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LEVEL 6
120 XP
84 तांक-झांक
जय शीग्रता से टॉयलेट में घुसा, और अपने स्विमिंग ट्रैक को नीचे उतारकर कमोड पर जा बैठा। उसने पीठ को आराम से पीछे टेककर अपनी घुटनों को फैला दिया, उसका लौह की छड़ जैसा कठोर और तना हुआ लिंग विजय पताका की तरह उसके पेड़ से ऊपर निकल कर फहरा रहा था। जय ने उसपर उंगलियाँ लपेटीं और अभ्यासानुसार रगड़ता हुआ हस्थमैथुन करने लगा।
हस्तमैथुन क्रिया करते हुए, जय के युवा मस्तिष्क में रह-रह कर रजनी जी की तस्वीरें उभर रही थीं, जिनमें वे उत्कट कामुक मुद्रा में दिखलायी देती थीं। उन अश्लील मैगजीनों जैसी ही, जिनकी सहायता से वो अक्सर हस्तमैथुन करते हुए अपनी यौन कल्पनाओं को प्रेरित करता था। जय ने रजनी जी को बिस्तर पर लेटा हुआ कल्पित किया, एक हाथ से अपनी योनि की कोपलों को फैलाते हुए, और दूसरे से जय को बिस्तर के निकट, अपनी तरफ़ आमंत्रित करते हुए। वे उसे नाम लेकर पुकार रही थीं, अपनी देह पर चढ़कर यौन क्रिया करने का आग्रह कर रही थीं। जैसे-जैसे वो अपनी लिंग को रगड़ता गया, उसकी कल्पनाओं की उड़ान और ऊपर होती गयी, उसने शीघ्र ही उनकी जाँघों के बीच स्थान ग्रहण किया, और अपने लिंग को उनकी लाल, कसी हुई योनि में प्रविष्ट करा कर, बलपूर्वक और तीव्र गति से सम्भोग करने लगा।
“ओहहह! मादरचोद! रजनी आँटी! साली रन्डी की चूत !”, वो कराहा। “मेरे लन्ड को तेरी चूत की जरूरत
उसका मस्तिष्क यौन क्रीड़ा की हर उस संभावना से भर गया था जो किसी कामतत्पर नवयुवक की कल्पनाओं में आ सकती थी। अपने काल्पनिक लोक में, जय ने पड़ोस में रहने वाली दो बच्चों की माँ की देह के हर छिद्र में अपने लिंग को घुसा कर, और हर संभावित मुद्रा में, संभोग किया। ऐसी अनेक कल्पनाएं उसके मन में मादक धुएं की तरह फैल गयी थीं, उसकी मुट्ठी लिंग पर अति - तीव्र गति से चल रही थी। फिर आखिरकार उसे अपनी जाँघों के मध्य वही चिरपरिचित अनुभूति हुई। रिकर्ड समय में उसने हस्तमैथुन से यौन तृप्ति प्राप्त कर ली थी!
*
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उधर दूसरे बेडरूम में, डॉली ने भी अपने कपड़े उतार कर बिकीनी पहनी ही थी, और रूम में तौलिया खोज रही थी, जो कहीं नहीं दीख रहा था। हालांकि सोनिया ने उससे कहा अवश्य था कि तौलिये बेडरूम में ही हैं।
कम्बख्त !”, वो बुदबुदायी, और निराश होकर बाथरूम की दिशा में चल पड़ी। ‘इधर नहीं तो बाथरूम में तो होना ही चाहिये।', उसने सोचा, और बाथरूम का दरवाजा खोला। डॉली बाथरूम में प्रविष्ट हुई तो उसके नंगे पाँवों ने फ़र्श की टाइलों पर तनिक भी पदचाप नहीं की। टॉयलेट के दरवाजे के पास दीवार में बने आलों में चार-पाँच तौलिये तह करे रखे हुए थे। डॉली ने एक तौलिया उठाकर झट से निकल जाना चाहा, पर जैसे ही बाथरूम से निकलने को पलटी, तो टॉयलेट से निकले एक स्वर ने उसे चौंका दिया। उसने सावधानी से कान लगाकर सुनने का प्रयत्न किया, पर जब कोई आहट नहीं हुई, तो सर हिलाती हुई बाहर निकलने को अग्रसर हुई। जैसे ही उसने दरवाजे के हैंडल पर हाथ रखा, तो उसे वही आहट फिर सुनाई दी, इस बार कहीं अधिक ऊंचे स्वर में।
जय शीग्रता से टॉयलेट में घुसा, और अपने स्विमिंग ट्रैक को नीचे उतारकर कमोड पर जा बैठा। उसने पीठ को आराम से पीछे टेककर अपनी घुटनों को फैला दिया, उसका लौह की छड़ जैसा कठोर और तना हुआ लिंग विजय पताका की तरह उसके पेड़ से ऊपर निकल कर फहरा रहा था। जय ने उसपर उंगलियाँ लपेटीं और अभ्यासानुसार रगड़ता हुआ हस्थमैथुन करने लगा।
हस्तमैथुन क्रिया करते हुए, जय के युवा मस्तिष्क में रह-रह कर रजनी जी की तस्वीरें उभर रही थीं, जिनमें वे उत्कट कामुक मुद्रा में दिखलायी देती थीं। उन अश्लील मैगजीनों जैसी ही, जिनकी सहायता से वो अक्सर हस्तमैथुन करते हुए अपनी यौन कल्पनाओं को प्रेरित करता था। जय ने रजनी जी को बिस्तर पर लेटा हुआ कल्पित किया, एक हाथ से अपनी योनि की कोपलों को फैलाते हुए, और दूसरे से जय को बिस्तर के निकट, अपनी तरफ़ आमंत्रित करते हुए। वे उसे नाम लेकर पुकार रही थीं, अपनी देह पर चढ़कर यौन क्रिया करने का आग्रह कर रही थीं। जैसे-जैसे वो अपनी लिंग को रगड़ता गया, उसकी कल्पनाओं की उड़ान और ऊपर होती गयी, उसने शीघ्र ही उनकी जाँघों के बीच स्थान ग्रहण किया, और अपने लिंग को उनकी लाल, कसी हुई योनि में प्रविष्ट करा कर, बलपूर्वक और तीव्र गति से सम्भोग करने लगा।
“ओहहह! मादरचोद! रजनी आँटी! साली रन्डी की चूत !”, वो कराहा। “मेरे लन्ड को तेरी चूत की जरूरत
उसका मस्तिष्क यौन क्रीड़ा की हर उस संभावना से भर गया था जो किसी कामतत्पर नवयुवक की कल्पनाओं में आ सकती थी। अपने काल्पनिक लोक में, जय ने पड़ोस में रहने वाली दो बच्चों की माँ की देह के हर छिद्र में अपने लिंग को घुसा कर, और हर संभावित मुद्रा में, संभोग किया। ऐसी अनेक कल्पनाएं उसके मन में मादक धुएं की तरह फैल गयी थीं, उसकी मुट्ठी लिंग पर अति - तीव्र गति से चल रही थी। फिर आखिरकार उसे अपनी जाँघों के मध्य वही चिरपरिचित अनुभूति हुई। रिकर्ड समय में उसने हस्तमैथुन से यौन तृप्ति प्राप्त कर ली थी!
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उधर दूसरे बेडरूम में, डॉली ने भी अपने कपड़े उतार कर बिकीनी पहनी ही थी, और रूम में तौलिया खोज रही थी, जो कहीं नहीं दीख रहा था। हालांकि सोनिया ने उससे कहा अवश्य था कि तौलिये बेडरूम में ही हैं।
कम्बख्त !”, वो बुदबुदायी, और निराश होकर बाथरूम की दिशा में चल पड़ी। ‘इधर नहीं तो बाथरूम में तो होना ही चाहिये।', उसने सोचा, और बाथरूम का दरवाजा खोला। डॉली बाथरूम में प्रविष्ट हुई तो उसके नंगे पाँवों ने फ़र्श की टाइलों पर तनिक भी पदचाप नहीं की। टॉयलेट के दरवाजे के पास दीवार में बने आलों में चार-पाँच तौलिये तह करे रखे हुए थे। डॉली ने एक तौलिया उठाकर झट से निकल जाना चाहा, पर जैसे ही बाथरूम से निकलने को पलटी, तो टॉयलेट से निकले एक स्वर ने उसे चौंका दिया। उसने सावधानी से कान लगाकर सुनने का प्रयत्न किया, पर जब कोई आहट नहीं हुई, तो सर हिलाती हुई बाहर निकलने को अग्रसर हुई। जैसे ही उसने दरवाजे के हैंडल पर हाथ रखा, तो उसे वही आहट फिर सुनाई दी, इस बार कहीं अधिक ऊंचे स्वर में।