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Adultery भाभियों का रहस्य

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अध्याय 18
कोकु की सुन्दरता को मैं मोहित होकर देख रह था , अद्वितीय सुन्दरता जिसका बखान नहीं किया जा सकता , जिस्म संगमरमर की तरह तरासा हुआ , हर अंग जैसे संतुलित हो , कही कुछ कम नहीं तो कही कुछ ज्यादा नहीं चहरे की मासूमियत किसी 20 साल की नवयोवना की तरह ,
लेकिन उसके आँखों में आये आंसू ने मुझे उसके मानवीय संवेदनाओ का भी अहसास दिलाया ,
वो पास आकर मुझसे लिपट गई ,
"तुमने मुझे मुक्त करके मेरे सारे बंधन तोड़ दिए , मैं सदा तुम्हारी आभारी रहूंगी "
उसके चिपकते ही उसके सीने मेरे सीने से जा मिले थे , मेरा लिंग पूर्ण रूप से अकड चूका था वही मेरे अंदर बैठा लौडू को तो जैसे जन्नत ही मिल गई हो , वो ख़ुशी से नाचने लगा
"लेकिन मैंने तो उस जादूगर के शरीर को नहीं जलाया है , तुम आखिर आजाद कैसे हो गई "
वो मुस्कुराई
"वो तो केवल एक परीक्षा थी , सालो से हम मर्दों को ये प्रस्ताब देते आ रहे है , किसी न किसी तरह का प्रस्ताब जिसे करके वो मनचाही चीजे पा सकते है , कोई दौलत मांगता है , कोई ताकत तो कोई यौन सुख , लेकिन मुझे इस जादू से वही आजाद कर सकता था जो बस हमें आजाद करना चाहे और बदले में कुछ भी ना चाहे , इतने सालो में तुम वो पहले मर्द हो जिसके अंदर शैतान का अंश भी है और हमें आजाद करने के बदले कुछ नहीं चाहिए , "
"ओह लेकिन बाकि की लडकिया कहा गई "
"वो केवल मेरी परछाई थी , जो आजाद होते ही मुझमे समां गई "
"तो क्या अब तुम पूरी तरह से आजाद हो , तुम कौन हो और जो मर्द कुछ मांगते थे उनका क्या होता था ??"
"जो मर्द हमें आजाद करवाने के एवज में कुछ चाहते उन्हें हम मार देते थे इससे हमारी शक्तिया बढ़ जाती , लेकिन हम फिर भी इस झील में कैद ही रहते , हर मर्द को मारने के बाद मेरी एक परछाई और बन जाती थी "
"ओह आखिर तुम्हे कैद किसने किया था??"
"बढ़ी लम्बी कहानी है , इस पर कभी और बात करेंगे , अभी तो मैं इस अहसान के बदले तुम्हे कुछ देना चाहती हु "
वो मेरे मुह के पास अपने मुह को ले आई , और मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी कमर में रख दिया , उसकी नंगी कमर में हाथ पड़ते ही मैं जैसे पिघल गया था , हम दोनों के होठ मिलने लगे और मैंने उसे उसी पत्थर में लिटा दिया , धीरे धीरे जिस्म की आग बढ़ रही ही और हम दोनों ही उस आग में जलने को तैयार हो चुके थे , मैंने अपने लिंग का प्रवेश उसकी योनी में करवा दिया , मुझे ऐसा लगा जैसे उसके योनी की दीवारों के नर्म मांस ने मेरे लिंग को पूरी तरह से जकड लिया हो , इतनी संतुष्टि मुझे कभी नहीं मीली थी , ये एक अजीब सा मजा था , हम दोनों ही उस मजे में खोने लगे …

पूरी रात हमने अलग अलग तरह से एक दुसरे का भोग किया , लेकिन मजे की बात ये थी की ना तो मैं थक रहा था ना ही वो , दोनों ही उसी जोश में थे , ना ही कोई स्खलन ही हो रहा था, लेकिन मजा और संतुष्टि गजब की थी , अभी भोर होने को आई थी …
"अब मुझे चलना होगा , मैं तुम्हे किस नाम से पुकारू "
'निशांत … तुम चाहो तो मुझे कुवर बुला सकती हो "
वो मुस्कुराई
"फिर कब मिलोगी ..?"
मैंने उसके नाजुक हाथो को पकड लिया
"अगर तुम चाहो तो हर रात इसी जगह " उसने बड़े ही प्यार से कहा
"मैं केवल 15 दिनों के लिए यंहा हु , उसके बाद मैं अपने घर चला जाऊंगा "
"तो इस 15 दिनों में मैं तुम्हे रोज जन्नत के सैर करवाउंगी .."
उसने मुस्कुराते हुए मेरे होठो को चूम लिया
"और उसके बाद ..??"
"मिलूंगी , सिर्फ तुमसे मिलने आउंगी "
"अभी तुम कहा जाओगी ??"
"मुझे कुछ काम पुरे करने है कुवर , अब चलती हु भोर होने को है "
वो इतना कहकर मुझसे अलग हुई और खड़ी होकर अपनी आँखे बंद कर ली उसके शरीर में अपने आप एक साड़ी आ गई, वो वंहा से मुझे अलविदा कहकर निकल गई , कितनी हसीन रात थी ये ..

सुबह के समय मैं झील में नहाकर निकला था , तभी मुझे चमन आता हुआ दिखाई दिया
"तो पहली रात कैसे गुजरी , चुड़ैल दिखी की नहीं "
चमन की बात सुनकर मैं थोडा चौका
"तुम्हे पता था की वो आएगी "
उसने एक गहरी साँस ली
"हा शैतान की पूजा करने वाले कई लोगो को वो अपना शिकार बना चुकी है , तुम बच गए मतलब की तुमने उसे जीत लिया "
"तुम्हे पता था लेकिन तुमने मुझे कुछ नही बताया , अगर मैं भी उसका शिकार बन जाता तो "
उसकी बात सुनकर मैं गुस्से से भर गया था ..
"अरे इतनी फिक्र क्यों करते हो यार , मुझे तुम्हारी काबिलियत पर यकीं था, नहीं बताया इसीलिए तुम जिन्दा हो वरना तुम्हारे मन में भी कोई न कोई लालसा जाग जाती और वो तुम्हारा शिकार कर लेती , ये देखो "
उसने अपने साथ लाये एक थैले से एक मोटी सी पुस्तक निकाली , कुछ पन्ने पलटने पर एक खुबसूरत लड़की का चित्र दिखा …
"ये है बनराकस चुड़ैल … शैतानी जादूगर और तांत्रिक इसे सिद्ध किया करते थे , इनमे बहुत सी ताकते होती है , वैसे ही एक चुड़ैल को एक जादूगर ने यंहा सिद्ध करके कैद कर लिया था , लेकिन शायद नसीब ऐसी रही होगी की खुद मारा गया , और ये बेचारी यही कैद रही , ये चुड़ैले खासकर यौन सुख को पूरा करने , अपनी गृहणी या संगनी बनाने के काम में लायी जाती थी , ये तुम्हे ऐसा यौन सुख प्रदान कर सकती है जैसा दुनिया की कोई ओरत नहीं कर पायेगी , इन्हें सिद्ध करने के लिए पहले तो इनका दिल जितना होता है , ये अपना दिल उसी को देती है जो निस्वार्थ हो , उस चुड़ैल ने तुम्हे अपना दिल दे दिया है कुवर , अब बारी है उन्हें सिद्ध करने की , तुम्हे हर रात 15 रातो तक उसके साथ सम्भोग करना होगा , उससे वो सिद्ध हो जाएँगी और तुम्हारे इशारो पर काम करेंगी , इसीलिए मैंने तुम्हे यंहा 15 रातो तक रहने के लिए कहा था "
मैंने उस चमन चूतिये को घुर ,उसकी बात सुनकर मैं गुस्से से भर गया
"और इससे मुझे क्या मिलेगा , अरे मुझे पुरे गांव की महिलाओ के साथ सम्भोग करना है , मेरे खुद का प्यार घर पर मेरा इन्तजार कर रहा है और मैं एक चुड़ैल से यौन सुख लू "
"शांत रहो कुवर , उस चुडैल को सिद्ध करके तुम महिलाओ को वो सुख भी दे पाओगे जो उन्हें सामान्य सम्भोग से पुरे जीवन में कभी नहीं मिलता , उनके जीवन को भी धन्य कर दोगे… मेरी बात मानकर एक बार उस चुड़ैल को सिद्ध कर लो ,आखिर नई ताकते हासिल करने में बुराई ही क्या है ??"
मैंने हां में सर हिलाया लेकिन मेरा दिल कोकू के लिए दुःख रहा था , उसकी सुन्दरता क्या केवल भोग के लिए थी , ऐसी भी क्या बदकिस्मती है …… मैंने उसे आजाद करने की ठानी और मैंने चमन के हाथो से वो पुस्तक ले ली , मैं बनराकस चुड़ैल के बारे में हर चीज जानना चाहता था , ताकि मैं उसे इस कुचक्र से मुक्त कर सकू , मुझे उसे अपना गुलाम नहीं बनाना था , बल्कि मुझे उसे मुक्त करना था ………
 
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अध्याय 19
रात का वक्त था जब मुझे पायलो की आवाज सुने दी ,
मैं आराम से उस पत्थर पर बैठा हुआ था , यही सोच रहा था की मुझे आगे क्या करना है …
"कैसे हो मेरे सजन "
कोकू की मदहोश आवाज मेरे कानो में पड़ी "
"बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था .." मैंने मुस्कुराते हुए कहा
"ओह क्या सोच रहे थे ..??"
वो इठलाते हुए मेरे गोद में आकर बैठ गई , कोई देखे तो शायद यकीन ना कर पाए की ये कोई आम इन्सान नहीं बल्कि एक शक्तिशाली प्रजाति की चुड़ैल है ..
मैंने प्यार से उसके गालो में एक चुम्मन लिया , वो थोड़ी मचली और अपने शरीर को मेरे लिए सोपते हुए खुद को ढीला छोड़ दिया , मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए उसके गालो में फिर से एक चुम्मन किया …
"मैं सोच रहा था की तुम कितनी प्यारी हो , लेकिन … "
"लेकिन क्या ..??"
"लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार नहीं करता , हा मैं तुम्हे चाहता जरुर हु, तुम्हे पाने की एक तीव्र इक्छा मेरे अंदर है लेकिन … मैं किसी और से प्रेम करता हु "
मेरी बात सुनकर वो उठ कर खड़ी हो गई , वो मेरे सामने ही थी , अचानक से एक हवा आई और उसके बाल पूरी तरह से बिखर गए , उसकी आँखे एकटक मुझे ही देखे जा रही थी …
"मतलब मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक रंडी हु , जिसे तुम जब चाहोगे बस भोगोगे और उसके बाद … उसके बाद मैं तुम्हारी कुछ नहीं …"
मैं जानता था की ये होने वाला है, मैं ये भी जानता था की ये खतरनाक हो सकता है , लेकिन उसे आजाद करने का यही एक रास्ता मुझे मिला था की मैं उसे सच सच बता दू …
"नही ऐसी बात तो नहीं , लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं करता और यही सच है , मेरे दिल में तुम्हारे लिए सम्मान है लेकिन …"
"सम्मान …" वो जोरो से चिल्लाई , माहोल अजीब सा हो गया था , चारो ओर पत्ते उड़ने लगे थे, झील का पानी अचानक से शोर करने लगा था , हवाए तेज हो गई थी , कोकू की सफ़ेद आँखों में रक्त उतरने लगा था ..
"मेरे जिस्म को भोगने को तुम सम्मान कहते हो , तुम्हे बस मेरा जिस्म प्यारा है , मैं नहीं … तुम मुझे एक रखैल बना कर रखना चाहते हो , अपनी गुलाम .. जैसा मेरे साथ हमेशा से लोग करते आये है … तुम भी वैसे ही हो … हो ना … सभी पहले प्रेम का दिखावा करते है , 15 दिनों तक रोज सम्भोग करके मुझे अपनी गुलाम बना लेते है और उसके बाद उनकी असलियत सामने आती है ,.. तुम भी वैसे ही हो .."
वो गुस्से से लाल हो रही थी लेकिन मेरे चहरे मे महज एक मुस्कान थी ..
"मैं सच में तुम्हारा सम्मान करता हु ,इसलिए और मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , बल्कि तुम्हे मुक्त करना चाहता हु ,जिससे तुम फिर से किसी दुष्ट के प्रेम में ना पड़ जाओ , मैं चाहता हु की तुम मेरे भी प्रेम में ना पड़ो …"
मेरी बात का जैसे उसपर कोई असर नहीं हुआ , हवाए बहुत तेज हो गई थी , वो हवा में उठने लगी , चारो ओर एक बवंडर सा उठने लगा था , झील का शांत पानी हिलोरे मारता हुआ बड़ी बड़ी लहरे बना रहा था , पत्तिया और धुल बवंडर की चपेट में आकर मेरे गोल गोल घूम रहे थे …
"तुमने मुझे धोखा दिया , मुझे फ़साने की कोशिस की …"
उसकी बात सुनकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया …
"साला ये तुम लडकियों की प्रोब्लम क्या है , अगर तुमसे झूठ बोलकर प्यार का दिखावा करो तो तुम लोग सोना बाबु बोलकर सब कुछ खोलकर सामने रख देती हो , लेकिन अगर कोई सच्चा आदमी मिल जाए जो तुम्हे सच बता दे तो तुम्हे लगता है की उसने तुम्हारे साथ खिलवाड़ किया ..??? मैं चाहता तो तुम्हे प्यार के झूठे सपने दिखता रहता और 15 दिनों के बाद तुम खुद ब खुद मेरी गुलाम बन जाती , उसके बाद मैं तुम्हारा जैसा चाहता वैसा इस्तमाल करता , लेकिन मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , मैंने तुम्हे सच बता दिया , मैं तुम्हे इस दुष्चक्र से मुक्त करना चाहता हु और तुम मुझे मरने पर उतारू हो गई , अरे प्यार क्या कोई खेल है जो किसी से भी हो जायेगा , मैं किसी और से प्यार करता हु और करता रहूँगा , हां तुम्हे मेरे साथ कुछ करना है तो तुम्हारा स्वागत है , वरना जाओ यंहा से तुम मुक्त हो जाओ …या फिर अभी मुझे मार दो मैं यही खड़ा हु "
मैंने चिल्ला कर ये कहा था , वो मेरी बात सुनकर वो शांत हो गई और उसके साथ पूरा माहोल ही शांत हो गया , लेकिन अभी भी वो मुझे गुस्से से देख रही थी …
"मैं तुमसे प्यार करने लगी थी कुवर "
उसने चिल्लाते हुए कहा , उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा
"नहीं कोकू तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी , हा तुम्हे ये लगता जरुर है , क्योकि तुम्हे बनाया ही ऐसा गया है की जो तुम्हारी परीक्षा में पास हो जाये तूम उसके प्यार में पड़ जाओगी , तुम ही नहीं तुम्हारे जैसी जो भी चुड़ैले है उनका यही हाल होता है , और इसी बात का फायदा जादूगर और तांत्रिक उठाते है तूम जैसी चुड़ैल को बस में करने के लिए … ये देखो "
मैंने वो पुस्तक उसके सामने खोल कर रख दी ,
"मैंने भी ये पढ़ी और ये जाना ही की तुम्हे मुक्त कैसे किया जाए , हा ये अलग बात है की इसके लिए मुझे अपने जान को जोखिम में डालना पड़ा "
वो उस पुस्तक को देखने लगी , देखते देखते उसकी आँखों में आंसू आ गए ..
वो मुझसे लिपट गई ..
"तुमने मुझे मुक्त किया , तुम चाहते तो मुझे गुलाम बना कर इस्तमाल कर सकते थे लकिन तुमने …"
वो रोने लगी , मैंने उसके बालो को सहलाया
"तुम्हारी प्रजाति की चुड़ैले बहुत ही अजीब होती है , इतनी संवेदनशील की प्रेम के लिए खुद को सौप दे , इसीलिए मैं तुम्हारा और तुम्हारी प्रजाति का सम्मान करता हु , लेकिन तुम्हे मुक्त होने के लिए भावना से उठकर दिमाग भी लगाना होगा , मैं जानता हु की तुम हो ही ऐसी की तुम दिमाग की बिलकुल नहीं सुनती बल्कि दिल से ही काम लेती हो , लेकिन अब नहीं तुम्हे अपना दिमाग भी चलाना होगा ताकि तुम बुरे व्यक्तियों से बच सको और सच्ची मोहोब्बत ढूंढ कर उन्हें अपना सबकुछ सौप सको …"
उसने अपने आंसू पोंछे
"मेरे लिए तो तुम ही मेरी सच्ची मोहोब्बत हो , मैं अभी तुम्हे अपना सब कुछ सोपती हु , तुम्हे 15 दिन का इन्तजार नहीं करना होगा "
उसकी बात सुनकर मैंने अपना माथा पकड़ लिया ,
"मैं तुम्हे मुक्त करना चाहता हु और तुम हो की बंधन में बंधने को तुली हो …"
वो मुस्कुराई
"प्रेम का बंधन अजीब है कुवर , ये दर्द तो देता है लेकिन इस दर्द में जीने में भी एक मजा है और ये मजा सिर्फ आशिक ही जानते है , जब उन्हें पता हो की उन्हें इस दर्द के बदले कुछ नहीं मिलने वाला लेकिन फिर भी वो अपना सब कुछ अपने प्रेम पर लुटाने को तैयार रहते है , चाहे इसका अंजाम उनके लिए कुछ भी हो , वो एक आह भी नहीं भरते सब कुछ प्रेम की खातिर सहते है "
मैंने उसके आँखों से लपकते हुए आंसू को अपनी उंगली से पोंछा
"तुम पागल हो , प्रेम की खातिर बिना सोचे समझे खुद को मिटा देना प्रेम नहीं बल्कि मुर्खता है "
उसके आँखों में आंसू था लेकिन फिर भी वो मेरी बात सुनकर मुस्कराई
"मुर्खता और विद्वता तो उन्हें समझ आता है जो दिमाग लगाते है , प्रेमी दिमाग की सुनता ही कहा है , उसके लिए तो दिल ही सब कुछ है , आप भी समझ जाओगे जब आपको प्रेम होगा , सच्चा प्रेम , फिर आप भी दिमाग नहीं लगाओगे , कभी सही गलत की नहीं सोचोगे , बस अपने प्रेम के लिए कुछ भी कर जाओगे …
ये मुर्खता है तो ये मुर्खता ही मंजूर है , खुद को तुम्हारे लिए सौप दिया है अब चाहो तो धुत्कार दो या लाड दुलार दो , मैं अब आपकी हु "
वो मेरे पैरो में सर रख कर बैठ गई , मैं इसे मुक्त करना चाहता था लेकिन इसे अनजाने में ही प्रेम के बंधन में फंसा बैठा , एक अजीब सी पीड़ा ने मेरे मन को झकझोर दिया , इसने मेरे लिए खुद को समर्पित कर दिया था ,मैं इसी कसमकस में था की आखिर मैं अब क्या करू , मैं अगर उसे अपनाता हु तो क्या ये उसका शोषण नहीं होगा ..??? और उसे ठुकरा दू तो क्या ये उसके पवित्र प्रेम का अपमान नहीं होगा ???
क्या मैं सच उसका शोषण करूँगा ???
क्या उसके देह को भोगना उसका शोषण नहीं होगा ???
उसने तो सब कुछ मेरे उपर ही छोड़ दिया है , मेरा एक कदम क्या मुझे ही दुःख देने को काफी नहीं होगा , क्या मैं जानकर ये कर पाउँगा की मैं उसका इस्तमाल कर रहा हु ???
मैं बेचैन हो गया था , तभी लौडू जाग गया …
"इधर से चोदो , उधर से चोदो , जिधर से मन है उधर से चोदो , उल्टे चोदो सीधे चोदो , अगर चाहो तो उड़कर चोदो , मुह में चोदो , चुद में चोदो अगर चाहो तो गांड में चोदो , चोदो चोदो कसकर चोदो … इसी हुस्न की मलिका तुम्हे यही कह रही है की तुम जैसे चाहो वो तुम्हे देने को तैयार है , और तू साले गांडू यंहा भी अपनी चुतिया हरकत से बाज नहीं आ रहा है , अरे ये तुझे दुनिया की हर स्त्री से ज्यादा यौन सुख दे सकती है , तेरे लिए कुछ भी कर सकती है और तू इस उधेड़ बुन में लगा हुआ है …. महाचुतिया है तू , महा गांडू है साले तू , इसी झील में डूबकर मर जा , मेरा दोस्त कहलाने के तो लायक भी नहीं है तू "
"तू क्या चाहता है ??? की मैं इसे चोदु , इसके जिस्म का इस्तमाल अपनी हवस की पूर्ति के लिए करू , इसका दैहिक शोषण करू , इसके प्रेम का ऐसे फायदा उठाऊ "
मैं लौडू के लिए भड़क गया था ,
"अबे काहे का इस्तमाल जब वो खुद तुझे सब देने को तैयार है "
"तू चुप कर मादरचोद, कभी चुद और चुदाई के बाहर भी सोच ले , दुनिया बहुत बड़ी है , और भावना नाम की भी एक चीज होती है दुनिया में …"मैंने गुस्से में कहा
"भावना …?? ये कौन सी नयी चुद आ गई "
मैंने अपना सर पकड़ लिया , मैं भी किसे समझा रहा था जिसका अस्तित्व ही यौन क्रिया के कारन हुआ , जिसे सम्भोग के अलावा और कुछ आता ही नहीं सम्भोग ही उसे ताकत देती है मैं उसे भावनात्मकता के बारे में समझा रहा था ,
"तू अभी चुप रह बस .."
मैंने हारकर लौडू को कहा
"हा कर ले मुझे चुप , मत मान मेरी , रहने दे अपने लंड को ऐसे ही कड़ा और खड़ा , तड़प भोसड़ीके , बहुत नैतिकता की बाते करता है , नैतिकता से क्या दुनिया चलती है …"
मैं उससे बहस नहीं करना चाहता था इसलिए मैं चुप ही रहा और वो भी चुप हो गया ..
मैंने कोकू को उठाया …
"तुम बहुत प्यारी हो कोकू , तुमने खुद को मेरे लिए समर्पित कर दिया लेकिन मुझे ये डर है की मेरे कारन तुम्हारा अपमान ना हो जाए , कही मैं अपनी हवस की आग में बहकर तुम्हारे प्रेम का नाजायज फायदा ना उठा लू , कही मैं तुम्हारा शोषण ना कर बैठू "
मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी …
"कुवर यही चीज तो आपको खास बनाती है , आपकी इसी बात के कारण तो मैंने खुद को आपके सामने समर्पित कर दिया , मुझे पता है की आप कभी मेरा शोषण नहीं करोगे , लेकिन अगर आप मेरा उपभोग करो , अगर मेरा जिस्म आपके आग को ठंडा करने के काम में आये , अगर मेरे प्रेम के लहरों से आपके मन में थोड़ी भी तृप्ति मिले , अगर मेरी योनी का भोग आपको संतुष्टि पहुचाये तो मैं खुद को धन्य मानूंगी … मैं आपके प्रेम के लिए कुछ भी कर सकती हु , आप को अगर मुझे दर्द देकर भी सुख मिले तो मुझे दर्द दीजिए , मेरा सौभाग्य होगा की मैं आपके सुख की कारक बनी "
कोकू के मेरे लिए प्रेम को देखकर मैं भी द्रवित होने लगा था , उसका प्रेम और समर्पण मेरे मन में उसके लिए इज्जत को और भी बढ़ा रहा था , मैंने खींचकर उसे खुद से लगा लिया ..
"मुझे माफ़ कर दो कोकू , मैं इस लायक नहीं की तुम्हारा प्रेम समझ पाऊ …"
मैंने उसे खुद से लपेटते हुए कहा
वो मुस्कुराई
"प्रेम समझने की चीज है भी नहीं कुवर , प्रेम तो करने की चीज है , जीने की चीज है , मरने की चीज है , इसके साथ जिया जाता है , इसे अपने जीवन में उतार लेना ही प्रेम को जीना है , प्रेम एक सागर है जिसमे डूब जाना ही जीना है , प्रेम एक नदी है जिसकी धार में मंजिल की परवाह करे बिना बहते जाना ही प्रेम को जीना है , मैं भी आपके प्रेम में बहना चाहती हु , बिना मंजिल की परवाह किये , आपके प्रेम की धार मुझे जन्हा ले जाए मैं जाने को तैयार हु ,मुझे बहा ले चलो , अपनी धार में बहा लो , चाहे मजधार में या किनारे में जन्हा ले जाओगे मैं बहती जाउंगी "
उसने अपने शरीर को मेरे शरीर से ठिका कर खुद को छोड़ दिया था , मैं भी उसके प्रेम की धार में बहने को तैयार हो गया , उसका इतना प्रेम देख मैं भी बह गया था .मैंने उसके चहरे को उठाया वो किसी नए खिले फुल सी ताजा और मासूम थी , बड़ी आँखे आंसू से डबडबाई हुई थी , आंसू की एक बूंद जब उसकी आँखों को छोडती हुई लुद्की तो मैंने उसे अपने होठो में भर लिया , मेरी इस हरकत से वो मुस्कुराई और मेरे सर को अपनी ओर खींचते हुए अपने होठो को मेरे होठो से मिला दिया , हमारे होठ मिले और जीभ एक दुसरे से खेलने लगे , मैं उस प्रेम से भरे सागर में डूब रहा था , हमारी सांसे एक लय में नृत्य कर रही थी , जिस्म एक दुसरे से सटने को बेताब हो रहे थे , एक दुसरे को चुमते हुए हम हवा में उठने लगे , जो भी हो रहा था वो बस हो रहा था , भावनाओ का सैलाब आ चूका था और हम उसमे बह रहे थे ..
वो मुझसे लग हुई हम जमीन से कुछ फुट उपर थे ..
मैं चमत्कृत था लेकिन डरा नहीं , मैं जानता था की ये कोकू की भावनाओ का उफान है और उसकी ही शक्तियों का परिणाम है की हम हवा में उठे हुए है ..
वो मुझसे थोड़ी अलग हुई और हाथो को फैला कर उसने अपने शरीर को एक झटका दिया , उसके बाल हवा में लहराने लगे और शरीर का हर वस्त्र उसके शरीर को छोड़कर निचे गिर गया , उसने मुझे बड़े प्रेम से देखा और अपने हाथो को मेरे ओर बढाया , मुझे एक हवा के झोके सा आता महसूस हुआ और उसने मुझे एक ही झटके में निर्वस्त्र कर दिया …
वो उड़ते हुए मेरे पास आई और हम दोनों फिर से एक दुसरे में समाने लगे , जितना हम एक दुसरे के होठो में खोते जाते उतना हम जमीन से उपर उठते जाते थे ..
"यही सो जाओ .." मैंने कोकू को कहा , वो वही हवा में लेट गई , ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बिस्तर में लेटी हो , मैं उसके उपर आ चूका था , मैंने निचे देखा तो नजारा देख कर मेरा मन झूम उठा ..
हम जमीन से बहुत उपर थे पास वाली पहाड़ी की चोटी हमारे बराबर में लग रही थी ..
रात के अँधेरे के कारण कुछ साफ़ तो नहीं दिख रहा था लेकिन थोड़ी दूर जलती हुई लाइट से मैं अपने गाँव और बाजु के गाँव को पहचान जरुर पा रहा था ..
"यंहा से गिरा मत देना " मैंने उसके गालो को चुमते हुए कहा , वो मुस्कुराई
"मेरे रहते आपको खरोच तक नहीं आएगी , बेफिक्र रहिये " उसने मुस्कुराते हुए मेरे गालो को सहलाया ,,
मैं उसके होठो को चुमते हुए उसके उपर लेट गया , हम दोनों के शरीर एक दुसरे में घुल गए थे , मैंने उसकी योनी में अपने लिंग को सहलाया , वो आह भरते हुए मुझसे और भी लिपट गई , मेरा लिंग उसकी योनी में उतरने लगा , वो मुझे और भी जोरो से चूमने लगी और हमारा शरीर हवा में इधर उधर उड़ने लगा , मैंने अपनी कमर को तेजी से चलाया और उसने अपने पैरो को मेरे कमर में बांध दिया , हमारा शरीर इधर उधर उड़ रहा था , हम उड़ते हुए अपने गांव से दूर निकल गए थे , मुझे एक पहाड़ की चोटी दिखाई दी जिससे झरना बह रहा था …
"उस ओर चलो " मैंने कोकू से कहा
"आप जिधर जाना चाहे बस सोचे , हम उधर चले जायेंगे , पूरी कमान आपके हाथो में सौप दी है "
मूझे पहली बार इस ताकत का अहसास हुआ , मैं अपने हिसाब से इधर उधर जा रहा था ,
वो अकास में लेटी हुई थी और मैं उसके उपर सवारी करता हुआ उस गिरते हुए झरने के समीप पहुच गया , पहाड़ की चोटी पर झरने के नजदीक मैंने उसे फिर से खड़ा कर दिया और उस झरने के निचे ला दिया ,,,
झरना हमारे उपर से बहकर निचे जमीन में गिर रहा था , मैंने उसके हाथो को चट्टान से टिका दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसके योनी में अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया ..
पानी हमारे उपर से जा रहा था , हम दोनों ही भीग चुके थे , एक अजीब सा उतावलापन मेरे अंदर मचल रहा था और उस मजे में मैं खुद को भूलकर उसे पूरा पाने की चाह में धक्के लगाये जा रहा था , मैंने उसे कसकर जकड़ा और हम निचे गिरने लगे ,हम निचे गिर रहे थे और मैं उसके पीछे खड़ा जोरो से धक्के दे रहा था अचानक से मैंने उसे लिटा दिया और पीछे से उसके उपर आकर उसकी सवारी करने लगा , हम ऐसे ही नीचे गिरे जा रहे थे , जमीन बस आने ही वाली थी जन्हा से झरना एक नदी के रूप में तब्दील हो जाता है ..
लेकिन हम नीचे नहीं गिरे और नदी के समांतर उड़ने लगे , उड़ते हुए मैं पीछे से जोरो से धक्के लगा रहा था , हम नदी से थोड़े ही उपर थे , कभी कभी मैं नदी के पानी में हाथ फेरता हुआ कोकू के उपर झिड़क दिया , मैंने उसे थोडा और दबाया और कोकू नदी के पानी के अंदर चली गई , उड़ने की स्पीड भी काफी थी , पानी छिटकने लगा था , हम दोनों ही एक बार नदी के पानी के अंदर ही कुछ दूर तक चले फिर उपर उठाकर आसमान की ओर बढ़ गए , इस बार मैं खड़ा था और वो मेरे कमर में अपने पैरो को फ़साये हुए उछल रही थी , हम सीधे ही उपर जा रहे थे , उपर और उपर और उपर , मुझे जमीन दिखाई देनी बंद हो गई एक साथ पूरी पृथ्वी ही दिख रही थी , कई देश एक साथ दिखाई दे रहे थे , उपर तो अँधेरा था लेकिन पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पड़ रहा था , उसके एक ओर तो अँधेरा था लेकिन दुसरे ओर प्रकाश …
मेरी सांसे उचटने लगी थी मुझे साँस लेने में दिक्कत होने लगी ..
"ये उचाई मानवों के लिए नहीं है कुवर नीचे चलिए "
कोकू ने मेरी उत्सुकता को देखकर हँसते हुए कहा और हम उल्टे होकर तेजी से निचे गिरने लगे , वो पल इतना उत्तेजक था की तेजी से गिरते हुए मैंने अपना वीर्य कोकू की योनी में उधेड़ दिया , कोकू ने भी मुझे पूरी ताकत से जकड़ लिया था , मेरा वीर्य उसकी योनी में बार बार तेजी से जा रहा था ,मुझे लग रहा था की अब यही आखरी पल है मैं इस पल में खुद को तबाह करने को तैयार था , जमीन अब पास ही थी की हमारी स्पीड कम होने लगी , शायद कोकू ने कमान फिर से अपने हाथो में ले ली थी , स्पीड कम होते हुए हम धीरे से जमीन में आ गए हम फिर से उसी जगह पर थे जहा से हमने शुरू किया था …
"मजा आ गया " मैंने कोकू से कहा उसकी आँखों में आंसू थे ..
"आपने मुझे अपना बना कर मुझे धन्य कर दिया कुवर "
उसकी ये प्यारी बात सुनकर मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया था ……….[/
 
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अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
"अब मुझे चलना चाहिए .."
उसने उठते हुए कहा
"फिर कब आओगी "
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
"अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु "
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
"प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा "
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
'जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे '
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
"बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , "
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
"कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …"
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
"अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो "
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
"फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है "
"लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है "
वो मुस्कुराई
"मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे "
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
"पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना "
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
"अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो "
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
"चुप कर बेशर्म … " उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
"आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … "
"अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है "
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
"ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही "
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
"हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले " अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
"चुप कर तू " वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
"निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए .."
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
"अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा .."
"कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना "
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
"माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है "
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
"सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …"
"हां लेकिन …" मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
"अम्मा …" मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
"कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ "
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
"इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग "
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
"आह " वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
"आह बेटा रुको "
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
"आह बेटा …" वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
 
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अध्याय 21
अम्मा तो चली गई थी,मैं अन्नू को देखता रह गया, ये अभी क्या किया था ,मैं यही समझने की कोशिश कर रहा था,
" तुम ऐसा करोगी मैंने सोचा नहीं था "मैं थोडा हैरान परेशान था
वह मुस्कुराई और मेरे हाथों में एक लिस्ट पकड़ा दिया
"यह क्या है ???" मैंने कहा
"गांव की सभी औरतों की लिस्ट है जिनके साथ तुम्हें संभोग करना है,"
मैं चौक गया
" क्या ??/यह सब ?आखिर क्यों ??"
"तुम्हारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है निशांत, तो किसी को तो यह करना पड़ेगा, गांव में बहुत सारी महिलाएं हैं ,लेकिन जिन्हें तुम्हारी जरूरत है यह उनकी लिस्ट है , कुल 253 महिलाएं हैं जिन्हें तुम्हारी जरूरत है, तो हर दिन तुम्हें दो महिलाओं के साथ संभोग करना होगा यह लिस्ट उनके मासिक धर्म के अनुसार बनाई गई है,मैंने इसके लिए एक महिला चिकित्सक की सलाह ली है ,हर महीने महिला का वो दिन होता है जिसमे बच्चा होने के चांस सबसे ज्यादा होता है उन्ही के हिसाब से इन्हें जमाया गया है,तुम्हे सबका गर्भ भरना है "
उसने लिस्ट मेरे हाथों में पकड़ा दिया ,मैंने लिस्ट देखी पहला नाम अम्मा का ही था ,एक बार पूरी लिस्ट पर एक नजर डाली
"इसमे तुम्हारा नाम तो है ही नही"
वो हल्के से मुस्कुराई उसकी मुस्कुराहट में भी एक दर्द छिपा था ,
"मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद तुम किसी और महिला से संबंध बनाओ ,तो पहले तुम सभी को गर्भवती करके उन्हें श्राप से मुक्ति दोगे फिर हम शादी करेंगे …"
उसके आंखों में आंसू थे और हृदय में पीड़ा ,मैंने उसका हाथ खींचकर उसे अपने गोद मे बिठा लिया
"चाहे जिस्म किसी के भी साथ हो मेरे मन की मल्लिका तो तुम ही हो "
उसने बड़े ही प्यार से मुझे देखा और मुझे गले से लगा लिया
"तुम्हारे मन और तन दोनो की मल्लिका मैं ही हु समझ गए ,कोई चालाकी नही जो जिम्मेदारी मिली है उसे पूरी करो उसके बाद तुम मेरे रहोगो ,हर तरह से ,फिर मैं तुम्हे किसी और के साथ नही बाटूंगी "
उसके भोलेपन में मुझे बड़ा प्यार आया ,मैंने उसके गालो में एक किस लिया
"लव यू जान , ये गांव तुम्हारे इस बलिदान को हमेशा याद रखेगा "
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
"लव यू मेरा बाबू " उसने जोरो से मेरे गालो पर किस कर लिया था…
"लेकिन क्या तुम अकेले मुझे झेल लोगी , मतलब शादी के बाद "
उसने आँखे तरेर कर मुझे देखा
"प्यार सब झेल लेता है समझ गए , तुम्हारे अंदर कितना भी बड़ा शैतान हो मेरे प्यार के अंदर नहीं टिक पायगा, ये शैतान का हवाला देकर मुझसे चिट करने की सोची भी न तो हाथ पाँव तोड़कर फिर से कोमा में सुला दूंगी "
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा वही लौडू अंदर से चिल्लाया
'इससे शादी मत करना ये तो हमारा पूरा मजा ही ख़त्म कर देगी , रोज रोज एक ही लड़की के साथ .. छि छि ये तो पाप है "
मैं उसकी बातो पर हँसा
"ये पाप नहीं छोटे ये प्यार है …"
*************************
नीचे अंकित और कालू मेरा इतजार कर रहे थे , मैं निचे आकर उसी सोफे में बैठा जन्हा बैठकर अम्मा गांव के फैसले किया करती थी ..
"कुवर जच रहे हो .." कालू मुझे देखकर बहुत खुश था
"धन्यवाद .."
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा , वही अंकित बोल उठा
"भाई एक खबर है , अच्छी या बुरी ये समझ नहीं आ रहा है "
मैंने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा
"आखिर ऐसा क्या हो गया …"
"हमारा अब्दुल यंहा का कलेक्टर बन कर आ रहा है …"
"क्या ..??? वो तो अभी अभी अकादमी गया था ना इतनी जल्दी उसे कलेक्टर का पोस्ट कैसे मिल गया "
"यही तो अजीब बात है इसीलिए तो बोला की अच्छी है या बुरी ये समझ नहीं आ रहा , क्योकि अकादमी की पढाई पूरी होने के बाद 2 साल अलग अलग पोस्ट में काम करने के बाद कोई आईएएस कलेक्टर बन पाता है , पहले तो होम केडर हि नहीं मिलता , उसके लिए मुख्यमत्री की सिफारिस लगती है और फिर केंद्र से उसका अप्रूवल होता है तब जाकर अपना राज्य मिल पाता है , चलो ये हुआ समझ भी आता है लेकिन 2 साल का ट्रेनिंग पिरेड बिना किये सीधे कलेक्टर ये समझ नहीं आया , इसके लिए तो बहुत उपर तक पहुच चाहिए और उस साले की इतनी पहुच कब से हो गई …"
मैं थोड़े देर तक सोच में पड़ा रहा …
"बलवंत की पार्टी अभी राज्य और केंद्र दोनों में है , और बलवंत का साला तेजबहादुर अभी केंद्रीय मंत्री है … यंहा का मुख्यमत्री तो बलवंत के ही इशारे पर काम करता है , कही अब्दुल ने पार्टी तो नहीं बदल ली .."
मेरी बात सुनकर दोनों चुप थे फिर कालू बोला
"मालिक अब्दुल को पढाया लिखाया तो आपने था , वो ऐसा क्यों करेगा ??"
"हम्म्म कर सकता है , कब है उसकी पोस्टिंग "
"आज ही .."
"तो चलो कलेक्टर साहब से मिलकर आते है …"
***************************
अम्मा ने मेरे लिए एक बुलेट प्रूफ फार्चुनर लिया था , मेरे साथ कालू और अंकित भी बैठे मेरे आगे और पीछे 5-5 गाडियों का काफिला था , सभी गाडियों में बन्दुखो से लेस गार्ड्स और हमारे आदमी बैठे थे , अम्मा अब मुझे लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहती थी .. हम दनदनाते हुए कलेक्टर ऑफिस की ओर बढ़ गए …
वंहा पहले से ही काफी हलचल थी , शहर के और आसपास के गांव के कई लोग वंहा नए कलेक्टर का स्वागत करने पहुचे थे , हमारी गाड़ी सीधे गेट के पास रुकी मेरे साथ मेरे सभी अंग रक्षक भी उतरे , उसी ताम झाम के साथ उधर से बलवंत भी पंहुचा था , हम दोनों ही थोड़ी दुरी में खड़े थे …
वो मुझे देख कर चौक गया , मैं पहले से कई गुना ताकतवर लग रहा था , काले रंग के टी शर्ट में मेरे डोले साफ़ साफ़ झलक रहे थे , आँखों में काले रंग का चश्मा अभी भी चढ़ा हुआ था …
पैरो में एक भूरे रंग का लेदर का जूता था … बलवंत को देखकर मैं मुस्कुराया और उस ओर बढ़ गया , मैंने अपने अंगरक्षकों को वही रोक दिया था , लेकिन मेरे उसकी ओर बढ़ने से उसके अंगरक्षक चौकन्ने हो गए , उसने हाथ उठा कर सभी को शांत किया …
मैं बलवंत के पास पहुच कर उसके पाँव छुए …
मेरा ऐसा करने से वो थोडा और चौका ..
"तुम बड़े ही ढीठ हो कुवर , तुम सच में मेरे लिए खतरा बनोगे "
बलवंत ने मेरे पीठ पर आशीर्वाद स्वरुप हाथ मरते हुए कहा , मैं मुस्कुरा कर उसे देखने लगा
"ठाकुर साहब बनूँगा नहीं … बन चूका हु … आपने तो मेरे दोस्ती का हाथ नही थमा तो चलो दुश्मनी ही सही , ऐसे मुझे मरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी आपने "
वो भी मुस्कुराया
"आज तक समझ नहीं आया की तुम जिन्दा कैसे बच गए ,और बच गए तो इतने स्वस्थ कैसे हो गए , तुम तो पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहे हो "
मैं हँस पड़ा
"ठाकुर साहब ताकतवर और सचेत भी , पहले तो मैं थोडा कच्चा था आपके कारण अब पक्का हो गया हु "
वो हलके से हँसा
"वो तो वक्त ही बताएगा कुवर , राजनीती ताकत और दिमाग का मिक्सर होता है , जन्हा जैसी जरुरत पड़े वैसे इस्तमाल करने का हुनर आना चाहिए, तुम्हे अभी ये सब सिखने में बहुत समय लगेगा "
मैं मुस्कुराया
"बिलकुल , लेकिन आपसे मैंने कपट और चालाकी तो सिख ही ली आगे भी सीख लेंगे , आप ही मेरे गुरु हो और आपको ही आपके ही अखाड़े में हराऊंगा "
वो थोडा जोरो से हँसा
"सपना अच्छा है तुम्हारा , सपना देखने में कुछ जाता भी तो नहीं , देखो देखो "
"ठाकुर साहब अब बच कर रहिएगा , खेल शुरू हो चूका है " मैंने उसे घूरते हुए कहा था , लेकिन उसकी मुस्कान कम नहीं हुई वो मंझा हुआ खिलाडी था ..
"बेटे खेल तो बहुत पहले से चल रहा है , तुम अभी आये हो , लो कलेक्टर साहब भी आ गए "
एक गाडी हमारे सामने रुकी , पुलिस वाले और कुछ कर्मचारी उस ओर भागे, अब्दुल का तो आज भेष ही बदला हुआ था , सफ़ेद फार्मल शर्ट और काले रंग के फार्मल पेंट पहने वो सच में किसी बड़े अधिकारी के जैसे लग रहा था , सभी लोग उसे गुलदस्ता भेट करने लगे वो सभी से लेकर अपने असिस्टंट को दे रहा था , उसकी नजर अब मुझपर और बलवंत पर पड़ी , सभी को हटाते हुए वो हमारे पास आया और सीधे बलवंत के पैर छूने लगा …
"ठाकुर साहब आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे , मैं आ जाता आपने आने की तकलीफ क्यों की "
बलवंत ने उसकी पीठ थपथपाई
"तरक्की करो बेटे , आज पहला दिन है सोचा तुमसे यही मिलने आ जाऊ "
"प्लीज अंदर चलिए " उसने अपने हाथ बढ़ाते हुए बलवंत को इशारा किया , उसके लिए मानो मैं था ही नहीं , ऐसा तो नहीं था की उसने मुझे देखा नहीं था लेकिन फिर भी मुझे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया , कालू और अंकित दूर खड़े ये सब तमाशा देख रहे थे , बलवंत अब्दुल के साथ अंदर चला गया था वही मैं बस ये सब देखता रह गया …
मैं फिर से अंकित के पास आया ..
"ये साला अब्दुल , तुम सही कह रहे थे इसने पार्टी बदल ली है, देखा त्तुम्हे कैसे इग्नोर कर दिया जैसे तुम वंहा थे ही नहीं , लेकिन बलवंत इसपर इतना क्यों मेहरबान हो रहा है "
अंकित की बात सुनकर मैं हँसा
"इतना तो मुझे पता है की बलवंत कभी किसी पर ऐसे ही मेहरबान नहीं होगा , जरुर वो हमारे खिलाफ कोई बड़ी साजिश कर रहा है , देखते है … चलो …"
हम उससे बिना मिले ही वंहा से लौट गए ..
"आखिर अब्दुल ही क्यों , बलवंत तो किसी भी कलेक्टर को ट्रांसफर करवा कर यंहा ला सकता था "
कार में बैठते हुए अंकित बोल उठा
"अब्दुल हमारे गांव का है , उसे हमारे बारे में जितना पता है उतना किसी और कलेक्टर को नहीं पता हो सकता "
मैंने उसका जवाब दिया , अंकित चुप हो चूका था …
कार में बैठे बैठे मैं अब्दुल के बारे में ही सोच रहा था , मुझे उस दिन अब्दुल की आँखे याद आई जब वो मेरे कारण अपनी माँ से सम्भोग कर रहा था …
उस दिन उसकी आँखों में लाचारी थी , गुस्सा था लेकिन वासना के सामने वो कुछ नहीं कर पा रहा था ..
उस दिन के बाद से अब्दुल ने मुझसे कभी बात नहीं की , शायद यही कारण होगा की जब उसके पास पॉवर आई तो उसने मेरे साथ ना जुड़कर बलवंत का साथ पकड़ लिया , बलवंत उसके जरिये कई काम करवा सकता था , शायद उसमे से कई काम हमारे विरोध में भी करवाए, मेरे लिए अब ये जानना जरुरी था की आखिर अब्दुल के मन में मेरे लिए क्या बैर पल रहा है …
"मुझे अब्दुल से बात करनी है उसका नंबर निकाल कर मुझे दो "
मैंने अंकित से कहा ………………..
 
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अध्याय 22

रात का समय था जब मैं और अंकित बैठे हुए शराब पि रहे थे , ये पहली बार था जब मैं अपने ही हवेली में बैठा हुआ शराब पि रहा था , हवेली के बगीचे में बैठे हुए हम बड़े ही इत्मिनान से ब्लू लेबल की चुस्किया ले रहे थे ,
मैंने अब्दुल को कॉल लगाया ..
"बहुत उड़ रहा है छोटे "
मैंने पहले कहा , उधर से थोड़ी देर तक अब्दुल खोमोश ही रहा …
"बहुत हुई तुम्हारी दादागिरी ठाकुर मैं मेरी बारी है "
उसने थोड़ी देर बाद कहा , मुझे हल्का हल्का नशा भी होने लगा था
"अबे मादरचोद तू एक झांट भर का कलेक्टर बना है , तू मेरा क्या ही उखड लेगा , अपनी ओकात मत भुल "
मेरी बात सुन कर वो हँसने लगा ,
"इतना घमंड अच्छा नहीं ठाकुर , यही घमंड तुम्हे ले डूबेगा …मैं तुम्हारा क्या उखड सकता हु तुम सोच भी नहीं सकते "
"अच्छा कौन है तू बे … एक जिले का कलेक्टर है और क्या ..??"
इस बार अब्दुल जोरो से हँस पड़ा
"सिर्फ एक कलेक्टर नहीं ठाकुर , होने वाले मुख्यमंत्री जी और केंद्रीय मंत्री का दामाद भी हु "
इस बार चौकने की बारी मेरी थी
"क्या बक रहा है …"
अब्दुल अब भी हँस रहा था
"लगा ना शॉक …. रामिका और मेरी शादी होने वाली है .. इसी शर्त पर ठाकुर बलवंत ने मुझे यंहा का कलेक्टर बनाया है …"
रामिका का नाम सुनते ही मैं खामोश हो गया , रामिका ना सिर्फ मेरी दोस्त थी बल्कि उसने मेरी जान भी बचाई थी , और उसका ये अहसान मेरे उपर जीवन भर रहने वाला था , शायद बलवंत को ये बात पता ना हो लेकिन उस समय अब्दुल यही था और उसे ये बात जरुर पता होगी … क्या अब्दुल रामिका को अपनी ढाल बनाकर मुझ पर वार करना चाहता है …???
"अब्दुल … हमारे बीच जो हुआ वो अपनी जगह है लेकिन रामिका को इन सबमे मत घसीट … क्या वो शादी के लिए राजी है ??"
अब्दुल फिर से हँसा
"उसकी रजामंदी कौन पूछता है , बलवंत के सबसे बड़े दुश्मन को उसने बचाया था , इस बात की उसे सजा तो मिलनी ही थी , और ऐसे भी बलवंत को एक आईएएस दामाद मिल रहा है वो भी उसके दुश्मन का दुश्मन तो बलवंत के लिए ये सौदा करना बहुत आसान था "
"देख अब्दुल रामिका का इससे कोई लेना देना नहीं है " मैं थोड़े गुस्से में आ गया था
"कुवर जी आपका कोई लेना देना नहीं है लेकिन मेरी तो बीबी बनने वाली है , मुझे तो लेना भी है और उसे देना भी है हा हा हा "
इतना कह कर उसने फोन रख दिया …
मैं चिंता में डूब गया था मैंने सारी बाते अंकित को बताई …
"मैंने पहले ही कहा था बलवंत कोई काम ऐसे ही नहीं करता , उसने कुछ तो बड़ी प्लानिंग की होगी , तुम्हे रामिका से बात करनी चाहिए , जन्हा तक मुझे पता है रामिका अपने पिता की लाडली है "
"बलवंत अपनी लाडली बेटी के दोस्त को एक बार मरवा भी चूका है , भूल गए क्या ?? "
"बात तो तुम्हारी भी सही है … लेकिन एक बार उससे बात तो कर लो "
मैंने हां में सर हिलाया और रामिका को काल लगा दिया
"ओह कुवर साहब बहुत जल्दी याद कर लिया इस नाचीज को "
उसने अपने चुटीले अंदाज में कहा
"हा ठकुराईन जी आपका शुक्रिया करने का मौका ही नहीं मिला मुझे , तुमने मेरी जान बचाई "
"अबे दोस्त को तू शुक्रिया कहेगा क्या … ऐसे शादी कब कर रहे हो तुम लोग , सुना है अब तो तू पहले से भी ज्यादा हट्टा कट्टा हो गया है "
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा
"फिक्र मत कर तेरे बाद ही मेरी शादी होगी , तू तो अब कलेक्टर की बीवी बनने जा रही है "
वो थोडा चौकी
"तुझे किसने कहा ?? ये बात तो हमारे परिवार वालो के अलावा अभी किसी को नहीं पता थी , "
मैं हँस पड़ा
"अभी तुम्हारे कलेक्टर साहब से बात किया उन्होंने ही बताया "
"ओह ये बात है , ऐसे उसने ही मुझे बताया की तुम पहले से ज्यादा ताकतवर हो गये हो , सुनकर अच्छा लगा "
मैं थोड़े देर तक चुप ही था
"रामिका … तू खुश तो है ना , कही ये शादी अपने पिता के दबाव में आकर तो नहीं कर रही "
रामिका भी थोड़ी देर के लिए चुप हो गई
"अब्दुल बहुत अच्छा लड़का है निशांत , हां शुरू में मुझे लगा की मेरी शादी उससे करवा कर पापा मुझपर जबरदस्ती कर रहे है , लेकिन जितना मैंने उसको समझा और जाना मुझे पता चला की वो मेरे लिए एक सही चॉइस है , अब शादी चीज ही ऐसी है थोडा अर्जेस्ट तो करना ही पड़ता है , लेकिन जिस तरह से वो मेरा ध्यान रखता है मुझे तो वो बेस्ट लगता है "
रामिका की बात सुनकर मुझे थोडा सुकून आया
"तू खुश तो हम खुश , वरना कलेक्टर साहब को सुधार देंगे तू फिक्र मत कर "
"ये खबरदार जो मेरे भोलेभाले अब्दुल को अपनी राजनीती में लाये तो "
मैं जोरो से हँस पड़ा ,
"भोलाभाला ???"
"हा निशांत वो बहुत अच्छे है "
"चलो बढ़िया है तुम खुश रहो और मुझे क्या चाहिए "
थोड़े देर और इधर उधर की बाते करके मैंने फोन रखा …
रामिका खुश थी और अब्दुल को मासूम ही समझ रही थी , अभी तक तो वो था भी मासूम पता नहीं आगे वो क्या गुल खिलाने वाला था , मैं रामिका के सामने अब्दुल के बारे में कुछ गलत बात करके उसे दुखी नहीं करना चाहता था ..
आज शराब थोड़ी ज्यादा हो गयी थी , मैं थोडा लडखडाता हुआ हवेली पंहुचा सामने अन्नू खड़ी मुझे घुर रही थी …
"अगर तुम्हे ऐसा करना है तो ये जिम्मेदारी ली ही क्यों , दो ओरते आ कर चली गई , ये तुम्हारे लिए कोई मजाक है क्या ?? यंहा की ओरतो की जिंदगी का सवाल है ये … "
मेरे आते ही उसने गुस्से से कहा ,
अभी मैं बहुत नशे में था और मुझे एक की जगह 2 दिखाई दे रहे थे ..
"आज का दिन बहुत ही टेंशन वाला था जान इसलिए थोड़ी ज्यादा ले ली … सॉरी "
"तुम्हारी सॉरी से किसी का बच्चा नहीं हो जाएगा , तुम्हे फिट रहना चाहिए हमेशा तैयार और तुम हो की … छि "
अन्नू की ये बात मेरे दिल में लग गई ..
"रामिका शादी कर रही है … अब्दुल से … और अब्दुल हमारे खिलाफ बलवंत से हाथ मिला कर खड़ा है "
मेरी बात सुनकर अन्नू कुछ ना बोली बल्कि मुझे सहारा देकर मेरे बिस्तर तक ले गई …
मैं लेटा हुआ था और अन्नू मेरे बालो में हाथ फेर रही थी ..
"इतना टेंशन मत लो यार तुम , अब्दुल जैसा भी है लेकिन अच्छा आदमी है वो कोई गलत काम नहीं करेगा "
मैं हलके से मुस्कुराया
"वो मेरे जान का दुश्मन बना हुआ है "
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
"हां लेकिन किसके कहने पर उसने ये किया ये तो सोचो …??"
मैंने उसे ध्यान से देखा
"किसके …???"
अन्नू ने बड़े ही प्यार से मेरे माथे पर एक किस किया
"त्तुम्हारी होने वाली बीबी कोई कम नहीं है कुवर जी …"
उसने मुस्कुराते हुए कहा … उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा था …

 
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अध्याय 23

पायलो की छम छम की आवाज मेरे कानो में गूंजी ..
"आमी जे तुमार …"
क्या प्यारी आवाज थी , ये आवाज मैं पहचानता था , मैंने पलट कर देखा तो मेरे चहरे में मुस्कान खिल गई ..
प्यारी सी सूरत और भोली भाली अदाओ वाली , मधुर गीत और होठो में मुस्कान लिए वो मेरे पास आ रही थी , मैं उसी पत्थर में बैठा हुआ था , वो मेरे पास आकर बैठ गई , आज उसने एक घाघरा चोली पहनी थी जैसे कोई गांव की लड़की हो , हाथो में ढेर सारी चुडिया , एक छोटी सी बिंदिया माथे पर थी .
"अब चुड़ैले फ़िल्मी गीत भी गाने लगी "
मैंने उसे देखते हुए पूछा
"हम मार्डेन चुड़ैल है कुवर जी "
कोकू की बात सुनकर मैं जोरो से हँसा और हँसते हँसते ही उसके प्यारे से चहरे को निहारने लगा ..
"कितनी प्यारी लग रही हो आज " मैंने उसके गालो को हलके से सहलाया , उसके होठो में भी मुस्कान आ गई …
"कुछ परेशान लग रहे हो आप " वो मेरे कंधे पर अपना सर टिकाते हुई बोली
"परेशान तो नही लेकिन … कुछ दुविधा में जरुर हु , समझ नही आ रहा है की अब क्या ??, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या होगा , मुझे क्या करना चाहिए , इतनी शक्तियों के बावजूद मैं एक आम जिंदगी तो नहीं जी सकता "
वो हलके से हँसी
"तो तुम अपनी शैतनी ताकतों को आजाद करना चाहते हो ?? सोच लो दिखने में तो ये बहुत ही अच्छा लगता है लेकिन इससे तुम्हारा ही अहित हो सकता है , तुम इसके गुलाम बन जाओगे या ये समझो की उस आनन्द के गुलाम बन जाओगे जो तुम्हे इसके इस्तमाल करने से मिलेगा "
"हा मैं जानता हु , लेकिन सोचो न ये शक्तिया आखिर मुझे मिली ही क्यों है अगर मैं इनका इस्तमाल ही ना करू , सोचो मैं अभी भी नहीं चाहता की मैं किसी महिला के साथ सम्भोग करू जबकि ये मेरी जिम्मेदारी भी है , मुझे ये शक्तिया दी ही इसलिए गई है की मैं ये सब कर सकू लेकिन मैं अपनी ही ताकतों से भाग रहा हु , क्या मैं सिर्फ इसलिए ही इनसे दूर नहीं हु क्योकि मुझे डर है की ये मुझपर हावी हो जाएगी ?? क्या इसी डर से मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुख मोड़ता रहूँगा ??? तुम ही बताओ कोकू की मैं क्या करू ??
मैं परेशान नहीं हु लेकिन एक अजीब सी दुविधा में फंसा हुआ हु , राह दिखाई नहीं दे रही , खुद को मैं कितना नियंत्रित करूँगा "
उसने अपना हाथ मेरे बालो में सहलाया और प्यार से एक चुम्मन मेरे गालो में दिया , वो गिला चुम्मन मेरे अंदर एक गुदगुदी पैदा करने को काफी था
"तुम छोड़ दो … छोड़ दो खुद को … पूरी तरह से बिना किसी नियंत्रण के उडो , ये पूरा आकश ही तुम्हारा है कुवर , क्यों चिंता करते हो , और किसकी चिंता करते हो ,इस समाज की या इनके नियमो की , सब कोरे है , इन्हें तुम अपने हिसाब से फिर से लिख सकते हो ,क्या तुम अपने परिवार की चिंता कर रहे हो ??
अम्मा की या अन्नू की … वो तुम्हारे सहयोगी होंगे ना की तुम्हारे विरोधी "
"लेकिन … अन्नू ने मुझे रोका है … वो नहीं चाहती की मैं किसी और के साथ सम्भोग करू , वो तो ये जिम्मेदारी है की मुझे ये सब करना पड़ रहा है वरना "
कोकू हँस पड़ी
"कोई प्रेयसी अपने प्रेमी को किसी दुसरे के साथ नहीं देख सकती कुवर , लेकिन तुम अलग ओ और बात अन्नू भी जानती हु , तुम खुद को कितना दबाओगे , तुम्हारी ताकते नियंत्रण के लिए नहीं बनी तुम आजाद रहने के लिए बने हो , उड़ने के लिए तुम जितना इन्हें दबा कर रखोगे उतना ही ये तुम्हे तकलीफ देंगी "
मैं अब भी चुप था , उसने मेरे बालो को सहलाया
"कुवर जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो , कभी कभी विलन बनने का भी अपना मजा होता है और कभी कभी ये बहुत ही जरुरी भी होता है "
मेरी आँखे अचानक से खुली मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था , शराब के नशे में मुझे गहरी नींद आई थी , मैंने इधर उधर देखा लेकिन कोकू को कही नहीं पाया , बल्कि कामिनी भाभी झाड़ू लगाते हुए वंहा पहुची थी …
वो मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी
"क्या हुआ कुवर किसे ढूँढ रहे हो "
मैं समझ गया था की ये सिर्फ एक सपना था , लेकिन हकीकत की तरह ही महत्वपूर्ण सपना , मुझे कोकू ने समझा दिया था की आगे क्या करना है , उसकी बात मेरे जेहन में गूंज रही थी की जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो …
मैंने खुद को आजाद करने की सोच ली , लेकिन एक डर अभी भी मेरे अन्द्र्र था की ये आजादी कही मुझे हवस का गुलाम ना बना दे …
"अबे लौड़े छोड़ दे खुद को , इस उम्र में इतना बोझ सही नहीं होता इतना मत सोच " मेरे अंदर का लौडू चिल्लाया , वो सच कह रहा था इस उम्र में मेरे उपर बहुत सारी जिम्मेदारी आ गई थी और इसे अगर निभाना था तो मुझे अपने हवस को आजाद करना होगा , यु नियमो में बंधकर मैं शायद अपनी शक्तियों का सही उपयोग ना कर पाऊ …
"ठीक है मैं खुद को आजाद कर दूंगा , अब तो खुश "
मेरे बोलने पर लौडू जैसे नाच उठा
"याहू … अब सब मुझे जंगली कहेंगे हा हा हा , तो शिकार शुरू करे कुवर , पहला तो सामने ही खड़ा है "
मेरी नजर कामिनी भाभी पर पड़ी
"कुवर जी तबियत तो ठीक है ना आपकी कुछ बहके बहके नजर आ रहे हो "
मैंने मुस्कुराते हुए उनके साड़ी से झांकते हुए नाभि के पास देखा , हल्का सांवला रंग और गदराया बदन , तीखे नयन नक्स की मलिका थी कामिनी भाभी ..
मैंने उन्हें अपने पास बुलाया
"जरा यंहा आके बैठो "
वो मेरे पास आकार बैठ गई मैंने अपने शरीर से चादर हटा दिया , मैं पूर्ण रूप से नंगा था , मुझे देखकर एक बार उनका मुह खुला का खुला रह गया , उसने हाथ बढ़ा कर मेरे शरीर को छुवा
मैंने पहली बार कामिनी के चहरे में शर्म का भाव देखा था ..
"हाय री दइया ये तो लोहे जैसा मजबूत है "
वो मेरे शरीर पर अपने हाथ फेर रही थी , मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया जो अभी तक पूरी तरह से खड़ा हो गया था , मेरे लिंग पर हाथ पड़ते ही कामिनी जैसी कामुक महिला के भी पसीने छुट गए , वो हवस भरी नजरो से मेरे लिंग को देखे जा रही थी …
"कुवर … मुझे डर लग रहा है " उसके स्वर लड़खड़ाने लगे थे …
"हाथो में अच्छा नहीं लग रहा तो मुह में लेके देखो "
उसने अजीब निगाहों से मुझे देखा , उसने मुझे इतना बेबाक कभी नहीं देखा था हमेशा ही मुझे छेड़ा करती थी लेकिन आज मैं खुद के हवस को आजाद करने के कार्यक्रम में था , मुझे इसे अब और काबू नहीं करना था बल्कि अपने अंदर के हवस से भरे हुए शैतान को बाहर निकलना था , अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना था और साथ ही इसका भरपूर मजा भी उठाना था …
वो कांपते हुए मेरे लिंग की ओर झुकी मैंने उसका सर पकड कर जोरो से उसे अपने लिंग के उपर रख दिया ..
"कुवर आराम से .." वो बस इतना ही बोल पाई थी की उसके मुह में मेरा लिंग जा चूका था , उसके थूक के गीलेपन ने मेरे लिंग को और भी कड़ा कर दिया , उसने चूसने में जैसे महारत हासिल कर रखी थी , बड़े ही नाज से वो मेरा लिंग चूस रही थी , मैंने उसे अपने पास खिंच लिया , मैं उसके कुलहो को साड़ी के उपर से भी दबोचने लगा , वो भी मचल रही थी मैंने अपना हाथ उसके साड़ी के अदर डाला और साड़ी को कमर से उपर कर दिया ,
'चटाक '
एक जोरदार थप्पड़ मैंने उसके कुलहो पर मारा , वो सिहर गई लेकिन अपने काम ले लगी रही …
मैं आनन्द की गहराईयो में गोते लगा रहा था , सच में हवस में डूब जाने का अपना ही मजा था , दिमाग से हर फिक्र को निकाल कर मैं इस यौन क्रिया का आनंद ले रहा था …
तभी दरवाजा खुला सामने अम्मा खड़ी थी , हमें इस अवस्था में देखकर वो मुह फाडे हुए वही खड़े हो गई , मैं मुस्कुराते हुए उन्हें ही देख रहा था जबकि कामिनी जैसे दुनिया को भूल चुकी थी , अम्मा यंहा अकेले नहीं आई थी बल्कि उनके साथ बाबूलाल भी था , बाबूलाल कामिनी का पति था , वो भी मुह फाडे अपनी बीवी को अपने मालिक के लिंग को चूसते हुए देख रहा था …
"दोनों अंदर आ जाओ "
मैंने लेटे लेटे ही आदेश दिया , आनंद में मैं ऐसा डूबा हुआ था की मेरी आँखे बार बार बंद हो रही थी ,
मैंने बाबूलाल को पास बुलाया , वो किसी रोबोट की तरह मेरे पास आया , मैंने कामिनी के कच्छी को निचे कर दिया , वो अभी किसी कुतिया की तरह पोश में थी और मेरे लिंग को चूस रही थी , मैंने बाबूलाल को इशारा किया …
"चाटो इसे और गिला करो "
एक बार को वो हडबडा गया लेकिन अगले ही पल वो निचे बैठ कर कामिनी के योनी में अपनी जीभ फेरने लगा ..
"आह …" कामिनी मजे से सिसकी लेने लगी थी
बाबूलाल अपने बीवी की योनी को जैसे खा ही जा रहा था , मैंने अम्मा की ओर देखा और उन्हें भी अपने पास बुला लिया , वो भी जैसे किसी सम्मोहन के वस में बंधी हुई मेरे पास चली आई और मेरे दुसरे बाजू आकर लेट गई , मैंने हवस से थोड़ी दूर जाकर प्रेम से उन्हें देखा और उनकी मोहक सुन्दरता में खुद को खोता हुआ पाया , मैंने उन्हें अपनी ओर खिंच लिया और उनके होठो में अपने होठ सटा दिए , हम दोनों ही एक दुसरे के होठो में खोते जा रहे थे तभी …
"ये सब यंहा क्या हो रहा है …???'
सामने अन्नू खड़ी थी और वो गुस्से से आग बबूला थी ..
उसने इतने जोरो से चिल्लाया की वंहा उपस्थित सभी का जैसे सम्मोहन टूट गया हो , सभी अपनी अवस्था को देख कर हडबडा उठे , बाबूलाल जल्दी से उठा वही कामिनी भी अपने वस्त्रो को सम्हालते हुए उठ खड़ी हुई , वही अम्मा ने बिस्तर में ही बैठे हुए शर्म से अपना सर झुका लिया …
मैं जो की हवस की गोद में बैठा हुआ खेल रहा था अन्नू के गुस्से भरे आवज से जैसे हकीकत में आ पहुचा था , सभी तूरंत ही वंहा से भागे, मैं अभी भी वंहा लेटा हुआ था और अन्नू को देख रहा था ..
उसका गोरा चहरा टमाटर की तरह लाल हो चूका था और आँखों में आंसू की बुँदे झलकने लगी थी …….
 
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अध्याय 24
कमरा खाली था और सामने वो लड़की जिससे मैं प्रेम करता था , शायद उसे लग रहा हो की मैंने उससे बेवफाई की है , वो जानती थी की मेरा हाल क्या है लेकिन फिर भी उसने मुझसे कई उम्मीदे बांध कर रखी थी , उसने कई सपने मेरे साथ संजोये थे , कई अभिलाषाए और कई आशाये उसके मन में कलि की तरह खिल रहे थे , शायद मेरे इस एक हरकत ने उसके सभी उम्मीदों को तार तार कर दिया …
वो वही खड़ी थी बिलकुल किसी पत्थर की तरह , ये वही लड़की थी जिसने मुझे अम्मा के साथ सम्भोग के लिए मनाया था , ये वही लड़की थी जिसने मुझे गांव की ओरतो की लिस्ट दी थी जिसके साथ मुझे सम्भोग करना था , ये वही लड़की थी जिसने मेरे जिस्मानी संबंधो के लिए पूरी प्लानिंग की थी , लेकिन आज ये मेरे कृत्य से दुखी थी …
आखिर ऐसा मैंने क्या कर दिया …???
मैंने उसकी उम्मीद तोड़ दी थी , उसके सपनो को बिखेर दिया था ,
आखिर कैसे …???
वो मेरे जिस्म और हवस पर अपना नियंत्रण चाहती थी , लेकिन मैंने ये नियंत्रण अपने हाथो में लेने की सोच ली , वो मेरे जिस्म पर खुद का अधिकार समझती थी और मैंने उसे झूठा साबित कर दिया था , उसकी आँखे लाल थी और दिल भारी , मैं उसे ऐसे ही छोड़ सकता था , लेकिन मैं उससे प्यार करता था , जिस्म के आकर्षण से अलग भी हमारा एक सम्बन्ध था ..
मैं उसके पास आया और उसके बांहों को थाम लिया ..
"छूना मत मुझे "
वो चिल्लाई
"अन्नू मेरी बात तो सुनो …"
"कुछ नहीं सुनना है मुझे , मैंने तुम्हे कब किसी गैर महिला के साथ सम्बन्ध बनाने से माना किया था , लेकिन वो सिर्फ जिम्मेदारी निभाने के लिए था , ना ही अपनी हवस मिटाने के लिए , तुम ऐसा करोगे ये मैंने सोचा भी नहीं था , क्या ये सब करते हुए तुम्हे मेरा बील्कुल भी ख्याल ना आया ?"
उसका गुस्सा जायज था लेकिन मैं भी तो ऐसे नहीं रह सकता था ..
"अन्नू … जो तुमने देखा मैं ऐसा ही हु , अब खुद को धोखा देने से कुछ नहीं होगा , हम दोनों जानते है की मैंने खुद को कितना नियंत्रित करके रखा है और इसके कारन मैं दबा दबा सा रहने लगा हु , क्या तुम नहीं चाहती की मैं भी खुल कर जीयु …"
"ऐसे खुलकर जीयोगे तुम हा .."
"मेरी बात समझो अन्नू , "
"बस बहुत हो गया कुवर , मैं ही मुर्ख थी जो तुम्हारे प्यार में पड़ गई , सोचा तुम दूसरो से अलग हो लेकिन नहीं तुम भी दूसरो की ही तरह हवस की आग में डूबे हुए इंसान निकले "
इतना कहकर अन्नू कमरे से बाहर जाने लगी
"अन्नू सुनो तो …" मैं उसके पीछे जाने लगा लेकिन वो सीधे एक ड्राईवर के पास जाकर गाड़ी निकलवा कर ले आई ..
"अन्नू मेरी बात तो सुनो .."
मैं अभी भी नंगा था और अपने हवेली के बाहर खड़ा था
वो एक ओडी में बैठ चुकी थी
"जाओ कुवर, शायद मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी नहीं जीने दे सकती , मेरा दूर चले जाना ही तुम्हारे लिए ठीक होंगा "
मैं चिल्लाता रहा और अन्नू ने अपने गाड़ी का शीशा चढ़ा लिया , गाड़ी चली और मैं उसके पीछे भागता हुआ सड़क तक आ गया लेकिन गाड़ी नहीं रुकी और वो मेरे आँखों से ओझल होते चली गई …
अन्नू मुझे छोड़ कर जा चुकी थी , मैं नंगा ही सड़क पर खड़ा था , पूरी हवली मेरे पीछे भागी थी , लोग अजीब नजरो से अपने कुवर को इस तरह नंगा खड़ा हुआ देख रहे थे ,
"कुवर " एक आदमी मेरे पास एक चादर लेकर आ गया , मैंने उसके हाथो से चादर लेकर उसे वही हवा में फेक दिया ..
"बोल दो पुरे कुवरपुर को की कुवर नंगा हो गया है …"
इतना बोलकर मैं फिर से हवेली की ओर चल दिया , ये गुस्सा सा या प्यार मुझे नहीं पा लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से कुछ खाली हो गया है …
मैं हवेली की ओर जाने लगा तभी रास्ते में कुछ ओरते मुझे दिखाई दी , वो किसी काम से जा रही थी और मुझे ऐसे अवस्था में देखकर वही रुक गई थी , वो मुझे बड़े ही आश्चर्य से देख रही थी …
"क्या देख रही हो "
मैं गुस्से में चिल्लाया
वो सभी हडबडा गई
"कुछ नहीं कुवर "
"मादरचोदो मेरा घर टूटता हुआ देख कर मजे कर रही हो , मैं तुम्हरा घर तोड़ता हु "
मैं उनकी ओर बढ़ गया वो डर से कापने लगी थी , वो ३ महिलाये थी जो अपने घर्र का सामान लेने घर से निकली थी , वही एक को पकड़ कर उसकी साड़ी को खिंच दिया …
"कुवर क्या कर रहे हो .."
वो चिल्लाई लेकिन मैंने किसी की एक ना सुनी बाकि की दो अपना सामान छोड़कर वंहा से भागने को हुई लेकिन मैंने दोनों के हाथ पकड़ कर वही जमीन में उन्हें गिरा दिया
"मालिक माफ़ कर दो हमें जाने दो … यु सरेआम हमें बदनाम मत करो "
वो हाथ जोड़ कर रोने लगी , सड़क में चलती हुई जनता वही थम चुकी थी .लोग मेरे इस व्यवहार से सकते में आ गए थे लेकिन किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो मुझे कुछ बोल पाए , जो मुझे रोकने वाला था वो अभी अभी इस गांव को और मुझे छोड़कर चला गया था …
"मेरे इज्जत को उतरता हुआ देख कर खुश हो ही थी ना , अब पुरे गांव के सामने बीच सड़क में तुम तीनो की इज्जत उतारूंगा "
मैं क्रोध में भरकर बोला
वो तीनो ही रोने लगी ..
"कुवर माफ़ी … माफ़ी कर दो हमें "
उनकी गलती बस इतनी थी की वो गलत समय में गलत जगह पर थी , मैंने एक ओरत को पकड़ कर उसे वही झुका दिया और उसके साड़ी को उसके कमर से उपर कर दिया , बाकि की दो जमीन में गिरी हुई अभी भी काँप रही थी …
"तुम सबको बच्चा चाहिए ना , मादरचोदो अब देता हु बच्चा "
मैंने बिना कुछ सोचे समझे अपना लिंग झुकी हुई महिला के योनी में डाल दिया ..
वो चिल्लाई और रोने लगी लेकिन मैं जैसे पागल ही हो गया था , मैं जोरो से धक्के लगा रहा था , वंहा खड़े लोग आँखे फाड़ कर मुझे देख रहे थे …
"मादरचोदो जो यंहा खड़ा रह कर मुझे देखेगा , इसको निपटा कर उसके घर जाकर उनकी बहन बेटी और बीवी और बहु को उसके सामने ही चोदुंगा "
मैंने चिल्ला कर कहा और वंहा जैसे हडकंप मच गया लोग वंहा से भागने लगे थे , इतनी ताकत का अंदाजा मुझे आज लगा था , जो लोग मुझे भगवान् की तरह मानते थे वो आज मुझसे किसी शैतान की तरह डर रहे थे ..
मैं उस ओरत के योनी में पुरे ताकत से धक्के मार रहा था , वो भी अब मतवाली होकर इसका मजा ले रही थी , वो अपने घर की इज्जत की फिक्र ही छोड़ चुकी थी , बाकि की दो भी हमें देखकर शांत हो चुकी थी , उनके अंदर भी उत्तेजना हिलोरे मारने लगी थी लेकिन अब भी वो समाज में अपनी इज्जत की फिक्र करके चुप चाप बैठी ही थी , मैंने और तेजी लाइ और अपने वीर्य की धार उस महिला के कोख में डाल दिया ,
शयद इसका कोख भरना भी मेरी जिम्मेदारी थी लेकिन उसे मैं ऐसा पूरा करूँगा ये कोई नहीं सोच सकता था …
जो इसका हिसाब किताब रखती वो अब जा चुकी थी मन एक खुले सांड जैसे आजाद था , दिल में अन्नू के जाने का गम तो था लेकिन वो गम अब गुस्से में बदल चूका था ..
अपने वीर्य की धार उस महिला के योनी में छोड़कर मैं शांत हुआ , हवेली के पुरे कर्मचारी और अम्मा भी मुझे डर से देख रहे थे …
मैंने उनकी ओर नजर डाली
"एक गद्दा सडक में लगा दो जब तक इन दोनों के अन्दर अपना वीर्य नहीं छोडूंगा मैं यंहा से जाने वाला नहीं हु "
मैंने हवेली के एक नौकर को आवाज दी ..
अम्मा के आँखों में आंसू था वो सामने आई
"निशांत हमारे सालो की इज्जत को यु ना उछाल , हमने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया और तू ये सब कर रहा है , अन्नू फिर से वापस आ जाएगी , तू खुद को सम्हाल "
अम्मा ने आगे आ कर मुझसे कहा
"मादरचोद गद्दा लगा आज मैं तुम्हारी ठकुराइन को भी इसी सड़क में चोदुंगा , और इस सड़क में कोई नहीं आना चाहिए …"
मेरी बात सुनकर वंहा एक शान्ति छा गई लेकिन कुछ सेकण्ड के बाद ही कुछ नौकर तेजी से अपने काम में लग गए … उन्होंने सड़क को रोक दिया और मेरे लिए सड़क के बीचो बीच एक गद्दा लगा दिया ..
अब इस गद्दे में मैं दूसरो की ही नहीं अपनी ही हवेली की इज्जत को उतरने को तैयार था ….
एक एक करके मैंने बाकि की दोनों महिलाओ के साथ बीच सड़क में सम्भोग किया , उनके योनी में अपना वीर्य डाल दिया ..
मैंने अब पास खड़ी अम्मा को आने का इशारा किया ..
पूरी हवेली ये नजारा देख रही थी , साथ ही गाँव के और भी लोग थे जो वंहा दूर खड़े हुए थे ..
अम्मा के आँखों में शर्म और आंसू थे , वो मुझे डांटना चाहती थी लेकिन वो अपने ही जिस्म में उठने वाले तूफ़ान के आगे मजबूर थी ..
वो बुत बनी वही खड़ी रही मैंने आगे जाकर उनके हाथो को थाम लिया और उन्हें लाकर सीधे गद्दे में पटक दिया …
"बंद कमरों में बहुत कर लिया अब तो जो होगा वो खुले में होगा "
मैं चिल्लाया
यंहा मेरा विरोध करने वाला कोई नहीं था , सभी सर झुका कर खड़े थे , मैंने अम्मा के अंगो से उनके वस्त्र को हटाना शुरू किया , वो छटपटाई और मैंने अपनी शक्ति से उनके हवस से भर दिया
वो चाह कर भी खुद को वंहा से हटा नही पा रही थी , आखिर मैंने वही किया जो मुझे करना था , पुरे समाज के सामने मैंने अपनी ही अम्मा के साथ सम्भोग किया , सभी सर झुकाए हुए खड़े थे , और मेरे अंदर शैतान नाचने लगा था , मैं अब एक इन्शान नहीं रह गया था मेरे अंदर एक शैतान का जन्म हो चूका था …


 
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अध्याय 25
इधर बलवंत की हवेली में
शाम का वक्त था और अब्दुल बहुत ही बेचने लग रहा था इतनी भी क्या बेचैनी थोड़ा आराम कर लो ,आव एक एक जाम हो जाए…
बेचैनी से घूमते हुए अब्दुल को देखकर बलवंत बोल उठा
"ठाकुर साहब पानी सर से ऊपर निकल गया है ,पता नही ये निशांत को क्या हो गया जो वो ऐसे बीच सड़क पर गांव की महिलाओं के साथ ,कमीने ने अम्मा को भी नही बक्सा"
ठाकुर जोरो से हँसा
"अरे तो तुम क्यों चिंता कर रहे हो इससे तो हमारा ही फायदा है ,जो लोग कुँवर और अम्मा के वफादार थे वो भी अब उसकी इन हरकतों के कारण उससे दूर हो जाएंगे "
अब्दुल वही पड़े कुर्सी पर बैठ गया
"ठाकुर साहब आप समझ नही रहे हो ,निशांत कोई मामूली आदमी नही है ,आपको क्या लगता है कि उसने ये सब किया फिर भी अम्मा और गांव वाले चुप क्यों बैठे हुए है ,क्या लोग उससे डरते है ? नही ठाकुर साहब वो उससे नही उसकी शैतानी शक्तियों से डरते है ,असल मे अभी तक तो निशांत को भी नही पता कि उसके पास कितनी ताकत है ,और उसके ऐसे कामो से उसकी शैतानी ताकते और भी मजबूत होने लगेगी ,पहले तो वो अपने गांव में तबाही मचाएगा और उसके बाद …??? आप खुद सोचिये की उसके बाद वो कहा आएगा ,ऐसे भी आपकी उससे दुश्मनी है अगर निशांत ने अपनी सारी ताकतों को जान लिया न तो समझ लो इस गांव में ही नही बल्कि पूरे प्रदेश में हाहाकार मच जाएगा ,वो आपको चुटकियों में बर्बाद कर देगा और हम कुछ भी नही कर पाएंगे ,उसे रोकना होगा और अभी रोकना होगा इससे पहले की वो कुछ और करे"
बलवंत ने थोड़ी देर अब्दुल को देखा और फिर हँस पड़ा
"तुम खामखा ही परेशान हो रहे हो , अरे क्या ही कर लेगा वो , हमारे पास फ़ोर्स है और वो अकेला , जल्द ही मैं मुख्यमंत्री भी बन जाऊंगा "
अब्दुल बलवंत की बात को सुन कर हसने लगा
"ठाकुर साहब , आप जमीदार लोगो की परेशानी ही यही है की आप हर चीजो को मजाक में ही लेते है , आप सोच भी नहीं सकते की निशांत क्या कर सकता है ,मुझपर घटी है इसलिए मुझे पता है की वो क्या कर सकता है , उसने बिना ज्यादा ताकत के मेरा ये हाल कर दिया था की मैं सही गलत भूल कर हवस की अंधी दौड़ में दौड़ने लगा तो अब ना जाने वो क्या कर दे , आपके गांव की हर जवान स्त्री और पुरुष यौन सम्बन्ध बनाने के लिए हर हद को तोड़ देंगे, फिर ना वो रिश्ते की ही परवाह करेंगे ना ही समय की , सोचिये कैसा नजारा होगा, भाई बहन , बाप बेटी , माँ बेटा , कोई सम्बन्ध नहीं बच पायेगा ,सिर्फ हवस ही शेष रह जायेगा "
ठाकुर बलवंत कोई जैसे अब कुछ झटका लगा
"ये क्या बक रहे हो तूम "
"सही कह रहा हु ठाकुर साहब , बदलपुर का नाम तो सुना ही होगा आपने , वंहा जो हुआ क्या आपको उसके बारे में पता है "
"कुछ थोडा थोडा तो पता है की वंहा एक शैतान तांत्रिक का साया था , लेकिन ज्यादा कुछ नहीं "
"पता भी कैसे होगा डॉ साहब ने वो स्टोरी अभी तक लिखी नहीं ना "
"मतलब ??"
"छोडिये , बादलपुर में एक तांत्रिक की रूह का श्राप लगा था और जो चीजे मैं बता रहा हु वंहा वो होने लगी , समूह में लोग सम्भोग में लिप्त हो जाते , हर सामाजिक बंधन तोड़कर पाप करने पर उतारू हो जाते थे , निशांत के अंदर भी वैसे ही शक्तिया है , उसी तांत्रिक की शक्ति उसे मिली है , और पाप कर्म की सबसे खतरनाक चीज ये है की उसे करने के बाद लोगो को उसमे आनंद बहुत मिलता है उसके आनंद की आदत से छुट पाना मुश्किल हो जाता है "
कहते कहते अब्दुल शांत हो गया और वही शांति उस कमरे में छ गई
"तो फिर क्या किया जाए तुम ही बताओ , फ़ोर्स भेज कर उसे ख़त्म कर दे ??"
बलवंत की बात सुनकर अब्दुल हँस पड़ा
"आपकी पुलिस उसका कुछ नहीं बिगड़ पायेगी , अगर उसे गिरिफ्तार भी कर लिया तो कोर्ट उसे छोड़ देगी क्योकि कोई उसके खिलाफ जाकर बयान नहीं देगा …"
"तो फिर .."
"एक ही आदमी हमें इसका हल बता सकता है , जिसने इस शैतान को पैदा करने में निशांत की मदद की थी , महान मनोचिकित्सक और दार्शनिक डॉ चुतिया …"
अब्दुल इतना बोलकर चुप हो गया था ……….

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इधर गांव में एक गुप्त सभा चल रही थी जिसमे गांव की कई महिलाये शामिल थी , साथ ही अम्मा भी वंहा उपस्थित थी …
"अम्मा ये तो हद ही हो गई , हम सभी चाहते है की कुवर हमारे साथ सम्भोग करे लेकिन ऐसे नहीं , यु गांव की सड़क में सबके सामने ये करना … ये तो हद ही है "
एक महिला ने थोड़े जोर से कहा
अम्मा शांत थी फिर वो बोलने लगी
"मैंने तुम सबको पहले भी कहा था की ये हो सकता है लेकिन तुम्हे तो मेरे कुवर को ही शैतान बनाना था , वो सीधा साधा है वो हमारी मदद जरुर करेगा , कौन कहता था ये सब , अन्नू ने उसकी शक्तियों को सम्हालने की कोशिस भी की लेकिन अब अन्नू नहीं है , अब सभी महिलाओ को मिलकर उसे भुगतना होगा "
अम्मा की बात सुनकर सभी कुछ देर के लिए शांत हो गई, थोड़ी देर बाद एक बोली
"अम्मा वो सब तो ठीक है , हम सभी भी प्यासे है और कुवर ही हमारी प्यास बुझाएगा , लेकिन अगर वो इसी तरह अपनी मनमानी करने लगे तो सोचिये उनके अंदर के शैतान को कितनी ताकत मिल जायेगी , क्या ये गांव के लिए अच्छा रहेगा ??"
सभी के बीच बैठी गुंजन भाभी जो की अभी तक शांत बैठी थी वो हँसने लगी , सभी उसे अजीब निगाहों से देख रहे थे ,
"तुम सब को मैंने पहले भी कहा था की कुवर सही नहीं है , इस काम के लिए मेरा अंकित ही सही था , वो गांव में रहा है यंहा के नियमो को जानता है , और आम इंसान का बच्चा है ,लेकिन नहीं तुम्हे तो अम्मा के बेटे को ही चुनना था , अब सभी भुगतो ,आखिर है तो वो भी उसी शैतान का खून , और अम्मा तुमने क्या कहा था की अगर कुवर के अंदर का शैतान हद से ज्यादा हो जाये तो तुम उसे तांत्रिक के उसी खंजर से मार दोगी , जिससे तुमने तांत्रिक को मारा था , अभी भी वो खंजर सम्हाल कर रखी है या फेक दिया .. अब बताओ क्या तुम अपने ही पेट से जन्मे बेटे को मार पाओगी …. अब तुम्हारा बेटा अपनी माँ के साथ सम्भोग कर रहा है और उसका शैतान और भी ज्यादा बलवान हो रहा है ???"
सभी गुंजन की बात सुनकर सभी चुप हो गए थे , तभी एक ओरत ने गुस्से से गुंजन की ओर देखा
"चुप कर गुंजन , जानती नहीं की अम्मा ने हमारे लिए कितने बलिदान दिए है , हम सभी का श्राप उतारने के लिए वो उस तांत्रिक के पास चली गई , उसके बच्चे की माँ बन गई , उसने अम्मा के साथ कितना अत्याचार किया था क्या तुझे नहीं पता , और उसका श्राप भी तो उसका ही बेटा तोड़ सकता है तो तेरे अंकित को कैसे ये शक्तिया दी जा सकती थी , हम अब भी कुवर जी के साथ है , हां माना की वो बेकाबू हो गए है लेकिन उन्हें र्रोकने का भी कोई ना कोई उपाय जरुर होगा ,..."
वंहा बैठी अम्मा सभी की बात सुन रही थी , उनके आँखों में आंसू की बुँदे आ चुकी थी , वो बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओ को सम्हाले हुए थी .. उनका गला भरा हुआ था लेकिन फिर भी वो बोली
"हमें अब एक ही आदमी रास्ता दिखा सकता है …"
"कौन ….???"
कई महिलाये एक साथ बोल उठी
"महान मनोचिकित्सक और दार्शनिक डॉ चुतिया …"
अम्मा ने धीरे से कहा
 

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