Adultery Hindi sex stories

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यहां पर छोटी छोटी मजेदार कहानी मिलेगी । एंजॉय कीजिए
 
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  • 1. मजबूरी मां की

हम एक गांव में रहते हे संयुक्त परिवार में रहते हे । पापा तीन भाई थे और उनके परिवार हम सब एक साथ एक ही बड़े से घर में थे । पापा मजिले भाई थे । में मां पापा एक का लौटा संतान था । खेर ज्यादा परिषय दे कर कहानी को बिश्रिंगख ना करते हुए कहानी शुरू करते है क्यू की कहानी सिर्फ मेरी मां के बारे में हे । लेकिन थोड़ा पर्यावरण बता देता हूं ताकि कहानी शुरू हो सके ।


में अभी पिछले महीने ही 18 का हुआ और कॉलेज भी जाने लगा । मेरी मां पापा की शादी कम उम्र में ही हो गई थी पापा की उम्र लगभग 40 और मां की उम्र लगभग 36 ।


मां की चाची से बोहोत मिल जुल था । दोनो सगी बहनों जैसे रहते थे और हर एक व्यक्तिगत बात अपच में बात करते थे । मेरी चाची मां से हमेसा एक बात कहती थी की " दीदी आप अपनी जवानी यूही बर्बाद कर दिया और कर रही हो " और मां आफोसस करती थी चाची की बातों पर । चाची ये बात इसलिए कहती थी क्यू की पापा बोहोत दुबले पतले थे चाची जानती थी की पापा मां को जरा भी खुश नही कर पाते थे । चाची थोरी चालू किस्म की थी और मां को बाहर अपना जिस्म लुटवा कर जवानी का मजा लेने को हिदायत देती थी । लेकिन मां थी एक पतिव्रता औरत संस्कारी । चाची चाचा से खुश थी क्यू की चाचा हट्टे कट्टे और तंदुरुस्त था । चाची कहती थी " दीदी आप तो असली चूदाई का मजा कभी एहसास ही नेही कर पाई। और साइड आप कभी असली चूदाई का मजा कभी ले नही पाएगी। पता नही लल्ला (मेरे बारे में) कैसे पैदा हो गया " मां कहती थी " ऊपर वाले की कृपा से हो गया । तू छोड़ ना ये सब संसार का सुख उसी में थोरी सब कुछ है। परिवार का साथ है और क्या चाहिए "



मां एक गांव की बता वरन के हिसाब से खूबसूरत गृहिणी थी । ना ज्यादा मोती थी और ना ज्यादा पतली थी गोरा बदन गदराया हुआ शरीर थी उसकी ।



 
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लेकिन मां क्या पता था की उसकी किस्मत में असली चूदाई का सुख पाना लिखन है जो बोहोत जल्द उसे मिलने वाला था ।


हमारा घर काफी बड़ा था और बोहोत पुराना था । ताऊ जी वाले दो कमरों की मरम्मत की जरूरत थी । ताऊजी ने पहले कमरों की मरम्मत करने की चीजे खरीद के ले आए । और एक दिन ताऊजी ने 5 मजदूर काम करवाने को ले कर आए ।


बदकिस्मत की बात थी उस दिन ताईजी डॉक्टर के पास चले गए उसके साथ चाची भी गई । पापा चाचा और ताऊ भी अपने काम चले गए थे । और सभी बच्चे अपने अपने स्कूल कॉलेज चले गए थे ।


लेकिन हमारे घर में कुछ कुछ जगह पर सीसी कैमरे लगे हुए थे जो की ताऊजी के बेटे ने लगवाया था और में उसे देखता था। और उस दिन सारा कारनामा मैने बाद में कैमरे की रिकॉर्ड देखा जो उन 5 मजदूरों ने हड़कंडे किए थे ।


तो मां घर पर अकेली थी । मजदूरों को चाय पानी और दोपेरेह का खाना देना मां की जमीदारी थी । तो मजदूर सुबह से काम पर लग गए थे । मां घर का काम कर के 10 बजे चाय बना कर मजदूरों को देने गई ।


पांचों मजदूर धूप में काम कर रहे थे कोई मालवा तोड़ रहा था कोई साफ सफाई कर रहा था तो कोई लोहे की रोड काट रहा था । निम्न स्तर के लोग थे काले भद्दे जो धूप में काम करने से पसीने से तड़ बदर थे ।



मां पांचों मजदूरों को देख कर ही अंदर ही अंदर एक दर से सहम गई क्यू की घर में वो अकेली और 5 अंजान जवान हट्टे कट्टे काले मजदूर घर में वो भी घर का गेट भी बंद है। फिर भी मां ने उन लोगो को चाय दे कर प्यार से चाय पीने के लिए कहा ।

पांचों मजदूर चाय का कप उठा कर चाय पीने लगे । मां कुछ देर वोही खड़ी रही वो क्या क्या काम हुवा है देखती रही ।

मजदूरों का नाम कुछ इस तरह से था लाला , हरिया , करीम , टुंडा और जफर । पांचों ही 30, 35 के उम्र के हट्टे कट्टे लंबे चौड़े मर्द थे ।

लाला और हरिया मां से ऐसे ही जान पहचान की बात की उन दोनो ने अच्छे से बात किया था तो मां को लगा अच्छे भले लग है तो मां को थोरी शांति मिली उनके मन से जो दर था वो दूर हो गई ।
 
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जब मां कुछ देर बाद खाली कप उठा कर लौट रही थी तो टूटे दीवार की और से आने से उसकी सारी कमर से एक टूटे हुए दीवार की रोड में फंस गई । मां ने कप की ट्रे नीचे रख कर फंसे हुए सारी निकलने लगी लेकिन निकाल नही पा रही थी और परेशान हो कर बोली " उफ्फ कहा फंस गया "



तभी करीम जल्दी से मां के पास आ कर बोला " लाओ भाभी जी में निकाल देता हूं "


मां को उनकी बाते और और अपने इतने करीब पा कर शर्मा गई और कहने लगी " नही नही भाई में कर लूंगा "

लेकिन मां की कहने से पहले ही करीम मां की सारी पकड़ कर फंसे हुए सारी निकालने लगा । और मां शर्म से मकबुर हो कर खड़ी रही ।

करीम कुछ देर कशिश करते हुए बोला " लगता हे सारी बुरी तरह फांसी गई है"

और इसी मौके का फायदा उठा कर जफर और टुंडा मां के पास आ गया और बोला " अरे करीम तू एक सारी निकाल नही सकता कैसा मर्द है तू " और ये बोल कर दोनो करीम के साथ फंसे हुए सारी निकालने में लग गए ।

सब इतना जल्दबाजी में हुआ की मां पहले समझ ही नही पाई और अपने करीब तीन अंजान मर्द की एहसास पा कर मां शर्म से और दर से अंदर ही अंदर कांप उठी और कहने लगी ।" नही नही भाई रहने दो में कर लुंगी "

टुंडा बोला " अरे भाभी जी जब हम तीन मर्द नही कर पा रहे है तो आप कैसे कर पाएगी अपनी नाजुक हाथो से । "

तीनों ने एक दूसरे से कुछ इशारे बाजी करने लगे । मां मजबूर हो कर तीनों मर्दों को देखती रही । लेकिन लाला और हरिया खड़े खड़े देखते रहे ।


करीम ने टुंडा और जफर को कुछ इशारा किया और फिर तीनों ने सैतानी मुस्कुराहट से मां की सारी ऐसे खींचा की मां की सारी ठीक गांड की हिस्से पर फाड़ दिया । साइड सारी के साथ पेटिकोट भी फांसी हुई थी और सारी के साथ पेटिकोट भी फट गई । मां की गोरी गांड अब प्रदर्शन होने लगी ।


जब मां को इस बात का एहसास हूवा तब मां का मुंह खुला क्यू खुला रह गया । और मां सोक कर बोली " ये क्या किया आप लोगो ने "


मां क्या करे क्या ना करे उधेरबूंद में मां अपनी हाथ अपनी फटी हुई सारी की उन हिस्से पर रख कर छुपाने लगी लेकिन मां इतनी शर्मचार हुई की वो नीचे बैठ गई । शर्म से उनकी सकल लाल और रोने जैसा हो गया ।
 
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मगर तीनो मजदूर मां पर हंसने लगे । टुंडा हास के बोला " अरे भाभी जी आपकी तो फट गई "

करीम भी ठहाके लगा के हास के बोला " अरे भाभी जी आपने तो पैंटी भी नही पहनी हे । आपने तो हमे अपनी गोरी गांड की दर्शन करवा दी । "


मां काफी दर गई और इतनी गन्दी टिप्पणी सुन कर शर्म से पानी पानी हो कर मां किसी तरह खड़ी हो गई और रोनी जैसी सूरत ले कर उल्टे पाओ धीरे धीरे जाने लगी ।

लेकिन तभी जफर मां के पास जा कर मां को पीछे से जकड़ लिया और हास हास के बोला " अरे भाभी जी जरा अपनी गोरी हुस्न तो दिखा के जाओ "


मां दर गई काफी और तब रोने भी लगी और जफर के बाहों से निकलने की कशिश करते हुए चिल्लाई " आऊ ये क्या कर रहे हो तुम । छोड़ो मुझे "


करीम और टुंडा भी मां को आगे से पकड़ के मां की अंगो पर हाथ फिराने लगा । मां समझ गई की उनके साथ क्या होने वाला है और मां तीनो पर हाथ पैर मारने लगी अपनी बचाओ करने लगी । लेकिन तीनो मजदूर हट्टे कट्टे थे और एक शिकार की तरह मां को जबरे में जैसे जकड़े हुए थे ।



लेकिन ये सब देख कर हरिया और लाला तीनो को माना करने लगे । पहले लाला ने बोला " ओय थरकियों क्यू शरीफ घर की शरीफ औरतों को परेशान करता है ।"

हरिया भी बोला " अरे बड़े घर की औरत है। पता चल गया ना घर में किसी को तो पक्का जेल की रोटी तोड़ेंगे "


लेकिन उन दोनों का जवाब देते हुए जफर बोला " अरे ऐसी माल का रस चूसने के लिए जेल क्या नर्क भी मंजूर हे " ।


करीम भी बोला " हा भाई । क्या माल है एक दम टकातक है "

टुंडा भी बोला" साला बड़े घर के लोग भी ना ऐसे माल को घर में अकेला छोड़ के जाता है । कोई भी आके चिड़िया की शिकार नही करेगा तो क्या करेगा । भाई ओ जल्दी से माल की भोग लगाते हे,

तीनों ने मां को लपेटे में ले कर मां को चूमने लगे । मां की मखमली पेट सही माप की सुथोल चूचियां और गोरी गांड मचलने लगा । मां चिल्ला चिल्ला कर खुद को बचाते हुए रो रो के बोलो " कोई बचाओ मुझे । बचाओ । छोड़ दो मुझे । में ऐसी वैसी नही हूं । प्लीज जाने दो मुझे प्लीज । छोड़ दो मुझे "


लेकिन तीनो की सर पे मां की हुस्न का नशा चढ़ गया था हवस की अंधी में तीनो मां की कपड़े खींचने लगे मां को नंगी करने लगा । और मां की आवाज बंद करने के लिए जफर ने मुंह बंद कर दिया । मां मजबूर हो कर चटपटा रही थी और आंखो से आसू बहा रही थी बस ।



तीनो ने मां को नंगी कर दिया मां की ब्रा भी फाड़ दी ।


 
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हरिया और लाला फिर एक बार सेतावानी दी लेकिन तीनो ने उनकी बाते नही सुनी । उल्टा मां की जिस्म को चाटने लगा चूमने लगा । करीम मां की मुंह पकड़ कर मां की होठ चूसने लगा और मां घिन से अपनी मुंह हताने की कशिश कर रहि थी । जफर मां की गर्दन चूम कर कंधा चूम कर मजे लेने लगा और टुंडा मां की चूचियां मसलने लगा चूसने लगा और एक हाथ से मां की चूत पर रख कर मां की चूत मसलने लगा ।


मां अपनी टांगे चिपका कर विरोध कर रही थी पर उनकी हर एक विरोध नाकाम कशिश हो रही थी । करीम ने बोला " ओय ओय टाइम खोटी मत कर जफर डाल डे पीछे से "

मां रोटी हुई हाथ जोड़ के कहने लगी " प्लीज ऐसा मत करो मेरे साथ । प्लीज छोड़ दो मुझे "


पर करीम और टुंडा गंदी हसी निकाल के मां की दोनो हाथ पकड़ के जरफ को बोला" अरे भाई जल्दी कर "


जफर ने भी मां का कमर अपनी और खींचा और अपनी हाफ पेंट और चड्डी उतार दिया । क्या लंद था उसका एकदम काला 7 इंच का मोटा लन्ड था ।



जफर ने मां की मां की कसी हुई चूत में अपना मोटा काला लंद जबरदस्ती घुसा दिया । सुपाड़ा ही मात्र चला गया था मां की चूत में और मां गला फाड़ के चिल्लाई । करीम ने जल्दी से मां का मुंह बंद कर दिया । फिर जफर मां की दोनो हाथ पिछे की और मोड़ के दोनो कलाई पकड़ के एक ही झटके में पूरा घुसा के चोदने लगा और फ्री का माल समझ के शुरुआत से ही कस कस के जोर जोर से धक्के लगाने लगा । मां की चीख भले ही दब गई थी पर उसकी आखों से दर्द बयां कर रही थी आसू और ज्यादा बहा रही थी । दर्द से कांप उठी मां कसमसाती हुई चटपटा रही थी । टुंडा नीचे झुक कर ना की चूचियां चूसने लगा । और करीम भी एक हाथ से मां की चूचियां मसलने लगा ।
 
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धीर धीरे मां दर्द से जल्दी थक कर बेहाल हो रही थी । करीम भी मजे ले कर मां का मुंह एक पल के लिए खोल देता था और मां की दर्द भरी चीखे गूंज उठती । और तीनो हास हास के मां के बारे में गंदी गंदी बाते कर के मां की जिस्म का तारीफ करने लगे । जफर ने 15 मिनिट तक मां को खूब जोर जोर से चोदा और मां की चूत में वीर्य छोड़ कर अपना लंद निकाल के बोला "" क्या टाइट बुर हे साली की बड़ी जल्दी चूस लिया रे "


तब मां बेहाल हो कर बोली " प्लीज जाने दो मुझे। में एसी वैसी नही हूं । शरीफ घर की बहु हूं प्लीज दया करो मुझपे * "


टुंडा हास के बोला " अरे भाभी जी अभी कहा अभी तो हमारा लौड़ा तड़प रहा हे जो आपकी बुर में जा के शांत होगा । "


करीम हास के बोला " तू रुक थोरी देर मे लगाता हूं भाभी जी बुर में झटके । "

टुंडा बोला " हा भाई लगा ले। "


मां दर से हाथ जोड़ने लगी " नही नही प्लीज छोड़ दो मुझे प्लीज। प्लीज जाने दो मुझे प्लीज"


बरामदे में ही एक चारपाई था और उसमे करीम मां को लेताने लगा तो मां रो रो कर विरोध करने लगी । टुंडा और जफर ने मां की हाथ पैर कस के पकड़ के लेता दिया । करीम पूरा नंगा होता है उसका लन्ड 6 इंच का था काला मोटा और टेढ़ा था ।



करीम चारपाई पे चढ़ कर मां की टांगों के बीच घुटने टेक के मां की चूत पर लंद धीर धीरे से उतार देता है । इस बार मां की चूत जफर की पानी से गीली होने के कारण आराम से घुस जाता है । मां दात काट के " आआई आईईईई मर गई " बोली पर पिछली बार की तरह गला फाड़ के नही चीखी ।


करीम मां के ऊपर चढ़ कर मां की बगल से हाथ घुसा के मां को बाहों में भर चोदने लगा । करीम जफर की तरह जोर जोर नही कर रहा था वल्कि वो धीर धीरे आराम से मजे लेते हुए मां की चूत चोदने लगा ।


जफर बोला " क्या भाई जोर से फटका लगा ना "

करीम बोला " अरे नही भाई में आराम से मजा लूंगा इस कसी हुई बुर की । ऐसी बुर जब लौड़ा घुसा कर फैलाने में मजा ही अलग है"


टुंडा और जफर ने मां की दोनो हाथ दोनो तरफ से पकड़ के रखा । करीम धीर धीरे धक्के लगा रहा था और मां कस के आंखे बंद कर के सर इधर उधर पटकने लगी और उन्ह्ह आंहहहह कर के दात पीछेने लगी ।
 
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करीब 5 मिनिट बाद मां शर्म से जो बात नही कह पा रही थी वो बात बर्दास्त ना कर पा कर झुलझुलाते हुए बोली " आन्न्ह्ह्ह में मर जाऊंगी बोहोत दर्द हो रहा हे "


इस तीनो हसने लगा । हरिया और लाला सब कुछ खड़े खड़े देख रहे थे साइड उन्हे मां पर दया आ रहा था । हरिया बोला " साले कमीनों कमसे कम बेचारी को इतना तकलीफ तो मत दे "


करीम बोला " अरे तकलीफ कहा दे रहा हूं । साली इतनी टाइट है लगता है पति नल्ला हे इसकी । " और अचानक जोर जोर धक्के मारने लगा ।

जिस पर मां सर उठा उठा कर पटकती हुई जोर जोर से चिल्लाई " आई आईईईई आई मार डाला आ मर गई में "

और मां दर्द से बिलबिलाती हुई अपनी दोनो हाथों की उंगलियां जफर और टुंडा की हाथों की उंगलियों में फंसा कर उन दोनों की हाथ कस के पकड़ लेती है। करीम कुछ देर वैसे ही जोर जोर से धक्के लगा कर हरिया को बोला " देख इसे कहते हे तकलीफ देना " और फिर धीर धीरे आराम से मां को चोदने लगा ।


हरिया चुप हो गया । और मां को राहत की सांस लेती हे। करीम मां की होठ चूसने लगा मां को बोहोत घिन आ रही थी पर वो भी मजबूर हो कर गंदी चेहरा बनाने लगी ।


करीम 10 मिनिट तक चोदता रहा और फिर मां से मुस्कुरा के पूछा " क्यू भाभी जी मजा आ रहा है"


मां शर्म से मुंह फेर लेती हे और करीम के धक्कों का जवाब मुंह से आंहहह आंहहहहा करती हुई देती रहती है । मां की चूत काफी फेल चुकी थी और चूत से करीम के लंद पर सफेद पीला जैसा पानी लग के आ रहा था । धीर धीरे मां का रोना बंद हो जाता है कब तक और रोएगी उसने भी मान ली की जो हो रहा है वो वैसे भी हो के ही रहेगा उसके हाथ में और कुछ नही ।


जफर और टुंडा मां की दोनो हाथ छोड़ देता है । जफर बोला " करीम भाई थोड़ा उठ भाभी जी की मस्त चूचियां दबाने दे "

करीम थोड़ा उठ कर मां की सर के अगल बगल हाथ जमा के धक्के मारने लगा । टुंडा और जफर मां की चूचियां मसलने लगा ।
 
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टुंडा ने मां की चूची की घुंडी उंगली से दबा दिया तो मां " इसससहहह आह्ह्ह" कर के सिसकारी मारी ।

ये देख कर जफर भी मां की घुंडी मसलते हुए बोला " अरे अरे भाभी जी को मजा आता है "


मां भी सिसकारी मार मार के इतने देर बाद आंखे खोल दी तो उसकी नजरे जफर से मिली जो जफर उसकी तरफ देखते हुए दात दिखा रहा था और मां शर्म से आंखे बंद कर ली लेकिन अपनी दोनो हाथ करीम के चौड़े छाती पर रख दी । गर्मी के कारण सभी पसीने पसीने हो गए थे मां भी पसीने से नहा चुकी थी । करीम के चेहरे की पसीना मां की चेहरे पर तप तप के गिर रहा था । मां को घिन तो आ रही थी और ऊपर से उन लोगो की बदन के मर्दानी बदबू पर मां किसी तरह बर्दास्त कर रही थी ।


टुंडा और जफर मां की चूचियां और मखमल बाह चूमने लगे चूसने । करीम और 10 मिनिट तक टिका जब उसका निकलने वाला था तब वो जोर से धक्के मारने लगा और मां उसका छाती मसल के बोली"" उफ धीर धीरे। प्लीज धीर धीरे आंहहहह "

पर करीम मां की बात ना सुनते हुए अपने मजे की लहर में को गया और तेज तेज झटके मार के मां की चूत पर पानी गिरा के गिर पड़ा ।


टुंडा करीम को उठाने लगा ।" अबे हट वे। "

टुंडा करीम को उठा दिया । मां अपनी चेहरे से पसीना पोंछ के अपनी दोनो टांगे मोड़ते हुए चिपका कर हाथ हिला कर बोली " प्लीज भाई और नही प्लीज रहम करो"






पर टुंडा हवस में हस्ते हुए नंगा हो गया । उसका लन्ड और लंबा था 8 इंच का लेकिन साइड थोड़ा पतला था करीम और जफर के मुकाबले । वो चारपाई पे चढ़ के मां की टांगे जबरदस्ती खोल कर मां की चूत पर अपना लंद रख कर धीरे धीरे पूरा उतार देता हे । और साइड मां उसकी लन्ड की लंबाई महसूस होती है इसलिए उसकी आंखे बाहर आ गई और आचार्य से मां टुंडा को देखते हुए आईहहहह मां कर के सिसकारी मारी ।


टुंडा हास के बोला " क्या हुआ भाभी जी मजा नही आया।"



मां उफ्फ कर आंखे बंद कर लेती है। टुंडा हास के मां को बाहों में भर लेता है और आराम से चोदने लगा । और उसने धीर धीरे कर के पर अपना लंद झट से घुसाने लगा जिस पर मां कसमसाती हुई एक दम से टुंडा की बगल से हाथ घुसा कर टुंडा की पसीने से भीगा पीठ अपनी हाथों से कस के पकड़ के अपनी टांगो की एरिया बांध ले कर आह आह ओह ओह उहहह करती हुई कहती हे " आराम से प्लीज "


टुंडा लेकिन वैसे ही मां को चोदते हुए मां की होठ चूसने लगा और जीव भी डालने लगा । मां बस आंखे बंद कर के दबी दबी आहे भरती रही । कुछी देर में मां अचानक टुंडा को अपने बाहों में जकड़ने लगी और कांपती हुई झाड़ गई । टुंडा मुस्कुराते हुए मां से बोला " अरे भाभी जी आपने गीला कर दिया "


मां को भी बड़ी शर्म आ रही थी की कैसे उसने ना चाहते हुए भी मजे ले कर झाड़ गई । कारिम और जफर हसने लगा और बोलने लगा " देखा भाई अब लगी है भाभी जी की बुर में आग । अब देखना कैसे भाभी जी मजे से लेती हे लौड़ा । डाल भाई अंदर तक डाल दे "


मां शर्म से में फेर लेती हे
 
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टुंडा फिर से मां को चोदने लगा और मां उसकी पीठ पकड़ के कस के पकड़ ली और टुंडा पूरे जोश में मां की चूत जोर से चोदने लगा मां फिर से छटपटाने लगी और सर पटकने लगी पर इसबार दर्द से नही मजे से और टुंडा की हर एक झटके पर मां आह धीर आह धीर उहहह धीर प्लीज आराम से आह आराम से प्लीज । लेकिन मां फीर झाड़ गई अपनी टांगे हिलाने लगी और आनंद में अपना आपा खो कर सारी शर्म लहेजा मर्यादा भूल कर टुंडा की होठों पर होठ रख चूसने लगी ।


टुंडा रुक जाता है और मां को झड़ने देता हे जब मां धीर धीरे शांत हुई और आहे भर के टुंडा से होठ अलग कर के टुंडा की आखों में देख के अचानक से शर्म से आंखे बंद कर ली टुंडा मुस्कुरा के मां को छेड़ते हुए बोला " हाय भाभी कैसे बेशर्म की तरह शर्मा रही है। जताना नही चाहती की हमारे लौड़े से चूद चूद मजा ले ले के पानी छोड़ रही है"



टुंडा फिर मां को चोदने लगा और मां की गाल चूम के पूछने लगा " बताओ भाभी मजा आया "


मां कुछ जवान नही देती तो टुंडा अपना लंद निकाल के एक ही झटके में घुसा दिया और मां चीख पड़ी आऊ कर के और फिर धीरे से बोली " हाय मेरी बुर फट गई "


टुंडा हास के बोला " अरे बुर तो फटने के लिए ही होती है "



इस बार मां खुद को रोक नही पाई और मुस्कुरा के शर्मा गई तो टुंडा बोला " भाभी जी बताओ ना मजा आ रहा है की नही "



मां जवान नही दे रही थी तो करीम मां की चेहरे को पकड़ के होठ चूसने लगा और फिर पूछा "" कितनी खूबसूरत हे भाभी जी आप । बताइए ना मजा आया की नही"

तब मां सिर हा ने हिला देती हे । टुंडा मां को अपने बाहों में पूरे ताकत से जकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा के जोश में मां की गाल काट काट के पूछने लगा " बोल नही तो गली दे के बुरी तरह चोदूंगा "


मां भी अपनी होठ काट कर सिसकारियां मार के जवाब देती है इस बार " हा आया । आह बोहोत मजा आ रहा है उहहहह "


टुंडा दात पीछते हुए बोला " पहले तो बोहोत नखरा कर रही थी क्यू साली । अब गांड उठा के मजा ले रही है "


मां जवाब नही देती टुंडा फिर पूछा " बोल अब क्यू गांड उठा के मजा ले रही हे " और एक जोर से धाप कर के धक्का मारता हे।


मां उछल कर उई मां कर कहती हे " मैने ऐसा मजा कभी नहीं लिया "


टुंडा अपने आपको रोक नही पता है और झाड़ कर मां के ऊपर गिर जाता हे मां भी इतजी गर्म थी की वो फिर झाड़ जाती है ।



अब करीम जफर और टुंडा तीनो शांत हो कर मां की बदन से खेलते रहते हे और मां भी अब बेशर्म हो कर चारपाई पर पड़ी रहती है और अपनी जिस्म को उन तीनो के हवाले कर देती हे क्यू की अब उसे भी अच्छी लग रही थी तीन अंजान मर्दों का मेहसूस ।
 

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