Adultery भाभियों का रहस्य

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अध्याय 9

जब वासना की आग शांत हुई तो हमें अपनी स्तिथि का होश आया , मैंने मुस्कुराते हुए गुंजन भाभी और अंकित को देखा जो की अभी तक वही खड़े थे , वो ऐसे खड़े थे जैसे उनके पैर जम गए हो …
पता नहीं क्यों लेकिन मेरे चहरे में उनको देखकर कोई डर नहीं आया बल्कि एक मुस्कान मेरे चहरे में खिल गई …
"तुम लोग यंहा क्या कर रहे हो "
मैं अभी नंगा ही था और उन लोगो की तरफ पलटा , गुंजन भाभी की नजर मेरे मुस्झाये हुए लिंग पर पड़ी , और वो हडबडाकर फिर से मेरा चहरा देखने लगी ..
"वो .. वो तुम्हारी गाड़ी देखि तो लगा की कही तुम मुसीबत में तो नहीं फंस गए इसलिए तुम्हे ढूंढते हुए इधर आ गए , माफ़ करना .. चलो अंकित "
अंकित जो की हैरानी से कभी मुझे तो कभी अन्नू को देख रहा था , गुंजन भाभी के बोलने से उसे भी जैसे होश आया हो ..
"सॉरी सॉरी … " वो दोनों तुरंत ही पलट कर जाने लगे , मैंने हँसते हुए अन्नू को देखा जो की नग्न ही खड़ी थी
उसने तुरंत मुझे अपने पास खिंच लिया और मेरे होठो में होठ डाल कर चूमने लगी …
"आई लव यु .. और ये भूलना मत "
उसने बड़े जोरो से मेरे होठो को चूमने के बाद कहा , उसका चहरा खिल चूका था और आँखों में मेरे लिए प्यार साफ़ दिखाई पड़ रहा था …
"घर चले " मैंने मुस्कुराते हुए उसे देखा
"हम्म तुम्हे जलन नहीं हुई की अंकित ने मुझे ऐसे देख लिया "
उसने हलके से कहा
"वो दोनों यंहा गलती से आये थे तो छोडो अब , ऐसे भी तुम अब मेरी हो " मैंने उसकी पलती कमर को पकड़ कर खिंच लिया जिससे वो फिर से मुझसे सट गई
हमारे होठो फिर से एक दुसरे से मिल चुके थे उसके कोमल होठो को चूसते हुए मैं अपने हाथो से उसके पिछवाड़े को सहला रहता , कोमल मगर पुष्ट निताम्भो को अपने हाथो से एक बार दबोच लिया ..
इतना मेरे लिंग में फिर से जान भरने के लिए काफी था , जीवन में पहली बार सम्भोग का आनंद वो भी उससे जिससे आप इतना प्यार करते हो , गजब का अहसास था , एक दुसरे का हो जाने का अहसास और साथ ही साथ वो मजा ….
मैंने खड़े खड़े ही फिर से अपना लिंग अन्नू की योनी से सहलाया , उसके भी होठो में मुस्कान आ चुकी थी , उसने अपने हाथो से मेरे लिंग को सहलाते हुए अपने योनी में प्रवेश दिला दिया ….
हम दोनों फिर से उसी मस्ती में डूब चुके थे ….
घर आने पर अन्नू का चहरा खिला हुआ था , वो मस्त लग रही थी जैसे वो हमेशा होती थी जैसे कोई बोझ उतर गया हो , हम हवेली के अंदर गये ही थे की मुझे वंहा गुंजन भाभी और अंकित बैठे हुए दिखाई दिए , वो अम्मा के सामने बैठे हुए थे , देखने पर मालूम पड़ रहा था की कोई सीरियस मामला है …
मैंने एक नजर दोंनो को देखा और उपर जाने लगा ..
"निशांत … इधर आओ "
अम्मा ने मुझे आवाज दी , वही अन्नू भी मेरे साथ ही आम्मा के पास पहुची ..
"जी अम्मा "
मेरे मन में पता नहीं क्यों लेकिन कोई भी डर नहीं था , ऐसा लग रहा था जैसे सालो की जंजीर किसी ने तोड़ दो हो , मैं खुद में बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था , बिलकुल ही शांत और संतुलित ..
"तुम दोनों तो बचपन के दोस्त हो क्या हुआ आजकल बात भी नहीं कर रहे "
उन्होंने मुझे और अंकित को देखते हुए कहा
"नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है , वो आप बैठी थी तो मैं …"
अंकित अभी भी सर गडाए बैठा था जैसे उसे यंहा आने का बिलकुल भी मन ना हो लेकिन फिर भी वो यंहा आया हो …
"अच्छा छोडो ये सब तुम कुछ लोगो के साथ जाओ , इनकी पहाड़ी के पास वाली जमीन पर फिर से नादलपुर के कुछ लोगो ने उत्पात मचा दिया है , जरुर बलवंत के आदमी होंगे हमारे गांव के लोगो को परेशान करने में उन्हें मजा आता है "
उनकी बात सुनकर मैं थोडा चौका , आज से पहले गांव और यंहा की राजनीती में अम्मा ने कभी मुझे नहीं शामिल किया था , ठाकुर बलवंत नादलपुर का मुखिया और हमारे क्षेत्र का विधायक था , उसका रुतबा पुरे प्रदेश में फैला हुआ था , अम्मा और बलवंत के परिवार के बीच हमेशा से दुश्मनी रही थी , आये दिन कुछ ना कुछ होता ही रहता , दोनों ही अलग अलग पार्टी को सपोर्ट करते , अभी बलवंत की पार्टी राज्य की सत्ता में थी और इससे अम्मा की मुश्किले और भी बढ़ गई थी , हमारे प्रत्यासी को बलवंत में बहुत ही कम अंतर से हराया था लेकिन हार तो हार ही होती है , रुतबे, पैसे और ताकत तीनो में वो हमशे कही ज्यादा था लेकिन अभी तक अम्मा ने कभी उसके सामने हार नहीं मानी थी , वो अम्मा की जीवटता ही थी की वो बलवंत जैसे इंसान के सामने भी गर्व के साथ खड़ी रहती , बलवंत के लोग आये दिन अम्मा और हमारे गांव के लोगो को परेशान करने का मौका ढूंढते रहते थे , पहाड़ी के पार थोड़े दूर से उनका गांव शुरू होता था , अधिकतर लड़ाई उधर ही होती , वो इलाका गांव से थोडा दूर पड़ता था और सुनसान भी (ये वही इलाका था जन्हा मैं और अंकित शराब पीने जाते और जन्हा वो पत्थर था , वो झरना दोनों गांव के बीच में पड़ता था ) कुछ लोग सोच रहे होंगे की दो पडोसी गांव इतने दूर कैसे , तो भाई लोग जंगलो में अधिकतर ऐसा ही होता है , 2 गांवो के बीच में 10, 15,20 किलोमीटर तक का जंगल होता है कई बार तो और भी ज्यादा ..
खैर दोनों गांव से पास वाले शहर की दुरी लगभग एक ही थी लेकिन रास्ते अलग थे , जिस रास्ते से हम कॉलेज गए थे वही रास्ता शहर की ओर से आने पर दो भागो में बाटता था जिसमे से एक नादलपुर जाता तो दूसरा हमारे गांव कुवरगढ़ … जी हमारे गांव का नाम कुवरगढ़ था क्यों था ?? मुझे क्या पता जिसने रखा उससे पूछो .. :lol1:
मैं अम्मा को चकित भाव से देख रहा था , वो मेरे ओर देखकर मुस्कुराई
"मेरे बाद सब तुम्हे ही देखना है , अभी से जिम्मेदारिया लेनी शुरू कर दो , अब तुम बड़े हो चुके हो , देखते है तुम इस मामले को कैसे सम्हालते हो .."
उनके चहरे में एक मुस्कान अभी तक थी , मुझे डॉ की बात याद आई और मैंने अपनी नजरे झुका ली ..
"जी अम्मा मैं देखता हु … उधर तूम लोगो के आम के बगान है ना ??"
मैंने अंकित से कहा
"जी कुवर " उसने बड़े ही शांत तरीके से जवाब दिया
"क्या हुआ है ??? "
इस बार वो कुछ ना बोला उसकी जगह गुंजन भाभी बोल उठी ..
" वो बगीचा तो ऐसे भी भगवान भरोसे ही रहता है , वंहा देख रेख करने किसी को रखे तो उसे ये लोग मार पिट कर भागा देते है तो हम भी उधर ध्यान नहीं देते , वो हमारे आम चोरी कर ले ये सब भी समझ आता है लेकिन … लेकिन इस बार तो हद कर दिया उन्होंने , हम दोनों शहर गए थे और इसके भैया कुछ मजदूरो के साथ उस ओर गए थे ,सोचा था जो कुछ बचा हुआ है वो ही तुड़वाकर ले आयेंगे , लेकिन वंहा पहले से निदालपुर के कुछ लोग मौजूद थे , पता नहीं क्या हुआ दोनों के बीच झगडा हो गया और …"
गुंजन भाभी रोने लगी , मैंने अहिस्ता से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ,
"फिक्र मत करे बताओ क्या हुआ .."
उन्होंने अपने साडी के पल्लू से अपनी आँखों का आंसू पोछा
"क्या बताऊ कुवर जी , वो लोग ज्यादा थे और उन्होंने उनको बहुत मारा, मजदूरो को भी मारा, बाकियों को तो छोड़ दिया लेकिन उन्हें वही रख लिया .. कहा है की इसकी बीवी को भेजो तब इसे छोड़ेंगे "
गुंजन भाभी जोरो से रोने लगी , अम्मा ने उन्हें शांत किया और फिर मेरी ओर देखा …
मुझे जीवन में पहली बार इतना गुस्सा आ रहा था , ऐसा लगा जैसे शरीर तपने लगा हो , मैं हमेशा से शांत व्यक्ति था लड़ाई झगड़े से कोशो दूर रहने वाला , लेकिन आज जाने क्या हो गया था , ऐसे भी मैं आजकल पहले जैसा रहा ही कहा था , मैं बुरी तरह से काँप रहा था , मैंने अंकित को देखा भाभी की बात सुनकर उसकी भी मुठ्ठी कस गई थी लेकिन वो अभी भी सर झुकाए ही बैठा था …
"आज के बाद वो ऐसा बोलने की सोचेंगे भी नहीं "
मैंने गुंजन भाभी का हाथ पकड़ का उन्हें अपने साथ खिंच लिया और ले जाकर सीधे अपनी बुलेट के पास पंहुचा ..
"सब तैयार हो जाओ …चलो सालो को दिखलाते है …"
मैंने चिल्लाते हुए बोला और कालू को इशारा किया , कालू हमारा पुराना वफादार और मारपीट एक्सपर्ट था , जेल आना जाना उसके लिए रोज का था , उसने अपनी कटार अपने हाथो में ले ली उसके साथ ही और भी बहुत से लोग थे सभी अपने अपने गाडियों में सवार हो चुके थे , मेरे ऐसा करने से अंकित भी चौक गया था वो भी दौड़ता हुआ हमारे पीछे आया ..
"भाभी बैठो आप …"
मैंने गुंजन भाभी से कहा
"मैं … मैं वंहा क्या करुँगी जाकर .."
"डरो मत बैठो उन्होंने आपको बुलाया है न , उनको भुगतना पड़ेगा , बैठो "
उन्होंने एक बार अंकित की ओर देखा जो खुद भी हैरान था , भाभी मेरे साथ बुलेट में बैठ गई , वही अंकित भी अपनी बाइक लेके निकला … मेरे साथ करीब 50 लोगो का काफिला था जिसमे से 20 का तो काम ही यही था , जब भी लड़ाई होती तो उन्हें जाना ही था ..
वो बगीचा पहाड़ी के पीछे पड़ता था , मैंने सभी को अपनी गाड़ी थोड़े दूर बंद करने को कह दी , मुझे पता था की सामने वाले भी कम नहीं होंगे , और पूरी तैयारी में बैठे होंगे , कालू ने मेरे हाथो में भी एक कटार थमा दी ..
"कुवर जी आज शुभारम्भ हो ही जाए , आज बहुत दिनों के बाद लगा की कुवरपुर में जान आई हो "
कालू बहुत खुश था , क्योकि अम्मा कूटनीति में ज्यादा भरोसा रखती थी , मारपीट भी बस बचाव के लिए होता आक्रमण के लिए नहीं किया जाता ,लेकिन आज तो हम पुरे आक्रमण के मूड में थे ..
"क्या करना है सीधे टूट पड़े इनपर " कालू जैसे मेरा सेनापति हो , उसने उसी लहजे में कहा
"नही ऐसे नहीं पहले देखो तो सालो ने हमें फ़साने के लिए क्या जाल बनाया है, अंकित तुम भाभी के साथ यंही रुकोगे , जब हम सिग्नल दे तो आ जाना , बाकी लोग आराम से कोई शोर नहीं करना है पहले छिपकर उन्हें देखते है फिर हमला करेंगे …
हम धीरे धीरे उस ओर बढ़ने लगे , थोड़े दूर के बाद ही हमें लोगो की आवाजे सुनाई देने लगी थी , मैंने सभी को सचेत किया , हम छिपकर उन्हें देखने लगे , अंकित के भैया एक पेड़ में बंधे हुए थे वो लोग वंहा आराम से बैठे थे , वो भी बहुत संख्या में थे लेकिन खासबात ये भी थी की उनका गाँव भी यंहा से पास था , वो कुछ देर में ही मदद माँगा सकते थे , मैं सोच में पड़ा रहा …
"क्यों कुवर हमला कर दे .." कालू से मानो रहा नहीं जा रहा था
"अरे रुक यार , एक काम करो पहले सालो को घेर लो , किसी के पास धनुष बाण है क्या .."
कालू हँसने लगा
"आज के जमाने में कौन धनुष चलाता है …"
"तो क्या है "
उसने अपने कमर से एक पिस्तौल निकाली
"बस ये एक और "
"5-6 लोगो के पास और होगी "
मैं फिर से सोच में पड़ गया ..
"सालो वंहा देखो बड़ा बड़ा रायफल ले कर घूम रहे है और तुम लोग छोटे छोटे तमंचो से इन्हें हारोगे …कुछ सोचना पड़ेगा …. जितनो के पास पिस्तौल है और जिनका निशाना अच्छा है वो हाथ उठाओ "
गिन कर 5 लोग थे , मुझे समझ आ गया था की आखिर नादलपुर वाले इन पर क्यों हावी हो जाते है , मैंने एक गहरी साँस ली ..
"कोई नहीं 5 लोग 5 दिशाओ में फ़ैल जाओ , सामने दो लोग रहेंगे लेकिन एक साथ नहीं थोडा अलग अलग , याद रहे सामने निकल कर गोली मत चला देना , छिपकर ही गोली चलना और तुरंत ही अपनी जगह बदल लेना , उन्हें समझ ही नहीं आना चाहिए की आखिर गोली कहा से चल रही है , जब एक तरफ ध्यान देंगे तभी दूसरी ओर से गोली चलाना , और सभी का निशाना बन्दुक धारियों पर ही होना चाहिए , गिन गिन कर मारो सालो को , लेकिन सामने जो दो लोग रहोगे वो कोई गोली मत चलाना , उनका ध्यान हमें बाकि की दिशाओ में खीचना है , थोड़े देर में बाद जब मैं बोलूँगा तभी इधर से गोलिया चलनी शुरू होगी और तभी हम उनपर एक साथ हमला करेंगे … ठीक है बंट जाओ सभी अभी कोई होशियारी दिखाकर सामने नहीं आएगा पहले गोलिया चलने दो फिर हमला होगा …"
मैंने सामने ज्यादा लोगो को रखा था , और उन्हें भेज दिया …
पहली गोली चली जो की सीधे एक बन्दुक धारी के हाथो में लगी , उधर के खेमे में खलबली मच गई सभी सतर्क होकर खड़े हो गए और उस ओर गोली चलाने लगे , तभी दुसरे ओर से एक गोली चली , सभी उस ओर घूम गए फिर तीसरी फिर कभी इधर से तो तुरंत बाद उधर से , पहले तो वो लोग परेशान हुई कई को गोली भी लगी लेकिन वो थोड़े सतर्क हो चुके थे तभी मैंने इशारा किया और सामने के दो लोग एक साथ गोलिया चलाने गले , उनका ध्यान हमारी ओर जाता उससे पहले ही मैंने इशारा कर दिया और चील्लाते हुए 50 लोग सामने वालो पर टूट पड़े , जिसके हाथ में जो था वो उससे ही सामने वाले को मार रहा था , मैं हाथो में कटार लिए खड़ा था किसी से भी नहीं लड़ रहा था ..
मैंने देखा की एक आदमी छिपकर अपना फोन निकाल रहा है , मैंने अपने पास खड़े बन्दुक धारी को उस आदमी की ओर इशारा किया ..
"पहले उस साले को मार नहीं तो हम लोग मर जायेंगे …"
बंदूख वाला तुरंत एक्शन में आया और गोली चला दी , थोड़े देर में ही सामने वाले घुटनों पर आ चुके थे , कुछ गंभीर रूप से घायल थे तो कुछ की जान भी जा चुकी थी , कुछ खुद को बचाने के लिए छिप गए थे जिसे ढूंढ ढूंढ कर निकाला जा रहा था , वही कुछ खुद को समर्पित कर चुके थे …
मुझे एक अजीब सी फिलिंग आ रही थी , इस गंभीर माहोल में भी आराम से था ..
मैंने गुंजन भाभी को बुलावा भेज दिया और भैया को खोलकर आजाद किया …
"किसने इनकी बीवी को यंहा बुलाया था …"
मैं चिल्लाया भैया ने एक आदमी पर उंगली उठाई , वो आदमी बुरी तरह से जख्मी था लेकिन उसकी अकड अभी भी कम नहीं हुई थी ..
मैंने उसे घसीटते हुए सामने लाया , उधर गुंजन भाभी भी वंहा आ गई थी …
"तो तुमने इनकी बीवी को बुलाया था ना , आ गई ये "
वो आदमी हँसने लगा ..
"अरे मैंने तो इसलिए इसे बुलाया था ताकि पूछ सकू की इसके मदर में कोई दम नहीं है क्या जो आज तक कोई बच्चा नहीं हुआ , साला तुम्हारा तो पूरा गांव ही नामर्दों का है ….थू, अपनी ओरतो को हमारे पास भेजा करो , सब के पेट फुला देंगे .."
वो जोरो से हँसने था और किसी के पास भी उसकी बात का कोई जवाब नही था , मेरे मन में एक अजीब सी हलचल मचने लगी थी , मैंने अपना कटार उठाया और खचाक ….
खून के छींटे मेरे चहरे पर आ पड़े …
थोड़े देर में ही सभी लोग गांव की ओर निकल पड़े , उनकी तरफ से जो भी ठीक था उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया गया , मुझे आभास हो रहा था की इस कल्तेआम का अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है …
भैया को हॉस्पिटल के लिए भेज दिया लेकिन मैंने गुंजन भाभी और अंकित को रुकने को कहा ..
"मुझे कुछ बात करनी है " भाभी और अंकित दोनों ही चौके
"लेकिन उनके साथ मेरा रहना जरुरी है .."गुंजन भाभी ने कहा
"बस कुछ देर की ही बात है , रास्ते में एक झील पड़ती है थोड़ी देर वही रुकते है फिर घर चले जायेंगे "दोनों ने एक दुसरे की ओर देखा
"बस थोड़ी देर …" मैंने अंकित को देखते हुए कहा
"ठीक है .." वो भी मान चूका था ,
आते समय हम सड़क से थोडा अंदर गाड़ी रखकर झील की ओर चल पड़े , बाकियों को हमने घर भेज दिया था ,अभी शाम ढलने को थी लेकिन पूरी तरह से ढली नहीं थी …
"कुवर जी आपको क्या कहना है जल्दी कहिये , मेरे पति की हालत ठीक नहीं मुझे उनके पास रहना चाहिए "
गुंजन भाभी अभी थोड़ी बेचैन थी ..
"बिलकुल भाभी , झील के पास एक पत्थर है , उसपर बैठकर बात करे , बस थोड़ी देर "
वो फिर से अंकित की ओर देखने लगी ..
"ठीक है चलिए "
थोडा ही चलने पर हम उस पत्थर के पास पहुच चुके थे ………….[/B
 
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अध्याय 10
भाभी और अंकित पथ्थर की ओर बढ़ रहे थे लेकिन वो उसके पास जाते जाते थोड़े धीरे होते जा रहे थे , मुझे भी वो फिलिंग समझ आ रही थी , वो पत्थर अब जागृत था और उसकी शक्तिया मेरे अंदर थी , उसमे एक तीव्र आकर्षण भी था जिससे वो दोनों खींचे चले जा रहे थे …
आखिर भाभी उस पत्थर में बैठ गई उन्होंने आँखे उठा कर मेरे ओर देखा ,
पीले और लाल रंग की साडी , कलाई लाल चूड़ी से भरी हुई थी , उनका गोरा रंग चहरे में आये पसीने से चमक रहा था , मांग का सिंदूर पसीने के कारन थोडा और फ़ैल गया था , मेरी नजर थोड़ी निचे गई तो उनके गले में लगता मंगलसूत्र दिखाई पड़ा ,उनकी सांसे तेज चल रही थी , मैं जानता था की उन्हें क्या हो रहा है , वही अंकित की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी , वो घबराया हुआ था लेकिन अपनी भाभी से नजरे नही हटा पा रहा था ,पेंट में बने तम्बू ने साफ साफ बता दिया था की वो क्या सोच रहा है ..
मैं जानता था की इन दोनों की हालत इस पत्थर के कारन हुई है और शायद मेरे साथ होने के कारन भी ..
मैं उन दोनों के पास पंहुचा और अंकित का हाथ पकड कर भाभी की जन्घो में रख दिया ,
"आह ,,,ओओ "
भाभी ने एक सिसकी ली और आँखे बंद कर ली , वो वासना के आंधी में फंस चुकी थी , वही अंकित जो उस स्त्री को अपनी माँ के समान मानता था वो भी उसे पाने को उत्तेजित होने लगा था ,
अंकित अपने हाथो को उनकी जांघ में सहलाने लगा था , दोनों ही उत्तेजना में बहने लगे थे , मैंने गुंजन भाभी को वही पत्त्थर में लिटा दिया , वो किसी कटपुतली की तरह चुप चाप लेट गई थी , मैंने अंकित का हाथ उनके वक्षो पर रख दिया और खुद वंहा से थोड़ी दूर चला गया ..
दोनों अब पागल हो चुके थे उन्हें खुद का कोई होश बाकी नहीं रह गया था , अंकित अपनी भाभी को धीरे धीरे निर्वस्त्र कर रहा था वही वो उनके जिस्म से खेलने लगा था , मैं भी इस खेल में कूदने को बेताब होने लगा लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाले रखा , मैं देखना चाहता था की मेरे अंदर खुद को रोक पाने की कितनी ताकत है ..
अंकित अब भाभी के उपर पूरी तरह से चढ़ चूका था, दोनों ही निर्वस्त्र थे , अंकित ने अपने लिंग को गुंजन भाभी की योनी में डाल दिया ..
"आअअ ह ह ह …"
एक मादकता से भरी सिसकी मेरे कानो में आई , उन दोनों का कृत्या देख कर मेरे अंदर उफान मच गया लेकिन फिर भी मैं खुद को सम्हाले हुए खड़ा रहा ..
"शाबास निशांत .. बहुत खूब …"
एक आवाज मेरे कानो में पड़ी , मैं इस आवाज से अनजान था की ये किसकी आवाज है , मैंने चारो ओर देखा .. लेकिन वंहा कोई नहीं था , ये आवाज इतनी स्पष्ट की लगा जैसे मेरे पास ही कोई हो ..
"कौन है ..? " मैं चारो ओर देखने लगा , एक ओर भाभी और अंकित अपने ही मस्ती में डूबे हुए थे वही एक अनजान सी आवाज ने मुझे चौका दिया था ..
"मैं कही बाहर नही हु, तुम्हारे अंदर ही हु , मैं इस पत्थर की वो शक्तिया हु जो अब तुम्हारे अंदर है …"
"शक्तियों की कोई आवाज नहीं होती "
"हा हा हा (वो जोरो से हँसा ) लेकिन उनके मालिक की तो होती है , हजारो सालो तक इस ताकत का मालिक एक तांत्रिक था , जिसका कुछ अंश इस पत्थर में रह गया था , अब यही इन शक्तियों की आवाज है .."
"क्या चाहिए तुम्हे ..??"
मैं बहुत ही आशंकित हो चूका था
"मुझे … ?? हा हा हा .. मुझे भला क्या चाहिए होगा , लेकिन मैं तुम्हे बहुत कुछ दे सकता हु , पुरे दुनिया को मुठ्ठी में करने की ताकत … तुमने ये सही किया की इन दोनों को यंहा ले आये , इनके सम्भोग से तुम और भी ताकतवर हो जाओगे , ये दोनों एक दुसरे को माँ बेटे की तरह मानते थे , अब देखो वासना के वसीभूत होकर की एक दुसरे के जिस्म को भोग रहे है … ये पाप है और पाप से शैतान खुश होता है , तुम इस पत्थर पर किसी भी स्त्री और पुरुष के बीच सम्भोग करवा सकते हो , और हर बार जब कोई पाप करेगा तो तुम्हारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , तुम शैतान के सबसे प्रिय बन जाओगे , दुनिया तुम्हारे कदमो में होगी …"
"चुप करो ना ही मुझे ये शक्तिया चाहिए ना ही तुम , मुझे किसी शैतान को खुश नही करना चाहता …"
"हा हा हा .. इस मौके को यु ना गवाओ निशांत , ऐसा भाग्य सभी को नहीं मिलता, तुम चाहो तो इस पत्थर को गांव के चौराहे में या भरे बाजार रख दो , लोग बाजार में ही अपनी माँ बहन और बेटियों के साथ भी सम्भोग के लिए मजबूर हो जायेंगे , तुम चाहो तो ये पाप उनसे करवा सकते हो और खुद भी इससे और भी ज्यादा शक्तिशाली बन सकते हो …"
ये सोच कर भी मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया , ये पत्थर इतना शक्तिशाली है ???
"मत सोचो इस ताकत के मजे लो , और दूसरो को भी लेने दो .."
वो आवाज मेरे अंदर गूंज गई ,
"नहीं … नहीं ऐसा नहीं हो सकता , मैं इस ताकत को अपने हिसाब से चलाऊंगा ना की ये ताकत मुझे अपने ही हिसाब से नचाएगी …"
उधर से फिर से एक जोरो की हँसी गूंजी
"तुम इतने ताकतवर नहीं हो की इस ताकत को सम्हाल पाओ , तुम वासना के भूखे हो , हर मनुष्य है , और ये ताकत तुम्हे बस मनुष्यों को उसके असली रूप में ले आता है , सभी को जिस्म की प्यास होती है और ये बस उस प्यास को बढ़ा देता है , फिर देखो … यही है ना जिसने तुम्हे चमचा मारा था , कहा था की गुंजन उसकी माँ है , अब देखो उसे की उसके जिस्म को भोग रहा है … मनुष्य ऐसा ही है , समाज और नैतिकता के बंधन के कारण वो बंधा हुआ है लेकिन अगर उसके मन से इसका बोध निकाल दे तो उसके लिए जिस्म केवल जिस्म है , और वासना की पूर्ति ही एक मात्र लक्ष्य …"
मैं अंकित और गुंजन भाभी को देखने लगा , ये सच था , अंकित अपनी कमर जोरो से हिला रहा था और गुंजन भाभी भी उसका साथ देते हुए अपने पैरो को उसके कमर में बांध कर मजे ले रही थी , दोनों ही कामुक आवाजे निकाल रहे थे …
"मैं तुम्हारे बहकावे में नहीं आऊंगा , मुझे तुम्हे कंट्रोल करना है .."
"हा हा हा कोशिस कर के देख लो , कुछ देर बाद तुम्हारा लिंग इतना बेताब हो जायेगा की तुम खुद ही गुंजन के उपर टूट पड़ोगे …"
ये सच था , मेरी तो अभी से हालत बहुत ही ख़राब थी , मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था की आखिर मैं करू क्या , मैंने खुद पर बहुत कंट्रोल करने की कोशिस की लेकिन मैं अपने आपे से बाहर जाने लगा था , अचानक मेरी नजर झील पर पड़ी और मैं दौड़कर झील में कूद गया …
ठंढा पानी पड़ते ही मन की वासना दूर होने लगी , हालाकि अभी भी मेरे लिए खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल हो रहा था लेकिन मैं जानता था की अगर आज मैंने खुद को कंट्रोल नहीं किया तो शायद कभी नहीं कर पाऊंगा , मैंने अपनी किस्मत को स्वीकार कर लिया था , लेकिन मैं इस शक्ति की गुलामी नहीं करना चाहता था , बल्कि इसका मालिक बनना चाहता था …
"अब कहो क्या कहते हो …" मैंने सवाल किया ..
"तुम मुर्ख हो जो इतना अच्छा मौका गवा रहे हो , जरा देखो तो गुंजन के कोमल गोर निताम्भो को जो पत्थर में कैसे दब रहे है , और अंकित को देखो जो उन कोमल निताम्भो पर खुद रहा है , हाय कितना मजा आ रहा होगा उसे , जब उनका लिंग गुंजन के कोमल और गिले चिपचिपे योनी में जा रहा होगा , देखो जरा "
उसकी बात सुनकर मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी ..
"नहीं रुक जाओ नहीं .."
मैंने आँखे बंद कर ली और खुद को पानी के अंदर डाल दिया , मैं तब तक अंदर रहा जब तक मैं साँस लेने की लिए तड़फ ना उठा … मुझे खुद को कंट्रोल करना है …मैंने फिर से गहरी सांसे भरी और फिर से पानी के अंदर चला गया , ऐसा मैं करता ही रहा , ऐसा करने से मेरा मन एकाग्र होने लगा और वासना की आग शांत होने लगी , एक ओर तो मेरा मन कह रहा था की इस मजे से वांछित मत रह , कम से कम एक बार देख ले उन्हें , एक बार उनकी आवाजे तो सुन कितनी मादकता से भरी हुई है , वही दूसरी ओर मन का हिस्सा मुझे किसी भी बहकावे में आने से रोक रहा था ,
"अगर तूने आवाजे भी सुन ली तो खुद को कंट्रोल करना और भी मुश्किल हो जायेगा , बस यही करता रह डूब अंदर और सांसे रोक ले …"
मैंने कही पढ़ रखा था की सांसे रोक देने से मन की गति भी रुक जाती है , आज इसका उदाहरण मैं खुद था , मैं जितनी डुबकिया झील में लगा रहा था उतना ही मेरा मन शांत होने लगा था , मैंने गहरी साँस ली और फिर से अंदर डूब गया , जब निकला तो अंकित को इस ओर आता हुआ पाया ..
वो दौड़ते हुए आया और पानी में छलांग लगा दिया …
मैंने उसे सम्हाला ..
"अंकित तू ठीक तो है ना …"
मैं उसका चहरा पढ़ सकता था , वासना का भुत उतर चूका था वो ग्लानी से भरा हुआ था ..
मैंने एक बार गुंजन भाभी की ओर देखा वो अभी भी पत्थर में पड़ी ही थी और उनके योनी से वीर्य बह रहा था …
"मैं पापी हु मुझे मर जाना चाहिए " अंकित रोने लगा , मैंने उसे सम्हाला
"नहीं तु पापी नहीं है .. ना ही भाभी ने कुछ गलत किया , सही गलत को भूल जाओ और इन्हें लेकर जल्दी से घर जा , पहले इन्हें सहारा देकर यंहा ला और झील के पानी से उनके शरीर को धो दे .."
उसने एक अजीब निगाहों से मुझे देखा
"देख अभी बात करने का समय नहीं है जल्दी जा "
मेरी बात सुनकर वो दौड़ा और गुंजन भाभी को जल्दी से झील के पानी में डाल दिया , वो मानो बेहोश थी , ठंडा पानी शरीर में पड़ते ही वो चोक कर उठी ..
अपनी हालत देख कर वो चौकी और अपने तन को छिपाने के जतन करने लगी ..
"भाभी वंहा सभी आपका इन्तजार कर रहे होंगे आपको जल्दी जाना चाहिए "
मेरी बात सुनकर वो हडबडाई और बिना कुछ बोले ही वंहा से बाहर निकल गई उन्होंने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने , तभी बदल जोरो से गरजा , मैं अभी भी पानी में ही था अंकित और गुंजन भाभी बिना एक दुसरे को देखे ही वंहा से भागे ..
जोरो से बारिश होने लगी थी , मैं अभी भी झील में ही था ..
यंहा अब पूरा एकांत था , रात हो चुकी थी और हलके चाद के प्रकाश भी मुझे ये जगह साफ दिखाई पड़ रही थी ..
अपने अपने पुरे कपडे निकाल दिए और बारिश में भीगता हुआ उस पत्थर पर जा बैठा , एक करेंट सा मेरे अंदर दौड़ा ऐसा लगा जी पत्थर से कुछ निकल कर मेरे अंदर आ रहा है …
"मैंने तुम्हे कंट्रोल कर लिया " मैं जोरो से हँसने लगा था ..
"मुझे कोई कंट्रोल नहीं कर सकता , कोई भी नहीं मैं शैतानी शक्ति हु और तुम एक साधारण मानव , मैं तुम्हारा उपयोग शैतान का काम करने में कर रहा हु , तुम मेरा उपयोग नहीं कर सकते … कभी भी नहीं "
उसकी आवाज सुनकर मैं फिर से हँसा ..
"तुम्हारी आवाज में वो दम नहीं लग रहा ,,क्या बात है … हा हा हा "
मैं जोरो से हँस पड़ा ..
"तुमने बस एक बार खुद को कंट्रोल किया है और यंहा तुम्हारे पास झील का पानी था , बाकि समय में करोगे .. मैं तुम्हे उस समय उत्तेजित करूँगा जब तुम्हारे सामने तुम्हारी अम्मा होगी … हा हा हा "
वो शक्ति भी हँसने लगी , लेकिन मुझे बहुत ही तेज गुस्सा आया ..
"तू मेरी गुलाम है … " मैं चिल्लाया
"वो तो वक्त ही बताएगा …"
अचानक से सब शांत हो चूका था … मेरी सांसे तेज थी और शरीर गर्म , मन में कोई डर नहीं कोई संदेह नहीं कोई सवाल नहीं ….
मुझे नहीं पता था की ये शक्ति क्या है लेकिन इससे खेलने में अब मुझे मजा आने लगा था ……………
 
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अध्याय 11
तेज बारिश थी , मैं अपने बुलेट में बारिश का मजा लेता हुआ आ रहा था , तभी मेरी नजर रोड के किनारे बने अब्दुल के चाय की टपरी पर पड़ी , अँधेरा गहरा गया था और हवाए भी बहुत तेज चल रही थी , ऐसे में अभी भी वंहा थोड़ी रौशनी थी , मैं वही रुक गया , मन में शंका हुई की कही ये किसी मुसीबत में तो नहीं है ..
मैंने बुलेट रोकी और अंदर झाँका …
"काका …. अब्दुल …"
अंदर की हालत बहुत ही ख़राब लग रही थी , पानी भी चुह रहा था , लेकीन अदर मुझे काका एक चटाई पर सोये हुए दिख गए …
गजब का आदमी है ऐसे हालत में भी यही पड़ा है …
तभी मुझे ऐसा लगा की कोई मुझे छिपकर देख रहा है , मैं उस ओर पलटा ..
"कुवर जी …" सामने से एक महिला की नाजुक की आवाज आई
"हा आप कौन .." अँधेरे में मुझे उसकी केवल परछाई दिख रही थी , तभी वो साया थोडा सामने आया , उसके दुधिया रंग में दिए का प्रकाश पड़ते ही मुझे वो चाहता दिखाई देने लगा ..
"आआप .." मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था
"मैं रजिया हु , अब्दुल की अम्मी "
"अरे काकी आप , यंहा …"
"हा ये तो दारू पीकर सो गए और अब्दुल अभी घर में ही है , ये आंधी तूफ़ान में मैं ही यही फंस गई "
बोलते हुए वो सामने आई , मैंने उसे पहली बार ऐसे पास से देखा , उन्होंने एक चूड़ीदार सलवार कमीज डाल रखी थी , हलके सफ़ेद रंग के उन कपड़ो में कुछ फुल बने हुए थे , कपडे देखने में महंगे तो नही थे लेकिन उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थे , थोडा गदराया जिस्म और उसपर बारिश में वो थोड़ी भीग गई थी , उनका दुधिया जिस्म कपड़ो की आड़ से बाहर झांक रहा था , अंदर पहनी सिमिज भी साफ साफ दिखाई पड़ रही थी , कंधे में कोई दुपट्टा नहीं डाला था और इसकी वजह से वक्षो की गहराई भी अपना रास्ता बता रही थी ..
थोड़े उमस के कारण चहरे और शरीर में पसीना चमक रहा था , भीगे बदन की हलकी खुसबू मेरे नथुनों में पड़ने लगी , वही उनके उठे हुए पुष्ट और कोमल नितंभ भी मेरा ध्यान आकर्षित कर रहे थे …
"अब्दुल की अम्मी तो बिलकुल ही माल है यार , अब समझ आया की अब्दुल का ये दुधिया रूप कहा से आया है, इसका बाप तो पूरा नल्ला लगता है , बेवडा तो है ही …" मेरे अंदर बैठे मन के एक कोने ने कहा ..
"चुप कर ये मेरे दोस्त की माँ है …साले हवसी " मेरा उत्तर पा कर वो हँसने लगा ..
"मेरा नाम क्यों नहीं रख देता हमारी बाते तो अब होती ही रहेंगी , क्यों ना हम दोस्त बन जाए , तू मेरी भूख मिटा और मैं तुझे सताना बंद कर दूंगा "
मैंने उसे कुछ नहीं कहा , ये सभी बाते मेरे मन के अंदर ही हो रही थी …
"चलिए मैं आपको छोड़ देता हु …"
मैंने काकी से कहा ..
"अरे कुवर जी आप कहा तकलीफ करते हो , बारिश थोड़ी कम हो जाए तो मैं खुद ही चली जाउंगी .."
मैंने बाहर देखा सच में बारिश तेज हो रही थी , अभी तक तो मैं खुद की मस्ती में आ रहा था ..
"आप बहुत भीग गये है मैं आपके लिए चाय बना देती हु , सिगरेट भी लेंगे .."
मैं उन्हें देखने लगा वो मेरे दोस्त की अम्मी थी , आखिर उनके सामने मैं कैसे सिगरेट पि सकता था , वो शायद मेरे मनो भावों को समझ गई और हलके से मुस्कुराई ..
"आप संकोच ना करे , जो चाहिए खुल कर मांगे "
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा , उनके हुस्न से मैं बेचैन हुआ जा रहा था , मासूम सा चहरा और मुस्कुराने पर उनकी सफ़ेद दांतों की पंक्तियों को देखने लगा ..
"वंहा मांग लो कुवर , इसकी चुद ही मांग लो सोचो बारिश में खुले आसमान के नीचे तुम इसकी दौड़ा दौड़ा कर ले सकते हो , बोलो तो मैं मदद कर दू …" अंदर बैठा मन बोल उठा और मेरे लिंग में एक अकडन आने लगी ..
"चुप कर लौडू ऐसा मत कर " मैंने उसे डांटते हुए कहा
"वह क्या नाम रखा है तुमने मेरा लौडू … आज से हम दोस्त हुए कुवर ..क्योकि तुम मुझे अपना गुलाम बना नहीं पओगे ना ही मैं तुम्हे पूरी तरह से काबू कर पा रहा हु , तो दोस्ती में ही हम दोनों की भलाई है , तुम बस मुझे मेरा दाना पानी देते रहो "
उसकी बात सुनकर मैं झल्ला गया
"ठीक है दोस्त हुए … अब चुप रह कोई हरकत नहीं , और ये मेरा लिंग क्यों तन रहा है इसे शांत कर "
वो हँस पड़ा
"जवान हो तो जवानी के मजे लोग कुवर जी "
"क्या हुआ कुवर आप बेचैन लग रहे हो कही बुखार तो नहीं हो गया " काकी पास आई और मेरे माथे पर अपना हाथ रख कर देखने लगी , उसके कोमल हाथ पड़ते हुए मेरा मन और जोरो से डोला रे , बोला हिंडोला रे … :lol1:
"नहीं काकी मैं ठीक हु " मैं थोडा सकपकाया
वो हँस पड़ी ..
"जैसा आपके बारे में सुना था आप वैसे ही है , बिलकुल शर्मीले , चलिए आप के लिए कुछ अच्छा लाती हु "
वो अंदर चली गई …
"ओ हो कुवर जी … बहुत शर्मीले हो आप तो … साला उसे नहीं पता की तू चीज क्या है , यही कुतिया बना कर चोद उसे , अबे गांड देखि है उसकी … वाह वाह क्या मस्त थी , पीछे से डालेगा ना तो कसम से बहुत मजा आएगा " लौडू की बात सुनकर मेरा भी लिंग झटके खाने लगा , साला आँखों के सामने वही चित्र चलने लगे , अगर रजिया सच में कुतिया की तरह इस झमझम पानी में खड़ी रहे और मैं पीछे से उसके योनी में अपना लिंग … ओ हो साला …
"चुप कर भोसड़ी के … तूने कहा था ना की तू मेरी वासना को नहीं जगायेगा .."
"मैंने ऐसा कब कहा … मैंने कहा था की मैं आपको नहीं सताऊंगा .. लोगो के मन में वासना जगाना तो मेरा काम ही है , हजारो सालो से मैं यही तो करता आया हु , अभी बोलो तो रजिया के अंदर ऐसी तड़प पैदा कर दू की वो यही नंगी होकर नाचे हा हा हा "
"चुप कर साले ऐसा कुछ नही करना है तुझे .."
मन नहीं मान रहा था , मेरी हालत तो ऐसी थी की मैं भी यही चाहता था जो लौडू मुझसे कह रहा था , लेकिन अंदर की नैतिकता अभी भी जिन्दा थी , सही गलत की समझ मैं भुला नहीं था , हा अब वासना के थपेड़ो ने मेरी हालत खराब जरुर कर दी थी , सोचा था की घर जाकर पूरी वासना अन्नू के अंदर निकाल दूंगा , लेकिन अब सामने एक नई परी आ गई थी ..
थोड़े देर ही हुए थे की काकी हाथो में एक बोतल पकड कर आई , मैं उसे पहचानता था वो देशी शराब की बोतल थी …
"काकी ये सब ..???"
"लो दो दो घूंट लगाते है ऐसे भी बारिश में दोनों ही भीग चुके है , थोड़ी गर्मी आ जाएगी "
उन्होंने दो ग्लास में उसे डाल दिया और खुद एक ही साँस में पूरा अपने हलक से उतार गई , मैंने भी एक ही साँस में पूरा ग्लास पि लिया , एक तगजी और गर्मी मेरे अंदर भी आ गई थी …
"बारिश कितना सुहाना है ना "
वो झोपड़े से निकल कर बाहर चली गई और हाथ फैला कर बारिश को अपने शरीर में लेने लगी , चारो ओर अँधेरा था लेकिन अब आँखे इतनी अभ्यस्त भी हो चुकी थी , मैंने एक ग्लास और अंदर किया और उनके साथ ही बाहर आ गया , बारिश का पानी पड़ते हुए मन में एक शांति का संचार हुआ , मैं उनके पास आया ..
"बहुत हो गया अब और ना रुका जायेगा ….." लौडू ने हलके से कहा
"नही यार ये मेरे दोस्त की माँ है .."
"अबे तेरी तो नहीं है , जा झपट में मैं और कुछ नही सुनने वाला आ फु जा मजे कर "
वो चुप हो गया था और इधर राजिया का जिस्म पानी से गिला होकर और भी मादक लग रहा था , मैं उनके पास पंहुचा , उन्होंने मेरा हाथ पकड कर मुझे अपनी ओर खीच लिया ..
हम दोनों के चहरे बिलकुल ही पास थे …
"कितना अच्छा लग रहा है ना कुवर जी "
"हा काकी "
मैंने अपने हाथ उनके निताम्भो में रख दिए वो मुझसे और भी सटकर खड़ी हो गई
मैंने उसके चहरे को उपर किया , उनकी आँखे बंद थी , और सांसे तेज , मैं समझ चूका था की वासना की आग उनके मन में भी धधकने लगी है , दुधिया गोर चहरे पर फडफडाते हुए गुलाबी होठो को मैंने अपने होठो से लगा दिया , उन्होंने मुझे कसकर जकड लिया था …
हम दोनों के होठ आपस में घुलने लगे थे , और हाथ उनके जिस्म को यंहा वंहा छूना शुरू कर चुके थे , वो हलकी हलकी सिसकिया ले रही थी ..
"कुवर जी मुझे अपना बना लो ये आग अब बर्दास्त नहीं हो रही .."
मैंने उन्हें वही जमीन में लिटा दिया ,जमीन बारिश के कारन कीचड़ से भरी हुई थी , मेरा मुह उनके स्तनों पर चला गया , मैं उसे कपडे के उपर से ही मानो खा रहा था , वही मेरा हाथ उनके जन्घो के बीच पहुच चूका था , वो चुह्क उठी ..
"कुवर …आह इतना मजा मुझे कभी नहीं आया "
मैंने सलवार का नाडा खोला और जितनी जल्दी हो सके उनके कपड़ो को उनके जिस्म से हटा दिया , हम दोनों ही मरजात नंगे धने बारिश में बीच सड़क में लेटे हुए थे , मेरा लिंग अब जवाब दे चूका था , वो योनी की कोमलता पाने को बेताब हो रहा था , मैंने अपने लिंग को उनकी योनी पर टिकाया , उन्होंने भी अपना पैर फैला कर मेरा पूरा साथ दिया ,लिंग योनी के अंदर जाने लगा और उसकी चमड़ी पीछे होने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लिंग में किसी ने बहुत सारी हवा भर दी हो , वो फुल कर योनी को जकड़ चूका था ..
"आह कुवर जी …"
वो उत्तेजना में चिल्लाई और मेरे पीठ पर अपने हाथ कस लिए , मैंने अपने कमर को तेजी से चलाना शुरू कर दिया , हर एक झटके पर वो सिसकी लेती और उसकी सिसकी मुझे और भी उत्तेजित करते जाती थी , बहुत देर तक ऐसे ही भोगने के बाद मैंने उनके गर्भ में अपना वीर्य छोड़ दिया …
ऐसा लगा जी एक आंधी ख़म हो गई हो लेकिन अभी तो शुरुवात थी , हम दोनों ही कीचड़ से सन चुके थे , मैंने उसे गोद में उठाकर अपने गाड़ी में रख दिया , मेरा वीर्य पात तो हो चूका था लेकिन अभी भी लिंग की अकड में कोई कमी नहीं आई थी ना ही , मैंने उसे अपनी बुलेट में बिठा दिया और उसके टांग फैलाकर फिर से धक्के लगाने लगा , थोड़ी देर बाद मैंने रजिया का हाथ बुलेट पर रख दिया उसे झुककर उसके पीछे खड़ा हो गया , बारिश अभी थोड़ी कम हो चुकी थी लेकिन अभी भी बरस रही थी , हमारे जिस्म पर पानी की छींटे तो पड़ रही थी लेकिन वासना और भी बढती ही मालूम हो रही थी , मैं रजिया के पीछे खड़ा था और पीछे से उसके कुलहो को सहलाता हुआ मैंने अपना लिंग उसके योनी में डाल दिया ..
"आह मजा आ गया " वो बेसुद से बोली , उसके उठे हुए कुल्ल्हो को पकड कर मैं तेजी से धक्के दे रहा था ,मुझे लग रहा था की उसकी योनी मेरे लिंग का पूरा रस निचोड़ लेगी , लेकिन तभी ..
"अम्मी … कुवर … या खुदा ये क्या हो रहा है …"
हमारे सामने अब्दुल खड़ा था , उसे देख कर मुझे जोर का झटका लगा
"साले लौडू मरवा दिया ना .." मैंने अपने मन में कहा
"कुछ नही हुआ है ये तो एक बहुत ही अच्छा मौका है , अपना हाथ अब्दुल की ओर कर …"
"मतलब …??'
"मतलब बचना चाहता है न इससे तो हाथ अब्दुल की ओर कर …"
"तू क्या करने वाला है …"
"तू कर बे चूतिये "
मैंने लौडू की बात मान ली और अपना हाथ अब्दुल की तरफ कर दिया , वो हमशे थोड़े ही दूर में खड़ा था , हाथो में एक छत्ता था शायद वो अपनी अम्मी को ही ले जाने के लिए आया था , बारिश भी थोड़ी कम हो चुकी थी , मैंने जैसे ही हाथ उसकी ओर किया मुझे ऐसा लगा जी मेरे हाथो से कोई शक्ति निकल कर अब्दुल के अंदर चली गई , अब्दुल के हाथो से उसका छत्ता छुट गया …
"ये क्या किया तूने .."
"तू बस इसकी अम्मी को चोदता रह और मजा देख , फिक्र मत कर तेरे दोस्त को कुछ नहीं होगा "
लौडू की बात सुनकर मैं अपने हवास की धार रजिया के गर्भ में छोड़ने के लिए जोरो से धक्के मारने लगा , अब्दुल आँखे फाडे हमें देख रहा था वो सामने आया और अपनी अम्मी के चहरे को पकड कर उनके होठो में होठ डाल दिया , उसके आँखों में आंसू थे लेकिन जैसे वो अपने हालत पर काबू ना कर पा रहा हो , उसने तुरंत ही अपने सारे कपडे खोल लिए , रजिया ने एक बार उसे देखा लेकिन वो कुछ ना बोली , अब्दुल ने अपना लिंग हिलाया और अपनी अम्मी के होठो पर टिका दिया …
रजिया ने अपने बेटे का लिंग अपने मुह में भर लिया था ..
"अल्लाह… मैं ये क्या पाप कर रहा हु नहीं ,,, आह इतना मजा मुझे की आ रहा है ,नहीं बचाओ कोई " अब्दुल असहाय होकर चिल्लाया , मुझे अपने किये पर दुःख हुआ लेकिन अब देर हो चुकी ही , मैंने और भी जोरो से धक्के लगाये और अपने वीर्य की धार रजिया के गर्भ में डाल दी …
मेरे अंदर का उफान शांत हो चूका था लेकिन अब्दुल के अंदर का उफान तो अभी शुरू हुआ था , मैं रजिया को छोड़कर हटा वो मेरी जगह अब्दुल आ गया .. वो मुझे रोते हुए देखने लगा
"कुवर ये क्या हो रहा है , मैं अपनी ही माँ के साथ .. ये मुझे रोक क्यों नहीं रही है , मुझे इतना मजा क्यों आ रहा है .. आह आह "
उसने अपना लिंग उसी योनी में घुसा दिया था जन्हा से वो खुद निकला था …
मेरे मन में ग्लानी के भाव आ रहे थे ,मैंने खुद बचने के लिए एक सीधे साधे आदमी को फंसा दिया था ..
"हा हा हा मजा ही आ गया , इसे कहते है पाप , जिस योनी से ये निकला था उसी में अपना लिंग डाल रहा है , माँ के साथ सम्भोग से बढ़ा पाप तो दुनिया में कोई नहीं , शाबास कुवर , इससे हमारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , हमने शैतान के लिए एक खास तोहफा दे दिया है "
लौडू की आवाज अपने अंदर सुनकर मैं गुस्से से भर गया …
"तूने मुझसे ये क्या करवा डाला कमीने , इस मासूम से लड़के को देख , जो हवस में अँधा होकर अपनी ही माँ से सम्भोग कर रहा है , और उस माँ को देख जो हवस के आगे अपने ही बेटे के लिंग से मजे ले रही है , सोचा है जब इनका हवस खत्म हो जायेगा तो फिर क्या होगा , ये कैसे एक दुसरे को अपना मुह दिखायेंगे ,कही ग्लानी से भरकर ये आत्महत्या ना कर बैठे …"
"अरे यार कुछ नहीं होगा , तुम तो अभी अभी ये सब देख रहे हो मैंने हजारो साल ये देखा है , कोई नहीं मरता बल्कि इस सुख को भोगने को बेताब हो जाते है , पाप करने का अपना ही मजा है दोस्त , जाकर देखो दुनिया में कितने लोग है जो पाप करने की हसरत रखते है , क्योकि पाप में एक गजब का आकर्षण है , अगर दुनिया ये मान ले ना की ये पाप नहीं तो साला कोई करने की सोचेगा भी नहीं , लेकिन इस दुनिया ने अपनी नैतिकता बनाई , अपने नियम बनाये , सही और गलत बनाया और इसी से पैदा हुआ पाप का आकर्षण , जाकर देखो दुनिया को वही करने में मजा आता है जिसे लोग पाप कहते है , रिश्तो में सम्भोग हो या दारू सिगरेट जैसा नशा , समाज ने इसे पाप कहा और लोग इसके पीछे दीवाने हो गए , और जो मजा छिपकर पाप करने में आता है वो खुल्मखुल्ला करने में नहीं आता .. इसलिए प्रेमीयो की जब शादी नही हुई होती तो उन्हें एक दुसरे से मिलने में कितना मजा आता है वही शादी के बाद एक दुसरे का शक्ल भी देखना पसंद नहीं करते हा हा हा …"
लौडू की बातो में एक सच था वो सच जिसने मुझे निरुत्तर कर दिया था , यंहा अब्दुल पुरे जोश में लगा हुआ था …
"मुझे माफ़ कर देना अम्मी मुझे माफ़ कर देना , मैं … आह मैं मजबूर हु , इस मजे के आगे आह , कितना मजा आ रहा है " वो पुरे ताकत से अपनी माँ के योनी में अपना लिंग डाल रहा था , मैंने अपने कपडे उठा लिए और उन्हें पहन कर झोपडी से एक दारू की बोतल उठाई पूरी बोतल वही बैठे बैठे गटक गया ..
इधर अब्दुल ने अपनी माँ की योनी में अपना वीर्य डाल दिया था , वो खुद जमीन पर गिर गया था और रजिया अभी भी मेरे बुलेट में लेटी हुई थी ..
मैंने दोनों को उठाया …
"खुद को साफ़ करो और घर जाओ , इस बात को ज्यादा सोचना नहीं मैं निकलता हु …"
मैंने अपनी बुलेट उठाई और हवेली की ओर बढ़ चला , मुझे लग रहा था जैसे लौडू नहीं मैं ही शैतान बन गया हु , मैंने अपने फायदे के लिए अब्दुल जैसे मासूम आदमी से ऐसा बड़ा पाप करवा दिया था , ग्लानी का भाव तो था लेकिन फिर भी इतना की मुझे फर्क नही पड़ रहा था ..
मैं सच में एक शैतान बन गया था …………
 
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अध्याय 12
जब सुबह नींद खुली तो लगा जैसे मैं किसी सपने से जागा हु , कल जो भी हुआ वो कुछ दिनों पहले तक तो मैं सोच भी नहीं सकता था , मैंने ये क्या कर दिया था …
सुबह नाश्ते के टेबल में पहुचने पर माहोल ही कुछ अलग था …
"मालकिन कुवर जी ने तो कल गजब ही कर दिया , सच में अब ये निदालपुर वाले हमशे टकराने से पहले 10 बार सोचेंगे …"
कालू वही अम्मा के पास खड़ा था
"हा बस बहुत हो गया , कल से बस यही रट लगाये हुए है …और तुम वंहा से सीधे घर क्यों नहीं आये कहा रुक गए थे …"
उन्होंने मेरी ओर देखा
"वो अम्मा मैं … बारिश बहुत तेज हो गई थी वो अब्दुल के ही टपरी में रुका हुआ था …"
उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा और कालू की ओर देखने लगी ..
"अब से कुवर को ही अपना मालिक मानो , मैं और कब तक ये सब देखूंगी , भूरेलाल .."
उन्होंने आवाज दी ,
"जी मालकिन " भूरेलाल प्रगट हुआ , भूरेलाल एक 50 साल की उम्र के आसपास का व्यक्ति था , समझ लो की इस हवेली का मुंशी था , अब्दुल अभी इसी के साथ काम कर रहा था ..
"भूरेलाल कुवर को हमारे सारे जमीन और कारोबार के बारे में समझा दो और हमारी पार्टी के मुख्य लोगो से भी इन्हें मिलाओ , अब सब इन्हें ही सम्हालना है "
"जी मालकिन " भूरेलाल वही खड़ा हो गया था
"अम्मा कुछ जल्दी नही हो रहा … मतलब अभी तो मैं बच्चा ही हु "
मेरी बात सुनकर उन्होंने मुझे घुरा …
"तुम्हे अभी भी लगता है की तुम बच्चे हो ..??? कब तक आराम की जिंदगी जियोगे , ये सब तुम्हे ही देखना है , अभी से सीखना शुरू करो, फैसले लेने के लिए चीजो को समझाना भी तो पड़ता है , अब कल इतना मार काट करके आ गए , पुलिस को कौन सम्हालेगा सोचा है … जाओ भूरेलाल के साथ और काम देखो "
अम्मा इतना बोलकर फिर से नाश्ता करने लगी
वही मेरे पास बैठी अन्नू ये देख कर मुस्कुरा रही थी ..
"वाह कुवर जी आपके तो जलबे है "
उसने धीरे से कहा , और मैंने उसके पेट में चिमटी काट दी
"आउच "
"क्या हुआ ..??" अम्मा चौक गई
"कुछ नहीं लगता है चीटी है …"
"ओह अन्नू तुम्हारे पिता जी का फोन आया था तुम्हे बुलावा भेजा है , कल जब निशांत पार्टी ऑफिस जायेगा तो तुम्हे भी छोड़ देगा …"
अम्मा की बात सुनकर अन्नू का चहरा उतर गया
"आप मुझसे इतना जल्दी पीछा छुड़ाना चाहती है …"
उसकी आँखे गीली हो गई थी … अम्मा उसे देख कर मुस्कुराई और अपने पास बुला लिया , उन्होंने बड़े ही प्यार से उसके बालो में हाथ फेरा ..
"अरे बेटा , माता पिता से अगर ओलाद दूर हो जाए तो क्या उन्हें ख़ुशी मिलती है ?? तुम्हे भेज रही हु ताकि जल्दी से तुम्हे वापस यंहा ले आऊ और इस बार हमेशा के लिए "
अम्मा की बात सुनकर हम दोनों ही चोक गए थे …
"मेरी बहु बनेगी ना " अम्मा ने बड़े प्यार से अन्नू से पूछा , अन्नू आश्चर्य से कभी मुझे कभी अम्मा को देखती रही और फिर लजा कर वंहा से भाग गई ..
लेकिन वंहा खड़े खड़े मेरी हालत ख़राब हो रही थी ..
"अम्मा हम बस अच्छे दोस्त है .."
उन्होंने मुझे घुरा
"तो अच्छा ही है ना , ऐसे भी कहते है की पति पत्नी को दोस्तों की तरह रहना चाहिए .. तुम्हे कोई आपत्ति हो तो बता की अन्नू में क्या कमी है , और अगर नहीं बता सकता तो चुप ही रहा , मैं सुवालाल जी से बात आगे बढ़ाऊ .."
अब मैं क्या कहता , मैं चुप ही रहा ..
"बधाई हो कुवर .." कालू चहक उठा था साथ ही भूरेलाल भी …
***********************************
दिन भर मैं काम में ही व्यस्त रहा , शाम होते होते अब्दुल दिखाई पड़ा , मायूस चहरा लिए वो अपना काम कर रहा था ..
"तुम ठीक हो …" अब्दुल ने एक बार मुझे देखा और फिर से अपना सर झुका लिया
"अब्दुल कल हो भी हुआ वो …"
"मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है कुवर , मुझे अकेला छोड़ दीजिए .. मैं एक गरीब सामान्य का लड़का हु और आप इतने ताकतवर , आखिर मेरे बोलने से आपको फर्क भी क्या ही पड़ेगा "
वो अपने काम में व्यस्त हो गया …
मैं उसकी भावना समझ सकता था ,मैंने उसे कुछ भी और बोलना सही नहीं समझा और अपने काम में व्यस्त हो गया …
रात मैं अन्नू के कमरे में गया ..
"अम्मा ने जो भी बोला … क्या तुम भी इसके लिए तैयार हो .."
अन्नू पहली बार मुझसे ऐसे शर्मा रही थी
"अरे यार तुम मेरे बचपन की दोस्त हो , और हमारे बीच वो भी हो चूका है जो एक पति पत्नी के बीच होता है , अब ऐसे क्यों शर्मा रही हो ..??"
वो कूदकर मेरे गले से लग गई , जिससे मैं बिस्तर में गिर पड़ा था , उसने बिना कुछ कहे मेरे होठो में होठ रख दिए …
"आई लव यु कुवर …. अम्मा की बात सुनकर दिल गार्डन गार्डन हो गया … मैं तो इसी डर में थी की मैं तुमसे जुदा हो जाउंगी लेकिन अब … अब तो तुम्हे मुझे जीवन भर झेलना होगा "
उसने फिर से मेरे होठो में होठ रख दिया और हम एक दूजे में समाते चले गए ….
*************************************
सुबह से हम शहर के लिए निकल पड़े , भूरेलाल और कालू भी मेरे साथ थे , उसके साथ ही कुछ और भी लोग थे अन्नू को उसके घर छोड़ने के बाद हम पार्टी ऑफिस में पहुचे , वंहा भूरेलाल ने कई लोगो से मेरा परिचय करवाया , यंहा मुझे पता चला की अम्मा कितनी पावरफुल है , वंहा से निकल कर हम फिर से गांव की ओर जा रहे थे , शाम होने को आई थी , मैं भी दिन भर के भागदौड से थक चूका था , और कार में बैठे बैठे ही झपकी ले रहा था ….तभी …
अचानक से सारी गाड़िया रुकी …
मेरी नीद टूट गई ..
"क्या हुआ भूरे …"
"मालिक सामने एक पेट टुटा पड़ा है , आप कार में ही रहिये …"
दूसरी कार से कुछ लोग उतर कर इधर उधर देखने लगे और तभी चारो ओर से गोलिया चलने लगी …
"कुवर झुक जाओ "
कालू ने मुझे पकड़ कर झुका दिया , चारो से कुछ देर तक गोलिया चलती रही …
कुछ लोग आये और मेरे कार का दरवाजा तोड़ने लगे कालू ने अपनी बन्दुक थाम ली लेकिन मैंने उसे शांत रहने का इशारा किया और कूद ही दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया …
मैं अपने हाथ उपर करके खड़ा हो गया ..
"तुम ही कांति देवी के भतीजे हो .."
सामने से एक आदमी बोला , मैंने हां में सर हिलाया
"पकड़ो इसे .." दो लोग आकर मेरे पास खड़े हो गए ..
"कुवर …" कालू कुछ बोलने ही वाला था की मैंने उसे शांत रहने का इशारा किया
"फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा "
उन्होंने मुझे पकड़ कर अपनी गाड़ी में बिठा दिया था …………….
 
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अध्याय 13
मैं अभी एक कुर्सी में बैतः हुआ था और सामने एक मोटा शख्स खड़ा था …
"तो तुम ही हो जिसके कारन हमारे लोग मारे गए …"
"आप ठाकुर बलवंत है ??? नमस्कार ठाकुर साहब "
वो मुस्कुराया
"मैंने तो सोचा था की तुम्हे लाने के लिए बहुत मारपीट करनी पड़ेगी , तुम तो खुद ही इतने आसानी से आ गए , बहुत हिम्मत है तुममे "
बलवंत मुस्कुराते हुए बोला
"ठाकुर साहब हिम्मत नहीं बस दिमाग है , इतना तो मैं समझता हु की आप मुझे यंहा जान से मारने के लिए नहीं लाये , बस इसलिए लाये हो क्योकि आपको भी अपने लोगो को जवाब देना पड़ता है …"
वो पास रखे सोफे पर बैठ गए
"अच्छा तुम्हे इतना यकीन क्यों है की हम तुम्हे जान से नहीं मरेंगे "
उनकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुराया
"क्योकि अम्मा मुझसे कहा करती थी की आप एक दिमागदार व्यक्ति है , और दिमाग वाले पहले दिमाग चलाते है बाद में हथियार , आप एक विधायक है , मंत्री भी है , आप अपने दामन में कोई दाग लगने नहीं देंगे , आप को भी पता है की मैं अम्मा का एकलौता वारिस हु और मुझे मरने का सीधा मतलब होगा कुवरगढ़ से सीधा युद्ध का ऐलान कर देना , भले ही आप ज्यादा ताकतवर हो लेकिन ऐसा आप नहीं सीधा युद्ध नहीं चाहेंगे , कोई दिमाग वाला व्यक्ति नहीं चाहता , इसलिए मरने मारने को प्यादे होते है , राजा और राजकुमार नहीं …"
वो हँस पड़े …
"तुमने जो किया उसे देखकर मुझे ये तो समझ आ गया था की तुम दिमाग वाले हो लेकिन तुम तो राजनीती के भी जानकार निकले … अच्छा है बेचारी अम्मा को भी इससे थोड़ी राहत मिल जाएगी , क्या पीना पसंद करोगे विस्की या रम "
"ठाकुर साहब आज पूरा शरीर थक गया है एक विस्की पिला दीजिए "
वो खड़े हुए और पास बने छोटे से बार से दो पेक बना कर ले आये , उन्होंने एक पेक मेरे ओर बढ़ा दिया ..
"आप जैसे अनुभवी और खानदानी व्यक्ति के साथ बैठकर पीना मेरा सौभाग्य है "
मैंने पेक थोडा ऊँचा करते हुए कहा
"हम्म्म अम्मा का परिवार और मेरा परिवार खानदानी दुश्मन रहा है , लेकिन अम्मा के आने से चीजे बदल गई ,दोनों गांवो में थोड़ी शांति फैली ,अम्मा बात को समझती है , राजनीती समझती है और शांति और बातचीत से काम लेती है , ये अलग बात है की हमारे लोग अभी भी एक दुसरे के खून के प्यासे रहते है और ये सम्हालना हमारे लिए कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है , तुमने जो किया उससे हमारे गांव के लोग बुरी तरह से बौखला गए है , अब तुम्हे जिन्दा छोड़ दिया तो मेरी इज्जत पर भी आंच आ जाएगी "
उन्होंने एक सिप लेते हुए कहा
उनकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया
"ठाकुर साहब मुझे मारकर एक जंग शुरू करने से तो अच्छा है की कोई बीच का ही रास्ता निकाल लिया जाए , आप अपने लोगो को समझा सकते है , ऐसे ही तो इतने बड़े राजनितज्ञ नहीं कहलाते , क्यों ना अपने कोयले की माइंस वाले मामले पर कोई हल निकाल ले , मुझे पता है की आप वंहा हो रहे आन्दोलन से बहुत परेशान है , वंहा के गांव वाले आपको जमीन खोदने नहीं देंगे और वंहा आपकी भी हिस्सेदारी है , काम जितना लेट होगा उतना घाटा …"
बलवंत एक बार रुक कर मुझे देखने लगा , फिर हँस पड़ा
"तू तो सच में बहुत शातिर निकला बे …"
मैं भी हँसा ,
"आज ही काम शुरू किया हु और सबसे पहले आप की सारी डिटेल्स को एनालिसिस किया "
"हम्म पढ़ा लिखा होने के बहुत फायदे है की आप चीजो को समझने लगते हो " वो हँसने लगे तभी कोई उस कमरे के पास से गुजरा
"अरे निशांत तुम , वाट अ प्लेसेंट सप्राइज " एक लड़की आई और उसे देख कर मैं भी खड़ा हो गया हम दोनों ही एक दुसरे के गले से लगे ..
"तुम यंहा कैसे …???"
उसने आश्चर्य से पूछा
"बस यार तुम्हारे पापा ने मुझे किडनेप करवाया है " मैं हँसने लगा , वो और भी आश्चर्य से अपने पिता की ओर देखने लगी
"तुम एक दुसरे को जानते हो ??"
"हम एक साथ ही पढ़े है ठाकुर साहब "
मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें देखा
"बड़ी अजीब बात है अम्मा का भतीजा और मेरी बेटी एक साथ पढ़े है और मुझे पता भी नहीं "
मैं थोडा हँसा
"ठाकुर साहब अम्मा ने मुझे हमेशा दुनिया से छिपा कर रखा था , कालेज के समय में भी एक सामान्य बच्चे की तरह ही रहा , हां मुझे जरुर पता था की रामिका आप की बेटी है "
मैंने रामिका की ओर देखा
"अन्नू कैसी है , आजकल मेरा फोन नहीं उठा रही "
उसने फिर से सवाल दागा
"अच्छी है आज ही उसे शहर छोड़कर आया , मेरे साथ ही गांव आई हुई थी और एक गुड न्यूस भी है , हम दोनों शादी कर रहे है "
मेरी बात सुनकर रामिका उछल पड़ी
"वाओ यार , मुझे पता था की तुम दोनों के बीच कुछ तो है … तू मेरे साथ चल तुझसे बहुत सारी बाते करनी है "
रामिका ने मेरा हाथ पकड लिया , तभी ठाकुर साहब बोल पड़े
"अरे बेटा आराम से बात कर लेना ये आज यही रुकने वाला है , अभी हम थोडा बिजिनेस की बात कर ले "
रामिका मुझे बाय बोलकर निकल गई , हम फिर से बैठे , ठाकुर साहब ने एक गहरी साँस ली
"दुनिया बहुत छोटी है कुवर "
"अरे ठाकुर साहब आप मुझे क्यों कुवर बुला रहे है , आप मुझे नाम से बुलाए "
वो बस मुस्कुराये
"अब तो तुम्हे मरना और भी मुश्किल हो गया , आखिर मेरी बेटी के दोस्त भी निकल गए , लेकिन लोगो का दिल रखने के लिए मारना तो पड़ेगा ही … अब बताओ अगर ऑफर अच्छा ना हुआ तो फिर सॉरी "
मैं मुस्कुराया
"ठाकुर साहब कट टू कट वाला ऑफ़र देता हु आपके इन्वेस्टमेंट का 40 -60 "
वो हँस पड़े
"मुर्ख समझते हो क्या , पूरा पैसा मैंने लगाया और उसका 40% तुम्हे दे दू "
"ठाकुर साहब कौन सा आपने अपने जेब से पैसा लगाया है , आपके 90% शेयर तो कम्पनी ने यंहा कोयला खोदने के परमिट के एवज में आपको दिए है और बाकि जो पैसा आपने दिया वो भी कमीशन के ही है … आपके जेब से तो एक ढेला नहीं गया होगा "
"पैसा नहीं तो पॉवर तो मेरा लगा है …"
"बिलकुल और इसी हम भी तो अपने पॉवर का ही पैसा आपसे मांग रहे है , मैं चाहू तो मेरे एक बार बोलने से समझोता हो जाएगा , वरना आप कोई भी ऑफर गांव वालो के सामने रख दो , आन्दोलन नही रुकने वाला , और ये बात आप भी अच्छे से जानते हो , अगर कंपनी को घटा हुआ तो आपकी शाख पर भी सवाल उठेगा , आप नही तो कंपनी के सीईओ हमसे ही समझोता करेंगे और वो जो परसेंट हमें देंगे वो आपके ही हिस्से तो देंगे …अब आपके पास एक मौका है की आप उनके नजरो में भी बने रहे , अपनी शाख भी बचा ले और प्रॉफिट भी कमा ले "
वो सोच में पड़ गए उन्होंने एक घुट जल्दी से मारा और दूसरा पैक बनाया …
"30-70 " उन्होंने जल्दी से कहा
मै हँस पड़ा
"क्या ठाकुर साहब यंहा क्या भाजी लेने आये है जो यु मोलभाव कर रहे है "
"बेटा एक परसेंट की कीमत यंहा 100 करोड़ से भी ज्यादा है , और मैं अकेले थोड़े खाऊंगा , पूरी पार्टी को खिलाना पड़ता है "
"सही कहा ठाकुर साहब , लेकिन सोचिये ना हमें भी तो पूरी पार्टी को खिलाना पड़ेगा … चलिए बीच का करते है 35-65 में फिक्स करते है , देखिये आप भी अच्छे से जानते है की ये डील आपके लिए फायदेमंद ही है …अब इसमें से दोनों पार्टी 5-5 पर्शेंट का रहत पैकज देंगी मतलब 500 -500 करोड़ के आसपास का , उन लोगो के लिए जिनकी जमीन जा रही है , कंपनी से बोलकर उनके लोगो को नौकरी दीजिए , अलग से जमीन दीजिए और घर बना कर दीजिए … इससे आपकी भी राजनीती चमकेगी और हमारी भी शाख बच जायेगी …"
"हम्म्म लेकिन अम्मा ने अगर मना कर दिया तो , तुम्हारे बात का क्या ही मोल है "
मैं हँसा
"फिक्र मत करिए अब से मेरे ही बात का मोल है … आप बताइए आप तो खुश है ना "
"बिलकुल…. बड़े दिनों से इस बात को लेकर परेशान था , पार्टी का प्रेशर अलग से … "
"तो एक ड्रिंक और हो जाए "
"बिलकुल " उन्होंने एक ड्रिंक और मेरे सामने रख दी
"लेकिन अब गांव वालो को क्या बोलू ..ये सब तो तुम्हे मारने को बेचैन है "
मैं हँस पड़ा
"ठाकुर साहब अब ये तो आप मुझसे ज्यादा अच्छे से समझते है की क्या करना चाहिए … मुझे नही लगता की ये मुझे बताने की जरूरत पड़ेगी ..कम से कम 10 हजार करोड़ की डील हुई है , कुछ पैसे गांव वालो को भी खिलाइए , अभी के लिए फिर से उस बगीचे में कब्ज़ा कर लीजिए , आपके गांव वालो को थोड़ी राहत मिलेगी "
"हां लेकिन जब कोई अपने को खो देता है तो उसका दुःख बहुत ज्यादा हो जाता है , अगर किसी की मौत नहीं हुई होती तो शायद मुझे इतनी मुशकिल नहीं होती , तुमने ये गलत कर दिया कुवर "
"ठाकुर साहब…. मुझे भी तो खुद को प्रूव करना था , ये सब नहीं करता तो क्या आज आपके साथ डील कर पाने की हैसियत बना पाता , जो हुआ वो हो गया , अब से ध्यान रखेंगे की किसी की जान ना जाये , आप मेरा मोबाइल दिलवा दीजिए और मुझे उसी बगीचे में मारने भेज दीजिए सुबह का समय ज्यादा अच्छा रहेगा , मैं यंहा से सेटिंग कर देता हु वही से आपके लोगो के हाथो से बच कर निकल जाऊंगा , फिर तो कोई आप पर उंगली नहीं उठाएगा "
ठाकुर साहब सोच में पड़ गए …
"लेकिन कुवर कुछ गड़बड़ हो गई तो … अगर तुम्हारे लोग सही टाइम में नहीं आये और मेरे लोगो ने तुम्हे कुछ कर दिया तो , गड़बड़ हो जायेगी "
ठाकुर ने बात तो सही कही थी , मैंने आँखे बंद की और लौडू को आवाज लगाई
"अबे लौडू कहा सो गया है आज दिन भर से …."
"अरे कुवर साले दिन भर से फालतू की जगहों में घूम रहा है , पार्टी ऑफिस में ले जा कर मुस्झाये हुए लंड और चूत दिखा रहा है , सब साले बुड्डे इन्हें देखकर तो कोई भी सो जाए … हा ये रामिका माल है …देगी क्या ..??"
"क्यों … तू नहीं ले सकता क्या इसकी अपनी शक्तियों से ??"
"यंहा नहीं , इसे अपने गांव के दायरे में ले जा वंहा मेरी शक्तिया काम करेगी , या तो कम से कम 10 माँ बेटे को उस पत्थर में चुदवा तो शायद मेरी शक्ति इतनी बढ़ जाए की मैं गांव के दायरे के बाहर भी लोगो को प्रभावित कर सकू …"
"ठीक , कल सुबह गांव के दायरे के भीतर हम फिर से होंगे, मेरी जान तेरे हाथो में होगी , कोई 20-30 लोगो पर जादू करना होगा तुझे कर पायेगा "
"हम्म एक साथ तो मुमकिन नहीं होगा …. हा अगर सब पत्थर के पास रहे तो बिलकुल हो जायेगा , और सभी के साथ अगर स्त्री हो और हो सके तो उनकी माँ बहन या बेटी हो , तब तो समझ ले तुझे छोड़कर सभी गैंगबैंग में लग जायेंगे "
मैं मुस्कुराया और आंखे खोल दी
"क्या हुआ कुवर …"
"एक गजब का रास्ता मिल गया ,आपके उपर कोई भी बात नही आएगी और आपके लोग खुद मुझे छोड़ देंगे , पूरा इल्जाम उन लोगो पर ही हो जायेगा …"
ठाकुर की आँखे चमक गई ..
"वो कैसे .. देखो फिर से कोई बढ़ा कांड मत कर बैठना जिसका मुझे फिर से बदला लेना पड़ जाए , दुश्मनी निभाने के चक्कर में बहुत संसाधन नष्ट हो जाते है "
"नहीं कोई हथियार उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी , बस अपने लोगो से बोलना की उन्हें मुझे मेरे ही गांव की सीमा के अंदर मारना है , इससे मेरे गांव वालो में दहशत फ़ैल जायेगी … और उनके साथ कुछ लडकिया भी होनी चाहिए , हो सके तो उनके ही परिवार की , सभी कोई कहिये की वो अपनी जवान बहनों , बेटियों को भी साथ ले आये , वो नवजवान है वो अपनी माओ के साथ वंहा जाए , झील के उस किनारे एक पत्थर है उसके उपर ही मेरी बलि चढ़ा दे , इससे उनका शौर्य उनके परिवार की स्त्रियाँ भी देखेंगी …क्या ये हो पायेगा …"
ठाकुर ने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा …
"यार तुम आदमी बड़े अजीब हो , ये कैसी बात हुई , आखिर इससे तुम बचोगे कैसे …."
"ठाकुर साहब वो मेरी टेंशन है आप बस इतना कर दीजिए , बाकि सब मैं ठीक कर दूंगा , अब तो खुश "
"ठीक है हो जायेगा , कल सुबह भोर होने से पहले ही तुम्हारा जुलुस निकाल दिया जायेगा .."
ठाकुर साहब मुस्कुराये और अपना पेक मेरी ओर उठा दिया …..
 
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अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
"तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब "
"वाओ तुम्हे याद है ..???"
"अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??"
मैं हँस पड़ा
"बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है "
"क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …"
"कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी "
"कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा "
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
"हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया "
'यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे "
"मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए "
"ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …" वो चौकी
"तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है "
'यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है "
"डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …"
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
"चलिए कुवर जाने का समय हो गया …"
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
"कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी "
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
"सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है "
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
"तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा " अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
'भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे "
"सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को "
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
"आआ आ …" मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
"मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. "
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
"फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे " सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
"आँख खोल साले नपुंसक …" कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
"नही ………" मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
"ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है "
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
"भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??"
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
"भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो "
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
"माँ चुदा …"
"आआआअ … " दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
"अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो .." वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
"इसे नदी में फेक दो "
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
 
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चेतना धीरे धीरे लौटने लगी थी , लेकिन अभी भी मुझे शरीर का अहसास नहीं हो पा रहा था,मुझे लग रहा था की मैं हु , लेकिन मेरा शरीर कहा है इसका आभास ही नहीं था …
मैं दुनिया देखना चाहता था , क्या मैं जिन्दा हु …???
समय का कोई ज्ञान नही हो रहा था ,बस मैं हु ये एक मात्र ज्ञान मुझे था ..
ना जाने कितना समय बिता था जब मुझे पहली बार अपने शरीर का भान हुआ , मुझे अपने कानो में कुछ आवाजे सुनाई दी , और हलकी रोशनी का आभास किया , मुझे कुछ धुंधला सा दिखने लगा था …
"इसने पलके झपकाई … डॉ …नर्स इसने पलके झपकाई …" किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में पड़ी , वो चिल्ला रही थी , उस आवाज को मैं कैसे भूल सकता था , इससे तो मेरी शादी होने वाली थी …
थोड़ी देर में कमरे में थोड़ी हलचल बढ़ गई , मेरी आँखे थोड़ी और खुली लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं दिखाई पड़ रहा था ना ही शरीर महसूस हो रहा था , कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरी चेतना गायब हो गई …
पता नहीं कितना समय बिता था , मुझे मेरी उंगलिया महसूस हो रही थी , शरीर के कई हिस्सों को मैं महसूस कर पा रहा था … आँखों को खोलने की कोशिस करने लगा , आँखे ऐसी बोझिल थी जैसे सदियों से सो कर उठने पर होता है ..
"तुम मुझे सुन पा रहे हो … "
एक करुण आवाज मेरे कानो में पड़ी ..उस आवाज में दर्द था ऐसा दर्द जो सीधे मेरे दिल से लग रहा था , एक कम्पन थी जिसने मुझे जगा दिया था , मैंने आँखे खोलने की भरसक कोशिस की , वो चहरा अभी भी धुंधला ही था …
"लौट आओ निशांत ,मेरे निक्कू लौट आओ .." वो रो पड़ी , उसका रोना मेरे लिए दर्दनाक था लेकिन मेरी मज़बूरी की मैं उठकर उसके आंसू नही पोछ सकता था ..
मैंने पूरी ताकत लगा कर हलके से पलके झपकाई …
वो चहक उठी ..
"इसने पलके झपकाई , इसने मेरे बात का जवाब दिया " वंहा मौजूद सभी लोग उम्मीद से मेरी ओर देख रहे थे , उसकी इस अदा पर मुझे बड़ा प्यार आया , मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब देना चाहता था लेकिन शरीर में जैसे कोई संवेदना ही ना रही हो …
ना जाने कितना समय बीत गया ,कभी अन्नू तो कभी अम्मा मेरे पास होती ..
अन्नू तो लगभग यही रहा करती थी , वो मेरे पास बैठे मुझे कविता सुनाती , गाने गुनगुनाती , कभी हंसकर बाते करती तो कभी शिकायतों के पुलिंदे सामने खोल देती , उसे शिकायत थी की मैं उसके बातो का जवाब नहीं देता , कभी हँसते हँसते ही वो रो पड़ती थी , मैं कभी कभी पलके झपकाकर उससे ये बताता की मैं उसे सुन रहा हु .. वो खुश हो जाती , उसकी उम्मीद और भी गहरी हो जाती की एक दिन आएगा जब मैं उठ खड़ा होऊंगा ..
वो कहती की हम अपनी शादी में साथ नाचेंगे , गायेंगे , पता नहीं वो दिन कब आने वाला था , मैं भी उसके इन्तजार में था , उम्मीद की छोटी सी किरण के सहारे हम दोनों ही अपने इस रिश्ते को निभा रहे थे ….
ना जाने कितना समय बीत गया , मैं अपने शरीर को महसूस कर पा रहा था लेकिन उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था , मैंने अपनी उंगलिया हिलाई थी , लेकिन किसी ने देखा नही , अगर अन्नू देख लेटी तो झूम जाती , लेकिन वो वंहा नही थी …
ना जाने कितना समय बीत गया , अन्नू प्यार से मुझे कबिता रही थी , मेरी पसंदीदा कबिता रश्मिरथी

"सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं, "

वो गए जा रही थी और मैं दिनकर जी के कवित्वा को साधुवाद दे रहा था , हर बार की तरह मैं इसे सुनकर प्रफुल्लित था , मैं भी इस विपत्ति से विचलित नहीं होना चाहता था , मैं इसे पार करके अपने प्यार के पास आना चाहता था , मैंने कोशिस जारी रखी , आज मैंने आपने आँखे पूरी खोली , अन्नू पुस्तक पकडे एक ले में गा रही थी , अचानक उसने मुझे देखा …
मैं एकटक उसे ही देख रहा था ,ना जाने कितने वक्त के बाद मैंने उसके सुन्दर चहरे को देखा था , कभी हमेशा ही खिला रहने वाला चहरा कितना मुरझा गया था , मेरे आँखों में आंसू की बुँदे अनायास ही आ गई ,
वो कुछ देर तक बस मुझे देखती रही , और अचानक से वो जोरो से रो पड़ी …
"नर्स .. डॉ .. अम्मा कोई है… देखो मेरा निक्कू उठ गया , मेरा निक्कू उठ गया "
उसने मेरे माथे को चूमना शुरू कर दिया
"मैं जानती थी तुम मुझे सुन रहे हो , मैं जानती थी की तुम उठोगे …" वो रोते हुए बोलती रही
तभी कुछ लोग भागते हुए वंहा आये ..
"मेडम प्लीज थोडा हटिए " एक नर्स ने कहा , डॉ ने एक इंजेक्शन तैयार किया
सबके पीछे अम्मा भी वंहा आया गयी थी वो मेरे पास ना आई बस ही खड़ी हो गई ..
"देखो ना अम्मा निक्कू जाग गया है "
अन्नू उनके पास गई , और अम्मा .. वो रोते हुए वही बैठ गई थी …
ना जाने कितना समय बीत गया था , अब मैं पलके झपकाता , आंखे खोलकर अन्नू और अम्मा को निहारता , अपनी उंगलिया भी हिलाने लगा था , बोलने की कोशिस करता लेकिन अभी आवाज बहुत ही धीमी थी , अन्नू अपने कान मेरे मुह के पास लाकर सुनने की कोशिस करती लेकिन कुछ समझ ना पाती ..
सब लोग खुश थे , मुझे बताया गया की मैं अभी अपने हवेली में हु , मुझे मार कर नदी में फेंक दिया गया था , जिसकी जानकारी रामिका ने अम्मा को दी और अम्मा ने उसके साथ मिलकर मुझे बचाया , बताया गया की जब वलवंत मुझे लेने आया तो मैंने अपना मोबाइल वही छोड़ दिया था , रामिका ने जब मुझे जाते देखा तो उन लोगो का पीछा किया , जब वो वंहा पहुची तब तक उन लोगो ने मुझे बुरी तरह से जख्मी कर दिया था , रामिका ने तुरंत मेरे मोबाइल से अम्मा को फोन किया और उन लोगो का छिपकर पीछा किया , उनके जाने के बाद वो नदी में कूदकर मेरे शरीर को नदी के किनारे तक ले आई , अम्मा और बाकि के लोग कुछ देर में वंहा पहुचे , मुझे हॉस्पिटल में रखा गया लेकिन वंहा भी मेरी जान को खतरा हो सकता था , ना जाने बलवंत के लोग मुझपर कब हमला कर देते , इसलिए मुझे हवेली में ही शिफ्ट कर दिया गया , बलवंत को भी पता चल चूका था की मैं जिन्दा बच गया हु , लेकिन उसे ये नै पता था की मुझे बचाने वाली उसकी ही बेटी है …
मेरी जो हालत थी उसमे बच पाना लगभग नामुमकिन था ,लगभग डेढ़ साल से मैं कोमा में था , मुझे होश तो आ गया था लेकिन अभी भी मेरा शरीर किसी काम का नही था , मैं अच्छे से बोल भी नहीं पा रहा था ,
अन्नू दिन भर मेरे पास बैठी रहती वो मुझे गांव के किस्से बताती , उसने बताया की अब्दुल ने UPSC का एग्जाम निकाल लिया , उसका चयन आई.ए .एस . के लिए हो गया है , कुछ दिन ही हुए वो ट्रेनिंग के लिए चला गया ..
अन्नू बताती की कभी कभी अंकित भी मुझे देखने आता,मेरे पास बैठ कर रोता लेकिन बिना कुछ कहे वंहा से चला जाता ..
समय बीत रहा था लेकिन मैं उंगलियों को थोडा मोड़ा हिलाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पा रहा था , मैं अंदर से टूटने लगा था , मुझे लगने लगा था की इससे अच्छी तो मौत थी , मुझे कोई कुछ बताता नहीं लेकिन मैंने महसूस किया था की शायद मेरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है , अम्मा और अन्नू डॉ से बात करने के बाद अक्सर दुखी दिखाई पड़ते , मेरे सामने आने पर वो अपने आंसू तो कमरे के बाहर छोड़ कर आते लेकिन उनके चहरे को देखकर मैं समझ सकता था की कोई बड़ी दिक्कत जरुर चल रही है ..
मेरे आवाज में थोड़ी ताकत आने लगी भी , मैं थोडा बहुत बोल पा रहा था …
"अन्नू मुझे क्या हुआ है , मैं अपने शरीर को महसूस क्यों नहीं कर पा रहा "
एक दिन मैंने अन्नू से कहा , मेरी आवाज बहुत कमजोर थी लेकिन अब वो समझ में आने लगी थी …
"कुछ भी नही हुआ है , तुम जल्द ही ठीक हो जाओगे "
वो मुस्कुरा कर बोली ..
झूठ मत बोलो अन्नू मुझे बताओ की आखिर मुझे हुआ क्या है …
"अरे कुछ भी तो नहीं हुआ है बाबु , तू बस आराम करो ,सब ठीक हो जाएगा …"
हर बार मैं पूछता और हर बार मुझे यही कह दिया जाता , समय बीतने लगा था , मुझे होश आये अब 4 महीने बीत चुके थे , मुझे बाहर घुमाने ले जाया जाता , जो भी मुझे देखता उसकी आँखों में मेरे लिए बस हमदर्दी होती , वो हमदर्दी मुझे इतनी चुभने लगी थी की मुझे लगता की मैं जीवन भर ऐसा ही रहने वाला हु …
मुझे वीलचेयर पर बिठाने के लिए ३ लोग लगते थे , मैं अच्छे से अपना गला भी सम्हाल नही पाता , अगर बैठने से मेरा गला निचे गिर जाता तो उसे उठाने के लिए भी एक आदमी की मदद लगती थी …
सच में ऐसे जीवन से मौत बेहतर थी …
एक दिन मेरे कमरे में कुछ लोग आये , साथ में अम्मा और अन्नू भी थे … उनमे से एक शख्स को मैं पहले भी मिल चूका था ..
वो थे डॉ चुतिया …
"अब कैसे हो कुवर …"
डॉ ने मेरे पास रखी स्टूल में बैठते हुए कहा ..
"जी रहा हु डॉ .."
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराये
"तुम सिर्फ जीने के लिए पैदा नहीं हुए हो , तुम्हे अभी बहुत कुछ करना है , मैंने कहा था ना की मैं तुमसे फिर मिलूँगा … लो मैं फिर से आ गया …"
मैंने उनकी बातो का कोई जवाब नहीं दिया ..
"फिक्र मत करो बस आज की रात और कल से तुम बिलकुल ठीक होगे "
इतना कहकर डॉ और उनके साथ आये लोग वंहा से चले गए ..
मैं बस उन्हें देखता रह गया था , और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था …आखिर कैसे ??????
 
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अध्याय 16
शाम का वक्त था जब डॉ अपने एक साथी के साथ मेरे कमरे में आये ,
वो मुझसे अकेले में मिलना चाहते थे , उनके हाथो में कुछ सामान थे जो की मेडिकल रिपोर्ट लग रहे थे ..
"निशांत तुम जानना चाहते थे ना की तुम्हारे साथ क्या हुआ है ..?"
मैंने हां में सर हिलाया ..
उन्होंने सभी रिपोर्ट्स को एक एक कर मुझे दिखाया ..
"तुम्हे लोहे की रॉड से मारा गया था जिससे तुम्हारी कई हड्डिया टूट गई थी , और गोलीयो तुम्हारे वाइटल ऑर्गन को डेमेज कर दिया था , लेकिन सबसे ज्यादा नुक्सान उस गर्म सरिये से हुआ जिसे तुम्हारे पेट में घुसाया गया था , वो सीधे तुम्हारे स्पाइन को डेमेज करते हुए बाहर निकली थी जिससे कई नर्व डेमेज हो गए … तुम जिन्दा हो वो ही एक चमत्कार है ,लेकिन जो अभी तुम्हारी हालत है , दुनिया का कोई भी डॉ तुम्हे अपने पैरो में खड़ा नहीं कर सकता , तुम हमेशा हु ही रहोगे , ना कभी चल पाओगे ना कभी अपने शरीर को हिला पाओगे ,,,वो शैतानी ताकत ही थी जिसके कारन आज तुम जिन्दा बच गए और वही है जो तुम्हे फिर से तुम्हारी पुरानी जिंदगी दे सकता है , जो कोई नहीं कर सकता वो ये कर सकते है …"
उन्होंने अपने साथ आये एक आदमी की ओर इशारा किया …
"इनसे मिलो ये है चमन चुतिया , आत्याचारी लंड नामक संस्था के फाउनडर है "
मैंने उस आदमी को अजीब निगाहों से देखा , एक अजीब सा इंसान था , बड़े बड़े बाल और बड़ी बड़ी दाढ़ी लिए वो इंसान कोई 40-45 वर्ष का होगा , पुरे बाल बिखरे हुए और हलके घुंघराले थे , उसके कपडे मटमैले थे किसी जादूगर जैसा अजीब सी शेरवानी पहन रखी थी , बहुत सारी मानिक की मालाये डाल कर रखी थी , और सबसे अजीब तो उसका और उसके संगठन का नाम था , साला ऐसा नाम कौन रखता है , लेकिन जब डॉ का नाम चुतिया हो सकता है तो इसका नाम चमन चुतिया क्यों नहीं हो सकता …
"आप के साथ रहने वाले लोग इतने अजीब क्यों होते है "
मैंने डॉ से कहा
"बेटा ये अजीब से लोग ही तुझे तेरे पैर में खड़े करने वाले है , तो इनसे थोड़ी इज्जत से बात करो … ये कोई आम इन्सान नहीं है एक बहुत बड़े जादूगर है और जादू टोना एक्सपर्ट है , और शैतानी ताकतों को सम्हालने और उसके इस्तमाल में इसने कालाकंडी युनिवर्सिटी से पीएचडी की हुई है , समझा "
"अब ये युनिवर्सिटी कहा है ???"
"बच्चे यंहा आम पढाई नहीं होती , ना ही आम लोग वंहा पढने जाते है , तुम ये सब छोडो और अब मेरी बात सुनो .." वो आदमी पहली बार बोला था अब वो मेरे पास आ गया
मैंने हां में सर हिलाया , उसने बोलना शुरू किया
"एक ही ताकत तुम्हे बचा सकती है जो तुम्हारे अंदर है , लेकिन इस हादसे से वो सो चुकी है , उसे फिर से जगाना होगा , आज अमावस की रात है , आज शैतानी ताकते अपने सबसे ज्यादा प्रभाव में होती है , लेकिन इसे जगाने के लिए कई जतन करने होंगे, साथ ही कई महिलाओ का साथ चाहिये होगा , यंहा की कई ओरते साथ देने को तैयार है , क्योकि वो तुम्हे बहुत चाहती है, हमने उनमे से 10 कोई चुन लिया है , लेकिन सबसे जरुरी ये है की तुम इसकी इजाजत दो "
"आखिर मेरे इजाजत देने से क्या होगा ??"
"तुम्हारे अंदर जो ताकत आएगी वो कोई आम ताकत नहीं है , शैतान की शक्ति का एक अंश जो तुम्हारे पहले से था , तुमने उसकी शक्ति का आभास किया है , लेकिन अब जो होगा वो उससे कई गुना ज्यादा ताकतवर होगा , तुम उसे काबू नहीं कर पाओगे , और तुम्हे ये जिंदगी शैतान के नाम करनी होगी , उसका कहा मानना होगा , हा इसके बदले तुम्हे इतनी अदम्य शक्तिया मिलेगी जिसके कोई इंसान सपने ही देख सकता है …"
मैं गंभीर सोच में पड़ गया … अपने पास शैतानी शक्तियों को रखना मतलब खुद का और दूसरो का भी बुरा करना था , लेकिन मेरी जो हालत थी वैसे जीना भी तो मुमकिन नहीं था ..
"मैं नहीं चाहता की मेरे कारण किसी का बुरा हो , ऐसे भी मैंने कई लोगो का बुरा कर दिया है , अब और नहीं …"
"तो क्या जीवन भर तुम ऐसे ही बिस्तर में पड़े रहना चाहते हो …"
चमन ने गुस्से में कहा
मैं चुप हो गया … तभी डॉ ने कहा
"निशांत किसी का बुरा या अच्छा करना तो तुम्हारे हाथो में है , शक्ति का स्वरुप हमेशा से ही उदासीन रहा है , उसके ऊपर किये कर्म बताते है की वो अच्छा है या बुरा ,कोई भी शक्ति अच्छी या बुरी नहीं होती , अच्छे या बुरे तो केवल कर्म ही होते है , और लोगो की प्रकृति होती है की वो आदतन ही अच्छे या बुरे कर्म करते है , तुम्हारे पास पहले भी शैतानी शक्ति रह चुकी है लेकिन तुमने अपने प्रकृति की अनुरूप इसका उपयोग किया ,कभी इसी पर जबरदस्ती नहीं की , तुम चाहते तो पुरे गांव की स्त्रियों को अपने काबू में कर सकते थे लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया , ये तुम्हारा प्रकृति दर्शाता है , और इसीलिए उस शक्ति ने तुम्हे चुना था, इस गांव का भाग्य भी तुम्हारे हाथो में ही है , अगर तुम ये काम नहीं करोगे तो शायद इस काम के लिए तो वो पत्थर कही दुसरे को ना चुन ले , जिसकी प्रकृति दुष्ट हो और फिर वो क्या आतंक मचाएगा वो तुम सोच सकते हो , और ये मत बुलो की तुम्हारी अम्मा और अन्नू भी इसी गांव में रहते है अगर पथ्थर ने फिर से किसी दुसरे को चुन लिया तो वो सबसे पहले इस गांव की सबसे प्रभावशाली महिला को अपने कब्जे में करेगा , तुम इस हालत में बैठे हुए अपनी घर को सिर्फ लुटते हुए देख पाओगे …. क्या तुम यही चाहते हो …"
डॉ ने जो कहा था उससे मैं पूरी तरह से हिल गया था और सोचने में मजबूर हो गया था …
मैं इस शक्ति के प्रभाव को समझता था ये शक्ति अगर किसी बुरे व्यक्ति के हाथ में पड़े तो वो तबाही मचा सकता था , मुझे ये करना पड़ेगा …. मैंने अपना मन मजबूत किया ..
"ठीक है डॉ मैं तैयार हु …"
"बहुत बढ़िया , चमन तयारी शुरू करो "
चमन मेरे ओर देखा उसका चहरा खिला हुआ था ..
"बहुत बढ़िया निशांत , तुमने सही फैसला किया , अब तुम भी एक अत्याचारी लंड बन जाओगे … तो बोलो होउस द जोश …"
"क्या …" मैंने आश्चर्य से उसे देखा
"कुछ नही बस तुम इस रात के बाद से मेरे संगठन के सदस्यों में से एक हो जाओगे , तो खुश हो ना …"
डॉ ने उसके कंधे पर हाथ रखा
"भाई चम्मन चूतिये , तुम अपना काम करो ना यार क्यों बच्चे को डरा रहे हो "
वो ख़ुशी ख़ुशी वंहा से चला गया ..
"ठीक है कुवर अब हम कल ही मिलेंगे , एक चीज याद रखना की तुम्हे फिर से अच्छा करने के लिए गांव की कई स्त्रियाँ अपना जीवन और अपना योवन समर्पित करने को तैयार है , ठीक होने के बाद उनका ख्याल रखना , उनके अहसानों को भूल मत जाना …"
डॉ भी वंहा से चले गए थे ……….

रात हो चुकी थी लगभग 11 बजने वाले थे , मुझे एक गाडी से ले जाने का पूरा बंदोबस्त हो चूका था , साथ ही और भी कई गाड़िया तैयार थी , मुझे गाडी में बिठाया गया , मेरे साथ ना अन्नू थी ना ही अम्मा , मेरे बाजु में चमन बैठा था , वो आंखे मूंदे कुछ मंत्र जप रहा था ..
कुछ देर में हम उस जगह पर पहुच चुके थे , कुछ लोग मुझे झील के किनारे ले कर गए , वहा मुझे उठाकर उसी पत्थर पर रख दिया गया था , झील का कलरव मेरे कानो में गूंज रहा था , उन्होंने मुझे निर्वस्त्र कर दिया , चमन के अलावा सभी मर्द वंहा से चले गए थे ..
"आधी रात होने पर हमे शैतान का आह्वाहन शरू करना है .." चमन मेरे कानो में बोला और कुछ इशारा किया
"तुम्हे शांत रहना होगा .. और जो हो खुद को समर्पित कर देना है , अपना दिमाग लगाना बंद कर दो , खुद को ढीला छोड़ दो .." उसने मेरे कानो में कहा ..
मैं भी चुप चाप अपने को ढीला छोड़कर वंहा लेटा रहा ..
कुछ देर बाद ही पायलो की झंकार हुई , मैंने देखा की वंहा कई स्त्रिया इकट्ठी हुई है , वो सभी झील की ओर जाने लगी , मेरे पास ही आग जलाई गई थी , सभी स्त्रियाँ निर्वस्त्र थी और वो झील में जाकर डुबकी मारने लगी …
थोड़े देर बाद सभी मेरे चारो ओर आकर खड़े हो गए , एक नजर मैंने सभी को देखा , कई पहचान के चहरे थे , गुंजन भाभी और कामिनी भाभी भी उसमे खड़े थे , सभी गिले थे , ढोल बजने की आवाज शुरू हो गई , सभी बाल बिखरा कर नाचने लगे , मैंने ऐसा नृत्य पहले भी सपने में देखा था , लेकिन इस बार वो मेर चारो ओर नाच रहे थे , तभी सबके बीच से महिला सामने आई उन्हें देख कर मेरे रोंगटे ही खड़े हो गए , उन्हें हाथो में एक बड़ा सा चाकू था और वो कोई और नहीं बल्कि मेरी अम्मा थी ..
हम दोनों की नजरे मिली लेकिन उनके आँखों में कोई भाव ना था , चमन लगातार मन्र पढ़कर आग में आहुति दे रहा था , स्त्रियाँ मेरे चारो ओर नाच रही थी , अम्मा पूरी तरह से निर्वस्त्र थी वो मेरे चहरे के पास आई और अपनी हथेली काट कर मेरे चेहरे के कुछ उपर रख दिया , रक्त बहने लगा था जो सीधे मेरे चहरे पर पड़ रहा था …
मेरा चहरा उनके खून से सन रहा था , वो अपने हथेली को मेरे चहरे से लेकर पैरो तक ले गई , उनका रक्त मेरे नग्न शरीर को भिगोने लगा , वो एक जगह रुकी , और मेरे शरीर में अचानक से जैसे संवेदना का संचार हो गया , मेरे निर्जीव शरीर का हर अंग जैसे जीवित हो गया था , मुझे अपने पुरे शरीर का भान होने लगा , लेकिन जिस जगह अम्मा अभी खून की धार टपका रही थी उसका आभास पाते ही मैं चुह्क उठा ..
"आह …" मेरे मुह से निकला ..
अम्मा मेरे लिंग पर खून से मालिस कर रही थी और उन्होंने झुककर अपने मुह से मेरे लिंग को भर लिया ..
इतने सालो के बाद मैंने अपने शरीर को महसूस किया था वो भी ऐसे , मेरा लिंग तनने लगा , मैं आश्चर्य से भर गया था ये सच में एक चमत्कार था , अम्मा के नाजुक मुख चोदन से मैं उत्तेजना के शिखर तक पहुचने लगा , सभी दूसरी महिलाये भी मेरे आस पास आने लगी , सभी के हाथो में चाकू थे सभी ने अपनी कलाई काटी और मेरे शरीर में रक्त गिराने लगी , वो सभी कुल 10 महिलाये थी जिनके रक्त से मेरा पूरा शरीर नहाने लगा , , वो अपने हाथो को मेरे शरीर में चलाने लगी , उन सभी की आँखे बंद होने लगी थी , सभी अपने ही मस्ती में आ रही थी , सभी मुझे यत्र तत्र छू रही थी और अपने खून को मेरे शरीर में फ़ैलाने लगी …
वो मस्ती में आकर मेरे शरीर के विभिन्न हिस्सों को चूमने चाटने लगी थी ,मुझे हर एक जीभ की संवेदना महसूस हो रही थी , एक अलग सा खुमार मेरे शरीर में चढ़ने लगा था …सभी महिलाये मुझपर बुरी तरह से टूट पड़ी थी , मेरे शरीर में संवेदनाये तो वापस आ गई लेकिन मैं अभी भी अपने शरीर को नहीं हिला पा रहा था , थोड़ी ही देर बाद मुझे चमन दिखाई दिया , उसके हाथो में एक बड़ा सा प्याला था , उसने उसे मेरे मुह में लगा दिया ,
"ये इन सभी स्त्रियों का पेशाब है , इसे पि लो "
मैं अपनी ही मस्ती में खोया था , मुझे कुछ सूझ नही रहा था , एक तो शरीर पर इतनी स्त्रियों का स्पर्श और मेरे लिंग में अभी भी अम्मा मुह चलना , मैं बुरी तरह से कांपने लगा , मजे और उत्तेजना में मैं बेहाल हो रहा था लेकिन मेरा शरीर बिलकुल भी हिल नहीं पा रहा था , उसी स्तिथि में मैंने वो प्याला पि लिया , मुझे उसके स्वाद का जरा भी आभास नहीं हुआ , लेकिन जैसे ही वो मेरे गले से उतरा , शरीर में एक अजीब सी ताकत का संचार मैंने महसूस किया , मेरी आँखे बंद होने लगी …. और अचानक से खुली …
"आह … साला मजा आ गया , कितने देर से सोया था मैं ???? वाह क्या माहोल है , मुझे इतनी ताकत कैसे महसूस हो रही है , तुम तो शैतानी साधना कर रहे हो , मजा ही आ गया , सही किया तुमने पाट्नर "
मेरे अंदर से एक आवज आई ,
"लौडू तू .. तू जाग गया " मैंने उसे देखकर बहुत ही खुश हो गया था ऐसा लगा जैसे कोई बिछड़ा दोस्त मिल गया हो ..
"हा जाग गया , तेरे कारन मैं भी मर गया था , खैर ये बात करने का समय नहीं है , अभी तो मस्ती कर … वह क्या रांड है जो लिंग चूस रही है , भाई आज तो मजा ही आ गया .."
"मादरचोद वो अम्मा है .."
"वाह तब तो और भी मजा आएगा , अब मुझे मजे लुटने दे मैं तो चला "
अचानक से जैसे लौडू गायब हो गया , वो सभी महिलाये अपने ही धुन में डूबी हुई है , मैंने अपने हाथ पैर हिलाए और मैं खुश के साथ साथ अचम्ब्भित भी था , मुझे यकीं नही हो पा रहा था की मैं इतना स्वस्थ हु , अभी अम्मा का चहरा मेरे सामने आया , उन्होंने मेरे आँखों में देखा , वो मेरे उपर लेटी हुई थी , मेरे आँखों में देखते हुए ही उन्होंने मेरे लिंग को हाथो में लेकर सीधे अपने योनी द्वार में रगड़ दिया ..
हम दोनों ही उत्तेजना से मरे जा रहे थे , मेरे मन में नैतिकता का बोध तो था लेकिन अभी तो उत्तेजना ही हावी थी , उन्होंने मेरे लिंग को दिशा दिखाई और सीधे अपनी योनी में उसे प्रवेश करवा दिया …
"आह …" दोनों के ही मुह से एक साथ निकला , अभी भी हम एक दुसरे के आँखों में ही देख रहे थे , सभी महिलाये एक साथ चिल्लाने लगी , वो हु हु की आवाज निकाल रही थी ,
अम्मा भी मेरे लिंग में अपनी कमर घुमाने लगी थी और मुह उठा कर वो भी भेडियो की तरह हु हु की आवाज कर रही थी ..
लम्बी लम्बी हूऊऊउ की आवाज के साथ वो मेरे तेजी से मेरे लिंग पर कूद रही थी , कोई जोरो से ढोल बजा रहा था , शायद वो चमन ही था , सभी जोरो से ढोल की धुन में ही हु हु की आवाज कर रहे थे , अम्मा और भी जोरो मेरे उपर खुद रही थी , मजे और उत्तेजना से मेरा बुरा हाल हुआ पड़ा था , अचानक से मुझे लगा जैसे पत्थर से कोई करेंट निकल कर मेरे पुरे शरीर में छा रहा है , मैं कांपने लगा साथ ही वो करेंट अम्मा के शरीर में भी दौड़ने लगा था , वो भी मेरे साथ कापने लगी थी , सभी और जोरो से हु हु की आवाजे निकाल रहे थे , अम्मा भी और तेजी से कूदने लगी थी , अपनी कमर को वो पूरी ताकत से मेरे लिंग पर रगड कर मेरे लिंग को अंदर बाहर कर रही थी , वो करेंट मेरे और अम्मा के पुरे शरीर में फ़ैल रहा था और अचानक से ऐसा लगा जैसे मेरी पूरी शक्ति उस करेंट के साथ सिमटते हुए मेरे लिंग में आ गई और दो तीन जोरदार धक्को के साथ वो वीर्य के साथ अम्मा के गर्भ में समां गई …
मुझे लगा जैसे मैं खुद ही उनकी योनी में समां गया हु , मेरी पूरी चेतना ही खो गई थी , मैं बेहोश सा हो गया , फिर से मेरे शरीर में कोई ताकत नही बची , मैं जाग जरुर रहा था लेकिन पूरी तरह से निर्जिब , वीर्य के साथ ही मेरा जीवन अम्मा के योनी के जरिये उनकी कोख में समा गया था … एक सेकण्ड में ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी पूरी ताकत फिर से योनी से निकल कर मेरे लिंग के जरिये मेरे पुरे शरीर में फ़ैल गई …
"आआआअ " मैं चिल्ला उठा , एक अजीब सी उत्तेजना मेरे अंदर भर गई थी , जिसे मैं सम्हाल नहीं पा रहा था , मुझे लगा जैसे एक शक्ति का पूरा द्वार ही खुल गया हो और मेरे उपर छोड़ दिया गया हो , मैं अपने हाथ पैर पत्थर में पटक रहा था , और वो शक्ति अभी भी मेरे लिंग के जरिये मेरे पुरे शरीर में फ़ैल रही थी , वीर्य की धार छोड़ने पर जो मजा आता है वैसा ही मजा मुझे लगातार आ रहा था , मैं परेशान हो चूका था, लेकिन वो शक्ति मेरे अंदर प्रवेश कर ही रही थी ,मेरे एक एक मसल्स फडफडा रहे थे , जैसे उनमे कोई ताकत भरी जा रही हो , अम्मा का आँख और मुह खुला हुआ था वो असमान को देख रही थी जैसे वो बेसुध हो , वो बस एक तक असमान की ओर निहारे जा रही थी , कुछ सेकण्ड में ही मेरी हालत खराब हो चुकी थी और अचानक ये ख़त्म हो गया , अम्मा निढल होकर गिर गई , कुछ महिलाओ ने उन्हें सम्हाला , तब मुझे पता चला की नंग नाचने वाली महिलाओ के अलवा भी कुछ महिलाये आई हुई है जो दूर खड़ी थी अम्मा के गिरने के बाद उन्होंने तुरंत उन्हें उठा लिया …
अम्मा के जाते ही एक दूसरी महिला मेरे उपर चढ़ गई , उसने अपने कलाई का खून मेरे चहरे में डाला और अपनी नश को मेरे मुख पर रख दिया , मैंने अपने होठ खोले ..
"इसका खून चुसो " चमन वहां से चिल्लाया
मैंने उसका खून चूसा और सभी फिर से हु हु चिल्लाने लगे , फिर से नंगाड़े बजने शुरू हो गए थे ..
मुझे यकीन नहीं हो पा रहा था की मेरा लिंग अभी भी इतना कड़ा है , वो भी अम्मा के जैसे मेरे लिंग पर कूद रही थी वो भी हु हु की आवाज निकाल रही थी , मैं फिर से मजे में खो रहा था , इस बार भी वैसा ही हुआ , पहले जब मेरा वीर्य उसकी योनी में गया तो मैं पूरी तरह से निढल हो गया और फिर एक उर्जा वापस से लिंग के जरिये मेरे शरीर में प्रवेश करने लगी , मैं वैसे ही कांपने लगा लेकिन इस बार मुझे इसका कुछ मजा आने लगा था ,थोड़ी आदत सी हो गई थी और उर्जा के वापस आने पर मैं खुद को और भी ताकतवर महसूस करता … और उर्जा पूरी तरह से मेरे अंदर आने के बाद वो महिला बेसुध होकर गिर पड़ी और दूसरी महिलाये उसे उठा कर वंहा से ले जाती …
ये सिलसिला पुरे 10 बार चला , गुंजन भाभी और कामिनी भाभी ने भी यही किया सभी बेसुध होकर गिर गई , लेकिन हर बार मैं खुद को और भी ताकतवर महसूस कर रहा था …
आखिरी महिला के गिरने के बाद मैं खुद से खड़ा हो गया , मेरा पूरा शरीर खून से भीगा हुआ था , लेकिन मैं पहले से कई ज्यादा ताकतवर महसूस कर रहा था , मैंने अपने मसल्स को देखा , अपने शरीर को छूने लगा , मुझे विस्वास ही नहीं हो पा रहा था , मैं जीवन में कभी जिम नहीं गया था लेकिन मेरे मसल्स इतने मजबूत लग रहे थे जैसे मैं कोई प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर हु , सारे घाव के निशान मिट चुके थे और शरीर में गजब की फुर्ती का आभास हो रहा था , मैंने अपने लिंग को अपने हाथो से छुवा वो बिलकुल ताजा मोटे केले की तरह दिखाई पड़ रहा था , उपर की ओर थोडा कर्व लिए हुए बिलकुल कड़ा और उन्नत …
मैंने एक नजर उन सभी महिलाओ को देखा जिनके साथ मैंने सम्भोग किया था , वो सभी बेसुध पड़ी थी ,उनके लिए मेरे मन में एक सम्मान और आदर का भाव आया , उनके लिए प्रेम उमड़ पड़ा , इनके कारन मैं स्वस्थ हुआ था , और स्वस्थ कहना भी गलत था और पहले से कही ज्यादा बेहतर और ताकतवर था , मेरे रगों में रक्त ऐसे फुदक रहा था की मैं अभी कोई पहाड़ तोड़ दू , आदर और सम्मान से मेरा सर झुका मैं उन महिलाओ के सामने दंडवत हो गया , मैंने लेट कर उन्हें प्रणाम किया ..
चमन ने मेरे पास आकर मुझे उठाया , मैं उनके चरणों में भी गिर पड़ा , लेकिन उन्होंने मुझे सम्हला , मेरे आँखों में कृतज्ञता के आंसू थे .. उसने उसे अपने हाथो से पोंछा
"सही कहा था डॉ ने की तुम इस शक्ति के असली हक़दार हो , कोई और होता तो उसके अंदर ताकत का अभिमान आ जाता , कभी कृतज्ञता का भाव उसके अंदर नहीं उमड़ता , लेकिन तुम्हारे अंदर ये भाव उमड़ा , सच में शक्ति सही या गलत नहीं होती व्यक्ति के कर्म मायने रखते है …. तुम बहुत आगे जाओगे , तुम इस गांव का ही नहीं बल्कि बहुत लोगो का कल्याण करने वाले होगे ,मुझे पूरा यकीन है की इस शक्ति का तुम सही प्रयोग करोगे , भले ही ये शैतानी शक्ति हो …"
मैंने हां में सर हिलाया ..
"अब इन सभी को झील में ले जाकर डुबाओ जिससे इनको होश आ जाये , इन्होने अपना जीवन तुम्हारे नाम कर दिया , अब तुम जब चाहो जितना चाहो इन्हें भोग सकते हो , ये सभी तुम्हारी गुलाम की तरह होंगी , "
मैंने आश्चर्य से चमन की ओर देखा
'मैं जानता हु की तुम इन्हें अपने भोग की वस्तु नहीं बनाओगे लेकिन अगर तुम इन्हें भोगोगे तो इन्हें भी परम सुख मिलेगा , अब जाओ और इन्हें झील में स्नान करवाओ "
मैं उनके पास गया और एक साथ दो महिलाओ को मैंने एक एक हाथ में उठा लिया , मेरे अंदर सच में गजब की ताकत आ गई थी , मैं उन्हें एक एक करके झील के अंदर छोड़ता गया पानी पड़ने से सभी होश में आने लगी और खुद को मल मल कर खून को धोने लगी , चमन ने फिर से नंगाडा बजाना शुरू कर दिया था , और भी जो महिलाये वंहा आई थी वो चुप चाप एक कोने में बैठी हुई तमाशा देख रही थी और झील के अंदर सभी महिलाये झूम रही थी वो मेरे ही शरीर को घुर रही थी , सभी निर्वस्त्र थी और पानी में अटखेलिया कर रही थी , वो वंहा मस्ती करने लगी थी , सभी बिलकुल ठीक लग रही थी , अब मैं भी उनके साथ पानी में आया , सभी मुझसे लिपटने लगी , वो मेरे अलग अलग जगहों को चूम रही थी , सामने अम्मा भी मुस्कुराते हुए देख रही थी …
"आप सभी का मैं जीवन भर आभारी रहूँगा "
मैंने सभी के सामने हाथ जोड़ लिए
"अरे कुवर जी हम तो अब आपकी दासी है , और हम आभारी है की आपने हमें अपनी दासी के रूप में सेवा का मौका दिया "
कामिनी भाभी अपने स्तन मेरे सीने में रगड़ने लगी , मैंने उनको बालो से पकड़ा और उनके चहरे को अपने पास लाकर उनके मुह में अपना मुह घुसा दिया , तभी कोई पाने के अंदर डूबकर मेरे लिंग को अपने मुह में ले चूका था , मस्ती फिर से मेरे शरीर में छाने लगी थी , मैं कामिनी भाभी के होठो को चूस रहा था वही एक हाथ से उस महिला के सर को पकड कर अपने लिंग में जोरो से दबा रहा था , बाकि की महिलाओ के हिस्से में मेरे शरीर का जो भी हिस्सा आया वो उसे ही चूमने में लगी थी , ,, रात पूरी तरह से अँधेरी थी , और नंगाड़े की आवाज दूर दूर तक फ़ैल रही थी , छोटी सी आग जरुर जल रही थी जिससे यंहा थोड़ी रौशनी फैली हुई थी …
लेकिन अचानक हमारे उपर टार्च की लाईट मारी गई …
वो झील के उस पार से मारी जा रही थी , मैं गुस्से में उस ओर मुड़ा तो मुझे कोई 10 लोग वंहा दिखे ..
"मादरचोद वंहा क्या हो रहा है " कोई वंहा से बोला और बंदूख तान कर खड़ा हो गया , मेरे रक्त का प्रवाह जैसे तेज हो गया मैं सभी को छोडकर उस ओर बढ़ गया ,मेरी रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी
"अबे इतनी ओरते वो भी नंगी , कही चुडैल तो नहीं "
"क्या पता चुड़ैल है या चुदैल हा हा हा "
एक आदमी बोला तभी मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया , सभी ने टार्च की लाइट मेरे उपर कर दी …
"मादरचोद ये तो वही …" उनमे से एक बोला लेकिन उसके बोलने से पहले ही मैं फुर्ती से घुमा और सीधे उसके गले में एक लकड़ी का टुकड़ा घुसा दिया , वो सभी हडबडा गए और उन्होंने बन्दुक की नोक मेरे उपर तान दी एक न गोली चलाई लेकिन मैंने बंदूख की नोक पकड़ कर दूसरी ओर कर दिया , मैंने एक ही झटके में उससे बंदूख छीन ली थी और उल्टे उसके उपर तान कर गोलिया चला दी , उनके अंदर बुरी तरह से हडबडाहट फ़ैल गई थी वो बेतहाशा गोलिया चलाने लगे थे लेकिन मैं हर बार बच जाता , एक एक करके मैं उन्हें मारने लगा था ,तभी मेरे सामने बस एक आदमी बचा था . वो मुझे देख कर काँप रहा था लेकिन अपने हाथो में बंदूख को बड़े जोरो से जकड़ा हुआ मेरे ओर ही ताने था …
"आगे मत आना वरना गोली मार दूंगा "
वो डर से काँप रहा था , मैंने टार्च से उठने वाली रौशनी में उसका चहरा देखा …
"तू ही है ना जिसने मेरे पेट में वो सरिया घुसाया था …"
मैं उसे पहचान गया था ..
"तू… तुम .. तुम ठीक कैसे वो गए " उसकी आवाज अभी भी काँप रही थी ,
"मादरचोद आज तो तू गया .. मैं उसके उपर झपटा , उसने लगातार गोलिया चलाई लेकिन बचते हुए मैंने उसके हाथो को पकड लिया और मरोड़कर सीधा उसका हाथ ही तोड़ दिया …
"बचाओ .." वो बुरी तरह से चिल्लाया
मैंने दोनों हाथो से उसके मुह को पकड लिया ,एक हाथ से मैंने उसके निचे के जबड़े को पकड़ा और दुसरे से उपर के जबड़े को , मैंने जोर लगाया , वो दर्द से छटपटाने लगा , लेकिन मैंने और जोर लगाया , उसका मुह बाजुओ से फटने लगा था , मुह से खून की धार बहने लगी , और पूरी ताकत लगा ली और उसके मुह को दो हिस्सों में चिर दिया …
मैं उसके खून से सन चूका था …
मैंने चारो ओर देखा , मैं ऐसा खुनी खेल खेल चूका था , मैंने जानवरों की तरह उन लोगो को मारा था … सामने चमन अभी भी नगाड़ा बजा रहा था , दया जैसे मेरे अंदर से गायब थी , मैंने खुद को देखा , सच में मैं एक शैतान बन चूका था , लेकिन जैसा डॉ ने कहा था की शक्ति अच्छी या बुरी नहीं होती ..
मुझे इस शक्ति से लोगो की भलाई करनी थी ………..[/B
 
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120 XP
अध्याय 17
जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
"तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए "
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
"यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है "
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
"कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …"एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
"मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु "
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
"ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है "
"हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है "
"कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है "
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
"आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है "
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
"कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो "
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
"इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले "
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
"क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …"
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …

रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
"कुवर .."
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
"कौन है …" मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
"आऊ .." मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
"क्या हो रहा है ये , कौन है …???"
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
"कुवर जी…."
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
"अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु "
मैंने लौडू को आवाज दी
"ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी "
"अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है "
"कुवर जी …" एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
'ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी " लौडू बोल उठा
"मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है "
"बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है "
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
"कौन है सामने आओ …"
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
"कुवर .."
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
"भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है " मैंने उसे डांटा
"भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा "
"चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??"
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
"कौन हो तुम लोग "
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
"हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू "
"इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी "
वो हलके से मुस्कुराई
"हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर "
"मेरी प्रतीक्षा ???"
"जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया "
"क्या …???"
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
"जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …"
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
"भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा " लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
"अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है …."
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
"मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …"
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
 
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जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
"तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए "
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
"यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है "
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
"कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …"एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
"मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु "
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
"ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है "
"हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है "
"कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है "
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
"आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है "
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
"कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो "
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
"इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले "
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
"क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …"
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …

रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
"कुवर .."
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
"कौन है …" मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
"आऊ .." मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
"क्या हो रहा है ये , कौन है …???"
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
"कुवर जी…."
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
"अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु "
मैंने लौडू को आवाज दी
"ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी "
"अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है "
"कुवर जी …" एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
'ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी " लौडू बोल उठा
"मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है "
"बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है "
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
"कौन है सामने आओ …"
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
"कुवर .."
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
"भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है " मैंने उसे डांटा
"भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा "
"चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??"
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
"कौन हो तुम लोग "
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
"हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू "
"इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी "
वो हलके से मुस्कुराई
"हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर "
"मेरी प्रतीक्षा ???"
"जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया "
"क्या …???"
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
"जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …"
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
"भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा " लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
"अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है …."
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
"मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …"
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
 

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