटर आधा गिरा है ,,,मुझे ल्गा शायद खाना खाने बैठे होगे अन्दर इसिलिए आधा शटर निचे है । मै भी झुक कर अंदर गया तो दुकान मे कोई नही था ,,,, मुझे लगा कि अंन्दर हॉल मे बैठ कर खा रहे होगे क्योकि चाचा का घर बड़ा था ना ।
तो मै गलियारे से होते हुए जैसे जी हॉल वाले कमरे के पास पहुचने वाला था की मुझे अंदर से टीवी की आवाजे आने लगी थी ,,,तो मै भी नोर्मली बुआ को आवाज लगाते हुए हाल मे घुसने वाला था कि

मै - बु...... मेरे शब्द मुह मे रह गये और आँखे बड़ी हो गयी क्योकि अंदर का नजारा ही ऐसा था ।
हाल मे चाचा एक सोफे पर बैथे थे और उनका च्ढ़्ढा निचे पैरो मे था और बुआ अपनी स्कर्ट को उठाए घपाघप चाचा के लण्ड पर अपनी गान्ड पटके जा रही थी ,,, लेकिन हॉल मे टीवी के आवाज मे इनकी आवाज खो गयी थी । और खाना वैसे का वैसे बैग मे सोफे के सामने टेबल पर रखा था
मेरा माथा ठनका सोचने ल्गा कि साली ये बुआ कितनी बड़ी रन्डी है अभी बोल रही थी कि चाचा उसको देखते नही और यहां कूद कूद लण्ड लिये जा रही है । मैने तुरंत जेब से मोबाईल निकाला और रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और अभी एक मिंट की रिकॉर्डिंग हुई ही थी की चाचा झड़ गये थे । मुझे हसी आई साला ताकत है नही और इतनी रन्डी माल चोदने चला था ,,, चुदाई खत्म हो गयी थी लेकिन मेरे काम लायक की क्लिप मैने मोबाइल मे रिकॉर्ड कर ली थी ।

अभी मुझे चाचा की आवाज सुनाई दी
चाचा - थैंक यू दीदी आज आपने मेरे लिए जो किया वो जिन्दगी भर नही भूलूंगा

मै सोच मे पड़ गया कि चुत ही तो दी है ऐसा और क्या किया बुआ ने

बुआ - अरे छोटे तू मेरा भाई है और अपने ही अपनो के काम आते है ना ,,, अब तु इतने दिन से अकेला था तो तेरी तकलीफ समझ सकती हू मै ।

चाचा - लेकिन फिर भी कोई बहन अपने भाई के लिए ये त्याग नही करेगी
बुआ - एक तो बहन बोलता है और ऊपर से कहता है कौन करेगा त्याग ,,, देख छोटे तु कितना भी बड़ा हो जाये लेकिन मेरे लिए वही छोटे ही रहेगा ,,,, मेरे लिए अपने बहन भाईयो के लिए प्यार कभी कम नही होगा ,,

बुआ - आज तू 4 दिन से शालिनी ( चाची) के बिना परेसान था और अभी दुकान मे थोडी देर पहले उस औरत ने तुझे भला बुरा कहा जब तू उसके दूध को घुर रहा था वो तेरी परेशानी नहीं समझ सकती ना इसीलिये तुझे उल्टा सीधा कह कर चली गई,,

चाचा - हा दिदी ,,, सही कह रही है आप लेकिन आपको कैसे पता चला कि मै शालिनी ( चाची) के बिना परेसान हू ।
बुआ मुस्कुराते हुए - अरे छोटे मै एक औरत हू और मर्दो के हाव भाव बखुबी समझती हू ,,, और मेरा अपना भाई तकलीफ मे हो तो मै कैसे देख सकती हू इसिलिए मैने तेरे साथ साथ किया ।

चाचा - लेकिन अभी तो शलिनी एक हफ्ते बाद आयेगी ना
बुआ मुस्कुरा कर - हा जब वो आयेगी तभी मै जाउंगी ना घर हीहीहि इस बिच जब भी तुझे शालिनी की जरुरत मह्सूस हो मुझे बुला लेना

चाचा ने बुआ का हाथ पकड़ा और उनके होटों को चूम लिया और बोले - दीदी मुझे तो रोज दिन रात शलिनी की जरुरत मह्सूस होती है तो क्या

बुआ - रात मे तो भईया के यहा ही रुकूंगी और अब ऐसे अचानक से तेरे यहा कैसे रुक सकती हू ,,हा रोज दोपहर मे खाना लेके मै आती हू ना

चाचा खुश होते हुए - ठीक है दीदी मै मैनेज कर लूंगा
बुआ - ठीक है चल अब खाना खा ले देख कबसे पडी है
चाचा - नही दीदी अभी नही खाना है मुझे
बुआ - फिर कब
चाचा - वो मुझे शलिनी की थोडी कमी और मह्सूस हो रही हैं ऐसा बोल के चाचा ने बुआ के सामने अपना लण्ड मुस्कुराते हुए सह्लाया
बुआ - धत्त पगलू ,,,, इतना होने के बाद भी शर्मा रहा है ,,, सीधा बोल ना कि दीदी को एक बार और चोद्ना है हिहिहिही

चाचा - हा दिदी ,, और आज आप बहुत मस्त लग रही हो ,,, मै कितना पागल था जो इतनी मस्त माल के रहते हुए भी लण्ड हिला रहा था ,,, चलो ना दीदी एक बार और करते है ।

मै ये सब देख सुन कर सारा माजरा समझ गया कि कैसे 30 मिंट मे बुआ जैसी रन्डी औरत ने नये लण्ड के लिए चाचा का फायदा उठा लिया और साथ मे उत्तेजित भी होने लगा लेकिन मुझे आये 20 मिंट हो चुके थे और मै ज्यादा देर नही रुक सकता था नही तो मा सवाल करती
इसिलिए मै वापस दुकान मे आया और चाचा को आवाज दी । फिर चाचा भी अंदर से आवाज देते दुकान मे आये

चाचा - अरे राज बेटा तू कब आया ,,
मै - अरे चाचा मै तो कबसे आया हू और आवाज दे रहा हू ,,, क्या कर रहे थे आप अंदर और बुआ कहा है

मेरी तीखी सवाल जवाब से चचा झेप गये और उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था

मै हस्ते हुए - हाहहाहाहाहा क्या चाचा आप भी ,,,ये लिजीये खीर वाली टिफ़िन ,, बुआ घर पर ही भूल गयी थी
चचा - ओ ये टिफ़िन
मै - ठीक है चाचा आप ये शटर पुरा निचे कर लो मै आया तो एक कुत्ता यहा घुसा हुआ था ,,

चाचा- हा हा बेटा मै बंद कर लेता हू तू जा
मै भी वापस घर की तरफ हस्ते हुए निकल गया हहहहहहा

घर आया तो मा की डांट भी मिली
मा - कहा रह गया था तू इतनी देर खाना नही खाना क्या
मै - हा मा खाऊंगा वो रास्ते मे एक दोस्त मिल गया था तो वही बात करने लगा
मा - ठीक है जल्दी जा ऊपर तेरी दीदी से बोल कर खाना खा ले
मै ऊपर चला गया ।


अब देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है ।
चुकि राखी को एक दिन ही रह गये है तो क्या राज की मा उसके पापा के लिए बुआ को फसा पायेगी या कोई नया धमाल होगा ।

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घर आया तो मा की डांट भी मिली
मा - कहा रह गया था तू इतनी देर खाना नही खाना क्या
मै - हा मा खाऊंगा वो रास्ते मे एक दोस्त मिल गया था तो वही बात करने लगा
मा - ठीक है जल्दी जा ऊपर तेरी दीदी से बोल कर खाना खा ले
मै ऊपर चला गया

अब आगे
मै ऊपर आया और दीदी को आवाज दी तो बेडरूम मे बाहर आई

मै - दीदी खाना लगा दो
दीदी - ठीक है बैठ मै लगा देती हूँ
फिर दीदी खाना लेके आई, टेबल पर खाना रखा और मेरे बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई

मै मुस्कुराते हुए - आप भी खओगे क्या दीदी मेरे साथ
दीदी - अरे नही नही तू खा ले ,,मुझे तेरे से कुछ बात करनी है कल को लेकर
मै चुप हो गया और खाना खाना शुरू कर दिया

दिदी - भाई वो कल अमन आये थे ना तो वो जो हुआ मॉल मे उसके लिये सॉरी
मै खाना खाते हुए दीदी की तरफ एकदम फोकस नही किया और नजर प्लेट में रखे हुए ही बोला - हम्म्म ठीक है

दीदी को लगा मै अब भी नाराज हू तो वो फिर से बोली - भाई प्लीज नाराज ना हो वो मैने बस उनको मिलने को बुलाया था लेकिन वो ही जिद करने लगे कि करना करना है ।

मुझे दीदी को लपेटने का मौका मिल गया
मै - हा तो आप उसे भी डांट सकती थी जैसे मुझे उस दिन छत पर डाँटा था ,,,
दीदी - तू मेरा भाई है राज और वो
मै - तो क्या मुझसे बढ़ कर है वो
दीदी - तू क्या बात कर रहा है राज ,,, समझ मै अमन को प्यार करती हू और तुने उस दिन छत पर जो किया वो गलत बात है
मै - अच्छा मतलब आप मुझसे प्यार नही करते हो ना
दीदी - नही भाई मै तुझसे भी उतना ही प्यार करती हू ना
मै - तो उस दिन मुझे डाटा क्यू ,,, ऐसा भी तो नही है कि अमन ने आपको उस नजर से नही देखा होगा
दीदी को लगा मै अभी नादान हू और भोला भी
दिदी - भाई तू बहुत भोला है रे ,,, मै तेरे साथ वो सब नही कर सकती हूँ वो हक सिर्फ पति का होता है
मै - तो क्या वो आपका पति है अब
दीदी - अभी नही लेकिन शादी के बाद तो होगा ना
मै - लेकिन अभी तो नही ना हुई है आपकी शादी फिर वो गैर हुआ ना ,,, और मै आपका सगा भाई हू फिर भी मुझे डाटा और वो अभी कोई नही है फीर भी उसको .....
दीदी को लगा मै तो एक ही बात को पकड कर बैठा हू । एक बॉयफ्रेंड और भाई का रिश्ता के क्या क्या मायने होता है वो मै नही समझ पा रहा हू ।
दीदी मुझे बार बार समझाती लेकिन मै जानबुझ कर उनको एमोशनली भाई बहन के रिश्ते को लेकर बात को घुमा देता था.... आखिरकार दीदी को लगा कि मै ऐसे नही मानने वाला,,, और वो उठी और मुझे किचन मे ले गयी
दीदी - चल हाथ धुल और कुल्ला कर ले ,
दिदि का मूड बदला लग रहा था कि कहीं वो गुससे मे वापस ना मा को बताने की जिद कर ले ,,,, लेकिन हुआ वो जो मेरे अनुमान और मेरे सोचे हुए विचारो के बिलकुल उलट हुआ

जैसे ही मैने कुल्ल कर के हाथ धुल कर फ्रेश हुआ तो दीदी ने मुझे एक रुमाल दिया
दीदी - ये ले और मुह साफ कर
फिर मैने मुह साफ किया और रुमाल दे दिया
दीदी - चल अब अपनी आंखे बंद कर और जब तक मै ना बोलू खोलना मत
मै चौकते हुए - क्यू
दीदी - जितना बोल रही हू कर तू पहले
मै चुपचाप आंखे बन्द किया - अब कितनी देर तक बंद रखना है दीदी

मेरे सवाल का जवाब जो दीदी ने दिया वो मेरे लिए एक अनमोल पल बन गया क्योकि जवाब मे दीदी ने अपने नाजुक होठ मेरे होठो से जोड दिये थे और मेरे निचले होठ को अपने दोनो होठो से खिच कर चूसने लगी ,,,, पहले तो मै चौका लेकिन फिर लगा दीदी ने खुद पहल की है तो उन्के चेहरे को पकड कर मै भी उनका साथ देते हुए उन्के उपरी मुलायम रसिले होठो को चूसने लगा । करीब दो मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई और अपने गीले होठ को अपने एक हाथ से साफ किया ।

इस दौरान मै यही दिखा रहा था कि मै शौक मे हू
दीदी - यही चाह्ता था ना तू भी ,,इसी बात की जलन थी ना वो मुझे किस्स किया और तुझे कुछ नही मिला ,,, अब तो समझ मै तुझे भी प्यार करती हू ।

मै - हा लेकिन जब पकड़ी गयी तभी ना की हो आप,,, नही तो कभी जताते ही नही कि आप हमसे प्यार करते हो ,,, हमेशा डाटा ही है आपने मुझे

दीदी - कुछ भी किया हो लेकिन तू अमन से अब भी एक कदम आगे है समझा हिहिहिही
मै - वो कैसे
दीदी - कुछ नही छोड अब निचे जा मा को भी खाना खाने भेज
मै जिद करते हुए - बताओ ना दीदी प्लीज
दीदी - तुने तो बिना कपड़ो के मुझे देखा है और अमन ने सिरफ किस्स किया ,,,ये बोल के दीदी शर्मा गयी और पीठ मेरी तरफ कर ली

मैं भी मौके का फायदा उठाकर उन्के पास गया और उन्के एक कंधे पर हाथ रख कर बोला - तो आपको नही लगता की अमन से ज्यादा मेरा हक है आप पर ,,

दीदी - हा भाई ये सही है लेकिन
मै - दिदी हम दोनो बचपन से एक दुसरे के साथ है , हमने चीज़ हर बात सब कुछ एक दुसरे से साझा किया है तो क्या वो प्यार किसी के आने से कम कर दोगे आप
दीदी - नही भाई मै ऐसा नही चाहती हू ,, लेकिन मै अमन से बहुत प्यार करती हू और उसी से शादी करना है मुझे
मै - मैने तो ये नही कहा ना कि आप उससे प्यार करना बन्द कर दो ,, लेकिन क्या आप उसके लिये मेरे हिस्से का प्यार नही दोगे मुझे ।

इस वक़्त मै सच मे इमोसनल हो गया था ,,, मेरा हवस अब धीरे धीरे दीदी के एक प्यार का रूप लेने लगा ,,, मुझे इस बात का दिल से दुख होने लगा कि दीदी अमन से प्यार करती है ।लेकिन तभी दीदी ने मेरे अंदर एक उम्मीद की किरण दिखा दी ।

दीदी - भाई मै नही जानती थी कि तू मेरे से इतना प्यार करता है ,,लेकिन अब मै अपने दिल के हाथो मजबुर हू ,,मै अमन को छोड नही सकती ,, लेकिन

मै - क्या दीदी बोलो न
दीदी - लेकिन मै तेरे हिस्से का प्यार तुझे हमेशा दूँगी भाई ,,

मै खुश हो गया और दीदी को पीछे से उनकी कमर मे हाथ डाल कर पेट को कसा और उन्के कन्धे पर सर रखा और बोला - थैंक्स दीदी ,, आई लव यू

दीदी ने भी एक हाथ मेरे जुड़े हुए हाथो पर रखा और दुसरे हाथ से मेरे गाल को छुते बोली - आई लव यू टू भाई
दीदी - चल अब जा निचे

मै - नही रहने दो न दीदी कितना अच्छा लग रहा है ।
दीदी मुझसे छूटने की कोशिस मे हसे जा रही थी क्योकि जब भी वो मेरे हाथ हटाती मै उनकी मुलायम पेट मे गुदगुदी करने लगता

दीदी - छोड दे भाई अब ना ,,, देख कही अनुज ना आ जाये
मै चौक गया और उनको छोड दिया । वो मौका पाते ही बेडरूम मे भाग कर दरवाजा बंद कर ली ।

कमरे के अंदर से ही
दीदी - चल चल अब जा ,,बड़ा आया था दीदी का अशिक़ बनने ,,,हहिहिहिही

मै - कब तक बच के रहोगी दीदी देखता हू
फिर मै हस्ते हुए निचे आ गया फिर मा ऊपर चली गई और मै खुश था कि दीदी अब मेरे हाथ मे जल्द आने वाली थी।

करीब 2 बजे तक बुआ आई ,,, जैसे ही मेरी नजर बुआ पर गयी तो मुझे चाचा और बुआ की चुदाई याद आ गयी । मैने सोचा रात मे कुछ होगा नही और कल रक्षा बंधन पर मुझे नाना के यहा जाना है मा को लिवा के तो क्यू ना अभी दिन मे कुछ मज़ा ले लू
बुआ छत पर जाने लगी
तो मै उनको रोकते हुए

मै - बुआ रुको ना कहा जा रही हो
बुआ - बेटा ये खाने का डब्बा धुलने के लिए ले जाना है ना

तभी मा निचे आ गई और बोली - अरे दीदी रख दो यही अभी चला जायेगा ,,,,

आओ बैठो बात करते है वैसे भी कल मै चली जाऊंगी दो दिन के लिए मायके

बुआ - दो ही दिन क्यू भाभी आराम से रहो न एक हफ्ते मै हू ना यहा

मा - अरे दीदी घर का ख्याल तो रख लोगी लेकिन इसके पापा का क्या हिहिहिही

बुआ - क्यू मै अपने भईया का ख्याल नही रख सकती क्या
मा - हा लेकिन कैसे रखोगी बताओ जरा
बुआ - अब भईया रहते तो ना दिखा के बताती मै
मा - अरे तो क्या हुआ राज है ना

मा ने जैसे मेरी पहल की मै खुश हो गया और बोला - हा मा मुझे भी सिखना है ,,प्लीज

मा - लो अब तो ये भी तैयार है ,तो क्या कहती हो दीदी
बुआ मुस्कुराते हुए - अरे भाभी अभी तो ये बच्चा है
मा - हा तो इसको सिखाना भी पडेगा ना कि कैसे कैसे क्या होता है ,,,, इसी बहाने ये सिख भी लेगा और मै भी देख लुन्गी की मेरे गैर हजिरि मे मेरे पति खुश रह पायेंगे या नही

बुआ - चल लल्ला कमरे मे ,,,

फिर मै और बुआ कमरे मे गये , मा कमरे के दरवाजे के बाहर स्टूल लगा कर बैठ गयी ताकि कमरे के साथ दुकान मे भी नजरे बनी रहे ।

मै बहुत खुश था कि मुझे मा के सामने अपना जलवा दिखाने का मौका मिलेगा । मा के सामने मै बुआ को चोदन्गा ये सोच कर ही मेरा लण्ड पुरा का पुरा अकड गया था ।

मा - तो शुरू करो दीदी अब
बुआ और मेरे बिच सब कुछ हो गया था पहले ही लेकिन हम लोग भी जानबुझ कर नाटक कर रहे थे ।

मै - बुआ पहले क्या करते है ,, मै दूध पियुन्गा पहले

मा हसने लगी - क्या तू भी बच्चो की तरह दूध पीने को बोल रहा ,,,

मा बुआ को - दीदी जरा इसके नुन्नु को अपने जीभ की कलाबाजी से वाकिफ तो कराओ तब ये समझेगा औरत का सुख हीहीहि
बुआ - हा भाभी देख रही हू बहुत नादान है ये ,, और मेरे तरफ देख कर मुस्कुराने लगी ।
मै भी बुआ की नाटक मे शामिल होते हुए - मा क्या करने को बोल रहे हो आप
बुआ - रुक बेटा मै बताती हू
फिर बुआ घुटनो के बल बैठ गई और लोवर मे बने टेन्ट पर मेरे लण्ड को सह्लाया

मा - जरा बाहर निकाल के देखो तो राज बड़ा हो गया है कि नही

मै - मा बड़ा हो गया हू चाहो तो देख लो , ये कह कर मैने अपना टीशर्ट ऊपर चढा लिया
बुआ - वो तो अभी पता चल जायेगा
फिर बुआ ने मेरे अंडरवियर सहित मेरे लोवर को निचे मेरे जांघो तक कर दिया
बुआ के ऐसा करते ही मेरा 7" का मोटा लण्ड उछल कर उपर निचे होने ल्गा जैसे रबर की दण्डि हो ।
मा ने जैसे मेरे लण्ड को देखा उसकी आंखे चमक गयी और वो एक नजर दुकान मे देखी फिर उठ कर मेरे पास आ गई । इस वक़्त बुआ और मेरी दोनो की नजरे मा पर थी जो एक टक मेरे खड़े फन्फ्नाते लण्ड को देखे जा रही थी ।

बुआ - भाभी देख रही हो ये तो सच मे बड़ा हो गया है
मा - हा दीदी सच कह रही हो जरा खसकना दिदी मै भी देखू तो

फिर मा भी बुआ के बगल मे घुटनो के बल बैठ गई और एक हाथ से मेरे लन्ड़ की मोटाई मापते हुए चमडी को आगे पीछे करने लगी ।

मा का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही मेरे लण्ड की नशे और कसने लगी ,,, सुपादा और कडक होकर लाल होने लगा ,,,,
मा - दीदी इसका लण्ड कितना तप रहा है देखो ,,,,
फिर बुआ ने भी अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया ।

आह्हह क्या आनन्द था मेरी घर की दो गदरायी माले मेरे लण्ड को थामे हुए उनका तापमान मापे जा रही थी ।

मै - आह्हह मा दर्द हो रहा है कुछ करो ना
मा - हा बेटा रुक ,,,
मा बुआ से - दीदी जरा इसके लण्ड को मुह मे लेके ठंडा कर दो मै बाहर दुकान मे हू ,,,बेचारे के लिए पहली बार है ना तो ज्यादा तकलीफ लग रही है ।
मा की बातो मे फिकर थी,, इधर मुझे लग रहा था कि अब बुआ और मा दोनो मेरा लण्ड एक साथ चुसेगी लेकिन मा तो किनारा कर रही थीं, तभी बुआ ने ऐसा कुछ बोला कि मै गदगद हो गया ।

बुआ - भाभी ये आपका बेटा है आपका इसपे ज्यादा हक भी है और आज इसका पहली बार है तो क्यू ना मा होने के नाते आप ही इसके लण्ड को ठण्डा करो ,, दुकान मे मै बैठ जाती हू

फिर बुआ उठ कर जहा मा बैठि थी उसी स्टूल पर बैठ गई ।
मा ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर मेरे लण्ड को देखते हुए सहलाने लगी

बुआ - क्या भाभी जल्दी करो ना बेचारा कितना परेशान है
बुआ के बोल्ते ही मा ने गप्प से लण्ड को मुह मे ले लिया और चूसने लगी ।
मा की कोमल होटों का अपने सख्त लण्ड पे घिसाव मुझे और उत्तेजीत करने लगा ,,, तीन चार बार लण्ड चूसने के बाद मा ने मेरे लण्ड को उपर की तरफ एक दम सीधा किया और मेरे लण्ड की निचली नसो को जड़ से लेकर सुपाडे के छोर तक अपने गीली जीभ से चाटने लगी और फिर मेरे सुपाडे को अपनी मुलायम जीभ के निचले हिस्से से घुमा घुमा कर गिला करने लगी ।
अब तक मैने जितनो से भी लण्ड चुस्वाया था उसमे सबसे ज्यादा मज़ा मा के साथ आ रहा था और मुझे समझ आ रहा था कि क्यू पापा को मा लण्ड चूसना इतना पसंद था और क्यो वो मा की गुरू मेरी रज्जो मौसी से लण्ड चुसवाना चाह्ते थे ।
मा ने मेरे लण्ड को सीधा कर उस्की चमडी उपर निचे करके मेरे आड़ो को मुह मे भरने लगी थी,,, और मेरा लण्ड मा की लार से पूरी तरह से गिला हो चूका था ,,, लेकिन ये सब मा की कलाओ के तर्कस का एक ही तीर था ,,, उनका हर नया स्टेप मेरे लण्ड की नसो मे और कसाव ला रहा था ।
फिर मा ने वापस लण्ड को मुह मे लेकर जड़ तक लिया और एक हाथ से मेरे आड़ो को दबाने लगी । मेरे सुपाड़े पर मा के गाले की घाटी चुब रही थी । मा वापस से लण्ड को आगे पीछे कर लण्ड की चुस्ती रही और मुह के अन्दर मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ की कलाबाजी दिखाती रही । करीब 10 मिनटो की चुसाई के बाद मेरे सबर का बान्ध टुट गया,, अब मै और ज्यादा देर तक खुद को सम्भाल नही सकता था ,,, मा के लण्ड चूसने की कला के आगे मै नतमस्तक हो गया था ,,, मेरे लण्ड के कडक बढ़ गई और नसे फूलने लगी , सुपाडे मे खुन ज्यादा होने से उसमे दर्द होने लगा था ,,,मेरे पैर कापने लगे सांसे तेज़ी से फूलने लगी और मै लदखदती आवाज मे

मै - अह्ह्ह्ह माआअह्ह मेराआअह्ह हो ने वा ...
बुआ - बेटा रोकना मत उसको बह जाने दे तभी दर्द कम होगा
फिर मैने मा की तरफ देखा तो वो मुह मे लण्ड लिये हा का इशारा करती है और तेज़ी से मेरे सुपाडे को सुरकने लगती है ,,,, फिर चंद पलो मे मैने अपने सुपाडे को ढिला छोड दिया और मेरी नशो मे भरा वीर्य तेज़ी से मा के मुह मे भरने लगा और मा ने अच्छी तरह से चाट कर और मेरे सुपाड़े को सुरक कर सारा वीर्य साफ किया और मै वही बिस्तर पर धडाम हो गया ।

मा भी उठी और अपने चेहरे साफ किया और वही बगल मे बैठ गई
बुआ ह्स्ते हुए - वाह भाभी आप सच मे खिलाडी है लण्ड चूसने मे ,,,
मा - तभी तो कह रही हू ना कि इसके पापा को खुश रख लोगी न आप
बुआ - कोसिस करंगी मै भाभी लेकिन शुरुआत तो होनी चाहिए ना

मा - तो आज रात मे कर लो शुरूवात ,,,वैसे भ आज आपको इस रूप मे देख कर उनका कण्ट्रोल नही रहने वाला है

बुआ - लेकिन कैसे भाभी आप ही उनको लेके सोते हो ना कभी मेरे पास छोड़ते ही नही हिहिहिहिही

मा - ठीक है फिर आज रात हम लोग छत पर ही सोया जायेगा ,,, और देखते है तब आप क्या करती है

बुआ - सोच लो भाभी अगर मेरे जाल मे फस गये भईया तो निकल पाना मुस्किल है

मा - अरे वो तो खुद आना चाहते है आपके जाल मे और मेरी चिन्ता ना करिये ,, क्योकि वो आपके लिये 4 दिनो से तरस रहे है कही आप ही ना भाग जाओ हिहिहिही

बुआ - चलिये देख्ते है ,,, मेरी जवानी के आगे अच्छे अच्छे पानी भरे है तो एक बार भईया भी सही
मा - एक बार ले के देखो अपने भैया का ,, जिजा जी को भी भूल जाओगी हीहीहि

इधर मै उन लोगो की बाते और रात मे छत पर होने वाले रोमांच से बहुत उत्तेजित होने लगा था और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा ।



देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है
आप सभी अपनी राय और सुझावों की जरुर रखे ।
 
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घर आया तो मा की डांट भी मिली
मा - कहा रह गया था तू इतनी देर खाना नही खाना क्या
मै - हा मा खाऊंगा वो रास्ते मे एक दोस्त मिल गया था तो वही बात करने लगा
मा - ठीक है जल्दी जा ऊपर तेरी दीदी से बोल कर खाना खा ले
मै ऊपर चला गया

अब आगे
मै ऊपर आया और दीदी को आवाज दी तो बेडरूम मे बाहर आई

मै - दीदी खाना लगा दो
दीदी - ठीक है बैठ मै लगा देती हूँ
फिर दीदी खाना लेके आई, टेबल पर खाना रखा और मेरे बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई

मै मुस्कुराते हुए - आप भी खओगे क्या दीदी मेरे साथ
दीदी - अरे नही नही तू खा ले ,,मुझे तेरे से कुछ बात करनी है कल को लेकर
मै चुप हो गया और खाना खाना शुरू कर दिया

दिदी - भाई वो कल अमन आये थे ना तो वो जो हुआ मॉल मे उसके लिये सॉरी
मै खाना खाते हुए दीदी की तरफ एकदम फोकस नही किया और नजर प्लेट में रखे हुए ही बोला - हम्म्म ठीक है

दीदी को लगा मै अब भी नाराज हू तो वो फिर से बोली - भाई प्लीज नाराज ना हो वो मैने बस उनको मिलने को बुलाया था लेकिन वो ही जिद करने लगे कि करना करना है ।

मुझे दीदी को लपेटने का मौका मिल गया
मै - हा तो आप उसे भी डांट सकती थी जैसे मुझे उस दिन छत पर डाँटा था ,,,
दीदी - तू मेरा भाई है राज और वो
मै - तो क्या मुझसे बढ़ कर है वो
दीदी - तू क्या बात कर रहा है राज ,,, समझ मै अमन को प्यार करती हू और तुने उस दिन छत पर जो किया वो गलत बात है
मै - अच्छा मतलब आप मुझसे प्यार नही करते हो ना
दीदी - नही भाई मै तुझसे भी उतना ही प्यार करती हू ना
मै - तो उस दिन मुझे डाटा क्यू ,,, ऐसा भी तो नही है कि अमन ने आपको उस नजर से नही देखा होगा
दीदी को लगा मै अभी नादान हू और भोला भी
दिदी - भाई तू बहुत भोला है रे ,,, मै तेरे साथ वो सब नही कर सकती हूँ वो हक सिर्फ पति का होता है
मै - तो क्या वो आपका पति है अब
दीदी - अभी नही लेकिन शादी के बाद तो होगा ना
मै - लेकिन अभी तो नही ना हुई है आपकी शादी फिर वो गैर हुआ ना ,,, और मै आपका सगा भाई हू फिर भी मुझे डाटा और वो अभी कोई नही है फीर भी उसको .....
दीदी को लगा मै तो एक ही बात को पकड कर बैठा हू । एक बॉयफ्रेंड और भाई का रिश्ता के क्या क्या मायने होता है वो मै नही समझ पा रहा हू ।
दीदी मुझे बार बार समझाती लेकिन मै जानबुझ कर उनको एमोशनली भाई बहन के रिश्ते को लेकर बात को घुमा देता था.... आखिरकार दीदी को लगा कि मै ऐसे नही मानने वाला,,, और वो उठी और मुझे किचन मे ले गयी
दीदी - चल हाथ धुल और कुल्ला कर ले ,
दिदि का मूड बदला लग रहा था कि कहीं वो गुससे मे वापस ना मा को बताने की जिद कर ले ,,,, लेकिन हुआ वो जो मेरे अनुमान और मेरे सोचे हुए विचारो के बिलकुल उलट हुआ

जैसे ही मैने कुल्ल कर के हाथ धुल कर फ्रेश हुआ तो दीदी ने मुझे एक रुमाल दिया
दीदी - ये ले और मुह साफ कर
फिर मैने मुह साफ किया और रुमाल दे दिया
दीदी - चल अब अपनी आंखे बंद कर और जब तक मै ना बोलू खोलना मत
मै चौकते हुए - क्यू
दीदी - जितना बोल रही हू कर तू पहले
मै चुपचाप आंखे बन्द किया - अब कितनी देर तक बंद रखना है दीदी

मेरे सवाल का जवाब जो दीदी ने दिया वो मेरे लिए एक अनमोल पल बन गया क्योकि जवाब मे दीदी ने अपने नाजुक होठ मेरे होठो से जोड दिये थे और मेरे निचले होठ को अपने दोनो होठो से खिच कर चूसने लगी ,,,, पहले तो मै चौका लेकिन फिर लगा दीदी ने खुद पहल की है तो उन्के चेहरे को पकड कर मै भी उनका साथ देते हुए उन्के उपरी मुलायम रसिले होठो को चूसने लगा । करीब दो मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई और अपने गीले होठ को अपने एक हाथ से साफ किया ।

इस दौरान मै यही दिखा रहा था कि मै शौक मे हू
दीदी - यही चाह्ता था ना तू भी ,,इसी बात की जलन थी ना वो मुझे किस्स किया और तुझे कुछ नही मिला ,,, अब तो समझ मै तुझे भी प्यार करती हू ।

मै - हा लेकिन जब पकड़ी गयी तभी ना की हो आप,,, नही तो कभी जताते ही नही कि आप हमसे प्यार करते हो ,,, हमेशा डाटा ही है आपने मुझे

दीदी - कुछ भी किया हो लेकिन तू अमन से अब भी एक कदम आगे है समझा हिहिहिही
मै - वो कैसे
दीदी - कुछ नही छोड अब निचे जा मा को भी खाना खाने भेज
मै जिद करते हुए - बताओ ना दीदी प्लीज
दीदी - तुने तो बिना कपड़ो के मुझे देखा है और अमन ने सिरफ किस्स किया ,,,ये बोल के दीदी शर्मा गयी और पीठ मेरी तरफ कर ली

मैं भी मौके का फायदा उठाकर उन्के पास गया और उन्के एक कंधे पर हाथ रख कर बोला - तो आपको नही लगता की अमन से ज्यादा मेरा हक है आप पर ,,

दीदी - हा भाई ये सही है लेकिन
मै - दिदी हम दोनो बचपन से एक दुसरे के साथ है , हमने चीज़ हर बात सब कुछ एक दुसरे से साझा किया है तो क्या वो प्यार किसी के आने से कम कर दोगे आप
दीदी - नही भाई मै ऐसा नही चाहती हू ,, लेकिन मै अमन से बहुत प्यार करती हू और उसी से शादी करना है मुझे
मै - मैने तो ये नही कहा ना कि आप उससे प्यार करना बन्द कर दो ,, लेकिन क्या आप उसके लिये मेरे हिस्से का प्यार नही दोगे मुझे ।

इस वक़्त मै सच मे इमोसनल हो गया था ,,, मेरा हवस अब धीरे धीरे दीदी के एक प्यार का रूप लेने लगा ,,, मुझे इस बात का दिल से दुख होने लगा कि दीदी अमन से प्यार करती है ।लेकिन तभी दीदी ने मेरे अंदर एक उम्मीद की किरण दिखा दी ।

दीदी - भाई मै नही जानती थी कि तू मेरे से इतना प्यार करता है ,,लेकिन अब मै अपने दिल के हाथो मजबुर हू ,,मै अमन को छोड नही सकती ,, लेकिन

मै - क्या दीदी बोलो न
दीदी - लेकिन मै तेरे हिस्से का प्यार तुझे हमेशा दूँगी भाई ,,

मै खुश हो गया और दीदी को पीछे से उनकी कमर मे हाथ डाल कर पेट को कसा और उन्के कन्धे पर सर रखा और बोला - थैंक्स दीदी ,, आई लव यू

दीदी ने भी एक हाथ मेरे जुड़े हुए हाथो पर रखा और दुसरे हाथ से मेरे गाल को छुते बोली - आई लव यू टू भाई
दीदी - चल अब जा निचे

मै - नही रहने दो न दीदी कितना अच्छा लग रहा है ।
दीदी मुझसे छूटने की कोशिस मे हसे जा रही थी क्योकि जब भी वो मेरे हाथ हटाती मै उनकी मुलायम पेट मे गुदगुदी करने लगता

दीदी - छोड दे भाई अब ना ,,, देख कही अनुज ना आ जाये
मै चौक गया और उनको छोड दिया । वो मौका पाते ही बेडरूम मे भाग कर दरवाजा बंद कर ली ।

कमरे के अंदर से ही
दीदी - चल चल अब जा ,,बड़ा आया था दीदी का अशिक़ बनने ,,,हहिहिहिही

मै - कब तक बच के रहोगी दीदी देखता हू
फिर मै हस्ते हुए निचे आ गया फिर मा ऊपर चली गई और मै खुश था कि दीदी अब मेरे हाथ मे जल्द आने वाली थी।

करीब 2 बजे तक बुआ आई ,,, जैसे ही मेरी नजर बुआ पर गयी तो मुझे चाचा और बुआ की चुदाई याद आ गयी । मैने सोचा रात मे कुछ होगा नही और कल रक्षा बंधन पर मुझे नाना के यहा जाना है मा को लिवा के तो क्यू ना अभी दिन मे कुछ मज़ा ले लू
बुआ छत पर जाने लगी
तो मै उनको रोकते हुए

मै - बुआ रुको ना कहा जा रही हो
बुआ - बेटा ये खाने का डब्बा धुलने के लिए ले जाना है ना

तभी मा निचे आ गई और बोली - अरे दीदी रख दो यही अभी चला जायेगा ,,,,

आओ बैठो बात करते है वैसे भी कल मै चली जाऊंगी दो दिन के लिए मायके

बुआ - दो ही दिन क्यू भाभी आराम से रहो न एक हफ्ते मै हू ना यहा

मा - अरे दीदी घर का ख्याल तो रख लोगी लेकिन इसके पापा का क्या हिहिहिही

बुआ - क्यू मै अपने भईया का ख्याल नही रख सकती क्या
मा - हा लेकिन कैसे रखोगी बताओ जरा
बुआ - अब भईया रहते तो ना दिखा के बताती मै
मा - अरे तो क्या हुआ राज है ना

मा ने जैसे मेरी पहल की मै खुश हो गया और बोला - हा मा मुझे भी सिखना है ,,प्लीज

मा - लो अब तो ये भी तैयार है ,तो क्या कहती हो दीदी
बुआ मुस्कुराते हुए - अरे भाभी अभी तो ये बच्चा है
मा - हा तो इसको सिखाना भी पडेगा ना कि कैसे कैसे क्या होता है ,,,, इसी बहाने ये सिख भी लेगा और मै भी देख लुन्गी की मेरे गैर हजिरि मे मेरे पति खुश रह पायेंगे या नही

बुआ - चल लल्ला कमरे मे ,,,

फिर मै और बुआ कमरे मे गये , मा कमरे के दरवाजे के बाहर स्टूल लगा कर बैठ गयी ताकि कमरे के साथ दुकान मे भी नजरे बनी रहे ।

मै बहुत खुश था कि मुझे मा के सामने अपना जलवा दिखाने का मौका मिलेगा । मा के सामने मै बुआ को चोदन्गा ये सोच कर ही मेरा लण्ड पुरा का पुरा अकड गया था ।

मा - तो शुरू करो दीदी अब
बुआ और मेरे बिच सब कुछ हो गया था पहले ही लेकिन हम लोग भी जानबुझ कर नाटक कर रहे थे ।

मै - बुआ पहले क्या करते है ,, मै दूध पियुन्गा पहले

मा हसने लगी - क्या तू भी बच्चो की तरह दूध पीने को बोल रहा ,,,

मा बुआ को - दीदी जरा इसके नुन्नु को अपने जीभ की कलाबाजी से वाकिफ तो कराओ तब ये समझेगा औरत का सुख हीहीहि
बुआ - हा भाभी देख रही हू बहुत नादान है ये ,, और मेरे तरफ देख कर मुस्कुराने लगी ।
मै भी बुआ की नाटक मे शामिल होते हुए - मा क्या करने को बोल रहे हो आप
बुआ - रुक बेटा मै बताती हू
फिर बुआ घुटनो के बल बैठ गई और लोवर मे बने टेन्ट पर मेरे लण्ड को सह्लाया

मा - जरा बाहर निकाल के देखो तो राज बड़ा हो गया है कि नही

मै - मा बड़ा हो गया हू चाहो तो देख लो , ये कह कर मैने अपना टीशर्ट ऊपर चढा लिया
बुआ - वो तो अभी पता चल जायेगा
फिर बुआ ने मेरे अंडरवियर सहित मेरे लोवर को निचे मेरे जांघो तक कर दिया
बुआ के ऐसा करते ही मेरा 7" का मोटा लण्ड उछल कर उपर निचे होने ल्गा जैसे रबर की दण्डि हो ।
मा ने जैसे मेरे लण्ड को देखा उसकी आंखे चमक गयी और वो एक नजर दुकान मे देखी फिर उठ कर मेरे पास आ गई । इस वक़्त बुआ और मेरी दोनो की नजरे मा पर थी जो एक टक मेरे खड़े फन्फ्नाते लण्ड को देखे जा रही थी ।

बुआ - भाभी देख रही हो ये तो सच मे बड़ा हो गया है
मा - हा दीदी सच कह रही हो जरा खसकना दिदी मै भी देखू तो

फिर मा भी बुआ के बगल मे घुटनो के बल बैठ गई और एक हाथ से मेरे लन्ड़ की मोटाई मापते हुए चमडी को आगे पीछे करने लगी ।

मा का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही मेरे लण्ड की नशे और कसने लगी ,,, सुपादा और कडक होकर लाल होने लगा ,,,,
मा - दीदी इसका लण्ड कितना तप रहा है देखो ,,,,
फिर बुआ ने भी अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया ।

आह्हह क्या आनन्द था मेरी घर की दो गदरायी माले मेरे लण्ड को थामे हुए उनका तापमान मापे जा रही थी ।

मै - आह्हह मा दर्द हो रहा है कुछ करो ना
मा - हा बेटा रुक ,,,
मा बुआ से - दीदी जरा इसके लण्ड को मुह मे लेके ठंडा कर दो मै बाहर दुकान मे हू ,,,बेचारे के लिए पहली बार है ना तो ज्यादा तकलीफ लग रही है ।
मा की बातो मे फिकर थी,, इधर मुझे लग रहा था कि अब बुआ और मा दोनो मेरा लण्ड एक साथ चुसेगी लेकिन मा तो किनारा कर रही थीं, तभी बुआ ने ऐसा कुछ बोला कि मै गदगद हो गया ।

बुआ - भाभी ये आपका बेटा है आपका इसपे ज्यादा हक भी है और आज इसका पहली बार है तो क्यू ना मा होने के नाते आप ही इसके लण्ड को ठण्डा करो ,, दुकान मे मै बैठ जाती हू

फिर बुआ उठ कर जहा मा बैठि थी उसी स्टूल पर बैठ गई ।
मा ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर मेरे लण्ड को देखते हुए सहलाने लगी

बुआ - क्या भाभी जल्दी करो ना बेचारा कितना परेशान है
बुआ के बोल्ते ही मा ने गप्प से लण्ड को मुह मे ले लिया और चूसने लगी ।
मा की कोमल होटों का अपने सख्त लण्ड पे घिसाव मुझे और उत्तेजीत करने लगा ,,, तीन चार बार लण्ड चूसने के बाद मा ने मेरे लण्ड को उपर की तरफ एक दम सीधा किया और मेरे लण्ड की निचली नसो को जड़ से लेकर सुपाडे के छोर तक अपने गीली जीभ से चाटने लगी और फिर मेरे सुपाडे को अपनी मुलायम जीभ के निचले हिस्से से घुमा घुमा कर गिला करने लगी ।
अब तक मैने जितनो से भी लण्ड चुस्वाया था उसमे सबसे ज्यादा मज़ा मा के साथ आ रहा था और मुझे समझ आ रहा था कि क्यू पापा को मा लण्ड चूसना इतना पसंद था और क्यो वो मा की गुरू मेरी रज्जो मौसी से लण्ड चुसवाना चाह्ते थे ।
मा ने मेरे लण्ड को सीधा कर उस्की चमडी उपर निचे करके मेरे आड़ो को मुह मे भरने लगी थी,,, और मेरा लण्ड मा की लार से पूरी तरह से गिला हो चूका था ,,, लेकिन ये सब मा की कलाओ के तर्कस का एक ही तीर था ,,, उनका हर नया स्टेप मेरे लण्ड की नसो मे और कसाव ला रहा था ।
फिर मा ने वापस लण्ड को मुह मे लेकर जड़ तक लिया और एक हाथ से मेरे आड़ो को दबाने लगी । मेरे सुपाड़े पर मा के गाले की घाटी चुब रही थी । मा वापस से लण्ड को आगे पीछे कर लण्ड की चुस्ती रही और मुह के अन्दर मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ की कलाबाजी दिखाती रही । करीब 10 मिनटो की चुसाई के बाद मेरे सबर का बान्ध टुट गया,, अब मै और ज्यादा देर तक खुद को सम्भाल नही सकता था ,,, मा के लण्ड चूसने की कला के आगे मै नतमस्तक हो गया था ,,, मेरे लण्ड के कडक बढ़ गई और नसे फूलने लगी , सुपाडे मे खुन ज्यादा होने से उसमे दर्द होने लगा था ,,,मेरे पैर कापने लगे सांसे तेज़ी से फूलने लगी और मै लदखदती आवाज मे

मै - अह्ह्ह्ह माआअह्ह मेराआअह्ह हो ने वा ...
बुआ - बेटा रोकना मत उसको बह जाने दे तभी दर्द कम होगा
फिर मैने मा की तरफ देखा तो वो मुह मे लण्ड लिये हा का इशारा करती है और तेज़ी से मेरे सुपाडे को सुरकने लगती है ,,,, फिर चंद पलो मे मैने अपने सुपाडे को ढिला छोड दिया और मेरी नशो मे भरा वीर्य तेज़ी से मा के मुह मे भरने लगा और मा ने अच्छी तरह से चाट कर और मेरे सुपाड़े को सुरक कर सारा वीर्य साफ किया और मै वही बिस्तर पर धडाम हो गया ।

मा भी उठी और अपने चेहरे साफ किया और वही बगल मे बैठ गई
बुआ ह्स्ते हुए - वाह भाभी आप सच मे खिलाडी है लण्ड चूसने मे ,,,
मा - तभी तो कह रही हू ना कि इसके पापा को खुश रख लोगी न आप
बुआ - कोसिस करंगी मै भाभी लेकिन शुरुआत तो होनी चाहिए ना

मा - तो आज रात मे कर लो शुरूवात ,,,वैसे भ आज आपको इस रूप मे देख कर उनका कण्ट्रोल नही रहने वाला है

बुआ - लेकिन कैसे भाभी आप ही उनको लेके सोते हो ना कभी मेरे पास छोड़ते ही नही हिहिहिहिही

मा - ठीक है फिर आज रात हम लोग छत पर ही सोया जायेगा ,,, और देखते है तब आप क्या करती है

बुआ - सोच लो भाभी अगर मेरे जाल मे फस गये भईया तो निकल पाना मुस्किल है

मा - अरे वो तो खुद आना चाहते है आपके जाल मे और मेरी चिन्ता ना करिये ,, क्योकि वो आपके लिये 4 दिनो से तरस रहे है कही आप ही ना भाग जाओ हिहिहिही

बुआ - चलिये देख्ते है ,,, मेरी जवानी के आगे अच्छे अच्छे पानी भरे है तो एक बार भईया भी सही
मा - एक बार ले के देखो अपने भैया का ,, जिजा जी को भी भूल जाओगी हीहीहि

इधर मै उन लोगो की बाते और रात मे छत पर होने वाले रोमांच से बहुत उत्तेजित होने लगा था और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा ।



देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है
आप सभी अपनी राय और सुझावों की जरुर रखे ।
 
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बुआ - चलिये देख्ते है ,,, मेरी जवानी के आगे अच्छे अच्छे पानी भरे है तो एक बार भईया भी सही
मा - एक बार ले के देखो अपने भैया का ,, जिजा जी को भी भूल जाओगी हीहीहि
इधर मै उन लोगो की बाते और रात मे छत पर होने वाले रोमांच से बहुत उत्तेजित होने लगा था और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा

अब आगे
बुआ की नजर मेरे खड़े हुए लण्ड पर गयी तो बोली

बुआ - अरे भाभी लगता है कि अभी भी राज को आराम नही मिला है
मा ने घूम कर मुझे देखा और फिर मेरे खड़े लण्ड पर घुमाई
मा - आईये दीदी एक बार आप ही कोसिस कर लिजीये हीहीहि

बुआ - नही भाभी मुझसे रहा नही जायेगा अगर मैने राज का लण्ड छू लिया तो बिना चुत मे लिये मै रह नही पाऊंगी
मा - तो चुत मे ही लेलो ना दीदी वो तो आपका भी बेटा है ना ,,,,
बुआ - सच भाभी तो क्या मै
मा - हा दीदी मै समझ रही हू कैसे आपने 4 दिनो से खुद को रोका हुआ है मै भी एक औरत हू
मा की बाते सुन कर मै और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था ,,,कि मेरी मा मेरे लिये खुद चुत लेके आ रही है
बुआ उठी और मेरे दुसरे साइड बैठ गई
बुआ - भाभी आप भी आओ ना मिल कर करते है
मा - नही दिदी आप करिये मै देखूँगी वहा बैठ कर ,, कही कोई आ गया अचानक से तो

बुआ - ठीक है भाभी
फिर मा उठ कर स्टूल पर बैठ गई और बुआ ने मेरे लण्ड को मुथ्थी मे कस लिया
मै गरदन उपर करके देखा तो बुआ मेरे बगल मे बैठि मेरे लण्ड को पकडे सहला रही थी।
मै - बुआ जल्दी करो ना
बुआ मुस्कुराने लगी और झुक कर मेरे तरफ देखते हूए मुह मे लण्ड भर लिया

एक बार फिर मै आनन्द के सागर मे डूब गया ,,, बुआ भी मा के जैसे भर भर लण्ड को गले तक लेने लगी कारिब दो मिंट बाद बुआ उठी और बिस्तर पर चढ़ गई और घाघरे को उठा लिया ,,,अंदर बुआ ने कुछ नही पहना था और झुक कर मेरे लण्ड को अपनी चुत के होटों मे सेट करने लगी , जैसे ही मेरा सुपाड़ा बुआ की चुत के छेद पर सेट हुआ तो बुआ घ्प्प से मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गयी और कूदने लगी

बुआ - आह्हह भाभी कित्ना गर्म लण्ड है राज का
मा - लेलो मज़ा ननद रानी ,, मायके का लण्ड नसिब वालो को ही मिलता है
बुआ - हा भाभी आह्हह आह्हह बहुत मज़ा आ रहा है आह्हह
बुआ तेज़ी से घ्प्प घ्प्प करके मेरे लण्ड पर उपर निचे हो रही थी ,जिससे बिना ब्रा के उनकी चुचिया टीशर्ट मे बहुत उछल रही थी ।
मा - अरे अब तो दर्शन करा दो अपने भतीजे को उसके मनपसंद चुचो के हीहीहि

बुआ - हा भाभी क्यू नही ,,,अह्ह्जहहह उम्म्ंम्ं क्यू लल्ल्ल्लाआअह्ह्ह देखेगा मेरे चुचो को

मै - हा बुआ मै तो कबसे चूसना चाहता हूँ आपके चुचे
फिर बुआ ने अपने टीशर्ट निकाल दिया जिससे उनके 42 साइज़ के मोटे चुचे हवा मे उछ्ल्ने लगे । फीर बुआ मे दोनो हाथों मे अपने चुचो को पकड़ा और वापस से मेरे लण्ड पर कूदने लगी ।
मुझसे बुआ की झुल्ती चुचिया देखी नही गई और मै बार बार हाथ उपर कर उनके चुचो को पकड़ने की कोसिस करने ल्गा लेकिन बुआ लगातर मेरे लण्ड पर उछले जा रही थी जिससे मेरे हाथ उनकी चुचे तक नही जा पा रहे थे ।
जब बुआ ने देखा की मै उनकी चुचे के लिए तडप रहा हू तो वो खुद अपने हाथो के बल मेरे उपर झुक गई और मैने लपक कर बुआ के चूचे पकड लिया और मुह मे भर कर चूसने ल्गा

बुआ - आह्ह्ह्ह लल्ला आराम से चुस अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मै भाग थोडी रही हू
मा - रहम मत करना राज थोड़ा भी ,,, आज दिखा दे अपने लण्ड का जलवा ,,,, फाड देना अपनी बुआ की चुत को
मै - हा मा ,,, अभी देखो क्या कर रहा हू ,,,आप तैयार हो ना बुआ चुद्ने के लिए
बुआ - हा बेटा अब चोद दे जल्दी से ,,,, अह्ह्ह्ह उम्म्ंम बहुत जोर से चुस्ता है रे तू ,,, लाल कर दी तुने
मा - अभी इसके पापा भी चुसेगे आपको मेरी शिला रानी ,,,वो तो इससे भी तेज मरोडते है निप्प्ल को ,,,
बुआ - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम खा जा बेटा और चुस ,ये ले हाआ अह्ह्ज्ज उम्मममंं अह्ह्ह्ह्ह

अब मैने अपनी पोजिसन बदली और बुआ को थोडा आगे कर उनको घुटनो के बल अपनी तरफ झुका लिया और अपने जांघो को खोल के बुआ के चुतडो को पकड़ा और निचे से चोद्ना शुरू कर दिया ।
बुआ - अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ गया मेरे लाल अह्ह्ज्ज उन्मममंं हा बेटा चोद और तेज और तेज अह्ह्ह्ह्ह औह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं और तेज आह्हह आह्हह
रुकना मत बेटा बस फाड मेरी चुत को
मै बीना कुछ बोले बुआ की चूची को मुह मे भरे उनकी मोटी गान्द को फैलाये निचे से कमर उठा कर घपाघप चोदे जा रहा था औ थप थप थप थप के साथ बुआ की सिसकियाँ की आवाजो से कमरा भर गया ।

करीब 5 मिंट तक ऐसे ही लगातार चोद्ने के बाद बुआ मेरे उपर अकड़ने लगी ,,, और तेज़ी मेरे लण्ड पर झडने लगी और उनकी चुत का पानी मेरे आड़ो से होकर बेडशिट पर गिरने लगा । बुआ के झडने से फच्च फच्च की आवाजे आने लगी क्योकि मै अभी झड़ा नही था और लागातार उसी पोजिसन मे चोदे जा रहा था

बुआ - अह्ह्ह्ह बेटा रुक जा मै झड़ गयी हू थोदा सा रुक जा ना
मा - क्या हुआ दीदी अभी तो राज ने शुरु बस किया था ,,,लगता है 4 दिन बाद लण्ड मिलने से जल्दी झड़ गई ।

अब मा को क्या पता कि बुआ क्यू थक गई थी ,,, अभी तो बुआ 2 बार चाचा से चुदी फिर मुझसे तो कहा से ताकत बचती ।

मै - मा आप आजाओ ना मेरा ब्स निकलने वाला है
मा - बेटा मै अभी नही आ सकती कोई आ जायेगा ऐसा कर तू खड़ा हो कर हिला ले मै चुस कर साफ कर दूँगी ।

फिर मै जल्दी से बिस्तर से उतर कर खड़ा हुआ और तब तक मा मेरे कदमो मे लण्ड के निचे आ गयी और मैने भी उनके चेहरे के उपर लण्ड हिलाने लगा

मा - जल्दी आओ दीदी अपनी मेहनत का फल तो लेलो

बुआ भी झटके मे उठी और मा के बगल मे मेरे लण्ड के निचे आ गई।

मै लण्ड हिलाते हुए - अह्ह्ह्ज्ज माआआ आह्ह्ह्ह निकलने वाला है
तभी मा और बुआ ने अपने गाल आपसे मे सटा लिये और जीभ को बाहर निकाल लिया माल लेने के लिए, मै भी आगे बढ़ कर लण्ड को उनकी जीभ पर रख कर हिलाने ल्गा और कुछ झटको मे मै दोनो के जीभ पर झडने ल्गा ,,, जब मेरा लण्ड झटका देना बन्द कर दिया तब बुआ और मा अपनी जीभ अंदर कर माल पी गयी और बुआ ने लपक कर मेर लण्ड मुह मे लेकर बचा कुचा माल भी साफ कर दी ।
फिर वो दोनो उठी और मा दुकान मे चली गयी ,, 10 मिंट बाद मै और बुआ भी अपने कपडे ठीक कर बाहर आये ।

मा - क्यू दिदी अब तो खुश हो ना आप ,,, और तू राज तू भी सिख गया ना
मै - हा मा थैंक यू
बुआ - थैंक्स भाभी आप बहुत अच्छी है मेरा कितना ख्याल रखती है ।

मा - अरे दीदी अब घर के लोग नही ख्याल रखेंगे तो कौन रखेगा ।

मा - वैसे मज़ा आया ना
मै - हा मा बहुत ज्यादा
बुआ - बेटा चुदाई का मज़ा होता ही अलग है हिहिहिही

ऐसे ही हम लोगो मे बाते हुई शाम को मा ने मुझे करीम के यहा से कपडे लेने को भेज दिया ,, मै भी वो कपडे लेते आया । शाम को 5 बजे ही पापा भी एक बैग मे मिठाई और कुछ सामान लेके आ गये ।
उस समय मा उपर थी और मै दुकान मे बैठा था,,, और बुआ बहुत थकी थी तो पापा के कमरे मे कुलर चला के सो गयी थी ।

मै - अरे पापा आज इतना जल्दी
पापा - हा बेटा वो कल के लिए मिठाई है और तेरी दोनो बुआ के लिए तोहफा भी है ,,, बाकि लोग कहा है

मै - मा और दीदी उपर है , अनुज बाहर खेलने गया है और बुआ अन्दर सोयी है ,

बुआ के बारे मे सुन्ते ही पापा के चेहरे खिल उठे ।
पापा - ये सामान रख दे मै जरा दिदी से मिल लू
मै समझ गया पापा बुआ को नये ड्रेस मे सोया हुआ पाकर मस्ती जरुर करेंगे ,,,
इसी लिये पापा के अन्दर जाते ही मै भी खिडकी के पास गया और पर्दे के कोने से देखने ल्गा ।
अन्दर बुआ बिंदास सोयी हुई थी । उनकी जान्घे फ़ोल्ड थी जिससे बुआ का घाघरा घुटनो तक उठा था अगर कोई झुक कर देखता तो उसको बुआ की चुत दिख जाती । बुआ की चूचिया बिना ब्रा के वजह से टीशर्ट मे दोनो तरफ फैली हुई थी और उनका नाभि दिख रहा था ।

और बुआ को देख के पापा चढ़ढे के उपर से लण्ड सहलाने लगे थे
मै पापा के आगे बढने के इंतज़ार मे था ,, और पापा आगे बढ़े और झुक कर जमीन पर बैठ और बुआ के स्कर्ट मे झाका ,,,, और उनको बुआ की चुत साफ नजर आने लगी ।

पापा के चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था की वो कितने खुश है ।
फिर पापा उठे और बुआ के पैर को चुमा और बाहर आने लगे मै जल्दी से अपनी जगह पर आकर पापा का लाया झोला देखने ल्गा कि क्या क्या सामान है ,,, इतने मे अनुज आया बाहर से और मुझे झोले से मिठाई निकालते देख चिल्लाता हुआ मेरे पास आ गया
अनुज - भैया मुझे भी चाहिये ,,क्या क्या लाये हो पापा ,,,
पापा - अरे बेटा सब तुम्ही लोगो के लिए है आराम से खाओ
अनुज तेज आवाज मे खुसी से बोला - अरे वाआअह मेरे लिए गिफ्ट ,,,थैंक्स पापा

पापा - नही बेटा वो तेरा नही है तेरी बुआ के लिए है

तभी बुआ कमरे से बाहर आती हुई - मेरे लिये क्या भैया
शायद अनुज के शोर गुल से जग गयी होगी

बुआ की आवाज सुनते ही सबकी नजर बुआ पर गयी ,,,,
फिर पापा ने वो गिफ्ट उठा कर बुआ को दे दिया
पापा - हा आपके लिये दीदी ये लिजीये ,,, और अनुज बेटा ये सारा सामान छत पर लेके चले जाओ ।

बुआ - इसकी क्या जरुरत थी भैया ,, वैसे इसमे है क्या
पापा - खुद खोल के देख लिजीये
बुआ जल्दी जल्दी खोलने लगी

पापा - अरे यहा नही कमरे में चलिये
फिर वो दोनो कमरे मे चले और थोडी देर बाद बुआ की आवाज आई । मै वही दुकान मे बैठा रहा

बुआ - भईया ये क्या है
पापा - क्यू पसंद नही आया क्या मेरा गिफ्ट
बुआ - धत्त अपनी बहन को कोई ये सब देता है
मै सोचने ल्गा कि ऐसा क्या दे दिया पापा ने
पापा - परसो आपके पास थे नही तो सोचा क्यू ना मै खुद एक अपनी पसन्द का लेलू और नाप था मेरे पास तो कोई दिक्कत नही हुई ।

बुआ - हा लेकिन क्या फायदा आप देख ही नही पाओगे हीहीहि
पापा - आप चाहोगे तो वो भी हो सकता है।
बुआ - कैसे
पापा - यही पर ट्राई कर लो और दिखा दो
बुआ - धत्त आपके सामने
पापा - हा तो मुझे ही तो देखना है ना
बुआ - ऐसे कैसे,, राज बाहर है और मैने अन्दर कुछ पहना भी नही है
पापा - राज नही अयेगा दीदी और वैसे भी इसको पहनने के लिए आप जो पहनी होती उसे भी निकालन पड़ता ना

मै सारी बाते सुने जा रहा था मेरे ख्याल मे लग रहा था कि पापा बुआ के लिए कोई अंडरगार्मेंट्स लाये थे ।
बुआ - भईया कल पहन लुंगी ना ,,, वैसे भी अभी शाम हो गयी है ।

पापा - अच्छा ठीक है लेकिन दिखाना पडेगा
बुआ - हिहिहिही ठीक है बाबा दिखा दूँगी अब खुश
पापा - हम्म्म ठीक
पापा - वैसे सच मे आपने कुच नही पहना
बुआ - क्यू अब क्या बिना कपड़ो के देखना है क्या हिहिहिही
पापा - कहा ऐसी किस्मत दीदी जो आपको
बुआ - धत्त भईया आप भी ना , चलो मै जा रही हू छत पर कुछ काम कर लू भाभी को भी कल के लिए पैकिंग करनी है ना

पापा - ठीक है दीदी चलो मै भी छत पर टहलने जा रहा हू ।
फिर पापा और बुआ बात करते हुए निकले और दोनो छत पर चले गये ।
इसी बीच मुझे चंदू का फोन आया और मै उससे बात करने लगा ।

फोन पर
मै - अबे साले कहा था तू ,,,
चंदू - यार मै मामा के यहा आया हू
मै - तो भोस्डी के बता के नही जा सकता था
चंदू - सॉरी यार वो अचानक से प्लान बन गया मामा का पैर की एड़ी मे फैकचर हुआ था बहुत पहले ही वो फिर से उभर गया ,, और बता मैने जो बोला था वो ट्राई किया की नही ,,,
मै - क्या बोला था क्लियर बोल न
चंदू - अबे वो जो स्टोरी दी थी और बोला था कि फॉलो करना वैसे ,,,
मै - मै कैसे मान लू कि सही बोल रहा था तू ,,, वीडियो भेजने वाला था ना ,,,,साले एक नम्बर का झुठा है
चंदू - अरे भाई मैने तो भेजा था उसी दिन ,, उसमे मेरी बहन के साथ वाला ही था ,,,

मै - अबे साले आया होता तो मै देखता नही ,,, फिर से भेज अब
चंदू - रुक अभी भेज रहा हू
मै - ठीक है वैसे वहा भी तेरी मौज ही होगी
चंदू - साले घन्टा मौज जबसे आया हूँ मा मुझे छूने नही देती हैं और हमेशा मामा की सेवा मे लगी रहती हैं,,, और तो और दिन मे रोज उसी से चुदवा लेती हैं सालि रन्डी

मै - लेकिन तेरे मामा के पैर मे फैकचर है ना
चंदू - अबे पैर मे है उसके लौडे मे थोडी है ,, सालि मुझे बोलती है कि यहा किसी को हमारे बारे मे पता ना चले और खुद उछल उछल के लण्ड लेती हैं ।

मै - और मामी नही है क्या
चंदू - भाई मामी पेट से है 7वा महिना हो गया है ना
मै - फिर उसकी कोई बेटी को फसा ले
चंदू - हा यही करना पडेगा तभी मै मामा से बदला ले पाऊन्गा ,,, बहन्चोद ने मेरी मा को दूर किया मुझसे

मै चंदू के जज्बाती बातो से बहुत हस रहा था और फिर थोडी देर बाद मैने उसको विदियो भेजने का बोल कर कॉल कट कर दिया ।


रात मे 8 बजे तक मै भी दुकान बंद करके उपर गया और मोबाइल दिदी को देके बोला चार्ज मे लगा दो ,,, फिर हम लोग खाना खाने बैठ गए ।


देखते है आने वाली रात क्या नया रोमांच लेकर आती है । आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
 
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अब तक

मै चंदू के जज्बाती बातो से बहुत हस रहा था और फिर थोडी देर बाद मैने उसको विदियो भेजने का बोल कर कॉल कट कर दिया ।
रात मे 8 बजे तक मै भी दुकान बंद करके उपर गया और मोबाइल दिदी को देके बोला चार्ज मे लगा दो ,,, फिर हम लोग खाना खाने बैठ गए ।
अब आगे

हम सब लोग एक साथ खाना खाने बैठ गये 6 चेयर वाले टेबल पर । पापा बुआ के बगल मे , बुआ के बगल मे अनुज , अनुज के बगल वाली सीट खाली थी , उसके बाद मै और फिर मेरे बाद मा बैठि थी जो पापा के दुसरे साइड बैठी थी ।
फिर दिदी ने सारा खाना पानी टेबल पर रखा फिर मेरे और अनुज के बीच बैठने के लिए चेयर खीचा दीदी ने तो मैने अपना हाथ उल्टा कर चेयर पर रख दिया ,,, और दीदी को तिरछी आँखो से इशारा करते हुए मेरे हाथ पर बैठने को कहा ,, बदले मे दीदी मुसकुराते हुए एक मुक्का मेरे कन्धे पे मारा और मेरा हाथ हटते ही तुरंत बैठ गयी ,,, और मुस्कुराते हुए खुद की प्लेट मे खाना निकालने लगी ।
दीदी ने इस समय एक काटन का पटियाला सूट सलवार पहना था। वो ज्यादतर सिम्पल ड्रेस ही पहना करती थी ।
मै भी खाना निकाला और खाना शुरू कर दिया। मैने एक नजर मा की तरफ देखा तो वो पापा से कुछ इशारे कर रही थी और खाना भी खा रही थी ।
इसी बीच मैने अपना पैर चप्पल से निकाला और चुपचाप दीदी के पैर के उपर रख दिया,,,, और तिरछी नजर से दीदी को देखा तो उनकी आंखे बड़ी हो गई थी और मुह मे निवाला रुक गया था ।
मै भी मज़े लेटे हुए

मै - अरे दीदी क्या सोच रही हो खाओ ना
दीदी हड़बड़ा जाती है और मुझे हसी आ जाती
पापा - क्या हुआ सोनल कोई दीक्कत तो नही है न बेटा
दीदी - नही पापा खा तो रही हू और मेरी जान्ध पर चींटी काटती है

मै -उह्ह्ह्ह्ह क्या कर रही हो दीदी ,,,मै उनकी तरफ झुक कर फुसफुसाया
दीदी ने अपने पैर पर रखे मेरे पैर को दिखाया
मैने वापस अपना पैर हटा लिया और दीदी मुस्कुराने लगी ।
फिर ऐसे ही मस्ती मे हमलोगो ने खाना खाया और छत पर चले गए ।
छत पर
एक बड़ी चटाई बिछायी गयी ,, जिसपे एक साइड मे पापा लेट गये ,, उनके बगल मे मा बैठी और अनुज मा क गोद मे लेट गया, बुआ मा के बगल मे थी और मै दीदी छत पर चार दिवारी से दुसरी तरफ देख रहे थे । एकदम हल्की चांदनी रात थी ,,,, आसमान मे जुगनु और तारे थे ।

पापा - तब कल के लिए पैकिंग हो गई रगिनी
मा - हा जी हो गई है
पापा - तब कब से निकलना है
मा - सुबह 9 बजे तक

मै की बात सुनते ही दीदी का हाथ पकड लिया
दिदी धिमी आवाज मे - क्या कर रहा राज सब यही है
मै - दीदी कल मै चला जाऊंगा दो दिन के लिए
दीदी - तो वापस तो आयेगा ना
मै - लेकिन आपकी याद आयेगी ना और मै तड़पुँगा आपके लिए
दीदी - अच्छा जी तो क्या करूं कि आप ना तडपो ,मै भी चलू
मै - नही उसकी जरुरत नहीं है,, एक चुम्मे से भी काम चल जायेगा ,,,
दीदी - पागल है क्या देख नही रहा यही सब है ।
मै - इधर नही वो जीने के दुसरी तरफ चलो टहलते हूए ,,बस एक किस्स और वापस आ जायेंगे
दीदी - क्या कह रहा है तू कोई देख लेगा तो आज ही शुरू हुई लव स्टोरी का the end हो जायेगा

मै - प्लीज ना प्लीज ,,,मै जा रहा हूं अगर मेरे से प्यार करते हो तो जीने की तरफ आ जाना
फिर मै धीरे धीरे जीने की तरफ पीछे चला गया ।
इधर मा पापा और बुआ आपस मे बाते किये जा रहे थे नॉर्मल ही ।

मैं बेचैनी से दीदी का इन्तजार कर रहा था और करीब 2 मिंट बाद दीदी मेरी तरफ आने लगी ,,मै खुश हो गया
दीदी - ये क्या पागलपन है राज , कब तक तू ऐसे मेरे प्यार की परीक्षा लेगा भाई ,,,आखिर कब तू ये सम.....
इससे पहले दीदी कुछ और ज्ञान देती मैने लपक कर दीदी के होटो को अपने होटों से जोड लिया और चूसने लगा और फिर दीदी ने भी मेरा साथ देने लगी,,,मैने उनकी मुलायम कमर मे हाथ डाला और अपने करीब लाकर अपने जीभ को उन्के मुह डाल दिया और दीदी मेरे जीभ को चूसने लगी । फिर मै उनके होठो से हट कर उनको खुद से चिपकाये हुए उनके मुलायम चिकनी गालो को चूमने लगा और धीरे धीरे उनके कान को जीभ से स्पर्श करने ल्गा , जिससे दीदी की सांसे नशीली होने लगी और उनके हाथ मेरे पीठ और कमर पर रेगने लगे ,,, कान से होते हुए मैने उनकी सुराहिदार गले की खुस्बू को सूंघते हुए उनके कंधे पर अपनी नाक और होठ रगड़ने लगा ,, दीदी पुरे जोर से मुझे अपने आप से चिपकाये हुए बहुत ही हल्की और बेहद नशीली आहे भरते हुए सिसक रही थी । फिर मैने उनको एक जोरदार किस्स्स करके छोड दिया और वापस टहलने लगा जबकि दीदी वही जिने की दीवाल के सहारे सांसे बराबर रही थी । मै एक नजर पापा की तरफ डाली और वापस टहलते हुए दीदी के पास गया और देखा दीदी दीवाल से टिक कर आंखे बन्द किये सांसे ले रही है तो मै वापस से झुक कर दीदी के होठो को चूसने लगा । मेरे होठ जैसे ही दीदी के नरम होठो को छुते है दीदी लपक कर मेरे उपरी होठ को दबा लेती है और चूसने लगती है । मैने दिदी के दोनो हाथों को पकड कर दीवाल पर उपर टिका के जोरदार और गहरी किस्सिंग करने ल्गा ,,,हम दोनो एक दुसरे की होठो को चुस्ते हुए एक दूसरे की जीभ को चूसना चाह रहे थे । थोडी देर बाद मै फिर अलग हुआ तो दीदी मेरे सीने से लिप्त कर मुझे गले लगा लिया
दिदी - आई लव यू सो मच भाई ,,, आई लव यू
मै - आई लव यू टू दीदी ,,,
दीदी - भाई मै भी चलू कल मामा के यहा ,,,मेरा मन नही लगेगा यहा अकेले तो
मै - नही दीदी मै दो दिन मे आ जाऊंगा ना ,,, थोडा तडपना भी चाहिये प्यार मे
दीदी - मुझे बहुत याद आयेगी तेरी
मै - मै जलदी आ जाऊंगा
फिर हम लोग अलग हुए और टहलते हुए मा पापा की तरफ चले गये ।मै दीदी को अपनी तरफ पूरी तरह से लुभा चूका था और वो धीरे धीरे मेरे जिस्मानी हरकतो के लिए पागल होने लगी ।

मा - सोनल अनुज को लिवा जा ये सो रहा है यहा
दीदी - ठीक है मा ,, चल अनुज निचे चलते हैं
मा - राज तू कहा सोयेगा बेटा
मै - जहा आप लोग सोवोगे
मा - मै तो यही सोऊंगी आज
मै - तो मै भी यही सो जाता हू
फिर मै बुआ के बगल मे लेट गया और दिदी अनुज को लिवा के निचे चली गई ।

बुआ - चलो भाभी लेट जाओ ऐसे ही बाते करनी ही है ना
मा - हा दीदी सही कह रही है
फिर बुआ मेरे बगल मे और मा बुआ और पापा के बीच मे लेट गयी ।

बुआ - अरे भाभी आपको गर्मी नही लग रही है क्या आप साडी पहनी हो
मा - गर्मी तो है दीदी
पापा - अरे तो साडी निकाल दो ना रागिनी ,,,
मा - हा ठीक है रुकिये
फिर मा खड़ी होती है और अपनी साडी निकाल लेती है साथ मे ब्लाउज भी क्योकि मा ने ब्रा पहन रखा था ।
मा अब पेतिकोट ब्रा मे आ गई थी उनकी कसी चुचियो को देखकर लण्ड अंगड़ाई लेने ल्गा । फिर मा लेट गई और मै बुआ की तरफ करवट लेके घूम गया ताकि होने वाली घटनाओ पर नजर डालें रखु ।
इधर पापा मेरे सोने का इन्तेजार कर रहे थे और मैने धीरे धीरे बुआ की चुचिया टीशर्त मे हाथ डाल के सहलाए जा रहा था जिससे हल्का हल्का बुआ नशे में जाने लगी थी ।
बिच मे पापा और बुआ अपने बचपन की बाते मा को बता रहे थे । कारिब 20 मिंट बाद पापा - राज सो गया दीदी
बुआ जानती थी कि मै जाग रहा हू और उनकी चुचे को सहला रहा हू ।
बुआ - हा भैया सो गया है ये तो
पापा - रगिनी जानती हो बचपन मे मै जंगी और क्म्मो, दीदी के उपर ही सो जाते थे
मा - अच्छा सच मे क्या दीदी
बुआ - हा भाईया और आप वो क्यू नही बताते की आप मुझे भैस बोल कर क्यू चिदाते थे ,,वो भी बताओ ना अपनी शरारते कौन ब्तायेगा

मा - क्या जी आप भी ऐसे कोई बोल्ता है अपनी दीदी को
पापा - वो मैने नही रखा था नाम ,, वो तो ह्मारे मामा का लड़का लखना ने रखा था
मा - अरे लेकिन क्यू
पापा - वो कहता था कि दीदी का पिछ्वाडा चलने पर भैस जैसा हिलता है और दूध भी भैस की थन जैसी है

मा - हा वैसे बात तो ठीक बोला था वो
बुआ - क्या भाभी आप भी
मा - क्यू कौन सा गलत बोला था वो एकदम सही बोला हिहिहिही
पापा - अरे दीदी मै तो भूल ही गया
बुआ - क्या भैया
पापा - वो शर्त जो जीत था मै
बुआ - अरे हा ,,मागो भैया क्या चाहिये आपको
पापा - वो मुझे आज फिर से बचपन की तरह आपके उपर सोना है
मा - क्या जी आप भी ,,राज यही है कुछ तो लिहाज करो

बुआ - कोई बात नहीं भाभी वो सो गया ,, वैसे भी भईया शर्त जीते है तो
इस समय मै बुआ के नंगे पेट को सहला रहा था
पापा - तो क्या मै आ जाऊ दीदी
बुआ - हा भैया आ जाओ ना ,,बचपन की यादे ताज़ा हो जायेगी ,,,
अब पापा मा और बुआ के बिच आ गये ।

मै अब और ज्यादा उत्तेजीत होने ल्गा कि अब जल्द ही पापा बुआ की गर्म चुत में लण्ड डालेंगे ।
बुआ ने मेरा हाथ अपने पेट से हटा दिया क्योकि वो नही चाहती थी कि किसी को पता चले मै जाग रहा हूँ ।

मा - तो जी कैसे सोते थे आप दीदी के उपर
पापा - दीदी को पहले पेट के बल सोने की आदत पड़ गई थी और मै जब दीदी को सोते देखता तो इनके पीठ पर सोकर हाथ आगे ले जाकर कस कर पकड लेता था ।

मा - क्या सच मे दीदी
बुआ - हा भाभी और कभी कभी तो सिर्फ अंडरवियर मे ही उपर चढ़ जाता था
मा - सच मे आप आज भी वैसे ही हो शरारती
बुआ - वो कैसे भाभी
मा - अरे आपके जाने के बाद अब मेरे ऊपर पीछे से चढ़ कर सोते हुए हाथ आगे ले जाकर मुझे परेशान करते है ।
बुआ - हीहीहि सच मे क्या भाभी
मा - अरे उतना करते तो ठीक था
बुआ - अच्छा ऐसा क्या करते है
फिर मा उठ कर बैठ गई
मा - रुकिये मै इन्ही से करवा के बताती हू आप जरा पेट के बल एक पैर फ़ोल्ड करके सोईए और दोनो हाथो को सर के निचे कर लिजीये ।
मा के बताये अनुसार बुआ ने करवट लेकर गान्ड उथाये वैसे ही लेट गयी और मा की तरफ चेहरा कर जिससे उनकी एक चुची भी उसी तरफ चटाई पर फैल गये जिस तरफ बुआ का चेहरा था ।
मा - चलिये जी अब आप दिदी के उपर आ जाईये ।
फिर पापा उठे इस समय वो एक जांघिये बनियान मे थे और दोनो पैर बुआ की कमर के दोनो तरफ रखा और धीरे-धीरे बुआ की उठी गाड़ पर लण्ड को रख के बुआ के उपर आ गये और बुआ के चेहरे पर अपना चेहरा रखा

मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये

पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।


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मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये

पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।

अब आगे
मै कनअखियों से लगातार मा पापा और बुआ के हरकतो और उनकी बातो पर नजर बनाये थे ।
चुकि बुआ तो जानती थी कि मै जग रहा हू और मा को मेरे जागने या सोने से कोई दिक्कत नही थी क्योकि वो जानती थी कि आज रात के प्लान के बारे मे मुझे पता है और रही बात पापा की तो वो बुआ की मुलायम गदरयी गान्ड पर लण्ड रगडने मे इतना आनन्द मे थे कि मेरी बात ही नही थी उनके जुबान पर ,,,,वो लोग बेफिकर एक दुसरे की हवस को भडकाये जा रहे थे ।

इधर पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की गाड़ पर अपना लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया और एक हाथ से बुआ की चूचि भी मसलने लगे,, नतिजन कुछ ही समय मे मेरी रन्डी चुद्क्क्ड बुआ को खुमार चढ़ने लगा,,, दोनो भाई बहन एक दुसरे के लिए प्यासे मर रहे थे लेकिन कोई खुल कर पहल नही कर रहा था ।
मा बीच मे एक इनडायरेक्ट तरीके से कुछ कुछ बातो से बुआ और पापा को करीब ला रही थी ,,लेकिन मै तो उस पल के इंतजार मे था जब पापा खुलकर बुआ को गाली देते हुए कुतिया बना कर उनकी गाड़ मारे ।

करीब 2 3 मिंट बाद माहौल गरम होने लगा और बुआ की आहे अब सिसकियाँ लेटे हुए बाहर आने लगी जिसका फायदा उठाकर पापा और अच्छे से कमर उपर निचे करके बुआ की मोटी गाड़ की दरारो मे लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया ।

मा - क्यू दीदी परेशान हो गई ना
बुआ को ल्गा अब मा पापा को हटने को ना बोल दे इसिलिए बात को बदल कर
बुआ - अरे नही भाभी ,,, वो बचपन मे ऐसे ही कयी बार भईया ने मेरे उपर सोते हुए दूध दबाए है।
मा - क्या सच मे तब आपके दूध बडे थे दीदी
बुआ - हा मेरे उमर की लड़कियो के हिसाब से बडे ही थे ,,,आह्हह हम्म्म्म आह्हह
पापा लगातार बुआ को गरम किये जा रहे थे
मा - उस हिसाब से आपका कोई शादी से पहले दोस्त रहा होगा जरुर
बुआ -आह्हह उम्म्ंम्ं इश्स्स्स क्या पुछ रही हो भाभी ये ,,,आप ये कहना चाहती हो कि शादी से पहले से ही मैने अह्ह्ह्ह इश्ह्ह आराम से भैया दर्द हो रहा है
पापा बुआ की बातो मे एक सहमती सी नजर आई और वो बुआ के कान के पास जाकर एक नशीली मादक आवाज मे
पापा - बताओ ना दीदी क्या सच मे शादी से पहले वो किया था ,,, बोलो न दीदी
मा - अब बता भी दीदी ,,, अब तो आपके भईया भी पुछ रहे है
बुआ - हा मैने किया था ,अह्ह्ह्ह इश्ह्ह अम्म्म्ंम्ं उफ्फ्फ लेकिन मेरे वो शादी से पहले करने का मुख्य कारण भईया ही थे ।
पापा के साथ मा और मै सब चौक गये और
पापा ने बुआ को छोड दिया और बगल मे लेट गये

पापा - मै ,,, लेकिन कैसे दीदी
मा - हा दीदी ,,,उस चीज़ के लिए ये कैसे जिम्मेदार है

बुआ - वो भईया अक्सर मेरे उपर सो कर नादानी मे मेरे साथ खेलते थे , मेरे उपर सोते थे , मेरे दूध दबा दिया करते थे तो मै बहुत गरम हो जाती थी और ऐसे ही एक दिन मेरा सबर टुट गया और मै बहक गयी
ये बोल कर बुआ सीधि लेट गयी जैसे उनको इस बात का बहुत पचतावा हो । पापा को इशारे से मा को बुआ बगल मे जाने को बोलते है तो मा मेरे और बुआ मे बिच मे जगह बनाते हुए लेट जाती है और बुआ के कन्धे को पकड कर उन्हे मानो तसल्ली दे रही हो ।
तीनो लोग हवस मे भरे हुए थे लेकिन सबने अभी तक शराफत का नकाब लिया हुआ था।
मा - देखिये दिदी उस बात का आप अफसोस ना करिये ,,मुझे पता है आप उस समय अपने हलातो से मजबुर थी,, क्यो जी
पापा - हा दीदी ,, देखिये मुझे कोई गिला नहीं, बल्कि मै आपसे माफी मांगता हू कि मेरी वजह से ऐसा हुआ

बुआ - नही भईया उसकी जरुरत नहीं है उसमे मेरा ही स्वार्थ था
मा - लेकिन आपने किसके साथ किया था
बुआ - वो हमारे मामा के लडके लखना के साथ ,,उसी ने मेरी ...
पापा - लेकिन वही क्यू दीदी , आप अपनी तकलीफ मेरे से भी बता सकती थी
बुआ - कैसे बताती भईया उस समय आप नादानी मे कर रहे थे वो सब और आप लखन की सारी बाते मुझसे बताते थे कि वो मेरे बदन के बारे मे क्या क्या कहता है ,,,बस यही सब मुझे भा गया और मै एक दिन मामा के यहा मौका देख कर उसको मेरे नाम का मूठ करते हुए पकड लिया गोशाला में, और पहली बार मैने किसी का लिंग देखा था , उस दिन मुझे सामने पाकर लखन ने मेरे सामने प्रस्ताव रख दिया और मै काफी दिन से गर्म थी तो मना नही कर पाई और वो सब हो गया ।
पापा- कोई बात नहीं दीदी आपने जो भी किया अपनी जरुरत के लिए किया , लेकिन एक बात मुझे समझ नही आई हम लोग साल मे एक बार ही मामा के यहा जाते थे फिर भी आपके दूध इतने बडे कैसे

बुआ - अब आपसे क्या छिपाना भैया , पहली बार करने के बाद मुझे उस चीज़ की लत लग गई और एक दिन भी गुजारना भारी होने लगा

मा - और क्या दीदी
बुआ - और मै अपने स्कूल के ही अन्ग्रेजी के मास्टर से आकर्षित हो गयी और दो साल तक उनहोंने ही ....
पापा - अच्छा तभी आप और कम्मो स्कूल के बाद भी अन्ग्रेजी वाले मास्टर जी के यहा जाते थे पढने
बुआ - हा भईया मै खुद के शरीर के आगे मजबुर थी
मा - तो क्या कम्मो भी इन सब मे शामिल थी ।

मा के इस सवाल से मै भी चौक गया और साथ मे पापा भी
पापा - क्या ये सच है दिदी
बुआ - अरे नही नही ,, कम्मो बहुत ही नियंत्रण वाली लड्की थी ,,,मै उससे एक दोस्त की तरह ही बाते शेयर करती लेकिन हमेशा से वो अपने मर्यादा मे रही है । लेकिन मेरे साथ रहने की सजा उसे भी मिली , क्योकि मेरे भरे बदन का जिक्र अक्सर मुहल्ले मे होने लगे थे ,, लोग कोई और सवाल ना उठाए इसिलिए एक अच्छा घर देख कर बाऊजी हम दोनो की शादी एक ही घर मे दो भाईयो पर करवा दी ।

पापा - तो क्या कम्मो और आप वहा खुश नही है क्या
बुआ - अरे नही भईया जो भी होता है अच्छे के लिए होता है हम दोनो के पति बहुत अच्छे है और परिवार भी अच्छा है ।

पापा - मै खुश हू दीदी आपके लिए,,लेकिन इस बात का हमेशा गिला रहेगा कि जिसने आपको जीवन का असली सुख से रुबरू करवाया उसे आपने समय आने पर भी मौका नही दिया

बुआ - मै समझी नही भैया खुल कर बताओ न
मा - अरे दीदी आपके भईया के कहने का मतलब है कि उनकी वजह से ही आपको शादी से पहले दो दो लंड से चुदने को मिल गया और आप उनही को भूल गये ।

बुआ - धत्त भाभी आप भी सीईई आह्हह क्या कररही हो मेरे दूध क्यू पी रही हो भाभी आप अह्ह्ह्ह
मै बुआ की ये बात सुन कर काफी उत्तेजित हो गया कि मेरे बगल मे करवट लेकर ब्रा और पेतिकोट मे मेरे तरफ अपनी गाड़ फैलाये लेती मेरी मा बुआ के चुचे पी रही है

पापा - क्या सच मे रागिनी कैसा है दिदी के दुध का स्वाद
मा - खुद चख लो जी आप ही
पापा - मै ,, दिदी क्या मै भी थोडा सा स्वाद ले लू
बुआ इस समय मा के द्वारा चुची चुस्वा कर मधोश हो गई थी और वो तो कबसे मचल रही थी पापा के लण्ड के लिए तो मना कैसे करती
बुआ - आह्हह हा भईया क्यो नही आप ने ही तो मुझे जीवन के मज़े से जुड़ने की राह दिखाई थी ,,, देखो कैसा है मेरे दूध का स्वाद

फिर पापा भी बुआ के दुसरे चुचे को टीशर्ट से निकाल कर हाथो मे भर कर चूसने लगे ।

बुआ के दोनो चुचे उन्के अपने सगे भईया और भाभी मिल कर चुस रहे थे और बुआ दोनो के सर सहलाते हुए आहे भररही थी ।
हल्की चाद्नी रात मे मुझे मा की पीठ ही दिख रही थी बाकी सारी कहानी बुआ की सिसकियाँ और तीनो की बाते बया कर रही थी । इस सेक्सी रोमाच मे मेरा लण्ड पिस रहा था ,,,ना मै उसे बाहर निकाल कर शांत कर सकता था ना ही उत्तेजना से भरे इस माहौल से कही दूर जाने का मन था ।

उधर बुआ मदहोसी मे लगातार आहे भरते हुए अपनी भावनाये खोल कर पापा मम्मी से सामने रखने लगी थी ।

बुआ - अह्ह्ह्ह भैया उम्म्ंम भाभी अह्ह्ह्ह आह्हह उफ्फ्फ्फ हम्म्मं बहुत मज़ा आ रहा है भैया आह्हह ऐसे ही चुसो मेरे दूध आह्हह उम्म्ंम्ं हा भाभी ऐसे ही चाटो आह्हह उम्म्ंम

मा - लग रहा है इन चार दिनों मे दीदी आप बहुत ज्यादा गरम हो गयी है
बुआ - हा भाभी मै तो यहा तरस गयी हू लण्ड के लिए आह्हह भईया आह्हह आराम से आह्हह
मा - तो बोलो ना अपने भैया को कि आपकी प्यास बुझाने के लिए
बुआ - नहीईईई येहहह क्याह्हह कह रहीई होओओओ भाभी आह्हह उम्म्ंम मै कैसे
पापा - मै तैयार हू दीदी अगर आप हा करो तो ,, मुझे आपकी ये तडप देखी नही जाती और मै फिर से बचपन की तरह आपको प्यासा नही छोड़ना चाहता

बुआ - लेकिन आप मेरे भाई हो मै आपके साथ कैसे
पापा - दीदी क्या मेरा ये फर्ज नही है कि मै आपको खुश रखु और बचपन मे हुई गलती सुधारने का मौका दिजिये आप प्लीज दीदी

बुआ चुप रही और धीरे धीरे उनकी दबी हुई सिसकिया वापस आने लगी क्योकि पापा बुआ की जांघो मे अपना सर घुसा चुके थे और मा अपना ब्रा निकाल कर अपना एक चूचा बुआ के मुह मे भर कर उनकी चुचे को सहला रही थी । मा के सोने के पोजिसन बदलने से उनकी भारी मोटी गाड़ मेरे और करीब आ गई सबको बिज़ी देख कर मैने गरदन को थोडा उपर करके देखा तो निचे पापा बुआ की चुत लपाल्प चाटे जा रहे थे ।

इसी बीच मैने भी लोवर मे से लण्ड को थोडा सा बाहर करके उसे आराम दिया और वापस अंदर डाल लिया क्योकि मै इस थ्रीसम मे कोई बाधा नही बनना चाहता था बल्कि सही मौके के इंतजार मे था ।

एक तरफ पापा बुआ की गान्द से लेकर उनकी पानीयायि चुत को चाट रहे थे जिस्से बुआ मा के निप्प्ल को और तेज चुस रही थी

मा - अह्ह्ह्ह दीदी आराम से चुसो ना बदला ले रही हो क्या
बुआ मा की चुची को निकाल कर - नही भाभी वो आह्हह उम्म्ंम्म्ं भईया निचेअह्ह्ह्ह उम्म्ंम आह्हह भैया खा जाओगे क्या आप आह्हह आह्हह ऐसे ही चातो और्हाह आह्हह आह्हह उम्म्ं उफ्फ्फ्फ भईया आप पागल कर अह्ह्ह्ह आह्हह

बुआ तेज़ी से गाड़ पटकने लगी शायद वो पापा के मुह पर ही झड़ रही थी । थोडी ही देर मे बुआ की भारी आहे मादक सिसकियो मे बदल गयी और पापा उठ कर खड़े हो गए,,,
फिर पापा ने अपना कच्छा निकाल दिया और चान्द्नी रात मे उन्का लन्द झुल्ने ल्गा ,,, और वो थोडा चल बुआ के चेहरे के उपर और मा के चेहरे के सामने खड़े हो गये ।
मा ने देरी ना करते हुए पापा का लण्ड मुह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया और बुआ निचे से लेटे लेटे ही पापा के झूलते आड़ो को देख कर अपनी चुचिया मिजने लगी।

मै इस बेहद कामुक दृश्य को देख कर उत्तेजित होकर बस अपने लण्ड को सजा ए दर्द दिये जा रहा था ।

उधर बुआ को खड़े लण्ड को मा के मुह अंदर बाहर होते देख वो एक हाथ उपर करके पापा के झूलते आड़ो को सहलाने लगी और दुसरे हाथ से वापस चुची को मिज रही थी ।

पापा - आह्हह दीदी आजाओ ना आप भी उम्म्ं आह्हह रागिनी के साथ

मा - हा दिदी उठो ना आप भी लो अपने भईया का लण्ड
फिर पापा ने खुद घूतने के बल आ कर बुआ का काम आसान करते हुए अपना लण्ड उनके होटों पर रगडने लगे ,,, बुआ ने भी जीभ निकाल कर पापा के लण्ड को गिला करना शुरू कर दिया और थोडा सा खुद को करवट लेकर लण्ड को मुह मे भर लिया । पापा ने बुआ के सर को थामा और खुद ही उत्तेजीत होकर बुआ के मुह मे पेलने लगे ।

मा - हा दीदी लेलो अपने भैया का लन्ड़,,, देखो जी कैसे रन्डी की तरह आपकी दीदी लण्ड की भुखी लग रही है

पापा - आखिर मेरी वजह से ही तो दीदी रन्डी बनी ,,क्यू दीदी
बुआ ने लण्ड निकाल कर - हा भईया आपकी वजह से ही तो मैने लण्ड का मज़ा ले पाई और आज आपकी रन्डी दीदी बन गई हू ,,,,
पापा - सच मे दीदी मै हमेशा से आपको भोगना चाहता था एक रन्डी की तरह लगता था मुझे आपका जिस्म
और पापा ने बुआ के चुचे मसल दिये
बुआ - आह्हह भैया तो भोग लो अपनी दीदी को रन्डी समझ कर ,,, मै तो लंड की प्यासी हू भईया चोद दो मुझे अह्ह्ह्ह मत तडपाओ

मा - हा जी अब मुझे भी दीदी की तडप नही देखी जाती बना लो अपनी दीदी को अपनी रन्डी और चोद दो

मै उन तीनो के चुदाई और गाली गलोज की बातो से बहुत ही उतेजीत हुए जा रहा था । सोच रहा था कैसे आखिर मै मेरे लण्ड को शांत करू ,,, अगर उन लोगो की तरफ पीठ करू तो कोई नजारा नही देख पाऊन्गा । ऐसे मुझे एक विचार आया क्यू ना मा को अह्सास दिलाऊ की मै भी जाग रहा हू और मुझे भी उनकी जरुरत है ,, वो कुछ ना कुछ जुगाड जरुर करेगी ।
मै इसी प्लानिंग मे था की अचानक से बुआ की तेज कामुक अह्हे सुनाई देने लगती है । मैने नजर घुमायि तो पापा बुआ के उपर चढ़ कर घपाघप बुआ की चुत में पेले जा रहे थे और मा बगल मे लेटे पापा के कमर और पीठ पर सहलाए जा रही थी ।

बुआ - आह्हह भईया अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चोदो और चोदो अपनी बहन को ,,, रन्डी बना लो भैया अपनी अह्ह्ह्ह ऐसे ही हा हा जा ऐसे ही चोदो अह्ह्ह्ज मज़ा आ रहा है भैया अह्ह्ज बहुतहहहह अह्ह्ह्ह भैयाआआआहहह

पापा - ले ना मेरी चुद्क्क्ड दीदी आह्हह और ले तू तो पहले से ही रन्डी है मेरी जान हहहह अह्ह्ह्ह और ले ये ले और ले ,,येईह्ह्ह्ह येह्ज्ज्ज हम्म्म्म्म्ं ले साली रन्डी ,,मै तो हमेशा से जानता था कि मेरी दिदी ने बहुत लण्ड खाये है लेकिन तू बड़ी थी तो कुछ बोला नही,,, लेकिन अब ,
बुआ - अब क्या भैया आह्हह आह्हह
पापा - अब तो तेरे भोस्दे और गाड़ का कचूमर निकाल कर ही जाने दूँगा तुझे सालि कुतीया ,,, एक न की चुद्क्क्ड है तू मेरी रान्ड बहन और किस किस के लण्ड लिये है तुने बता ना मेरी जान आह्हह
बुआ - अह्ह्ह्ह भैया और चोदो और चोदो फाड दो आज सब कुछ रहम मत करो आह्हह

पापा - सब फादुगा मेरी रान्ड बता ना ससुराल मे भी किसी का लण्ड लिया है क्या ,, क्योकि मेरे जीजा के बस का तो नही लग रहा है कि वो अकेले तेरे गान्ड और चूचे इतने बडे कर पाये,,,येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह बताआअहहह नाआह्ह मेरीईई जाआन्ं आह्हह

बुआ - आह्हह नहीईईई भैयाआआआह्ह्ह मैने शादी के बाद घर के बाहर कही मुह काला नही किया कभी अह्ह्ह्ह आह्हह ऐसे ही चोदो हा ऐसे ही बहुत मज़ा आ रहा आपके लण्ड से आह्हह उम्म्ंम्ं आह्हह बहुत ही मज़ा है आह्हह ,,,

पापा - लेलो दीदी अपने भैया का लण्ड अह्हे ये लो ये लो

इधर पापा और बुआ चूदाई मे लगे थे तो मा उन्के देख्ते हुए अपने चुचे मसले जा रही थी ,,,मैने भी मा को तडपते देखा और मौके का फायदा उठाकर जल्दी से लोवर को निचे कर लण्ड को बाहर निकाल लिया और मा की गान्द से चिपक गया ।
मा को पहले लगा कि मै शायद निद मे हू तो पहले ध्यान नही दी फिर जब मैने उनकी गाड़ मे लंड को चुबोना शुरू किया तब वो समझ गई और हाथ पीछे लेजाकर मेरे खड़े लण्ड को थामा और मुझे थोडा सा पीछे कर सीधे लेट गई,,, अभी भी मेरा उनके हाथ मे ही था ,,,मुझे मा का स्पर्श मिलते ही लण्ड मे और जोश आने लगा मेरा लण्ड मा की मुथ्थी मे और कसने लगा जिससे मा थोडी परेशान होने लगी और वो एक नजर बुआ और पापा पर मारा और फिर मेरे तरफ गर्द्न किया तो मै मुस्कुरा रहा था ।
चुकि पापा और बुआ दोनो फुल मोड मे होर्नी होकर चुदाई मे मस्त थे तो
मा बहुत ही धीमी आवाज मे मुझ्से बोली - तू कबसे जाग रहा है
मै - मै सोया ही कब था
मा - तो सो जा अभी कुछ नही हो सकता
मै - मा प्लीज बहुत दर्द हो रहा है इसमे ,,,ये बोल कर मैने लण्ड को हल्का सा मा की मुथ्थी मे धक्का लगा दिया
मा ने वापस एक नजर पापा बुआ को देखा और बोली - अच्छा रुक बताती हू । तू इसको अंदर कर अभी और चुप रहना

मा ने वापस से करवत ली
मा - अरे मेरे बारे मे सोच लो मेरी जान या सारी रात अपनी रन्डी बहन को ही पेलोगे
पापा - मेरी जान आज बहुत दिनो बाद मुझे दीदी को भोगने का मौका मिला है तो आज रात तुम मुझे दीदी के साथ मज़े लेने दो ना
मा - क्या जी मै भी कल चली जाऊंगी मायके और तडप कर रह जाऊंगी ,,, मा ने नाटक करते हुए कहा
पापा - हा ये भी तो तुम ही बताओ क्या दीदी को ऐसे ही छोड दू
बुआ - नही भैया रुकना मत आज पूरी रात मुझे चोदो आप आह्हह अहज्ज्ज अह्ह्ज

पापा - लेकिन दीदी रागिनी का क्या
बुआ - बगल मे राज सोया है ना भाभी आप उसका लण्ड लेलो ना
पापा - हा जान देखो उसका भी लण्ड लोवर मे तना है लग रहा है कि मेरा बेटा सपने मे किसी हसिना को चोद रहा है ।
पापा ने टॉर्च मेरे उपर जला कर बोला

मा - क्या जी आप लोग क्या बात कर रहे हो वो मेरा बेटा है और कही जग गया तो

पापा - अरे हम लोग कबसे इत्नी तेज आवाज मे चुदाई कर रहे हैं वो नही जगा तो अभी तो वो सपने मे मज़े ले रहा है ,,, यही मौका है रागिनी लेलो राज का लन्द

मा - क्या आप मुझे भी अपनी दीदी की तरह रन्डी बनवाना चाहते हो
पापा - हा मेरी जान मै भी देखना चाहता हू कोई तुम्हे चोदे और तुम मेरे नाम की आहे भरो । पापा बुआ की चुत मे हल्के धक्के लगाते हुए बोल रहे है ।

इधर मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया था , मन तो था कि अभी खुलकर सबके सामने आ जाऊ और चुदाई के जुड़ जाऊ । लेकिन मेरे इस फैसले से मा के बात से मुकरना पडता ,,,क्योकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मा ने जो कहा वो करेगी ।

बुआ - आह्हह भाभी सोचो मत लेलो आखिर कब तक तदपोगी ,,, देखो वो गहरी निद मे है ,,,और मै भईया को नही छोडने वाली
पापा बुआ की जांघो को अपने कन्धे पर रख कर लण्ड को बुआ की चुत मे रगड़कर पेलते हुए बोले - आह्हह जान कल जाने से पहले मै तुम्हे जरुर चोदन्गा ,,,, अभी मत तद्पो तुम ,,,, इससे पहले राज का लन्ड़ बैठ जाये उसे डाल लो अपनी चुत मे
ये बोल कर पापा थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप करके बुआ की चुत में चोदने लगे ।
बुआ - अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हा भईया आह्हह और तेज अज्ज्ज पूरी रात चोदो और तेज अज्ज्ज उम्म्ंम्ं आआ हा ऐसे ही अय्से ही अह्ज्ज अजज

मै मन ही मन बहुत उत्तेजित कि पापा खुद मा को मेरे लण्ड पर बैठने को बोल रहे हैं,,, और मा के नाटक से भी मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया ।

मा - देखो मै आखिरी बार पुछ रही हू क्या मै सच मे राज के साथ
पापा - हा मेरी जान मेरी इजाजत है अब निकालो उसका लण्ड ,,बुआ की चुत की गहरायी मे लण्ड डुबोते हुए पापा बोले

मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।


आगे की कहानी अगले अपडेट मे । आप सभी के प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
 
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मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।
अब आगे

मेरे अंदर एक अलग ही तुफान मचा था और मै चाह कर भी सामने नही आ सकता था ।
वही मा को मेरे बगल मे बैठा देख पापा बोले - जान जरा मेरे बेटे का लण्ड को निकालो बाहर ,, देखे तो कैसा है

मा मुस्कुराते हुए मेरे लोवर को खीच कर नीचे कर दिया और मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया

पापा बुआ को चोदते हुए - अरे वाह्ह्ह रागिनी अभी से राज का लण्ड इतना बड़ा हो गया तो आगे भी और बड़ा होगा ।

बुआ - अरे चुसो भाभी ना उसका लण्ड शायद और बड़ा हो जाये हिहिहिही ,,, आप ना रुको भईया
पापा - दीदी अब आप मेरे उपर आ जाईये
बुआ - क्यू थक गए अभी से
पापा - अरे मेरी जान अभी कहा बस मेरे चोदने के तरीके देखो और पूरी रात चुदो

पापा - देख क्या रही हो रागिनी पकड़ो राज का लण्ड,,, लग रहा है जैसे सपने मे कोई जबरजस्ट माल को चोद रहा है मेरा बेटा

मा ने बिना कुछ बोले मेरे लण्ड को एक बार फिर से थाम लिया
मा - ये जी ये बहुत ज्यादा तप रहा है
पापा - तो चुस कर थोडा ठण्डा कर दो जान
इसी बीच पापा निचे लेट गये और बुआ भी पापा के दाई तरफ होकर मा की तरफ मुह करके पापा के लण्ड के बगल ने बैठ कर उनका लण्ड हिलाने लगी ।

बुआ मा को छेद्ते हुए - आह्हह भाभी कित्ना मस्त लण्ड है मै आऊ क्या लेने उसको ,,, चुद्ते हुए लण्ड चूसने का मज़ा मिल जायेगा

मा को लगा वुआ मेरे लण्ड को भी कब्जा लेन्गी इसलिये वो झुक कर गप्प से मेरे लण्ड के सुपाडे को मुह मे भर लिया और चूसने लगी
मा की इस हरकत से मेरी दबी हुई आह्हह भी निकली

इधर बुआ और पापा भी मज़े से मा को मेरा लण्ड चुस्ते देख रहे थे ।
पापा - दीदी आप भी चुसो ना मेरा लण्ड आह्हह हा ऐसे ही और अंदर लेलो आह्हह उम्म्ंम्ं मै भी पापा की सिस्कियो के साथ मीठी आहे भर कर खुद को नियंत्रित करने मे ल्गा था लेकिन मा जिस अदा से मेरे लण्ड को चुस रही थी वो बेहद ही रोमाचक था ,,,,उन्के नाजुक होठ मेरे लण्ड की गोलाई मे जड़ तक जाते और गले मे मेरा सुपाडा फड़क जाया करता ।
एक तो मा के मुह मे लण्ड चुसवाना उपर से बगल मे लेता हुए बाप खुद बोले की चुद लो मेरे बेटे से ,,, आह्हह ये अह्सास को शब्दों में बाँध नही सकता था ये अह्सास ती सिर्फ मेरा फडफ्ड़ाता लण्ड और मेरी दबी हुई सिसकिया ही समझ सकती थी । मे तो खुल कर एक बार आहे भरना चाहता था ,,, मा की जीभ का मेरे सुपाडे पर हर स्पर्श मेरे अंदर एक नया जोश ला देता ,,मेरी सांसे भारी हो जाती थी ,,,,लेकिन मा ने तो मुझ पर रहम ना खाने की कसम खाई थी , उसे कोई डर नही था बल्कि वो तो अपने पति के सामने अपने बेटे का लण्ड चूसने के अह्सास से गर्म थी ।
मै बेचैन हो कर गरदन घूमाता,, गान्द पटकता लेकिन एक बार भी खुल कर आह्ह्ह्ह नही कर सकता था ।
फिर मुझे थप थप थप थप थप थप थप की आवाजे आने लगी साथ मे बुआ की तेज चिखे भी

बुआ - आह्हह आह्हह हह उम्म्ंम आह्हह आह्ह आह्ह और तेआजजजजज आह्ह आउर तेअह्ह्ज्ज्ज आह्हह हा भईया
पापा लगातर निचे से बुआ की गाड़ को थामे सर ससर पेले जा रहे थे ।
बुआ की तेज आवाज की सिस्कियो मे मैने सोचा क्यू ना मै भी थोदा खुद की संसो को आराम देदू ,,, पर जैसे ही मैने अह्ह्ह्ह्ह माआह्ह्ह किया ,,,मा ने तुरंत मेरे कन्धे पर हाथ मार कर चुप रहने का इशारा किया ,,,,मै समझ गया कि अगर मै कुछ बोला तो मा के साथ मुझे भी ऐसे ही बिना चुदाई के सोना पड़ सकता है ।

पापा - जान अब तुम भी बैठ जाओ ना ,,,
मा बिना कुछ बोले उठी और पेतिकोट को कमर तक उठा कर दोनो हाथों से पकड लिया और दोनो पैर मेरे कमर के दोनो तरफ रख कर झुक कर एक हाथ से मेरे लण्ड को थामा और चुत पर सेट करते हुए बैठती चली गयी ,,, धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से मा की चुत मे समा गया ।
मै मा की चुत मे अपना लण्ड पाते ही जैसे पिघलने लगा और मा की चुत की दीवारे इतनी ज्यादा गर्म थी मानो मेरा लण्ड जल जायेगा और बेसब्र से तडप रहा था ,,, मै खुल कर अपने जज्बात नही बाहर रख सकता था ,,, मै अब पहले से ज्यादा अपने सासो को कन्ट्रोल करने लगा ,,,
वही मा मेरे खड़े लण्ड को पुरा निगल लेने के बाद हल्का हल्का उपर निचे उकूडु होकर बैठी बैठी ही चुद्ने लगी
मा - अह्ह्ह्ह राज के पापा देखो ना मैने मेरे चुत मे आखिर अपने बेटे का लण्ड ले ही लिया

पापा बुआ को चोद्ते हुए - वाह्ह्ह मेरी जान थप थप थप थप थप थप थप मै तो ऐसे ही तुझे अपने सामने चुद्ते हुए देखना चाहता था येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
बुआ - आह्हह भईया तेज़ी से और तेज़ी से अह्ज्ज्ज आह्हह रुको मत मै झडने वाली हू अह्ह्ह्ह
पापा - अब मज़े लो मेरी जान तुम अपने बेटे के लण्ड का मै जरा दिदी की खिदमत कर दू
मा - हा राज के पापा नये लण्ड लेने मे का मज़ा ही अलग है ,,,आह्हह इसका तपता लण्ड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी को छू रहा है आह्हह मा उफ्फ़फ्फ राज के पापा बहुत मज़ा आ रहा आह्हह मेरे राजा

एक तो मा मेरे लण्ड पर उछल रही थी साथ मे बार बार पापा को जता रही थी कि कैसे मेरा लण्ड उनकी चुत मे फसा हुआ है ,,,कस्म मैने खुद को कैसे रोका हुआ था मै ही जानता था ,, वही पापा बुआ की चुत मे निचे से कमर उठा कर ये लम्बे लम्बे शॉट लगा रहे थे और बुआ उनके लण्ड पर झडे जा रही थी ,,
बुआ - आह्हह भईया आह्हह मै झड़ रही हू आह्हह आह्हह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं अह्ह्ज्झ
पापा - ये लो दीदी येएहेह्ह एह्ह्ह आह्हह और लो मेरी चुद्क्क्ड दीदी और लो ,,,,मेरा भी निकलेगा दीदी ।

बुआ - मुझे आपका माल चखना है भईया रुको और बुआ जल्दी से उठी और लपक कर मुह मे लण्ड लेते हुए चूसने लगी कुछ ही पलो मे बुआ का मुह पापा के माल से भरने ल्गा

पापा - आह्हह दीदी पुरा चाट जा मेरी रान्ड अच्छे से साफ कर दे मेरे लण्ड को सालि रन्डी
इधर मा ने मेरे सीने पर हाथ रख कर झुक कर लागातार मेरे लण्ड पर अपनी गाड़ ऐसे पटक रही थी जैसे मानो कपडे पीट रही हो जिससे मै भी धीरे धीरे चरम सीमा तक पहूच गया और सांसे बेकाबू होने लगी थी और मै छटपटाने लगा,,मेरा चेहरा तपने लगा

पापा - लग रहा है मेरा बेटा झडने वाला है रागिनी जल्दी करो और झड़ जाओ
मा - मै तो क्ब्से झडी हू इसके लण्ड पर लेकिन इसका लण्ड बैठ ही नही रहा
पापा - तो अपने मुह का जादू चलाओ ना मेरी जान चुस लो अपने बेटे का माल
मा जल्दी से उठी और झुक कर मेरे लण्ड को वापस लेके चूसने लगी मै पहले ही चरम सीमा के करीब था और मा ने तो जैसे मेरे सुपाडे के छेद को सुरकना सुरु कर दिया ,,,,अन्त मे मेरा भी सबर टुट गया और मै निद मे बड़बड़ाने का नाटक करते हुए मुह मे दबी हुए आहे भरते हुए मा के मुह मे झडने लगा । मा ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया फिर पापा और मेरे बिच लेट गयी वही बुआ पापा के दुसरी तरफ लेट गयी ।
मेरी आँखो मे एक गजब सा नशा हो रहा था और चेहरे पर मा के मुह मे झडने की खुसी ।

हम सब अपनी अपनी सासे बराबर कररहे थे ।
पापा - आह्हह दीदी मज़ा आ गया आज तो ,,सच मे आप एक नम्बर की चुद्क्क्ड हो

बुआ - रिस्तो मे चुदाई का अपना ही मज़ा है भईया
मा - सच कह रही हो दीदी ,,,मै आज जितना कभी भी खुद को इतना उतेजित नही मह्सूस किया था और ना ही आज जितना कभी झडी थी

पापा - हा जान देखा मैने कैसे तुम्हे अपने ही बेटे का नशा हो रहा था ।

मा - हा लेकिन अभी उसको इस बारे मे पता नही है तो हम सब के राज भी बचे है ।

बुआ - अरे राज की बात से याद आया भईया ,,, आपने नही बताया कि आपने अपनी पहली चुदाई कब की थी और किस्से और भाभी आप भी बताओ ना

मा - मेरी पहली चुदाई मेरे सुहागरात पर ही हुई थी लेकिन इनकी तो हिहिहिही

बुआ - अरे बताओ ना भईया कब की थी आपने
पापा - एक हो तो ना दीदी ,,, ना जाने कितने चुत मे मैने अपने लण्ड को डुबोया है ।
बुआ - क्या सच मे भईया
मा - हा दीदी ,,,लेकिन शुरूवात बहुत ही मज़ेदार थी ।
बुआ - बताओ ना भईया किसके साथ किया था
पापा - बात तब की है उस समय मै 9वी मे था और मै उस समय आपके बदन पर बहुत ही ज्यादा आकर्षित था ,, मै हमेशा से एक ऐसी लड्की की तालाश मे था जिसका बदन आपके जैसे भरा हुआ हो , जिसकी चुचिया आपकी तरह मोटी हो और गान्ड बड़े बड़े हो । लेकिन मेरी तालाश में और पहुच मे ऐसी लड़की नही मिल रही थी और मै आपके लिहाज मे आपसे कभी कूछ कह नही पाया । फिर मै काफी लोगो से सुना की आप शादीशुदा औरतो सी लगती हो ,,, कूछ दिन बाहरी शादीशुदा औरत की तलाश की लेकिन कोई भी हाथ नही आती थी । उसी साल गर्मी मे मेरी लुधियाना वाली चाची आई और उनके गदरायी जवानी पर मै फीदा हो गया । वो मॉर्डन कपडे पहना करती थी और शहर मे रहने की वजह से बहुत खुले विचारो वाली थी ।मै लागातार चाची के साथ समय बिताने लगा और वो पढी लिखी और काफी खेली खाई औरत थी तो जल्द ही मेरे जज्बातो को समझ भी गयी और मुझसे दोहरी मतलब से बात करती थी एक दिन घर पर कोई नही था , मा बाऊजी खेत गये थे दीदी और कम्मो कोचींग गये थे,,, जंगी बाहर खेल रहा था और मै हमेशा की तरह चाची के करीब आना चाह रहा था ,,, उस दिन चाची नहाने गयी और मुझे अपनी पीठ पर साबुन लगाने को बोला ,,, फिर कब साबुन पीठ से सरक कर चाची की पेतिकोट मे चला गया और उसे खोजने मेने उनकी गाड़ की दारारो मे हाथ डाल दिया,,,, मेरा हाथ का स्पर्श उनके गुपतांगो मे होते ही चाची की मीठी सिसकी आई और काफी समय समय तक मैने उनकी पेतिकोट मे हाथ डाले रहा ,,, लेकिन जब हाथ बाहर निकाला तो ओ आंखे बंद किये आहे भर रही थी तो मैने भी मौका देखा और खड़ा लन्ड़ उनके मुह मे डाल दिया , और उस दिन आंगन में ही चाची को जम कर चोदा । फिर मुझे बड़ी चूची और गाड़ वाली महिलाओं की लत लग गई और कभी रिस्ते मे तो कभी बाहर कयी रन्दीयो को चोदा मैने ।

बुआ - बाप रे आप खुद एक नो. चोदू हो और मुझे चुदक्क्ड बुला रहे हीहीहि
पापा - मै तो हू ही बड़ी गाड़ और चुचियो का दिवाना ,,, लेकिन मुझे अब भी शक है कि आप ससुराल मे सिर्फ जिजा का ही लण्ड लेती हो ।

बुआ - नही भैया शादी के बाद से मैने कभी भी बाहर का लण्ड नही लिया
मा बुआ की छेडते हुए - मतलब घर मे ही कोई भेदी है जो इस भोसदे को और गहरा किये जा रहा है क्यू दीदी ,,,

बुआ - नही भाभी आपकी कसम और भईया आपकी कसम खाकर कह रही हू मैने शादी के बाद ससुराल मे सिर्फ अपने पति का ही लण्ड लिया है ।
बुआ की बाते सुन कर मै शौक था यहा बुआ कसम खाकर कह रही थी कि वो फूफा के अलावा किसी से नही चुदती जबकि उस रात मुझ्से साफ बोला था कि मै दो लोगो से चुद्ती हू साथ मे । अब मेरे मन की व्यथा और बढ़ गयी ।

पापा - अरे नही दिदी मुझे आप पर भरोसा है । बस कोई भी आपकी गदरायी गाड़ देख कर यही कहेगा कि ना जाने कितने लांडो से रोज चुदती होगी ।
ऐसे ही रात मे और भी जोरदार चुदाई हुई पापा और बुआ के बीच में,,, और मा मे एक बार फिर से मेरे लण्ड को अपने चुत मे डाल कर चुदवाया । पता नही रात के किस पहर मे मै सो गया ।

अगली सुबह
आज रक्षा बंधन का दिन था और सुबह सुबह 6 बजे ही मेरी निद भीगने से शुरू हुई क्योकि मेरी नटखट दीदी ने मुझ पर पानी डाल कर बाथरूम मे घुस गई थी ।
लेकिन छत पर अनुज भी था और मा भी तो मै कोई खास रियक्ट नही किया। बस बड़बडाते हुए उठ कर टॉयलेट चला वही अनुज और मा हस रहेथे ।
मा - सोनल बहुत शरारती हो गयी है तू चलो सब लोग जल्दी जल्दी आज तैयार हो लो 8 बजे तक । फिर मुझे भी मायके जाना है ना ।

करीब 8 बजे तक सब लोग नहा धोकर तैयार थे । सबने आज अपने नये कपडे पहने थे ।
मा और बुआ ने अपनी नयी साडी पहनी थी । बुआ के पहल करने पर मा ने भी बुआ के जैसे ही डिप कट का गला और पीछे डोरी वाली बलाऊज सिल्वायि थी और उपर से एक सिफान की हल्की साडी जो मरून रंग की थी जबकि बुआ ने अंगूरी रंग की सेम पैटर्न की साडी पहनी थी ।
वही दीदी ने एक खुबसुरत सा बिना दुप्प्ते का क्रॉप टॉप जो नाभि से उपर था और लहगा पहना था । पापा ने कर्ता पजामा , मै और अनुज अपने नये जीन्स शर्त मे थे ।
आज घर मे सब लोग एक दुसरे को देखकर अलग ही मुस्कराहट पास कर रहे थे सिवाय अनुज के । दीदी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी , पापा मा और बुआ एक दुसरे मे इशारे पास कर रहे थे ।

तभी मा ने सबको बेडरूम मे चलने को बोला
फिर हम सब लोग कमरे मे गये । एक सोफे पर पापा और अनुज बैठ गये और बगल वाली सिंगल सोफे पर मै ।
मा मेरे बगल मे खड़ी थी जो आज बहुत ही ज्यादा खुबसुरत लग रही थी । तभी कमरे मे बुआ और मेरी दीदी आरती की थाली लिये आई मेरी दीदी तो मानो चांद से उतरी हो अप्सरा लग रही थी मै तो उसी मे खोया हुआ उसको आँखो से इशारे किये जा रहा था । वही पापा भी बुआ को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड रहे थे । लग तो ऐसे रहा था मानो दोनो बहाने राखी लेके नही बल्कि शादी के लिए वरमाला लेकर आ रही हो हमे अपना बनाने ।
फिर बुआ पापा के पास गयी और उन्के सामने बैठ गई
पापा बस एक नजर डालें बुआ को ताड़ रहे थे और उस हल्के पारदर्शक सिफान साडी से बुआ के गहरे गले वाली ब्लाउज के झाकति चुचियो लो घुर रहे थे और इधर दिदी भी इतराते हमारी तरफ आ रही थी क्रॉप टॉप मे दीदी की खुली कमर और आधे नंगे पेट पर एक लम्बी और गहरी नाभि साफ दिखाते हुए आई और अनुज के बगल मे स्टूल रख कर बैठ गयी और फिर उसने अनुज को राखी बांधती है और आरती लेती है बदले मे अनुज दीदी के पैर छुता है ,,,,
उधर बुआ भी पापा को राखी बाँध कर मुस्कुराये जा रही थी । फिर बुआ - चालिये भईया अब जेब ढीली करिये और मेरा तोहफा लाईये ।

पापा - अरे हा वो तो मै नीचे कमरे मे रखा है चलिये मै दिये देता हू ।

बुआ - हा भाभी चलिये आप भी फिर मेरे साथ छोटे के यहा चलना है ना
मा - अरे मुझे भी तो जाना है मायके लेट हो जायेगा
बुआ - अरे भाभी ज्यादा टाईम नही लगेगा आओ

फिर मा पापा और बुआ निचे चले गये मै जानता था नीचे पापा बुआ को क्या तोहफा देते ,,, उनके मुह मे अपना लण्ड और पापा भी रात का वादा निभाने वाले थे मा को चोद कर तो ये सब उन लोगो का हम बच्चो के सामने ड्रामा था बस । लेकिन मै इनसब से बिलकुल भी अंजान नही था ।

फिर इधर अनुज ने दीदी को एक गिफ्ट दिया और बोला मै मेरे दोस्त के यहा जा रहा हू उसकी दिदी ने मुझे बुलाया है राखी बाँधने के लिए ।
दीदी - हा भाई आराम से जाना और टाईम से खाना खाने आ जाना ठीक है
अनुज - ठीक है दीदी

अनुज चला गया साथ ही पापा मा और बुआ भी निचे चले गये थे बचे तो मै और दीदी । मै दीदी को अकेला पाकर खड़ा हुआ तो दीदी पीछे होते हुए मुसकुराते हुए सतर्क होने लगी ।

दीदी - देख राज अभी नही पहले राखी बंधवा ले फिर कुछ,,,
मै वापस मुस्कुरा कर बडे सोफे पर बैठ गया और दीदी भी मेरे सामने बैठ गयी । फिर उसने मेरी कलाई पर राखी बांधी और मेरी आरती ली । मै भी उसके पैर छूने को जानबुझ कर झुका तो दीदी ने मुझे रोका

दीदी - तेरी जगह वहा नही भाई मेरी बाहो मे है ।
मै उथा और दीदी को हग कर लिया ,, आह्हह उनके नाजुक बदन की खुस्बू आह्हह और कितना मुलायम बदन ,,,
मै - आई लव यू दीदी ,, ये लो आपका गिफ्ट फिर मैने दीदी को मोबाईल वाला पैकेट दिया ।
दीदी - अरे वाह तू सच मे मेरे लिए मोबाईल लाया ,,थैंक्स भाई आई लव यू सो मच ।
दीदी - लेकिन मुझे एक गिफ्ट और चाहिये क्या वो तू मुझे देगा

मै - माग लो ना दीदी जो चाहे ,, ना नही कहूंगा
दीदी - भाई मै अमन से शादी करना चाहती हू क्या तू मा से बात करेगा मेरे लिए ।

मै - आप सच मे अमन को चाहती हो दीदी , मै खुश हू आपके लिये और मेरा वादा है आपकी शादी अमन से ही होगी ।

दीदी ने वापस खुश होते हुए गले लगा लिया ,,
मै - दीदी लेकिन फिर मेरा क्या होगा क्या आप मुझे छोड दोगे ।
दीदी - धत्त पागल,,,नही रे ,,, तेरे लिए मेरा प्यार अलग है और अमन के लिए अलग

मै थोडा कन्फुज होते हुए बोला - मै समझा नही दीदी आपका मतलब

दीदी - मै बताती हू ,, मै अमन को अपने पति के रूप मे चाहती हूँ और उसके पास जाने पर एक सुकून सा महसूस करती हू । वही तू मेरा भाई जब मै तेरे करीब होती हू तो मेरी तडप और बढ़ जाती है । तेरा टच मुझे एक अलग ही रोमांच देता है। और

मै - और क्या दीदी बोलो ना
दीदी - और मै जानती हू तू मुझसे क्या चाहता है
मै चौकते हुए - क्या
दीदी मुस्कुराते हुए - मैने भी तेरे मोबाईल पर वो कहानिया पढी है जो तू खोल कर रखा था और चंदू की भेजी वीडियो भी देखी है
मै थोडा सा निराश मन से दीदी के सामने अफसोस का नाटक बना कर - सॉरी दीदी ,,,
दिदी - कोई बात नही मुझे बुरा नहीं लगा क्योकि मुझे वो कहानिया पसंद आई और मै तेरे प्यार मे खीच गयी ।
मै - तो क्या आपने ही पहले मेरे मोबाईल से चंदू की वीडियो डिलीट की थी ।
दीदी मुस्कुराते हुए - हा लेकिन उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया इसिलिए उस दिन छत पर तुझे डाटा लेकिन जब मैने वो परिवारिक सम्बन्ध की कहानिया पढने लगी और मुझे भी उसमे रुचि होने लगी तब मुझे लगा कि मैने गलत किया था ।

मै - कोई बात नही दीदी आई लव यू ना
दीदी मेरे सीने से लगते हुए - आई लव यू मेरे भाई
मै - तो क्या आपको कोई आपति नही है मै आगे बढू तो ,,,जैसे अभी लहगा के उपर से आपके ये गोल गोल उभारो को दबा दू और
दीदी हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - छीईई गन्दा ,,,, इतना जल्दी भी नही ,,, मुझे थोडा समय चाहिये भाई उसके लिए,,मै कोई जल्दीबाजी नही चाहती हू ,, मै चाहती तू मेरे अंग अंग को इत्मीनान से भोगे और मै भी उस वक्त का भरपूर मज़ा लू जैसा उन कहानियों मे पढा था ।

मै दीदी के करीब आ गया और उनको वापस से अपनी बाहो मे भर कर - सच दीदी ,,,मुझे भी उस दिन का बेसबरी से इन्तेजार रहेगा ,,,थैंक्स मेरी जानू आई लव यू और दीदी के लिपस को चूसने लगा ,, दीदी तो इसी ताक मे थी और वो भी मेरे साथ मेरे होठो को चूमने लगी । करीब तीन मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई

दीदी - भाई प्लीज जल्दी आना ,, यहा अकेले मन नही लगेगा
मै - अरे दिदी अब तो मोबाइल दिला दिया है और सिम भी चालू है तो जब मन करे कॉल कर लेना ।
दीदी - थैंक्स भाई
मै - दीदी वो पूछना था कि क्या आपने चंदू का वो कल वाला वीडियो भी डिलीट कर दिये
दीदी मुस्कुराते हुए नही भाई वो तो मोबाइल मे है ,,, वैसे मुझे नही लगा था कि चम्पा भी अपने भाई से

मै - वो तो बचपन से ही उन दोनो का चल रहा था और अब तो रजनी दीदी भी शामिल हो गयी है
दीदी चौकते हुए - क्या ,,, चंदू अपनी खुद की मा को भी
मै - हा दीदी ,,
दीदी - तो क्या तू भी मा के लिए वही सोचता है
मै - क्या दीदी आप भी ,,,मै तो ब्स आपका दिवाना हू हिहिहिही
दीदी - मै खुब समझती हू तुझे भाई ,,,, अगर मौका मिला तो तू मा को भी नही छोदेगा हिहिहि क्यू सही है न
मै - धत्त दीदी ,,, चलो थोडा सा मुझे प्यार देदो कोई है नही अभी और
तभी बुआ आवाज देते हुए उपर आने लगी

बुआ - राज बेटा कहा है तू
बुआ की आवाज सुनते ही दीदी चहक उठी और कमरे से बाहर आ गई ।

मै - हा बुआ बोलो ना
बुआ - वो बेटा ये कहना था कि तू जल्दी से कुछ खा ले निचे तेरी मा इन्तेजार कर रही है ,, तुम लोगो को जाना भी तो है ।

मै - हा लेकिन मा को तो बुलाओ
बुआ - अरे वो बिना राखी बान्धे कुछ नही खायेगी तू खा ले फिर जल्दी से निचे आ हम वही इन्तज़ार कर रहे है ।

फिर मै भी जलदी से खाना खाया और निचे चला गया ।
निचे मा पापा और बुआ बैठे हुए थे कमरे मे मेरा इंतजार करते हुए कुछ बात कर रहे थे ।

मा - बेटा चल अब चल्ते है और अभी बस पकडना बाकी है ।
पापा - राज रुको बेटा ,, ये तो 10 हजार रुपये रखो
मै - पापा इतने रुपये का मै क्या करूगा
पापा - अरे बेटा वहा तेरी दो छोटी छोटी बहने भी वो भी तेरे आने का इन्तेजार कर रही है तो उनको 2 2 हजार दे देना ,, बाकी अपनी जरुरत से खर्च कर लेना ।

फिर मै और मा निकल गये बस स्टैंड की तरफ मामा के घर के लिए ।


अब देखते है कि आने वाला सफ़र कौन से नये रोमांच राज की दुनिया मे लाने वाला है ।
 
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अब तक आपने पढा राज अपनी मा के साथ मामा के यहा जाने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल गया है

अब आगे

मै घर से मा के साथ अपने एक बडे बैग को लेकर निकल गया

रास्ते मे

मै - मा आज आप बहुत खुबसूरत लग रही हो
मा मुस्कुराते हुए एक बार मेरी तरफ देखा और सामने चलते हुए - वो क्यू बेटा
मै - बुआ की साडी आप पर बहुत अच्छी लग रही है और आप तो एकदम भोजपुरी फिल्मों की आम्रपाली लग रही हो ,,जैसे वो साडी मे दिखती है वैसे ही आप
मा ह्स्ते हुए - अच्छा बेटा,,, बुआ रानी चटर्जी और मा आम्र्पाली को बना कर मै जानती हू तू क्या गुल खिलाना चाह रहा है ।
मै - अरे सच मे मा आज वैसे ही लग रहे हो और
मा - और क्या बोल
मै - और मै आपको गुल मंजन क्यू खिलाउँगा हिहिहिहिही
मा - चल बदमाश मा से मज़ाक करता है
मै - क्यू मा से मज़ाक नही कर सकते क्या
मा मुस्कुराते हुए - नही
मै - हा मा से चाहो सेक्स कर लो लेकिन मज़ाक ना करो ,,,है न मा
मा बीच सड़क पर सेक्स के बात पर शर्मा गयी और बोली - चुप कर पागल हम लोग रास्ते मे है और तू क्या बाते कर रहा है बिच मे
मै - अरे मा कोई नहीं सुनेगा ,,, देखो पुरा मार्केट बन्द है एक्का दुक्का लोग है ।
मै - मा सुनो ना
मा - हा बोल
मै - कल रात के थैंक यू
मा मुस्कुराते हुए- थैंक यू किस लिये बेटा
मै - वो कल रात मे आपने पापा के सामने ही मेरी तकलीफ दूर की और उन लोगो को पता भी नही चला
मा - कोई बात नही मा हू ना तेरी तुझे कैसे तकलीफ मे देख सकती हू।

मै सोचा क्यू ना थोडा पब्लिक मे मज़ा लू मा से
मै - मा मुझे फिर तकलीफ हो रही है
मा मुस्कुराते हुए लेकिन अचरज के भाव मे - क्या ,,, तू पागल है क्या राज यहा बीच सड़क पर ऐसी बात कर रहा है
मै हस्ते हुए - मा सड़क पर थोडी मै तो चंदू के उस मकान मे जाकर करने की बात कर रहा था ,हिहिहिही
इस समय हम लोग चौराहे तक आ चुके थे और मा को ल्गा मेरे पास चंदू के चौराहे वाले घर की चाभी होगी ही क्योकि हम दोनो पक्के यार जो थे ।
मा ने निराश शब्दो मे कहा - बेटा मै तूझे मना नही करती लेकिन आज सुबह से मैने पानी तक नही पिया है और उपर से तेरे पापा ने घर से निकलने से पहले एक बार ... तू समझ रहा है ना

मै जान गया मा क्या कहना चाहती थी और सही भी था क्योकि एक बार पापा ने सुबह ही मा को चोद दिया था

मै - कोई बात नही मा देखो बस स्टैंड आ गया
मा - हा लेकिन बस नही लगा है कोई
मै - अरे मा आज त्योहार है तो सारे बस जल्दी जल्दी भर कर निकल रहे है ,,

हम बस के इंतजार मे खड़े बाते कर ही रहे थे कि दो चंचल हसीनाये हमारे पास चल आने लगी । एक साडी मे तो एक चुस्त सूट और पटियाला सलवार मे ,,, दोंनो के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी ,, और उनकी मटकती कमर तो बस ,,

मा - अरे विमला तू यहा

ये है विमला मौसी ,,, कमाल का मस्त गदरायी बदन वाकी है और लण्ड खड़ा ना हो जिसका इनको देख कर वो चुतिया ही होगा ,,, 40 36 40 का गजब का भूगोल और सबसे ज्यादा प्रभावित इनके लम्बे बाल की चोटी है जो इनकी गान्ड की छेद तक जाती है ,,, अब ऐसे मे किसी का ध्यान इनके बालो से होते हुए इनकी मोटी फैली हुए गाड़ पर ना जाये ऐसा हो ही नही सकता ।
वैसे तो मेरे मा के बचपन की सहेली है और इनकी भी शादी हमारे चमन पुरा मे हूई है

विमला - क्यू मै यहा नही आ सकती क्या
इतने साथ वाली हसिना ने मा के पैर छुए
मा ने उसको दुलारते हुए - खुश रह कोमल ,,
ये थी कोमल , विमला की बेटी ,, एकदम कातिल हसिना 34 साइज़ की चुची और 36 की गाड़ ,,,सपाट पेट । मेरे क्लास में ही पढ़ती है ।

मा विमला से - अरे तो फोन कर देती इसके पापा एक गाड़ी बुक करवा देते तो हम लोग साथ मे चलते ना ,, अब यहा कबसे खड़ी हू बस ही नही आ रहा है ,,,
इधर मा और विमला बाते किये जा रहे थे तो मुझे कोमल का सामना करने मे थोदी हिचक मह्सूस हो रही थी ।
तो मैने मोबाईल निकाल लिया और खड़े खड़े उसे चलाने लगा ।

कोमल - तुम कालेज क्यू नही आते हो राज
मै थोडा मुस्कुरा कर - नही वो दुकान खुल गयी है ना तो मुझे टाईम नही मिल पाता है और वैसे भी कालेज मे पधाई कहा वहा सब साले ....
मैने अपने जुबान पर रोक लगा दी कही मेरा पहला इम्प्रेशन ही ना खराब हो जाये
कोमल ह्स्ते हुए - क्यू पढाई नही होती तो क्या होती है
मैने एक नजर मा और विमला मौसी की तरफ देखा तो वो लोग बाते करते हुए बस स्टैंड की चेयर पर जा बैठे ,,वैसे भी औरते ही बाते ही अलग है
फिर मैने कोमल की बातो का जवाब बडे इत्मीनान से उसको एक कपल की तरफ इशारे से बताया जो बाहो मे बाहे डाले एक पेड़ के चबूतरे पर बैठे मोबाईल मे कूछ देख रहे थे ।

मै - ये होता है देखी
कोमल मुह पर हाथ रख ह्स्ते हुए - अरे पागल सब थोडी ना ऐसे होते है कालेज मे ,,, और तुम तो ऐसे रियक्ट कर रहे जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड ही ना हो
मै ह्स्ते हुए - मै इस झमेले नही पड़ता क्योकि मुझे अभी पढ्ना है तो मै शाम को कोचीन्ग कर लेता हू और बाकी समय मा के साथ दुकान पर बिताता हू ,,मुझे अभी पापा का नाम और ऊचा करना है

मैने जानबुझ कर कोमल के सामने खुद को साफ सरिफ बनाया जिसका प्रभाव उस पडा
कोमल - अरे तो तुम तो नाराज हो गये ,, और लड़कियो से दोस्ती करना थोडी ना गलत होता है ।
मै - तो क्या तुम्हारे भी कई लडके दोस्त है
कोमल - नही यार ,, कोई नही है इसिलिए तो तुमसे चुना लगा रही हो की कर को मुझसे दोस्ती हिहिहिहिह
मै समझ गया कोमल मेरे बातो से प्रभावित होकर ही मुझसे जुड़ना चाहती थी ।
मै मुस्कुराकर - हा लेकिन तुम मेरे से दोस्ती क्यू करोगी ,,, मै तो हर समय व्यस्त रहता हू अपने carrier और फैमिली के अलावा कोई टाईम नही है मेरे पास ,,,

इससे पहले कोमल मेरे बातो का जवाब देती कि बस आ गई और मा जल्दी से मेरे पास आई

मा - जल्दी चल बेटा नही तो सीट नही मिलेगी अन्दर

मै ह्स्ते हुए - मा यहा हम सिर्फ चार लोग ही है ,,, फिर मेरी नजर पेड़ के निचे बैठे हुए उन कपल्स पर गयी ,,, चार नही 6 है अब

फिर हम लोग अंदर चले गये
अन्दर दो सीट के दो लाईन खाली थे और एक तीन सीट वाली लाईन खाली थी ।
तो आगे वाली दो सीट पर मा और विमला मौसी बैठ गये उसी के पीछे मै विंडो सीट लेटे हुए कोमल के साथ बैठ गया । और हमारी ही लाईन मे खाली 3 सीट वाली सेट पर वो दोनो कपल बैठ गये ,, चुकी वो दोनो शादीशुदा भी थे ।

फिर 5 मिंट बाद बस निकल पडी अब आने वाले एक घन्टे मे मै मामा के यहा पहुच जाता क्योकि दुरी कम ही सही लेकिन रास्ता खराब ही था ,,, जिससे बस हिचकोले लेटे हुए जाने लगी और मै इसीलिये विण्डो सीट लिया ताकि हिच्कोले मे कोई दिक्कत नही हो । लेकिन कोमल के लिए बहुत दिक्कत होने वाली थी क्योकि उसके सामने वाली सिट के पीछे जो हैण्डल होता है हचका लगने पर पकडने के लिए वो टूटा हुआ था जबकि मेरी सीट के सामने वाला हैण्डल एक दम ठीक था ।
कोमल बड़ी मुस्किल से सामने की सीट पकडे बैठी हुई थी ।

आगे मा और विमला की तो बाते ही खतम नही हो रही थी । यहा हम दोनो शांत थे और बीच बीच में एक दुसरे को देख कर स्माइल पास कर रहे थे । मुझे कोमल के uncomfortable होने का ज्ञान था लेकिन मै उसके बदले अपना सफ़र बेकार नही करना चाहता था ,,,मै तो मामा के यहा होने वाले रोमांच से ही खुश होकर बाहर के नजारे देख रहा था ।
इसी बीच बस एक जोर का झटका दिया तो कोमल मेरे कंधो पर आ गयी और उन्का हाथ मेरी जान्धो को पकड लिया ,,,, फिर उसे इस बात का अह्सास हुआ और वो वापस से मुझे सॉरी बोलते हुए अपनी जगह पर बैठ गई ।
मै अब और ज्यादा कोमल के प्रति सतर्क हो गया और मुझे लगा कि उसे अपनी सीट दे दू । मै कुछ करता इससे पहले बस एक बार और तेज हिचकोले लिया और कोमल हाथ सामने की सीट से छूट गया और वो दुसरी तरफ गिरने को हुई की मैने लपक कर बाये हाथ से उसके पेट के उपर से उस्की कमर को थामा और अपनी तरफ खीच लिया ,,, मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पर था ,,,और कोमल की आंखे बड़ी हो गयी वो मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नाजुक कमर पर पाकर तेज सांसे लेने लगी ,,जिसका अह्सास मुझे तब हुआ जब मेरी नजर कोमल की उपर निचे होती चुचियो पर गई । मैने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोला

कोमल - अरे कोई बात नही तुमने मुझे पकड़ा ना होता तो मेरा सर फत ही जाता आज हिहिहिही थैंक यू राज
मै - ऐसा करो तुम यहा आजाओ ,,, मेने कोमल को अपनी सीट पर आने का इशारा करते हुए कहा

कोमल थैंक्स बोलते हुए अपने सामने की सीट पर खड़ी हुई और मुझे उसकी सीट पर ख्सक्ने का इशारा किया जैसे ही मै कोमल की सीट पर आया तभी बस मे एक और झटका लगा और कोमल मेरे उपर गिर कर मेरी गोद मे ही बैठ गई उसके दोनो हाथ अभी भी सिट पर थे ,,लेकिन मेरे दोनो हाथा उसको सम्भालने के चक्कर मे उसके मुलायम चुचो को पकड चुके थे और कोमल की गाड़ मेरे आधे खड़े लण्ड पर आ गई थी ,,,, एक दो सैकेण्ड के इस घटना मे मेरा लण्ड उत्तेजित होकर फड़फड़ाने लगा जिसका अह्सास कोमल हो चुका था,,लेकिन हम लोग तब तक हस रहे थे कि आज हो क्या रहा है

कोमल मेरे उपर बैठी और मेरे हाथ अभी भी उसके चुची को थामे थे ऐसे मे वो गरदन घुमा कर ह्सते हुए बोली - लग रहा है आज झटके खाते हुए ही जाना पडेगा हीहीहि
मुझे कोमल की बाते डबल मिनिंग की लगी जिससे मेरा लण्ड फिर से फुदक पडा ,,
मै भी हस्ते हुए - ऐसे ही बैठो तुम मै गिरने नही दूँगा
मेरे बोल्ते ही कोमल को पता चला कि वो किस पोजिसन मे हो गयी है और तुरन्त उठ गई जिससे मेरा हाथ उसकी चुची से सरक कर कमर पर आ गय और मेरे सामने कोमल की मोटी गाड़ अपने उभार के साथ सामने आ गई ।

ये सीन देख कर मेरा बचा हुआ उत्तेजित लण्ड अब पुरा खड़ा हो गया , कोमल अब विण्डो सीट पर बैठ गई ।
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये जा रहे थे । लेकिन मेरे हाथ अब मेरे जीन्स के उपर निकले लण्ड के उभार को छिपाने मे लगे थे।
इस दौरान मुझे बस के झटके से बहुत दिक्कत हो रही थी तभी कोमल ने कहा- राज ऐसा करो तुम मेरे सीट के सामने वाला हैण्डल पकड लो,,, कोमल ने ये बात विण्डो की तरफ खसककर अपनी तरफ आने का इशारा करते हुए बोली । जिसका मतलब मै समझ और कोमल के करीब जा कर बाये हाथ से हैण्डल पकड लिया ,,,, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था हम दोनो लाख कोशिस करते कि हमारे शरीर आपस मे टच ना जो लेकिन हर झटके के साथ मेरा कन्धा कोमल से टकराता साथ मे मेरे हाथ की कोहनी कोमल के दाहिने चुची के उभार को छू जाती । सफ़र बहुत ही उत्तेजना से गुजर रहा था ,,अब तक आधा घंटा बीत चूका ,,, कुछ सवारिया नीचे भी उतर चुकी थी।

इसी बीच मैने कोमल से पुछा - तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया कोमल
कोमल अचरज से - कौन सा सवाल
मै - यही कि तुम मुझसे दोस्ती क्यू करना चाहती हो ,,जबकि मै खुद के लिए समय नही निकाल पाता
कोमल मुस्कुराते हुए - तुम एक अच्छे लडके हो राज ,, इतनी कम उम्र में जब बाकी लडके लड़कियो के पीछे भागते हैं और अपनी स्वार्थ के लिए उनका यूज़ करते हैं लेकिन तुम अप्नी जिम्मेदारी समझ कर पापा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हो और दुकान चलाते हो, और तुमको सबकी फ़िकर भी है ,,, तो कोई भी अच्छी नियत की लड्की क्यू नही चाहेगी कि उसका तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त हो ।

मै समझ गया कि कोमल मन में मुझे एक आदर्श और सिद्धांतवादी लड़का समझ रही है जिसमे कोई बुराई नही है । मगर उसे क्या पता था मै कल रात से ही मादरचोद बन गया हू हिहिहिहिह ।
फिर मैने उसकी भावनाओ को सराहटे हुए कहा- वो सब ठीक है लेकिन तुम तो जानती हो कि ये समाज एक लड़का और लड़की की दोस्ती को किस नजर से देखता है

कोमल - धत्त पागल मै सिर्फ दोस्ती की बात कर रही हू और तुम कहा गर्लफ्रैंड की बात सोचने लगे हिहिहिही
मै थोदा मज़ाक में - अरे अगर दोस्त एक लड्की हो तो गर्लफ्रैंड ही हुई ना हाहहहाह
कोमल - हा ये बात भी सही है लेकिन हमारी दोस्ती में वो सब कुछ नही होगा हम सब एक अच्छे सीधे साधे दोस्त रहेंगे ठीक है

मै जानबुझ कर - वो सब नही होगा मतलब
कोमल - भक्क तुम तो बुध्दु हो ,,,वो सब मतलब प्रेमी प्रेमिका वाला रिलेशन नही होगा ,, सिर्फ दोस्ती वाला
मै- ओह्ह्ह ये बात ठीक है फिर फ्रेंड्स,,,, मैने हाथ उसकी तरफ करते हुए बोला
कोमल भी मेरे हाथ में हाथ मिलाते हुए खुशी से बोली - हा फ्रेंड्स
मैने भी मौके का फायदा उठाकर अप्नी बाहे खोल कर बोला - हग

कोमल - छीईईई गंदे ,,, मै नही करने वाली हग
मै ह्स्ते हुए - तुम ही बोली ना हम लोग दोस्त है तो दोस्त मे हग करना तो आम बात है

कोमल - हा लेकिन यहा बस मे सब कोई है
मै - तो क्या तुम मुझे अपना लवर समझ रही हो जो शर्मा रही हो ,, हम तो दोस्त है ना
कोमल हस्ते हुए - हा बाबा हम दोस्त ही है ,,ठीक है आजाओ हग्ग्ग

फिर मै कोमल की तरफ झुका और उसके मुझे अपने गरदन्ं और सीने के बीच रख कर हग कर लिया और फिर मैं वाप्स आ गया ।
कोमल के बदन की खुस्बु और उसके जिस्मो का स्पर्श से मेरा लण्ड का उभार और ज्यादा जीन्स पर होने लगा ,,,मै इस बात से अंजान होकर कोमल से बाते किये जा रहा था ,, मगर बार बार कोमल की नजर नीचे होती और फिर दुसरी तरफ देखती थी ।
फिर जब मैने उसकी आँखों का पिछा किया तो पाया कि मेरा लण्ड का सख्त उभार साफ दिख रहा है,,, मुझे शर्म आ गई और मैने तुरन्त अपना हाथ उसपर रख दिया,,, जिसे देख कर कोमल खिडकी की तरफ मुह करके मुस्कुरा रही थी और मै भी बेबस शर्मिदा होकर मुस्कुराता रहा ,,,मगर मेरा लण्ड बैठने वाला कहा था ,,, मै बार घुमा कर कोसिस करने लगा की थोडा शांत हो लेकिन अब मेरे लागातार स्पर्श से वो और ज्यदा कड़ा होने लगा साथ मे दर्द भी ,,जिसका असर मेरे चेहरे के भाव से पता चलने लगा ,,,कोमल ने जब पलट कर मुझे देखा तो उसे मेरा परेसान दर्द से भरा चेहरा दिख रहा था और वो मेरे हाथ को बार बार लण्ड एद्जेस्त करते हुए देख रही थी लेकिन टाइट जीन्स मे वो मुमकिन नही था ।

ऐसे मे कोमल ने वो किया जिसकी उम्मीद कोई भी लड़का पहली मुलाकत मे मिली लड्की से नही कर सकता था ।
कोमल मे अपना दुपट्टा का एक सिरा उठाकर मेरी जांघो पर रख दिया और इशारे के साथ हल्के आवाज मे बोली - दुपट्टे के नीचे खोल कर सही कर लो,, वो वापस मुस्कुराकर खिडकी पर देखने लगी ।

चुकी ज्यादतर सवारी उतर चुकी थी यहा तक की मेरे अगल बगल और वो couple भी उतर गये थे ,,तो मुझे लगा कि मुझे सेट कर लेना चाहिए अब ।
मैने एक नजर कोमल को देखा तो वो कनअखियों से मेरे तरफ देख रही थी मगर से नजर मिलते ही वापस मुस्कुराते हुए खिडकी से बाहर देखने लगी ।
मैने भी दुपट्टे को अपने कमर तक करके अपने जीन्स का बटन खोला और चैन खोल दिया ,,,मा कसम वो राहत मै बयां नही कर सकता था । फिर मैने अंदर हाथ डाला तो पता चला कि मेरा लण्ड अंडरवियर के पेसाब वाले छेद से बाहर आ गया था तभी मुझे उसको सेट करने मे दिक्कत आ रही थी,,,
फिर मैने सोचा ये लण्ड तो इतना जल्दी बैठने वाला है नही क्यू ना थोदा बाहर निकाल कर आराम दे दू ,,, और मैने मोटा फन्फ्नाता लण्ड को जीन्स से बाहर निकाला जो कि कोमल के दुप्प्ते से ढका था । फिर मैने एक नजर कोमल की तरफ देखा तो वो गरदन घुमाये मेरेपुरे क्रिया कलाप पर नजर डालें हुए थी ,,,जैसी ही उसने देखा की मै उसे अपना लण्ड निहारते देख रहा हू वो सॉरी बोल कर वापस खिडकी की तरफ घुम गई ।

मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी क्योकि कोमल का इंटरेस्ट मुझे बहुत सारे सपने दिखाने लगा ,,,और मैने इधर उधर देखा और खुद की अपने लण्ड के उपर से दुपट्टा उसकी तरफ उड़ा दिया जिससे मेरा लण्ड तन कर सुपाडे के साथ खड़ा हो गया ।
जैसे ही मैने दुपट्टा उसकी तरफ फेका तो उसके साथ एक छोटी सी आवाज भी दे दी

मै - अरेरेररे ...
मेरे इतना कहने की देरी थी कि कोमल पलट चुकी थी औए उसके सामने मेरा मोटा फुकार मारता लण्ड हिलने लगा । कोमल एक टक मेरे लण्ड को देख्ने लगी ,,,और मै भी इस रोमांच से इत्ना भर गया की मेरे माल की कुछ बुन्दे मेरे सुपाडे पर आ गई । जिसे देख कर मैने वापस कोमल को दुपट्टे के लिए इशारा करते हुए साथ मे लण्ड के आगे हाथ लगा कर छिपाने की कोसिस करते हुए बोला

मै - कोमल सॉरी वो हवा से उधर चला गया दुपट्टा ,, जल्दी दो ना मै बंद कर लू ,,
कोमल झेप गयी और मुस्करा कर बोली - नही वो दाग लग जायेगा इसमे ,
फिर मेरी नजर सुपाड़े पर आये माल की बूद पर गयी ,,
मै - ओह्ह्ह सॉरी ,,, लेकिन मै बंद कैसे करू ।
कोमल इस बीच पुरे ध्यान मेरे लण्ड को देख रही थी
कोमल मुस्करा कर - अब क्या छिपाना है बुधु कही के,, खड़े हो जाओ बन्द कर लो
मै थोडा शर्मया और कोमल की तरफ होकर खड़ा हो गया ,,जिससे मेरा लण्ड कोमल के सामने झूलने लगा ,,,कोमल ने खुद को पीछे की तरफ खीचा ताकि मेरा लण्ड उसको छुए नही ।फिर मैने जीन्स निचे किया और अंडरवियर के छेद को लण्ड के उपर से निकालने की कोसिस करने ल्गा एक दो बार लास्टीक छूत जाने से मेरे कमर मे चोट लगी जिसकी सिसकी और मेरे चहरे के भाव से कोमल को पता चलने लगा । तभी कोमल ने दुपट्टे को हाथ मे लेकर मेरे लण्ड को पकड़ा और उपर की तरफ किया और बेहद बुरा सा मुंह बना कर मानो वो किसी गंदी चीज़ को पकड़ा हो ऐसे
कोमल - हम्म्म्म अब अंदर करो इसको ,,,मैने भी कोसिस करके लण्ड को अन्दर रख दिया और फटाक से जीन्स पहन लिया । और वापस अपनी जगह पर बैठ गया कुछ पल हम दोनो शांत बैठे रहे ।

मै - सॉरी कोमल , और मै चुप हो गया और कोमल को देखने लगा
कोमल खिडकी से बाहर झाकते हुए मुस्कुरारही थी ।
मै - क्या हुआ हस क्यू रही हो
कोमल हस्ते हुए - यार तुम कितनी छोटी अंडरवियर पहनते हो हिहिहिही
मै झेप गया - क्या यार तुम भी मेरी मजबुरी थी कि वो बड़ा हो गया था तो क्या करता ।

कोमल - फिर भी अपनी साइज़ के हिसाब से तो पहनना ही चाहिये ना राज हिहिहिही
मै - हम्म्म्म सॉरी आगे से ध्यान दूँगा हा नही तो
कोमल सारे रास्ते हस्ती रही और ना जाने क्यू उसकी ये दोस्ती मुझे भा गयी । बस से उतरने से पहले हमने सेल्फी भी ली और नम्बर भी एक्सचेंज किये । हालाकि हमे एक ही गाव जाना था लेकिन बस से उतर कर हम दोनो शांत थे मा और विमला मौसी के सामने ।

बस मेरे नाना के गाव के बाहर एक प्राथमिक स्कूल पर रुक गयी । ये गाव था प्रतापपुर । काफी बड़ा गाव था और इस गाव के सबसे बड़े सेठ थे मेरे नाना जी जो कि बहुत बडे जमीदार थे । सैकडों बीघे की खेती और दो दूध की डेयरी , 3 पक्के ट्यूबवेल और एक आलीसान घर जिसमे कयी नौकर और सुख सुविदा की सारी चीजे थी । नाना जी गाव की भलाई के सरकारी स्कूल , सरकारी हस्पताल , पानी की व्य्व्सथा के लिए कयी सारे काम सरकारी कार्यालयों से अपने दम पर करवा लिये थे ।

( नाना के यहा का परिचय पेज 47 पर अपडेट 28 मे दिया गया है )

फिर हम लोग चारो बैग लेकर निकल पड़े गाव मे अन्दर की तरफ ,,, कड़ी धूप भी थी और प्यास से गला भी सुखने लगा था लेकिन उससे भी ज्यादा मै जल्दी से जल्दी नाना के घर जाकर अपने लण्ड को आराम देना चाहता था । लेकिन मा तो ऐसे गाव को देख रही थी कि मानो कितने सालो से ना देखा हो जबकि हर साल वो एक दिन यहा राखी बांधने आती थी ।
मै गाव के अंदर प्रवेश कर चुका था ,,, गाव मे छोटे बच्चो की चहल पहल ,, एक गाड़ी पर 4 5 बच्चे एक साथ बैठ कर चिल्ल्लते हुए घूम रहे थे उनको देखने के लिए गली मुहल्ले की औरते बाहर निकली थी कोई दरवाजे पर था तो कोई किवाड़ की आड़ मे । अहहा कोई कोई औरते बेढंग से साडी लपेटे थी और उनमे चुचे नाभि पेट किसी किसी के दिख भी रहे थे ।
गाव में जो औरते मा को पहचानती थी वो उनको नमस्ते भी कर रही थी ।
तभी सामने से कुछ औरते गोबर की खाची सर पर लिये गाव से बाहर की तरफ जाने लगी । उनमे से भी कुछ ने मा को नमस्ते किया क्योकि वो हमारे डेयरी और खेतो मे काम करने वाली थी । कुछ की कसी हुई कमर चुचे थे कुछ बुढ़ी भी थी ।
मै - जल्दी चलो ना धूप हो गया प्यास लग रही हैं
मा - हा बेटा चल रही हू ज्यादा दूर नही है बस आने ही वाला है ।
इधर विमला का मायके वाली गली आ गई , वो मा से विदा होने लगी और मा बोली की शाम तक आओ मिलने घर पर । मै कोमल को देख कर एक मुस्कान दिया और हम लोग आगे निकल गए,, मैने एक नजर पलट कर देखा तो कोमल की मस्तानी चाल ने फिर से मुझे कायल कर दिया । उसके भी लम्बे बाल कमर तक आते थे ।तभी मैने उसके मोबाइल पर मैसेज किया

मै - तुम ऐसे क्यू चलती हो ,, सीधा सीधा नही चल सकती
कोमल ने मैसेज पढा और मुड कर देखा तो मै उसे ही देखते हुए जा रहा था ,,
फिर वो मोबाईल मे कुछ टाइप करने लगी
फिर मुझे मैसेज की बिप आई तो मैने मोबाइल खोला

कोमल - तुम मुझे पीछे से ताड़ तो नही रहे ना , हसने वाली इमोजी के साथ जमाए
मैने तुरंत मुस्कुरा कर मोबाइल मे sms कर दिया
मै - मै तो बस तुम्हारे बालो को देख रहा था कितने लम्बे है ।
कोमल - बदमाश , मै तुमसे बाद मे निपटूंगी । अभी मेरे मामा का घर आ गया । 😊

मै भी उसको बाय लिख कर चलने ल्गा ,
और कुछ ही दुरी पर एक बड़ा सा मकान सामने आया जो मेरे नाना का घर था और हम लोग मेंन गेट से अंदर चले गए ,,, एक बडे गेट के बाद अंदर बहुत ही बड़ा आंगन और उसी आँगन के तीनो तरफ कमरे बने थे ,, गेट के ही सीध मे अंदर की तरफ एक दरवाजा था जो पीछे टोइलेट बाथरूम और स्टोररूम की तरफ जाता था । जहा से एक सीढ़ी छत पर भी जाती थी ।
घर एक मंजिला ही थी लेकिन कुल 8 कमरे थे जिसमे कीचेन भी शामिल था । तीन गेट के दाई तरफ , तीन बाई तरफ और दो अंदर जाने वाले दरवजे के अगल बगल थे । उसमे दाई तरफ वाला कमरा कीचेन के लिए यूज़ होता था ।
और सारे कमरे के सामने बरामदे भी थे जिसमे चौकी , राशन की बोरिया , दूध के बडे बर्तन रखे जाते थे । मेन गेट के बाई तरफ से ही एक और सीढ़ी छत पर जाने के लिए थी और उसी के जीने के बगल वाले कमरे के सामने एक चौकी थी जिसपे एक पुराना गल्ले का बक्सा और कुछ रजिस्टर रखे हुए थे । मै समझ गया कि ये कमरा नाना का ही है । और भी नौकर चाकर थे जो काम मे लगे थे ।

मै इस सब चीज़ो को देख रहा था कि तभी सामने से रज्जो मौसी किचन से चलती हुई आई ,,, मै मौसी के हिलते चुचे देख कर मस्त हो गया और उन्के साथ बिताये पल याद करने लगा ।

यहा मौसी आई और मा के गले लगी ,, आह्ह दो बडे बडे थन टकरा गये थे ,,, फिर मैने उन काम करने वाले नौकरो के सामने खुद को सभ्य जता कर मौसी के पैर छुने के लिए झुका तो मौसी ने मुझे रोक लिया

मौसी - अरे लल्ल्ला मेरे सीने से लग मेरे लाल ,,,आजा
मेरे मुह मे पानी आया और मौसी ने मुझे सीने से लगा लिया , मै भी मौसी के मुलायाम चुचो के उपर अपने गाल को लगा कर सफ़र की थकान मिटा लेना चाहता था ।
पर ज्यादा देर ये मुमकिन नही था ।
मा - चलो हो गया बहुत मेल मिलाप अंदर चल अब धूप नही लग रही है
मौसी - अरे मेरा लल्ल्ला कितना परेशान हो गया है । चल बेटा हाथ मुह धुल ले चल मै कमरा दिखा देती हू
मै - पहले मुझे ये जीन्स निकालना है फिर कुछ,,
मौसी हस्ते हुए - अरे तो कमरे मे चल कप्डे बदल ले और मन हो तो पीछे जाकर नहा ले ।

फिर मौसी ने मुझे और मा को किचन के दाई तरफ वाला ही कमरा दिया जो किनारे पर था ।
मै जलदी से अंदर गया और जल्दी से जींस निकाल दिया,,,मेरे लण्ड को बहुत राहत हुई ,,सोचा क्यू ना नहा भी लू इसी बहाने लण्ड भी बैठ जायेगा। तो मैने एक लोवर टीशर्ट लिया और तौलिया लपेटे हुए,, किचन के बाई तरफ से दरवाजे से होते हुए पीछे हाते मे चला गया ।

यहा 3 4 पाखाने और 3 4 नहानघर थे ,,, और पाखाने के एक तरफ किनारे पर कपडे धुलने के लिए मोटर भी लगा था ,,, मैने सोचा आँगन खाली है क्यू ना मै मोटर चालू करके ही नहा लू ।
मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।


देखते है दोस्तो आगे क्या होता है । आप सभी के सुझाव और प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
 

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