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UPDATE 020

मै वापिस घर आया तो 8 बज गए थे और पापा भी घर आ गये थे फिर हम खाना खाये और सो गए

ऐसे ही दिन गुजरे और रक्षा बंधन को अब 4 दिन बाकी थे ।

और एक सुबह मै जल्दी उठा समय देखा तो 6 बज रहे थे तो तुरंत दीदी का ख्याल आया
मै जल्दी से उठा बेडरूम चेक किया फिर जल्दी से छत पर गया तो बाथरूम से पानी की आवाज आ रही थी मै बाहर ही इंतज़ार करने लगा ।

5 मिंट बाद दरवाजा खुला और दीदी ने सर पर तौलिया लपेटे हुए थी और एक काटन दुप्पते से बॉडी को लपेट कर ढका हुआ था

इस बार मुझे देख कर दीदी चौकी नही बल्कि थोड़ा मुस्कराई और कपड़े लेकर अरगन की तरफ गई

मैने पीछे से उनके भिगे बदन पर लिपटा काटन का दुपट्टा देखा जो उनकी गदरायी गांड से चिपका था और चलते हुए 8 का शेप बना रहा था ।

वो कपड़े डालते हुए बोली - भाई मैने उस दिन मना किया था न सवेरे न आना
मै उसके भिगे चुतडो मे खोया था
जब मैने उनकी बात का जवाब नही दिया तो वो मुंडी घुमा के मेरी तरफ देखी कि मै उनकी गांड को देख कर लोवर के ऊपर से अपने खड़े लण्ड को सहला रहा हू

वो गुस्से मे घूमी इससे पहले मै कुछ बोलता वो मेरे उसी हाथ के ऊपर एक चपत लगा देती है जिससे मै अपना लण्ड सहला रहा था और कहती है - राज ये क्या कर रहा है, मै तेरी बड़ी बहन हू

मै सकपका गया - अब्ब्ब मै मै मै ,,,,
दीदी गुस्से मे - तू निचे जा अभी नही तो मै मम्मी को बुला दूँगी

मेरी फट गयी और मै जल्दी से भाग गया और मै दीदी से नजरे चुराने लगा साथ मे डर भी था कही सच मे मम्मी ने ना कह दे ।

फिर मैने नहा धोकर नास्ता किया तब पापा ने बताया की आज शिला बुआ आ रही है ।
मै खुश हो गया कि चलो इसी बहाने दीदी से बच सकूँगा और घर पर कोई बवाल नही होगा ।

फिर मै दुकान खोलने चला गया फिर शाम को समय से कोचिंग गया और जब घर वापस आया तो शिला वुआ आ गयी थी ।

नया परिचय

शीला- राज की बड़ी बुआ , उम्र 50 , गदरायी चुतडो की माल्किन, 40 38 44 का फिगर ,,,थोडी मॉर्डन ड्रेस भी पहनती है ।

कम्मो - मेरी छोटी बुआ , उम्र - 42 साल , जैसा नाम वैसे ही कामुक और गठिले बदन की है, 36 34 38 का सेक्सी फिगर है ।

( बाकी के परिवार का परिचय समय आने पर दिया जायेगा )

वापस कहानी पर
मै घर पहुचा देखा मौसी एक लाल रंग की लेगी के साथ हरे रंग की कुर्ती पहने हुए कीचेन मे मा के साथ थी ।
मैने एक नजर उनकी गदरायी जांघो पर डाला
आह्ह क्या चुस्त लेगी पहनी थी बुआ ने ,, उनके 44 साइज़ की भारी भरकम चुतड ने उनकी कुर्ती को कमर से उठा रखा था ।
बुआ को देखते ही मेरा लण्ड फन्फ्ना उठा और मैने भी लण्ड को राहत देने के लिए जाकर बुआ को पीछे से पकड कर हग कर लिया और लण्ड को उनके नरम गुदाज गदरायी गांड मे धसाते हुए

मै - नमस्ते बुआआआ... आप कब आई
मेरे अचानक हग करने और मेरी आवाज सुन कर खुश हो गयी
शिला - अरे राज बेटा ,,, मै तो अभी एक घन्टा हुआ
मा - राज छोड बुआ को क्यू तंग कर रहा है
शिला - अरे काहे का तंग भाभी जी बेटा है मेरा , क्यू राज

मै भी मौके का फायदे लेते हुए - हा बुआ मै तो आपका ही बेटा हू

मा मेरी बात सुन कर बुआ को छेडते हुए बोली - हा हा तू दीदी का ही बेटा है , मैने कहा तुझे पैदा किया है

बुआ मा की बात समझ गयी और मै भी
बुआ - क्या भाभी आप भी

फिर ऐसे ही हसी मज़ाक हुआ और मै निकल चाचा के घर क्योकि अगले दिन चाची , निशा और राहुल भोपाल जाने वाले थे

मै चचा के यहा पहुचा और अन्दर चला गया
देखा चाची खाना बना रही है जबकि राहुल और निशा पैकिंग कर रहे हैं ।

मै - चाची सारी तैयारियाँ लग रहा है कि हो गयी है
चाची - हा बेटा ,, बस निशा और राहुल अंदर पैकिंग कर रहे हैं
चाची - देख बेटा हम लोग जा रहे हैं तो तेरे चाचा अकेले रहने वाले है ,,, वैसे तेरी शीला बुआ तो आ गयी है लेकिन तु भी कभी कभी आ कर घर देख लिया करना

मै - जी चाची ,, फिर मै कमरे मे चला गया
अन्दर निशा को देखा तो वो बेड पर झुकी टीशर्त लोवर मे पैकिंग कर रही हैं और राहुल बैठा गेम खेल रहा है

मेरी नजर निशा की गदरयी जांघो और उसके 36 का उभार लिये चुतडो पर गयी
मै कमरे के दरवाजे पर खड़ा था किसी को पता नही था मै कमरे से राहुल को भगाने के लिए कुछ सोचा और बाहर चाची को आवाज दी

मै - चाची आपने तो कहा था कि अन्दर दोनो पैकिंग कर रहे हैं,, लेकिन यहा राहुल गेम खेल रहा है

मेरी आवाज से दोनो चौके की मै कब आया और राहुल उठ कर निशा के पास गया तो निशा ने बोला - रहन दे मै कर लुंगी जा अपना काम कर

मै हस रहा था और राहुल मुझे देख कर जल कर रह गया मै उससे बड़ा था तो वो मुझे कुछ कह भी नही सकता था

राहुल मुह बना कर कमरे से बाहर आ गया
मै भी मौका देख कर दरवाजे को ओटन दे कर निशा के पास गया और हल्के से उसके चुतडो पर चपट लगा दिया और उसके सामने बिस्तर पर लेट गया

वो चौक कर पहले रुम मे फिर दरवाजे पर देखती हैं फिर थोड़ा गुस्सा मे मेरी ओर देखती है

निशा - राज क्या कर रहा है कही राहुल देख लेता तो
राज - अच्छा उसकी बड़ी फ़िकर है और मुझे बिना ब्ताये जा रही थी भोपाल ,, इक बार भी नही सोचा इस नये नवेले आशिक के बारे मे

निशा मुस्कुराती हुई- भाई मामा की लडकी की सादी है तो वहा जाना जरुरी है न
और हमेशा के लिए थोडी जा रही हू 15 दिन मे आ जाऊंगी

मै खड़ा हुआ और उसको पीछे से हग करते हुए - फिर 15 दिन का ऐडवांस मे प्यार भी देके जाओ
और वो मुझे धकेल कर अलग हुई - बुलाऊ मम्मी को ,,,,हिहिही ,, ऐडवांस मे प्यार चाहिये

मै वापस लपक कर उनको पीछे से पकड लिया और अपना हाथ उनके टीशर्त के अंदर ले जा कर पेट पर घुमाने लगा
निशा थोडी सहम गयी और डर से थोड़ा काप उठी
मैने अपनी उगली उसके लोवर के लास्टीक में फसा के पेट से थोड़ा दूरी बनाते हुए उसे निशा की नाभि के निचे किया , जिससे निशा की हल्की सी सिसकी सुनाई दी- उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ,,छोड दें मा बाहर ही है ।

मैने धीरे से उसके कान को काटते हुए साथ ही उसके नाभि को अपने हथेली मे भर कर मस्ल्ते हुए कहा- कोई नहीं। आयेगा दीदी करने दो न

निशा - आह्हह , नही अभी नही
निशा भले ही मुझे ना कर रही थी लेकिन मदहोसी मे वो मेरा साथ देने को मजबुर भी थी
और इसी का फायदा लेकर मैने उसके गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और नरम पेट को सहलाने ल्गा
निशा भी मेरा सर पकड कर और ज्यादा आहे भरते हुए कहा- राज बस कर ,,,
मै कहा मानने वाला था मैने एक कदम और बढा ,,और एक हाथ उसके नरम दुधिया 36 साइज़ की चुचियो पर ले गया और टीशर्त के ऊपर से ही मस्ल्ने ल्गा

निशा - ओह्ह्ह राज बस कर मै पागल हो जाऊंगी ,,,मै वापस आकर जो तू कहेगा दूँगी तुझे ,,अह्ह्ह्ह प्लीज छोड दे मुझे अभी

मै - एक शर्त पर
निशा - बोल भाई क्या चाहिये तुझे ,,अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मैने तुरंत निशा का एक हाथ पकड कर अपने खड़े लण्डपर लोवर के ऊपर से रख दिया और बोला - बस इसे चुस कर शांत कर दो दीदी

निशा मुझसे अलग हुई - नही राज तु पागल है क्या ,,बाहर राहुल और मा है कैसे होगा सब

मैने निशा को पकड़ा और कमरे की खिडकी के पास ले आया और दरवाजा भिड्का दिया अच्छे से और तुरंत अपना लोवर क्छ्छे के साथ नीचे उतर दिया जिससे मेरा लण्ड टनटना गया और दीदी को सलामी देने लगा
फिर मैने अपना खड़ा लण्ड सहलाते हुए दीदी को बोला जो एक टक मेरे खड़े लण्ड को देखे जा रही थी
मै - दीदी मै खिडकी से बाहर देख रहा हू आप निचे बैठ कर ... प्लीज

दीदी मुस्कुराइ और मुझे लिप किस्स किया, फिर निचे बैठ गयी ।
और मुझे देखते हुए अपनी जुबान बाहर निकाली और धीरे से मेरे लण्ड के सुपाडे को चाटा

आह्हह दीदी ,,,, फिर निशा ने मुह खोल कर पुरा लण्ड भर कर चूसना सुरु कर दिया
मैने निशा के सर पर हाथ रखकर उसके मुह में हल्के धक्के लगाने लगा
और पर्दे के पीछे से ही कीचेन मे देख रहा था जहा चाची खाना बना रही थी
मैने निचे देखा निशा लगातर तेज़ी से मेरा लण्ड चूसे जा रही थी और मेरी आहे निकल रही थी
मेरी नजर किचन मे खडी चाची पर गयी वो अपनी साडी को कमर को खोसे हुए खडी होकर खाना बना रही थी

मै चाची के गदराये बदन को देख कर और उत्तेजित हो गया। उनकी गांड का उभार मेरे लण्ड मे उत्तेजना ला रहा था और मै कब उनकी मदमस्त ज्वानी को अपनी कलपनाओ मे नंगा करते हुये तेज़ी से अपना हाथ निशा के सर को पकड कर आगे पीछे करने लगा मुझे पता ही नही चला
मेरा ध्यान तब टूटा जब निशा मेरे जांघो पर मुक्का मारने लगी
मैने निचे देखा तो मै उसके मुह मे झड़ चूका था मेरा सारा माल उसके चेहरे पर फैल रहा है ,, निशा की आँखे लाल हो गयी है और आंसू निकल रहे है और फिर भी मेरा लण्ड तेजी से उसके मुह मे अन्दर बाहर हो रहा है

मै उसकी स्थिति देखी तो तुरंत लण्ड बाहर निकाल लिया
निशा लगातार खासे जा रही थी और फिर बिना कुछ बोले बाथरुम चली गई ।

मुझे मह्सूस हुआ कि निशा को ये पसन्द नही आया तो मै बाथरूम के पास गया और बोला - सॉरी दीदी पता नहीं मुझे क्या हो गया था,,,प्लीज माफ करना

निशा मेरी आवाज सुनते ही गुस्से मे बाहर आई बोली - क्या सॉरी राज ,, तुम तो जानवरो की तरह कर रहे थे मेरे साथ मुझे कुछ हो जाता तो

मै - उसके मुह पर हाथ रखकर बोला - सोचना भी मत,,, प्लीज माफ कर दो
और मेरे आँखो मे आंसू आ गए

पता नहीं मुझे क्या हुआ लेकिन उस चिज के लिए मुझे बुरा मह्सूस हो रहा था ।
मेरी हालत देख कर निशा ने मुझे गले ल्गा लिया

निशा - ये आखिरी बार था आगे से ऐसा कुछ मत करना ,,,,, और तु बाहर क्या देख रहा था तबसे की तेरी नजर ही नही हट रही थी

मैने झूठ बोला - वो तो मै नजर रख रहा था कि कहीं कोई आ न जाये ,,सॉरी दीदी

निशा - चल ठीक है तू जा मै थोड़ा काम कर लू कल सुबह ही निकलना है

मैने निशा को गाल पर एक किस्स किया और चाची से मिला और कल सुबह आने को बोल कर घर आ गया

अब देखते है आगे क्या होने वाला है
 
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Update 21

शाम को करीब 7.30 बजे मै घर आया । पापा आज जल्दी घर आ गये थे

पापा - कहा गया था राज
मै - पापा वो कल चाची भोपाल जा रही है तो उन्ही से मिलने गया था और चाची ने बोला कि खानेपीने का ध्यान रखने के लिए ।

बुआ - अरे उसकी चिन्ता मत कर मै कल चली जाऊंगी छोटे के यहा ,,, मैं देख लुंगी खाना पीना

मा बुआ से - क्या दीदी आप भी ,,,, हमारे रहते हुए आप वहा खाना बनाने जाओगी ,,, जैसे सबका खाना बनेगा देवर जी का भी बना देंगे

बुआ - हा लेकिन वो दुकान छोड के नही ना आयेगा
मा - अरे उसकी चिन्ता नही है कोई खाना लेके चला जायेगा ,,,खुश

पापा - हा जीजी ,, रागिनी ठीक कर रही है आपको परेसान होने की जरुरत नही है।

बुआ - अच्छा ठीक है बाबा
फिर सब हसने लगे और खाना खाया गया

अब ये हुआ की कौन कहा सोयेगा क्योकि बारिश का मौसम था तो छत पर सोने की दिक्कत थी ।
फिर प्लान हुआ कि बुआ और दीदी एक साथ सो जाये । मै अपने स्टोररुम मे और अनुज मा पापा के साथ

लेकिन ऐन मौके पर अनुज बोला नही मुझे ऊपर ही सोना है तो मा बोली - तो ऐसा कर राज तु चल हमारे साथ सो जाना

मै थोड़ा खुश होते हुए - वाह आज कूलर के पास सोने को मिलेगा हिहिही

पापा - बावरा हो गया है ये
अब पापा को क्या पता मेरे नीचे सोने की खुशी क्या है ।

फिर मै पहले के जैसे ही बोला - मा फिर मै जा रहा हू सोने ,,, कल सुबह चाची को छोडने बस स्टैंड जाना है

मा - हा बेटा तु आराम कर मै किचन का काम खतम करके आती हू ।
पापा - हा मै भी जीजी से थोड़ा बात चित करके आता हूँ

मै मन ही मन खुश हुआ और अपना मोबाईल किया फिर नीचे चला गया
मै निचे आया और पापा के कमरे मे गया फिर मैने कुलर के तरफ की साइड ली ।उसका एक कारण ये था कि कुलर के जस्ट बगल नाइट बल्ब लगा था , जिससे अगर मै करवट लेके सोता तो बडे आराम से मा और पापा का खेल देख सकता था ,ऊपर से नाइट बल्ब की रोशनी मेरे शरीर के पीछे से आती तो सामने वाले को मेरा चेहरा क्लियर नही दिखता ।

मै खुस हुआ और बेड पर लेट कर मोबाईल चलाने लगा ।
मैने चंदू की बतायी सेक्स स्टोरी साइट पर जाकर कुछ सेक्स स्टोरी पढी ,,,मेरा तो मूड बन गया और लोवर मे तनाव आ गया ।

मैने ऐसे ही एक पारिवारिक सेक्स स्टोरी खोली ,,, जिसमे भाई बहन के रिस्ते को लेकर बहुत ही रोमांचक अनुभव वाले सेक्स सीन लिखे गये । और उस स्टोरी मे जब रक्षाबधन का जिक्र आया तो मै अपनी कलपनाओ मे खो गया ।
मुझे मौसी-मामा , पापा-बुआ, निशा-मै जैसे couple के सेक्स अनुभव आने लगे और मै सोचने लगा क्या हो अगर पापा और चाचा दोनो मिल कर रक्षाबन्धन के दिन शीला बुआ जैसी अपनी गदरायी बहन को पेले । और इसी कल्पना मे मै खो गया

कि बुआ को पापा और चाचा मिल कर चोद रहे है । पापा बुआ के निचे उनकी चुत मे लंड डाले और चाचा बुआ की गदरायी गांड मे लण्ड डाल कर चोद रहे हैं,,,,, और बेड पर राखी से सजी थाली हिल रही है ।
आह्हह क्या कामुक सीन है बुआ की उभरी गांड में चाचा चौडे जा रहे हैं आह्हह अह्ह्ज बुआ आह्हह उफ्फ्फ उह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह बुआ चुदवा लो मुझ्से भी आह्हह उह्ह्ह
तभी मुझे अह्सास हुआ की मेरी ज्न्घो पर कुछ रिस रहा है और जब मैने निचे देखा तो पता चला कि मैं अपनी कलपना मे इतना उत्तेजित हो गया था कि कब लण्ड को लोवर के ऊपर से हिला कर अंदर ही झड़ गया पता ही नहीं चला ।

फिर मैने मोबाइल मे देखा तो 9 बजने को है लेकिन मा और पापा आये नही सोने
इस बात मै तब्ज्जो ना देते हुए अपनी कल्पना के बारे मे सोचने लगा क्या ऐसा हो सकता है ,, अगर ऐसा हो जाये तो कितना मज़ा आयेगा और बुआ उफ्फ्फ क्या गांड है उनकी ,,,लेगी मे उनकी गांड देख कर आज तो मन कर रहा था पेल दू सालि को ....
मेरा तो एक ही दिन मे ये हाल है पता नहीं बुआ के घर वालो का क्या हाल होता होगा ऐसा गदराया माल रोज रोज देख कर,,ह्य्य्य्य अह्ह्ह्ह बुआ

मुझे छत से निचे आये करीब एक घन्टे हो चुके थे इसी बीच मा के पायलो की आवाज सुनाई दी

मै समझ गया कि पापा और मा निचे आ रहे है । मै तुरंत डाटा बंद किया और फोन किनारे रख कर सोने का नाटक करने अपनी पुरानी आदतो के अनुसार ।

थोडी देर मे मा और पापा के बिच की बातचित हल्की हल्की मेरे कानो तक आने लगी फिर दरवाजा खुला और कदमो की आहट मे थोड़ा सतर्क होकर सोने की ऐक्टिंग करने लगा ,,,,
पापा - लगता है राज सो गया
मा - हा आज बहुत दिन बाद बेचारा अच्छे से सोने को पा रहा है ,,, कितना मेहनती है मेरा बेटा और कोई शिकायत तक नही करता कभी

पापा- हा रागिनी हम बहुत किस्मत वाले हैं
मा - मै क्या कहती हू जी आप वो चौराहे वाला घर जल्दी बनवाओ ,,,कब तक मेरा बेटा ऐसे स्टोर रूम मे सोयेगा

पापा- हा वो मैने एक ठेकेदार से बात कर की है बरिश का मौसम खतम हो तब काम शुरू करवाने को बोला है ,,,क्योकि बारिश मे नीव मजबूत बनाने मे बहुत दिक्कत आती है

मा - अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है ,,,,, मै तो बहुत खुश हूँ नये घर को लेके

पापा - क्यू जान इस घर को भूल जाओगी ,,,हमारी सुहागरात तो यही मनी थी ,हहह्हहाह

मा - क्या आप भी ,,,,चुप रहिये बेटा यही सो रहा है और आप

पापा - अच्छा वो दिन भूल गयी जब रज्जो दीदी के साथ खुली छत पर दोनो बहने मिल कर चुदवा रही थी

मै मन ही मन मा और पापा की मीठी नोक्झोक से खुश हो रहा था क्योंकि यहा मुझे एक घमासान चुदाई का माहौल बनता दिख रहा था जिसमे कुछ खट्टी मीठी बातचित का चटकारा भी मिलना था

मा - क्या आप भी चुप रहिये न ,,, राज सो रहा है हिहिहिहिह
पापा- अरे मेरी जान जब कर चुकी हो तो शर्माना कैसा ,,, और राज सो गया है देखो
फिर पापा ने मुझे हिलाया
मेरी थोडी फटी लेकिन मैने भी थूक गतकते हुए खुद को सम्भाला ,,, जब पापा ने छोडा तब राहत मिली

मा - फिर भी ,,,, वो
पापा - कोई दिक्कत नही होगी जान ,,, उस दिन की तरह

मा - उस दिन तो रज्जो दीदी थी तो दिक्कत नही हुई न
पापा- आह्ह मेरी जान रज्जो दिदी की बात न करो
मा - ओहो अभी भी आहे भर रहे हो दीदी के
पापा - अरे मेरी जान तुम्हारी रज्जो दीदी माल ही ऐसी है ,, रन्डी भी फेल है उनके भरे गदराये जिस्म के आगे

मा - वैसे आपकी शिला जीजी भी कम नही है ,,, लगता है नंदोई जी जम कर लेते है उनकी भी

पापा- हा जान जीजी का भी जवाब नही
मा - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या कर रहे हो छोडो ना

मै अचानक से सोचने लगा ये बातो के बीच मे सिसिकिया कब से सुरु हो गई और मैं ये देखने के लिए थोडी गरदन ऊपर की और आंखे खोली

ठीक मेरे सर के एक फिट बगल मे पापा जोकि बनियान और कच्छे मे थे वो मा को जो पेतिकोट और ब्लाऊज पहने थी ,,, उनके पेट को सहलाते हुये कंधे को चूम रहे थे ।

मुझे स्पष्ट रूप से दिख नही रहा था लेकिन मा की आहे बता रही थी कि पापा का मा की जिस्मो पर मर्दन किया रोमांचक था ।

मा - आह्हह उम्म्ंम्ं इह्ह बस करिये राज के पापा ,,, मुझसे रहा नहीं जायेगा

पापा - मत रोक मेरी जान,, आ तेरे प्यास मै बुझा दू
मा - आह्हह लेकिन अपने बेटे के सामने कैसे खुद को आपके लिए पेश करु ,,,, अह्ह्ह्ह हम्म्म्म

पापा- मत सोच देख वो सो रहा और पापा ने मा को मेरी तरफ घुमाया
मैने झट से आंखे बंद कर ली
फिर उनदोनो की आहे सुरु हो गयी ।
मै मन मे - यार ऐसे तो मै देख भी नही सकता क्या करु
तभी मेरे मन में एक विचार आया और मैने दाया हाथ उठा कर अपने ललाट पर रख दिया
और कोहनी के बिच थोड़े से गैप से आंखे खोल कर नजारा देखने लगा


अहहह क्या कयामत थी
पापा ने मा को पीछे से पकड़ा हुआ था और मा का ब्लाऊज पुरा खुला था ,,,मा की दोनो चुचिया पापा के हाथ मे थी
और पापा मा के गरदन और कंधो को चूमते हुए मा की चुचियो को ऐसे मिज रहे थे मानो रसभरे मौसमी को हाथो मे भर गार रहे हो ।

ये नजारा देख मेरे पैंट मे तनाव आने लगा ,,, और उसे मा और पापा से छिपाने के लिए मैने पैर फ़ोल्ड करके लेते हुए मा पापा की रासलीला देखने लगा

फिर पापा ने मा तख्ते पर हाथो के बल झुका दिया और खुद निचे बैठ गये

मेरी मा मेरे से महज एक फुट की दूरी पर अपने कोहनियों के बल झुकी थी और उसके 40 साइज़ के पपीते जैसे नरम चुचे बिस्तर से महज कुछ इन्च उपर हवा मे झूल रहे थे ।

इसी बीच मा उछल कर पुरा बेड पर पेट के बल गिर पडी और तेजी से सासे लेने लगी ।
और जब मेरी नजर पापा पर गयी तो देखा पापा ने अपना मुह मा की नंगी गुदाज गांड मे फसा रखा है

मा - आह्हह उफ्फ़फ्फ ह्य्य्य्य मै मर जाऊंगी राज के पापा ,,,अझ्ह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ

पापा- आज मुझे पहले तुम्हारी गांड चोदनी है जान
मा - क्या बात है मेरे राजा आज डायरेक्ट वही, आपको तो मेरी रसिली चुत ही पसंद होती है हमसा ,,,, कही शिला दीदी की उभरी गांड देख कर मन तो नही न कर रहा है

पापा मा के चुतडो को सहलाते हुए - अह्ह्ह्ह हा जान,, आज जबसे शिला दीदी की उभरी गांड को चुस्त लेगी मे देखा तबसे लण्ड अंगड़ाई ले रहा है ।

मा - अरे इतना ही मन तो कहो बुला दू ,,,आज उन्ही को चोद लो हिहिही

पापा - तु कितनी अच्छी है रागिनी मेरे दिल के जज्बातो को समझती है ,,,काश मै शिला दीदी की जबरदस्त गदरायी गांड मे अपना लण्ड डाल पाता ,,,,और फिर पापा क्छ्छे के ऊपर से ही अपना खड़ा लण्ड मा की पहाड़ जैसी उठी गांड की दरार मे रगड़ने लगे ।

मा पागल हो गई- आह्ह अब क्यू तरसा रहे हो दिदी की वजह से ,,चोद दो न मुझे मेरे राजा

पापा - ऐसे सुखे सुखे डाल दू क्या मेरी जान ,, आ इसको गिला तो कर
फिर मा बिस्तर से उठ गयी और निचे बैठ कर पापा का लण्ड 2 मिंट तक चुस कर गिला किया

पापा - आहहह मेरी जान आजा घोड़ी बन जा
फिर मा बेड पर वापस अपने कोहनियों के बल झुक गई और पापा ने थोड़ा थूक मा की गांड के छेद पर अपना हाथ लगाया और लण्ड को मा की गांड पर सेट करके आगे झुक कर लण्ड को मा की गांड मे दबा दिया और थोड़ा सा लण्ड मा की गांड मे गया

मा - सीईई उउउउऊ उम्म्ंम्ं माहहह ,,,आज इतना टाइट क्यू है जी आपका

पापा- वो जिजी का असर लग रहा है,,, मै तो आज तुम्को जीजी समझ के ही चोदने वाला हू ,,,
फिर पापा ने एक धक्का मारा और लण्ड मा की गांड मे रगडता हुआ अन्दर समा गया

मा -अह्ह्ह्ह्ह उईई माहह ,,, सच मे आज बहुत मोटा लग रहा है जी ,,,, अब रुको मत चोदो कस कर मुझे
पापा - ह्ह्य्य्य हा जान ये ले ,,और पापा तेज़ी से मा की गुदाज गांड को पकड कर चुदाई करने लगे हैं ।

पापा की जांघ मा की चुतडो पर फट फट की आवाज के साथ टकरा रही थी जो पापा के मजबूत धक्के को बया कर रही थी ।

हर धक्के के साथ मा की चुचिया उछल जाती थी,,,,,ये नजारा देख कर मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड गया मै चाह कर भी उसको ऐडजस्ट नही कर सकता था

इधर पापा तेज़ धक्को से मा की गांड की खुदाई कर रहे थे,,और मा की सिसकिया तेज हो गई थी
आखिरकार 10 मिंट तक जम कर मा की गांड चोदने के बाद पापा मा के अन्दर ही झड़ गये और उनके पीठ पर लेट कर हाफ्ने लगे ।

पापा - ह्ह्हुय्य्य ,,, मज़ा आ गया मेरी जान आज तो
मा - हा आज तो आप अलग ही मूड मे थे और आपका वो भी मोटा लग रहा था,हिहिहिही पापा मा की पीठ को चूमते हुए - तू चीज़ ही मेरी जान
मा - अच्छा मेरी वजह से या शिला दीदी की ,,,, हिहिहिही

पापा - आह्हह रागिनी मेरी जान तू सब समझ जाती है ,,, लेकिन ऐसी किस्मत कहा

मा - अरे तो ट्राई कर लो मेरी जान और वैसे भी 2 दिन के लिए मै राज के साथ मायके जाऊंगी तो मौका देख कर दीदी को ,,,हिहिहिही

पापा - अरे वो तो सिर्फ राज ही जायेगा न तुम्हारे साथ
मा - अरे तो सब मै ही करू,,,तुम्हारी दीदी है तुम समझो कैसे पटाना है

पापा- चलो ठीक है देखता हू कुछ
मा - कहो तो डिरेक्ट पूछ लू की आप उनको चोद्ना चाहते हैं,,,हिहिही
पापा मा को घुमा के हग करते हुए- अच्छा और तेरे पूछने पर हा कर देंगी क्या
मा - हा तो नही करेंगी लेकिन कुछ रेपोन्स जरुर करेगी

चलो मै तुम्हारे लिये इस 3 दिन मे कोई न कोई जुगाड कर के जाती हू
पापा मा की चुचियो की मस्ल्ते हुए - आहहह सच मेरी जान तू कितनी अच्छी है

मा - आह्हह ज्यादा मक्खन न लगाओ और मुझे चोदो मेरी चुत को भी लण्ड चाहिये आप तो अपना काम कर लिये न

पापा - आह्ह हा मेरी जान क्यो नही आजाओ मेरे ऊपर फिर ना जाने कितनी जोरदार धक्को के साथ पापा ने मा को चोदा

और मै बेबस होकर अपने लण्ड को इस करवट से उस करवट ऐडजस्ट करता रहा

आखिरकार जब वो दोनो थक कर सो गये तब मैने उनलोगो की तरफ पीठ करके हल्का सा लण्ड को सहलाया ही था कि भल्भ्ला कर मेरा सारा सोमरस बहने लगा और मेरी जांघो से रिस के मेरे आन्डो तक चला गया और मै भी ऐसे ही किसी तरह सो गया

अब देखते है क्या होता है आगे
आपके सुझावों और विचारों का इंतजार रहेगा ।
 
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Update 022

अगली सुबह करीब 6 बजे मेरी निद खुली
मैने देखा मेरे बगल मेरी मा पेट के बल बिना ब्लाऊज के सिर्फ पेतिकोट मे सोयी है
और उनकी उभरी हुई गांड के दरार मे उनका पेतिकोट फसा हुआ है,,, उनकी चिकनी कमर और मुलायम पीठ ,,,आह्हह देखते ही लण्ड सलामी देने लगा ,,,,,
फिर मैने एक नजर पापा पर डाली वो सीधे एक जांघिये मे सोये थे पेट पर हाथ रखे हुए

मै मन मे - पापा कितने किस्मत वाले हैं मा और मौसी को चोदने के बाद अब बुआ को भी पेलने का प्लान है ,, काश मैं भी बुआ को भोग पाता
तभी मैने सोचा क्यू ना सुबह सुबह बुआ के दर्शन कर लू
फिर मैने लोवर मे लण्ड को ऐडजस्ट किया और हल्का सा करवट लेके उठने वाला था कि मा जग गयी

मा - अरे बेटा कहा जा रहा है
मा भूल गयी की रात मे उसने ऊपर कुछ नही पहना है और मेरी तरफ घूम गयी

मै मा के बडे रसिले पपीते जैसे चुचे देख कर थम सा गया और मेरी नजारे उनकी भूरे रंग के मून्क्के जैसे चुचको पर रुक गयी ,,, जब मैने मा को जवाब नही दिया तो उन्होने मेरी नजर का पीछा किया और वो समझ गयी की मेरा ध्यान कहा है
और फिर मुस्कुराते हुए अपनी स्थिति पर थोडी सफाई देते हुए बोली - अरे वो बेटा रात मे गर्मी थी ज्यादा तो ब्लाऊज निकाल दिया था

मैने देखा मा मुझे देख कर मेरे व्यवहार पर मुस्कुरा कर जवाब दे रही है तो मैने भी हौसला करके कहा- हा मा देखा था मैने रात मे आप पुरे कपड़े निकाल दी थी लेकिन ,,,,

मा शर्मा गयी क्योकि वो समझ गयी मेरे कहने का मतलब फिर भी अंजान बनने का नाटक करते हुए बोली - क्या लेकिन बेटा ???

मै थूक गटक कर थोड़ा मा के करीब खिसक कर बोला - लेकिन फिर भी आप लोग वो सब कर रहे थे इतनी गरमी मे भी ।।। मै बहुत ही मासूमियत से बोला

मा थोडा शर्मायी की मैने सारा खेल देखा और सुना था लेकिन उनको इस बात से थोड़ा uncomfortable भी मह्सूस हो रहा था कि मै क्या सोच रहा हूंगा । तो मा बोली - तू तो सो गया था ना

मै - हा मा मै सो गया था लेकिन
मा - लेकिन क्या
मै - मा वो आप इतना तेज़ बोल रहे थे कि निद खुल गयी
मेरे इतना बोल्ते ही मा सीधे लेट गयी और छत पर देखते हुए मुस्कुराने लगी
सीधे लेटने से उनकी चुचिया छत की तरफ नोक बनाये सख्त थी
मै उनकी सख्त चुचियो को देख कर उत्तेजित होने लगा और लोवर मे लण्ड को ऐडजस्ट करने ल्गा

फिर मा सीधे लेते हुए मेरे तरफ सर घुमा कर थोड़ा तिरछी नजरो से देखते हुए पूछी- जब तु उठा तो मै क्या कर रही थी राज
और वापस छत की तरफ देखने लगी ,इस समय उनकी सांसे तेज हो गयी थी और उनकी चुचिया ऊपर निचे हो रही थी
मै फिर से लण्ड को ऐडजस्ट किया और मा की नंगी चुची को देख थूक गटकते हुए बोला - वो वो मा आप बेड पर झुकी थी और पापा नीचे बैठ कर आपके उसमे सर डाले थे ।
इतना बोल के मैने अपनी नजरे निचे कर ली

मा - धत्त पागल,, मतलब तू शुरू से ही जग रहा था
मै - हा शायद लेकिन मा ,,,
मा - हा बोल
मै - पापा आपके,,,,,फिर मैने गांड की तरफ इशारा करते हुए ,,, वहा पर चुम्मी क्यू कर रहे थे

मा शर्मा गयी और मुह पर हाथ रख ली
मै - आपको बहुत अच्छा लग रहा था न मा
मा - धत्त बदमाश अपनी मा से कोई ऐसी बात करता है ,,,
मै - मुझे ये सब कौन बतायेगा अब मम्मी पापा से ना पूछू तो किस्से पूछू

मा थोडी सोच मे पद गयी - ठीक है लेकिन अभी जरुरी नही है समय आयेगा तो बताउन्गी मै तुझे ,,,
मा - अभी तेरी शादी तो नही न हो रही है
मै अनजान बनते हुए - अच्छा तो ये सब शादी के बाद ही कर सकते है क्या
मा - हा बेटा ,, वो भी सिर्फ अपनी बीबी के साथ समझा

मा मुझे नादान बालक समझ कर समझा रही थी तो मैने मा को लपटने का ये मौका कैसे छोडने वाला था
मै - तो फिर पापा ने मौसी के साथ कैसे किया वो सब ,,,थोड़ा जिज्ञसुक भाव मे पुछा
मेरे ये सवाल करते ही मा के चेहरे का रंग ही उड़ गया
मा हडबडी मे बोली - तू तू तुझे कैसे बता ये सब

मै बिना कोई नये भाव के मासूमियत से बोला - उस दिन छत पर देखा था रात मे

मा की सांसे तेज़ हो गयी थी लेकिन वो मुझे कुछ बोल भी नही सकती थी क्योकि गलती उन्ही की थी और मेरे चेहरे का भाव एक मासूम जिज्ञासुक बच्चे के जैसा था ,,,

मा मेरी तरफ घूम साथ ही उन्के करवट लेते ही उनकी दोनो चुचिया बिस्तर की तरफ लटक गयी
फिर मा मुझे बोली- बेटा तुने किसी और को नही न बताया ना उस रात के बारे मे
मै - नही मा मै क्यू ब्ताऊगा किसी को ,,, ये सब छिपा कर करने वाली चीजे है ना

मा थोडी राहत की सांस ली - अच्छा किया बेटा और ये बात तू किसी से नही करेगा जो कुछ जानना पूछना होगा मुझसे पूछ लेना

मै खुश होते हुए - ठीक है मा
फिर वापस से मा की चुचियो को घुरने लगा

मा ने मुझे ऐसे देखा तो बोली - क्यू पीने का मन है क्या मेरे लल्ला
मै बड़ी मासूमियत से हा मे सर हिलाया
फिर मा ने मेरे गाल पर सहलाते हुए एक नजर पापा को देखा तो वो ऐसे ही सोये हुए है
फिर मा मेरी तरफ खिसक गई और इशारा किया मै उनकी चूचियो को चुसू

मै इतना अच्छा ऑफ़र कैसे मना कर पाता और झुक कर मा की चुचियो को दोनो हाथो से पकड़ा और उन्के निप्प्ल तन कर सामने आ गये फिर मैने जीभ निकाल मा मुनक्के जैसे निप्प्ल को चाटने लगा
और जीभ को नुकीला कर उनकी निप्प्ल के चारो तरफ के भूरे घेरे मे गोल गोल जीभ चलाने लगा और बिच बिच मे निप्प्ल को जोर से चुस भी लेता

मा आंखे बंद कर मेरे सर को अपने बड़े बड़े चुची मे दबाए हल्की हल्की सिसकियाँ ले रही थी
तो मैने भी मौके की नजाकट को समझा और चुचियो को चुस्ते हुए मा की कमर को पकड कर अपनी तरफ खिच लिया जिससे मेरा लोवर मे खड़ा लण्ड मा जांघो के बिच टकरा गया और मैने भी मा तरफ आगे कमर खिसका कर मा की चुचियो मे एक को एक हाथ से दबाते हुए दुसरे को मुह मे भर कर चूसने ल्गा

मा की मदहोसी बढने लगी वो मेरे सर के साथ साथ मेरे पीठ पर भी हाथ फेरने लगी
मै भी समझ गया मा अभी मेरे नियन्त्रण मे है कुछ पल के लिए
तो क्यो ना थोदा आगे बढ़ा जाय
फिर मैने भी अपना हाथ मा के कमर से उनकी पेतिकोट मे कसी चुतडो पर ले जा कर उनकी गोलाई मापने लगा

मेरा मा के चुतडो पर स्पर्श उनको मेरे लण्ड के और करीब ले आया ,,, मैने भी अपनी कमर को ओर मा की तरफ किया जिस्से मेरा लोवर मे खड़ा लण्ड मा की गुदाज जांघो मे घुस गया
अब मैने मा के चुतडो को पकड कर अपनी तरफ खीचते हुए अपनी कमर हल्की हल्की चलाते हुए मा के चुचो को चूसने ल्गा

जिससे मा की उत्तेजना भी मेरे तरह बढ़ गयी वो भी मेरी कमर को पकड कर तेज़ी से अपनी जांघ को मेरे लण्ड पर घिसने लगी ,, नतीजन मा और मै करीब 1 मिंट मे अंदर ही अंदर झडने लगे और एक दुसरे को झटके देने लगे
फिर हम थक कर एक दुसरे से चीपके रहे
फिर मा बोली - बेटा उठ जा तू ऊपर फ्रेश हो ले
मै मा को छोड़ना नही चाहता था ना जाने कैसा एक जुडाव हो गया मा से
मै - मा अभी आपसे ढेर सारी बाते करनी है और बहुत सारे सवाल हैं
मा मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराइ - बेटा सब बताउन्गी अभी तू जा फ्रेश हो ले , कहीं तेरे पापा न जग जाये , हम लोग दोपहर में बात करेंगे इस बारे मे और किसी से कुछ बताना मत

मै खुश होते हुए हा मे सर हिलाया और ऊपर चला गया और सीधा बाथरूम मे घुस गया

अब देखते आगे क्या होता है

दोस्तो बिजली की समस्या होते हुए भी आपसे किये वादे को मान देते हुए ये एक छोटा सा अपडेट दिया है । अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे ।
आपकी प्रतिक्रियायो और सुझाव का स्वागत है ।
 
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मै - मा अभी आपसे ढेर सारी बाते करनी है और बहुत सारे सवाल हैं
मा मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराइ - बेटा सब बताउन्गी अभी तू जा फ्रेश हो ले , कहीं तेरे पापा न जग जाये , हम लोग दोपहर में बात करेंगे इस बारे मे और किसी से कुछ बताना मत
मै खुश होते हुए हा मे सर हिलाया और ऊपर चला गया और सीधा बाथरूम मे घुस गया

अब आगे :

मै नहा धोकर फ्रेश हुआ निचे आया तो कीचेन मे मा और दीदी नाश्ता बना रही थी
पापा नाश्ते के टेबल पर बैठे बेडरूम मे शिला बुआ को निहारे जा रहे थे जो मैक्सि मे थी और बैग से कपड़े निकाल रही थी ।

पापा को नही पता था कि मेरी नजर उन पर है वो बस एक टक बुआ को देखे जा रहे थे
बुआ ने बैग से एक हल्के पीले रंग की कुर्ती और सफेद लेगी निकाली और एक मरून कलर का ब्रा पैंटी सेट निकाला फिर बैग रख कर सामने देखा तो पापा उन्ही को देख रहे थे

बुआ ने एक नजर पापा को देखा फिर हाथ मे लिये ब्रा पैंटी पर गयी तो वो थोडा शर्मा गयी
फिर वो तौलिया लेने के लिए वापस बेड की तरफ झुकी तो पापा बुआ की मोटी गांड देख कर चढ्ढे के ऊपर से लण्ड को सहलाया ,,, बुआ ने फिर से वैसे झुके हुए ही वापस गर्दन घुमा के पापा की तरफ देखा तो उनको अपना लण्ड सहलाते हुए उनकी अपनी गांड को निहारते पाया
बुआ घूमी और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर आने लगी

पापा ने भी बिना नजरे हटाये बुआ की गदरायी जवानी को ताडे जा रहे थे ,, बुआ के बाहर आते ही मै मोबाईल मे देखने लगा मानो मुझे कुछ पता ही न हो

फिर बुआ सीढ़ी से ऊपर चली गयी नहाने के लिए ।
फिर मै भी मा को बता कर बिना नाश्ता किये निकल गया चाची के यहा क्योकि मुझे उनको बस स्टॉप तक लिवा के जाना था ।

करीब 45 मिंट बाद मै वापस घर आया तो 8 बज गये थे ।
पापा बैठ के नाश्ता कर रहे थे और मै आ गया तो बुआ बोली
बुआ - आजा बेटा बैठ तू भी नाश्ता कर ले और बुआ मेरे लिए एक प्लेट मे चाय आलू के पराठे लेके आई

उफ्फ़ क्या लग रही थी बुआ
उस पीले रंग की फिट कुर्ती मे उनकी चुचियो पर कसाव था और सफेद लेगी मे उनकी मरून कलर की पैंटी का कट उनकी गदरायी जांघो पर दिखा रहा था । बुआ ने अपना दुपट्टा अपने गीले बालो पर लपेटा था तो चलने पर उनकी हिल्ती चुचिया सामने से ऊपर निचे होती दिख रही थी ।

पापा की नजर बराबर बुआ पर थी वो बेपरवाह हो कर बुआ को ताडे जा रहे थे ।

पापा - जीजी मुझे नही दोगी मै भी भूखा हू
बुआ मुस्कुराते हुए - हा क्यो नही भइया अभी ला रही हू
और बुआ घूम कर वापस जाने लगी किचन मे और पापा बस बुआ की मटकती मोटी गाड़ को देखे जा रहे थे
मा भी काफी समय से पापा की हरकतों पर नजर रखे मुस्कुरा रही थी । वो भी बुआ को छेडते हुए बोली
मा - लगता है दीदी आपके भईया कुछ ज्यादा ही भूखे लग रहे है ।
बुआ - हा क्यो नही,,, कितने सालो के बाद मेरे हाथ का बना खा रहे हैं तो
फिर बुआ प्लेट मे पराठे लेकर पापा के पास मदमस्त चाल मे आई और पापा के बगल मे खड़े होकर एक पराठा दिया

बुआ - और भी दू भईया
पापा - आपसे जितना लेलू उतना ही कम है दीदी
बुआ हस्ते हुए एक और पराठा पापा को दिया फिर चुतड हिलाते किचन मे चली गयी ।

मै भी पापा बुआ और मा की डबल मेअनींग बाते सुन कर मुस्कुरा रहा था ।

पापा - रागिनी मै दुकान जा रहा हू
मा - ठीक है जी
फिर पापा बुआ को ताड़ते हुए चढ़ढे मे लण्ड को एद्जेस्त करते हुए - जीजी जा रहा हू कोई चीज़ की जरुरत हो मुझे कहना
बुआ भी पापा की हरकतो को देखते हुए बोली - हा भईया जरुर

फिर पापा निकल गए दुकान और मै भी दुकान खोला और बैठ गया काम करने
करीब 11 बजे मा और बुआ एक साथ निचे आई और साथ मे तो टिफ़िन बैग भी थे

मा - ले राज जा पापा को खाना देते आ फिर तू भी खाना खा ले
बुआ - ठीक है भाभी मै भी जा रही हू छोटे(चाचा) को खाना देके खिला के आती हू

फिर मै दुकान के निकला और बुआ चाचा के यहा
मै 20 मिंट मे खाना देकर आ गया वापस

मा - चल तू भी खा ले
मै - नही मा अभी भूख नही है,,,वो आप कुछ बताने वाली थी न चलो ना वही बात करते है

मा थोडी मुस्कराकर - धत्त पागल,,, बहुत बदमाश हो गया है तू
मै जिद करते हुए - मा प्लीज ना प्लीज

मा - ठीक है पूछ क्या जानना है
मै खुश होते हुए मा के गाल पे एक चुम्मा किया और बोला - मा आप बता रही थी न वो करने के लिए शादी करना जरुरी है और वो सब सिर्फ अपने बीबी से ही करना चाहिए,,,,लेकिन पापा तो मौसी के साथ भी किये थे

मा ह्स्ते हुए - तू बिलकुल बावरा है और कितना भोला है
मै - बताओ न मा
मा - अच्छा ठीक है सुन ,,,जो तू कह रहा है वो शादी के पहले भी कर सकते है ,,,लेकिन क्या अंजान लोगो से ऐसे रिस्ते बनाने मे कई बिमारियो के खतरे है और बदनामी का डर भी है । इसीलिये मैने तुझे कहा था की शादी के बाद ही करना चाहिए ये सब ,,,क्योकि अभी तु छोटा है ना

मै उत्सुक भाव से मा से फिर पुछा - और रिस्तो मे वो सब करना सही है क्या मा ,,,उसमे भी तो बदनामी का डर रहता होगा न

मा मुस्कुराते हुए- हा बेटा रिस्तो मे तो और भी ज्यादा बदनामी का डर होता है लेकिन इसका एक फाय्दा है कि लोग जल्दी शक नही करते है इसिलिए,,

मै - तो क्या एक घर के ही लोग भी आपस मे कर सकते है मा
मा - हा कुछ लोग हैं ऐसे जो या तो मजबुरी मे या भावनाओ मे बह कर करते है ,,,और वैसे भी अगर दो लोग आपस मे राजी है तो कुछ भी गलत नही है

मै थोडी देर शांत रहा और सोचने का नाटक करता रहा
मा - क्या हुआ अब हो गया ना सब सवाल खतम

मै - नही अभी तो एक और है
मा - तो वो भी पूछ के लल्ला

मै - अगर ये सब गलत नही है तो क्या मै भी अपने घर , रिस्तो मे वो सब कर सकता हू

मा मुस्कुराते हुए बोली - तु भी करना चाहता है क्या ,,, तुझे किसके साथ करना है हिहिहिही
मै शर्माते हुए - आपके और मौसी के साथ
मा - हट बदमाश ,,,,तुझे मेरे उम्र की बुड्ढीयो मे क्या दिलचस्पी है ,,अभी तू जवान हो रहा है नयी कुवारि लडकियों को देख

मै - नही मा मुझे आपके और मौसी जैसी औरते अच्छी लगती है जिनके ये सब बडे बडे हो ,,,,मै उनकी गांड और चुचियो पर इशारा करते हुए बोला

मा शर्माने लगी और मै वाप्स से छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए बोला - मा मुझे भी सिखना है वो कैसे करते है प्लीईईईज्ज्ज्ज्ज

मा ह्स्ते हुए - ठीक है बेटा आज रात मे जब मै और तेरे पापा आयेंगे तो कल की तरह तू वापस देखना और मै भी तुझे इशारे मे समझाउगी भी

मै मा की बातो से खुश हो गया
और मेरा लण्ड एकदम गरम होकर लोवर मे टनटना गया

मै मा को पीछे से हग किया और खड़ा लण्ड साड़ी के ऊपर से ही उनकी चुतड मे धसाने ल्गा

मा - छोड पागल दुकान मे है हम लोग कोई आ जाएगा
मै - तो अन्दर चलो ना मा मुझे भी करने का मन है आपके साथ

मा - धत्त पागल,,तेरी बुआ कभी भी आ सकती है
मै मन मार कर रह गया

मा मुझे ऐसे देख कर बोली - चिन्ता ना कर रात मे अगर हुआ तो तुझे भी मौका दूँगी ,,,अब खुश

मै - हा खुश और फिर से मा को किस्स दिया और काम करने मे लग गया


अब देखते है दोस्तो आगे क्या होता है

कैसे रागिनी ये जानते हुए कि उसका बेटा उसको देख रहा है और वो अपने पति से खुल कर चुदेगी या कोई थ्रीसोम का तडका भी होने वाला है ।
 
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मै - तो अन्दर चलो ना मा मुझे भी करने का मन है आपके साथ
मा - धत्त पागल,,तेरी बुआ कभी भी आ सकती है
मै मन मार कर रह गया
मा मुझे ऐसे देख कर बोली - चिन्ता ना कर रात मे अगर हुआ तो तुझे भी मौका दूँगी ,,,अब खुश
मै - हा खुश और फिर से मा को किस्स दिया और काम करने मे लग गया

अब आगे :

फिर करीब 2 बजे तक बुआ वापस आई फिर हम लोग बात किये हाल चाल हुआ
मा - चलिये दीदी अन्दर कमरे मे चलते है वही बात करनेगे,, यहा गरमी ज्यादा है
बुआ - चलो ठीक है भाभी
फिर वो दोनो पीछे पापा के कमरे मे चले गये
मै भी अपना चेयर कमरे से थोड़ा करीब ले जाकर बैठ गया

अन्दर कमरे मे
बुआ - अरे वाह यहाँ तो कुलर भी लगा है
मा - जी दीदी ,, आईये बैठीये ना
बुआ - अच्छा यही वो बिस्तर जहा रोज रात मे मेरे भैया आपकी जम कर लेते है ,,,,हिहिहिही
मा - हा क्यो नही ,,,, आप भी आजाओ आज रात मे दीदी आपके भईया आपकी भी ले लेंगे। ,,, ह्हिहिही
दीदी - क्या भाभी आप भी भईया है वो मेरे कुछ तो लिहाज करो
मा - शिला बानो जितनी मोटी तुम्हारी चुतड है ना इससे तुम्हारे बाप का भी लण्ड खड़ा हो जाये वो तो भईया है । हहहहह
बुआ - क्या भाभी आपसे तो मजाक करना अपना घाटा करना है,,,,हीहीहि
मा - वो सब छोडो ये बताओ नंदोई जी लगता है बहुत मेहनत करते है आपके पिछवाडे पे,,,तभी ये हाथी जैसा निकल गया है
बुआ - क्यू आपको भी करवाना है क्या ,,,तो चलियेगा मेरे साथ आपके नंदोई जी आपका भी मेरे जैसा कर देंगे ,,,,, हिहिहिहिज
मा - ना बाबा ना मुझे नही करवाना ,,हीहीहि
मा - हा आपको यहा हफ्ता दस दिन रहना है तो कहो मै आपके किये आपके भैया से बात करु ,,,, वैसे भी बड़ी गांड के दीवाने है ही वो ,,,हहह्हह्जा
बुआ - क्या भाभी आप भी न हिहिहिजी
मा - वैसे मै 2 दिन के लिए मायके जाऊंगी मन करे तो आजाना निचे ,,,राज के पापा अकेले सोये रहेंगे
बुआ थोडी देर चुप रही
मा - क्या हुआ जीजी कही सोचने तो नही न लगी कि कैसे कैसे आपके भैया आपको भोगने वाले है ,,,, हिहिहिही
बुआ - हिहिहिह भक्क भाभी ,,,आप भी
मा - ओहो भईया को सईया बनाने का सोच कर कैसे मुस्कुरा रही है हम्म्म्म्म्ं,,,, और ये दूध भी कड़े हो रहे है । क्या बात है जीजी
बुआ - छिईईई ,,,ऐसा कुछ नही है भाभी ,,, वो तो आप कबसे सेक्स को लेकर बाते किये जा रही है इसिलिए ऐसा हो हुआ है
मा - अच्छा कही भईया के नाम से आपकी मुनिया भी नही न बहने लगी
बुआ - अह्ह्ह्ह्ह भाभी इस्स्स्स उम्म्ंम हाथ हटाओ भाभी क्या कर रही है ।
मै चेयर पर बैठे हुए लण्ड को हल्का सहलाते हुए सोचने लगा - अचानक से ये बाते सिस्कियो मे कैसे बदल गयी और ये देखने के लिए मै खिडकी के पास गया तो देखा

बुआ की आंखे बंद है और उनका एक हाथ बेडशिट को अपनी मुथ्थी मे भरने की कोसिस कर रहा और दुसरा हाथ मा के हाथ को पकडे हुए है
और मा का हाथ बुआ के कुर्ती के अंदर लेगी के ऊपर से उनकी फुली हुई चूत पर रेग रहा है ।
इधर मा एक कातिल मुस्कान से बुआ के चेहरे को देख रही थी जो उनकी चुत पर मा के उंगलियो के स्पर्श के साथ अपने भाव कामुक सिसिकियो के साथ बदल रहा था ।

अब बुआ ने अपनी जान्घे थोडी खोल दी और मा ने मुस्कुराते हुए अच्छे से हाथों मे उनकी चुत को भरते हुए मसलना सुरु कर दिया

बुआ - अह्ह्ह्ह उम्म्ंं भाभी क्या कर रही हो ,,,, मुझसे रहा नही जायेगा
मा - तो चली जाना ना अपने भईया के पास ,, कुटवा लेना अपना ये भोस्डा,,,, और फिर वापस बुआ की चुत को रगड़ने लगी ।

बुआ - भाभी अब मुझसे नही रहा जा है कुछ करो आह्हह उम्म्ंं उफ्फ्फ्फ
और मा के हाथ को पकड कर अपनी चुत पर दबाते हुए कमर पटकने लगी और लपक कर मा के होटो को अपने मोटे-मोटे होटों मे दबोच कर चूसने लगी ,,,, पहले तो मा चौकी फिर वो भी आंखे बंद करते हुए बुआ के होटों को चुस्ते हुए उनकी चुत सहलाने लगी ,,,,

फिर बुआ ने अपनी कुर्ती ऊपर की और मा का हाथ अपनी लेगी मे डाल कर पैंटी के अंदर से नंगी नरम पाव जैसी फुली चुत पर रगड़ने लगी
बुआ के लेगी मे मा के हाथो की हरकत दिख रही थी ,,,फिर मा अपनी उंगली बुआ की चुत मे डाल दी

बुआ - अह्ह्ह्ह भाभी उम्म्ंम चोद दो मुझे अम्म्म्ंं उफ्फ्फ
मा तेज़ी से बुआ की चुत मे उंगली से पेलने लगी और बुआ भी अपनी गांड उठा कर उनका साथ देने लगी

मा - क्यो दीदी अब भी नही लोगी अपने भैया का लण्ड
बुआ - आह्हह भाभी अभी किसी का भी लण्ड मिल जाये तो मै ले लुंगी ,,,,,आआआ उम्म्ंम्मम्म्ं उफ्फ़फ्फ रुकना मत भाभी निकाल दो मेरा आह्हह उम्म्ंम
फिर बुआ तेजी से आहे भरते हुए अपने चुतडो को पटक कर झडने लगी ,,, फिर मा ने उनकी चुत से उंगली बाहर निकाली और अपना साडी ऊपर कर पेतिकोट मे हाथ पोछा ,,,उधर बुआ थक कर लेट गयी

फिर मै भी लण्ड को ठीक किया और दुकान मे आ कर बैठ गया
फिर 10 मिंट बाद मा और बुआ बाहर आई फिर ऊपर चली गयी

मै मन मे खुश होने लगा क्या मस्त चुद्क्क्ड परिवार है मेरा और सारी औरते कितनी भुखी है लण्ड के लिए यहा

शाम को कोचिंग का समय हुआ तो मै कोचिंग पहुचा तो मेरी दीदी , पहले से ही पहुची थी ।
मैने एक नजर उसको देखा ,,, वो मुझे देखते ही मुह घुमा ली क्योकि वो अभी भी कल की बात को लेके गुस्सा थी ।

मेरी फटी पडी थी क्योकि 2 दिन बाद रक्षाबंधन था ,,, मै कितना भी भाग लेता लेकिन उस दिन तो उसका सामना करना ही था ,,,,
फिर मुझे दिदी की बात याद आई की उनको एक मोबाईल चाहिये था ,,,, मैने सोचा कि क्यों मोबाईल के साथ और भी एक गिफ्ट लेलू ,,,लेकिन उससे पहले दीदी से बात करना जरुरी है। मगर कैसे करू ये तो मुझे देखते ही भडक जा रही है ।
चलो ठीक है घर जाते समय बात कर लूंगा रास्ते में,, हा यही सही रहेगा और रास्ते मे चिल्ला कर या गुस्से मे बात नहीं करेगी हहहहाहाहा

फिर मै पढाई मे लग गया लेकिन बार बार मेरा मन दीदी मे लगा ,,, सब कुछ सोचने के बाद भी बात कहा से सुरु करूगा इसी मे सोचने लगा और खुद ही बड़बड़ाते हुए कोचिंग मे बैठा रहा

मै वैसे ज्यादतर दीदी या और किसी लडकी की क्लास मे नही देखता था लेकिन आज बार बार दीदी पर नजर जा रही थी
इसी बिच मेने नोटिस किया कि दीदी ने कई बार स्माइल किया लेकिन क्यू
फिर मैने क्लास मे नजर दौडाई की किसकी निगाहे मेरी दीदी की तरफ है

35 लडके और 15 लड़कियो के बैच मे करीब 7 8 लड़को की नजर मेरे दीदी पर थी ,,कुछ तो आपस मे उसको लेकर बात भी कर रहे थे ।
फिर मुझे लगा ऐसे नही पता चलेगा ,,, तो मैने लगातार 10 मिंट तक दीदी को घूरा और जब दीदी ने अपना राइट साइड के बालो का लट अपने कान मे खोस्ते हुए उनकी दाई तरफ आगे की सीट पर बैठे अमन को देखते हुए स्माइल की ,,,,

मै मन मे - अबे साला ये अमन ,,, मादरर्चोद मेरी बहन के पीछे पडा है साले की हड्डी ना तोडी तो मेरा नाम भी राज नही

मेरा सारा मूड खराब हो गया था एक पल मे ,,, अचानक से मेरे अंदर मेरी बड़ी बहन को लेके एक अलग ही भावना आ गई,,,, जिस बहन को मै कुछ दिनो से खुद हवस की नजर से देख रहा था आज उसके लिए एक भाई का बहन के प्रति फिक्र उमड कर आ गया ।

मैने सोचा कि अब इस अमन से बात करनी और इसे समझाना पडेगा ।

नया परिचय
अमन - चमनपुरा मे मेरे मुहल्ले के बगल वाले मुहल्ले में रहता है जो मेन मार्केट के पास है । ये अपने मा बाप का एकलौता बेटा है लेकिन बहुत ही सीधा और सरल स्वभाव है और पढाई मे अव्वल दर्जे में है,,,मेरे साथ बचपन से ही पढा है और हमेशा मेरी पढाई मे मदद की है

सेठ मुरारीलाल - अमन के पिता जी , क्षेत्र के नामी गिरामी सेठ है और पैसो की कोई कमी नहीं है ।
ममता देवी - अमन की मा ,, बहुत ही अच्छी और सुशील महिला है ,,, थोड़े भारी जिस्म की है ,,कद काठी भी चौडी है एकदम पंजाबन जैसी ,,, इसी वजह से इनका साइज़ भी 42 38 46 का है और भारी जिस्म की वजह से ये सूट सलवार ही पहनती है और और एक बड़ी साल से हमेशा खुद को ढक कर रखती है ।
मदनलाल - अमन के चाचा ,,,ये आर्मी से रिटायर है और इन्होने शादी नही की इसका एक मात्र कारण अमन है क्योकि वो उनको जान से भी प्यारा है और उसके लिए प्यार कम न हो इसिलिए मदनलाल ने कभी शादी नही की और इसी वजह से मुरारिलाल ने दुसरा बच्चा नही किया ।

खैर ये सुनी सुनाई बात है असल सच्चाई वो लोग ही जानते है ।

वापस कहानी पर
मै इसी उधेड़बुन मे लगा था की क्या बात करना है तभी क्लास खतम हो गया ,,, मेरा आज का पुरा क्लास क्या था मुझे पता नही चला मै बाहर दीदी का वेट करने लगा ,,, वो अपने फ्रेंड्स से मिल कर 5 मिनट बाद बाहर आई और गेट पर मुझे खड़ा देखा तो इग्नोर करते हुए सीधि निकल गयी मै भी उसके पीछे पीछे चल दिया,,,अक्सर हम साथ ही आया करते थे घर

जब हम कोचिंग से थोडी दूर आ गये तो मै उसके पास गया और बोला - दीदी अभी भी नाराज हो ,,,, सॉरी
वो सीधे चल रही थी बिना कुछ बोले
मै फिर बोला - दी.....
दीदी थोड़ा गुससे मे जवाब दी हुए - अब क्या यहा भी कोई तमाशा करना है तुमको राज

मै थोड़ा सहम गया क्योकि मै भी बिच सड़क पर कोई बवाल नही चाहता था
तो --- सॉरी न दीदी प्लीज
दीदी - जो बात करनी है घर पे करना,,, इतने मे अमन अपनी बाइक से हम दोनो को क्रास करते हूए आगे निकला और बाइक धीमा कर सीसा ठीक करते हूए निकल गया , जिस वक़्त वह अपनी बाइक का सीसा ठीक कर रहा था उस समय उसका चेहरा दिख रहा था मतलब उसको सीसे मे हम दोनो दिख रहे होगे तब ,,, जिसको देख दीदी ने दुसरी तरफ मुह करके हल्की स्माइल दी ।

मेरी जल कर रह गयी ,, मेरा मूड खराब होने लगा एक बार फिर ,,,,
फिर दीदी ने मुझे देखा तो मै सीधे चल रहा था और मेरे चेहरे पर गुस्से का भाव था

दीदी - मै बोली न घर बात करेंगे
मै उनको देखा - हा ठीक है
फिर घर पहुचे हम लोग तो दुकान मे बुआ और मा बैठे थे , वो दोनो हस रहे थे बात करते हुए

बुआ मुझे देखते ही- अरे भाभी सोनल ही क्यू अब तो राज भी सादी के लायक हो गया है
मा - अरे नही दीदी राज अभी बच्चा है ,,, आप बस मेरी सोनल के लिए उस रानीपुर वाले रिस्ते के लिए कुछ बात आगे बढ़ाईये ,,,, तो राज के पापा भी जाकर देख लेंगे

ये बात सुन के मै शौक मे आ गया अरे दीदी की शादी अब ये बात बिच मे कहा से आई ,,, ये साले रिस्तेदार मिल जाये तो इनको सिर्फ शादी की बाते करनी होती है ,,,
इधर मै ये सब सोच रहा था कि इतने दीदी तेज़ी से छत पर भाग गयी
बुआ हस्ते हुए - देखा भाभी सोनल कैसे शादी के नाम पर शर्मा कर भाग गयी ऊपर हहहहहह्हाहह
मुझे बहुत अजीब लगा की दीदी के लिए तो मै भी ऊपर जाने ल्गा जैसे ही मै 4 सीढ़ी ऊपर गया कि मा की आवाज आई

मा - हा जीजी ,,नही तो आजकल की लडकिया तो खुद ही देख सुन ले रही है अपनी पसन्द से
बुआ - अरे भाभी इन लोगो का बहुत अच्छा है की शादी से पहले जांच परख लेती है कि हथियार ठीक है या नही कितना समय तक रुकेगा ,,,,, और हमारे समय मे जिसके गले बाँध दो वही मिलता है

मा - हिहिहि क्या दीदी आप भी ,,,,छीईईई कैसी बात कर रही हो आप मेरी बेटी है वो

बुआ - अरे भाभी जब 2 बार अन्दर हथियार लेगी ना ,,,, फिर वो भी आगे जाकर अपनी भाभी या नंद से ऐसे ही बात करके मज़े लेगी ,,, हहहह्ह्हाहहा

मा - धत्त,, आप तो ऐसे कह रही है जैसे बाऊजी ( मेरे दादाजी ) ने आपके लिए हल्का हथियार खोजा हो

बुआ - अरे भाभी हतियार तो जबर है ही और लम्बी रेस का घोड़ा भी है

मा - तो मै भी मेरी बेटी के लिए ऐसा ही खोजूंगी
बुआ - उसके लिए खुद ट्राई करना पडेगा ना चुद कर ,,,, और कितने लण्ड पर झुलोगी रानी इस उम्र मे हहहह्हहाह्हा

मा - अच्छा आपकी भी तो बेटिया है आपको तो मेरे से ज्यादा झूलना पडेगा

बुआ - नही मै तो मेरे बेटियो की पसनद से शादी करवाऊंगी जहा वो चाहे ,,,,,

ऐसे ही इनदोनो की गर्मा गर्म बाते चलती रही फिर मुझे दीदी का ख्याल आया तो मै कमरे मे गया जहा दीदी चादर ओढ़े सोयी थी ।
ऐसा दीदी कभी नही करती थी की क्लास से आई और सो जाये
मै धीरे धीरे उनके पास गया तो मुझे रोने की सिसकी सुनाई दी
तो मैने तुरंत चाद्दर खीच ली देखा

दीदी फफ्क फ्फ्क कर रोए जा रही है
मै दीदी के बगल मे बैठ गया और उनके कन्धे पर सर रखा - दीदी क्या हुआ आप रो क्यू रही हो ।
वो मुझे झटकते हुए उठ गयी और गुस्से मे बोली - तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे छुने की चला जा राज यहा से मेरा मूड बहुत खराब है और फिर उठ कर बाथरूम मे चली गई

मै कुछ देर औचक बिस्तर पर बैठे नजरे झुका कर फर्श को देखता रहा और मेरी आंखे एक टक फर्श को देखने से भर आई थी ,,,, मै एक गहरी सोच मे डूब गया कि आखिर क्या हो गया है दीदी को तो ऐसा रिएक्ट नही करती कभी ,,, कही शादी की बात से तो ,,, कही वो भी अमन को पसंद तो नही ,,,, मेरे मन में कई सवाल आ रहे थे

लेकिन मै वही जैसे का जैसे बैठा फर्श को निहारता रहा
फिर दीदी आई और मुझे देखा तो गुस्से मे मेरा कन्धा पकड के खीचते हुए - मैने तुझे बो.....
और मेरा चेहरा देखते ही रुक गई क्योकि मेरी आंखे भरी हुई थी जैसे ही उनहोंने मुझे खीचा वो बहने लगी
दीदी को लगा मै रो रहा हू
दीदी - अरे भाई तू ... फिर वो भी मेरे बगल मे बैठ गई और अपने नखुनो को आपस मे तोडते हुए बोली - सॉरी भाई मै तुझे खामखा डाट दी ,,,, लेकिन मै क्या करू निचे मा और बुआ अभी से मेरी शादी करवाने के लिए बात करने लगी है तो उनका गुस्सा भी तेरे पर आ गया । माफ कर दे भाई

मै शौक था कि दीदी को अचानक से क्या हुआ जो ये बदल गई,,,, सोचा छोडो यार मान गई बला गई,,,,

मै थोड़ा मासूमियत से - तो आप पापा से बोल दो की अभी आपको शादी नही करनी है,,,
दीदी - लेकिन कैसे
मै - आप कहो तो मै बात करु
दीदी - तु ..... और पापा से,,, सच कह रहा न
मै - पापा क्या कहो तो मा से कह कर अभी रुकवा दु, हिहिहिहिह
दीदी - पक्का न
मै - हा दीदी ,,,पक्का
दीदी ने मुझे हग किया और बोली - थैंक्स भाई

लेकिन मै कोई खास रेपोन्स नही देते हुए अलग हो गया और बिना कोई शो ऑफ़ के निचे चला गया ।
क्योकि कब उसका मूड घूम जाता पता नही ।

अब देखते हैं दोस्तो आगे क्या होता है
आने वाले दिन मे राज को कई सारे सेक्सुअल अनुभव और कहानी को नयी दिशा मिलने वाली है ,,,
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
 
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मै दीदी को बिना कुछ बोले निकल आया नीचे और फिर मूड फ्रेश करने के लिए सोचा चंदू से मिल लू तो रामवीर से पता चला कि वो ,रजनी और चंपा तीनो चंदू के मामा के यहा चले रक्षा बंधन के लिए ।

मै - अच्छा तभी आज ये कोचिंग भी नही आया था
मै वापस आया और तब तक पापा भी आ गये

फिर मै पापा बुआ और मा सब दुकान मे ही बैठ के बाते करने लगे और पापा की नजर बुआ पर गई जो इस समय एक नायलान मैक्सि पहने हुए थी
पापा - अरे दीदी आपने कपड़े बदल दिये सुबह तो आप कुछ और पहने थे
बुआ शर्माते हुए - हा भईया वो कपडे थोड़े तंग थे और रात मे सोना है तो इसमे ज्यादा आराम है
पापा - तंग कहा थे दीदी एकदम परफ़ेक्ट फितींग थी
बुआ - अरे नही भईया वो ... फिर वो शर्माने लगी
पापा - क्या हुआ जीजी खुल के बताओ यहा कोई बाहर का थोडी है
बुआ - भईया वो मेरे अंदर वाले कपड़े तंग थे ।
मा - क्या दीदी आपने एक बार भी नही बताया की आपके अंडरगार्मेंट्स छोटे हो गये
बुआ थोडी शर्माती हुई और मुझे भी थोड़ा अजीब मह्सूस हो रहा था ऐसे पापा के सामने बाते सुनना लेकिन मा और पापा तो बुआ को खोलने मे लगे थे
बुआ थोड़ा मुस्कुराकर एक नजर पापा और मुझे देखा फिर बोली - हा वो वो मै भूल गई ....
मा - अच्छा तब मतलब अभी भी आपने कुछ नही पहना होगा
मा की बात सुनते ही मेरे और पापा के कान खड़े हो गये क्या सच मे बुआ उस नायलान मैक्सि के अन्दर पूरी नंगी होगी
मै एक बार पापा को देखा तो वो एक तक बुआ के मैक्सि के चैन को देखे जा रहे थे और एक हाथ उनका चढ़ढे को मिज रहा था
इसी बीच पापा मौके का फायदा उठा के बोले - अरे तो रागिनी देख क्या रही है चल जीजी के नाप का अंडरगार्मेंट निकाल दे

बुआ - अरे रहने दो भैया कल सुबह ले लुंगी मै जब नहाने जाऊंगी तो आप चिन्ता ना करो वैसे भी गरमी है तो ऐसे सोने मे आराम है
ऐसे ही बाते हो रही थी फिर मा उठकर - आप लोग बाते करो मै खाना बनाने जा रही हू

फिर मा ऊपर चली गयी और मै भी मोबाईल लेकर साइड हो गया और कानो मे हेडफोन लगा कर उसको चलाने लगा लेकिन मेरी नजर बराबर पापा और बुआ पर थी ।
दोनो सेक्स की आग मे जल रहे थे लेकिन हिम्मत किसी की नही ,,, लेकिन पापा का पुरा मन था बुआ को भोगने का
पापा - और बताओ जीजी वहा के हाल चाल
बुआ - सब ठीक चल रहा है भईया
पापा - यहा कोई दिक्कत तो नही है ना जीजी
बुआ - नही भईया ,,, बस मुझे कल कुछ कपड़े लेके सिल्वाने है
पापा - अरे तो ठीक है कल राज लेके चला जायेगा,,, वैसे कैसा कपडा लोगी
बुआ - सोच रही हू साडीया लेलू इस बार
पापा - अरे वाह ये सही रहेगा
बुआ - हा लेकिन मै अपने नाप का कोई ब्लाऊज नही लाई हू न
पापा - अरे उसकी चिन्ता ना करिये ,,, आईये अन्दर मै अभी नाप ले लेता हू एकदम परफेक्ट साइज़ का

इतना बोल के पापा ने लपक कर इंचीतेप लेके गले मे डाल लिया और खड़े भी हो गये
पापा का उतावलापन देख कर मुझे बहुत हसी आ रही थी ।
पापा - चलो दीदी अन्दर कमरे मे मै नाप ले लेता हू
बुआ - अरे खामखा परेसान हो भईया मै दर्जी को नाप दे दूंगी

पापा - अरे मेरे रहते आप कहा दौड़ने जायेंगी ,,, मै नाप लिख कर दे दूँगा राज कपड़े लेकर चला जायेगा

बुआ मन मान कर - अच्छा ठीक है फिर पापा और बुआ कमरे मे चले गए
पापा ने तो अपनी हवस मे मुझे शुन्य समझ लिया था, वो क्या बाते किये जा रहे हैं मेरे सामने उनको कोई परवाह नहीं थी
फिर दोनो कमरे मे गये और पापा - यहा खड़े हो जाईये जीजी और अपने हाथ ऊपर कर लिजीये

मै सोचने लगा अबे साला पापा तो डायरेक्ट बुआ की चूचि ही नापेगे क्या ,, मै तुरंत उठा और खिडकी के पास से अंदर देखने लगा

कमरे बुआ पापा के सामने हाथ उठाए खड़ी थी और पापा मेरी तरफ पीठ किये खड़े थे
फिर गले से फिता निकालते हुए पापा ने फीता को बुआ के कंधो से अंदर से एक साइड से दुसरे साइड निकाला और सामने लाकर उनके छाती और गले के बिच मे नाप लेते हुए- 36" हम्म्म्म
फिर वापस पापा ने वहा से हटा कर फीता बुआ के छातियो से निचे उनके जहा ब्लाउज़ का बेल्ट होता है वहा लेकिन बिना ब्रा के बुआ की 40 साइज़ की चुचिया थोडी लटकी हुई थी और पापा से टच से निप्प्ल हल्के नुकीले हो गये थे जिससे जहा बेल्ट का माप लेना था वो जगह बुआ की चुचियो से ढका था

पापा - जीजी क्या आप एक मिनट के लिए अपने दूध को ऊपर उथाओगी क्योकि ब्लाउज़ के बेल्ट माप लेना ,,, और मुस्कुराने लगे
बुआ थोडी शर्माते हुए मुस्कुराई और अपने हाथ निचे कर अपनी दोनो पपीते जैसे चुचियो को अपने हाथो मे मैक्सि से पकड कर हल्का ऊपर किया
उफ्फ्फ उस ढीली मैक्सि मे भी बुआ की चुचियो के उठने से मेरे और पापा दोनो के लण्ड अंगदायी लेने लगे
फिर पापा थूक गटकते हुए बुआ की पपीते जैसी चुचियो को घुरते हुए फिते को सामने कर ब्लाऊज के बेल्ट के लिए माप लिया 38" हम्म्म ,, अब छोड दिजीये जीजी
बुआ ने अपने भारी चुचियो को छोडा जिससे 2 3 सैकेण्ड तक उनकी चुचिया हिल्ती रही ,पापा बस एक टक उन हिलते चुचो को देखते रहे फिर उनको देख कर मुस्कुराते हुए - भईया अब आगे बढ़े
पापा - जी जीजी ,,, हा अब थोडी सा अंदर सांस लिजीये मै आपके उभार का माप लेलू

मै पापा के हर स्टेप से उत्तेजित हुए जा रहा था
फिर बुआ ने अपने फेफडो मे सांसे भरी तो उनकी चुचीया फुल कर और ऊपर उठ गयी ।

पापा की आंखे चौडी हो गयी उन्होंने वापस फिते को सामने लाया और ऊँगलियों बुआ की चुचियो के बिच लाकर रख दी और बोले - 42 " हम्म्म

बुआ तुरंत चौकी - क्या 42 ,, नही भईया मेरा 40 साइज़ है
पापा - नही जीजी देखो 42 है
और आपका साइज़ बढ़ गया है तभी आज आपके कपडे तंग थे
बुआ - हम्म्म हो सकता है
फिर पापा ने बाजू और गले का माप लिया ।
बुआ - चलिये हो गया न अब
पापा - अरे दीदी अभी पेतिकोट का तो बाकी है न
बुआ - अरे उसका क्या माप लेना वो ऐसे ही ढीला सील देते है सब
पापा - हा लेकिन अगर वहा पर टाइट हुआ तो कपड़े खराब हो जायेंगे न
बुआ - कहा की बात कर रहे आप भईया
पापा थोड़ा हिचकिचा के बुआ की गांड की तरफ इशारा करते हुए बोले - वहा पर जीजी
बुआ - मै समझी नही भईया
पापा फिर थोड़ा आगे बढ़े और बुआ के बगल मे आ कर उनकी मोटी चुतडो पर मैक्सि के ऊपर से सहलाते हुए - यहा पर जीजी
पापा के स्पर्श से बुआ एकदम सहम सी गयी और उनकी आंखे बंद हो गई
बुआ - आह्ह भईया क्या कर रहे हैं,,, समझ गई मै
पापा का बुआ के लिये हवस चरम पर था उनको जो चाहिये था वो उनकी गिरफ्त मे था तो वो ये मौका कैसे जाने देते
तो वो वैसे ही उनकी मोटी गांड पर हाथ फेरते हुए बोले - तो मै माप लेलू ना इसका भी ,,, ये बोल कर पापा ने बुआ के गांड के पाटो के बीच उंगली से रगड़ा जिससे बुआ हिचक कर आगे हूई मगर अब पापा का हाथ उनकी चुतडो को सहलाए जा रहा था

बुआ - लेलो भईया अह्ह्ह्ह
पापा और बुआ दोनो एक दूसरे को पाना चाहते थे ,, एक तरफ पापा को बुआ की मोटी गांड में अपना लण्ड डालने का हवस ,,, वही दो दिनो की बुआ की फड़फड़ाती चुत लण्ड के लिए तरस तरस कर बहे जा रही थी
पापा ने फीता लिया और इस बार बुआ के पीछे खड़े हो गये और फिर अपने घुटने पर होकर ठीक बुआ के भारी भरकम चुतडो के बराबर मे आ गए,,,, अब पापा का चेहरा बुआ की मोटी गांड के ठीक सामने था ,,, फिर पापा फिते को एक साइड से दुसरे साइड लेने के लिए आगे झुके ,,,और साथ ही बुआ की चुतडो के पास आकर आंखे बंद किया उनकी गदरायी गांड की खुस्बू लेने के लिए एक गहरी सांस ली ,,,जिससे पापा के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी

फिर उन्होने फीता सामने किया तो कमर की माप ली 38 " फिर बुआ के मोटी गांड पर फीता को सामने लाया 44" कुल 6 इन्च का उभार ,,,
पापा ने थूक गटकते हुए एक बार अपना चढढा ठीक किया
बोले - जीजी देखा कमर और आपके इसके ( उनकी चुतडो को दबाते हुए ) बिच मे 6 इन्च का अंतर है
बुआ मुंडी घुमा कर निचे पापा को देखती है - अच्छा तभी मेरे सारे पेतिकोट तंग हो जाते है
पापा - जीजी ये बडे भले ही है लेकिन बहुत मुलायम है ,,,, और वापस पापा ने बुआ के चुतड के एक पाट को दबा के बताया जिससे बुआ की सिसकी निकल गयी - उम्म्ंम्म्ं
पापा - जीजी इतना मुलायम तो तकिया भी नही होता है और फिर पापा ने अपना गाल मैक्सि के ऊपर से ही बुआ की गांड पर सहलाने लगे
बुआ - इस्स्स उम्म्ंम्ं ,, बस करो भईया गुदगुदी हो रही है ,,,, और वैसे भी भाभी के पास भी ऐसा ही है वहा सोयिये तकिया बना कर

पापा- नही जीजी रागिनी का आपके जितना नही है
बुआ - धत्त क्या भईया आप भी,,, उठिए चलिये मुझे गुदगुदी लग रही है वहा
पापा फिर खड़े हो गये फिर - अच्छा जीजी आपको याद है हम लोग बचपन में कैसे एक साथ सारे भाई बहन रहते थे और एक दुसरे के ऊपर सोया करते थे ,,,

बुआ - हा भईया कितना अच्छा था तब हम लोग कितने दुबले पतले थे
पापा - सब लोग नही सिर्फ़ मै जंगी और कम्मो थे ,,, आप तो तब ऐसे ही गोल मतोल थे ,, हहहहह
बुआ - भक्क कहा भईया मै भी आप लोगो के जैसी
थी आप ही लोग मुझे भैस मोटी कह कर चिढाते थे।
पापा - वो तो अपने मामा का लड़का लखन आया था वही आपको सबसे पहले भैस बोला था
बुआ - अच्छा वो क्यू ,,, और आपने भी नही रोका उसको कि क्यू बोल रहा था ऐसा मेरी दीदी को
पापा- मैने पुछा था दीदी , फिर जो जवाब उसने दिया तो मै भी संतुष्ट हो गया
बुआ - अच्छा ऐसा क्या बोला वो लखना
पापा - नही दीदी वो पुरानी बात है रहने दिजीये
बुआ - अरे बताईये भईया मै कौन सा बुरा मानूंगी और गुस्सा होना होगा तो उस लखना से होऊंगी
पापा - जीजी वो बोल रहा था की आपकी दूध भैस की थन जैसे लगते है और ....
बुआ - और क्या
पापा - आपका पिछ्वाडा चलने पर गदरायी भैस के जैसे मटकता है इसिलिए
बुआ - हे भगवान तब मै 10वी मे पढ रही थी ,,, और मेरे इतने भी बडे नही थे ये बात बोलते बोलते बुआ मुस्करा दी
पापा - हा दीदी लेकिन बाकियो के मुकाबले बहुत अच्छे थे आपके दूध
बुआ - धत्त पागल,,, ऐसी बाते करता है कोई अपनी बड़ी बहन ,,, और तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे हमेशा मेरे दूध ही निहारा करते थे

पापा को जैसे बात बढाने का नया जरिया मिल गया
पापा - नही जीजी हमेशा नही बस कभी कभी नजर पड़ जाती थी ,,, और आपके दूध उस समय सच मे बडे तो
बुआ - तो क्या
पापा - तो मेरा मन भी होता था कि कभी उनको अच्छे से निहारू ,,, मगर कभी मौका नहीं मिला
बुआ - धत्त भईया ,,, आपको इतने पसंद है क्या मेरे दूध
ये बोल के आंखे निचे कर ली
पापा - जी दीदी ,,, और मै तो हमेशा से सोचता था मेरी शादी आपके जैसी किसी औरत से ही हो
बुआ - हिहिहिही और आखिर आपको आपकी पसंद मिल ही गयी भाभी के रूप मे
पापा - कहा जीजी ,,,
बुआ - क्यू भाभी मेरे से कम है क्या
पापा - हा उसका साइज़ आपके जितना थोडी है
बुआ - धत्त क्या आप भी भईया ऐसा कुछ नही भाभी मेरे से 20 ही पड़ेगी
पापा - नही जीजी मै रोज देखता हू रागिनी को ,, कहो तो शर्त लगा लो हार जाओगी आप
बुआ - देखा है न बस , जैसे मुझे मापा है वैसे थोडी न मापा है भाभी को
एक बार नाप लो देखना आप खुद हार जाओगे
पापा - अगर मै जीत गया तो मुझे क्या मिलेगा
बुआ - जो आप माग लो भईया
पापा - सोच लो जीजी बाद मे पलट मत जाना
बुआ - मै नही पीछे हटून्गी,,, और अगर मै जीती तो राखी पर मन चाहा इनाम लुंगी आपसे हीहीहि
पापा - ठीक है फिर देखते है
बुआ - एक बात और भाभी का माप मै लुंगी पक्का न ,,,नही तो आप शर्त जितने के लिए बेईमानी कर लोगे
पापा- जरुर जरुर जीजी आप ही लेना लेकिन अभी चलिये ऊपर चलते बातो ही बातो मे रात हो गयी हाहाहह


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अब तक
बुआ - मै नही पीछे हटून्गी,,, और अगर मै जीती तो राखी पर मन चाहा इनाम लुंगी आपसे हीहीहि
पापा - ठीक है फिर देखते है
बुआ - एक बात और भाभी का माप मै लुंगी पक्का न ,,,नही तो आप शर्त जितने के लिए बेईमानी कर लोगे
पापा- जरुर जरुर जीजी आप ही लेना लेकिन अभी चलिये ऊपर चलते बातो ही बातो मे रात हो गयी हाहाहह

अब आगे

रात के 8 बजे हम लोग एक साथ खाना खाने बैठे
मा और दीदी ने सबके लिये खाना लगाया फिर सभी खाना खाने लगे ।

पापा - मै क्या कह रहा हूँ रागिनी तुम कल जीजी को जंगी के यहा लिवा के जाओ और कुछ साड़ियां दिला दो चार नये मॉडल की जैसा जीजी को पसंद हो ।

मा - हा फिर लेकिन माप भी देना पडेगा ना और जीजी बता रही थी कि वो कोई साड़ी नही लाई है इस बार

पापा - अरे उसकी चिन्ता नही है मैने आज नाप ले लिया जीजी का

पापा के ये बोलते ही मा और दीदी बस एक नजर पापा को देखने लगी फिर दीदी ने एक नजर मेरी तरफ देखा तो मै मुस्करा रहा था

तो दीदी ने कोहनी से मेरे हाथ पर मारा और इशारे से पुछा की क्या माजरा है ,,, मैने उनको चिल्ल्ल करने का इशारा किया और बोला जाने दो
इससे पहले लोग अनुज और दीदी अपने मन मे कुछ और बाते बनाते तभी
बुआ - हा भाभी वो नाप मैने ले ली है वो भईया ने मेरी मदद की ,,,, फिर बुआ पापा को एक कातिल मुस्कान देती है

मा - अच्छा तब तो ठीक है नही तो बिना माप सिलाने दिक्कत आती
फिर सभी लोग खाना खा कर छत पर टहलने चले जाते हैं और मा दीदी किचेन मे काम करने लगते ।

थोडी देर बाद मा ऊपर आती है
बुआ - अरे सोनल नही आई ऊपर
मा - नही वो काम खतम करके निचे ही सो जायेगी
मा - अनुज बेटा तू भी जा सो जा
अनुज - जी मा
फिर अनुज भी निचे चला जाता है
अब छत पर मै मा बुआ और पापा थे

मै - पापा मुझे कुछ पैसे चाहिये थे
पापा - क्या हुआ बेटा कोई दिक्कत तो नही न
मा - हा बेटा बोल क्या जरुरत है तुझे

मै - पापा मै सोच रहा हूँ इस बार रक्षा बंधन पर दीदी को मोबाईल गिफ्ट देदू
बुआ - अरे वाह बहुत खूब बेटा
पापा - अरे लेकिन उसको मोबाइल का क्या काम ,, लडकी है वो
बुआ - क्या भईया आप भी अगर मै होती तो क्या आप तब भी ऐसा सोचते ,,, अरे जवान लडकी है अभी पढ रही कुछ नये चीजे सिख लेगी कल को ससुराल मे काम ही आयेगा

पापा - अरे नही जीजी ऐसा नही है
मा - क्या आप भी दे दो न पैसे ,, वैसे 2 3 साल तक ही रहेगी मेरी बेटी मेरे साथ ,, मा थोडी रुआसी हो गई

पापा - अच्छा ठीक है बाबा दे दूँगा मैं,, राज कल सुबह तू ले लेना
मै खुश होते हुए- थैंक्स पापा
फिर पापा निचे जाने लगे - चलो रागिनी मै नीचे जा रहा हू तुम और राज भी आजाना

मा - हा ठीक है आप चलिये हम आते है फिर पापा निचे चले गये

फिर बुआ और मा चताई पर बैठ कर बाते करने लगे
मै भी मा की गोद में सर रख कर लेट गया

मा - अरे ये राज भी ना पता नही कब बड़ा होगा
बुआ - अरे भाभी बड़ा तो हो ही गया है और कोई लडकी भी पटा लिया होगा अब तक क्यो हीरो

मै - नही बुआ क्या आप भी
बुआ - देखो कैसे शर्मा रहा है लडकी के नाम से हीहीहि अरे शादी होगी तब क्या होगा इसका

मै - आप कर लो बुआ मुझसे शादी फिर नही शर्माउँगा हिहिहिही और मा भी हसने लगी

बुआ - बदमाश अपनी बुआ से शादी करेगा अब तो मै बुड्ढी हो गई हू बेटा
मै - क्या बुआ अभी भी,, अगर आप टीशर्ट और घाघरा पहन लो एकदम भोजपूरी फ़िल्मों की रानी चटर्जी ल्गोगी

मा - हा जीजी राज एकदम सही कह रहा है आपका और रानी चटर्जी का फिगर सेम ही है ,,मै तो कहती हू कल एक टीशर्ट और घाघरा भी लेलो आप आपके भईया भी देख के खुश हो जायेगे हाहहाहहा

बुआ - क्या भाभी जी आप भी धत्त
मै नही पहनने वाली
मै - बुआ प्लीज लेलो ना आप पर बहुत अच्छी लगेगी
बुआ - लुंगी लेकिन एक शर्त पर तेरी मा को भी लेना पडेगा हिहिहिहिही

मा - नही नही नही रहने दो तब मै नही पहनती ऐसे कपडे जीजी ,,, आपकी तो आदत है मॉर्डन कपड़े पहनने की

मै - बुआ अब बहाने न बनाओ मा को लेके ,, आपको लेना है कल बस चलना मै भी चलूंगा

बुआ - अच्छा ठीक है बाबा ले लुंगी खुश
मै मा की गोद से उठ कर बुआ की गद्देदार जांघो मे लेट कर उनके मैक्सि के ऊपर से पेट मे हग करते हुए उनके पेट मे अपना चेहरा घुमाने लगा ,, आह्हह कितना सोफ्ती मह्सूस हो रहा था

बुआ - हिहिहिहिही अरे बेटा छोड मुझे गुदगुदी लग रही है हा हह हीहीह ब्स कर राज

फिर मै वापस बुआ की गोद मे सीधा लेट गया और बुआ मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए - अभी भी नटखत है बचपन की तरह हा ,,,फिर वो मुझे छोटे बच्चे की तरह दुलारने लगी
मै ऊपर देखा तो बुआ की पपीते जैसी मोटी चूचिया मेरे चेहरे से कुछ इन्च ऊपर ही मैक्सि मे लटकी हुई थी ,,, मन तो कर रहा था की अभी चुस लू
इसी बीच बुआ - लेकिन भाभी जंगी के यहा तो सिर्फ साड़ियां ही मिलेगी ना तो वो कपडा कहा लेंगे
मै - अरे बुआ आप चिन्ता ना करो मार्केट मे अब नये नये दुकान खुल गये है और एक नया शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी खुल गया है

मा - हा जीजी ,, मै तो कहती हू कल हम सब लोग चलते है त्योहार के लिए खरीदारी भी हो जायेगी सारी फिर अनुज और सोनल को भी नये कपडे चाहिये ना

मै थोड़ा उदास सा मुह बना कर - और मेरे कपड़े
बुआ हस्ती हुई - मै दिलाउंगी ना मेरे राजा बेटा को जो चाहिये

मै थोडा बुआ को छेडते हुए - हा बुआ ,, आपको ही मेरी मम्मी होना चाहिए था ,,,मा तो कुछ दिलाती ही नही

मा - हा हा बना ले मम्मी इनको भी वैसे भी तुने इनका भी दूध पिया है

मै - क्या सच मे बुआ ,, मै उत्साही मे बोला
बुआ - अरे नही बेटा मै बताती हू बात क्या ,,,वो क्या है छोटे पर तू इतना शरारती था और प्यारा कि कोई भी औरत तुझे गोद मे ले लेती खिलाने के लिये लेकिन थोडी ही देर मे तू दूध पीने के लिए रोने लगता था। तो तुझे चुप कराने के लिए हम लोग अपने दूध पर तेरा मुह लगा देते थे ,, अब उसमे दूध आये या ना आये लेकिन वही चुस कर तू चुप हो जाता था ।
हहाहहहा देखो भाभी कैसे शर्मा रहा है अब

मै - क्या बुआ आप भी
मा - हा बेटा तेरी बुआ सही कह रही है मै तो परेशान हो जाती थी तेरे रोने से तो किसी न किसी को बुला के दे देती थी ।
मै - उह्ह्ह्हउउहुहुहहह उह्ह्ह्झ दुधूअअउऊउऊ,,, मम्मीईईईई दुधुऊउऊऊऊऊ झूठ मूठ का रोने का नाटक करने लगा और बुआ की गोद मे उछल कूद करने लगा

मा हस्ते हुए - लगता हैं जीजी इसको चुप करवाना पडेगा पडेगा पहले की तरह ,,,

बुआ - मेरा सर किसी छोटे बच्चे की तरह दुलारते हुए मेरे गाल सहलाते हुए - दुधू चाहिये मेरे लल्ला को आजा मेरा बेटा और फिर बुआ ने एक हाथ से अपनी मैक्सि का चैन खोला फिर बाया तरफ का बाजू निचे किया और बाई तरफ की चुची निकाल के बाहर की फिर मेरा चेहरा उठा कर अपने चुची के पास ले जाकर - ले पी ले मेरा ल्ल्ला

मैने तो मजाक मे शुरू किया था मुझे नही पता था कि ये सब इतना आगे बढ़ जायेगा और फिर इतना बड़ा मौका मै कैसे जाने देता
मैने भी लपक कर बुआ के बडे बडे निप्प्ल को पर मुह लगा कर चूसने लगा
बुआ - अह्ह्ह्ह आराम से लल्ला
मा हस्ते हुए - अरे वाह देखो तो कितना प्यार है अपने भतीजे को रोता नही देख सकती

बुआ -उम्म्ंम आह्हह और क्या मेरा दुलारा बेटा है ऐसे कैसे उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह आराम से चुस बेटा ,,,रुक मै लेट जाती हू
इतना कह कर बुआ निचे लेट गई और मै उन्के ऊपर आकर उनकी चुचि को वापस चूसने लगा

बुआ की शरारत अब उन पर भारी पड़ रही थी क्योकि मै धीरे धीरे उनकी चूचियो को दबा कर उन्के निप्प्ल को अपने जीभ से खेल रहा था
अब बुआ को मदहोशि होने लगी और उनकी सांसे भी तेज़ी से ऊपर निचे होने लगी थी ,,,,

बुआ - अह्ह्ह्ह आह्हह बेटा उम्म्ं
मा - चलो जीजी मै निचे जा रही हू और आप भी राज को दूध पिला कर भेज देना इसे भी निचे
बुआ - आह्हह हा भाभी चलो आप मै भेजती हू इसको
मा फिर निचे चली गई और मै अपना पोजिसन बदला और सीधा सीधा बुआ के ऊपर आ गया
अब तक मेरा लण्ड क्छ्छे मे पुरा कडक हो चूका था और बुआ को गदरायी जान्गो मे चुब्ने लगा

बुआ मेरे सर पकड़ अपनी चुची पर दबाते - आह्हह बेटा सिर्फ वही चुसेगा दुसरा भी है न मेरे लाल

फिर मुझे जैसे आमंत्रण मिल गया हो बुआ का कि आओ और मेरा भोग करो
मै बुआ की दुसरी चुची भी बाहर निकाली और निप्प्ल पर जीभ फिराते हुए उनको भी चूसने लगा साथ मे दुसरे हाथ से बुआ की दुसरी चुची को पकड के मिजने लगा
बुआ पागल होने लगी उन्हे इस बात का कोई ख्याल नही था कि कौन है क्या है वो अब अपनी 2 दिनो से अपनी प्यास बुझाने के लिए तडप रही थी और आज वो मौका उन्हे भी मिल गया था
मै भी उनकी चुचियो को मसलते चुस्ते हुए अपना लण्ड उनकी दोनो जांघो के बीच कमर हिला कर रगड़ने लगा
जिससे बुआ ने अपनी जान्घे खोलने लगी लेकिन मैक्सि मे सिमित जगह थी तो मैने उनकी मैक्सि को थोड़ा घुटनो तक खीचा जिससे तेज़ी से से बुआ की जान्घे फैल गयी और मेरे लण्ड कच्छे मे ही सीधा बुआ की चुत पर मैक्सि के उपर ही टकरा गया
मेरे खड़े लन्द का स्पर्श अपनी चुत पर पाते ही
बुआ - आह लल्ला
मै अपने लण्ड को बुआ की चुत पर क्छ्छे से रगद्ते हुए पुछा - क्या हुआ
बुआ - उम्म्ं वो तेरा हथियार मेरी मुनिया को लगा ना इसिलिए
मै हस्ते हुए - क्या बुआ आप भी वो तो नुन्नु है मेरा हीहीहि
बुआ - आह्हह लगता तो नही अबतक नुन्नु ही होगा

मै - अगर विश्वास नहीं तो खुद देख लो
बुआ - अच्छा ला तो मेरे पास देखू मै भी
फिर मै भी उठ कर बुआ के सर के पास अपने घुटने के बल खड़ा हो गया
फिर बुआ ने मेरे क्छ्छे पर हाथ फेरते हुए मेरे लण्ड के सुपाडे की गोलाई माप्ते हुए बोली - जरा अपनी कच्छी निचे करना लल्ला देखू तो अच्छे से

चुकी मै जानबुझ कर बुआ के सामने नादान बनने का नाटक कर रहा था तो बुआ भी मुझे अबोध समझ कर मेरे से अपना फायदा लेना चाहती थी और वो मुझे बच्चे की तरह ही पेश आ रही थी
फिर मै भी अपना कच्छा धीरे धीरे करते हुए निकाला और मेरा 7" का मोटा लाल सुपाडे वाला लण्ड घन्टे के जैसे टनटनाते हुए सीधा खड़ा हो गया

मेरी पोजिसन ऐसी थी की मै बुआ के दायी तरफ बिलकुल उनके कंधे से सट कर घुटनो के बल खड़ा था और मेरा लण्ड अपने नुकीले सुपाडे के साथ तीर के जैसे मौसी के चेहरे के ठीक समान्तर मे एक फिट के ऊपर तन कर खड़ा था
उस हल्की चांदनी रात मे मेरे लण्ड की छाया मौसी के चेहरे पर एक विकराल रूप ले चुकी थी और बुआ फटी आखो से इतने पास से मेरे फुकार मारते लण्ड को निहारे जा रही थी

बुआ - बेटा देखा मै ना कहती थी की ये एक हथीयार है और फिर अपने एक हाथ से मेरे सख्त लण्ड के उभरे नसो पर अपनी नाखूनो के खरोच लगाते हुए मुथ्थी मे भर लिया

बुआ - बेटा ये कितना तप रहा है तेरा हथियार
मै भी नादान होने नाटक करते हुए - हा बुआ और दर्द भी कर रहा,,, कही मेरे नुन्नु को बुखार तो नही न हो गया

बुआ को मेरी नादानी पर हसी आई फिर वो बोली - रुक जा बेटा मै इसको ठंडा कर दे रही हू
मै - हा बुआ कर दो न प्लीज
फिर बुआ ने थोडी करवट ली और अपनी दाहिने कोहनी के बल पर होकर बाये हाथ से मेरे लंड को थामा फिर अपना मुह खोला ,,, मुझे बुआ की गर्म सांसे अपने लण्ड पर मह्सूस होने लगी और देखते ही देखते बुआ ने आधा लण्ड को मुह में ले लिया और मेरे सूपाड़े पर मुह के अंदर ही जीभ फेरने लगी ।

मै - आह्हह बुआ कितना आराम मिल रहा है ,,, कितनी अच्छी हो आप ऐसे ही रहो ना

बुआ ने बिना कुछ बोले मुझे नासमझ लडके की तरह मेरे कमर पर हाथ रखा और धीरे धीरे पुरा लण्ड मुह लेने लगी
बुआ के मोटे मोटे और नरम होटो का मेरे सम्वेदनशील सुपाडे पर घर्षण मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रहा था ,,, धीरे धीरे तकरीबन 5 6 मिनट मे मेरे लण्ड की नसे पुर्ण रूप से अपनी अन्त सिमा तक फैलाव ले चुकी थी ,,, मेरे सुपाडे मे मानो मेरी दोनो जांघो का खून एक साथ भरने लगा हो ,,, अब बुआ की गीली जीभ का मेरे सुपाडे पर चन्द स्पर्श भी मुझे झड़ा देने वाले थे , ऐसे मे मैने बुआ के सर को पकड़ा और ना चाहते हुए भी अपने बेरहम धक्को से उनकी मुहपेलाई शुरू कर दी ,,, मुह मे अंदर जाते वक़्त बुआ की जीभ मेरे सुपाडे और लण्ड की निचली नसो मे घर्षण करती,, ऐसे ही 20 22 जोरदार धक्को से अब मेरा लण्ड बुआ की लार से लिप्त हो चूका था और मेरी गति धीमी थी और अगले 8 से 10 धक्के मै उनके मुह मे झड़ते हुए मारने लगा ,,, फिर मैने अपने लण्ड बाहर निकाल कर बेधाल होकर बैठ कर हाफने लगा ,,,मुझे बुआ की स्थिति का कोई ध्यान नही था कुछ पलो मे सास बराबर होने पर मैने बैठे बैठे बुआ पर एक नजर मारी ,, वो अपने चेहरे पर लगे मेरे सोमरस को उंगली से साफ कर चाट रही थी और फिर लेटे लेटे ही मेरे तरफ मुस्कुरा कर देखा



अब आगे के अपडेट मे देखते है कि क्या होने वाला है
 
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मै उनके मुह मे झड़ते हुए मारने लगा ,,, फिर मैने अपने लण्ड बाहर निकाल कर बेधाल होकर बैठ कर हाफने लगा ,,,मुझे बुआ की स्थिति का कोई ध्यान नही था कुछ पलो मे सास बराबर होने पर मैने बैठे बैठे बुआ पर एक नजर मारी ,, वो अपने चेहरे पर लगे मेरे सोमरस को उंगली से साफ कर चाट रही थी और फिर लेटे लेटे ही मेरे तरफ मुस्कुरा कर देखा

अब आगे

हम दोनो की सासें जब सामान्य हुई तो मै बुआ का मन टटोलने के लिए बोला

मै - थैंक्स बुआ , आपने मेरी मदद की ,,, चलो अब सोने चलते है
एकपल को बुआ का चेहरा मुरझा गया ,,, क्योकि मेरे द्वारा उनके चुचीयो के रसपान और दमदार मुहपेलाई से उनकी चुत बुरी तरह से पनिया चुकी थी और वो मैक्सि के ऊपर से चुत सहलाते हुए - आह्हह लल्ला

मै चौकने का नाटक करते हुए - क्या हुआ बुआ
बुआ - पता नही बेटा निचे मेरे कुछ काटा है देख जरा ,, और बुआ तेज़ी से मैक्सि के ऊपर से चुत को मले जा रही थी ,,,
मैने तुरन्त जेब से मोबाइल निकाला और टॉर्च ऑन किया और फोक्स बुआ की चुत पर किया तो देखा की बुआ का बाया हाथ उनकी फुली हुई चुत को मैक्सि के ऊपर से खुजाये जा रहा है ,,,,
फिर मैने टॉर्च को अच्छे से करीब जाकर उनकी कमर से जांघो तक अच्छे से घुमाया ,,, उनकी गोरी चमड़ी वाली गुदाज गदरायी जांघ देख कर मेरा लण्ड फिर से टनाटनाने ल्गा और मैने अपना दाहिना हाथ बुआ की दाई जांघ पर रखते हुए उसे सहलाते हुए और उस्की मुलायम मांस को मह्सूस करते हुए बोला - बुआ यहा तो कुछ नही दिख रहा है

बुआ - आह्ह बेटा मैक्सि ऊपर कर दे फिर देख
फिर मैने अपने हाथ को बुआ की जांघो पर कमर की तरफ सरकाते हुए उनकी मैक्सि को कमर तक चढा दिया और टॉर्च का फोक्स सीधा बुआ की पनियाती चुत पर कर दिया

उफ्फ्फ क्या नजारा था बुआ की नाभि से कुछ इन्च निचे तक हल्के बालो वाली नरम पाव जैसी फुली चुत का उपरी भाग ,, और फिर गोरी गोरी जांघो के बिच वी आकार की घाटी बनाये चुत के किनारे के मख्खन से मुलायम दिखते भागो के बीचो-बीच एक सोमरस से लिप्त चमडीयो से बनी दरार जिसकी निचली शिराओ से बुआ का सोमरस टपक रहा था और उनके भारी चुतडो के बीच रीस रहा था ।

मै थोड़ा आगे झुका और अपने मुह मे आ रहे पानी की गटकते हुए करिब से बुआ की चुत पर टॉर्च जला कर देखने लगा ,,, उनकी पानीयाई चुत की महक मेरे नाक में आ चुकी और धीरे धीरे मेरे अंदर हवस हावी होने लगा और सब कुछ भूल कर मैने एक बार फिर से अपने हाथ की उंगलीयो को उल्टा कर अपने नाखूनों को बुआ के टखने से उनकी नाजुक मुलायम जांघो पर घुमाते हुए उनकी चुत की घाटी तक लेकर आने लगा ,,, जैसे जैसे मेरी ऊँगलिया बुआ के चुत की तरफ बढ़ रही थी उनके चुत की चमडी अब सिकुना सुरु कर दी जिससे उनका सोमरस एक पतली धार लेकर निचे से बहने लगा ,,, बुआ एकदम चुप थी और मै भी , हम दोनो के बिच कोई बात चित नही हो रही थी
लेकिन हम दोनो की सांसे तेज़ी से ऊपर निचे होने लगी थी और मै धीरे धीरे बुआ की चुत के और करीब झुकने लगा जिससे मेरे सांसो की गर्मी बुआ की चुत से टकराने लगी और बुआ भी समझ गयी मै क्या करना चाहता हू ,, फिर बुआ ने हल्का सा अपना गांड ऊपर किया और मेरा चेहरा अब बुआ की जांघ और चुत के बिच के जॉइंट वाले नरम हिस्से को छू गया ,,,फिर मैने भी अपने बाये गाल को बुआ की दाई जांघ पर अच्छे से घुमाया फिर जीभ निकाल कर चुत और जांघ के बिच गांड की तरफ नरम चमडी पर फिराते हुये चाटने लगा ,,, धीरे धीरे मै जीभ को चुत के सबसे निचले भाग तक ले आया और जैसे पिघलती कुल्फी की मलाई को नीचे से ऊपर तक चाटते है ठीक उसी तरह मै भी उनकी बहती चुत को जीभ से निचे से ऊपर तक चुत मे घुसाते हुए चाट लिया

बुआ तडप उठी और गांड पटकने लगी
बुआ - अह्ह्ह्ह्ह लल्ल्ला ,,उफ्फ्फ्फ
मैने वापस से उनकी जांघो को थामा और एक फिर जीभ को नुकीला करके चुत मे डुबोते हुए निचे से ऊपर ले आया
बुआ जल बिन मच्छी की तरह फड़फड़ा रही थी और मै लगातार नीचे से ऊपर एक क्रम मे उनकी चुत को चाटने लगा ,, ऐसे ही करीब 8 से 10 बार चाटने के बाद मैने जीभ को अंदर किया और मुह खोलते हुए एक साथ चुत की चमडी को मुह मे भर कर चुबलाने लगा

जिससे बुआ की तडप और बढ़ गयी उन्होने अपनी जन्घे और चौडी की साथ ही मेरा सर पकड कर अपनी चुत मे दबाने लगी - आह्हह उम्म्ंम्ं हा बेटा खा जा ,,,उह्ह्ह्ज मम्मंंंं हा लल्ला और चुस और चुऊऊसससस्स्स अहममंम्ं उफ्फ़फ्फ्फ ऐसे ही अपने गांड को पटकते हुए आहे भरने लगी

मेरा लण्ड अब फिर तैयार हो गया था फिर मैने अपना सर पिछे किया और घुटनो के बल बुआ की जांघो के बीच आ गया फिर एक हाथ मे लण्ड को थामा और दुसरे हाथ से उनकी जांघ को सहलाते झुका और अंगूठे से उनकी चुत के दाने से ऊपर की तरफ उथाने लगा ,,,
बुआ की आग और तेज़ हो गयी थी वो आहे भरे क्या बोले जा रही थी मुझे नही पता ,,,लेकिन मै पूरी तरह से चोदने के मूड मे था ,,, फिर मैने अपना लण्ड बुआ की चुत के उपर रख दिया और कमर को आगे पीछे करते हुए उनकी चुत पर रगडने लगा
मगर बुआ को चैन कहा उहोने मेरा लण्ड पकड़ा और गांड उठा कर खुद आगे हो गयी जिससे मेरा लण्ड सरसरा कर उस तपती गीली चुत मे आधा समा गया,,,,,

बुआ - अह्ह्ह्ह बेटा कितना तप रहा है तेरा लण्ड,,,अब चोद दे मुझे लल्ला रहम कर मै पागल हो जाऊंगी अझ्ह्ह उम्म्ंम और खुद ही गांड पटकर मेरे आधे लण्ड से चुद्ने लगी

मैने फिर बुआ की जांघो को थामा और एक करारा धक्का लगाते हुए बुआ के ऊपर आ गया
बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ल्ला मै उम्म्ंम्ं कितना गर्म लण्ड है बेटा अब तो चोद दे
मै बुआ के उपर आकर उनकी चुचियो को नोचते हुए बोला - सच मे बुआ आप अपने भतीजे से चुद्ना चाहती हो क्या ,,, इसके साथ ही मैने एक और तेज़ धक्का बुआ की चुत मे मारा

बुआ - अह्ह्ह्ह हा बेटा मै अब जान गयी हू तुझे सब पता है कैसे करना है ,,, लेकिन अच्छी नौटंकी की तुने बेटा उम्म्ंम्म्ं उफ्फ्फ अह्ह्ह्ह

मैने धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और बोला- नाटक नही करता तो ऐसा ही मेरे सामने अपना चुत परोस देती आप बुआ ,, उनकी चुची को चुस्ते हुए बोला

बुआ - मुझे पता होता मेरा लल्ला का नुन्नु अब लण्ड हो चूका है तो पहले ही परोस देती बेटा अह्ह्ह्ह थोड़ा तेज़ कर ना उम्म्ंम्ं ऐसे ही अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्मह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह हा हा हाह्ह्ह्ह्ह उम्म्ंमममं लल्लाआआआआ और तेज़ मार
मैने धक्को की गति बढ़ा दी और बौला - आह्हह क्यू बुआ लण्ड को पापा और चाचा का भी है ये तो पता था ,,, उनलोगो से ही चुदवा लेती हहहह

बुआ - आआआ उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्ंम जंगी तो मुझे देखता ही नही बेटा

मैने तेज़ रफ़्तार से चोदते हुए कहा - अरे पापा तो है वो तो आपको देखते ही लण्ड सहलाने लगते है , उनसे चुदवा लेती

बुआ - अह्ह्ह्ह हा बेटा देख रही हू इस बार जबसे आई हूँ तेरे पापा की नियत ठीक नही लग रही है अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

मै - तो बुझवा लो बुआ अपनी प्यास उनसे ही ,,, फिर राखी के दिन मा और मै जायेंगे ना नाना के यहा ,,,, उस दिन मौका रहेगा हिहिहिहो

बुआ - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम लल्ल्ला बहुत शरारती हो गया है उम्म्ंम आह्हह मम्मं तेज़ी से चोद दे ना बेटा ,,, निकाल दे मेरी गरमी बाद मे तेरे पापा का देखूंगी ,,अभी बस तूउउउउऊ अह्ह्ह्ह्ह्ब हाआ अह्ह्ह्ह्ह उम्म्ंम हा ऐसे ही और तेज़ बेटा और तेज़ ,,,, चटनी बना दे मेरे चुत की बाबू अह्ह्ह्ज्ज उम्म्ंम्म्ं अह्युउउऊ। आअह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह उनम्मंम्म्ं हाआआआआआ मै आने वाली हू अह्ह्ह्ह रुकना मत प्लीज पलीज्ज्ज्ज्ज अझ्ह्ह्ह्ह

मैने भी धक्को की स्पीड तेज़ कर दी और थप थप थप थप थप थप थप थप थपप्च प्चप्च थप की तेज़ आवाज आने लगी अब मै भी चरम सिमा तक आ चूका था मेरा लावा कभी भी फुट सकता था - इह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मेरा भी होने वाला है बुआ

बुआ - अंदर ही डाल दे बेटा ,,,फिर बुआ मेरे लण्ड को अपनी चुत से निचोडने लगी

एक बार फिर बुआ की चुत मेरे लण्ड पर कसाव लेने लगी और मेरे लण्ड की नसो पर घर्षण तेजी से मह्सूस होने लगा मेरे लण्ड मे खून भरने लगा अचानक से मेरे लण्ड के चमडी पर गरमी बढने लगी ,,,, क्योकि बुआ की चुत पिघल चुकी थी उनका गरम माल मेरे लण्ड को और तपाने लगा , नतिजन कुछ ही धक्को मे मेरा सबर का लावा टुट गया और भलभला कर मै भी बुआ चुत मे आखिरी धक्को के साथ झडने लगा

कुछ ही पलो मे मै वापस बुआ के ऊपर निढ़ाल हो गया,,, हम दोनो की धड़कने तेज़ थी और सांस फुल रहे थे फिर भी हमारे चेहरे उस चरम सुख के मुस्कान से खुश थे जिसे हम दोनो ने एक साथ मिलकर हालिस किया था ,,,,

कुछ देर ऊपर पडे रहने के बाद मै भी उनके बगल मे सीधा लेट गया और ऊपर आस्माँ मे देखते हुए सांसे बराबर करने ल्गा
हम दोनो चटाई पर लेटे लेटे ऊपर खुले आसमान मे देख रहे थे और फिर हमने कपड़े ठीक किये

थोडी देर बाद बुआ ने मेरी तरफ करवट ली
बुआ - लल्ला क्या ये तेरा पहली बार था हा
मै झुट बोलते हुए - जी बुआ
बुआ - चल झुठा जैसे मुझे पता नही चलेगा कि कौन पहली बार कर रहा है कौन नही
मै हस्ते हुए - नही बुआ मेरा पहला ही था ,,वो मैने बहुत बार मम्मी पापा को देखा था ना करते हुए तो

बुआ - अरे वाह तब तो मुझे एक और कुवारे लण्ड से चुदने को मिला
मै - एक और मतलब ,,,, और किसके लण्ड से चुदी हो बुआ
बुआ - क्या पागल तु भी ,,, अरे मेरी सुहागरात पे तेरे फूफा जी भी कुवारे ही थे ना ,,,हिहिहिहिही

मै - अच्छा लेकिन मुझे तो नही लगता कि सिर्फ फूफा जी की मेहनत से ही आपकी गान्द इतनी बड़ी हुई है ,जरुर इसमे 3 4 लण्ड जा चुके है

बुआ - धत्त बदमाश ,,, तुझे क्या तेरी बुआ सड़क छाप लगती है क्या ,,

मै - अरे अरे नही बुआ मै तो बस पूछ रहा हू ,,,क्योकि आपके यहा आये अभी दो दिन हुए इतने मे मेरे और पापा के लण्ड का बुरा हाल हो गया
सोचो आपके यहा रोज लोग आपको देख कर क्या आहे नही भरते होगे जैसे क्या हिहिहिही

बुआ मेरे गाल खीचते हुए - बहुत शरारती हो गया है तू अब हा
मै - बताओ ना बुआ कितने लोगो के लण्ड लिये है अब तक

बुआ - धत्त बदमाश ऐसे कोई बात करता है अपनी बुआ से
फिर मुझे ल्गा ऐसे बात नही बनेगी

मै - अच्छा बुआ वो सब छोडो की कितनो से चुदी हो या नही,,, लेकिन ये बताओ घर मे तो सारे मर्द आपकी जवानी को आँखो से तो जरुर भोग्ते होगे

बुआ - घर मे कौन घुरेगा पागल ,,, हा बाहर के लोग तो ऐसे ताकते है मानो खड़े खड़े आँखो से चोद दे हिहिहिही

मै - अच्छा क्यू घर मे छोटे फूफा भी तो है ना
बुआ - धत्त पागल चल बहुत बाते हो गई अब निचे चल सोना नही ह क्या
मैने करवट ली और बाये हाथ से बुआ की चुचियो को मिजते हुए - आप कहो तो एक बार और हो जाये बुआ

बुआ - अच्छा इतना दम है क्या
मै - और क्या ,,, बोलो तो अभी फिर से ,....
बुआ - ना बाबा ना ,,, बेटा 3 बार झडी हू मै फिर बाद मे ना अब,,,और चल टाईम आने दे देखूंगी कितना दम है तेरे मे लेकिन अभी निचे चल सोना है मुझे बहुत थक गई हू

फिर मैने बुआ के होटो को चुमा - हा चलो बुआ
फिर हम नीचे आये और बुआ दीदी के कमरे मे चली गई लेकिन मुझे तो सबसे निचे जाना था सोने

साला बुआ के चक्कर मे तो मा को मै भूल ही गया ,,, लेकिन इतनी रसिली चुत भी तो मिली ना ,,,सोच के फिर से लण्ड टनटना गया
मैने लण्ड को ऐडजस्ट किया और चल दिया पापा के रूम की तरफ ,,,,
मै निचे पहुचा तो देखा पापा और मा दोनों सो रहे थे ,, फिर मैने मोबाईल चेक किया तो 11 बज रहे थे ,,, फिर मै भी आराम से कमरे मे घुसा तो देखा पापा मा के एक तरफ जघिये मे सोये है और मा भी पेतिकोट ब्लाऊज मे पापा के सीने पर हाथ रख करवट लिये सोयी है ।

मै धीरे से बिस्तर पर चढा और लेट गया ,,मेरी खुड़वड़ाहत मे मा की आंखे खुल गयी या वो मेरा ही इन्तेजार कर रही थी

जैसे ही मैं लेता मा मेरी तरफ घूम गई और मै मा को देख कर स्माइल किया

मा ने आहिस्ता से बोला - कहा रह गया था तू मै इन्तेजार कर रही थी ना

मै - अरे मा वो बुआ के साथ था तो बातो बातो मे टाईम निकल गया
मा मुस्कुराते हुए - अच्छा इतना देर तक क्या बात कर रहा था , तू तो बुआ का दूध पी रहा था

मै - हा मा और पता नही कब सो भी गया वही ,,, वो तो बुआ ने उथाया तब आया हू

मा - अचछा चल ठीक है तब सो जा अब
मै मायुस सा मुह बनाते हुए - और वो जो आप सिखाने वाली थी वो

मा - अब तु था नही तो हम लोगो ने कर ना ,,, मुस्कुरा कर बोली

मै - क्या कर लिया मा
मा मुस्कुराते हुए - सब जानता है फिर भी मेरे मुह से सुनना है तुझे,,,सब समझती हू मै

मै - क्या मा ,,अच्छा सुनो ना मा एक बात पुछ्नी थी बुरा ना मानो तो
मा - अरे पूछ ले ना बेटा ,,,वैसे भी तेरे पापा सो गये है
मै - पक्का ना गुस्सा नही होगी न आप
मा - नही मेरा राजा बेटा ,फिर मा ने अपना हाथ मेरे गाल पर फेरा
मै हिम्मत की और मा से बोला - अच्छा मा क्या आप भी पापा के अलावा किसी और से

मा - धत्त पागल ,, क्या मै तुझे ऐसी लगती हू ,,, सच कहू बेटा तो मुझे कभी तेरे पापा के प्यार मे कभी कोई कमी मह्सूस ही नही हुई ,,, भले ही वो मेरी दीदी को भोगे हो या अपनी बहन को भोगना चाहते हो ,, लेकिन मेरे लिए उनका प्यार आज भी वैसा ही है ।

मै खुश होकर उनकी बाते सुनने लगा
मा - हा लेकिन मेरे मायके मेरे बहुत आशिक रहे है हिहिहिही

मै थोड़ा मुस्कुरा कर - अच्छा सच मे ,,,तो क्या शादी से पहले आपका कोई बॉयफ्रेड भी था
मा मुस्कुराते हुए - नही रे कोई नही था , हा लेकिन मेरे और दीदी के पास प्रोपोजल बहुत आये थे ,,, लेकिन हम लोग अचछे से जानते थे की वो सब हमारे जिस्म के लिए भाग रहे हैं ।

मै - अच्छा सच मे हहहहह ,,,, और मौसी का कोई था क्या शादी से पहले
मा - हम्म्म लेकिन वो लोग पकडे गये फिर बाऊ जी ने दीदी की शादी करवा दी अपने ही दोस्त के बेटे से

मै - क्या मा पुरा पुरा बताओ ना कैसे हुआ था

दोस्तो अब देखते है आगे के अपडेट मे रागिनी अपने मायके के कौन कौन राज खोलती है और खुद हमारा हीरो कैसे अपनी मा से सब उगलवायेगा
 
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मै थोड़ा मुस्कुरा कर - अच्छा सच मे ,,,तो क्या शादी से पहले आपका कोई बॉयफ्रेड भी था
मा मुस्कुराते हुए - नही रे कोई नही था , हा लेकिन मेरे और दीदी के पास प्रोपोजल बहुत आये थे ,,, लेकिन हम लोग अचछे से जानते थे की वो सब हमारे जिस्म के लिए भाग रहे हैं ।
मै - अच्छा सच मे हहहहह ,,,, और मौसी का कोई था क्या शादी से पहले
मा - हम्म्म, लेकिन वो लोग पकडे गये फिर बाऊ जी ने दीदी की शादी करवा दी अपने ही दोस्त के बेटे से
मै - क्या मा पुरा पुरा बताओ ना कैसे हुआ था

अब आगे

दोस्तो कहानी अब राज के मामा के घर की तरफ घूमेगी इसिलिये कुछ नये परिचय देना चाहूँगा

नया परिचय

नाना - बनवारी सेठ , उम्र 68 साल , पेशे से किसान है लेकिन खेती ज्यादा होने से अब जमीदार का काम करने लगे है ,,, खेतों मे काम करने की वजह से आज भी उनका शरीर हृष्ठ पुष्ट है ।
नानी - अब नही है इस दुनिया में काफी समय बीत चूका है तो उनका कोई रोल नही है अब

मामा - राजेश , उम्र 44 साल , नाना के इकलौटे बेटे होने की वजह से हमेशा ऐयाशी की है ,,, यहा तक की घर मे और खेत मे काम करने वाली औरतो को भी नही छोड़ा
मामी - सुनीता , उम्र 42 साल ,,, रसभरी जवानी से भरपुर 38 34 38 का गजब का फिगर ,,, लगता नही की दो बच्चो की मा है

गीता और बबिता - मामा की जुड़वा बेटीया अभी 10वी मे है दोनो ,,, एक तरफ गीता जहा गदराई जिस्म वाली है वही बबिता थोडी सामान्य जिस्म वाली लेकिन बला की खुबसुरत एकदम अपने मा जैसी ।

ये वो पात्र है जिनको मै जानता हू ,, चुकि मेरा ज्यादा आना जाना होता नही है कही तो अभी फिलहाल मे मामा के यहा की यही जानकारी है ।

वापस कहानी पर

मै मा को जिद करते हुए बोला - मा बताओ ना कैसे क्या क्या हुआ

मा मुस्कुराकर अच्छा अच्छा ठीक है बताती हू ।

मा - तो सुन ,,, मेरे घर मे हम तब 5 जन रहते थे ,,, मै , तेरी मौसी , तेरे मामा और तेरे नाना नानी ।
बात तब की है जब हम लोग उस समय 10वी पास कर चुके थे और जवानी से थोड़ा थोड़ा वाकिफ होने लगे थे ,, चुकि रज्जो दीदी हम भाई बहनों मे सबसे बड़ी थी तो वो मुझसे ज्यादा समझदार थी और बहुत जानकारी भी थी उनको, लेकिन हम दोनो बहने एक सहेली जैसी थी कोई भी बात हो हम आपस मे कभी नही छिपाती थी ,,,यहा तक कौन लड़का हमे कैसे देख रहा है किसने प्रोपोज किया ,, रास्ते मे कौन क्या क्या गंदे कमेंट किया सब कुछ ,,, और तो और सेक्स की बाते फिर शादी को लेकर अपनी fantesy भी एक दुसरे से शेयर करते थे ।


मै - वाह्ह मा और फिर आगे बताओ ना
मा - हा सुन ,,, मै और दीदी एक ही कमरे मे सोते थे जबकि मा और पापा अपने रूम मे और राजेश का अपना रूम था ।

एक रात ऐसे ही मै और दीदी शादी को लेकर अपनी अपनी बाते रख रहे थे तो मैने उन्से पुछा

रागिनी - दीदी मुझे शादी करने का बहुत मन होता है खुब तैयार होने का भी मन करता है लेकिन उसके बाद के काम से मुझे बहुत डर लगता है

रज्जो - अरे उसमे डर कैसा छोटी शादी के बाद ही तो खुल कर चुद्ने को मिल्ता है और तू डर रही है ।

रागिनी - क्या दीदी ,, वही तो डर है ,,, मेरी सहेली कहती है कि पहली बार मे बहुत दर्द होता है

रज्जो - क्या छोटी चल उठ
रागिनी - अभी कहा
रज्जो - चल उठ मै बताती हू
फिर दीदी मुझे खिच कर पापा के कमरे की तरफ ले गयी ,,, जहा मा और बाऊ जी के चुदाई की आवाजे उनके दरवाजे के बाहर सुनाई दे रही थी ।


मै - हीहीहि क्या मा सच मे आप लोग नाना नानी को वो सब करते देखते थे

मा - नही रे वो पहला दिन था ,,,तू बिच मे ना बोल मै बता रही हू न

मै - अच्छा सॉरी आप बताओ

मा - हा सुन ,, फिर दीदी मुझे खिडकी के पास ले गयी और कमरे के अंदर का नजारा दिखाया ,,, अंदर बाऊजी मा को घोड़ी बनाये धकाधक पेले जा रहे थे और मा मुस्कुराते हुए बाऊजी को और उकसा कर चुदवा रही थी
उस दिन बेटा मैने पहली बार किसी को चुदाई करते देखा था और फिर दिदी बोली

रज्जो- देखा कितना मजा है शादी के बाद और तू डर रही है
रागिनी - हा दीदी लेकिन अभी तो हमारी शादी नही होगी ना
रज्जो - मैने तो इसका इन्तेजाम कर लिया शादी के पहले ही
रागिनी - क्या दीदी आपका कोई बॉयफ्रेड भी है और आपने मुझे बताया नही

रज्जो - नही रे बॉयफ्रेंड थोडी है वो बस मजे लेने के लिए है ।
रागिनी - नही दीदी ये गलत होगा और बाऊजी को पता चला तो वो बहुत नाराज होगे

रज्जो - तु किसी को मत बोलना चल अब कमरे मे
फिर हम लोग कमरे मे चले गये,, उस दिन से दीदी हमेशा उस लडके के बारे मे बाते करने लगी और पहली बार उससे मिलने के लिए एक दिन भी चुन लिया

वो सोमवार का दिन था और उस दिन हम दोनो बहने स्कूल गयी दोपहर मे लंच के समय दीदी मेरे पास आई और बोली बैग लेले चल चलते है ।

रागिनी - कहा जाना है दीदी अभी तो क्लास बाकी है
रज्जो - अरे तू चल मैने छूटी लेली है
फिर हम दोनो स्कूल से बाहर चले गये और दीदी मुझे खेतों की तरफ लिवा के जाने लगी

रागिनी - क्या दीदी कहा लेके जा रही है आप मुझे बताओ तो
रज्जो - वो आज हरीश आयेगा टयूबवेल पर ,,,वो शर्माते हुए बोली

रागिनी - क्या दीदी आप मरवाओगी आप ऐसे खुले मे मिल्ने जा रही हो ,,, मेरी मानो वापस घर चलते है किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जायेगी

रज्जो - कोई दिक्कत नही होगी छोटी ,, इसिलिए तो तुझे यहा बुलाया है और तू साथ रहेगी तो कोई शक भी नही करेगा ,,वैसे भी ये अपना टयूबवल है
फिर हम दोनो लोग धीरे धीरे पहुचे टयूबवेल पर
और वही एक छोटा सा कमरा था स्टोर रूम जैसा जिसमे खेती के लिए फावड़ा पाइप , इंजन और बाकी सामान थे चुकि बाऊजी एक जमीदार थे तो हमारी खेती बहुत ज्यादा थी कमरे एक तरफ एक चौकी और बिस्तर थे जहा सोने बैठने का इंतजार भी था

फिर हम लोग जैसे ही ट्यूबवेल पर पहुचे वहा एक हमारी की क्लास का लड़का पहले से ही मौजुद था उसका नाम हरीश था ।
हम दोनो को देख कर वो मुस्कुराया और फिर वो कमरे मे चला गया फिर दीदी भी इधर उधर देखी और वो भी कमरे मे चली गयी ,, लेकिन मै बाहर ही थी , फिर मैने बोला - दीदी आप दरवाजा बंद कर लो कोई आयेगा तो मै आवाज दूँगी

रज्जो - नही छोटी दरवाजा खुला रहने दे किसी को ज्यादा शक नही होगा समझी
मैने सर हिलाया और मुस्कराकर टयूबवेल की तरफ चली गई और मन मे डर था लेकिन एक अजीब सा रोमांच शरीर में दौड़ने लगा कि अंदर दीदी क्या करवा रही होगी ।

5 मिंट बाद ही हरीश बाहर आया और मुझे देख कर मुस्कुराते हुए निकल गया दुसरी तरफ ,,, मै तुरंत कमरे मे गई तो देखा की दीदी अपना शर्त के बटन बंद कर रही थी ,,,
रागिनी - अरे दीदी हो गया क्या
रज्जो - हा और क्या ,,,वो मुस्कराते हुए बोली
रागिनी - लेकिन इतना जल्दी कैसे
रज्जो - क्यू तुने देखा नही क्या, वो क्या किया इतना जल्दी
रगिनी - धत्त दीदी ,,, मै थोडी न देखूंगी ,,,वैसे उसने किया क्या
रज्जो - कुछ नही हम लोगो ने किस्स किया और उसने ,,,वो शर्माने लगी

रागिनी - क्या दीदी बताओ ना
रज्जो - मेरे दूधो मे मसला
रागिनी - बस इतना ही ,,,
रज्जो - हा इतना ही क्यू तू क्या सोच रही थी कि मै चुदने आई हू ,हिहिहिही
रागिनी - हा मुझे तो ऐसा ही लगा ,,और वैसे भी इतना ही करवाना था तो मुझसे बोल देती मै ही ,,,, हीहीहि

रज्जो - चल बदमाश एक लडके का स्पर्श अलग होता है छोटी ,,, तू नही सम्झेगी

उस दिन के बाद भी दिदी हरीश से कई बार मिली लेकिन बस चुम्मा चाटी और अपने दूध मिज्वा लेती ,,, कुछ ही महीने मे दीदी के दूध बडे होने लगे ,,, और दिदी पहले से ज्यादा आकर्षक दिखने लगी थी ।
फिर कुछ समय बाद हरीश गाव मे किसी और लडकी को चोदते हुए पकड़ा गया ,, और फिर हम लोग बहुत डर गये की हमारी बाते ना खुल जाये ।


मै - लेकिन मा आपने तो बोला था कि मौसी का बॉयफ्रेंड था और वो लोग पकडे गये थे

मा - अरे नही रे वो पहले हरिश पकड़ा गया ,, फिर तो काफी समय बाद दीदी पकड़ी गई ना ,,, तू चुपचप सुन बस बीच मे बोलेगा तो नही बताने वाली मै

मै - सॉरी मा अब नही बोलूंगा अब आगे बताओ जब हरीश पकड़ा गया तब

मा - फिर सुन ,, उस दिन से हम लोग काफी डर कर रहने लगे कि कही हरिश किसी से कोई बात ना खोल दे ,,लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ और मामला शांत हो गया ,, मगर दीदी को धीरे धीरे उनके जिस्म को एक लगातर मिलने वाले हवसी प्यार की आदत हो चुकी थी ,,, वो एक रात मुझसे बोली

रज्जो - यार छोटी हरीश के वजह से मुझे एक जिस्म की लत सी लग गई है मेरे छातियो मे रोज खुजली होती है कि कोई इनको मले और मसले कोई मेरे निप्प्ल को लेके चूसे

रागिनी - आपने देखा ना दीदी हरीश के साथ क्या हुआ अब भी आप चाहती हो हम लोग भी पकडे जाये ,,,,

रज्जो - मै जानती हू छोटी लेकिन तू ही बता मै अपनी इस तडप का क्या करू
मुझे दीदी की बात सुन के थोड़ा उनपर रहम आया तो

रागिनी - आप कहो तो मै कुछ मदद करू
रज्जो - तु भी तो एक लडकी है ना
रागिनी - हा दीदी लेकिन मेरी एक सहेली बता रही थी चुचिया चुसवाने मे ही मज़ा आता है ,, लडके के कडक हाथ में चाहे लडकी की नाजुक स्पर्श मे ही

रज्जो - धत्त पागल तू मेरी बहन है
रागिनी - क्या दीदी उससे बढ़कर हम लोग एक दोस्त भी है ,,, और सबसे बड़ी बात है कि हम लोग यहा बंद कमरे मे क्या कर रहे हैं वो किसी को पता नही चलेगा और आपको तडपना नही पडेगा ।

रज्जो - बात तो तेरी सही है लेकिन क्या ये सही होगा
रागिनी - क्या दीदी मान जाओ न और मै भी मह्सूस करना चाहती हू वो स्पर्श,,,


मा कि बाते सुन कर मै उत्तेजित हो रहा था और उनकी तरफ सरक कर पास भी चला गया फिर लोवर मे अपना लण्ड ऐडजस्ट करने लगा । मा ने भी मुझे लण्ड को एद्जेस्त करते हुए देखा तो मुस्करा दी और आगे बताने लगी ।

मा - फिर मैने दीदी के सूत के ऊपर से ही उनकी छातियो को सह्लाया वो सीधे लेटे लेटे सीसकने लगी और बहुत दिनो की तडप से वो मेरे हाथ को पकड कर अपने चुचियो पर दबाने लगी ,,, ये मेरा पहला स्पर्श था मुझे काफी मुलायम लगा ,,, मैने नहाते समय या बाऊजी और मा की चुदाई के समय कई बार अपनी चुचियो को मसला था लेकिन दीदी की चुचियो की बात ही अलग थी वो एकदम मुलायम और मेरे दुगने के बराबर थे उस समय ।

फिर उस दिन मैने दीदी को वो खुश किया ,,हम दोनो ने किस्स किया और मैने उनके चुचे पूरी रात चूसे ।
ऐसे ही हमारे दिन कटने लगे और धीरे धीरे मै भी दीदी के खेल मे शामिल हो गई,,कभी हम अपने कमरे मे ये चूचियो को चूसने का खेल खेलते तो कभी मा बाऊजी की चुदाई देखते हुए ।

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और बोल

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को लेकर कमरे मे चली गई


अब देखते है आगे के अपडेट मे क्या होगा ।
 
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अब तक :

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को पकड कर कमरे मे ले गई ।

अब आगे
राजेश - दीदी आप लोग ये क्या कर रहे थे ,,, घर मे कोई देख लेता तो

रगिनी - देख राजेश तू ये बात किसी को नही कहेगा ठीक है नही तो हमारे ही घर की बदनामी होगी और तू चाहता है कि ऐसा हो

राजेश - मै क्यू चाहूंगा दीदी ,,, लेकिन मेरा क्या फायदा आप लोग तो फिर भी मज़े लोगे ना

मै समझ गई कि राजेश भी हमारे साथ मज़े करना चाहता है तो मैने दीदी के पास गई और उनके कान मे

रागिनी - दिदी क्यू ना इसको भी शामिल कर ले ,, आपको भी तो एक लडके की तलाश थी और घर की बात घर मे रह जायेगी

रज्जो - तु पागल है क्या वो हमारा छोटा भाई है रे ,,, मै कैसे करूंगी ,,,तेरे साथ फिर भी ठीक था लेकिन

रागिनी - आपके लेकिन लेकिन के चक्कर मे हम दोनो पिटे जायेगे दीदी,,,
रज्जो - तू समझ नहीं रही है रागिनी ,, लड़को को उंगली पकडओ तो वो हाथ पकड लेते है ,,,अगर मै राजेश के साथ मज़े लुन्गी तो वो आगे भी बढ़ेगा और ऐसे मे हम लोग उसे मना नही कर पायेंगे तू समझ इस बात को

रागिनी - दीदी आप बहुत दूर सोच रही हो अभी का देखीये बाद मे कोई ना कोई जुगाड किया जायेगा ।

रज्जो - ठीक है लेकिन पहल कौन करेगा तू बात कर ना

रागिनी - अच्छा तो राजेश तू क्या चाहता है हमसे
राजेश - दीदी मुझे भी आप लोगो की तरह मज़े करना है ,,क्या आप लोग मुझे सिखाओगे

उस दिन राजेश की बातो से लगा कि अभी वो नादान है और हल्के फुल्के मज़े लेना चाहता है लेकिन वही हम दोनो की गलती थी ।
उस रात के बाद रोज रात मे सबके सोने के बाद राजेश हमारे कमरे मे आता और हमारे दूधो से खेलता था ,,, धीरे धीरे वो दिन मे अकेले के समय मे भी दीदी या मुझे किसी कमरे मे ले जाकर मज़े लिया करता था । मगर राजेश को हम दोनो मे से किसी की भी चुत नही मिली हफ्तो तक ,,,जिससे वो हस्तमैथुन करने लगा और एक दिन दिदी ने उसे पकड़ा ,,, फिर ये तय हुआ कि उसकी सेहत का ध्यान दीदी रखेंगी और पता नही कब से दीदी ने मुझसे छिप कर दिन में कभी कभी राजेश का लण्ड चुस कर शांत किया करती थी ।
अब समय बीतने ल्गा और हम तीनो भाई बहन मे हवस समय के साथ और हावी होने लगा ,,,, एक तरफ जहां हम तीनो भाई बहन रोज रात मे एक साथ मजे करते तो दिन में चोरी छिपे दीदी राजेश के लण्ड चुस्ती थी रोज रोज चुचियो के मसलवाने के साथ राजेश की फरमाइशे भी बढ़ती और कभी कभी क्या लगभग रोज ही वो हम दोनो बहनो के चुतदो को भी मसलने ल्गा लेकिन चुत छूने के मामले को लेकर मै बहुत ही सतर्क थी और कभी कभी डांट भी देती थी ।
धीरे धीरे दीदी के बातो मे भी बदलाव आने लगा और वो अक्सर बाऊजी और राजेश के लण्ड को लेकर बाते करने लगी और ऐसे ही एक दिन

रज्जो - छोटी अब मुझे बहुत मन की जल्दी से शादी करने का है । अब और मै ऐसे ही उपरी मज़े ले कर तडपना नही चाहती

मैने भी मौका देख कर दीदी को ताना मारते हुए कहा - क्यू दीदी राजेश का लण्ड काफी नही है क्या जो अब दुसरे लण्ड की जरूरत पड़ गई । मै हमेशा से आपके बताने का इन्तेजार कर रही थी लेकिन आपने तो ब्ताया ही नही और अकेले ही मज़े लेने लगी । क्या इतनी पराई हो गई मै ।

रज्जो - सॉरी छोटी मुझे डर था कि कहीं तू नाराज ना हो जाये ,, मै राजेश की सेहत को लेकर परेशान थी और फिर धीरे धीरे मुझे भी उसके लण्ड की आदत हो गई और अब तो और भी ये इच्छाएं बढ़ती जा रही है । अब तो हाल ये है छोटी की कोई भी लण्ड देखती हूँ तो मुह मे पानी आ जाता है ,,,
रागिनी - इसिलिए इस समय आपको बाऊजी के लण्ड की बात करती रहती है ,,,
रज्जो - हा छोटी सच कहू तो मै बाऊजी के चोदने का अंदाज बहुत पसंद है ,,,,और
रागिनी - और क्या दीदी
रज्जो - मै चाहती हू कि मेरी सील हमारे बाऊजी ही तोड़े
रागिनी - क्या दीदी आप पागल हो ,,बाऊजी कभी नही मानेगे ,,, देखा नही वो मा को इतना चाहते है कि घर मे या खेत में काम करने वाली महिलाओं को एक नजर देखते तक नहीं और तो और सबको ढंग से कपड़े पहनने को भी डांट देते है ।

रज्जो - हा लेकिन समय आने दो मै कोसिश करूंगी और शादी से पहले ही अपनी चुत बाऊजी को दूँगी ।

समय बीता ,, साल भर बाद हमारी मा की खेतो मे सांप काटने से मौत हो गई और हम सब गहरे दुख मे डूब गये हमारे घर सभी नात रिस्तेदार आये और कुछ दिनो मे चले गये लेकिन हमारी सुलोचना बुआ रुक गई ।
बाऊजी के देख रेख के लिए ऐसे ही हफ्ता दो हफ्ता भर बीता तो मा की यादो का बोझ कम हुआ और वापस दीदी का हवस हावी होने ल्गा ,,, और हम तीनो भाई बहन फिर से कामक्रीड़ा मे लग गये क्योकि हमे यही एक मात्र साधन लग रहा था उन दुख भरे पलो को दूर करने का ,,, एक तरफ जहा हम लोग अपनी मस्ती मे थे दुसरी तरफ बुआ बाऊजी की सेवा मे लगी थी दिनरात उन्ही का ध्यान देती थी ।

ऐसे ही एक रात मै और दीदी अपने कमरे मे थे ,,,
रज्जो - छोटी चल ना एक बार पापा के कमरे की तरफ चले बहुत दिन हो गये उनका मोटा लण्ड देखे
रागिनी - क्या दिदी आपको लगता है कि मा के जाने के वो इनसब चीज़ो के लिए सोचेंगे
रज्जो - देख छोटी सेक्स ऐसी लत है अगर रोज की जाय तो वो इतनी जल्दी नही पीछा छोड देगी और तू चल ना क्या पता मा की याद मे लण्ड ही हिला रहे हो ।

रागिनी - क्या दीदी चलो ,, लेकिन वहा हम लोग कुछ करेंगे नही ब्स देख कर चले आयेंगे क्योकि बुआ आई है तो वो कही बाहर ना निकले

रज्जो - हा मेरी बहन अब चल
फिर मै और दीदी चुपके चुपके कमरे से बाहर निकले और धीरे धीरे पापा हम लोग पापा के कमरे की तरफ गये तो अंदर रोशनी थी ,,, मुझे कुछ अजीब लगा और हल्की हल्की सिस्कियो की आवाज आने लगी ,,, मेरे और दीदी के धड़कन बढ़ गई फिर अंदर कमरे मे खिडकी से देखा तो बाऊजी निचे लेटे हुए थे और सुलोचना बुआ उनके लण्ड पर कूद रही थी ।

जो सपने मेरे दीदी देख रही थी वो आज मुझे उससे दूर जाता दिख रहा था
रगिनी - दीदी ये तो बुआ ,, अब बाऊजी से कैसे आप
रज्जो - ये अच्छा है ना छोटी की बाऊजी बुआ को चोद रहे है इसका मतलब वो मुझे भी चोद सकते है ,,,वो मुस्कुराते हुए बोली ।

रागिनी - वो कैसे बुआ के रहते वो आपको क्यू चोदन्गे भला
रज्जो - देख छोटी बुआ वैसे भी ज्यादा समय नही रहने वाली है और एक बार नये चुत की तलब लग जाये तो आदमी को इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है

रागिनी - दीदी जो आपको सही लगे करो लेकिन मुझे इससे दूर रखना ,,
फिर समय बीता और एक महीने बाद बुआ चली गई और बाऊजी फिर से अकेले पड़ गये और कुछ ही दिनो मे उनकी तबियत बिगड़ने लगी ।

फिर दीदी ने उनका ख्याल रखना शुरू किया और दवाइया देना खाना पीना ,,,,, एक शाम ऐसे ही बाऊजी खेत से वापस आये और दीदी को बोला

बाऊ जी - रज्जो सुन बेटा आज मेरे पैरो मे बहुत दर्द है किसी नौकर को तेल लेकर भेज देना कमरे मे मालिश करने के लिए
उस शाम रज्जो दीदी किसी को ना बोल कर खुद तेल कर गई और करीब डेढ़ घन्टे बाद आई कमरे मे , रात हो चुकी थी । वो बिस्तर पर बहुत आराम से बैठि और उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे ।

रागिनी - क्या हुआ दीदी आपकी तबीयत ठीक है ना
रज्जो मुस्कुराए हुए - अब तो एकदम ठीक है छोटी
रागिनी - लेकिन आप ऐसे पैर उठाए क्यू ,,,कही बाऊजी से तो ,,,नही नही नही ,,
रज्जो - हम्म्म्म, और फिर दीदी मेरे गले लग गई ।
रागिनी - लेकिन आप तो मालिश के गई थी ती ये सब कब हुआ और बाऊजी तैयार हो गये


अब आगे कि कहानी रज्जो की जुबानी

रज्जो - वो मै अन्दर गई तो बाऊ जी कुर्सी पर बैठे थे और पैर उठा कर बेड पर रखा था
मुझे देखते ही बोले

बाऊजी - अरे बेटी तुने क्यू तकलीफ की किसी को भेज देती ,,,
रज्जो - क्यू बाऊ जी मै नही कर सकती आपकी सेवा ,,, मै भी तो आपकी अपनी हू

फिर बाऊजी कुछ बोलते उससे पहले मै अपना चुनरि निकाल कर बेड पर रख दिया और बाऊ जी के पैर के पास बैठ गई

मगर जब मैने ऊपर देखा तो बाऊजी एक टक मेरे सूट के दिखते मेरी छातियो के घाटी को निहारे जा रहे थे ,,,मुझे हसी आई और मैने उनको बोला - बाऊ जी थोड़ा धोती ऊपर किजीये

फिर बाऊ जी ने चौके बोले - कुछ कहा बेटी
रज्जो - अपनी धोती ऊपर किजीये आप हिहिहिही
बाउजी ने फिर धोती अपनी जांघो तक चढाई और मैने हल्का सा तेल लिया और पैरो की मालिश करने लगी ।
एक तरफ जहां मेरी नजर बराबर बाऊजी के लंड पर थी जो धोती मे कैद थी वही बाऊजी मेरे रसिले चुचे देख कर उत्तेजित होने लगे ।

बाऊ जी - लगता है अब मेरी बिटिया बड़ी हो गई है क्यू
रज्जो - अच्छा वो क्यू बाऊजी
बाऊजी - अरे बेटी जब बाप के जुते बेटे के पैर मे और मा की चोली बेटी को होने लगे तो समझो बच्चे बडे हो गये हैं ।

मुझे थोडी शरम आई लेकिन फिर भी मैने बाऊजी से पुछा - लेकिन बाऊजी मुझे मा की चोली कहा से होगी

बाउजि - अरे एक बार पहन तो सही बेटी ,,, और फिर मेरे चुचो को घुरने लगे ।
मै चुप रही और मुस्कुराते हुए पैर की मालिश करने लगी फिर एक नजर उनकी धोती पर गया जो उनके मोटे लण्ड की अकडन से ऊपर होने लगी
बाऊ जी ने भी देखा की मेरी नजर कहा है
फिर मैने बोला - बाऊजी हो गया यहा ऊपर का भी कर दू

बाऊजी - बेटा दर्द तो है लेकिन ,,, रहने दे तू आराम कर
रज्जो - अरे क्या लेकिन पैर निचे करिये दोनो मै कर देती हू आपके जांघो की भी मालिश ,,, फिर बाऊजी ने दोनो पैर नीचे किये और मै ऊनके पैरो के बिच बैठ गई

रज्जो - बाऊजी आप धोती थोड़ा और ऊपर कर को नही तो तेल लग जायेगा

बाऊ जी ने दोनो साइड से धोती को चढा लिया और एक वी शेप क्छ्छे का आकार दे दिया जिससे उनका लण्ड उभर का और बड़ा दिखने लगा ।

मैने तेल लिया और बाऊजी के जांघो की मालिश करने लगी ,,, मुझे बहुत इच्छा होने लगी की काश इतना पास आ गयी हू तो एक बार बाऊजी लण्ड देखने को मिल जाये
मेरी नजर बराबर उनके लण्ड के ऊभारो पर थी जिसे बाऊजी भी देख रहे थे और मेरे चुचो को घुरे जा रहे थे ।

मैने सोचा जब बाऊजी भी यही चाहते है तो मै क्यू पीछे हटू
रज्जो - बाऊजी आप धोती निकाल दिजीये ,,, देखीये तेल लग जा रहा है

बाऊ जी - लेकिन बेटा मैने कुछ पहना नही है अन्दर,,, मुझे कोई दिक्कत नही है लेकिन तुझे अनुचित ना मह्सूस हो ।

रज्जो - बाऊजी आपकी तबियत मेरे लिए ज्यादा जरुरी है और वैसे भी वो भी एक शरीर का हिस्सा ही है ना तो मुझे कोई आपत्ति नही है बाऊजी

फिर बाऊजी मेरे सामने खड़े हुए और फिर धोती निकाल दी ,,, 6" का आधा खड़ा मोटा झूलता हुआ लण्ड आड़ो के साथ मेरे सामने आ गया ।
फिर बाऊजी वापस कुर्सी पर बैठ गये ,, मेरे सामने उन्का मोटा काला लण्ड आधे खड़े होने के साथ कुर्सी से लटक रह था मैने थूक गटक और वापस से तेल उनकी जांघो पर लगाने लगी और बार बार लण्ड को निहारने लगी ,,, खड़ा लण्ड अपने सामने देख कैसे अपने आप को रोके रखा था मै ही जानती थी ,,,
फिर मैने धीरे धीरे मालिश करते हुए बाऊजी के आड़ो को उल्टे हाथ या कलाई से छूना सुरु किया ,,, नतिजन बाऊजी का लण्ड खड़ा होने ल्गा ,,,जो कभी मेरे कान पर तो कभी मेरे ललाट पर टच होने ल्गा ,,,जब भी उनका लण्ड मेरे चेहरे के पास छुता तो मै बाऊजी को देखती वो मुसकरा रहे होते ।

मैने भी मौके को फायदा उठाया और एक हाथ से कटोरी से तेल निकाला और दोनो हाथों मे अच्छे से लगाया और धीरे से बाऊजी के आड़ो पर हाथ फेरते हुए तेल लगाने लगी ,,

बाऊजी मेरे द्वारा ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी और मेरे नाजुक हाथो का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर उनका लण्ड और सख्त हो गया उन्होने एक गहरी आह भरी और बोले - इस्स्स्स्स बेटी क्या कर रही है तू ,,,वहा क्यू लगा रही है

रज्जो - अरे बाऊजी दोनो पैर पर मालिश कर दी हू ये हिस्सा बाकी था नही करंगी तो रात मे आपको खुजली होगी

बाऊजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और बोले - अच्छा ठीक है बेटी कर ले जैसा तुझे सही लगे

फिर मैने तेल लिया और बाऊजी लण्ड की जड़ो मे तेल लगाते हुए अच्छे से उन्के आड़ो मे मलिश करने लगी लेकिन मैने खुद को समान्य रखा और जरा भी कोई भाव अपने चेहरे पर नही आने दिये

वही बाऊ जी लण्ड मेरे स्पर्श से खड़ा होने लगा था और सल्लामी देने ल्गा था लेकिन जिस खजाने को देखने की चाह मेरी थी वो अभी उस आधी खुली चमडी के अंदर था ,,वो था मेरे बाऊजी का लाल सुपाड़ा,,,
करीब दो मिंट बाद मैने फिर तेल लिया और इस बार बाऊ जी के लण्ड को दोनो हाथो मे लेके तेल से लीपने लगी और इसी दौरान मैने उनकी चमडी नीचे की और उनका लाल सुपाडा नसो के साथ दिखने लगा ,,,, मै अब अपना सन्तुलैन खोने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी जिसे बाऊ जी को भी आभास हो चूका था ,,,,मै कभी भी अपना सबर खो सकती थी ,,,लेकिन मेरे लागातार निचे बैठ कर मालिश करने से बाऊजी के लण्ड की नशे फटने को आ गयी थी ना जाने कैसे उन्होने मेरे मन की तडप को समझ गये फिर वो थोड़ा निचे की तरफ सरके साथ ही मेरे सर पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ झुका दिया ,,,मेरे लिए तो सबसे अमृत सामान मौका मिला,,, और मैने भी अपना मुह खोल कर उनका सुपाडा मुह मे ले लिया और धीरे-धीरे अपने होठो को उनके लण्ड की गोलाई मे निचे की तरफ चली गयी और फिर मैने बाऊजी लण्ड चूसना सुरु कर दिया मै लगातार 10मिनटो तक बाऊजी का मोटा लण्ड चुसती रही और इस दौरान ना ही मैने बाऊजी की तरफ देखा और ना ही एक बार भी बाऊजी ने मुझ्से कुछ कहा बस मेरे सर पर हाथ फेरते रहे

फिर 10 मिंट बाद उन्होने मेरे कन्धों को पकड़ा और हल्का आ ऊपर किया ,,, मै समझ गयी कि बाऊज जी उठने को कह रहे हैं फिर मैने पीछे हट गयी और बाऊजी भी खड़े हो गये ,,, मुझे लगा बाऊजी अब बाहर चले जायेंगे ,,, और मानो मेरा प्रिय खिलौना मुझसे छीन जायेगा
लेकिन बाऊ जी ऐसा कुछ नही और वापस मुझे पकड़ा और उठाए ,,,मै नजरे निचे किये खड़ी हुई
फिर बाऊ जी ने मुझे घुमा दिया और मेरा सूट पकड कर ऊपर करने लगे ,,,,मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन फिर भी मै शांत रही और बिना कुछ बोले बाऊजी की हरकतो मे शामिल होते रही
चुकी मैने सूत के अंदर कुछ नही पहना था तो सूट के निकालते ही मेरा आधा जिस्म नंगा हो गया और मैने तुरंत अपनी चुचियो पर हाथ रख लिये
फिर बाऊ जी ने अपना बकि का कपडा भी निकाल दिया और मेरे तरफ आगे आये । उनकी चौडी छाती जैसे ही मेरे नंगे कोमल पीठ को छुई मेरी धडकनें तेज हो गयी और मन मे एक खुशनुमा सा डर भी होने ल्गा ,,,डर इस बात का कि क्या मै आने वाले उन हरकतों को सह पाऊंगी जो बाऊजी मेरे साथ करने वाले थे ,,,क्योकि मै खुल कर बाऊजी के सामने आ कर खुद को रन्डी नही बनवाना चाहती थी
फिर बाऊजी ने मेरे नरम कंधो को दोनो तरफ से पकड कर अपनी तरफ खीचा और उनका गरम मोटा लण्ड और गर्म सीना मेरे कमर और पीठ से स्पर्श करने लगा ,,,जिससे मेरे पैर कापने लगे फिर बाऊजी ने मेरे हाथो को मेरी चुचियो से हटाया फिर नीचे से मेरे चुचो को पकड़ लिया और हल्के हाथो से सहलाने लगे

एक तरफ जहा बाऊजी हल्के हल्के मेरी चुचियो को मिजे जा रहे थे वही मेरी चुत लागातार पानी बहाये जा रही थी और मेरी सिसकियाँ भी तेज होने लगी थी
हम दोनो मे कोई बात नहीं हो रही थी ,,,,

कुछ समय बाद बाऊ जी ने मुझे छोडा और खुद बिस्तर पर बैठ गये और मुझे भी अपनी दाहिनी जांघ पर बिठा ,,,, अब तक हुए इस घटना मे मैने एक बार भी बाऊजी से नजर नही मिलाई थी ।
फिर उन्होने मुझे अपनी जांघ पर बिठा दिया जहा उनका लण्ड मेरे जांघ पर छुए जा रहा था और मेरी सासें फुले जा रही थी ,,उसी समय बाऊजी ने मुझे अपने दाहिने हाथ में मजबूती से पकड़ा और बाये हाथ से मेरी दाई तरफ की चुची को पकड़ा और झुक कर अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगे ,,,,मै तडप उठी और सिसकिया लेटे हुए पहली बार बाऊजी की नंगी पीठ पर हाथ रख दिया एक बार बाऊ जी के चेहरे पर देखा तो वो अपनी मोटी मोटी खुरदरी जीभ को मेरे नाजुक गुलाबी रंग वाले किसमिस के दाने जैसे निप्प्ल को गिला कर कर के अपने मोटे होठो से चूसे जा रहे थे ,,, बाऊजी की मूछ का नुकीला हिस्सा मेरे चुचो ने नरम हिस्सो मे चुब्ने से मेरी सिसकी मे मीठा दर्द भी शामिल होने ल्गा । थोडी देर बाद बाऊ जी मुझे वापस अपने सामने खड़ा किया और मेरे दोनो हाथ उनके कंधो पर आ गये

फिर उन्होंने ने बिना कुछ बोले मेरे कमर से नाडे को बाहर की तरफ खीचा और मेरा खुला सलवार निचे जमीन पर गिर गया,,,, अब मै सिर्फ एक पैंटी मे थी वाप्स बाऊ जी ने मुझे पकड़ा और इस बार बाई जांघ पर एकदम घुटने के पास बिठाया और मुझे अपने कन्धे पर ले लिया ,,,, एक हाथ से उन्होने मेरी पीठ की तरफ से बाई तरफ ले जाकर मेरी चुची को पकड़ा और दुसरा हाथ मेरे जांघो मे घुमाने लगे ,,,मेने अपनी आंखे बंद की और बाऊजी के हाथो को अपने नाजुक जिस्म पर मह्सूस करने लगी
बाऊ जी मेरे चुची को मसलते हुए अपनी एक हाथ को मेरे पैंटी के ऊपर ले आये ,, मेरी पैंटी निचे की तरफ पूरी चिपचिपी हो चुकी थी ,,,, बाऊ जी ने मेरे नाभि के निचे के भागो पर पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और फिर मेरे चुत के ऊपर ले आये ,,, मेरे अन्दर एक अलग ही तुफान मचा हुआ था ,,,मै अपने कमर हिलाने लगी थी और सिसिक्ने भी लगी ,,,, फिर जब बाऊजी ने उंगली को मेरी पैंटी की रबड़ मे फसा कर फैला और कमर की तरफ ले जाकर निचे करने लगे तो मैने भी अपने मोटे चुतडो को उठा कर अपनी पैंटी निकलवाने मे मदद की फिर जब मेरी पैंटी मेरे जांघो के बराबर मे आ गई तो बाऊ जी ने वापस मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी निचे कर दी अब हम दोनो नंगे हो चूके थे फिर बाऊ जी भी खड़े हुए और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ,,, मैने तुरंत अपनी जांघो को जोडते हुए चुत को और अपनी चुचियो को अपने हाथ से छिपा लिया और एक तरफ सर को घुमा कर आंखे बन्द कर ली

फिर मुझे मह्सूस हुआ कि बाऊजी ने मेरे जांघो को छुआ और खोल दिया । मैने भी बिना कोई प्रतिकिया के उनका साथ दिया और फिर मुझे बिस्तर पर बाऊ जी का भार भी मह्सूस हुआ तो मैने तिरछी नजर से देखा तो बाऊ जी मेरे जांघो के बिच आ गए थे और मेरी टपकती चुत देखे जा रहे थे फिर उन्होने मुझे एक नजर देखा तो झट से मैने अपनी आँखे भीच ली ।

फिर मुझे अपनी चुत की ऊपरी चमडी पर एक खुरदरी सी घर्षण का अह्सास हुआ जिससे मेरा रोम रोम मे खून की दौड़ तेज हो गयी ।

अब मुझे बाऊजी के होटों और उनकी जीभ का खेल मेरे चुत पर मह्सूस होने ल्गा ये मेरे लिए पहला अह्सास था कि कोई मेरी चुत चाट रहा था और बाऊजी की जीभ की कलाबाजी के आगे मै चंद मिंट भी नही टिका सकी खुद को और झडने लगी इसी दौरान बाऊजी ने कभी एक तो कभी दो दो उंगलिया मेरी चुत मे डाली ,,,, उनकी मोटी उन्गलिया मेरे लिये किसी लण्ड से कम नही थी ,,,,
करीब 10 मिंट बाद बाऊजी उथे और अपना लण्ड मेरी चुत पर रखा ,,, उनके लण्ड का भार मेरी नाजुक चुत पर पडते ही मै समझ गई कि अब वो चोदन्गे

फिर उन्होने अपनी कमर को आगे पीछे किया और सुपाडे को मेरी मुलायम चुत पर रगड़ा

तो मैने भी बहुत हिम्मत की और बोली - बाऊ जी तेल ....
मै ब्स इतना ही बोल पाई इत्ने मे बाऊ जी उतरे और जमीन से तेल की कटोरी लेने चले मै उनको देखने के लिए वापस बिस्तर पर बैठ गयी तो मेरी नंगी चुचिया लटक कर सामने आ गयी ,, फिर बाऊजी ने मुझे देखा और मेरे पास आये ,,,, उनका लण्ड अभी भी वैसे का वैसे खड़ा और सख्त था मेरे मुह मे फिर से पानी भरने लगा तो मैने खुद पहल की और जमीन पर बैठ गयी जिससे बाऊजी समझ गये और मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे सर पर हाथ फेरा ,, मैने एक बार फिर से बाऊजी के लण्ड को मुह में भरना शुरू कर दिया और अच्छे से गिला कर वापस बिस्तर पर बैठ गयी ,,, बाउजि मेरे करीब आये और मेरे चेहरे को हाथो मे भरा ,,,, जिससे मेरे रोम रोम मे एक अलग ही उत्तेजना दौड़ने लगी और मैने आंखे बंद कर ली ,,,फिर वो झुके और मेरे माथे को चूमा और मुझे लिटा दिया ,,,,,एक बार फिर मेरी जन्घे खुल गयी
अब बाऊजी एक हाथ मे ढेर सारा तेल लिया और अच्छे से अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और फिर थोड़ा सा तेल लेकर मेरी चुत पर मल्ने लगे और ,,,, फिर वो बिस्तर पर चढ़ गये और मेरी जांघो के बिच अपने घुटनो के बल बैठ गये ,,, एक बार फिर उनहोंने अपने हाथो से चुत को सह्लाया और अपना गर्म तपता मोटा लण्ड मेरी चुत पर रख कर रगड़ने लगे ,,, फिर उन्होने मेरी जांघो को चौड़ा किया और अपना सुपाडा मेरी नाजुक सी चुत पर रखा और हल्का सा दबाया

मेरे अन्दर एक डर सा होने ल्गा तो मैने बोला - बाऊजी धीरे .... और इन सब मे पहली बार मैने बाऊजी की आँखो मे देखा वो हल्के मुस्कान के साथ एक हाथ मेरे गाल पर फेरा और थोड़ा सा जोर लगा कर मेरी कसी चुत मे अपना सुपाडा घुसेड़ा

रज्जो - अह्ह्ह्ह बाऊजी दर्द अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ंंंं
बाऊजी बिना कुछ बोले फिर से थोड़ा पीछे हुए और एक तेज धक्के से मेरी चुत के नाजुक दिवारो को चिरते हुए अन्दर घुस गये ,,,,, उनका तपता मोटा लण्ड मेरी चुत मे हुए दर्द मे मल्हम जैसा था ,,,फिर दो चार धक्को मे बाऊजी ने मेरे चुत का रास्ता खोल दिया और कुछ ही समय मे मै दर्द से दूर जननत मे सैर करने लगी ,,,, अब बाऊजी के हर धक्के मे मुझे सुकून मिलने ल्गा और करीब 10 मिंट तक मेरी कसी चुत मे अपना लण्ड रगड़ने के बाद पहली बार बाऊजी बोले - आह्ह्ह्ह रज्जो मेरा होने वाला है बेटी

मुझे भी अपनी चुत मे लण्ड का कसाव से पता चल रहा था कि उनका आखिरी धक्का चल रहा है

रज्जो - अंदर नही बाऊ जी ,,,, मै ,,,
फिर तुरंत बाऊ जी ने मेरी चुत से लण्ड निकाला और मेरे चेहरे के पास आ गये और लण्ड को हिलाने लगे ,, कुछ ही पलो मे उनका गर्म पानी मेरे मुह मे गिरने लगा और मैने बाऊजी का लण्ड मुह मे लेके अच्छे से चुस कर वापस छोड दिया और सीधा लेट गयी

फिर बाऊजी भी मेरे बगल मे लेट गये फिर 5 मिंट बाद
बाऊ जी - बेटी तुझे बुरा नही ना लगा ,,,
रज्जो - जी नही बाऊजी मै शादी से पहले आपकी ही अमानत हू ,,, मेरे से ज्यादा आपका मुझ पर हक है
बाऊ जी - सुक्रिया बेटी , मुझे तेरी मा के जाने के बाद से आज सुकून मिला है ,,,,
रज्जो - कोई बात नही बाऊ जी जब भी आपको मा की याद आये मुझे बुला सकते है आप
बाऊजी - बेटा याद तो उसकी हर रोज आती आती है न तो क्या तू रोज मेरे लिए ये बलिदान देगी

रज्जो - मैने कहा ना बाऊजी शादी तक मै आपकी ही अमानत हू ,,,,
बाऊ जी - सुक्रिया बेटा अब जा तू आराम कर ,,, दो दिन तक थोडी सेकाई कर लेना


वापस कमरे मे जहा मा और मौसी बाते कर रहे थे

रागिनी - अरे वाह दीदी आपने जो सोचा वो आज आपको मिल ही गया आखिर ,,, मै बहुत खुस हू आपके लिए
रज्जो - थैंक्स छोटी ,,, अगर तू कहे तो तेरे लिए भी बाऊजी से बात करू हीहीहि
रागिनी - नही नही ,,,
रज्जो - फिर क्या वो अपने पति से ही खुलवयेगी
रागिनी - हा दिदी मेरी इच्छा यही है की पहला लण्ड मेरे पति का ही रहेगा

फिर धीरे धीरे समय बीता और दीदी ने मामा को भी मौका दिया ,,, फिर दीदी ने मेरी मजबुरी समझी और खुद राजेश के कमरे मे जाकर चूदती थी ताकि मै अपने वादे पर बनी रहू ।

इसी दौरान मैने कयी नई चीजे सीखी ,,, जो मुझे दीदी ने सिखायी फिर 2 3 साल बाद बाऊ जी ने दीदी की सादी एक अचचे घर मे करवा दी फिर मेरी भी सादी हो गयी और फिर राजेश की भी


मै - अरे वाह मा क्या गजब की कहानी थी । लेकिन क्या सच मे आपने शादी के बाद भी नही सोचा नाना जी या मामा के बारे मे

मा - दीदी ने तो बहुत जोर दिया की आ साथ मे मज़े करते है लेकिन तेरे पापा का प्यार मुझे रोज मिलता था ,,, लेकिन अब देख रही हू कि ये भी दुसरी औरतो मे खोये रह रहे है

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब देखते है दोस्तो राज की अगली सुबह उसके जीवन मे कौन से नये रंग लेके आती है ।
 

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