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दोस्तो, जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया तो मेरी उम्र लगभग 19 साल से थोड़ा ज्यादा थी।
मैं हॉस्टल में रहती थी और मेरी रूम पार्टनर शिवानी नाम की एक लड़की थी।


हम दोनों ने जवानी में नया नया कदम रखा था और इसी वजह से दोनों की चूत में खुजली ज्यादा होने लगी थी।


हॉस्टल में रहकर हम लोग नंगे चित्रों वाली किताबों को पढ़ने में रुचि लेने लगी।


बाद में धीरे-धीरे मेरे और शिवानी के मध्य लैसबियन रिलेशन भी बन गए।
हम दोनों एक दूसरी की चूत में उंगली करती थी और एक दूसरी के स्तनों को चूसती भी थी।
हम दोनों को अब अपनी चूत में लंड लेने की बहुत इच्छा होने लगी थी।


तभी सर्दियों की छुट्टियों में मैं घर आई।


पिछले काफी दिनों से मैंने अपने अंडर आर्म और चूत के बाल नहीं हटाए थे।


एक दिन मेरे घर से सभी लोग दो दिन के लिए बाहर गए थे तो मैंने सोचा क्यों ना मैं अकेले में इस काम को अंजाम दे दूं।


मुझे बाजार से कुछ दूसरे सामान भी खरीदने थे. अतः मैं अपनी स्कूटी लेकर बाजार गई तथा सभी सामानों की खरीदी के बाद एक जनरल स्टोर पर आई।


यह जनरल स्टोर हमारे बिल्कुल पास में रहने वाले एक अंकल का था.
लेकिन अभी काउंटर पर उनका नहीं उनका बेटा जतिन बैठा हुआ था।


मुझे देखकर वह मुस्कुराया और बोला- नमस्ते डॉली! आपको क्या चाहिए?
“भैया, मुझे एक लेडी शेव रेजर चाहिए!” मैंने जतिन के नमस्ते का जवाब देते हुए कहा।


जतिन ने दुकान में देखा तो पाया कि ‘लेडी शेव रेजर’ उसके पास खत्म हो गया है।
उसने मुझसे कहा- डॉली, अभी तो मेरे पास नहीं है दो-तीन दिन में मंगवा कर दे दूं तो चलेगा?


“भैया अभी घर में कोई नहीं है, इसलिए मैं चाह रही थी कि आज शेविंग निपटा देती हूं। चलिए कोई बात नहीं मैं बाजार जा कर कहीं और से खरीद लेती हूं।” मैं बिना सोचे समझे अपनी धुन में बोलती चली गई।


“अरे इतने से काम के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। तुम घर चलो मैं थोड़ी देर में मंगवा कर खुद तुम्हें घर पर दे दूंगा।” जतिन ने मुझे समझा कर घर भेज दिया।


जतिन की बात मानकर मैं घर पर आ गई और अपने लिए खाना बनाने के बाद मैंने सोचा कि नहा कर शेव करना ठीक रहेगा क्योंकि त्वचा और बाल दोनों ही नर्म होने के कारण अच्छी तरह से शेव करते बनता है।


जब मैं नहा कर वॉशरूम से बाहर आई तो मैंने देखा कि मेन डोर कॉल बेल कोई बजा रहा है।
इस वक्त मैंने एक बिना बाहों का गाउन पहना हुआ था।


मैंने दरवाजा खोला तो जतिन खड़ा था.
उसने मुझे लेडी शेव रेजर दिया।


मैंने जतिन को धन्यवाद दिया और उससे रुकने को कहा ताकि मैं पैसे अंदर से लाकर उसे दे सकूं।


जतिन ने मुझसे एक गिलास पानी मांगा तो मैंने उससे घर में आकर बैठने के लिए कहा और मैं पानी और पैसे लेने के लिए अंदर चली गई।


पानी देकर जब मैंने जतिन को पैसे देने चाहे तो उसने मना करते हुए कहा- इस प्रकार के आइटम के लिए तो पैसा मत दिया करो। अगर और भी किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे जरूर याद करना।


“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने मेरी बहुत बड़ी समस्या को हल कर दिया।” मैंने जतिन को धन्यवाद देते हुए कहा।


“अगर किसी नाजुक जगह के बाल निकालने हो तो थोड़ा सावधानी के साथ निकालना, नहीं तो त्वचा पर कट लग जाता है रेज़र से! तुम शेव करने से पहले शेविंग क्रीम लगाकर ब्रश से झाग बना लेना उसके बाद शेव करना। अगर मेरी मदद चाहिए तो मैं कर दूं क्या?” जतिन ने शरारत से मुस्कुरा कर कहा।


“नहीं नहीं … मैं खुद कर लूंगी; अब तुम जाओ।” मैंने जतिन से कहा।


“तो शर्मा क्यों रही हो यार? अगर मैं अच्छी तरह से शेव कर दूंगा तो तुम्हारे बॉयफ्रेंड को देखकर बहुत अच्छा लगेगा।” जतिन जाने के लिए उठ खड़ा हुआ और मुझसे बोला।


“इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन वैसे भी मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।” मैंने जतिन को लगभग धकेलते हुए कहा।


“अगर सच मैं तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तो अच्छे से शेव कर लो, तुम्हें अच्छा बॉयफ्रेंड मिल जाएगा। मेरी मानो तो मुझसे शेविंग का सही तरीका एक बात जान लो. फिर हमेशा चिकनी बनकर घूमते रहना।” जतिन ने मुझे छेड़ने के मूड में कहा।


जतिन की दलील सुनकर मेरा मन भी अंदर से कुछ डांवाडोल सा होने लगा।
उसकी दलीलों से मेरा इतना ब्रेन-वॉश सा हो गया कि मुझे भी ऐसा लगने लगा कि मेरी शेव अच्छे से ही होनी चाहिए।


मैंने मन ही मन सोचा कि अगर मैं जतिन को अपनी अंडर आर्म्स सेव करने के लिए अनुमति दे देती हूं तो बाद में मैं शेविंग के सही तरीके को जानकर अपनी चूत को स्वयं शेव कर लूंगी।


हिम्मत करके मैंने जतिन को बोला- भैया, अगर आप ठीक समझो तो मेरी अंडर आर्म्स के बाल शेव करके आप सही तरीका बता दीजिए। बाकी जगह मैं खुद कर लूंगी।


मेरी बात सुनकर जतिन मन ही मन बहुत खुश हो गया और उसने बोला- बिल्कुल ठीक डॉली। तुम अगर रेडी हो तो मैं अभी शेव किए देता हूं। तुम इंतजार करो मैं घर से शेविंग ब्रश और क्रीम लेकर आता हूं।


यह बोलकर जतिन अपने घर गया और तुरंत शेविंग क्रीम और ब्रश लेकर वापस आ गया।


जतिन ने मुझे एक स्टूल पर बैठने के लिए कहा और उसके कहे अनुसार मैं स्टूल पर बैठ गई।


मैंने स्लीवलैस गाउन पहन रखा था इसलिए मेरी अंडर आर्म्स को और ज्यादा एक्सपोज़ करने की जरूरत नहीं थी।


जतिन ने पहले मेरी दाहिने हाथ को ऊपर कर मेरी अंडर आर्म पर शेविंग क्रीम लगा कर ब्रश से झाग बना कर त्वचा को मुलायम बना दिया.


इसके बाद लेडीज रेजर की सहायता से अंडर आर्म के सारे बाल शेव कर दिए।
यही प्रक्रिया उसने मेरी बांयी अंडर आर्म के लिए भी दोहराई।


इसके बाद उसने गीले कपड़े से मेरी अंडर आर्म को पौंछ कर साफ कर दिया।
इसके बाद जतिन मुझसे बोला- डॉली अब देख, तेरी अंडर आर्म चिकनी और साफ होकर कितनी सुंदर लग रही है।


मैंने ड्रेसिंग टेबल के आईने में अपनी आर्म ऊपर करके देखा।
वाकयी मेरी दोनों बगलें चिकनी होकर बहुत सुंदर लग रही थी।


जतिन ने थोड़ा बॉडी लोशन ले कर मेरी अंडर आर्म्स पर लगा कर मालिश कर दी।
तब मैंने खुश होकर जतिन को धन्यवाद दिया।


मैंने जतिन को बोला- तुम बैठो। मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना कर लाती हूं।
“उधर की शेविंग भी कर दूं फिर तुम एक साथ ही मुझे कॉफी पिलाना!” जतिन मेरी टांगों की ओर इशारा करते हुए बोला।


“बेशर्म! बाकी जगह की शेविंग मैं खुद करूंगी।” मैंने हंसते हुए जतिन को मना किया और कॉफी बना कर ले आई।


कॉफी पीते हुए जतिन ने मुझे फिर से समझाया कि उस जगह की शेविंग काफी सावधानी से की जाती है. नहीं तो त्वचा में कट लग जाते हैं।
उसने मुझसे बार-बार बोला कि वह पूरी सावधानी के साथ मेरी झांटों की शेविंग अच्छे से कर देगा।


जतिन ने अपनी बातों और दलीलों से मुझे कुछ इस कदर सम्मोहित कर लिया कि मैं अपनी चूत की शेविंग उससे कराने के लिए तैयार हो गई।


जैसे ही मैंने हामी भरकर अपनी सहमति प्रदान की, जतिन के मुंह पर मानो एवरेस्ट फतह की खुशी छा गई।


कॉफी पीने के बाद जतिन ने मुझसे एक पुराना तौलिया लिया और उसे बेड पर बिछा दिया।
जतिन के निर्देश के अनुसार मैं बेड पर इस तरह लेट गई कि मेरे नितंब वाला हिस्सा तौलिए पर रहे।


बेड पर चढ़कर जतिन भी मेरे पैरों के पास बैठ गया और उसने धीरे धीरे मेरे गाउन को ऊपर उठाना शुरू किया।
मारे शर्म के मैंने तो अपनी आंखों को अपने हाथ से ढककर बंद कर लिया।


यह देखकर जतिन जोर से हंसने लगा और मुझसे अपनी आंखें खोलने के लिए कहा।
मैंने अपनी आंखें नहीं खोली तो जतिन ने मेरा हाथ मेरी आंखों से हटा दिए और प्यार से मुझसे कहा- इतना शर्माने की जरूरत नहीं है डॉली! बस 15 मिनट में तेरे जंगल का सफाया हो जाएगा।


अब जतिन में मेरा गाउन पूरी तरह से ऊपर उठा दिया।
अंदर मैंने एक सादा पैंटी पहन रखी थी।


जतिन मेरी पैंटी उतारने लगा और उसके अनुरोध पर मैंने अपने नितंब ऊपर की तरफ करके उसे पैंटी उतारने में सहयोग किया।


अब मेरी नंगी चूत जतिन की आंखों के सामने थी और वह मेरी चूत पर घुंघराले काले बालों को देख रहा था।


जब जतिन काफी देर तक मेरी चूत को निहारता रहा तो मैंने उससे कहा- अरे जल्दी करो ना … ऐसे क्या देख रहे हो?


मेरा ऐसा कहने पर जतिन झेंप गया और उसने चूत पर थोड़ा शेविंग क्रीम लगा दी और ब्रश से मेरी चूत के बालों वाले हिस्से में झाग बनाने लगा।


ब्रश के चूत पर स्पर्श होने से मुझे हल्की सी गुदगुदी हो रही थी और ना चाहने के बावजूद मेरे मुंह से ‘आहह हहहह’ की आवाज हल्के हल्के निकलने लगी।


त्वचा मुलायम होने के बाद हल्के हल्के हाथ से जतिन ने मेरी चूत की शेविंग कर दी और उसके बाद मुझे करवट ले कर टांगें चौड़ी करने के लिए कहा।
मैं जतिन के बताये अनुसार करवट लेकर लेट गई।


अब जतिन ने मेरी गुदा पर क्रीम लगाकर गुदा मार्ग के आसपास के बालों को भी शेव करके हटा दिया।


सच पूछो तो इस पूरी क्रिया में जतिन ने अपने आप को कंट्रोल में रखा और मेरी चूत के साथ-साथ मेरी गांड के आसपास के हिस्से के भी बाल निकाल दिए जो मैं स्वयं नहीं निकाल पाती थी।


“सुंदर!” अपना कार्य समाप्त करके मेरी चूत के हिस्से को तौलिये से पौंछते हुए जतिन ने कहा।


“अब नहा कर देख … तू हर जगह से चिकनी और सुंदर लग रही है।” जतिन ने अपने हाथों को धोते हुए कहा।


“बहुत-बहुत धन्यवाद भैया। आप बैठिए मैं अभी नहा कर आई।” मैंने जतिन को मुस्कुराकर कहा और तौलिया लेकर नहाने चली गई।


मैंने नहाते हुए अपने शरीर को अच्छी तरह से देखा वाकई मेरे अंदरूनी हिस्से कोमल तथा सुंदर लग रहे थे।
बाल हट जाने की वजह से मेरी चूत वाकई सुंदर दिख रही थी।


मेरी चूत एक लड़के ने शेव की है यह सोच कर भी मुझे रोमांच हो रहा था।


खैर मैं नहा कर बाहर आई और तौलिए को सूखने के लिए डाला।


अब मैं जतिन के सामने आकर मुस्कुराते हुए बैठ गई।
जतिन भी मुझे देख कर शरारत से मुस्कुरा रहा था।
“कैसा फील हो रहा है?” जतिन ने आंख मार कर पूछा।
“बहुत अच्छा फील हो रहा है भैया!” मैंने सादगी से उत्तर दिया।
“मुझे फिर से एक बार अपनी चूत देखने दे ना!” जतिन ने में अनुनय भरे शब्दों में कहा।


“जरूर देख लो; आखिर तुमने बहुत मेहनत की है इसे चिकनी करने के लिए!” मैंने मुस्कुराकर कहा और अपनी स्कर्ट ऊपर करके पैंटी को थोड़ा सा नीचे खींच कर जतिन को दिखाया।


जतिन ने मुझे पकड़कर सोफा पर बैठा दिया।
खींचकर उसने मेरी पैंटी पूरी उतार दी और प्रशंसा भरी निगाहों से मेरी चूत को देखने लगा।


थोड़ी देर चूत को निहारने के बाद जतिन बोला- बहुत सुंदर लग रही है तेरी चूत। बिल्कुल फिसल पट्टी की तरह चिकनी है।


“धत्!” मैंने शरमा कर कहा और अपनी स्कर्ट नीचे कर ली।
“मुझे एक बार तेरी देसी फ्रेश चुत का चुंबन लेना है।” जतिन की आवाज कुछ कांपने लगी थी।


“छी: ऐसी गंदी बात कर रहे हो। ऐसी गंदी जगह का कोई चुंबन थोड़ी लिया जाता है!” मैंने जतिन को घुड़की देते हुए बोला।


“यार, बहुत सुंदर लग रही है तेरी चूत! एक बार तो चूमने दे ना!”जतिन ने फिर से अनुरोध किया।


मैं चुपचाप खड़ी थी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे इस वक्त क्या करना चाहिए।


इतने में जतिन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे पकड़ कर बेडरूम में ले आया तथा मुझे बिस्तर पर बैठा दिया।
“एक बार मुझे चूमने दे। तुझे भी बहुत मजा आएगा।” जतिन ने मेरी स्कर्ट ऊपर करते हुए कहा।


मैंने जतिन के द्वारा स्कर्ट ऊपर उठाए जाने पर कोई प्रतिरोध नहीं किया।
इससे जतिन ने हिम्मत करके मेरी स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा दिया और मेरी पैंटी को नीचे खींच कर उतार दिया।
मैंने महसूस किया कि मेरी धड़कन अब बढ़ने लगी थी।


मेरी चिकनी नंगी चूत को देखकर जतिन खुश हो गया और उसने मुझे बेड पर लेटा दिया इसके बाद जतिन ने मेरी टांगें थोड़ी चौड़ी कर दी और उसने आहिस्ता अपने होठों को मेरी चूत पर रख दिया।


“उईईई ईईई…” जतिन के होठों के चूत को स्पर्श करते ही मैं चिहुँकने लगी और मैंने अपनी खुली हुई टांगें बंद कर ली।
जतिन का मुंह मेरी दोनों जांघों के बीच में बंद हो गया।


उसने बलपूर्वक मेरी टांगों को फिर से चौड़ा किया और फिर से उसने अपने होठों को मेरी फ्रेश चूत पर रख दिया लेकिन उसने अपने दोनों हाथ मेरी जांघों पर रखें रहे ताकि मैं फिर से अपनी टांगें ना बंद कर सकूं।


अब जतिन नीचे से ऊपर की तरफ मेरी चूत को अपनी जुबान से चाटना शुरू किया।
जतिन की जुबान के स्पर्श से मुझे अंदर में कुछ गुदगुदी सा अहसास होने लगा और चूत के अंदर कुछ रस रिसता हुआ महसूस हुआ।


जैसे-जैसे जतिन ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, मेरा शरीर मानो अपने काबू में ना रहा और मैं भी अपने नितंब नीचे से उछाल उछाल कर जतिन को सहयोग देने लगी।
अपने आप ही मेरे हाथ उंगलियां जतिन के बालों में चलने लगी और मैं उसका सर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी।


मेरे मुंह से जाने क्या क्या अस्फुट से शब्द बड़बड़ाहट के रूप में निकलने लगे।


थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद जतिन ने मेरी चूस तो दोनों तरफ से फैला दिया और मेरे भगांकुर को देखने लगा।


अब उसने मेरी फैली हुई चूत में अपनी जुबान डाल दी और होठों से मेरे भगांकुर को पकड़ लिया और चूसने लगा।


जतिन के इस कृत्य में मुझमें मानो अंदर तक आग लगा दी और मैं मछली की तरह छटपटाने लगी।
मैंने जोर जोर से अपने नितंबों को इधर-उधर तथा ऊपर नीचे जोर जोर से हिला कर उसकी पकड़ से छूटने का प्रयास किया लेकिन जतिन ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था उसने मुझे और सताते हुए मेरी चूत में अंदर तक अपनी जुबान डाल दी।


“आह हम्मह हहह … उईई ईईश्स … मेरे मुंह से सीत्कार फूटने लगे तथा मुझ पर धीरे-धीरे बेशर्मी छाने लगी।
दिमाग यह कह रहा था कि जो हो रहा है वह गलत है लेकिन मन यह चाह रहा था कि कोई मुझे अच्छे से चोद डाले।


तभी अचानक मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरी चूत से काम रस बहने लगा।
मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं झड़ गई हूं।


तभी अचानक जतिन ने अपना मुंह मेरी चूत से हटाया और पूछा- डॉली कैसा लग रहा है?
“मालूम नहीं जतिन … पर अंदर में बहुत गर्मी लग रही है कुछ अजीब अजीब मेरे अंदर हो रहा है।” मैंने हांफते हुए जतिन को जवाब दिया।


मैंने अब यह महसूस किया कि मेरे मुंह से जतिन के लिए ‘भैया’ नहीं निकल रहा था और मैं उसे नाम से पुकारने लगी थी।


“ऐसा इसलिए हो रहा है मेरी प्यारी डॉली, क्योंकि तेरी चूत अब लंड चाह रही है। तुम अगर हां बोलो तो इसे चोद दूं?” जतिन ने मेरी आंखों में झांक कर बोला।
उसकी आंखों में मुझे अपने लिए कामवासना साफ नजर आ रही थी।


“जो करना है करो बस इतना ख्याल रखना कि मुझे गर्भ नहीं ठहरे।” मैंने अपने दिल के हाथों मजबूर होते हुए कहा।


“इसकी फिक्र मत करो डॉली! मैं तुम्हें कंडोम लगाकर चोदूंगा।” जतिन मेरी चूत को सहलाते हुए बोला।


जतिन ने फटाफट अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया।
उसका लंड पूरी तरह खड़ा हुआ था और उसका सुपारा सुर्ख लाल लग रहा था।


जतिन ने अब मेरी स्कर्ट तथा टीशर्ट को पूरा उतार दिया; मुझसे सटकर उसने मेरे अधरों को चूमा और मुझे बांहों में लेकर मेरी ब्रा का हुक भी उसने खोल दिए और ब्रा को उतार कर एक तरफ फेंक दिया।


अब मैं भी पूरी तरह नंगी थी और चुदने के लिए अंदर से तैयार भी।


जतिन मेरे होंठों को चूसता हुआ नीचे उतरने लगा तथा उसने मेरी गर्दन को चूमा तथा इसके बाद वह मेरे स्तनों को सहलाते हुए चूत में लगा।


उसकी काम क्रीड़ा से मेरे अंदर भी ज्वाला प्रचलित होने लगी. मैंने भी उसे बांहों में भर लिया और उसके चुंबन का जवाब उसके बालों में उंगलियां घुमा कर देने लगी।


जब जतिन ने अपनी जुबान मेरी नाभि में डाली तो मैं जैसे कामवश में होकर मदमस्त हो गई।


जतिन ने पूरी मेहनत से मेरे पूरे शरीर को चूमा।


अब जतिन अपने लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया। मेरी दोनों टांगें फैला कर जतिन ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा कर धक्का लगाया.
लेकिन उसके लंड का निशाना चूक गया।


जतिन ने पुनः एक बार फिर से मेरी चूत में डालने का प्रयास किया लेकिन उसका लंड फिर से फिसल कर छेद में नहीं घुस पाया।


अब जतिन ने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रखा और मेरी टांगों को फैला कर मोड़ दिया।
उसके ऐसा करने से मेरी चूत आगे से थोड़ी खुल गई और इस बार जब जब जतिन ने मेरी चूत पर लंड रखकर धक्का लगाया तो उसके लंड का टोपा मेरी टाइट चूत में घुस गया।


लेकिन मुझे थोड़ा दर्द होने लगा इसलिए मैंने जतिन से लंड बाहर निकालने को कहा।


जतिन ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरी चूत में थोड़ा तेल डालकर फिर से अपने लंड को अंदर डाला।


इस बार उसका लंड मेरी चूत में थोड़ा और अंदर तक चला गया और मुझे दर्द भी ज्यादा नहीं हुआ।


जतिन ने हल्के हल्के छह-सात धक्के और मारे तो उसे पूरा लंड मेरी चूत में डालने में सफलता मिल गई।


जब जतिन मेरी चूत में लंड डाल रहा था तब मुझे हल्का सा दर्द जरूर हुआ लेकिन कुल मिलाकर मुझे दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था।


पूरा लंड चूत में घुसाने के बाद जतिन लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा।


दोस्तो, बहुत जल्दी मेरी चूत को भी मजा आने लगा और मैंने अपनी दोनों टांगें जतिन की कमर के इर्द गिर्द लपेट दी और मैं भी नीचे से अपने चूतड़ को उछाल उछाल कर चुदाई का मजा लेने लगी।
जतिन अब पूरा मुझ पर लेट गया और उसने मेरी चुदाई जारी रखी।


कमरे में अब मेरे मुंह से निकलने वाले अस्फुट आह हहहां हम्मह के रूप में सीत्कार और लंड के अंदर बाहर होने से फच फच की आवाज होने लगी।


जतिन का लंड मेरी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. और दोस्तो, मुझे चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि मन कर रहा था कि वह जिंदगी भर मेरी चूत में ऐसे ही फंसाए रखे।
बीच-बीच में मेरा बदन में लगता था और मेरी चूत से मुझे कुछ रिसाव सा महसूस होता था मैं समझ गई कि मैं बार-बार झड़ रही हूं।


थोड़ी देर के बाद जतिन मुझे बहुत तेजी से चोदने लगा और मुंह से अस्पष्ट आवाज निकालते हुए झड़ गया।


मेरे साथ साथ जतिन के भी दिल की धड़कन बहुत तेज धौंकनी की तरह चल रही थी।
जतिन ने मेरी चूत से तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकाला और कंडोम को अपने लंड से हटाया।


जब जतिन ने लंड बाहर निकाला तो उसने देखा कि कंडोम पर कहीं भी मेरी चूत से खून नहीं लगा है जैसा कि पहली चुदाई में सामान्यत: निकलता है।


जतिन ने आश्चर्यचकित होकर मुझसे पूछा- डॉली, तुम पहले भी किसी का लंड ले चुकी हो क्या? तुम्हारी सील पहले से टूट चुकी है क्या?


तब मैंने जतिन को समझाया कि एकांत में कामवश होकर मैंने अपनी चूत में उंगली जरूर डाली है, लेकिन मेरी चूत का लंड से यह पहला साक्षात्कार है। कदाचित मेरी चूत में जब मैं उंगली डालती थी तो उस वजह से मेरी सील टूट गई हो और मुझे पहली चुदाई में होने वाला रक्तस्राव नहीं हुआ।


थोड़ी देर तक जतिन और मैं नंगे एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे।


कुछ समय बाद मुझे सुसु करने की इच्छा हुई। जब वॉशरूम जाकर मैंने सुसु किया तब मैंने यह पाया कि मुझे ढेर सारा मूत्र आया तथा मूत्र विसर्जन के दौरान मेरी चूत से हल्की सी सीटी जैसी आवाज निकल रही थी।


कुछ समय बाद जतिन का लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने एक बार फिर से संभोग की इच्छा जाहिर की।
मेरी चूत को सहला कर उसने फिर से मुझे गर्म किया।


एक बार फिर से मेरी चूत को जतिन के लंड से गर्म गर्म चुदाई का आनंद मिला।


मेरी दो बार चुदाई करके जतिन खुशी-खुशी वापस चला गया।


मेरी चूत में बहुत दिनों से जो लंड के लिए जो खुजली हो रही थी वह फिलहाल शांत हो गई।


जतिन के जाने के बाद मैं तीसरी बार नहाने के लिए गई और पूरे बदन को रगड़ रगड़ कर मैंने साफ किया।
मैंने ऐसा महसूस किया कि मेरे शरीर के अंदर से जतिन के बदन की खुशबू फिर भी आ रही थी।


बाहर आकर मैंने फिर से अपने नंगे बदन को आईने में देखा और मन ही मन अपनी चिकनी चूत को देख कर मुस्कुराने लगी।


चुदाई के बाद मुझे अपना शरीर बहुत हल्का लग रहा था और मैं खुशी खुशी सो गई।


अगले दिन मुझे जतिन ने फिर से चोदा और इसके बाद जब भी मौका मिलता था हम दोनों चुदाई का आनंद लेते थे।


the end
 
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