Incest जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी)

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अध्याय 68


अजय बेचैनी से मेरी की तरफ देखता है जो की विजय को घूर रही थी ,अजय फिर अपनी घड़ी की ओर देखता है फिर वो विजय की ओर देखता है जो की मेरी को घूर रहा था,अजय फिर घड़ी के तरफ देखता है,

"आखिर डॉ है कहा कितना समय लगेगा उन्हें "

अजय के इंतजार की सीमा खत्म हो रही थी ,

"आप 8 बजे सुबह से यहां आकर बैठे है ,क्लिनिक 10 बजे खुलता है,"

मेरी के दो टूक जवाब से अजय झल्ला जाता है ,

"मैंने उन्हें कहा था और उन्होंने कहा था की वो आ रहे है "

"हा तो आ ही रहे होंगे आप इतने परेशान क्यो हो रहे हो "

"उन्हें फोन लगाओ अभी "

अजय टेबल में जोर से हाथ मरता है ,वहां रखा पानी का ग्लास भी उछल पड़ता है ,मेरी उसे गुस्से से देखते हुए कमरे से बाहर निकल जाती है ,थोड़ी ही देर में डॉ वहां आ जाते है ,

"अरे यार अजय क्या हुआ इतने बेताब हो रहे हो "

"मुझे लगा था की आप हमेशा किसी भी समय मेरी सहायता के लिए उपस्थित रहेंगे "

"तो हु तो ना यहां बताओ "

"मुझे आपसे अकेले में कुछ बात करनी है "

इतना सुनकर ही मेरी और विजय के चहरे में चमक आ जाती है जिसे डॉ समझ जाता है

"मेरी "

"जी सर विजय को क्लिनिक दिखा कर आती हु "

विजय भी डरता हुआ उठता है

"अब बताओ क्या बात हो गई है "

"मेरे परिवार पर हमले की साजिस हो रही है और आप ऐसे अनजान बन रहे है जैसे कोई बड़ी बात ही नही हुई "

डॉ के चहरे में एक मुस्कुराहट आ जाती है

"ये कोई नही बात तो नही है ,तुम्हारे परिवार पर खतरा हमेशा से ही रहा है "

"लेकिन अब हम दुश्मन को जानते भी तो नही है "

"तुम्हे इसके बारे में किसने बताया "

"कुछ लोग है जो जंगलो में रहते है लेकिन मुझे बहुत मानते है खासकर जबसे मैं राजा घोषित हुआ हु "

"हम्म राजा के वफादार आदिवासी ,तो पकड़ो उन लोगो को जो साजिस रच रहे है "

"वो कौन है ये तो पुख्ता उन्हें भी नही पता लेकिन वो फैली हुई खबर मुझे बता रहे है ,"

"देखो अजय अब तुम राजा घोषित हो चुके हो और साथ ही अब तुम राजनीति में भी आ गए हो ,तुम्हारे जितने वफादार है उतने ही तुम्हारे दुश्मन भी हो चुके है ,"

"लेकिन मेरे परिवार पर खतरा हो तो मैं कैसे चैन से रह सकता हु,रातो की नींद भी हराम हो रही है मेरी"

"मेरी बात मानो तुम्हे थोड़ा रेस्ट और शांति की जरूरत है "

"शांति नही डॉ मुझे ताकत चाहिए ,ताकत से ही मैं उन्हें हरा सकता हु "

डॉ जोरो से हँसता है जिससे पूरा कमरा गूंज जाता है .

"ताकत ,और हराना…...तुम किसके भाषा में बात कर रहे हो अजय ,ताकत से तुम कुछ भी नही कर पाओगे,ताकत सिर्फ बेचैनी पैदा करती है और शांति ,,,,,शांति ही तुम्हे असली रास्ता दिखा सकती है,मेरी मानो तो पहाड़ी वाले बाबा के पास जाओ और एक दो दिन वहां बिता के आओ ,मन थोड़ा शांत होगा तो कुछ रास्ता जरूर निकलेगा .."

अजय कुर्सी से टिक जाता है और अपनी आंखे बंद कर लेता है ,वही डॉ उसके चहरे में आये हुए परिवर्तन को देखने लगते है

"अजय तुन्हें पता है,तुम्हारे पिता जी को मैंने कभी इतना बेचैन नही देखा जीतना की तुम हो ,और इसलिए वो कभी कोई भी बाजी हारे नही ,जब तुम्हारे मन में शांति होती है तो तुम मुझे वीर की याद दिला देते हो ,"

अजय के चहरे में एक मुस्कुराहट आ जाती है ,

"लेकिन डॉ ये कौन लोग हो सकते है जो हामरे पीछे इतनी शिद्दत से पड़े हुए है ."

"ये तो मुझे नही पता लेकिन उसमे कोई तो ऐसा है जो तुम्हारे बहुत करीब रह रहा है ,किशन की शादी में तुम्हे और निधि को मारने की जो साजिस हुई थी उससे तो यही लगता है ,और फिर तुम्हारे पार्टी के मीटिंग के दिन वाली बात "

अजय एक गहरी सांस लेता है

"तुम्हारे और मेरे अलावा और किसी को ये बाते पता तो नही है"

"नही बस मैं,निधि और आप ,विजय को भी अभी तक इन सबके बारे में नही बताया हु ,"

"हम्म्म्म बताना भी मत पता नही वो जोश में आकर क्या कर बैठे "

इन दोनों ही घटनाओं ने अजय को सोचने पर मजबूर कर दिया था,लेकिन फिर भी वो बात अपने तक ही रखा ताकि चुपचाप ही कोई ऐसा काम किया जा सके जिसकी भनक उनके दुश्मनों तक ना पहुचे ,

"लेकिन डॉ कोई तो कदम लेना ही पड़ेगा ,ऐसे बैठे रहे तो उनके होशले और भी मजबूत हो जाएंगे "

"कदम तो लेना है लेकिन इतने सफाई से और इतने खामोशी से की किसी को भनक भी ना लगे,और उनके हौसले और भी ज्यादा मजबूत होने दो ,इसी में वो कोई बड़ी गलती करेंगे,अभी तक वो लोग बड़ी ही खामोशी से अपनी तैयारी कर रहे थे अब उन्हें सामने आने का मौका देना होगा,दोनो ही घटनाओं में एक बात तो तुमने भी नोटिस की होगी की वो किसी को मरना नही चाहते थे,बस निधि और खुसबू को पकड़ने की साजिश थी उनकी ,"

निधि और खुसबू का नाम सुनकर ही अजय की आंखे फिर से लाल हो गई ,

"वो लड़का जिसे शादी में अपने पकड़ा था वो कुछ बोला ,ओ उन्हें पानी में बेहोशी की दवाई मिला कर पिलाने वाला था "

"नही असल में वो भी नशेड़ी किस्म का लड़का है जिसकी खबर उन केटर्स को भी नही थी जिनके साथ वो आया था,वो लोग बड़ी पार्टी होने के कारण कुछ लोगो को रोजी के हिसाब से काम कराने के लिए लाये थे,ये भी शहर में रोजी में काम करता है,दिन के 300 और नशा करके पड़ा रहता है ,इस काम के लिए उसे 10 हजार मिलने वाले थे ,उसे बस दवाई पानी में मिला कर निधि और खुसबू को पिलाना था उसके आगे का काम उसे नही करना था ,वो काम दूसरे लोगो का था ,जिसका उसे पता भी नही था,वो तो अच्छा हुआ की मेरे बंदे की नजर उस पर चली गई और वो निशि के अजीब हरकत को परख कर मुझे खबर दे दिया ,जिससे हमे उस लड़के का पता लग गया साथ ही खुसबू भी बच गई,लेकिन हमने एक गलती कर दी ,हमे निधि के किडनैप होने तक वेट करना था अगर हम थोड़ी और धीरज से काम लेते तो शायद कोई ऐसा आदमी पकड़ में आ ही जाता जो की तुम्हारे ही घर में रहकर तुम्हारे ही खिलाफ साजिश कर रहा है…….."

डॉ की बात सुनकर अजय ने फिर से एक गहरी सांस छोड़ी .

"मेरी बात मानो कुछ दिन रेस्ट करो जाकर बाबा जी के पास रहो साथ ही खुसबू और निधि को भी ले जाओ ,वहां पर सुरक्षा का पूरा इंतजाम हो जाएगा ,और वहां आकर अगर किसी ने भी अगर कुछ करने की कोशिश की तो वो आसानी से पकड़ा जाएगा ,तुम्हे थोड़ी बेफिक्री दिखानी होगी ताकि वो लोग फिर से जल्दी ही कोई कांड करे और धरे जाए ,चुनाव से पहले ही ये निपट जाए तो अच्छा होगा क्योकि चुनाव के दौरान फिर से सभी को खुले में जाकर प्रचार करना है और उसमे खतरा और भी बढ़ जाएगा …"

तभी बाहर से मेरी के चिल्लाने की आवाज आती है ,अजय और डॉ एक दूसरे को देखते है ,अजय का सर झुक जाता है लेकिन आज उसे इन बातो की ज्यादा परवाह नही थी ,

"मेरी बात मानो अजय कुछ दिन आराम करो ,मैं यहां से अपने बंदे तुम्हारे पीछे लगा देता हु जो की 24 घंटे तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की सुरक्षा में तैनात रहेंगे उनकी डिटेल मैं तुम्हे भेज देता हु ,उन्हें कहा कहा रखना है ये भी बता दूंगा ,किसी भी बहाने से अपने आस पास ही रखो ,"

"हम्म ओके डॉ ,और आप कुछ IAS,IPS अधिकारियों से मेरी मुलाकात करवाने वाले थे ,"

"हम्म मेरा एक पुराना दोस्त है जो की पहले फारेस्ट में अधिकारी था वो अब आईएएस है ,विकास ,वो तुम्हरी बैठक अरेंज करने की कोशिस कर रहा है ,"

"विकास ….नाम सुना सुना सा लगता है "

"बिल्कुल सुना होगा ,केशरगड़ में ..तुम्हरे चाचा और तुम्हारे पिता जी उसी अच्छे से जानते थे,खैर तुम अभी आराम करो बाकी सब देखा जाएगा ,हमे अपनी कोशिश करनी है बाकी की बाते भगवान पर छोड़ दो …."

डॉ का लहजा और बात दोनो ही सर्द थे,
 
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अध्याय 69


इधर

रात में एक गांव में कुछ लोग ख़ौफ़ से कांप रहे थे,

"तूने सचमे उसे देखा "

"हा बड़े बडे बिखरे हुए बाल थे,पूरा नंगा और मारे हुए हिरण के मांस को कच्चा ऐसे खा रहा था जैसे की कोई जंगली जानवर ,मुझे देखकर चिल्लाया कि मैं आ रहा हु तुम लोगो के जीवन में अंधेरा भरने ...मैं तो कांप ही गया,मेरी तो सांसे ही नही चल रही थी ऐसे भागा हु वहां से की पीछे मुड़कर भी नही देखा "

सभी लोग उसकी बातो को ध्यान से सुन रहे थे,तभी एक बुजुर्ग बोल उठा

"जबसे पहाड़ी वाले बाबा ने उस तांत्रिक को भगाया था तब से अब तक वो कभी यहां के किसी व्यक्ति को नही सताया ,लेकिन अब कुछ दिनों से वो फिर से अपना ख़ौफ़ फैला रहा है,हमे बाबा के पास जाना होगा नही तो इसके आतंक और भी बढ़ जाएगा ,वो हमारे गांव से लोगो को उठाना शुरू कर देगा ,हमारी बहु बेटियों की इज्जत से खेलने लगेगा और हम कुछ भी नही कर पाएंगे ,अभी देर नही हुई है कल ही चलो बाबा जी के पास ,आखिर पिछले 100 सालो से उन्हों ने ही तो हमे बचा कर रखा है ……"

बुजुर्ग की बातो से सभी सहमत थे ,उसके सिवा किसी के पास कोई चारा भी तो नही था ,

इधर

उसी दिन गांव की बैठक के थोड़ी देर बाद ,अंधेरे जंगल में 3 व्यक्ति खड़े थे ,

"वो लोग पहाड़ी वाले बाबा के पास जाने वाले है"

बाकी के दोनो व्यक्ति जोरो से हँसने लगे

"जाने दो जाने दो देखते है की वो क्या बिगड़ता है हमारे अघोरी तांत्रिक का "

"नही वो बहुत ही शक्तिशाली है ,पहले भी जब तांत्रिक ने गांव वालो को सताया था तो उसी बाबा ने उनकी मदद की थी ,"

इस बार उनमे से एक के चहरे पर थोड़ी शिकन आयी

"अच्छा वो पहाड़ी वाले बाबा जो है उन्होंने कैसे बचाया था गांव वालो को "

"कहते है आज से कुछ 100 साल पहले की बात है जब हमारे तांत्रिक महाराज खुले गांवो में घुमा करते थे और हर अमावस की रात को एक कुवारी लड़की की भेंट गांव वाले उन्हें चढ़ाते थे ,जिसके साथ वो संभोग करते और उसकी बलि देते थे,गांव वाले उनसे इतना डरते थे की कोई भी इसके खिलाफ नही बोलता था,जो बोलता वो दूसरे दिन का सूरज ही नही देख पता ,सभी को पता है की वो नरभक्षी है ,लेकिन उसी समय हमारे गांव का कोई व्यक्ति पहाड़ी वाले बाबा से मिला और उन्हें यहां लाकर पहाड़ी में उनके लिए सबने मिलकर मंदिर बनवा दिया ,उन्होंने ही तांत्रिक महाराज को गांव से भगाया ,उसके बाद भी कभी कभी कुछ लोग गांव से गायब हो जाया करते थे,लोग उस गुफा के आसपास भी नही जाते थे,उस कुछ सालो बाद ये घटनाएं होना बंद हो गई और लोगो को लगा की तांत्रिक महाराज का देहांत हो गया लोग फिर से गुफा के आसपास जाने लगे लेकिन फिर से वही कहर ,और इतने सालो बाद फिर से महाराज को देखकर सभी फिर से घबरा गए …."

"ये पहाड़ी वाले बाबा की उम्र कितनी है "

"क्या पता जैसे हमारे तांत्रिक महाराज अमर है वैसे ही बाबा भी अमर है वो हमेशा ही 50-60 के ही दिखते है ,"

उस व्यक्ति ने थोड़े आश्चर्य से कहा

"हम्म्म्म तुम क्यो तांत्रिक की पूजा करते हो तुम भी अपने पहाड़ी वाले बाबा की पूजा किया करो "

"मुझे भी ताकत चाहिए "

"अच्छा "

उस शख्स के चहरे में एक कुटिल सी मुस्कान आ गई

"क्या तुम लोगो ने उन्हें देखा है"

"हा मैंने उन्हें देखा है,तुम्हे भी मिलवा दे क्या "

गांव का आदमी सिहर उठा

"डरो नही बस दारू की एक बोतल और 2 किलो बकरे का कच्चा मांस ,लेकर अमावस की रात को आ जाना ,साथ ही अगर कोई कुवारी लड़की ले आओ तो तुम्हारी तो सिद्धि पक्की "

वो थोड़ा खुस हुआ लेकिन फिर से डर गया

"नही नही जो भी उस गुफा में गया वो बाहर नही आया है ,कई लोग वँहा दारू और मांस लेकर गए लेकिन कोई भी बाहर नही आया "

"हम तो आये ना "

वो सोच में पड़ जाता है ,

"देखो अभी समय है इससे पहले की तांत्रिक बाबा की ताकत और बड़े और वो गांव में आकर घूमने लगे जो जो उनकी शरण में आ जाएगा वो ही बचेगा ,सोचलो और अब पहाड़ी वाले बाबा कुछ भी नही कर पाएंगे क्योकि अब हमारे तांत्रिक बाबा इतने ताकतवर हो चुके है की उनके सामने कोई भी नही टिक सकता …जय शैतान की ,"

एक शख्स ने जोरो से कहा ,वो जग्गू था जो की खुद ही तांत्रिक बाबा के भेष बना चुका था ,

उसके साथ ही उसका दोस्त पुनिया था दोनो मिलकर बाबा के नाम पर कुछ लोगो को अपने तरफ करने में कामियाब हो चुके थे जिनसे सिद्धि और डर के नाम पर कुछ काम करा लिया करते थे ….

उसकी बात सुनकर वो शख्स और भी काँपने लगा

"जय शैतान की ...जय शैतान की .."

"ठीक है अभी तू जा और कल फिर से शराब और मांस लेकर आना "

उसके जाते ही जग्गू मांस पर झपटा जिसे पुनिया ने रोका

"अबे इसे भून तो ले "

"अरे मेरे भाई सालो से कच्चा ही खा रहा हु अब आदत मत बिगड़ मेरी वरना इन लोगो को डराएंगे कैसे ,तू अपने लिए इसे भून ले "

"हम्म ठीक है लेकिन पहले गुफा के अंदर चल "

दोनो ही गुफा के अंदर चले जाते है …

"मुझे एक बात समझ नही आयी की आखिर ये पहाड़ी वाले बाबा अभी तक 50-60 के कैसे लगते है जबकि गांव वाले उन्हें 100 सालो से जानते है "

"अरे ये लोग तो मुझे भी वही तांत्रिक मानते है ,मेरा गुरु 70-75 साल में ही मर गया था ,हो सकता है की उसका भी कोई गुरु रहा हो जिसे ये लोग आदमखोर तांत्रिक मानते रहे हो ,इन्हें तो ये ही लगता है की ना तांत्रिक मरता है ना ही पहाड़ी वाले बाबा ,तो जैसे तांत्रिक का रहस्य है वही रहस्य बाबा का भी होगा "

"ह्म्म्म "पुनिया ने एक गहरी सांस ली और अपने शराब को अपने हलक से उतारा…..
 
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अध्याय 70


धाय धाय धाय

हवा में गोलियो की आवाज और बारूद की बदबू फैल गई थी ,अजय के कंधे को छूते हुए वो बुलेट गुजरी थी लेकिन अजय की आंखों में खून उतर गया ,जो बुलेट उसे बस छू के निकली थी वो सीधे निधि के कंधे पर जा घुसी थी ,अजय बौखलाया उसने इतनी तेज ब्रेक मारी उसकी मोटरसाइकिल कई मीटर तक यू ही घसीटती चली गयी …….जंगल में घोर सन्नाटा छा गया गाड़ी रुकी ही थी की फिर कुछ नकाबपोश शख्सियत जंगल से प्रगट हुए वो जानते थे की इस समय अजय और निधि अकेले ही छिपकर बाइक से पहाड़ी वाले बाबा के आश्रम के लिए निकले है ,दूर दूर तक कोई नही था ना ही किसी से मदद की ही कोई उम्मीद थी ,निधि के कंधे से बहता हुआ खून अजय को पागल बना रहा था वही उन्हें इस अवस्था में देखकर नकाबपोशों के हौसले और भी बढ़ गए थे .,...वो तेजी से अजय की तरफ बड़े और फायर करने लगे ,उनकी संख्या लगभग 10 थी सबके ही हाथो में अत्याधुनिक हथियार थे और अजय बिल्कुल ही खाली हाथ वो झट से बाइक के पीछे छुपा उसे पता था की ये छुपने की सही जगह नही है लेकिन वो कर भी क्या सकता था ,वो निधि को अपनी बांहो में भरे हुए था और गोलियां उसके शरीर के पास से गुजर कर जा रही थी ,की अचानक बाजुओ में कोई नुकीली सी चीज आकर गड़ी,वो उसे आश्चर्य से देखने लगा वो तो जानवरो को बेहोश करने वाला इंगजेक्शन था ,वो घबराया हुआ निधि को देखने लगा और उसकी आंखे बंद होने लगी वो चाहकर भी सम्हाल नही पा रहा था अब वो नकाबपोश उसके आसपास ही खड़े दिख रहे थे और वो निधि को उठा रहे थे ,अजय ने पूरी कोशिश की लेकिन वो अपना हाथ भी नही उठा पा रहा था ,वो बस निधि की चीख और नकाबपोशों के हँसने की आवाज को ही सुन पा रहा था……..धीरे धीरे उसके आंख बंद हो गए …..



इधर

खबर आंधी सी फैलाने लगी पूरा राज्य ही इस घटना से स्तब्ध था,घरके लोगो की नींद ही हराम हो गई थी ,उन्हें बस अजय की बाइक ही मिल पाई थी अजय और निधि का कोई भी सुराग हाथ नही लग रहा था ,पूरे 5 घंटे बीत गए थे ,प्रदेश के बड़े बड़े नेता और आफिसर भी इस बात से घबराए और हड़बड़ाये हुए थे,चुनाव सर पर था और अगर ऐसे में अजय और निधि का पता नही चल पता या कोई अनहोनी घटना घट जाती तो पूरा ठीकरा सत्तारूढ़ पार्टी के सर में फुट सकता था ,लेकिन चाहे विजय और बाली हो या तिवारी खानदान के लोग वो जानते थे की ये हमला राजनीतिक नही हो सकता ,कोई भी इतना बड़ा रिस्क नही उठाएगा,ये जानते हुए की उंनके परिवार की पहुच क्या है ,वो पूरे राज्य में हाहाकार मचा देंगे,.....

डॉ को अपने दिए गए सुझाव पर पछतावा हो रहा था ,आखिर उसने क्यो उन्हें अकेले ही जाने को कहा था,लेकिन अब देर हो चुकी थी किसी घर के भेदी ने ही कुछ ऐसी जानकारी लीक कर दी थी जिससे ये हादसा हो गया ,खोज चरम पर था जब डॉ ,बाली,कलवा और जिले का SP अजय और निधि को तलाश करते हुए पहाड़ी वाले बाबा के पास पहुच गए ,

"बड़ा ही गंभीर विषय है,आखिर कौन हो सकता है जो इस सहज और प्रेम से भरे हुए इंसान के लिए अपने दिल में नफरत रखता है…"

उस तेजमयी विशालकाय और मनमोहक व्यक्तित्व की गहरी आवाज गुंजी

"बाबा जी पूरा इलाका छान मारा लेकिन कही कोई सुराग नही मिला "

इस बार बाली ने रोते हुए कहा ,

"बाबाजी जो गोलियां अजय और निधि के किडनैप किये जाने वाले जगह से मिली थी उससे पता लगता है की इसमें नक्सलियों का भी हाथ हो सकता है…"SP कहा

तभी एक शख्स जो मैले कपड़ो में लिपटा हुआ था वँहा पहुच गया ,

"बाबाजी हमारी समस्या पर अपने गौर किया ,वो तांत्रिक तो अपनी हद से बाहर जा रहा है ,उसने फरमान भिजवाया है की हमारे गांव के सरपंच की कुवारी बेटी को जल्द से जल्द उसके पास भेज दे वरना वो हाहाकार मचा देगा ,"उस शख्स की आंखों में भी आंसू थे,डॉ ने बाबा जी को ध्यान से देखा ,

"क्या आप भी वही सोच रहे हो जो मैं सोच रहा हु "

डॉ ने बड़े ही गंभीर स्वर में कहा

"मुझे भी यही लगता है "बाबा जी की सहमति पर सभी लोग उन दोनो को ही देखने लगे

"हमे पहले गांव की समस्या सुलझानी चाहिए "

"आप पागल हो गए हो ,मेरा भतीजा और भतीजी की आपको कोई फिक्र नही है "बाली चीखा

"है…लेकिन तुमने नही सुना उसे कुँवारी लड़की चाहिए ,अगर उन्हें मरना ही था तो वो उन्हें मार ही देते शायद यहां बात और भी गहरी है जो हमारे समझ में नही आ रही है ,हो सकता है की गांव वालो की समस्या सुलझाते हुए हमे हमारी समस्या का समाधान भी मिल जाय,तुम लोगो के पास सब कुछ है जिससे हम उस तांत्रिक को पकड़ सके और उसके कहर से गांव वालो को बचा सके ,असल में मैंने अजय को इसी लिए यहां बुलवाया था ताकि वो मेरी जगह पर ये काम हाथ में ले सके ,हो ना हो भगवान हमे कुछ संकेत दे रहा है ."

6फिट 2 इंच का बाबा जी का शरीर उठ खड़ा हुआ ,एक गेहुये रंग की धोती बस उन्होंने लपेट रखी थी ,चौड़ी भुजाए और चौड़ी छाती देखकर कोई पहलवान भी उनसे डर जाय लेकिन मुख मंडल का तेज और सौम्यता उनके बारे में अलग ही जानकारी देती थी ….पास रखा त्रिशूल उठा लिया लगा की साक्षात शिव प्रगट हो गए हो ,वहां बैठे हुए उनके भक्त जानो की आंखों में अश्रु की धारा बह गई ,एक भक्त ने शंखनाद किया ,बाकियों के रोंगटे ही खड़े हो गए थे ,

"हमे जाना कहा है "

वहां खड़े हुए SP ने टूटते हुए आवाज में कहा

"उस गुफा में चलो जंहा जाने से ये लोग घबराते है और जिसे तांत्रिक का निवास कहा जाता है "
 
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अध्याय 71




इधर

अजय को बेहोश हुए ना जाने कितना समय बीत चुका था ,उसे हल्की हल्की सी आवाज आते सुनाई दे रही थी ,हा वो जिंदा था ,शायद उसे यकीन ही नही था लेकिन उसे जैसे ही निधि की याद आई वो पूरे होशं से भर गया ,उसने हल्के से अपनी आंखे खोली ,वो सीलन भरी जगह थी जंहा पर नमी का अहसास हो रहा था साथ ही मांस के सड़ने की हल्की बदबू फ़ैली थी ,सामने एक काले पत्थर की बड़ी सी मूर्ति दिखाई दी साथ ही जो दृश्य उसे दिखाई दिया उससे उसकी रूह तक कांप गई ,मूर्ति के नीचे एक लड़की नग्न अवस्था में बैठी थी उसके बाल बिखरे हुए थे ,वो अजीब सी मचल रही थी जब उस लड़की ने सर उठाया वो अजय के प्राण कांप गए वो निधि थी ,माथे पर बड़ा सा तिलक था और उसके चारो ओर फूल बिछाए गए थे ,उसका दूधिया शरीर दूर से ही साफ दिखाई पड़ता था ,वो मानो बहुत ही नशे में थी ,पास ही उसने 2 लोगो को खड़े हुए देखा ,एक नकाबपोश था जबकि दूसरा किसी तांत्रिक की तरह दिख रहा था ,पूर्ण नग्न उस शख्स के शरीर पर राख लिपटे हुए थी ,बालो के नाम पर जटाएं थी जो बिखरी हुई थी वो लगड़ा कर चल रहा था पास ही एक बलशाली सा आदमी नकाब में था ,अजय ने अपने हाथ चलाने की कोशिस की वो बंधा हुआ था ,उसने रुकने का फैसला किया ,वो उत्तेजना में कोई ऐसा कदम नही उठाना चाहता था जिससे निधि को कोई खतरा हो ,जब तक वो जिंदा था निधि के बचने की उम्मीद थी …

"आखिर ये कैसे हो सकता है "

नकाबपोश शख्स बौखलाया

"मुझे क्या पता लेकिन ये लड़की कुँवारी नही है "

लंगड़ा तांत्रिक बुदबुदाया

"आखिर कैसे मैं इसपर सालो से नजर रखा हुआ हु ,इसका कोई बॉयफ्रेंड भी नही है ,किसी लड़के की छाया भी इसपर नही पड़ी और ये ...और तुम ये कैसे कह सकते हो ,इतना बड़ा रिस्क उठाया है मैंने इसके लिए और तुम ."

वो और भी बौखलाया

"हमे लड़कियों के कौमार्य की परीक्षा करना सिखाया जाता है ,अगर इसकी बलि दे दिया तो शैतान नाराज हो जाएगा और इसकी सजा हमे मिलेगी ,"वो हड़बड़ाया हुआ बोला

"तेरे शैतान की तो मैं.."

उसने अपनी बंदूख उठाई और उस मूर्ति के सामने तान दिया

"पुनिया "जग्गू जोरो से चिल्लाया ,पुनिया ने तुरंत ही उसे चुप करा दिया

"पागल हो गया है क्या ,हमारे नाम किसी को भी पता नही चलने चाहिए "पुनिया हड़बड़ाया

"तो तू शैतान के बारे में ये कैसे बोल सकता है ,ये लड़की अब शैतान की भेंट तो चढ़ चुकी है ,लेकिन इससे हमे कोई भी लाभ नही हो सकता,अगर हमने इसे छुवा तो उसका कहर हमपर बरसेगा ,अगर हम शैतान को इसे भोगने के लिए आमंत्रित करे तो ये कुँवारी नही है शैतान हम पर ही बरसेगा "

जग्गू बड़े ही गंभीर होते हुए कहा

"तू पागल है ये सब दुसरो को डराने के लिए ही ठीक है ,तू भी इन सब पर विस्वास करता है "

जग्गू जोरो से हंसा

"अपनी आधी जिंदगी मैंने ये सब देखते हुए बिताया है और तू मुझे विस्वास की बात करता है ,हा लोगो को डराने के लिए कुछ पैतरे अपनाने पड़ते है लेकिन ये कोई पैतरा नही है,सच में शैतान को कुँवारी लड़की का भोग लगाने से वो खुस होता है और इससे हमारी शक्ति बढ़ती है,सालो से मैं ये करना चाहता था ,उस सरपंच की बेटी ही मिल जाती तो अच्छा था कहा हम इसे कली समझ कर इसके पीछे पड़ गए ,अगर हमारा ये प्रयास सफल हो जाता तो हमे हराना किसी भी के लिए नामुमकिन हो जाता ,"जग्गू मायूस था

"लेकिन अगर हम इससे संभोग भी नही कर पाए तो इस लड़की के जिंदा रहने का मतलब भी क्या हुआ "पुनिया अब बेचैन हो गया था

"क्योकि हमने इसे शैतान को सौप दिया है ,मैंने सभी विधि विधान तो कर दिए है लेकिन शैतान को बुलाने से पहले मुझे इसके कौमार्य के भंग होने की जानकारी मिल गई ,जब मैं इसके योनि को छुवा ,हम बच तो गए लेकिन अब फंस भी गए ,अब इसे ना ही मार सकते है क्योकि इसे मारने का अधिकार अब शैतान का ही है ,"

कुछ देर की खामोशी के बाद पुनिया के चहरे में एक शैतानी मुस्कुराहट ने जन्म लिया

"अगर शैतान को इसके भाई के अंदर बुलाया जाय तो "पुनिया की बात से जग्गू का चहरा खिल गया

"ये हुई ना बात ,अब भाई ही अपनी बहन को मारेगा और इसके अंदर का शैतान उस आदमी को मार डालेगा जिसने उसे एक पहले से इस्तेमाल की हुई लड़की का भोग लगाया ,मतलब इसका भाई ही मरेगा ,हम बस तमाशा देखेंगे दोनो ही मौत का "

"मुझे तो ये देखना है की कैसे एक भाई ही अपनी बहन को हमारे सामने चोदेगा ,वो भी जब उसके अंदर शैतान का वास हो …"

पुनिया की ख़ौफ़नाक हँसी पूरे गुफा में गूंज गई वही उनकी बाते सुनकर अजय की रूह कांप गयी ..

अध्याय 72


निधि के नंगे जिस्म को घूरती हुई दो आंखे थोड़ी चौड़ी हो चुकी थी ,गुलाल फैल कर उसके जिस्म के कुछ हिस्सो में लग चुका था ,माथे का गुलाल फैल चुका था और वो झूम रही थी दुनिया की कोई भी खबर उसे नही थी ,जैसे वो किसी गहरे नशे में हो ,उफनती हुई जवानी पुनिया और जग्गू के मुह में पानी तो ला रहा था लेकिन उन्हें पता था की इससे छूना यानी अपनी ही मौत को दावत देना था,पास ही अजय बंधा हुआ था उसके कपड़े उतारे जा चुके थे उसे कुछ ऐसा पिलाया गया था की उसके आगे सबकुछ नाचता हुआ सा दिख रहा था ,वो बैचैन था उसे पता था की उसके साथ क्या किया जा रहा है लेकिन इतना मजबूर भी था की कोई सहारा उसे दिखाई नही दे रहा था,उसके हाथ अभी भी बंधे हुए थे और वो छूटने की पूरी कोशिस भी कर रहा था लेकिन वो लोग जानते थे की इसे छोड़ना मतलब अपनी ही मौत को दावत देना था,जग्गू अपने विधि विधान में लगा हुआ था उसने एक बड़ा सा चाकू निकाला और अजय के हथेली को बड़े ही प्यार से काट दिया ,खून की फुहार बरस गई थी ,उसकी हथेली को जग्गू ने निधि के सर के ऊपर रख दिया ,उसका खून निधि के बालो में सनता चला गया,निधि किसी जंगली जानवर की तरह गुर्राई जिसे देख दोनो के चहरे में एक मुस्कान खिल गई वही अजय सहम सा गया,उसकी आंखों में अपनी बहन की ये हालत देख कर आंसू आ गए थे,वो भी नशे में था लेकिन अपने को सम्हाले हुए किसी एक छोटे से चांस के इंतजार में था लेकिन जग्गू भी साधा हुआ खिलाड़ी था वो ऐसी कोई भी गलती नही करना चाहता था जिससे की सालो की मेहनत पर पानी फिर जाय ……

पास ही जलती हुई आग से निधि का जिस्म गर्म होने लगा था और वो पसीने से नहा चुकी थी ,जग्गू एक खोपड़ी में कुछ खून अजय का भरा और अपने मंत्र पड़ने लगा,उसने कुछ और भी उसमे मिलाया ,वो अजीब अजीब सी हरकते करता हुआ उस काले शैतान की मूर्ति के पास आया और उसके चरणों में उसे रख दिया फिर उसे उठाकर पुनिया को इशारा किया जो अब भी नकाब के पीछे ही था ,पता नही उसे अब भी यही डर था की कोई उसे पहचान ना ले ,पुनिया ने अजय का मुह पकड़ा और नाक बंद कर दी अजय को बहुत ही कस कर बंधा गया था लेकिन फिर भी उससे कुछ करवाना मुश्किल हो रहा था,पुनिया जैसे तैसे उसे सम्हाल रहा था अजय को जब सांस लेने में तकलीफ होने लगी वो मुह खोला जग्गू ने उसके मुह को पकड़ लिया और खोपड़ी में रखा हुआ द्रब्य उसके मुह में डाल दिया ,अजय मजबूरी में ही उसे पीना पड़ा ,,जैसे ही उसने वो द्रब्य पूरा खत्म किया दोनो उसे छोड़कर दूर खड़े हो गए ,और अजय को डरे सहमे से देखने लगे ,वो ऐसे छटपटा रहा था जैसे की करेंट लगा दिया गया हो ,वो छटपटाते हुए गिर गया,थोड़ी देर को शांति सी छा गई तभी अजय के शरीर में हलचल हुई उसकी बांहे फसफड़ाई और मज़बूती से बांधे गए बंधन किसी पतली डोर की तरह टूटते चले गए ,

"आआआआआहहहहहहह "अजय उठ खड़ा हुआ था वो ऐसे गरजा जैसे की कोई शेर हो ,पुनिया और जग्गू डर से काँपने लगे थे ,अजय का चहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था मानो खून उतर आया हो ,भुजाए फड़क रही थी और सांसे तेज थी,आंखों पूरी तरह से लाल ,उसके अंदर शैतान आ चुका था ,दोनो ही अपने घुटनो पर बैठ गए और अपना सर जमीन से टिका दिया,अजय फिर से दहाड़ा ये दहाड़ इतनी डरावनी थी की दोनो के प्राण कांप गए वही इसकी आवाज बाहर खड़े उन लड़ाकों तक भी पहुच गई जो गुफा की रक्षा में तैनात किये गए थे ,वो इतना डरावना था की वो सब छोड़ वँहा से भागे,जैसे की कोई शेर उनके पीछे पड़ा हो ,

अजय रूपी शैतान निधि की ओर घुमा निधि अभी भी पागलो की तरह बस झूम रही थी ,इधर अजय अपने ही शरीर पर किसी और के कब्जे से छटपटाने लगा था लेकिन उसकी छटपटाहट किसी को भी दिखाई नही दे रही थी ,वो अपने शरीर पर फिर से अधिकार चाहता था ,वो बाहर का नजारा देख सकता था लेकिन जैसे लकवा मार दिया गया हो उसका कोई भी अधिकार अपने शरीर पर नही था ,शैतान निधि के करीब आया और उसे किसी फूल सा उठा लिया उसके हाथ निधि के नितम्भो पर थे और वो उसे मसलने लगा था ,वो उसके सामने किसी गुड़िया की तरह लग रही थी ,वो अजय का शरीर था जिसे उसने सालो की मेहनत से इतना भारी और ताकती बनाया था ,शायद शैतान भी इस शरीर से बहुत खुस रहा होगा,वो निधि को उठाकर बिछे हुए गुलाल पर पटक देता है ,

"आआआ "निधि को पहली बार दर्द का अहसास हूं और उसका होशं धीरे धीरे वापस आने लगा ,उसने देखा की अजय पूरी तरह से नंगा उसके सामने खड़ा है ,उसे जो पिलाया गया था उसका ही असर था की इतने जोरो से गिरने पर भी उसके शरीर में वो दर्द नही हो रहा था जो होना चाहिए ,वो थोड़े होश में थी और थोड़ी बेहोशी में ,अजय का शरीर उसके ऊपर लेट जाता है ,और जो होता है उसे देखकर पुनिया और जग्गू का दिमाग ही चकरा गया ,उन्हें लगा था की जैसे ही निधि को थोड़ा होशं आयेगा और वो अजय के शरीर को अपने ऊपर चढ़ते देखेगी वो चिल्लाने और छटपटाने लगेगी ,और शैतान उसके साथ जमकर बलात्कार करेगा लेकिन ……….?????

लेकिन यहां तो माजरा उल्टा ही हो गया,निधि ने अजय के शरीर को ना सिर्फ सहर्ष अपने ऊपर लेटने दिया बल्कि वो उसके उसके गले में अपना हाथ भी डाल दी ,और उसे अपने ऊपर और भी जोरो से खिंचने लगी ,दोनो ही एक दूसरे के चहरे को देखने लगे ,वो खुद के ही जाल में ऐसे फंस चुके थे की उनकी बोलती ही बंद थी ,उन्हें बस एक ही आशा थी की जैसे ही शैतान को पता चलेगा की निधि का कौमार्य भंग हो चुका है वो अजय के शरीर को तड़फएगा और निधि को जबरदस्त तरीके से रौंदेगा,जिससे दोनो ही जान ही चली जाएगी ,वो लाचार से बस देखने लगे ,कितने ख्वाब देखे थे उन्होंने की निधि की जवानी का मजा लूटेंगे,लेकिन यहां तो सब कुछ ही उल्टा पड़ता नजर आ रहा था ,

अजय के शरीर में उपस्थित शैतान भी निधि के इस हरकत से घबरा गया था ,वह तो बुराई के वजूद में ही पल सकता था प्यार के नही ,इधर अजय के शरीर में बसा हुआ अजय निधि के हरकत को देखकर मुस्कुरा दिया ,वो अपनी बहन को प्यार करने के लिए जोर लगाने लगा,निधि और अजय का प्यार तो शैतान पर भी भारी पड़ने लगा था ,शैतान उसे तड़फना चाहता था लेकिन अजय अपनी ताकत उसे प्यार करने में लगाना चाहता था ,निधि ने अजय के शरीर का सर पकड़ा और उसे अपनी ओर खिंचते हुए उसके होठो को अपने होठो में मिला लिया ,अजय ने पूरी कोशिस की कि वो उसे महसूस कर सके और एक सेकंड के 10 वे हिस्से में ही सही उसने उसे महसूस किया ,अजय को key मिल गई थी ,उसे वो चाबी मिल गया था जिससे वो अपने शरीर पर फिर से अधिकार पा सकता था ,वही होठो के मिलने पर शैतान बुरी तरह से झल्ला गया था वो अपने सर को हटाने लगा लेकिन उसे लगा की शरीर का मलिक शरीर पर फिर से उपस्थित हो गया है वो कुछ देर के लिए असहाय हो गया ,उसे समझ आ चुका था की क्या हो रहा है ,वो फिर से गरजा ,वो उठ खड़ा हुआ और निधि को एक तमाचा जड़ दिया},तमाचा इतने जोरो का था की अगर निधि सामान्य हालत में होती तो शायद वो बेहोश ही हो जाती लेकिन भला हो उस द्रव्य का जिसे उन दोनो ने निधि को इसलिए ही पिलाया था की वो इतने नशे में रहे की शैतान की मार को सके और मर ना जाय,लेकिन इतने होश में भी रहे की अपने साथ होने वाली घटना को जान सके ,अब यही अजय और निधि के पक्ष में हो गया था ,निधि थोड़ी मचली और उस मार को अजय का प्यार समझ कर थोड़ा ऊपर उठकर उसे अपने गले से लगा लिया ,

"आह भईया "उसका नंगा जिस्म जब अजय के शरीर से पड़ा तो अजय उसे महसूस करने की पूरी तमन्ना से भर उठा वो निधि को जोरो से पकड़ा और अपने होठो से उसके होठो को मिलाकर चूमने लगा ,इसी दौरान अजय ने अपने लिंग को निधि के योनि ने प्रवेश करा दिया ,ये वो संवेदना थी जो इतनी मजबूत थी की अजय को अपने शरीर में बंधे रख सकती थी ,इससे उसके मन में निधि के लिए प्यार कई गुना बढ़ जाता था ,और वही हुआ ,अजय हल्के हल्के से अपनी कमर हिलाने लगा ,निधि उसके गोद में मचलने लगी और शैतान ...उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे पहले अजय की थी वो अपने को लकवा ग्रस्त महसूस कर रहा था ,वो कभी कभी अजय के शरीर में पुनः कब्ज़ा कर भी लेता तो उस प्यार का अहसास उसे कमजोर कर देता और अजय फिर से अपने शरीर को कब्जे में कर लेता ,इस बार शैतान ने पूरी ताकत लगा कर शरीर को अपने कब्जे में किया और उठ खड़ा हुआ उसे कुछ ऐसा करना था जिससे उसकी शैतानियत जिंदा रहे ,वो उठा और उसकी नजर उन दोनो खड़े शख्सों पर गई ,वो क्रोध से चिल्लाया ,दोनो ही दहल गए ,शैतान को हमेशा ही कुवारी लड़कियो का भोग लगाया जाता था ,आज उसे ना तो कुवारी लड़की दी गई बल्कि ऐसे लड़के के जिस्म में प्रवेश करा दिया गया जो की उस लड़की का प्रेमी था और उनका प्रेम इतना मजबूत था की उसकी शैतानियत उस प्यार के सामने फीकी पड़ रही थी ,वो दोनो की तरफ बड़ा दोनो ही काँपने लगे ,अजय को तो चाबी मिल ही गई थी वो अंदर बैठा खुस होता हुआ तमाशा देख रहा था ,वो अपने को ढीला छोड़ा वो जानता था की जैसे ही शैतान निधि के करीब भी पहुचे उसे क्या करना है से बस निधि को महसूस करने की अपनी तडफ को बढ़ानी है और वो अपने शरीर का मालिक हो जाएगा फिर उसे निधि के साथ शाररिक संबंध बनाना है ,

इधर

दोनो ही वहां से भागने की कोशिस करने लगे लेकिन शैतान ने दोनो को गले से पकड़ कर उठा दिया

"हे शैतान मैं तो आपका भक्त हु आप मुझे छोड़ दीजिये दया करे दया करे "

जग्गू चिल्लाने लगा

"तुमने मुझे ऐसे आदमी के शरीर में बुलाया जो की इस लड़की का प्रेमी है और वो लड़की भी कुवारी नही है ,ये दोनो पहले ही संभोग कर चुके है "एक भारी और डरावनी आवाज से पूरी गुफा गूंज उठी

"नही नही हमने नही इस शरीर के मालिक ने जानबूझकर आपको अपने शरीर में बुलाया है ,इसे दंड दे और इसकी प्रेमिका को भी "जग्गू ने काँपती आवाज में कहा

"आआआ मैं इसे नही छोडूंगा "शैतान चिल्लाया और दोनो को किसी गेंद की तरह दूर फेक दिया ,दोनो की ही जैसे हड्डियां ही टूट गई थी शैतान फिर से निधि की ओर पलटा

"यहां रहना खतरे से खाली नही है भागो यहां से "जग्गू ने पुनिया को इशारे से एक दूसरे गेट की तरफ इशारा किया जो सीधे ही जंगल की ओर खुलता था ,इसका पता बस जग्गू और पुनिया को ही था ,

"लेकिन मेरी सालो की मेहनत ,मैं इन दोनो को ही गोली मार देता हु "

पुनिया चिल्लाया

"साले पागल हो गया है क्या ,तू अजय को नही शैतान को गोली मरेगा और तुझे क्या लगता है इसके बाद हम दोनो बचेंगे,वो जिंदा खा जाएगा हम दोनो को ,भला इसी में है की भाग और अगली बार जब कोई लड़की लाये तो उसका अगला पिछले सब देख कर लाना "पुनिया की आंखों में खून उतर आया था उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की आखिर ये हो क्या गया ..निधि और अजय जो एक दूसरे को इतने शिद्दत से चाहते है ...उसने तो जन्म में भी नही सोचा था की ये हो सकता है लेकिन अब उसके लिए सोचने का कोई भी वक्त नही था वो दोनो वहां से निकल गए ...

इधर शैतान निधि के ऊपर चढ़ने ही वाला था की निधि ने अपनी बांहे उसके स्वागत के लिए फैला दी ,वो फिर से झल्लाया और चिल्लाया लेकिन इसका कोई भी असर निधि पर पड़ा ही नही वो बस मुस्कुराए जा रही थी और इसी प्यार के पल में शैतान कमजोर हुआ और अजय अपने शरीर पर हावी वो गया ,वो जल्दी से अपने होठो को निधि के होठो से मिला लिया और अपने लिंग को उसके योनि के हवाले किया वो बड़े ही प्यार और इत्मीनान से उसके साथ संभोग करने लगा था,उसे पता था की जितना वो प्यार से भरेगा शैतान उतना ही कमजोर होता जाएगा ,कभी कभी जब शैतान बहुत कोशिस के बाद शरीर को अपने काबू में ला लेता तो वो जोरो से धक्के देता था लेकिन इससे निधि डरती या दर्द से छटपटाती नही बल्कि आह भरती हुई उसे और अपनी ओर खिंच लेती और उसके चहरे में एक मुस्कान आ जाती उसे लगता था की उसके भइया उसके साथ शरारत कर रहे है कभी बहुत ही हल्के हल्के तो कभी जोरो से उसे प्यार कर रहे है ,बेचारा शैतान ..फिर से कमजोर पड़ जाता और अजय फिर से अपनी बहन के प्यार में डूब कर हल्के हल्के धक्के देने लगता ,जब शैतान आकर जोरो से धक्के देता था और निधि आहे भरती हुई मुस्कुराती तो अजय के होठो में मुस्कुराहट खिल जाती ,जो की उसके चहरे पर नही आ पाती क्योकि उस समय शरीर तो शैतान के कब्जे में होता लेकिन जैसे ही वो कमजोर पड़ता और अजय शरीर पर हावी होता वो रुकी हुई मुस्कान उसके चहरे में आ जाती ,निधि को भी ये खेल पसंद आ रहा था,सच तो ये था की कभी निधि और अजय को इससे ज्यादा मजा संभोग में आया ही नही था,एक व्यक्ति ने दोनो पक्ष यहां उपस्थित थे शैतान भी और प्यार करने वाला इंसान भी निधि की गदराई जवानी ने अपने काम का रस छोड़ दिया लेकिन इधर से तो कोई उम्मीद ही नही थी क्योकि यंहा एक नही दो शक्तियों एक साथ काम कर रही थी ,निधि बेतहासा अजय के गालो और होठो को चूमने लगी और अजय गहरे और धीरे धीरे धक्के उसकी योनि में लगाने लगा ,उसके मुह से भी आहे निकल रही थी ,शैतान इतना कमजोर पड़ चुका था की कुछ सेकंड को भी हावी नही हो पा रहा था,कभी हो भी जाता तो दो तीन धक्कों में फिर से वापस जाना पड़ता जो की निधि के लिया बहुत ही मजे का सबब बन जाते थे ,अगर उसे अभी कोई शरीर मिल जाता तो वो फुट फुट कर रो पड़ता वो कभी अपने को इतना कमजोर और असहाय महसूस नही किया था...अजय अपने ये खेल चलता ही रहा जब तक की अजय को किसी के आने की आवाजे नही आने लगी वो शैतान को हावी नही होने देना चाहता था इसलिए वो बस उधर ध्यान ना देकर निधि से खेल रहा था निधि भी अपने भाई के प्यार के पूरी तरह डूबी हुई दुनिया को भूली थी ,,



तभी वँहा डॉ बाली पहाड़ी वाले बाबा और साथ में ही विजय नितिन और उनके कुछ और भी साथी प्रवेश किये बाबा ने माजरा देखते ही सब कुछ समझ लिया वो बाकियों को बाहर ही रोक कर खुद डॉ,विजय और बाली,कलवा के साथ उनके पास गए जंहा दोनो संभोग में रत थे सभी मुह फाडे ये देख रहे थे की कैसे एक भाई अपनी जान से प्यारी बहन के साथ संभोग में इतना व्यस्त है की उसे किसी का भी ख्याल नही …

"इसके शरीर में शैतान है ,सभी पीछे हट जाय "बाबा का हुक्म सुनते ही सभी पीछे हट गए ,विजय और बाली के आंखों में आंसू थे उनसे दोनो की हालत देखी नही जा रही थी ,बाबा ने कुछ मंत्र फुके अजय को समझ आ चुका था की उसकी सहायता को कोई आ चुका है वो धक्के में तेजी करने लगा ,वो जितने जोर जोर से हो सके धक्के देने लगा ,इससे शैतान को ऐसा लगा की उसे मौका मिल गया वो अजय के शरीर पर हावी हो गया और पूरे ताकत से धक्के देने लगा शैतान अब अपने पूरे शबाब पर आ चुका था ,निधि भी कई बार झड़कर थक चुकी थी इस तरह ताकतवर झटकों से छटपटाई और दर्द से चिल्लाने और उसे रोकने लगी ,शैतान तो खुसी से झूम उठा उसे लगा की अब वो आराम से इस शरीर को अपने कब्जे में रख सकता है लेकिन असल में अजय ने जानबूझकर अब उस शरीर में कब्जा करने से बच रहा था ,...

इधर बाबाजी ने मंत्र पढ़कर जो जल अजय के शरीर पर डाला उससे शैतान की चीख ही निकल गई ,अजय का शरीर भी जल उठा था उसके पीठ पर छाले पड़ने लगे वो निधि से दूर होकर छटपटाने लगा ,आंखे लाल हो चुकी थी वो गुस्से और पीड़ा से ऐसे भरा हुआ दिख रहा था जैसे किसी ने उसके साथ बहुत बड़ा धोका किया हो, अजय का शरीर थोड़ी ही देर में शांत होकर पड़ा रहा ...बाबाजी ने निधि के ऊपर भी मंत्र पड़कर पानी छिड़का जिससे वो बेहोश होकर गिर पड़ी,.......
 
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अजय को होश आया तो वो अपने बिस्तर में पड़ा हुआ था,वो तेजी से उठकर खड़ा हुआ, पास खड़ी नर्स ने उसे रोका लेकिन

"निधि निधि कहा "

"आप शांत हो जाइए वो बाजू वाले कमरे में है और अच्छी है"

अजय को बहुत ही थकान महसूस हो रही थी लेकिन वो बेचैन था ,उसने हाथ मे लगी ड्रिप को निकाल फेका,

"अरे रुकिए "

नर्स उसके पीछे चलने लगी कमरे के बाहर परिवार का हर सदस्य मौजूद था,मुख्यमंत्री बंसल भी वहां आये हुए थे,सभी अजय को देखकर खड़े हो जाते है,लेकिन उसे इन सबकी फिक्र कहा थी,वो निधि के कमरे में गया, वो अभी भी आंखे बंद कर सोई हुई थी, पास ही उसकी बहने खड़ी थी,

"निधि निधि "

वो धीरे से आंखे खोलती है और बहुत ही प्यार से अजय को देखती है,

"आप कैसे हो ,"वो बहुत कमजोर लग रही थी, अजय के आंखों में आँसू था लेकिन निधि के चहरे में मुस्कुराहट ,

"आप फिक्र मत करो मैं अच्छी हु"

वो हल्के से मुस्कुराते हुए बोली

"जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोडूंगा "

अजय की आवाज कांपने लगी थी

वो उठ कर बाहर आ चुका था,

"अगर पेशेंट को होश आ रही हो तो हमे बयान लेना होगा"

बाहर खड़ा sp डरते हुए बोला

"कोई बयान बाजी नही होगी,बस किडनैप किया गया और मिल गए इतना ही लिखो रिपोर्ट में "अजय की आंखे देखकर sp थोड़ा सहमा

"लेकिन सर"

"गुनहगारों को ढूंढने और सजा देने की जहमत तुम मत उठाओ sp , वो मैं कर लूंगा ,तुम बस फार्मेलटी पूरी करो और मेरी बहन का कोई बयान नही लिया जायेगा उसे आराम करने दो"

पास ही खड़े बंसल ने sp को इशारा किया और वो चलता बना

"अजय मेरा या मेरी पार्टी का इस सबसे कोई भी ताल्लुक नहीं है जैसा की ये मीडिया वाले कह रहे हैं,"

बंसल ने अपनी सफाई दी

"मुझे पता है अंकल और आप फिक्र मत करे मैं मीडिया के सामने आ कर सब कुछ क्लियर कर दूंगा,"सामने खड़ा हुआ विजय की आंखों लाल सूर्य जैसे धधक रही थी,

"वो तांत्रिक बचकर नही जा पायेगा भैया हम हर जगह उसे ढूंढ रहे हैं,"

"वो एक नही दो थे ,पुनिया हा यही नाम था उस दूसरे व्यक्ति का "

विजय थोड़ी भी देर लगाए बिना वँहा से निकला…



इधर

"मादरचोद तेरे इस शैतान के चक्कर में जिंदगी झंड हो जाएगी ,सभी तुझे कुत्तों की तरह ढूंढ रहे हैं,"

"मैंने कहा था, तूने ही तो जल्दबाजी की थी ,"

दोनो ही घने जंगल के बीच किसी अज्ञात स्थान पर छुपे हुए थे,

"खैर मरने मारने का फैसला तो कर ही चुके है,तो अब डरना कैसा "

पुनिया का चेहरा लाल हो चुका था..



इधर

अजय अब भी बहुत कमजोर महसूस कर रहा था, उसे सबने समझा कर उसके कमरे में सुला दिया था ,

एक सुबकने की आवाज ने उसकी नींद तोड़ी,

"तुम???"

खुसबू की आंखों में बस आंसू थे वो कुछ भी ना बोली वो उसके पैरों के पास बैठी हुई थी,

"अब कुछ बोलोगी भी"

लेकिन खुसबू की नजर अभी भी नीचे ही थी,अजय उठा और उसके हाथो को पकड़ कर अपने ऊपर खिंच लिया,खुसबू अब उसके ऊपर सोई हुई थी आंखों से आंसू बह रहे थे ,लेकिन वो अजय की छाती से चिपके हुए थी ,वो अपने सर को उठाने की थोड़ी भी जहमत नही उठा रही थी,

"मुझे पता चला कि उस तांत्रिक ने आपके और निधि के साथ क्या किया "वो और भी थोड़े जोर से अजय के सीने से लग गई,

अजय थोड़ी देर के लिए तो गम सा हो गया लेकिन फिर उसे निधि के चहरे के भाव दिखाई दिए और उसके चहरे में एक मुस्कान खिल गई ,लेकिन उसे भी ये डर लगा की कही खुसबू को ये भाव ना दिख जाय ,उसे उन दो लोगो पर बहुत ही हँसी आ रही थी जो की चाहते थे की भाई बहन का बलात्कार करे वही निधि को इतने मजे में उसने कभी नही देखा था साथ ही उसे भी इतने गहराई का अहसास कभी भी नही हुआ था,वो खुसबू को अपने से और भी सटा लेता है और उसे कसकर पकड़ता है ,उन यादो का असर उसके पेंट के नीचे के हिस्से में हो रहा था,उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ की जिस चीज को लेकर वो इतना अपसेट था,और अपना खून जला रहा था जो की उसके और उसके परिवार के लिए सुरक्षा का विषय था ,उस बात में भी उसका लिंग अंगड़ाई मार रहा है,कहते है ना की शैतान बाहर ही नही एक शैतान अंदर भी होता है ,अजय को अपनी ही सोच पर हँसी आयी लेकिन फिर उसे याद आया की खुसबू ने आखिर कहा क्या है ,उसे पता चल गया मतलब की पूरे घर को इस बात का पता होगा,शायद कोई भी उसे कुछ कहे नही लेकिन ,,....ओह ये मौत सी खामोशी का कारण यही था…

वो खुसबू के बालो ने हाथ फेरता है ..

"तो तुम अब हमारे रिस्ते के बारे में क्या सोचती हो…"

अजय के बात से खुसबू उससे अलग हो गई और उसे बड़े ही दर्द भरे नजरो से देखने लगी ,

"आपको क्या लगता है "

अजय बिना कुछ बोले ही उसे देख रहा था,

"मैं आपकी हो चुकी हु और जो भी हुआ वो सब तो एक साजिश की तहत कराया गया था ,इसमें आप दोनो की गलती ही क्या है ,वो एक हादसा था जिसे भूल ही जाना चाहिए "

वो अजय की आंखों में देखती है

"कोई भी लड़की कभी ये सहन नही कर पाएगी की उसके प्यार के शरीर के साथ कोई और …"

अजय के बोलने से पहले ह खुसबू ने अपने उंगलियों को उसके होठो पर रख दिया

"बस अब चुप ,मैं जानती हु की आप क्या हो .."

उसके होठो में एक मुस्कान तैरने लगी

"अच्छा क्या हु मैं "

"मेरे भगवान .."खुसबू अपने होठो को अजय के होठो के पास ले जाने लगी थी लेकिन अजय ने उसे वही रोक दिया ,

"ये मेरा निधि के साथ पहला सेक्स नही था खुसबू ,मुझे भगवान की उपाधि देने से पहले ये सोच लो ,की मेरे शाररिक संबंध मेरे बहन के साथ भी रहे है और ऐसा किसी गलती से एक बार नही हुआ है ये सोच समझ कर कई बार हमारे बीच हुआ है ,और इसका कोई भी गिला कभी भी मेरे दिल में नही रहा ना ही रहेगा ,मैं अपनी बहन से बेतहासा प्यार करता था करता हु और करता रहूंगा,मैं जानता हु की ये सब सुनने के बाद तुम मेरा यकीन नही करोगी लेकिन यकीन मानो मैं तुमसे भ बहुत प्यार करता हु "

अजय की बातो का खुसबू के कानो को विस्वास ही नही हो रहा था ,वो झटके से उठी और उठते ही लड़खड़ा गई ,वो थोड़ा सम्भली और अपने आंसू पोछकर अजय को अजीब से निगाहों से देखने लगी जैसे पूछ रही हो की क्यो ,आखिर क्या हुआ ये ...खुसबू बस देखती ही रही लेकिन अचानक जैसे उसे झटका लगा की आखिर हुआ क्या है वो झट से उठी और सीधे ही कमरे के गेट की तरफ अपने कदम बड़ा दिए ………
 
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"उसने पुनिया का नाम ले लिया हम सब पकड़े जाएंगे "

आरती रो रही थी लेकिन उसका ममेरा भाई सुरेश अब भी शांत था,वो उसके डर को समझ रहा था लेकिन फिर भी उसे अपने पर भरोषा था,

"कुछ भी नही होगा तुम ऐसे रहो जैसे तुम हमेशा से रहती थी,और रही पुनिया की बात तो वो इतनी पुरानी बात है की किसी का भी ध्यान उसपर नही जाएगा ,इन लोगो ने इतने पाप किये है की इन्हें याद भी नही होगा की कोई पुनिया नाम का व्यक्ति भी है जिसकी इन्होंने जिंदगी बिगड़ दी थी .."सुरेश का स्वर ठंडा था लेकिन इरादों में गर्मी अभी भी बाकी थी ,आरती सुरेश के कांधो पर हाथ रख देती है और उसके छाती में अपना सर रख देती है,

"तुम ही मेरे एक अपने हो भाई तुम्हारे लिए मैं सबकुछ कर सकती हु लेकिन ,,,,डर लगता है की तुम्हे ही खो ना दु ,ये दुश्मनी हमारे लिए नही है भाई हमने तो अपनी आधी जिंदगी बिता दी है अब और हमे क्या चाहिए हमे एक दूसरे का साथ तो मिल ही रहा है….

आरती अभी सफेद साड़ी में लिपटी हुई थी जो उसके बदन के हर एक करवट का बयान करता था,जवानी में ही वो बेचारी विधवा हो गई थी जिसका दर्द समझने वाला ये सुरेश ही तो था,अपनी बहन के लिए उसने खुद भी शादी नही की थी ,ना ही उसका कोई था ना ही आरती का ,आरती की शादी सुरेश की मर्जी के खिलाफ हुई थी,ऐसे भी किसी की इतनी हिम्मत नही थी की वो तिवारियो के सामने कुछ कह पाए,सुरेश तो अपनी जान भी दे देता लेकिन आरती के पिता ने उसे रोक दिया ,वो जानता था की भले ही आरती का ब्याह सबसे रसूखदार खानदान में हो रहा है लेकिन फिर भी वो लोग कैसे है खासकर आरती का पति,एक नंबर का ऐयास था ,उसकी नजर जब आरती के हुस्न पर पड़ी तो वो उसे पाने को बेताब हो गया,वो अच्छे घर की लड़की थी इसलिए उसने उससे शादी की सोची ,अब तिवारियो को कौन ना कह सकता था,पिता भी मजबूर होकर अपनी बेटी को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया …

सुरेश कुछ नही भूल पाया था वो आरती को बेपनाह प्यार करता था लेकिन …..लेकिन वक्त के हाथो मजबूर हो गया था,तभी उसे पुनिया मिला,पुनिया से उसका संबंध बहुत ही पुराना था,जब सुरेश वनः विभाग का कर्मचारी हुआ करता था तब पुनिया भी उस गांव का निवासी था,पुनिया भी ठाकुरो और जमीदारो की दुश्मनी का सताया हुआ एक व्यक्ति था ,लेकिन पुनिया गायब हो चुका था ,जो उसे कुछ ही सालो पहले उसके संपर्क में आया था,पुनिया और सुरेश दोनो का ही मकसद एक ही था ,बस पुनिया की दुश्मनी ठाकुरो से भी थी लेकिन सुरेश की सिर्फ तिवारियो से ,सुरेश अपनी बहन के हालात को देखकर सालो से जल रहा था आज उसे एक उम्मीद दिखी थी,उसने अपनी प्यारी बहन को उस दरिंदे की बीवी बनते देखा था और फिर उसके विधवा हो जाने के बाद उसे तड़फते हुए ,वो जानता था की उसकी बहन के संबंध अपने ही भतीजे से थे ,जिस्म की प्यास में जलते अपनी बहन को वो कह भी क्या सकता था ,और अब विजय …..सुरेश के लिए ये सब सहन करना हमेशा से मुश्किल रहा लेकिन आरती उससे कुछ भी नही छुपाती थी ,सुरेश भी अपनी मजबूरी का घुट पी जाता था ,

आरती उससे चिपकी हुई खुद को बहुत ही हल्का महसूस कर रही थी वही सुरेश भी अपनी बहन को गले से लगाए हुए उसके बालो को सहला रहा था वो कुछ सोच में डूबा हुआ था,

"इतना मत सोचो भाई जो होगा देखा जाएगा बस मुझसे वादा करो की तुम कभी इस लड़ाई में आगे नही आओगे ,जो भी हमारे साथ हुआ वो हो चुका है और हम दोनो ही इससे उबर चुके है ,क्या इतना काफी नही की मैं तुम्हारी बांहो में अपनी जिंदगी बिताऊँ "

सुरेश उसके माथे को चूमता है ,हा उन दोनो की मोहोब्बत सिर्फ जज़्बाती नई जिस्मानी भी थे ,सुरेश के लिए वो बहन से बहुत ज्यादा था वही आरती भी उसके लिए हमेशा खुद को खोले रखती थी लेकिन वो हमेशा तो साथ नही रह सकते थे ,

सुरेश ने उसके चहरे को ऊपर उठाया और उसके होठो में एक चुम्मन झड़ दिया दोनो के होठ मिले उसे एक दूजे के होठो में समा गए,वो काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे ..आरती की आंखों में आंसू था

"मुझे बस इतना ही चाहिए ,मैं पूरी जिंदगी बस इतने में ही निकाल दूंगी "

सुरेश उसके आंखों में आये पानी को अपने होठो में समा लेता है,

"क्या क्या सपने थे हमारे,हम एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,मैं तुम्हे अपने बच्चे की मा बनाना चाहता था लेकिन …..विजेंदर की मौत के कारण हमे अपने बच्चे को भी गिराना पड़ गया ,उसकी हवस के कारण हम एक नही हो सके आज भी हमे इस भाई बहन के चोले में रहकर एक दूसरे से मिलना पड़ता है ,हम खुलकर एक दूसरे को गले भी नही लगा सकते ,समाज मर्यादा मैं तो सब कुछ तोड़ने वाला था ना आरती लेकिन ,....लेकिन ये दर्द अब नही सहा जाता मैं तुम्हे उनके चुंगुल से आजाद करा देना चाहता हु ,हम कही दूर चले जाएंगे आरती एक दूसरे की बांहो में जिंदगी बिताने "

सुरेश ने फिर से आरती के होठो को अपने होठो से मिला लिया था,आरती के आंखों से बहता पानी उसके होठो तक आता जो सुरेश के जीभ में लगकर एक नमकीन सा अहसास उसे दे रहा था,उसके गुलाबी होठ थोड़े खुले हुए थे वो उसके ऊपरी होठो को चूस रहा था ,जो किसी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नाजुक थे ,उम्र के इस पड़ाव में भी आरती के अंदर वही नाज़ुकता का आभास सुरेश को होता था जो उसके नवयौवन में होता था,सुरेश के हाथ आरती के कमर से होते हुए उसके पुष्ट नितम्भो पर चले गए ,जो मुलायम तो थे लेकिन अभी भी अपनी आकृति नही खोये थे,वो वैसे ही गोल थे जैसे उसकी पहली छुवन में हुआ करते थे,वो आरती को अपनी ओर खिंचता है,

"भाई मुझे अपनाने के लिए तुम्हे किसी समाज की स्वीकृति की जरूरत नही है ,मैं तुम्हारी थी और तुम्हारी ही रहूंगी ,हा ये जिस्म की गर्मी मुझे अपने जिस्म को औरों को सौपने पर मजबूर कर देता है लेकिन यकीन मानो की मैं तुम्हारे अलावा आज तक किसी को भी अपने दिल से नही लगाई हु,मेरे लिए तो तुम ही हो मेरे भाई,और ये कोई भाई बहन का चोला नही ये तो हमारा प्यार है जिसे हमने भाई बहन के रिस्ते का नाम दे दिया है ,प्यार तो हमारा तब भी था जब हम एक दूसरे के साथ बचपन में खेला करते थे,तब भी था जब तुमने पहली बार मुझसे कहा था की मैं बहुत ही सुंदर हु और मैं शर्मा गई थी,तब भी था जब तुम्हारे हाथो ने पहली बार मेरे शरीर को एक मर्द के जैसे छुवा था ,तब भी था भाई जब तुम्हरे होठ पहली बार मेरे होठो से मिले थे,"आरती रोने लगती है लेकिन बोलती जाती है ,

"तब। भी तो था ना भाई जब तुमने पहली बार मेरे यौवन को पाना चाहा था और मुझसे वादा किया था की मैं तुम्हारी ही रहूंगी जिंदगी भर के लिए ,तब भी था जब तुमने पिता जी के सामने मुझे अपनी बीवी बनाने की बात की थी और उन्होंने तुम्हारे हाथ पैर तोड़ दिए थे ,तब भी था जब तुमने मुझे अपना बनाया था ,यही तो कमरा है ना भाई जंहा तुमने मेरा कौमार्य तोड़ा था और मेरे मांग में अपने नाम का सिंदूर डाला था,तब भी था भाई जब मेरे जिस्म को पहली बार मेरे समाज के सामने के पति ने भोगा था,तब भी था जब ये जिस्म राकेश और विजय के नीचे था ,तूने मुझे जब अपना बना लिया था भाई मैं तो तब ही से तेरी हु ,हमारे रिस्ते का नाम चाहे जो हो लेकिन मेरा ये जिस्म और मेरा मन सदा से तुम्हारे लिए ही था है और रहेगा "

आरती का पूरा चहरा आंसुओ से भीग चुका था,वही हाल सुरेश का भी था ,वो उसे अपनी ओर जोरो से खीचकर उसे अपने सीने से लगा लेता है ,

"मैं हर उस आदमी को बर्बाद कर दूंगा जिसके कारण तुम मुझसे अलग हुई ,,जैसे मैंने तुम्हारे पिता को दुनिया से रुखसत किए जैसे मैंने तुम्हारे पति को गोली मारी ,हमारे बीच कोई भी आये मैं उसे नही छोडूंगा ...आरती तुम मेरी हो तुम्हारे जिस्म को भोगने वालो को भी इसका हिसाब देना होगा,राकेश और विजय को भी तुम्हरे जिस्म से खेलने का पूरा हिसाब देना होगा आरती "वो जोरो से उसके होठो को अपने होठो में मिला कर चूसने लगता है,आरती भी अपने भाई के प्यार के उफान अब रोकना नही चाहती थी….दोनो ही बिस्तर में गिरते है और एक दूसरे में डूब जाते है…...
 
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"ह्म्म्म पुनिया नाम कुछ सुना सुना सा लगता है"

किसी अनजान आवाज ने अजय के कान खड़े कर दिए थे,वो जल्दी से कमरे में घुसा जंहा डॉ,बाली,और वो शख्स पहले से मौजूद थे ,

"ओह अजय आओ आओ इनसे मिलो ये विकास है हमारे बहुत पुराने दोस्त है ,आजकल ये आईएएस बन गए है,मैंने तुम्हे बताया था ना "डॉ के कहने पर अजय बड़ी इज्जत से विकास से हाथ मिलता है ,और पास ही बैठ जाता है,डॉ ने उसे विकास के बारे में बता चुका था,

"सर आप कह रहे थे कुछ पुनिया के बारे में "

अजय विकास का ध्यान फिर से पुनिया के तरफ ले गया

"ओह हा ,जिसने तुम्हारे ऊपर हमला करवाया था ना,तुम्हे ही बताया था की उसका नाम पुनिया है ,ये नाम मैंने कही सुना तो है बस याद नही आ रहा है की कहा ,"

"याद करो यार इस आदमी को पकड़ लिया तो समझो सब कुछ पकड़ में आ जाएगा ,"डॉ ने जोर डाला और विकास याद करने की कोशिस करने लगा लेकिन फिर भी उसे कुछ याद नही आ रहा था

"कोई पुरानी दुश्मनी लगती है यार तुम्हारे परिवार से पहले तुम्हारे पिताजी और फिर ये सब ….डॉ क्यो ना जूही को इस केस में लगा दे ,अब वो dsp बन गई है"

जूही डॉ और विकास की बहुत पुराने पहचान की थी और विकास की पत्नी काजल की सहेली भी थी,जूही अपने काबिलियत की वजह से पूरे पोलिस डिपार्टमेन्ट में मशहूर थी,बड़े बड़े केस उसने हैंडल किये थे ,और इसके ही वजह से उसे इतने प्रमोशन मिले की आरक्षक से वो dsp बन चुकी थी,

"इस काम के लिए सही रहेगी ??" डॉ ने थोड़ी चिंता जताई

"क्यो नही ,वैसे भी आजकल वो खाली बोर ही हो रही है "

"सर जिसे लगाना है आप लगा दीजिये लेकिन उस पुनिया और उस तांत्रिक का पता लगना बहुत ही जरूरी हो गया है,"

"हम्म तुम अपने चुनाव में ध्यान दो अजय बाकी का काम हम सम्हाल लेंगे "डॉ ने अजय को सांत्वना देते हुए कहा,

"डॉ कैसे ध्यान दु मैं ,मेरे लिए मेरे परिवार से ज्यादा जरूरी और क्या है और चुनाव घर में बैठकर तो जीता नही जाएगा ,उसके लिए सभी को बाहर निकलना ही पड़ेगा "

"तुम फिक्र मत करो घर को किला बना देंगे ,हमारे बॉडीगार्ड सादे कपड़े में हमेशा तुमलोगो के साथ रहेंगे,"

बाली ने दृढ़ता से कहा

"फिक्र मत करो मैं एक अच्छी सुरक्षा एजेंसी को जानता हु ,वो तुम्हे वैसे ही सुरक्षा देंगे कवर जैसे किसी बड़े नेता या VIP की होती है,किसी को पता भी नही चलेगा की तुम सुरक्षा घेरे में हो और तुम निश्चिंत भी रहोगे ,साथ ही अगर किसी ने तुम्हारे ऊपर हमले की कोसिस की तो और भी अच्छा होगा क्योकि वो पकड़ा जाएगा "विकास के सुझाव से अजय को थोड़ी राहत मिली …..

उन लोगो की बैठक खत्म हो जाती है ,वही खिड़की के बाहर से दो कान उनकी बाते सुन रहे थे ,वो झट से वहां से निकल जाता है और पुनिया को काल लगा कर सभी बाते बताता है ,

"ह्म्म्म विकास जी ,और जूही कोई बात नही दोनो मेरे पुराने परिचित है मैं उन्हें देख लूंगा,विकास को तो याद ही नही आएगा की मैं कौन हु ,और रही जूही की बात तो उसे तो मैं ऐसे घुमाउंगा की वो साये का पीछा ही करती रह जाएगी "





इधर

अजय अपने कमरे में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था की सोनल की आहट से उसका ध्यान सोनल की तरफ गया ,

"भइया आप पागल हो गए हो "

अजय सोनल के चहरे का उड़ा हुआ होशं देखकर घबरा गया था

"क्या हुआ "

"क्या हुआ ,आप पूछ रहे हो क्या हुआ ? आई कांट विलिभ इट ,अपने खुसबू से क्या कहा ?"वो अब भी गुस्से में थी

"वही जो सच है "

"सच है ,अपने सोचा भी की उसके ऊपर क्या गुजरेगी "

"तू जानती है की सच क्या है ,तेरे और विजय के बीच भी तो …"

"आपको लगता है की हमारे बीच जो भी हुआ उसे समाज कभी भी स्वीकार करेगा ?"सोनल की आंखों में आंसू आ गए थे

"लेकिन मैं उस लड़की से कैसे झूट बोल सकता था जिसे मैं प्यार करता हु "

"भैया बात सिर्फ प्यार की नही है समझने की है ,अच्छा क्या खुसबू आपको कहती की उसने नितिन से सेक्स किया है और रोज करती हो तो आपको कैसा लगता "

अजय एक गहरी सोच में पड़ गया

"तेरा मतलब है की मेरे और निधि के बीच जो हुआ ,तेरे और विजय के बीच जो हुआ वो सब गलत था "

"नही मैं नही मानती की वो गलत था लेकिन समाज के लिए तो गलत ही ना ,सेक्स का रिश्ता भाई बहन के बीच नही होता भइया क्योकि समाज के लिए सेक्स गलत है ,और सेक्स हवस की निशानी होती है ना की प्यार की "

सोनल को अब लग रहा था की ये रिश्ता जो अनजाने में ही भाई और बहनों के बीच बन गया वो बहुत ही दुखदेने वाला हो रहा है…

"आप को क्या जरूरत थी बताने की ,जो हो गया वो हो गया ना ,"सोनल फुट फुट कर रोने लगी थी …

अजय उसके कंधे में हाथ रखता है और उसे प्यार से सहलाता है ,

"मैं खुसबू से कोई झूट नही बोल सकता ,चाहे वो कोई भी क्यो ना हो ,वो मेरे लिए मेरी जान है ,चाहे वो मेरे बारे में कुछ भी समझे मुझे उसकी कोई भी फिक्र नही है ,और रही बात मेरे और निधि के रिस्ते की वो उसने ना कोई हवस थी ना है और ना ही होगी ,वो मेरी प्यारी बहन है जिसके सामने मैं कुछ नही छिपता अब हो गया सेक्स हमारे बीच तो क्या कर सकता हु ,लेकिन हम दोनो में से किसी का भी ये मकसद तो कभी था ही नही ,ना ही भविष्य में ये करने का कोई मकसद है …"

सोनल गुस्से से अजय को देखती है ,लेकिन अजय थोड़े आश्चर्य में था क्योकि ये गुस्सा झूठा गुस्सा था एक शिकायत लेकिन होठो में आने से रोकी गई मुस्कान ,उसकी आंखे सोनल के चहरे के भाव को देखकर बड़ी हो जाती है ,

वही सोनल अपने जेब से मोबाइल निकाल कर उसे कान में लगा लेती है,यानी वो अभी किसी के साथ लाइन में थी ,अजय को बात समझ आ जाती है ,

"मैंने कहा था की मेरे भइया तेरे लिए और अपनी बहनों के लिए दोनो के लिए पागल है ,इन्हें सही गलत से कोई भी वास्ता नही है इन्हें बस प्यार ही दिखाई देता है और प्यार ही समझ आता है "

वो अजय की ओर मोबाइल बड़ा देती है अजय भी समझ चुका था की लाइन में खुसबू ही थी ,

"हैल्लो "

उधर से बस रोने की आवाज आ रही थी …

"हलो इतना क्यो रो रही हो "

"तो और क्या करू "ये वाक्य बड़ी मुश्किल से बोला गया था और आवाज अजय के पीछे से आ रही थी ,वो मुड़ा देखा तो खुसबू आंखों में आंसुओ की बाढ़ लिए खड़ी हुई थी,यानी वो कमरे के बाहर ही खड़ी थी और मोबाइल से बाते सुन रही थी,

"तो दोनो प्रेमी जोड़े बात करो मुझे इजाजत दो "सोनल अपना मोबाइल अजय के हाथो से लेकर कमरे से निकल जाती है ,खुसबू अब अजय के पास ही खड़ी थी ,आंखों से आंसू अब भी बंद नही हो रहे थे,

"ह्म्म्म तो …"अजय उसे देखता हुआ बोला

खुसबू ने ना में सर हिलाया

"क्या "

"कुछ नही ,आप को …"

वो फिर से चुप थी

"आपको क्या "

"आपको क्या समाज के वसूलों की कोई परवाह नही है"

वो थोड़ी डरती हुई बोल गई

"किसने बनाया है उसे "

खुसबू नजारे उठाकर अजय को देखती है लेकिन कुछ नही बोलती

"समाज ने उसे अपनी सहूलियत के लिए बनाया है ,तो हम उसे अपनी सहूलियत के हिसाब से बदल भी तो सकते है "

अजय की बात तो बिल्कुल स्पष्ट थी लेकिन लॉजिकल नही थी

'लेकिन …."खुसबू कुछ बोलने को हुई ही थी की अजय ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खिंच लिया जिससे खुसबू घबरा गई और अजय के चहरे को आश्चर्य से देखने लगी

"देखो ,एक लड़की और एक लड़के के बदन का शादी से पहले इस तरह संपर्क में आना भी तो गलत है ना लेकिन फिर भी हम ऐसे खड़े है ,तो क्या हम गलत है………..हा समाज के नजरो में तो है ,लेकिन क्या हम अपनी नजर में गलत है ,...नही क्योकि हम एक दूसरे से प्यार करते है और अगर प्यार नही भी करते तो भी ये गलत नही था क्योकि हमे इसकी जरूरत होती,और जब एक लड़की और एक लड़का दोनो ही अपनी मर्जी से सेक्स करे या शारीरिक संपर्क में आये तो वो गलत नही हो सकता …"

"लेकिन निधि आपकी बहन है…"खुसबू की आवाज बहुत ही धीरे थी..

"लेकिन प्यार तो मैं उससे भी करता हु और जो हुआ वो प्यार में हुआ ना ही जानबूझकर "

"प्यार में कोई ऐसा करता है क्या वो भी इतने बार "

खुसबू अब भी सुबकने लगी

"जब तुम्हे ये सब गलत लगता है तो फिर क्यो आ गई तुम मेरे पास "

"क्योकि मैंने आपको अपना पति मान लिया है ,और अब आप जैसे भी रहो आप ही मेरे पति हो "

"अच्छा"अजय के चहरे में एक मुस्कान आ गई

"लेकिन हम भी तो भाई बहन है"

"हमारी बात और है हम तो शादी करने वाले है"

अजय उसे और भी कस लेता है,अब उसका हाथ खुसबू के नितम्भो में था ,उसे एक शरारत सूझती है और वो उसके पिछवाड़े को जो की टाइट सलवार में उभरकर निकल रहे थे जोरो से दबाता है ,

"आउच …"खुसबू की रोनी सूरत और भी रोनी हो जाती है जिसे देखकर अजय को और मजा आता है

"कोई प्यार व्यार है आपको हवस के पुजारी हो आप "वो शिकायत भरे लहजे में कहती है लेकिन अजय फिर से उसे अपनी ओर जोरो से खीचकर उसके नितम्भो को मसलता है जिससे खुसबू उसके बांहो में मचलने लगती है,अजय के मजबूत शरीर के आगे वो एक गुड़िया ही थी,

"मेरी जान प्यार हो या हवस अजय कोई भी काम अधूरे में नही करता ,जो करता है पूरे दिल से करता है "अजय के फिल्मी स्टाइल के डायलॉग ने खुसबू के होठो में मुस्कुराहट ला दी लेकिन फिर भी वो उसे छुपाए रखी और जैसे ही पहला मौका मिला वो अजय से दूर हो गई

"भाग जाओ ,और अपना प्यार और हवस अपनी लाडली बहन पर ही दिखाओ "अजय कुछ कह या कर पता इससे पहले ही वो हंसते हुए वँहा से भाग गई ,अजय अब भी सोच में था की ये क्या हुआ ,खुसबू ने उसे माफ किया की नही ...उसकी हँसी से इतना तो पता चल गया था....
 
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अध्याय 76


चुनावी रण अपने चरम पर पहुच गया था,सभी पार्टियां जी जान लगा रही थी लेकिन अजय इसमें बिल्कुल भी इंटरेस्ट नही दिखा रहा था,उसे तो अपने परिवार पर हमला करने वाले ही ही खोज थी ,चुनाव का पूरा दारोमदार खुसबू , सोनल और नितिन ने सम्हाल लिया था,चुनाव में मार्केटिंग वाले फंडे लगाए जा रहे थे ,चुनाव की रणनीति बनाने वाले एक्सपर्ट बुलाये गए थे,अजय और निधि पर हुआ हमला इस क्षेत्र के राजा पर हुए हमले के रूप में प्रचारित किया जा रहा था,3-4 सीटो पर जीत के आसार तो पहले भी थे लेकिन अब केशरगढ़ के पूरे क्षेत्र जो पहले रियासत का हिस्सा हुआ करती थी और आसपास के क्षेत्रों में भी अजय की पार्टी का दबदबा कायम होने लगा था,15 विधानसभा सीटे तो निश्चित तौर पर इनके पलड़े में गिरने वाली थी,और वही ये पूरी ताकत झोंक रहे थे,कुछ और जगहों पर भी आसार अच्छे थे लेकिन उन्हें भी पता था की 15 सीटो के साथ वो किंग मेकर बन जाएंगे ,उनके बिना सरकार बनाना सम्भव ही नही हो पायेगा,क्योकि कोई पार्टी को क्लियर बहुतमत के आसार नही थे,लेकिन अभी से कुछ कहना कोई भी ठिक नही समझ रहा था,तैयारी और प्रचार जोरो में था,निधि और अजय पूरी तरह से आराम कर रहे थे,युवाओं को जोड़ने ,मार्केटिंग और रणनीति बनाने की जिम्मेदारी खुसबू नितिन और सोनल के जिम्मे थी वही अगर कोई बाहुबली वाला काम हो तो,रैली निकालनी हो ,हल्ला मचाना हो तो विजय और किशन आगे आते,और धनुष छात्रों का नेतृत्व कर रहा था,उसकी शाख और सोच कमाल की थी ,कुल मिलाकर वो बेहतरिन टीम थे जो की कम से कम अपने क्षेत्र में अजेय हो गई थी,बाकी पुरानी पार्टियो ने भी उनके सीटो पर मेहनत कम कर दी थी और अपनी अपनी सीटे पक्की करने में लगे थे,इन दो परिवारों के सामने इनके ही इलाके में ऐसे भी कोई कहा टिकने वाला था…



इधर

एक गाँव की टापरी में एक 6 फुट से भी लम्बा भगवा रंग पहने बाल बढ़े और दाढ़ी में चहरा पूरी तरह से ढका हुआ एक साधु घूम रहा था ,वो एक चाय की टपरी में रुका

"जय जय शिव संभु "

उसकी दमदार आवाज ही उसके व्यक्तित्व को बयान करने को काफी थी ,चाय वाले और वँहा बैठे हुए कुछ लोग उसे बड़ी ही आस्था से देखने लगे ,चहरे का तेज ही इतना कमाल का था साथ ही साथ ही उसके व्यक्तित्व और आवाज ने सब के ऊपर एक गहरा असर छोड़ ही दिया,

चाय वाला हाथ जोड़े खड़ा हो गया,

"क्या चाहिए बाबा "

बाबा के चहरे में एक मुस्कान खिल गई

"कुछ नही बेटा एक चाय ही पिला दे "

उसकी आवाज गहरी और शालीनता से भरी हुई थी ,

"आइये आइये बैठिए "

एक आदमी अपने कुर्सी से उठता है

"आप कहा से है बाबा आपको पहले कभी देखा नही "

"अभी अभी हम इस ओर आये है ,हम भारत भ्रमण में है ,हमारे गुरु जो हिमालय के योगी है उन्होंने हमे आदेश दिया की बेटा जाओ और देश में घूम घूम कर लोगो में भगवान की आस्था जगाओ "

"बाबा आप तो बहुत ही कम उम्र के दिखाई देते है ,क्या उम्र है आपकी "एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति जो थोड़ा पढ़ा लिखा लग रहा था उसने प्रश्न दागा,

"सुना नही है क्या ..जाती ना पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान "बाबाजी खिलखिला कर हँसने लगे उनकी निश्छल हँसी से सभी अभिभूत हो गए …

"बाबा जी चाय "

उन्होंने ने चाय का प्याला उठाया पीने लगे

"बाबाजी आप कहा कहा गए "एक नवयुवक बोल उठा

"सब अभी पूछ लोगे क्या ,इस गांव में कुछ दिन रुकूँगा ,तालाब के पास के मंदिर में कोई पुजारी रहता है क्या "

"जी बाबाजी पुजारी जी तो गांव में रहते है लेकिन मुखिया जी अगर मान जाय तो आप वँहा रह सकते है"

"तो चलो मुखिया का घर दिखा दो "

चाय पीकर बाबाजी मुखिया के घर की ओर चल पड़े



चुनाव के रिजल्ट आये और अजय की पार्टी राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी बन कर उभरी,सबसे ज्यादा सीटे बंसल की पार्टी को मिला था,100 विधानसभा सीटो के राज्य में 42 बंसल को और 30 उसके विरोधी पार्टी को मिले थे,बहुमत किसी का भी नही था ,अजय की पार्टी 25 सीट के साथ तीसरी बड़ी पार्टी थी और 3 निर्दलीय विधायक चुने गए थे,स्वाभाविक था की अजय जिसका भी साथ देता वही सरकार बनाता,दोनो पार्टीयो ने मुख्यमंत्री के अलावा कोई भी पद देने की पेशकश की थी,अजय के परिवार का बंसल से सम्बन्ध बहुत ही पुराना था ,इसलिए अजय और पार्टी ने बंसल के नाम पर मुहर लगा दी,धनुष को उपमुख्यमंत्री के साथ गृह दिया गया,वही निधि को भी जो की पूरे चुनाव से दूर थी संस्कृति और खेल विभाग दिया गया,वो सबसे कम उम्र की मंत्री बनी,ठाकुर और तिवारी परिवार का कोई और सदस्य ना ही मंत्रिमंडल में था ना ही चुमाव लड़ा था,लेकिन उनकी पार्टी के जीते हुए सदस्यों को अलग अलग मंत्रालय दिया गया था,..अजय के लिए ये बस एक बोझ कम होने की तरह ही था,क्योकि उसे राजनीति से ज्यादा फिक्र उस शख्स की थी जो उनके ही बीच रहकर उनके लिए खतरा पैदा कर रहा था,और भाई बहन ने मंत्री बनने से उसे एक पवार सी मिल गई थी,पैसा और पवार तो उसके पास पहले भी बहुत था लेकिन अब सत्ता की पवार भी थी
 
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अध्याय 77


अजय की गाड़ी एक घने जंगल में बनी पगडंडी पर चल रही थी,वो अकेला ही था और हांफ रहा था,गाड़ी में बैठे हुए भी ऐसा लग रहा था जैसे की वो कई किलोमीटर दौड़कर आया हो,पास ही एक धमाका होता है और अजय के गाड़ी के एक पहिये में जाकर गोली लगती है ,गाड़ी थोड़ी लड़खड़ाती है लेकिन रुकती नही ,वो अपने ही स्पीड में चली जा रही थी,टायर के चिथड़े उड़ गए लेकिन अजय ने गाड़ी नही रोकी आखिरकार एक छोटे मिसाइल सा बम आकर उसकी गाड़ी से टकराया जब तक अजय कुछ समझता उससे पहले ही बड़ा धमाका हो चुका था,..............



इधर

फोन पर पुनिया सभी कुछ सुन रहा था और साथ ही उसके चहरे का रंग भी बदलने लगा

"एक अकेला आदमी और तुम सब फिर भी वो तुम्हारे अड्डे को तबाह करके चला गया,"

"क्या मतलब की मर गया होगा लाश मिली की नही "

"नही मिली पागल हो गए हो जब तुम कह रहे हो की उसे बम से उड़ा दिया तो लाश तो मिलनी ही चाहिए थी…"

"और ढूंढो ,,,वो कोई आम आदमी नही है ,इस स्टेट का राजा है और अब दो मंत्रियों का भाई ..जगह जगह पोलिस और आर्मी तुम लोगो की तलाश में निकल पड़ी होगी जाओ और ढूंढो उसे "

पुनिया ने फोन पटका,अगर अजय जिंदा होगा तो उसका क्या हाल करेगा ये सोच कर ही उसकी रूह कांप जा रही थी ,.और अगर वो मर गया तो उसके परिवार वाले एक एक को चुन चुन कर मरेंगे ….

"ओफ़ अब क्या करू"पुनिया के मुह से अनायास ही निकला



इधर

ठाकुरो की हवेली में मातम परसा हुआ था,अखबारों की मुख्य खबर अजय की मौत ही थी,निधि पागलो जैसे घुमसुम सी बैठी थी वही बाकी लोगो का भी हाल बुरा ही था,जैसे रोते रोते आंसू सुख चुके हो ,मातम और सांत्वना का दौर कई दिनों तक जारी रहा लेकिन फिर भी अभी तक कोई भी पूरी तरह से सही नही हो पाया था,गार्डन में बाली और डॉ बैठे हुए बात कर रहे थे

"अब सोचता हु की सोनल और विजय की भी शादी कर ही दु ,घर के थोड़ी रौनक तो वापस आएगी ,बच्चों के चहरे अब देखे नही जाते "

बोलते बोलते बाली की आंखे नम हो गई थी

"हूऊऊ लेकिन क्या तुम्हे पता है की उन्हें कोई पसंद है की नही "

डॉ की बात से बाली ने चहरा ऊपर किया और आश्चर्य से डॉ को देखने लगा ,डॉ एक गहरी सांस लेकर कहने लगा

"सोनल नितिन को पसंद करती है वही अजय खुसबू को पसन्द करता था,जो हाल इस घर का है वही हाल अभी उस घर का भी है,अगर तिवारी मान जाए तो मेरी मानो और सोनल और नितिन की शादी कर दो ,दोनो परिवारों में खुसी थोड़ी तो लौटेगी और शायद इस रिस्ते के लिए सोनल भी ना ना कहे .."

बाली गहरे सोच में पड़ जाता है

"देखो जंहा तक मैं समझता हु इस स्थिति में यही उचित होगा ,...सोनल को मनाना ही पड़ेगा ,मुझे डर तो निधि का है अजय के जाने के बाद वो तो मुर्दो की तरह से हो गई है ...अगर ऐसा ही चला तो ….उसे कही बाहर ले जाओ ,सुना है पास के ही गांव में एक बाबा जी ठहरे हुए है कुछ दिनों से उनके पास चलते है …"

"हम्म्म्म कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना सभी फूल यू ही मुरझा जाएंगे "

बाली अपने मन ही मन कहता है….



सोनल और नितिन पूरे परिवार के सामने खड़े थे,

"लेकिन बाली ये दोनो तो भाई बहन है,"महेंद्र ने जोर देकर कहा

"जब इन्हें प्यार हुआ तो इन्हें भी कहा पता था की ये दोनो भाई बहन है "बाली ने अपनी बात रखी

सभी घर के सबसे बुजुर्ग रामचन्द्र तिवारी जो की सोनल के नाना और नितिन के दादा थे की ओर देखने लगे,

"बेटा प्यार ना जात देखता है ना ही धर्म ना ही रिस्ते ये तो बस हो जाता है,इनकी बात मान लो घर में थोड़ी खुसी तो आएगी"रामचंद्र ने नम आंखों से कहा,

वही खड़ी खुसबू जो की सुबक रही थी अपने दादा के नजदीक जाकर उनसे लिपट गई और अपने पिता की ओर देखते हुए बोली

"मैं भी अजय से प्यार करती थी पापा ,लेकिन अब वो नही रहे ,दादा जी सही कहते है अजय जी ने भी मुझे समझाया था लेकिन प्यार कुछ भी तो नही देखता ,इन दोनो की शादी अजय का भी सपना था…"

सभी की स्वीकृति तो मिल गई लेकिन सोनल शादी को तैयार नही हो पा रही थी ,डॉ की सलाह पर सभी पास के गाँव वाले बाबा जी के पास जाने को राजी हो गए ,बाबाजी जो की हिमालय से आये थे और देश का भ्रमण कर रहे थे,वो अभी पास ही के गांव में थे,वो इस इलाके में कुछ दिनों से घूम रहे थे कभी गायब हो जाते तो कभी फिर से आ जाते,लोगो में इनकी ख्याति फैल रही थी ,सभी परिवार उनके पास पहुचा जो की गांव के सरपंच के घर रुके हुए थे,लेकिन निधि वँहा जाने को राजी ही नही थी ,जब वो वापस आये तो सोनल शादी को राजी हो चुकी थी ,विजय अपनी बहन को भी दुख से उबरना चाहता था इसलिए जबरदस्ती निधि को बाबा जी के पास ले गया,उस समय बाबा जी अपने कमरे में बैठे हुए ध्यान में मग्न थे,उनकी लंबी चौड़ी काया देखकर वो किसी पहलवान से लगते थे,घनी दाढ़ी में उनका चहरा छिपा हुआ था लेकिन चहरे का तेज सभी तक पहुचता था,निधि और विजय के आने के बाद ही उन्होंने अपनी आंखे खोली निधि और उनकी आंखे मिली जैसे एक झटका निधि को लगा,वो वही पर बैठ गई और बाबाजी के चहरे को ध्यान से देखने लगी उसके ऐसे देखने पर बाबा मुस्कुराए और सभी को जाने का आदेश दिया,वँहा अभी बस निधि विजय और बाबा जी ही थे,

"ऐसे क्या देख रही हो …"

"आपकी आंखे किसी को याद दिलाती है"निधि का स्वर रुंधा हुआ था जबकि बाबा जी के चहरे में मुस्कान यथावत थी

"किसकी "

"मेरे भइया की ,"

"अच्छा "बाबाजी के चहरे की मुस्कान और भी चौड़ी हो गई निधि ने विजय को देखा तो वो भी मुस्कुरा रहा था निधि को समझते देर नही लगी वो उठी और भागी,बाबा से लिपट गई,वो अभी भी पद्मासन लगाए बैठे थे वो गिर गए थे और निधि उनके ऊपर थी ,निधि ने उनके गालो पर दो तमाचे जोर जोर के जड़ दिए ,निधि की आंखों से सैलाब बाहर आ रहा था वो कुछ भी बोलने और करने की स्तिथि में नही थी,बाबा ने उसके मुह को चूमा लेकिन वो हट गई

"अरे ऐसे गुस्सा क्यो हो रही हो …"

चटाक ,फिर से एक झापड़ अजय के गालो में था

"अरे बाबा माफ करो "

चटाक

"अब "

चटाक

अजय हार गया और निधि को अपनी बांहो में जकड़ लिया और निधि के गालो में प्यार भरी पप्पी ले ली,

इधर विजय भी ये सब देखकर इमोशनल हो गया था,बहुत देर तक वो ऐसे ही लेटे रहे निधि उठी और जाने लगी

"अरे रुको तो क्या हुआ "

चटाक ,निधि ने रोते हुए अजय को चुप रहने का इशारा किया ,और उसकी दाढ़ी को खिंचा

"आउच दर्द होता है रुको "लेकिन निधि कहा मानने वाली थी उसने इतने जोर से अजय की दाढ़ी को खिंचा की अजय के त्वचा से खून आने लगी और निधि के हाथो में उसकी दाढ़ी थी ,निधि उसके पास ही बैठी और उसके गालो को सहलाया अजय के होठो में एक मुस्कान और 'चटाक चटाक चटाक '

निधि रोटी रही और तब तक अजय को मरती रही जब तक की वो थक ही नही गई और फिर रोते हुए ही फिर से अजय के सीने से लिपट गई ,



"ये सब क्या है भइया आप ने मेरी जान ही निकाल दी थी,आप खुद को समझते क्या है कुछ भी करोगे और कभी सोचा है की हमारा क्या होगा ,कभी मेरे बारे में या खुसबू के बारे में सोचा अपने वो बेचारी पत्थर जैसी हो गई है ,लेकिन इसकी आपको क्या परवाह होगी …"अजय बस निधि के बालो को सहलाता रहा उसके पास बोलने को था भी कुछ नही उसे पता था की उसकी प्यारी बहन किस दुख से गुजरी है,उसकी आंखों में भी आंसू थे लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी तो पड़ता है ,



अब अजय ने फिर से अपनी दाढ़ी लगा ली थी और निधि उसके सामने ही बैठी थी,वो हल्के हल्के मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी,

"अब बताओगे की ये सब क्या है…"



"ह्म्म्म असल में जिसने हमे किडनैप किया ,जिसने हमारे माता पिता की जान ली उस पुनिया का सुराग इकठ्ठा करने के लिए मैं इस रूप में यहां रह रहा हु,अभी तक ये बात बस डॉ को पता थी ,असल में ये उनका ही प्लान था,डॉ के दोस्त विकास जो की अब IAS बन चुके है,वो पहले पास के ही कस्बे में कुछ दिन फारेस्ट अधिकारी के रूप में काम करते थे,उस समय वो पुनिया और जग्गू से मिले थे,तब तक उनके साथ सबकुछ ठिक ही चल रहा था ,फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ की वो दोनो ही गायब हो गए,मुझे इतनी जानकारी विकास जी ने दी ,हमने पता लगाने की बहुत कोशिस की पर कोई भी सुराख नही मिल पा रहा था फिर मैं उस कस्बे में गया और वहां कुछ दिन बाबा बन कर रहा,बातो ही बातो में मैंने पता लगाया की आखिर क्या हुआ था,जो भी उनके साथ हुआ वो सचमे दुखदाई था,पुनिया और जग्गू बहुत ही अच्छे दोस्त थे,और खुशहाली से रहते थे,वो आम गांव के इंसानों की तरह ही थे,लेकिन आफत तब आयी जब वीरेंद्र तिवारी यानी हमारे मामा जी जो की अब नही रहे और बजरंगी चाचा,कलवा चाचा के भाई की नजर इनकी बीवियों पर पड़ी ,वो लोग ऐसे भी बहुत ही ऐयास किस्म के लोग थे,उन्होंने हर हाल में उनकी बीवियों को पाना चाहा नतीजा ये हुआ की वो उन्हें घर से उठा के ले गए और जग्गू और पुनिया कुछ भी नही कर पाए ,दोनो ने जब इसकी शिकायत बाली चाचा से की तो वो भी उन्हें समझा कर भेज दिए,बीवियां तो वापस आ गई लेकिन उसके बाद वो कभी भी उनकी नही रह गई,उनका उपयोग बजरंगी,विजेंद्र और यहां तक की बाली चाचा ने भी रंडियों की तरह करना शुरू कर दिया,ना ही पुनिया कुछ कर पाया ना ही जग्गू,आखिर पुनिया टूट ही गया और उसने जमकर विरोध किया जिसकी सजा सभी को मिली,दोनो के घर को जला दिया गया जग्गू के पैर काट दिये,पुनिया को एक बात पता चल गई थी की उसकी बीवी के साथ उन्होंने जबर्दति नही की थी बल्कि उसने ही अपने मर्जी से अपना जिस्म सौपा था वो पुनिया से खुस नही थी,उसने बदला लिया ,जब आग घर में फैली थी तो उसने अपनी पत्नी को मार दिया और अपने एक बेटे के साथ गायब हो गया,वही जग्गू भी कुछ दिनों के बाद वँहा से कही चला गया,सालो के बाद दोनो फिर से मिले अब पुनिया कोई साधारण आदमी नही रह गया है,वो नक्सलयो का सरदार है,और उनके जरिये ही हमारे ऊपर हमले करवाता आ रहा है,मैं पुनिया और जग्गू दोनो तक पहुचने में कामियाब रहा,लेकिन मैं उनको जड़ से खत्म करना चाहता था,क्योकि ना जाने इस साजिस में कौन कौन शामिल है,ये तो जाहिर है की हमारे परिवार वालो ने बहुतों के साथ ज्यादती की है अब ये मेरी जिम्मेदारी है की मैं इसे ठिक करू,ना सिर्फ पुनिया और जग्गू बल्कि ऐसे और भी कई परिवार हो सकते है,इनकी मदद कौन कर है मुझे ये पता लगाना था ,मुझे इनपर कोई भी गुस्सा नही रह गया है क्योकि इन्होंने अपने हक की लड़ाई लड़ी लेकिन एक स्टेज में जाकर हिंसा गलत हो जाती है,जिन्हें उन्हें सजा देनी थी वो दे चुके है,उन्होंने वीरेंद्र मामा को मारा,लेकिन हमारे माता पिता तो बेकसूर थे,अब वो दोनो ही हमारे पूरे परिवार के दुश्मन है….उनकी नफरत हमारे परिवार की सभी लड़कियों के ऊपर है ,जो हमारे परिवार के मर्दो ने उनकी बीबियों के साथ किया था अब वो हमारी औरतों के साथ करना चाहते है,इसलिए मुझे सभी का पता लगाना था,कोई हमारे परिवार के अंदर रहकर भी उनकी मदद कर रहा है,और वो अजय बनकर नही हो सकता था ,तो मैंने और डॉ ने ये खेल खेला,मैं अजय के रूप में उनके एक अड्डे में गया ,हमने सब कुछ प्लान किया हुआ था की जैसे ही वो बम्ब फोड़े मुझे खुद जाना है ,डॉ के आदमी वँहा मुझे बचने के लिए मौजूद थे और मैंने कपड़े भी ऐसे पहने थे की मुझे ज्यादा चोट नही आयी,मैं सुबह गायब हुआ और शाम को फिर से बाबा बन कर दूसरे गांव में चला गया,बाबा बनकर इनके बीच ही रहकर सब कुछ पता लगाना बहुत आसान है,..."



अजय की बातो को निधि बड़े ही ध्यान से सुन रही थी,



"आप क्या भूल गए की मैं एक मंत्री हु ,आप बस बोलो की ये पुनिया है कौन मैं स्टेट की पूरी पोलिस लगा दूंगी "निधि के आंखों में गुस्सा था,



"नही निधि अब और गलती नही कर सकते,हा मैं जानता हु की पुनिया और जग्गू कौन है और कहा है लेकिन इनको पकड़ना कर मार देने से कुछ नही हो जाएगा,हमे जड़ तक इन्हें साफ करना होगा"

निधि मन मसोज के रह गई

"और किन्हें पता है की आप जिंदा हो ,क्या खुसबू जानती है…"

"नही खुसबू को कुछ दिन और ना ही पता चले तो बेहतर है,पहले बस डॉ को ही पता था ,कल सोनल और विजय को भी पता चल गया,और आज तुम्हे,बस लेकिन देखो मेरी याद में रोना मत छोड़ना नही तो सभी को शक हो जाएगा "निधि जाकर अजय से लिपट गई …………..
 
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अध्याय 78


विजय घर की छत पर खड़ा हुआ अपने गांव का नजारा देखता हुआ,सिगरेट पी रहा था,रात के 11 बज चुके थे घर में एक सन्नाटा छा चुका था,अजय के जाने के बाद से ही ये माहौल था,उसे अब पता था की अजय कही नही गया है लेकिन फिर भी वो ,सोनल और निधि अपने को थोड़ा दुखी ही दिखाते थे,..

वो बड़े दिनों से ही परेशान चल रहा था आज वो बड़े दिनों के बाद शांति से सिगरेट के कस लगा रहा था,उसे किसी के आने की आवाज सुनाई दे,पायलों से ये तो समझ आ चुका था की कोई लड़की ही होगी,

"कहा कहा ढूंढ रही हु तुझे और तू यंहा पर है,ला इधर दे "सोनल को देखकर विजय ने अपना सिगरेट फिर से निकाल लिया जो की वो थोड़ा छुपा लिया था था,सोनल ने उसके हाथो से सिगरेट छीनकर कस लगाने लगी ,और दीवाल के पास खड़ी होकर देखने गांव की तरफ देखने लगी,विजय ने उसे पीछे से जकड़ लिया ,और अपना सर उसके कन्धे पर रख दिया ,

"आज बहुत दिनों के बाद चैन आया "विजय उसे जोरो से अपने शरीर से चिपकाते हुए बोला ,

"हम्म मुझे भी ,तुम्हारे लिए तो जैसे मैं गायब ही हो गई थी ,इतने दूर रहते थे तुम मुझसे "

सोनल ने भी अपने भाई के बालो में हाथ फेरा,

"क्या करू यार पहले चुनाव फिर भाई की ये खबर ,...कुछ समझ ही नही आता था की क्या करू,अब सुकून है बस भाई इसे जल्दी से खत्म करे फिर हम पहले की तरह जिंदगी जी पाएंगे,बना किसी की फिक्र के एक दूसरे की बांहो में …"विजय बड़े ही प्यार से सोनल के गालो में हल्की सी पप्पी लेता है,

"हम्म लेकिन क्या तुम भूल गए की मेरी भी शादी हो रही है ,फिर मैं यंहा थोड़ी ना रहूंगी "सोनल की आवाज थोड़ी गंभीर थी,जिसे सुनकर अचानक ही विजय को याद आया की जिस बहन के साथ उसने बचपन बिताया था ,जिसके साथ जवानी के रंग देखे थे वो जाने वाली है,ये सोच कर ही विजय की आंखे भर आई ,वो अपने होठो को सोनल के कंधे पर रख कर सोच में डूब गया था,उसके आंखों से एक बून्द टपककर सोनल के कंधों में गिरा जिसका गिला अहसास सोनल को उसके मनोदशा के बारे में सचेत कर रहा था,वो पलटी और विजय की आंखों में देखने की कोशिस करने लगी वही विजय उससे आंखे बचा रहा था,

"इधर देख "सोनल ने विजय के चहरे को उठाया और उसकी आंखों में देखा ,

"ओह मेरा शैतान सा बहादुर भाई आज रो रहा है,"सोनल के चहरे में हल्की मुस्कुराहट थी जो अपने भाई के प्यार को देखकर आयी थी,

"मैं कहा रो रहा हु ,वो बस आंखों में थोड़ा कचरा चला गया "विजय का स्वर भरा हुआ था लेकिन उसने बहुत कोशिस की कि वो ठिक से बोल पाए ,

"अच्छा"सोनल की मुस्कान थोड़ी और बढ़ गई और वो उसके सीने से लागकर उसके आंखों से बहते हुए पानी को अपने होठो में समा लिया ,वो विजय के गालो को प्यार से सहलाने लगी ,विजय का हाथ भी अब उसकी कमर को थाम चुका था,वो और नजदीक आयी ,अब उसका चहरा विजय के चहरे के पास ही था,वो हल्की सी फूक विजय के आंखों में मारी ,जिससे विजय के चहरे में भी एक मुस्कान आ गई ,

"शैतान कही की "विजय ने हल्के से कहा,

"अब ये शैतानियां अपने पति को दिखाना वही सम्हालेगा तुझे "विजय थोड़ी हँसने की कोसिस करने लगा लेकिन उसका गला अब भी भरा हुआ था,

"भाई रो ले ,मैं जानती हु तुझे रोना आ रहा है"

"मुझे क्यो रोना आएगा "विजय लगभग रोते हुए बोला ,जिससे सोनल थोड़ी हँस पड़ी वो जानती थी की विजय उसे कितना प्यार करता है और उसके जाने की बात सुनकर वो कितना भावुक हो गया है,

"अच्छा तो जब मैं शादी कर के चली जाऊंगी तो मुझे याद करेगा ना "सोनल ने उसके गालो को सहलाते हुए कहा,

"चुप कर अब "विजय का बांध टूट पड़ा वो सोनल को कस कर जकड़े हुए रोने लगा,सोनल के चहरे में एक मुस्कुराहट थी लेकिन उसकी आंखे गीली थी ,वो विजय के बालो को सहलाये जा रही थी ,और विजय इस लंबे चौड़े खतरनाक आदमी को देखकर कोई कैसे कह सकता था की वो अपनी बहन की बांहो में किसी बच्चों की तरह रो रहा होगा,

"मेरा प्यारा भाई चुप हो जा "

सोनल उसे बच्चों जैसे ही पुचकारने लगी ..

"अच्छा पहले रुलाती है फिर चुप करा रही है,कामिनी तू तो पति के साथ जाकर खुस हो जाएगी और कभी सोचा है की तेरा भाई तेरे बिना कितना अकेला हो जाएगा "वो सोनल को और भी कस लिया ,सोनल को इससे थोड़ा दर्द होने लगा लेकिन इस प्यार के सामने उस दर्द की क्या औकात थी,उसने भी अपने बांहो की पकड़ को और मजबूत किया और जंहा उसके होठ पहुचे वही को चूमने लगी ,विजय थोड़ा हटा और सोनल के चहरे को पकड़कर उसे चूमने लगा,उसके गीले होठो के कारण सोनल का पूरा चहरा लार से गीला हो रहा था लेकिन उसने विजय को नही रोका ,उसके चहरे में मुस्कान थी जो अपने भाई की इस बेताबी की वजह से थी…….

जब वो अलग हुए तो विजय थोड़ा गंभीर हो गया,

"क्या हुआ फिर के मुह लटका लिया तूने "

सोनल ने बड़े ही प्यार से विजय के बालो में हाथ फेरा,

"अब तू नितिन की अमानत है,तुझे खुलकर प्यार नही कर सकता "

सोनल विजय की बात का मतलब समझ गई थी ,वो हल्के से हँसी ,

"अच्छा खुलकर या खोलकर ? साले सब समझ रही हु तू क्या बोल रहा है,और किसने कहा की मैं किसी की अमानत हो गई हु,मैं नितिन से प्यार करती हु और उससे मेरी शादी होने वाली है इसका मतलाब क्या है,की मैं तुझसे दूर हो जाऊंगी,"

विजय सोनल के चहरे को देख रहा था जो की इस अंधेरे में भी खिला हुआ मालूम हो रहा था,

"लेकिन .."

"क्या लेकिन "सोनल ने उसका हाथ पकड़ कर अपने कमर में ठिका दिया,और धीरे से बोली

"जब तक मैं हु तब तक मेरे भाइयो का मुझपर पूरा हक है,.अगर मैं इस दुनिया में ना रही तो बात और है"

विजय ने उसके होठो में उंगली रख दी

"पागल हो गई है क्या ये क्या बोल रही है,"

"अगर जैसा निधि के साथ हुआ अगर मेरे साथ हो जाता तो ,...और अगर भैया की जगह कोई और होता तो "सोनल की आंखों में एक अनजाना सा डर दिख रहा था,

"अब वो नही बच पायेगा ,भैया को पता है की वो कौन है इसका मतलाब ये है की उसपर 24 घंटे नजर रखी जा रही होगी,अब हमे चिंता की कोई आवश्यकता नही है"

"फिर भी "

सोनल ने हल्के मूड में कहा ,

"मैं उसकी माँ चोद देता "विजय गुस्से में बोला

वही सोनल जोरो से हँसी ,

"तुझे चोदने के अलावा आता ही क्या है साले "

सोनल की हँसी और उसके बात करने के बिंदास अन्दाज ने विजय के चहरे को खिला दिया था,वो अपनी सोनल को ऐसे ही देखना चाहता था ,उसने सोनल के कमर को जोरो से भिचा ,सोनल के मुख से एक आह निकल गई,

वो आकर सीधे विजय के सीने से जा लगी ,विजय उसकी आंखों में देखने लगा और उसके हाथ उसके पीठ पर चलने लगे,सोनल ने अपना सर विजय के कंधे में रख दिया ,

विजय एक गहरी सांस लेकर आसमान की ओर देखता है,इस प्यार भरे मौसम में उसकी जान उसके बांहो में थी इससे ज्यादा उसे क्या चाहिए था ,वो भावनाओ से भर गया था और उसने सोनल के चहरे को उठाकर उसके होठो में अपने होठो को टिका कर उसके होठो के रस को चूसने लगा,जिस्म का मिलान में जब हवस गायब हो जाय तो वो प्यार बन जाता है कुछ ऐसा ही इनके साथ हो रहा था,

दोनो के ही आंखों में प्यार के मोती थे और होठो में एक दूजे के होठ,वो एक दूजे के बालो में अपनी उंगलिया घुमा रहे थे और उनकी सांसे एक दूजे की सांसो से टकरा रही थी ,दोनो के नथुने से आती गर्म हवा दोनो के चहरे में पड़ती हुई मुलायम अहसास दे रही थी ,जब दोनो ही अलग हुए तो दोनो के चहरे में मुस्कान और आंखों में आंसू थे,

वो फिर से होठो के मिलान में व्यस्त हो चुके थे,विजय का हाथ अब सोनल के भरे हुए नितम्भो तक को सहला रहा था ,जिससे विजय के लिंग में असर होने लगा,जब वो अकड़ कर सोनल के योनि के द्वार पर टकराने लगा तो अचानक ही विजय ने सोनल को झटके से अलग किया ,सोनल अब भी मुस्कुरा रही थी,

"अब क्या हुआ तुझे "

"अब नही हो पायेगा यार ,पता नही साला ये क्यो ऐसे तन जाता है बार बार "विजय को अपने ही लिंग पर आज गुस्सा आ रहा था,लेकिन उसकी इस बात से सोनल जोरो से हँसने लगी,

"तुझे कितने दिन हो गए सेक्स किये हुए "

उसकी बात से विजय थोडा चौका,लगता था की जमाना बीत चुका है,

"याद नही यार,बहुत दिन हो गए "

"अरे पगले ,जो आदमी एक भी दिन लड़की के बिना नही रहता था वो इतने दिनों से खाली है तो उसका लिंग तो अकडेगा ही ना ,और तेरी सभी छमिया लोग कहा मर गई आजकल "

"सभी को छोड़ दिया पता नही मन ही नही होता कुछ करने का"

सोनल अपने भाई के चहरे पर प्यार से हाथ घुमाने लगी ,

"तू जब ऐसा बोलता है तो मुझे तेरी चिंता हो जाती है,बोल नही करू क्या शादी…तेरे साथ रहूंगी जिंदगी भर "

सोनल की बात से विजय को उसके ऊपर बहुत प्यार आता है और वो उसके चहरे को पकड़ कर एक जोर की पप्पी उसके गालो में दे देता है,

"पगली कही की ,अब वो बात नही रह गई तेरे भाई में शायद मैं अब बड़ा हो गया हु "

"बड़ा या बुड्डा "सोनल फिर से खिलखिलाई

"क्या पता मेरी जान ,चल आज मेरे साथ सो ,अगर मन किया और कुछ हो गया तो बताना की बड़ा हुआ हु या बुड्डा "विजय ने शरारती अंदाज में कहा

"अरे मेरी जान तू कभी बुड्डा हो सकता है क्या,बस अब तू वो बच्चा नही रहा जिसे सिर्फ सेक्स चाहिए था ,नही तो अभी तक मुझे बचाता क्या ,बड़ा समझदार हो गया है मेरा भाई,लेकिन मुझे वो नासमझ वाला ही पसंद है "दोनो ही हँस पड़े और विजय के कमरे में चले गए
 

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