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सुनी का अतितावलोकन
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"देवर जी बच्चों को नहाने के लिए कपड़ों की क्या ज़रुरत। कपड़ो की ज़रुरत तो मर्दों और स्त्रियों को पड़ती है ," मैंने वीनू को चिड़ाते हुए कहा।
ऐसी बात है तो यह लो भाभी ," वीनू ने मुझे गुड़िया की तरह उठा कर तरणताल में फेंक दिया। पहले तो मैं थोड़ा पानी पी गयी पर शीघ्र ही मैं नियंत्रण में थी पर मैंने बार बार डुबकी लगा कर ऐसा दिखाया जैसे मुझे तैरना नहीं आता।
वीनू का चेहरा देखने वाला था। बेचारे हड़बड़ा के ताल में कूद पड़ा और जल्दी से मुझे बाहों में भर कर सतह के ऊपर ले आया।
मैंने मछली की तरह फिसल कर उसकी बाहों से निकल गयी और डुबकी लगा कर उसके नीचे तैरने लगी। जब तक वीनू संभल पाटा मैंने उसके शॉर्ट्स का नाड़ा ढून्ढ लिया और एक झटके में उसकी गाँठ खोल कर अपनी उँगलियाँ उसके शॉर्ट्स के कमरबन्द में फंसा ली। जैसे ही वीनू ने दूर जाने के लिए हाथ मारे उसकी शॉर्ट्स मेरे हाथ। मैंने खिलखिलाते हुए वीनू की शॉर्ट्स को विजय-पटका की तरह फहराते हुए उन्हें दूर फेंक दिया। वीनू ने शुक्र है नीचे पतली कच्छी सी पहन राखी थी।
"वीनू भैया , अब आप बच्चों की तरह ताल में तैर सकते हैं। भाभी आपका ख्याल रखेगी ," मुझे पूरे जीवन में ऐसा प्यार भरा आनंद कभी भी नहीं मिला था।
"भाभी तुम तैयार हो जाओ ," वीनू ने धमकी दी। मैंने तेज़ तैरना शुरू कर दिया।
पर वीनू के साढ़े छह फुट के विशाल शक्तिशाली शरीर के आगे मेरी क्या बिसात थी। शीघ्र ही उसने मुझे पकड़ लिया। मैं पूरी ताकत से उस से छूटने के लिए झपटी और फड़फड़ाई पर वीनू एक बलशाली हाथ से मुझे काबू में कर एक ही झटके से मेरी टीशर्ट उतार कर दूर फेंक दी। जब तक मैं संभल पाती उसके हाथ मेरी शॉर्ट्स में अटके हुए थे। मेरे झट्पटाने से वीनू को और भी मदद मिली और उसने नीचे गोटा लगाया और मेरी शॉर्ट्स भी उसके हाथ में थी। अब मैं कच्छी और ब्रा में थी।
मैंने बच्ची की तरह चिढ़ कर उसकी पीठ पर छिपकली की तरह चिपक गयी। मेरे बड़े भारी भारी उरोज़ वीनू की पीठ और मेरे वज़न के बीच में दब गए। वीनू ने तेज़ी से एक तरफ से दूसरी तरफ तैरना शुरू कर दिया। यदि मेरा वज़न उसे धीमा कर रहा था तो बहुत नामालूम सा।
मैं खिलखिला कर हंस रही थी और उसे घोड़े की तरह और तेज़ तैरने के लिए उत्साहित कर रही थी। आखिरकार तीस चक्कर के बाद वीनू ने किनारे पहुँच कर मपलट कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मेरे पानी की बूँदों से सजे स्तन वीनू की आँखों के सामने थे। मेरी बाहें उसके गले के इर्द गिर्द थीं।
" भाभी इतनी मेहनत करने का तो कोई इनाम मिलना चाहिए ," वीनू की आँखें मेरी आँखों में गड रहीं थीं।
"देवर को किस भाभी ने रोका है इनाम लेने से? " मैं शर्म से लाल हो रही थी, " क्या इनाम चाहिए मेरे देवर राजा को ?"
"एक भाभी का प्यार भरा चुंबन ," वीनू ने फुसफुसा कर कहा।
"कितनी बार तो चूम चुके हो अपनी भाभी को आज। अब क्या खास चुम्बन चाहिए ,"मैंने आँखें मटका कर कहा। मेरी जाँघे अब वीनू की मज़बूत कमर के दोनों और थीं। मेरी घुंघराले झांटों से ढकी चूत उसके मांसल पेट से रगड़ रगड़ कर गीली होने लगी थी।
"भाभी यह तो खास चुम्बन होगा जैसा भैया को देती हो ," वीनू ने झिझकते हुए कहा और मेरी साँसे तेज़ हो गयीं।
"देवर जी आपको खुद लेना होगा भाभी तो खुद देने से रही ," मैंने शरमाते हुए कहा और खुद बेखबरी से मुंह से निकले अपने द्विअर्थिय शब्दों से शर्मा गयी।
"भाभी अब तो आपने खुद न्यौता दे दिया है। जब सही मौका होगा तब मैं ज़रूर ले लूंगा। अब तो सिर्फ चुम्बन से ही काम चला लूंगा ," वीनू ने मौका हाथसे जाने नहीं दिया। उसके होंठ मेरे गहरी सांस लेते अधखुले मुंह के ऊपर चिपक गए। स्वतः ही मेरा मुंह और भी खुल गया। वीनू की गरम गीली जीभ मेरे होंठो के द्वार से टकराने लगी। मेरी जिव्हा खुद-ब-खुद उसकी जीभ से अटक गयी। शीघ्र ही वीनू की जीभ मेरे मुंह के अंदर थी और मेरी जीभ उसकी जीभ से सवाल-जवाब करने लगी।
भाभी-देवर का गीला प्यारा चुम्बन ना जाने कितनी देर तक चला। मेरे स्तन वीनू के मांसल सीने से रगड़ खा कर सख्त हो गए। वीनू के हाथ मेरी कमर से फिसल कर मेरे गोल चौड़े मुलायम चूतड़ों के नीचे थे। मेरी योनि रस से भर गयी।
हम दोनों एक कुत्ते की दूर से आती भौंकने की आवाज़ से चौंक गए।
" विक्कू भैया वापस आ रहें हैं भाभी," वीनू ने मुझे मुक्त कर दिया अपनी प्यारी बाँहों के प्यार भरी जेल से।
"वीनू पहले मुझे कपडे पहनने दो फिर बाहर निकलना ," मैं शर्म से लाल थी। मैं लपक कर बाहर निकल गयी। वीनू मेरे पीछे पूरा निरिक्षण कर रहा था। मैंने जल्दी से गीले कपडे पहन लिए।
"अब भाभी भी मुड़ जाओ मैं बहार आ रहा हूँ, " वीनू ने पुकारा।
"अरे बच्चों को क्या छुपाना है जो मैं मुड़ जाऊं ," मैंने चिढ़ाया तो वीनू को ,पर जैसे उसका साढ़े छह फुट का भीमकाय शरीर पानी से ऊपर आया तो मैं खुद ही मुड़ गयी।
वीनू ने भी गीले कपडे पहन लिए।
जब हम दोनों बाहर आये तो एक मेरे सबसे बड़े देवर घोड़े को दौड़ते हुए हमारी तरफ आ रहे थे। उनके घोड़े के साथ एक बहुत लम्बा, ऊंचा बहुत सुंदर कुत्ता आराम से घोड़े के बराबरी से दौड़ रहा था।
वो लम्बा ऊंचा विशाल घोडा ठीक हमारे सामने रुक गया। साथ में दौड़ता कुत्ता वीनू के ऊपर प्यार जताने के लिए कूदने लगा। वीनू ने उसको बाँहों में भर कर झुक कर अपना मुंह चूमने चाटने दिया।
" भाभी मैं माफ़ी मांगता हूँ। मुझे आज दूर के खेतों का निरिक्षण करना था इसिलए ना चाहते हुए भी नुझे देर हो गयी ," मेरे सामने ससुरजी और वीनू के साढ़े छह फुट से भी तीन इंच ऊँचे और ससुरजी जैसे भीमकाय शरीर और सारे भाइयों जैसे सूंदर मोहक चेहरे के मालिक विक्रम यानि विक्कू मेरे सबसे बड़े देवर मेरे सामने खड़े थे। विक्कू तब मेरे पति और अपने बड़े भैया से दो साल छोटे, मुझसे तीन साल बड़े, तेईस साल के थे।
" भैया माफ़ी मांगने की कोई ज़रुरत नहीं है। मैं तो आभारी हूँ आप सबकी जो इतने प्यार से मुझे अपने घर में रहने के लिए बुलाया है। " मैं जब तक कुछ और कह पाती मेरे भीमकाय देवर ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
"वीनू, क्या किसी ने भी भाभी को नहीं बताया की भाभी इस घर की मेहमान नहीं इस घर की मालकिन हैं ," विक्कू ने मेरे शर्म से लाल मुंह को चूम लिया।
" विक्कू भैया वीनू ने बिलकुल यही कहा था।मुझे आज रात तक मेहमान बने रहने की इज़ाज़त है। इसी लिए कल से मैं कोई भी ऐसी बात नहीं करूंगी। कल से मैं अपने सारे देवरों को खूब परेशान करूंगीं और रात दिन खूब मेहनत करवाऊंगीं ," मैंने आँखे मटकाते हुए कहा।
" भाभी तुम्हारे सारे देवर तुम्हारे लिए रात दिन मेहनत नहीं हटेंगें। बस सिर्फ भाभी तुम्हरा इशारा भर चाहिए ," विक्कू ने मेरे अनजाने और जल्दी से निकले शब्दों को शरारत से मेरी ओर मोड़ दिया।
विक्कू ने मुझे गीला देख कर आखिर कार में पूछा , "वीनू क्या छोटे भाई पहले दिन ही भाभी को ताल में धकेल दिया ?"
वीनू हंस कर बोलै , "विक्कू भैया भाभी ने चुनौती दे दी। और हमारी भाभी अपने किसी देवर को ललकार से दूर भागने की अपेक्षा नहीं करेंगी। बस मैंने तो भाभी के आदर के लिए ही सब किया। "
मैं हँसते हुए बोली, "वह मेरे दुसरे नंबर के देवर। अपनी भाभी को पहले डुबोया फिर लगभग नंगा कर दिया और वो सब उसके आदर करने के लिए। वीनू भैया आपका जवाब नहीं है। "
विक्कू भी हंस दिए , "भाभी ध्यान रखना तुम्हारे चारों देवर बहुत शैतान है। "
मैंने मोहक मुस्कान विक्कू की तरफ फेंकी , "विक्कू भैया बस चारों ! क्या मेरे पांचवे देवर संत महात्मा की तरह धर्मात्मा हैं ?"
"नहीं भाभी मौका तो दो तुम्हारा पांचवा देवर तो इतनी शैतानी कर सकता है की तुम चकित रह जाओगी। यदि मैं वीनू की जगह होता तो ……….. ," विक्कू ने अपना वाक्य अनकहे इशारे से आधा ही छोड़ दिया।
"तो क्या विक्कू भैया ? " मैं धीरे से फुसफुसाई। मुझे अपनी जांघों के बीच में अपने योनि रस का गीलापन महसूस होने लगा था।
" भाभी एक बार मौका दो फिर बता दूंगा," विक्कू ने भी फुसफुसा कर कहा और फिर ज़ोर से बोले , "भाभी चलो आपको हमारे घर के प्यारे शेरू से मिलवाएं।"
शेरू बहुत लम्बा, ऊंचा भारी बहुत सूंदर डोबरमैन और ग्रेट डेन का मिश्रण था। उसने शीघ्र ही पूंछ हिलते हुए मेरे हाथों को फिर दोनों पिछले पंजों पे खड़े हो कर मेरे मुंह को चाट चूम कर गीला कर दिया।
" भाभी यह लीजिए आपका छठा देवर भी आपका दीवाना हो गया है ," वीनू ने फिर से शरारत की।
" मुझे भी अपना छठा देवर बहुत प्यारा लगा पर देवर जी तुम फिर से आप-शाप पर आ गए। " मैंने वीनू को चिढ़ाया।
" और यह है हमारा सबसे होशियार और समझदार तूफ़ान। इसने जब बबलू की टांग टूट गयी थी और वो बेहोश हो कर हिल भी नहीं पाया तो तूफ़ान ने वीनू को खेतों से ढून्ढ कर बबलू के पास ले गया था," विक्कू ने प्यार से पांच हाथ ऊंचे सात टन भारी गहरे भूरे रंग के खूबसूरत घोड़े के प्रेम और ईमानदारी से दमकते मुँह को सहलाया।
"तूफ़ान यह हमारी भाभी हैं। और इस घर की मालकिन। इनका ध्यान भी तुम्हें और शेरू को रखना है ," तूफ़ान ने विक्कू भैया की बात सुन कर मानों समझ कर सर हिलाया और धीरे धीरे मेरे हाथ बदन को गहरी साँसों से सूंघा। फिर अचानक जीभ निकल कर मेरे चेहरे को चाट लिया।
"भाभी तूफ़ान भी तुम्हारा ग़ुलाम बनने को तैयार है ," विक्कू बोले और वीनू ने भी हाँ में हाँ मिलायी।
"देवर भैया और कौन है जो मेरा ग़ुलाम बनने के लिए तैयार हैं ?" मैं अब अपने देवरों के प्यार से भावुक और उत्तेजित हो चली थी।
" और कौन तुम्हारे पांच देवर ," विक्कू बोले।
"पांच नहीं भैया .. सात। तूफ़ान और शेरू को भूले तो दोनों नाराज़ हो जाएंगें। " वीनू ने मुझे आँख मार कर कहा।
वीनू चलो तुम भाभी को अंदर ले चलो मैं तूफ़ान को अस्तबल में रख कर और खिला कर आता हूँ ," विक्कू अस्तबल की तरफ और वीनू और मैं घर की तरफ चल पड़े। शेरू ने जैसे मुझे अपना लिया हो। वो मेरे से चिपक कर चल रहा था।
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सुनी का अतितावलोकन
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"देवर जी बच्चों को नहाने के लिए कपड़ों की क्या ज़रुरत। कपड़ो की ज़रुरत तो मर्दों और स्त्रियों को पड़ती है ," मैंने वीनू को चिड़ाते हुए कहा।
ऐसी बात है तो यह लो भाभी ," वीनू ने मुझे गुड़िया की तरह उठा कर तरणताल में फेंक दिया। पहले तो मैं थोड़ा पानी पी गयी पर शीघ्र ही मैं नियंत्रण में थी पर मैंने बार बार डुबकी लगा कर ऐसा दिखाया जैसे मुझे तैरना नहीं आता।
वीनू का चेहरा देखने वाला था। बेचारे हड़बड़ा के ताल में कूद पड़ा और जल्दी से मुझे बाहों में भर कर सतह के ऊपर ले आया।
मैंने मछली की तरह फिसल कर उसकी बाहों से निकल गयी और डुबकी लगा कर उसके नीचे तैरने लगी। जब तक वीनू संभल पाटा मैंने उसके शॉर्ट्स का नाड़ा ढून्ढ लिया और एक झटके में उसकी गाँठ खोल कर अपनी उँगलियाँ उसके शॉर्ट्स के कमरबन्द में फंसा ली। जैसे ही वीनू ने दूर जाने के लिए हाथ मारे उसकी शॉर्ट्स मेरे हाथ। मैंने खिलखिलाते हुए वीनू की शॉर्ट्स को विजय-पटका की तरह फहराते हुए उन्हें दूर फेंक दिया। वीनू ने शुक्र है नीचे पतली कच्छी सी पहन राखी थी।
"वीनू भैया , अब आप बच्चों की तरह ताल में तैर सकते हैं। भाभी आपका ख्याल रखेगी ," मुझे पूरे जीवन में ऐसा प्यार भरा आनंद कभी भी नहीं मिला था।
"भाभी तुम तैयार हो जाओ ," वीनू ने धमकी दी। मैंने तेज़ तैरना शुरू कर दिया।
पर वीनू के साढ़े छह फुट के विशाल शक्तिशाली शरीर के आगे मेरी क्या बिसात थी। शीघ्र ही उसने मुझे पकड़ लिया। मैं पूरी ताकत से उस से छूटने के लिए झपटी और फड़फड़ाई पर वीनू एक बलशाली हाथ से मुझे काबू में कर एक ही झटके से मेरी टीशर्ट उतार कर दूर फेंक दी। जब तक मैं संभल पाती उसके हाथ मेरी शॉर्ट्स में अटके हुए थे। मेरे झट्पटाने से वीनू को और भी मदद मिली और उसने नीचे गोटा लगाया और मेरी शॉर्ट्स भी उसके हाथ में थी। अब मैं कच्छी और ब्रा में थी।
मैंने बच्ची की तरह चिढ़ कर उसकी पीठ पर छिपकली की तरह चिपक गयी। मेरे बड़े भारी भारी उरोज़ वीनू की पीठ और मेरे वज़न के बीच में दब गए। वीनू ने तेज़ी से एक तरफ से दूसरी तरफ तैरना शुरू कर दिया। यदि मेरा वज़न उसे धीमा कर रहा था तो बहुत नामालूम सा।
मैं खिलखिला कर हंस रही थी और उसे घोड़े की तरह और तेज़ तैरने के लिए उत्साहित कर रही थी। आखिरकार तीस चक्कर के बाद वीनू ने किनारे पहुँच कर मपलट कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मेरे पानी की बूँदों से सजे स्तन वीनू की आँखों के सामने थे। मेरी बाहें उसके गले के इर्द गिर्द थीं।
" भाभी इतनी मेहनत करने का तो कोई इनाम मिलना चाहिए ," वीनू की आँखें मेरी आँखों में गड रहीं थीं।
"देवर को किस भाभी ने रोका है इनाम लेने से? " मैं शर्म से लाल हो रही थी, " क्या इनाम चाहिए मेरे देवर राजा को ?"
"एक भाभी का प्यार भरा चुंबन ," वीनू ने फुसफुसा कर कहा।
"कितनी बार तो चूम चुके हो अपनी भाभी को आज। अब क्या खास चुम्बन चाहिए ,"मैंने आँखें मटका कर कहा। मेरी जाँघे अब वीनू की मज़बूत कमर के दोनों और थीं। मेरी घुंघराले झांटों से ढकी चूत उसके मांसल पेट से रगड़ रगड़ कर गीली होने लगी थी।
"भाभी यह तो खास चुम्बन होगा जैसा भैया को देती हो ," वीनू ने झिझकते हुए कहा और मेरी साँसे तेज़ हो गयीं।
"देवर जी आपको खुद लेना होगा भाभी तो खुद देने से रही ," मैंने शरमाते हुए कहा और खुद बेखबरी से मुंह से निकले अपने द्विअर्थिय शब्दों से शर्मा गयी।
"भाभी अब तो आपने खुद न्यौता दे दिया है। जब सही मौका होगा तब मैं ज़रूर ले लूंगा। अब तो सिर्फ चुम्बन से ही काम चला लूंगा ," वीनू ने मौका हाथसे जाने नहीं दिया। उसके होंठ मेरे गहरी सांस लेते अधखुले मुंह के ऊपर चिपक गए। स्वतः ही मेरा मुंह और भी खुल गया। वीनू की गरम गीली जीभ मेरे होंठो के द्वार से टकराने लगी। मेरी जिव्हा खुद-ब-खुद उसकी जीभ से अटक गयी। शीघ्र ही वीनू की जीभ मेरे मुंह के अंदर थी और मेरी जीभ उसकी जीभ से सवाल-जवाब करने लगी।
भाभी-देवर का गीला प्यारा चुम्बन ना जाने कितनी देर तक चला। मेरे स्तन वीनू के मांसल सीने से रगड़ खा कर सख्त हो गए। वीनू के हाथ मेरी कमर से फिसल कर मेरे गोल चौड़े मुलायम चूतड़ों के नीचे थे। मेरी योनि रस से भर गयी।
हम दोनों एक कुत्ते की दूर से आती भौंकने की आवाज़ से चौंक गए।
" विक्कू भैया वापस आ रहें हैं भाभी," वीनू ने मुझे मुक्त कर दिया अपनी प्यारी बाँहों के प्यार भरी जेल से।
"वीनू पहले मुझे कपडे पहनने दो फिर बाहर निकलना ," मैं शर्म से लाल थी। मैं लपक कर बाहर निकल गयी। वीनू मेरे पीछे पूरा निरिक्षण कर रहा था। मैंने जल्दी से गीले कपडे पहन लिए।
"अब भाभी भी मुड़ जाओ मैं बहार आ रहा हूँ, " वीनू ने पुकारा।
"अरे बच्चों को क्या छुपाना है जो मैं मुड़ जाऊं ," मैंने चिढ़ाया तो वीनू को ,पर जैसे उसका साढ़े छह फुट का भीमकाय शरीर पानी से ऊपर आया तो मैं खुद ही मुड़ गयी।
वीनू ने भी गीले कपडे पहन लिए।
जब हम दोनों बाहर आये तो एक मेरे सबसे बड़े देवर घोड़े को दौड़ते हुए हमारी तरफ आ रहे थे। उनके घोड़े के साथ एक बहुत लम्बा, ऊंचा बहुत सुंदर कुत्ता आराम से घोड़े के बराबरी से दौड़ रहा था।
वो लम्बा ऊंचा विशाल घोडा ठीक हमारे सामने रुक गया। साथ में दौड़ता कुत्ता वीनू के ऊपर प्यार जताने के लिए कूदने लगा। वीनू ने उसको बाँहों में भर कर झुक कर अपना मुंह चूमने चाटने दिया।
" भाभी मैं माफ़ी मांगता हूँ। मुझे आज दूर के खेतों का निरिक्षण करना था इसिलए ना चाहते हुए भी नुझे देर हो गयी ," मेरे सामने ससुरजी और वीनू के साढ़े छह फुट से भी तीन इंच ऊँचे और ससुरजी जैसे भीमकाय शरीर और सारे भाइयों जैसे सूंदर मोहक चेहरे के मालिक विक्रम यानि विक्कू मेरे सबसे बड़े देवर मेरे सामने खड़े थे। विक्कू तब मेरे पति और अपने बड़े भैया से दो साल छोटे, मुझसे तीन साल बड़े, तेईस साल के थे।
" भैया माफ़ी मांगने की कोई ज़रुरत नहीं है। मैं तो आभारी हूँ आप सबकी जो इतने प्यार से मुझे अपने घर में रहने के लिए बुलाया है। " मैं जब तक कुछ और कह पाती मेरे भीमकाय देवर ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
"वीनू, क्या किसी ने भी भाभी को नहीं बताया की भाभी इस घर की मेहमान नहीं इस घर की मालकिन हैं ," विक्कू ने मेरे शर्म से लाल मुंह को चूम लिया।
" विक्कू भैया वीनू ने बिलकुल यही कहा था।मुझे आज रात तक मेहमान बने रहने की इज़ाज़त है। इसी लिए कल से मैं कोई भी ऐसी बात नहीं करूंगी। कल से मैं अपने सारे देवरों को खूब परेशान करूंगीं और रात दिन खूब मेहनत करवाऊंगीं ," मैंने आँखे मटकाते हुए कहा।
" भाभी तुम्हारे सारे देवर तुम्हारे लिए रात दिन मेहनत नहीं हटेंगें। बस सिर्फ भाभी तुम्हरा इशारा भर चाहिए ," विक्कू ने मेरे अनजाने और जल्दी से निकले शब्दों को शरारत से मेरी ओर मोड़ दिया।
विक्कू ने मुझे गीला देख कर आखिर कार में पूछा , "वीनू क्या छोटे भाई पहले दिन ही भाभी को ताल में धकेल दिया ?"
वीनू हंस कर बोलै , "विक्कू भैया भाभी ने चुनौती दे दी। और हमारी भाभी अपने किसी देवर को ललकार से दूर भागने की अपेक्षा नहीं करेंगी। बस मैंने तो भाभी के आदर के लिए ही सब किया। "
मैं हँसते हुए बोली, "वह मेरे दुसरे नंबर के देवर। अपनी भाभी को पहले डुबोया फिर लगभग नंगा कर दिया और वो सब उसके आदर करने के लिए। वीनू भैया आपका जवाब नहीं है। "
विक्कू भी हंस दिए , "भाभी ध्यान रखना तुम्हारे चारों देवर बहुत शैतान है। "
मैंने मोहक मुस्कान विक्कू की तरफ फेंकी , "विक्कू भैया बस चारों ! क्या मेरे पांचवे देवर संत महात्मा की तरह धर्मात्मा हैं ?"
"नहीं भाभी मौका तो दो तुम्हारा पांचवा देवर तो इतनी शैतानी कर सकता है की तुम चकित रह जाओगी। यदि मैं वीनू की जगह होता तो ……….. ," विक्कू ने अपना वाक्य अनकहे इशारे से आधा ही छोड़ दिया।
"तो क्या विक्कू भैया ? " मैं धीरे से फुसफुसाई। मुझे अपनी जांघों के बीच में अपने योनि रस का गीलापन महसूस होने लगा था।
" भाभी एक बार मौका दो फिर बता दूंगा," विक्कू ने भी फुसफुसा कर कहा और फिर ज़ोर से बोले , "भाभी चलो आपको हमारे घर के प्यारे शेरू से मिलवाएं।"
शेरू बहुत लम्बा, ऊंचा भारी बहुत सूंदर डोबरमैन और ग्रेट डेन का मिश्रण था। उसने शीघ्र ही पूंछ हिलते हुए मेरे हाथों को फिर दोनों पिछले पंजों पे खड़े हो कर मेरे मुंह को चाट चूम कर गीला कर दिया।
" भाभी यह लीजिए आपका छठा देवर भी आपका दीवाना हो गया है ," वीनू ने फिर से शरारत की।
" मुझे भी अपना छठा देवर बहुत प्यारा लगा पर देवर जी तुम फिर से आप-शाप पर आ गए। " मैंने वीनू को चिढ़ाया।
" और यह है हमारा सबसे होशियार और समझदार तूफ़ान। इसने जब बबलू की टांग टूट गयी थी और वो बेहोश हो कर हिल भी नहीं पाया तो तूफ़ान ने वीनू को खेतों से ढून्ढ कर बबलू के पास ले गया था," विक्कू ने प्यार से पांच हाथ ऊंचे सात टन भारी गहरे भूरे रंग के खूबसूरत घोड़े के प्रेम और ईमानदारी से दमकते मुँह को सहलाया।
"तूफ़ान यह हमारी भाभी हैं। और इस घर की मालकिन। इनका ध्यान भी तुम्हें और शेरू को रखना है ," तूफ़ान ने विक्कू भैया की बात सुन कर मानों समझ कर सर हिलाया और धीरे धीरे मेरे हाथ बदन को गहरी साँसों से सूंघा। फिर अचानक जीभ निकल कर मेरे चेहरे को चाट लिया।
"भाभी तूफ़ान भी तुम्हारा ग़ुलाम बनने को तैयार है ," विक्कू बोले और वीनू ने भी हाँ में हाँ मिलायी।
"देवर भैया और कौन है जो मेरा ग़ुलाम बनने के लिए तैयार हैं ?" मैं अब अपने देवरों के प्यार से भावुक और उत्तेजित हो चली थी।
" और कौन तुम्हारे पांच देवर ," विक्कू बोले।
"पांच नहीं भैया .. सात। तूफ़ान और शेरू को भूले तो दोनों नाराज़ हो जाएंगें। " वीनू ने मुझे आँख मार कर कहा।
वीनू चलो तुम भाभी को अंदर ले चलो मैं तूफ़ान को अस्तबल में रख कर और खिला कर आता हूँ ," विक्कू अस्तबल की तरफ और वीनू और मैं घर की तरफ चल पड़े। शेरू ने जैसे मुझे अपना लिया हो। वो मेरे से चिपक कर चल रहा था।