Incest पापी परिवार की पापी वासना

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डैडी का बेटा! बड़ा चालाक बनता है।” मिसेज़ शर्मा ने अपनी पैन्टी को अपनी माँसल जाँघों पर से ऊपर चढ़ाते हुए मन ही मन कहा।

जय ने भी अपनी माँ की आकर्षक सुडौल टांगों को सराहा और सलवार सूट पहनते हुए उनके भरपूर नितम्बों की एह झलक भी देखी। जय अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था और अपनी माँ को एक अलग नीयत से देख रहा था। जो स्त्री उसके सामने खड़ी थी वो अब उसके लिये खान बना कर परोसने वाली, बर्तन धोने वाली और कपड़े इस्त्री करने वाली माता नहीं थी।
| अब वो उसकी सैक्स पर्टनर थी, सम्भोगिनि थी।

टीना जी के मादक स्तन अब सलवार-सूट ढक गये थे पर महीन कपड़े के नीचे निप्पलों का उभार अब भी देखने वाले को रिझाता था।

“अगली बार कब मम्मी ?” जय ने माँ के स्तनों की गोलाई को निहारते हमे आशापूर्वक भाव में पूछा।

“मेरे लाल, पता नहीं। हमें इस बात का बहुत खयल रखना होगा कि किसी को कानों-कान भनक ना पड़े। नहीं तो लेने के देने पड़ जाएंगे।

टीना जी स्विकार तो नहीं करना चाहती थीं पर पुत्र के शीथील लिंग को देख कर उन को जय के सवाल का जवाब मिल गया था। उस एक झलक ने उन्हें मुद्दतों बाद नसीब हुई प्रबल काम- संतुष्टी की याद ताजा कर दी। नीचे झुक कर टीना जी ने जय के होंठों पर एक ममता भरा चुम्बन दिया। पर अपनी जाँघों पर टीना जी के हाथ का स्पर्श उनके नेक इरादों का अंदेशा जय को दे रहा था।

हुजूर आगे आगे देखिए होता है क्या !” जय को युं असमंजस में डाल कर मिसेज शर्मा कमर मटकाती हुई बेडरूम से बाहर चली गईं
 
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जय के मैच को देखने के लिये जब उसके मम्मी-डैडी घर से चले गये, तो सोनिया अपने बेडरूम में जा कर स्विमसूट ढूंढने लगी। अपने कईं स्विमसूटों में से वो एक ऐसा स्विमसूट चुनना चाहती थी जिससे राज अधिक से अधिक आकर्षित हो। उसने एक काले रंग की बिकीनी को चुना जिसे वो मम्मी से छुपा कर खरीद लायी थी। जानती थी, मम्मी उसे ये छोटी सी बिकीनी, जिससे उसके जिस्म की नुमाइश अधिक और लज्जा निर्वारण कम होता था, कभी नहीं पहनने देतीं। एक मॉडल की तरह वो बिकीनी पहन कर शीशे के सामने इतरा रही थी।

मुश्किल बिकीनी उसके यौवन के गौरव, उसके वक्ष को ढक पा रही थी। स्तनों के निप्पलों का उभार लचीले लायक्रा मैटिरीयल के नीचे साफ़ दिखता था। बिकीनी की जाँघिया क्या थी ? कपड़े का एक छोटा सा टुकड़ा था जो उसकी जाँघों के बीच के त्रिकों को मुश्किल से ढकता हुआ पीछे गाँड की खाई में कहीं गुम हो गया था। लायक्रा ऐसा कस के चिपक गया था कि योनि के दोनों होंठ और उनके आकार की हर बारीकी सामने से साफ़ दिखती थी। ।

“यह एक्दम फ़िट रहेगी!” उसने खुद से कहा। “अब देखें राज कैसे नहीं फंसता !”

सोनिया ने बिकीनी के ऊपर एक रोयेंदार बाथरोब लपेटा और पूल के पस्स एक आरमकुर्सी पर नॉवल पढ़ती हुई लेट गयी। बाथरोब के कुछ बटनों को ऐसे खोल दिया की उसके जिस्म की एक उत्तेजक झलक दिखती रहे, और राज का इंतजार करने लगी।

साहबजादे बिलकुल सही टाइम पर शर्मा परिवार के घर में दाखिल हुए। राज एक काले घंघराले बालों वाला लम्बा, गबरू जवान था। जिम में कसरत करते-करते अपने शरीर को बड़ा मजबूत कर लिया था। मोहल्ले में बिजली का काम और मोटर - रेपेयर जैसे छोटे-मोटे काम के लिये लोग उसे अक्सर घर पर बुलाते थे।
 
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20 जल बिन मछली

“सोनिया, ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा तुम्हें। मेझे बस आधा घन्टे का वक़्त दो। फिर आरम से पूल के मजे लेन।” राज मुस्कुराते हुए पूल पर तैरते कचरे को साफ़ करता हुआ बोला।

“बैंक्स राज !” सोनिया ने जवाब में कहा। “जल्दी किसे है यार !” राज के तंग मजबूत पुट्ठों को निहारते हुमे उसने मन में सोचा।

जंघाओं के बीच गर्माती तपन के करं उसे टंगें कुछ खोलनी पड़ी। सोनिया का ध्यान राज को काम करते उसके चौड़े मजबूत कन्धों और टंगों की मजबूत पिंडलियों को देख कर अपने नॉवल पर नहीं टिक पा रहा था। जब वो झुकता तो उसकी जाँघों के बीच उसके पौरुष का उभार खासा भारी-भरकम था। उसने अपने बाथरोब को ऊपर से ढीला कर के अपने वक्ष स्थल के यौवन को बेपर्दा किया।

राज ने तो पहली ही नज़र में सोनिया के बिकीनी में लिपटे हुए जिस्म को ठीक से जाँच लिया था। उसकी नजरें क्षं भर के लिए उसकी जाँघों फर फिसलती हुई सोनिया के स्तनों के उभार पर टिक गयीं। सोनिया की चढ़ती जवानी ने उसके स्तनों को राज की उपेक्षा से कहीं अधिक विकसित कर दिया था। “क्या उम्र होगी ? चौदह ? पन्द्रह ? साले जेल जाना पड़ेगा। चोदने का मौका मिले तो जेल भी क़बूल है। लौन्डी पका हुआ आम है। चूत भी बड़ी टाइट होगी !”

राज ने किसी तरह मन में उठते वासना भरे खयालों को दबाया। उसे डर था कहीं सोनिया उसकी जाँघों के बीच तनते हुए तंबू को नहीं देख ले। पर सोनिया की तीक्ष्ण गिद्ध निगाहें राज के मचलते हुए उभार को भाँप चुकी थीं।

“चल गया मेरा जादू !” बाथरोब को सरका कर कुछ और खोलते हुए उसने सोचा। राज सोच रहा था की सोनिया अपनी माँ का ही युवा रूप थी। बस बाल लम्बे नहीं थे, चुंघराले और छोटे थे। पर फ़िगर तो एकदम माँ जैसा था। माँ और बेटी का चेहरा और हावभाव हू-ब-हू मेल खाते थे। | सोनिया किताब में लीन होने का नाटक कर रही थी। जब भी मौका मिलता एक नजर राज को काम करते हुए देख लेती थी। रह रह कर बड़ी अदाओं से अगड़ाइयाँ ले कर अपने यौवन से उसे रिझाने के लिये जिस्म का प्रदर्शन भि करती। उसका बाथरोब तो कन्धों से नीचे गिरा ही जाता था। उसकी चिकनी लम्बी टांगें जाँघों तक न नंगी थीं। जैसे जैसे सोनिया अपने यौवन के जलवे दिखाती जा रही थी, वैसे वैसे राज का ध्या अपने काम पर लगना और कठिन होता जा रहा था। आखिरकार सोनिया तन के उठ खड़ी हुई और नीचे सरका कर बाथरोब को अपने तन से उतार डाला। राज ने उसके इस रूप को देखा तो मारे हैरानी के पूल में गिरते-गिरते बचा। माशाल्लाह! क्या पोशाक पहन रखी है। ये बिकीनी तो सोनिया के कीसी अंग को भी ढक नहीं पा रही है!
 
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उसका लन्ड चौंकाने वाली तेजी से साँप जैसा सनसना कर जीन्स के कपड़े को उठा कर तन गया। सोनिया ने राज को अपने स्तनों को नज़र भर देख लेने दिया और फिर आरामकुर्सी पर पेट के बल औन्धे-मुँह लेट गयी। राज ने सोनिया की ओर देखा और उसकी जवान गाँड के गोल-गोल गालों पर नजरें सेकीं। “वल्लाह! जवाब नहीं।” मुँह में बुदबुदाया। दिसम्बर की दोपहर के सूरज में उसका तन चमचमा रहा था। सोनिया के शैतान चेहरे पर एक मुस्कान लोट रही थी। उसे अच्छी तरह मालूम था कि राज उसे घूरे जा रहा है। यह बात उसके जिस्म को गुदगुदा रही थी। “फष गया साला! अब कुछ ही देर की बात है।” उसने खुद से कहा।

राज पूल के दुसरे किनारे से चलता हुअ उसके पास आ खड़ा हुआ। “सोनिया मैने अपना काम तो कर दिया है। बन्दे के लिये और कुछ काम हो तो ... ?” उसकी गोल गुदगुदी गाँड को निहारते हुए राज ने पूछा।

सोनिया लोट कर सीधी हुई और बेधड़क अन्दाज में ऊपर देख कर नजरें मिलाति हुई सोचने लगी “बच्चू ! डबल मीनींग डायलॉग कहते हो ।” “बस! तुम्हारे लिये और कोई काम नहीं। तुम्हारे घर पर स्विमिंग पूल नहीं है न ? क्यों न तुम यहीं स्विमिंग कर लेते ? मुझे अकेले स्विमिंग करने में मुझे बड़ी बोरियत होती है।” दातों तले निचले होंठ को दाबे हुए गर्दन मटकाते हुए और अदा से सकुचाते हुए सोनिया बोली।

राज ने लन्ड का एक और जबरदस्त झटका पैन्ट के अन्दर महसूस किया। “मैडम तो मुझसे भी दो कदम आगे हैं। चलो क़िस्मत आजमा कर देखते हैं।” राज ने सोचा। “ठीक है। पर मेरे पास स्विमिंग ट्रन्क नहीं है।”

कोई बात नहीं। मैं तुम्हें जय का स्विमिंग ट्रन्क दे दूंगी। थोड़ा टाइट होगा पर काम चल जाएगा।” कह कर सोनिया दौड़ कर घर के अन्दर चली गई।

राज ने पीछे से किशोर- सुन्दरी को दौड़ते हुए देखा और बिकीनी के अन्दर उसकी जवान माँसल गाँड को फुदकते देख कर उसके मुंह से लार टपकने लगी ::::
 
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21 सेक्यूलरिस्म

मौका सही है बेटा!” राज ने सोचा, “शायद टाइट सा ट्रन्क उठा लायेगी, मेरे लन्ड के लिये।” उसने अपनी टी-शर्ट को उतार फेंका और उतावला होकर सोनिया की वापसी का इन्तजार करने लगा। जिस तरह से सोनिया अपने जलवे दिखा रही, अगर वो उसके साथ ठिठोली नहीं कर रही तो समझो कि आज तो वारे न्यारे।।

एक मिनट बाद सोनिया अपने भाई के स्विमिंग ट्रन्क को ले कर आ वापस आ पहुंची। जान कर वो सबसे तंग ट्रन्क चुन कर लाई थी जिसे वो राज के तन पर देखना चाहती थी।
ये लो! चाहो तो अन्दर बाथरूम में जाकर पहन लो !”

इधर ही पहन लेता हूं। अब यहां कौन देख रहा है ?” सोनिया के चौन्क उठे चेहरे को देख कर राज मुस्कुराया। “जानेमन बड़ी बोल्ड बनती थी। अब बोल ?” राज ने सोचा। ।

“हाँ यहाँ कौन देख रहा है। दीवार इतनी ऊंची जो है।” सोनिया हकलायी। अपने कानों पर पड़ते खुद के शब्दों पर उसे यक़ीन नहीं हो रहा था।

राज अपनी जिन्स उतारने लगा। “अरे यार! मैं कपड़े बदल रहा हूं। अपनी नजरें पीछे फेरने की ज़हमत उठयेंगी आप ?” राज ने पूछा।

सोनिया बोलना तो चाहती थी “नहीं फेरूंगी! मैं तो आशिक़ का लन्ड देखना चाहती हूं !” पर दरसल बोली - “अ हाँ हाँ सॉरी राज !” सोनिया बड़े खेद से पीठ फेर कर पलटी और राज ने लपक कर जीन्स उतारी और अपने नाप से छोटि स्विमिंग ट्रन्क को किसी तरह पहना।

राज को नंगा देखने की कल्पना सोनिया के पेड़ को गुदगुदा रही थी। जब राज ट्रन्क पहन चुक तो बदमाशी से उसकी गाँड पर चपत लगा कर पूल में कूद पड़ा। सोनिया भी खिलखिला कर उसके पीछे पूल में कूद पड़ी।

किशोर यौवना का छरहरा बदन पानी को चाकु की तरह काट रहा था। गोते के बाद सोनिया पानी कि सतह पर आयी, पर राज का कहीं नामोनिशान नहीं था। फिर अचानक उसे पानि की सतह के नीचे एक परछाईं अपनी ओर तैरती हुई दिखी। जैसे ही वो परछाईं सतह पर उभरी, सोनिया ने अन्दर गोता लागा दिया। नतीजतन, उसकी गाँड का धका सीधे राज के चेहरे पर लगा। वो पलट कर पीठ के बल तैरने लगी ताकि राज के सामने अपने स्तनों को मचला सके।
 
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राज जानता था कि सोनिया अपने नख़रों से उसकी मर्दानगी को उकसा रही थी। जाहिर था कि चुदाई की प्यास में तड़प रही थी। राज अपनी गर्माती जवानी और ललचाती नीयत पर काबू पाने के उद्देश्य से पूल का एक पूरा चकार तैर गया। पर पूल के दूसरे किनारे पर हुंचा तो सोनिया के जिस्म को पनी के अन्दर अपनी टांगों पर रगड़ता हुआ पाया। जैसे ही अचानक सोनिया सतह पर उभरी तो उसके मम्मे राज के सीने पर मसल गये।

“स्विमिग तो अच्छी कर लेते हो। और कुछ भी आता क्या ?”

सोनिया ने भौहें चड़ाते हुए बोला।
जानेमन! एक बार आज़मा के तो देख !”

राज की ललकार के जवाब में सोनिया ने एक हाथ अपनी गर्दन के पीछे किया और अपनी बिकीनी के टॉप का हुक खोल दिया। उसके दोनों स्तन लायक्रा के पाश से मुक्त हो कर गुब्बरों जैसे झूलने लगे।

राज ने आँखे फाड़े नीची निगाह कर के उन्हें देखा और नोट किया किया कि अट्ठारहवें सावन में सोनिया के स्तन मीठे सन्तरों से पक गये थे। गोरी, चिकनी छाती पर ठोस और पुष्ट स्तन। जरा भी लटकाव नहीं। नवयौवना के दो रूपाबरणों को देख कर राज के टट्टों मे चाहत का दर्द उठने लगा। उसे लगा कि उसके हाथ बने ही हैं इन सन्तरों को निचोड़ने के लिये। सोनिया को खींच कर उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दे और तब तक चोदे जब तक वो उससे दया की भीख न मांगने लगे। पर उसे शक था कि सोनिया भी चुदने में दिलचस्पी रखती है या सिर्फ़ फ़्लर्ट कर रही है, और जैसे ही उसने कोइ हरकात की, तो रेप केस कर देगी। उसने सोनिया की नियत जानने की ठानी!

समजो तुम्हारी आजमाइश शुरू।”, सोनिया ने दोनों हथेलियों में अपने मुलायम स्तनों को भर कर राज की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

“सोनिया तू तो बॉम्ब निकली! क्या मम्मे हैं!” राज आह भरता हुआ बोला।।

“क्या मुझे छुईमुई समझे हो ? दाब कर देखो इन्हें ।” सोनिया ने मुसुराते हुए राज के हाथों को पकर कर अपने स्तनों पर रख दिया।

“सुभान अल्लाह !” उतावले राज अपने बड़े-बड़े खुरदरे हाथों से सोनिया के नरम, मखन जैसे स्तनों को दबाने और सहलाने लगा। सोनिया अपनी एक जाँघ को झुला झुला कर राज के जघन भाग पर दबा रही थी। दूसरी चिकनी- चिकनी टांग जमीन से ऊपर उठा कर उसकी जाँघों के बाहर रगड़ रही थी। सोनिया को अपनी रगड़ती जाँघ पर राज के लन्ड की हर लर्जिश महसूस हो रही थी। जब राज का लन्ड उस पर छूने लगा, तो सोनिया की उतावली जवान चूत एक कलि जैसे खिल कर खुलने लगी, और लन्ड उसकी सकरी कोपलों के बीच टटोलने लगा। राज ने सोनिया को अपने सीने की तरफ़ खींच कर पूछा:
सोनिया! तेरी चूत कुआँरी तो नहीं है ?” ।

“तुम्हें क्या लगता है ?” सोनिया ने आह भरते हुए कहा।

मुझे लगता है कि मैं तुझे चोद दू !” राज ने आजू-बाजू देखा। मैदान साफ़ था। पूल की ऊंची दीवारों के कारं उन्हें वहाँ कोई नहीं देख सकता था।
 
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22 पानी में शैतानी

राज सोनिया को पकड़ कर पूल के अन्दर ले गया और उसके जिस्म को पूल के किनारे सट कर लगा दिया। फिर सोनिया लुभाती चूत को पाने के लिए अपनी मजबूत बाहों से उसे ऊपर उठा कर अपनी उंगलियों से बिकीनी की जाँघिया की इलास्टिक को वहशियों जैसे, लगभग उसे चीरते हुए, खींच कर उसके बदन से उतार दिया। जैसे ही चूत बेपर्दा हुई, उसने अपनी चौड़ी हथेली से चूत के भाग को धीमे से दबाया और उसकी एक उंगली सोनिया की टपकती गर्मा-गरम चूत के अन्दर फिसल कर पहुंच गयी।

राज की इस हरकत ने सोनिया को विभोर कर दिया। वो सकुचा कर फुसफुसाती हुई राज से बोली।
“राज चोद दो मुझे। इसी वक़्त ! यहीं पर! तुम नहीं जानते मैं सुबह से कितना तड़प रहीं हूं।” सोनिया ने अपनी बहें राज के मजबूत कन्धों पर डालीं और टांगों को फैला कर घुटने ऊँचे उठा कर अपना यौवन राज को पेश किया।

“मैं क्या कम तड़पा हूं। आज तुझे इतना चोदूंगा कि तू फ़्लर्ट करना भूल जाएगी !” अपनी स्विमिंग ट्रन्क को उतारता हुआ राज गुर्राया।

राज ने एक मजबूत हाथ सोनिया की पटाखा गाँड जमाया और दूसरे से अपने तने हुए, धड़कते लन्ड को सम्भाला। इतना उतावला हो रहा था कि आव देखा ना ताव, सोनिया की चूत पर लन्ड को टेक कर लगा अन्दर ठेलने। पर नवयौवना की चूत इतनी संकरी थी कि लन्ड का निशाना चूत के मुंह पर ठीक से नहीं लगा था। पर सोनिया ने थोड़ा बहुत ऐंठ-ऊंठ कर लन्ड को अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया। अपने सुपाड़े पर चूत के मुंह का एहसास होते ही राज और दम लगाकर लन्ड को अन्दर घुसाने लगा। एक - एक इन्च कर के उसने अपना बम्बू सोनिया की टाइट और रिसती चूत में ठूसा।

“ऊंघ्ह्ह! खुदा की कसम! बड़ी टाइट है!” सोनिया की तंग मांद में आहिस्ता से अपने लम्बे लन्ड को जमाता हुआ जानवरों सा हुंकारता राज ।

“रन्डी की चूत इतनी टाइट है तो गाँड इससे भी टाइट होगी !” राज मन में अपने खौफ़नाक इरादों के लिए में स्कीम बना रहा था। इस खयाल ने उसके लन्ड को और मोटा कर दिया। अब उसका लम्बा तंबू बरी मुश्किल से हाँफ़ती सोनिया की कसी हुई चूत में अन्दर सरक पा रहा था।
 
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पर जल्द ही सोनिया की छड़ती जवानी के हारमॉनों ने अपना कुदरती कमाल दिखाय। चूत में से सर- सर कर के स्त्राव होने लगा और अन्दर की लसलसाती फिसलन में राज का लन्ड पहले की तरह घुसने लगा। कुछ ही सैकन्डों में सोनिया की चूत ने पूरे 7.5 इन्च का लन्ड टट्टों तक निगल लिया। जैसे ही लन्ड सोनिया की मांद में जाम हुआ, राज ने लपक कर सोनिया की गाँड को हाथों में जकड़ा और ठेलमठेल चालू कर दी। सोनिया ने अपनि जिन्दगी में इससे बड़ा लन्ड अपने अन्दर नहीं लिया था। लम्बे लन्ड के जोरदार धक्कों को झेलती हुई कसाईखाने में बन्धे मेमने की तरह मिमिया रही थी।

इस लन्ड के सामने राजेश का छोटा सा लन्ड कुछ भी नहीं था। अछा हुआ उसका कौमार्य-भंग राजेश के छोटे लन्ड से हुआ था। कहीं राज के लन्ड से ये नेक काम होता तो हफ़्तों तक दर्द नहीं जाता! अब वो राज के चोदते लन्ड को कूल्हे झटकाती और उचकाती हुई झेल रही थी। राज उसे वहशीयाना ढंग से चोद रहा था और पूल के किनारे से सटी लोहे की रॉड पर सोनिया ने हाथों का सहारा ले रखा था।

राज का लन्ड अब फ़ौलाद सा सख्त हो चुका था। उसके हर स्ट्रोक के साथ लन्ड सोनिया की चूत के चोचले को मसलता जाता था। राज अपना लन्ड धपाक- धपाक चूत में भिड़ा रहा था और सोनिया की गाँड हवा में उछाल कर पानी की सतह पर छपाक-छप्पक कर के पटक रही थी। दोनों लड़का-लड़की मुँह फारे नीचे की तरफ़ अपने जवान जिस्मों के बीच होती इस जंगली हरकत को देख रहे थे। रह-रह कर सोनिया अपने चेहरे पर गिरती घुघराली जुल्फ़ों को एक हाथ से पीछे झटक देती थी। राज भी कभी-कभी सोनिया की गाँड का सहारा ले कर लन्ड की चूत में पकड़ को ठीक करता था।

फिर सोनिया कभी पेट को कमान की तरह तानती हुई पीछे जुक कर राज के लन्ड के इन्च - इन्च को चूत में निगलने की कोशिश करती। उसकी इस हरकत के कारं सोनिया के नारन्गी जैसे मम्मे आकाश को चुमते हुए ऊपर को उभर आते। फिर राज आगे झुक कर उसकी स्ट्रॉबेरी से गुलाबी निप्पलों को अपने मुँह मे ले दबोचता। सोनिया उसके सर को हाथों में झुलाती हुई अपने मम्मे चुसवाती और उसके खुले हुए होंठों से मस्ती भरी कराहटें निकालती।
आहह! ओह्ह्ह ! हा! औच! म्म्म्म्म !”

एक ओर सोनिया राज की कमर को अपनी दोनों जाँघों के बीच जोर से दबोच कर उसके चोदते लन्ड पर अपनी चूत को कसे जा रही थी। दूसरी ओर पूल के किनारे पर लगी रॉड पर उसने अपने हाथ पीछे को टेक रखे थे। और इन दो सहारों के बीच सोनिया का जिस्म मस्ती में झूल रहा था।
 
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जवाँ लन्ड से चुदते हुए सोनिया के मन में खयाल आ रहा था कि इससे भी बड़े लन्ड से चुदने में कैसा लगेगा। राज का साइज़ काफ़ी बड़ा था और उससे सोनिया को कमाल का मज़ा आ रहा था। पर उसके भाई और डैडी लन्ड तो राज से और भी कुछ बढ़ कर था। वे दोनों तो अपने हाथी जैसे लन्ड से उसको शायद चीर ही डालें। पर सोनिया को हर बड़ा लन्ड एक चैलेन्ज जैसा लगता था, जिसे वो जरूर फ़तह करना चाहती थी।

तभी राज उसके मुं को अपने मुं पर लगा कर बड़ी निर्दयता से चुम्बन लेने लगा, उसकी जीभ सोनिया के मुँह में ऐसे लपकी जैसे उसका लन्ड सोनिया की चूत में सनसनाया था। फिर राज ने उसकी कमर को हाथों में जकड़ कर उसके धड़ को पीछे झुका कर पानी की सतह के जरा ऊपर बिलकुल समतल सुला दिया। इस पोज में राज के जघन की हड़ी सोनिया की चूत के चोचला पर रगड़ा रही थी। सोनिया को अपने चोचले पर मसलती हड्डी से और मज़ा आने लगा। वो झड़ने के करीब आने लगी। अपनी कमर को उसके मजबूत बदन पर फुदकाती हुई ऐसी आवाजें निकाल रही थी।

“आँ : आँह : आँआँह '' आँआँआँआँआँआँह !” राज का बस एक और जबरदस्त स्ट्रोक सोनिया को झड़ाने के लिये काफ़ी था :::

“ऊऊऊह! ऊहन्घ्ह्ह! उन्घाह्ह! मुझे चोद राज ! • अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
!” सोनिया इस तरह तीखे स्वर में दर्जनों बार चीखती कराहती हुई और अपनी तन्ग चूत को अपने आशिक़ के गोदते लन्ड पर रौंदती हुई झड़ने लगी।

राज उसे बिना रुके चोदता जा रहा था। उसका लन्ड सोनिआ की गीली, उलझी हुई झांटों के बीच उसकी टाइट, नवयौवना चूत में और गहरे बरस रहा था। झड़ने के बाद सोनिया राज की जांगों पर अपनी टंगों की जकड़ को ढीला कर के अपने पाँवों के पन्जे के बल उचक कर खड़ी हो गयी और अपने आशिक़ के हांफ़ते मुँह का चुम्बन लेने लगी।

सोनिया की चूत में अब भी राज का लन्ड बराबर तन के जमा हुआ था। अपनी चूत में लन्ड के जबरदस्त तनाव के एहसास ने सोनिया की चूत को फिर से फड़काना शुरू कर दिया। अभी सोनिया का दिल कहाँ भरा था! “सुभान अल्लाह! मजा आ गया चुदाई का !”, राज बोला।

ओह राज ! कमाल का चुदते हो तुम ! एक और बार चोदो ना, प्लीज ?” सोनिया उसके कानों में अदा से फुसफुसाई और फिर उसकी गर्दन और गाल पर अपने सुलगते होंठों से कई बार चूमी।

राज हंस कर बोला “ठीक है! पर घर के अंदर तसल्लि से। यहाँ पानी साला बहुत ठंडा
है।”

“ये ठीक रहेगा! चलो अगली चुदाई मेरी मम्मी के बिस्तर पर! मेरी तो कब से ख्वाइश थी कि कोई मुझे अपनी मम्मी के बिस्तर पर चोदे !” आँख मारते हुए सोनिया ने अपने दिल का राज उसे कहा।
 
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“मेरी भी ऐसी ही कुछ् ख्वाइश है!”, राज ने मुस्कुरा कर ऐस सोचा, “काश एक बार मेरे लन्ड को तेरी मम्मी की चूत नसीब हो जाए! पर फ़िलहाल तुझी से काम चलाता हूं। साली अगर बेटी जैसी चोद्दी होगी तो मेरा काम बिलकुल आसान है।”

सोनिया के पीछे-पीछे उसके मटकती हुई नगी गाँड को देखता हुआ राज घर घर के अंदर आया। “चोद्दी! क्या माल बॉडी है !” आज तो बेटी की अट्ठारह साल की टपकती चूत को तब तक चोदूंगा जब तक होश हैं, फिर माँ की बारी होगी। क्या पता क़िस्मत में दोनों को इकट्टे चोदान लिखा हो! एक मेरे लन्ड पर, दुसरी मेरी जीभ पर। राज की दिली ख्वाइश थी की वो अपनी जिभ से चूत चाटे। खास कर कि मिसेज शर्मा की रिसती हुई गर्मा-गरम चूत , और उसमें राज मियाँ की प्यासी जीभ। सोने पे सुहागा तो तब हो जब बेटी अपने मुँह में उसका लन्ड हो। उसके शैतानी दिमाग़ में ऐसी कैई सम्भावनाएं जाग रही थीं!

24 शर्मा खानदान

डॉली अपने बिस्तर पर लेट कर मैगजीन पढ़ रही थी। उसकी अम्मी रजनी जी बाजार में शॉपिंग के लिये गयीं थी और भाई राज पड़ोस के घर में पूल की सफ़ाई के लिये गया था। डॉली अकेले भर पर बोर हो रही थी तो कभी टीवी देखती तो कभी स्टीरियो- सेट पर गाने सुनती। फिर उनसे भी उकता कर आखिर एक मैगजीन ले कर पढ़ने लगी थी। पर उसके जेहन में तो कुछ और ही कौन्ध रहा था। | डॉली को ताज्जुब हो रहा था राज आखिर इतन्नि देर कर क्या रहा है। पिछली बार जब उसने शर्मा परिवार के घर में इतना वक़्त बिताया था तो कह रहा था कि मकान मालकिन साहिबा उस पर डोरे डाल रही थीं। मुआ खुद ही टीना जी के सामने दुम हिला रहा होगा, डॉली से सोचा। वो अपने जुड़वाँ भाई को अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों हम - खयाल थे और एक जैसी ही पसंदें रखते थे, खासकर की सैक्स के विषय में। राज और डॉली के बीच तीन साल से सैक्स सम्बंध थे। तीन साल पहले एक रात डॉली जिंदगी में पहली बार चुदी थी - राज से। उस घड़ी से दोनों भाई- बहन एक दूसरे की सैक्स की भूख को बिन बताये भाँप लेते थे। इतना ही नहीं, राज और उसकी अम्मी के बीच भी बाकायदा सैक्स सम्बन्ध थे

डॉली के वालिद ने जब उनकी अम्मी को तलाक़ देकर छोड़ दिया था, तो उसके छह महीनों बाद ये क़िस्सा शुरू हुआ था। डॉली के अबू ने जब अपने से आधी उम्र की एक तवायफ़ के लिये उन्हें छोड़ दिया था, तो उनके परिवार पर जैसे कहर ही टूट पड़ा था। उनके पास अब अब कोई चार नहीं था। माँ ने बच्चों के और बच्चों ने माँ के सहारे जिन्दगी काटनी थी। और वक़्त के साथ उनके माली हालात सुधरने लगे थे। घर पर सबकी खुशियाँ भी वापस आने लगी थीं। रजनी जी एक खानदानी खातून थीं और बला की खूबसूरत भी। जन्नत की हूर जैसे गोरे लम्बे चेहरे पर दो हरी, बिल्ली जैसी हरी आँखें, सुनहरे लम्बे बाल। रजनी जी को बस एक कमी बड़ी खलती थी - सैक्स की, जिसका लुफ्त, उनके शौहर तलाक़ के दिन तक, बा - क़यदा उन्हें दिलाते रहे थे। तलाक़ के सदमे के बाद, अब दूसरी शादी की हिम्मत उनमें नहीं रही थी।

परेशान हो कर आखिर उहोंने अपने बेटे का ही सहारा लेकर अपनी इस उलझन को भी सुलझा लिया था।

सब कुछ अचानक नहीं हुआ था। रजनी जी कैई दिनों तक परेशान सी अपनी उलझन के हल के बारे में सोचती रहीं थीं। उनके दिल में बैठा शैतान उन्हें उकसा कर राज की तरफ़ इशारा करता था। ऊपर वाले के खौफ़ के मारे अपने ही बेटे के बारे में गुनाह भरे खयालों को दबाने की लाख कोशिशें करतीं। पर एक रोज देर रात जब राज दोस्तों के साथ पार्टी मनाकर नशे में धुत घर पर आया, तो वे खुद पर क़ाबू खो बैठीं। रजनी जी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी अपने बेटे के बिस्तर के लिहाफ़ में तेट गयी थीं। शराब का नशा और गैर-कुदरती ब्रह्मचर्य - दोनों गुनाह की जड़ हैं। इनका नतीजा तो हम सब जानते हैं। रजनी जी अपने बेटे राज पर पिंजरे से छुटी शेरनी सी झपट पड़ी थीं। राज चौंका तो बहुत था पर उसने अम्मी की इस हरक़त का मुक़ाबला नहीं किया था। इतनी हसीन औरत अगार नंगी होकर आपके बिस्तर में कूद पड़े तो आप भी वही करते जो राज ने किया। उस रात राज ने बड़ी जिन्दादिली से अपनी अम्मी को चोदा।। | उस रात आखिरकार रजनी जी की लम्बी बेक़रारी का खात्मा हुआ था। राज के कमरे से आती कराहने की आवाजें इस बात का सबूत थीं। दोनों अपने जिस्मों के जुनून में इतना शोर कर रहे थे कि डॉली भी जाग उठी। मारे चिंता के जब लड़की दौड़ कर अपने भाई के कमरे पहुंची तो अन्दर के नजारे ने उसके होश उड़ा दिये थे। राज बिस्तर पर लेटा हुआ था और अम्मीजान उसके तने लन्ड पर अपनी चूत को गाड़े हुए घुड़सवार की तर फुदक रही थीं। महीनों से कैद किये हुए जिस्मानी जुनून को अपनी कोख के ला के साथ सरन्जाम दे रही थीं।
 

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