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LEVEL 7
295 XP
सलोनी अपने नरम मुलायम हाथों से जैसे ही लंड को थामती है लंड के झटके और भी तेज़ हो जाते है.
"देखो तोह कैसे फड़फड़ा रहा है. लगता है इसके पर कतरने ही पडेंगे वर्ना यह तोह दिन पर दिन बदमाश होता जा रहा है" सलोनी लंड को अपने हाथों से कोमलता से सहलाती कहती है. लंड उसके हाथों में पहुंचते ही और भी भयंकर रूप धारण करते जा रहा था. राहुल किसी तरह अपनी भारी साँसों को नियंतरण में करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार हो जाती हैं जब सलोनी धीरे से लंड पर अपने सुलगते होंठ रख देती है.
"उन्ह हुनः.........." सलोनी के तपते होंठ अपने सुपडे पर महसूस करते ही राहुल के मुंह से सिसकि निकल जाती है. वो अपने हाथों से कुरसी के हत्थों को कस्स कर पकड़ लेता है. उसके हाथ हरकत में आने के लिए बेताब हो रहे थे.
"उम हुम्............." होंठो में सुपडा दबाये जैसे ही सलोनी उस पर अपनी जीव्हा फेरती है, राहुल के होंठो से लम्बी सिसकि फूटती है. वो कितना भी चाहता खुद को सिस्कने से रोक नहीं सकता था. सलोनी के होंठ लंड पर आगे पीछे होने लगते है. वो लंड के सुपडे को रगड़ती उसे अपने मुख के गिलेपन में गर्माहट देती चूस, चाट रही थी.
राहुल कुरसी के हत्थों को और भी कस कर पकड़ लेता है. उसे अपने कुल्हे कुरसी की सतह पर दबाकर रखने पड़ रहे थे. उसे डर था के कहीं वो अपनी मम्मी के मुंह में अपना लंड न पेल दे. चाहे कुछ भी हो जाये जब तक वो माफी नहीं मांगती राहुल उसका साथ देणे वाला नहीं था. मगर सलोनी को जैसे कोई परवाह ही नहीं थी. वो तेज़ी से लंड पर मुंह चलाती उसे आगे पीछे कर रही थी. कभी वो लंड को मुंह से निकाल उस पर अपनी जीव्हा रगडने लगती कभी सुपाडे के छेद को अपनी जीव्हा की नोंक से कुरेदती. एक हाथ से बेटे के टट्टे सहलाती वो लंड को फिर से मुंह में भर लेती है और गहरायी तक उसे चुस्ने लगती है. राहुल बिना हिले डुले अपनी मम्मी के मुंह को चोद रहा था. उसने अपना पूरा जिस्म अकड़ाया हुआ था खुद को रोकने की कोशिश में फिर भी वो असफ़ल होता जा रहा था. हर पल उसके मुंह से सिसकियाँ फूट रही थी
"देखो तोह कैसे फड़फड़ा रहा है. लगता है इसके पर कतरने ही पडेंगे वर्ना यह तोह दिन पर दिन बदमाश होता जा रहा है" सलोनी लंड को अपने हाथों से कोमलता से सहलाती कहती है. लंड उसके हाथों में पहुंचते ही और भी भयंकर रूप धारण करते जा रहा था. राहुल किसी तरह अपनी भारी साँसों को नियंतरण में करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार हो जाती हैं जब सलोनी धीरे से लंड पर अपने सुलगते होंठ रख देती है.
"उन्ह हुनः.........." सलोनी के तपते होंठ अपने सुपडे पर महसूस करते ही राहुल के मुंह से सिसकि निकल जाती है. वो अपने हाथों से कुरसी के हत्थों को कस्स कर पकड़ लेता है. उसके हाथ हरकत में आने के लिए बेताब हो रहे थे.
"उम हुम्............." होंठो में सुपडा दबाये जैसे ही सलोनी उस पर अपनी जीव्हा फेरती है, राहुल के होंठो से लम्बी सिसकि फूटती है. वो कितना भी चाहता खुद को सिस्कने से रोक नहीं सकता था. सलोनी के होंठ लंड पर आगे पीछे होने लगते है. वो लंड के सुपडे को रगड़ती उसे अपने मुख के गिलेपन में गर्माहट देती चूस, चाट रही थी.
राहुल कुरसी के हत्थों को और भी कस कर पकड़ लेता है. उसे अपने कुल्हे कुरसी की सतह पर दबाकर रखने पड़ रहे थे. उसे डर था के कहीं वो अपनी मम्मी के मुंह में अपना लंड न पेल दे. चाहे कुछ भी हो जाये जब तक वो माफी नहीं मांगती राहुल उसका साथ देणे वाला नहीं था. मगर सलोनी को जैसे कोई परवाह ही नहीं थी. वो तेज़ी से लंड पर मुंह चलाती उसे आगे पीछे कर रही थी. कभी वो लंड को मुंह से निकाल उस पर अपनी जीव्हा रगडने लगती कभी सुपाडे के छेद को अपनी जीव्हा की नोंक से कुरेदती. एक हाथ से बेटे के टट्टे सहलाती वो लंड को फिर से मुंह में भर लेती है और गहरायी तक उसे चुस्ने लगती है. राहुल बिना हिले डुले अपनी मम्मी के मुंह को चोद रहा था. उसने अपना पूरा जिस्म अकड़ाया हुआ था खुद को रोकने की कोशिश में फिर भी वो असफ़ल होता जा रहा था. हर पल उसके मुंह से सिसकियाँ फूट रही थी