Adultery जादुई लकड़ी(completed)

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अध्याय 28

मैं थोड़ी देर बाद काजल के पास था ,ये वही जगह थी जंहा मैं पिछली बार आया था लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी ,पिछली बार मैं अनजाने में यंहा आया था लेकिन इस बार मैं जानबूझकर आया था,

उस तलघर या कहे गर्भगृह के अंदर अभी भी मसाले जल रही थी ,थोड़ी रोशनी अभी भी वंहा फैली हुई थी ,मैंने वंहा ना तो उस अघोरी जैसे इंसान को वंहा पाया ना ही चंदू मुझे वंहा दिखा ,लेकिन अभी भी रामु काका वैसे ही बंधे हुए थे और जिन्दा थे लेकिन बेहोश थे ,वही एक स्थान पर काजल मेडम भी वही बंधी हुई थी ...

मैंने सोचा की क्यों ना काजल मेडम से बात की जाए लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया की कैसे उस अघोरी ने मुझे पहचान लिया था हो सकता है की ये कोई जाल हो .........

मुझे डॉ की बात याद आयी की वंहा का रास्ता पता करो ,मैं इतने तेजी से वंहा आया था की मुझे पता ही नहीं था की आखिर मैं कहा पर हु ...

मैंने खुद को ऊपर उठाना शुरू किया ,सच पूछो तो ये उड़ने वाला एक्पीरियंस मुझे बहुत ही मजेदार लग रहा था ....

मैं ऊपर उठते उठते उस गर्भगृह की दीवारों को चीरता हुआ बहार आया ये एक गुफा थी जो की जंगल के बीच थी मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर मैं इस जगह के बारे में डॉ को कैसे बताऊंगा ...

मेरे थोड़े और ऊपर होने से मुझे शहर दिखाई देने लगा ,अब मुझे गूगल के सेटेलाइट व्यू की तरह नजारा दिख रहा था और यही आईडिया मेरे दिमाग को जला दिया ,यस मुझे गूगल मेप से इसका लोकेशन डॉ को भेजना चाहिए .........

मैं बहुत देर तक इधर उधर उड़ाते हुए उस जगह की स्पेशल चीजों को नोट करता रहा ताकि मैं गूगल मेप में उन जगहों को अच्छे से मार्क कर सकू ..

मेरा काम हो चूका था और मैं अब फिर से अपने शरीर में था लेकिन इस बार शरीर में आने से मुझे एक अजीब सा अहसास हुआ ,वंहा क्या अहसास था ..........


थोड़े ही देर बाद मैं जल्दी से उस लोकेशन को गूगल मेप में ढूंढने लगा और उसे मार्क करके डॉ को सेंड कर दिया ...

और तुरंत ही उन्हें फोन लगाया

"डॉ काजल मेडम और रामु काका दोनों हो जिन्दा है ,मैंने लोकेशन आपको सेंड कर दी है "

"ओके मैं अभी पुलिस कमिशनर से बात करता हु और पूरी फाॅर्स लगा कर उन्हें बचाता हु ,उन्होंने तुम्हे देखकर रामु की बलि को रोका है इसका मतलब है की वो भी सतर्क होंगे ,इसलिए तुम घर में ही रुको .."

डॉ की बात सुनकर मैं जैसे मचल गया ...

"नहीं डॉ साहब जब ये सब हो रहा होगा तो मैं घर में कैसे रह सकता हु ,मैं भी फाॅर्स के साथ जाऊंगा शायद मैं कोई हेल्प कर सकू "

"नहीं राज तुम बात की गहराई को नहीं समझ रहे हो ,हो सकता है की उन्होंने काजल और रामु को इसीलिए जिन्दा छोड़ दिया है ताकि वो तुम्हे अपने कब्जे में ले सके "

"लेकिन मुझे क्यों ???"

"यार तुम समझते क्यों नहीं ,अभी तक मामला पैसो का लग रहा तह लेकिन अगर इसमें अघोरी शामिल है तो जरूर बात कुछ और भी होगी ,और एक ही बात हो सकती है तुम्हारी लकड़ी को हथियाना "

"लेकिन डॉ साहब ..."

"लेकिन वेकिन कुछ भी नहीं ,तुम घर में ही रुकोगे बात ख़त्म ..."

डॉ में फोन रख दिया ,लेकिन मैं बेचैन हो चूका था ,मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ,मुझसे रहा नहीं जा रहा था ...और मैं घर से निकल पड़ा ...

मैंने एक बाइक उठाई और गूगल मेप को देखता हुआ जंगलो के तरफ चल पड़ा,मैं छिपकर सब कुछ देखना चाहता था ताकि अगर जरूरत पड़े तो मैं बीच में आ कर कुछ मदद कर सकू ...

मैं थोड़ी ही दूर पंहुचा था की मुझे हेलीकाप्टर की आवाजे सुनाई देने लगी वो भी उसी दिशा में जा रही थी ,मैं समझ चूका था की डॉ ने पुलिस को फोन कर दिया है और वो काजल के रेस्क्यू के लिए निकल चुके है ...

मैंने गाड़ी तेज की लेकिन एक समय के बाद रोड ख़त्म हो चूका था ,मेरे पास एक ही रास्ता था वो ये था की मैं गाड़ी वही छोकर दौड़ लगा कर वंहा पहुंच जाओ ,जंगल घना था लेकिन मुझे जंगल में दौड़ने की आदत और अभ्यास हो चूका था ,मैंने दौड़ना शुरू किया ...

मुझे आधा घंटा लगा होगा वंहा पहुंचने में ,रेस्क्यू तीन गुफा के दरवाजे में पड़ा हुआ बड़ा सा पत्थर हटाने में व्यस्त थी ......

मैं झाड़ियों में छिपकर ये सब देख रहा था ,मुझे समझ नहीं आया की मैं क्या करू ,मैंने तुरत ही अपने लकड़ी को चूमा और फिर से अपने शरीर को छोड़कर गुफा की और चला गया,मैं अब गुफा के अंदर ही था ...

काजल मेडम तो वैसी ही नंगी बंधी हुई थी लेकिन मैं आश्चर्य से भर गया था की चंदू वंहा हाथ में तलवार लिए,नंगा खड़ा था .......

उसने मेरे देखते ही देखते रामु काका के गर्दन को धड़ से अलग कर दिया,गले की नशो से खून की धार फुट पड़ी ,काजल मेडम अब भी बेहोश थी ,चंदू ने एक कपाल में वो खून एकत्र किया ....

और पता नहीं कौन सा मंत्र पढ़ा ...देखते ही देखते उसका चेहरा लाल होने लगा था उसने खून के कुछ छींटे उस काले पत्थर से बनी मूर्ति के पैरो में छिड़के और वंहा काजल मेडम को वैसे ही छोड़कर जाने लगा ...

वो एक दूसरे रस्ते से गुफा के बहार चला गया था ...

वही बहार खड़े गार्ड पत्थर हटाने में कामियाब हो गए थे ,मुझे समझ नहीं आया की चंदू ने आखिर ये कर्मकांड पूरा क्यों नहीं किया ,नियमतह उसे काजल के साथ सेक्स करना था लेकिन वो बहार निकल गया था ......

मैंने चंदू का पीछा किया वो मेरे ही शरीर की तरफ बढ़ रहा था ,मैं अब भी शरीर से बहार था ,मैं तुरंत ही अपने शरीर में वापस आ गया लेकिन ये क्या ......

मेरे आंख खोलते ही अघोरी ने मेरे छाती पे अपना त्रिशूल घुसा दिया ,मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसने मेरे गर्दन में बंधी हुई जादुई लकड़ी को खींचकर मुझसे अलग कर दिया .....

मेरे मुँह से अभी शब्द भी नहीं फूटे थे और त्रिशूल फिर से मेरे सीने में धंस गया था

अघोरी मुझे देखते हुए जोरो से हसने लगा ..

"मुझे पता था की तू वापस यंहा जरूर आएगा उस लड़की को बचाने के लिए,इसलिए मैंने चंदू से उसके बाप की बलि ही दिलवाई क्योकि अब इस लकड़ी के मदद से मुझे और भी ज्यादा शक्तिया मिल जायेगी .."

वो हँसाने लगा ,डॉ सही थे ये मेरे लिए बिछाया गया एक जाल था जिसमे मैं फंस चूका था ...

थोड़े देर में ही चंदू वंहा आ पंहुचा था उसके हाथो में वो खून से भरा कपाल था ,

वो मुझे देखकर हँसाने लगा ..

"मादरचोद अब देख मैं तेरे परिवार वालो का क्या हाल करता हु इन शक्तियों से ,और एक बात और भी सुन ले मैं तेरा कोई भाई नहीं हु ,तेरा बाप मेरा पिता नहीं है ,मेरा बाप तेरे बाप की तरह चूतिया नहीं हो सकता जो आज तक मुझे अपना बेटा मान कर पाल रहा था ..."

तभी अघोरी ने उसे टोक दिया

"चंदू ये खून तुझे ताजा ताजा ही पीना है बकवास बाते करके देर मत कर "

और उसने मेरे जादुई लकड़ी को खप्पर में डाल दिया जिसमे पहले से कोयले के अंगारे मौजूद थे ,देखते ही देखते वो लकड़ी जल कर राख हो गई और अघोरी ने बड़ी सावधानी से वो राख एकत्रित करे उस खून में मिला दिया ..

"इसे पी शैतान तेरे अंदर आ जायेगा और उसके बाद तू स्त्री सम्भोग से उसे खुश कर ताकि तुझे वो अपनी शक्तिया दे दे ..."

चंदू ने अपने हाथ में रखे कपाल को अपने मुँह में लगाया ,लेकिन उससे पहले उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,मेरा खून बुरी तरह से बह रहा था मेरी आंखे धुंधली होते जा रही थी ,

"तू सोच रहा होगा की अब तक तो काजल उन पुलिस वालो के हाथ लग चुकी होगी फिर मैं किस्से सम्भोग करके शैतान को खुश करूँगा ...तो सुन मैं आज तेरी माँ और उस रंडी नेहा से शैतान का सम्भोग कराकर उसे खुश करूँगा "

वो एक शैतानी हंसी में हंसा लेकिन उसके वाक्य से मैं बुरी तरह से डर गया था ,मैंने उसे पकड़ने के लिए अपने हाथ हो आगे बढ़ाया लेकिन अघोरी ने मेरे हाथो में अपना त्रिशूल घुसा दिया ,मेरा शरीर आखरी बार फड़फड़ाया मैं बेहोश होने वाला था उससे पहले मैंने आंखे बंद की और खुद को अपने शरीर से बहार निकालने का प्रयत्न किया ,मेरे पास वो लकड़ी नहीं थी लेकिन मेरे पास मेरा अनुभव था वो अनुभव जो मैंने इतने दिनों में सीखा था ,मैं अपने शरीर से बहार हो चूका था,अघोरी मेरे सूक्षम शरीर को देख कर मुस्कुराया ..

"अच्छा है की तू मरने से पहले अपने शरीर से बहार आ गया अब तू उन्हें लुटाते हुए देखना ,लेकिन तब तक तेरा शरीर मर चूका होगा ,चंदू अब जल्दी कर इसका सूक्षम शरीर भी अपनी बर्बादी देखने को यंहा मौजूद है "

चंदू ने इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ भी नजर नहीं आया ,वो इस बात को सुनकर की मैं ये सब देखने को मौजूद हु बहुत ही ज्यादा खुश हो गया और तुरंत ही आधा खून पी गया ,अघोरी ने उसे तुरंत ही रोका

"पूरा नहीं आधा मेरे लिए भी रखना है ,तेरे सम्भोग के बाद शैतान का वीर्य इसमें इकठ्ठा करना है मुझे इस खून में वो मिल जाएगा तो फिर ये वो बन जायेगा जिसकी मुझे सालो से तलाश थी ..."

चंदू ने आधा खून अघोरी को दे दिया था ...

अघोरी ने उसे अपने पास रख लिया और चंदू का हाथ पकड़ कर उसे एक और ले जाने लगा ,मैंने देखा की हेलीकाफ्टर अब वापस उड़ रहे है ,वो लोग जा चुके थे ,लेकिन कुछ पुलिस वाले अब भी वंहा रुके थे जो शायद कातिल को ढूंढने में लगे हुए थे ,लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं होने वाला था अघोरी और चंदू दूर जा चुके थे,चंदू के हाव भाव बदल रहे थे उसके ऊपर शैतान समां रहा था ,अघोरी उसे दूसरी गुफा में ले गया ...

"हे शैतान यंहा दो औरते बंधी है जिससे सम्भोग करके आप अपना वीर्य मुझे दीजिये "

चंदू के अंदर का शैतान मानो ख़ुशी से झूम गया हो वही मैं निसहाय बस ये सब होता हुआ देख रहा था ,चंदू और अघोरी दोनों ही अंदर गए साथ में मैं भी वंहा दो औरतो को एक दूसरे के बाजु में एक बिस्तर नुमा बड़े से पत्थर पर बंधा गया था ,उसे देखते ही चंदू की लार टपकने लगी थी ,वो दोनों ही औरते पूरी नंगी थी ..

लेकिन उसे देखकर मैं बेहद ही आश्चर्य में पड़ गया ...चंदू उस ओर ही बढ़ने लगा लेकिन वो चंदू नहीं बल्कि उसके अंदर का शैतान था ,अगर चंदू उसकी जगह होता तो वो कभी उनके ओर नहीं बढ़ता क्योकि वो शबीना और कान्ता मौसी थे ...

मैंने अघोरी को देखा उसने मुझे देखा ...

"मैं ताकत चंदू के लिए नहीं अपने लिए चाहता हु ,तेरी बहनो और माँ को लाना बहुत ही मुश्किल काम था लेकिन इन दोनों रंडियो को बस इतना कहना पड़ा की चंदू ने इन्हे बुलाया है ये दौड़ी चली आयी ,अब चंदू अपनी ही माँ को चोदेगा..."

वो हंसने लगा था ,

"मुझे माफ़ कर दे चंदू लेकिन मैं इस ताकत को पाने की कोशिस सालो से कर रहा हु ,और अब ये ताकत मेरी होगी ,"

अघोरी ने मेरी ओर देखा

"फिक्र मत कर थोड़ी देर में चंदू भी तुझे देख पाएगा क्योकि शैतान के सम्भोग के बाद शैतान उस शरीर को भी मार देता है जिसका आलंबन उसने लिया हो ,मतलब की सम्भोग के बाद शैतान चंदू को भी मार देगा "

वो फिर जोरो से हंस पड़ा था .......

मैं उस ओर देखने लगा ,


"बेटा चंदू ये क्या हो रहा है .."

चंदू को देखकर कान्ता बोल उठी ,लेकिन चंदू ने बिना कुछ बोले ही कान्ता के शरीर में अपनी जीभ फेर दी ,उसकी जीभ सामान्य से ज्यादा लम्बी थी ,और लार उसमे से चुह रहा था ,

"बेटा ये क्या कर रहा है नहीं बेटा "

कान्ता रोने लगी थी लेकिन चंदू किसी भूखे की कुत्ते की तरह उसे चांटे जा रहा था ,उसका लिंग अकड़ कर विशाल हो चूका था वो किसी बेलन की तरह मोटा था और उसकी नशे जैसे अभी फटने वाली हो,खून के प्रवाह से उसके लिंग की एक एक फूल चुकी थी ,वो गुर्राया ,उसका पूरा शरीर तन चूका था ,उसका शरीर ऐसे लग रहा था जैसे एक एक नश में खून उबलने को तैयार है ,उसकी भुलाये और पुरे शरीर की मांसपेशिया फड़कने लगी थी ,वो बहुत ही डरावना नजारा था ...

उसने दूसरे हाथ से पास ही बंधी शबीना के वक्षो को जोरो से दबाया वो उन्हें इतने जोरो से दबा रहा था की शबीना की चीख ही निकल गई ,

"चंदू ये क्या कर रहा है "

शबीना छटपटाने लगी लेकिन उसके हाथ उसके सर के पीछे बंधे थे वही उसके पैर खुले हुए थे ,वो उन्हें इधर उधर पटकने लगी ,लेकिन चंदू को कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था ,वो बुरी तरह से उसे मसले जा रहा था और अपने मुँह से कान्ता के वक्षो को मुँह में लेकर चूस रहा था कभी कभी वो उसे बेदर्दी से काट देता

"बेटा नहीं ...बेटा मैं हाथ जोड़ती हु रुक जा मैं तेरी माँ हु ,मैंने तुझे जन्म दिया है रुक जा बेटा "

कान्ता चिल्लाई लेकिन चंदू ने उसके वक्षो पर अपने दांतो को इतने जोरो से गड़ाया की कान्ता के होठो से एक चीख निकल गई ,उसे देखकर मेरा दिल भी द्रवित हो चूका था लेकिन अघोरी ये सब देखकर और भी खुश हो रहा था ..

चंदू ने बिना देर किये अपने लिंग को अपनी माँ की योनि में रख दिया

"नहीं बेटा चंदू नहीं ...तू मेरा बेटा है मैं तेरी माँ हु नहीं "

वो बोलती रही लेकिन उसकी बात सुनने वाला चंदू यंहा मौजूद नहीं था ..

चंदू ने एक जोर का धक्का लगाया और उसका विशाल लिंग उसकी माँ की योनि की दीवारों को चीरता हुआ सीधे अंदर घुस गया ..

"नहीं ....."

कान्ता की चीख से तो पत्थर भी दहल जाते

"माँ .."

चंदू ने कहा वो थोड़ा अलग हुआ,शायद कान्ता की आवाज ने चदु को वापस अपने शरीर पर काबू करने का मौका दे दिया था ..

"माँ ये .."

उसने कहा ही था की चंदू ने फिर से अपने कमर को जोर से धक्का दिया ..

"आह नहीं बेटा .."

कान्ता फिर से चिल्लाई

"माँ ये मैं नहीं हु ..मेरा शरीर "

"नहीं ..."

इस बार शबीना थी चंदू ने उसके वक्षो पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे ,चंदू शायद अपने शरीर में काबू पाने की कोशिस कर रहा था लेकिन शैतान के सामने उसकी क्या मजाल थी ..

"बेटा नहीं .."

चंदू के बुरी तरह से दिए गए धक्के के कारण कान्ता चीला उठी चंदू ने उसके कंधे में अपने दांतो को गड़ा दिया था ,कान्ता की हृदयविदारक चीख से मेरा दिल दहल गया था ,मैं अब अपने शरीर में वापस नहीं जा सकता था लेकिन मैं चंदू की मदद तो कर सकता हु ...

मेरे दिमाग में अचनक से ये बात आ गई ,शायद मैं चंदू के शरीर में घुस सकता हु

मैंने बिना देर किये उसमे घुसने का प्रयत्न किया और मैं उसमे समा भी गया था ,उस शरीर पर मैं काबू नहीं पा सकता था ,शैतान बेहद ही ताकतवर था वो बार बार मुझे और चंदू को हटा कर वापस काबू ले लेता ..

"मेरी मदद कर राज मेरी मदद कर "

चंदू को शायद ये पता चल चूका था की मैं उसकी मदद कर रहा हु ,हम दोनों ने मिलकर एक साथ कोशिस की और इस बार हमने फिर से काबू पा लिया

"माँ ...तू फिक्र मत कर ,"

"मौसी आप फिक्र मत करो "

"आह आह बेटा "

कान्ता को चंदू बुरी तरह से पेल रहा था और उसके मुँह से गिरता हुआ लार कान्ता के शरीर को भिगो रहा था ,हम दोनों कभी कभी शरीर में काबू पा लेते थे लेकिन हम बोलने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहे थे ,वो भी थोड़ा थोड़ा ..

एक समय ऐसा आया की कान्ता के शरीर पर हर जगह काटने के निशान थे वो बेसुध हो चुकी थी ,चंदू ने उसे जोरो से चांटा मारा लेकिन वो हिल ही नहीं पाई ,

चंदू उसे वही छोड़कर शबीना के ऊपर आ गया ,

"बेटे मुझे बचा लो मैं समझ गयी हु इसे कोई बहुत प्रेत पकड़ लिया है ,और राज तू और चंदू इस शरीर में हो मुझे बचा लो मैं जिंदगी भर तुम्हारी गुलाम ...आह बचाओ "

शबीना बोल ही रही थी की चंदू ने अपना लिंग उसके अंदर घुसेड़ दिया था ,मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं बुरी तरह से थक चूका हु ,मेरे पास अब सैतान के ऊपर काबू पाने की शक्ति नहीं रह गई ही वही हाल चंदू का भी था ,पुरे शरीर पर शैतान का ही राज हो गया था कभी कभी ताकत लगा कर चंदू वापस काबू पाता लेकिन उसकी कमर चलते रहती थी ,वो शबीना के शरीर को जोरो से कांट भी रहा था लेकिन उसके आँखों में आंसू आ रहे थे ...

मैंने शरीर छोड़ना ही बेहतर समझा मुझे समझ आ चूका था की हम मिलकर भी उससे नहीं जीत शायद अगर चंदू भी मेरी तरह किसी प्रयास से उस शरीर में आया होता तो बात अलग थी लेकिन यंहा बात अलग थी शरीर उसका था जिसमे दो रूहो ने प्रवेश कर लिया था ...

जब शबीना भी चूर हो गई थी चंदू ने उसे जोरो से मरना शुरू कर दिया जैसे जो भड़क गया हो ,वो गुर्राने लगा ,उसका शरीर फड़फड़ा रहा था ,मैं बहार निकल चूका था

"हे शैतान अपना वीर्य इस स्त्री के अंदर छोडो ,माँ की योनि में बेटे का वीर्य होगा तो शैतानियत और भी बढ़ जायेगी "

शैतान शबीना को छोड़ कान्ता की ओर बढ़ा ...

"नहीं ऐसा मत करो "

चंदू चिल्लाया शायद उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी क्योकि उसका शरीर थोड़े देर के लिए रुक गया था लेकिन बस थोड़े देर के लिए ,

कान्ता के आँखों से आंसू टपक रहा था वही चंदू की आँखों से भी आंसू टपक रहा था ,अब कान्ता कोई भी हरकत नहीं कर रही थी वो एक लाश की तरह पड़ी हुई थी ,और चंदू उसे बुरी तरह से नोचे जा रहा था ,और एक बार वो जोर से गुर्राया उसका पूरा शरीर जैसे तन कर फटने वाला हो,उसने अपनी माँ के होनी में गाढ़े गाढ़े वीर्य की पूरी बरसात कर दी थी ,और फिर इसी बरसात में उसका शरीर फटने लगा चमड़ी तन कर फटने लगी और नश भी टूटने लगे उसका पूरा शरीर ही खून से लथपथ हो चूका था के एक कर उसकी हड्डियों के टूटने की आवाज आने लगी ,चंदू दर्द से चीख रहा था ,और शैतान उसका शरीर छोड़ रहा था लेकिन उसके शरीर छोड़ने पर चंदू का शरीर बुरी तरह से टूट रहा था उसके चीथड़े चीथड़े उड़ने लगे ,एक समय आया जब मैंने देखा की पूरा शरीर मांस के लोथड़े के अलावा कुछ भी नहीं रह गया था ,और चंदू की रूह बहार आ गई शैतान अभी भी उसके शरीर से बहार आ रहा था ,चंदू की रूह उड़ाते हुए दूर चली गई जैसे उसे होश ही नहीं हो ,वही उसका शरीर किसी विस्फोट की तरह फुट गया और चारो तरफ बाब मांस के लोथड़े फ़ैल गए ...

कान्ता के योनि से भी खून और वीर्य एक साथ बह रहा था ...

अघोरी जल्दी से वंहा पहुंचा और अपने हाथो में पकड़ी खोपड़ी में उस वीर्य और खून को इकठ्ठा करने लगा ,उसने एक लकड़ी से उसे मिलाया और एक ही साँस में उसे पी गया ..

वो पागलो की तरह हंस रहा था ,मनो उसे कोई बहुत ही बड़ा खजाना मिल गया हो ..

वो नाचता हुआ मुझे देखने लगा

"मुझे वो मिल गया जिसकी मुझे तलाश थी और अब तेरी किस्मत में तो बस भटकना ही लिखा है जब तक तेरी वक्तविक जिंदगी की उम्र पूरी नहीं हो जाती या कोई तुझे मुक्ति नहीं दे देता ,तू बस भूतो की तरह भटकता रह "

इतना बोलकर वो वंहा से निकल गया,मैं अपने शरीर के पास वापस चला गया खून पूरी तरह से बह चूका था ,लेकिन मेरा शरीर अब भी जिन्दा था लेकिन अगर थोड़े देर में मुझे उपचार नहीं मिलता तो शायद मेरा शरीर वही पड़े पड़े मर जाता ,पुलिस वाले पास ही थे लेकिन अपने काम में व्यस्त थे उन्हें कोई खबर नहीं थी की यंहा के लाश भी पड़ी है या कोई लाश बनने वाला है ,मेरा शरीर इस काबिल नहीं रह गया था की शरीर में जाने के बाद भी मैं चिल्ला पाता शायद शरीर में जाने के बढ़ मैं बेहोश ही रहता ,और शायद मैं बहार निकलना भी भूल जाता हो सकता था क्योकि चंदू की जब मौत हुई तो उसके रूह को इसकी खबर तक नहीं थी ...

तभी मेरे दिमाग में एक नाम आया जो शायद मुझे देख और सुन सकता था ..............





 
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10 XP

अध्याय 29

मेरा शरीर निचे पड़ा गया था और मैं बिलकुल मजबूर सा खुद को महसूस कर रहा था ,मेरे दिमाग में एक नाम आया और मैं तुरंत ही उसके पास पहुंच गया .......

मैं अभी अपने घर में था अपने कमरे में और टॉमी मुझे देखते ही भूका ,तो मेरा शक सही था ,टॉमी मुझे देख सकता था ,मैंने टॉमी से बात करने की कोशिस की असल में अब मैं और भी स्पस्ट बात कर पा रहा था ,टॉमी मेरी बातो को समझ भी रहा था ,मैंने उसे अपने साथ आने को कहा और उसे अपने शरीर के पास तक ले आया लेकिन .

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी पुलिस वाले जा चुके थे ,मेरे पास समय बहुत ही कम था तभी मेरे मन में एक बात आ गई ......

मैं टॉमी को लेकर वंहा पंहुचा जंहा अघोरी ने कांता और शबीना को मारा था वो दोनों अब भी जिन्दा थे लेकिन बहुत ही बुरी हालत में ..

मुझे तो खोपड़ी दिखाई दी जिसे पीकर अघोरी वंहा से चला गया था .......

"टॉमी उस खोपड़ी में कुछ है ,उसे हिफाजत से ले जाकर मेरे मुँह में डाल देना ,"

उस खोपड़ी में कुछ कुछ द्रव्य अब भी था जो की रामु(दी गई बलि ) के खून से,जादुई लकड़ी के राख से, शैतान के वीर्य से और कुछ खास शैतानी कर्मकांडो के द्वारा बनाया गया था ...

चाहे वो कितना भी घिनौना क्यों ना हो लेकिन अभी वो मेरे लिए अमृत हो सकता था मुझे नहीं पता था की उससे मेरे शरीर पर क्या असर होने वाला है लेकिन फिर भी मैंने ये दावा खेल दिया ...


टॉमी मेरी बात को समझता हुआ तुरंत एक्शन में आ गया और खोपड़ी को अपने दांतो से उठा कर मेरे शरीर के पास ले आया और उस द्रव्य को मेरे मुँह में डालने ही वाला था की मैंने अपने शरीर में प्रवेश कर लिया ..

द्रव्य जैसे ही मेरे मुँह में गया मेरे अंदर कुछ बदलने लगा ,मेरे शरीर के हर एक तिनके में जैसे कोई ऊर्जा उठने लगी ,पेट और साइन में गहरे घाव अभी भी थे लेकिन दर्द बहुत ही कम हो गया था ,मुझे तुरंत ही मेडिकल चिकित्सा की जरूरत थी ,मेरे शरीर में इतनी ताकत आ गई थी की मैंने तुरंत ही डॉ को कॉल लगाया और अपना लोकेशन बताया ,मैं अब भी चलने फिरने के हालत में नहीं था लेकिन मेरे अंदर कुछ तो हो रहा था ,कुछ ही देर में मदद भी पहुंच गई ,और मैंने उनके साथ टॉमी को भेजकर कांता और शबीना के लिए भी मदद जुटा दी ......

*******


कुछ दिनों बाद

मैं बिस्तर में पड़ा हुआ था सभी मुझसे मिलने आते जाते रहते थे ,डॉ ने मेरे कहने पर चंदू के DNA का टेस्ट करवाया ,क्योकि उसने मुझसे कहा था की वो मेरे पिता का खून नहीं है ,मैं देखना चाहता था की आखिर वो किसका खून है और ना ही वो मेरे पिता का खून था ना ही रामु का ,ना ही अब्दुल का ...

अब वो किसका बेटा था ये तो कांता मौसी ही जानती थी ,जो की कोमा की हालत में थी ,शबीना की हालत में थोड़ी सुधार आ रहा था लेकिन उसे भी नहीं पता था की आखिर चंदू किसका बेटा है ,असल में उसे तो यही लगता था की चंदू मेरे पिता का ही खून है ........

खैर मतलब साफ थी की जायजाद का अब कोई लफड़ा ही नहीं होने वाला है ,

लेकिन एक सवाल अब भी मेरे दिमाग में घूम रही थी की आखिर चंदू घर से क्यों गायब हो गया,और उसे क्यों कोई मेरे खिलाफ बहका रहा था,क्या अघोरी उसे इस्तमाल कर रहा था या फिर इसके पीछे कोई और था ,अब अघोरी अगर उसे इस्तमाल कर रहा था तो एक सवाल ये था की उसके पास इतने पैसे कहा से आये की वो इतने लोगो को मेरे पीछे लगा कर रखता ,नहीं ये सिर्फ अघोरी का काम नहीं था ,इन सबको जानने के लिए मुझे एक बार काजल से बात करनी थी लेकिन डॉ ने मुझे इस बात से मना कर दिया ,वो चाहते थे की मैं अपने दिमाग में ज्यादा जोर ना डालू जब मैं ठीक हो जाऊगा तो वो मुझे काजल से मिलवा देंगे ...

सब कुछ ठीक ही चल रहा था बस एक चीज के ,मेरे अंदर आ रहे परिवर्तन ,मेरे अंदर एक अजीब सी ऊर्जा मुझे महसूस होती जो की जादुई लकड़ी के कारण मुझमे आती थी लेकिन उसके साथ एक अजीब सी मानसिकता मुझे घेरे रहती थी ,मुझे ऐसा कभी नहीं लगा जैसे अब लगता था ,दुनिया को देखने का नजरिया परिवर्तित हो रहा था ,मेरे दिमाग में अजीबो गरीब ख्याल आते जिन्हे मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था .....

वो सभी मुझे शैतानी सी लगते थे ,शायद शैतानी ताकतों का भी असर मेरे ऊपर हुआ था ,ऐसे भी मैं शैतानी ताकत के कारण ही तो जिन्दा था ......

ना जाने आगे ये दो विपरीत उर्जाये क्या क्या खेल दिखने वाली थी ,मैं बहुत ही खतरनाक ताकत को ले कर चल रहा था और जैसे जैसे मेरा शरीर ठीक होता वैसे वैसे मैं खुद को और भी ताकतवर महसूस करता था ,सबसे ज्यादा सर मुझे तब लगा जब मैंने अपनी माँ के बदन को देखकर हवस से भर गया ,ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ था ,लेकिन अब ना जाने ये शैतानी ताकते मुझसे क्या क्या करवाने वाली थी .......???

:hyper:
 
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अध्याय 30

मुझे वार्ड में सिफ्ट कर दिया गया था और मैं अभी डॉ चूतिया के साथ बैठा हुआ था ,साथ ही काजल मेडम भी थी,

आज वो कमाल की लग रही थी ,गोरे गोरे हाथो में लाल लाल चुडिया थी ,एक सिंपल सलवार कमीज में मेरे सामने बैठी थी ,जो की उनके शरीर से पूरी तरह से कसा हुआ था,एक एक उभार साफ साफ दिख रहा था,और दोनों वक्षो के बिच की जगह कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रहे थे ,माथे पर लाल गढ़ा सिंदूर और होठो में हलकी लाली ,वाह क्या कहने थे ,

एक तो जबसे मैंने उस अघोरी के खोपड़ी में रखा हुआ द्रव्य पिया था तब से मेरे अंदर जैसे शैतान नाचने लगा था,औरतो को देखकर साला लिंग अकड़ सा जाता ,मुझे बस इन्तजार था छुट्टी होने का मैं निशा के ऊपर पूरी हवस निकालना चाहता था लेकिन सालो ने अभी भी वार्ड में ही रखा था ,शायद यंहा 3-4 दिन और लगने थे ..

"ऐसे क्या देख रहे हो मुझे"

"क्या बताऊ मेडम जी क्या बीत रही है मेरे अंदर ,ऐसे लगता है की ......."

मैं रुक गया सामने डॉ भी बैठे थे

"अच्छा क्या बीत रही है "

काजल मेडम ने अपनी ही अदा में कहा ,मैं थोड़े देर के लिए सोच में पड़ गया था ...

"आप जो गयी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने सीधे पीठ में खंजर मार दिया हो "

इस बार काजल का चेहरा थोड उतर गया ..

"मैं क्या करती राज मैं मजबूर थी .."

"वही तो मैं जानना चाहता था की आखिर वो कौन था जिसने आपको मजबूर किया था "

काजल ने डॉ को देखा

"काजल मुझे सब बता चुकी है राज फिर भी काजल एक बार राज को फिर से बता दो "

इस बार डॉ ने कहा था ..

काजल ने एक गहरी साँस भरी

"मुझे नहीं पता की वो कौन था ,मेरा काम जासूसी का है ,साथ ही मैं पैसे के लिए कुछ मिशन भी करती हु जो की लीगल न हो ,ये काम सरकारी और गैर सरकारी भी हो सकता है ,ये बात उसे पता थी और उसने मुझसे एक काम के लिए संपर्क किया ,काम सिंपल था मुझे लगा की कुछ दिन में हो जाएगा और मैंने भी हां कह दिया ,उसने मुझे यंहा बुलाया और टीचर का जॉब करने के लिए कहा ,साथ ही मेरा काम तुमपर नजर रखना और तुम्हे अपने जाल में फ़साना था ,मैं अपने काम में लग गई और सब कुछ सही जा रहा था लेकिन फिर उसने मुझे वकील के पास भेजा बात करने के लिए ,दूसरे दिन ही वकील का खून हो गया ,मैं शॉक थी क्योकि ये सब उसने ही करवाया था ,उसने मुझसे तुम्हारे और करीब जाने और तुम्हे मार डालने की बात कही,लेकिन ये मेरे वसूलो के खिलाफ था तो मैंने मना कर दिया तब तक मेरा परिवार उसके कब्ज़े में था ,मैं डर गई थी और मजबूर थी लेकिन फिर मुझे तुम्हारे ताकत का पता चला मुझे लगा की मुझे आईडिया मिल गया है ,मैंने तुम्हे डॉ और डागा के बारे में बता दिया ताकि तुम उन्हें ढूंढने की कोशिस करो ,मुझे यकीन था की जब तुम डॉ से मिलोगे तो वो तुम्हारी मदद करेंगे और ये भी समझ जायेंगे की मैं ये सब किसी मज़बूरी में कर रही हु .."

काजल की बातो से और भी कई सवाल खड़े हो चुके थे ..

"तो फिर वो अघोरी ??"

मेरे मुँह से निकल गया

"मुझे नहीं पता की वो चंदू के संपर्क में कैसे आया ,वो इंसान कोई दूसरा ही है जो ये सब करवा रहा था,असल में चंदू को भी उसके बारे में नहीं पता की वो कौन था ,अघोरी से चंदू को पावर चाहिए थी वो उस अंजान आदमी के पैतरो से तंग आ गया था ..."

"मलतब "

"मलतब की पहले तो उसने चंदू को बहार आने से रोक दिया ,और ऐसे रखा जैसे चंदू उसके कैद में हो ,फिर उसने वसीयत के ऊपर कोई भी दवा पेश ना करने का फैसला किया क्योकि उसे पता था की डीएनए टेस्ट में चंदू फ़ैल हो जाएगा "

"लेकिन आखिर चंदू का पिता है कौन ??"

काजल ने सर ना में घुमाया

"मुझे नहीं पता ,यंहा तक की चंदू को भी नहीं पता था ,ये तो सिर्फ एक ही औरत बता सकती है ,उसकी माँ कांता"

"हुम्म्म तो अब क्या :?:"

मैंने डॉ की ओर देखा

"कुछ नहीं जिसने भी ये सब करवाया था ना हमे उसके बारे में पता है ना ही उसके कारण के बारे में ,तो सब कुछ भूलकर तुम अपनी जिंदगी जिओ ,अगर उसे कुछ करना होगा तो वो करेगा ,तब ही उसे पकड़ा या उसके बारे में जाना जा सकता है ,और कोई चारा नहीं है :approve: "


"ठीक है तुम आराम करो हम चलते है .."

डॉ बहार जाने लगा लेकिन काजल वही रुक गई थी ..

"डॉ मैं राज से कुछ अकेले में बात करना चाहती हु "

''ओके" डॉ बहार चला गया

काजल के होठो में एक मुस्कान आ गई थी

"तो .." उसने मुस्कुरा कर कहा

हाय ऐसा लग रहा था की अभी इसे बिस्तर में पटक कर :sex:

"आप गजब की लग रही हो "

वो खिलखिलाई

"और कुछ नहीं पूछना "

"क्या पुछु "

"तुमने मेरी जान बचाई है राज "

"तो बदले में मुझे कुछ मिलने वाला है क्या ::toohappy::

वो मुस्कुराई

"अच्छा क्या चाहिए ??"

मुझे चाहिए था :sex::sex::sex:

"कैसे बताऊ की क्या चाहिए ,बस मन कर रहा है की आपको पकड़ कर यही बिस्तर में ."

मैं इतना बोल कर रुक गया ,उनकी मुस्कुराहट थोड़ी फीकी पड़ गयी

"मैं जानती हु,डॉ ने मुझे बताया की तुम कैसे बच गए ,तुमने वो पि लिया है जो उस अघोरी ने अपने लिए बनाया था ,उसका वो द्रव्य पहले उतना शक्तिशाली नहीं होने वाला था इसलिए उसे चंदू पिने वाला था लेकिन फिर जब उन्हें पता चला की तुम मुझे ढूंढते हुए वंहा आये थे और अघोरी ने तुम्हे देख लिया तो उसने तुम्हारे जादू की ताकत के बारे में पता करवाया और उसे ना जाने कैसे उस लकड़ी के बारे में पता चल गया ,वो पहुंचा हुआ अघोरी था और इसलिए उसने तुम्हारे लकड़ी को भी अपने उस द्रव्य में मिलाने का प्लान बनाया ,मुझे कुछ कुछ खबर है की तुम्हारे अंदर क्या हो रहा है ,तुममे 30% अच्छी शक्ति है उस जादुई लकड़ी के कारण लेकिन 70% शैतानी शक्ति ,और उस लकड़ी के कारण शैतानी शक्ति और भी ज्यादा पावरफुल हो गई है ,तुम एक जीते जागते शैतान हो राज ,बस अब तुम्हे अपनी अच्छाई को बचा कर रखना होगा वरना तुम्हे शैतान बनने में जरा भी देर नहीं लगेगी ..."

कहते कहते काजल की आँखों में आंसू आ गए थे ,और मेरा दिमाग भी घूम गया था ,मैंने जितना सोचा था ये तो उससे भी ज्यादा था ,लेकिन आखिर मैं इस पावर को कैसे कंट्रोल करता ..:?:

"तुम फ़िक्र मत करो तुम्हारे अंदर की अच्छाई आज भी जिन्दा है ,और तुम उस जादुई लकड़ी के साथ रह चुके हो तो मेरे ख्याल से तुम थोड़े से प्रयाश से इस पावर को कंट्रोल कर लोगे , लेकिन मुझे लगता है की अब लड़कियों की खैर नहीं ..."

वो मुस्कुराते हुए वंहा से निकल गई ,मैं बस उनके कहे शब्दों के बारे में सोचता रहा ......

लड़कियों की खैर नहीं ??? आखिर क्यों ???


 
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अध्याय 31

मैं हॉस्पिटल से छूटकर वापस घर आ चूका था ,सभी मेरी बहुत ही केयर कर रहे थे जो मुझे बहुत ही अच्छा भी लग रहा था,कांता अभी भी कोमा में थी ,वही शबीना की हालत थोड़ी ठीक थी वो भी हॉस्पिटल से घर आ चुकी थी ..

पुरे घर में अजीब सा माहौल हो गया था ,सभी को पता था की क्या हुआ है ,सभी को ये पता था की कांता और शबीना की ये हालत चंदू ने की है ,वही ये भी सभी जानते थे की चंदू मुझे भी मारना चाहता था ,लेकिन किसी को ये नहीं पता था की मैं कैसे बचा ...

कुछ कहानिया बनाई गयी थी जो दुनिया को सुनाई जा सके जिसमे अघोरी था ,एक लड़की थी (काजल) मैं था और चंदू था ,कुछ छिपाया गया था कुछ एक्स्ट्रा डाल कर बताया गया था ......

आज जब मैं अपने कमरे में आया तो मेरे साथ साथ ही निकिता ,नेहा और निशा भी आये ,

मेरा मन सभी को देख देख कर खुश हो रहा था ,वही माँ और पिता जी निचे बैठे हुए थे ..

"तू आराम कर भाई हम शाम कोई मिलते है "

निकिता दीदी ने कहा और नेहा के साथ बहार जाने लगी ,निशा अब भी वही रुकी हुई थी ,वो सभी की उपस्थिति के कारण ज्यादा बात भी नहीं कर रही थी ..

"अरे तू क्यों रुक गई भाई को आराम करने दे "

निकिता दीदी ने कहा तो निशा का मुँह ही छोटा हो गया

"अरे इसे रहने दो न दीदी इतने दिनों बाद आया हु थोड़ी बात करूँगा "

मैंने कहा

"अरे ये बकबक करेगी तू अभी आराम कर "

निकिता दीदी ने थोड़ा फाॅर्स किया तभी नेहा बोल उठी

"रहने दो न दीदी निशा राज की जरूरत है .."

उन्होंने ऐसा कह कर मुझे आँख मर दी मैं समझ गया था की वो क्या कहना चाहती थी

"वाट??:?:"

निकिता दीदी को कुछ समझ नहीं आया था

"अरे कुछ नहीं अब चलो "नेहा उनका हाथ पकड़कर कमरे से बहार चली गई थी

कमरे में थोड़ी देर तक सन्नाटा ही रहा

"ऐसे क्या देख रही है ?" निशा मुझे ही देख रही थी ..

"बस यही की आप इतने दिनों से मेरे साथ नहीं थे "

मेरे चेहरे में एक मुस्कान आ गई

"तू नहीं समझ सकती की मैंने तुझे कितना मिस किया है "

वो कुछ कहती उससे पहले ही मैंने इशारा अपने पेण्ट की ओर किया ,जिसमे मेरा लिंग पूरी ताकत से खड़ा हुआ था ,निशा का मुँह ही खुल गया था ,

"आप अभी तो हॉस्पिटल से आये हो और इसलिए मुझे मिस कर रहे थे जाओ मैं आपसे बात नहीं करुँगी "

वो गुस्से में उठ खड़ी हुई और मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया

"अरे मेरी जान नाराज क्यों हो रही हो ,सच में तुझे बहुत मिस किया मैंने ,तू मुझसे मिलने तो आती थी लेकिन कुछ बोलती नहीं थी "

"तो क्या बोलती आप घायल थे आपको देख कर रोना आता था मुझे "

उसकी बातो में वही मासूमियत थी जो हमेशा हुआ करती थी

मैंने उसे अपने से और जोरो से कस लिया ..

"मेरी जान इतनी प्यारी क्यो है तू "

वो हल्के से शरमाई साथ ही थोड़ा से मुस्कुराई भी ,वो कुछ भ ना बोली

इधर मेरे पेंट में मेरा लिंग मुझे सामान्य से ज्यादा ही परेशान कर रहा था ,इतने दिन हो गए थे मुझे एक चुद की सख्त जरूरत थी लेकिन निशा का मेरे लिए ये प्यार भी ऐसा था की मैं इसकी अनदेखी नही कर सकता था ,एक तरफ मेरा लिंग चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था की साले जल्दी से चोद से अपनी बहन को ,देख इतनी प्यारी है चोदने में मजा आएगा इसे ,इसकी नरम नरम प्यारी कोमल सी चुद ...वाह ,पानी से भरी हुई,...

ये सब सोचकर मेरा लिंग और भी ज्यादा फड़कता था ,वही दूसरी ओर मेरा दिल था ,जो चीख रहा था

क्या सोच रहा है साले,इसे प्यार कर ,इतनी प्यारी है तेरी बहन ,तुझसे कितना प्यार करती है ,और तू इसे चोदने की सोच रहा है ,इसे आराम से सहला इसे प्यार दे,इससे बात कर …

इस तरह से दिल और लिंग में एक द्वंद शुरू हो गया था

लिंग :- सके तू क्या समझा रहा है मांस के लोथड़े ,इस कोमल कली में जब मैं जाऊंगा तो सोच इसकी चुद कैसे फैल जाएगी ,गुलाबी गुलाबी चुद होगी इसकी

दिल :- मैं मांस का लोथड़ा हु तो तू क्या है ,तुझे बस अपनी पड़ी है और इसकी तो सोच ,इतनी कोमल है बेचारी ,इसके गालो को सहला कितना शुकुन मिलेगा तुझे ,इसपर अपना प्यार बरसा ..

लिंग :- मा चुदाने गया प्यार ,चोदने में ही सुख है दोस्त

दिल :- प्रेम से बढ़कर कुछ भी नही

लिंग :- चोद

दिल :- प्यार कर

लिंग :- अबे चोद चूतिये जल्दी मैं फटा जा रहा हु

दिल :- प्यार कर अहसासो से बढ़कर कुछ भी नही

लिंग :- मा चुदाये अहसास चोद इसे

दिल :-नही प्रेम ही सब कुछ है

लिंग :-चोद

"अरे चुप करो यार तुम दोनो "मैं भड़क गया

वही निशा मेरे इस रवैये से घबरा गई

"क्या हुआ भइया "

मुझे होश आया

"कुछ नही मेरी जान .."

मैंने एक गहरी सांस ली और मन में ही कहा

"मैं इसे चोदूगा लेकिन प्यार से समझे तुम दोनो अब चुप रहो "

निशा मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी

"आपको आराम करना चाहिए भइया मैं चलती हु .लगता है आप अभी भी बहुत ही स्ट्रेस में हो "

वो उठाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़कर खिंचा और उसे सीधा अपने बिस्तर में लिटा दिया ..

उसके कोमल कोमल गाल फड़क रहे थे ,होठ जैसे किसी मादक रस के प्याले हो वो भरे हुए थे और मुझे आमंत्रित कर रहे थे..

मैंने उसके होठो को अपने होठो से मिला दिया
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मैं उसके गुलाबी होठो को चूमने लगा ,उसके कोमल स्तनों पर मेरे हाथ पहुच गए थे,मैं उसे आहिस्ते से मसलने लगा था
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वो आहे भरने लगी थी ,हमारे होठ मिले और हम एक दूसरे के रस का स्वाद लेने में मस्त हो गए ..

धीरे धीरे हमारे दुनिया हमारे लिए जैसे अनजान हो गई थी ,हम एक दूसरे में खोने लगे थे ……

कुछ देर के लिए मैं निशा का मासूम चहरा देखने लगा ,वो सच में बहुत ही प्यारी लग रही थी ,उसपर उस कसा हुआ जिस्म ..

"क्या हुआ भइया क्या देख रहे हो "

"देख रहा हु मेरी सोना कितनी प्यारी है "

उसने मुझे बहुत ही प्यार से देखा और मेरे होठो को फिर से चूमने लगी ,

अब तक मेरे अंदर का हवस थोड़ा शांत हो चुका था ,उसे भी समझ आ गया था की मैं सिर्फ शैतान नही हु ,मेरे अंदर इंसानियत और अहसासों की अहमियत आज भी जिंदा है ….

मैं पूरे ही मनोयोग से उसके होठो को चूस रहा था,और उसके वक्षो को हल्के हल्के सहला रहा था …

"आह भइया मैं कबसे तड़फ रही थी आपके लिए "

"मैं भी मेरी रानी .."

मैंने उसके टीशर्ट को निकाल दिया और उसके वक्षो को अपने मुह में डाल कर चूसने लगा ..

वो मेरे बालो पर अपने हाथो को जकड़ रही थी ..

और मुझे अपनी ओर खीच रही थी ,मेरे हाथ नीचे जाकर उसके पेंट को उतारने लगे ,मेरे भी कपड़े कब जिस्म से अलग हो गए थे मुझे इसका कोई एतबार नही था..

मैं नीचे सरका मेरे सामने मेरी प्यारी बहन की प्यारी सी योनि थी ,
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वो बिल्कुल ही साफ सुथरी दिखाई दे रही थी ,गुलाबी योनि के पास जाते ही उसकी खुसबू मेरे नथुनों में भरने लगी थी ,मैंने अपने जीभ से एक बार उसे चाट लिया

"आह भइया "

मेरी प्यारी बहन की मादक आवाज मेरे कानो में पड़ी ,वो अंगड़ाई लेते हुए अपने कूल्हों को मेरे मुह से सटाने लगी थी ,मैं भी इत्मीनान से अपने जीभ से उसके योनि को सहला रहा था,मुझे कोई भी जल्दी नही थी
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निशा की चिकनी योनि अब गीली भी थी मैंने अपने लिंग को उसके योनि से सहलाया ,वो चुहकी

"आह आओ ना देर क्यो करते हो "

उसके आवाज में एक गजब की मदहोशी थी ..

मैंने बिल्कुल उसके योनि के मुहाने पर अपने लिंग को टिकाया और उसके गीलेपन से गीला मेरा लिंग अपनी बहन की प्यारी सी योनि में सरकता चला गया …..
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मैं हल्के हल्के धक्के मार रहा था ,वो भी हल्के हल्के से आहे भर रही थी ….
हम दोनो ही पूरी तरह से मस्त हो चुके थे,हमारे पोजिशन बदलते जाते थे और हमे पता भी नही लगता

मैं कभी उसे पलट कर उसके पीछे हो जाता था ..
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तो कभी वो मेरे ऊपर ….

आखरी में वो तूफान शांत हुआ जब निशा जोरो से झड़ गई और साथ ही मैंने भी अपना वीर्य उसके योनि में छोड़ दिया ….
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हम दोनो ही निढाल होकर पड़े हुए थे ,

लेकिन इस प्रेम में हमने दरवाजा ही खुला छोड़ दिया था और दो आंखे हमे ये सब करते हुए देख रही थी ……..


 
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अध्याय 32

हम अपने प्यार में मस्त थे वही दो आंखे हमें घूरे जा रही थी ,जब हवस का तूफ़ान शांत हुआ तो मैंने कमरे की और देखा ,वो आंखे लाल थी और गुस्से में लग रही थी ,वो मुझे देखते ही तेजी से बाहर की और चले गयी ……..

मैं तुरत ही उठा और उसके पीछे चले गया

"दीदी सुनो तो "

वो निकिता दीदी थी

"मुझे कुछ भी नहीं सुनना मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की ये सब छी ………"

वो आगे जाने लगी ,और ऐसे कॉम्प्लिकेटेड सिचुएशन में भी मेरा ध्यान उनके टाइट सलवार में कसे हुए चूतड़ों पर चला गया ,वो किसी मटके की भांति लग रहे थे और बड़े ही मस्ती में झूल से रहे थे ,दीदी अपने कमरे में गई और दरवाजा जोर से बंद होने की आवाज आई…

वही मेरा लिंग जो की अभी अभी एक यौवन को भोग चुका था वो फिर से तन कर सलामी देने लगा था ,

जब मैंने उसे अपने हाथो से मसाला तो मुझे ध्यान आया की मैं तो नंगा ही घूम रहा हु.

मुझे खुद पर विस्वाश नही हुआ लेकिन फिर मेरे दिमाग में एक बात आयी..

गो विथ वाइंड ...मतलब की हवा के साथ चलो ,जीवन अगर इधर ही ले जा रहा है तो उसके साथ ही बहो और मुझे भी अब अपने दिमाग में चल रहे द्वंद को भूलकर अपनी शैतानी शक्तियों के साथ ही चलना चाहिए ...मेरे अंदर दो दो शक्तियां थी ..

और दोनो ही बड़ी ही ताकतवर थी तो मैं उनसे क्यो लडू जैसा वो मुझे चलाना चाहते है मुझे वैसे ही बहना चाहिए …

मेरा दिमाग क्लियर हो चुका था ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा बोझ सर से उतर गया हो …

मैं तुरंत दीदी के कमरे के सामने खड़ा हो गया और दरवाजे को पीटा…

"चले जाओ यंहा से .."

अंदर से रोने की आवाज आयी

"दीदी एक बात प्लीज् मैं समझा सकता हु "

थोड़ी देर तक दरवाजा नही खुला

"अगर आप दरवाजा नही खोलोगी तो मैं यही खड़ा रहूंगा रात भर "

थोड़े देर बाद दरवाजा खुल गया और मैं जल्दी से अंदर आया ,उन्होंने दरवाजा लगा लिया ,

"छि तुझे इतनी भी शर्म नही है की तू नंगा ही यंहा चला आया "

उन्होंने एक बार मुझे घूर कर देखा और तुरत ही अपनी आंखे मुझसे हटा ली.."

"दीदी "

मैं उनके नजदीक आकर उनके कमर को पकड़ चुका था

"मुझे माफ कर दो "

उन्होंने मुझे अपने से दूर करने के लिए धक्का लगाया

"दूर हट मुझसे "

और आगे जाने लगी लेकिन मैंने उन्हें पीछे से जकड़ लिया,वही हुआ जो होना था,मेरे लोहे जैसा लिंग जो की तन कर किसी खड़ा था जाकर सीधे दीदी के नर्म नर्म चूतड़ों से रगड़ खा गए ऐसा लगा जैसे मुझे जन्नत मिल गई वही दीदी की सांसे भी जैसे रुक सी गई ,वो शांत हो गई थी ..

"भाई हट यंहा से "

उनकी आवाज कमजोर थी जो की ये बता रही थी की वो बेहद ही नर्भस है लेकिन एक सदमे भी है ,मैंने अपने कमर को एक बार और चलाया और मेरा लिंग एक बार फिर से उनके चूतड़ों पर रगड़ खा गया ,दीदी जोरो से छूटने के लिए मचली लेकिन मेरी पकड़ बेहद ही मजबूत थी वो बस कसमसा कर रह गई ..

"छोड़ मुझे तू शैतान हो गया है ,अब तू वो भोला भाला लड़का नही रह गया "

दीदी रूवासु हो गई थी जिसे देखकर मुझे दुख हुआ और मैंने उन्हें पलटकर अपने सीने से लगा लिया ,उनके बड़े बड़े वक्ष मेरे छातियों में धंस गए थे वही मेरा लिंग अब उनके जांघो के बीच तो कभी पेट पर रगड़ खा रहा था नर्भसनेस के कारण वो पसीने से भीगने लगी थी …

"दीदी मुझे भोला भाला बनकर कुछ भी हासिल नही हुआ ,अब तो मैं एक शैतान ही हु ,लेकिन यकीन मानो मैं अपनी बहनो से बहुत प्यार करता हु "

दीदी ने मुझे देखा

"प्यार करने का ये तरीका नही होता राज ये हवस है "

"हा दीदी ये हवस है ,लेकिन इसमे भी प्यार छिपा हुआ है,एक भाई का प्यार अपनी बहन के लिए "

ये कहकर मैंने दीदी के मलाईदार चूतड़ों को सहला दिया और चटाक

एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालो में आ पड़ा

"इसे तू प्यार कहता है ,तू सच में शैतान ही है हट जा मुझसे दूर "

वो रोने लगी थी ,मुझे समझ नही आया की मैं क्या करू ,

मुझे वो बात याद आई जो कभी बाबा जी और काजल ने कहा था की मुझे अपनी शक्तियों का ही अंदाज नही है ,और ये भी की मैं किसी भी को खुद की ओर आकर्षित कर सकता हु ,

मैंने खुद कोई शान्त किया और दीदी के गले में पूरे शिद्दत से एक चुम्मन कर दिया ,मेरे होठ उनके गले में जा लगे उनमे मेरे पूरे जस्बात थे ..

उनका रोना बंद हो चुका था वो मुझे ही देख रही थी

"तू मुझसे क्या चाहता है भाई …??"

उनकी आंखों में कुछ बदल सा गया था ,वो शांत हो चुकी थी

"प्यार ...मैं आपको प्यार देना चाहता हु ऐसा जैसा आपको कोई दूसरा नही दे सकता .."

मैंने उनके बालो में अपनी उंगलिया फ़साई और उन्हें अपनी ओर खीच लिया वो बिल्कुल ही आश्चर्यचकित थी शायद वो एक सम्मोहन में फंस चुकी थी ,उस दिन मुझे समझ आया की किसी को कैसे सम्मोहित किया जाता है,मैंने अपनी पूरी एनर्जी फिर से अपने होठो तक लाई और उनके होठो से मिला दिया ..

"उह "

वो उस अजीब से अहसास से मचल सी गई ,वो टूटने लगी और मेरे होठो को चूसने लगी,उन्होंने मुह खोलकर मेरे जीभ को अपने मुह के अंदर आने दिया ..

मैं उस रस से भरे होठो को बेहद ही इत्मीनान और प्यार से भरकर चूस रहा था ,वो भी मेरी बांहो में मचल रही थी और मेरे सर को अपने हाथो से पकड़े कर उसे अपनी ओर खीच रही थी .मुझे लग रहा था जैसे वो किसी जादू के नशे में चूर हो गई है जैसे वो खुद को भूल ही गई हो……

मैं उनके मुह के अंदर तक अपने जीभ को ले जा रहा था मैं जितना हो सके उतना उनके अंदर तक पहुचना चाहता था ,मेरा लिंग उनके जांघो के बीच घिस रहा था अब मुझे लगा की ये ही समय है दीदी पूरी तरह से मेरे वश में थी ..

मैंने हाथ आगे बढ़कर उनके सलवार का नाडा खोल दिया वो टाइट था इसलिए जल्दी से नीचे नही गिरा ,मैंने उन्हें अपने हाथो से उठाकर बिस्तर में लिटा दिया था ,मैं अपने हाथो को आगे बढ़कर उनके सलवार को निकाल रहा था वो भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी ,मैंने बिना देर किये ही उनकी पेंटी भी निकाल कर फेक दी ...और फिर से उनके ऊपर लेट गया,हमारे होठ अभी भी मिले हुए थे वही मेरे हाथ अब दीदी की योनि पर थे जो हल्के हल्के बालो से भरी हुई थी और काम के रस से गीली भी हो चुकी थी ,उनपर हाथ चलाना भी किसी जन्नत से कम नही था,मेरी एक उंगली उस रस से भीगकर उनके योनि में फिसल गई

"आह..भाई "

वो मचली लेकिन मुझे उनके योनि के कसावट का अंदाजा लग गया ,मुझे समझ आ चुका था की मेरा लिंग ही उनकी योनि में जाने वाला पहला लिंग होने वाला था ….

ये मेरा नशीब ही था की मेरी इतनी सुंदर बहनो की अनछुई योनियों को मैं ही पहला हकदार था ,

मैं हल्के हल्के से अपनी उंगलि से उनके योनि को सहला रहा था ,वो कसमसा रही थी ,मैंने उनकी कमीज भी ऊपर से हटा दी ,मेरे सामने उनके दो बड़े बड़े आम झूल रहे थे जिन्हें मैं इत्मीनान से चूसना चाहता था ,मैंने बड़े ही आराम से उन्हें अपने मुह में भरा ..

"भाई ..आराम से काटना मत "

वो मगन हो चुकी थी और मैंने अपने दांत से उनके वक्ष को हल्के से काट लिया

"आउच .."

उनका हाथ मेरे बालो को जोरो से जकड़ लिया वो मुझे खुद की ओर खीच रही थी ,वो पूरी तरह से नग्न थी और मैं भी ,मेरा लिंग अब उनकी अनछुई योनि में जाने को तैयार था ..

मैं जानता था की मेरी प्यारी बहन को इसमे दर्द होने वाला है इसलिए मैंने उनके ड्रेसिंग से एक तेल निकालकर पहले उनके योनि और अपने लिंग को अच्छे से तेल से भिगो दिया …

वो आंखे फाडे हुए मेरे लिंग को देख रही थी ,उनकी आंखों में आश्चर्य था,होता भी क्यो नही क्योकि ये लिंग एक आम लिंग था भी नही जो की पोर्न वगेरह में दिखाया जाता है ,ये किसी मूसल से कम नही था ,जो की तेल लगने से और भी ज्यादा चमकदार हो गया था ..

मैंने पहले दीदी के होठो को अपने होठो में भर लिया फिर आराम से अपने लिंग को उनकी योनि में सरकाया ,वो धीरे धीरे उनकी योनि में समाता गया…

"आह मेरे भाई ,मेरे प्यारे भाई आई लव यू "

दीदी के दिल में मेरे लिए अचानक से प्यार उमड़ आया था अब ये हवस था या प्यार मैं इसमे नही पड़ना चाहता था ,अभी तो मजे से मेरा भी हाल बुरा हो रहा था ,अब तो हर चीज ही सही लग रही थी …

"लव यू दीदी ,आज आपको इतना प्यार दूंगा की आप दुनिया को भूल जाओगी ,मेरी प्यारी दीदी को मैं अब जन्नत की सैर करवाऊंगा "

उन्होंने मुझे जोरो से पकड़ लिया ,मैंने एक धक्का जोर से दिया वो चीखी लेकिन उनकी आवाज मेरे होठो में ही दफन हो गई ..

मेरे एक ही धक्के में वो बेसुध सी हो गई थी .लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें थोड़ा होश आया ,उन्होंने मेरी आंखों में देखा उसमे आंसू की एक बून्द थी ……

"मुझे प्यार कर भाई ,मुझे अपना बना ले ,"वो रोते हुए बोली और अपने होठो को मेरे होठो में धंसा दिया..

मैं उनके होठो को चूसे जा रहा था वही अब मेरी कमर हल्के हल्के चलनी शुरू हो गई थी ,

वो आनद से आहे भर रही थी ,वो बार बार मुझे चुम रही थी ,उनका चहरा देखकर लगता था की उन्हें बेहद ही मजा रहा है..


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मैं भी एक स्वर्ग में पहुच चुका था,ऐसा मजा तो मुझे निशा के साथ भी नही आया था ,जो अपनी बड़ी बहन को चोद कर मिल रहा था ..

मैंने उन्हें पलट दिया और उनकी कमर को पकड़ कर जोर जोर से धक्के देने लगा ,मेरा लिंग अब तक पूरी तरह से भीग चुका था और बेहद ही आसानी से उनके योनि में जा आ रहा था ..


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वो बेसुध ही हो गई थी उनका शरीर अकड़ कर झरने लगा था लेकिन मैंने धक्के जारी रखे और फिर वो दूसरी बार भी झर गई,इस बार मैंने उनकी पेंटी से उनकी योनि को पोछा और फिर मैं फिर से शुरू हो गया ..

"आह बस कर ना भाई मार ही डालेगा क्या ,आज के लिए काफी है "

"दीदी तुम्हे चोदने में बहुत मजा आ रहा है ,पता नही मेरा कब निकलेगा "

मैं जोरो से धकके मार रहा था उन्होंने मेरे सर को पकड़ लिया

"आह आह नही भाई ऐसा नही बोलते ,हम तो प्यार कर रहे है इसे चोदना नही बोलते आई आह धीरे भाई "

"इसे चोदना ही बोलते है दीदी,मैं अपनी प्यारी बड़ी बहन को चोद रहा हु और तुम अपने भाई से चुदवा रही हो "

"नही नही आह नही भाई नही प्लीज् हम प्यार कर रहे है चुदाई नही ये गंदा होता है ,हम प्यार कर रहे है ना भाई ..आह मैं मर जाऊंगी आआआआ हहहह "

वो फिर से जोरो से झड़ गई ,मैं भी बुरी तरह से हांफ रहा था लेकिन साला लिंग तो ठंडा होने का नाम ही नही ले रहा था

वो थोड़े देर बाद सामान्य हुई

"भाई अब बस मैं बुरी तरह से थक चुकी हु अब जाकर निशा को प्यार कर "

वो अब भी चोदना जैसे शब्द का उपयोग नही कर पा रही थी

"दीदी प्यार नही चोदना "

उन्होंने मेरे गालो में एक हल्की सी चपत लगा दी

"तेरे लिए होगा वो सब मेरे लिए तो ये प्यार ही है ,जो मेरा भाई मुझे दे रहा है "

उनकी इस बात से सच में मुझे उनपर बेहद ही प्यार आया और मैंने उन्हें होठो को चुम लिया

"आई लव यू भाई "

"आई लव यू दीदी लेकिन आज तो मैं आपको रात भर प्यार करूँगा ,जब तक मेरा नही गिरता "

उनका मुह खुला का खुला रह गया

"तू सच में शैतान बन गया है ,पूरा जानवर "

उन्होंने मेरे चहरे को बहुत ही प्यार से सहलाया

कितनी अजीब बात थी की मेरे इस बर्ताव के बाद भी वो मुझपर अपना प्रेम ही दिखा रही थी ,मुझे सच में लगा की मैं बहुत भाग्यशाली हु ,मेरी बहने किसी रंडियों जैसी नही है बल्कि वो सेक्स के बाद भी मुझे बेहद प्यार करती है ,और शायद सेक्स के बाद ही बेहद प्यार करती है ,मेरे होठो में मुस्कान आ गई ..

"चलो थोड़ा दारू पीते है फिर स्टार्ट करेंगे "

मैं उनके ऊपर से उठ गया ,और आलमारी से एक महंगी शराब की बोतल निकाली और दो पैक बना दिया

वो मुझे आश्चर्य से देख रही थी

"तुझे कैसे पता की मैं शराब पीती हु और इस अलमारी में बोतल रखी है "

"अरे दीदी आप मेरी दीदी हो ,आपके बारे में मुझे सब कुछ पता है "

वो आश्चर्य से देखने लगी

"सब??"
"हा सब"

"रोहित के बारे में भी ??"
रोहित?? लेकिन फिर मेरे दिमाग में वो नाम क्लिक कर गया और होठो में एक मुस्कान आ गई

"हा रोहित के बारे में भी .."

वो घबरा सी गई लेकिन मैंने उनके गालो को प्यार से सहलाया और जाकर कमरे में लगे बड़े बड़े कांच की खिड़कियों से पर्दा हटा लिया

"भाई ये क्या कर रहा है कोई देख लेगा "
"कोन रोहित??? देखने दो उस मादरचोद को "

दीदी ने मुझे फिर से आश्चर्य से देखा और मैंने अपने मुह में थोड़ी शराब भरकर उनके होठो में मिला दिया,मेरे मुह से शराब उनके मुह में चली गई ,वो मुस्कुराने लगी …

"अब मैं उस कमीने को सबक सिखाऊंगी ,"

वो रोहित के बारे में बोल रही थी

"वो सब बाद में पहले मेरे इसके तो ख्याल करो "

मैंने अपने लिंग की तरफ इशारा किया और उन्होंने प्यार से मेरे लिंग को अपने हाथो में ले लिया ,वो हल्के हाथो से इसे सहलाने लगी ,फिर उसमे थोड़ी शराब डालकर उन्होंने उसे अपने मुह में समा लिया ..

मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे जन्नत मिल गई हो ,मैं अपनी बहन के मुख का चोदन कर रहा था ..

वो फिर से गीली हो चुकी थी

वो बिस्तर में लेट गई और अपने पैरो को फैला दिया ..

"भाई आ जाओ न "

हम फिर से शुरू हो चुके थे फिर तो ना जाने कब तक और कितनी बार वो झड़ी हो …..
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अध्याय 33

सुबह के 4 बजे होंगे,दीदी पूरी तरह से थककर सो चुकी थी लेकिन मेरे आंखों से नींद ही गायब थी ,मैं वंहा से अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और कही निकल गया……

मैं सीधे रोहित के पास पहुच गया था ..

दरवाजा खटखटाने पर भी कोई जवाब नही आया ,मैंने अपने जेब से मास्टर की निकाली और दरवाजा खोल कर अंदर गया ,वंहा का हाल देखकर एक पल के लिए मैं सोच में पड़ गया..

रोहित अपने बेडरूम में था,चारो ओर समान पड़े हुए थे वो किसी लाश की तरह बिस्तर में पड़ा हुआ था ,सामने दारू की खाली बोतल थी जिससे अनुमान लगाया जा सकता था की इसने रात भर शराब पी है ,उसका टेलिस्कोप टूटा हुआ पड़ा था,साथ में उसके लेपटॉप भी एक ओर पड़ा हुआ था,आईपैड बुरी तरह से चकनाचूर था ,मुझे माजरा कुछ कुछ तो समझ में आ चुका था ,मैंने लेपटॉप उठाया जो की जमीन में ही पड़ा हुआ था.उसका सीसा चकनाचूर था ,जब मैंने उसे खोला तो पता तो मेरे सामने निकिता दीदी की एक तस्वीर थी ..

ये उनके कालेज के दिनों में ली गई तस्वीर लग रही थी ,वो कुछ दिनों पहले ही कालेज से पासआउट हो चुकी थी ..

लेपटॉप की स्क्रीन पर किसी चीज से बुरी तरह से वार किया गया था लेकिन फिर भी स्क्रीन गार्ड की वजह से वो बच गया था ,मैंने स्क्रीन गार्ड निकाला और उसके लेपटॉप को देखने लगा,ये वो चीजे थी जो मुझे पहले नही मिली थी ,क्योकि इसे उसने गूगल ड्राइव में सेव कर रखा था,उसमे कुछ फोटोज थी जिससे साफ पता चल रहा था की रोहित निकिता दीदी का क्लोज फ्रेंड था या फिर बॉयफ्रेंड..

दोनो की बहुत सी फोटोज थी ,वही कुछ फोटज निकिता दीदी की क्लोसअप फोटज थी...शायद इसे रोहित ने ही ली थी ..

अब माजरा तो समझ आ चुका था लेकिन कई सवाल भी साथ ही साथ खड़े हो गए थे ..

मुझे इंतजार था रोहित के वापस होश में आने का ,

मुझे भी बहुत तेज नीद आ रही थी मैं भी रात भर से मेहनत कर रहा था और एक पल की नींद भी मैंने नही ली थी तो मैं आराम से सो उसके सोफे में जाकर सो गया..

लगभग 2 घण्टे बाद मेरी नींद खुली रोहित अब भी नही उठा था लेकिन अब मैं वेट नही कर सकता था,मैंने एक तगड़ी काफी बनाई और एक बाल्टी पानी लेजाकर रोहित के ऊपर डाल दिया ..

"कौन है कौन है "

वो हड़बड़ाते हुए उठा और मुझे देखकर बुरी तरह से चौक गया..

"तुम ..यंहा ??"

मैंने बिना कुछ कहे उसकी ओर काफी बढा दिया ..

वो थोड़ा शांत हुआ और काफी पीने लगा ,ना ही वो मुझसे कुछ बात कर रहा था ना ही मैं उससे ……

"तुम यंहा क्या लेने आये हो ??"

उसने रूखे हुए स्वर में कहा

"तुम्हारा और निकिता का क्या संबंध है "

मैंने सीधे सीधे पूछना ही बेहतर समझा ,उसने मुझे घूर के देखा

"क्यो कल रात तो तुम उसके साथ थे ना ,उसने तुम्हे कुछ नही बताया ..तो तुम हो उसके नए बॉयफ्रेंड साली छिनाल .."

उसने इतना ही कहा था की मैं उठा और उसके गाल में जाकर एक जोरदार चांटा जड़ दिया ..वो झनझना उठा

"देखो तुम्हे उसके साथ जो करना है करो ,मेरा और उसका कोई संबंध नही है ,और आज के बाद मुझे संपर्क मत करना मैं ये अपार्टमेंट छोड़ कर जा रहा हु "

वो गुस्से में आ गया था ..लेकिन मैं शांत था ..

"मैं उसका बॉयफ्रेंड नही हु ,शायद तुम हो ??"

"मैं ..?" वो हंसा लेकिन उसकी हंसी में एक अजीब सा दर्द था

"वो अब मेरे साथ नही है .."

उसने सपाट सा उत्तर दिया ..

"क्यो नही है ??"
"तुम्हे इससे क्या मतलब ?? जाकर उसी से पूछो "

मैंने अपने पीछे छिया रखी गन उसके सामने रख दी ,लेकिन इस बार वो डरा नही बल्कि मुस्कुराया ..

"तुम मुझे डरा नही सकते ,और इस मामले में तो बिल्कुल भी नही ..जाओ और जाकर उससे पूछो की उसने मुझे क्यो छोड़ दिया ..और तुम्हे इन सबमे क्यो इंटरेस्ट है ,तुम्हे जो चाहिए वो तो तुम्हे मिल ही रहा है ना "

उसकी बात से ये साफ था की मामला दिल का है और दूसरा उसने रात को हम दोनो को देखा था ..मैंने अपनी गन वापस रख ली क्योकि दिल के मामले में गन का कोई रोल नही होता ..

"ओके जैसी तुम्हारी मर्जी लेकिन …...क्या तुम्हारे कारण ही वो ऐसी हो गई ,मलतब की शराब ,सिगरेट और नशे में डूबा रहना "

वो चुप था ….

लेकिन फिर वो बोल पड़ा

"मैंने नही कहा था उसे ये सब करने के लिए ,मैं बीमार था आज भी हु लेकिन उसे मुझसे दूर जाना था ,मैंने उससे कहा था की मैं ये सब छोड़ दूंगा ,मैं अपना इलाज करवाऊंगा लेकिन कभी उसे मेरी बीमारी बीमारी लगी ही नही ,बल्कि उसे तो लगता था की मैं ये सब जानबूझ कर करता हु मुझे मजा आता है ,उसे क्या पता की मेरे लिए ये कितना कठिन होता है .."

उसकी बात सुनकर मेरे माथे में लकीर पड़ गई ..

"मतलब ...क्या बीमारी है तुम्हे "

वो थोड़े देर तक चुप रहा फिर बोला

"voyeurism की बीमारी …"

मैं चौक गया था

"क्या ..??"
"हा मुझे दुसरो को देखना अच्छा लगता है पहले ये एक तरह का फन था जैसे बाकी सभी नशे होते है लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे इसकी आदत सी पड़ गयी या कब एक नशा बना मुझे पता ही नही चला,मुझे दुसरो के पर्सनल चीजो को दिखने में मजा आता है ,या फिर किसी को सेक्स करते देखना ….इसलिए मैं पोर्न का आदि भी हो गया,पोर्न ,मास्टरबेर्शन(हिलाना) ,और साथ में ये ..इन सबने मेरी जिंदगी को बर्बाद ही कर दिया,पहले निकिता को इसका पता नही था लेकिन मेरे अंदर आये बदलाव को वो समझ गई,मुझे समझाया की ये सब बस फेंटेसी है असलियत नही लेकिन मैंने उससे कहा की ये बस मजे के लिए है ,एक दिन मैं ये सब छोड़ दूंगा लेकिन ...लेकिन मैं इसे नही छोड़ पाया ,इतना आदि हो गया की मैंने यंहा फ्लेट लिया और टेलिस्कोप लगा कर दुसरो के पर्सनल चीजो को देखने लगा,खासकर निकिता को ,जब वो इस अपार्टमेंट में आयी तब उसे पता चला की मैं यंहा से उसके पर्सनल चीजो को देख रहा हूं,उसे बहुत गुस्सा आया,इसीबार को लेकर हमारा बहुत झगड़ा हुआ,और वो मुझसे दूर हो गई ,लेकिन मैं उसे बहुत प्यार करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी इसलिए हम फिर मिले,मैंने ये सब छोड़कर अपने प्यार को अपनाने की बहुत कोशिस भी की लेकिन असफल रहा,मैंने उससे कहा की मैं इस अपरमेंट को छोड़ चुका हु और दूसरी जगह शिफ्ट हो गया हु,और मैं अपने पुराने पारिवारिक घर में रहने लगा लेकिन जब वो चली जाती मैं फिर से यंहा आ जाता,और ये बात उसे पता लग गई ,हमारा फिर से झगड़ा हुआ और फिर हम कभी नही मिल सके…….वो आज भी मुझसे प्यार करती है और उसे पता है की मैं उसे देख रहा हु इसलिए तो वो रोज ही सुबह शाम अपनी खिड़की में आती है ,उसे पता था की उसका शराब पीना मुझे पसंद नही था इसलिए मेरे सामने शराब पीती है,या कभी गुस्से में दिन भर ही खिड़की के पर्दो को लगाकर रखती है ,उसने मुझे दिखाने के लिए ही कल पर्दो को हटा कर तुम्हारे साथ सेक्स किया,उसने मुझे ये मेसेज दे दिया की अब हमारे बीच सब कुछ खत्म हो चुका है .."

वो रोने लगा था ,मुझे उस आदमी पर दया सी आने लगी थी ..

नशा सच में आदमी के दिमाग को ही खराब कर देता है ,ये मेरे सामने एक जीता जागता उदाहरण था,पता नही कैसे लेकिन इस चूतिये से मेरी बहन पट गई थी वो इसे प्यार करती थी ,निकिता दीदी जैसी हॉट लड़की इसे प्यार करती थी,हा प्यार अंधा होता है दोस्तो ,लेकिन ये चूतिया अपने इस नशे में फंसकर उस लड़की से ब्रेकअप कर बैठा जिसे ये प्यार करता था,था नही है,दीदी भी इससे प्यार करती है इसका सुबूत मैं देख चुका था,वो इसकी याद में देवदास बनी हुई है और ये दुसरो को देखकर हिला रहा है …

काल्पनिकता जब सर में चढ़ जाए तो असलियत फीकी सी लगती है ,यही पोर्न एडिक्ट्स के साथ भी होता है,यही मास्टरबेशन के आदि लोगो के साथ भी होता है ,वो काल्पनिक दुनिया में ऐसे खो जाते है की उन्हें असली सेक्स भी फीका लगने लगता है,रिलेशनशिप,प्यार बोर लगने लगता है,क्योकि हाथ से हिलाना इतना आसान काम है और किसी लड़की को चोदने के लिए बहुत मेहनत चाहिए ,उसे पटाना पड़ता है ,उसके पीछे भागना होता है,समाज का डर,दुनिया जहान की चीजे उसके बाद मिलता है सेक्स या प्यार और यंहा तो लेपटॉप या मोबाइल चालू किया वेबसाइट ओपन की और लगे हिलाने कोई मेहनत नही ..

लेकिन ये असलियत से दूर ले जाता है और अगर इसका नशा लग गया तो जीवन को बर्बाद भी कर सकता है …

मैं उसके पास जा बैठा और उसके कंधे पर अपना हाथ रखा ..

"तुम दोनो खुश रहना ,उसे कभी दुखी मत करना वो बहुत ही अच्छी लड़की है ,मैं उसके जीवन से बहुत दूर चले जाऊंगा "

वो अब भी रो रहा था ,

"तुम्हे कहि जाने की जरूरत नही क्योकि वो अब भी सिंगल ही है ,और मैं उसका बॉयफ्रेंड नही हु बल्कि उसका भाई हु "

वो अचानक से मुझे देखने लगा ऐसे जैसे कोई झटका सा लग गया हो ..

"तूतूतू मम म राज हो..उसके भाई ..ओह होली फक .."

वो सर पकड़ कर खड़ा हो गया

"लेकिन तुम तो चूतिये थे ,उसने बताया था की तुम अजीब से हो मलतब .."

वो बोलने के लिए शब्द ढूंढ रहा था ,

"हा मैं चूतिया था लेकिन अब नही हु,समझे "

वो चुप हो गया फिर अचानक से बोल पड़ा

"निकिता तुम्हारी बहन है और तुम उसके साथ ही .."

उसकी आंखे बड़ी हो गई थी ..

"क्यो पोर्न में नही देखते क्या बहन भाई वाला .."

"लेकिन वो पोर्न है तुम दोनो तो असलियत में "

मैं मुस्कुरा उठा..

"हर चीज असलियत है मेरे दोस्त कभी नजर उठाकर दुनिया को देखो तो सही ,मैं दीदी से बात करूँगा तुम्हारे बारे में और तुम्हे भी मैं ही ठीक कर दूंगा डोंट वरी "

"लेकिन वो तो तुम्हारे साथ .."

मैं समझ गया था की वो क्या बोलना चाहता था ..

"देखो प्यार और सेक्स में फर्क होता है,वो भले ही मेरे साथ सोई हो लेकिन आज भी प्यार तो तुझसे ही करती है,और तू खुद सोच निकिता दीदी जैसी हॉट लड़की तुझ जैसे चोदू से प्यार करती है,अबे तुझे और क्या चाहिए,हमारे बीच जो भी हुआ वो बस एक रात की कहानी थी ,समझ ले एक गलती,वो अपने दिमाग से निकाल दे वो तो जीवन भर के लिए तेरी होने को राजी है ,और तू मुह मोड़े हुआ है "

वो शांत हो चुका था …..फिर उसका चहरा उतर गया ..

"लेकिन मैं उसे खुश नही रख पाऊंगा ,मैं तो कमजोर हु तुम्हारी तरह नही .."

"दोस्त लकड़ियां सिर्फ सेक्स से खुश नही रहती ,और तू फिक्र मत कर मैं तुझे भी ट्रेनिंग दे दूंगा ,पहले तेरी आदत छुड़वानी होगी ..और अगर तू खुश नही रख पायेगा तो उसका भाई अभी जिंदा है उन्हें खुश रखने के लिए "

उसकी आंखे फट गई थी वो कुछ नही बोल पा रहा था ..

"ऐसे एक चीज cuckold भी होती है ,तुझे देखना पसंद है ना तो हमे देखकर भी तू हिलाया होगा "

शर्म से उसकी नजर झुक गई मुझे बिना बोले ही समझ आ गया था ..

मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा ..

"दोस्त सब ठीक हो जाएगा ,ये सब मानसिकता का खेल है डोंट वरी...ऐसे मेरे पास एक डॉ है जो शायद तेरा इलाज कर दे "

वो मुझे घूर रहा था …

"कौन ???"

"उनका नाम है डॉ चूतिया,द ग्रेट साइकोलॉजिस्ट.."
 
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अध्याय 34

रोहित मेरी बातो से बहुत ही पोजेटिव फील कर रहा था ,वही मैंने निकिता दीदी से भी उसके लिया बात कर दी ,वो बेचारी तो खुद ही चाहती थी की रोहित ठीक हो जाए और दोनो का फिर से पेचउप हो जाए …

मैं रोहित को डॉ चूतिया जी के पास ले गया ,

"ओह आओ आओ राज ,अच्छा तो ये है रोहित जिसके बारे में तुमने मुझे बताया था ,"

"जी डॉ साहब "

"ओके तो मुझे रोहित से अकेले में कुछ बाते करनी है तब तक क्या तुम बाहर वेट करोगे "

"जी बिल्कुल "

ये कहते हुए मैंने मेडम मैरी को देखा ,उनके होठो में मुस्कान थी ..

मैं मैरी के साथ बाहर आ कर बैठ गया…

मिस मैरी ,या मेडम मैरी….एक भरी पूरी औरत थी ,रंग किसी आंग्ल इंडियन की तरह था,और लेकिन आदते पूरी देशी,समझ लो को सनी लियोन सामने खड़ी हो और बात देशी स्टाइल में कर रही हो ..

"मैरी जी आप डॉ के साथ कब से है "

"सालो हो गए "

हम बाहर एक सोफे में बैठे थे

"ओह तो आपने अभी तक शादी नही की "

मैरी हल्के से हंसी

"नही मैं शादीशुदा ही हु ,लेकिन पति के साथ नही रहती ,अभी तक हमारा तलाक नही हुआ है "

मैं आश्चर्य में पड़ गया था ..

"ओह तो आपके पति .."

मैरी का चहरा उतर गया ,

"क्या बताऊ साल कहने को तो डॉन है लेकिन है बिल्कुल ही चोदू,"

मेरा ध्यान मैरी के टाइट एप्रॉन से झांकते हुए वक्षो पर चला गया ..

मेरे मुह में ना जाने कहा से इतना पानी आ गया था ,उसके वक्षो की चोटी पूरे गर्व से उभरी हुई थी ,शायद मैरी ने मेरे नजरो को पहचान लिया था ...वो मुस्कुराई

"क्या देख रहे हो "

"बस देख रहा हु की आपकी जवानी तो बाहर आने के लिए बेताब है ,आप इस जवानी को आखिर सम्हालती कैसे है "

मेरे अंदर का शैतान एक्टिव होने लगा था ,और मैरी के होठो की मुस्कान और भी गाढ़ी हो गई…

"तुम जानकर क्या करोगे तुम तो अभी बच्चे हो "

हा मैं अभी अभी तो स्कूल से निकला था लेकिन ये मेरे लिए किसी MLIF से कम नही थी …

"अरे मैरी जी यही तो उम्र होती है जब शरीर के हार्मोन्स सबसे ज्यादा उछलते कूदते है,बच्चा समझने की भूल मत कीजिये,आप से ज्यादा खेली खाई दो दो औरतो को एक ही रात में बेहोश कर चुका हु "

मेरी बात से मैरी की आंखे चौड़ी हो गई वही मेरे टाइट जीन्स को भी फाड़ने को बेताब मेरे लिंग का भी उसे आभास हो गया,ऐसा लगा जैसे अब उसके मुह में पानी आ गया हो ..

"ऐसे क्या देख रही है,यकीन नही आता तो टेस्ट कर लीजिए "

मैंने निडरता से उनकी आंखों में अपनी आंखे गड़ाते हुए कहा …

मेरी ने पहले मेरे बाजुओ को पकड़ा,मेरे मांस से भरे हुए बाजू की मांसलता देख कर एक बार उसकी आंखे भी चौन्धिया सी गयी थी ..

"तुम तो इस उम्र में भी बड़े स्ट्रांग हो "

मैं हल्के से मुस्कुराया

"मेडम इससे ज्यादा स्ट्रांग चीज तो मेरे पेंट के अंदर है "

अब उन्होंने देर नही की और मेरा हाथ पकड़कर साथ लगे टॉयलट में ले गई ,

वंहा इतनी जगह थी की आराम से दो लोग लेट सकते थे..

मैंने जितना सोचा था मेरी तो उससे भी ज्यादा फ़ास्ट थी ,वो सीधे मेरे जीन्स पर पहुची और उसे तुरंत खोल कर नीचे कर दिया ,मेरी जॉकी की चड्डी में फंसा मेरा लिंग अकड़ने लगा था ,एक बार उसने लिंग को ऊपर से ही सहलाया,मेरा सांप भी फुंकार मारने लगा था ,देर ना करते हुए मैरी ने मेरी कच्छी नीचे कर दी ,मेरा लिंग फुंकार मरते हुए उसके मुह से टकरा गया ..

"ओह माय होली जीजस ..:omg: इतना बड़ा,इंसान का है या घोड़े का "

मैरी की बात सुनकर मैं हंस पड़ा ..

"मेडम अभी तो इसे आपकी हर छेद में जाना है ,बहुत बोल रही थी ना की मैं बच्चा हु अब देखो ये बच्चा कैसे तुम्हे माँ बनाता है "

मैरी की आंख में शरारत नाचने लगी और उसने बिना कुछ कहे ही अपना मुह खोलकर मेरे लहराते हुए लिंग को अपने नरम नरम होठो से रगड़ दिया ..

"मादरचोद " मेरे मुह से उत्तेजना के कारण अनायास ही निकल गया ..और मेरे हाथ सीधा मैरी के बालो को कसकर जकड़ लिए ..

उसने अपना पूरा मुह खोला और मेरा लिंग नर्म होठो से रगड़ खाता हुआ मैरी के मुह में प्रवेश करने लगा, लिंग के सुपडे की चमड़ी सरकते हुए पूरी खुल चुकी थी और मैरी में गले तक चली गई थी ..

"ऊऊहह गु गु "

मैरी के मुह का लार मेरे लिंग को भिगोने लगा था ,मुझे इतना मजा आ रहा था की ऐसा लगा जैसे उसके मुह में ही झर जाऊंगा,वो सच में एक्सपर्ट थी ,ऐसी चुसाई तो मैंने कभी पोर्न फिल्मो में भी नही देखी थी ,बड़े ही पैशन के साथ वो मेरे लिंग को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी ,ऐसे लग रहा था जैसे किसी बच्चे को उसका फेवरेट खिलौना मिल गया हो ..

मेरा लिंग पूरी तरह से लार से भीग चुका था वही मेरा हाथ मैरी के सर को जकड़े हुए जोरो से उसे अंदर बाहर कर रहा था,मैं बड़े जोश में उसका मुखचोदन कर रहा था ..

थोड़ी देर बाद वो खड़ी हुई और अपने कपड़े उतारने लगी ,वो इतनी मादक थी जैसे उसके एक एक अंग में कुदरत ने वासना का सैलाब भरा हो ,वो रस से भरी हुई थी ,ऐसा लग रहा था की यही है जिसे रात भर निचोड़ कर पीयू तो भी इसका रस कम ना हो ..

मेरी सांसे बेहद ही तेज हो गई थी ,मैं इतना उत्तेजित कभी नही होता था आज ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था की मैं एक लड़की के वश में था ना की वो मेरे वश में,

उसने अपने होठो को मेरे होठो में मिला दिया,मैं उसके रस के प्यारे से जाम पीने लगा था ,उसने मेरे हाथो को अपने योनि में टिकाया ,ऐसा लग रहा था जैसे हल्के गर्म चिपचिपे पानी का कोई झरना सा बह रहा हो मैंने एक उंगली घुसाई ऐसा लगा जैसे वो उंगली वही गुम हो गई,मैंने एक साथ तीन उंगली घुसाई तब जाकर मैरी के मुह से आह निकली ..

"कितने लौड़े खा चुकी है तेरी ये चुद "

मैंने उसके वक्षो पर अपने दांतो को गड़ाते हुए कहा ..

"आह बेटा जितनी तेरी उम्र है ना उससे दो गुना ज्यादा लौड़े ले चुकी हु "

उसने मेरे बालो को खीचकर मेरे होठो को काट दिया ,वो दर्द एक मीठा सा दर्द था मैं भी उसके होठो को किसी भूखे कुत्ते की तरह खा रहा था ..

मैंने देर ना करते हुए उसे दीवार से टिका दिया और अपने लिंग को उसकी योनि के द्वार पर टिकाया ..

"बेबी पहले चाट तो लो "

उसने मुझे सुझाया

"अरे मेरी जान मैं तो तुझे चोद चोद कर ही झडा दूंगा तू फिक्र क्यो कर रही हो "

उसने मुझे मस्कुरा कर देखा

"बहुत गुमान है तुम्हे अपने मर्दानगी का "

बस देखती जाओ ,मैंने अपने लिंग को उसकी योनि में सरका दिया ..

उसने मेरे बालो को जोरो से पकड़ रखा था..

"बेटे ..आह ..सच में घोड़े का लौड़ा है तेरा,आह मेरी चुद को भी फाड़ देगा तू तो ..माsss "

मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया,मेरा लिंग पहले ही उसकी लार से गीला था वही मैरी की योनि भी अपना भरपूर रस छोड़ रही थी दोनो की चिकनाई की वजह से एक ही वार में पूरा लिंग उसकी योनि में समा गई ..उसने अपने योनि को सिकोड़ा मेरी तो हालत ही खराब हो गई ,

लगता था साली कोई जादूगरनी थी ,इतना मजा ..

"आह मादरचोद..आह"

मैंने धक्के तेजी से देने शुरू किये ,वो भी मस्त होकर हिलने लगी,योनि और लिंग दोनो ही बहुत ही चिकने हो गए थे,मेरा लिंग किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था ,वही कामरस के कारण पच पच की आवाजे आने लगी थी ..वो खुलकर सिसकिया ले रही थी मैं भी पूरे जोश में उसे धक्के मार रहा था ,

एक समय आया जब उसने मेरे बालो को बुरी तरह से नोच लिया और मेरे कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए..

"माअअअअअअअअअअअअ"

वो जोरो से झड़ी और मुझमे समा गई ,उसकी योनि किसी झरने की तरह बह रही थी और मेरे पूरे जांघो तक उसका कामरस फैल गया था ..

वो थककर मुझपर ही गिर गई..

"अरे मेरी जान तू तो मुझे बच्चा कह रही थी और इतने जल्दी तू ही झर गई.."

"तू बच्चा नही साले तू घोड़ा है ,चल अब जल्दी से तू भी गिरा ले "

वो हांफ रही थी

"अरे अभी इतनी जल्दी भी क्या है "

मैंने उसे पलट दिया ,उसने हाथो से दीवार को थामा और उसके पिछवाड़ा मेरे सामने हो गया...क्या चीज थी वो ,मटके जैसे उसके चूतड़ों को देखकर लग रहा था जैसे अभी इसे खा जाऊ..

मैंने पूरी ताकत से उसे पकड़ा और उसके चूतड़ वाले छेद में अपने लिंग को ले गया ..

"अब तू अभी मेरी गांड भी मरेगा "

"क्यो नही ??"

"नही नही …"उसने जल्दी से खुद को सम्हाला ..

"तू अगर अभी इसे चोदेगा तो मैं चल भी नही पाऊंगी आज नही बेटा फिर कभी "

मैंने उसके बालो को पकड़कर उसे अपनी ओर खीच लिया ..

"ओके माँ जी ,लेकिन ये वादा रहा .."

"हा वादा है मेरा ,तुझे पूरी रात इसी एक छेद की सैर करवा दूंगी फिर चाहे दो दिनों तक चल ना पाउ"

उसने बड़े ही प्यार से कहा और मेरे गालो में एक प्यारा सा किस दे दिया ..

"चलो बहुत देर हो गई है डॉ साहब देख रहे होंगे "

उसने तुरंत अपने कपड़े हाथो में उठा लिए"

"और इसका क्या करू "

अपने अपने हथियार की ओर इशारा किया जो अभी तक वैसा ही तना हुआ था ..

"अब इसे तुम ही सम्हालो ,मूत लो शायद थोड़ा शांत हो जाए "

वो खिलखिलाकर हंसी और अपने कपड़े पहनने लगी ,मैं भी कमोड में मूतने के लिए खड़ा हो गया था लेकिन साला निकल ही नही रहा था ..

जब मैं थोड़ा शांत हुआ तो मैंने अपनी जीन्स चढ़ाई और बाहर निकला ,बाहर सोफे में बैठा रोहित ने हमे एक साथ बाहर निकलते हुए देखा ..उसका मुह खुला का खुला था …


 
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अध्याय 35

रोहित का काम हो चुका था डॉ ने उसे मोटीवेट कर दिया था और साथ ही लगातार कॉउंसलिंग के लिए भी बोला था,मैं भी उसके लिए डाइट चार्ट और एक्सरसाइज का प्लान बनाने में उसकी मदद कर रहा था ,और उसकी सबसे बड़ी मोटिवेशन थी निकिता दीदी ,वो उसे फिर से पाना चाहता था ,उसने मुझे कहा की वो उन्हें वैसा खुश रखना चाहता है जैसा मैं हर लड़कियों को रखता हु ,शायद उसने मैरी और मेरी आवाजे सुनी होंगी ,और निकिता दीदी के साथ तो देखा ही था……

ख़ैर अभी कुछ दिन ही हुए थे,और मेरे पास निशा और निकिता दीदी थी ,कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ सो रहा था,निकिता दीदी रोहित से धोखा करना नही चाहती थी लेकिन बेचारी करे भी तो क्या करे एक बार जो मेरा मजा लग गया था तो थोड़ी बावली सी हो गई थी …..

तभी एक दिन मेरे वकील का फोन आया उसने बताया की महीना पूरा हो चुका है ,और किसी को कोई भी ऑब्जेक्शन नही है तो सारी संपत्ति हमारे नाम से करवाया जा सकता है,उसने दूसरे दिन का ही डेट बताया,

दूसरे दिन मेरा पूरा परिवार ऑफिस पहुचा और वंहा पूरी प्रक्रिया कंपलीट कर हम बाहर निकले ,अब मैं कोई साधारण इंसान नही रह गया था ,मैं चंदानी इंड्रस्ट्री का मालिक था ,और अब से मुझे पूरे कारोबार को देखना था ,रश्मि के पिता भी वहां आये थे क्योकि उनकी सरकारी महकमे में तगड़ी पहुच थी हमारा काम बहुत ही जल्दी हो गया ….

हम सभी ऑफिस के बाहर ही खड़े थे ,मेरी मा खुसी में सभी को मिठाईया खिला रही थी ,लेकिन मैंने देखा की मेरे पिता जी का चहरा थोड़ा उतरा हुआ है …..

"पापा आप कुछ उदा लग रहे हो "

मैंने उनके पास जाकर

"कुछ नही बेटा...मेरे पिता और ससुर को कभी मेरे ऊपर भरोसा नही था,मैंने कभी उनका भरोसा नही कमाया लेकिन पता नही क्यो उन दोनो को ही तुम्हारी मा पर बहुत भरोसा था ,इसलिए शायद उन्होंने सारी जयजाद उसके बच्चों के नाम कर दी .."

"क्या आप खुश ही हो ..??"

"नही मैं खुश हु ,लेकिन दुखी भी हु ,ये सब कुछ तुम लोगो का ही है ,और मैं तो तुम्हारे दादा और नाना के कारोबार को और आगे ले गया ताकि मेरे बच्चों को और भी ज्यादा मिले,लेकिन दुख बस इतना है की …….मैं अपने पिता और ससुर को कभी खुश नही रख पाया,वो मुझे नालायक समझते थे ,जबकि मैंने उनके कारोबार को कई गुना बड़ा दिया,मैं ये नही कहता की मेरे पास आज कुछ नही है ,मेरे पास मेरे बच्चे है,मेरी प्यार करने वाली बीबी है और मुझे अब जीवन से कुछ भी नही चाहिए,हा मैंने गलतियां की थी ,जवानी में हो जाता है ,और मेरी जवानी थोड़ी ज्यादा चल गई .."

वो हल्के से हँसे ..शायद जीवन में हमने इतनी देर कभी बात ही नही की थी ,आज पता नही क्यो लेकिन मुझे वो सही लग रहे थे,मैं भी तो अपनी जवानी में वो ही सब कर रहा हु जो उन्होंने किया था और जिसके कारण उन्हें इस जयजाद से बेदखल रखा गया था ..

उन्होंने बोलना जारी रखा ..

"काश की ये संपत्ति मैं तुम लोगो को सौपता ,"

वो फिर थोड़ी देर चुप हो गए ..

"लेकिन मैं ये नही कर पाया,खैर अब से तुम्हे ये सब सम्हलना है और मेरी कोई भी जरूरत पड़े तो मैं तुम्हारे साथ हु "

उनकी बात सुनकर पहली बार मुझे ऐसा लगा जैसे वो मेरे पिता है ..

"थैंक्स पापा,और मुझे कारोबार का क्या आईडिया है ,आप को ही सब सम्हलना है और मुझे सीखना है "

उन्होंने प्यार से मेरे बालो में हाथ फेरा ..

मैं आज बहुत खुश था ,इसलिए नही की मुझे ये संपत्ति मिली ,बल्कि इस लिए क्योकि आज मुझे मेरे पिता मिल गए ..

सभी लोग वापस जाने के लिए तैयार हुए ,हम दो गाड़ियों से आये थे ,एक में पिता जी और मा आयी थी वही दूसरे में मैं और मेरी तीनो बहने ,वापस जाते समय भी हम वैसे ही जाने के लिए तैयार हुए पिता जी और मा जाकर गाड़ी में बैठ चुके थे वही मैं और बहने दूसरी गाड़ी में ,उन्होंने गाड़ी स्टार्ट कर दी मैं भी जाने ही वाला था ,तभी अचानक मा दौड़ाकर मेरे पास आयी ..

"क्या हुआ मा "

"अरे कुछ नही तेरे पिता जी को ऑफिस से फोन आया था वो वंहा जा रहे है,मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी "

"ओके"

वो मेरी गाड़ी में बैठ गई ..

हम आगे निकलने ही वाले थे की पिता जी अपनी गाड़ी से बाहर आये ,इस बार उनके चहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी ..

वो मेरी गाड़ी जो की चलने ही वाली थी उसके सामने आकर खड़े हो गए थे ,उनके हाथ में मोबाइल था और वो किसी से बात कर रहे थे,उन्होंने मुझे इशारा किया ,सारी खिड़किया लगी हुई तो उनकी आवाज सुनाई नही दे रही थी लेकिन वो चिल्ला रहे थे ..

मैंने खिड़की खोली ..

"राज सभी तुरंत बाहर निकलो "

वो चिल्लाए

और हमारी कर के पास आकर एक एक का हाथ पकड़कर बाहर निकालने लगे ,हम सभी बाहर आ चुके थे ..

"पापा क्या हुआ …??"

उन्होंने हमे गाड़ी से दूर धकेला ,लेकिन मा अभी भी गाड़ी में थी ,मैं जल्दी जल्दी में ये भूल ही गया था की उनकी सीट बेल्ट अटक गई थी ,पिता जी कार के अंदर ड्राइवर सीट में घुसे और बाजू वाले सीट पर बैठी मा की सीट बेल्ट को निकालने लगे ..

"पापा हुआ क्या है ..?"

मैं पास जाते हुए उनसे पूछा ….

"दुर हटो यंहा से मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही माँ पापा ने मुझे जोर का धक्का दिया और माँ की तरफ पलटे लेकिन तक सीट बेल्ट खुल चुकी थी और मा दरवाजा खोलकर बाहर निकल चुकी थी ..

और धड़ाम …….

पूरी की पूरी कार हवा में उछल गई ,मैं और माँ धमाके से दूर जाकर गिरे ……..

कानो ने सुनना बंद कर दिया था चारो तरफ भगदड़ मची हुई थी,चोट तो मुझे भी आयी थी लेकिन मैं सम्हल चुका था,और मेरे सामने पिता जी की बुरी तरह से जली हुई लाश पड़ी थी …..

मैंने माँ को देखा वो दूर बेहोश पड़ी हुई थी ,

"पिता जी…." मैं पूरी ताकत से चिल्लाया और उनकी ओर भागा,जब मैं उनके पास पहुचा तो लगा जैसे वो मुझे देख रहे हो ,पूरा चहरा जल चुका था ,उनकी आंखे मेरी आंखों से मिली ,उनकी जुबान थोड़ी सी हिली ..जैसे वो मुझेसे कुछ कहना चाहते हो ..

मैंने अपने कान नीचे किये

"माँ का ख्याल रखना,मैंने जीवन भर उसे दुख दिया.."

और ……..

और वो चुप हो गए …..

आज ही तो मुझे वो मिले थे ,आज मैं कितना खुश था और आज ही ……

आज ही वो मुझे छोड़कर चले गए …..

मेरी नजर माँ पर गयी ,कुछ लोग उन्हें उठा रहे थे,वो भी बुरी तरह से चोटग्रस्त थी ,मैं माथा पकड़ कर रो रहा था तभी …

धड़ाम……

हमारी दूसरी कार भी हवा में उड़ गई ,चारो तरफ मानो आतंक का सन्नटा छा गया था,और उसके साथ एक सन्नाटा मेरे दिल में भी छा गया था ……


 
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अध्याय 36

हॉस्पिटल का माहौल गमगीन था,पिता का पार्थिव शरीर मरचुरी में रखा गया था,माँ ICU में एडमिट थी ,बहनो की आंखे रो रो कर सूज गई थी ,मैं बिल्कुल किसी पत्थर की तरह निश्चल सा हो गया था,मन और शरीर शून्य से पड़ गए थे,क्या हुआ क्यो हुआ कुछ भी समझ के परे था,

भैरव सिंह(रश्मि के पिता) और डॉ चूतिया पूरे दिन साथ ही रहे,लेकिन उनके सांत्वनाये मेरे किसी काम नही आ रही थी ..

तभी ICU का दरवाजा खुला ..

कुछ डॉक्टरस बाहर आये ,और भैरव सिंह के पास पहुचे ..

"राजा साहब ,पेशेंट की हालत खतरे से बाहर है लेकिन अभी जख्मो को भरने और सामान्य होने में समय लगेगा,"

तभी मुझे अचानक से होश आया ,वो डॉ जा चुका था और मैं खड़ा हुआ ..डॉ चूतिया और भैरव सिंह मुझे देखने लगे ,मैं अभी तक एक आंसू नही रोया था जैसे मेरे आंसू ही सुख गए हो ..

"लगातार दो बम विस्फोट हुए ,हमारे कारो में,पापा को फोन आया और उन्हें किसी ने बताया की हमारे कार में भी बम रखा गया है,आखिर क्यो..???अगर उसे हमे मारना ही होता तो बताने की क्या जरूरत थी की हमारे कार में बम है .."

मैंने उठाते ही कहा और दोनो ही चौक गए ..और मुझे देखने लगे ..

"ऐसे मत देखिए,मेरा मेरे पिता के साथ जीवन में कभी नही बना,पहली बार बनने लगा था लेकिन शायद प्रकृति को यही मंजूर है की हम अलग ही रहे ,और इस समय मैं कमजोर नही पड़ सकता,ना जाने क्या हो रहा है,अगर उन्हें जयजाद ही चाहिए थी वो पहले ही मार देते लेकिन अभी अटैक क्यो,और अगर उनका टारगेट मैं था या मेरी माँ या बहने थी तो स्वाभाविक है की अभी वो इंसान शांत नही बैठेगा ,और मेरे कमजोर होने का मतलब है की उसका ताकतवर हो जाना,मैं अपने परिवार पर कोई खतरा नही होने दूंगा "

मेरी आंखों में जैसे ज्वाला नाचने लगा था ,डॉ चूतिया ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा ..

"डॉ साहब अब मेरी माँ खतरे से बाहर है ,मेरे ख्याल से अब मुझे पूरी ताकत से इस काम में लग जाना चाहिए ,मुझे अभी पुलिस स्टेशन जाना होगा "

"ह्म्म्म चलो हम भी साथ चलते है ,"

भैरव सिंह बोल उठा

"नही अंकल शायद आपको यही रहना चाहिए,मेरे जाने के बाद कोई तो यंहा होना चाहिए जो मेरे परिवार को सम्हाले,"

अंकल ने हामी भरी और मैं डॉ चूतिया के साथ पुलिस स्टेशन चला गया ..

*********


"डॉ साहब दोनो गाड़ियों में रिमोट टाइमर वाले बम लगाए गए थे,मतलब रिमोट से टाइमर को कंट्रोल किया जा रहा था ,इसमे रिमोट दबाते ही टाइमर आन हो जाता है ,"

इंस्पेक्टर हमे बता रहा था ..

"और पापा के नंबर पर लास्ट काल किसका था जिसने उन्हें बताया की हमारी काम में बम लगा हुआ है.."

"नही पता सर ,इंटरनैशनल नंबर था जो सिर्फ एक बार यूज़ किया गया,शायद इसी काम के लिए उसे लिया गया था जिससे वो ट्रेक ना किया जा सके.."

"ह्म्म्म :hmm: लेकिन सोचने वाली बात है की अगर उसे तुम लोगो को मारना ही था तो उसने काल क्यो किया ??"

डॉ ने सवाल किया और मेरे दिमाग के कीड़े दौड़ाने लगे ..

"क्योकि उसे सभी को नही मरना था ,वो किसी को बचा रहा था.."

मेरे दिमाग में वो नजारा फिर से घूमने लगा .मैंने अपनी आंखे बंद की सब कुछ क्लियर दिखने लगा था..मैं बोलने लगा ..

"हम बाहर आये सभी खुश थे,पिता जी ने पहली बार अपनी गलती मानी थी,मुझे लगा की आज वो मुझे वापस मिल गए ,हम सभी भाई बहन एक कार से जाने वाले थे वही पिता जी और माँ दूसरी कार से...उस कातिल में दोनो कारो में बम रखा क्योकि उसे पता नही था की कौन किस कार से जाएगा ...अब शायद उसका टारगेट मैं या मेरी बहने थी इसलिए उसने रिमोट से कार में लगे बम को एक्टिव किया ,शायद 2 या 3 मिनट का टाइमर रहा होगा,ताकि गाड़ी थोड़ी आगे बाद जाए ,लेकिन तभी मेरी माँ पिता जी को छोड़कर हमारे साथ बैठ गयी और मामला गड़बड़ हो गया,उसने पिता जी को काल किया और बताया की कार में बम लगा है,जैसे ही वो उतरे की उसने पिता जी की कार में लगे बम को भी एक्टिव कर दिया होगा,पिता जी ने हमे तो बचा लिया लेकिन ….और उसके कुछ देर बाद ही पिता जी की कार भी फट पड़ी...ताकि हमे लगे की वो सब को मारना चाहता था…….लेकिन उसने टारगेट किया था वो किसी को बचा रहा था ???"

मैंने आंखे खोली इंस्पेक्टर और डॉ मुझे ही देख रहे थे…

"तुम्हारी माँ को ..वो तुम्हारी माँ को बचा रहा था.."

डॉ उत्तेजना में बोल उठे…

".लेकिन क्यो.???."इंस्पेक्टर जैसे गहरी नींद से अचानक ही जाग गया हो ..

दोनो मुझे ही देख रहे थे...मैं दोनो को एक नजर देखा और अपनी आंखे बंद कर ली ,मेरी रूह मेरे शरीर से बाहर थी और मैं सीधे हॉस्पिटल में ,भैरव सिंह मेरी माँ के कमरे में था,उसका हाथ मेरी माँ के हाथ में था,उसकी आंखों में आंसू था ..

माँ अभी भी बेहोश थी ,तभी दरवाजा खुला और रश्मि अंदर आयी उसने अपने पिता के कंधे पर हाथ रखा ..

"अपने आप को सम्हालो पापा .."

"कैसे सम्हालु बेटी ,आखिर कैसे ,मेरे कारण ही इसकी ये हालत हुई है ,मेरे कारण ही अनुराधा ने जीवन भर दुख ही पाया,कभी पति से प्यार नही पाया सिर्फ मेरे कारण,चंदानी को हमेशा से शक था की अनुराधा उससे नही मुझसे प्यार करती थी ,उसने इसे पा तो लिया लेकिन इस दर्द से कभी बाहर नही निकल पाया था वो ,उसे तो ये भी लगता था की राज उसका नही मेरा बेटा है ,इसलिए कभी उसने राज को अपना बेटा ही नही माना ,उससे हमेशा ही गैरो की तरह बर्ताव किया ,आज जब सब कुछ ठीक होने वाला था तो ...ये हादसा …"

वो चुप हो गया था ..

लेकिन उसकी बात से रश्मि चौक गई थी ..

"पापा क्या राज सच में आपका खून है "

भैरव ने एक बार रश्मि को देखा और अपने आंसू पोछे ..

मेरे ख्याल से अब हमे चंदानी के अंतिम यात्रा की तैयारी करनी चाहिए ..

वो उठ कर बाहर चला गया लेकिन …….

लेकिन उसकी एक बात से रश्मि और मुझे अंदर किसी गहरे तल बहुत कुछ बदल सा गया था …….

मेरी आंखे खुली मेरे आंखों में फिर से पानी था …..


 

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