Adultery ये कैसी सुहागरात है (complete)

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शादी का माहोल था घर पूरा चकाचक था । हलकी शादी काल ही शू संपूर्ण विधि पूर्वक हो गया था । पर घर पे अब भी मेहमान थे । और आज दूल्हा दुल्हन का पहली रात थी जिंदगी का ।




शाम से दूल्हा दुल्हन का बिस्तर सजाया जा रहा था । दूल्हा बोहोत बेकरार था दुल्हन से मिलने के लिए पर कुछ नियमों के अनुसार दूल्हे को दुल्हन से मिलने दिया नही जा रहा था आंकी दुल्हन की झलक भी दूल्हे को दिखाया नही जा रहा था । तो इसी वजह से दूल्हा थोड़े निराश था । वो अकेले जा कर चट्ट पर सिगरेट पी रहा था ।



दूल्हे का विवरण इस प्रकार था। । मान शुक्ला उम्र 32 साल पेशे से सिविल एंजीनर हे ऊंचाई 5 फीट 6 इंच वेल मेंटेन बॉडी ऐसा नही की डोले सोले थे । पर माध्यम सुसस्थ बदन का मालिक था । एक ही बुरी आदत थी की उसे सिगरेट की लेट थी ।



वो अकेला चट्ट पर सिगरेट पी रहा था । नीचे भाग डोर की परिस्थिति को देख रहा था । तभी एक एक लड़की आई वाहा । दरासल लड़की नही एक औरत थी शादी शुदा एक खूबसूरत सी काफी कामुक प्रकृति की थी ।


" बढ़ाई हो दूल्हे सहाब आखिर किसी बंधन में बंध ही गए आप "



" आ गई मेरी सुगली करने "


मान ने उसे खींच के दीवार पर टिका कर उसकी कमर थाम कर उसकी आखों में देखने लगा । वो औरत भी मान को देख कर मुस्कुरा रही थी और बोली " संभाल के मिया । सुहागरात के दिन ही लेने के देने ना पर जाए । घर पे बोहोत लोग हे ",


" यहां कोन आयेगा "

" छोटा पप्पू तो बोहोत फुदक रहा होगा । आज नई कुंवारी चूत जो मिल रहा हे ",


", वो तो हे लेकिन तेरी चूत का कोई मुकाबला नहीं। और मुझे नही लगता वो तुम्हारी जैसी चुदासी होगी । कितनी दुबली पतली हे "


", बरखुरदार जिस्म से परखों मत । मेने देखा हे तेरी दुल्हन को तू देख वो मेरे से भी लंद खोर होगी ",


", वो तो रात को ही पता चलेगा ",


" शर्त लगा ले ",


" लग गई तेरे पति के सामने तेरी गांड मारूंगा ",


", हिहीही और देखता रहेगा तेरी दुल्हन की गांड नही फाड़ेगा वो "


"* अरे उसकी बस की बात नही। वैसे हे कहा वो "


", और कहा तेरी बहनों के साथ तेरी सुहाग की बिस्तर सजा रहा है ",


", कमिना साला ",
 
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किरण रॉय शुक्ला । उम्र 25 साल ऊंचाई 5फीट 2 इंच । एम ए की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी । माध्यम वर्ग की परिवार से थी । सुशील संस्कारी भी थी वो नौकरी कर के दो पैसा घर पे देना चाहती थी लेकिन घरवाले उसके लिए रिश्ता देखना शुरू किया और किस्मत का लेखा अपने से 7 साल बड़े उम्र के लड़के के साथ हो गई ।




वो घड़ी भी आ गई दूल्हा दुल्हन की नए पल का दिल धड़कने वाली रोमांचक अनूठा पल । रात के 8 बज रहे थे दुलहन पहले से ही सज धज के श्रृंगार कर के तैयार बैठी बिस्तर के बीचों बीच घुटने मोड़ के घूंघट नाक तक धाक के ।



दुल्हन सफेद कुर्ता पायजामा पहन के सुहाग की कमरे में आया और आते ही कमरे की सुगंध से मनमोहित हो गया । उसने मन ही मन मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद किया और बेहेके दहके कदमों से बिस्तर पर गया आराम से बिस्तर पर बैठ के अपनी दुल्हन को देखने लगा ।



मान ने एक मुस्कान के साथ बोला " गुड इवनिंग मेरी स्वीट पत्नी साहेबा"



मान इंतजार में था की उसकी दुल्हन किस तरह से उसे स्वागत करती है। दुल्हन किरण थोड़ा समय ले के शर्माती हुई बोली " गुड इवनिंग जी "




मान ने प्यार से घुंगत उठाया और बोला " कबसे इस चांद को देखना चाहता था लेकिन इस घर में इतने बुरे लोग है की कोई देखने ही नहीं दे रहा था "




किरण शरमाई और अपने पति के बातो पर हसी भी आई और बोली " जी अब देख लीजिए अब तो किसी ने नहीं रोका है आपको "


मान प्यार से उसकी मेंहदी लगी चूड़ियों से भरी हुई हाथ थाम के एक चीज दे के बोला " मुझे नही पता परंपरा के हिसाब से दुल्हन को पहली रात में क्या तोफा देना चाहिए वो सब साइड काल सुबह मां पापा तुम्हे देंगे पर ये सिक्का बोहोत पुराना मेरे बचपन से ले कर आज तक मैंने संभाल के रखा हे इसकी माईने मेरे लिए अनमोल है। इसे आज तुम्हे दे रहा हूं "



किरण बड़े प्यार से सिक्का ले कर बोली " मेरे ऊपर जितने भी ज्वैलरी है ये सब तो आप ही की दिए हुए हे। मुझे और कुछ नही चाहिए बस आप हमेशा मेरे साथ निभाने का बादा निभाइए "



मान खुश हो कर बोला " कितनी मीठी समझदार बाते करती हो तुम । और मुझे आप कहो तुम या मेरे नाम से बुलाओ "




किरण बोली " नही मुझे अच्छा लगता हे आपको आप बोलना । और ने सिर्फ दोस्त की नाम लेती हूं आप मेरे दोस्त बन जाइए "



मान हस पड़ा " अच्छा शादी से पहले तो हम काफ़ी के लिए पार्क में भी मिले पर उतना काफी नहीं हे साइड एक दूसरे को दिल से अपनाना । और दिल से मिलन ना हुई तो वो मिलन भी मिलन जैसा नही हे तुम समझ रही हो ना में क्या कह रहा हूं "




किरण शर्मा के बोली " वो तो है । पर अब शादी हुई हे तो शादी के हर रिश्ते निभाना तो पड़ेगा ही "




मान बोला " हम लेट के बाते करते है तुम भी थक गई होगी "




किरण भी थकी हुई थी और जो सारी ज्वैलरी पहनी हुई थी वो सब बोहोत भारी महसूस हो रही थी उसे । मान उसे बड़े प्यार से बिस्तर पर लिटा के खुद उसके बगल में करवट में लेट गया । किरण की दिल की धड़कन तेज हो गईं शर्म की लाली उसकी गुलाबी गालों पर छाने लगी ।



मान अपना हाथ किरण की हाथ में मिला कर बोला " किरण मेरे पहले भी गर्लफ्रेंड रह चुके थे तो ये मेरा फर्स्ट टाइम नही हे "



किरण बोली " जी आपने पहले कहा था । मुझे कोई प्राब्लम नही हे आपने कहा मेरे लिए इतना ही बोहोत हे "



मान ने उसका चेहरा अपनी तरफ प्यार से घुमाया और बोला " प्लीज मेरी आखों में देख के बात करो ना "


किरण भी मान के तरफ करवट ले कर अपनी कोमोल हाथ मान के छाती पर रख देती है और मान की आखों में देखने लगी प्यार भरी नजरो से ।
 
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मान ने मुस्कुराया " कितनी खूबसूरत आखें तुम्हारी । मन कर रहा हे बस यूंही देखता रहूं। अच्छा ये तो बताओ की ने तुम्हे कैसा लगता हूं । तुमने कभी बताया ही नही"



किरण मन ही मन बोहोत खुश हो रही थी " जूठ मैने बोहोत बार कहा हे आपसे "


मान हस पड़ा " अच्छा फिर भी आज और एक बार कह दो ना "



किरण मुस्कुराई " ठीक हे मेने जो नही कहा था वो कहती हूं आपसे आज । हर किसी की कोई ना कोई ख्वाइस होती हे वैसा ही ख्वाइश मेरी भी थी । मेरा हसबैंड गोरा हो स्मार्ट हो मुस्कान अच्छी हो और जब मुझे देखे मुझे हमेशा उनकी आखों में मेरे लिए प्यार दिखे और ये सारी क्वालिटी आपके अंदर हैं "




मान मुस्कुरा कर किरण की नाक छेड़ दिया " अच्छा लेकिन तुमसे में 7 साल बड़ा हूं "


किरण बोली " मुझे कोई फर्क नही पड़ता लेकिन आज आपको मुझसे वादा करना होगा की आप सिगरेट छोड़ देंगे "


मान ने मजाकिया अंदाज में बोला " वो तो नामुमकिन हे "


किरण ने बड़ी आखें दिखाई " आपको वादा करना ही होगा "



मान हस पड़ा " अरे बाप रे तुम तो बड़ी खतरनाक हो आते ही पति को डराने लगी "



किरण मासूमियत से बोली " नही । मां ने कहा हे पति को पल्लू में बांध के रखना "


मान ने उसकी गाल सहला कर बोला " अच्छा और क्या क्या कहा हे "




किरण मुस्कुरा के बोली " ये में आपको नही बताऊंगी आपको धीरे धीरे अपने आप पता चलेगा "



मान मुस्कुरा के बोला " अच्छा मेरे खयाल से तो तुम्हे आज की रात में क्या क्या होता हे पता ही हे लेकिन कितना कुछ पता हे जरा डिटेल में बताओ ना "



किरण शर्मा कर मान के छाती पर मुक्का मारती है " हटो जी । बड़े बेशरम हो "



मान मुस्कुरा कर जोर देते हुए बोला " प्लीज बताओ ना । मुझे नही बताओगे तो किसको बताओगे "


किरण मुंह टेढ़ा कर बोली " एक पत्नी को जितना पता होना चाहिए उतना पता हे। "



मान प्यार से अपना चेहरा किरण के चेहरे के करीब ले गया और बोला " आई लव यू स्वीटी । क्या तुम तैयार हो । तुम्हे अगर वक्त चाहिए तो बेजिजक कहो । ऐसा नही की तुम सिर्फ पत्नी धर्म निभाओ पति को खुश करने के लिए "



किरण की आखें बंद हो गई थी लेकिन मान की सम्मान देख के वो बोली " में भी आपसे आई लव यू हूं । में तैयार हूं "



मान बोला " दिल से पूछ कर कहो बेबी। मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए जिस्म लेना होता तो कबका किसी होटल में ले जा कर ले लेता । सगाई के बाद शादी को तीन महीना था और उन तीन महीनो में में जो चाहे कर सकता था । पर मुझे तुम्हारी दिल भी चाहिए "




किरण प्यार भरी निगाहों से देखती हे " दिल तो आपने कबका जीत लिया था आपने मेरा । मुझे मालूम में है सब और मुझे आपकी स्वभाव बोहोत पसंद आई । में दिल से कह रही हूं आप मेरी आत्मा से मिलन करिए और मुझे हमेशा के लिए अपना बना लीजिए "




मान उसकी आखों में देखने लगा किरण भी मान की आखों में खो गया और मान सबसे पहले किरण की माथे पर चूम लिया किरण अपनी आखें बंद कर लेती हे और नई उत्साह से रोमांचक हो कर अपने आपको पति के हवाले करती है ।




मान उसकी खूबसूरत चेहरे को चूम चूम के नाथ की गाली कान की बाली निकाल रहा था । किरण भी धीरे धीरे उत्तेजित हो रही थी । मान उसकी गालों को उसकी कान की लो गर्दन चूमने लगा और किरण मान की बाजू पकड़ रही थी ।




मान ने किरण की रसीली पतली होठ अपने होठों में ले कर चूसने लगा । शुरुआत में किरण साथ नहीं दे रही थी पर 15 मिनिट की चुम्बन में आखरी 5 मिनिट उसने साथ दी ।




मान ने फिर धीरे धीरे कर के किरण की ज्वैलरी निकाल कर रख दिए । मान बैठ कर अपना कुर्ता उतार लिया किरण ये देख कर शर्माती हुई अपनी आखें धाक लेती हे ।



मान उसके ऊपर चढ़ के उसकी छाती पर चूमने लगा । और किरण की लाल ब्लाउज उतरना चाहा लेकिन किरण दोनो हाथ अपनी आबरू बचाने लगी ।



मान मुस्कुरा कर उसका हाथ हटाने की कशिश करने लगा पर किरण हाथ नही हटा रही थी । मान बोला " क्यू जुल्म कर रही हो मुझ बिचारे पर हाथ हटाओ ना "


किरण मुस्कुराई हुई " नही में नही हटाऊंगी "


मान थोड़ा जोर देने लगा तो किरण उल्टी हो गई । मान देखा की ब्लाउड तो पीछे से खुलने वाली डिजाइन की हे । मान ने ब्लाउज की डोरी खीच के किरण की चिकनी गोरी पीठ पर चूम लिया और पहली सिसकारी किरण की मुंह से निकली ईचचचहहह।



मान ने ब्लाउज की हूक खोलते हुए धीरे से बोला " अब कैसे रोकोगी"



किरण मन ही मन मुस्कुराने लगी । मान ने फिर किरण की पीठ चूम चूम कर पीछे की ब्रा स्ट्रिप भी खोल दिया । किरण कसमासय जा रही थी ।
 
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मान उसकी ब्लाउज और ब्रा एक साथ कंधे से उतारने लगा किरण भी थोड़ी विरोध दिखा के इजाजत देती है। मान ने उसे अपने तरफ घुमाया और किरण शर्म से मान की आखों में हाथ रख के नजर बंद कर दी और मुस्कुराने लगी।



पर मान झुक कर उसकी निम्बू जैसी कच्ची कली चूचियां मुंह में ले कर चूसने लगा । किरण एकदम से मस्ती में लंबी सिसकारियां लेने लगी । पहली बार किरण को किसी मर्द का चूना किसी मर्द से चूची चुसवाने का आनंद महसूस कर पा रही थी ।



मान उसकी दोनो चूचियां मसलते हुए चूस रहे थे । काम सुख में किरण की पतली जिस्म बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी कसमसा रही थी ।




मान धीरे धीरे किरण की पतली कमर की समतल पेट चूमने लगा । किरण का मन था की मान उसकी चूची और चूचे लेकिन जैसे ही मान का गर्म जीव अपनी पेट पर गर्म चुम्बन को महसूस किया वो और भी काम उत्तेजित महसूस करने लगी ।









मान उसकी मुलायम पेट चूमते चूमते किरण की लहंगा उतारने लगा । किरण की इतनी सकती नही बची की वो और शर्म को बरकरार रखे उसने भी अपनी कमर उठा के मान की मदद की । चिकनी गोरी टांगों के बीच लाल पैंटी चूत का हिस्सा काम रस से गीली थी मान ने उस गीली हिस्से पर चूम लिया किरण मस्ती में कामुक आखों से देखने लगी मान किरण की आखों में देखते हुए किरण की गीली पेंटी उतारने लगा तो किरण आंख बंद कर तकिया छीने में दबा ली ।




मान ने किरण की लंबी टांग फैला दिए और किरण ने भी सहमति दी । किरण की की छोटी सी चित कामरच से चमक उठी कमरे की लाइट के रोशनी से । किरण ने चूत सेव नही किए थे चूत के पंखुरी के सारों और बाल थे । कच्ची कली चूत की रौनक देखने लायक की ।




मान ने किरण की चूत के दोनो पंखुरी के बीच लाल हिस्सा जीव से चाट लिया । किरण एकदम से तड़प उठी उसने आइस्सहहह कर के सिसकारियां ली । मान उसकी चूत चाटने लगा किरण अपनी होठों को दातों में दबा के अपनी सिसकारियां पर काबू पाने की कशिश कर रही थी । उसे थोड़ी शर्म आ रही थी अपने पति से की पहली रात में वो इतनी कामुक हुई है।





कुछ देर बाद मान ने अपना पायजामा उतारा। उसने कोई अंडरवियर नही पहना था । उसने अपने लंद को पूरा सेव कर के रखा था । किरण भी छोरी छुपे अपने पति के 4 इंच का खड़ा लाल सुपाड़ा वाला गोरा लन्ड देख के सिहर रही थी। किरण मन ही मन खुश हो रही थी की उसके पति का लंद गोरा हे साफ हे आज नही तो काल अपने पति का लंद चूस के उसे खुश करना ही होगा अपने पति को ।




मान बड़े आराम से किरण की दोनो टांगो के बीच जगह बनाया और किरण से प्यार से बोला " बेबी पहली रात है कंडोम यूज नही करना चाहता हूं कल सुबह गोली ला दूंगा । अगर तुम्हे ठीक लगे तो "



किरण भी शर्मा शर्मा कर बोली " में भी नही चाहती हमारी पहली मिलन में कोई पर्दा रह जाए ।"



मान ने किरण की चूत में अपना लन्ड टिकाया और किरण की बाहों में समा गया और बोला " बेबी तुम्हे थोड़ा दर्द होगा पता हे ना "



किरण भी मोधोसी में बोली " हा पता है जानू "


मान मुस्कुराया " जानू । फिर से बोलो ना "


किरण शर्म से लाल हुई लेकिन उसने मान की गाल पर चूम ली । मान ने धक्का दिया लेकिन चूत इतनी टाइट की घुसा ही नही तो मान ने थोड़ा जोर लगा के दबाव दिया और उसका सुपाड़ा किरण की चूत में घुस गया । किरण एक दम से बिलबिला उठी ऊऊऊऊ कर के अपनी मुंह पर हाथ रख के अपनी मुंह दबा ली । मान उसके चेहरे को चूम चूम के प्यार से बोलने लगा " बस बेबी हो गया बस हो गया " और दवाब दे कर अपना लन्ड पूरा घुसा दिया ।




किरण दर्द से मान की बाहों में सिमट जाती है और मान वैसे ही रुका रहा । कुछ पल बाद मान ने पूछा " बेबी ठीक हो तुमि"


किरण धीरे से बोली " हा"



मान फिर धीरे धीरे से धक्का लगाने लगा । किरण को दर्द हो रही थी पर उसे बर्दास्त करना ही है उसे इस बारे में ज्ञान थी और कूची समय में उसका दर्द आनंद ने बदल गया। उसकी चूत की झीली फटने की खून और कामरास मिश्रित हो कर चूत और चिकनी हो गई जिससे उसे दर्द की जगह काम आनंद ही आनंद आने लगी आखें बंद कर के अपने पति के लंद के हर धक्के पर आह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह करती हुई सिसकारी लेने लगी । मान भी उसे चूम चूम के बाहों में भर के धक्के लगाता गया और कुछ 5 मिनिट बाद किरण ने महसूस किया की उसकी चूत के अंदर गर्म लावा महसूस हो रही हे । वो समझ गया की मान झाड़ गया हे। पर तभी उसके दिमाग में आया की उसे तो शर्मसुख महसूस ही नही हुई । हालाकि की जिंदगी में कभी उसने शर्मसूख महसूस नही किया पर उसे इस बारे में ज्ञान ना हो इतनी भी नासमझ नहीं थी वो । फिर भी उसने एक आदर्श पत्नी होने के नाते अपने पति को चूमा और प्यार से बोली " आई लव यू जानू मेरी जिंदगी की बेस्ट रातों में से एक थी आज की रात आपके साथ में कभी नही भूलूंगी "




मान भी उसे बोहोत प्यार करने लगा और दोनो एक दूसरे की बाहों में प्यार की नींद में सो गए ।
 
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दूसरे दिन किरण की पहली रसई थी और वो खाना बनाने में निपुण थी इसलिए पहली रसोई में ही उसने अपनी सास ससुर से ढेरो प्यार के साथ अच्छी शगुन भी मिली । वो बोहोत खुश थी की उसे इतना अच्छा परिवार मिला । मान का परिवार बोहोत बड़ा था कुल 12 सदस्य का परिवार था बच्चे बूढ़े जवान सब मिला कर ।



और ऐसे ही एक हफ्ता हो गया । मान दूसरी शहर में जॉब करता था और उसका वक्त आ गया अपने काम पर जाने की । किरण को जैसे ही पता चली ये बात तो वो उदास हो गई पर जब उसकी सास ने कहा की तुम भी मान के साथ जा रही हो वाहा पर उसका ध्यान कौन रखेगा तुम्हे ही तो रखना हे अब जिंदगी भर । किरण खुशी के मारे अपने सास से पहली बार गले लगी ।






यहां कुछ नए परिचय भर रहा हूं कहानी को आगे बढ़ाने के लिए । रंजन शुक्ला । उम्र 32 साल कथ काठी बिलकुल मान की तरह और एक ही पेशे में वो भी इंजीनियर ही थे मान के साथ एक ही कंपनी ने नौकरी करता था । दिखाने में भी कुछ कुछ मान जैसा ही दिखता था इसका कारण था दोनो चचेरे भाई थे ।




पीहू शुक्ला । उम्र 28 साल खूबसूरत बला रंजन की पत्नी । कूची दिनों में किरण से बोहोत अच्छी दोस्ती बना ली थी उसने । किरण के साथ गंदे गंदे जोक्स के साथ मजाक करती रहती हे किरण भी पीहू के साथ जल्दी घुल मिल गई ।





रंजन भी छुट्टी पे था तो वो भी निकला मान के साथ । साथ में दोनो पत्नीया भी । शहर जा कर किरण को पता चला की मान रंजन और पीहू के साथ ही रहता था एक ही फ्लैट पर और आगे भी एक ही फ्लैट पर रहने वाले हे। ये बात किरण को खटकने लगी की उनकी शादी शुदा जिंदगी में अपना घर हो एक दूसरे के साथ अकेले रहे । कुछ दिन तो किरण ने मान को इस बारे में कुछ नही कहा पर एक दिन उसने मौका देख कर मान से इस बारे में जिक्र करती है तो मान ने समझाया कि वो और रंजन बोहोत करीब हे । और वैसे भी उसे अपना घर बनाने में टाइम लगेगा शहर में ही वो घर बनाएगा अच्छे फ्यूचर के लिए तब तक वो रंजन के साथ ही रहेगा । किरण भी मान के फैसले से इंकार नही कर पाई ।





एक रात की बात हे ।



मान मूड में था और किरण भी मूड में थी दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे हो गए रोमांच की गाड़ी आगे बढ़ाते हुए मान किरण की चूत में धक्के लगाने लगा और किरण भी मस्ती में आहे भरने लगी । पर आज भी मान लुड़क गया किरण को अंदर ही अंदर बोहोत गुस्सा आ रही थी । शादी को 6 महीने हुए थे लेकिन अभी भी उसने शर्मसुख कैसा महसूस होता हे महसूस ही नही कर पाई । कभी कभी वो अकेली ही इंटरनेट पर ये सोच कर जानकारी हासिल करने की कशिश करती थी की उसमे ही कोई कमी हो वोही शर्मसुख़ की सीमा में नही पोहोच पा रही हो ।



इधर तो कुछ और ही प्लान चल रहा था कलयुग का कारनामा किरण को कानो कान खबर नही थी । एक ही बिस्तर पर रंजन और मान पीहू के साथ नग्नो अवस्था में राते बिताते जिसकी खबर किरण को पता तक नहीं लग रही थी।




रंजन " मान मेरे चार दिन के छोटे भाई कब देगा अपनी बीवी की चूत । यहां मेरी बीवी की चूत मार मार के भोसड़ा बना रहा है"



पीहू हस कर बोली ", हा मान ये बोहोत नाइंसाफी हे। तुम्हारे शादी को 6 महीने हो गए है। और तुम्हारे भैया ने मुझे 3 महीने की शादी में तुम्हारे बिस्तर पर धकेला था "



मान बोल रहा था ", सबर करो बोहोत जल्द मिलेगा । पता हे ना वो कितनी ओल्ड थिंकिंग की है ऐसे नही मानेगी "



रंजन बोला ", तो कुछ कर मुझसे और रुका नही जा रहा है "


मान बोला " मेरे पास एक आइडिया हे "


फिर तीनो मिल के प्लान बनाते हे ।
 
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प्लान बनाने के अगली ही दिन मान का अपनी बाइक से एक दुर्घटना हो जाता है हालाकि उसे ज्यादा चोट नही आई पर किरण बोहोत दर गई थी ।





मान को मालूम था की किरण बोहोत अंधविस्वारी थी । और उसी अंधविश्वास का फायदा उठा कर कोई ग्रह दोष है तो नही इस बारे में किरण को बताया और किरण भी इस बात को गौर करती हुई खुद ही बोली की ", हमे की ज्योतिषी को दिखाना चाहिए "



मान बोला " तुम सही कह रही हो । लेकिन में किसी ज्योतिषी को नही जानता तुम जानती हो क्या "



किरण याद कर के बोली ", हां में एक ज्योतिषी को जानती हूं "


मान बोला " अच्छा किसको कहा का हे "


किरण बोली ", हमारे ही शहर का हे "


किरण ने पूरी डिटेल बता दी मान को । और मान ने कहा " ठीक है इस सन्डे को हम वाहा जायेंगे "






मान ने प्लान को मुकम्मल किया रंजन को सारी बात बता दिया और दोनो ऑफिस जाने के बहाने किरण की बताई हुई ज्योतिषी के पास चला गया और ज्योतिषी को मोती रकम की लालच दे कर अपने प्लान में शामिल किया ।




सन्डे की चारों ज्योतिषी के पास चले गए । किरण को बोहोत भरसा था अपने बरसो पुरानी पहचान की ज्योतिषी के ऊपर ।





ज्योतिषी ने प्लान के अनुसार गंभीरता का नाटक से मान का हाथ देख कर बोला " बेटा तुम्हारी हाथ की जीवन रेखा सिर्फ 40 साल की हे "


किरण हैरान हो गई एक दर से बोली " पंडित जी ये आप क्या कह रहे है "



पंडित जी बोले " बेटा ये तो इनका भाबिस्य है और तुम्हारी हाथ की विवाह रेखा कहती हे तुम्हारी दूसरी शादी होगी । जाहिर हे इनके जाने के बाद "


रंजन पीहू और मान तीनो नाटक कर रहे थे हैरान होने का । पर किरण ये सुन के सदमे थी ।



किरण ने पूछा " पंडित जी कोई उपाय "


पंडित जी बोले " एक ही उपाय हे अगर ये दोष कटना है । देखो बात ऐसी हे की तुम्हारी दूसरी विवाह निश्चित हे इसलिए तुम्हारे पति के जीवन संकट में है । अगर तुम पति के रहते ही दूसरी विवाह कर लेती हे और मेरे विधि के अनुसार कार्य करती हो तो तुम्हारी पति की जीवन रेखा लंबी होगी "


किरण का दिमाग भ्रष्ट हो गया था " कैसी बाते कर रहे हे पंडित जी कैसे में दूसरी शादी करू "



पंडित जी कुछ सोच के बोले " तुम्हे एक उपाय देता हूं । तुम किसी अपने भरसे के करीबी इंसान के साथ सिर्फ नाम के लिए शादी करो दोष काटने के लिए । आधी दोष इसिमें काट जायेगा और आधी दोष के लिए में तुम्हारे पति को जीवन मनी दूंगा और कुछ पूजा पाठ करने से सब संकट दूर हो जाएगा "



किरण अपने पति को देखने लगे । मान ने बोला किरण को " ये भी ठीक हे किसी से बस नाम का ही तो शादी करना है " ।।।




किरण उलझ रही थी ", लेकिन किस्से ऐसा इंसान कहा मिलेगा "



तभी पीहू बोली " मान इस काम के लिए सबसे विश्वास की इंसान और कौन होगा तुम्हारे भैया के अलावा "


किरण बोली " क्या । में जेठ के साथ कैसे "



पंडित जी बोले " बेटी इसमें रिश्ते माईने नही रखता । सिर्फ शादी करनी हे कुछ ही समय के लिए । अच्छा ही है ना घर की बात घर में ही रहेगी । किसी बाहर वाले से शादी करोगे हो सकता है वो इंसान बाद में बदल जाए और बुरे नियत से हक जमाने लगे फिर तो तुम्हारी जिंदगी बरबाद हो सकती है ना "



किरण रंजन की तरफ देखने लगी तो रंजन मजाक के बोला " ऐसे क्या देख रही हो । 5 स्टार रेटिंग वाला शरीफ बंदा हूं कसम खा के कहता हूं आज तक तेरी पीहू दीदी के अलावा किसी को छूवा नही "


किरण मुस्कुरा के बोली " आप भी ना । में आप पे थोड़ी सक कर रही हूं । में तो बस सोच रही थी की आप हमपे ये मेहरबान करेगी या नहीं "



रंजन बोला " देख बहु । तुम मेरी लाडली हो और तुम्हारा पति मेरा छोटा भाई जो मेरी जान है। तो ने कैसे ना कर सकता हूं " ।।।



किरण मुस्कुरा के बोली " ठीक हे फिर शुक्रिया आप का "



पंडित जी बोले " तो में क्या समझूं "


किरण बोली " जी पंडित जी मुझे मंजूर है"


पंडित जी बोले " इतने दूर से आए हो तो क्यू ना आज ही सुभ मुहरत निकाल के शादी करवा के बाकी की पूजा पाठ की विधि खतम कर देता हूं ताकि दुबारा आना ना पड़े "


किरण मान की तरफ देखने लगी " अच्छा ही है। पंडित जी सही कह रहे है बार बार इतने दूर आना । ठीक हैं पंडित जी।



पंडित जी तुरंत कार्य में लग गए । अपने जूते मंत्र से किरण और रंजन की शादी करवा दी । और कुछ जूठे पूजा पाठ कर के एक पत्थर भी दिए मान को पहने के लिए ।



पंडित जी ने अपना काम पूरा करते हुए बोला " देखो नियम के अनुसार दूल्हा दुल्हन को तो सुहागरात की कमरे में एक रात के लिए सही पर रहना तो होगा ही क्यू की शादी की विधि तब खतम गोटी जब सुहागरात की विधि पूरी हो । तब होगी संपूर्ण शादी । ठीक हे "




किरण को बोहोत अजीब लग रहा था पर वो भी क्या करती । बेचारी को पता भी नहीं चल रहा था की वो तो खिलौना बन गई है अब ।



चारों फिर घर की तरफ निकलते है।
 
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घर आते ही पीहू अपने कमरे को सजाने लगी । मान और किरन अपने कमरे में थे । किरण गुमसुम सी थी ।


मान ने उसे प्यार से पुकारा " बेबी "

किरण मान की बाहों में समा गई " सॉरी जानू "


मान उसका माथा चूम के बोला " क्यू तुम क्यू सॉरी हो । तुम्हारी क्या गलती । ये तो भाग्य का लेखन है"


किरण बोली " जानू फिर भी मुझे अच्छा नही लग रहा है। मुझे किसी और की पत्नी बनना पर रहा है "


मान बोला " किसी और की । नही रंजन मेरा भाई है दिल की करीब हे "


किरण बोली " फिर भी "


मान बोला " बेबी रंजन और में एक दूसरे से इतना प्यार करते हे की अगर गलती से तुम उसके साथ सच में सो भी गई तो भी मुझे बुरा नहीं लगेगा "


किरन बोली " धेत्त आप क्या बोलते हे अनाब सनाब "



मान मुस्कुरा के बोला ", में तो बस कह रहा था । "



रात के 9 बजे पीहू किरण को रंजन के कमरे में भेजती है। पीहू का दिल जोरो से धड़क रहा था शर्म के मारे। रंजन अंदर बेड पर बैठा था कुर्ता पायजामा पहने हुए ।



किरण शर्म से सर झुकाए कमरे के बीचों बीच खड़ी हो गई । वो सिल्की नाइटी पहनी हुई थी जो पीहू ने उसे पहना के भेजी थी ।



रंजन हसने लगा ये देख कर किरण मासूमियत से खुद के ऊपर देखने लगी कही कोई उल्टा पुल्टा तो नही पहनी हे उसने । रंजन खड़ा हो कर बोला " अरे चुटकी में तुम्हारे सफेद चेगरा देख कर हस रहा था "


किरण और भी शर्मा जाती है।


रंजन बोला " ओके में सीधे पॉइंट में ही आता हूं । अगर तुम सच रही हो की ने तुम्हारा नाजायास फायदा उठाऊंगा तो तुम मेरा अपमान कर रही हो मेरे शरीत्र पर उंगली उठा रही हो । में सोफे पे सोता हूं तुम बेद पे सो जाओ । सुभरात्री "



रंजन सोफे पर जा कर लेट गया । किरण को बुरा लगा उसने अनजाने में ही अपने जेठ का अपमान कर दी जो उसे इतने प्यार से चुटकी बुलाती हे।


किरण रंजन के पास जा कर नीचे बैठ के बोली " भाईसाब प्लीज मेरा वो मतलब नही था । अगर आपको ऐसा लग रहा हे तो आई एम सॉरी "


रंजन मुस्कुराए और अपने कुर्ते की जेब से एक चॉकलेट निकाल कर किरण को दिया और बोला " ये भाईसाब बोला मत कर सीधा भैया ही बुला । और सॉरी कहने की जरूरत नही मुझे पता है मेरी चुटकी बोहोत अच्छी है अपने भैया के बारे में कभी गलत नही सोचेगी "


किरण भी खुशी से चॉकलेट ले बोली " थैंक यू भैया "



रंजन ने प्यार से किरण का माथा सहला दिया और किरण मुस्कुराती हुई बच्ची की तरह चॉकलेट खाने लगी । रंजन उसे देखते हुए बोला " चुटकी मेरे लिए दो पेग बना दे ना "



किरण बोली " भैया क्यू पीते हो । पता हे ना जेहेर है "


रंजन उसका नाक रगड़ दे कर बोला " रोज नही पिता कभी कबार ही । आज मन कर रहा है। तुम भी वाइन पी लो दो पेग दिमाग में जो टेंशन हे उससे राहत मिलेगी "


किरण बोली " ना बाबा ना में ये सब कभी नही पिऊंगी "


किरण उठ कर कमरे के रैक में रखी वाइन की बॉटल और एक ग्लास ला कर रंजन के पास बैठ के पेग बना के दी। राजन थोड़ी थोड़ी चिप लेने लगा । और ऐसे ही दोनो में बाते होने लगी । काफी देर तक दोनो बाते करते रहे ।
 
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किरण अटैच बाथरूम में चली गई । रंजन सोफे पर ही लेता था अचानक किरण की चीख सुनाई दी " मम्मी"


रंजन जल्दी से बाथरूम में गया लेकिन अंदर से दरवाजा बंद था " चुटकी क्या हुआ चुटकी दरवाजा खोल चुटकी "



थोड़ी देर में दरवाजा खुला । किरण बाथरूम की फर्श पर बैठी थी सुबक सुबक के । रंजन बाथरूम में घुस गया और पूछा " क्या हुआ चुटकी "


किरण रोटी हुई बोली " में गिर गई पिछल के "



रंजन उसे फूल की तरह गोद में उठा लिया " ऑफ हो तुम भी ना ध्यान किधर था तेरा "


रंजन उसे गोद में ले कर बिस्तर पे लेटा दिया " दिखा कहा लगी "


किरण अपनी पाव की तरफ इशारा कर के बोली " यहां भैया "



रंजन जल्दी से मलहम ले कर आया " शिनता मत करो जरा सी मोच आई होगी में दबाई लगा देता हूं । अभी ठीक हो जायेगा और अगर ठीक नही हुआ तो काल में तुम्हे डॉक्टर के पास ले जाऊंगा "


रंजन किरण की पाव में मलहम लगाने लगा । किरण रंजन को एक तुक देखती रही थी रंजन उसे देखते हुए बोला " ऐसे क्या देख रही हो "



किरण मुस्कुरा के बोली " आपसे कभी इतनी बाते नही हुई । आपकी ये साइड मैने कभी नही देखा आप बोहोत दयालु है पीहू दी आपसे बोहोत खुश हे । "



रंजन मुस्कुरा दिए और थोड़ी मालिश दे कर किरण की सर के नीचे तकिया लगाने लगा " चलो रात बोहोत हो गई हे अब सो जाओ " और रंजन ने बहाने से पैर पिचलने का नाटक किया और किरण के ऊपर गिर गया ।





रंजन उठने की कशिश करते हुए बोला " ओह सॉरी"


किरण बड़ी दुविधा में थी शर्म से पानी पानी हो गई । लेकिन किस्मत भी रंजन का साथ से रहा था वो हमेशा गले में चैन पहनता था और वो चैन किरण की मंगलसूत्र के लॉकेट में बुरी तरह फंस गया । रंजन जान बूझ के अपना चैन किरण की मंगलसूत्र से अलग करने की वैसे और उलझा दिया और कहा " चुटकी तुम ही निकालो"



किरण उलझे हुए चैन और लॉकेट अलग करने की कशिश करने लगी । दोनो का चेहरा एक दम करीब थे । रंजन प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोला ", चुटकी एक बात कहूं"



किरण ने जब रंजन की आखों में देखा वो शरमा गई और बोली " जी क्या "



रंजन बोला " तुम बोहोत खूबसूरत हो "


किरण और शर्मा गई । रंजन एक गहरी सास ले कर किरण की माथा चूमा । किरण ने कुछ नही कहा उसे लगा ऐसे ही प्यार से चूमा हे । पर रंजन ने उसके होठों पर होठ रख के चूमने लगा ।



किरण बुरी तरह घबरा गई और अपना चेहरा हटाने लगी " भैया क्या कर रहे हे आप । आप होश में तो हे",



मगर रंजन किरण की छोटी सी मुंह एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से किरण को पीठ से बाहों में भर के जबरस्ती चूमने लगा । छुईमुई सी दुबली पतली किरण खुद को चुराने की कशिश करने लगी ।



पर रंजन पूरे ताकत से हावी हो गया था किरण कुछ भी नही कर पा रही थी बेचारी । रंजन पूरे पैशनियट तरीके से किरण की होठ चूसने लगा । किरण भी भवकेती हुई जवानी में थी जो शादी शुदा होते हुए भी पहली शर्मसुख पाने के लिए तड़प रही थी । धीरे धीरे उसके दिमाग में भी काम वासना ने घेर लिया और धीरे धीरे क्या सही क्या गलत अपनी सुध बुध खोने लगी।




जब रंजन को लगा की किरण शांति से शांत हो रही है तो उसने किरण की दोनो हाथो की उंगलियां में उंगलियां फंसा के किरण की रसीली होठ चूसने लगा । किरण की सांस उखाड़ने लगी तब रंजन ने बड़े आराम और चालाकी से किरण की टांगो के बीच घुसा और अपनी कुर्ता उतारने लगे ।



किरण बोली " भैया ये गलत हे प्लीज हट जाइए प्लीज "




रंजन ने किरण की होठों पर उंगली रख के वासना भरी निगाहों से देख के बोला " कुछ गलत नही हे "



क्या जादू था रंजन की आखों में की किरण सम्मोहित हो गई और रंजन के नंगे बदन को रंजन के काम वासना से भरी आखों में खो सी गई।



रंजन ने प्यार से दोनो टांगे फैला देता है और किरण की नाइटी ऊपर उठ जाती हे। रंजन जब जब किरण की पेंटी निकालने लगा तब किरण एक आखरी बार बोली " भैया प्लीज रूक जाइए । में कैसे अपने पति के सामने मुंह दिखाऊंगी "



रंजन बोला " उसे बताएगा कौन "


रंजन ने पैंटी निकाल दिया और समय ना गवाते हुए अपना पायजामा और अंडरवियर निकाल दिया । उसका 6 इंच का लन्ड बिलकुल गर्म लोहे की तरह खड़ा था । किरण ने जैसे ही रंजन का लंद देखा तो खयाल आया उसे मन में की एक भाई का इतना छोटा और एक भाई का इतना बड़ा ।
 
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रंजन ने किरण की चूत पर लन्ड टिका के धक्का दिया । किरण की चूत में सुपाड़ा घुस गया किरण बिल्कुल भी तैयार नही थी " आईईई मम्मी मर गई "



रंजन जोश में किरण को बाहों में भर के धक्का मारा और पूरा लंद अंदर घुस गया । किरण बिलबिला उठी " मम्मी। ऊऊऊऊऊऊ में मर गई ,"




रंजन धीरे धीरे धक्का मारने लगा और किरण की होठ चूसते हुए उसे बाहों में भींचने लगा । किरण की आखों से आसू चलक आई । पर रंजन उतना ध्यान नही दिया वो धीरे धीरे धक्का देते रहे । किरण बेचारी दर्द से बिलबिला रही थी उसने अपनी चूत की दीवारें ज्यादा पसरि हुई और ज्यादा अंदर तक महसूस कर रही थी ।





जब रंजन का जी भरा किरण की होठों का रस चूसना तब वो किरण की आसू पूछते हुए प्यार जताने लगा " चुटकी मुझे माफ कर दे में बेकाबू हो गया था पता नही क्या हो गया में बहक गया नशे में था "



किरण बोली" आह्ह्ह्ह्ह आप घटिया हो । बोहोत बुरे हो । आपने जान बूझ के किया ये सब । में आपको माफ नही करूंगी कभी नही "



रंजन बोला " मत कर चुटकी माफ मुझे । इसके बाद मुझे जो चाहे सजा देना । चुटकी तुम्हारी भी गलती हे इतनी खूबसूरत आखों से मुझे देखना नही चाहिए थी । तुम बोहोत मीठी हो । अभी में नही रुक सकता एक मर्द कभी आधे में नही रुक सकता "



किरण जोर जोर से सांस लेती हुई बोली " और आपने मुझे करवा कर दिया अपवित्र कर दिया आआह्ह्हह्ह् "



रंजन ने एक खीच के धक्का मारा किरण तिलमिला उठी " आइइयाहहह मरी गैयो भैया प्लीज निकालो दर्द हो रहा हे "



रंजन किरण के चेहरे को दोनो हाथों में थाम के प्यार से पूछा " इतना क्यू दर्द हो रहा है "


किरण कामुक आवाज़ में बोली " आपका बोहोंहोंहोंहोत बड़ा हे उह्ह्ह् मम्मी "



रंजन ने बोला " कोई बात नहीं थोड़ा मीठा दर्द भी मजा देता है अभी ठीक हो जायेगा "



रंजन किरण की सर के नीचे रखा और एक हाथ से किरण की पीठ के नीचे रख के बाहों में भर और धक्के लगाने लगे धीरे धीरे उसके धक्के तेज तेज हो गए । किरण कराह कराह के सिसकारियां लेने लगी ।





और ऐसे ही 10 मिनिट हो गया किरण ने महसूस किया की उसका पति तो कबका लुड़क चुका था रंजन की शक्ति देख के प्रभावित हुई और उसी प्रभाभित से वो और उत्तेजित होने लगी चूत कामरास छोड़ने लगी बड़े लंद की चूत के दीवारों पे दमदार रगड़ बेचारी स्वर्ग की सुख की अनुभति करने लगी और सब कुछ भूल कर रंजन को कस के गले लगा के सिसकने लगी ।



कूची देर में उसने महसूस किया की उसका पूरा शरीर ऐंठने लगी हे नस नस में काम आनंद की अनुभती हो रही है और वो चिल्लाई " आह्ह् भैया । आआह्ह्ह भैया । ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह" कर के किरण झाड़ गई ।



रंजन रुक गया और किरण हाफने लगी । किरण सकून भरी नजरो से रंजन के आखों में देखने लगी । रंजन ने किरण की आखों को चूमा । और किरण भी पिसस रही थी उसने रंजन की आखों में देखती हुई भावुक हो के बोली " भैया मैने ऐसा कभी महसूस नही किया था पहले "


रंजन ने पूछा " क्या महसूस नही किया था चुटकी "


किरण बोली ", अभी जो हुआ मेरे साथ "


रंजन ने बोला ", ऑर्गेज्म "


किरण ने सर हिलाया ।

रंजन ने पूछा " कभी भी नही । छोटे के साथ कभी भी नेही "


किरण ने ना में सर हिलाया ।


रंजन ने दुख जता के बोला " ओह तो छोटे इस मामले में कच्चा हे। अच्छा अभी कैसा लग रहा है कैसी लगी पहली ऑर्गेज्म ",


किरण भी काम सुख से तृप्त थी शर्मसुख पा कर मन भी बहक गया था उसका " बोहोत अच्छा भैया में बता नही सकती पूरे शरीर में आनंद की लहर फील हो रही थी । बोहोत अच्छा "




रंजन बोला " वैसे तुम मुझे प्यूनिसमेंट दे सकती हो । मेरा हुआ नही तुम मुझे अभी रोक सकती हो । "


किरण रंजन के गाल पर हाथ रख के बोली " नही आपने जो सुख मुझे एहसास करवाया है उसके इनाम में आप पूरा कीजिए "



रंजन मुस्कुराता हुआ देखता रहा । किरण आखों की इशारे दे कर बोली ", करिए रुके क्यू हे "


रंजन शरारती बन के बोला " क्या करू ठीक से बोलो "



किरण समझ गई इतनी देर बाद उसकी होठों पे मुस्कान आई और रंजन के कान में धीरे से बोली " अपनी चुटकी को चोदिये "



रंजन भी उसके कान में बोला " किस्से "


किरण की मुस्कान बड़ी हो रही थी और बोली " आपके अपने बड़े से लन्ड से चुटकी की छोटी सी चूत को चोदीये"



रंजन किरण को बाहों में भरा" ये हुई ना मेरी चुटकी वाली बात " कह कर घप घप्प चोदने लगा ।



किरण की आखें बड़ी हो गई " ओन्ह्ह्ह ओन्ह्ह्ह्ह भैया भैया । कुछ । आआह्ह्हह कुछ हो रहा हे "



रंजन दात पीच के पूरे जोश में धक्के लगाए और किरण फिर एक बार झाड़ गई । रंजन ने उसे फिर गोद में उठा लिया । किरण इतनी खुश में थी की वो रंजन के गोद में खुद सारी शर्म हया तोड़ के कमर हिला हिला के चुदवाने लगी और प्यार भरी निगाहों से देखती हुई " ह्हह्ह्ह भैया । में गई आह्ह्हह्ह । थैंक यू भैया "


रंजन किरण की गोल गोल गांड मसलते हुए उछाल के धक्के लगवा के झाड़ गया और किरण को बिस्तर पर पटक के निढाल हो गया । किरण भी अपनी नाइटी नीचे कर के दूसरे करवट में लेट के सकून की सांस लेने लगी ।

 
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