Adultery खूबसूरत डकैत(completed)

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"हजूर इतनी रात को ठाकुर का काम हद हो गई …"तिवारी इंस्पेक्टर के पास आकर कहता है
"क्या करे इस साले की नॉकरी भी बजानी पड़ती है ,पैसा तो यही देता है…चलो गांव में धावा बोलने की तैयारी करो आज तो मजा आ जाएगा ,गांव की हर औरत को नंगा करूंगा वो भी अपने हाथो से "
इंस्पेक्टर की हैवानियत भरी हँसी सुनकर तिवारी को ऐसा लगा की अभी उसे जान से मार दे लेकिन फिर भी उसने खुद को काबू में कर लिया था……..
"हजूर वो सब तो ठिक है लेकिन गांव के लोग भड़क गए तो हमारी खैर नही"
तिवारी की बात सुनकर इंस्पेक्टर को जोरो से हँसी आयी
"वो साले गवार हमारा क्या कर लेंगे ,हमारे पास ताकत है और ठाकुर के आदमी भी तो हमारे साथ है "
तिवारी जबरदस्ती हंसा
"वो तो है ,क्यो ना जाने से पहले थोड़ा सा जश्न मना लिया जाय ,साले गांव वाले रातों रात गांव छोड़कर जाने के फिराक में थे हमने पकड़ लिया ,एक मस्त लौंडिया हाथ आ गई है "
तिवारी की बात सुनकर इंस्पेक्टर की आंखों में चमक आ गई
"कहा है "
"खास हुजूर के लिए छिपा के थाने के पीछे झड़ियो में रखी है ,अगर इन लोगो के हाथो में आ गई तो सोच लो क्या हाल होगा "
इंस्पेक्टर ने तिवारी की तारीफ की और एक शराब की बोलत से दो घुट पीकर सीधे ही झड़ियो की तरफ सब से नजर बचा कर चल दिया ,...
"उह उह "इंस्पेक्टर कुछ बोलना चाहता था लेकिन उसके मुह से कुछ भी नही निकल पा रहा था ,कालिया ने उसके मुह को जोरो से दबोच लिया था ..
'खचाक '
चाकू की नोक इंस्पेक्टर के पेट में घुसी और पूरी अंतड़ियों के साथ बाहर आ गई ,साथ ही एक जोर का वार उसके गले में किया गया और लहू की धार का एक फुहारा सा फुट गया …
इंस्पेक्टर तड़फता हुआ जमीन में गिर पड़ा …….
घोड़ो के आवाज से सबका ध्यान उस ओर गया ..
"वो देखो साले भाग रहे है"
तिवारी ने जोरो की आवाज लगा दी ,ठाकुर के आदमी के साथ साथ पुलिस वाले भी उस ओर देखने लगे ,
"ये साले है कौन और यंहा क्या कर रहे है …"
एक हफते हुए पुलिस वाले ने पूछा ..
तिवारी अपने चहरे की मुस्कान को बड़ी ही मुश्किल से रोक पाया था ..
"क्या पता ऐसे इंस्पेक्टर साहब कहा है …"तिवारी ने जोरो से कहा ,सभी लोग इंस्पेक्टर को ढ़ंढने लगे कुछ ही देर में उसकी लाश भी मिल गई ,तिवारी ने जल्दी से हेडक्वार्टर को फोन लगा दिया ,इससे पहले कोई कुछ समझ पता तिवारी फिर से चिल्लाया
"सालो तुम लोग कर क्या रहे हो पीछा करो उसका "
कालिया अपने घोड़े में बहुत दूर निकल चुका था ,घने जंगल में जो घोड़े ठाकुर के आदमियों के पास थे वो उनमे ही भाग पड़े,अब बस पुलिस वाले बच गए थे ,इंस्पेक्टर की इस तरह से मौत की खबर से महकमे में हड़कंप मचा दिया था और SP खुद हाल जानने के लिए निकल पड़ा था ,ठाकुर भी ये सुनकर चिंतित हो गया था क्योकि उसे गाँव को तबाह करना था और उसके सारे आदमी किसी अनजान व्यक्ति के पीछे भाग रहे थे ……
***********
घने जंगलों में ठाकुर के आदमी कालिया का पीछा करते हुए खो से गए थे दूर दूर तक कही भी उसका कोई निशान नही दिख रहा था ,बस घोड़ो की आवाज आ रही थी ,बड़े बड़े पेड़ और अंधेरे में वो जैसे रास्ता ही भटक गए हो ,अब घोड़े धीरे हो चुके थे और वो वापस जाने की सोच रहे थे लेकिन उन्हें नही पता था की वो एक जाल में फंस चुके है जिसे कालिया और तिवारी ने मिलकर बनाया है …
अचानक एक रस्सी से लटकता हुआ पत्थर का गोला आया और सीधे एक घुड़सवार के सर को चकनाचूर कर दिया …
वो चीख भी नही पाया था की उसका शरीर धड़ाम से गिर गया …
सभी लोग पलटे और उसकी ये दशा देख कर अंधाधुन गोलियां चलाने लगे …
कुछ देर में ही वँहा शांति थी …
"मुझे तो लगता है की कोई हमे फंसा रहा है "
एक आदमी धीरे से दूसरे से बोला कि अचानक ही कई तीर आकर सीधे लोगो के सरो के आरपार होने लगे ,बस तीरों की आवाजे आ रही थी जो की बेहद वेग से और पास से चलाई जा रही थी ,घने जंगल के सन्नाटे को चीख जैसे चिर रहे थे ……
फिर से गोलियां चलाई गई लेकिन सब बेकार ……
बचे हुए लोग अपने घोड़े से उतर कर जमीन में आ गए थे ख़ौफ़ से उनका जिस्म और मन कांप रहा था ,
"कौन है कौन है …"
एक हट्टा कट्टा आदमी जो कभी ठाकुर के संरक्षण में गरजता था आज किसी चूहे की तरह बोल रहा था ,
कालिया गरजा
"तेरा और ठाकुर का काल हु मैं मादरचोद …"
'धाय 'उसने पहली बार गोली चलाई और सीधे उसका सर उड़ा दिया फिर से तीर चलने लगे और बाकी के लोग भी कीड़े मकोड़े की तरह उस जाल में मर गए …………
सभी बन्दूखे और घोड़े उठा ली गई ,अब कालिया के पास अच्छे खासे हथियार थे और घोड़े भी ,लेकिन उसका सबसे बड़ा हथियार था जो की आज ही उसे पता चला था वो था ये जंगल …
जंगली होने का जो फायदा उसे आज मिला था उसे वो अच्छे से समझता था जंगल के अंदर उसे हराना किसी के लिए भी बहुत मुश्किल होने वाला था क्योकि वो सभी इस जंगल में ही बड़े हुए थे ,अब वक्त था ठाकुर की सत्ता को गिरने का लेकिन उससे पहले कालिया को अपने परिवार को भी बचाना था
 
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तिवारी की बात सुनकर अजय जैसे नींद से जागा …
वो अभी शराब के नशे में था लेकिन इतना भी नही की उसे कुछ समझ ना आ रहा हो वही तिवारी नशे में कुछ ऐसा कह गया था जो उसे नही कहना चाहिए था …
"तो तिवारी जी अपने कालिया की मदद की जो बाद में सब के सर का दर्द बना था ,कालिया डाकू ,,,मोंगरा का गुरु कालिया ????"
तिवारी को अपनी गलती का अहसास तो हुआ लेकिन फिर भी बोले हुए शब्द तो वापस नही लिए जाते …
"हा साहेब लेकिन आप ही सोचो की उस समय मैं कर भी क्या सकता था वो इंस्पेक्टर भी कमीना था और ठाकुर तो है ही कमीना अगर कालिया ने हथियार नही उठा लिया होता तो वो गांव की सभी औरतो को धंधे वाली बना देता …"
तिवारी की बात से अजय के दिल में ठाकुर के लिए एक बहुत ही तेज नफरत का भाव जागा लेकिन उसे पता था की उसकी ड्यूटी क्या है और अब उसे ये भी पता चल गया था की डाकुओं को पुलिस की तरफ से मदद करने वाला कौन है …
"हम्म तो तिवारी जी अपने जो किया सही ही किया शायद आपकी जगह मैं होता तो मैं भी यही करता …."
अजय ने एक घुट अंदर किया ..वो तिवारी से सच उगलवाना चाहता था और सच तभी बाहर आता जब तिवारी को लगता की उसकी बात का अजय पर सही असर हो रहा है …
"तो तिवारी जी वो शख्स कौन था जिसने गांववालो की पुलिस से बचने में मदद की और क्या इसके बाद भी ठाकुर ने गांव में दहसत फैलाने की कोशिस की ?"
तिवारी एक गहरी सांस लेता है और पास रखे बोतल से एक जाम बना कर अपने हलक के अंदर करता है …
"ह्म्म्म साहब वो शख्स तो उसी दिन आ गया ,sp साहब और ठाकुर भी पधारे ठाकुर ने अपना रंडी रोना रोया और कुछ पैसे sp की झोली में डाल दिए ,लेकिन डॉ चुतिया जी तब तक पधार चुके थे …"
"डॉ चुतिया ?????? वो जो की आजकल प्रेस खोलकर बैठे है "
अजय की आंखे बड़ी हो गई थी …
"हा वही पहले तो युवा दल के नेता हुआ करते थे ,मेडिकल की पढ़ाई हो चुकी थी लेकिन फिर भी छात्र संघ में बड़ा दबदबा था ,मैं उन्हें पहले ही मिल चुका था ,उन्हें एक फोन करने की देरी थी की वो खुद भी पधार गए और साथ ही अखबार के लोगो को भी ले आये ,बेचारे sp चाहते हुए भी कुछ नही कर पाए लेकिन फिर भी कई गांव वालो से पूछताछ की गई और जो सामने आया वो सब अखबारों की हेडलाइन बन गई ठाकुर के सारे कारनामो का भांडा फुट गया,ठाकुर जैसे गांव के लोगो को भूल ही गया था क्योकि केंद्र से भी उसके ऊपर प्रेसर आने लगा था,वो खुद को बचने में ही लगा रहा लेकिन फिर भी उसकी दहसत कम नही हो रही थी आखिर पुलिस भी तो उसकी ही थी ,लेकिन फिर भी वो चुप ही था,"
अजय तिवारी की बातो को ध्यान से सुन रहा था ,की दिन की पहली किरण ने खिड़की से दस्तक दी …….
दोनो के सर भारी हो रहे थे और आंखे बंद होने लगी थी…


*************
दोपहर जब अजय उठा तो तिवारी जी जा चुके थे ,अजय के मन में रात की सब बाते गूंज गई थी …
आखिर कालिया और मोंगरा का संबंध क्या है ???
वो इसी सोच में डूबा हुआ तैयार हुआ और पुलिस स्टेशन चला गया ,तिवारी जी आज नजर नही आ रहे थे …
"तिवारी जी कहा है ..??"
अजय ने एक दूसरे कांस्टेबल से पूछा
"क्या पता सर कह के गए है की अगर सर आये तो उन्हें बोल देना की चम्पा ने याद किया है घर आयी थी लेकिन सोए थे …"
जैसे अजय के लिए इस थाने में दो ही केस थे एक ही चम्पा और दूसरी मोंगरा ,,लेकिन वो बेचारा तो अब खुल कर प्यार भी नही कर सकता था क्योकि उसे ये भी नही पता था की आखिर चम्पा कौन है और मोंगरा कौन है ……….
वो वही झरने के किनारे पहुचा ,
दोपहर का समय था और बहुत ही गहरी शांति वँहा फैली हुई थी ..
वँहा उस समय कोई भी नही था वो जाने को पलटा ही था की उसे चिरपरिचित झम झम की आवाज आनी शुरू हो गई उसके चहरे में एक मुस्कान खिल गई ,वही जंगल के लिवास में आयी हुई वो परी उसके सामने थी ,अजय के मन की हर शंका जाने कहा भाग चुकी थी वो जो भी हो लेकिन अजय उससे बस वैसे ही प्यार करना चाहता था ,उसके नशीले आंखों की मस्तियो में खो जाना चाहता था,उसके उन्नत वक्षो से दूध चखना चाहता था ,उसके भरे हुए होठो के मदमस्त प्यालों से झलकती हुई शराब को पीना चाहता था ,उसके रेशमी लहराते हुए केशुओ में उलझना चाहता था ,उसके कमर के नीचे और जांघो के बीच की छोटी सी सुराही को सोच कर अजय के तन मन में एक आग दौड़ गई ,वो मन ही मन सोचने लगा
'मा चुदाये वो कोई भी हो मुझे क्या दोनो ही तो मुझे कितना प्यार देती है और दोनो का ही प्यार तो मुझे सच्चा लगता है क्यो ना मैं दोनो के साथ हो लू ,और साथ रहकर ही जानने की कोशिस करू की वो कौन है …'
अजय की वासना उसपर हावी थी ??? नही सिर्फ वासना नही बल्कि वो प्यार जो उसे इन लड़कियों से मिला था ,जो उसे जमाने में कही नही मिल पाया था ,वो सिर्फ जिस्म का सुख नही था जिस्म के ऊपर भी मन के ऊपर भी वो रूह तक की संतुष्टि उसे मिली थी वो इसे यू ही नही खोना चाहता था सिर्फ इसलिए की उसे नही पता की वो कौन थी …
वो उसे प्यार भरी निगाहों से आते हुए देखता रहा ..
वो मचलते हुए उसके पास आ रही थी उसके कमर की हर लचक में अजय का दिल भी मचल जाता था,वो पास आई इतना की दोनो की सांसे ही टकराने लगी और
चटाक …
एक जोरदार तमाचा अजय के गालो में पड़ा ,चम्पा के आंखों में आंसू थे ..
अजय चम्पा के इस कारनामे से हड़बड़ा ही गया था …
"क्या क्या हुआ तुम्हे "
"क्या हुआ पूछते हो शर्म नही आती तुम्हे मेरी बहन के साथ ...छि ..वो भी उस नागिन के साथ जिसे पकड़ने तुम आये हो मैने रात में ही तुम्हे उसके साथ देखा था ,तुम और वो छि …"

अजय का दिल जोरो से धड़कने लगा ..
वो झल्ला गया था
"क्या छि कह रही हो मुझे कैसे पता चलेगा की कौन मोंगरा है और कौन चम्पा तुम दोनो ही तो एक जैसी दिखती हो तो क्या इसमें भी मेरा ही दोष है .."
अजय जोरो से बोला था जिससे चम्पा दहाड़ मार कर रोने लगी ..
"वो कुतिया कभी नही चाहती की हमारा मिलन हो इसलिए उसने कल गोली चलवाई थी मुझे तो पहले ही शक था लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर …."
"अरे पगली तो तुमने उसी समय क्यो नही बतलाया "
"कैसे बताती तुम्हे उसके साथ देखकर मेरा तो खून ही जल गया था ,"
चम्पा ने इतनी मासूमियत से कहा की अजय का दिल उसके लिए पिघल गया और वो उसे अपने आगोश में खिंच लिया
"कुछ कहने की जरूरत ही नही तुम्हे सोच रहा हु की तुम्हे एक ऐसी चीज दे दु जो सिर्फ तुम्हारे पास रहे "
अजय की बात से चम्पा के चहरे में शर्म के भाव गहरा गए ,और वो दबी हुई हँसी में हँसने लगी
"ऐसे क्यो शर्मा रही हो "
अजय को भी थोड़ा आश्चर्य हुआ की आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया था ,
"क्यो ना शरमाऊं तुम बात ही ऐसा कर रहे हो ,"अजय फिर से चकरा गया
"और अभी मैं मां नही बनूंगी वो सब शादी के बाद "
ओह तो ये पगली ये चीज सोच कर बैठ गई थी ,अजय को चम्पा की बात और सोच पर हँसी आयी लेकिन साथ ही साथ बहुत सारा प्यार भी आया ,उसने चम्पा को और भी जोरो से जकड़ लिया
"अरे पगली मैं बच्चे की बात नही कर रहा कोई ऐसी चीज जो तुम मुझे बोलो तो मुझे पता लग जाए की वो तुम हो कोई और नही "
चम्पा का चहरा जैसे मुरझा गया जिसे अजय समझ भी गया
"तो मेरी रानी को बच्चा चाहिए "
चम्पा ने हाथों से उसे मारा
"हर लड़की चाहती है की वो मां बने खासकर जिसे मा बाप का प्यार नसीब नही हुआ हो ,..."उसकी आंखों में आंसू आ गए थे
"ओह मेरी जान ...मैं तुम्हे दुनिया की हर खुसी दूंगा बस पहले वो तुम्हारी बहन मेरे हाथ लग जाए ,बहुत सर दर्द कर रखा है उसने "
"हा जब उसे चूम रहे थे तब तो सर दर्द नही दे रहा था तुम्हारा "
चम्पा का मुह फिर से फूल गया था ,अजय को उसपर हँसी आ गई और उसने उसके होठो पर अपने होठो को रख दिया जिसे धीरे धीरे करके ही सही लेकिन चम्पा भी चूमने लगी थी …
"जान 4577 "
"ये क्या है .."
"जब तुम ये बोलोगी तो मैं समझ जाऊंगा की ये तुम ही हो मोंगरा नही "
चम्पा के चहरे में मुस्कान आ गई और उसने अजय के सर को जोरो से पकड़ कर उसे अपनी ओर खिंच लिया ,दोनो के होठो मिल गए थे जो की बहुत देर तक मिले ही रहे ,लार एक दूसरे से लिपटने लगी थी और चम्पा के जिस्म के एक मात्रा कपड़े को अजय उतारने लगा था ,देखते ही देखते दोनो के जिस्म नंगे हो चुके थे और दोपहर के सही भी दोनो नंगे जिस्म दुनिया की परवाह किये बिना ही झील में उतर गए थे……….
सांसे तेज हो रही थी और जिस्म की तड़फन बढ़ने लगी थी …
अजय ने चम्पा के गले में किस किया चम्पा के शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था ,वो अजय को और भी जोरो से जकड़ने लगी थी ….
चम्पा के कमर के नीचे की गोल गोल चूतड़ों में हाथ फेरते हुए उसके कोमलता के अहसास से अजय की आंखे बंद हो रही थी ,वही हाल चम्पा का भी था,
वो भी मदहोश सी हो रही थी,आंखे तो दोनों की ही बंद थी और सांसे तेज ,धडकनों की शहनाईयां भी तेजी से बज रही थी,चम्पा को भी अजय के लिंग का अहसास हो रहा था जो उसके उन्नत कुलहो पर हलके हलके चोट कर रहा था,इस घिसाई का मजा लेते हुए दोनों ही भूल गए थे की वो झील में गले तक चले आये है ,दोनों ही जिस्म नंगे थे और पानी के ठंडक में भी गर्म हो रहे थे ,दोनों के ही पाँव गहराई की और जा रहे थे,पानी उन्हें सर तक डुबो गया था लेकिन हाय रे उस मोहोब्बत का नशा की किसी को होश भी नही था ,दोनों के होठ एक दूजे से मिल चुके थे और एक दूजे की जीभ को लपेटते हुए वो मुह की गहराई में जा रहे थे,सांसे बंद होने लगी तो वो एक दूजे के मुह से साँस लेने लगे थे ,चम्पा पलती और अजय के सीने में दबती चली गई ,एक दुसरे को उन्होंने मजबूती से जकड़ रखा था ,पानी के अंदर होने से साँस लेने में दिक्कत आने लगी थी लेकिन कोई भी दुसरे को छोड़ने को तैयार नही था ,और अजय ने अपने लिंग को चम्पा के योनी में धसाना शुरू किया और चम्पा का मुह खुल गया झील का ताजा पानी उसके मुह में भर चूका था जिसे उसने अगले ही पल अजय के मुह में धकेल दिया था ,
दोनों ही थोड़े बहार आये ताकि साँस ले सके ,जिस्म एक दुसरे में गड़े जा रहे थे ,कमर हलके हलके ही चल रही थी लेकिन स्वर्ग का सुख दे रही थी ,लिंग और योनी का घर्षण अभी भी पानी के अंदर ही हो रहा था,अजय ने चम्पा के कुलहो को दबोच रखा था वही चम्पा भी अपने हाथो से अजय के कुलहो को अपनी ओर और भी ज्यदा सटा रही थी ,
जब कमर ने रफ़्तार पकड़ी तो अजय चम्पा को गोद में उठा कर किनारे में ले आया और रेत में लिटा कर उसके उपर छा गया…
"आह मेरी जान ओह जान ओह "
चम्पा के मुह से सिस्कारिया निकलने लगी थी ,अजय भी उसके गालो को अपने दांतों से खा रहा था उसके वक्षो को अपने मुह में भरे जा रहा था और अपने कमर की गति को तेज और तेज किये जा रहा था ,दोनों के जिस्म भीगे हुए थे लेकिन फिर भी जिस्म की घर्षण से उत्पन्न पसीने से भी भीगे जा रहे थे …
होठो से लार बह कर एक दुसरे के जिस्म को और भी चिपचिपा कर रहे थे,सांसे जैसे अटकने को थी और दिल की धड़कने मानो रुकने को हो गई थी ,
दोनों ही अपने चरम पर आ चुके थे और बस झरने ही वाले थे ,
"मुझे भीगा दो मेरे राजा ,अन्दर तक भीगा दो मई आपकी गुलाम बन कर जीना चाहती हु"
चम्पा अपने चरम में पहुच कर अजय से आग्रह करने लगी जिससे अजय के जिस्म ने भी अपना बांध तोड़ दिया और तेज धारा के साथ चम्पा की योनी में बहता चला गया …………….
अजय और चम्पा किसी मनोहर सपने में खोए से झरने के किनारे गीले रेत में लेटे हुए थे ,एक दूसरे के जिस्म को सहला रहे थे मानो दुनिया में बस यही एक चीज है जो उनके लिये हो..
लेकिन सपना तो आखिर सपना ही होता है ,कभी ना कभी तो उसे टूटना ही होता है ,
दोनो के जिस्म अभी भी पानी में थोड़े डूबे हुए थे और थोड़े बाहर ,,अजय के तेज धक्के के कारण वो फिसलते हुए पानी में आ गए थे …
दोपहर का समय था और धूप की तेजी अब बदन को जलाने लगी थी ,अजय चम्पा को उठाकर एक पेड़ के नीचे ले आया साथ ही अपने कपड़ो को भी ,ऐसे तो चम्पा बदन में एक ही कपड़ा पहनती थी वो उसकी कुछ मीटर की साड़ी ..
अब अजय चम्पा की गोद में लेटा हुआ था और चम्पा उसके बालो को सहला रही थी ….दोनो ही किसी दुनिया में खोए हुए थे की अजय बोल पड़ा ..
"चम्पा आखिर ऐसा क्या हुआ था मोंगरा एक डाकू बन गई और तुम यंहा आ गई "
उसकी बात सुनकर चम्पा थोड़े देर के लिए चुप हो गई …
और अजय के बालो में उंगलियां फसाये सहलाती रही ,अजय के गालो में उसके आंखों का पानी आ टपका ,अजय उठ खड़ा हुआ और चम्पा के गालो को दोनो हाथो से पकड़ लिया और उसके गालो में अपने होठ लगा कर उसके आंखों से झरते हुए खारे पानी को अपने होठो से अंदर कर लिया …
"मेरी जान अगर तुम्हे इस बारे में बात नही करना है तो मैं तुमसे कुछ भी नही पूछूंगा "
अजय ने गंभीरता से कहा जिससे चम्पा के होठो में भी एक मुस्कान आ गई और वो उससे लिपट गई ..
"क्या बताऊँ यही तो समझ नही आता ,ठाकुर की ज्यादतियों के बारे में बतलाऊ या फिर मोंगरा के जिस्म की भूख के बारे में,या मेरे पिता के बदले के बारे में या मेरी माँ की फूटी हुई किस्मत के बारे में क्या क्या बतलाऊ तुम्हे कुछ समझ नही आता ……"
इतना कह कर चम्पा तो चुप हो गई लेकिन अजय को जैसे एक बहुत ही बड़ा शॉक लग गया ,ये चम्पा क्या कह रही थी ..
वो चम्पा की आंखों में झांकने लगा
"मुझे सब कुछ ही जानना है ….."
इस बार चम्पा अजय के गोद में लेट गई और अजय उसके बालो को सहलाने लगा ..
चम्पा ने बोलना शुरू किया
 
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चम्पा की जुबानी आगे की कहानी

ठाकुर के आतंक की सीमा बढ़ने लगी थी वो हमारे गांव और आसपास के गांव की बहु बेटियों को अपने हवस का शिकार बनाने पर तुला हुआ था ,पुलिस भी उसके साथ थी वो ज्यादती पर उतर आया था तभी मेरे पिता ने ठाकुर के खिलाफ हथियार उठा लिया ..
मेरे पिता गांव के सरपंच के बेटे थे और बहुत ही बहादुर और गुस्सेल थे उनका नाम था कालिया जो की बाद में कालिया डाकू के नाम से प्रसिद्ध हुए …
वो जब गांव छोड़कर जंगलों में गए तब उनकी नई नई शादी हुई थी,मेरी माँ देखने में बहुत ही सुंदर थी पिता जी उससे बहुत प्यार करते थे लेकिन ठाकुर से विरोध करने पर उन्हें गांव छोड़कर जंगल में जाकर रहना पड़ा था ,वो वही से ठाकुर के खिलाफ साजिश रचा करते थे ,उन्होंने ठाकुर को फंसा दिया था उनका साथ कांस्टेबल तिवारी और डॉ चुतिया दे रहे थे……

फ़्लैशबैक स्टार्ट
कालिया के विद्रोह से ठाकुर की मानो रीढ़ ही टूट गई थी ,जो लोग उसके वफादार थे कालिया उन्हें ढूंढ ढूंढ कर मारता था ,ठाकुर बौखला गया था और कालिया के परिवार पर हमला करना चाहता था लेकिन कालिया को मानो पहले से पता था की वो उसके परिवार को निशाना बनाएगा इसलिए उसने अपने परिवार को अपने पास बुला लिया था ,लेकिन जंगल की भागादौड़ी और भयानक माहौल में वो अपने परिवार को नही रख सकता था,खासकर उसकी फूल सी पत्नी और बहन दोनो जवान लडकिया जिसे कालिया सबसे ज्यादा प्यार करता था लेकिन ये ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी थे, इनके इज्जत की रक्षा करना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती भी थी ,वो उन्हें एक आदिवासी काबिले के सरदार के पास रख कर अपना काम किया करता था ,..
इधर
ठाकुर ने कई नए लोगो को अपने साथ शामिल करना शुरू कर दिया ताकि वो कालिया का मुकाबला कर सके और उसमे सबसे खास था परमिंदर ..
परमिंदर बहुत ही सुलझा हुआ व्यक्ति था जो की ताकत में किसी से कम नही था ,वो ठाकुर के एक दोस्त के पास काम किया करता था वो शादीशुदा था और उसका एक बेटा भी था जिसका नाम बलवीर था (जो बाद में मोंगरा के गिरोह में जा मिला ) परमिंदर के पास ताकत के साथ साथ दिमाग भी तेज था इसलिए ठाकुर उसे पसंद करने लगा था ,परमिंदर की सूझ बुझ ने ठाकुर को कारोबार में बहुत फायदा पहुचाया था लेकिन उसकी असली परेशानी थी कालिया ……
"ठाकुर साहब मेरी बात मानो तो कालिया के बारे में सोचना छोड़कर आप उसके बीवी और बहन को ढूंढो "
परमिंदर ठाकुर के लिए जाम बना रहा था ,
"लेकिन कैसे साले ने ना जाने कहा उन्हें छिपा कर रखा है मिलती ही नही "
"तो कोई मुखबिर कालिया के गिरोह में क्यो नही भेज देते आप ऐसे लोगो की कमी तो नही जो पैसे के लिए अपने गांव से दगा करेंगे "
ठाकुर ने एक नजर परमिंदर की ओर देखा
"तुम्हे क्या लगता है की मैं गांव वालो को तकलीफ देता हु "
परमिंदर जोरो से हँस पड़ा
"मैं स्वामिभक्त हु ठाकुर साहब जो बोलोगे करूंगा चाहे वो सही हो या गलत लेकिन मुझे पता है की कालिया क्यो डाकू बना है ,आप किसी डाकू से नही लड़ रहे हो आप अपने अहंकार से पैदा हुए हैवान के कारण मिले श्राप से लड़ रहे हो …"
परमिंदर की बात सुनकर ठाकुर कुछ देर के लिये बस उसे देखता रहा लेकिन कुछ भी ना कह सका क्योकि वो जानता था की परमिंदर सही कह रहा है और साथ ही ये भी जानता था की उससे ज्यादा खुलकर कहने वाला और सही सलाह देने वाला साहसी आदमी उसे नही मिलेगा ….
परमिंदर की सलाह मानकर ठाकुर ने एक आदमी ढूंढ ही लिया और कालिया के गिरोह में उसे शामिल भी करवा दिया ..
और वही हुआ जो की ठाकुर चाहता था कालिया की कमजोरी का पता ठाकुर को चल गया था ………...
"हम कहा है तुम लोग कौन हो ,और हमारे कपड़े ...ये किसने बदले "
डरे हुए आवाज में कनक(कालिया की बहन ) कह रही थी..
पास ही बैठी रोशनी (कालिया की बीवी) भी डरी हुई थी लेकिन उसे सब कुछ समझ आ रहा था की आखिर उनके साथ क्या हुआ है ,वो एक बड़े से कमरे में थे जंहा बीचों बीच फूलों से भरा हुआ बड़ा सा बिस्तर था,पास ही सेविका के रूप में खड़ी हुए कुछ 5 लडकिया थी ,
कनक और रोशनी दोनो के ही आदिवासी महिलाओं के कपड़े निकाल दिए गए थे उन्हें नई महंगी और रेशमि पारदर्शी साड़ी पहनाई गई थी लेकिन वो भी बस साड़ी ही थी उसके अलावा और कुछ भी नही ..
उस साड़ी में भी उनका यौवन पूरे का पूरा दिख रहा था,वो दोनो ही काम की देवियां लग रही थी लेकिन डरी हुई ,भविष्य के खतरे का आभास उन्हें हो गया था वो सहमी हुई थी लेकिन उन सेविकाओं को देख कर उन्हें लगा की ये भी उनकी ही तरह जबरदस्ती यंहा लायी गई होंगी …
"आप ठाकुर साहब की हवेली में है ,कल रात ही आपलोगो को यंहा लाया गया था,ठाकुर साहब ने कहा है की अपदोनो हमारी मेहमान है और दोनो की खूब जतन की जाए .."
एक बहुत ही सुंदर सी लड़की ने बड़े ही प्यारे शब्दो में कहा ,उसकी नजर नीची थी मानो वो उनकी ही दासी हो ,ठाकुर उनके साथ ऐसा व्यवहार करेगा ये तो दोनो ने ही नही सोचा था उन्हें तो लगा था की अगर ठाकुर के हाथो में आ गए तो फिर जिस्म को नोच कर खा दिया जाएगा…
लेकिन ठाकुर जिस्म को नोचने ही वाला था भले ही इस तरह ही क्यो ना हो ….
"आप लोग कुछ लेंगे "
फिर से उसी लड़की ने कहा
"हमे अपने घर जाना है "
कनक बोल उठी ,सभी के सर पहले से ज्यादा झुक गए लेकिन किसी ने कुछ भी नही कहा ..
रोशनी ने कनक को समझाया की वो मुसीबत में फंस चुके है और अभी उन्हें सम्हल कर कदम उठाना पड़ेगा ताकि यंहा से निकल जाए और अब तक ये बात कालिया को पता चल गई होगी वो हमे बचा लेगा ……
दोनो को ही कालिया की उम्मीद थी लेकिन ना जाने आगे क्या होने वाला था …..
"मालकिन आप दोनो नहा लीजिए ठाकुर जी आते ही होंगे"
उस लड़की की बात सुन कर दोनो ही दंग रह गए
"हम तुम्हारी मालकिन नही है "
रोशनी ने जोरो से कहा
"हमे आपको मालकिन कहने और गुलाम की तरह रहने का ही हुक्म मिला है ,आप कृपया नहा ले वरना ठाकुर साहब हमारे ऊपर गुस्सा होगें"
ठाकुर ये क्या कर रहा था या क्या करना चाह रहा था ,रोशनी समझने की कोशिस कर रही थी लेकिन गरीबी में रही कनक को ये वैभव बहुत ही भा रहा था ,उसकी ललचाई नजर रोशनी से बच नही सकी .
"ये तुम्हारे भाई के बैरी का घर है ,ये सभी सुख हमारे लिए मिट्टी जैसे है "
रोशनी ने कनक को झटकते हुए कहा ,वो भी हड़बड़ाई
"लेकिन भाभी सुख तो है ना …"कनक के सपाट बोल से रोशनी भी असमंजस में पड़ गई ,ना ही पिता ने ना ही पति ने सुख के नाम पर दिया ही क्या था उसे ,जीवन एक काटे की तरह ही बिता था ..ऐसा नही था की रोशनी कालिया से प्रेम नही करती थी लेकिन फिर भी ना ही वो उसके साथ ज्यादा वक्त बिता पाई थी ना ही सांसारिक जरूरतों को ही वो पूरा कर पाया था,लेकिन वो कालिया का बेहद सम्मान करती थी उसकी ही इज्जत की रक्षा के लिए कालिया ने हथियार उठाया अपने परिवार और जान की भी नही सोची …
"तेरे भइया ने हमारी इज्जत की रक्षा के लिए अपने जान की भी नही सोची …"
रोशनी के मन में चल रही बात उसने कह ही डाली …
"लेकिन ठाकुर तो अब भी हमारी इज्जत उतरेगा ना ...भाभी मैं नही कहती की भइया गलत है लेकिन सोचो क्या सचमे वो हमे बचा पाएंगे,और क्या ठाकुर हमे ऐसे ही जाने देगा,तो क्यो ना हम इन सुखों का ही मजा ले ले जब तक हम यंहा है ...क्योकि फिर तो जीवन में हमे ये कभी देखने भी नही मिलेगा "
कनक की बात से रोशनी के आंखों में आंसू छलक गए थे ,कनक का गला भी बैठ गया था लेकिन वो खुद को सम्हालते हुए बोली
"भाभी मैं अपना बलात्कार करवाना नही चाहती,हा अगर कुछ होगा तो मैं भी उसका मजा लुंगी "
इतना ही कहकर कनक स्नानगृह की ओर चली गई ,और रोशनी अब भी अपने आंखों में आंसू लिए हुए अपनी ननद की बातो को सोचती रही ,सच में उनकी किस्मत ही थी की ठाकुर उनसे ऐसे पेश आ रहा था वरना वो उन्हें किसी रंडी से ज्यादा अहमियत नही देता वो भी बस जिस्म की भूख मिटाने के लिए ……
 
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इधर
कालिया अपने माता पिता के लाश के सामने घुटने के बल बैठा था ,
"कालिया हरिया का कही भी पता नही लगा "
एक आदमी हफते के उसतक पहुचा
"सरदार वो अपने ईमान का सौदा करके भाग गया है ,उसके घर में भी बीवी और बहन है उन्हें उठा कर लाता हु साले से उसके करनी का बदला लेंगे "
एक दूसरा आदमी गरजा
"मैं किसी का सरदार नही हु मैं कालिया हु तुम्हारा कालिया ,और हरिया की बहन मेरी भी बहन है ,वो मेरे गांव की बेटी है ,उसकी बीवी मेरे गांव की बहु है और मेरी भी बहु है ,किसी ने उनको छूने की कोशिस भी की तो मैं उसके हाथो को काट दूंगा
कालिया गरजा और सभी चुप हो गए
"हरिया ने जो किया है उसकी सजा उसे मिलेगी ,और ठाकुर ने जो किया है उसकी भी उसे सजा जरूर मिलेगी …"
"लेकिन कालिया पहले हमे भाभी और कनक को बचने की सोचना चाहिए ना जाने वो उनके साथ कैसा सलूक करेगा "
कालिय ने एक गहरी सांस ली ,
और कुछ सोचने लगा ,
"आज ही धावा बोलेंगे उसके हवेली में "
कालिया बोल उठा
"लेकिन कलिया वँहा जाना अपने हाथो से अपनी जान को दाव पर लगाना है तुम तो जानते हो ठाकुर की हवेली हवेली नही किला है ,कोई नही बच पायेगा "
कालिया फिर से सोच में पड़ गया क्योकि बात तो सही ही थी
"तो सिर्फ मैं जाऊंगा …"
"तुम पागल हो गए हो क्या वँहा तुम अकेले ...तुम्हारी जान हम सबके लिए बहुत ही जरूरी है कालिया सिर्फ तुम्हरी बहन और बीवी नही इतने लोगो के घर की बहु बेटियां आज तुम्हारे ही कारण सलामत है …"
"अगर मैं ना रहा तो तुम इस गिरोह को सम्हालोगे, ये गिरोह टूटना नही चाहिए शम्भू ,"
उसने शम्भू के कंधे पर हाथ रखा,शम्भू रो ही पड़ा था ,कालिया अपने जिद पर अडिग था और ये बात सभी को पता थी ……

'बहुत याराना लगता है …….'
'बसंती इन कुत्तों की सामने मत नाचना ..'
'गब्बर मैं तेरा खून पी जाऊंगा '
"वाह मेरे धर्मेंद्र ,भाभी मस्त फ़िल्म है ना सोले…धर्मेंद्र देखो ना क्या दिखता है "
कनक tv स्क्रीन को देखकर तालिया बजा रही थी,रोशनी को उसकी ये हरकते बिल्कुल भी पसंद नही आ रही थी ,लेकिन क्या करे वो भी बार बार फ़िल्म की ओर आकर्षित हो जाती थी ,लेकिन फिर नजर बचा कर विक्रांत ठाकुर(प्राण ठाकुर का छोटा भाई ) की ओर देखती और डर जाती जो सोफे में बैठे हुए कनक की हरकतों का मजा ले रहा था .विक्रांत लगातार कनक को ही घूरे जा रहा था जैसे रोशनी का कोई अस्तित्व ही नही हो ,वो दोनो किसी रानियों की तरह सजाई गई थी और एक बड़े से कमरे में बड़े से सोफे पर बैठी थी ,जंहा सामने एक साफ पर्दा लगा हुआ था जिसमे .अभी सोले चल रही थी ,ये विक्रांत का ही कमरा था ,विक्रांत ने जब कनक को पहली बार देखा तब ही उसका कनक पर दिल आ गया था,विक्रांत प्राण से थोड़ा अलग था,जंहा प्राण को फूलों को निचोड़ने में मजा आता था वही विक्रांत को फूलों की धीमी सुगंध में ,वो भी कनक का धीरे धीरे मजा लेना चाहता था,रोशनी को प्राण ने पसंद किया था लेकिन विक्रांत के कहने पर ही प्राण उससे अभी तक दूर था ,क्योकि वो भी विक्रांत की तरह पहले उसे अपने बस में करना चाहता था लेकिन प्राण को कहा आती थी प्यार की भाषा लेकिन वो अपने भाई की जिद और रोशनी के मादक यौवन के कारण रुक गया था,वो इस फूल की निचोड़ना नही चाहता था बल्कि इसका इत्र बना कर हमेशा के लिए अपने पास रखने की चाह में था …
विक्रांत ने ही कनक को लुभाने के लिए उसे हर सुविधा दिलाई जिसके बारे में वो सपने में नही सोच सकती थी और इसका असर भी उसके ऊपर हो रहा था,कनक को सभी चीजों से मोह हो गया था ,जैसे वो अपने भाई और उसकी कुर्बानी को भूल ही गई थी …
"हमारे छोटे ठाकुर भी धर्मेंद्र से कम है क्या .."
विक्रांत के पैरो के पास बैठा मुंसी जो उसका पैर दबा रहा था बोल पड़ा ,और अचानक ही कनक का ध्यान उसे घूर रहे विक्रांत की ओर गया ,मानो कनक को कई वाल्ट का झटका लगा हो ,सच में नवजवान और गठीले बदन के मालिक विक्रांत को देखकर वो शर्म से ढेर हो गई और उठकर जाने को हुई ,विक्रांत आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया …
विक्रांत उसके गालो को हल्के हाथो से सहलाने गया,कनक के जिस्म में एक करेंट दौड़ गया …
"अरे रानी तुम्हारे लिए ही तो ये सारे जतन किये है और तुम ...तुम हो की हमसे दूर जा रही हो"
कनक का गाला सुख चुका था वो लाज के मारे सर गड़ाए जा रही थी ,आज पहली बार किसी मर्द ने उसे इस तरह से छुवा था,अभी अभी तो वो जवान हुई थी ,विक्रांत के शरीर से गुलाब की हल्की हल्की लेकिन मोहक खुश्बू आ रही थी ,जो की गांव के मर्दों के शरीर से नही आया करती ,मेहनतकस लोगो के शरीर से पसीने की खुश्बू आती है जो की कनक को बदबू लगती थी ,
विक्रांत उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके कनक के जिस्म को हल्के हाथो से मसल रहा था,कनक उसके आगोश में मचल रही थी ,थोड़ी ना नुकुर करती लेकिन फिर भी मानो वो पिघल रही हो ,रोशनी बस दोनो को देखे जा रही थी फिर अपना ध्यान tv में लगा देती लेकिन जो उसके सामने चल रहा था वो ज्यादा आकर्षण पैदा करने वाला था,विक्रांत ने मुंसी को वँहा से भगा दिया लेकिन रोशनी को वही बैठे रहने का हुक्म दिया,रोशनी के मन में भी ना चाहते हुए भी एक अजीब सा भाव उमड़ कर आ रहा था ,कनक की तो आंखे ही बंद हो गई थी ,
कोई अगर देखता तो कहता की दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में है ,ना की किसी दुश्मन की बहन से बदले वाली बात है,कनक और रोशनी दोनो ही भुल गए थे की वो अपने दुश्मन के घर उसकी बांहो का मजा ले रही है …
विक्रांत बड़े ही धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था कनक का थोड़ा मोड़ा विरोध भी कम हो चुका था,रोशनी ना चाहते हुए भी बार बार तिरछी आंखे से उन्हें देख ही लेती ,कनक के चहरे का भाव बता रहा था की वो कितने आनंद में है और यही रोशनी की पीड़ा थी,अगर विक्रांत कनक का बलात्कार करता तो शायद वो कभी इतनी उत्तेजित नही होती लेकिन विक्रांत ने जो किया था वो उसे और भी ज्यादा तोड़ रहा था,शरीर से भी और मन से भी वो कालिया को जान से ज्यादा चाहती थी लेकिन आज जीवन में पहली बार उसके मन में कालिया के अलावा किसी दूसरे की मूरत घर कर रही थी,वो विक्रांत के गठीले जिस्म से मोहित हो रही थी ,वो अपने को रोकती कभी कभी खुद को धिक्कारती लेकिन फिर भी कनक की हल्की सिसकियां जो अभी बिना कुछ किये भी फुट पड़ती थी ,रोशनी के मन में इस सुख के भोग की लालच को जगा रहा था ..
रोशनी इतने मानसिक उधेड़बुन से गुजर रही थी की उसकी आंखे भर गई थी वो वँहा से उठकर जाने को हुई लेकिन विक्रांत ने उसका दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया,वो खड़ी हुई थी और विक्रांत उसे अपने से सटा लिया,

रोशनी की जैसे सांसे ही रुक गई ,आंखों में अब भी पानी था लेकिन आंखे बंद हो चुकी थी ,विक्रांत ने अपने ऊपर के कपड़े को निकाल फेका था,उसका गठीला जवान बदन और उसके बदन की खुश्बू दोनो ने रोशनी को उत्तेजित कर रहे थे,रोशनी की पीठ विक्रांत के बालो से भरी छाती में जा सटी,
"आह ह ह "
रोशनी के मुह से निकल गया,विक्रांत पुराना खिलाड़ी था ,रोशनी की आह से उसके होठो में एक अजीब सी मुस्कान खिल गई ,इन दोनो बालाओं का बलात्कार करके भी वो ये सुख नही पा सकता था जो अब उसे उनके साथ खेलकर मिल रहा था,कालिया से असली बदला लिया जा रहा था लेकिन अलग रूप से ………
विक्रांत ने रोशनी को अपने पास बिठा लिया,अब रोशनी और कनक दोनो उसके दोनो ओर बैठे थे,वो जानता था की कनक तो उसके गिरफ्त में पहले से है लेकिन रोशनी को और तोडना होगा ,वो अपना ध्यान अब रोशनी पर लगाने लगा,उसके साड़ी के पल्लू को गिरा दिया और अपने जीभ को उसके गर्दन पर लगा दिया..
"आह न न न ही ही"
रोशनी की आंखे बंद थी और वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई,उसके फुले हुए स्तन का ऊपरी भाग उसके कसे ब्लाउज से बाहर झकने लगा था ,विक्रांत ने ललचाई निगाह से उसकी गोरी चमकदार चमड़ी को देखा,रोशनी और कनक दोनो ही गांव की रसदार और भरी हुई लडकिया थी,विक्रांत ने अपनी जीभ से रोशनी के खुले हुए स्तन को चाट लिया ,
"नही ...ओह नही आह "वो मछली जैसे छटपटाई और जल्दी से उठकर बाहर की ओर भागने लगी,उसकी इस हरकत से विक्रांत जोरो से हंसा लेकिन उस रोकने की कोशिस नही की ……..
रोशनी के जाते ही कनक विक्रांत के छाती को खुद ही चूमने लगी,विक्रांत हँसता हुआ सोफे में इत्मीनान से लेट गया
"तेरी भाभी पर अभी प्यार का भूत चढ़ा है फिक्र मत कर एक दिन वो भी तेरी तरह अपने जिस्म को मेरे सामने रख देगी ,और तुम दोनो को हम दोनो भाई अपनी कुतिया बना कर रखेंगे ...हा हा हा "
विक्रांत की बात से कनक थोड़ी रुकी लेकिन विक्रांत ने उसके सर को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया,
"चाट मेरी रानी "कनक फिर से उसके सीने के बालो पर अपने जीभ फेरने लगी जैसे विक्रांत की बात का उसपर कोई प्रभाव ही नही पड़ा हो ………
 
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कालिया अपने बीवी और बहन की फिक्र में किसी भी खतरे से लड़ जाने को तैयार था ,वो अकेला हि उन्हें ठाकुर के किले से छुड़ाने को निकल पड़ा…….

कालिया दूर से ही उस हवेली को ध्यान से देख रहा था और साथ ही अंदर जाने की तरकीब ढूंढ रहा था ,पूरी हवेली मानो कोई किला हो ,चारो तरफ पहरेदार ही पहरेदार थे,बंदूख धारियों से पूरी हवेली ही घिरी हुई थी ,कालिया हवेली के पिछले भाग में गया,वँहा सुरक्षा कम थी लेकिन फिर भी बड़े से दीवाल के पर पहुच पाना भी मुश्किल था,कालिया ने अपने साथ एक रस्सी लाई थी ,वो गुना भाग कर एक नतीजे में पहुचा की वो रस्सी से दीवाल को पर करेगा फिर हवेली के बगीचे से छिपता हुआ मुख्य घर तक जाएगा,वो रस्सी को सही जगह डालने में सफल रहा और उसके सहारे ऊपर चढ़ नीचे कूद गया,उसका दिल जोरो से धड़क रहा था लेकिन अभी डरने का समय भी तो नही था,

वो फिर से रस्सी को उस बड़े से बगीचे में एक जगह छुपा दिया,और मुख्य हवेली की ओर बढ़ने लगा,लोग रात के सन्नाटे में एक दूसरे से बात करते हुए या ऊंघते हुए पहरा दे रहे थे,उसने ध्यान दिया की नॉकर आ जा रहे है और पहरेदार थोड़ा भी ध्यान उनपर नही दे रहे है,उसने रिस्क लेने की सोची और अपने बंदूख को वही रख चाकू को अपने कपड़े में छिपा कर अपने को थोड़ा संवारा ताकि वो गांव का ही आम आदमी लगे ,और जल्दी से जाकर एक आलू के बोरे को उठा लिया ,वो दूसरे दरवाजे से अंदर जाना चाहता था,

"ये क्या ले जा रहा है"

एक कड़कदार आवाज उसके कानो में पड़ी ,उसे लगा जैसे उसका दिल ही बाहर आ जाएगा …

"वो आलू है ,रसोई में पहुचा रहा था "

वो अपने को सम्हालते हुए बोला
"अबे मादरचोद अभी तुम्हे ये सब काम सूझ रहा है दिन भर क्या कर रहे थे,चल जा "

एक पहरेदार तम्बाखू मलते हुए बोला,कालिया पीछे के दरवाजे से रसोई तक चला गया,बड़ी सी रसोई थी लेकिन ठाकुर के परिवार के रहने का कमरा ऊपर था ये नॉकरो की जगह थी ,कालिया ने रात का फायदा उठाया और आहिस्ते से एक पाइप के सहारे ऊपर पहली मंजिल तक आ गया,बड़े बड़े दरवाजो और खिड़कियों से सुशोभित आसियान था,कालिया को समझ ही नही आ रहा था की इतने कमरों में आखिर रहता कौन होगा और जंहा उसे जाना है वो कमरा कौन सा होगा ,या ठाकुर ने उन्हें हवेली के अलावा कही और रखा है ,पहली मंजिल से नीचे का नजारा साफ साफ दिख रहा था ,जंहा कई पहलवान हाथो में बड़ी बड़ी बंदूख लिए टहल रहे थे,सामने से जाना अब भी खतरनाक था ,वो फिर से पीछे का रुख किया ,उसने पीछे की ओर से खिड़कियों में झकने की सोची लेकिन नीचे गिरने का और किसी के देख लेने का डर उसे सता रहा था,वो बेहद परेशान था की उसे किसी के पायलों की आवाज सुनाई दी ,देखा तो एक सजी सवारी लड़की माथे में लाल सिंदूर लगाए और लगभग पूरे दुहलन के लिबास में झम झम करती उसी ओर आ रही थी ,वो छुपने को भागा इतने बड़े घर में उसे समझ ही नही आ रहा था की जाए तो कहा जाए,उसे सीढ़िया दिखाई दी और वो उसी में चढ़ता गया,वो हवेली के छत पर था तीन मंजिलों की हवेली बाहर और अंदर से विशालकाय थी,और पूरे ओर से दूर दूर तक खेतो से घिरी हुई थी,थोड़ी दूर उसे जंगल भी दिखाई दे रहा था,छत पूरी तरह से शांत थी ,वो वँहा से नीचे देख पा रहा था,साथ ही उस हवेली की सही संरचना भी उसे तभी समझ आयी,असल में वो हवले वर्गाकार थी,जंहा वो खड़ा था वो एक छोर था ,वर्ग की चारो भुजाओं की तरह कमरे बने हुए थे और बीच में बड़ा सा बरामदा था जो की बाहर से नही दिखता था,वो एक छोर में खड़े हुए दूसरे छोर के कमरों को देख पा रहा था ,जो कमरे खुले हुए वो अपने वैभव की कहानी खुद ही कह रहे थे,

'साला इतने बड़े घर में रहते कितने लोग होंगे,'उसके दिमाग में अनायास ही आ गया ,तभी उसे फिर से झम झम की आवाज सुनाई दी जिस आवाज से भागकर वो यंहा आया था फिर से उसे सुनकर वो डर गया लेकिन फिर उसे याद आया की वो एक अकेली औरत है और कालिया के पास उसे डराने को एक चाकू भी तो है ,वो सतर्क होकर अंधेरे में एक कोने में जा छिपा ..

वो लड़की आयी और छत की एक छोर में जाकर बैठ गई,वो सामने कुछ देख रही थी फिर उसने अपने हाथो से कुछ निकाला और अपने मुह में लगा लिया ,कालिया ने पहली बार किसी औरत कोई सिगरेट पीते हुए देखा था,उसने ठाकुर को ही ऐसा करते हुए देखा था बाकी गांव के लोग तो बस बीड़ी में ही खुस थे ,वो गहरे कस लगाए जा रही थी जैसे किसी गंभीर से ख्यालों में हो ...थोड़ी ही देर हुए थे की उसकी नजर अंधेरे में छिपे हुए कालिया पर पड़ गई ……

"कौन है कौन है वँहा "


कालिया को लगा की जैसे बचने का कोई भी चारा नही है

"मलकीन हम हम हरिया है"

"कौन हरिया और यंहा क्या कर रहे हो पता है ना की यंहा नॉकरो को आने की अनुमति नही है "

"माफ कीजिए मालकिन "

"चलो जाओ यंहा से "

कालिया चुप चाप उठा और वँहा से जाने लगा लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था ,छत में बिछे पानी के एक पाइप में कालिया का पैर फंसा और वो गिर गया साथ ही उसके कपड़े में रखा चाकू उसके कपड़े से निकल कर सीधे उस लड़की के पैरो में गिर गया ,लड़की उस चाकू को तो कभी कालिया को देखती ,इतना बड़ा चाकू देख उसे किसी अनहोनी की असंका जागी वो चिल्लाने को ही हुई थी की कालिया ने फुर्ती दिखाई और जाकर उसे दबोच लिया,उसके मुह को जोरो से बंद कर दिया और पैरो से ही चाकू को उठाकर उसकी गर्दन पर टिका दिया,अब फंस चुका था तो डरना कैसा …

"थोड़ी भी आवाज की तो सीधे गाला रेत दूंगा "

कालिया ने कड़क आवाज में उसके कानो में कहा ,लड़की सिहर गई और शांत हो गई,कालिया ने धीरे से उसके मुह से हाथ हटाया ..

"कौन हो तुम और क्या चाहते हो "

लड़की ने डरे हुए आवाज में पूछा
"मै...क्या करोगी जानकर ..चलो पूछ ही लिया है तो बता दु मेरा नाम कालिया है…"

लड़की जितना पहले डर रही थी कालिया का नाम सुनकर मानो उसका डर ही खत्म हो गया ..

"कालिया,..वही कालिया जिसने इतने सालो बाद ठाकुर को उसकी औकात दिखाई,और जिससे बदला लेने के लिए वो उसकी बहन और बीवी को उठा लाया है,वही गरीबो का मसीहा "

लड़की उसके गिरफ्त से छूट गई थी लेकिन फिर भी कालिया से दूर नही भाग रही थी ना ही उससे डर रही थी बल्कि उसकी बातो में अपने लिए तारीफ सुन कालिया भी हैरान रह गया ..
"तुम तुम कौन हो …"

लड़की ने एक फीकी सी हँसी हँसी ..

"एक अभागन और ठाकुर के जुल्म का एक शिकार ...लेकिन अब लोग मुझे इस हवेली की ठकुराइन बुलाते है ,मैं प्राण ठाकुर की नई पत्नी हु …"

कालिया को याद आया प्राण ने कुछ महीने पहले ही अपनी पहली बीवी के मरने के बाद अपने से आधी उम्र की लड़की से शादी की थी ,
"तुम तो इस हवेली की ठकुराइन हो फिर तुम्हे कैसा दुख "

कालिया ने व्यंग मारा ,लड़की का मुह दुख से भर गया

"ठाकुर ने मेरे पिता के गले में तलवार रखकर मेरा बलात्कार किया था,उसे मैं ज्यादा पसंद आ गई तो वो मुझे हवेली ले आया और अपनी बीवी के मरने के बाद मुझे अपनी बीवी बना लिया,उसके लिए मैं बस हवस मिटाने का एक खिलौना ही हु उससे ज्यादा कुछ भी नही ..दुनिया को शायद लगता होगा की मैं इतने बड़े घर की मालकिन हु ,जमीदार की बीवी लेकिन असलियत तो मैं ही जानती हु,मेरी पिता जी ने मुझे फूलों की तरह पाला था,अच्छे संस्कार दिए थे ,पढ़ाया लिखाया,कालेज तक की पढ़ाई कर मैं नॉकरी कर रही थी ,लेकिन प्राण की नजर मुझपर पड़ गई ,मैं पड़ी लिखी हु शहर की रहने वाली हु शायद इसलिए इसने मुझे अपनी पत्नी का दर्जा दे दिया वरना शायद मैं भी उसकी रखैल बन कर रह जाती …"


लड़की के आंखों से आंसू की बूंदे टपकने लगी ,कालिया कहता भी तो क्या कहता उसे अपने परिवार के दो सदस्यों की चिंता और भी जोरो से सताने लगी …
"मेरी बीवी और बहन कहा है "
लड़की के होठो में एक मुस्कान आ गई

"हर लड़की उनकी तरह खुशकिस्मत नही होती ,मैं तो सुख छोड़ कर इस नरक में आयी थी लेकिन तुम्हारी बहन को तो इसी नरक में मजा आने लगा है ,वो भी बेचारी क्या करे उसने इतने बुरे दिन देखे है ,गरीबी देखी है शायद इन सब सुखों के सामने जिस्म का सौदा उसे छोटा ही लग रहा होगा …"

कालिया उसकी बातो से चौक गया था ,उसके चहरे का भाव देखकर लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया ,चलो तुम्हे दिखती हु,वो उसे अपने साथ नीचे ले जाने लगती है और एक खिड़की के सामने अंधेरे में खड़ी हो जाती है ,कालिया उसके पीछे से अंदर का नजारा देख कर ही दंग हो जाता है,बड़े से पर्दे पर फ़िल्म चल रही थी …

'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना '

कनक तालिया बजा रही थी और रोशनी उसके साथ बैठी हुई थी,दोनो लडकिया किसी रानी की तरह सजाई गई थी जैसे इस वक्त मौजूद प्राण ठाकुर की पत्नी थी ,कनक तो चहरे से ही बहुत खुस दिख रही थी वही रोशनी के चहरे में अलग अलग भाव आ जा रहा था ,कालिया के रगों में खून जोरो से दौड़ाने लगा,उसे समझ ही नही आ रहा था की वो क्या प्रतिक्रिया करे ,वो बस खिड़की से अंदर झांक रहा था……

कालिया देख रहा था की उसकी बहन किसी जिस्म बेचने वाली सस्ती रंडी जैसे हरकत कर रही है,उसके आंखों में आंसू आ गए ,वो भले ही एक डाकू बन गया हो लेकिन था तो वो गांव का एक सीधा साधा इंसान ही जो अपने परिवार से बेपनाह मोहोबत करता था,उसकी आंखों में आया हुआ आंसू झलक कर उसकी आंखों को छोड़कर नीचे गिरा कुछ बून्द जाकर ठकुराइन जिसका नाम पूनम था के कंधे में गिर गया,पूनम उसके सामने ही खड़ी थी ,वो अपना चहरा उठाकर कालिया को देखने लगी वो समझ सकती थी की आखिर कालिया के अंदर क्या चल रहा होगा,जिस परिवार को कालिया ने खत्म करने की सौगंध खाई थी ,उसी परिवार के सदस्य के सामने उसकी ही सगी बहन ऐसे व्यव्हार कर रही है ,हवेली में मिल रहे सुख ने उसे झोपड़ी में सीखी हुई मर्यादाओं को भुला दिया था,पूनम अपना हाथ आगे बड़ा कर कालिया के गालो पर रख दी ,ना जाने को कालिया उसे बेहद ही आकर्षित कर रहा था ,कमरे के अंदर कालिया के परिवार की इज्जत कनक विक्रांत के प्रति आकर्षित हो रही थी तो वही बाहर अंधेरे में खिड़की के पास खड़े विक्रांत के परिवार की इज्जत पूनम कालिया के प्रति आकर्षित हो रही थी,जंहा कनक को विक्रांत के शरीर से उठाने वाला इत्र का गंध मदहोश कर रहा था वही पूनम को कालिया के शरीर से उठाने वाली पसीने की खुश्बू मदहोश किये जा रही थी ,


वो जानबूझकर कालिया से और भी सट गई,प्राण से शादी के बाद कभी भी उसे प्यार तो मिला नही लेकिन साथ ही उसे शरीर का सुख भी प्राण नही दे पाया,जिस्म को नोंचना और शारीरिक सुख दो अलग चीजे होती है,प्राण के शरीर में अब इतना दम था भी नही की वो किसी नई नई जवान हुई लड़की के जिस्म की भूख को मिटा सके ,पूनम के लिए वो भूख कोई मायने नही रखती थी लेकिन फिर भी कालिया के मर्दानगी की खबरे वो कई दिनों से सुनती आ रही थी ,उसे मन ही मन कालिया से एक अजीब सा प्रेम भी हो गया था जिसके बारे में वो खुद भी नही जानती थी ,असल में उसे कालिया में वो शख्स दिख रहा था जो उसके ऊपर हुए अत्याचार का बदला प्राण से ले सकता था,और अवचेतन में छिपा यही आदर या प्रेम या कहे की आकर्षण आज बाहर आ रहा था..

कालिया को भी अब ये महसूस हो रहा था की पूनम कुछ ज्यादा ही उससे सट रही है,लेकिन कालिया के मन में कोई भी गलत विचार उसके लिए नही उठ रहे थे..

लेकिन जब रोशनी को विक्रांत ने खिंचा और अपने से सटा लिया और जब रोशनी की भी आंखे मजे में बंद हो गई कालिया टूट गया और वँहा से जाने को हुआ .पूनम ने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खिंच लिया और अपने से सटा लिया…

पूनम का सर कालिया के छाती में लग गया था और पूनम की भारी छतिया कालिया के विशाल चौड़े सीने से,पूरी तरह से काला कालिया और दूध ही गोरी पूनम एक दूसरे से चिपके हुए अमावस और पूर्णिमा की रात का मिलन लग रहे थे,पुनम की सांसे तेज हो रही थी वही कालिया उसकी इस हरकत से घबरा गया था,

"जब वो तुम्हारे घर की इज्जत से खेल रहे है तो तुम क्यो पीछे हो ,तुम उनकी इज्जत की धज्जियां उड़ा दो "

पूनम ने अपने हाथो को कालिया के सीने के बालो पर फेरा ,कालिया का दिमाग शून्य में चला गया था उसे कुछ भी समझ आना बंद हो चुका था वो फिर से अंदर देखा,विक्रांत उसकी नई नई बीवी को उत्तेजित करने में कामयाब हो गया था ,कालिया को जोरो का गुस्सा आया और वो पूनम को जोरो से अपने बांहो में दबोच लिया ..
"आह "

पूनम को लगा जैसे वो किसी असली मर्द की बांहो में आ गई हो,ऐसी गिरफ्त और वो पसीने से भीगा कालिया का बदन और उसकी मजबूत मांसपेशियां पूनम पूनम के योनि से रिसाव करने को काफी थी,पूनम की कमर कालिया के कमर पर रगड़ खाने लगी ये कैसे हो रहा था ये तो पूनम को भी समझ नही आ रहा था लेकिन वो अपने कमर को जैसे कालिया के कमर से जितना हो सके उतना चिपकाना चाहती थी,कालिया भी उनके पिछवाड़े में उठे हुए पर्वत जैसे नितंबो को पकड़कर अपने कमर से और भी जोरो से दबा देता है…

पूनम की दबी ही सिसकी निकली ,कालिया की आंखे लाल थी वो गुस्से से बौखलाया था रोशनी अभी भी विक्रांत की बांहो में मदहोश सी पड़ी थी ,
कालिया ने पूनम की साड़ी को उठा लिया,पूनम की साड़ी कमर तक उठ चुकी थी कालिया ने अपने पंजे से पूनम के दोनो जांघो के बीच को दबोच लिया,
"आह नही "

पूनम उत्तेजना के मारे जैसे मर रही थी वो अपना सर कालिया के कंधे पर गड़ा गई,वो जोरो से सिसकियां ले रही थी ,कालिया ने अपने धोती से अपने लिंग को निकाला और सीधे ही पूनम के जांघो के बीच दे मारा,लेकिन वो भूल गया था की शहर की लडकिया नीचे कुछ कपड़ा भी पहनती है,उसका लिंग पूनम की पेंटी के ऊपर से ही पूनम के योनि में प्रहार कर गया,पूनम तो पूरी तरह से टूट गई वो जोरो से चिल्लाना चाहती थी उसे लगा जैसे किसी ने लोहे का रॉड उसके योनि में मार दिया हो,लेकिन अपनी आवाज को दबाने के लिए उनके अपना खुला हुआ मुह कालिया के कंधे में गड़ा दिया और दांतो को उसके मांस पर गड़ा दिया,कालिया कोई जब समझ आया की एक और कपड़ा पूनम के योनि में है वो हाथो को लेजाकर उसे थोडा साइड हटा कर फिर से अपने लोहे के सरिए जैसे लिंग को उसकी योनि में टिकाया जो अभी पूरी तरह के गीली हो चुकी थी और उसे एक ही झटके में पूनम के अंदर उतार दिया,कालिया का झटका इतना तेज था और उनका गांव का मजबूत लिंग पूनम की नाजुक योनि के लिए इतनी बड़ी थी की वो छिल कर खून फेक दी ,वो दर्द में झटपटा गई लेकिन उसका मुह बस खुला का खुला ही रह गया ,दर्द और आश्चर्य के मारे उसके मुह से आवाज तक ना निकली ...कालिया ने तुरंत ही उसके मुह को अपने हाथो से दबा दिया ताकि उसकी चीख उसके हाथो में ही घुट जाए,पूनम की आंखों में आंसू था,और कमरे के अंदर रोशनी ने अपने को विक्रांत से छुड़ा लिया था और अपने आंसुओ को पोछती हुई भागी थी ,

ये दोनो ही आंसू कालिया लिये उसकी गलती का अहसास दिलाने वाले साबित हुए वो तुरंत ही पूनम से अलग हो गया,पूनम ने अंदर देखा और समझ गई की कालिया उससे अलग क्यो हो गया,लेकिन उसके होठो में मुस्कान थी वो अपना कपड़ा थोड़ा ठीक की और कालिया जो अभी हुए हादसे से उभरा भी नही था के कानो के पास अपने होठो को लाई
"सच में तुम असली मर्द हो ,कितना बड़ा और कठोर है तुम्हारा ,तुम्हारे साथ मजा आएगा "

पूनम की बात से जंहा कालिया बुरी तरह से झेंपा वही पूनम उसे झेंपता हुआ देखकर हल्के से हँस पड़ी ……..
"रोशनी कहा है "
कालिया ने कहा और पुनम मुस्कुरा दी
"इतनी जल्दी क्या है अभी तो विक्रांत तुम्हारी बहन के साथ मस्त है अभी वो तुम्हारी बीवी को नही सताएगा,ऐसे भी रोशनी विक्रांत के लिए बल्कि प्राण ठाकुर के लिए लाई गई है,.."
पूनम ने कालिया को चिढ़ाया और कालिया ने गुस्से में पूनम का मुह दबा लिया
"वो मेरी है और मेरी ही रहेगी"
कालिया के आंखों में शोले दधक रहे थे,और पूरा शरीर ही गुस्से से जल रहा था,लेकिन पूनम उससे थोड़ी भी नही डरी ,बल्कि उसके आंखों में थोड़े आंसू जरूर आ गए
"बहुत प्यार करते हो तुम अपनी रोशनी से ...लेकिन कालिया तुम विक्रांत को नही जानते वो उसे बदल देगा,तुमने देखा की वो आज ही बहकने लगी थी ,कुछ दिनों में वो विक्रांत के रंग में रंग जाएगी फिर विक्रांत उसे प्राण के सुपुर्द कर देगा,शायद वो प्राण की दूसरी बीवी बना दी जाए…"
पूनम के आंखों में दर्द का आंसू था ,और कालिया के दिमाग में एक अजीब सी शांति,तूफान से पहले और बाद एक गहरी शांति छा जाती है वही शायद इस समय कालिया के दिमाग में था ,
"मुझे क्या करना चाहिए"
पूनम के चहरे में फिर से एक मुस्कान आई,
कालिया उससे पूछ रहा था की उसे क्या करना चाहिए इसका मतलब साफ था की कालिया पूनम पर भरोसा करने लगा था ,
"तुम मुझपर भरोसा कर पाओगे ??"
पूनम ने व्यंग्यात्मक रूप से कालिया से पूछा
"इसलिए पूछ रहा हु ,शायद इस समय मैं सिर्फ तुमपर ही भरोसा कर सकता हु"
कालिया की बात सुनकर पूनम थोड़ी आश्चर्य में पड़ गई ,शायद उसने सोचा ही नही था की कालिया भी इतना जहीन और समझदार होगा…
"ऐसा क्या है मुझपर जो तुम सिर्फ मुझपर भरोसा दिखाने की बात कर रहे हो.."
कालिया के होठो में हल्की सी मुस्कान आई
"तुम्हारे आंसू झूठे नही थे ,ना ही अभी है ...मैं ज्यादा पड़ा लिखा तो नही हु लेकिन इतनी तो समझ है मुझे "
कालिया की बात सुनकर पूनम भी मुस्कुरा उठी .
"अच्छा तो पहले ये करो की यंहा से जाओ ,लेकिन पहले अपनी प्यारी रोशनी से मिलना ना भूलना ,उससे मिलने का बंदोबस्त मैं कर दूंगी लेकिन सम्हाल कर यंहा तक तो शांति है लेकिन उन दोनो के पहरे में बहुत से लोग लगा रखे है ठाकुरों ने…"
रोशनी से मिलने का नाम सुनकर ही कालिया झूम उठा ..
"ज्यादा खुस होने की जरूरत नही है अभी तो तुम बस उसे देख पाओगे,वो वँहा अकेली नही होगी ना ही मुझे ही उसके पास जाने की इजाजत है तो बस देख पाओगे बस,बात करवाने का मैं बाद में इंतजाम करूंगी "
कालिया का चहरा फिर से मुरझा गया लेकिन फिर भी वो इतने में ही खुस था की उसे ये पता लग जाए की उसकी बहन और बीवी को आखिर किस कमरे में रखा गया है ,और कैसे रखा गया है,वो बाद में और आदमियों के साथ जाकर उन्हें वँहा से निकालने का प्रयास कर सकता थ
 
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रोशनी के जाने से विक्रांत के चहरे में एक मुस्कान आ गई थी ,वो अपने खेल में सफल हो रहा था,वही कनक उसके सीने को जमकर चाट रही थी ,विक्रांत को तो अभी भी यकीन नही हो रहा था की कालिया की बहन इस किस्म की निकल जाएगी उसके लिए उसे कोई भी महेनत नही करनी पड़ी…
वो कनक के सर को पकड़ कर उसे नीचे ले जाने लगा,कनक विक्रांत के शरीर को चाट रही थी ,और विक्रांत एक एक कर अपने कपड़े खोल रहा था ,उसे कनक की जीभ से अपनी मसाज होने में बहुत ही मजा आ रहा था ,
कनक नीचे जाती गई और अपने हाथो से ही विक्रांत को नंगा करने लगी ,वो विक्रांत की कमर के पास थी ,पेंट खोलने के साथ ही साथ विक्रांत का मोटा ताजा जवान लिंग फुंकार मरता हुआ कनक के चहरे से टकराया,
विक्रांत की हँसी छूट गई वही कनक उसे एकटक देखती रही.
"कभी देखा नही है क्या "
"देखा है लेकिन पहली बार इतने पास से देख रही हू…"
विक्रांत की भौ चढ़ गई
"किसका देख ली तू रांड"
कनक शर्मा गई और थोड़ी घबरा भी गई उसे लगा की जोश में गलत बात मुह से निकल गई
"अरे बोल ना अब भी शर्मा रही है "
"वो वो भइया का जब वो भाभी के साथ …"
कनक का चहरा पूरी तरह से लाल हो गया था शायद उस दिन की बातो को सोचकर ,वही विक्रांत के दिमाग में एक चित्र घुमा ,गोरी चिट्टी रोशनी के ऊपर काला कलूटा कालिया ,और नाजुक सी रोशनी के ऊपर कालिया का विशाल और मजबूत शरीर ...एक सिहरन सी उसके शरीर में दौड़ गई ,मानो वो घबरा गया हो
"कैसा है तेरे भइया का .."वो रूखे हुए स्वर में बोला ,लेकिन कनक जैसे सपने में खो गई थी ,वो जागी ..
"बहुत बड़ा, काला और बिल्कुल लोहे जैसा दिखता है .."कनक का मुह खुल गया था जिसे देखकर विक्रांत को ना जाने क्यो लेकिन बहुत ही जलन हुई ,वो कनक का सर पकड़ कर उसके खुले हुए मुह में अपने अकड़े हुए लिंग को भर दिया ,
"मादरचोद इससे भी बड़ा है क्या …"
कनक गु गु कर रही थी ,विक्रांत ने पहली बार इस तरह के कनक पर जोर जबरदस्ती की थी ,थोड़ी ही देर में उसे जैसे होशं आया की वो क्या कर रहा है ,वो कनक के सर को छोड़ा वो खुद के व्यवहार से ही आश्चर्य में था लेकिन ये तो वो भी समझ रहा था की एक बेहद ही जलन भरा अहसास उसे हुआ था जो शायद उसे जीवन में पहली बार हुआ था ,उसने हमेशा ही अपने को हर चीज में आगे पाया था,यंहा तक की प्राण से भी आगे वो खुद को मानता था और जंहा बात सेक्स की हो उसे आजतक यही लगता था की उसका औजार ही सबसे मजबूत और बड़ा और वो किसी भी लड़की को अपने जाल में फंसा सकता है...लेकिन
लेकिन पहले रोशनी ने उसका ये भरम तोड़ दिया ,उसे कुछ खास दुख नही हुआ क्योकि वो जानता था की वो रोशनी को कभी भी पा सकता है लेकिन अब कनक की बात ने उसे सच में जला दिया था उसे लगा की शायद इसी लिए रोशनी उसके पास नही आयी क्योकि उसका पति उससे ज्यादा मजबूत है …
कनक भी आश्चर्य से उसे देख रही थी जो की बहुत ही तेजी से हांफ रहा था ..
"हा दूर से तो ऐसा ही लगता था की भइया का वो तुमसे बहुत बड़ा है ,भाभी तो उसे दो हाथो में भी नही समा पाती थी ,"कनक के चहरे में उसे जलाने वाली मुस्कान आयी ,विक्रांत को लगा जैसे किसी ने बिजली का झटका दे दिया हो,वो एक घुमा कर चाटा कनक के गालो में लगा दिया,उसका उठा हुआ लिंग ना जाने कैसे मुरझा गया था वो लाल हो चुका था और अपने अंदर उठ रहे शैलाब से बुरी तरह से परेशान भी..
उसे खुद का व्यवहार ही समझ नही आ रहा था और इसलिए वो और भी बौखला गया था ,वो तुरंत ही उठकर तेजी से कमरे के बाहर निकल गया,
कनक के होठो में उसकी स्थिति को देखकर एक बड़ी ही रहस्यमय मुस्कान आ गई ,जैसे उसे विक्रांत की कमजोरी का पता चल गया हो………..
 
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कालिया एक कमरे में बड़े ही बेताबी के साथ घूम रहा था ,थोड़ी देर बाद ही पुनम वँहा आयी,
"कहा है रोशनी …"
कालिया की बेचैनी उसके आवाज से ही पता चल रही थी
"अच्छी है तुम्हारी रोशनी फिक्र मत करो"पूनम हल्के से हँसी
"तुम्हारी बेचैनी सही है कालिया लेकिन अभी तुम्हे थोड़ा तो धैर्य धरना होगा ,ये कमरा सभी के नजर के बाहर ही है और तुम यंहा खिड़की से आ जा सकोगे,बाहर ताला पड़ा होता है इसलिए यंहा कोई आता भी नही मैं तुम्हारी रोशनी को यंहा तक लाने का प्रयास करूंगी,लेकिन अभी नही अभी वो ही बहुत पहरे में है,,,"
पूनम की बात तो कालिया को सही लगी लेकिन उसके दिल में अभी एक डर था जो उसने पूनम के सामने रख दिया
"लेकिन इतने दिनों में अगर उसे कुछ हो गया तो.."
पूनम कालिया को ध्यान से देखती है उसे भी पता था की ठाकुरों का कोई भरोसा नही है की कब उनका हवस जाग जाए ..
"तुम्हरी रोशनी को कोई चोट तो यंहा नही लगने दी जाएगी लेकिन हो सकता है की उसके जिस्म से खेला जाए ,जो माहौल अभी है मुझे नही लगता की रोशनी के मर्जी के बिना प्राण या विक्रांत उसे छूने वाले है "
"वो कभी नही मानेगी "
कालिया गरजा ,लेकिन पूनम के होठो में मुस्कान आ गई
"वो तो तुम्हे आज ही दिख गया था …..कालिया जिस्म का कोई भरोषा नही की वो कब मचल जाए ,और रोशनी की आज की हरकतों से तो मुझे लगता है की वो भी जल्दी ही बहक जाएगी ,और बस एक बार की देर है फिर इस रास्ते से वापस नही आया जा सकता .."
कालिया गहरे सोच में पड़ गया था
"तब तो मुझे जल्द ही कुछ करना होगा,"
"क्या करोगे ,यंहा से उसे ले जाओगे ,ले जा सकते हो ,तुम्हारा आना मुमकिन हो सकता है लेकिन उसको यंहा से ले जाना ,,,,दोनो मारे जाओगे ,और उसमे तुम्हारे तरह ताकत और लचक काबिलियत नही है की वो इस बड़े दीवार को खुद जाए …"
कालिया जानता था की रोशनी को ले जाना उसके लिए मुसीबत बनने वाला था …
"लेकिन मैं उससे अभी मिल तो सकता हु ना "
पूनम थोड़ी देर सोचते रही .
"तुमने एक चीज गौर की कालिया तुम इतने देर से बस रोशनी की ही बात कर रहे हो ,कनक के बारे में तुमने कुछ पूछा ही नही .."
कालिया का चहरा मायूस हो गया था
"उसे यंहा की खुसिया ही भा गई है तो पूछने का सवाल ही पैदा नही होता,शायद मेरी परवरिश में ही खराबी थी जो उसे झोपड़ा नही महल को चुन लिया,एक भाई की नजर से देखु तो लगता है की अगर वो यंहा रहे तो ही सही है ,कम से कम खुस तो रहेगी जो उसे बचपन से चाहिए था वो सब उसे यंहा मिल जाएगा,बचपन में वो बोला करती थी उसे महल में रहना है ,नॉकर चाहिए,दौलत की भूख तो उसे हमेशा से थी लेकिन गरीबी ने सब कुछ मार दिया था शायद इसलिए वो अपने को समर्पित कर गई और थोड़ा भी नही सोचा …."
कालिया के आंखों में आंसू थे ,पूनम उसके पास गई और उसके कंधे पर अपना हाथ रखा,
"कोई बात नही शायद उसे ये चकाचौंध पसंद आ रहा होगा लेकिन कब तक ,और मैं तुमसे ये पूछना चाहती थी की अगर रोशनी को भी ये सब पसंद आ रहा हो तो ,या आने लगा तो ...तो क्या तुम उसे भी अपने साथ नही ले जाओगे "
कालिया बुरी तरह से चौक गया ,ये सच भी हो सकता था …
"क्या तुम देखना चाहोगे की अखिर क्या रोशनी को ये सब पसंद आ रहा है या नही …"
कालिया अवाक था .,,
"मैं चाहती हु की तुम अभी उससे मत मिलो अगर तुम चाहो तो उसे देख जरूर लो ,क्या पता उसे भी इस शानोशौकत की आदत लग जाए और तुम जिस पत्नी को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नही कर रहे हो वो पहले वाली लड़की ही ना रह जाए ...ये भी हो सकता है की वो तुम्हारे साथ जाने से ही माना कर दे,या अगर पत्नी धर्म निभाते हुए अगर तुम्हारे साथ चले भी जाए तो भी हमेशा अपने फैसले पर दुखी रहे …"
कालिया बुरी तरह से मचल गया था ,वो बेचैनी से पूनम की बात को सोचने लगा,उसका दिल कहता था की रोशनी ऐसा नही करेगी लेकिन क्यो नही ???
अगर उसे ऐसा शानो शौकत मिलता तो क्या वो छोड़ देता,अपने परिवार के लिए क्या वो ये सब छोड़ देता,..???
कालिया इसी सोच में था ,
परिवार के लिए ये शब्द उसके दिमाग में घुमा,
'कौन है परिवार मेरा या रोशनी का सिर्फ मैं ही तो ऐसा बच गया हु जिसे वो परिवार कह सकती है …
या शायद मैं भी नही ,....
रहता ही कितने दिन हु उसके साथ ,दिया ही क्या है आजतक उसे ,सिर्फ दर दर की ठोकरों के सिवा,क्या वो फिर से सारी जिंदगी ऐसे ही जीने के लिए मेरे साथ चली आएगी,जबकि यंहा उसे सारे सुख मिलेंगे,जिस्मानी सुख भी …'
जिस्मानी सुख की सोच कर कालिया के रग रग में खून का प्रवाह तेज हो गया ,चहरा तमतमा गया ,वो किसी और के बांहो में रोशनी की कल्पना भी कैसे कर सकता था वो भी तब जब रोशनी खुद ही अपना जिस्म किसी को सौप दे …
लेकिन ये होने ही वाला था अगर रोशनी यंहा रहती है तो आज नही तो कल ये होकर ही रहेगा ,...ये भी हो सकता है की रोशनी मेरी ही राह देख रही हो ,और अगर मैं उसके सामने ना आऊ तो फिर उसके सामने फिर और क्या रास्ता बचेगा सिवाय इसके की वो मर जाए या फिर प्राण की रखैल बन कर रहे …
"नही नही मुझे उसके सामने जाना ही होगा वो भी मेरी ही प्रतीक्षा कर रही होगी "
कालिया जोरो से बोल गया ,पूनम उसे देखती रही..
"ठीक है अगर तुम यही चाहते हो ठीक है ,लेकिन मेरी बात पर भी गौर करना "
"मैं के सब कुछ सोच कर ही बोल रहा हु ,अगर उसे यंहा का सुख पसंद हो तो मैं उसे यही छोड़ कर चला जाऊंगा लेकिन अगर वो मेरे साथ आना चाहे तो दुनिया की कोई भी ताकत मुझे नही रोक पाएगी ,लेकिन पहले मुझे उसे भी ये बताना होगा की मैं उसे लेने आ चुका हु और आज नही तो कल उसे लेकर ही जाऊंगा …"
कालिया के चहरे पर आये दृढ़ निश्चय के भाव को देखकर पूनम भी कुछ नही कह पाई ,और बस उससे बिदा लेकर एक दरवाजे से बाहर चली गई ……...
कालिया पूनम के साथ हो लिया ,पूनम के दिमाग में बस यही चल रहा था की आखिर कैसे कालिया को रोशनी से मिलवाया जाए ,वो कालिया को एक दासी की साड़ी देकर उसे पहनने को बोलती है ,कालिया ने अपनी धोती के ऊपर पेटीकोट डालकर और बनियाइन के ऊपर ब्लाउज डालकर वो साड़ी पहन लेता है,लेकिन उन बड़ी हुई दाढ़ी और मूंछो का क्या करे ,पूनम की हँसी उसे देखकर ही नही रुक रही थी ,वो मर्दाना शरीर का मालिक था और कुछ भी करने पर भी वो किसी औरत की भांति नही दिख पा रहा था,पूनम ने दिमाग दौड़ाया और घूंघट डालने को कहा ,घूंघट डालने के बाद भी उसके शरीर का क्या किया जाए पूनम को समझ ही नही आ रहा था,फिर भी उसने रिस्क लेने की सोची और उसे अपने साथ साथ रोशनी और कनक के कमरे की ओर ले गई,,..
वो पहले ही जाकर अपनी विस्वस्त दासी को उस कमरे में रखवा चुकी थी ताकि समय पड़ने पर वो काम आये क्योकि पूनम का भी उस कमरे में जाना सम्भव नही था केवल चुनी हुई दसिया ही उस कमरे के लिए निर्धारित की गई थी जिसमे से एक पूनम की खास थी,
पूनम ने उस दासी के साथ ही कालिया को भी उस कमरे की ओर भेज दिया ,उसे किसी दाई का नाम दे दिया जो वैसे ही मर्दाना ढंग के थी और औरतो की मालिश किया करती थी ,साथ ही हमेशा घूंघट में ही रहती थी,दासी को समझा दिया गया था की कह दे की इसका मौन चल रहा है और उपवास है,बाकी प्राण अगर पूछे तो कह दे की विक्रांत ने मालिश के लिए भेजा है और विक्रांत अगर पूछे तो कह दे की प्राण ने भेजा है,क्योकि वो दोनो ही ऐसी छोटी छोटी बातो पर कोई ध्यान ही देते थे,
कालिया कमरे में आ चुका था ,वो दासी बाकियों से बात में उलझी हुई थी,
"आओ दाई इस कमरे में आओ "कालिया दूसरी दासी के पीछे हो लिया ,कालिया ने जितना देखा था वो समझ गया था की आखिर क्यो कनक यंहा की दीवानी हुई जा रही थी,अभी वो उनके बाथरूम में थे जंहा बड़ा सा टब था जिसमे दो तीन आदमी आराम से आ सकते थे,हल्के कुनकुने पानी में गुलाब के फूल तैर रहे थे जिससे रोशनी का शरीर ढंका हुआ था ,शायद उसने कोई भी कपड़े नही पहने हुए थे,
जितना बड़ा वो बाथरूम था उतना बड़ा तो कालिया का पूरा घर भी नही था ,आलीशान तब और बड़ा सा रोशनदान जंहा से धूप छनकर आ रही थी,इत्र की खुश्बू से कालिया का नाक ही भर गया था,लगा की वो स्वर्ग में है ,
कालिया ने रोशनी को देखा ,वो आंखे बंद की हुई आराम से लेटी हुई थी जैसे उसे दुनिया की कोई भी खबर या फिक्र ना हो,उसके सर के पास बैठी हुई एक दासी उसके कंधों को हल्के हल्के से मालिश कर रही थी,उसे देखकर ही कालिया का मनोबल थोड़ा टूट गया,
'सच में वो कितने सुख में है 'उसने अपने मन में कहा
तभी कमरे का दरवाजा खुला और कनक वँहा आयी,उसे अपने जालीदार घूंघट से देखकर ही कालिया के होशं उड़ गए ,
'क्या भगवान अब यही दिन देखना बच गया था 'वो फिर से मन ही मन रो पड़ा ..
कनक पूरी तरह से नंगी थी और हल्के हल्के से हंसती हुई आकर रोशनी के साथ उस टब में लेट गई …
"क्या भाभी मजा आ रहा है.."कनक खिलखिलाई
तभी वँहा पूनम की चहेती दासी भी आ गई और सर झुकाकर एक ओर खड़ी हो गई ,कनक उसे देखने लगी दोनो की नजर मिली और दोनो ने हल्के से मुस्कान आपस में बिखेर दी..
कनक की बात सुनकर कालिया को और भी पीड़ा पहुची थी,उसकी भी बहन उसकी ही बीवी से ऐसी बात कर रही थी..
रोशनी ने आंखे खोली उसकी आंखे लाल थी ,और चहरा शांत ..
"चाहे कितनी भी सुख दुविधा मिल जाए लेकिन …...तेरे भइया के साथ झरने में नहाने का मजा थोड़ी ही आएगा .."
वो दुखी थी जो उसकी आवाज से ही पता चल पा रहा था लेकिन वो रो नही रही थी ,शायद बहुत रो चुकी थी ,
"ओह तो भइया का काला लंड याद आ रहा है मेरी भाभी को .."
कनक फिर से जोरो से हँस पड़ी
रोशनी बुरी तरह से शर्मा गई साथ ही कालिया भी …
कनक ने रोशनी की मालिश कर रही दासी को वँहा से भेज दिया,अब कमरे में बस पूनम की दासी ,कनक रोशनी और कालिया थे..
"ऐसे भइया की तरह ही तगड़ा लंड हमारे विक्रांत बाबू का भी है,देखा ना कैसे पकड़े हुए थे आपको .."
कालिया तो बुरी तरह ही हिल गया ये उसकी बहन थी जिसे उसने गोद में खिलाया था,वही आज अपनी भाभी को बेवफाई के लिए उकसा रही है...कालिया गुस्से से भर गया लेकिन कुछ भी नही कह पाया ..
"चुपकर कुछ भी बोलती है और तुझे कैसे पता की तेरे भइया का वो …"रोशनी शर्मा गई जिसे देखकर कालिया और भी गुस्से में भर गया ,साली दोनो एक सी है ,उसने मन में ही कहा
"जब आप और भइया करते थे तो मैं भी छुपकर देखा करती थी ..
"छि बदमाश कैसी लड़की है तू "रोशनी पहली बार खिलखिला कर हँसी वही कालिया को तो अपने कानो पर विस्वास ही नही हो रहा था,जिसे वो अपनी सीधी साधी बहन समझता है जिसे दुनिया के कोई टेढ़े चाल नही पता वो तो एक …
कालिया आगे की बात नही सोचना चाहता था ..
"तेरे भइया कहा है कनक क्या वो हमे भूल गए है क्या वो यंहा नही आएंगे …"
कालिया को लगा की वो तुरंत ही अपना घूंघट निकाल दे ,वो ऐसा करने ही वाला था की एक हाथ ने उसे रोक लिया वो हाथ उस दासी का था जिसे पूनम ने कालिया के साथ भेजा था..
"उन्हें अब भूल भी जाओ भाभी ,विक्रांत तुम्हारा दीवाना है तुम्हे रानी बना कर रखेगा,उस कंगाल के पास तुम्हे क्या मिलेगा तुम विक्रांत के साथ हो जाओ और बस ऐश करो ,वैसे भी उसका लौड़ा भी तुम्हारे कालिया के बराबर का ही है .."
कनक और हंसती इससे पहले ही एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर पड़ गया ये झापड़ रोशनी का ही था,वो गुस्से में लाल थी लेकिन कनक को जैसे कोई भी प्रभाव नही पड़ा वो अभी भी मुस्कुरा रही थी,
"भाभी ऐसे भी भइया यंहा आने से रहे और विक्रांत के पास बहुत पैसा है हम दोनो ही ऐश करेंगे …"
कनक की आंखों में भी पानी था लेकिन फिर भी उसकी बातो में शरारत थी,
रोशनी उसके चहरे को देखती ही थी पता नही क्या था उस चहरे में जो वो खामोश हो गई ,तभी वो दासी बोल उठी
"अरे मालकिन कहा विक्रांत साहेब इनको छू पाएंगे ,ये तो प्राण साहब की रखैल बनाने लायी गई है "
कालिया से अब रहा नही गया वो अपना घूंघट खोलकर सबके सामने आ गया ,जिसे देखकर रोशनी कुछ कहने ही वाली थी लेकिन कनक ने उसका मुह दबा दिया ,रोशनी की आंखों में बस पानी था वो कालिया को और कालिया उसे देखे जा रहे थे ..
कालिया कुछ कह पाता इससे पहले ही रोशनी ने उसे चुप रहने का इशारा किया.पता नही ये क्या हो रहा था लेकिन कालिया ने कुछ भी नही कहा ,वो अपनी बीवी और बहन की आंखों में पानी और प्यार को देख सकता था ,लेकिन उसे बड़ा आश्चर्य भी हो रहा था की ये वही कनक है जो आंखों में उसके लिए इतना प्यार लिए हुए भी ये सब बोल पा रही थी …
"अरे विक्रांत साहब को तुम नही जानती ,उन्हें जो पसंद आ गया उसे वो ले कर रहेंगे,और ऐसे भी उन्हें भी तो ये साबित करना है की उनका लंड हमारे कालिया भइया से मजबूत है और वो तो भाभी के चुद में जाने से ही पता चलेगा की कौन सा लंड ज्यादा मजबूत है .."
कनक ने दासी की बात का जवाब दिया लेकिन ये सब बोलते हुए उसने अपना सर नीचे कर लिया था,वो कालिया से नजर नही मिला पा रही थी ,कालिया को समझ आ चुका था की ये सब किसी ना किसी खेल का ही कोई हिस्सा है जिसे कनक और वो दासी मिलकर खेल रहे है और साथ ही उन्होंने रोशनी को भी मिला लिया है,रोशनी बस कालिया को देख रही थी उसके आंखों से निर्झर आंसू बह रहे थे लेकिन मुह से कोई भी आवाज नही आ रही थी ..
"लेकिन प्राण साहब कैसे मानेगे…"उस दासी की आंखों में भी ये सब देखकर आंसू आ चुके थे.
"वो तो विक्रांत ही जाने "
कनक ने हल्के से आवाज में कहा
"मैं दोनो की नही हो सकती किसी एक की होंगी अगर उन्होंने जबर्दस्ती करने की कोशिस की तो मैं अपनी जान दे दूंगी ..ऐसे भी उस बुड्ढे प्राण में रखा ही क्या है ,मुझे भी विक्रांत पसंद आया लेकिन ...इतनी जल्दी हा भी कैसे कहु "
रोशनी इतना ही बोल पाई साथ ही जब वो विक्रांत पसंद आया बोली तो अपना सर कालिया को देखकर ना में हिला रही थी,कालिया को उसपर बड़ा ही प्यार आया ,वो उसकी ओर बढ़ने ही वाला था की रोशनदान से एक साया सा दिखने लगा ,कालिया को समझते देर नही लगी की हो ना हो रोशनदान के पीछे कोई है ,वो झट से अपना घूंघट लगा लेता है ,और रोशनी के पास जाकर बैठ जाता है और उसके हाथो को पकड़ कर मालिश करने लगता है ,रोशनी के साथ साथ उस दासी और कनक के चहरे में भी एक मुस्कान खिल गई …
"लेकिन दोनो में से एक की होगी कैसे ???"
वो दासी फिर से बोली
"मुझे क्या पता ..दाई चलो मेरे पूरे शरीर की अच्छे से मालिश करो मुझे बड़ा थका थका लग रहा है ,मुझे क्या करना है जो मुझे जीतेगा मैं तो उसकी हो जाऊंगी .."
रोशनी का चहरा अब खिल गया था और वो ये बोलते हुए थोड़ी हँसी थी ,
कालिया ने थोड़ा जोर लगाकर उसके कंधे को मसाला
"आह ..थोड़ा धीरे करो दाई "रोशनी की आह में बहुत ही प्यार भरा हुआ था,वो मचल गई थी ..कालिया का हाथ फिसलकर उसके स्तनों तक जा पहुचा ,वो हल्के हल्के उसे मसलने लगा .रोशनी ने उसे झूठे गुस्से से देखा और हल्के हाथो की चपत कालिया के कंधे पर मार दी ..
कनक और दासी इसे देखकर मुस्कुरा उठे…
"लगता है भाभी तुम खून खराबा करवाओगी …"कनक हँस पड़ी साथ ही रोशनी और दासी भी..
"चलो तुम दोनो जाओ यंहा से मुझे दाई से अच्छे से मालिश करवानी है ,अब विक्रांत ही जाने की उसे मुझे कैसे पाना है ,मैं भी देखती हु की इतनी बड़ी बड़ी बात करने वाले ठाकुर के सीने और लंड में आखिर कितनी ताकत है ,देखती हु अपने भाई के सामने खड़ा भी रह पायेगा या फुस्सी फटाके की तरह फुस हो जाएगा …"
रोशनी की बात पर बाकी दोनो लडकिया भी खिलखिला गई ,
"ठिक है भाभी ...दाई इनका अच्छे से मालिश करना हम दोनो बाहर जा रहे है "कनक इतना बोलकर रोशनदान का पर्दा खिंच देती है और कमरे में थोड़ा अंधेरा हो जाता है ,दोनो ही खिलखिलाकर बाहर निकल जाती है और साथ ही रोशनदान से वो छाया भी खिसक जाता है ……...
 
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कालिया वापस जा चुका था, कालिया के चहरे में एक खुसी थी जो उसके सबसे अच्छे साथी चिराग सिंग को समझ ही नही आ रही थी …
देसी दारू की बोलत लिया हुआ कालिया अपने में ही हँस रहा था,
"अबे तुझे क्या हो गया ,कनक और भाभी ठाकुर के गिरफ्त में है ,तेरे मां बाप को ठाकुर ने मार दिया और तू यंहा देसी पी कर मुस्कुरा रहा है .."
कालिया ने हल्के से हंसते हुए उसे अपने पास बैठा लिया और पूरी कहानी बता दी ,चिराग कालिया के बचपन का दोस्त था,दोनो साथ ही बड़े हुए थे,ऐसे उसे इन सब को सुनकर खुस होना था लेकिन उसका चहरा तमतमा गया था,जिसे देखकर कालिया चुप हो गया …
"क्या हुआ तू यू गुस्से से क्यो भर गया"
"तू नामर्द है ...अपनी बीवी और बहन को रंडी बनाना चाहता है,क्या विस्वास की वो जो सोच रहे है कर ही पायेगें अगर नही कर पाए तो ..और भाभी तो बच ही जाए लेकिन कनक ,वो इतना गिर सकती है मैंने सोचा ही नही था…"
उसके आंखों में आंसू थे ,जो कालिया के समझ के परे था,
"चिराग मेरे दोस्त तू ही बता की हम क्या कर सकते है .."
कालिया ने चिराग के कंधे पर हाथ रखा …
"मैं कनक को ये सब नही करने दूंगा ,तिवारी भइया से बात करता हु…"
चिराग के कनक की इतनी फिक्र करता देख कालिया कुछ सोच में पड़ गया,आज उसे समझ आया था की चिराग राखी के दिन उसके घर क्यो नही जाता था,वो उसकी मा को अपनी मा की तरह मानता था और पिता को अपना पिता ,उसने हमेशा ही रोशनी को मा जैसा दर्जा दिया लेकिन फिर भी वो कभी कनक को बहन नही कह सका...कालिया के होठो में एक मुस्कुराहट तो आयी लेकिन उसमे दर्द ही दर्द था,वो समझ चुका था की चिराग कनक से महोब्बत करता है….

"ये एक जाल है ,वरना हवेली में घुसना इतना आसान तो नही हो सकता "
डॉ चुतिया गंभीर थे,
"वही तो मैं भी इसे समझा रहा हु "चिराग बोल पड़ा
दोपहर का वक्त था और झील के किनारे जंहा जंगल की देवी की छोटा सा मंदिर था एक गुप्त सभा हो रही थी जिसमे तिवारी और डॉ चुतिया भी शामिल थे …
"लेकिन मुझे तो कोई भी ऐसी बात नही लगी जिसमे खतरा हो.."
"यही तो समझ के परे है की ठाकुर इतना बेफिक्र कैसे हो सकता है जब की उसके पास परमिंदर जैसा वजीर हो "
डॉ का तर्क कालिया के भेजे में घुस गया ..
"तो अब.."
कालिया के साथ साथ बाकी के सभी सदस्य डॉ की ओर देखने लगे
"हम्म्म्म तो अब….अगर उसने तुम्हारी जासूसी की होगी तो यकीन मानो की उसे सब कुछ पता होगा की तुम किससे किससे मिले क्या क्या किया ,लेकिन फिर भी उसने तुम्हे सही सलामत जाने दिया इसका मतलब है की वो तुम्हारे जरिये हवेली में छुपे अपने सभी दुश्मनों ढूंढना चाहता है,वरना और तो कोई कारण नही दिखता,अब वो अपनी बीवी पर भी नजर रखे होगा,मेरे ख्याल से अगर अभी प्राण से सबसे ज्यादा खतरा किसी के है तो वो है पूनम को होगा …
तो हमे पहले उसके जाल का फायदा उठाना चाहिए और अपना जाल उसके जाल से बदल देना चाहिए …"
डॉ की बात सुनकर सभी भौचक्के थे ..
"उसका जाल यानी वो तुम्हे हवेली में उस खास रास्ते से आने जाने से नही रोकेगा...मतलब की कोई ऐसा होगा जिसे तुम्हारे आने का पता होगा,फिर तुम हवेली में जंहा जाओगे वहां भी तुम पर नजर रखने को कोई होगा,ठाकुर को हवेली के गद्दार चाहिए मतलब की वो ये सब काम अपने कुछ खास लोगो से ही करवा रहा है ,सभी को इसके बारे में नही पता,तो अगर तुम उसके उन खास लोगो को पहचान लो जो की तुमपर नजर रखने के लिए नियुक्त किये गए है तो ……."
"तो….."
कालिया समझने की कोशिस कर रहा था
"तो तुम कनक और रोशनी को आराम से बाहर ला सकते हो,क्योकि ठाकुर ने उस एक जगह पर ही पहरा हटाया है ताकि तुम्हारे आने का पता सिर्फ उसके खास लोगो को ही पता चल पाए...तो अगर वो खास लोग ही ना रहे हो फिर नजर कौन रखेगा ,तुम्हारा रास्ता साफ होगा ,क्योकि ठाकुर ने खुद ही उस जगह से पहरा हटाया है ……"
कालिया तो झूम गया लेकिन डॉ ने उसे रोका
"ये काम एक दिन में नही हो सकता की तुम उन लोगो को पहचान पाओ तो तुम्हे बहुत ही धैर्य रखना होगा साथ ही इस बात की भनक की हमे ठाकुर के इरादे का पता है किसी को नही होना चाहिए तुम वैसे ही जाओगे जैसे कल गए थे ,बिल्कुल ही छुपकर ,और बाहर से तुम्हारा कोई आदमी इस बात की नजर राखेगा की तुम्हारे जाने से वँहा क्या क्या परिवर्तन होता है ,ताकि उसके लोगो का पता चल सके की वो कहा छुपे हुए है,और हा ये कुछ दिन तक रोज करना होगा क्योकि तभी साफ पता चल पायेगा की कितने लोगो को ठाकुर ने इस खास काम के लिए नियुक्त किया हुआ है….."
डॉ की बात पर सभी ने सर हिला दिया ..
"लेकिन उसका क्या जो पूनम और कनक सोच रही थी की भाई से भाई को लड़ा दिया जाय .."कालिया को अभी भी ये लगता था की वो प्लान भी सही है..
डॉ उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया
"ठाकुर प्राण सिंह इतना बड़ा चुतिया नही है की एक लड़की के लिये अपने भाई को मार दे...लेकिन हा अगर विक्रांत लड़की के चक्कर में आकर प्राण को मारने की कोशिस करे तो ये जरूर होगा की विक्रांत नही बचेगा ...तो उनके चक्कर को छोड़ो,तुम रोशनी ,कनक और पूनम तीनो को बाहर ले आओ…"
कालिया ने हा में सर हिलाया
 
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फोन के घनघनाने की आवाज से अजय का ध्यान टूटा और साथ ही चम्पा का भी ..
अजय ने अपने फोन को अजीब निगाह से देखा
"साला यंहा तो टॉवर ही नही मिलता और आज जब इतनी इंटरेस्टिंग कहानी सुन रहा हु तो पता नही कहा से फोन आ गया "
अजय ने फोन काट कर फिर से चम्पा की ओर देखा
"तुम्हे ये सब कहानी लग रही है ,जाओ मैं कुछ नही बताती "
"अरे मेरी जान मेरा मतलब वो नही था ,मैं जानता हु की ये सब सच में हुआ था .."
तभी फोन फिर से बजा ,अजय ने उसे उठा लिया
"क्या जी सर "वो अब खड़ा हो चुका था
"जी जी जी सॉरी सर जी सर…"
उसने फोन काटा
"इसकी मा की "
"क्या हुआ ??"चम्पा के चहरे में एक डर आ गया
"कुछ नही बस साली मोंगरा ने फिर से एक कांड कर दिया .."
"क्या हुआ …???"
"SP साहब का फोन था,विक्रांत की बीवी को मार दिया गया है जो की शहर में रह रही थी ,"
"नही बुआ …"चम्पा खड़ी हो गई उसके आंखों से आंसुओ की धार टपकने लगी
"बुआ ????? विक्रांत ठाकुर की पत्नी यानी कनक "
चम्पा ने हा में सर हिलाया
"कैसे "
"अभी कुछ नही बता सकती आप जल्दी जाओ ..और ये काम मोंगरा का नही हो सकता वो बुआ से बहुत ही प्यार करती थी ,ये काम जरूर ठाकुर ने किया होगा "
वो सुबक रही थी ,
"मोंगरा ठाकुर को कभी नही छोड़ेगी "
चम्पा ने सुबकते हुए ही कहा ,कुछ देर के लिए अजय बस उसे देखता ही रह गया ……


शहर का थाना प्रभारी जांच में जुटा हुआ था ,अजय के जाते ही पहले उसने उसे पकड़ लिया ,
"अबे यंहा इतना बड़ा कांड हो गया तू अभी आ रहा है .."
"अरे सर मुझे जैसे ही पता चला मैं दौड़ा चला आया ,लेकिन ये तो आपके एरिये का केस है मुझे क्यो बुलाया "
"क्योकि वो डकैत तो तेरे एरिये की है ,और जमीदार साहब ने इस्पेसल तुझे बुलवाया है …जल्दी जा साहब भड़के हुए है "
अजय को पहले तो सभी ने अजीब निगाह से देखा लेकिन जब ठाकुर ने उसे अपने पास बुलाया और उसके कन्धे पर हाथ रखा सभी की आंखे और भी फैल गई ..
"उसे पकड़ने की कितने करीब पहुचे ??"
ठाकुर का पहला प्रश्न था
"समझलीजिये साथ ही सोता हु "
ठाकुर ने अजय को अजीब निगाहों से देखा
"जब कालिया को आप अपने घर में ही नही पकड़ पाए तो थोड़ा धैर्य रखिये अभी अभी तो आया हु,थोड़ा समझने तो दीजिये ,इतने सालो में क्या हुआ ,कनक आखिर विक्रांत की बीवी कैसे बन गई ???"
प्राण के होठो में मुसकान आ गई
"लगता है तुम ये काम कर ही लोगे जिसके लिए तुम्हे बुलाया गया है,आज तक किसी को ये बात पता नही चल पाई थी की कालिया मेरे घर आता था,तुमने तो बहुत कुछ पता कर लिया "
अजय थोड़ा हंसा
"सब इसका कमाल है "
उसने नजर नीचे करके अपने पेंट की तरफ इशारा किया ,प्राण भी हँस पड़ा लेकिन फिर उसे ख्याल आया की वो कहा है ,प्राण अजय को ले कर थोडा दूर हट गया ..
"इसी के चक्कर में मेरे भाई ने उस रांड से शादी कर ली,साला मुझे मरना चाहता था आज देखो ,खुद की बीवी मरी पड़ी है और लड़कियों के जैसे रो रहा है…"
अजय ने उस ओर देखा एक अधेड़ आदमी सिसक रहा था साथ ही एक और लड़की थी जो उम्र चम्पा जितनी ही लग रही थी वो भी उससे लिपटे हुए रो रही थी,
"ये विक्रांत और उसकी बेटी है…"
"ह्म्म्म तो कनक को अपने मरवाया है .."
अजय ने मुस्कुराते हुए प्राण की ओर देखा
प्राण के चहरे में भी मुस्कुराहट आ गई
"बहुत खूब तुम आदमी तेज हो ,साली बहुत तकलीफ दे रही थी,हवेली और जायजाद तो पहले ही छोड़ दिया था इन्होंने,भाई की खातिर इन्हें जिंदा भी रखा और यंहा घर भी दिया,इनकी बेटी को भी कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करवाया , लेकिन पता चला की इसने मोंगरा को शरण दिया था ,और वो यंहा रह कर मुझे मारने की प्लानिंग कर रही थी ,साला अब मेरे बेटे से नही रहा गया ,ठोक दिया साली को "
अजय ने फिर से उस लड़की की तरफ देखा ,बड़ी ही मासूम थी लेकिन आंखे लाल ..शायद रो रो कर या फिर गुस्से में ???
वो अजय को ही घूर रही थी ,जैसे उसे खा जाएगी ..
अजय ने तुरंत ही आंखे मोड़ ली ..
"मुझे इस लड़की के तेवर कुछ सही नही लग रहे "
अजय तुरंत ही प्राण से कह गया
"जानता हु,गुस्सा तो उसके खून में है,विक्रांत की बेटी जो है ..और जब उसकी मा का कातिल उसके सामने खड़ा हो तो गुस्सा तो उसे आएगा ही "
अजय चौका ..
"मतलब उसे पता है "
"इन दोनो के सामने ही तो मारा था ,लेकिन फिक्र मत करो कोई कुछ नही कहेगा,विक्रांत का एक छोटा बेटा भी है जो की होस्टल में रहता है और हमारी निगरानी में है ,बाकी तो तुम समझ ही गए होंगे "
अजय मन ही मन ठाकुर को गालियां देता है लेकिन चहरे में बस एक मुस्कान ले आता है ,और फिर से उस लड़की को देखता है ,उसे देखकर ही उसे आभस हो गया की कनक कितनी सुंदर रही होगी ,पतली दुबली सी लंबी लड़की बड़ी बड़ी आंखों वाली,दूध सी गोरी लेकिन अभी चहरा लाल था ,उसके तेवर से ही लग रहा था की वो कितनी गुस्सेल है,लेकिन फिर भी अजय को बहुत ही प्यारी लगी,उसकी साली जो थी …
प्राण अजय को देखता रहा
"क्या हुआ लड़की भा गई क्या "
अजय बुरी तरह से झेंपा
"फिक्र मत कर अगर मेरा काम कर दिया तो दोनो तेरे "
"दोनो ???"
"हा तेरी चम्पा और ये साली रांड की औलाद भावना ,रखैल बना कर रख लेना दोनो को .."
'भावना 'अजय ने मन में ही दोहराया ,लेकिन उसे प्राण पर गुस्सा भी आया ,क्योकि भावना रिश्ते में उसकी बेटी जैसे थी …
 

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