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हाँ, हाँ बेटी, क्यों नहीं, तू भी तो मेरी बेटी जैसी है, फिर तेरी घर पर भी तो मर्द होंगे जिन्हें कभी तेरी गाँड मारनी होगी !” सोनिया ने दो उंगलियों में वैसलीन भरकर उनकी गाँड के सुराख़ पर लथेड़ दी। अरे बेटा, सिरफ़ बाहर नहीं, अंदर भी डालो, ये तेरे बाप का हिजड़ा लन्ड नहीं है, मेरे बेटे की तोप है, गाँड चिकनी होगी तभी तो दनादन दारोगी!”, रजनी जी ने हिदायत दी। सोनिया ने दोनो उंगलियों पर और वैसलीन ली और उनकी गाँड में घुसा दी, फिर अंदर मल-मल कर चारों ओर चुपड़ा दी। ऐसे मुस्कुरा मुस्कुरा कर मल रही थी सोनिया, पहली बार गाँड में उंगल करने पर उसे खूब मस्ती आ रही थी। जब ठीक से रजनी जी की गाँड में वैसलीन मल चुकी, तो उनके चूतड़ों पर एक चपत लगा कर बोली, “चल मेरे घोड़े, हो गयी तेरी घोड़ी रैडी !” । “अब देख जब मैं गाँड मारूंगा, तो बीच में वैसलीन कम पड़ जाती है, जब मैं तुझसे बोलू , तो होशियारी से मेरे लन्ड पर बाहर खींचते समय लथेड़ देना और वैसलीन। और हाँ, हाथ बचा के, जाब गाँड मारता हूँ तो भगवान की कसम, माँ बहन का भी लिहाज़ नहीं करता हूँ !”, राज ने भी सोनिया को कुछ गुर सिखाये। बक़ौल रजनी जी, बेटे का लन्ड चूसने से ज्यादा कमीनी हरकत तो अपने मुंह में बेटे से मुठ मरवाना था। अपने मुँह में मुठ मारते बेटे के लन्ड दो देख इस वक़्त उनके जेहन में ऐसे कमीनगी भरे खयाल आ रहे थे कि उनकी चूत हवस के मारे फड़कने लगी थी। राज ने एक हाथ अपनी मम्मी जान के सर के पीछे लगाया और अपने लन्ड को उनके मुंह में डाल धुआँदार घिसने लगा। सुपाड़े पर चमड़ी तो कटी हुई थी, सो अपनी मम्मी के होठों ही उसके सुपाड़े को गुदगुदाते हुए सुरूर दे रहे थे। | रजनी जी ने अपने बेटे के लन्ड के पुट्टेदार गोश्त को अपने होठों के दरम्यान ठोस होते पाया तो खुशी की आह उनके मुंह से निकल पड़ी। उन्होंने ऊपर देखकर राज की आँखों से आँखें मिलायीं, फिर उसके लन्ड को देखा और मुँह को नीचे धकेल कर उसकी ऊपर की आधी लम्बाई को मुंह में निगल गयीं। नीचे के हिस्से को राज अब भी मुट्ठी में दबोचे लगाथार रगड़े जा रहा था, जब वो लन्ड को बाहर खींचता तो उसकी मुट्ठी रजनी जी के होठों से टकराती, और जब अंदर को खींचता तो उसके टट्टों पर टकराती। झटके-दर-झटके, राज का मर्दाना लन्ड अपनी पुरानी बुलंदी को परवान चढ़ने लगा। रजनी जी ने भी अपने होठों को अब सिरफ़ उसके सुपाड़े पर जकड़ा हुआ था। जल्द ही राज का लन्ड ने अपनी मुक़म्मल बुलन्दी को हासिल कर लिया। “देख सोनिया बेटी, देखा खालिस लन्ड !”, रजनी जी कराहीं, उनके दिमाग पर शैतानी हवस सवार थी। उन्होंने बेटे के लन्ड से अपने होंठ जुदा किये और किसी लावारिस कुतिया जैसी हाथों और खुटनों के बल बिस्तर पर बैठ गयीं। उन्होंने अपनी गाँड को राज की ओर उचका कर अच्छा खासा खोल रखा था। आजा मादरचोद, ले खोल दी मैने अपनी गाँड, दिखा अपनी मर्दानगी, लन्ड में दम है तो मार मम्मी की गाँड, मैं भी देखें कैसा शेर जना है मैने !”, रजनी जी ने बेटे को ललकारा। |