Adultery पत्नी खुश तो पति भी खुश (लघु कथा)

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गुंजन और कारेल मिया दोनो एक नाश्ता कर के उठे ।

" तो भाई साब आप रहिए । मैंने बोल दिया हे नौकरानी को वो आपका कमरा लगा देंगे । मुझे स्कूल के लिए देर हो रही हे । "
" अरे तो में आपको छोड़ देता हूं ना में उसी तरफ काम से जा रहा हूं ।"

" अरे नही नही मेरा ड्राइवर है ना । आप क्यू तकलीफ कर रहे है "

" अरे इसमें तकलीफ किसी । में भी उसी तरफ जा रहा हूं तो साथ चलते हे ना थोड़ी गुफ्तगू हो जायेगी और जान पहचान होगी हमारी "

गुंजन अब भला कैसे माना करे उसे । उसने भी आखिर में हां कह दी ।

कारेल मिया ड्राइव कर रहा था और को ड्राइवर सीट पे गुंजन बैठी । दोनो में एक दो बाते होने लगी । कारेल रसक बाते करने में महारथ वरदान थी । कुछ किस्सा सुना के गुंजन को हसा रही थी ।

थोरी देर बाद गुंजन को कुछ याद आता है । " ओह हो में पानी लाना भूल गई "

कारेल साइड में कार रोक के बोला " रुकिए में लाता हूं पानी आपके लिए "

" अरे नही नेही स्कूल में मिल जायेंगे "

" भाबीजी एक पानी का बॉटल लाने से मेरे हाथ नही दिखेंगे और ना ही पेड़ । आप यही बैठिए "

कारेल मिया कार से उतर के एक दुकान से पानी का बॉटल खरीद लिया । यह कार में बैठी बैठी गुंजन सोच रही थी कुछ ज्यादा ही वफादारी खिदमदगिरी दिखा रहा हे । बस दो तीन दिन रुकने दून फिर में ही उसे भगा दूंगी ।


बाहर किसी के नजर में ना आते हुए कारेल मिया अपनी जेब से एक इंटेक्शन निकल के बॉटल पे लगा दिया । पता नही क्या था वोही जाने उस इंजेक्शन में ।

" ये लीजिए आपका पानी "

" शुक्रिया "

कारेल ने कार आगे बढ़ा दी । और कूची देर में गुंजन का स्कूल आ गया ।

" लो आ गई आपकी स्कूल । "

" ओके शुक्रिया आपका । बाई घर पे मिलेंगे "

गुंजन कार से निकाल के चली गई और कारेल उसकी पतली कमर की चाल थिरकती हुई मोटी गांड देखते हुए जोर से अपना लन्ड मसल दिया ।
 
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गुंजन का आज तीन पीरियड लेना था । वो पहले अपने सोशलसिंस के डिपार्टमेंट के दफ्तर में गई । वाहा इस डिपार्टमेंट में तीन सीक्षक बैठे थे पहले से ही । दो सिक्षिका और एक शिक्षक ।

उन में से एक सिक्षिका बोली " गुंजन मेम क्या बात है आज देर हो गई आपको । "

" हा एक पागल को चक्कर में में लेट हो गई । "
" आपका क्लास मिश्रजी ने ले लिया । हम लगा आप ने लीव ली हे "

" अच्छा है मिश्रा जी के क्लास के में अटेंड कर लूंगी "

और अपने डेस्क पे बैठ के अपनी बेग से पानी का बॉटल निकल के दो घुट पानी पी ली उसने । फिर अपना रूटीन पे काम करने लगी ।

समय बिता उसने लंच तक पूरी बॉटल पि गई । लंच के बाद अपनी आखरी पीरियड लेने के लिए 6th स्टैंडर्ड की क सेक्शन में गई ।

जब वो स्टूडेंटस को सोचियेल स्टडी की किताब से कुछ प्रेग्राब पढ़ के उसे बिस्तर से समझने लगी तब उसे ऐसा लगा जैसे शिर भारी सा होने लगा हे । वो बच्चों को समझते समझते ही क्लास रूम के खिड़की के पास गई जहा उसे एक ठंडी का झोका महसूस हुई उसकी होंठो पे मुस्कान खिल गई । हाला की क्लास रूम में चार पंखे निरंतर चल रहे थे ।

क्लास के एक बदमाश बच्चे ने गुंजन को ऐसे मुस्कुराते हुए देख लिया और बोला " मेम आप ऐसे क्यूं दुल्हन की तरह मुस्कुरा रही है । बुक में कोई रोमांटिक स्टोरी लिखी हे क्या "

चारे बच्चे हसने लगे ।

गुंजन गुस्सा हुई " shut up you guys ! बुक पे ध्यान दो "

लेकिन गुंजन को उस बच्चे का छेड़ना अच्छी लगी थी वो अंदर ही अंदर मंद मंद मुस्कुरा रही थी । वो बार बार उस बच्चे को छोड़ निगाहों से देख रही थी वो बच्चा जब भी गुंजन की तरफ देखता तो गुंजन लाल आंखे दिखात और बच्चा दर के शिर नीचे कर लेता । गुंजन को बड़ा मजा आ रही थी उसे बच्चे के ऐसा करने में उसने ऐसा चार बार की । वो अपनी हांसी रुक नही पा रही थी । मुंह छुपा के मुसूक मुसुक मुस्कुरा रही थी लेकिन सैतन बच्चे उसकी ये हरकत देख के काना फूसी कर रहे थे । उसे और पढ़ान का मूड नहीं था तो उसने बुक में से शॉर्ट क्वेशन का एनसार निकल कर कॉपी बुक में लिखने को कहा । और सभी बच्चे कॉपी निकल कर क्लास टीचर की आदेश पालन करने में लगे पड़े ।
 
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गुंजन फिर खिड़की के पास गई लेकिन इस बार क्लास रूम के आखरी वाली खिड़की में गई जिससे बच्चे अब उसे सामने से देख नही सकते थे । और सभी बच्चे उत्तर निकलने के लगे ।

गुंजन हाथो में हाथ बांध कर खिड़की से बाहर की नजारे को देख रहे । जिसने उसे स्कूल की बाउंड्री दिखाई दे रही थी और उसके आगे प्ले ग्राउंड में कुछ बच्चे क्रिक्रेट खेल रहे थे ।

गुंजन को जरा भी सा भनक नही लगी की वो नशे की खुमार में मदमस्त हो रही थी । नशा ही कुछ अलग सा था । अचानक ही बिना किसी वजह से खुशी का एहसास हो रहा था । दिल कर रहा था की ठंडी आहे भरे । खुद को ही बाहें फैला के बाहों में कस ले । रिमझिम रिमझिम झनझनाहट का एहसास उसे खुशनुमा बना रही थी ।


दोपहर के तीन बजे पूरे स्कूल कि छुट्टी होती थी और गुंजन अपनी काम से विराम ले के स्कूल के गेट पे आ गई । आज तो उसे टैक्सी पकड़ के जाना पड़ेगा । इसलिए वो ओला उबेर देख रही थी की उसके सामने ही एक कार आ के रुकी । उसने देखा कार के अंदर कारेल बैठा है । उसने बुरा सा मुंह बना के सोचा ये हरामी सक्स क्या मेरा पीछा कर रहा हे क्या ।

कारेल मिया ने ऐसा नीचे कर के बोला " आइए भाबीजी बैठिए में लौट रहा था तो सोचा आपको ले के चलूं "

गुंजन का मन तों नही कर रहा था लेकिन वो कर भी क्या सकती थी । कार में बैठ गई । और कारेल मिया ड्राइव करने लगे ।

" तो बताइए भाबीजी कैसा रहा दिन "

" अच्छा था जैसा हमेशा होता है वैसा ही । और आपका "

" जी मेरा तो बोहोत अछा था जिस काम के लिए निकला था वो काम भी अच्छे से हो गया और एक काम हो रहा हे लगता हे इस बार बनी बनाई मलाई खाने को मिलेगी "

" अच्छा लगता है आपकी किस्मत पे भाग्यरेखा कुछ ज्यादा लिपि हे । " गुंजन मुस्कुराई

" अच्छा आप बच्चो को क्या पढ़ती हे "

" वैसे तो मेरी स्पेशियलिटी जियोग्राफी हे लेकिन सोसियेल साइंस पढ़ाती हूं जिसमे हिस्त्री बुरंजी जियोग्राफी इत्यादी सभी का पाठ रहता है "

" ओह अच्छा । पता हे मैंने भी जियोग्राफी में ऑनर्स लिया था । "

" ओह अच्छा । लिया था का मतलब "

" मतलब घर से आर्थिक सापोर्ट नही मिला पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी । कॉलेज के लिए गांव से 30 किलोमीटर दूर बस से सफर करना था ऊपर से खेती बारी का काम भी संभालना था । लेकिन जब में इस शहर में आया और सरत बाबू के सत्रसाय में रह के मैंने आइडल पे जनरल विभाग में डिग्री ली । ध्यन्य है सरत बाबू का आज जो कुछ भी हूं सब उसकी की वजह से हूं "
 
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" में भी किसान की ही बेटी हूं । लेकिन मेरे घरवाले गवार जरूर थे लेकिन मेरी पढ़ाई को ले के बोहोत जागरुक थे । "

कारेल मिया पूरी तैयारी के साथ आया था । जैसे तो वो परशम लहरा के ही जायेगा । बोहोत पुनः खोज के पुत्का मंसूबे के साथ तिर बार कर रहा था । जैसे गुंजन की मन की बातें वो पहले ही समझते थे । क्या पसंद है क्या पसंद नही सब जानते थे । और फॉर्मूला अपना रहा था किसी को प्रभावित करना हो तो उसकी पसंद को अपनाओ । गुंजन भी उस नसीली पदार्थ का शिकार थी जिसे उसे जरा भी ज्ञात नही थी । उसको भी कारेल मिया के भारी आवाज को मिठास अच्छी लगने लगी । उसे सफर बोहोत एडवेंचर लगने लगा ।

" भाबीजी आप अपना देवर समझ के अपने और सरत बाबू के प्रेम कथा के बारे में कुछ बताइए ना "

गूंजन शरमाने लगी उसकी गाल सुर्ख लाल हो गई " क्यू आपके दोस्त ने बताए नही कभी क्या । लेकिन आप तो सब जानते ही होंगे मेरे मिलने से ही तो आप उनके साथ काम करते थे " ।

" नही तब में उनसे इतना क्लोज नही था । तब बस आज्ञाकारी कर्मशारी था । बाद में हमारी दोस्ती गहरी हो गई लेकिन उसने कभी इन सब बारे में जिक्र नही किया और ना ही मैने । भाग दौर की जिंदगी में कहा समय मिलता हे इन बातों के लिए "

गुंजन सोचने लगी " अच्छा हमारी सेक्स लाइफ के बारे में डिसकस करते हो आप दोनो और हमारी प्रेम कथा के बारे में ऐसे पूछ रहे है जिसे कुछ जानता ही ना हो ।"

" आपको बुरा तो नहीं लगा भाबीजी "

" अरे नही । बस वोही कहानी हे । उनके दुकान में अपनी पायल बनवाने गई तब में उनको पसंद आ गई । और वोही साइकिल से पीछा करना बस ऐसे ही हो गई । "

" पता है भाबीजी सरत बाबू जो आपको चिट्ठी भेजते थे वो सब मेरे हाथों से लिखवाते थे । में उनसे एक बार पूछा था तो उसने दात दिया था । उनको मानता था बोहोत इसलिए मैंने कभी दुबारा नही पूछा । लेकिन बाद में एक दिन ऐसे ही पता चल गया था "

गुंजन की गाल और लाल हो गई । पेट में गुदगुदी होने लगी रोम रोम खड़े हो गए उसकी । उसके लिए बोहोत संकोची पल थी । वो तो यही समझ रही थी वो सब उनके आशिक ने लिखे होंगे आज पता चला कि वो इसके आशिक ने नही उसके एक कर्मसारी ने लिखे थे और सालों बाद उसे पता चल रही है । और उस सक्स के साथ ही कार में अगल बगल बैठी है ।
 
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" अरे भाभीजी आप तो शर्माने लगीं है । लिखावट मेरी जरूर थी लेकिन चिट्ठी के हर एक लाइन सरत बाबू के दिल से निकले हुए लफ्ज़ थे । बोहोत कलाकारी थे उनके लाइन में भी चुरा के अपनी प्रेमिका को भेजता था । "

" उसने कभी बताए नही मुझे "

" हा भूल गया होगा । उनकी हैंडराइटिंग खराब थी इलसिए मेरे हाथों से लिखवाते थे । वैसे छोड़िए में भी क्या ले के बैठ गया और बताइए ।"

गुंजन अभी भी थोड़ा शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका मस्तक रिमझिम रिंग्ने वाली एहसास उनको खुल रही थी । उसे हर एक बात रसक दिलचस्प महसूस हो रही थी ।


25 किलोमीटर का रास्ता था और कारेल मिया आराम से मध्यम गति में कार ड्राइव कर रहे थे । और कुछ ऐसा बात जिक्र कर रहे थे जिसे गुंजन दिलसस्पी ले उसके बातों पर उसके साथ घुल मिल जाए ।


" भाभीजी आपको ड्राइव करना आता है "

" हां लेकिन मैंने कभी मैनुअल कार नही चलाए । जब सीखा था तबसे ऑटोमैटिक कार ही चलाती आ रही हूं । लेकिन कभी कभी ही मुझे दर लगता हे "

" आपको अपनी ड्राइविंग पे भरासा नही है । ठीक हे में आज आपको मैनुअल कार चलाना शिखाता हूं । "


कारेल ने सड़क से कार उतार ली और एक खाली ग्राउंड की तरफ ले गया ।


" अरे नही नही । आप क्यू खमखा तकलीफ कर रहे है ।"

" नही भाभीजी । आपको शिखना होगा । में चाहता हूं जब तक में आपके पास हूं आपके घर में तो मुझसे भी आपको कुछ फायदा हो । "

" अरे पर मुझे जरूरत ही क्या है मेरे पास तो ऑटोमेटिक कार हे । वो भी कभी कवार ही चलता हूं जब ड्राइवर छुट्टी पर रहता हे ।"

" क्या पता कब जरूरत पड़ जाए भाभीजी । जिंदगी में जो सीखने को मिले वो शिखना चाहिए । ऐसे इनकार नही करना चाहिए । ये भी एक कला है अच्छी ड्राइविंग करना । अच्छी ड्राइविंग से आप खुद को और दूसरों को भी सुरक्षा दे सकती है ।"

गुंजन माना करती भी कैसे । कार ग्राउंड के बीचों बीच रूक चुकी है । कारेल माया कार से उतर के गुंजन की तरफ आके दरवाजा खोल के बोला " जाइए भाभीजी ड्राइविंग सीट पे जाइए । "

गुंजन ड्राइविंग सीट पे गई । " भाई साहब मुझे दर लग रहा हे ।"

" डरने की क्या बात है । आपको ड्राइविंग आती ही हे ब्रेक और स्टेयरिंग तो आप संभाल ही लेगी ना । बस में क्लाच और गियर का फंडा समझा देता हूं आपकी "
 
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" पहला गीयर लगा के क्लाच छोड़ दो धीरे धीरे और एक्सीलेटर अपने गति के हिसाब से दबाते जाओ ।"

" हां होगी । आपको तो पता ही हे बस आपकी थोड़ी प्रैक्टिस की जरूरत हे । देखना आप आज ही शिख जायेगी । और जब गियर बदलना हो एक्सीलेटर छोड़ के क्लच दावा के अगला गियर दल दो ।"

" ओके ट्राई करती हूं । लेकिन पहले ही कह देती हूं अगर कार कही थूक गई तो उसका भरपाई में नही करूंगी " गुंजन ने बोहोत ही प्यारी मासूम अंदाज में मजाक की

कारेल मिया की दिल पे तो टीच की तरह सल्लाह हो गया । " हा हा हा । उसकी शिंता मत कीजिए भाभीजी । वैसे भी ये तो खुला मैदान हे थूकने को कोई झाड़ पेड़ भी नहीं है आप आराम से ट्राई कीजिए ।"

कारेल मिया ने दरवाजा बंद कर के डायरेक्शन देने के लिए तैयार । गुंजन ने कार को न्यूट्रल किया फिर इगीनिसेन का बटन दबा के कार स्टार्ट की ।

" भाई साब मेरा जी घबरा रहा है "

" अरे घबराइए मत । चलिए अब गियर डालिए क्लस्ट दबा के "

गुंजन को बोहोत आनंद आ रही थी । जैसे वो पहली बार ड्राइविंग शिख रही है । उसने क्लास दबा के पहले गियर पे डाल के धीरे से क्लच छोड़ के एक्सीलेटर दबाने लगा । लेकिन गाड़ी झटका खा के बंद पड़ गई ।

" कोई बात नही दुबारा कीजिए "

गुंजन ने दुबारा ट्राई किया लेकिन फिर से वोही हुआ । कारेल ने दुबारा करने को बोला फिर से वाही प्रतिफल । कारेल ने फिर से ट्राई करते रहने को कहा ऐसा करते करते गुंजन ने दस बार ट्राई किया ।

" भाई साब मुझसे नही होगा । चलिए चलते हे खमखा आपका समय बर्बाद कर दिए ।"

" नही । में समझ गया पहले आपको रनिंग कार में गियर डालना शिखना होगा तभी आप क्लच का इस्तेमाल समझ पाएगी । "

" कैसे । मतलब "

" आप उतरिए में समझता हूं "

दोनो कार से उतर गए । कारेल मिया ड्राइविंग सीट पे बैठ गए लेकिन दरवाजा बंद किए बिना अपनी गोद में इशारा कर के बोले " आइए गोद में बैठिए । में जब कार आगे बढ़ाऊंगा तब आप क्लच दबा के गीयर डाल के क्लच का ऑपरेट शिख लीजिएगा "

गुंजन की आंखे फैल गई वो सोचने लगी " क्या बेहूदा इंसान है । जरा भी शर्म ओ हया है की नही । एक औरत को गोद में बैठने को के रहे हे । " भले ही वो नशे की खुमार में थी थी अपनी शर्म हया की होश नही खोई थी अपनी आबरू बसाने की समता अभी भी बची हुई थी ।
 
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" नही रहने दीजिए भाई साब । आप खमखा तकलीफ कर रहे हे । और शाम भी हो गई है हमे अब चलना चाहिए ।"

कारेल मिया मुस्कुराया जैसे वो खुद को कोश रहा है । " भाभजी मुझे पता हे आप क्या सोच रही हे । आप यही समझ रहे हे ना में कितना निर्लज आदमी हूं । पर सौगंध खा के कहता हूं में अब अपने तन मन खुदा के बस्ते हवाले कर चुका हूं । अब मेरा जिस्मानी चाह बचा नही हे । साफ शब्द में बोला जाए तो में अब पूरी तरह से नापुसक रह गया । इसलिए तो मेरी बेगम मुझे घर से निकल देती है परेशान हो कर । माफ कीजिएगा आपको मेरे गोद में बैठने को कहा । लेकिन मेरा बिस्वास कीजिए मेरे मन कोई गलत विचार नही हैं । मेरा मन जिस्मानी रुह से आजाद हे । में चाह कर भी वो सब धरना अपने मन में नही ला सकता "

गुंजन भले ही सुलझी हुई नैतिक विचार रखती थी । लेकिन उसकी मन पानी की तरफ साफ निच्छल थी । इसलिए उसने झट से कारेल मिया की बात पे विश्वास कर ली । और उसे कारेल मिया पे बोहोत तरस आने लगी ।

" माफ करना भाई साब मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था आपको ढेस पोहचाने का । "

" जी में समझता हूं कोई दूसरी औरत होती तो शायद अब तक मुझे जूते मार चुके होते हे । मगर आप ऐसी नही हे मुझे पता हे आपके मन ऐसा कोई अहंकार नही हे में समझता हूं "

" फिर भी आपको बुरा लगा तो माफ कर दीजिएगा ।"

" एक शर्त पे । आपको मेरे साथ कार चलाना शिखना ही होगा । तभी मुझे लगेगा आपके मन में मेरे बारे में गलत विचार नही हे "

" भाई साब अब क्या कहूं । आप तो पीछे ही पड़ गए मेरे "

" हां में ऐसा ही हूं । थोड़ा जिद्दी हूं प्लीज आइए ना "

गुंजन अपनी होंठ कटने लगी और सोचने लगी । बेचारा । इसके बारे में अब तक में गलत समझ रही थी । ठीक हे बैठने में क्या जाता है बैठना ही तो हे । " ठीक भाई साब जब इतना कह रहे है तो आप शिखाइये कार चलना "

गुंजन कारेल मिया की गोद में बैठ गई । और करेल मिया ने दरवाजा बंद कर लीया ।
 
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गुंजन की गदराई हुई बदन अब कारेल मिया की झांघो की ऊपर थी । गुंजन की बाल बंधे हुए थे उसकी पीठ कारेल मिया की चौड़ी छाती से चिपक गई थी । गुंजन अपनी जिस्म का बोहोत खयाल रखती थी अपनी शरीर की अनचाहे बाल पार्लर जा के वैक्सिंग करवा के चिकनी रखती थी । लेकिन उसकी कांख में पसीना बोहोत आती थी इसलिए दोनों बगल गीली थी । उसकी बालों की खुशबू और परफ्यूम की खुशबू कारेल मिया अपनी जेहन में उतर रहा था । और सबसे बड़ी मोदहोश कर देने वाली खासियत ये थी कि गुंजन की जिस्म से प्राकृतिक खुशबू जो कच्ची दूध की तरह महक रही थी । कारेल मिया कुछ पल के लिए हटभंभ हो गए थे । गूंजन की मोटी फैली हुई गांड धस गए थे कारेल मिया की झंघ पे ।


" भाबीजी आप कंफर्टेबल हो के बैठ जाइए ।"

गुंजन खुद को तंग जगह पे समायोजित किया जिससे उसकी पिछवाड़ा कारेल मिया की झंघ पे रगड़ खा रही थी । " ठीक है अब बताइए क्या करना है । कार स्टार्ट करूं "

गुंजन पहली बार किसी गैर मर्द की गोद में बैठ रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और कुछ नयापन का दिलसस्प एहसास हो रही थी । लेकिन सुनिश्चित थी की कारेल मिया की दिल में कोई गलत भावना नही है ।

" में कार आगे बढ़ता हूं फिर आपको बताता हूं "

कारेल मिया ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और खुले ग्राउंड के चक्कर लगाने लगे । " अब आप अपने कंट्रोल पे लीजिए । और गियर बदलिए कार पहले गियर पर है आप दूसरे गियर पे डालिए "

गुंजन कमांड संभाला और दूसरे गीयर आसानी से लगा के ड्राइव करने लगा राउंड लगाते हुए। फिर तीसरे गियर लगा दी उसने ।

" भाई साब लगता हे पहली बार कार चला रही हूं । " गुंजन की मुस्कान फैल गई ।

" मजा आ रहा है ना । अब आप ऐसा करिए बगल में जो सड़क दिख रहा गली जैसा वाहा ले चलिए "

" पक्का । अगर में संभाल नहीं पाई तो । "

" में हूं ना । आप मुझपे भरसा रखिए बस "

" ठीक हे । आप संभाल लेना "

कारेल मिया के एक हाथ दरवाजे पे थे और एक हाथ हैंड रेस्ट पे थे । उसका बड़ा मन कर रहा था की गुंजन की मखमल पेट पे हाथ रख दे और झांघो को सहलाए लेकिन वो जनता था ऐसा किया तो अब तक जितनी मेहनत कर चुका था उसपे पानी फेढ़ देगा उसकी ये गलती । *" आप निसिंट रहिए । बस ड्राइविंग पे फोकस कीजिए ।"


गुंजन उस सड़क पे कार ले गई । और गियर बदल बदल के ड्राइव करने लगी । उसे जरा सा भी अंदाजा नही थी उसको शुरू से ही धोखे में रख रहा है करेल मिया ।
 
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शाम 5 बजे दोनो घर पोहोच गए ।


कारेल मिया गेस्ट रूम गए । और गुंजन अपनी रूम में । सबसे पहले उसने ठंडे पानी से सवार लि । और थोड़ी आराम के लिए बिस्तर पे लेट गए ।


सरत बाबू को फोन आ गया । गुंजन की होंठो पे मुस्कान आ गई ।

" आ गई अपनी डार्लिंग की याद "

" हा । तुम्हारी याद ने तो दो दिन में मुझे पागल कर दिया । मन तो कर रहा हे अभी वाहा चलंग मार के तुम्हारे पास आ जाऊ ।"

" अच्छा तो आओ ना । और बताओ काम पूरा हुआ *

" नही अभी तो बात चल रही हे । होंगे थोड़ा समय लगता है ऐसे काम में "

गुंजन तकिए को सीने में दबोच के बोली " उम्म मुझे आपके बिना रात कटा नही जाता "

" बस दो तीन और फिर सारी सिकायेद दूर कर दूंगा आ के । अच्छा खाना खाया । हमारे मैनेजर को लंच करा दिया ना "

गुंजन दो पल के लिए सोच में पड़ गई । वो लोग तो अभी आए हे । उसने तो लंच कर ली थी स्कूल में कारेल भी बाहर से कर के ही आया होगा । और उसे याद आया मैनेजर की गोद में बैठ के मैनुअल कर चलना सिख के आई है । उसके जेहन में आया की अपने पति को सबकुछ बता दे लेकिन अगर उसे गलत लगा तो उसकी ढेस पोहोचा और वो मुझे पे नाराज हो गया फिर । उसकी नारी स्वभाव ने उसे बताने को सिकृति नही दी ।

" हा करवा दिया उसे । आपने खाना खाया ना "

*" हां हम होटल में रुके हे सब तो खाने पीने का असुविधा नही है ।

" हो सके तो जल्दी आइए आप । "

" ठीक हे कशिश करता हूं । अभी मुझे फोन रखना होगा काम है । "

" ओके बाय "

गुंजन थोड़ी देर के लिए सो गई ।
 
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गुंजन को पता भी नही चल रहा था कारेल मिया की मसकद के बारे में । उधर कारेल मिया तीन दिन तक अपने बॉस के घर में रह के उसकी ही बीवी को पटाने में लगा था । उसका हथियार था वो ड्रग जो फिरोस्कलोन नाम का एक नसीली पदार्थ जिसकी दो बूंद किसी औरत की शरीर में दिया जाय तो वो माहोल को रंगीन रंग से देखती जिससे उसकी संकोच मिट जाती है शर्म पे लगाम लगा देती है सही विचार धारा लेने में पाबंद लगा देती हे । आठ दस घंटों के लिए । और ज्यादा दी जाए तो मर्द हो औरत दोनो के दिमाग को खोखला कर देती है । उस ड्रग के छे सात बंद से होश खो देता है लगभग बेहूसी के दो कदम दूर रखती है उसे एहसास के सिवाए कुछ नही कर सकता वो । और उस स्थिति में उसको वश में कर के कुछ भी करवाया जा सकता हे बच्चों जैसी हरकतें करने लग जाते हे ।


कारेल मिया जनता था की गुंजन जैसे संस्कारी पतिव्रता औरत उसकी संग कभी नही होगी । इसलिए वो मौका के फायदा उठाते हुए पूरी तैयारी के साथ आया था प्लान बना के । तीन दिन तक गुंजन को धोखे में रख के उसने अपने सरीफजादे का मुखौटा पहन के दोस्ती बनाई । उसको बिस्वास दिलाया की वो एक नेक दिल इंसान है और मझकिया दिलचच्प आकर्षित इंसान हे ।
 

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