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LEVEL 6
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सोनिया डॉली के पीछे-पीछे बेडरूम में दाखिल हुई और उसने हसीना को बिस्तर पर चढ़कर अपनी माँ की चौड़ी फैली जाँघों के बीच लपकते हुए देखा। राज मुस्कुराया, और अपने तेजी से जागते लौड़े को मम्मी की कस के भींची हुई मुट्ठी में हिलाने लगा।
“इधर आ, सोनिया,” उसने पुकारा, “आ मेरे लौड़े पर बैठ और देख कैसी मस्ती से डॉली मम्मी की चूत से मेरा वीर्य चूस कर साफ़ करती है !”
सोनिया भी लपक कर बिस्तर पर चढ़ी, और उतावली होकर राज की मजबूत जवान जाँघों पर सवार हो गयी। रजनी जी ने अब भी बेटे के लौड़े को हथेली में दबोच रखा था, और हौले हौले मुठ लगा रही थीं। उनकी बेटी भूखे अंदाज में उनकी भुखार से गरम और वीर्य से सराबोर चूत को चपड़-चपड़ बिल्ली जैसी चाट रही थी।
“अपने हाथों से इसके मुँह में घुसा, हरामजादी मम्मी !”, जब उसने सोनिया के गरम और भीगी बुर की दस्तक को अपने कटुवे सुपाड़े पर महसूस किया तो राज कराह उठा।
रजनी जी ने अपने बेटे के तने लौड़े को सोनिया की तंग और भीगी चूत के छेद पर दागा, और बेटे के लौड़े को अपने कोमल हाथों में लिये हुए उसकी चूत में ठूसने लगीं। लगे हाथ, वे बेहद खुशी से जवान लड़की की चूत का जायजा कर रही थीं।
अरे हरामजादी! तुझे भी मौक़ा मिलेगा!”, राज ने हँसते-हँसते माँ को डपटा।
रजनी जी भी जान कर अपने बेटे को देख मुस्कुरायीं, और अपने हाथ को जुदा कर दिया। बदले में उन्होंने अपनी पूरी तवज्जो बेटी के मुंह और जीभ के कारण उनकी खुली, उचकी बुर में उमड़ते एहसासात पर दे दी।
“इधर आ, सोनिया,” उसने पुकारा, “आ मेरे लौड़े पर बैठ और देख कैसी मस्ती से डॉली मम्मी की चूत से मेरा वीर्य चूस कर साफ़ करती है !”
सोनिया भी लपक कर बिस्तर पर चढ़ी, और उतावली होकर राज की मजबूत जवान जाँघों पर सवार हो गयी। रजनी जी ने अब भी बेटे के लौड़े को हथेली में दबोच रखा था, और हौले हौले मुठ लगा रही थीं। उनकी बेटी भूखे अंदाज में उनकी भुखार से गरम और वीर्य से सराबोर चूत को चपड़-चपड़ बिल्ली जैसी चाट रही थी।
“अपने हाथों से इसके मुँह में घुसा, हरामजादी मम्मी !”, जब उसने सोनिया के गरम और भीगी बुर की दस्तक को अपने कटुवे सुपाड़े पर महसूस किया तो राज कराह उठा।
रजनी जी ने अपने बेटे के तने लौड़े को सोनिया की तंग और भीगी चूत के छेद पर दागा, और बेटे के लौड़े को अपने कोमल हाथों में लिये हुए उसकी चूत में ठूसने लगीं। लगे हाथ, वे बेहद खुशी से जवान लड़की की चूत का जायजा कर रही थीं।
अरे हरामजादी! तुझे भी मौक़ा मिलेगा!”, राज ने हँसते-हँसते माँ को डपटा।
रजनी जी भी जान कर अपने बेटे को देख मुस्कुरायीं, और अपने हाथ को जुदा कर दिया। बदले में उन्होंने अपनी पूरी तवज्जो बेटी के मुंह और जीभ के कारण उनकी खुली, उचकी बुर में उमड़ते एहसासात पर दे दी।