Adultery खूबसूरत डकैत(completed)

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शाम रात में बदलने लगी थी और हवेली में एक सन्नाटा छा गया था ,
रणधीर मोंगरा के कमरे की ओर जा रहा था लेकिन कुछ आवाजो ने उसे खिड़की के पास ही रोक दिया ..
खिड़की पूरी तरह से बंद नही थी और आवाजे साफ थी …
रणधीर ने हल्के से धक्का लगाया और खिड़की खुलती गई ..
अंदर का नजारा देख कर रणधीर के दिल में एक जोर का झटका लगा……..।
अंदर मोंगरा उसी कपड़ो में लेटी थी जिसमे वो आज उसके साथ थी ,और बलवीर उसके बिल्कुल ही बाजू में सोया हुआ था,
बलवीर ऊपर से नंगा था उसके चौड़े सीने में उगे हुए घने बाल उसकी मर्दानगी बता रहे थे जिससे मोंगरा खेल रही थी ,
मजबूत लोहे सा जिस्म था,अपनी जवानी के पूरे शबाब में दोनो ही काम के साक्षात पुतले लग रहे थे..
मोंगरा की आंखों में मदहोशी थी जो साफ साग बता रही थी की उसके मनोदशा इस समय क्या होगी ..
उसकी साड़ी का पल्लू बिस्तर से नीचे लटक रहा था और ब्लाउज के कुछ बटन खुले हुए थे,पसीने उसके गले से उतर रहा था,सांसे तेज थी ,चहरे की लालिमा बढ़ी हुई और आंखों में मदहोशी..
मोंगरा ने अपने होठो को बलवीर के छतियो में लगा दिया,वो उसे बड़े ही प्यार से चूम रही थी,बलवीर ने अपनी मजबूत भुजा से उसे कस लिया मोंगरा जैसी धाकड़ लड़की की भी आह निकल गई ..
"तुम्हे नही पता की आज मैं कितना जला हु तुम्हारे लिए तुम्हे किसी और के बांहो में देखने से बड़ी सजा क्या हो सकती है .."
मोंगरा ने आंखे उठाकर उन मासूम आंखों को देखा जो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थे ..
और ऊपर उठाकर उसके होठो में अपने होठो को मिला दिया ,
रणधीर के दिल में जैसे खंजर चल गया हो..वो दर्द से तिलमिला उठा..
"मैं किसी के साथ भी रहु लेकिन रहूंगी तुम्हारी ही मेरी जान ,आज मेरा कौमार्य तुम्हारे हाथो से टूटेगा,ये अधिकार मैं तुम्हे ही दे सकती हु .तुम्ही सच्चे मर्द हो ..."
रणधीर को रोना ही आ गया ,लेकिन वो अब और भी विस्मय में था क्योकि जब मोंगरा ने जब ये कहा की तुम्ही सच्चे मर्द हो तो वो खिड़की की ओर देख कर मुस्कुराई ..
रणधीर को इस बात पर विस्वास ही नही हो रहा था की मोंगरा ये जानते हुए भी बलवीर की बांहो में थी की वो उसे देख रहा है ..
मोंगरा की कातिलाना अदा बिना किसी हथियार के भी किसी को मारने को काफी थी ,रणधीर को ये अपने आंखों का धोखा ही लगा..
मोंगरा बलवीर को उकसा चुकी थी और बलवीर ने उसे अपने नीचे डाल लिया,वो जानवरो सा उसके ऊपर टूट पड़ा..
एक ही झटके में उसके सीने को ब्लाउज से आजद कर दिया ,और उसकी साड़ी निकाल फेंकी..
मोंगरा अब बस एक पेटीकोट में थी और बलवीर के विशाल शरीर के नीचे मचल रही थी ,
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु मोंगरा ,तुम मेरी हो मेरी हो …"
बलवीर उसके पूरे चहरे को चूमने लगा,
मोंगरा का हाथ ऊपर था जिसे बलवीर के मजबूत हाथो में थाम रखा था,वो उसके उरोजों को चूमे जा रहा था,उसका दूध पीने की पूरी जिद में था,
मोंगरा की सिसकियां बढ़ते ही जा रही थी ,
बलवीर उठा और उसने अपने नीचे के वस्त्रों को निकाल फेका,उसके नाग की फुंकार ने रणधीर को भी डरा दिया था,उसकी आंखे और भी फट गई थी,मोंगरा भी उसे बिना पलक झपकाए देख रही थी ..
"तुम सच में सच्चे मर्द हो बलवीर "
मोंगरा ने उसके लिंग को हाथो से भरा और अपनी ओर खिंच लिया ,बलवीर की कमर अब लेटी हुई मोंगरा के होठो के पास थी बलवीर की आंखे बंद थी ,मोंगरा एक बार फिर खिड़की की ओर देखते हुए मुस्कुराई और खिड़की की ओर देखते हुए ही होले से बलवीर के ताजे लिंग को अपने होठो से सहलाकर अपने मुह में ले लिया,बलवीर मानो सुख के सातवे आसमान में पहुच चुका था…
"आह मेरी मोंगरा "उसका हाथो मोंगरा के सर पर अपने ही आप आ चुका था,मोंगरा भी अब खिड़की को देखना बंद कर चुकी थी उसकी आंखे भी बंद हो चुकी थी वो इतनी तन्मयता से बलवीर का लिंग चूस रही थी मानो समय रुक गया हो और मोंगरा के पूरे प्राण उसी एक काम में लग गए हो …
बलवीर का गीला लिंग अब और भी चमक रहा था,मोंगरा ने अपने पेटीकोट का नाडा खुद ही खोल दिया .अंदर बालो से ढकी हुई योनि को देखकर बलवीर उसपर ही टूट पड़ा,उसके होठ मोंगरा के योनि को पूरी तरह से सहला रहे थे…
"आह आह मैं मर जाऊंगी बलवीर आह ..मेरी जान "
मोंगरा की सिसकियां बढ़ने लगी थी ,थोड़ी ही देर में उसका बदन अकड़ा और वो निढल होकर गिर गई …….
कुछ देर उसकी आंखे बंद ही रही लेकिन फिर बलवीर के उंगली के योनि में घुसने के आभस से उसने आंखे खोली उसके होठो में मुस्कुराहट थी उसने फिर से खिड़की की ओर देखा ..
बेचारा रणधीर अपने प्यार को किसी और के हाथो लूटते हुए देख रहा था,लेकिन उसके लिंग ने जैसे बगावत करार दी थी वो झुकने का नाम ही नही ले रहा था,लिंग अपने पूरे शबाब पर था,उसकी अकड़ से रणधीर को दर्द तक होने लगा था,उसने अपने कपड़े के कैद से उसे आजद कर दिया और अपने हाथो में भरकर उसे सहलाने लगा…….
इधर बलवीर ने अपनी थूक मोंगरा की योनि को गीला कर दिया था,वो एक उंगली आसानी से अंदर बाहर कर रहा था,लेकिन अब भी उसमे इतनी जगह नही थी की उसका मूसल उस छोटी सी छेद में जा सके ,वो और थूक का सहारा ले रहा था,जब उसे लगा की ये भी काफी नही होगा वो घी ले आया और अपनी उंगलियों में लगाकर अच्छे से योनि में जगह बनाने लगा,मोंगा दर्द और मजे के सामूहिक सम्मेलन से मदहोशी और दर्द से भरी हुई सिसकियां ले रही थी ..
बलवीर अब उसके ऊपर छा गया था और अपने लिंग को घी से भिगो चुका था,चमकता हुआ उसका लिंग मोंगरा के योनि के द्वार को खोलने को तैयार था,पहले उसने योनि में हल्के हल्के ही लिंग को सहलाया और आराम से अंदर करने लगा…..
"आह बलवीर नही ही…….."
मोंगरा की चीख सी गूंज गई जो जल्द ही बलवीर के मुह में दब गई ,वो उसके होठो को अपने होठो में भर चुका था,लिंग अंदर जाता गया और मोंगरा मानो बेहोश होते गई लेकिन बलवीर उसे प्यार से सहला रहा था,मोंगरा ने आंखे खोली और बलवीर के होठो में अपने होठो को भर लिया ,दोनो ही मदहोशी में एक दूसरे को चूम रहे थे,बलवीर भी धीरे धीरे धक्के को बड़ा था रहा ,दोनो का ही पहली बार था दोनो ही एक दूसरे के प्यार में गुम हो रहे थे,
मोंगरा ऐसे खो गई जैसे दुनिया अब उसके लिए खत्म हो गई हो ,धक्के तेज होते गए और मोंगरा और बलवीर के मुह से निकलने वाली आवाजे भी ……..
तूफान जब शांत हुआ दोनो ही पसीने से पूरी तरह से भीग चुके थे और बलवीर ने अपना पूरा दम मोंगरा की कोख में छोड़ दिया था……
और रणधीर ने दीवार पर ……
रणधीर ने जब खुद को देखा तो वो अपनी ही स्तिथि पर शर्म और ग्लानि से भर गया,वो दौड़ाता हुआ भागा,वही मोंगरा और बलवीर अपने ख्वाबो की दुनिया में मस्त एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे.
 
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"अब तो मेरा बेटा ही मेरा दुश्मन बना बैठा है परमिंदर समझ नही आ रहा की क्या किया जाय .."
परमिंदर चुप ही था,प्राण नशे की हालत में था ..
"उस मोंगरा को रास्ते से हटाना ही होगा ,मैं भी अपने अहंकार में आकर उस नागिन को दूध पिला रहा था,साली तो लाते ही मार देना था,चलो अब भी समय है उसे मार कर कही फेक दो …"
परमिंदर अब भी चुप था
"क्या हुआ चुप क्यो हो .."
"ठाकुर साहब उसने सिर्फ आपके बेटे पर ही नही मेरे बेटे पर भी काबू कर रखा है ,बलवीर के रहते उसे मरना मुश्किल ही है .."
"तो फिर क्या किया जाए ???"
"अगर इन दोनो के कारण ही वो मर जाए तो …"
"मतलब "
"मतलब की उसे हवेली से बाहर भेज दो रणधीर के साथ और बाहर से आदमी बुला लेते है ,वो लोग उस पर नजर रखने के लिए कहो …,मौका पाकर वो लोग उनपर हमला कर देंगे और रणधीर को भी शक नही होग की
हमने हमला करवाया है ...और उसे हम बतलायेंगे की आपके दुश्मनों ने मोंगरा को मार डाला …."
प्राण सोच में पड़ जाता है..
"क्या दिन आ गए है ,अपने ही बेटे पर हमला करवाना पड़ेगा,लेकिन क्या वो ये बात मान लेंगे की उसे हमने नही किसी और ने मारा है "
"फिक्र मत कीजिये बलवीर भी उनके साथ जाएगा ,यंहा से तो दोनो अकेले ही निकलेंगे लेकिन मैं बलवीर को जानता हु वो मोंगरा को रणधीर के साथ अकेले नही जाने देगा ,वो उनके पीछे जाएगा ही ,इसी दौरान उसके दिमाग में ये बात डाल देंगे की वो लोग ठाकुर के बेटे को मारने आये है,बलवीर मोंगरा को बचाने जरूर जाएगा ….और इन सबकी लड़ाई में मॉंगरा पर कोई गोली चला देगा ……."
प्राण की फिक्र थोड़ी कम हुई ..
"ठीक है जो करना है करो लेकिन रणधीर और मोंगरा बाहर जाएंगे क्यो ??"
"आप उसे वो शहर वाले फार्महाउस को देखने अकेले भेज दीजिये ,मोंगरा का साथ पाने के लिए वो उसे भी साथ ले जाएगा ,आग तो उसे लगी ही है…..आज नही बुझा पाया तो कोई दूसरा मौका तो ढूंढेंगे ही .."
प्राण के चहरे में मुस्कान आ गई ………
 
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"लेकिन अकेले ही क्यो ,बलवीर भी साथ चले तो क्या दिक्कत है "
मोंगरा ने रणधीर के प्रस्ताव पर कहा …
"क्योकि मुझे अधूरा काम पूरा करना है ,और बलवीर के रहते मैं कुछ भी नही कर पाऊंगा .."
"ओहो ऐसी बात है,लेकिन याद है मैंने कहा था की मुझे असली मर्द चाहिए और तुम तो अपने बाप के सामने कांपने लगते हो .."
मोंगरा खिलखिलाई
"मोंगरा अगर तूम यही चाहती हो तो ठीक है मैं तुम्हे इस हवेली के ही बंधन से आजाद कर दूंगा ,अब चलोगी मेरे साथ .."
मोंगरा रणधीर को देखती रही ...और उसके गले से लग गई ……..


दोनो ही एक कार में बैठे जा रहे थे,जंहा मोंगरा पूरी तरह से मस्ती के मुड़ में थी वही रणधीर बेहद ही गंभीर दिख रहा था,
"इतने चुप क्यो हो ,कल तो बहुत कुछ करने को उतावले थे.."
"कुछ नही कुछ देर में ही पता चल जाएगा.."
रणधीर ने कार रोड से उतार दी और जंगल की तरफ ले गया ,कुछ दूर जाने के बाद गाड़ी रुकी ..
"यंहा क्यो रोक दिए …"
"थोड़ी दूर में एक झरना है "
"ओह तो जनाब झरने में मजे लेना चाहते है …"मोंगरा के होठो में कातिल सी मुस्कान आयी लेकिन रणधीर अब भी चुप ही था
मोंगरा को ये उन्मुक्त वातावरण बेहद ही भा रहा था वो खुसी से इधर उधर दौड़ रही थी ..
"अरे वँहा खड़े हुए क्या देख रहे हो आओ ना "
मोंगरा चिल्लाई ,रणधीर धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा,जब वो उसके थोड़ा नजदीक गया मोंगरा का ध्यान उसके चहरे पर गया..
वो कांप रहा था,पूरी तरह से लाल
"क्या हुआ तुम्हे "
मोंगरा रणधीर की तरफ आने लगी
"रुक जाओ मेरे पास मत आना "
मोंगरा चौकी क्योकि रणधीर ने उसके ऊपर पिस्तौल तान दी थी
"ये ..ये क्या कर रहे हो ठाकुर साहब ..ये कैसा मजाक है "मोंगरा ने कांपती हुई आवाज में कहा
"मजाक तुम इसे मजाक कहती हो ??मजाक तो तुमने मेरे साथ किया है मोंगरा..मैं तो तुमसे प्यार करने लगा था लेकिन तुम ...तुमने मुझे धोखा दिया ,तुम उस बलवीर के साथ ,वो भी तुम्हे पता था की मैं तुम्हे देख रहा था.."
मोंगरा के होठो में कातिल मुस्कान खिल गई ..
"क्यो मजा आया ना ..सच में बलवीर सच्चा मर्द है"
रणधीर का गुस्सा सातवे आसमान पर था और उसके हाथ भी कांपने लगे थे …
"पिता जी सही कहते थे ...तू है ही रंडी …."
 
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बलवीर हवेली दूर एक चाय की टापरी में बैठा हुआ रणधीर के गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा था ,उसे पता था की आज रणधीर मोंगरा को अकेले ले जा रहा है ,लेकिन वो मोंगरा को अकेले तो नही छोड़ सकता था ,
वो एक मोड़ पर उसकी गाड़ी का इंतजार कर रहा था ताकि मौका देखकर वो उनके पीछे एक किराए की बाइक से लग जाए ..
तभी कुछ लोग वँहा आ गए ,और टपरी के पीछे बैठ कर शराब पीने लगे ,वो लोग 5 बाइक में थे ,
करीब 10 लोग थे ,दिखने से ही गुंडे जैसे लग रहे थे,उन्हें पहले बलवीर ने नही देखा था शायद वो किसी दूसरी जगह से थे ,
"सालो जल्दी करो ठाकुर का बेटा आता ही होगा .."
"खबर तो पक्की है ना तेरी वरना साला हम यंहा बैठे ही रह जाएंगे और वो आएगा ही नही .."
"अरे अंदर की खबर है फिक्र मत कर अपनी रांड के साथ जा रहा है अय्याशी करने उसके ही चेले में बताया है .."
बलवीर के कान उनकी बात से खड़े हो गए ,वो अपनी गाड़ी उठाकर वँहा से चला गया,उसके जाते ही वो एक दूसरे को देखने लगे
"साले ने सुना की नही .."
"फिक्र मत कर उसके चहरे से ही लग रहा था की उसने सुन लिया है .."


रणधीर के गाड़ी के 3 बाइक चल रहे थे जिनमे के दो तो उन गुंडों के थे जिन्हें पर्मिदंर ने बुलाया था ,और एक था बलवीर वो सबसे पीछे चल रहा था ,वही गाड़ी के सामने 2 और बाइक थी ,सभी गुंडे एक दूसरे से वायरलेस की मदद से बात कर रहे थे ,वही उनके साथ वायरलेस की मदद से जुड़ा हुआ पर्मिदंर भी पल पल की खबर ले रहा था ……
रणधीर की गाड़ी जंगल में मुड़ने से सभी घबरा गए क्योकि सब ने सोचा था की वो मोंगरा को फार्महाउस ले जाने वाला है …
सभी उसके पीछे लग गए और जब उनकी गाड़ी रुकी तो वो भी कुछ दूर में ही रुक गए ,उन लोगो को ये भी पता था की बलवीर भी उनके पीछे है ,बलवीर गाड़ी एक कोने में लगाकर देखने लगा लेकिन जब उसने देखा की रणधीर मोंगरा के ऊपर पिस्तौल ताने खड़ा है तो वो दौड़ा …
"हमारी क्या जरूरत ये तो ठाकुर का बेटा ही उसे मारने पर तुला है "
एक आदमी ने वायरलेस से पूरी बात पर्मिदंर को बतलाई ..
"चलो अच्छा ही हमारे हाथ गंदे नही होंगे "परमिंदर भी मुस्कुराया और अगले ही पल…
"रणधीर नही …"
दौड़ता हुआ बलवीर मोंगरा की ओर आ रहा था ,बलवीर को देखकर रणधीर और भी घबरा गया और पिस्तौल से गोली चला दी जो सीधे जाकर मोंगरा के सीने में लगती गई ,खून की धार फुट पड़ी और बलवीर स्तब्ध सा बस उसके गिरते हुए बढ़ने को देखने लगा,वो दौड़ाकर उसे सम्हाला …
अब भी मोंगरा के होठो में मुस्कान थी वो प्यार से बलवीर के गालो को सहला रही थी ,...
रणधीर स्तब्ध खड़ा हुआ था,
पर्मिदर वायरलेस में चिल्लाया ..
"सालो देख क्या रहे हो रणधीर को वँहा से बाहर निकालो वरना बलवीर उसे मार डालेगा ..फायर करो "
वो लोग तेजी से सक्रिय हुए और रणधीर को खिंचते हुए अपनी बाइक में बिठा लिया …
"मादरचोद रुक ……."
बलवीर उनके पीछे दौड़ने को हुआ लेकिन गोलियां चलने लगी और मोंगरा ने बलवीर का हाथ थाम लिया ..
"मुझे छोड़कर मत जाओ बलवीर .."
बलवीर रुका और देखते ही देखते मोंगरा की आंखे बन्द हो गई ,रह गई तो बस बलवीर की चीखे जो पूरे जंगल को दहला रही थी ………
 
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"हैल्लो हल्लो काम हो गया,रणधीर की गोली से मोंगरा मारी गई ,लेकिन बलवीर की हालत ठीक नही है ,..."
एक दूसरा जासूस वायरलेस से परमिंदर से बात कर रहा था..
"कोई बात नही वो ठीक हो जाएगा ,रणधीर को कुछ दिनों के लिये छिपाना पड़ेगा ,तुम आ जाओ और किसी के नजर में मत आना .."
परमिंदर ने प्राण को देखा जो उसकी बात सुन रहा था,आज प्राण के चहरे में वो खुसी थी जो पहले कई दिनों से कभी नही आयी थी …
 
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रणधीर को कही छिपा दिया गया था ताकि वो बलवीर के कोप से बच सके लेकिन बलवीर का भी कोई पता नही चल पा रहा था…

इधर

कालिया जंगल के अपने ठिकाने में बेचैनी के साथ घूम रहा था,चिराग सिंग और शंभु भी बेचैन लग रहे थे ..

कुछ देर के इंतजार के बाद उन्होंने किसी के आने की आहट सुनी और सामने जो था उसका चहरा देख कर कालिया और रोशनी दोनों ही झूम उठे …

"बापू ...मा….."

मोंगरा दौड़ाते हुए जाकर दोनों से लिपट गई थी ,आज उसने पहली बार इन्हें सामने से देखा था,दोनों ही अपनी बेटी को जितयन प्यार दे सकते थे दे रहे थे,साथ ही आया बलवीर भी अपने आंखों में पानी लिए सब कुछ देख रहा था और फिर आयी चंपा जिसे देखकर बलवीर और मोंगरा का मुह ही खुल गया…

"ये तो बिल्कुल मेरी तरह ही दिखती है …"मोंगरा तुरंत अपनी बहन के गले से लग गई ,

"हा बस एक अंतर है इसके ठोड़ी में ये तीन बिंदिया बनाई गई है जिसे सरदार ने बचपन में ही बनवा दिया था.."

पूरा परिवार फिर से मिल चुका था ,सभी खुश थे तभी कालिया एक आदमी की तरफ मुड़ा

"अरे भवानी जा जाके ठाकुर को बता दे की मेरी बेटी अब मेरे साथ है ,उसका सपना अधूरा का अधूरा ही रह गया लेकिन अब मेरा सपना पूरा होगा ,ठाकुर की मौत का सपना …"

कालिया जोरो से हँस पड़ा था ………

****************

कहने के लिए भवानी ठाकुर का जासूस था लेकिन उसे जासूस कालिया ने ही बनवाया था ,ठाकुर उसे पाइसके देता था कालिया की जासूसी करने के लिया और वो कालिया का ही एक वफादार था,भवानी के चहरे में परेशानी साफ दिख रही थी ,वही परमिंदर और ठाकुर भी इस वाकये से बौखला गए थे,

"आखिर ये हुआ कैसे .."

अभी तक उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था की आखिर रणधीर ने जब मोंगरा को मार दिया था तो वो जिंदा कैसे बची वही परमिंदर इस चिंता में था की उसका बेटा भी मोंगरा के प्यार में पड़कर अब उसे ही धोखा दे गया ,

"ठाकुर साहब ये मोंगरा की ही चाल थी ,जब रणधीर मोंगरा को थियेटर ले गया था तब भी वो अपने प्लान में काम कर रहे थे,वंहा बलवीर कालिया के एक आदमी से मिला था और उसे मोंगरा का प्लान समझाया था ,रणधीर तो मोंगरा से अय्याशी करने में ही बिजी था,आखिर मोंगरा ने रणधीर को भड़का दिया ताकि वो उसे मारने की सोचे ,बलवीर ने उसके पिस्तौल में नकली गोलियां डाल दी थी ,रही सही कसर अपने उन दोनों को बाहर भेज कर पूरी कर दी ……….."

भवानी की बात से ठाकुर बुरी तरह से बौखला गया था ,वो परमिंदर की ओर ही देख रहा था ..

"तुम्हारे खून ने तो अच्छा धोखा दिया हमे "

परमिंदर क्या कहता लेकिन उसकी आंखे नीची नही हुई थी …

"ठाकुर साहब हमारे खून में ही वफादारी है,जैसे मैं आपके लिए वफादार हु वैसे ही मेरा बेटा उस मोंगरा के लिए वफादार है ,उसने अपनी वफादारी निभाई और मैंने अपनी ,लेकिन मुझे लगता है की अब मैं और ये काम नही कर पाऊंगा,मैं आपके लिए किसी की जान ले सकता और अपनी जान दे भी सकता हु लेकिन …..लेकिन मैं अपने बेटे की जान कैसे लूंगा,अब तो वो भी कालिया गिरोह का ए सदस्य बन गया है "

ठाकुर ने जीवन में पहली बार परमिंदर की आंखों में आंसू देखे थे ..

"तुम मेरे लिए आज भी उतने ही मूल्यवान हो परमिंदर ,अगर तुम भी मेरा साथ छोड़ दोगे तो मैं टूट ही जाऊंगा "

ठाकुर का अहंकार जैसे आज टूट सा गया था लेकिन परमिंदर ने जैसे फैसला कर लिया हो ..

"मुझे माफ कर दीजिए ठाकुर साहब ,मैं अपनी बाकी की जिंदगी चैन से गुजरना चाहता हु ,इन सब से दूर ,मैं अपने ही बेटे को मारने की साजिश में अपनी बाकी जिंदगी नहई गुजार सकता ,आपने मुझपर बहुत भरोसा किया है ,मुझे जानकर अच्छा लगा की आप की नजरो में मेरी इतनी कद्र है लेकिन ...लेकिन मुझे माफ कीजिये "

ठाकुर परमिंदर को रोकना तो चाहता था लेकिन परमिंदर के फैसले के सामने वो भी मजबूर हो गया था ,वो अपना सबसे अच्छा सिपहसालार को खो रहा था ……….


वर्तमान में

"ह्म्म्म फिर परमिंदर गया कहा "

अजय के मुह से अचानक ही निकल गया

"कोई नही जानता.सिवाय बलवीर के लेकिन उसने कभी किसी को नही बताया की परमिंदर आखिर गया कहा ,शायद वो अपनी बाकी की जिंदगी चैन से जीना चाहता था ,"

"यानी बलवीर से वो फिर से मिला ???"

"सुना है एक बार उसने बलवीर को अपने पास बुलाया था लेकिन उन दोनों में क्या बातचीत हुई और वो कहा गया था ये किसी को नही पता "तिवारी की बात से अजय को सकून मिला ..

"फिर फिर क्या हुआ ..?"

तिवारी के चहरे में अजय के उत्तेजना को देखकर एक मुस्कान आ गई

"वही जो नियति को मंजूर था,ठाकुर बौखला गया था और कालिया के पीछे पड़ गया था वही उसने कनक की मदद से चंपा ,मोंगरा और बलवीर को इन सबसे दूर शहर भेज दिया ,कालिया के पास ये समय था की ठाकुर पर पूरे जोर से प्रहार किया जाए क्योकि उसके पास परमिंदर अब नही था,दोनों की लड़ाई तेज हो गई लेकिन नशीब को कुछ और ही मंजूर था,ठाकुर को पता चल गया की भवानी असल में उसकी नही कालिया की जासूसी करता है और इसी का फायदा उठा कर वो कालिया के ठिकाने तक पहुच गया ,कालिया मारा गया साथ ही रोशनी भी पूरा गैंग ही तबाह हो गया …"

तिवारी ने एक गहरी सांस ली

"फिर .."

अजय की उत्सुकता और भी बढ़ गई थी …

"फिर …….फिर मोंगरा और बलवीर वापस आये .."

तिवारी के होठो में एक मुस्कान थी ….
 
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हम दोनों बाहर ही थे की चंपा की आवाज आयी ..

"अब आप लोग अंदर आ जाइये रात बहुत हो गई है "

तिवारी हमसे बिदा लेकर अपने घर जा चुका था..

और मैं अब चंपा की बांहों में था…

"तुमने मुझे कभी बताया नही की तुम शहर में रहती थी "

"हा मेरी पढ़ाई वही हुई थी ,ठाकुर से बचने के लिए बाबूजी ने मुझे शहर भेज दिया था,लेकिन जब बाबूजी को ठाकुर ने मार दिया और मोंगरा और बलवीर वापस आ गए तो मेरा शहर में रहना भी दुर्भर हो गया...ठाकुर के आदमी हमे सभी जगह तलाश कर रहे थे,वो तो मुझे भी मार ही देते लेकिन तुमने मुझे बचा लिया "

चंपा की बात सुनकर मैं थोड़ा चौक गया ..

"क्या??क्या कहा की मैंने बचा लिया "

इस बार चंपा मुस्कुराई

"ठाकुर को पता था की मैं किसी जंगल के सरदार के पास नही बल्कि शहर में रहती हु और अपनी पढ़ाई कर रही हु,मैं भावना(कनक की बेटी) के ही कालेज में थी,इधर चंपा का आतंक फैल रहा था और वही ठाकुर को मेरी कोई सुध नही थी की कालिया की कोई दूसरी बेटी भी है ,मैंने मुम्बई से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और .."

"वाट द फक ...तुम ...तुमने इंजीनियरिंग की है .."

ये ऐसे था जैसे मेरे सर पर किसी ने कोई बम्ब फोड़ दिया हो ,मैं जिसे आजतक इस जंगल की भोली भाली लड़की समझ रहा था वो तो मॉर्डन लड़की है ..

"जी जनाब वो भी IIT मुम्बई से ,और उसके बाद MBA के लिए मेरा दाखिला IIM इलाहाबाद में होई गया .."

"इसकी मा की …..."

मैं अपना सर पकड़ कर खड़ा हो गया था लेकिन चंपा घबराई नही बल्कि सिर्फ मुस्कुराती रही ..

"तुमने मुझे ये सब पहले क्यो नही बताया ..??"

इस बार चंपा के चहरे में एक फिक्र और चिंता के भाव थे

"इसी डर से की कही तुम मुझे छोड़कर ना चले जाओ ,मोंगरा ने अपना गेम खेल दिया था,तुम्हारे आने के पहले से ही ये सब शुरू हो गया था ,ठाकुर को पता चल गया था की मैं IIM से MBA कर रही हु वंहा मेरी जान को खतरा होने लगा था लेकिन ठाकुर को चकमा देने के लिए मोंगरा चाहती थी की मैं ये देश छोड़कर निकल जाऊ ,ये सब हो पाता लेकिन उससे पहले ही उस इंस्पेक्टर का खून हो गया और तुम उसकी जगह आ गए ,दीदी ने तुम्हे आजमाने की सोची और बलवीर के कहने पर तुमसे मिलने गई ,याद है जब तुम पहली बार मोंगरा से उस झील में मिले थे …"

"बलवीर के कहने पर ???"मैं फिर से थोडा आश्चर्य में था..

"हा मोंगरा किसी पर यू ही भरोसा नही कर लेती ,उसने तुम्हे आजमाया लेकिन उससे गलती हो गई ,वो तुम्हारे प्यार में पड़ गई उसे तुम बहुत अच्छे लगे ,लेकिन तुम उसे चंपा ही समझते रहे और वो भी आगे बढ़ गई ,उस दिन जब तुम दोनों टॉकीज में गए थे तो तुम्हें रणधीर मिल गया और ठाकुर ने तूम दोनों को बचा लिया ,क्योकि वो भी जानता था की अगर मोंगरा वंहा है तो उसके बेटे को भी वंहा खतरा होगा,तब तक तुम्हारे साथ मैं नही बल्कि मोंगरा ही थी लेकिन इन सबमे मोंगरा के सामने एक प्रश्न लाकर खड़ा कर दिया था की उसे किसे चुनना है ,अपने प्यार को या फिर उस लक्ष्य को जिसके लिए उसने अपनी जावानी अपना चैन सुख सब कुछ कुर्बान कर दिया था,और मोंगरा ने फैसला ले लिया ,उसने अपने लक्ष्य को ही चुना…...उसने इसके लिए मुझे फिर से वापस बुला लिया,ये बात ठाकुर को भी पता चल गई थी और वो इससे और भी ज्यादा परेशान हो गया क्योकि वो जानता था की अगर उसने मोंगरा समझ कर मुझे मार दिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी,उसने भी एक प्लान बना रखा था उसने तुम्हे खरीदने की कोशिस की वो जानता था की तुम चंपा के कितने करीब हो ,और मोंगरा को पकड़ने के लिए अपना जी जान लगा दोगे इसलिए उसने मेरी तरफ से ध्यान भी हटा लिया,तो तुमने ही मुझे बचाया ना .."

इस बार मेरा दिमाग हिल गया था मैं अपना सर पकड़े हुए बैठा हुआ था मेरे आंखों में दुख था आंसू थे ,मैं अपने को किसी बेवकूफ की तरह महसूस कर रहा था …

"तो तुम दोनों ने मिलकर मेरा इस्तेमाल किया,और तुम..तुमने तो बस मुझसे प्यार का दिखावा किया बस .."

चंपा आकर मेरे बाजू में बैठ गई …

"सच कभी कभी कड़वा होता है अजय लेकिन मेरी बात का विस्वास करो की मोंगरा और मैंने दोनों ने ही तुमसे बेहद प्यार किया है ,तुम जानते हो की हमारी आंखे कभी गलत नही थी ...हा जब मुझे बुलाया गया था तब मैं बस एक खेल खेलना चाहती थी मोंगरा की मदद करना चाहती थी,याद है जब तुम मेरे झोपड़े में आये थे शराब पीने के लिए,मैंने उस दिन तुम्हे पहली बार देखा था ,तुम्हे महसूस किया था ,ये हमारा ही प्लान था की तुम मेरे नजदीक ना आ पाओ इसलिए मोंगरा ने गोली चलवा दी और तुम उसे ढूंढने जंगल में चले गए ,लेकिन यकीन मानो वो आखिरी बार था जब मोंगरा तुम्हारे साथ थी ,क्योकि मैं भी तुम्हारे प्यार में पड़ चुकी थी और मोंगरा ने ये कुर्बानी भी दे दी ,तब से तुम्हारे साथ बस मैं ही थी ,हमने ही एक दूजे को अपना प्यार दिया और आज भी मैं तुमसे बेहद मोहोब्बत करती हु …"

मुझे पता था मुझे पता था की मेरा चुतिया कट गया था लेकिन मैं इस बात से इनकार नही कर सकता की चाहे वो मोंगरा हो या चंपा इन्होंने मुझसे मोहोब्बत तो बेपनाह किया था,इनकी आंखे कभी झूट भी बोलती थी ,किसी की भी नही बोलती बस पढ़ने वाला होना चाहिए ..

मैं अपने ही दुनिया में गुम था की मुझे याद आया की इस लड़की ने खुद को जंगल में रखा जबकि ये तो महलों में रहनी चाहिए थी ,ये एक वेल क्लासिफाइड प्रोफेसनल है और शायद ये मुझसे ज्यादा कमाएगी लेकिन इसने सब छोड़कर मेरा साथ चुना था,खुद की पहचान को भी इतने दिनों तक छुपाए रखा था,सच में ये दोनों ही बहने पागल थी ,और शायद मैं भी क्योकि मैं भी इससे बेहद ही मोहोब्बत करता था ..

"तुम्हारी डिग्री का क्या हुआ "

"वो तो हो गई ,पिछले महीने ही लास्ट प्रोजेक्ट का सबमिशन था.."

मेरे होठो पर इस बार मुस्कान आ गई

"ये सब तुमने आखिर किया कैसे ???"

वो खिलखिलाई

"कुछ लोग है जो हमारी मदद कर दिया करते है ,मेरे पिता जी और मोंगरा के चाहने वाले ,वो दोनों ही डाकू थे लेकिन ...लेकिन उन्होंने अच्छाई के लिए हथियार उठाये थे कभी गरीबो और मजबूरों को परेशान नही किया,उनके कारण कई बच्चे अपनी जिंदगी अच्छे से जी पा रहे है ,अच्छे कालेजो में पढ़ रहे है और अच्छी नॉकरिया भी कर रहे है ,कभी कभी ये सब हमारी मदद कर देते है "

चंपा का चहरा शांत था ,मुझे एक अलग ही चंपा दिख रही थी मैंने अपने होठो को उसके होठो से मिला दिया ..

"एक बात पुछु मोंगरा और बलवीर कहा है ,अभी तक उनकी बॉडी नही मिली कही वो दोनों अभी भी …"

जो कीड़ा मेरे दिमाग में इतने दिनों से हलचल मचाये था आखिर वो बाहर आ ही गया ,लेकिन चंपा जोरो से हँस पड़ी …

"तुम रहोगे पुलिस वाले ही "

"क्या करे मेडम काम है अपना .."

"ओह तो अपना काम कीजिये इंस्पेक्टर साहब ,खुद पता लगाइए की आखिर वो है कहा "

"मतलब की दोनों अभी भी जिंदा है "

"god only knows बेबी .."

चंपा मेरी गोद में बैठते हुए बोली

"तुम्हारे मुह से अंग्रेजी सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा है "

वो फिर से खिलखिलाई

"कोई बात नही आदत हो जाएगी "

हमारे होठ फिर से मिल गए ……...

 
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समय बीतता जा रहा था ,मैं चंपा से शादी करना चाहता था लेकिन मोंगरा को मैंने वचन दिया था की मैं पहले ठाकुर को उसके किये की सजा दूंगा लेकिन ठाकुर के खिलाफ कोई भी सबूत ही हाथ नही लग रहा था,ठाकुर भी मेरा ट्रांसफर कही दूसरी जगह करना चाहता था लेकिन नही कर पा रहा था,

इधर चंपा डिग्री कंप्लीट हो गई और हम दोनों ने उसके पोस्ट ग्रेजुएशन सेरेमनी में हिस्सा लिया,उसे कनाडा की एक कंपनी का ऑफर भी मिला लेकिन उसने प्यार से इनकार कर दिया,

"यार तुम इन झंझट से दूर क्यो नही चली जाती ,मैं भी अपना काम खत्म करके वही आ जाऊंगा दोनों वही सेटल हो जाएंगे"

एक दिन मैंने उसे कह ही दिया

"मिस्टर अजय जी पहले मुझे अपनी बीवी बनाइये फिर मैं कही जाऊंगी,तुमसे शादी किये बिना मैं तुम्हे नही छोड़ने वाली "

चंपा की बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया

"क्या करू समझ से परे है ,ठाकुर मेरे सोच से कही ज्यादा चालाक है ,बेटे के मर जाने के बाद ऐसे तो वो टूट सा गया है लेकिन अभी भी उसकी पहुच बाकी है ,हमने उसके गलत कामो को बंद तो कर दिया लेकिन उसके खिलाफ कोई ऐसा सबूत नही जुटा पाए की उसे कोई सजा मील सके "

"तो तुम सच में उस कसम को लेकर सीरियस हो "

चंपा मेरे आंखों में देख रही थी …

"बहुत ज्यादा …"

"तो तुम्हरे पास समय है जितना तुम लेना चाहो,मैं कही नही जा रही तुम्हे छोड़कर ,ठाकुर ने मेरे पिता और मेरे मा को मार डाला लेकिन मेरे दिल में कभी उसके लिए बदले की भावना नही उठी ,लेकिन मोंगरा ने अपनी जिंदगी लगा दी ,मैं उसके जैसी नही हो सकती लेकिन मैं उसकी इज्जत करती हु ,उसका सपना पूरा करो अजय मैं तुम्हारी ही हु ,और तुम्हारी बीवी बनने के लिए कई जन्मों तक इंतजार कर सकती हु "

चंपा की आंखों में हल्की नमी थी लेकिन होठो में एक प्यारी सी मुस्कान हमारे होठ मिल गए थे…..

***********

"ये क्या कह रहे हो तिवारी जी "

"सच कह रहा हु सर वो खुद आपसे मिलने आने वाला है "

तिवारी की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया था लेकिन मैंने एक गहरी सांस ली

"ठिक है आने दो उसे देखते है क्या कहता है .."

ठाकुर प्राण मुझसे मिलना चाहता था ,और मुझसे मिलने खुद आ रहा था क्या बात है ,लेकिन क्यो...बहुत जोर लगाने पर भी मुझे कुछ समझ नही आया ….


प्राण आकर मेरे सामने बैठ गया …….

"कहिए ठाकुर साहब आखिर हमे आज कैसे याद किया अपने "

मेरी बात सुनकर उसके होठो में एक फीफी की मुस्कान आई

"अजय जो हुआ वो तो हो गया लेकिन अब मैं अपने किये पर शर्मिंदा होता हु ,मैंने अपने भाई को खो दिया,अपने बेटे को खो दिया,मेरी बीवी मुझसे सालों से बात नही करती ,इतने धन दौलत का मैं करू तो क्या करू ,सब जैसे अब मुझे मिट्टी से लगने लगे है …

मैंने पूरी जिंदगी सिर्फ दौलत और ताकत कमाने में लगा दी अजय,अब मैं सकून की जिंदगी जीना चाहता हु इन सब लफड़ो से दूर …

मेरी बात से ये मत समझना की मैं तुम्हारे पास अपने को सिलेंडर करने आया हु ,नही मैं आज तक पुलिस के हत्थे नही चढ़ा आगे भी नही चढ़ूंगा क्योकि मेरे पहले किये बुरे कामो का कोई सबूत है नही और अब मैंने सारे बुरे काम खुद ही खत्म कर दिए है …

मैं यंहा तुम्हे आमंत्रण देने आया हु ,मैं एक नई शुरुवात करना चाहता हु ,इसलिए घर में एक पूजा रखी है जिससे मेरे बेटे की आत्मा को भी थोड़ी शांति मिले तुम्हे और चंपा को आना ही है ,अगर तुम आओगे तो मुझे और पूनम को अच्छा लगेगा.."

मैं ठाकुर को देखता ही रहा वो थोड़ी देर रुका और फिर बोलने लगा

"पूनम ने हमेशा ही मोंगरा और रणधीर को अपने बच्चों की तरह प्यार किया है ,ये उसके लिए बड़े ही दुख की घड़ी है,

वो चाहती थी की एक बार मोंगरा से मिल पाए,शायद चंपा के रूप में उसे मोंगरा दिख जाए …"

वो मुझे नमस्कार करता हुआ एक कार्ड देकर चला गया साथ ही तिवारी जी को भी एक कार्ड दिया था …..

मैं और तिवारी जी एक दूसरे को ही देख रहे थे,आंखों ही आंखों में एक दूजे को ये पूछ रहे थे की जाए की नही …

***********

"ठाकुर ने जो भी किया हो लेकिन हमे पूनम मौसी के लिया वंहा जाना चाहिए ,उन्होंने मोंगरा को दिल से प्यार किया था,अपनी बच्ची की तरह उसकी हिफाजत की और उनके ही कारण तो मा और बुआ ठाकुर के चुंगल से निकल पाई ,हम इतना कुछ कैसे भूल सकते है …"

ठाकुर के आमंत्रण की बात का पता चलते ही चंपा भावुक हो गई थी …

थोड़ी देर बाद ही मुझे पता चला की ठाकुर ने कुछ विक्रांत,भावना और डॉ चूतिया को भी निमंत्रण दिया है ,उसके साथ कुछ VIP लोग भी आ रहे थे …

आखिर हम सबने जाने का फैसला कर लिया ……

 
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चम्पा मेरी चम्पा इतनी खूबसूरत थी ,वो एक लाल रंग की साड़ी में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी ,उसकी पतली झालरदार साड़ी उसे कसे हुए जिस्म में कसी हुई थी ,कमर में एक चांदी का कमरबंध लटक रहा था,उसकी नाभि के पास पेट का हिस्सा पूरी तरह से दर्शनीय था,पतली कमर और चौड़ी चूतड़ वाली मेरी जान के गोर गोरे जिस्म जो की उस लाल साड़ी की लालिमा से झांक रहे थे और मुझे दीवाना बना रहे थे,ऐसे तो मैंने उसे कई बार ही बिना किसी कपड़ो के भी देखा था लेकिन एक भारतीय नारी अगर साड़ी पहने खड़ी हो तो आप कुछ और कैसे देख सकते है…

उसकी लाल साड़ी के किनारों पर नक्कासी की गई थी ,हाथो का वर्क था जो की हरे पट्टी के ऊपर किया गया था,साथ ही उसने लाल रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था,साड़ी पतली थी और ब्लाउज खुले हुए गले का दोनों का कॉम्बिनेशन किसी भी मर्द के दिल की धड़कनों को बढ़ाने के लिए काफी था,और उसके साथ उसका वो मादक जिस्म …..

उसने हल्के हल्के अपने गले के पास कुछ परफ्यूम का छिड़काव किया जिससे कमरे में हल्की गंध झूम उठी साथ ही मेरा दिल भी ,मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया था ,वो कसमसाई तो उसके हाथो की चूड़ियां खनक उठी……..

लाल हरे रंग की चूड़ियां कुछ चमकीले चूड़ियों के साथ पहने गए थे,मैंने उसके हाथो को अपने हाथो में ले लिया,उसकी हर चीज आज गजब की थी……

"कहर ढाने का इरादा है क्या ??"

मैं किसी सम्मोहन के आवेश में आकर बोल उठा..

"कहर ..??? आप के सिवा किसपर कहर बरसाउंगी ,"

उसने अपने निचले होठो को अपने दांतो से हल्के से कांटा ..और शरमाई मैंने उसे अपनी ओर पलटा लिया था ,उसके सीने मेरे सिनो में धंस गए

"ओह तो मेरी रानी मुझपर ही कहर बरसा रही है.."

मैंने उसके गले को चूमना चाहा लेकिन उसने अपना गला घुमा लिया फिर भी मेरे होठ का गीलापन उसके गले में जा चिपका ..

वो फिर से मचली

"ओहो छोड़ो ना पूरा खराब कर दोगो …"

"अरे जान खराब करने के लिए ही तो सजी हो .."

मैंने थोड़े और जोर से उसे अपनी ओर खींचा

"हटो पार्टी के बाद घर आकर पूरा खराब कर लेना अभी तो हटो .."

उसने मुझे धक्का दिया और मैंने उसे छोड़ दिया

"तो पूरी शाम बस मुझे तड़फाना पड़ेगा "

मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी

"थोड़ी सी तड़फन भी अच्छी होती है जान,सुना नही है क्या इंतजार का फल मीठा होता है...अब चलो जल्दी से तैयार हो जाओ ,फूफा जी और भावना भी आते ही होंगे "

वो मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर जाने लगी लेकिन फिर रुक गई और पलटी और नीचे देखने लगी

"और अपने इसको भी थोड़ा सम्हालो टॉवेल फाड़ कर बाहर ना आजाये "

वो खिलखिलाते हुए बाहर भाग गई ,मेरी नजर नीचे गई सच में मेरा औजार टॉवेल फाड़ने को बेताब हो गया था ……..


"ओहो जीजू मैंने सुना था की लडकिया तैयार होने में टाइम लगती है लेकिन पहली बार देख रही हु की बीबी तैयार बैठी और और पति देव तैयार होने में लेट हो गए ...ऐसे हैंडसम लग रहे हो "

मेरे कमरे से निकलते ही भावना की आवाज आई ,वो लोग आ चुके थे ..

"अरे यार काम में फंस गया था .."

************

ठाकुर के घर पूजा में सभी जाने पहचाने चहरे आये हुए थे,शहर से डॉ चूतिया और उनकी सेकेट्री मेरी भी पधारी थी,तिवारी जी भी आये हुए थे,प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री भी आये हुए थे,पुलिस विभाग के कई अधिकारी मुझे वंहा मिल गए ,ठाकुर जैसे अपने गुनाहों को साफ कर सभी से अच्छे रिश्ते बनाना चाहता था वो सभी से अच्छे से मिल रहा था मैंने अपने जीवन में उसे इतना नम्र कभी नही देखा था,साथ ही उसकी बीवी पूनम भी थी …...जब हम अंदर आये तो पूनम हमारे पास आ गई और चम्पा को देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए ..

वो बार बार चम्पा के गालों को सहला रही थी ,तो कभी वो भावना पर भी अपना प्यार बरसाती ,भावना और चम्पा की भी आंखे गीली थी …..

मैंने इस हवेली के बारे में बहुत कुछ सुना था ,ऑफकोर्स कहानियों में लेकिन आज उसके अंदर आकर देख भी रहा था ,मैंने गौर किया जितना मैंने सोचा था ये उससे कही बड़ी थी ,मुझे याद आया की कैसे इसी हवेली में मोंगरा बड़ी हुई थी ,उससे पहले पूनम को कालिया ने इसी हवेली में प्रैग्नेंट किया था ,इसी हवेली के किसी कमरे में रोशनी और कनक को बंदी बनाया गया रहा होगा...मैं पूरी हवेली को ध्यान से देख रहा था तभी मेरे पास विक्रांत और डॉ आकर खड़े हो गए ..

"क्या देख रहे हो अजय ,"विक्रांत ने कहा

"कुछ नही फूफा जी बस .."

"ह्म्म्म इसी हवेली में मेरा बचपन बिता और मैं यही जवान हुआ...इसी हवेली में मुझे मेरी कनक मिली "

विक्रांत ने एक गहरी सांस छोड़ी जैसे पुरानी यादों को वो बहुत मिस कर रहा हो

तभी मुझे हवेली के छत पर कोई इंसान की परछाई दिखाई दी …

"वंहा इस वक्त कौन होगा "अंधेरे के कारण मुझे साफ साफ कुछ नही दिख रहा था लेकिन मुझे इतना तो यकीन था की कोई व्यक्ति छत पर घूम रहा होगा ..

दोनों भी उस ओर देखने लगे

"होगा कोई हवेली का ही नॉकर ,यंहा बहुत से लोग काम करते है "

विक्रांत बोल उठा ………..

***********

पूजा खत्म हो चुकी थी कई मेहमान भी जा चुके थे ,पूनम और ठाकुर के विशेष अनुरोध पर कुछ लोग ही रुके हुए थे,सभी बड़े से हाल में बैठे बाते कर रहे थे ,मर्दों के लिए ड्रिंक्स की व्यवस्था की गई थी वही औरते आपस में ना जाने क्या बात करने में बहुत ही व्यस्त दिख रही थी …

डॉ,मेरी ,मैं ,चम्पा,विक्रांत ,भावना ,तिवारी के अलावा ठाकुर का एक अजीज दोस्त गृहमंत्री सेठ रुके हुए थे ..

"विक्रांत मैं चाहता हु की तुम बिटिया के साथ फिर से हवेली में आ जाओ "

पेग लगते हुए ठाकुर प्राण बोल उठा ,लेकिन विक्रांत बस अवाक उसके चहरे को देखने लगा जैसे उसे यकीन ही नही हो रहा था की उसे कोई ऐसा कुछ कहेगा …

"तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं हमेशा से ही तुमसे बेहद ही प्यार करता हु …"

विक्रांत कुछ भी नही बोल पाया बस उसके आंखों में आंसू ही थे …

थोड़ी देर बाद सभी ने मिलकर डिनर किया रात बहुत हो चुकी थी हम जाने वाले थे लेकिन ठाकुर ने हमे फिर से रोक लिया ,उसके हाथ में एक लड्डू का पैकेट था ,

"बातों बातों में हम प्रसाद लेना तो भूल ही गए "प्राण के होठो में एक मुस्कान थी सभी का उसपर ध्यान गया

"लाओ मैं बांट देता हु "

मंत्री सेठ ने उसके हाथो से वो पैकेट ले लिया और सभी को बांटने लगा ,सभी ने बारी बारी से वो लड्डू खा लिया था अंत में वो ठाकुर के पास पहुचा ,सभी की आंखे उस समय ठाकुर के ऊपर जम गई जब सेठ ने प्राण को लड्डू नही दिया बल्कि हम सभी को देखते हुए हँसने लगा …

सभी की आंखे फट रही थी ,जैसे कुछ समझ नही आ रहा हो की आखिर हुआ क्या …

"तुम सभी के कारण आज मेरी ये हालत हुई है आज मैं सबसे अपना बदला लूंगा "

अचानक ही प्राण के चहरे का भाव बदला और वो अट्हास करने लगा,मेरे तो जैसे पैरों से जमीन ही खिसक गई थी ,मुझे समझ आ चुका था की आखिर हमारे साथ क्या हुआ है ,मैंने खड़े होने की कोशिस की लेकिन ..

धड़ाम ..

मैं जमीन में गिर गया था यही हालात चम्पा और डॉ की भी थी जिन्होंने खड़े होने की कोशिस की थी ,मैं कुछ बोलने वाला था लेकिन लगा जैसे मुह खोलने तक की ताकत नही बची है ,पूरा शरीर शून्य पड़ने लगा था ,जैसे पूरा शरीर पड़ा तो है लेकिन उसपर अब मेरा कोई भी काबू नही रह गया ,मुझे सब दिखाई और सुनाई दे रहा था,मैंने अपना सर घुमा कर चम्पा की ओर देखना चाहा जो की मेरे पीछे ही जमीन में गिरी हुई थी लेकिन सर भी घुमा नही पाया,ठाकुर के इरादों की समझ मुझे आ चुकी थी ,और अपना अंत नजदीक ही दिख रहा था ,कुछ ही देर हुए थे की कानो में आने वाली आवाजे भारी होती गई ऐसा लगा जैसे वो दूर जा रही है आंखे भी ना चाहते हुए बंद हो रही थी ,उसे खोले रखने तक की ताकत मुझमें नही थी ,आखिर सब कुछ धुंधला हो चुका था और बस एक सेकेंड की बात और सारी आवाजे और दृश्य गायब हो गये ……….

*********************

ना जाने कितनी देर हो चुकी थी ,मुझे लगा था जैसे मैं कभी आंखे नही खोलूंगा लेकिन मुझे होश फिर से आने लगा था ,मुझे कुछ कुछ आसपास का आभास होने लगा था ,आसपास कई लोगो की आवाजे आ रही थी जैसे बहुत भीड़ लगी हो ,मैंने धीरे से आंखे खोलने की कोशिस की मैं सफल भी हुआ ,सामने ऊपर छत दिखाई दे रही थी ,मैंने अपना गला मोड़ने की कोशिस की तभी किसी ने मेरे सर को अपने हाथो से उठाया ..

"रिलेक्स आराम से अभी कोई ताकत मत लगाइए आप ठीक है .."

वो एक लड़की की आवाज थी मैंने देखा वो चहरा मैंने पहले कभी नही देखा था लेकिन उस सौम्य से चहरे में मुझे देखकर हल्की सी मुस्कान जरूर आ गई ,..

कुछ ही देर में मैं सामान्य हो चुका था और उस लड़की ने मुझे उठाकर बिठा दिया था …

"ये सब क्या हो रहा है "

मैंने उस लड़की से कहा जिसने एक डॉ वाला एप्रॉन पहने हुए था ,

"आप ठीक है आपको नशे की कोई दवाई खिलाई गई थी जिसके कारण आप बेहोश थे लेकिन अब आप होश में है .."

मैंने नजर चारो ओर घुमाई सामने चम्पा मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी वही डॉ और विक्रांत भी होश में आ चुके थे और उन्हें भी डॉ उठाकर बिठा रहे थे ,बाकी के लोग अभी होश में नही आये थे जबकि तिवारी जी होश में आकर कुर्सी में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे…वो डॉ मुझे छोड़कर दुसरो के पास चली गई

"ये सब क्या है तिवारी और ठाकुर और सेठ कहा है "

तिवारी मेरी बात सुनकर मुस्कुराया जिससे मैं और भी अचंबित हो गया ,हम जैसे नया जन्म लेकर आये थे पता नही हम जिंदा क्यो थे ?क्योकि ठाकुर तो हमे मारने का प्लान बना ही चुका था…

तिवारी एक चाय का कप लेकर मेरे पास आ गया और मुझे दिया

"थोड़ा रिलेक्स हो जाओ सर ,जवाब बाहर है,पहले चाय पी लो थोड़ा रिलेक्स हो जाओ फिर बाहर चलते है "

मैं बिना कुछ बोले चाय पीने लगा ,वंहा कोई भी कुछ नही बोल रहा था,डॉक्टरो की टीम सभी के पास जाकर उनके नब्ज़ देख रही थी और उन्हें इंगजेक्सन लगा रही थी जिससे लोग फिर से होश में आ रहे थे ,वही कमरे के बाहर मुझे और भी हलचल दिखाई दे रही थी कुछ पुलिस वाले भी दिखे जिससे मेरी उत्सुकता और भी बढ़ रही थी ,चम्पा बिल्कुल ही रिलेक्स दिख रही थी वो आंखे बंद कर सोफे से टिकी हुई लेटी हुई थी हमारे बीच कोई भी बात नही हुई …

चाय खत्म कर मैं खड़ा होने की कोशिस करने लगा,तिवारी ने मुझे थोड़ा सहारा दिया मैं अब अपने पैरों पर आराम से खड़ा था ..

हम बाहर आये और बाहर बरामदे पर पहुचते ही मैं फिर विस्मय से भर गया,चारो ओर बस पुलिस ही पुलिस दिख रही थी ,यंहा तक की कमिश्नर भी आये हुए थे…..

पास ही खड़ा एक सिपाही पंचनामा बना रहा था,

"इधर दिखाओ "

मैंने उसके हाथो से वो पंचनामा पकड़ा ,मैं उसे पढ़ने लगा

"ये सब क्या ..ठाकुर और सेठ "

मैंने सिपाही को देखा

"जी सर दोनों कल रात आप लोगो को नशे की दवाई देने के बाद भारी शराब के नशे में छत से गिर कर मर गए …सीसीटीवी फुटेज से पता चला की इन दोनों ने मिलकर ही लड्डू में नशे की दवाई डालकर आप लोगो को खिलाया था "

मैं अभी उसे देख रहा था तो कभी तिवारी को और कभी बरामदे में पड़े हुए उन दो लाशों को ……………...

 
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बात साफ थी पंचनामा बन चुका था सभी इस बात को मान भी चुके थे लेकिन मेरा दिमाग अब भी इस बात को सही मानने को तैयार नही था…

प्राण ठाकुर इतना भी चूतिया नही था की खुद ही अपने घर में सीसीटीवी कैमरा लगा कर अपने गुनाहों को रिकार्ड होने दे ,वही वो इतना बड़ा चूतिया भी नही था की अपने हाथ में आया हुआ इतना बड़ा मौका यू ही छोड़ दे ,उसके सारे दुश्मन उसके सामने ही थे,सभी लाचार थे वो हमारे साथ कुछ भी कर सकता था ,लेकिन किसी को कोई भी नुकसान नही हुआ था ,मैं ये बात कैसे मान सकता था की प्राण हमे बेहोश करने के बाद दो मंजिल चढ़कर छत में जाकर इतनी शराब पीता है की वंहा से गिर जाता है यही नही उसका दोस्त जो की एक मंत्री है वो भी ऐसी बेवकूफी कर डालता है……

मुझे इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का आभास हो रहा था लेकिन मैं कुछ भी नही कर सकता था ,क्योकि मुख्यमंत्री ने भी केस वही क्लोज करने की बात कह दी ,इसके ऊपर अब कोई और इंवेस्टिगेसन नही होनी थी ,ऐसे भी चीजे बिल्कुल साफ थी,ठाकुर के पास हमे बेहोश करने की मजबूत वजह भी थी ,और मंत्री को ऐसे भी ठाकुर के गुनाहों में बराबर का हिस्सेदार रहा था जिसका पता सभी को था,लेकिन ठाकुर के कारण कोई उसे कुछ बोलता नही था……..

मैं अपने घर के सोफे में बैठा हुआ यही सब कुछ सोच रहा था तभी …

"क्यो जीजू क्या सोच रहे हो ,मेरे ख्याल से शादी की तैयारी के बारे में ही सोच रहे होंगे .."

भावना की खनखनाती हुई आवाज मेरे कानो में पड़ी..

मैंने आंखे खोली तो सामने भावना और चम्पा थी ,शादी की बात सुनकर चम्पा थोड़ी शर्मा गई थी…

ठाकुर को मरे 5 दिन हो चुके थे,मैं और चम्पा दोनों ही बेहद बिजी थी कारण था की ठाकुर की अन्टोष्ठी का कार्यक्रम,विक्रांत और भावना हवेली में रहने चले गए थे,वही चम्पा भी उनके और पूनम के साथ वही रह रही थी ,डॉ और मेरी भी वही रह रहे थे वो शहर वापस नही गए थे,आज चम्पा और भावना चम्पा के कपड़े लेने यंहा आये थे …

"कुछ नही बस आओ बैठो ना "

"मैं अपने कपड़े समेटती हु तू अपने और अपने जीजू के लिए चाय बना ले "

चम्पा बेडरूम की ओर बड़ी

"अरे पूरे कपड़े ले जाने की क्या जरूरत है "

मैंने बैठे बैठे ही कहा

"जीजू अब तो ठाकुर नही रहे ,मोंगरा दीदी को दिए वचन का भार भी आपके ऊपर नही है ...तो ...तो अब चम्पा दीदी आपके साथ इस घर में तभी रहेंगी जब आप बारात लेकर हवेली आओगे और शादी करके इन्हें यंहा लाओगे ,समझे तब तक के लिए मैं अपनी दीदी को ले जा रही हु "

भावना मुस्कुराते हुए किचन की ओर चली गई

"ओह तो ये बात है …"

मैं भी मुस्कुराता हुआ अपने बेडरूम में गया जंहा चम्पा अपने कपड़े एक बेग में डाल रही थी मैंने उसे पीछे से जकड़ लिया

"अरे छोड़िए ना भावना आ जाएगी "

वो मेरी बांहों में ही मचली

"तुमने उस दिन कहा था की हवेली से वापस आते ही तुम्हारा श्रृंगार बिगाड़ दु लेकिन आज वापस आयी हो "

मैं उसके गले को चूमने लगा वो हल्के से हंसी और मेरी बांहों में कसमसाई

"क्या करू भावना और पूनम मा ने आने ही नही दिया ,और सुना ना भावना ने क्या कहा ,अब तो सुहागरात में ही मेरे दुल्हन वाला श्रृंगार बिगड़ना बच्चू "

वो कसमसाते हुए मेरे पकड़ से अलग हो गई और मुझे चिढ़ाते हुए जीभ दिखाने लगी

"अच्छा जी...ऐसे एक चीज बताओ की हमारी शादी मे मोंगरा और बलवीर आएंगे की नही "

मेरी बात सुनकर चम्पा के चहरे की हंसी गायब हो गई

"ये क्या बोल रहे हो "

"चम्पा मैं इतना भी बेवकूफ नही हु ,प्राण और सेठ ऐसे ही नही गिर सकते उन्हें किसी ने वंहा से प्लान करके गिराया है "

मेरी बात सुनकर वो थोड़ी मुस्कुराई

"आप और आपकी ड्यूटी बस हर समय यही चलते रहता है क्या ,अगर आपको लगता की उन्हें मोंगरा और बलवीर ने गिराया है तो ढूंढ लो उन्हें बात खत्म ...और अब कोई बहाने नही चलेंगे ठाकुर जा चुका है तो अब तुम्हे हमारी शादी के बारे में सोचना होगा ,वरना रहना यू ही अकेले इस घर में…….और शादी से पहले मुझे छूने की सोचना भी मत .."

वो इठलाते और मुस्कुराते हुए वंहा से निकल कर किचन में जा घुसी ..

मुझे उसकी अदा पर बेहद ही प्यार आया मेरे होठो में मुस्कान भी आ गई लेकिन दिल के किसी कोने में एक टीस भी उठी की हो ना हो मोंगरा और बलवीर अब भी जिंदा है और उन्होंने ही ठाकुर को मारा है और मुझे लगता था की चम्पा ही नही भावना ,विक्रांत,तिवारी ,डॉ यंहा तक की पूनम भी इन सबमे शामिल थे ..

लेकिन मैं चाहते हुए भी कुछ नही कर पा रहा था ,किसी नतीजे पर बिना सबूत के पहुच जाना मेरी फितरत भी नही थी ,और ठाकुर कोई दूध का धुला भी नही था की मैं उसको इंसाफ ना दिला पाने की वजह से दुखी फील करू ,लेकिन मुझे सच जानना था क्योकि यही तो मेरा काम था ….

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ठाकुर को मरे हुए 30 दिन ही हुए थे की हवेली को दुल्हन की तरह सजाया गया ,वजह थी मेरी और चम्पा की शादी …

चम्पा का कन्यादान पूनम कर रही थी और शादी के जश्न में कोई कमी नही आ जाए इसलिए 10 दिन पहले से ही विक्रांत और डॉ दिन रात लगे हुए थे ,मेरे माता पिता भी वहां आ चुके थे,उनके अलावा मेरी तरफ से और कोई नही आया था कोई था भी तो नही ,मेरी बारात मेरे सरकारी क्वाटर से हवेली तक गई…

मेरे माता पिता कुछ ज्यादा ही खुश लग रहे थे,जबकि मुझे लगा था की मेरी शादी की बात सुनकर उन्हें शॉक लगेगा लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि अब मुझे पता चला की मेरे माता पिता पहले से सभी को जानते थे और इस रिश्ते से बेहद ही खुश थे ,वो लोगो से ऐसे मिल रहे थे जैसे उनका इनसे बहुत पुराना राब्ता रहा हो ..

तिवारी ने मुझे बताया की पहले मेरे माता पिता पिता जी के कारोबार के चाहते यंहा हवेली आया करते थे ,इसलिए जब मेरी मा पूनम से मिली तो गले मिलकर और गाला फाड़कर रोने लगी ,वही मेरे पिता जी जब विक्रांत ,डॉ और तिवारी से मिले तो बेहद ही आत्मीयता के साथ मिले..

इतने दिन हो गए थे मुझे यंहा काम करते लेकिन पिता जी ने कभी नही बताया था की उनका हवेली से और यंहा के लोगो से इतनी घनिष्ट जान पहचान थी ,मेरे पिता जी ने बस ये कहा की ठाकुर प्राण सही आदमी नही था और इसलिए तुझे कुछ नही बताया …

आखिर सब कुछ ठीक हो चुका था ….

मैं पूरी शादी यही इंतजार करता रहा की कही मोंगरा और बलवीर मुझे दिख जाए लेकिन ऐसा नही हुआ उनकी कोई सुगंध भी मुझतक नही आई …….

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हवेली का वो कमरा पता जो की बेहद ही बड़ा था ,बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया था ,कमरे के बीचों बीच एक गोलाकार बिस्तर था जिसपर मेरी दुल्हन सजी हुई और शरमाये हुए बैठी थी ,उसके पास ही कुछ लडकिया भी बैठी थी जिनमे एक भावना थी बाकी सब उसकी सहेलियां …

जाते ही वो मेरा टांग खिंचने लगी और मेरा पर्स खाली करवाकर ही दम लिया ,वो लोग हसंते हुए बाहर भाग गई …

चम्पा के साथ कई महीनों से मेरा जिस्मानी रिश्ता रहा था,हम साथ ही रहा करते थे लेकिन पता नही आज फिर भी मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था,मैं उसके पास ही बैठा हुआ था वो घूंघट में थी ,जब मैंने वो घूंघट उठाया तो मैंने उसकी आंखों में आंसू देखे …

"तुम रो रही हो .."

उसने नजरे उठाई ,उसकी बड़ी बड़ी आंखे काजल के कारण और भी बड़ी लग रही थी,आंखों में अब भी पानी भरा हुआ था जो उसके साफ आंखों को और भी उजला बना रहा था,

"आज मुझे वो मिल गया जिसका मैंने इतने दिनों से सपना देखा था ,ये खुसी के आँसू है दुख के नही "

वो हल्के से मुस्कुराते हुए बोली और उसके इस भोलेपन में मैं अपना दिल हार बैठा,मेरे होठ उसके होठो के पास जाने लगे थे ,उसकी आंखे बंद हो चुकी थी जब हमारे होठ एक दूसरे से मिले..

और कुछ ही देर में ही कमरे में बस चूड़ियों और सिसकियों की आवाजे ही फैल रही थी …………..
 

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