OP
Member
LEVEL 6
225 XP
73 दीक्षा
मुझे तो लगता है तू अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेटती होगी और टांगें फैला कर अपनी गरम-गरम चूत को अपनी उंगलियाँ घुसेड़-घुसेड़ कर चोदती होगी! बोल मेरी रन्डी माँ, करती है ना ऐसे ही ?” टीना जी ने स्वीकृति में सर हिलाया, और अपने चौड़े कूल्हों को उसके मालिश करते हाथों पर रगड़ने लगीं।
“हाँ, बेटा! ऐसा ही करती हूँ!', उन्होंने स्वीकारा, अब करू भी तो क्या, तेरा मुआ बाप तो तेरी बेचारी माँ की प्यास भर नहीं पाता! जय ::: तेरी माँ बड़ी हरामजादी औरत है, अब भगवान ने मुझे रन्डियों वाली चूत दे दी तो मैं क्या करूं, साली जितना भी चुदवाओ, और लन्ड की माँग करती है, एक मर्द से तो जी ही नहीं भरता !”
“मम्मी, मैं तेरी चूत की प्यास बुझाऊंगा! तेरा जब भी चुदने का मन करे, तू मुझे कहना, मेरा लन्ड तो मादरचुदाई के लिये हर वक़्त रैडी है! प्रौमिस !” ऐसा कहकर जय ने अपनी मध्य वाली उंगली अपनी माँ की मुँह बाती योनि में साफ़ उतार दी। जैसे उंगली उनकी योनि में प्रविष्ट हुई, वे बिस्तर से अपने नितम्बों को उचका कर कंठ के भीतर ही भीतर हुंकार उठीं !
“फिर तेरी बहन का क्या होगा ?”, मिसेज शर्मा ने एक लम्बी आह भरी, और उसके मुख पर प्रेम से चुम्बन किया, “उसे भी तो तेरा लन्ड पसन्द है। क्या वो बेचारी घरेलू सैक्स की मस्ती की हक़दार नहीं ?” टीना जी ने अपनी अनुभवी योनि की मासपेशियों को पुत्र की टटोलती उंगली पर कसमसाया।
“हरामजादी की चूत का खयाल तो डैडी रखेंगे, मैं तो पहले मम्मी को चोदूंगा, अगर सोनिया को मुझसे चुदना है तो करे इंतजार अपनी बारी का । है ना मम्मी ?” जय ने सर झुकाया, और अपनी माँ के बायें स्तन को मुँह में चूसने की चेष्टा की। टीना जी ने मातृ प्रेम भरी एक कराह निकाली, और स्तनपान की मुद्रा में सुप्त अपने पुत्र के सर को प्यार से थपथपाया। ‘अब तो जिंदगी एक सिलसिला बन जायेगी, चुदाई और सैक्स का!', उन्होंने सोचा। जय नटखट भरे अंदाज में उनके निप्पलों को हलके से काट रहा था, जिसे पिल्ले कुतिया के थनों से दूध पीते हुए काट देते हैं। पाश्विक वासना व ममता का कैसा बेजोड़ सम्मिश्रण था :: : कैसा मर्मस्पर्शी दृश्य!
उनके उभरे स्तनों से अपने सर को अलग उठा कर, जय ने अपनी माँ को अंगार उगलते नेत्रों से देखा। उसके वासना-ज्वर से ग्रस्त दिमाग में एक खौफ़नाक विचार अंकुरित हुआ था
मुझे तो लगता है तू अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेटती होगी और टांगें फैला कर अपनी गरम-गरम चूत को अपनी उंगलियाँ घुसेड़-घुसेड़ कर चोदती होगी! बोल मेरी रन्डी माँ, करती है ना ऐसे ही ?” टीना जी ने स्वीकृति में सर हिलाया, और अपने चौड़े कूल्हों को उसके मालिश करते हाथों पर रगड़ने लगीं।
“हाँ, बेटा! ऐसा ही करती हूँ!', उन्होंने स्वीकारा, अब करू भी तो क्या, तेरा मुआ बाप तो तेरी बेचारी माँ की प्यास भर नहीं पाता! जय ::: तेरी माँ बड़ी हरामजादी औरत है, अब भगवान ने मुझे रन्डियों वाली चूत दे दी तो मैं क्या करूं, साली जितना भी चुदवाओ, और लन्ड की माँग करती है, एक मर्द से तो जी ही नहीं भरता !”
“मम्मी, मैं तेरी चूत की प्यास बुझाऊंगा! तेरा जब भी चुदने का मन करे, तू मुझे कहना, मेरा लन्ड तो मादरचुदाई के लिये हर वक़्त रैडी है! प्रौमिस !” ऐसा कहकर जय ने अपनी मध्य वाली उंगली अपनी माँ की मुँह बाती योनि में साफ़ उतार दी। जैसे उंगली उनकी योनि में प्रविष्ट हुई, वे बिस्तर से अपने नितम्बों को उचका कर कंठ के भीतर ही भीतर हुंकार उठीं !
“फिर तेरी बहन का क्या होगा ?”, मिसेज शर्मा ने एक लम्बी आह भरी, और उसके मुख पर प्रेम से चुम्बन किया, “उसे भी तो तेरा लन्ड पसन्द है। क्या वो बेचारी घरेलू सैक्स की मस्ती की हक़दार नहीं ?” टीना जी ने अपनी अनुभवी योनि की मासपेशियों को पुत्र की टटोलती उंगली पर कसमसाया।
“हरामजादी की चूत का खयाल तो डैडी रखेंगे, मैं तो पहले मम्मी को चोदूंगा, अगर सोनिया को मुझसे चुदना है तो करे इंतजार अपनी बारी का । है ना मम्मी ?” जय ने सर झुकाया, और अपनी माँ के बायें स्तन को मुँह में चूसने की चेष्टा की। टीना जी ने मातृ प्रेम भरी एक कराह निकाली, और स्तनपान की मुद्रा में सुप्त अपने पुत्र के सर को प्यार से थपथपाया। ‘अब तो जिंदगी एक सिलसिला बन जायेगी, चुदाई और सैक्स का!', उन्होंने सोचा। जय नटखट भरे अंदाज में उनके निप्पलों को हलके से काट रहा था, जिसे पिल्ले कुतिया के थनों से दूध पीते हुए काट देते हैं। पाश्विक वासना व ममता का कैसा बेजोड़ सम्मिश्रण था :: : कैसा मर्मस्पर्शी दृश्य!
उनके उभरे स्तनों से अपने सर को अलग उठा कर, जय ने अपनी माँ को अंगार उगलते नेत्रों से देखा। उसके वासना-ज्वर से ग्रस्त दिमाग में एक खौफ़नाक विचार अंकुरित हुआ था