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अपनी हथेली को अपनी बुर पर रगड़ रगड़ कर वह अपनी प्यास को और ज्यादा बढ़ा ली थी और अपनी मां को अपने बदन से खेलते देखकर शुभम की हालत पतली हुए जा रही थी। वह भी जोर जोर से अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही रगड़ रहा था। पूरी तरह से संपूर्णता कामुकता से भरा हुआ मंजर नजर आ रहा था। निर्मला की प्यास और ज्यादा बढ़ती जा रहीे थी। उससे रहा नहीं गया तो वह अपनी हथेली से बुर को रगड़ते रगड़ते अपनीे बीच वाली उंगली को धीरे से बुर की गुलाबी छेद में घुसा दी,,,,, और जैसे ही उसकी उंगली बुर में प्रवेश की वैसे ही तुरंत उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी। शुभम को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है बस उसे उसका हाथ हिलता हुआ नजर आ रहा था लेकिन इतने से उसके लिए अंदाजा लगा पाना मुश्किल था। शुभम की जगह अगर कोई और होता तो वह जरुर समझ जाता कि आखिर निर्मला क्या कर रही है।
ईधर देख देख कर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी।
और उधर निर्मला अपनी बुर में उंगली कर कर के अपनी प्यास को शांत करने की कोशिश कर रही थी। निर्मला से अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपनी बूर. में अंदर बाहर कर रही थी। और अब उसके मुंह से सिसकारी की आवाज तेज आने लगी थी जो कि अब शुभम के कानों तक आराम से पहुंच रही थी। अपनी मां के मुंह से अजीब अजीब सी आवाज सुनकर शुभम तो एकदम हैरान हो गया,,,,, उसने आज तक ऐसी गरम आवाज नहीं सुनी थी।
सससससहहहहहह,,,,,, आहहहहहहह,,,, ऊूूहहहहहहह,,,,, ओोोहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला के मुंह से इस तरह की आवाजें आ रही थी,,,, जिसे सुनकर शुभम की हालत खराब हो रही थी। यह आवाजे उसे बेहद आनंददायक और खुद की उत्तेजना को बढ़ाने वाली लग रही थी तभी तो वह अब जोर जोर से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा था। उसकी निगाह बराबर अपनी मां के तेज चल रहे हाथ की हरकत और उसकी भरावदार गांड पर टिकी हुई थी।
निर्मला की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपने बूर में अंदर बाहर करते हुए मस्त हुए जा रही थी। शुभम तो बस देख कर ही मस्त हुए जा रहा था हालांकि उसने अभी तक अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को ही देख पाया था,,, उसकी नजरों से अभी उसकी मां की रसीली बुर और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां दूर थी। इतने से ही शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी तो अगर वह अपनी मां की रसीली बुर और बड़ी बड़ी चूचियां देख लें तो शायद खड़े-खड़े उसका पानी निकल जाए।
शुभम यहां से बस देखे जा रहा था उसे यह नहीं पता था कि उसकी मां अपनी उंगलियों का सहारा ले कर के अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी क्योंकि यहां से सिर्फ उसे अपनी मां के हाथ की हरकत ही नजर आ रही थी बाकी वह अपने हाथ से क्या कर रही है यह बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था।
और नजर आता भी तो कैसे क्योकि निर्मला खड़ी हो करके अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,,, और उसकी मांसल मोटी मोटी जांघों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी भऱावदार गांड की वजह से उसकी उंगलियों की हरकत देख पाना शुभम के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। शुभम अपने मां बाप का वजन कितना देखा था शायद अब उससे उसका मन नहीं भरा था। अब वह अपनी मां की जानवरों के बीच के उस जगह को देखना चाहता था जिसे बुर कहते हैं। कोई इसलिए वह मन ही मन थोड़ा उदास भी नजर आ रहा था पर उत्तेजना तो उसके बदन में अपना पूरा असर दिखा रहा था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल लाल हो गया था। वह इसी ताक झांक में था कि उसे जांघों के बीच की वह जगह नजर आ जाए,,,, तभी जैसे उसके मन की बात को निर्मला सुन ली हो,,, और वह तुरंत अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर करते हुए झुक गई,,,, और जैसे ही वह नीचे झुकी शुभम को उसकी जांघों के बीच कि वह पतली और गुलाबी दरार नजर आने लगी जिसे बुर कहा जाता है। उस पतली गुलाबी दरार पर नजर पड़ते हैं शुभम की तो जेसे सांस ही अटक गई,,, उसका दिमाग काम करना बंद हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या देख रहा है। आज पहली बार उसने बुर के दर्शन किए थे उसकी बनावट को दूर से ही सही पर देख रहा था। शुभम का तो गला सूखने लगा था उत्तेजना के मारे वह थुक को भी निगल नहीं पा रहा था। शुभम कीे सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। अपनी मां के अतुल्य अंग को ईस समय वह देख रहा था उसके बारे में उसने कभी ईतनी कल्पना भी नहीं कर पाया था। कभी ध्यान से देखने पर उसे जो नजर आया उसे देखकर वह दंग रह गया। ऊसे अब ऊसकी मां के हाथों के हरकत के बारे में समझ आया था।
वह साफ साफ देख पा रहा था की ऊसकी मां की ऊंगलियां ऊसकी बुर के अंदर थी जिसे वह बड़ी तेजी से अंदर-बाहर कर रही थी। यह नजारा देखकर शुभम की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसका लंड पैंट के अंदर ही अकड़ने लगा,,,, उससे भी अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था और अपनी मां को बुर के अंदर उंगली अंदर बाहर करते हुए देखकर वह कब अपनी पेंट की चेन को खोलकर लंड अपने हाथ में ले कर मसलने लगा उसे पता ही नहीं चला। अपनी मां को देख देख कर उसे अपने लंड को मसलने में बेहद आनंद मिल रहा था। उसकी मां अभी भी झुक कर अपनी बुर में उंगली को अंदर बाहर करके मजा ले रही थी। उत्तेजना की वजह से उसके मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थी जोकी शुभम को साफ सुनाई दे रही थी।
निर्मला की उत्तेजना इस तरह से ऊंगली से शांत होने वाली नहीं थी लेकिन फिर भी कुछ हद तक वह अपने मन को बहलाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। इसलिए वह तुरंत अपनी चुचियों पर बंधी हुई पेटीकोट की डोरी को खोलकर जल्दी-जल्दी पेटीकोट को नीचे सरकाते हुए अपने कदमों में गिरा दी। अब निर्मला पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी शुभम तो यह नजारा देखकर एकदम आश्चर्य चकित हो गया। उसके अरमान आज पूरे हो गए थे उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसे अपनी आंखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था वह अपने आप को छुपाते हुए अपने लंड को जोर जोर से मसल रहा था।
लेकिन फिर भी अभी उसकी इच्छा अधूरी ही थी क्योंकि वह अपनी मां की पीठ के ही तरफ का भाग देख रहा था सामने से उसने अभी तक अपनी मां को नंगी नहीं देख पाया था।
पेटीकोट को उतारने के बाद निर्मला फिर से उसी तरह से झुक कर अपनी बुर को अपनी उंगली से पेलने लगी।
निर्मला आज पहली बार इतनी बेशर्म हुई थी। इस तरह से पूरी तरह नंगी होने के बावजूद उसके चेहरे पर शर्म की एक रेखा तक नजर नहीं आ रही थी। बल्कि उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो गया था उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखर आई थी। शुभम को यही चाह रहा था कि एक बार उसकी मां उसकी तरफ चेहरा कर के घूम जाए लेकिन उसे डर भी था कि अगर इस तरह उसकी मां चेहरा करेगी तो कहीं वह उसे देख ना ले।
गजब का नजारा बना हुआ था शुभम अपनी मां को एकदम नंगी देखकर अपने लंड को हिला रहा था और उसकी मां एकदम बेशर्म हो करके अपने पूरे कपड़े उतार कर अपने ही उंगली से अपनी बुर को चोद रही थी। अपनी ब** में ऊंगली करते हुए उसके मन में बैंगन का विचार जरूर आ रहा था वह मन में यही सोच रही थी की अगर उंगली की जगह बैगन भी होता तो आज शायद उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती यह सोचते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करके अपनी बुर को चोद रही थी। और साथ ही जोर-जोर से गर्म सिसकारियां भी ले रही थी। निर्मला चरम सुख के बिलकुल करीब पहुंच चुकी थी उत्तेजना के मारे उसके पैर कांप रहे थे। उसे भी इस बात का एहसास हो गया था कि वह झड़ने वाली है इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपने बुर में जोर जोर से उंगली पेलने लगी।
इधर अपनी मां को संपूर्ण नग्न अवस्था में देखकर और उसे देखते हुए अपने लंड को मसल का उसे भी अजीब सा महसूस होने लगा था उसे भी ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पांव फूल रहे हैं और उसके पैरों में कंपन सा महसूस हो रहा था। तभी निर्मला अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच गई उसका हाथ पाव कांपने लगा और उसके मुंह से सिसकारी ओ की आवाज भी तेज हो गई,,,,, यह देखकर शुभम भी जोर-जोर से अपने लंड को मसलने लगा,,,,,
तभी निर्मला के मुख से जोर से चीख निकली और वह भल भला कर झड़ने लगी,,,, अपनी मां की हालत को देख कर शुभम भ ी अपने आप पर काबू ना कर सका और उसके लंड ने एक तेज पिचकारी की धार मारी और शुभम झड़ने लगा।
अपने लंड से निकल रहे सफेद गाढ़े पदार्थ को देखकर शुभम के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्योंकि आज पहली बार उसे इस तरह का अनुभव हो रहा था वह एकदम डर गया था लेकिन जितनी देर तक उसके लंड से पानी निकलता रहा उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती रही उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हवा में झूला झूला हो। लेकिन वह एकदम से डर गया था एक नजर अपनी मां की तरफ देखा तो वह अभी भी घुटनों के बल बैठ कर हांफ रही थी और उसकी उंगली अभी भी उसकी बुर में ही थी।
शुभम डर के मारे जल्दी से अपने लंड को वापस पैंट में ठूस कर जल्दी से वहां से चला गया।
ईधर देख देख कर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी।
और उधर निर्मला अपनी बुर में उंगली कर कर के अपनी प्यास को शांत करने की कोशिश कर रही थी। निर्मला से अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपनी बूर. में अंदर बाहर कर रही थी। और अब उसके मुंह से सिसकारी की आवाज तेज आने लगी थी जो कि अब शुभम के कानों तक आराम से पहुंच रही थी। अपनी मां के मुंह से अजीब अजीब सी आवाज सुनकर शुभम तो एकदम हैरान हो गया,,,,, उसने आज तक ऐसी गरम आवाज नहीं सुनी थी।
सससससहहहहहह,,,,,, आहहहहहहह,,,, ऊूूहहहहहहह,,,,, ओोोहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला के मुंह से इस तरह की आवाजें आ रही थी,,,, जिसे सुनकर शुभम की हालत खराब हो रही थी। यह आवाजे उसे बेहद आनंददायक और खुद की उत्तेजना को बढ़ाने वाली लग रही थी तभी तो वह अब जोर जोर से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा था। उसकी निगाह बराबर अपनी मां के तेज चल रहे हाथ की हरकत और उसकी भरावदार गांड पर टिकी हुई थी।
निर्मला की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपने बूर में अंदर बाहर करते हुए मस्त हुए जा रही थी। शुभम तो बस देख कर ही मस्त हुए जा रहा था हालांकि उसने अभी तक अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को ही देख पाया था,,, उसकी नजरों से अभी उसकी मां की रसीली बुर और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां दूर थी। इतने से ही शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी तो अगर वह अपनी मां की रसीली बुर और बड़ी बड़ी चूचियां देख लें तो शायद खड़े-खड़े उसका पानी निकल जाए।
शुभम यहां से बस देखे जा रहा था उसे यह नहीं पता था कि उसकी मां अपनी उंगलियों का सहारा ले कर के अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी क्योंकि यहां से सिर्फ उसे अपनी मां के हाथ की हरकत ही नजर आ रही थी बाकी वह अपने हाथ से क्या कर रही है यह बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था।
और नजर आता भी तो कैसे क्योकि निर्मला खड़ी हो करके अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,,, और उसकी मांसल मोटी मोटी जांघों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी भऱावदार गांड की वजह से उसकी उंगलियों की हरकत देख पाना शुभम के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। शुभम अपने मां बाप का वजन कितना देखा था शायद अब उससे उसका मन नहीं भरा था। अब वह अपनी मां की जानवरों के बीच के उस जगह को देखना चाहता था जिसे बुर कहते हैं। कोई इसलिए वह मन ही मन थोड़ा उदास भी नजर आ रहा था पर उत्तेजना तो उसके बदन में अपना पूरा असर दिखा रहा था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल लाल हो गया था। वह इसी ताक झांक में था कि उसे जांघों के बीच की वह जगह नजर आ जाए,,,, तभी जैसे उसके मन की बात को निर्मला सुन ली हो,,, और वह तुरंत अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर करते हुए झुक गई,,,, और जैसे ही वह नीचे झुकी शुभम को उसकी जांघों के बीच कि वह पतली और गुलाबी दरार नजर आने लगी जिसे बुर कहा जाता है। उस पतली गुलाबी दरार पर नजर पड़ते हैं शुभम की तो जेसे सांस ही अटक गई,,, उसका दिमाग काम करना बंद हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या देख रहा है। आज पहली बार उसने बुर के दर्शन किए थे उसकी बनावट को दूर से ही सही पर देख रहा था। शुभम का तो गला सूखने लगा था उत्तेजना के मारे वह थुक को भी निगल नहीं पा रहा था। शुभम कीे सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। अपनी मां के अतुल्य अंग को ईस समय वह देख रहा था उसके बारे में उसने कभी ईतनी कल्पना भी नहीं कर पाया था। कभी ध्यान से देखने पर उसे जो नजर आया उसे देखकर वह दंग रह गया। ऊसे अब ऊसकी मां के हाथों के हरकत के बारे में समझ आया था।
वह साफ साफ देख पा रहा था की ऊसकी मां की ऊंगलियां ऊसकी बुर के अंदर थी जिसे वह बड़ी तेजी से अंदर-बाहर कर रही थी। यह नजारा देखकर शुभम की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसका लंड पैंट के अंदर ही अकड़ने लगा,,,, उससे भी अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था और अपनी मां को बुर के अंदर उंगली अंदर बाहर करते हुए देखकर वह कब अपनी पेंट की चेन को खोलकर लंड अपने हाथ में ले कर मसलने लगा उसे पता ही नहीं चला। अपनी मां को देख देख कर उसे अपने लंड को मसलने में बेहद आनंद मिल रहा था। उसकी मां अभी भी झुक कर अपनी बुर में उंगली को अंदर बाहर करके मजा ले रही थी। उत्तेजना की वजह से उसके मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थी जोकी शुभम को साफ सुनाई दे रही थी।
निर्मला की उत्तेजना इस तरह से ऊंगली से शांत होने वाली नहीं थी लेकिन फिर भी कुछ हद तक वह अपने मन को बहलाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। इसलिए वह तुरंत अपनी चुचियों पर बंधी हुई पेटीकोट की डोरी को खोलकर जल्दी-जल्दी पेटीकोट को नीचे सरकाते हुए अपने कदमों में गिरा दी। अब निर्मला पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी शुभम तो यह नजारा देखकर एकदम आश्चर्य चकित हो गया। उसके अरमान आज पूरे हो गए थे उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसे अपनी आंखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था वह अपने आप को छुपाते हुए अपने लंड को जोर जोर से मसल रहा था।
लेकिन फिर भी अभी उसकी इच्छा अधूरी ही थी क्योंकि वह अपनी मां की पीठ के ही तरफ का भाग देख रहा था सामने से उसने अभी तक अपनी मां को नंगी नहीं देख पाया था।
पेटीकोट को उतारने के बाद निर्मला फिर से उसी तरह से झुक कर अपनी बुर को अपनी उंगली से पेलने लगी।
निर्मला आज पहली बार इतनी बेशर्म हुई थी। इस तरह से पूरी तरह नंगी होने के बावजूद उसके चेहरे पर शर्म की एक रेखा तक नजर नहीं आ रही थी। बल्कि उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो गया था उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखर आई थी। शुभम को यही चाह रहा था कि एक बार उसकी मां उसकी तरफ चेहरा कर के घूम जाए लेकिन उसे डर भी था कि अगर इस तरह उसकी मां चेहरा करेगी तो कहीं वह उसे देख ना ले।
गजब का नजारा बना हुआ था शुभम अपनी मां को एकदम नंगी देखकर अपने लंड को हिला रहा था और उसकी मां एकदम बेशर्म हो करके अपने पूरे कपड़े उतार कर अपने ही उंगली से अपनी बुर को चोद रही थी। अपनी ब** में ऊंगली करते हुए उसके मन में बैंगन का विचार जरूर आ रहा था वह मन में यही सोच रही थी की अगर उंगली की जगह बैगन भी होता तो आज शायद उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती यह सोचते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करके अपनी बुर को चोद रही थी। और साथ ही जोर-जोर से गर्म सिसकारियां भी ले रही थी। निर्मला चरम सुख के बिलकुल करीब पहुंच चुकी थी उत्तेजना के मारे उसके पैर कांप रहे थे। उसे भी इस बात का एहसास हो गया था कि वह झड़ने वाली है इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपने बुर में जोर जोर से उंगली पेलने लगी।
इधर अपनी मां को संपूर्ण नग्न अवस्था में देखकर और उसे देखते हुए अपने लंड को मसल का उसे भी अजीब सा महसूस होने लगा था उसे भी ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पांव फूल रहे हैं और उसके पैरों में कंपन सा महसूस हो रहा था। तभी निर्मला अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच गई उसका हाथ पाव कांपने लगा और उसके मुंह से सिसकारी ओ की आवाज भी तेज हो गई,,,,, यह देखकर शुभम भी जोर-जोर से अपने लंड को मसलने लगा,,,,,
तभी निर्मला के मुख से जोर से चीख निकली और वह भल भला कर झड़ने लगी,,,, अपनी मां की हालत को देख कर शुभम भ ी अपने आप पर काबू ना कर सका और उसके लंड ने एक तेज पिचकारी की धार मारी और शुभम झड़ने लगा।
अपने लंड से निकल रहे सफेद गाढ़े पदार्थ को देखकर शुभम के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्योंकि आज पहली बार उसे इस तरह का अनुभव हो रहा था वह एकदम डर गया था लेकिन जितनी देर तक उसके लंड से पानी निकलता रहा उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती रही उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हवा में झूला झूला हो। लेकिन वह एकदम से डर गया था एक नजर अपनी मां की तरफ देखा तो वह अभी भी घुटनों के बल बैठ कर हांफ रही थी और उसकी उंगली अभी भी उसकी बुर में ही थी।
शुभम डर के मारे जल्दी से अपने लंड को वापस पैंट में ठूस कर जल्दी से वहां से चला गया।