पूरे परिवार की वधु

OP
S
Member

0

0%

Status

Offline

Posts

180

Likes

16

Rep

0

Bits

597

5

Years of Service

LEVEL 1
100 XP
**********************************************
१३
**********************************************

मैं बड़ी मुश्किल से सिसकारी  दबा पायी।
" भाभी यदि भैया की याद रात में सोने न दे तो  अपने पाँचों देवरों में से जो  पसंद हो उसे हुक्म दे देना।  रात में सर के बल तुम्हारी सेवा के लिए हाज़िर हो जायेगा," विक्कू ने टेडी मुस्कान के साथ कहा।
"और मेरे देवर क्या करेंगें ? मुझे लोरी दे  कर सुला देंगें ?" मैंने फिर से चिढ़ाने रिझाने का तीर छोड़ा।
"यदि तुम भैया के उसको लोरी कहती हो तो बिलकुल सही बात है। तुम्हारे  सारे  देवर लोरी तैयार कर के ही आएंगें ," विक्कू से मुझे इतनी शरारत की उपेक्षा नहीं थी। मैं शर्म से लाल हो गयी।
"विक्कू भैया आप बहुत बशरम हो ,"मैंने अपने नाज़ुक हाथों की मुट्ठियों से विक्कू  चौड़ी बलशाली मांसल सीने को तीन चार बार पीटा। विक्कू भैया हँसते हुए मुड़ कर वापस काम पर चले गए।
मैंने कमरे में जाते ही कपडे उतारने शुरू कर दिये।  मैंने लहंगा उतरा ही था की मेरे कमरे के दरवाज़े पर खटखटाहट दी।
मैंने सोचा गहरा साफ़ करने वाली नौकरानी चंपा होगी ,"  खुला है अंदर आ जाओ। "
मैं अपनी चोली के बटन खोलती स्नानघर कीओर मुड़ गयी।  जैसे ही मैंने अपनी चोली भी उतार फेंकी तो मुझे पीछे से आती आवाज़  सुनकर दिल का दौरा सा पड़  गया, " सुनी बेटा , मैं शहर की ओर जा रहा हूँ।  जब तैयार हो जाओ तो मुझे बता देना। "
मैं घबराहट में सोच नहीं पाई की अपने हाथों से अपने नग्न शारीर का कौनसा अंग धकू।  ऊपर से मेरी घबराहट के बदहोशी में मैंने अच्छे शिष्टाचार के स्वाभाविक रीती में बोलने वाले की और मुड़  गयी। मैं अब अपने ससुरजी  जी के सामने अपना आगे का नग्न गदराया शरीर का प्ररदर्शन कर रही थी।
" मैं नहाने जा रही थी। .... अर ठीक है प पा पापा ज जी मैं अभी आतीं हूँ ," मैंने हकलाते हुए फुसफुसाया।
ससुरजी ने मुझे प्यार से देख कर मुझे बिलकुल भी अहसास नहीं होने दिया की मैं जन्म-जात नागिन कड़ी थी अपने पिता-तुल्य ससुरजी के सामने।  पिता-तुल्य नहीं अब तो वो मेरे जीवित पिता बन गए थे।
ससुर जी ने मेरे बालों को सहलाया और स्नेह से  बोले ," सुनी बेटी मैं तो तेरे जैसी अप्सरा जैसी बहुत नहीं बेटी पा कर धन्य हो गया। "
मैं शरमाते हुए अपने ससुर जी को कमरा छोड़ने  के बाद दरवाज़ा बंद करते देखती रही बड़ी देर तक।
मैं जल्दी से नहा धो कर शेरू की चुदाई की मोहनी सुगंध को अनिच्छा से साफ़ किया। मैंने सफ़ेद सूती कमीज़ और जींस पहन ली। गर्मी की वजह से मैंने कमीज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी।
मैं शरमाते हुए ससुरजी की और बढ़ चली
*********************************
ससुरजी ने ट्रक जब घर से बाहर निकला दिया तो मैंने शरमाते हुए कहा , "पापा जी मैं माफ़ी चाहती हूँ।  मुझे लगा की चंपा काकी  कमरा साफ़ करने आई होगी। "
"अरे बेटी माफ़ी की क्या ज़रुरत है। अपने पिता के सामने क्या शर्माना। यदि मैं तेरा जन्म-पिता होता तो न जाने कितनी बार तुझे नहलाता और तेरी गन्दी नैप्पी बदलता। " ससुरजी ने मुझे झिड़का।
"पर मैं तब नन्ही बच्ची होती पापा जी।  पूरी बेशरम जवान बेटी नहीं, " मैं भी हंस दी।
"यह तो सही है बेटा।  लेकिन देख तेरी सासुमां को सिधारे चौदह चौदह  साल हो गए इस बहाने  तेरे पापा ने अप्सरा जैसी सुंदर मूरत का नेत्रपान तो कर लिया ," ससुरजी ने ठहाका मारते हुए मुझे और भी लज्जा से लाल कर  दिया।
"वैसे सुनी बेटा माफ़ी तो मुझे तुझसे मांगनी  है। मैंने बिना चाहे अनजाने में दो सुबह तेरे कमरे में से शेरू को बाहर निकलने के लिए घुस गया।  मैं तुम्हे जगाना नहीं चाहता था।  और शेरू को सुबह जल्दी बाहर जाने की आदत है। वो बेचारा बहुत परेशान  हो जाता है वर्ना ," ससुरजी ने थोड़ी गम्भीर अव्वज में मुझसे कहा।
मेरा दिल धक् से रुक गया।  हाय राम पहले दिन तो चलो पापाजी  मुझे नंगा ही देखा।  पर दुसरे दिन तो मैं शेरू के वीर्य से सनी लिसी थी। मैं डर और शर्म से पागल गयी। मुझे लगा की मरना  ज़्यादा अच्छा है।
मैं बिना समझे सबक उठीं और अपना शर्म से लाल मुंह अपने हाथों में छुपा कर ज़ोर से रोने लगी।
 

56,320

Members

324,271

Threads

2,716,715

Posts
Newest Member
Back
Top