Incest हाए मम्मी मेरी लुल्ली

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आज सुबह से सलोनी का मूड बिगड़ा हुआ था ,

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क्या वजह थी वो खुद नहीं जानती थी | “कैसा बकवास दिन है” वो खुद को बोलती है | पूरे घर में ऐसी शांति थी कि घर की हर चीज़ से नीरसता झलक रही थी | तीन बेडरूम का घर काफी खुला डुला था | मगर उस उदासी और सन्नाटे में वो घर अपने असली अकार से कुछ जयादा ही बड़ा जान पड़ता था |
सलोनी का मन घर के किसी काम में नहीं लग रहा था | उसके सर में हल्का सा सरदर्द भी था | शायद रात को ना सो सकने की वजह से था | पिछले पूरे दिन वो घर की साफ़ सफाई में व्यस्त थी, उसे लगा था शायद रात को वो अच्छी नींद सो सकेगी मगर थकान और हलके बदन दर्द के बीच भी वो सोने में असफल रही थी और पूरी रात करवटें बदलते गुजरी थी |

सलोनी का पति सुभाष पिछले हफ्ते से दुसरे शहर में था | वो एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जूनियर इंजिनियर था | पगार अच्छी होने की वजह से वो किसी काम से इन्कार नहीं करता था , इसीलिए इस बार जब दुसरे शहर में चल रहे किसी प्रोजेक्ट के लिए कंपनी को एक इंजिनियर भेजना था तो सिर्फ वही राजी हुआ था बाकी सब बहाने बनाने लगे | उसकी मेहनत और काम के लिए इमानदारी को देखकर कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने उसे आश्वासन दिया था कि उसकी पगार में जल्द ही इज़ाफा किया जायेगा | प्रोजेक्ट मेनेजर के बारे में सुभाष जानता था वो अपनी बात का बहुत पक्का आदमी था इसीलिए उसे यकीन था कि उसकी पगार जल्द ही बढ़ जाएगी मगर एक तरफ यहाँ उसे पगार बढ़ने की इतनी ख़ुशी थी वहीँ उसे अपनी पत्नी की नाराज़गी की चिंता थी | जैसे उसने वादा किया था कि वो उसे कहीं घुमाने ले जाएगा, सच में सलोनी को मनाने में उसे इस बार बहुत मेहनत करनी पड़ी थी, उसे सलोनी को कई वादे करने पड़े थे और कई तरह के प्रलोभन देने पड़े थे तब जाकर कहीं उसका गुस्सा शान्त हुआ था | सलोनी ने अंत इस बात को सोचकर कि उसके पति की पगार बढ़ने जा रही है अपने मन को किसी तरह समझा बुझा लिया |

सलोनी अपने बेटे राहुल को नाश्ते के लिए आवाज़ देती है मगर कोई जवाब नहीं आता | दो तीन बार फिर से बुलाने से भी कोई जवाब नहीं मिलता तो सलोनी की खीझ में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है | वो रसोई से सीधे सीढियों का रुख करती है “एक तो इसने नाक में दम कर रखा है , ना अपनी पढाई करता है ना घर के किसी काम में मदद, सारा दिन बस खेल कूद और टीवी” सलोनी सीढियाँ चडती बडबड़ा रही थी |

सलोनी भडाक से दरवाज़ा खोलती है और सामने उसका बेटा गहरी नींद में सोए खर्राटे भर रहा होता है |

“सुबह के दस बजने को आए और इस साहब को देखो अभी तक पैर पसारे कैसे मज़े से सो रहे हैं”, सलोनी अपने बेटे की चादर पकड़कर जोर से खींच लेती है | राहुल को झटका सा लगता है | वो हडबडा कर उठ जाता है और सामने अपनी माँ को खड़े देखता है | अभी उसकी आँखें पूरी खुली नहीं थी शायद इसीलिए वो अपनी माँ के चेहरे पे छाया गुस्सा नहीं देख सका |

“क्या मम्मी....क्यों इतनी सुबह सुबह जगा रही हो, मुझे अभी सोना है” राहुल अपनी माँ से शिकायत भरे स्वर में बोला |

“इतनी सुबह सुबह? लाट साहब टाइम मालुम है आपको, दस बजने को आए हैं और आपको अभी भी सोना है, हाथ मुंह धोकर निचे आओ, मैं नाश्ता लगाती हूँ” सलोनी तीखे स्वर में बोली |

“मुझे नहीं नाश्ता वाश्ता करना आप जाईये और बस मुझे सोने दीजिए”, राहुल अपनी माँ के हाथ से चादर खींचने की कोशिश करता है | सलोनी उसका हाथ झटक देती है और आगे बढ़कर एक ज़ोरदार तमाचा राहुल के मुंह पर लगाती है | तमाचा लगते ही राहुल की आँखें जो अभी भी नींद से बोजिल थीं, खुल जाती हैं और उसे पहली बार एहसास होता है कि उसकी माँ का मूड कितना बिगड़ा हुआ है |

“इसी समय बेड से उठो और हाथ मुंह धोवो, दस मिनट में तुम निचे नाश्ते के टेबल पर होने चाहिए, आज से तुम मेरी इज़ाज़त के बिना ना खेलने जाओगे और ना ही टीवी देखोगे, तुम्हे हर रोज़ समझा समझा कर मेरा दिमाग ख़राब होने को आया और तुम्हारे कान पर जूं तक नहीं सरकती, अब तुम्हे जिस तरीके से बात समझ में आती है, मैं उसी तरीके से समझाउंगी”, सलोनी चिल्लाती हुई बोलती है |

राहुल सर झुकाए बेड पर बैठा था और एक हाथ से तमाचे से लाल हो चुके गाल को सहला रहा था |

“दस मिनट! याद रखना वर्ना .....” कहते हुए सलोनी पाँव पटकाते हुए उसके कमरे से निकल जाती है और अपने पीछे भडाक से दरवाज़ा बंद कर देती है |

सलोनी के जाते ही राहुल छलांग लगा कर उठ जाता है और कमरे से अटैच्ड बाथरूम में घुस जाता है | दांतों पर फुल स्पीड में ब्रश रगड़ते हुए उसे इस बात की हैरत हो रही थी कि क्या हो गया जो उसकी माँ का मूड आज सुबह सुबह इतना उखड़ा हुआ है | वो तमाचा लगने से इतना आहत नहीं था | जितना वो इस बात से दुखी था कि आज वो क्रिकेट खेलने नही जा पाएगा और XBOX का तो नाम भी लेना गुनाह होगा |

अपनी माँ के गुस्से से वो भली भांति वाकिफ था | सलोनी के गुस्से से तो खुद उसका पति भी डरता था | अब तो सारा दिन घर पर माँ के सामने बैठकर उन्ही किताबो में सर खपाना पड़ेगा जिनसे बड़ी मुश्किल से उसका पीछा छूटा था |

पिछले ऐसे वाकिया से वो जानता था कि अब उसे पहले जैसी आजादी मिलने में दो तीन दिन लग जायेंगे | मुंह पर पानी के छींटे मारता वो सोच रहा था कि किस तरह वो अपनी माँ को खुश कर सकता है | अगर वो किसी तरह खुश हो गई तो उसकी सजा आज ही ख़त्म हो सकती थी |
 
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दस मिनट लगभग होने को थे | राहुल तौलिया उठाकर बेडरूम की और जाने लगा मगर फिर उसने पेशाब करने की सोची | उसे कुछ खास प्रेशर तो महसूस नहीं हो रहा था मगर फिर भी उसने सोचा कि पेशाब करके ही जाया जाए | ज़िप खोल उसने अपना सोया हुआ लंड बाहर निकाला | फिर अपनी घडी पर नज़र डाली | दस मिनट बीत चुके थे हालांकि वो जानता था कि उसकी माँ उसके थोड़े बहुत जयादा समय लगाने से कुछ नहीं कहेगी मगर फिर भी वो नहीं चाहता था कि वो किसी भी तरह माँ का गुस्सा ना बढ़ाए बल्कि उसे खुश करने की सोचे | प्रेशर ना होने की वजह से उसे पन्द्रह बीस सेकंड लंड को हिलाना पड़ा तब जाकर धार निकली |
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अब तक बारह मिनट बीत चुके थे, वो पेंट की ज़िप पकडे पीछे को घुमा और भागते हुए ज़िपर को ऊपर खींचने लगा और यहीं उसने गलती कर दी | भागने से उसका लंड जो पेशाब करने के समय हिलाने से थोडा सा जाग गया था , झटका लगने से बहार आ गया और उधर उसने तेज़ी से ज़िपर ऊपर खींच दी | अगले ही पल उसका पाँव थम गया | उसका मुंह खुल गया और एक खामोश चीख उसके मुख से निकली | वो तीव्र दर्द से बिलबिला उठा था |

उसके लंड की बेहद नर्म त्वचा ज़िपर में फँस गई थी | कम से कम ज़िपर के पांच दांत त्वचा को अपने अंदर कस चुके थे | राहुल को एक तरफ इतना दर्द हो रहा था और उधर उसे अपनी माँ का डर सता रहा था | अब वहां उसकी मदद करने वाला भी कोई नहीं था | यह बात अलग थी कि अगर कोई होता भी तो भी वो मदद ना मांगता उसे कतई गंवारा ना होता कोई उसे इस हालत में देखे और उसकी खिल्ली उडाए | राहुल ने जैसे ही ज़िपर को वापस खोलने के लिए हाथ लगाया तो दर्द की एक बेहद तेज़ लहर उसके लंड से होकर उसके पूरे जिस्म में फ़ैल गई | ज़िपर को हिलाने मात्र से उसे लंड में असहनीय पीड़ा महसूस हो रही थी और उधर घड़ी की सुईओं की रफ़्तार जैसे दुगनी तिगुनी हो गयी थी | उसे जल्द ही इस मुसीबत से छुटकारा पाना था वर्ना वो जानता था कि उसकी माँ ऊपर आने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाएगी | उसने धीरे से दोनों हाथों की उँगलियाँ अपनी अध खुली ज़िपर के अन्दर विपरीत दिशाओं में डाली और फिर उसने दो तीन गहरी साँसे लेकर आँखें भींच ली और बिजली की फुर्ती से दोनों हाथों को विपरीत दिशाओं में झटका |
“आअअअअअहहहहहहहह! मम्ममममममममममी!" वो पीड़ा को सह नहीं पाया और चीख पड़ा | उसकी तो दर्द से सांस ही रुक गयी थी | सलोनी बेटे के कमरे से निचे आकर टेबल पर नाश्ता लगा रही थी | उसका मूड अब और बिगड़ चूका था और ऊपर से राहुल ऐसा ढीठ था कि थप्पड़ खाने के बाद भी नहीं सुधरा था | बीस मिनट हो चुके थे और वो अब तक नहीं आया था |

“दो तीन मिनट और ......अगर वो अभी भी निचे ना आया तो आज उसकी .....” उसकी सोच की लड़ी अचानक से टूट गई | जब राहुल की दर्द भरी चीख से पूरा घर गूँज उठा | पलक झपकते ही सलोनी राहुल के कमरे की तरफ दौड़ रही थी | उसकी जान पे बन आई थी “बेटा क्या हुआ, मैं आ रही हूँ, मैं आ रही हूँ......” सलोनी दौड़ते हुए चीख रही थी | वो पलक झपकते ही ऊपर अपने बेटे के कमरे में थी | सामने बाथरूम के डोर के बीच राहुल अपनी जाँघों के जोड़ पर हाथ रखे गहरी गहरी सांसे ले रहा था | उसका चेहरा ही बता रहा था कि वो कितनी पीड़ा में था |

“मम्मी मेरी लुल्ली............हुंह.......हुंह...” वो सुबकने लगा, आँखों से पानी की धाराएँ बहने लगी | “मम्मी मेरी लुल्ली पेंट की चैन में आ गई.........मम्मी बहुत दर्द हो रहा है..”
 
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सलोनी भागती हुई राहुल के पास जाकर निचे घुटनों के बल बैठ जाती है | वो उसके हाथों को हटा देती है | सामने राहुल का लंड उसकी पेंट से बाहर निकला हुआ था | उसने ध्यान से निचे देखा मगर उसे ठीक से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था | उसने धीरे से अपनी ऊँगली और अंगूठे के बिच लंड को पकड़कर ऊपर उठाया |

“आह मम्मी”, राहुल दर्द से तिलमिला उठा |

“सॉरी बेटा, सॉरी, मुझे थोडा देखने दो”, सलोनी बिलकुल धीरे धीरे बहुत कोमलता से लंड को थोडा सा ऊपर उठती है ताकि देख सके निचे कैसी हालत है |


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लंड के हल्का सा ऊपर उठने पर सलोनी ने देखा कि लंड अभी भी ज़िपर के दो दांतों में फंसा हुआ था | उसने ज़िपर के बेहद पास त्वचा पर ज़िपर के दांतों के निशान भी देखे ,जिनसे मालूम चलता था कि उसने खुद लंड को ज़िपर से आज़ाद करने की कोशिश की थी जिसमे वो थोडा बहुत कामयाब हो भी चूका था |

सलोनी ने ज़िपर के हैंडल को कांपते हाथों से पकड़ा और उसे अत्याधिक सावधानी से बहुत धीरे धीरे निचे खींचने का प्रयास करने लगी | मगर जैसे ही वो ज़िपर पे हल्का सा दवाब भी देती , राहुल की सिसकियाँ निकलने लग जातीं |

“उफ्फ्फ अब क्या करू! तुम हर दिन नई मुसीबत खड़ी कर देते हो”, सलोनी खीझ कर बोल उठी | उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत से वो कैसे उबरे, राहुल ज़िपर को खींचने नहीं दे रहा था, अब उसका लंड वो बाहर कैसे निकाले |

“आपकी गलती है, सुबह सुबह मुझे आकर डांटने लग जाते हो, छुट्टियों में भी मज़ा नहीं करने देते आप”, राहुल ने अपने दिल की भड़ास निकाल दी | सलोनी बेटे की बात सुनकर चुप हो गई |

“वो सही कह रहा है, मेरी डांट की वजह से शायद घबराहट में उससे यह हो गया और फिर मैंने उसे डांटा भी किस बात के लिए, मेरा मूड ख़राब था तो इसमें उसका क्या दोष? साल में एक बार ही तो छुट्टियाँ होती है .....” सलोनी ठंडी आह भरती है | अब उसके सामने एक ही रास्ता था |

“छुटियाँ होने का मतलब क्या यह होता है कि तुम सिर्फ और सिर्फ एन्जॉय करो ... ना तुम अपनी पड़ाई करते हो, ना किसी काम में मदद करते हो, सारा दिन घर से गायब रहते हो और घर आते ही XBOX पे गेम खेलने चालू कर देते हो, अब तुम्हे डांटू नहीं तो इनाम दू?”
 
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“मेरे सभी दोस्त खेलने आते हैं...... किसी की माँ रोक टोक नहीं करती, एक आप ही हो.... जब देखो.... आहअअअअअआ.......”

अचानक राहुल के मुख से तीखी दर्द भरी चीख निकलती है |
उसका मुंह खुल जाता है और कुछ पलों के लिए उसकी साँसे गले में ही अटक जाती हैं |
सलोनी एक दम खड़ा हो कर अपने बेटे के सर पर हाथ फेरती है |


“बस बेटा बस.....अब हो गया....अब तुम्हे तकलीफ नहीं होगी” |

“उफ़... मेरी...हाए....जान निकल......आह्ह्हह्ह.....आप मेरी माँ हो कि दुश्मन” राहुल अब समझा था कि
उसकी माँ ने जान बुझकर उसे बातों में फंसाया था कि
उसका ध्यान हटते ही वो ज़िपर खोल देती |
राहुल की पीड़ा अब पहले जैसी भयानक नहीं थी मगर दर्द अभी भी बहुत था |

“बेटा क्या करती ..... अब इसके सिबा दूसरा उपाए भी नहीं था, कुछ देर बर्दाश्त करो, दर्द मिट जायेगा”,
सलोनी अपने बेटे की गालों से आंसू पोंछती है |
बेटे को इतनी तकलीफ में देख बेचारी माँ का दिल फटा जा रहा था |

“नहीं बर्दाश्त हो रहा माँ... ... हाए ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मेंरी लुल्ली को काट दिया है” राहुल होंठ भींच सिसक सिसक कर बोलता है |

सलोनी फिर से निचे घुटनों के बल बैठ उसके लंड को अपने हाथ में कोमलता से थाम लेती है |


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इस बार राहुल उसका हाथ नहीं हटाता क्योंकि लंड अब ज़िपर से आज़ाद हो चूका था |
सलोनी लंड के निचे की त्वचा को देखती है |
जिस पर जिपर के दांतों के चुभने के निशान थे वो जगह और आस पास की काफी त्वचा सुर्ख लाल हो चुकी थी |

सलोनी ने अपने अंगूठे और तर्जनी ऊँगली से लंड को थाम दुसरे हाथ से उस जगह को बहुत कोमलता से सहलाया |
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“आआह्ह्ह्ह... माँ जल रहा... है” राहुल सिसकता है |

सलोनी एक बार लंड की घायल त्वचा को देखती है और
फिर राहुल के सुंदर भोले चेहरे को जो दर्द के मारे आंसुओं से गिला होकर चमक रहा था |
फिर वो अपने नर्म मुलायम होंठ लंड की घायल त्वचा पर रख देती है
 
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“उंहहहहह्ह्ह्हह” राहुल धीमे से आह भरता है |

सलोनी के नाज़ुक होंठ बहुत ही कोमलता से लंड की नर्म त्वचा को जगह जगह चूम रहे थे ,


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धिमे धीमे लंड की घायल त्वचा पर कुछ पुच पुच करती वो चुम्बन लेती है |
राहुल को अपनी माँ के नाज़ुक होंठों का स्पर्श उस संवेंदनशील जगह पर बहुत ही प्यारा महसूस होता है
और उसे फ़ौरन राहत महसूस होती है |

“हाँ .......मम्ममममी... अभी थोडा बहुत अच्छा लग रहा है” राहुल की बात सुन सलोनी के होंठों पर मुस्कान फ़ैल जाती है |
पुरष को अपने लंड पर किसी औरत के होंठो का नर्म एहसास हमेशा सुखद प्रतीत होता है
चाहे वो औरत उसकी माँ ही क्यों ना हो | राहुल की बात से थोडा उत्साहित होकर सलोनी और
भी तेज़ी से लंड के निचे उस जगह चुम्बन अंकित करने लगती है |
कुछ ही पलों में राहुल अपनी माँ के होंठों के स्पर्श के उस सुखद एहसास में डूब जात है |

“आआहह... मम्मी... अभी दर्द कम हो रहा है, प्लीज मम्मी ऐसे ही करते रहिए” सलोनी तो जैसे यही सुनना चाहती थी |
उसने लंड को ऊपर उठाया और जड़ से लेकर टोपे तक लंड पर चुम्बनों की बरसात कर दी |
फिर उसके होंठ खुले और उसकी जिव्हा बाहर आई |
उसने जिव्हा की नोंक से घायल त्वचा को सहलाया |

38999


गीली नर्म जिव्हा का एहसास होते ही राहुल के मुख से खुद बा खुद सिसकी निकल जाती है |
सलोनी की जिव्हा उस सिसकी को सुन और भी गति से लंड की निचली त्वचा पर रेंगने लगती है |

“अह्ह्हह्ह्ह्ह ............मम्मी बहुत अच्छा लग रहा है.. बहुत........बहुत मज़ा आ रहा है”
राहुल के मुख से लम्बी सिसकी निकलती है, मगर वो सिसकी दर्द की नहीं बल्कि आनंद की थी,
दर्द तो वो कब का भूल चूका था |
उधर बेटे के मुख से आनंदमई सिसकी सुन सलोनी के होंठों की मुस्कान उसके पूरे चेहरे पर फ़ैल जाती है |
उसकी जिव्हा अब सिर्फ घायल त्वचा पर ही नहीं बल्कि उसके आस पास तक घूम रही थी |
अचानक सलोनी महसूस करती है कि उसके अंगूठे और तर्जनी ऊँगली में थामे हुए लंड में कुछ हरकत हो रही है |
वो हल्का हल्का सा हिलने डुलने लगा था |
सलोनी बेपरवाह अपनी जिव्हा लंड की जड़ से सिरे तक घुमा रही थी |

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राहुल का दर्द कब का मिट चूका था |
अब दर्द की जगह मज़ा ले चुका था और कैसा जबरदस्त मज़ा था |
इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी |
पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी |
उसे अपने बदन में कुछ तनाव महसूस हो रहा था |
खास कर अपने लंड में और लंड का वो तनाव पल प्रतिपल बढ़ता जा रहा था |
उसे अब जाकर एहसास हुआ कि उसका लंड खड़ा हो रहा था |

लंड खड़े होने का एहसास सलोनी को भी जल्द ही हो गया |
जिससे उसके अंगूठे और ऊँगली में उसका आकार बढ़ने लगा, जब उसकी जिव्हा को लंड का नर्म मुलायम एहसास होने लगा |

“उफ्फ्फ यह तो खड़ा हो रहा है, मेरे बेटे का लंड खड़ा हो रहा है”, सलोनी खुद से कहती है |

एक पल के लिए उसके मन में आया कि अब शायद उसे राहुल के लंड को छोड़ देना चाहिए
मगर अगले ही पल उसने वो विचार अपने दिमाग से झटक दिया |

‘वो इतनी तकलीफ में है और तुझे सही गलत की पड़ी है, कैसी माँ है तू सलोनी?
जो अपने बेटे की पीड़ा को दूर करने के लिए कुछ देर के लिए अपनी शर्म भी नहीं छोड़ सकती,
देख तो बेचारा दर्द से कितना कराह रहा है’ सलोनी खुद को धिक्कारती है |

सच में राहुल कराह रहा था | हर सांस के साथ कराह रहा था |
मगर उसके मुख से निकलने वाली ‘आआह्ह्ह्ह’ या ‘उफ्फ्फ्फ़’ की कराहें मज़े की थी ना कि दर्द की
और यह बात दोनों माँ बेटे बड़ी अच्छे से जानते थे |
राहुल कितना मज़े में था यह उसका लंड साफ़ साफ़ दिखा रहा था |
जिस का अकार बढ़कर लगभग छे इंच हो चूका था और जो अभी भी बढ़ता जा रहा था |
 
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जैसे जैसे लंड का अकार बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे सलोनी की जिव्हा की गति बढती जा रही थी |

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लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था |
हालाँकि वो अपने मन में बार बार दोहरा रही थी कि वो अपने बेटे की पीड़ा का निदान कर रही थी
मगर उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी कुछ और ही बयां कर रही थी |

उसके निप्पल कड़े होकर शर्ट के ऊपर से अपना एहसास देने लगे थे,
चूत में रस बहना चालू हो चूका था |
वो अपनी उत्तेजना को नज़रंदाज़ करने की कोशिश कर रही थी
मगर असलियत में वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी |
उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर निचे हो रहा था |
बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी |

लंड पूरा कड़क हो चूका था और अब उसका आकार करीब साढ़े छे इंच था |
लंड इतना सख्त था जैसे मॉसपेशियों का ना होकर लोहे का बना हो |
सलोनी अपने बेटे के लंड के उस कड़कपन को महसूस करना चाहती थी |
मगर जिव्हा से चाटने मात्र से वो उसके कड़कपन को महसूस नहीं कर सकती थी |
सलोनी ने खुद को आश्वासन देते हुए कि उसके बेटे की पीड़ा को कम करने के लिए उसे यह कदम उठाना ही होगा ,
लंड को मध्य से और निचे से अपने रसीले होंठों में भर लिया

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और अपनी जिव्हा उस पर रगडते हुए उसे चूसने लगी |
राहुल के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गई |
उस बेचारे से बर्दास्त नहीं हुआ और उसके मुख से ऊँची ऊँची कराहें निकलने लगी |
बेटे के मुख से निकलती ‘अह्ह्ह्ह- अह्ह्ह्ह’ ‘उफ़’ ने सलोनी को और भी उतेजित कर दिया |
धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की और जाने लगे |
जैसे जैसे सलोनी के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे,
दोनों माँ बेटे की साँसे और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं |

सलोनी के होंठ एकदम सुपाड़े के पास पहुँच गये थे
बल्कि उसके गिले होंठ सुपाड़े के बाहरी सिरे को छू रहे थे |
सलोनी के दिमाग में कहीं एक आवाज़ गूंजी, उस आवाज़ ने उसे चिताया कि वो क्या करने जा रही है?
मगर सलोनी ने अगले ही पल उस आवाज़ को अपने मन मस्तिष्क से निकल दिया,
‘वो मेरा बेटा है, मेरा फ़र्ज़ है उसकी देखभाल का,
उसे अब जब मेरी इतनी जरूरत है तो मैं क्यों पीछे हटूं?’

अगले ही पल वो हुआ जिसकी आशा में राहुल और सलोनी दोनों का बदन कांप रहा था,
बुखार की तरह तप रहा था |
सलोनी के होंठ अपने बेटे के लंड के सुपाड़े के चारों और कस गए |


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राहुल को लगा शायद वो गिर जाएगा |
सलोनी ने सुपाड़े को अपने दहकते होंठो में क़ैद कर लिया
और उस पर जैसे ही जिव्हा चलाई |
राहुल के बदन ने ज़ोरदार झटका खाया |
 
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“आहह्ह्ह... म्म्म्ममी....उफफ्फ्फ्फ़” राहुल सुपाड़े की अति संवेदनशील त्वचा पर
अपनी माँ की खुरदरी जिव्हा की रगड़ से ज़ोरों से कराहने लगा | उ
सके हाथ स्वयं ही ऊपर उठे और अपनी माँ के सर पर कस गए |


राहुल पर अपनी जिव्हा और होंठो का ऐसा जबरदस्त प्रभाव देखकर सलोनी जैसे पूरे जोश में आ गई |
उसने होंठ कस कर अपनी जिव्हा तेज़ी से चलानी शुरू कर दी |

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उसका एक हाथ अपने बेटे की कमर पर चला गया
और दुसरे से वो उसके अंडकोष सहलाने लगी |

अब सलोनी का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था |
उसके गिले मुख में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने राहुल को जोश दिला दिया |
वो अपनी माँ के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा |
सलोनी के करने और राहुल के करने में फर्क बस इतना था कि यहाँ सलोनी धीमे धीमे लंड को चूस रही थी,
चाट रही थी, वहीँ राहुल तेज़ी तेज़ी आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी माँ का मुख चोदने लगा |
बेटे का लंड सलोनी के गले को टच करता तो उसके मुख से ‘गुन्न्न्न –गुन्न्नन्न’ की आवाज़ निकलती |
उधर राहुल तो जैसे किसी और ही दुनिया में था |
आँखें बंद किए वो अपनी माँ के मुंह में अपना लंड घुसेड़ता जा रहा था |

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सलोनी को हालाँकि लंड के इतने तीव्र धक्कों से दिक्कत हो रही थी
मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने बेटे के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का |
उसकी जिव्हा अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपाड़े को रगडती
तो उसके होंठ सुपाड़े से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते |
लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते |

जल्द ही राहुल को अपने अंडकोष में और लंड की जड़ में दवाब सा बनता महसूस होने लगा |
उसे एहसास हो गया वो झड़ने के करीब है |
उसने अब अपनी माँ के मुख को और भी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया |

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उधर सलोनी के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नही था |
वो तो बस अपने होंठो और जिव्हा के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी |

खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी |
जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी |
चुत से रस निकल निकल कर उसकी कच्छी और जांघें गीली कर चुका था |
अब दोनों माँ बेटे स्पष्ट रूप से कामांध के वशीभूत एक दुसरे से जितना हो सकता कामुक आनंद प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे |
दोनों लंड की पीड़ा का दिखावा कब का छोड़ चुके थे |

अचानक राहुल को लगने लगा उसकी सम्पूर्ण शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है |
उसका लंड उसे महसूस हुआ जैसे और भी कठोर हो चूका था |
लंड की हालत को सलोनी ने भी महसूस किया |

उस लम्हे, उस पल सलोनी के मन में वो विचार कौंधा कि
यह तगड़ा कड़क लंड अगर इस समय उसकी चूत में होता तो?
जिस तरह उसका बेटा उसके मुख को गहरे ज़ोरदार धक्कों से चोद रहा था |

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अगर ऐसे ही बलपूर्वक वो उसकी चूत को गहराई तक चोदता तो?
उस विचार ने मानो कामाग्न में जल रही उस नारी के अन्दर जैसे भूचाल ला दिया |
उसने दोनों हाथ अपने बेटे के नितम्बो पर रख उसके लंड पर अपना मुख इतनी तेज़ी से आगे पीछे करने लगी कि
राहुल ने धक्क्के लगाने बंद कर दिए |
वो पानी माँ के मुखरस से भीगे लंड को उसके मुख में अन्दर बाहर होने के उन आखिरी लम्हों का मज़ा लेने लगा |
वो अब किसी भी क्षण झड सकता था |
सलोनी की जिव्हा के प्रहार के आगे तो उसका बाप बहुत जल्द हार मान लेता था तो उसकी क्या विसात थी?

“ओह्ह्ह्ह...........मम्म्म्ममी..............आहह्ह्ह्हह्हह्ह्ह......” राहुल कराह उठता है
और उसके लंड से वीर्य की प्रचंड धारा निकल सलोनी के गले से टकराती है |
सलोनी के मुख की गति कम होने लगती है |
वो धीमे धीमे हल्का हल्का सा सर को आगे पीछे हिलाते हुए अपने बेटे के स्वादिष्ट वीर्य को गटकने लगती है |
लेकिन एक के बाद एक गिरती धाराएँ उसके लिए मुश्किल पैदा कर रही थी |
इसीलिए उसने सर को हिलाना बंद कर दिया और अपने बेटे का वीर्य पीने लगी |

38459

उस समय वो इतनी उत्तेजित थी कि अगर उसका बेटा उसे चोदने की कोशिश मात्र करता तो
उसे रत्ती भर भी आपत्ति नहीं होती बल्कि वो खुद अपनी टांगें उठाकर उससे खुद चुद्वाती |
 
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लदन से वीर्य निकलना बंद हो चूका था |
उसने अपना मुख उसके लंड से हटाया |

35230


मुखरस से भीगा लंड चमक रहा था और अभी भी काफी कठोर था |
सलोनी ने लंड की जड़ को अपनी मुट्ठी में कस अपना हाथ आगे को लाने लगी तो लंड में जमा वीर्य की पतली सी धार निकली |
सलोनी ने फुर्ती से अपनी जिव्हा बाहर निकाली
और लंड को निचे करके उस पतली सी धार को अपनी जिव्हा पर समेट लिया |


34815


“मम्मी ............मम्मी...” राहुल बार बार सिसक रहा था |

उसने फिर से लंड की जड़ को मुट्ठी में भीचा और हाथ आगे को लाई |
इस बार मगर एक बूँद ही बाहर निकली |
सलोनी ने जिव्हा की नोंक से सुपाड़े के छेद से वो बूँद चाट ली |
“मम्मी .........मम्मी ....” राहुल सिसकता जा रहा था |

सलोनी की जिव्हा पूरे लंड पर घूमने लगी और उसे चाट कर साफ़ करने लगी |
लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा
और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया |

37032



“ओह्ह्ह्ह मम्म्मम्म्म्ममी .... मम्म्मम्म्म्ममी....” राहुल अभी भी सिसक रहा था |

सलोनी ने अपनी जिव्हा अपने होंठो पर घुमाई और वीर्य और मुखरस को अपने मुख में समेट लिया |
फिर उसने अपने हाथ राहुल के हाथों पर रखे जो उसके बालों को मुट्ठियों में भींचे हुए थे |

राहुल को अब जाकर एहसास हुआ कि वो जोश में अपनी माँ के बालों को मुट्ठियों में भर खींच रहा था |

“सॉरी मम्मी ...मुझे मालूम नहीं यह कैसे....” राहुल अपनी माँ के बालों से हाथ हटाता माफ़ी मांगता है |
उसका लंड अब सिकुड़ना शुरू हो चूका था |

“कोई बात नहीं बेटा” सलोनी खड़ी होती बोलती है “मुझे उम्मीद है अब तुम्हारी लुल्ली में दर्द नहीं हो रहा होगा” |

“आं....हां...नहीं .... मेरा मतलब अब दर्द नहीं है मम्मी” राहुल हकलाता हुआ बोलता है |

“गुड अब आराम से निचे आना , में नाश्ता गर्म करती हूँ, कहीं फिर से अपनी लुल्ली ज़िपर में ना फंसा देना” |

राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले?
उसे लगा शायद उसकी माँ उसका मजाक उड़ा रही है |
लेकिन वो अपनी माँ की कंपकंपाती आवाज़ में डूबी वासना को नहीं देख पा रहा था |
वरना वो समझ जाता यह उसकी माँ की आवाज़ नही थी
बल्कि कामांध में जल रही एक नारी की उत्तेजना बोल रही थी |
जो उस उत्तेजना को मिटाने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकती थी |

“और एक बात और ......” सलोनी दरवाज़े की चौखट पर पीछे को मुड़कर बोलती है,
“अपनी लुल्ली को लुल्ली बुलाना बंद कर ... अब यह लुल्ली नहीं रही ... पूरा लौड़ा बन गई है” कहकर सलोनी कमरे से बहार निकल जाती है |
 
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