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डैडी का बेटा! बड़ा चालाक बनता है।” मिसेज़ शर्मा ने अपनी पैन्टी को अपनी माँसल जाँघों पर से ऊपर चढ़ाते हुए मन ही मन कहा।
जय ने भी अपनी माँ की आकर्षक सुडौल टांगों को सराहा और सलवार सूट पहनते हुए उनके भरपूर नितम्बों की एह झलक भी देखी। जय अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था और अपनी माँ को एक अलग नीयत से देख रहा था। जो स्त्री उसके सामने खड़ी थी वो अब उसके लिये खान बना कर परोसने वाली, बर्तन धोने वाली और कपड़े इस्त्री करने वाली माता नहीं थी।
| अब वो उसकी सैक्स पर्टनर थी, सम्भोगिनि थी।
टीना जी के मादक स्तन अब सलवार-सूट ढक गये थे पर महीन कपड़े के नीचे निप्पलों का उभार अब भी देखने वाले को रिझाता था।
“अगली बार कब मम्मी ?” जय ने माँ के स्तनों की गोलाई को निहारते हमे आशापूर्वक भाव में पूछा।
“मेरे लाल, पता नहीं। हमें इस बात का बहुत खयल रखना होगा कि किसी को कानों-कान भनक ना पड़े। नहीं तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
टीना जी स्विकार तो नहीं करना चाहती थीं पर पुत्र के शीथील लिंग को देख कर उन को जय के सवाल का जवाब मिल गया था। उस एक झलक ने उन्हें मुद्दतों बाद नसीब हुई प्रबल काम- संतुष्टी की याद ताजा कर दी। नीचे झुक कर टीना जी ने जय के होंठों पर एक ममता भरा चुम्बन दिया। पर अपनी जाँघों पर टीना जी के हाथ का स्पर्श उनके नेक इरादों का अंदेशा जय को दे रहा था।
हुजूर आगे आगे देखिए होता है क्या !” जय को युं असमंजस में डाल कर मिसेज शर्मा कमर मटकाती हुई बेडरूम से बाहर चली गईं
जय ने भी अपनी माँ की आकर्षक सुडौल टांगों को सराहा और सलवार सूट पहनते हुए उनके भरपूर नितम्बों की एह झलक भी देखी। जय अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था और अपनी माँ को एक अलग नीयत से देख रहा था। जो स्त्री उसके सामने खड़ी थी वो अब उसके लिये खान बना कर परोसने वाली, बर्तन धोने वाली और कपड़े इस्त्री करने वाली माता नहीं थी।
| अब वो उसकी सैक्स पर्टनर थी, सम्भोगिनि थी।
टीना जी के मादक स्तन अब सलवार-सूट ढक गये थे पर महीन कपड़े के नीचे निप्पलों का उभार अब भी देखने वाले को रिझाता था।
“अगली बार कब मम्मी ?” जय ने माँ के स्तनों की गोलाई को निहारते हमे आशापूर्वक भाव में पूछा।
“मेरे लाल, पता नहीं। हमें इस बात का बहुत खयल रखना होगा कि किसी को कानों-कान भनक ना पड़े। नहीं तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
टीना जी स्विकार तो नहीं करना चाहती थीं पर पुत्र के शीथील लिंग को देख कर उन को जय के सवाल का जवाब मिल गया था। उस एक झलक ने उन्हें मुद्दतों बाद नसीब हुई प्रबल काम- संतुष्टी की याद ताजा कर दी। नीचे झुक कर टीना जी ने जय के होंठों पर एक ममता भरा चुम्बन दिया। पर अपनी जाँघों पर टीना जी के हाथ का स्पर्श उनके नेक इरादों का अंदेशा जय को दे रहा था।
हुजूर आगे आगे देखिए होता है क्या !” जय को युं असमंजस में डाल कर मिसेज शर्मा कमर मटकाती हुई बेडरूम से बाहर चली गईं