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मैं अपनी मौसेरी बहन को पसंद करता था. वो भी मुझे दिलोजान से चाहती थी. हम छुप कर मिलते थे. सबके सामने वो मुझे भाईजान कहती थी. अकेले में जान!
 
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मेरा नाम अशफ़ाक कुरैशी है, मेरी उम्र 24 साल की है. मेरा अभी कुछ माह पहले निकाह हुआ है.

मैंने लव मैरीज की है. शनाज़ अब मेरी बीवी शनाज़ है. शनाज़ की उम्र अभी करीब 21 साल है.

शनाज़ मेरी खाला ताहिरा की इकलौती बेटी है. मैं अपनी मौसेरी बहन शनाज़ को पसंद करता था और वो भी मुझे दिलोजान से चाहती थी. हम छुप छुप कर मिला करते थे. सबके सामने वो मुझे भाईजान कहती थी.
शनाज़ की एक गलती की वजह से हम दोनों भाई बहन की मुहब्बत का राज हमारे बड़ों के सामने खुल गया.

शनाज़ की अलमारी में उसकी किताबों के अंदर मेरा लिखा एक ख़त मेरी खाला ताहिरा के हाथ पड़ गया. खाला ने यह बात मेरी अम्मी को बतायी.

हम दोनों की अम्मियों को जब हम दोनों की मुहब्बत की जानकारी हुई तो वे दोनों बहनें गुस्सा होने के बदले बहुत खुश हुई और हम दोनों का निकाह करवा दिया.

ताहिरा खाला की सिर्फ एक बेटी है और मेरी अम्मी की हम दो औलादें हैं मैं और मेरी आपा!

मेरी आपा ज़ोहरा का निकाह 6 साल पहले रफ़ीक़ से हुआ था और आपा अपनी ससुराल वाले घर में रहती है.

ज़ोहरा आपा के शौहर रफ़ीक़ जीजा दुबई में एक बढ़िया नौकरी कर रहे थे. रफ़ीक़ जीजू को साल में सिर्फ दो बार आठ आठ दिन की छुट्टी मिलती थी घर आने के लिए. वे ये छुट्टियां अपनी बीवी और मेरी बहन के साथ बिताने भारत आते थे.

रफ़ीक़ जीजू की अच्छी नौकरी की वज़ह से अब्बू ने उनके साथ ज़ोहरा आपा का निकाह करवा दिया था. ज़ोहरा से रफ़ीक़ जीजू उम्र में करीब नौ साल बड़े थे. इस वक़्त ज़ोहरा 24 साल की है और जीजू करीब 33 साल के … ज़ोहरा आपा के निकाह के 6 साल बाद भी अभी तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी.

नामालूम क्यों? लेकिन मुझे तो लगता है कि जीजू और आपा की उम्र में एक तो नौ साल का फर्क … और दूसरे कि रफ़ीक़ जीजू सिर्फ एक हफ्ते की छुट्टी पर आते हैं तो इतने में दोनों में कितना सेक्स हो पता होगा कि मेरी ज़ोहरा आपा के पेट में जीजू का बच्चा आये.

यह मेरी निजी सोच थी. असलियत का मुझे कुछ नहीं पता.
ज़ोहरा आपा की इस हालत के लिए अम्मी अब्बू को ही जिम्मेदार मानती थी और अम्मी अब्बू के बीच अक्सर लड़ाई रहती थी.

लेकिन मेरे निकाह के बाद अब घर में फिर खुशियान बरसने लगी. अब ज़ोहरा आपा को लेकर अम्मी और अब्बू के बीच घर में झगड़ा नहीं होता था. पर तब भी जब कभी ज़ोहरा आपा अपनी ससुराल से कभी हमारे घर आती तो वे अम्मी से अपने अकेलेपन और बेऔलाद होने का दुखड़ा रोटी तो अब्बू और अम्मी के बीच फिर से कहासुनी शुरु हो जाती थी.

शनाज़ और मेरी सेक्स लाइफ काफी मजेदार थी, हम दोनों भाई बहन जो अब शौहर और बीवी हो चुके थे, ज़ोरदार चुदाई करते हैं. मैं रोज रात को अपनी बीवी को 2 बार चोदता था. उसे भी चुदाई का बहुत शौक था तो वो भी जब भी मौके मिले मेरा लंड पकड़ लेती थी और दिन में भी चुद लेती थी. लेकिन इतनी चुदाई होने के बावजूद पिछले 6 महीने से शनाज़ गर्भवती नहीं हुई थी.

अब आहिस्ते आहिस्ते घर में सभी लोगों के मन में डर होने लगा कि कहीं हम दोनों भाई बहन के ऊपर कुछ ऐसा है कि हम बेऔलाद ही रहेंगे.

पर असलियत कुछ और ही थी. वो ये कि फिलहाल शनाज़ गर्भवती होने नहीं चाह रही थी. इसलिये शनाज़ अपनी सुरक्षा खुद कर रही थी. मतलब शनाज़ हर महीने गर्भ से होती थी पर वो गर्भपात की गोली खाकर अपना पीरियड चालू कर रही थी.

एक दिन ज़ोहरा आपा ने शनाज़ को गर्भपात वाली गोली खाते हुए देख लिया.

लेकिन ज़ोहरा आपा को शनाज़ ने कहा- आपा … असल अशफ़ाक भाईजान …

तब ज़ोहरा ने हंस कर शनाज़ की गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा- बेशर्म लड़की … अशफ़ाक अब तेरा शौहर है.
शनाज़ हंस कर बोली- सॉरी आपा … बचपन से ही उन्हें भाईजान कहने की आदत है ना!
ज़ोहरा हंस कर- हाँ बोल … तू कुछ बोलने वाली थी?

शनाज़- अशफ़ाक भाई जान … ओ सॉरी … अशफ़ाक रोज रात बिना किसी एहतियात के मेरे साथ हमबिस्तर होते हैं. पर मुझे अभी कोई बच्चा नहीं चाहिए.. इसलिये मैं किसी को बिना बताए ये गोली लेती हूँ.

फिर ज़ोहरा अपने ससुराल चली गई. ज़ोहरा आपा की ससुराल हमारे घर से सिर्फ 10 मील दूर है.

कुछ वक्त बाद अचानक ज़ोहरा आपा और उसकी सास अम्मी हमारे घर आई. तब पता चला कि रफ़ीक़ जीजू एक माह बाद हिन्दुस्तान आने वाले हैं.

किसी बूढ़ी औरत के कहने पर ज़ोहरा आपा को उस की सास हमारे घर पर छोड़ गई थी. बूढ़ी औरत ने कोई तावीज आपा को बांधा था और एक मजार पर किसी पीर औलिया की सेवा करने को कहा था. ऐसा करने से ज़ोहरा आपा का बांझपन खत्म हो जायेगा.

और संयोग से वह मजार हमारे ही गांव के पास कोई एक मील की दूरी पर है.

कुछ दिन हररोज़ सुबह सवेरे मजार पर जाकर सेवा करने और दुआ करने से ज़ोहरा आपा अम्मी बन जाएगी. यह उस बूढ़ी औरत का दावा था. ज़ोहरा आपा की सास के आगे मेरी अम्मी भीगी बिल्ली थी. आखिरकार जवांई की अम्मी थी.

ज़ोहरा आपा और शनाज़ के बीच काफी अच्छी दोस्ती है, दोनों की शुरू से ही खूब जमती थी. और तो और मौसेरी बहनें होने के कारण शनाज़ और ज़ोहरा आपा की शक्ल और कदकाठी काफी मिलती जुलती है.

अब जब से ज़ोहरा आपा घर रहने आई तो तब से शनाज़ मेरे हत्थे नहीं चढ़ती थी. शनाज़ मेरे साथ चुदाई करने से दूर भाग रही थी क्योंकि ज़ोहरा आपा ने आते ही शनाज़ की गर्भपात वाली गोली को बंद करा दिया था. आपा ने सारी गोलियां शनाज़ से लेकर फेंक दी और उसको डांटा कि वो गोली क्यों खा रही है, सब घर वाले तो शनाज के पैर भारी होने का इन्तजार कर रहे हैं.

अब शनाज़ के पास गोली नहीं थी और वो अभी औलाद के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी तो इसलिये शनाज़ मुझसे चुदाई नहीं करवा रही थी. शनाज़ जान बूझकर सारा दिन अम्मी और आपा के साथ रहती थी और रात को ज़ोहरा आपा को बुला कर मेरे बेडरूम में सुला लेती थी. इससे मुझे मजबूरन हाल में सोना पड़ता.

इस तरह कुछ दिन बीत गये. भला मैं कैसे मेरे लन्ड को शांत करूँ? और मैं मुठ मार कर अपनी सेहत को खराब करना नहीं चाहता था.

अब मैं आप सभी पाठकों को मेरे लंड के बारे में बता दूँ. मेरा लंड 8″ लम्बा है और मोटाई तो … मेरी बीवी की कलाई जितना होगा. मेरा ताकतवर लंड की ताकत तो केवल मेरी बीवी शनाज़ की चूत बता सकती है. निकाह के बाद दो हफ्ते तक शनाज़ ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.

पर कुछ ही दिनों में शनाज़ की जवान चूत को रात में दो दो बार चोद चोद कर मैंने उसे मेरा लंड सहने काबिल बना दिया था. अब तो शनाज़ खूब मजे से मेरा लंड अपनी चूत में खा लेती है.

तो अचानक से बीवी की चूत चुदाई ना मिल पाने से मैं उससे नाराज हो गया और शनाज़ से बात करनी बंद कर दी.

मेरे इस बर्ताव से शनाज़ को महसूस हुआ कि वह गलत कर रही है. उसने अपनी गलती मान ली.

जोहरा आपा को लेकर हम सब हमारे गांव के पास मौजूद मज़ार पर गए और वहां के सेवादार को अपनी तकलीफ के बारे में बताया.
सेवादार ने हम सब को जोहरा आपा के लिए दुआ मांगने को कहा.

तो अम्मी और आपा दोनों ने अपनी झोली फैला कर मजार में औलाद के लिए दुआ मांगी. वे दोनों रो रही थी, गिड़गिड़ा रही कि हे मौला एक औलाद दे दे.

माँ और आपा को इस तरह औलाद के लिए तड़पती देख मेरी बीवी शनाज़ भी अंदर तक हिल गयी कि ये औलाद के लिए कितनी बेचैन हैं और मैं औलाद को रोक रही हूँ.

शनाज़ मेरे पास ही खड़ी थी, उसमे मेरे सामने अपनी गलती कबूल की और मजार में माफी मांगी कि जवानी के मजे लूटने के लिए मैं गोली खा रही थी.
उसने आगे से गोली खाने से तौबा की और जल्दी से जल्दी औलाद का सुख पाने के लिए तैयार हो गयी.

मैंने उसे ताना मारा- आपने शौहर से दूर रह कर कहाँ से औलाद लाएगी?

तब शनाज़ ने शर्मा कर मुझे कहा- आज से आपको शिकायत का मौक़ा नहीं मिलेगा.

मज़ार के सेवादार ने ज़ोहरा आपा को प्रसाद दिया- चिंता मत कर बेटी, इस जगह से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. मुझे यकीन है कि बहुत जल्दी तेरी कोख भरेगी.
फिर हम सब लोग अपने घर लौट कर आ गए.

हम सब मज़ार तक पैदल गए थे तो हम सब थक गए थे. पर मेरा बदमाश लंड मेरी बीवी शनाज़ की बात सुन कर तभी से ठुमक रहा था और उसकी चूत में घुसने के लिए मचल रहा था.

शनाज़ की नजर जब मेरी पैन्ट में खड़े लंड पर पड़ी तो वो मेरे पास आई और फुसफुसा कर बोली- आप रात होने का इन्तजार करो.

जब रात को खाना खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए हमारे कमरे में गए तब देखा कि ज़ोहरा आपा हमारे बिस्तर पर पहले ही सो चुकी थी.
ज़ोहरा आपा को देख मेरा दिमाग खराब होने लगा कि आज भी चूत नहीं मिलेगी शायद.
मैं गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकल गया.

मेरी बीवी शनाज़ मेरे पीछे पीछे भागती हुई आई.
मैं उससे गुस्से में बोला- शनाज़, तू चली जा मेरे सामने से! टू मेरा ज़रा भी ख्याल नहीं रखती.
शनाज़ मेरे चेहरे को चूमती हुई बोली- नाराज़ हो मेरे सरताज?

मैं दुखी होकर बोला- बेगम साहिबा, पूरे एक हफ्ते से मेरा लंड फटने को हो रहा है.
शनाज़ बोली- मैं समझती हूँ सरकार … आप यही हाल में लेट जाएँ, मैं कुछ देर के बाद आपके पास आती हूँ. हम आज हाल में ही करेंगे.

मैं- यार शनाज़ … तुम पागल हो क्या? इस खुले हाल में हम दोनों नंगे हो कर सेक्स करेंगे? कोई आ गया तो इज़्ज़त का कचरा हो जाएगा.
तो शनाज़ बोली- फिर आप हमारे कमरे में ही चलिए. आज हम कमरे में सोफे के ऊपर सेक्स करेंगे.
मैं तकलीफ भरी आवाज़ में बोला- लेकिन अंदर तो आपा सोई हैं, अगर आपा जाग गयी गई तो?

शनाज़ बोली- कमरे में बिल्कुल अंधेरा है. तो हम बिना शोर के अपना काम कर लेंगे. वैसे भी हम कुछ नाजायज तो कर नहीं रहे … अगर आपा जाग भी गयी तो हमने सेक्स करते देख खुद शर्मा कर बाहर चली जायेंगी और इसका एक और फ़ायदा यह होगा कि वो कल से हमारे कमरे में नहीं सोयेंगी.

लेकिन मैं बोला- मैं थोड़ी देर के बाद आऊंगा. फिर देखेंगे.

कुछ देर के बाद मैं अपने कमरे में गया यह सोच कर कि मेरी सेक्सी बीवी शनाज़ अंदर सोफे पर लेटी मेरा और मेरे बड़े मोटे लंड का इन्तजार कर रही होगी.

कमरे में एकदम अंधेरा था. मैं बिना सोचे समझे सीधा सोफे पर जाकर अपनी बीवी शनाज़ की बगल में बैठ गया.

शनाज़ रात को बिना चड्डी के सोती है. मैंने सीधे अपना हाथ शनाज़ की झांट भरी चूत पर रख दिया. वो गहरी नींद में सोई थी और मैं अपनी बीवी शनाज़ की चूत को सहला रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं अपने चेहरे को शनाज़ की चूत के पास ले गया.

शनाज़ की चुत की खुशबू मुझे कुछ अलग सी लगी पर मैंने सोचा कि बिना चुदाई के शनाज़ की चूत की खुशबू बदल गई है.

चुत की खुशबू से मेरा पहले से ही खड़ा लंड अब विकराल रूप धारण करने लगा. मैंने वासना के जोश में एक उंगली अपनी बीवी की चूत में घुसा दी.

जैसे ही उंगली चूत के अंदर गयी, वैसे ही शनाज़ की नींद खुल गई.
 
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पहले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी बड़ी बहन के निकाह को 6 साल हो चुके थे और उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी. मेरा निकाह मेरी खाला की बेटी से हुआ था और मैं अपनी बीवी शनाज़ की गर्म चूत के मजे ले रहा था. आपा हमारे घर आई हुई थी तो मुझे अपनी बीवी की चूत चुदाई का मौक़ा नहीं मिल रहा था तो मैं बहुत बेचैन था.

एक रात मेरी बीवी ने चुदाई का प्रोग्राम बनाया लेकिन उस रात भी आपा हमारे बिस्तर पर सो गयी तो हमने सोफे पर चुदाई करने का तय किया.

मैं सोफे पर सोई अपनी बीवी की चूत में उंगली कर रहा था कि तभी वो जाग गयी.

अब सुनें कि असल में उस रात अब तक क्या हुआ था. ये सब बाद में मेरी बीवी शनाज़ ने मुझे बताया था.
हॉल में मेरे से बात करके शनाज़ थोड़ा दुखी सी होकर चली गई कि उसे मेरी इच्छा पूरी करने में दिक्कत हो रही है. वो सोफे पर ना लेट कर जाकर बिस्तर पर ज़ोहरा आपा की बगल में लेट गई.

थोड़ी देर में ही शनाज़ को नींद आ गई क्योंकि दिन भर की दौड़धूप से वह थकी हुई थी.

सोते सोते ज़ोहरा आपा को पेशाब की हाजत हुयी तो वो उठ कर टॉयलेट जाकर नींद में वहीं सोफे के ऊपर सो गई. पता नहीं वो सोफे पर क्यों सोयी? शायद आपा ने सोचा होगा कि बेड पर उनका भाई यानि मैं सो जाऊँगा.

तो अब आप समझे कि जिस लड़की की चूत में मैंने उंगली घुसाई वो मेरी बीवी शनाज़ नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन जोहरा थी. लेकिन मैं इस बात से एकदम अनजान अपनी आपा की चूत में अपनी बीवी की चूत समझ कर उंगली कर रहा था.

पर ज़ोहरा आपा कुछ समझ नहीं पाई. शायद ज़ोहरा आपा तब सुबह मजार वाली घटना को सपने में देख रही थी. मजार का वो सेवादार ज़ोहरा के लिए गर्भवती होने की दुआ कर रहा था.
तभी अचानक चूत में उंगली से ज़ोहरा की नींद खुल गई.

ज़ोहरा ने कुछ नींद और कुछ होश में सोचा कि शायद यह मजार पर दुआ करने के कारण हो रहा है. शायद ऊपर वाले मुझे औलाद देने के लिए आधी रात में मेरे पास फ़रिश्ते भेजे हैं.

इधर मैं अपनी उंगली से ज़ोहरा आपा की कसी चूत महसूस करके अपने मन में सोचने लगा कि पांच सात दिन शनाज़ की चुदाई नहीं हुई तो मेरी बीवी की चूत तो कुंवारी लड़की की चूत की तरह से टाइट हो गई.

इतना सोचकर मैं फटाक से ज़ोहरा आपा की चूत को अपनी बीवी शनाज़ की चूत समझ कर चूमने लगा. मैं अपनी आपा की चूत ऐसे चाटने लगा जैसे प्यासा कुत्ता अपनी जीभ से लपर लपर पानी पीता है.

उधर ज़ोहरा अपना ने कभी भी अपनी चूत अपने शौहर रफ़ीक़ से नहीं चुसवाई थी. लंड चूसना या चूत चाटना रफ़ीक़ को नापसंद था. ज़ोहरा को भी ये सब ओरल सेक्स गन्दा ही लगता था क्योंकि उसने कभी इसका मजा लिया ही नहीं था.

पर अभी मैं रात में आपा की चूत की चुसाई कर रहा था तो इससे ज़ोहरा को इतना मजा मिल रहा था कि वो मजे से पागल हो रही थी. पर वो सोच रही थी कि ऊपर वाले के भेजे हुए फ़रिश्ते यह काम कर रहे हैं तभी उसे इतना मजा आ रहा है.

ज़ोहरा तो जैसे ज़न्नत में थी. ज़ोहरा अपने मन में अपने छोटे भाई अशफ़ाक को फ़रिश्ता समझ रही थी.

मेरी बड़ी बहन ने सेक्स के मजे में पागल होकर एकदम से मेरा मोटा और आठ इंच लम्बा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया.

ज़ोहरा अपने मन में हैरान परेशान सी सोच रही थी कि इतना बड़ा लंड इस दुनिया में किसी इंसान का नहीं हो सकता. इस लंड के सामने मेरे शौहर रफ़ीक़ का लंड तो छोटा चूहा है. यह ज़रूर ऊपर वाले का भेजा फ़रिश्ता ही है जो मेरी चूत चोद कर मुझे औलाद देने आया है.

यह सोच कर ज़ोहरा भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

इधर मैं सोच रहा था कि मेरी बीवी शनाज़ तो बहुत अच्छे से मेरा लंड चूसती है. पर आज शनाज़ ऐसे अनाड़ी जैसे लंड क्यों चूस रही है?

मुझे लंड चुसवाने में मजा नहीं आया तो मैंने अपनी ज़ोहरा आपा के मुँह से अपना लंड निकाला और लंड को सीधा ज़ोहरा आपा की चूत की दरार के बीच में टिका दिया.

ज़ोहरा कुछ समझ पाती, उससे पहले मेरा लंड ज़ोहरा आपा की चूत को फाड़ कर 3 इंच तक अंदर घुस चुका था. ज़ोहरा आपा को तेज दर्द हुआ. ज़ोहरा की चूत ने कभी इतना मोटा लंड नहीं लिया था शायद.

इधर ज़ोहरा फ़रिश्ते का लंड समझ कर अपनी चूत में हुए दर्द को सहने की कोशिश करने लगी.

मैं तो यही समझ रहा था कि कुछ दिन चुदाई ना होने से मेरी बीवी की चूत कस गयी है.

मैंने बिना वक्त खोये दूसरा धक्का आपा की चूत में लगा दिया. आपा की चीख निकलने को थी पर उन्होंने खुद को रोका कि चीखने से फ़रिश्ते के काम में खलल होगा.

इधर मैंने सोचा कि मेरी बीवी की चूत को तो मेरे लंड की आदत है, ये मेरा लंड आसानी से सह गयी है.

फिर मैंने तीसरा धक्का आपा की चूत में मारा और इस करारे झटके से मेरा लंड पूरा जड़ तक आपा की कम चुदी चूत में घुस गया.

जैसे ही मेरे लंड का मोटा सुपारा आपा की बच्चेदानी में घुसा, वैसे ही मेरी बड़ी बहन की आंखें दर्द के मारे फटने का हो गयी.
ज़ोहरा आपा की सांसें जैसे कुछ देर के लिए थम सी गयी थी.

मैं भी शनाज़ समझ कर ज़ोहरा आपा की चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर आपा की जवान चिकनी नर्म चूची का रस पीने लगा.

अब मैंने बिना रुके ज़ोहरा आपा को शनाज़ समझ कर पूरे जोर शोर से चोदना शुरू कर दिया.

मेरे खतरनाक लंड को ज़ोहरा आपा बड़ी मुश्किल से झेल रही थी. पर कुछ ही वक्त बाद ज़ोहरा को भी इस फ़रिश्ते की चुदाई में पूरा मज़ा आने लगा.

रात के अंधेरे में मैं अपनी आपा को अपनी बीवी शनाज़ समझ कर पूरे दम खम से चुदाई करता रहा. इस बीच मेरी बड़ी बहन एक बार झड़ गयी थी.

फिर मैंने ज़ोहरा के दोनों पैर अपने कंधों के ऊपर किया और फिर से आपा की चूत में जोर जोर से झटके लगाने लगा. पिछले एक हफ्ते से मैंने चुदाई नहीं की थी तो मुझे पूरा जोश चढ़ा हुआ था.

थोड़ी देर बाद मैंने ज़ोहरा आपा को खींचकर अपनी छाती से लगाया और अपने मोटे लंड को बहन की बच्चेदानी में घुसाकर मनी की पिचकारियाँ मारने लगा.

एक के बाद दूसरी लंबी पिचकारी से ज़ोहरा आपा की जवान बच्चेदानी का घड़ा उनके छोटे भाई की सफेद मलाई से भरने लगा.
जब मेरा पूरा रस आपा के गर्भ में समा गया तो मैंने आपा के गर्म जिस्म को अपनी गिरफ्त से आजाद किया. मैं खुद आपा के ऊपर लेट गया और अपनी सांसें संभालने लगा.

मेरा लम्बा मोटा लंड जो कुछ देर पहले शेर की तरह दहाड़ रहा था, अब मुर्दा सा होकर, सिकुड़ कर आपा की चूत से बाहर आ गया.

जैसे ही मैं उठ कर जाने को खड़ा हुआ, वैसे ही ज़ोहरा ने मुझे फ़रिश्ता समझकर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर रोक लिया.

मैं समझा कि अभी मेरी बीवी शनाज़ का मन चुदाई से पूरा भरा नहीं है. मैं भी रुक गया.
फिर उस रात मैंने 3 बार ज़ोहरा आपा को अपनी बीवी शनाज़ समझ कर उनकी बच्चेदानी में अपना माल डाला. फिर मैं उन्हें ऐसी ही छोड़कर हॉल में आकर सो गया.

सुबह मैं थोड़ा देरी से उठा, शनाज़ घर के काम में लगी हुई थी. ज़ोहरा आपा बाहर बरामदे में आराम कुर्सी पर आँखें बंद करके ध्यान मग्न थी.

शायद ज़ोहरा सोफे पर पिछली रात की फ़रिश्ते के साथ हुई घमासान चुदाई के बारे में आंखें बंद करके सोच रही थी. मेरी बड़ी बहन ज़ोहरा को पूरा यकीन था कि पिछली रात ऊपर वाले के कहने पर कोई फ़रिश्ता आकर उसे चोदकर गया है. आपा के दिमाग में वो लम्बा मोटा लंड घूम रहा होगा.

ज़ोहरा के निकाह के बाद पिछले 6 साल में वो बीसियों बार अपने शौहर रफ़ीक़ के लंड का रस अपनी बच्चेदानी में ले चुकी थी. पर बीती रात जो गर्मागर्म मर्दाना मलाई ज़ोहरा की बच्चेदानी के अंदर गई थी … वो रस तो फ़रिश्ते का था, सबसे अलग था.

यह सोच कर ज़ोहरा खुशी से झूम रही थी कि उसकी जो औलाद होगी वो सबसे निराली होगी क्योंकि वो फ़रिश्ते की औलाद होगी.
लेकिन उसे क्या पता था कि उसके छोटे भाई अशफ़ाक ने उसे अपनी बीवी शनाज़ समझकर उसे चोद दिया था.

मैं उठ कर सीधा बाथरूम में घुस गया.

शनाज़ मेरी अम्मी नौरीन के साथ किचन में थी.

पिछली रात के लिए शुक्रिया कहने जब मैं शनाज़ के पास गया. तब अम्मी को पास में देख मैं फिर से हॉल में आ गया.

इधर ज़ोहरा आपा ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और बाथरूम में घुस गई. वहां ज़ोहरा ने जैसे ही अपनी चिपचिपी चूत देखी तो वो खुशी से लहरा उठी. उसकी चुत की दरार अभी भी खुली पड़ी थी और उसकी चूत के अंदर की लाली दिखाई दे रही थी.
उसने अपनी गोरी चूचियां देखी तो वे भी कश्मीरी सेब की तरह लाल हुई पड़ी थी.

ज़ोहरा खुशी खुशी अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती करने लगी. फिर ज़ोहरा अपने आप से बात करने लगी- रफ़ीक़ के आने में तीन हफ्ते रह गए हैं. वे 6-7 रुककर चले जायेंगे. उनके जाने के बाद ही मेरे ऊपर हमल के इलामात जाहिर होंगे. सब कुछ ठीक रहेगा. सब यही समझेंगे कि रफ़ीक़ के आकर जाने से ही मुझे हमल हुआ है.

इस तरह मेरी बड़ी बहन ज़ोहरा आने वाले वक्त के बारे में सोचकर बाथरूम से बाहर निकली.

फिर ज़ोहरा आपा तैयार होकर ख़ुशी से बन संवर कर हॉल में मेरी बगल में ही बैठ गई.

ज़ोहरा आपा को सजीधजी देखकर मैं भी बहुत खुश हुआ और उनसे हंस हंस कर बात करने लगा.

फिर कुछ देर के बाद मैं अपनी अम्मी और आपा को लेकर मजार पर चला गया.

मैं अगरबत्ती वगैरा लेने रुक गया तो अम्मी और आपा आगे निकल गयी. ठीक उसी वक़्त ज़ोहरा आपा ने पिछली रात की फ़रिश्ते के आने का वाकिया अम्मी को बताया.

ज़ोहरा बेटी के चेहरे की चमक देख नौरीन अम्मी की आँखें खुशी से छलकने लगी. अम्मी बेटी दोनों शुरू से ही सहेलियों की तरह बात करती थी.

फिर हम सब मज़ार में खुशी खुशी दुआ करके अपने घर आ गए.

घर आते ही ज़ोहरा खुशी से अपने शौहर रफ़ीक़ से बात करने मोबाइल लेकर छत पर चली गई.

मेरी अम्मी मेरी बीवी के साथ रसोई में चली गई.

अभी तक मैंने अपनी बीवी शनाज़ से बीती रात की घमासान चुदाई पर बात नहीं की थी. मैं रसोई के बाहर से शनाज़ को आंख के इशारे से छत पर बुलाया.

शनाज़ में भी आँखों के इशारे से ‘थोड़ी देर बाद आती हूँ’ बताकर मुझे जाने को कहा.
 
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कहानी के पिछले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे गलती से मैंने अपनी आपा की चुदाई कर डाली थी और मैं समझ रहा था कि मैंने अपनी बीवी की चुदाई की है.

मैं हॉफ पैंट और टीशर्ट पहन कर शनाज़ के आने की इंतज़ार करने लगा.

थोड़ी देर बाद शनाज़ बावर्चीखाने से बाहर आई और मुझे आंखों के इशारे से छत पर जाने को कहा.

इधर ज़ोहरा अपने शौहर रफ़ीक़ से फोन पर बात करने के बाद छत पर पानी की टंकी के पीछे बैठी बीती रात की फ़रिश्ते चुदाई के बारे में सोच रही थी.

मैं अपनी बड़ी बहन की मौजूदगी से अनजान में उस पानी टंकी की दूसरी तरफ खड़ा होकर अपनी बीवी शनाज़ का इंतज़ार कर रहा था.

जैसे ही शनाज़ छत पर आई, मैंने उसे एकदम से अपनी बांहों में भर लिया.

पर शनाज़ दुखी होकर बोली- सॉरी जान … काल रात मैंने थकान की वज़ह से बेड पर ही सो गई थी. मुझे माफ़ कर दो.
यह सुन कर मैं हंस कर बोला- यार तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो. अगर कल रात तुम बेड पर सोई थी तो क्या सोफे पर मैंने तेरी बहन को 3 बार चोदा था?

इतना बोलकर मैंने जब हंस कर शनाज़ के चेहरे को ऊपर उठाया तो देखा कि मेरी बीवी की आंखों में आँसू थे.
मैंने उसके आँसू पौंछे- अरे पगली, तुम रो क्यों रही हो?
शनाज़- मैं आपके काबिल नहीं हूँ. मैं हमल (गर्भ) के डर से आपको बीवी का सुख नहीं दे रही हूँ.

मैं हंस कर शनाज़ को हंसाने के लिए बोला- ये अशफ़ाक कुरैशी … असली मर्द है. एक बार अपनी पिचकारी जिसकी चूत में छोड़ी तो उसकी कोख में 100% बच्चा आ जाएगा.
इतना सुनकर शनाज़ भी हंस कर बोली- जानती हूँ आपके खतरनाक लंड और आपके गर्म माल से मैं हर बार हमल से हो सकती हूँ. आज के बाद मैं कभी हमल रोकने की दवा नहीं खाऊँगी.

इतना बोलकर शनाज़ ने सीढ़ियों वाला दरवाज़ा बन्द किया और वो मेरे पास आ गई.
शनाज़ बोली- पिछले पूरे हफ्ते मैंने अपने जिगर के टुकड़े को प्यार नहीं किया.
इतना बोल शनाज़ ने एकदम मेरी हाफ पैंट को नीचे खींच दिया.

मेरा गोरा चिकना बड़ा लंड मेरी बीवी शनाज़ के सामने नुमाया हो गया. दिन की रोशनी में मेरा लंड चमक रहा था.
मैं मज़ाक में बोला- साली कुतिया … तू कितनी प्यासी है … कल रात तूने इसका सारा रस अपनी चूत में खींच लिया. फिर भी तेरी अन्तर्वासना ठण्डी नहीं हुई?
शनाज़ उदास चेहरे से- माफ कर दो ना … कल मैं थकान की वज़ह से बेड पर ज़ोहरा आपा की बगल में सो गई थी.

अपनी बीवी के मुंह से यह सुनकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा- तो फिर मैंने …?
शनाज़ ने मेरे लंड के लाल सुपारे को चूम कर कहा- आप चूत के नशे में सपने देख रहे होंगे.

Biwi Ki Chudai Story
Biwi Ki Chudai Story
शनाज़ ने अब मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर चुसाई शुरु कर दी.

मैं जानता था कि मेरी शनाज़ मज़ाक कर रही है. मैं अपनी आंखें बंद करके अपना लंड शनाज़ के मुँह के हवाले करके मजा लेने लगा- शनाज़ मेरी जान … कल रात की चुदाई मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा. क्या अलग सी खुशबू थी तेरी चूत की … आह … क्या मज़ा मिला था. मेरे लंड का रस तेरी बच्चेदानी ने पूरे तीन बार पीया था. आज की रात भी उसी तरह से कई बार तेरी चूत को अपने लंड का रस पिलाऊँगा.

इतना सुनकर शनाज़ ने मेरे लंड को मुँह से निकला और रोने लगी- माफ कर दो मुझे … कल रात थकान की वज़ से मैं आपको खुश नहीं कर पायी … अब ताने मार मर कर मुझे और तंग मत करो.
इतना बोलकर शनाज़ फूट फूट कर रोती हुई दौड़कर नीचे चली गई.

शनाज़ की इस बर्ताव से मैं हैराँ परेशां शनाज़ को पीछे से देखता रहा. फिर मैं धीरे से खुद से बोला- अगर काल रात मेरे लंड के नीचे शनाज़ नहीं थी तो फिर किसको मैंने 3 बार चोदा था?

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि शनाज़ नहीं तो कौन?
घर में शनाज़ के अलावा ज़ोहरा आपा ही हैं.
तो क्या … क्या मैंने गलती से … जोहरा आपा को … चोद दिया?

इतना सुनते ही टंकी के पीछे ज़ोहरा आपा बुरी तरह डर गई. आपा ने जिसे फ़रिश्ता समझ कर पूरी रात अपनी कसी चूतचुदवाई थी … वो उनका छोटा भाई था?

आपा ने मेरी तरफ झाँक कर देखा तो मेरा लंड ज़ोहरा की आंखों के सामने था. पिछली रात अंधेरे में जो लम्बा और मोटा लंड ज़ोहरा आपा ने चूसा था और अपनी चूत में लिया था. वही लंड अब ज़ोहरा की निगाहों के सामने था.

मैं अब अपने आप से बात कर रहा था- कल रात मुझे शनाज़ की चूत की खुशबू भी अलग सी लगी थी. पर एक बार चुदाई करने के बाद जब मैं उठकर जाने लगा था … तब मेरा हाथ पकड़ कर रोका था. अगर वो आपा थी तो उन्होंने एक बार गलती होने के बाद मुझे क्यों रोका था गलती दोहराने के लिए?

इतना सुन ज़ोहरा बुरी तरह डर गयी.

मैं फिर से खुद से पूछने लगा- सुबह जब मैंने ज़ोहरा आपा को देखा तो वे बहुत खुश थी. अगर मैंने आपा की चुदाई कर दी होती तो वे दुखी होती. उनके चेहरे से मुझे लगता नहीं कि आपा परेशान हैं. बल्कि वे तो मुझे रोज से ज्यादा खुश नजर आ रही हैं. तो क्या ज़ोहरा आपा ने जानबूझकर …?

तभी शनाज़ दोबारा छत पर आई और मेरे पास आकर बोली- आज मैं आपा को पहले ही दूसरे कमरे में सोने के लिये कह दूंगी. ताकि फिर आपको ऐसे सपने ना आयें.

मैं अब यह पक्के तौर पर जान लेना चाहता था कि रात में मैंने शनाज़ की चूत मारी थी या किसी और की … मैंने शनाज़ का हाथ अपने सिर पर रखा और कहा- तू मेरे सिर की कसम खाकर बता कि तू सच बोल रही है?

शनाज़ मेरे सिर पर हाथ रखे रखे बोली- आपकी कसम मेरे सरताज … हम दोनों के बीच कल रात एक बार भी सेक्स नहीं हुआ.

मैं समझ गया और एकदम से बात को घुमाकर बोला- अरे पगली … मैं तो तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था.
इतना सुनकर शनाज़ भी खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- मैं समझी कि आपने कहीं गलती से ज़ोहरा आपा को चोद दिया.

मैं थोड़ा गुससे और थोड़ी हंसी के साथ बोला- शनाज़ … ज़ोहरा आपा को लेकर इतना गलत मज़ाक ना करो … ज़ोहरा आपा मेरी बड़ी बहन हैं.
शनाज़ हंसती हुई शरारत से बोली- मैं भी तो आपकी बहन ही लगती थी.

फिर वो बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … मुझे यह बताओ कि कल रात को आपके सपनों में आपको मेरी चूत कैसी लगी?
मैं बोला- एक अलग सी महक थी … अलग सा नशा था. ऐसा लगता थी जैसे कोई बिनचुदी चूत हो! बहुत मजा आया था.

तभी अम्मी ने सीढ़ियों से ऊपर आकर वहीं दरवाजे में खडी होकर आवाज लगायी- आ जाओ बच्चो … खाना खा लो.

अम्मी छत के दरवाजे में खड़ी होकर मेरे और शनाज़ के साथ ज़ोहरा आपा को भी देख पा रही थी.

अम्मी की बात सुनकर शनाज़ एकदम नीचे चली गई.
और अम्मी मुझसे बोली- अशफ़ाक तू अपनी आपा को लेकर ज़ल्दी आ कर खाना खा ले!

आपा का नाम सुनकर मुझे फिर से बीती रात का वाकिया याद आ गया.

मैं बोला- अम्मी, मैं बाद में खा लूंगा. तुम आपा और शनाज़ को बुलाकर खा लो.
अम्मी गुस्से में- जब तक तू नहीं खायेगा … तब तक शनाज़ भी नहीं खाएगी. चल मेरे साथ … ज़ोहरा तू भी चल!

ज़ोहरा का नाम सुनकर मैं एकदम चौंक गया. मैंने इधर उधर नजर घुमाई तो पानी की टंकी की बगल से जोहरा आपा मेरे सामने आयी. मैं एकदम डर गया.
फिर अम्मी के साथ मैं और ज़ोहरा आपा नीचे चले गए.

मैं आकर खाने की मेज पर बैठ गया. मेरे बगल में शनाज़ और शनाज़ की बगल में अम्मी ने जोहरा आपा को बैठने को कहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें भूख नहीं है.
आपा ने अम्मी को खाने के लिए बैठने को कहा और सब को खाना परोसने लगी.

अम्मी हंस कर बोली- ज़ोहरा, आज तुझे भूख नहीं है? चल उस तरफ अशफ़ाक के बगल में बैठ जा.
ज़ोहरा सिर झुकाकर मेरी दूसरी तरफ बैठ गई.

तब मेरी बीवी शनाज़ ज़ोहरा आपा से बोली- आपा … अभी कुछ देर पहले तो आप बहुत खुश थी. पर अचानक आपके चेहरे पर उदासी दिख रही है? फोन पर क्या जीजू से झगड़ा हो गया?
इस पर ज़ोहरा बनावटी हंसी से बोली- शनाज़ तू हमेशा मेरी मज़ाक उड़ाती है. एक दिन तुझे मुझसे बहुत मार पड़ेगी.
ज़ोहरा नहीं चाहती थी कि कल रात के हादसे के बारे में शनाज़ को कुछ पता चले!

शनाज़ हंस कर बोली- आपा, आप रात को ठीक से सो नहीं पाती होंगी. आज से आप ऊपर वाले कमरे में अकेली सो जाना और फिर फोन पर जीजू से बात करके मजा लेना.

ठीक उसी वक़्त शनाज़ के फोन की घंटी बजी, वो हंस कर अपनी अम्मी से फ़ोन पर बात करती करती बाहर चली गई.

तब अम्मी ने ज़ोहरा को कहा- ज़ोहरा, तू आज से अकेली और अलग कमरे में सोएगी.

इतना सुनकर ज़ोहरा अचानक मुझे देखने लगी.
मैं समझा कि शायद ज़ोहरा आपा अपनी अम्मी और शनाज़ के सुझाव से खुश नहीं है. मुझे लगा कि शायद ज़ोहरा आपा मेरे साथ सेक्स करके खुश हैं.

लेकिन अम्मी मेरी मौजूदगी में ही ज़ोहरा को घुमा फिरा कर सुझाव देने लगी- तू चिंता मत कर ज़ोहरा … मुझे पूरी उम्मीद है कि कल रात की तरह आज रात भी तुझे सुकून और खुशी मिलेगी. यह मेरी दुआ है तेरे लिए.

ज़ोहरा आपा फिर से मेरी ओर देखने लगी.
मैं समझा कि शायद ज़ोहरा आपा मुझसे जवाब मांग रही हैं.

अचानक मेरी की ज़ुबान से निकला अम्मी सही बोल रही हैं आपा!
मेरी ज़ुबान से इतनी बात सुनते ही ज़ोहरा आपा की आँकहें हैरानी से फ़ैल गई.

मैं खाना खाकर हाथ धोने ही वाला था कि अम्मी ने मुझे कहा- आज शाम को तू एक बार फिर ज़ोहरा को मजार पर दुआ के लिए ले जाना.

आपा के कुछ बोलने से पहले ही अम्मी ने कहा- तुम दोनों भाई बहन के बच्चे को देखने के लिए मेरी आँखें तरस रही हैं.

अम्मी की बात सीधी थी … पर ज़ोहरा और मैंने इस बात का उल्टा मतलब निकाला.

मैं हंस कर बोला- अम्मी, तुझे नानी और दादी बनने की बड़ी जल्दी है?
अम्मी हंस कर बोली- तुम दोनों तो मेरे दिल की धड़कन हो … मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों के बच्चे तुम्हारी ही शक्ल लेकर इस दुनिया में आयें.

मुझे तो पूरी पूरी गलतफहमी हो चुकी थी कि ज़ोहरा आपा अपने भाई से चुदवा कर गर्भवती होने चाहती हैं. नहीं तो कल रात को जब मैं एक बार ज़ोहरा आपा को चोदकर वापिस आ रहा था तो ज़ोहरा आपा ने मुझे रोक कर फिर से 2 बार चुदाई क्यों करवायी?

मैं हंस कर अपनी अम्मी को बोला- अगर हम दोनों भाई बहन के बच्चे हमारी शक्ल लेकर पैदा होंगे तो रफ़ीक़ जीजू और शनाज़ का मन छोटा हो जाएगा.
अम्मी हंस कर बोली- शनाज़ और ज़ोहरा की शक्ल मिलती जुलती है. पर जमाई बाबू की शक्ल मुझे पसंद नहीं है.

इतना सुनकर ज़ोहरा आपा शर्म से पानी पानी हो दूसरे कमरे में चली गई.

इधर ज़ोहरा सोचने लगी कि उनके भाई को सब पता चल चुका है. जब अम्मी ने घुमा फिरा कर उनको पिछली रात जैसी चुदाई दुबारा से मिलने को बोली तो अशफ़ाक भाई ने हाँ क्यों बोल दिया?
इसका मतलब ज़ोहरा आपा की दुबारा चुदाई करने में अशफ़ाक भाई को कोई एतराज नहीं था.

फिर ज़ोहरा सोचने लगी कि शनाज़ की पीरियड हर महीने रुक जाती थी. शनाज़ गर्भपात वाली गोलियां खा कर अपना पीरियड शुरु करती है.

इधर मैंने दिन में ही मौक़ा निकाल कर अपनी बीवी की घमासान चुदाई करके उसे पूरा मजा देकर चोद दिया और अपना सारा माल अपनी बीवी की बच्चेदानी में भर कर रात की नींद को पूरा करने लगा.

शाम को मैं ज़ोहरा आपा को लेकर मजार पर चला गया. उस वक्त वहां काफी भीड़ थी.

फिर भी सेवादार ने हम दोनों को देख लिया था और हमें भीड़ से बाहर निकाल कर मजार के अंदर ले आया.

आज सुबह ज़ोहरा सेवादार को बता चुकी थी कि पिछली रात को ऊपर वाला ज़ोहरा को सपने में आया और ज़ोहरा की गोद भरने की बात कही.

मजार पर दुआ करने के बाद सेवादार ने ज़ोहरा को कहा- बेटी, तेरी तमन्ना बहुत जल्द पूरी हो जाएगी. कल रात की तरह आज भी तुझे ऐसा ही अहसास होगा.

यह सुनकर ज़ोहरा शर्म से लाल हो गई. मैं भी समझ गया कि ज़ोहरा आपा अम्मी बनने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती हैं. अगर मैंने अपनी बहन को गर्भवती नहीं बनाया तो वो किसी बाहर के आदमी से गर्भवती हो जाएगी.

तब मैंने कुछ सोच कर सेवादार से कहा- हाँ अगर ऊपर वाले की कृपा हुई तो आज भी मेरी आपा को बरकत मिलेगी..

यह सब सुन ज़ोहरा कुछ सोचने पर मजबूर हो गई.

ज़ोहरा बार बार अपने रिश्तों की नाप तोल करने लगी. ज़ोहरा की चूत पानी छोड़ने लगी थी. मैं भी काफी सोच समझकर ये बोला था.

फिर दोनों भाई बहन उस भीड़ में से रास्ता बनाते हुए संभल कर आगे बढ़ने लगे. ज़ोहरा आगे आगे थी और मैं आपा के पीछे पीछे!

एक जगह पर ज्यादा भीड़ की वज़ह से हम दोनों बुरी तरह फंस गए. ज़ोहरा आपा को भीड़ से बचाने के चक्कर में मैं अनजाने में आपा के पिछवाड़े पर चिपक गया था. मैंने भीड़ में आपा को पीछे से अपनी बाहों के घेरे में ले रखा था. इससे मेरे हाथ अनजाने में ज़ोहरा की दोनों चूचियों के ऊपर आ गए थे.

जब ज़ोहरा को इस बात का अहसास हुआ तो उनके जिस्म में जैसे हाई वोल्ट का करेंट दौड़ गया.

भीड़ कम नहीं हो रही थी. ज़ोहरा की गांड के दवाब से मेरा लंड खड़ा होकर आपा की गांड की दरार में सेट हो गया. इतना सब होने के बावजूद भी आपा कुछ नहीं बोली तो मैं भी अब जानबूझकर अपने लंड को आपा की गांड में दबाने लगा.

फिर भी ज़ोहरा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना पाकर मैं अपनी ज़ोहरा आपा के बूब्ज़ को दबाने लगा. काफी देर तक यही चलता रहा. अब मेरे साथ साथ ज़ोहरा भी काफी गर्म हो गयी थी.

वासना के जोश में मैं अपने एक हाथ को आपा के सामने नीछे की तरफ ले गया और ज़ोहरा की चूत तक पहुँच गया. मैं आपा की चूत को सहलाने लगा.

तभी भीड़ कम होने लगी और मैंने अपना हाथ आपा की चूत से हटा लिया.

मैं सोच रहा था कि ज़ोहरा आपा मेरी इस हरकत से खुश हुई होंगी तो मैं ज़ोहरा आपा को दिखा कर अपनी उंगली को अपने नाक के पास लाकर सूंघने लगा. मुझे अपनी उंगली में से वही रात वाली खुशबू आ रही थी. क्योंकि आपा की चूत गर्म होकर पानी छोड़ रही थी तो आपा की चूत का पानी मेरी उंगली तक पहुँच गया था.

अपने सगे भाई की ऐसी कामुक हरकत देख कर ज़ोहरा आपा की 24 साल की जवानी दहक उठी. आपा का चेहरा कामुकता से तमतमा गया था, उनकी आँखों में वासना साफ़ झलक रही थी. वे प्यासी निगाहों से मुझे देख रही थी.

फिर हम दोनों भाई बहन अपने जज्बातों पर काबू करके बाइक से घर आ गए.
 
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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं गलती से अपनी बहन की चुदाई कर चुका था. लेकिन अब हम दोनों भाई बहन के जिस्मों के अंदर चुदाई की आग भड़क चुकी थी पर दोनों किसी भी तरह अपने घर आ गए.

जैसे ही मैंने बाइक घर के अंदर पार्क की, तभी अम्मी आकर बोली- अशफ़ाक बेटा … मैं बहू को लेकर पास वाले पड़ोस के घर जा रही हूँ. जब तक हम दोनों वापिस ना आयें, तब तक तू घर में रहना.
फिर अम्मी ने मेरी बीवी को आवाज दी- शनाज़ … बेटी ज़ल्दी आ.

तभी ज़ोहरा आपा की सासू का फ़ोन अम्मी के मोबाईल पर आया. अम्मी थोड़ा दूर खड़ी होकर ज़ोहरा की सासू से बात करने लगी. कुछ देर बाद फ़ोन कट गया.

अम्मी का चेहरा उतर गया था.
ज़ोहरा- क्या हुआ अम्मी?

अम्मी गुस्से में अब्बू को कोसने लगी- मैंने पहले ही कहा था कि वो रफ़ीक़ तेरे लिए ठीक नहीं है.
मैं- अम्मी … आखिर बात क्या है?
अम्मी गुस्से में- ज़ोहरा की सास कह रही है कि अगर इस बार ज़ोहरा के हमल ना रुका तो अगली बार रफ़ीक़ की दूसरी शादी करवा देगी.

तब तक शनाज़ सजीधजी बाहर आई- क्या हुआ अम्मी?
अम्मी- अभी तू चल … तुझे रास्ते में बता दूंगी.
इतना बोलकर अम्मी शनाज़ को लेकर चली गई.

ज़ोहरा आपा उदास होकर कमरे में चली गई.

मैं अपने कपड़े बदलने के बाद सोचने लगा कि अब क्या करूं मैं!
मैंने तय किया कि मैं आपा के पास जाता हूँ.

मैं जब ज़ोहरा आपा के कमरे में गया तो ज़ोहरा कमरे में नहीं थी. ज़ोहरा आपा को ढूंढते ढूंढते मैं छत पर चला गया.

मैंने देखा कि ज़ोहरा आपा अपने कपड़े बदल कर सिर्फ एक गाउन पहन कर गैलेरी पर खड़ी होकर नीचे देख रही थी. उनके चेहरे से लग रहा था कि वे अंदर से टूट चुकी थी. पर फिर भी ज़ोहरा अपने भाई को देख अपना दर्द छिपा कर मुस्कुरा दी.

मैं समझा कि शायद हमारे इस अकेलेपन का फायदा उठाने के लिए आपा गाउन पहन कर मेरा इंतज़ार कर रही हैं. मैं सीधा आपा के पास गया और उनकी बगल में खड़ा हो गया और गली का नज़ारा देखने लगा.
पर ज़ोहरा फिर से किसी सोच में डूब गई थी.

ज़ोहरा अपने मन में सोच रही थी- क्या करूँ मैं … कुछ भी समझ में नहीं आ रहा! मैं दो बार अपनी जांच करवा चुकी हूं. डॉक्टरनी के हिसाब से मैं औलाद पैदा कर सकती हूँ. रफ़ीक़ के अंदर कुछ कमी है.

आपा अपनी सोच में खोई हू थी- शनाज़ बोल रही थी कि अशफ़ाक शनाज़ को हर महीने गर्भवती बना देता है. मतलब अशफ़ाक का बीज एकदम ठीक है. इधर अशफ़ाक भी मेरे पीछे है. कल रात जो हुआ, गलती से हुआ, लेकिन अशफ़ाक तो दोबारा से मुझे चोदना चाह रहा है.

जोहरा मन ही मन- अशफ़ाक और मेरे बीच जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था. और वो भी एक नहीं तीन तीन बार! लेकिन अगर भाई को बुरा नहीं लग रहा तो मैं क्यों इतना सोच रही हूँ? रफ़ीक़ थोड़े दिन बाद हिन्दूस्तान आ रहे हैं. एक गलती तो मैं कर चुकी हूँ. अपने घर में अपने शौहर की दूसरी बीवी को आने से रोकने के लिए अगर उसी गलती को मैं जानबूझकर करूँ तो … तो मुझे यकीन है कि रफ़ीक़ के आने से पहले ही मैं भाई से चूत चुदाई करवा कर प्रेगनेंट हो जाऊँगी.

तभी मैं कुछ बात करने के लिहाज से बोला- आपा … जीजू किस तारीख को हिन्दूस्तान पहुँच रहे हैं?
वैसे मैं भी जानता था कि रफ़ीक़ कब आने वाले हैं लेकिन ज़ोहरा से कुछ बात करके बात को आगे बढ़ना चाहता था.

ज़ोहरा- तेरे जीजू 20 दिन के बाद आने वाले हैं.

फिर ऐसे ही आपा बोली- वैसे तेरी बीवी शनाज़ हर महीने गोलियां खाकर कुछ अच्छा नहीं कर रही!
मैं- क्या बताऊँ आपा … शनाज़ अभी औलाद नहीं चाहती.
ज़ोहरा- पहले एक बच्चा तो होने दो. फिर जो मन में आये करो. आज सुबह सुन लिया ना … अम्मी पोते-पोती के लिए तरस रही हैं.

मैं हंस कर बोला- तू बड़ी है. पहले तू एक बच्चे की अम्मी बन जा … फिर मैं शनाज़ को …

ज़ोहरा- हमारी अम्मी भी ना … अजीब बात करती हैं … अगर बेटा होगा तो तेरी शक्ल पर और बेटी हुई तो मेरी जैसी!

मैं और जोहरा दोनों ही मजार की भीड़ में काफी गर्म हो चुके थे. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा था.

मुझसे खुद को सम्भालना अब मुश्किल हो रहा था. अशफ़ाक ज़ोहरा आपा के पीछे खड़ा हो गया. इस वक़्त आपा गैलरी की रेलिंग पकड़ कर आगे झुक कर खड़ी थी. झुकने से ज़ोहरा के गाऊँ के अंदर बिना पैंटी के नंगे चूतड़ और उनके बीच की दरार पीछे से साफ दिखाई दे रही थी.

मैं रुक नहीं पाया और अपनी हाफ पैंट को उतार कर आपा की पीछे चिपक गया.

लेकिन जैसे आपा को मेरी इस हरकत से कुछ भी नहीं हुआ … वो अब भी बालकनी से बाहर झाँक रही थी.
अपनी धुन में खोई आपा बोली- अम्मी और मजार वाले बाबा का दावा है कि इस बार मेरी कोख खाली नहीं रहेगी.

“आ … ऊऊऊ … मॉआआ …” इस बीच मैं अपने लंड को आपा की गांड की दरार में दबा रहा था. आपा की चूत में इससे सरसराहट हुई तो उनकी सिसकारी निकल गयी.

अब मैंने आपा के गाऊँ को उनके कूल्हों से ऊपर किया और पीछे से अपना लंड आपा की चूत पर दबा दिया. एक तो मेरे लंड का मोटा सुपारा और दूसरे मेरी बहन ज़ोहरा की चूत पर बढ़ी हुई झांटें … मेरा लंड आपा की चूत में नहीं जा पाया.

मैं बोला- आपा … हम सबकी दुआ आपके साथ है. इस बार आपकी कोख खाली नहीं रहेगी.

मेरा लंड आपा की चूत में दाखिल हो नहीं पा रहा था. मैंने ढेर सा थूक निकाल के लंड पर लगाया और देर न करते हुए मैंने अपने लंड को आपा की चूत पर 4-5 बार घिसा और चूत के छेद का आभास मिलते ही मैंने एक धक्का मारा और मेरे लंड का सुपारा आपा की चूत में चला गया.

भाई के लंड का गर्म सुपारा चूत के अंदर घुसते ही मेरी बड़ी बहन की चूत वासना से तपने लगी. अब ज़ोहरा भी मेरे लंड के ऊपर अपने कूल्हों को दबा रही थी लेकिन ऐसे दिखा रही थी कि जैसे उसे कुछ पता ही नहीं कि क्या हो रहा था.

वो उसी तरह से मेरे साथ बात कर रही थी. ज़ोहरा की आवाज भारी हो गयी थी, उत्तेजना भरी आवाज़ में वो बोली- कल रात फ़रिश्ते के आने से मेरी उम्मीद बढ़ गयी है. अगर वो कल नहीं आते तो आज मैं नाउम्मीद ही हो जाती! आह … भाई ऊऊई … आउच!

अब तक मेरा आधा लंड आपा की चूत में घुस चुका था. इसी हालत में मैं अपने लंड को आपा की गीली चूत में आगे पीछे करने लगा.
मैं बोला- आपा … अब तो आपकी उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए आपका भाई आपके पीछे खड़ा है. आपके होने वाली औलाद किसकी शक्ल लेकर आएगी? आपकी या रफ़ीक़ जीजू की?

ज़ोहरा आपा मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करती हुई नशीली आवाज में बोली- मेरे राजा भाई अशफ़ाक जैसी शक्ल लेकर आयेगी मेरी औलाद!

मैं अपने लंड को अपनी बड़ी बहन की चूत में थोड़ा और धकेल कर बोला- आपा, क्या सच में आपको रफ़ीक़ जीजू पसंद नहीं?
ज़ोहरा सिसकारी भरती हुई बोली- एक तरफ तू अपनी और शनाज़ की जोड़ी देख … दूसरी तरफ रफ़ीक़ और मेरी जोड़ी देख … तू खुद फैसला कर!

मैं अपना लंड आपा की चूत में आगे पीछे करते हुआ बोला- शनाज़ और आपकी शक्ल तो बराबर है. कोई अनजान भी तुम दोनों को एक साथ देखे तो यही कहेगा कि तुम दोनों सगी बहनें हो.

ज़ोहरा भारी आवाज़ से बोली- हम दोनों सगी बहनें हां सही … पर मौसेरी बहनें तो हैं ना … शनाज़ तेरी बहन ही थी, तुझे उससे निकाह करना नहीं चाहिए था.

मैं बोला- फिर तुम सबने मिलकर खुशी खुशी हम दोनों का निकाह शादी क्यों करवाया?

ज़ोहरा आपा ने हंस कर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और बोली- चल अंदर चलते हैं.

फिर ज़ोहरा मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई और अंदर जाकर हंसती हुई बोली- हम सब नहीं चाहते थे कि तू मौसी की बेटी से शादी करे …. अभी भी शनाज़ तुझे भाई बुला देती है.

मैंने हंस कर ज़ोहरा को पीछे से पकड़ा- शौहर तो मैं उसका बाद में हुआ, पहले मैं शनाज़ का भाई ही था. आप दोनों ही मेरी बहनें थी. जितना हक शनाज़ का मेरे ऊपर है उतना हक आपका भी मेरे ऊपर है. आपका वही हक़ तो अब अदा कर रहा हूँ.

ज़ोहरा आपा अब पूरी तरह खुल चुकी थी- जब तुझे अपनी बहनों के जिस्म पसंद आते हैं तो हम क्या कर सकते हैं. एक बहन को बीवी बना कर चोदा तूने … दूसरी को तू किस हक़ से चोद रहा है बहनचोद?

इतना सुनते ही मैं हंस कर बोला- क्या बोली?

ज़ोहरा हंस कर बोली- मैं तेरी बहन हूँ और तू मेरे सामने नंगा खड़ा है अपनी बड़ी बहन की चुदाई करने के लिए … तो तू बहनचोद ही हुआ ना!

मैंने फटाफट ज़ोहरा का गाउन उतारा और उन्हें बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- जब तुम जैसी हूर परी मेरे घर में हो तो मैं बार बार बहनचोद बनूंगा.

ज़ोहरा बोली- अशफ़ाक भाई … जो करना है, ज़ल्दी कर … अम्मी और शनाज़ आने वाली होंगी.
इतना सुनते ही मैंने ज़ोहरा आपा की जांघें फैलायी और अपने लंड को ज़ोहरा की चुत के अंदर घुसा कर चुदाई शुरु कर दी.

दोनों भाई बहन अब खुल्लम खुल्ला चुदाई का मज़ा उठाने लगे.
ज़ोहरा आपा भी अब पूरी खुलकर बात करने लगी- अशफ़ाक भाई … रफ़ीक़ के आने से पहले तू मेरी कोख में अपनी औलाद डाल देगा ना?

मैं चुदाई का रफ्तार तेज़ करके बोला- आप चिन्ता मत करो आपा … आप जीजू के आने से पहले ही पेट से हो जाओगी.

ज़ोहरा नशीली आवाज़ में बोली- अशफ़ाक भाई … जब रफ़ीक़ वापस चले जायेंगे तो मैं फिर से आऊंगी तेरे साथ रहने!
इतना बोलकर ज़ोहरा ने अपनी चूत की ओर देखा.

आपा उत्तेजना भरी आवाज़ में बोली- यह तेरा खतरनाक लंड बेचारी शनाज़ कैसे झेलती होगी.
मैं अपनी आपा की चूत को तेज़ रफ़्तार से चोदते हुए बोला- जैसे आप इस वक़्त झेल रही हो, वैसे ही शनाज़ झेल रही है.
आपा बोली- कल रकात तो मैं इसे फ़रिश्ते का लंड समझ कर झेल गयी. इसने मेरी पूरी चूत ही फाड़ दी थी. भाई तेरे लंड ने तो मेरी चूत पूरी खोल दी है. अब तो तेरे जीजू का लंड तेरी आपा की चूत में ऐसे जाएगा जैसे कुएँ में बाल्टी!

इस तरह की मज़ेदार बात करते करते हम दोनों भाई बहन ने अलग अलग स्टाइल से चुदाई की. फिर मैं और ज़ोहरा दोनों एक साथ झड़ने लगे तो हम बुरी तरह हांफने लगे.

हम दोनों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी.
मैं इसलिए खुश था कि एक तो मुझे नयी और कसी हुई चूत मिली और दूसरे इसलिए कि मैं अपनी आपा को औलाद का सुख दे पाऊँगा.
आपा इस लिए खुश थी कि एक तो उन्हें औलाद का सुख मिल जाएगा और भाई के मोटे लंड से उन्हें असली चुदाई का मजा मिल रहा है.

फिर ज़ोहरा आपा अपना गाऊन सम्भालती हुई बोली- भाई, आधी रात को एक बार मेरे कमरे पर जरूर आ जाना!
मैंने भी खुश होते हुए कह- ठीक है आपाजान!

ज़ोहरा हंस कर- आपा को अपनी जान बना लिया? बदमाश कहीं का! अब तू जा … कहीं शनाज़ को शक हो गया तो गड़बड़ हो सकती है.

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल आया.

जब तक शनाज़ और अम्मी वापस आई … तब तक मैं बाहर बाइक को साफ़ करने का नाटक करने लगा.

इधर ज़ोहरा आपा अपनी चुदाई की थकान मिटा कर एक घण्टे बाद नीचे आयी और खुशी खुशी मेरी बीवी से बात करने लगी.

रात का खाना खाकर सब अपने अपने कमरे में चले गये.

मैं शनाज़ को एक बार चोद कर उसे सुला कर आपा के कमरे में जाना चाहता था लेकिन उस रात उसने मुझे कहीं नहीं जाने दिया. भले ही उस रात मैंने शनाज़ की एक ही बार चुदाई की लेकिन वो पूरी रात मेरे लंड को हाथ में लेकर मुझसे बातें करती रही. शनाज़ का रोमांस काफी देर तक चलता रहा. आखिर देर रात मैंने शनाज़ को एक बार और चोद कर सुला दिया और मैं भी सो गया.
फिर सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली.

फिर सुबह मैं नहा धोकर ज़ोहरा आपा को मजार पर ले गया. दुआ के बाद मैं आपा को पास वाले जंगल में ले गया, वहां मैंने आपा को पूरी नंगी करके पेड़ के सहारे खडी करके पीछे से मस्त चोदा.

यही जंगल चुदाई हम दोनों भाई बहन ने शाम को मजार पर जाने के बहाने की.

अब मेरा रोज का काम हो गया कि मैं रात को अपनी बीवी शनाज़ को एक बार जोर से चोद कर ठण्डी कर देता और फिर आधी रात के बाद ज़ोहरा आपा के कमरे में जाकर मैं आपा की चुदाई करता.

थोड़े दिन बाद ज़ोहरा की डेट आनी थी जो नहीं आयी. फिर भी ज़ोहरा ने यह खबर किसी को नहीं बताई.

फिर कुछ दिन बाद शनाज़ की डेट नहीं आई तो उसने मुझे अम्मी को ये बात बताई. अम्मी ने यह बात अब्बू को और जोहरा को बतायी तो सब खुश हो गए.

तब अचानक मुझे लगा कि मैं दो हफ्ते से ज़ोहरा आपा को चोद रहा हूँ, उनकी डेट कब आनी थी, यह मैंने पूछा ही नहीं.
मुझे लगा कि जरूर ज़ोहरा आपा की डेट निकल चुकी होगी और उनकी कोख भी शनाज़ की तरह भर गयी होगी. क्योंकि मैंने अपनी बीवी को कम और ज़ोहरा आपा को पिछले दिनों ज्यादा चोदा था. आगे आपा की डेट आती तो वो चुदाई बंद कर देती लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था.

मैं आपा के कमरे में गया और उनकी डेट के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी डेट शनाज़ से 2 रोज पहले थी जो नहीं आयी थी.
यह सुन कर मैं खुशी से झूम उठा. मैंने आपा के लबों को चूम लिया और उन्हें गले से लगा लिया.

जीजू के आने में अब दो दिन ही बचे थे. आपा को अभी भी मजार पर कुछ दिन और दुआ मांगनी थी तो जीजू हमारे घर ही आये. अब आपा और मेरी चुदाई बंद हो गयी. जीजू रोज रात को आपा को चदते थे. आपा रोज मुझे बताती थी कि कैसी चुदाई हुई. आपा को जीजू का लंड अब चूत में पता भी नहीं लगता था. उन्हें जीजू से चुदाई में ज़रा भी मजा नहीं आता था.

जीजू पाँच दिन हमारे घर रुक कर दो दिन के लिए अपने घर रुका और फिर वापिस चले गए.

रफ़ीक़ जाने के बाद अब मैं और ज़ोहरा फ्री होकर चुदाई करने लगे.
जीजू के जाने के थोड़े दिन बाद आपा ने अम्मी को अपनी माहवारी ना आने का बताया तो अम्मी खुश हो गयी और उन्होंने आपा की सासू को फोन करके यह खुशखबरी दी. वो भी बहुत खुश हुआ और काफी फल मिठाई तोहफे लेकर वो हमारे घर आयी और इस खुशी में शरीक हुई.

आपा की सासू उन्हें अपने घर ले जाना चाहती थी लेकिन आपा ने अभी मजार जाने का बहाना बना कर उन्हें टाल दिया. असल में आपा को मेरे लंड की लत लग गयी थी.

जब ज़ोहरा ओर शनाज़ का पेट फूल कर आगे निकलने लगा तो शनाज़ की अम्मी ताहिरा मौसी शनाज़ को अपने घर ले गई.

इधर ज़ोहरा की सासू ने ज़ोहरा को अपने घर ले जाने की बात की तो ज़ोहरा ने बड़ी चालाकी से ससुराल जाने से मना कर दिया- अम्मी … जिस मजार पर दुआ करने से मुझे यह खुशी मिली है, उसे मैं खुशी पूरी होने तक नहीं छोडूंगी.

ज़ोहरा आपा की इस चालाकी से मैं बहुत खुश था.

आखिर वही हुआ … ज़ोहरा के बेटी हुई और मेरी बीवी शनाज़ ने एक बेटे को जन्म दिया.

बच्चा पैदा करने के बाद ज़ोहरा को अपनी ससुराल जाना पड़ा.

आज तक ज़ोहरा आपा की औलाद असली राज़ कोई नहीं जान पाया. अम्मी तो यही सोचती हैं कि आपा की औलाद फ़रिश्ते के चोदने से हुई है.

आपको यह भी बहन सेक्स स्टोरी कैसी लगी? कमेन्ट करके बताएं.
The end
 
Mink's SIGNATURE
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