UPDATE-22 टोनी की जिद पर हार कर हमने अपने कपड़े पहन लिए।
ब्रा पैन्टी तो पहननी ही थी उसके ऊपर एक शार्ट स्कर्ट और टॉप पहनना था। खैर हम दोनों कपड़े पहन कर तैयार हुई।
नंगा नाच फिर उसने एक इंग्लिश म्यूजिकल सांग लगा दिया और हम दोनों से बोला कि यह म्यूजिकल गाना पन्द्रह मिनट का है और इस गाने पर हम दोनों को डांस करना है, डांस करते-करते अपने एक-एक कपड़े उतारने हैं और उसे (टोनी) और रितेश को उत्तेजित करना है।
मीना तुरन्त तैयार हो गई पर मुझे पता नहीं था कि कैसे करना है। मैंने इशारो ही इशारों में मीना से पूछा तो मीना बोली कि जैसे वो करे उस देख कर वो करती रहे।
रितेश और टोनी सोफे पर बैठ गये।
मीना मुझसे चिपक कर अपने एक हाथ को मेरे कमर पर रख कर अपनी कमर को मटकाने लगी।
अब उसके हाथ धीरे-धीरे मेरे पिछवाड़े चलने लगे और मैं भी समझने के बाद मीना के पिछवाड़े को सहलाने लगी।
कभी मेरा पिछवाड़ा उन दो मर्दों के सामने होता तो कभी मीना का।
मीना के अगले स्टेप में वो मेरी स्कर्ट को ऊपर करती और मेरी पैन्टी को हल्का सा नीचे करके मेरे चूतड़ को सहलाती और फिर पैन्टी ऊपर कर देती।
जिस तरह से वो करती, उसी तरह मैं भी करती।
दोस्तो, मैं केवल मीना के स्टेप को बता रही हूँ और आप सभी मेरे चाहने वाले यह समझ लेना कि जो स्टेप मीना ने मेरे साथ किया था उसी स्टेप को मैंने दोहराया है।
फिर मीना ने मेरे टॉप को ऊपर करके ब्रा का हुक खोल दी और फिर मेरी टॉप भी उतार दी।
अब हम दोनों कमर के ऊपरी हिस्से में नंगे हो चुके थे।
मेरी और मीना की चूची आपस में चिपकी हुई थी और मीना मेरे होंठों का रसास्वादन कर रही थी कि अचानक मीना ने मुझे घुमा दिया। अभी तक मेरा पिछवाड़ा दोनों के सामने था, लेकिन अब मेरी उछलती हुई चूचियाँ उन दोनों के सामने थी।
मीना ने मेरे दोनों हाथ को ऊपर हवा में उठा कर अपने कंधे में रख लिए और मेरी चूचियों से खेलने लगी।
वो बीच-बीच में मेरे कानों को काटती तो कभी मेरे कंधे को चूमती, मेरी घुमटियों को मसलती।
फिर झटके से मीना ने मेरी स्कर्ट को भी उतार दिया।
अब हम दोनों ही केवल पैन्टी में थी और एक दूसरी से चिपकी हुई थी और एक दूसरे के चूतड़ को सहला रहे थे।
ऐसा करते करते कब हम दोनों के जिस्म से पैन्टी भी उतर गई पता नहीं चला।
फिर हम दोनों इस तरह से झुक गई कि उन दोनों को हमारे गांड और चूत एक साथ दिखाई पड़े।
हम बैले डांस की तरह अपने चूतड़ हिला ही रही थी कि अचानक टोनी ने म्यूजिक को पॉज कर दिया और दो दुपट्टे को हम दोनों की तरफ उछालते हुए सलमान स्टाईल में डांस करने के लिये बोला।
हमने दुपट्टा उठाया और अपनी टांगों के बीच फंसा कर अपनी चूत को उस दुपट्टे से रगड़ने लगी।
इधर हम लोग दुपट्टे से अपनी चूत रगड़ रहे थे उधर रितेश और टोनी अपने-अपने लंडों को मसल रहे थे।
हम चारों लोग अगले दो दिनों तक टोनी के घर पर इसी मस्ती के साथ लंड चूत का खेल खेलते रहे और चुदाई के नये-नये तरीके सीखते रहे।
कुल मिला कर यह ट्रिप बहुत ही अच्छा था।
हम लोग भी इस खेल में माहिर हो चुके थे।
UPDATE-23 जब हम लोग दिल्ली से लौट रहे थे तो रास्ते में लोगों की नजर बचा कर कभी मैं रितेश के लंड को दबा देती और कभी रितेश मेरी चूची को दबा देता या फिर मेरी चूत के साथ छेड़खानी कर देता।
पब्लिकली ऐसा करने में भी एक आनन्द सा मिल रहा था।
मेरे साथ कहानी की शुरूआत हो चुकी थी और रितेश के अलावा पहला गैर मर्द टोनी था जिसने मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी।
और उस दिन से एक बात समझ में आई कि हम औरतों के पास ऊपर वाले की दी वो नियामत है जिसके बल पर वो जिन्दगी के मजे भी लूट सकती हैं और चाहे मर्द कैसा भी हो, उसे अपना गुलाम बना सकती हैं।
मेरी इसी उधेड़बुन में मेरा अपना शहर कब आ गया मुझे पता ही नहीं चला।
हम लोग वापस अपने घर आ गये।
अब मैं और रितेश एक-दूसरे की जरूरत बन गये थे, मुझे जब खुजली होती तो मैं अपनी खुजली मिटाने उसके घर पहुँच जाती और जब उसको मेरी चूत चाहिये होती तो वो मेरे घर आ जाता।
हम दोनों के माँ-बाप भी हम दोनों की शादी के लिये तैयार हो गये थे और हमारे सेमेस्टर कम्पलीट होने की राह देख रहे थे।
अब तक हम दोनों एक दूसरे के घर के सभी सदस्य से अच्छी तरह से परिचित हो चुके थे।
रितेश के घर में उसके माँ ही एक महिला के रूप में थी, बाकी सभी मर्द थे।
मेरे होने वाले ससुर जो एक रिटायर आर्मी मैन थे और काफी लम्बे चौड़े थे।
बाकी रितेश से छोटे उसके दो भाई, एक बहन जिसकी शादी हो चुकी थी और उसका आदमी भी एक पुलिस वाला था और वो भी एक बलिष्ठ जिस्म का मालिक था और शादी से पहले ही मुझसे वो खुल कर हँसी मजाक करता था।
मतलब कि वलगर… और उसकी इस वलगर हँसी मजाक का जवाब भी मैं उसी तरह दिया करती थी।
खैर इसी तरह हमने अपने सेमेस्टर को कम्पलीट कर लिये और एक अच्छी कम्पनी ने कैंपस इन्टरव्यू में हम दोनों को सेलेक्ट भी कर लिया था और इत्तेफाक से हमारी जॉब भी हमारे शहर में हो गई थी, इस कारण हम लोगों को शहर भी नहीं छोड़ना पड़ा।
शादी और सुहागरात करीब छः महीने की जॉब के बाद हमारे परिवार वालों ने हमारी शादी कर दी।
जिसमें टोनी और मीना भी शामिल होकर हम लोगों को हमारे नये जीवन शुरू करने की बधाई दी।
शादी में एक बात जो मैंने नोटिस की कि रितेश के जीजा जिनका नाम अमित था वो मेरे आगे-पीछे घूम रहे थे, रितेश को रह रह कर चिढ़ा रहे थे और मुझे किसी न किसी बहाने टच करने की कोशिश कर रहे थे।
खैर शादी के झंझटों से निपटने के बाद वो रात भी आई जिसका मैं अपने कुँवारेपन से इन्तजार कर रही थी।
मैं सज संवर कर अपने कमरे मैं बैठी हुई थी और अपने पिया का इंतजार कर रही थी कि अमित कमरे में आ गया और रितेश को लगभग मेरे उपर धकेलते हुए बोला- लो सँभालो अपने मियाँ को… अगर मेरी जरूरत हो तो बताना।
जाने से पहले रितेश को आँख मार कर बोले- साले साहब दूध पीने में कोताही मत करना नहीं तो मजा खराब हो जायेगा! और फिर मुझे बोले- तुम भी मेरे साले को दूध अच्छी तरह से पिलाना… अगर बच गया तो मैं आकर पी जाऊँगा।