Andyking302
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Shandar जबरदस्त भाईडायनिंग रूम में नाश्ते के टेबल पर दोनों माँ बेटे ख़ामोशी से खाना खा रहे थे |
जो कुछ हुआ था उसके बारे में कोई कुछ भी बोल नहीं रहा था |
राहुल की तो अपनी माँ को नज़र उठाकर देखने की हिम्मत तक नहीं हो रही थी |
एक तरफ उसे अपने बदन में आनंद की तरंगे घुमती महसूस हो रही थी और
वहीँ वो इस सब के मायने समझने में असमर्थ था |
सलोनी इस समय सिर्फ और सिर्फ एक ही बात के बारे में सोच रही थी और
वो थी अपनी चूत में उठ रही सनसनी को जल्द से जल्द कम करने की |
राहुल का तो छुट चूका था |
वो तो अपना मज़ा कर चूका था, संतुष्ट था, मगर उसकी संतुष्टि के चक्कर में बेचारी उसकी माँ इतनी गर्म हो चुकी थी
की उससे अपनी चूत की आग बर्दाश्त नहीं हो रही थी |
वो बस चाहती थी कि राहुल जल्द से जल्द खाना ख़त्म करके ऊपर चला जाए और
फिर वो खुद को शांत कर सके जैसे वो पिछले हफ्ते से करती आ रही थी |
उसकी चूत से रस बह- बहकर उसकी जाँघों के निचे तक आ चुका था |
खाने के टेबल पर बैठी वो अपनी टांगें आपस में रगड़ रही थी |
मगर उससे उसकी उत्तेजना कम होने की वजाए और भी बढती जा रही थी |
वो अपनी चूत से बहते रस की सुगंध को बड़े अच्छे से सूंघ सकती थी |
उसे आश्चर्य हो रहा था कि क्या वो सुगंध राहुल तक भी पहुँच रही थी? क्या वो जानता है कि इस समय उसकी माँ कितनी उत्तेजित है?
कि अगर वो, उसका अपना बेटा उसे चोदने की कोशिश करेगा तो वो उससे पूरे मज़े से चुदवा लेगी |
मगर क्या वो उसे चोदना चाहेगा?
क्या वो अपनी सगी माँ की चूत में अपना लंड पेलना चाहेगा? यही सवाल रह रहकर उसके दिमाग में उठ रहे थे |
राहुल खाना ख़त्म करके अपने रूम में चला गया, बिना कुछ बोले | उसके जाते ही सलोनी उठी |
उसने बर्तन सिंक में डाले और वो अपने कमरे की और चल पड़ी |
कमरे में जाते ही उसने अपने कपडे उतारे और बाथरूम में घुस गयी |
ठन्डे पानी की बौछार जैसे उसके बदन को शीतलता देने की वजाए जला रही थी |
उसने दीवार से टेक लगा ली और उसका एक हाथ अपने अकड़े हुए निप्पल को मसलने लगा
और दूसरा उसकी चूत को |
उसने अपनी चूत में अपनी उंगली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी |
“आआह्ह्ह्ह.....ओह्ह्ह्हह...” की कराहें उसके मुख से फूटने लगी |
ऊँगली रफ़्तार पकड़ने लगी |
बहुत जल्द उसका बदन ऐंठने लगा और कुछ ही पलों में वो सखलित होने लगी |
सलोनी हैरान थी | वो ज़िन्दगी में पहली बार इतनी जल्द सखलित हुई थी |
मुश्किल से दो मिनट लगे थे |
जबकि उसके पति को उसको सखलित करने में पन्द्रह वीस मिनट लग जाते थे |
शायद आज वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुकी थी | शायद उसका जिस्म उसके पति के मुकाबले उसके बेटे को ज्यादा रेस्पोंस दे रहा था या शायद उनके रिश्ते की मर्यादा उनके इस अनैतिक कार्य में छिपी उत्तेजना को बढ़ा रही थी | कुछ भी हो आज तक सलोनी ना कभी इतनी उत्तेजित हुई थी और ना ही इतनी जल्दी छूटी थी |
नहाकर सलोनी वालों को तौलिए में लपेट कुछ देर के लिए बेड पर लेट जाती है | अब जब उसके दिमाग से काम का बुखार उतर चूका था और असलियत सामने थी तो उसे क्या हुआ था? क्या हो सकता था? और इस सब का क्या परिणाम निकल सकता है? यह सवाल उसे घेरे खडे थे |
एक पल के लीए तो उसे लगा जैसे शायद उसने कल्पना की है और उसके बेटे के बेडरूम में घटी घटना वास्तव में घटी ही नहीं है | मगर नहीं, वो जानती थी, वो उसकी कल्पना नहीं थी | वो अभी भी अपने होंठो के बिच अपने बेटे के लंड का स्पर्श महसूस कर सकती थी | उसके लौड़े के छेद से बहकर निकले रस का स्वाद अपनी जिव्हा अपने होंठो पर महसूस कर सकती थी | उसे अभी भी अपने सर में दो हिस्सों में हलकी सी पीड़ा का आभास था | यहाँ के बाल उसके बेटे ने उसके मुख को चोदते हुए अपनी मुट्ठियों में भरकर खींचे थे | उसके बेटे ने उसका मुख चोदा था | उसने अपने बेटे का लंड चूसा था | उसके बेटे ने उसका मुख चोदते हुए उसके मुख में अपना वीर्य उगला था | सलोनी ने अपने बेटे का लंड चूसते हुए उसका रस पिआ था |