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अपडेट.............《 10 》

अब तक.....

"सोचना पड़ेगा सक्सेना।" अजय सिंह बोला__"और वैसे भी अभी मेरे पास सिर्फ एक ही अहम काम है, और वो है उन लोगों का पता लगाना जिनकी वजह से आज मुझे करोड़ों का नुकसान हुआ है तथा मेरी इज्ज़त की धज्जियाॅ उड़ी हैं।"

"हाॅ ये तो है।" सक्सेना ने कहा__"अगर कभी मेरी ज़रूरत पड़े तो बेझिझक याद करना अजय, तुम्हारे एक बार के कहने पर मैं तुम्हारे पास आ जाऊॅगा।"

"ठीक है सक्सेना।" अजय सिंह बोला__"कल तक मैं तुम्हारा हिसाब किताब करके तुम्हारे एकाउंट में पैसे डाल दूॅगा।"

ऐसी ही कुछ और औपचारिक बातों के बाद सक्सेना वहाॅ से चला गया। जबकि अजय सिंह ये न देख सका कि जाते समय सक्सेना के होठों पर कितनी जानदार मुस्कान थी?

अब आगे......

"ये सब क्या है डैड?" शिवा ड्राइंग रूम में दाखिल होते हुए तथा उत्तेजित से स्वर में बोला__"देखिए आज के अख़बार में क्या ख़बर छपी है?"
"क्या हुआ बेटे?" सोफे पर बैठे अजय सिंह ने सहसा चौंकते हुए पूॅछा__"कैसी ख़बर की बात कर रहे हो तुम?"

"आप खुद ही देख लीजिए डैड।" शिवा ने अपने हाॅथ में लिए अख़बार को अपने पिता की तरफ एक झटके से बढ़ाते हुए कहा__"देख लीजिए कि किस तरह अख़बार वालों ने आपकी इज्ज़त की धज्जियाॅ उड़ाई हैं?"

अजय सिंह शिवा के हाॅथ से अख़बार लेने के बाद उस पर नज़रें दौड़ाई। अख़बार के फ्रंट पेज पर ही बड़े अच्छरों में छपी हेडलाइन को पढ़ कर उसके होश उड़ गए। अख़बार में छपी हेडलाइन कुछ इस प्रकार की थी।

"मशहूर बिजनेसमैन अजय सिंह किसी अग्यात शख्स द्वारा धोखे का शिकार"
हल्दीपुर(गुनगुन): शहर के मशहूर बिजनेसमैन अजय सिंह को किसी अग्यात ब्यक्ति द्वारा करोड़ों रुपये का चूना लगाने का संगीन मामला सामने आया है। प्राप्त सूत्रों के अनुसार ये जानकारी मिली है कि मशहूर बिजनेसमैन अजय सिंह किसी विदेशी ब्यक्ति के साथ पिछले महीने करोड़ों रुपये की डील की थी। उस डील के तहत अजय सिंह द्वारा विदेशी ब्यक्ति को करोड़ों रुपये के बेहतरीन कपड़ों के थान सौंपे जाने थे। किन्तु पिछले दिन ही शाम को अजय सिंह के पीए को ये पता चला कि उनका जिस विदेशी ब्यक्ति के साथ करोड़ों का सौदा हुआ था वो दरअसल सिरे से ही फर्ज़ी था। कहने का मतलब ये कि विदेशी ब्यक्ति ने करोड़ों के कपड़े तैयार करवाए और उन कपड़ों के थान को लेने की बजाय बिना कुछ बताए लापता हो गया। मिली जानकारी के अनुसार विदेशी ब्यक्ति ने खुद को दूसरे देश का मशहूर बिजनेसमैन बताया जिसके सबूत के तौर पर खुद अजय सिंह द्वारा उस विदेशी ब्यक्ति की कंपनी प्रोफाइल भी देखी गई थी। विश्वस्त सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार अजय सिंह को करोड़ों रूपये के धोखे का पता तब चला जब उनकी फैक्ट्री में तैयार कपड़ों का करोड़ों रुपये के थान जिनमें और भी बहुत सी चीज़ें शामिल थी डील के लिए तैयार था। किन्तु उस सब को लेने वाला विदेशी नदारद था। उसके साथ कंटैक्ट करने की सारी कोशिशें जब नाकाम हो गईं और जब दो दिन तक भी विदेशी डीलर का पता न चला तो तब अजय सिंह को समझ आया कि उनके साथ कोई गेम खेल गया। मगर अब हो भी क्या सकता था? मिली जानकारी के अनुसार अजय सिंह की फैक्ट्री से तैयार करोड़ों की थान का अब कोई लेनदार न होने की वजह से भारी नुकसान हुआ है। ये विचार करने योग्य बात है कि विदेशी बिजनेसमैन के साथ ब्यौसायिक संबंध बनाने के चक्कर में अजय सिंह जैसे पढ़े लिखे व सुलझे हुए बिजनेसमैन बिना सोचे समझे करोड़ों की डील करके खुद का नुकसान कर बैठे। कदाचित् बाहरी मुल्कों से ब्यौसायिक संबंध बनाने के लालच में ही इतने बड़े धोखे और नुकसान के भागीदार बन बैठे।

अख़बार में छपी इस ख़बर को पढ़कर अजय सिंह का दिमाग़ सुन्न सा पड़ गया था। उसे समझ नहीं आया कि ये बात अख़बार वालों को किसने बताया हो सकता है? काफी देर तक अजय सिंह के दिमाग के घोड़े इस बात की खोज में भटकते रहे।

"किस सोच में पड़ गए डैड?" सहसा शिवा ने पिता की तरफ गौर से देखते हुए कहा__"और ये सब आख़िर है क्या ? अख़बार में छपी इस ख़बर का क्या मतलब है डैड??

अजय सिंह को समझ न आया कि अपने बेटे को क्या जवाब दे। फिर पता नहीं जाने क्या सोच कर उसने अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगा कर मोबाइल कान से लगा लिया।

कुछ देर कानों में रिंग जाने की आवाज़ सुनाई देती रही फिर उधर से काल रिसीव की गई।

"ये सब क्या है दीनदयाल?" काल रिसीव होते ही अजय सिंह लगभग आवेश में बोला__"आज के अख़बार में हमारे संबंध में ये क्या बकवास छापा है अख़बार वालों ने??"
"--------------"उधर से जाने क्या कहा गया।
"हम कुछ नहीं सुनना चाहते।" अजय सिंह पूर्वत आवेश में ही बोला__"आख़िर इस बात की ख़बर अख़बार वालों को किसने दी?"
"_________________"
"अरे तो पता लगाओ दीनदयाल।" अजय सिंह ने कहा__"अख़बार वालों को क्या कोई ख़्वाब चमका है जो उन्हें इस बारे में ये सब पता चला?"

"_______________"
"वही तो कह रहे हैं हम दीन के दयाल।" अजय सिंह बोला__"अख़बार वालों को ये ख़बर देने वाला वही है जिसने इस साजिश को रच कर इसे अंजाम दिया है। तुम जल्द से जल्द पता लगाओ कि कौन है ये नामुराद जो हमारी इज्ज़त की धज्जियाॅ उड़ाने पर तुला हुआ है?"

"_______________"
"हम कुछ नहीं जानते दीनदयाल।" अजय सिंह इस बार गुर्राया__"24 घंटे के अंदर उस शख्स को ढूॅढ़ कर हमारे सामने हाज़िर करो। वर्ना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।"

इतना कहने के बाद अजय सिंह ने फोन काट कर मोबाइल को सोफे पर लगभग फेंक दिया था। इस वक्त अजय सिंह के चेहरे पर क्रोध और अपमान का मिला जुला भाव गर्दिश करता नज़र आ रहा था।

"क्या बात है डैड?" शिवा अपने पिता के चेहरे के भावों को गौर से देखते हुए बोला__"आप कुछ परेशान से लग रहे है?"
"अभी हम किसी से बात करने के मूड में नहीं हैं बेटे।" अजय सिंह ने अजीब लहजे मे कहा__"इस लिए तुम जाओ यहाॅ से, हमें कुछ देर अकेले में रहना है।"

शिवा पूछना तो बहुत कुछ चाहता था किन्तु अपने पिता का खराब मूड देख कर चुपचाप वहाॅ से अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।

"बेटे को तो टाल दिया आपने।" सहसा प्रतिमा ने ड्राइंगरूम में आते हुए कहा__"मगर मुझे इस तरह टाल नहीं सकते आप।"

"प्रतिमा प्लीज़।" अजय सिंह ने झ़ुझलाते हुए कहा__"मैं इस वक्त किसी से कोई बात नहीं करना चाहता।"
"ये तो कोई बात न हुई।" प्रतिमा ने कहा__"किसी बात को लेकर अगर आप परेशान हैं तो आपको देखकर हम सब भी परेशान हो जाएंगे। इस लिए जो भी बात है बता दीजिए कम से कम मन को शान्ति तो मिलेगी।"

अजय सिंह जानता था कि प्रतिमा बात को बिना जाने नहीं मानेगी, इस लिए उसने उसे सबकुछ बता देना ही बेहतर समझा। एक गहरी साॅस लेकर उसने प्रतिमा को सारी बातें बता दी जो पिछले महीने से अब तक उसके साथ हुआ था। सब कुछ जानने के बाद प्रतिमा भी गंभीर हो गई।

"लेकिन आप ये कैसे पता लगाएंगे कि किसने आपके साथ ये सब किया है?" प्रतिमा ने कहा__"जबकि आपके पास उसके बारे में कोई सबूत नहीं है। अगर आप ये समझते हैं कि उनके चेहरे की बिना पर उन्हें खोजेंगे तो तब भी आप उन्हें नहीं खोज पाएंगे।"

"तुम ऐसा कैसे कह सकती हो भला?" अजय सिंह चौंकते हुए बोला था।
"सीधी सी बात है।" प्रतिमा ने कहा__"वो जो भी थे आपसे या आपके पीए से हमेशा फाॅरेनर की वेशभूसा या शक्ल में ही मिले थे। मतलब साफ है कि वो लोग शुरू से ही आपसे या आपके पीए से अपनी असलियत छुपाना चाह रहे थे, ये भी कि आपको तथा आपके पीए को उनके बारे में ज़रा सा भी किसी प्रकार का शक न हो। आज ये आलम है कि वो अपने मकसद में उसी तरह कामयाब हो कर गायब हो गए जैसा उन्होंने कर गुज़रने का प्लान बनाया रहा होगा।"

अजय सिंह अपनी बीवी की इस बात को सुन कर अवाक् सा रह गया। प्रतिमा को इस तरह देखने लगा था वह जैसे प्रतिमा की गर्दन अपने धड़ से अलग हो कर हवा में कत्थक करने लगी हो।

"क्या मैंने कुछ ग़लत कहा डियर?" प्रतिमा ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"कभी कभी तुम्हारा दिमाग़ भी किसी सफल जासूस की तरह चलता है।" अजय सिंह बोला__"यकीनन तुम्हारा ये तर्क अपनी जगह एक दम दुरुस्त है। तुम्हारी बातों में वजन है, और अगर तुम्हारी इस बात के अनुसार सोचा जाए तो अब हमारे लिए ये बेहद मुश्किल काम है उन लोगों को ढूॅढ़ पाना।"

"वकालत की पढ़ाई आपने ही नहीं बल्कि मैंने भी की है जनाब।" प्रतिमा ने हॅस कर कहा__"ये अलग बात है कि मैंने इस पढ़ाई के बाद वकील बन कर किसी कोर्ट में किसी के पक्ष में वकालत नहीं की।"

"अच्छा ही किया न।" अजय सिंह ने भी हॅस कर कहा__"वर्ना बड़े बड़े वकीलों की छुट्टी हो जाती।"

"ऐसा आप कह सकते हैं।" प्रतिमा ने अर्थपूर्ण लहजे में कहा__"क्योंकि आपको ही अपनी छुट्टी हो जाने का अंदेशा हुआ नज़र आया है।"

"तुम ऐसा सोचती हो तो चलो ऐसा ही सही।" अजय सिंह बोला__"लेकिन इस बारे में अब तुम्हारा क्या खयाल है, मेरा मतलब कि अब हम कैसे उन लोगों का पता लगाएंगे?"

"सब कुछ बहुत सोच समझ कर पहले से ही प्लान बना लिया था उन लोगों ने।" प्रतिमा ने सोचने वाले भाव से कहा__"इस लिए इस बारे में पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता कि वो हमारे द्वारा पता कर ही लिए जाएंगे।"

अजय सिंह का खयाल भी यही था इस लिए कुछ बोला नहीं वह।जबकि,,,,

"वैसे आपका अपने उस भतीजे के बारे में क्या खयाल है?" प्रतिमा ने कहा__"हो सकता है ये सब उसी का किया धरा हो?"

"नहीं यार।" अजय सिंह कह उठा__"उससे इस सब की उम्मीद मैं नहीं करता। क्योंकि जिस तरह से सोच समझ कर तथा प्लान बना कर हमसे धोखा किया गया है वैसा करना विराज के बस का रोग़ नहीं है। वो साला तो किसी होटल या ढाबे में अपने साथ साथ अपनी माॅ बहन को भी कप प्लेट धोने के काम में लगा दिया होगा। इतना कुछ करने के लिए दिमाग़ चाहिए और फाॅरेनर लुक पाने के लिए ढेर सारा पैसा जो उसके पास होने का कोई चान्स ही नहीं है। तुम बेवजह ही इस सबके पीछे उसको ही जिम्मेदार ठहरा रही हो प्रतिमा।"

"हमें हर पहलू पर गौर करना चाहिए डियर हस्बैण्ड।" प्रतिमा ने कहा__"एक अच्छा इन्वेस्टिगेटर वही होता है जो हर पहलू के बारे में सोच विचार करे। ज़रा सोचिए...इस तरह की घटनाएं तभी से शुरू हुईं हैं जबसे विराज अपने साथ अपनी माॅ बहन को लेकर यहाॅ से मुम्बई गया है। इसके पहले आज तक कभी भी ऐसी कोई बात नहीं हुई। उसका हमारे बेटे को बुरी तरह मार पीटकर यहाॅ से जाना, ट्रेन से अपनी माॅ बहन सहित रहस्यमय तरीके से गायब हो जाना, और अब ये.....आपका किसी के द्वारा इस तरह धोखा खा कर नुकसान हो जाना। ये तो आपको भी पता है कि कोई दूसरा आपके साथ ऐसा नहीं कर सकता फिर बचता कौन है??"

अजय सिंह के दिलो दिमाग़ में अचानक ही मानो धमाके से होने लगे। प्रतिमा द्वारा कहा गया एक एक शब्द उसके मनमस्तिष्क पर गहरी चोंट कर रहा था। जबकि....

"वर्तमान समय में अगर कोई आपके खिलाफ खड़ा हो सकता है तो वो है विराज।" प्रतिमा गंभीरता से कह रही थी__"आपसे जिसे सबसे ज्यादा तक़लीफ है तो वो है विराज। बात भी सही है डियर हस्बैण्ड...हमने उनके साथ क्या क्या बुरा नहीं किया। हर दुख दिये उन्हें, यहां तक कि हमारी वजह से आज वो अपने ही घर से बेघर हैं। ख़ैर...इन सब बातों के कहने का मतलब यही है कि मौजूदा हालात में इस सबके पीछे अगर किसी पर सबसे ज्यादा उॅगली उठती है तो सिर्फ विराज पर।"

अजय सिंह के पास कहने के लिए जैसे कुछ था ही नहीं, जबकि उसकी खामोशी और उसके चेहरे पर तैरते हज़ारों भावों को बारीकी से परखते हुए प्रतिमा ने पुन: कहा__"आप हमेशा इस बात पर ज़ोर देते हैं कि विराज मुम्बई में किसी होटल या ढाबे में कप प्लेट धोता होगा और अब अपनी माॅ बहन को भी इसी काम में लगा दिया होगा। लेकिन क्या आपके पास अपकी इस बात का ठोस सबूत है? क्या आपने कभी अपनी आॅखों से देखा है कि विराज मुम्बई में किसी होटल या ढाबे में कप प्लेट धोने का काम करता है...नहीं न?? बल्कि ये सिर्फ आपकी अपनी सोच है जो ग़लत भी हो सकती है।"

"तुमने तो यार मेरा ब्रेन वाश ही कर दिया।" अजय सिंह गहरी साॅस ली, उसकी आॅखों में अपनी पत्नी के प्रति प्रसंसा के भाव थे__"यकीनन तुममें एक अच्छे इन्वेस्टिगेटर होने के गुण हैं। तो तुम्हारे मतानुसार ये सब जो कुछ हुआ है उसका जिम्मेदार सिर्फ विराज है?"

"मै ये नहीं कहती डियर हस्बैण्ड कि ये सब विराज ने ही किया है।" प्रतिमा ने अजीब भाव से कहा__"बल्कि मैं तो सिर्फ संभावना ब्यक्त कर रही हूॅ कि किसने क्या किया हो सकता है। पक्के तौर पर तो तभी कहा जाता है न जब हमारे पास किसी बात का ठोस व पुख्ता सबूत हो??"

"आई एग्री विद यू माई डियर।" अजय ने मुस्कुराते हुए कहा__"तो हम अब इस थ्योरी के साथ चलेंगे कि ये सब विराज ने किया हो सकता है। लेकिन अब सवाल ये है कि...कैसे?? इतना कुछ वो कैसे कर सकता है भला जबकि इतना कुछ कर गुजरने की काबिलियत उसमे है ही नहीं इतना तो मुझे यकीन है?"

"आपका ये यकीन बेमतलब भी तो हो सकता है डियर हस्बैण्ड।" प्रतिमा ने तर्क किया__"क्योकि आपके पास अपने इस यकीन की भी ठोस वजह नहीं है ये मुझे पता है।"

"अब बस भी करो यार।" अजय सिंह ने बुरा सा मुॅह बनाया__"आज क्या मूॅग की दाल में भीमसेनी काजल मिला कर खाया है तुमने? मेरी हर बात की हर विचार की धज्जियाॅ उड़ाए जा रही हो तुम।"

"मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था डियर हस्बैण्ड।" प्रतिमा मुस्कुराई__"मैने तो बस अपने विचार और तर्क पेश किये हैं, और अपने डियर हस्बैण्ड को सही राह की तरफ जाने का मार्ग बताने की कोशिश की है।"

अजय सिंह को प्रतिमा पर बेहद प्यार आया, और उसने आगे बढ़ कर अपनी पत्नी को अपनी बाॅहों मे भर लिया। कुछ पल उसकी आॅखों में झाॅकने के बाद उसने झुक कर प्रतिमा के रस भरे अधरों को अपने होठों के बीच भर कर उन्हें चूमने चूसने लगा।

प्रतिमा के जिस्म में आनंद की मीठी मीठी लहरें तैरने लगी। उसने भी अपने दोनो हाॅथ अजय सिंह के गले में डालकर इन होठों के चुंबन तथा चुसाई का भरपूर आनंद लेने लगी। वे दोनो भूल गये कि इस वक्त वे अपने बेडरूम में नहीं बल्कि ड्राइंगरूम में हैं जहाॅ पर किसी के भी द्वारा देख लिए जाने का खतरा था।

अजय सिंह बुरी तरह प्रतिमा के होठों को चूस रहा था। उसका बाॅया हाॅथ सरकते हुए सीथा प्रतिमा के दाॅएं बोबे पर आकर बड़े आकार के बोबे को सख्ती से अपनी मुट्ठी में भर कर मसलना शुरू कर दिया। अपनी चूॅची को इस तरह मसले जाने से प्रतिमा के मुॅह से एक दर्दयुक्त किन्तु आनंद से भरी हुई आह निकल गई जो अजय सिंह के होठों के बीच ही दब कर रह गई। ये दोनों जैसे सब कुछ भूल चुके थे, ये भी कि अपने कमरे से ड्राइंगरूम की तरफ आता हुआ उनका बेटा शिवा अपने माॅम डैड को इस हालत में देख कर भी वापस नहीं पलटा था बल्कि वहीं छुपकर इस नज़ारे का मज़ा लेने लगा था। उसके होठों पर बेशर्मी से भरी मुस्कान तैरने लगी थी तथा साथ ही अपने दाएॅ हाथ से पैन्ट के ऊपर से ही सही मगर अपने लौड़े को मसले भी जा रहा था।

........


दोस्तो आपके सामने अपडेट हाज़िर है,,,,,

आप सबकी बेक़रारी को देख कर मैंने आज अपडेट लिखने की कोशिश की, ये अलग बात है कि बार बार नींद की वजह से परेशान भी होना पड़ा। मगर आपके प्यार के लिए कुछ तो करना ही था आज।

आप सबकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा,,,,,


 

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