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हमारा परिवार मुम्बई के बांद्रा-कुर्ला मे एक बहुमंजिला टावर में रहता है, जिसमें मैं अपनी दादी, पापा-मम्मी और दीदी के साथ रहता हूँ। इसी इमारत में ही मेरे बचपन का दोस्त मीत भी अपने मम्मी, पापा के साथ शानदार घर में रहता है।

यह घटना चार साल पहले की है, मीत उम्र में मुझसे चार साल छोटा था पर कुछ सालों से साथ क्रिकेट खेलने, साथ स्कूल आने-जाने से हमारी दोस्ती गहरी हो गई थी और इससे दोनों के परिवारों में भी घनिष्ठता हो गई थी। हम रोज़ एक दूसरे के घर आते-जाते थे। मैं अपना होमवर्क भी उसके साथ उसके घर पर ही करता था, वहीं खेलता भी था।

कुल मिलाकर मेरा ज्यादातर समय उसके घर पर ही बीतता था। मीत के पापा शरद अंकल का मुंबई और दुबई में हेण्डीक्राफ्ट के एक्स्पोर्ट का अच्छा बिज़नेस था। इस सिलसिले में वो लगभग हर सप्ताह दुबई आते-जाते थे। मीत की मम्मी स्वाति आंटी 35-36 साल की पढ़ी लिखी, हाई सोसायटी की समझदार महिला थी। सुगठित शरीर, लम्बी टागें, उन्नत उरोज़ एवं बडे-बडे नितम्बों से सुशोभित स्वाति आंटी इतनी सुन्दर थी कि उनके आगे कोई अप्सरा भी फीकी पड़े।

चाहे वो साड़ी पहनें, सलवार कुर्ता पहनें या कोई मॉडर्न आउटफिट, उन्हें देख कर किसी का भी ईमान डगमगा सकता था, फ़िर मेरी तो उम्र ही बहकने की थी इसलिये मैं कभी-कभी उनकी कल्पना कर के हस्तमैथुन भी करता था।

खैर, उस साल दिसम्बर की छुट्टियों में मीत अपनी सौम्या बुआ के पास दुबई अपने पापा के साथ जाने वाला था।

24 दिसम्बर को जब मैं मीत के घर गया तब अकंल, आँटी ने मुझे कहा- भले मीत यहाँ नहीं हो, तो भी तुम रोज़ हमारे घर आना, अपना होमवर्क भी यहीं करना, वीडियो गेम खेलो और टीवी देखो।

वे दोनों यह चाहते थे कि मैं उनके घर ज्यादा से ज्यादा समय बिताऊँ जिससे स्वाति आंटी का मन भी लगा रहेगा। अंकल ने मुझे घर का ख्याल भी रखने के लिये कहा जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

अगले दिन अंकल और मीत सुबह जल्दी दुबई के लिये रवाना हो गये। छुट्टियाँ तो थी पर थोड़ा होमवर्क भी मिला था, इसलिये सुबह मैं लगभग 9 बजे जरूरी किताबें बैग में लेकर मीत के घर चला आया। तब स्वाति आंटी नीले गहरे गले वाले प्रिन्टेड गाऊन के ऊपर कशीदे वाले हाउसकोट में गज़ब की सुन्दर लग रही थी।

मुझे मीत के स्टडी रूम में बिठा कर थोड़ी देर मेरे पास बैठकर इधर-उधर की बातें करने के बाद वो अपने काम से रसोई में चली गई और कामवाली बाई को काम समझाकर उन्होंने मुझे आकर कहा- मैं नहाने जा रही हूँ, जब कामवाली अपना काम करके चली जाये तो घर का दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लेना।

थोड़ी देर बाद जब कामवाली बाई अपना काम पूरा करके चली गई, मैंने उठ कर घर का दरवाज़ा बन्द कर दिया। अब मैं और स्वाति आंटी घर में अकेले थे, बाथरूम से आंटी की गुनगुनाने की आवाज़ से माहौल की मादकता बढ़ रही थी। अचानक आंटी के प्रति मेरी वासना बलवती होने लगी।

मीत के कमरे और स्वाति आंटी के बेडरूम के बीच में एक कोमन दरवाज़ा था। मैंने चुपचाप जाकर उसे थोड़ा खोल दिया ताकि मैं आंटी को बिना कपड़ों के देख सकूँ।

थोड़ी बाद स्वाति आंटी कोई गीत गुनगुनाते हुए बाथरूम से निकली और अपने गीले बदन को पौंछने लगी। मैं दबे पांव उस थोड़े खुले दरवाज़े की तरफ गया और वहाँ बैठ कर जन्नत का नज़ारा देखने लगा। स्वाति आंटी जितनी कपड़ों में सुन्दर दिखती थी उससे कहीं ज्यादा कामुक वो बिना कपड़ों के दिख रही थी। गोरे-गोरे मांसल उरोज़ों पर उभरे हुए गुलाबी निप्पल गज़ब लग रहे थे, वहीं पतली कमर के नीचे दोनों जाघों के बीच हल्के बालों वाली गुलाबी योनि तो कयामत ढा रही थी।

तौलिए से बदन पोंछने के बाद उन्होंने अपनी बग़लों और गले पर डेओडोरेंट स्प्रे किया, सफेद रंग की लाइन्ज़री पहनी और गुलाबी पेटीकोट भी ऊपर से पहना फिर उन्होंने सफेद ब्रा पहनी।

और मैं चुपचाप उठ कर अपनी जगह आकर बैठ गया और मैगज़ीन पढ़ने लगा पर आखों में स्वाति आंटी का मादक बदन ही घूम रहा था।

तभी स्वाति आंटी की आवाज़ आई- प्रीत क्या कर रहे हो? कोई आया तो नहीं था?

मैं बोला- ‘आंटी… मैं मैगज़ीन पढ़ रहा हूँ और बाई के जाने के बाद कोई नहीं आया था… मैंने दरवाजा भी बन्द कर दिया है।

आंटी ने कहा- कुछ नहीं कर रहे हो तो एक बार इधर आओ, मुझे कुछ काम है।

मैं उठ कर उनके बैडरूम में गया, स्वाति आंटी ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी और कंधे के ऊपर रखे तौलिये से ब्रा ढकी हुई थी। वो बोली- सर्दी से मेरी पीठ बहुत ड्राई हो रही है, थोड़ी माईश्चराइज़र क्रीम लगा दोगे?…वहाँ ड्रेसिंग टेबल के ऊपर रखी है।

मैं मन ही मन चहकते हुए बोला- अभी लाया आंटी…!

और ड्रेसिंग टेबल के ऊपर रखी निविया की बोतल ले आया। तब तक स्वाति आंटी बैड पर उल्टी लेट चुकी थी, अब तौलिया उनकी पीठ पर ढका था। सच कहूँ तो उस वक्त मैं अपने आप को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था कि मुझे उनके बदन को छूने का मौका मिलेगा।

उन्होंने मुझे बैड पर उनके बगल में बैठ कर तौलिया हटा कर पीठ पर क्रीम लगाने को कहा।

मैंने तुरन्त तौलिया हटा कर पहले उनकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराया फिर क्रीम हाथ में लेकर लगाने लगा।

तभी वो खुद बोलीं- ब्रा का हुक खोल दो, नहीं तो क्रीम से गीली हो जायेगी।

मैंने तुरन्त दोनों हाथों से ब्रा के हुक खोल कर उनकी उरोज़ों को आज़ाद कर दिया और हल्के हाथ से उनकी नर्म चिकनी पीठ पर क्रीम लगाने लगा। मुझे तो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था, शायद उनको भी अच्छा महसूस हो रहा था तभी वो बीच-बीच में ‘आह’ ‘उह’ की दबी आवाज़ें कर रहीं थी। एकाध बार मेरा हाथ गलती से उनके उरोज़ों से छू गया तो मैं सिहर उठा।

कुछ देर में वो माहौल की चुप्पी तोड़ते हुए बोली- प्रीत…जब मैं कपड़े पहन रही थी तब तुम स्टडी रूम से क्या देख रहे थे?

मैं घबराकर बोला- नहीं तो…आंटी मैंने कहाँ कुछ देखा…!

शायद उन्होंने आईने में मुझे अपने आपको देखते हुए देख लिया पर मुझे इसका पता नहीं चला।

स्वाति आंटी मुस्कुराते हुए बोली- झूठ मत बोलो…मैंने तुम्हें मिरर में देख लिया था!

मैं एकदम सकपका गया, मुझसे कुछ बोलते नहीं बन रहा था…मैं सिर नीचे कर बैठा रहा।

वो फिर हंसते हुए बोली- क्या देख रहे थे…ये…?

कहते हुए मेरी तरफ घूम गई।

अब उनके गोरे उरोज़ मेरे ठीक सामने थे और दिल कर रहा था उनको मसल दूं, पर डर रहा था।

आंटी फिर बोली- डरो मत…टच करो…!

मैं फिर भी डर रहा था…तब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने गर्म उरोज़ों पर रख दिया। मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया, मैं धीरे-धीरे दोनों हाथों से उनके गोरे-गोरे मांसल उरोज़ों को दबाने लगा।

स्वाति आंटी ने मादक स्वर में कहा- धीरे नहीं…ज़ोर से दबाओ…और मुँह में ले कर चूसो…आहह…वाह…और ज़ोर से…उफ़!

अब मैं भी खुल कर उनके उरोज़ों दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा था। अचानक मुझे हटा कर वो बैठ गई और मेरी टी-शर्ट पकड़ कर ऊपर कर दी, मैंने भी हाथ उठा कर टी-शर्ट व बनियान उतार फेंकी और उनको सीने से लगा लिया और उनके कन्धों, गर्दन और होठों को चूमने, चाटने लगा।

मुझे अनाड़ीपन से चूमते, चाटते हुए देखकर हंसते हुए स्वाति आंटी ने पूछा- पहले कभी किया है…?

मैंने शर्माते हुए ज़वाब दिया- नहीं…पर ब्लू फिल्म में बहुत बार देखा है।

यह सुनकर उन्होंने मुझे पकड़ कर बैड पर लिटाया और मेरे घुटनों पर सवार हो कर उन्होंने मेरी पैन्ट के हुक खोले, फिर उसे खोल कर दूर फेंक दी और अपने हाथ मेरे अन्डरवियर के ऊपर मेरे कठोर लिंग पर फिराने लगी।

फिर स्वाति आंटी ने धीरे से मेरा अन्डरवियर खोल कर लिंग को बाहर निकाला और उसे चूमने, चूसने लगी। सचमुच…वो पल मेरे जीवन के सबसे हसीन पल थे। थोड़ी देर चूसने के बाद वो घुटनों के बल बैठी और अपने पेटीकोट की डोरी खोलकर उसे उतार फेंका। अब वो केवल पैन्टी में थी, मैंने उन्हें बाहों में भरकर लिटा दिया और उनकी पैन्टी को चूमने लगा।

आंटी सिसकारते हुए बोली- प्लीज़…प्रीत…पैन्टी खोल कर चूसो ना।”

मैं बिना वक्त गंवाये दोनों हाथों से पैन्टी खोल कर स्वाति आंटी की गुलाबी मखमली योनि में अपनी ज़ीभ डाल दी और होंठों से चूस कर रस पीने लगा।

वो भी दोनों हाथों से मेरे बालों पर हाथ फिराते हुए मेरा सिर अपने अंदर दबाने लगी और उत्तेजना के साथ कराहने लगी- आह्ह…प्रीत…प्लीज़…और ज़ोर से…उफ़…और अन्दर तक डालो…अब तक तुम कहां थे…प्लीज़…क्रश मी हार्ड…!

कहते हुए उन्होंने मुझे अपने ऊपर लेकर मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने उरोज़ों पर रख लिये और अपनी टांगे चौड़ी कर के कहा- प्लीज़…प्रीत…फक मी…अब नहीं सहा जाता!”

मैंने तुरन्त अपने लिंग को पकड़ कर स्वाति आंटी की योनि के छेद पर रखा और झटके से अन्दर घुसा दिया, फिर धीरे-धीरे कूल्हों से प्रहार करने लगा।

हर झटके के साथ आंटी की मादक चीख से मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, आंटी उत्तेजना से चीख रही थी- आह्ह…वाओ…यस…वेरी गुड…और ज़ोर से…करते रहो…तुम सच में बहुत अच्छे हो प्रीत…!

मैं धक्के लगाता रहा पर मैं थोड़ी ही देर में चरम पर था इसलिये आंटी से बोला- आंटी…मैं फिनिश होने वाला हूं…क्या करूं…?

उत्तेजना में स्वाति आंटी बोली- रुको नहीं…प्रीत…करते रहो…प्लीज़…और जोर से…आह…अन्दर ही छोड़ देना…रुकना नहीं!

हालांकि मैं कई सालों से हस्तमैथुन करता था पर यह मेरा पहला सैक्स अनुभव था इसलिये उत्तेजना में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया झटके देते हुए स्खलित हो गया पर स्वाति आंटी अब तक चरम पर नहीं पहुँची थी इसलिये मैंने प्रहार जारी रखे। कुछ समय तक और प्रहारों के बाद मादक सिसकारियों के साथ स्वाति आंटी भी अपने चरम पर पहुँच कर निढाल हो गई और मैं भी उनसे अलग होकर पास में ही लेट गया, आंटी ने अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया और लेटी रही।

उन्होंने पास रखी रजाई हमारे ऊपर डाल ली और सैक्स की थकान के कारण हम दोनों कब नींद के आग़ोश में चले गये पता ही नहीं चला।

लगभग डेढ घन्टे सोने के बाद स्वाति आंटी की आवाज से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वो हाउसकोट पहने मेरे पास पलंग पर बैठी मुस्कुरा रही थी पास में चाय की ट्रे रखी थी।

वो बोली- जल्दी से उठ कर चाय पी लो।

मैं रजाई में बिना कपड़ों के था और शर्म के मारे उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था, इसलिये धीरे से बोला- आंटी…मेरे कपड़े…?

स्वाति आंटी खिलखिला कर हंसते हुए बोली- अभी तक शरमा रहे हो…पहले चाय पी लो…फिर शावर लेकर कपड़े भी पहन लेना…ठीक है…?

मैं भी आज्ञाकारी बालक के जैसे तुरन्त उठ कर बैठ गया। वो सामने कुर्सी पर बैठ गई, उन्होंने अपनी और मेरी चाय सर्व की और मादक स्वर में बोलीं- प्रीत…आज बहुत टाईम बाद किसी का साथ इतना एन्जोय किया है…सच में बहुत मजा आया…वरना…!

कह कर स्वाति आंटी रुक गई, फिर खुद ही स्पष्ट करते हुए बोलीं- वैसे तो…मीत के डैडी बैड में अच्छे हैं पर…बिज़नेस टूअर्स के बिज़ी शेड्यूल के कारण कभी तो उनको टाईम ही नहीं मिलता…और कभी वो इतना थके होते हैं कि उनमें सैक्स के लिये ताकत ही नहीं बचती…।

“खैर…अब तुम मिल गये हो, तो मुझे किसी की जरूरत ही नहीं…तुम सचमुच बहुत अच्छे हो…अब उठ कर नहा लो…तब तक मैं खाने को कुछ बना लेती हूँ…बहुत भूख लगी है…तुमको भी भूख लगी होगी।”

ऐसे कह कर उन्होंने एक तौलिया मेरी तरफ उछाल दिया जिसे लपेट कर मैं बाथरूम की ओर बढ़ गया।

बाथरूम में घुसने से पहले मैंने स्वाति आंटी का हाथ पकड़ कर कहा- आप भी आओ ना…साथ में शावर लेंगे।

आंटी ने कहा- यू नोटी बोय…अभी नहीं…अभी तुम शावर ले कर आओ…फिर हम लंच कर लेते हैं और वैसे भी अगले सात दिन मैं और तुम बहुत एन्जोय करने वाले हैं।

कह कर वो हाथ छुड़ा कर रसोई की ओर बढ़ गई और मैं बाथरूम में शावर लेने चला गया। जब लौटा तो बैड पर मेरे कपड़े रखे थे जिन्हें पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया, तभी स्वाति आंटी सलवार कुर्ते के ऊपर गर्म जैकेट पहने रसोई से लंच की ट्रे लिये बाहर आई और मुझे डाईनिंग टेबल पर आने को कहा।

फिर हम दोनों साथ बैठ कर लंच करने लगे, तब आंटी बोली- प्रीत…मैंने तुम्हारी मम्मी से तुम्हारे रात को मेरे पास रुकने की बात कर ली है…अभी लंच लेकर तुम घर जाकर अपना वहाँ का काम निपटा लो…।

“और हाँ…थोड़ा आराम भी कर लेना…आज सारी रात मैं तुमको सोने नहीं दूँगी!” स्वाति आंटी ने शरारती अंदाज़ में कहा।

लंच लेकर मैं उठा, हाथ धोये और स्वाति आंटी को बाहों में भर कर होंठों से होंठ मिला कर गहरा चुम्बन लिया और रात को मिलने की प्रोमिस के साथ अपने घर चला आया, पर मेरा मन तो रात के इन्तज़ार में अधीर हुआ जा रहा था।

थोड़ी थकान महसूस हुई तो सो गया। दो घन्टे बाद मम्मी ने उठाया तो उठ कर दोस्तों के साथ खेलने चला गया, जब शाम हुई तो घर लौट कर थोड़ी देर टीवी पर मैच देखा तब तक मम्मी शाम के खाने के लिये आवाज़ लगा चुकी थी।

खाना खाते हुए मम्मी ने बताया कि स्वाति आंटी घर पर अकेली है इसलिये आज मुझे उनके घर सोना होगा।

मैंने उन्हें जताया कि मैं वहाँ अपनी इच्छा से नहीं जा रहा, हालांकि मन में मैं कितना खुश था यह तो मैं ही जानता था।

आखिरकार 9 बज ही गए…मैं तुरन्त घर से निकला और लिफ्ट में सवार हो कर जल्दी से शशि आंटी के घर पहुँचा डोरबेल बजाई तो स्वाति आंटी ने दरवाज़ा खोला। आंटी अपनी पारदर्शी नाईटी के ऊपर हाऊसकोट पहने सामने खड़ी थी। मैं अन्दर ड्रांईगरूम में जाकर सोफे पर बैठ गया, आंटी भी दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर के मेरे पास आकर बैठ गई और हम बातें करने लगे।

मैंने उन्हें बताया कि कैसे मैं उनके बारे में सोच कर हस्तमैथुन किया करता था।

बातें करते हुए मैं उनके उरोज़ों पर हाथ फिराने लगा और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर चूमने लगा। कुछ देर में वो अलग हुई, अपने हाऊसकोट और नाईटी को उतार फेंका और अपनी पीठ मेरी ओर कर अपने ब्रा के हुक खोलने को कहा।

मैंने तुरन्त उनके ब्रा के हुक खोल उसे तन से अलग कर दिया फिर उनके उरोज़ों को दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। वो भी आँखें बन्द किये हुए उत्तेजक आवाजों से माहौल को मादक बना रही थी।

थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उनकी पैन्टी खोल एक तरफ फेंकी और सोफे पर लिटा कर उनकी योनि में अपनी जीभ घुसा कर चूसने, चाटने लगा।

अब उनकी दबी मादक आवाज़ें उत्तेजक सिसकारियों में बदल गई थी- यस…प्रीत…जीभ और अन्दर डालो…वाओ…ये तुम बहुत अच्छा करते हो…प्लीज़ करते रहो…आह…उफ्…ऐसे ही करो…यू आर माई गुड बोय…मुझे छोड़ के कभी मत जाना…!

कुछ देर में मुझे अलग कर वो मुझ पर सवार हो गई जीन्स का बटन खोल अन्डरवियर में से मेरे लिंग को निकाल कर चूसने लगी, मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान को उतार फेंका और सोफे पर बैठ आंटी के बालों में हाथ फिराते हुए ज़न्नत की सैर करने लगा।

कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी उठ कर बोली- बैडरूम में चलें…?

हम दोनों बैडरूम में गये, मैं बैड पर जा कर लेट गया और आंटी सोफ्ट म्यूज़िक ओन कर के मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरे लिंग को फिर हाथ में लेकर उसके साथ खेलने लगी।

कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी बैड पर टांगें फैला कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया, मैं भी तुरन्त आंटी की टांगों के बीच बैठा और अपने लिंग को उनकी योनि में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।

स्वाति आंटी तकिया पकड़ कर उत्तेजना से कराहने लगी- वाओ…ओ माई बैबी…यस…कम ओन…प्रीत…यू आर ग्रेट…हां…ऐसे ही…करते रहो…!

मैं कूल्हों से प्रहार बढ़ाता जा रहा था, हर झटके के साथ मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था।

आंटी मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए सिसकारियाँ भरने लगी- और ज़ोर से…प्रीत…आह्ह…मज़ा आ गया…प्लीज़…फ़क मी हार्ड…यू आर माई बेबी…उफ़्फ़…तुम पहले क्यूँ नहीं मिले…प्रीत…अब मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाना…आई लव यू…!

कुछ देर में स्वाति आंटी मुझे नीचे लिटा कर मुझ पर सवार हो गई और सैक्स की कमान अपने हाथ में लेते हुए को लिंग को अपनी योनि में घुसाने के बाद उछल-उछल कर अन्दर बाहर करने लगीं, इससे मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा।

आंटी हांफते हुए बोली- फ़िनिश होने से डरना नहीं…प्रीत…अन्दर ही छोड़ देना…मैं स्टेरेलाईज़ेशन करवा चुकी हूँ…कोई प्रोब्लम नहीं होगी…!

काफी देर बाद मैं चरम पर पहुच कर स्खलित हो गया, और कुछ देर बाद ही स्वाति आंटी भी मादक सीत्कारें करते हुए ओरगेज़्म पर पहुँच गई और शिथिल होकर मेरे पास लेट गई।

थोड़ी देर लेटने के बाद स्वाति आंटी उठी और संगीत बंद कर टायलेट में जाकर अपनी योनि की सफाई कर के मेरे पास आकर चिपक कर लेट गईं और हम दोनों नींद के आगोश में खो गये।

सुबह उठा तो आंटी चाय लिये सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी, हमने चाय पी, फिर साथ में शावर लिया और मैं कपड़े पहन कर शाम को मिलने के प्रोमिस और गुडबाय किस के साथ अपने घर की ओर बढ़ गया।
 
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घर पहुँचा तो देखा मम्मी स्वाति आंटी से ही फोन पर बातें कर रही थी- हाँ…हाँ… क्यूँ नहीं… और ठीक ही है… अकेले के लिये खाना बनाने का मन भी तो नहीं करता… जब तक शरद भाई और मीत नहीं आते, मैं प्रीत को रोज शाम को तुम्हारे घर भेज दूँगी… वो डिनर भी तुम्हारे यहाँ ही करेगा… और तुम्हारे घर ही सो जाया करेगा… हाँ…हाँ… तुम उसके साथ बहुत सारी बातें करना… प्रीत पर मेरा जितना अधिकार है उतना ही तुम्हारा भी तो है… डोन्ट वरी… ठीक है… जय श्री कृष्ण… !

मन ही मन आंटी के दिमाग़ की दाद देते हुए दिखावे के लिये एक बार फिर नहाया, चाय-नाश्ता किया और अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर दिल तो स्वाति आंटी में ही लगा था। खेल कर घर आया, खाना खाया और फिर सो गया। लगभग तीन घंटे सोने के बाद मोबाईल की रिंग से नींद खुली तो देखा, स्वाति आंटी का काल था इसलिये तुरन्त उठ कर रिसीव किया- सो रहे थे क्या… कितनी देर से रिंग बज रही थी…!

”हाँ आंटी… आपने रात को बहुत थका दिया… और फिर रात को जगना भी तो है…!” मैंने शरारत भरा जवाब दिया।

”मैंने इसलिये काल किया कि शाम को थोड़ा जल्दी आ जाना… डिनर साथ में करेंगे… और तुम्हारे लिये एक सरप्राईज़ भी है… यू विल रियली एन्जोय इट… ओके बाय… शाम को मिलते हैं… !” ऐसा कह कर स्वाति आंटी ने फोन काट दिया पर अब मेरा दिन काटना और भी मुश्किल हो गया, जैसे तैसे टीवी देख कर दो घंटे बिताये और ठीक 7 बजे मम्मी को कह कर लिफ्ट में सवार हो 19वें फ्लोर की ओर बढ़ गया।

स्वाति आंटी ने आज वेस्टर्न बड़े गले का टाप और थ्री फोर्थ जीन्स पहनी थी जिसमें वो कयामत लग रही थी। अन्दर पहुँचा तो देखा कि वहाँ पहले से ही आंटी की दो सहेलियाँ मौजूद थी।

मुझे लगा कि मैं शायद ज्यादा जल्दी आ गया हूँ इसलिये शरमा कर धीरे से आंटी से पूछा- मैं थोड़ी देर से आऊँ…?

आंटी ने कहा- नहीं… नहीं… आ जाओ अन्दर… यहीं हमारे साथ बैठो… !

कहते हुए आंटी ने मुझे अपने साथ सोफे पर बैठने का इशारा किया, वो दोनों मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहीं थीं।

मैंने फिर भी कहा- नहीं आंटी… मैं मीत के रूम में बैठ जाता हूँ… !

पर स्वाति आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ सोफे तक ले गई और अपने पास बिठाते हुए कहा- बैठो ना… बी ईज़ी… !

फिर सामने बैठी अपनी सहेली की ओर इशारा करते हुए कहा- इनको तुम जानते हो…? ये हमारी बिल्डिंग के ट्वेल्थ फ्लोर पर ही रहती हैं… !

“हाँ… ये पार्थ की ममा हैं… हैं ना…? आंटी… पार्थ इज़ वेरी स्वीट चाईल्ड… ग्राउन्ड में खेलने आता है… और मैंने आपको यहाँ भी कई बार देखा है !” मैंने जवाब देते हुए उनको हैलो किया तो उन्होंने मादक अंदाज़ में कहा- मेरा नाम अनुभूति है… और तुम मुझे अनु कह सकते हो… नो आंटी… ओके…!

सच में… मॉडर्न छोटे हेयर कट, गोरे गालों, कसे हुए उरोज़ों, पतली कमर और मस्त जाघों वाली अनु टाईट जीन्स, टी शर्ट में किसी भी ऐन्गल से आंटी नहीं लगती थी… उनको देख कर कोई नहीं कह सकता कि वो दस साल के पार्थ की मम्मी थी। मैं उनको निहार रहा था तभी स्वाति आंटी बोली- और यह परिणीति है… हमारे सामने वाले डुप्लैक्स में रहने वाले मिस्टर शाह इसके डैडी हैं… !

”हाँ… इनको तो मैंने कई बार आपके यहाँ ही देखा हैं… !” मैंने तुरन्त जवाब दिया।

मासूम चेहरा, नीली आँखें, मध्यम आकार के नुकीले उभार, कमसिन बदन और मिनी शोर्ट्स में झांकती लम्बी गोरी टांगों को एक के ऊपर एक चढ़ाये परिणीति कमाल की सैक्सी लग रही थी।

मैं इन दोनों के उतार-चढ़ाव में खोया था तभी स्वाति आंटी बोलीं- और ये है प्रीत… माई स्वीट लिटिल बोय… जिसके बारे में मैंने तुमको आज बताया था… ! कह कर उन्होंने मेरे गाल पर किस कर दिया।

मैं डर गया कि आंटी यह क्या कर रहीं हैं पर वो उन दोनों की ओर इशारा करते हुए तुरन्त बोलीं- प्रीत… ये ही तो आज का सरप्राईज़ है… हम तीनों बेस्ट फ्रेंड्स है और आपस में अपनी हर बात शेयर करतीं हैं… आज सुबह परिणीति ने तुमको यहाँ से जाते हुए देखा और उसी वक्त वो मेरे पास आई तुम्हारे बारे में पूछा तो मैंने कल की सब बात बता दी तब तीनों ने मिलकर डिसाइड किया कि ये एन्जोय भी हम शेयर करेंगे… अगर तुम हाँ करो तो… !”

मुझे तो जैसे खज़ाना मिल गया था, फिर भी भाव खाते हुए स्वाति आंटी की ओर देख कर बोला बोला- आपका जैसा कहें आंटी… !” स्वाति आंटी खिलखिलाती हुई बोली- डेट्स लाइक ए गुड बोय… वैसे… आज अनु हमारे साथ नहीं है… वो कल हमें जोइन करेगी… आज परी हमारे पास रुकने वाली है… और प्रीत… तुम जानते हो… परी अभी तक वर्जिन है…!”

मैं बड़े आश्चर्य से बोला- रियली… आप अभी तक… आप तो इतनी मॉडर्न हैं… और इतनी गुड लुकिंग भी… फिर भी…?”

परिणीति ने जवाब दिया- पहले स्टडी के कारण ये सब करने का टाईम ही नहीं मिला… अब बहुत मन करता है पर डरती हूँ कि पापा-मम्मा को मेरे कारण नीचा ना देखना पड़े… पर कभी-कभी हम तीनों एक दूसरे को सेटिस्फाई कर लेते हैं।”

”मैं चलती हूँ… पार्थ को आज थोड़ा फीवर है… कल मैं जरूर आऊँगी।” कहती हुई अनुभूति उठ कर जाने लगी तो स्वाति आंटी ने कहा- ओके डियर… टेक केयर ओफ पार्थ… आज परी को एन्जोय कर लेने दो… ।”

दोनों हंसने लगी तभी अनु मेरे पास आई और मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला कर एक प्यारा सा गुडबाय किस किया और चली गई… स्वाति आंटी भी मेन डोर बंद कर के रसोई में चली गई।

परी मेरे पास आकर निमंत्रण की मुद्रा में बैठ गई मैंने भी तुरन्त उसका आमंत्रण स्वीकार कर लिया। मेरा एक हाथ परी की चिकनी जांघों पर और दूसरा हाथ परी के टी-शर्ट पर उसके उरोज़ों को दबाने लगा था, परी भी दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होठों को चूमने, चूसने लगी।

उसके तन की सुगंध से मैं पागल हुआ जा रहा था। मैंने उसके टी-शर्ट को पकड़ कर ऊपर किया तो उसने भी बाहें ऊपर उठा कर टी-शर्ट को उतार फेंका और खुद ही अपनी ब्रा खोल बाहें फैलाकर मुझे निमन्त्रण देने लगी।

इतने खूबसूरत, कसे उरोज़ मैंने कभी किसी मूवी में भी नहीं देखे थे, मैं तुरन्त परी के छोटे-छोटे गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

वो भी मदहोश हो कर मेरे बालों में हाथ फिराने लगी, तभी आंटी की आवाज से हम दोनों चौंक गये- अभी नहीं… पहले डिनर कर लो… मुझे पहले ही पता था… इसलिये मैंने डिनर पहले ही रेडी कर माईक्रोवेव में रख दिया था… जल्दी से उठ कर खा लो… हमारे पास सारी रात पड़ी है ये सब करने को… प्रीत बेटा… प्लीज़… !

छोड़ने का दिल तो नहीं था पर फिर भी उठा और डाईनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया, परी भी फिर से टी-शर्ट पहन कर मेरे पास आकर बैठ गई।

आंटी खाना बनाने में भी परफेक्ट थी… हम सबने डिनर किया… आंटी उठ कर रसोई समेटने चली गई और हम दोनों सोफे पर बैठ फिर अपनी रासलीला में लग गये। मैंने फिर से परिणीति का टी-शर्ट उतारा और उसे सोफे पर गिरा कर उसके शोर्ट्स को खोल कर उसकी गुलाबी लिन्गरी को पुचकारने लगा और कुछ ही सेकंडों के बाद उसे भी धीरे से उतार फेंका। मैंने आज तक इतनी कसी हुई, बिना बालों वाली गुलाबी योनि कभी किसी मूवी में भी नहीं देखी थी इसलिये अन्दर ही अन्दर रोमांच से भर गया और तुरन्त अपने होठों को परी की योनि से लगा कर अपनी जीभ से उसे चूसने, चाटने लगा।

वो भी मदहोशी से आँखें बन्द किये मेरे सिर पर हाथ फिरा रही थी- आह… प्रीत… अन्दर तक घुसाओ… सूपर्ब… बहुत अच्छे… प्रीत… प्लीज़ और ज़ोर से… !

फिर स्वाति आंटी की आवाज़ से रासलीला में खलल पड़ा- चलो उठो दोनों… बैडरूम में चलो… मैं भी फ्री हो गई हूँ… वहीं एन्जोय करेंगे… !

हम दोनों तो वहीं करने को तैयार थे पर आंटी भी साथ थी इसलिये मैंने उठकर परी को अपनी गोद में उठा लिया और आंटी के पीछे-पीछे बैडरूम की ओर चल पड़ा।

बैडरूम में पहुँच कर परी को बैड पर लिटाया और अपने कपड़े उतार कर फिर से परी को चूमना शुरू किया तो उसने मुझे नीचे लेटने को कहा और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लिंग को मुँह में ले कर चूसने लगी। आंटी भी म्युज़िक ओन कर के अपने कपड़े खोल कर बैड पर आई और अपनी योनि मेरे मुंह पर रख घुटनों के बल बैठ गई और मैं उनकी योनि चूसने लगा। कुछ देर में वो हटी और परी को हटा उसको सिखाने की मुद्रा में मेरे लिंग को चूसने, चाटने लगी। थोड़ी देर बाद ही उन्होंने मुझे उठा कर परी को नीचे सुलाया और उसकी योनि चूसने लगी।

कुछ देर चूसने के बाद स्वाति आंटी बोलीं- आओ प्रीत… फक हर नाऊ… !” कह कर आंटी ने परी के नितंबों के नीचे तकिया लगाया और मुझे कन्टीन्यू करने को कहा।

मैंने तुरन्त अपनी उंगलियों से उसकी योनि के छेद को थोड़ा फैलाया और लिंग को परी की योनि पर रख हल्का दबाव दिया जिससे परी कराह उठी फिर थोड़ा और जोर से धक्का दिया जिससे लिंग आधा अन्दर तक घुस गया। परी हल्की आवाजों में सिसकारियाँ भर रही थी फिर मैंने अपना लिंग थोड़ा जोर से अन्दर घुसा दिया।

परी जोर से चिल्लाई- प्रीत… नहीं… प्लीज़… बाहर निकालो… बहुत दर्द हो रहा है… जोर से नहीं… !

पर आंटी ने कहा- नहीं प्रीत… रुकना नहीं… कन्टीन्यू रखो… अभी उसको ठीक लगने लगेगा… !

मैंने अपने कूल्हों से धक्के तेज कर दिये जिससे अब लिंग पूरा अन्दर घुस रहा था और कराहें अब सिसकारियों में बदल गई थी- आह्ह… प्रीत… कम ओन… अब अच्छा लग रहा है… रियली फ़ीलिंग लाईक हैवन नाऊ… करते रहो… वाओ… बहुत मस्त है… यू आर रियली ग्रेट प्रीत… और जोर से… !

”ये मज़ा मुझे पहले क्यूं नहीं मिला… प्रीत… यू आर अमेज़िंग… मैं फ़िनिश होने वाली हूँ… प्रीत… मुझे मसल दो… क्रश मी… वाओ… उफ़्फ़… !” मादक सिसकारियाँ करते हुए परी दस ही मिनट में स्खलित हो कर निढाल हो गई।

मैं भी थक गया था पर अभी तक स्खलित नहीं हुआ था, इसलिये तुरन्त स्वाति आंटी को पकड़ कर लिटाया और अपना लिंग उनकी योनि में घुसा दिया। स्वाति आंटी भी तैयार थी… उन्होंने अपने पैर उठा कर मेरे कूल्हों पर रख दिये और धक्कों मे मेरी हैल्प करने लगीं जिससे मुझे थकान महसूस नहीं हो।

अब कमरा आंटी की उत्तेजक आवाज़ों से गूंजने लगा था- प्रीत… यू आर सो स्वीट… फक मी… और जोर से… तुम्हारा स्टेमिना गज़ब का है… माई स्वीट बोय… आह्ह… बहुत अच्छा है… रुकना नहीं… उफ्फ… आई लव यू प्रीत… !

काफी देर ठोकने के बाद मैं भी स्खलित हो गया पर फिर भी आंटी के फिनिश होने तक धक्के मारता रहा… कुछ देर में आंटी भी उत्तेजक चीत्कारों के साथ चरम पर आकर फिनिश हो गई। मैं अलग हो कर बैड पर गिर गया… सारा बदन पसीने से तर-बतर और थक कर चूर हो चुका था।

परिणीति को थोड़ी ब्लीडिंग हुई थी इसलिये वो टोयलेट में जाकर अपनी योनि धोकर आई और मुझे अपनी योनि पर बोरोलीन लगाने को कहा। मैंने अपनी उंगली पर बोरोलीन लगा कर उसकी योनि में धीरे से घुसा दी और हिलाने लगा जो उसे अच्छा तो लग रहा था पर दर्द भी हो रहा था इसलिये मुझे रोक कर अपने पास लेट जाने को कहा।

हम दोनों एक रजाई में ही बिना कपड़ों के लेट गये तभी आंटी दूध लेकर आई, हम सबने दूध पिया और फिर काफी देर तक सैक्स की बातें करते रहे। मैं काफी थक गया था इसलिये कब नींद आई पता ही नहीं चला, वो दोनों अब भी बातें कर रहे थे।

”प्रीत उठो… कपड़े पहन लो… थोड़ी देर में बाई भी आ जायेगी… !” आंटी की आवाज़ से नींद खुली तो देखा कि आठ बज गये हैं, परिणीति भी अपने घर जा चुकी थी और स्वाति आंटी चाय लिये मेरे पास बैठी मेरे सिर पर हाथ फिरा रही थी।

मैंने जल्दी से उठकर कपड़े पहने और आंटी के पास बैठ चाय पीने लगा… चाय पीते हुए आंटी ने उदास होते हुए कहा- मैं आज तुमको जोइन नहीं कर पाऊंगी… पेट दुख रहा है शायद थोड़ी देर में पीरियड शुरु हो जाये… वैसे तो पीरियड में सैक्स करने में कोइ दिक्कत नहीं पर मुझे पीरियड में बहुत पेन होता है… खैर… अब तुम तो मेरे पास ही हो… पीरियड के बाद कर लेंगे… और आज तो अनु भी आ जायेगी… तुम तीनों एन्जोय करना… !

कह कर आंटी हंसने लगी और बोली- अब तुम जाओ प्रीत… क्योंकि मैं नहीं चाहती कि बाई तुमको यहाँ देखकर बातें बनाये… मैं बैडशीट भी चेंज कर देती हूँ जिस पर परी को ब्लीडिंग हुई थी… !” मैं आंटी की समझदारी पर खुश होते हुए उठा और आंटी से चिपक कर किस किया और अपने घर की ओर बढ़ गया…
 
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घर पहुँच कर मम्मा के हाथों की चाय पी और नहाने चला गया।

नहा कर आया, तब तक मम्मी ने गर्मागर्म परांठे बना रखे थे, मैंने और दीदी ने साथ बैठ कर नाश्ता किया फिर दीदी कॉलेज चली गई और मैंने भी थोड़ी देर बकाया होमवर्क किया।

तभी मम्मी ने एक लिस्ट देकर सुपर मार्केट से सामान लाने को कहा। सुपर मार्केट हमारे घर से कुछ दूर था, मैं अपनी बाईक निकालने पार्किंग की ओर बढ़ा ही था कि अनुभूति की कार मेरे पास आकर रुकी।

मेरे हाथ में शोपिंग बैग देख कर अनुभूति बोली- हाय प्रीत… सुपर मार्केट जा रहे हो?… बैठो… मैं भी वहीं जा रही हूँ…!

कह कर उन्होंने कार का आगे वाला दरवाजा खोल कर मुझे बिठा लिया। मैं बाहर थोड़ा शरमा रहा था, बस पूछ लिया- पार्थ का बुखार कैसा है…इज़ ही आल राइट नाऊ…?

अनुभूति ने कहा- या… ही इज़ ओके नाऊ…स्वाति ने बताया कि तुम लोगों ने कल बहुत एन्जोय किया…आई रियली मिस्ड यू अ लोट…परी भी बता रही थी कि कल की रात उसकी लाइफ की सबसे हसीन रात थी…आज स्वाति तो पीरियड में है इसलिये करेगी नहीं पर आज मैं तुमको कम्पनी दूँगी… स्वाति ने बताया कि तुम्हारा स्टेमिना भी कमाल का है… आज मुझे भी परी जैसे क्रश करोगे ना…? कह कर उन्होंने अपना हाथ जीन्स के ऊपर मेरे लिंग पर रख दिया जो रात की कल्पना से ही सख्त हो गया था।

मैंने डरते हुए उन्हें दूर हटाया और बोला- अनु… यहाँ कोई देख लेगा…रात को आऊँगा ना !

‘डोन्ट वरी यार…कोई नहीं देखेगा…और हम कौन सा यहाँ सैक्स कर रहे हैं… डरो मत…मैं तुम्हारी इज्जत नहीं लूटूँगी…!’ खिलखिला कर हंसते हुए अनु ने कहा और तभी हम सुपर मार्केट पहुँच गये मैंने उन्हें उतर कर अन्दर जाने को कहा और कार पार्क करके मैं भी अन्दर अपनी लिस्ट की शोपिंग करने चला गया।

हम दोनों ने लगभग डेढ घन्टे साथ में शोपिंग की और लौटते हुए हम ‘कैफ़े कॉफ़ी डे’ में भी गये, वहाँ कॉफ़ी पीते हुए अनु अपने हसबैंड के बहुत ज़्यादा बिज़ी होने की कहानी कहने लगी।

उनकी और स्वाति आंटी की लाइफ स्टोरी काफी हद तक मिलती जुलती थी और वैसे तो अनु उम्र में कम होने के कारण आकर्षण में आंटी से कहीं ज्यादा थी फिर भी मैं स्वाति आंटी को उनकी सादगी के कारण ज़्यादा पसन्द करता था और आज भी करता हूँ।

वहाँ से निकल के हम सीधे घर पहुँचे और शाम को मिलने के प्रोमिस के साथ अपने-अपने बैग्स ले कर अलग हुए। घर पहुँच कर ड्राईंग रूम में सोफे पर बैठ कर मैं टीवी देखने लगा।

तभी थोड़ी देर में मम्मी ने लंच के लिये आवाज़ लगाई तो अन्दर जा कर मम्मी और दादी के साथ बैठ कर लंच किया और रूम में गया अलार्म लगाकर सो गया। चार बजे अलार्म बजा तो उठ कर फ्रेश हो कर तैयार हुआ तभी मम्मी ने चाय के लिये बुलाया। तब तक दीदी भी आ गई थी इसलिये दोनों ने साथ बैठ कर चाय पी और थोड़ी गप-शप भी की।

थोड़ी ही देर में कुछ दोस्त भी आ गये थे तो मैं उनके साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर मन तो रात के बारे में सोच-सोच के उछल रहा था। वहीं स्वाति आंटी का फोन आया- हम सब डिनर कहीं बाहर करेंगे इसलिये आठ बजे रेडी रहना।

मैं तुरंत खेल छोड़ कर घर आया और स्नान कर तैयार हो कर टीवी पर मैच देखने लगा पर दिल तो आठ बजने का इन्तज़ार कर रहा था। लगभग सवा आठ बजे नीचे फिर आंटी का फोन आया- पार्किंग लोट में आ जाओ मैं तुम्हारा वेट कर रही हूँ… और मम्मा को यह नहीं बताना कि अनु और परी भी हमारे साथ हैं…!

मैंने मम्मी को बाहर से ही स्वाति आंटी के साथ डिनर पर जाने का कह कर घर से बाहर निकल गया और जल्दी से नीचे पहुँचा तो देखा कि सामने स्वाति आंटी, अनुभूति और परीणिति तीनों आंटी की इन्नोवा में बैठी मेरा इन्तज़ार कर रहीं थी।

मेरे पहुँचते ही आंटी ने मुझे गाड़ी की चाबी दे कर कहा- गाड़ी चला लोगे ना…? मैंने ड्राईवर को नहीं लिया… मैं नहीं चाहती कि हम लाइम लाइट में आयें…!

”हाँ…हाँ…मैं चला लूँगा…!” मैंने जवाब दिया तो आंटी ने थोड़ी दूर एक फाईव स्टार होटल में चलने को कहा जहाँ उन्होंने पहले से टेबल बुक करवा रखा था।

मेरे पास वाली सीट पर अभी भी अनु ही बैठी थी तो वो अपना हाथ पैन्ट के ऊपर मेरे लिंग पर फिराने लगी तो स्वाति आंटी ने उन्हें डांटा- इतनी एक्साइटेड मत हो अनु… वी हेव होल नाइट फोर इट…!

फिर भी उन्होंने अपना हाथ नहीं हटाया और कुछ देर में हम होटल पहुँच गये…वैले को कार की चाभी दे कर जैसे ही सब गाड़ी से नीचे उतरे तब रोशनी में मैंने उनकी तरफ देखा… गुलाबी जोर्जेट की साड़ी, स्लीवलैस ब्लाऊज़ और खुले बालों में अनुभूति कमाल की सैक्सी लग रही थी, वहीं परी भी थ्री-फोर्थ जीन्स और हाफ़ टी-शर्ट में कहर ढा रही थी…और स्वाति आंटी तो सदाबहार थी ही।

हम अन्दर गये और डिनर ओर्डर किया… अनुभूति थोड़ा ड्रिन्क करना चाहती थी पर हम सबके मना करने पर उन्होंने भी ड्रिन्क ओर्डर नहीं किया।

वहाँ डान्स भी चल रहा था तो मैंने परी के साथ थोड़ी देर डान्स भी किया…सच में बहुत वो टाईम मेरे लिये स्वर्ग की सैर के समान था। तब तक डिनर लग गया था इसलिये सबने मिल कर डिनर किया फिर बिल स्वाति आंटी ने ही पे किया और हम वहाँ से निकल कर घर पर आ गये, गाड़ी पार्क कर सब लिफ़्ट से सीधे स्वाति आंटी के घर ही गये अनुभूति रास्ते में ट्वेल्थ फ्लोर पर उतर गई, उन्होंने कहा कि वो पार्थ को सुला कर आयेंगी।

वहाँ पहुँच कर हम तुरंत बैडरूम में पहुँचे और बिना वक्त गंवाये मैंने परी को बैड पर लिटाकर होंठ से होंठ मिला चूमना शुरु कर दिया और धीरे-धीरे उसके बदन को कपड़ों की कैद से आजाद करने लगा…

कुछ ही देर में वो केवल लिन्गरी में थी तो मैं भी अपने कपड़े खोल कर उस पर टूट पड़ा।

परी भी काफी एक्साइटेड थी इसलिये उसने मुझे नीचे कर मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरा अंडरवियर खोला तो मैंने उसे 69 पोज़िशन में आने को कहा। और वो भी अपनी लिन्गरी हटा अपनी योनि मेरे मुँह की तरफ कर घुटनों के बल बैठ कर मेरा लिंग चूसने लगी…

मैंने भी उसकी योनि में अपनी जीभ घुसा दी और होठों से उसकी योनि का स्वाद लेने लगा…

तब तक अनुभूति भी आ गई थी… वो भी तुरंत अपनी साड़ी, ब्लाऊज़ और पेटीकोट को एक तरफ फैंक कर ब्रा और पैंटी पहने ही बैड पर चढ़ गई और मेरे लिंग को चूसने में परी का साथ देने लगी। स्वाति आंटी आज सैक्स नहीं करने वाली थी पर मेरी मदद करने के लिये वो केवल ब्रा-पैंटी पहने हम सब के बीच पहुँची और परी को लिटा कर उसकी योनि को चाटने लगी।

मैंने उठ कर अनुभूति को लिटाया और उनकी ब्रा खोल कर उनके गोरे-गोरे चूचुकों को मुँह में लेकर चूसने लगा… आंटी का बैडरूम अब परी और अनु की मादक सिसकारियों से गूंजने लगा था।

कुछ देर चूसने के बाद मैं नीचे आया और धीरे से उनकी सफ़ेद पैंटी खोल उनकी क्लीन शेव्ड पुस्सी (योनि) को टांगें चौड़ी कर के जीभ डाल कर चूसने लगा…जबकि मैं एक हाथ से उनके गोरे उरोज़ों के निप्पलों को धीरे-धीरे मसल रहा था… वो भी मेरे सिर पर हाथ फिरा कर उत्तेजक आवाजों से मेरा साथ दे रही थी- वाह…प्रीत…यू आर सो स्वीट… बहुत अच्छा लग रहा है… आह… और अन्दर डालो… ऊप्स… प्रीत… लाइफ़ में आज जितना अच्छा कभी नहीं लगा…!

काफी देर चूसने के बाद मैंने उठ कर अपना लिंग उनकी योनि के छेद पर लगा कर जोर से धक्का दिया जिससे अनु की चीख सी निकल गई… पर मुझे डर नहीं था इसलिये मैंने धक्के लगाना जारी रखा। अनु की सिसकरियाँ तेज़ हो गई- वाओ… तुम्हारा डिक बहुत अन्दर तक जाता है… ये तो बहुत मोटे हैं… इसलिये आधा ही जा पाता है… प्रीत… और जोर से… करो… फ़क मी… लाईक अ होर… और हार्ड… ह्म्म… हम्म्म… आह… करते रहो… आऊच… तुम पहले मिल जाते तो… आह्ह… थैंक्स स्वाति… आज तुम्हारी वजह से ये मज़ा मुझे मिला है… बहुत मज़ा आ रहा है… प्रीत… यू आर ग्रेट… मज़ा आ गया…!

परीणिति और स्वाति आंटी भी घुटनों के बल बैठ कर उनके उरोज़ों को चूस कर उनको मज़ा दे रही थी… मैं भी परी की फ़ुद्दी में उंगली अन्दर-बाहर कर रहा था।

काफी देर करने के बाद उनकी उत्तेजक आवाजें तेज हो गई और सिसकारियों के साथ वो चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गई पर मैं अभी तक बाकी था इसलिये अनु को छोड़कर परी पर सवार हो गया…उसकी योनि पहले से गीली थी इसलिये छेद को चौड़ा कर अपना लिंग उसकी गुलाबी चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा।

आज उसे दर्द नहीं हो रहा था पर अनुभूति और स्वाति आंटी की तुलना में उसकी योनि का कसाव मुझे साफ महसूस हो रहा था जो कि सबसे ज्यादा आनन्ददायक था। अब कमरे में परी की सिसकारियां गूंजने लगी थीं- प्रीत… आज बहुत अच्छा है… दर्द भी नहीं है…वाओ… तुम बहुत अच्छे हो… करो… और जोर से करो… आई लाइक इट वेरी मच… कम ओन… क्रश मी… आउच… आहहा… उफ्फ्…!

आज वो जल्दी फ़िनिश होने वाली नहीं थी पर मैं थक गया था इसलिये लिंग बाहर निकाल कर नीचे लेट गया और उसे ऊपर आने को कहा।

परी उठी और सैक्स को लीड करने के अंदाज मेरे ऊपर सवार हो गई, उसने अपने हाथ से मेरा लिंग अपनी योनि के छेद पर लगाया और धीरे से उसे अन्दर घुसा कर अपने नितम्बों को हिला कर सैक्स का आनन्द लेने लगी… मैं भी अपने हाथों से परी के उरोज़ों के निप्पलों को हौले-हौले मसल रहा था, जिससे उसकी आहें निकल रहीं थी…

वाह…सच में क्या आनन्द था… मैं भी सच में स्वर्ग की सैर कर रहा था।

काफी देर तक यह आनन्द लेने के बाद मैंने परीणिति को हटने को कहा और घोड़ी स्टाईल में बिठा कर उसकी योनि में अपना लिंग डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा…

कुछ ही देर में परी तेज मादक सीत्कारों के साथ फ़िनिश हो गई…

अब मैं भी स्खलित होने वाला था…उसे भी यह आभास हो गया था तो उसने मुझे अन्दर नहीं छोड़ने को कहा और मैंने लास्ट मोमेंट पर अपना लिंग बाहर निकाल कर अपना वीर्य परी की पीठ और नितम्बों पर उड़ेल दिया और अपने लिंग को परी के नितम्बों पर पोंछ कर बैड पर लेट गया…

एयर कन्डिशनर चल रहा था पर फिर भी मैं और परी पसीने से नहा गये थे…परी उठ कर टायलेट में गई, अपनी पीठ को साफ कर के आई और मेरे पास लेट गई अनुभूति पहले से ही मेरे एक तरफ लेटी थी। हम तीनों बिना कपड़ों के बैड पर मखमली रजाई ओढ़े हुए सैक्स के अपने-अपने आनन्द की बात कर रहे थे।

तभी स्वाति आंटी अपना हाऊस कोट पहने हम सब के लिये केशर वाला दूध लेकर आई तो हम साथ बैठ कर दूध पीने लगे और मजाक मस्ती का दौर चलने लगा।

अनुभूति ने कहा- स्वाति…प्रीत को दो ग्लास दूध देना…आज रात को वो एक बार और मुझे हैवन की सैर कराएगा…कराओगे ना प्रीत…? सुन कर सब हंसने लगे तो मैंने जवाब दिया- श्योर…आई एम रेडी…मोर्निंग में जल्दी उठ कर करेंगे…क्यूं परी..?

परी भी बोली- सच में बहुत मजा आया आज… प्रीत… यू आर सो गुड… बट मम्मा ने आज रात को रुकने की परमिशन नहीं दी है..11 बज गये हैं… मुझे अब जाना होगा… आप लोग एन्जोय करो… मैं कल नाईट में आऊँगी… और वैसे भी अब तो जब चाहें प्रीत को बुला सकते हैं… है ना प्रीत…? कह कर वो उठी और कपड़े पहनने लगी तो स्वाति आंटी ने कहा कि वो परी की मम्मा से बात कर लेगी उसे रुकने देने के लिये पर परी नहीं मानी। उसने कपड़े पहन कर मेरी गोद में बैठ कर मुझे डीप किस किया और सब को गुडबाय बोल कर अपने घर चली गई।

अब हम तीनों सैक्स में अपनी पसंद नापसंद की बात करने लगे और काफी देर बातें करने के बाद स्वाति आंटी उठी और बोली- मुझे कुछ करना नहीं हैं… थक भी गई हूँ.. मुझे नींद भी आ रही है… मैं मीत के बैडरूम में जा कर सो जाती हूँ… अगर तुम दोनों को सुबह भी करना हो तो अलार्म लगा कर सोना… मोर्निंग में मैं ज्यादा देर यहाँ रुकने नहीं दूँगी… मेरी कामवाली बाई नौ बजे आ जायेगी… ओके… बाय… गुड नाईट…एन्जोय…!

कह कर आंटी लाईट बन्द कर दूसरे कमरे में जाकर सो गई… हम दोनों भी एक दूसरे को बाहों में भर के लेट गये और थोड़ी देर में नींद के आगोश में खो गये। बिना अलार्म के ही अनु साढे पाँच बजे उठ गई और फ्रेश होकर आकर मुझे जगाया और फ्रैश होने को कहा तो मैं उठ कर टायलेट में फ्रैश होने चला गया।

लौटा तो देखा अनुभूति बैड पर मेरा इन्तज़ार कर रही थी… मैं भी बिना वक्त गंवाये बैड पर चढ़ गया और अनु के तन को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा। काफी देर चूमने के बाद अनु ने मुझे लेटने को कहा और वो मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने उन्हें नीचे लिटाया और हमारे तन फिर से एक दूसरे में समा गये… अनुभूति की मादक सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थी…

लगभग बीस-पच्चीस मिनट बाद दोनों एक के बाद एक चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलित हो गये… मेरा वीर्य अन्दर ही छूट गया था पर उन्होंने मुझे उठने नहीं दिया। थोड़ी देर लेटने के बाद वो उठी और मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गई…शावर के नीचे एक दूसरे के बदन की गहराइयाँ नापते हुए हमने एक-दूसरे को चूमते, चाटते लगभग आधे घण्टे तक स्नान किया।

फिर बाहर निकल कर दोनों ने अपने बदन पोंछे और अपने कपड़े पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर बैठ गया… वहीं अनुभूति किचन में जा कर चाय बनाने लगी। चाय लेकर हम दोनों मीत के कमरे में गये और स्वाति आंटी को जगाया।

तीनों ने साथ बैठ कर चाय पी और थोड़ी गपशप भी की।

आठ बज गये थे तो मैं और अनुभूति बारी-बारी से स्वाति आंटी के घर से फिर मिलने के प्रोमिस के साथ विदा हुए…

इसके बाद अगले पांच दिनों तक रोज़ हम स्वाति आंटी के घर बारी-बारी से मिलते और मज़ा करते… मीत और अंकल के आने के बाद भी थोड़े-थोड़े दिन में हम कभी दोपहर में, कभी परी के घर तो कभी अनुभूति के घर अपनी-अपनी से सुविधा से मिल कर एन्जोय करते थे।

लगभग डेढ़ साल तक यह सब बहुत अच्छे से चला फिर मुझे अपनी स्टडी के लिये लन्दन जाना पड़ा, हालांकि हम एक दूसरे से इन्टरनेट और फोन द्वारा जुड़े हुए थे पर तन के मिलन के सुख से दूर हो गये थे। अगले दो सालों तक मैं लन्दन में रहा और अगस्त में वहाँ से लौटने के बाद फिर से उनसे जुड़ गया।

अभी नवम्बर में परीणीति की शादी हो गई है और वो अपने पति के साथ सिंगापुर में बहुत खुश है… मैं, अनुभूति और स्वाति आंटी अब भी कभी-कभी मिलकर एन्जोय करते हैं। दिसम्बर से मैं उदयपुर, राजस्थान में अपने डैडी का होटल्स बिज़नेस संभाल रहा हूँ…

कुछ समय से मैं फिर उनसे दूर हो गया पर मुझे विश्वास है कि जल्दी ही उनसे फिर मिलूँगा।
***The end***
 
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