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LEVEL 9
310 XP
मेरी मां रेलवे स्टेशन पर
हैल्लो चुदाई की कहानी पढ़ने वाले दोस्तों, में आप सबको एक घटना बताना चाहता हूँ, क्योंकि मुझे अपनी घर की औरतों और लड़कियों को दूसरे गैर मर्दों की हवास की शिकार होते हुए देखने में मज़ा आता है. मेरा लंड सिर्फ़ तब ही खड़ा होता है जब कोई आवारा आशिक या लफंगा मेरी माँ या मेरी किसी रिश्तेदार को हवास की नजर से या हवास की शिकार बनाते है. मेरे सामने या जब में उनके बारे में ऐसी इच्छा रखता हूँ.
ये बात तब की है जब में और मेरी मां और में अपने घर जा रहे थे मां की मायके से मेरे पापा सरकारी नौकरी में है ।
मेरी माँ की हाईट 5 फुट 4 इंच है, उस टाईम उनकी उम्र करीब 40 साल थी, उनका वजन नॉर्मल था, ना ज़्यादा ना कम, उनका पेट हल्की उभरी हुई और उनकी टाँगें एकदम गोरी, चिकनी, गदराई हुई थी. उनकी पतली लंबी गर्दन जो कि पीछे से काफ़ी सेक्सी लगती है और बड़ी-बड़ी भूरी आँखे जो कि लोगों को बुलावा देती है. वो दिखने में काफ़ी गोरी है . उनके चूतड़ भरे हुए और मोटे है जो कि उनके शरीर पर चार चाँद लगा देते है और काफ़ी देखने वाले उनके चूतड़ो को देखकर पागल हो चुके है.
में तब सिर्फ 19 का था पूरा जोशीला जवान घर की रिश्तेदार की औरतों पर बुरी नजर रखता था । पर नज़र ही रखता था और मूठ मारता था या चुपके से मोबाइल से फोटो वीडियो लेता था इससे आगे मेरी हिम्मत नही थी ।
दोपहर 3 बजे की ट्रेन थी लेकिन ट्रेन आधा घंटा लेट था और हम पोहोचे थे 2:45 को । हमने दो टिकट ली और बेंच पर बैठ अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगा । बोहोत ही छोटा सा स्टेशन था एक ही प्लैटफ्रोम था । गर्मी का मौसम था कही कोई पंखा भी नहीं था मां अपनी पल्लू से खुद को हवा दे रही थी । में अपने मोबाइल में ऐसे ही टाइम पास कर रहा था । मां ने उस दिन लाल सारी मैचिंग ब्लाउज पहनी थी। स्टेशन पर लोग भी कम थे एक्का दुक्का लोग । मम्फली बेचने वाला ना कोई पानी बेचने वाला कोई था जो भी खरदारी करना था सब स्टेशन के बाहर दुकानों में ।
कुछ देर बैठने के बाद मैने देखा की हमारे बेंच के पीछे एक आदमी खड़ा हे जिसकी उम्र परिपक्क था 30, 35 का लग रहा था और काफी लंबे चौड़े 6 फूट का था । मैने पहले इतना ध्यान नही दिया लेकिन मुझे लगा वो थोड़ा पास आया हे तो मैंने थोड़ा मुंह घुमा के उसे देखा तो पाया की वो बिल्कुल मां के पीछे खड़ा हे । मैने उसपे ध्यान दिया वो एक ब्लैक कलर की चार्ट और ब्लू जींस पहन रखा । गोरा चिट्ठा आदमी था और उंगलियों में अंगूठी गोले में सोने की चैन लेकिन चेहरा खरूज गुस्सैल परूप का लग रहा था । मैने उसे जानने नही दिया की में उसे देख रहा हूं या मेरा ध्यान उसपे हे में मोबाइल में व्यस्त हूं ऐसा जताया।
बारीक से ध्यान देने पर पता चला साला कनीना मेरी मां को काम वासना की नजरों से घूरे जा रहा है । मेरी मां टांगे बेंच के ऊपर कर के घुटने मोड़ के एक घुटने पर कोहनी रख के हाथ पर अपना मुंह रख के दूसरे हाथ से पल्लू की एक चीरे से हवा लगा रही थी । ये देख के मेरी अंदर भी जोश बढ़ने लगा जवानी का मुझे भी अच्छा लग रहा था एक गैर मर्द मेरी मां को हवास की नजर से देख रहा हे। मां पीठ टीका के नही बैठी तो उनकी पीठ वो आदमी देख रहा होगा वैसे क्या देख रहा था ये तो वोही जाने। पर मां की पीठ और कमर पर पसीने की बूंदे थी जिसे देख कर मेरा ही मन हो रहा था की में ही मां की जिस्म की पसीने चाट जाऊं। उनकी ब्लाउज कुछ कुछ जगह पर भीग गई जो बोहोत कामुक लग रही थी ।
लगभग 10 मिनिट से वो आदमी मां के पीछे खड़े हो कर देख रहा था।
हैल्लो चुदाई की कहानी पढ़ने वाले दोस्तों, में आप सबको एक घटना बताना चाहता हूँ, क्योंकि मुझे अपनी घर की औरतों और लड़कियों को दूसरे गैर मर्दों की हवास की शिकार होते हुए देखने में मज़ा आता है. मेरा लंड सिर्फ़ तब ही खड़ा होता है जब कोई आवारा आशिक या लफंगा मेरी माँ या मेरी किसी रिश्तेदार को हवास की नजर से या हवास की शिकार बनाते है. मेरे सामने या जब में उनके बारे में ऐसी इच्छा रखता हूँ.
ये बात तब की है जब में और मेरी मां और में अपने घर जा रहे थे मां की मायके से मेरे पापा सरकारी नौकरी में है ।
मेरी माँ की हाईट 5 फुट 4 इंच है, उस टाईम उनकी उम्र करीब 40 साल थी, उनका वजन नॉर्मल था, ना ज़्यादा ना कम, उनका पेट हल्की उभरी हुई और उनकी टाँगें एकदम गोरी, चिकनी, गदराई हुई थी. उनकी पतली लंबी गर्दन जो कि पीछे से काफ़ी सेक्सी लगती है और बड़ी-बड़ी भूरी आँखे जो कि लोगों को बुलावा देती है. वो दिखने में काफ़ी गोरी है . उनके चूतड़ भरे हुए और मोटे है जो कि उनके शरीर पर चार चाँद लगा देते है और काफ़ी देखने वाले उनके चूतड़ो को देखकर पागल हो चुके है.
में तब सिर्फ 19 का था पूरा जोशीला जवान घर की रिश्तेदार की औरतों पर बुरी नजर रखता था । पर नज़र ही रखता था और मूठ मारता था या चुपके से मोबाइल से फोटो वीडियो लेता था इससे आगे मेरी हिम्मत नही थी ।
दोपहर 3 बजे की ट्रेन थी लेकिन ट्रेन आधा घंटा लेट था और हम पोहोचे थे 2:45 को । हमने दो टिकट ली और बेंच पर बैठ अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगा । बोहोत ही छोटा सा स्टेशन था एक ही प्लैटफ्रोम था । गर्मी का मौसम था कही कोई पंखा भी नहीं था मां अपनी पल्लू से खुद को हवा दे रही थी । में अपने मोबाइल में ऐसे ही टाइम पास कर रहा था । मां ने उस दिन लाल सारी मैचिंग ब्लाउज पहनी थी। स्टेशन पर लोग भी कम थे एक्का दुक्का लोग । मम्फली बेचने वाला ना कोई पानी बेचने वाला कोई था जो भी खरदारी करना था सब स्टेशन के बाहर दुकानों में ।
कुछ देर बैठने के बाद मैने देखा की हमारे बेंच के पीछे एक आदमी खड़ा हे जिसकी उम्र परिपक्क था 30, 35 का लग रहा था और काफी लंबे चौड़े 6 फूट का था । मैने पहले इतना ध्यान नही दिया लेकिन मुझे लगा वो थोड़ा पास आया हे तो मैंने थोड़ा मुंह घुमा के उसे देखा तो पाया की वो बिल्कुल मां के पीछे खड़ा हे । मैने उसपे ध्यान दिया वो एक ब्लैक कलर की चार्ट और ब्लू जींस पहन रखा । गोरा चिट्ठा आदमी था और उंगलियों में अंगूठी गोले में सोने की चैन लेकिन चेहरा खरूज गुस्सैल परूप का लग रहा था । मैने उसे जानने नही दिया की में उसे देख रहा हूं या मेरा ध्यान उसपे हे में मोबाइल में व्यस्त हूं ऐसा जताया।
बारीक से ध्यान देने पर पता चला साला कनीना मेरी मां को काम वासना की नजरों से घूरे जा रहा है । मेरी मां टांगे बेंच के ऊपर कर के घुटने मोड़ के एक घुटने पर कोहनी रख के हाथ पर अपना मुंह रख के दूसरे हाथ से पल्लू की एक चीरे से हवा लगा रही थी । ये देख के मेरी अंदर भी जोश बढ़ने लगा जवानी का मुझे भी अच्छा लग रहा था एक गैर मर्द मेरी मां को हवास की नजर से देख रहा हे। मां पीठ टीका के नही बैठी तो उनकी पीठ वो आदमी देख रहा होगा वैसे क्या देख रहा था ये तो वोही जाने। पर मां की पीठ और कमर पर पसीने की बूंदे थी जिसे देख कर मेरा ही मन हो रहा था की में ही मां की जिस्म की पसीने चाट जाऊं। उनकी ब्लाउज कुछ कुछ जगह पर भीग गई जो बोहोत कामुक लग रही थी ।
लगभग 10 मिनिट से वो आदमी मां के पीछे खड़े हो कर देख रहा था।
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