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LEVEL 7
350 XP
54 भंगिन बनी सेठाइन
हाँ, हाँ। बोल ना! फिर क्या हुआ, मेरे लाडले ? मम्मी को सब कुछ सच-सच बता दे।”
“मम्मी, कमलाबाई तो पहँची हुई रॉड है। पहले दिन ही अखियों से इशारे करके मुझसे सैटिंग कर ली थी। कहती थी, जय बाबा, जब से मेरा मरद मरा है, मेरा बिस्तर गरम करने को कोई नहीं। और बुढ़िया ने दे खोला अपना ब्लाऊज, और बोली , आ जय बबा, माँ का दूध पिया है तो दिखा अपने लन्ड की गर्मी। फिर क्या, मैने भी पैन्ट खोली और तब से हमारी चूत - चटाई और लन्ड चुसाई का प्रोग्राम फ़िट हो गया।”
उँह! मुई बुढ़िया के ब्लाऊज में भला क्या माल दिखा तुझे ? मरियल कुतिया से लटके हुए मम्मे होंगे!”, टीना जी दम्भ भरे स्वर में बोलीं।
“अरे मम्मी, मम्मे और चूत तो जमादारन ने ना जाने कितने मर्दो से चुद-चुद कर लटकवा लिये थे। मैं इतना गया- गुजरा नहीं की उसकी टूट सी बॉडी पर लार टपकाऊँ। कमलाबाई का जादू तो उसके रन्डीपने में है। कोई भी मर्द उसकी ललकार और गाली गलौज सुनकर लन्ड पर काबू नहीं पा सकता !” अपनी माँ के मुख पर ईष्र्या के भाव को देखकर जय झट से बोला, “नहीं मम्मी, मेरा मतलब आपके सैक्सीपन का तो लैवल ही कुछ और है ना, वो तो आपकी जूती भी नहीं !”
टीना जी ने अपने कूल्हे मटका कर पुत्र की ठोड़ी को अपने चोंचले पर टिकवा डाला।
“अच्छा, अच्छा, मादरचोद, तू ये बता कि तूने और क्या-क्या किया ? चूत चाटने के अलावा, कुछ चुदाई वुदाई भी की या नहीं ?', टीना जी ने जय से पूछा, जानती थीं कि पुत्र उनके स्वर में भड़ती उत्तेजना को भाँप रहा था। ।
“कहाँ मम्मी, उसकी चूत तो बिलकुल सूखी हुई है। साली चुदाई में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाती थी, बस लन्ड चूसती थी और चूत चटाती थी। फिर एक दिन बाथरूम में मैने ऐसे थूक-थूक कर उसकी चूत चाटी, कि रॉड खुद ही मुझसे अपनी भोंसड़ी में उंगल डालने की फ़र्माइश करने लगी !” ।
“फिर !”, टीना जी के शुष्क कंठ से स्वर निकला। वे अब अपने नम पेड़ को अपने बेटे की ठोड़ी पर हौले-हौले मसलने लगी थीं।
जय ने भी माँ के कूल्हों की सरगर्मी को देखकर विस्मय किया कि कहीं वे उससे प्रतिक्रिया की उपेक्षा तो नहीं कर रही थीं। “क्या मम्मी, आपका भी फिर चूत चटायी का मूड बन रहा है क्या ?”, उसने पूछा।
“नहीं। अभी नहीं, मेरे पूत ! पहले तू अपनी कहानी तो बता !” अपने दाँतों को भींचती हुई वे बोलीं, “और खबरदार, कोई भी डीटेल छोड़ना नहीं, समझा !”
। जय भली भाँती अपनी माँ की उत्सुकता का कारण जानता था। और उनकी उत्सुकता की पूर्ती करने का पूरा इरादा रखता था। वो माँ को अपनी प्रथम सैक्स-क्रीड़ा का वृत्तांत सुना कर उनकी कामेन्द्रियों को उकसाना चाहता था, ताकि जब वे वासने के आवेग में अपना आत्मनियंत्रण खो डालें, तो वो अपने लिंग को माँ की योनि में प्रवेश करा कर जी भर कर उनके संग सम्भोग का आनन्द भोगे।।
“ओके मम्मी! हाँ तो उस दिन कमला बाई की चूत को मैने ऐसा प्रेम से चाटा, को वो अपनी चूत में कुछ तो घुसवाये बगैर रह नहीं पा रही थी। उसकी चूत बाहर से बिलकुल सूखी है, और झाँटे सफ़ेद हैं।
हाँ, हाँ। बोल ना! फिर क्या हुआ, मेरे लाडले ? मम्मी को सब कुछ सच-सच बता दे।”
“मम्मी, कमलाबाई तो पहँची हुई रॉड है। पहले दिन ही अखियों से इशारे करके मुझसे सैटिंग कर ली थी। कहती थी, जय बाबा, जब से मेरा मरद मरा है, मेरा बिस्तर गरम करने को कोई नहीं। और बुढ़िया ने दे खोला अपना ब्लाऊज, और बोली , आ जय बबा, माँ का दूध पिया है तो दिखा अपने लन्ड की गर्मी। फिर क्या, मैने भी पैन्ट खोली और तब से हमारी चूत - चटाई और लन्ड चुसाई का प्रोग्राम फ़िट हो गया।”
उँह! मुई बुढ़िया के ब्लाऊज में भला क्या माल दिखा तुझे ? मरियल कुतिया से लटके हुए मम्मे होंगे!”, टीना जी दम्भ भरे स्वर में बोलीं।
“अरे मम्मी, मम्मे और चूत तो जमादारन ने ना जाने कितने मर्दो से चुद-चुद कर लटकवा लिये थे। मैं इतना गया- गुजरा नहीं की उसकी टूट सी बॉडी पर लार टपकाऊँ। कमलाबाई का जादू तो उसके रन्डीपने में है। कोई भी मर्द उसकी ललकार और गाली गलौज सुनकर लन्ड पर काबू नहीं पा सकता !” अपनी माँ के मुख पर ईष्र्या के भाव को देखकर जय झट से बोला, “नहीं मम्मी, मेरा मतलब आपके सैक्सीपन का तो लैवल ही कुछ और है ना, वो तो आपकी जूती भी नहीं !”
टीना जी ने अपने कूल्हे मटका कर पुत्र की ठोड़ी को अपने चोंचले पर टिकवा डाला।
“अच्छा, अच्छा, मादरचोद, तू ये बता कि तूने और क्या-क्या किया ? चूत चाटने के अलावा, कुछ चुदाई वुदाई भी की या नहीं ?', टीना जी ने जय से पूछा, जानती थीं कि पुत्र उनके स्वर में भड़ती उत्तेजना को भाँप रहा था। ।
“कहाँ मम्मी, उसकी चूत तो बिलकुल सूखी हुई है। साली चुदाई में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाती थी, बस लन्ड चूसती थी और चूत चटाती थी। फिर एक दिन बाथरूम में मैने ऐसे थूक-थूक कर उसकी चूत चाटी, कि रॉड खुद ही मुझसे अपनी भोंसड़ी में उंगल डालने की फ़र्माइश करने लगी !” ।
“फिर !”, टीना जी के शुष्क कंठ से स्वर निकला। वे अब अपने नम पेड़ को अपने बेटे की ठोड़ी पर हौले-हौले मसलने लगी थीं।
जय ने भी माँ के कूल्हों की सरगर्मी को देखकर विस्मय किया कि कहीं वे उससे प्रतिक्रिया की उपेक्षा तो नहीं कर रही थीं। “क्या मम्मी, आपका भी फिर चूत चटायी का मूड बन रहा है क्या ?”, उसने पूछा।
“नहीं। अभी नहीं, मेरे पूत ! पहले तू अपनी कहानी तो बता !” अपने दाँतों को भींचती हुई वे बोलीं, “और खबरदार, कोई भी डीटेल छोड़ना नहीं, समझा !”
। जय भली भाँती अपनी माँ की उत्सुकता का कारण जानता था। और उनकी उत्सुकता की पूर्ती करने का पूरा इरादा रखता था। वो माँ को अपनी प्रथम सैक्स-क्रीड़ा का वृत्तांत सुना कर उनकी कामेन्द्रियों को उकसाना चाहता था, ताकि जब वे वासने के आवेग में अपना आत्मनियंत्रण खो डालें, तो वो अपने लिंग को माँ की योनि में प्रवेश करा कर जी भर कर उनके संग सम्भोग का आनन्द भोगे।।
“ओके मम्मी! हाँ तो उस दिन कमला बाई की चूत को मैने ऐसा प्रेम से चाटा, को वो अपनी चूत में कुछ तो घुसवाये बगैर रह नहीं पा रही थी। उसकी चूत बाहर से बिलकुल सूखी है, और झाँटे सफ़ेद हैं।