Incest मांगलिक बहन

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अशोक अपने मा बाप के पीछे पीछे चला गया और उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वो पीछे मुड़कर सौंदर्या को एक झलक और देख सके।

वहीं अजय तो अपने बेटे के साथ ये सब होते देख कर जैसे पत्थर के बुत की तरह बैठा का बैठा रह गया और उसके पैरो में खड़े होने की भी हिम्मत नहीं बची थी। कमला सौंदर्या को तसल्ली देने में लगी हुई थी

" बेटी चुप हो जाओ। वो लड़का तुम्हारे लायक नहीं था, अरे आज कल मांगलिक जैसी बातो में कोई विश्वास नहीं करता। वो अपने मा बाप का गुलाम निकला, अच्छा हुआ पहले ही पता चल गया नहीं तो तुम्हे शादी के बाद समस्या होती।

सौंदर्या अपनी मा की बातो को सुनकर थोड़ा सा सहज हुई और उसके आंसू हल्के से कम हुए और वो सुबकते बोली:"

" मम्मी मेरी ही किस्मत खराब हैं किसी को क्या दोष दू मैं। ना मैं मांगलिक होती और ना ये सब होता मेरे साथ।

कमला ने अपनी बेटी का हाथ अपने हाथ में लिया और प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" नहीं बेटी तेरी किस्मत खराब नहीं हैं बस तेरी परीक्षा ले रही हैं, अशोक भी पुराने जमाने की सोच का ही लड़का निकला।

सौंदर्या ने अपनी दोनो आंखे खोल दी और बोली:'

" मम्मी कोई भी लड़का अपने मा बाप के खिलाफ जाकर शादी नहीं कर सकता, हम चाहे कितने भी आधुनिक क्यों ना बन जाए लेकिन अपनी रीति रिवाज और परम्परा को नहीं भूलते। क्या आप एक मांगलिक लड़की से अजय की शादी कर सकती हैं ?

सौंदर्या के सवाल को सुनते ही कमला के दिमाग में धमाका सा हुआ और उसे एक पल के लिए समझ नहीं आया कि वो क्या जवाब दे। अजय अपनी बहन की बात सुनकर जैसे नींद से जागा और बोला:"

" सौंदर्या दीदी आज मैंने आपके दुख को सही से समझा हैं और महसूस कर सकता हूं कि ये ही समस्या हर मांगलिक लड़की के साथ आती होगी। इसलिए मैं आपकी कसम खाता हूं कि अगर कोई मांगलिक लड़की मुझे पसंद अाई तो शादी जरूर करूंगा।

कमला ने एक बार अजय की तरफ देखा और खामोश हो गई वहीं सौंदर्या उठ खड़ी हुई और तेजी से उपर की तरफ चल पड़ी।

सौंदर्या तेजी से जीने की सीढ़ियां चढ़ रही थी जिससे उसकी भारी भरकम चूचियां उपर नीचे हो रही थी।

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अजय की नज़रे अपने आप ही फिर से अपनी बहन की उछलती हुई चूचियों पर चली गई। अजय को खुद पर शर्म अा रही थी कि मैं ये सब क्यों देख रहा हूं।

अजय ने अपनी मम्मी की तरफ देखा और बोला:"

" मम्मी क्या हर बार इसकी साथ ऐसा ही होता है ?

कमला:" बेटा ये बहुत कुछ झेल चुकी हैं बेचारी। हर बार जब कोई रिश्ता आता हैं तो हमेशा इसका दिल टूट जाता हैं। अब खड़े खड़े तुम मेरे क्या मुंह देख रहे हो ? जाओ और जाकर अपनी बहन को मनाओ।

अजय ऊपर की तरफ चल पड़ा और सौंदर्या के दरवाजे को नॉक किया तो पता चला कि वो अंदर से बंद था।

अजय:" दीदी क्या कर रही हो आप ? दरवाजा खोलो ना प्लीज़

सौंदर्या गुस्से में बोली:" भाई मेरा मन ठीक नहीं है। तुम जाओ मैं बाद में बात करूंगी।

अजय:" मेरी प्यारी दीदी दरवाजा खोलो ना आप। मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।

सौंदर्या:" बाहर से ही बोल दे क्या बात है ? मैं नहीं खोलती।

अजय:" दीदी आप मुझसे क्यों गुस्सा हो ? मेरी क्या गलती हैं इसमें ? आप कहो तो अभी जाकर उस अशोक के बच्चे के हाथ पैर तोड़ दू।

सौंदर्या:" नहीं अजय। ये तुम क्या पागलों जैसी बाते कर रहे हो ? अच्छा रुको मैं दरवाजा खोलती हूं।

सौंदर्या ने आगे बढ़कर दरवाजा खोल दिया और अजय अंदर कमरे में अा गया और बोला:"

" दीदी मैं आपका दर्द समझ सकता हूं। लेकिन आप फिक्र मत करो। अपने भाई पर भरोसा करो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।

सौंदर्या बिना कुछ बोले आगे बढ़ी और अजय के गले से लग गई। अजय ने भी अपनी दीदी को अपने गले लगा लिया। बाहर दरवाजे पर राधा भी अा गई थी और उसे खुशी हुई कि अब उसकी सहेली काफी हद तक सामान्य हो गई थी।


राधा अंदर घुस गई और बोली:"

" क्या बात हैं बड़ा प्यार अा रहा है अपने भाई पर सौंदर्या ?

सौंदर्या:" भाई पर तो सबको ही प्यार आता हैं राधा। क्या तू नहीं करती अपने भाई से प्यार ?

राधा:" करती हूं बाबा। अच्छा बात सुन, मैं अब घर जा रही हूं। सारा काम ऐसे ही पड़ा हुआ हैं।

कमला उपर अा गई थी और बोली:" पहले सब नीचे चलो नाश्ता तैयार हैं। उसके बाद जाना जिसे जहां जाना हैं।

सारे नीचे अा गए और नाश्ता करने लग गए। सबने पेट भर कर खाया और उसके बाद राधा अपने घर की तरफ निकल गई और अजय और सौंदर्या रात के थके होने के कारण फिर से गहरी नींद में डूब गए जबकि कमला अपने घर के काम में लग गई।

मनोज अपने अड्डे पर बैठा हुआ था और अपने गुंडों से बात कर रहा था।

गुंडा:" मैं सच कह रहा हूं भाई। रात नाचने वाली लड़की ने हो मास्क पहना था ये वही मास्क हैं जो उस दिन उस लड़के ने पहना हुआ था।

मनोज:" अगर तेरी बात सच है तो उस मास्क का जरूर मेरे गांव से कोई सम्बन्ध हैं। मुझे हर हाल में पता करना होगा कि वो लड़की कौन हैं ताकि मैं उस लड़के तक पहुंच जाऊं। अच्छा शेरा को बुला कर लाओ, पता नहीं कहां रह गया है वो ? पिंकी का भी आज मुझे काम तमाम करना ही हैं।

गुंडा:" जी साहब मैं जा रहा हूं।

इतना बोलकर वो आदमी बाहर निकल गया और मनोज अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रहा था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे लड़की का पता किया जाए।

थोड़ी देर बाद ही शेरा अा गया और देखते ही देखते सारे लोग कुछ गाड़ियों में भर कर शहर की तरफ चल पड़े।

पिंकी बेचारी कल उस दिन वाले हादसे के बाद आज पहली बार घर से निकली थी और सड़क पर जा रही थी तभी पीछे से एक खुली हुई जीप अाई और देखते ही देखते गुंडों ने उसे उठाकर गाड़ी में पटक दिया और अगले ही पल उसके मुंह पर क्लोरोफॉर्म लग गई थी और पिंकी बेहोश हो गई।

मुंह पर पानी के छींटे पड़े तो पिंकी की आंखे खुली तो उसने आपको एक पुराने से कमरे में बंद पाया। सामने ही कुर्सी पर कुछ लोग बैठे हुए थे जिन्हें देखकर वो डर गई।

तभी अंदर कुछ लोग और अा गए और मनोज भी अंदर अा गया और पिंकी की तरफ देखते हुए बोला:"तो ये हैं वो पिंकी जिसने मेरी बहन को थप्पड़ मारा था।
साली की चूचियां तो कमाल की लग रही है शेरा।

मनोज की बात सुनकर पिंकी की नजर अपनी चूचियों पर गई तो उसके मुंह से एक चींखं निकल पड़ी क्योंकि वो पूरी तरह से नंगी पड़ी हुई थी। पिंकी ने अपने दोनो हाथो से अपनी चुचियों को ढक लिया और अपनी टांगो को कस लिया और बोली:"

" भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ?

मनोज:" कैसे छोड़ दे तुझे भगवान के लिए जबकि तुम्हें भगवान ने ही हमारे लिए बनाया हैं। सुन जिस रोशनी को तूने थप्पड़ मारा था मैं उसका भाई हूं। सब समझ गई होगी अब तू।

पिंकी की आंखो के आगे एक के बाद एक नज़ारे घूमने लगे और उसे याद आया कि उसने अभी कुछ दिन पहले एक लड़की को थप्पड़ मार दिया था क्योंकि उसने लिफ्ट में सबके सामने उसकी चूचियां दबा दी थी।

पिंकी:" मुझे माफ़ कर दो, मैं जानती हूं मेरी गलती हैं लेकिन तुम्हारी बहन ने भी तो मेरे साथ गलत किया था।

मनोज:" गलत कुछ नहीं किया वो शर्ट हार गई थी और उसकी सहेली ने उसे करने के लिए ये ही टास्क दिया था कि लिफ्ट में जो लड़की सबसे पहले दिखे उसकी चूचियां दबानी हैं। बस ये सारी बात थी और तुम बन गई झांसी की रानी।

पिंकी समझ गई थी कि वो बुरी तरह से फंस गई है इसलिए उसने डर के मारे दोनो हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हू मुझे माफ कर दो तुम।

एक बार फिर से उसकी चूचियां नंगी हो गई और सभी गुण्डो के मुंह से एक आह निकल पड़ी।

मनोज:" उफ्फ हाथ जोड़ने के बहाने फिर से अपनी चूचियां दिखा रही है कमीनी।

पिंकी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके हाथ अपने आप फिर से उसकी चूचियों पर चले गए। मनोज ने इशारा किया और दो लोग आगे बढ़े और पिंकी के दोनो हाथो को पकड़ कर पीछे फैला दिया जिससे उसकी चूचियां फिर से हवा में लहरा गई। पिंकी उनकी पकड़ में तड़प उठी और दर्द भरी आह के साथ बोली:"

" आह मुझे छोड़ दो प्लीज। मत करो मेरे साथ ऐसा।

मनोज ने हाथ आगे बढाया और उसकी चूचियों को अपने हाथो में भर लिया और जोर से मसल दिया तो पिंकी एक बार फिर से दर्द से कराह उठी। मनोज पूरी ताकत से उसकी चूचियों को मसलने लगा और पिंकी की दर्द भरी आह निकल रही थी। उसके बाद मनोज ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी और पिंकी दर्द से तड़पती रही।

अगले दिन सुबह पिंकी की लाश शहर के बाहर पड़ी हुई मिली और देखते ही देखते ये बात जंगल में आग की तरह फ़ैल गई और सौंदर्या ने जैसे ही टीवी में सुबह सुबह उस लड़की की फोटो देखी तो उसकी हालत डर के मारे खराब हो गई।
 
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सौंदर्या अपने कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगी जबकि अजय अभी तक सोया हुआ था। सौंदर्या के मन में पूरी तरह से उथल पुथल मची हुई थी और एक अनजाना सा भय उसके दिमाग पर छा गया था।

ना चाहते हुए भी उसकी आंखो के आगे बार बार पिंकी का चेहरा घूम रहा था, कितनी मासूम थी वो बेचारी पिंकी, उसने किसी का क्या बिगाड़ा होगा। है भगवान पिंकी को तो मैंने भी बचाने की कोशिश करी थी तो क्या वो अब मुझसे भी बदला ले सकते हैं ?

ये विचार मन में आते ही उसके शरीर में तेज कंपकपी सी दौड़ गई और उसकी आत्मा तक सिहर उठी। नहीं उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। तभी उसके मन में दूसरा विचार अाया कि जो गुंडे बीच बाजार लड़की के कपड़े फाड़ सकते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं।

है भगवान मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या जरू। क्या गुण्डो से डरकर घर बैठ जाऊं। नहीं ये तो कायरता होगी और मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। वो इसी उधेड़ बुन में लगी हुई थी कि कॉलेज जाए या नहीं इसी बीच सीमा के पापा घर के अंदर दाखिल हुए।

सौंदर्या ने उन्हें देखते ही नमस्ते करी तो उसके पापा खुश हो गए और बोले:"

" अरे बेटी सौंदर्या मैंने तो ये बताने के लिए अाया था कि आज सीमा ससुराल से मिलने के लिए वापिस अा रही हैं। घर में काम होगा बहुत इसलिए आज कॉलेेज मत जाना तुम, सीमा से भी मिल लेना क्या पता अगली बेचारी कब आएगी घर।

सौंदर्या को जैसे आज सुबह से ही कॉलेज ना जाने के लिए ही सोच रही थी और अब तो उसे बहाना भी मिल गया। उसने तुरंत हामी भर दी।

तभी कमला भी अंदर से अा गई और बोली:" भाई साहब ये तो बहुत खुशी की बात है कि सौंदर्या वापिस अा रही है। सौंदर्या आज नहीं जायेगी कॉलेज।

सौंदर्या:हान मा मैं सीमा से मिल लूंगी, शादी के बाद भी घर में बहुत काम होते हैं।

सीमा के पापा:" अरे सौंदर्या बेटी तेरी चाची बता रही थी कि शादी से पहले दिन तू टंकी से अनाज लेने गई थी और तूने टंकी खुली छोड़ दी और सारा अनाज कमरे में फैल गया। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि क्या सच में तुझसे ऐसा हुआ है ?

सौंदर्या की आंखो के आगे सारी कहानी घूम गई कि सीमा, सपना और राधा की बातो को सुनकर वो बहक गई थी और अनाज की टंकी सच में खुली रह गई थी। वो हल्का सा झेंप गई और बोली:"

" जी चाचा जी, मुझसे गलती तो हुई हैं लेकिन मुझे चाची ने जल्दी जल्दी दूसरे काम के लिए बुला लिया था जिससे ये सब हुआ। आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा।

कमला:" बेटी सौंदर्या मुझे तुम पर पूरा यकीन है। आखिर मेरी बेटी गांव में सबसे ज्यादा समझदार लड़की जो हैं।

सीमा के पापा:" अच्छा बेटी मैं चलता हूं। कुछ और काम भी देखने हैं तुम जल्दी से अा जाना।

इतना कहकर सीमा के पापा चले गए और कमला बोली:"

" अरे देखना ये अजय उठा हैं या नहीं अभी तक ? पता नहीं कितना सोता हैं ये लड़का।

सौंदर्या:" मम्मी भाई शहर से थका हुआ अाया और आते ही शादी के काम में लग गया था शायद इसलिए सो रहा होगा।

कमला:" अच्छा बहुत पक्ष ले रही हैं अपनी लाडले भाई तू, देख 9 बंजने वाले हैं। तू जल्दी से उसे उठा दे मैं तब तक कुछ बना लेती हूं तुम दोनो के लिए।

सौंदर्या अपने भाई को उठाने के लिए उसके कमरे में पहुंच गई और देखा कि अजय आराम से पीठ के बल सोया हुआ पड़ा था। नींद में उसके जिस्म पर से चादर सरक गई और अजय ने उपर के हिस्से में कुछ नहीं पहना हुआ था जिससे उसका सपाट पेट और चौड़ी छाती पूरी तरह से खुले हुए थे। अजय के सांस लेने के कारण उसकी छाती और पेट हल्के से उपर नीचे हो रहे थे जिससे उसके जिस्म में बने हुए सिक्स पैक बहुत खूबसूरत लग रहे थे।

सौंदर्या ये सब देखकर बहुत अच्छा महसूस कर रही थी कि उसका भाई सच में बहुत आकर्षक लगता है। अजय शायद गहरी नींद में सोया था इसलिए उसे बिल्कुल भी नहीं था उसकी बहन उसके पास बैठी हुई है।सौंदर्या ने एक हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और उसी रंग का ब्लाउस पहना था खुले बालो में बेहद खूबसूरत लग रही थी। अजय के पास बैठी सौंदर्या अपने भाई को देखते हुए धीरे धीरे स्माइल कर रही थी और उसके बालो में बेहद प्यार से उंगलियां घुमा रही थी।

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वो ये भी भूल गई थी कि वो अपने भाई को उठाने के लिए हैं और बाहर उसकी मम्मी इंतजार कर रही है उनका। अपनी भाई की चौड़ी और कठोर छाती के साथ साथ सिक्स पैक एब्स देखकर वो मंत्र मुग्ध सी हो गई थी।

तभी उनके कानो में कमला की तेज आवाज पड़ी कि सौंदर्या कहां रह गई तुम और सौंदर्या एकदम से डर के मारे उछल पड़ी और उसका एक हाथ अजय की छाती पर चला गया। छाती पर हाथ पड़ते ही सौंदर्या की आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसने अपने भाई की छाती को हल्का सा सहला दिया और उसे ज़िन्दगी में पहली बार इतनी सुखद अनुभूति हुई।

तभी दूसरी बार उसके कानों में अपनी मा की आवाज पड़ी जो काफी नजदीक से अा रही थी। शायद उसकी मम्मी उधर ही अा रही थी इसलिए सौंदर्या डर के मारे खड़ी हो गई और एक चादर जल्दी से अपने भाई के उपर डाल दी और जोर जोर से उसे आवाज लगाने लगी:

:" भाई उठ जाओ। उठो ना देखो कितनी देर हो गई है।

तभी कमला अंदर अा गई और बोली:" लगता है ये अजय बहुत गहरी नींद में हैं। रुक मैं इसका इलाज करती हूं।

इतना कहकर कमला आगे बढ़ी और तेजी से उसके कान में चिल्लाई तो अजय हड़बड़ा कर उठ गया और उसने इधर उधर देखा तो अपनी मा और बहन को देखकर सुकून महसूस किया और बोला:"

" ओह मम्मी, कितनी अच्छी नींद अा रही थी मुझे। आपने उठा दिया ।

कमला: अच्छी नींद के बच्चे 9 बज गए हैं और ये गांव हैं। जल्दी से तैयार हो जा नहाकर, हम दोनों भी भूखे हैं तेरे चक्कर में।

अजय जल्दी से उठा और बाथरूम में घुस गया जबकि सौंदर्या अपनी मम्मी के साथ बाहर आ गई और खाने की टेबल लगाने लगी।

नाश्ता लग गया था और सभी साथ में बैठ कर कर रहे थे। अजय अपनी मा के हाथ के खाने को बहुत पसंद करता था इसलिए बड़े चाव से खा रहा था। सौंदर्या ये सब बहुत ध्यान से देख रही थी और बोली:"

" क्या बात है भाई, शहर से भुखे ही आए हो क्या ? जब भी मौका मिलता है तो खाने पर टूट पड़ते हो। थोड़ा आराम से खाओ।

अजय:" अरे दीदी शहर में कहां मा के हाथ का खाना मिलता है , अब इतने सालो के बाद मौका मिला है तो मन करता हैं बस खाए जाऊ खाए जाऊ।

कमला:" कोई बात नहीं मेरे लाल, तुम जी भर कर खाओ। तेरा जो भी मन किए बता दिया करो मैं बना दूंगी।

अजय:" वाह, मा हो तो ऐसी , मम्मी दीदी तो मेरे खाने पर नजर रखती हैं।

सौंदर्या:" अरे नहीं मेरे भाई। मैं तो चाहती हूं कि तुम खूब खा खाकर शक्तिमान बन जाओ।

ये बोलकर सौंदर्या हंसने लगी तो अजय बोला:"

" आप उसकी चिंता मत करो, वो तो मैं बन ही जाऊंगा। लेकिन आप कॉलेज नहीं गई अभी तक ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो कॉलेज जाने के बारे में सोचकर डर गई लेकिन फिर संयम से काम लेते हुए बोली:"

" अरे भाई, आज सीमा वापिस अा रही है ससुराल से, उसके पापा आए थे तो वहां जाना हैं मुझे। तुम भी चलो ना मेरे साथ।

अजय:" अरे दीदी आप ही जाओ। मुझे तो अभी भी नींद लगी हैं बहुत। मैं तो अभी आराम करूंगा अच्छे से।

सौंदर्या:" हान ठीक हैं कुंभकरण महाराज। आप पूरे दिन आराम करो। लेकिन पहले खा तो लो आराम से पेट भर कर। अच्छा मम्मी मैं जा रही हूं।

इतना कहकर सौंदर्या खड़ी हुई और बाहर की तरफ निकल गई जबकि अजय और कमला अपनी बाते करते रहे।

अजय:" मम्मी मैं तो कल से बहुत परेशान हू। सौंदर्या दीदी के आंसू देखकर तो मन किया था कि उस कमीने अशोक की सारी हड्डियां तोड़ डालू।

कमला:" मार पीट से क्या फायदा बेटा। सौंदर्या तो बेचारी बहुत दुखी हैं। इससे छोटी लड़कियां भी शादी के बाद बच्चो की मा बन गई है तो दुख तो उसे होगा ही।

अजय:" मम्मी अगर मांगलिक लड़का नहीं मिला तो क्या सारी ज़िन्दगी दीदी की शादी नहीं हो पाएगी क्या ?

कमला:" बेटे बिना मांगलिक लड़के तो सारी नहीं हो सकती। इसका बस एक ही उपाय हैं कि सौंदर्या की कुंडली से दोष दूर किए जाए। इसलिए मैंने महान ज्योतिष आचार्य तुलसी प्रसाद जी से मिलने का समय मांगा है। शायद वो हमारी कोई मदद कर सके बेटा।

अजय:" मम्मी ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तो अपनी दीदी की भी शादी हो जायेगी।

कमला:" हान बेटा। लड़की की सही उम्र में शादी हो जाए तो ठीक रहता है।

अजय:" मम्मी वैसे लड़की की शादी के लिए कितनी उम्र ठीक होती हैं ?

कमला:" बेटा गांव में तो पहले 18 तक शादी हो जाती थी लेकिन अभी थोड़ा लेट होने लगा है इसलिए 22 या 23 तक हो जानी चाहिए।

अजय:" अच्छा मम्मी एक बात बताओ, आपकी शादी कितनी उम्र में हुई थी ?

कमला:" अरे बेटा उस टाइम की तो बात ही कुछ और थी। मात्र 16 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई थी तेरे पापा से।

अजय:" अच्छा मम्मी। सच में पहले बहुत छोटी उम्र में शादी होती थी। मैंने खाना खा लिया।

अजय खाना खा चुका था इसलिए कमला बर्तन उठाते हुए बोली:" और क्या। पहले तो ऐसा ही होता था। अच्छा मुझे अभी थोड़ा काम है। बाद में बात करती हूं बेटा। तुम चाहो तो फिर से कुंभकर्ण बन सकते हो।

इतना कहकर कमला हंस पड़ी और अजय भी अपनी मम्मी के साथ जोर जोर से हंसने लगा।

दूसरी तरफ सौंदर्या सीमा के घर अा गई थी और देखा कि राधा और सपना पहले से ही मौजूद थीं। सपना उसे देखती ही बोली:

" कैसी हो रूप की रानी? आज बड़ा चमक रही हो?

सौंदर्या अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:" ठीक हूं मैडम जी। मै वैसे रूप कि रानी नहीं हू। समझी तुम।

राधा:" सच में आज तुम कमाल लग रही हो सौंदर्या। रूप की रानी तो कुछ भी नहीं तुम्हारे आगे।

तभी सीमा की मम्मी अंदर अा गई और उन्हें काम बताने लगी। सारी लड़कियां अपने काम में लग गई और थोड़ी देर बाद ही सारा खाना बन गया था। तभी घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज अाई और सीमा की मम्मी बोली:"

" लगता है सीमा अा गई।

इतना सुनते ही सारी लड़कियां खुशी से बाहर की तरफ दौड़ पड़ी। सच में सीमा ही थी। अपनी सहेलियों को देखते ही उसके चहेरे पर स्माइल अा गई और वो गाड़ी से उतर कर अंदर अा गई।

सीमा का पति और दूसरे सभी लोग सीमा के पापा ने घर में बाहर की तरफ बने हुए एक कमरे में टिका दिए और उनकी आव भगत में लग गए।

वहीं सीमा अंदर अपने कमरे में बैठ गई और सभी लड़कियों से गले मिल रही थी। सपना ने गले मिलते हुए ही उसकी गांड़ पर साडी के उपर से ही हाथ फिर दिया तो सीमा के मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सीमा:" उफ्फ कमीनी क्या करती हैं, दुखता है बहुत।

सपना:" हाय सिर्फ हाथ लगाने से ही दुख रहा है। इसका मतलब रात को तेरे पति ने बहुत अच्छे से तुझे मसला हैं।

ये सुनते ही सीमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और सौंदर्या के चेहरे पर भी पता नहीं क्यों शर्म की हल्की सी लालिमा दौड़ गई। राधा ये देखते ही मुस्कुरा उठी और बोली:"

" तुझे क्या हुआ सौंदर्या, तुम क्यों शर्मा रही हो ?

इससे पहले कि सौंदर्या कुछ बोलती सीमा की मम्मी की आवाज अाई जो सौंदर्या को बुला रही थी। सौंदर्या एकदम से बाहर निकल गई तो सभी हंस पड़ी।

सीमा की मम्मी ने सौंदर्या को कुछ काम दिया और खुद मोहल्ले में सब को बताने के लिए चली गई कि सीमा अाई हैं।

वहीं दूसरी तरफ सौंदर्या जानती थी कि अंदर सपना और राधा जरूर सीमा से मस्ती करेगी इसलिए मौका मिलते ही वो बराबर वाले कमरे में घुस गई। उपर बने हुए रोशनदान से साफ आवाज बाहर अा रही थी। सौंदर्या जानती थी कि उसे बाहर भी जाना पड़ सकता है लेकिन वो पूरी बात जरूर सुनना चाहती थी इसलिए उसने अपने फोन को निकाल कर रिकॉर्डिंग शुरू कर दिया ताकि अगर बीच में जाना पड़ा तो बाद में सुन सके।

सपना:" तो बोल ना सीमा रानी कैसी रही तेरी सुहागरात ?

राधा:" हाय काफी मजा आएगा होगा तुझे तो 7 इंच के साथ। बोल ना अब शर्मा क्यों रही है?

सौंदर्या फिर से उनकी बाते सुनकर मचल उठी। सच में वो जाने के लिए उत्सुक थी कि सीमा के साथ क्या हुआ।

सीमा:" क्या बताऊं अब। पूरी रात मेरी हालत खराब कर दी। सच कहूं तो ऐसा लग रहा था मानो पहली बार सेक्स कर रही हूं मैं। सच में बहुत दर्द हुआ। लेकिन जब दर्द खत्म हुआ तो मैं मस्ती में सिसक रही थी, उछल रही थी, मैं अपने आपे से बाहर थी। बाहर निकलता तो ऐसे लग रहा था जैसे जिस्म से जान निकल रही हो।

सीमा की बाते सुनकर सौंदर्या अपने एक पैर को दूसरे पर रगड़ने लगीं और आंखे बंद करके सोचने लगी कि सीमा की उस वक़्त क्या हालत रही होगी।

सपना:" साफ साफ बता कैसे कैसे क्या हुआ ? हमे भी तो कुछ पता चले।

सीमा:" अच्छा बताती हू बाबा। तुम ऐसे नहीं मानोगी। मैं कमरे में उनका इंतजार कर रही थी। दिल की धड़कन मेरी भी बढ़ रही थी क्योंकि मैं पहले ही उनका लंड देख चुकी थी। सच में परेशान थी कि 7 इंच का लंड जैसे अंदर घुस पाएगा। फिर धीरे से कमरे का दरवाजा खुला और मैं डर और शर्म के मारे कांप उठी।

सौंदर्या की सांसे तेज होने लगी थी और जिस्म में अजीब सी हलचल मची हुई थी। सौंदर्या ने अपने दोनो हाथो की उंगलियों को एक दूसरे में फंसा लिया और मरोड़ने लगी। उसके कान आवाज पर लगे हुए थे।

राधा:" बोल ना फिर आगे क्या हुआ ? क्यों चुप हो गई



इससे पहले की सीमा कुछ बोलती उसकी मम्मी अंदर अाई और बोली:"

" अरे सौंदर्या हैं क्या यहां ?

सीमा एक पल के लिए तो डर ही गई लेकिन फिर बोली:"

" नहीं मम्मी वो तो बाहर चली गई थी। बाहर ही देखो।

सौंदर्या बिना आवाज किए कमरे से बाहर निकली और किचेन में घुस गई। सीमा की मम्मी अाई और देखते ही बोली:"

" अरे बेटी मैं तुम्हे अंदर देख रही थी। चलो कोई बात नहीं । तुम सलाद काट लो।

इतना कहकर उसने चाकू सौंदर्या की तरफ बढ़ा दिया। सौंदेया का मूड खराब हो चुका था लेकिन वो जानती थी कि उसकी पास रिकॉर्डिंग होगी।

थोड़ी देर में पहले सभी पुरुष और उसके बाद सभी लड़कीयों ने खाना खाया। खाना खाकर जाते हुए जब सीमा लंगड़ा कर चल रही थी तो सपना बोली:"

" हाय तेरी तो चाल ही बिगाड़ दी है सात इंच ने। कितनी अच्छी किस्मत हैं तेरी।

राधा:" सच में जरूर तूने पुण्य किए होंगे जो ऐसा लंड किस्मत में मिला हैं तुझे।

सीमा:" चुप हो जाओ तुम। बहुत मस्ती करती हो मेरे साथ।

सपना:" मस्ती क्या सीमा, सच कहूं तो मेरे पास एक डिल्डो है 7 इंच का, लेकिन चाल तो मेरी उससे आज तक नहीं बिगड़ी।

सीमा:" पागल लड़की डिल्डो तो सिर्फ प्यास भड़काते हैं, मर्द जब उपर चढकर धक्के मारता हैं उसकी बात ही अलग होती हैं।

राधा:" अरे आज रात के लिए तुम मुझे दे दो ना अपना डिल्डो। मैं तो बहुत तड़प रही हूं।

सपना बाते करते हुए अंदर जा रही थी कि उसकी जेब से कुछ गिरा और सौंदर्या ने देखा कि ये चाबियो का एक गुच्छा था इसलिए इसके दिमाग में एक प्लान आया और तेजी से आगे बढ़ कर उसे उठा लिया।

सौंदर्या हैरान हो गई कि सीमा ऐसी चीज अपने पास रखती हैं। जैसे ही सभी लड़कियां अंदर गई तो सौंदर्या को अपने फोन का ध्यान आया और तेजी से कमरे में घुस गई और देखा कि अभी तक रिकॉर्डिंग चालू थी।

सौंदर्या खुश हुई और फोन को बंद करके अपने पॉकेट में रखा और बाहर निकल गई।

सौंदर्या सीमा की मम्मी से बोली:"

"चाची मुझे घर कुछ काम हैं । मैं अभी आती हूं।

सीमा की मम्मी:" ठीक है बेटी लेकिन जल्दी आना।

सौंदर्या:" ठीक हैं, बस अाई और गई मैं।

सौंदर्या बिजली की गति से बाहर निकल गई और सामने ही सड़क के दूसरी तरफ बने हुए सीमा के घर के पास अा गई। वो जानती थी कि इस समय सभी लोग खेत पर होंगे। उसने एक बार चोर नजरो से इधर उधर देखा और धड़कते दिल के साथ अंदर घुस गई। उसकी सांसे बहुत तेजी से चल रही थी। उसके पूरा जिस्म पसीने से भीग चुका था लेकिन वो तेजी से उपर की तरफ दौड़ी और जल्दी ही सीमा के कमरे के सामने अा गई।

उसने ताले को चाबी से खोला लेकिन ये चाबी नहीं लगी तो उसकी हालत खराब हो गई। वो अच्छे से जानती थी कि अगर पकड़ी गई तो किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगी।

उसने एक के बाद एक जल्दी करके सारी चाबी से कोशिश करनी शुरू कर दी और जल्दी ही उसकी मेहनत रंग लाई और ताला खुलते ही वो कमरे के अंदर घुस गई।

उसने कांपते हाथो से सीमा की अलमारी को खोला और जल्दी जल्दी सामान देखने लगी। लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा। आखिरकार उसने एक बार फिर से ढूंढ़ा और उसके हाथ में एक पैकेट जैसा कुछ अाया और सौंदर्या ने तेजी के साथ उसे खोला और उसकी आंखे खुशी से चमक उठी।

" डिल्डो"

डिल्डो उसने सुना जरूर था लेकिन आज पहली बार देख रही थी। उसने हाथ में लिया तो उसकी लम्बाई उसकी पूरी हथेली से बाहर निकल गई।

सौंदर्या की हालत खराब हो गई। उसने तेजी से पैकेट को लिया और कमरा बंद करते हुए बाहर निकल गई। उसने घर को पहले की तरह बंद किया और सड़क पर अा गई।

तभी उसकी नजर अपने हाथ में पकड़े हुए डिल्डो के पैकेट पर पड़ी जिस पर लंड छपा हुआ था तो सौंदर्या की सिट्टी पित्ती घूम हो गई। लेकिन मेहनत और रिस्क लेकर उसने डिल्डो निकाल तो लिया लेकिन अभी उसे कहां रखे।


उसकी समझ में कुछ नहीं अा रहा था तभी सामने से गांव का एक लड़का आता नजर आया तो सौंदर्या का दिल ऐसे धड़कने लगा मानो उसकी छाती को फाड़ कर बाहर आ जायेगा।

सौंदर्या ने पैकेट को अपने पीछे कर लिया और अपने घर की तरफ चल पड़ी। जैसे जैसे वो आदमी पास आता जा रहा था सौंदर्या की हालत खराब होती जा रही थी। उसे लग रहा था मानो उसकी उसकी सारी इज्जत आज मिट्टी में मिल जाएगी।

वो आदमी सौंदर्या को घूरता हुआ उसके पास से निकाल गया तो सौंदर्या ने तेजी से वो पैकेट आगे कर लिया क्योंकि वो जानती थी कि पीछे से वो आदमी जरूर उसकी गांड़ को घूर रहा होगा।

थोड़ा आगे जाकर सौंदर्या ने पीछे की तरफ देखा तो पाया कि आदमी खड़ा हुआ उसकी गांड़ को ही घूर रहा था। सौंदर्या तेजी से आगे मुड़ी और देखते ही देखते अपने घर के सामने अा गई।

सौंदर्या को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, उसने अजीब मुसीबत गले में डाल ली थी। तभी सड़क पर फिर से उसे वहीं आदमी नजर आया जो शायद फिर से उसे घूरने अाया था। सौंदर्या ने फैसला किया और डिल्डो के पैकेट को अपनी लहंगे में घुसा लिया और घर के अंदर घुस गई।

उसने चैन की सांस ली और अगले ही उसे लगा कि मानो उसने भूत देख लिया हो। उसकी मम्मी खड़ी हुई थी। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं

कमला:" क्या हुआ बेटी ? तुझे तो बहुत पसीना आया हैं ?

सौंदर्या:" मम्मी वो मैं वो दौड़ कर अाई हूं । तेजी से इसलिए...
 
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कमला:" क्या हुआ बेटी बोल ना ? डर क्यों रही हैं ?

सौंदर्या को मन कर रहा था कि ये धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए। उससे कोई जवाब नहीं बन रहा था।

कमला: कहीं तेरे पीछे फिर से कुत्ता तो नहीं भाग पड़ा था ?

सौंदर्या की सांस में सांस अाई और बोली:"

" हा हान। मम्मी फिर से कुत्ता मेरे पीछे भाग पड़ा था। बड़ी मुश्किल से बची हू आज।

कमला:" रूक मैं तेरे लिए पानी लाती हूं। बैठ जा आराम से।

सौंदर्या जानती थी कि बैठने से उसके लहंगे में उभार बन सकता है इसलिए कमला के किचेन में घुसते ही वो तेजी से चलती हुई उपर अपने कमरे में घुस गई। उसने जल्दी से पैकेट को बाहर निकाला और अपनी अलमारी में छुपा लिया। वो अलमारी बंद कर रही थी कि अपनी मम्मी की आवाज सुनकर वो गिरते गिरते बची।

" बेटी क्या हुआ? अलमारी में क्या कर रही है तू?

सौंदर्या डर गई कि कहीं उसकी मम्मी ने उसे देख तो नहीं लिया। लेकिन फिर बहाना बनाते हुए बोली:"

" मम्मी सीमा के लिए कोई गिफ्ट देख रही थी। मिला ही नहीं।


कमला:" परेशान मत हो। पैसे दे देना। अपनी पसंद से खरीद लेगी वो। अच्छा लो तुम पहले पानी पियो।

सौंदर्या ने चैन की सांस ली और और अपने कमरे ने बैठ कर पानी पीने लगी।

सौंदर्या:" मम्मी वो आप मुझे पैसे दे दो। मैं अभी बाथरूम से आती हूं।

कमला नीचे की तरफ अाई और सौंदर्या बाथरूम के गेट से वापिस फिर अपने कमरे में घुस गई। उसने पैकेट को ठीक से छुपाया और नीचे अा गई।

कमला ने उसे पैसे दिए और बोली:"

" बेटी मैं भी आऊ क्या तेरे साथ ? क्या पता फिर से कुत्ता मिला जाए।

सौंदर्या:" नहीं मम्मी। आप रहने दो। गर्मी हैं बहुत बाहर। वो तो घर के अंदर चला गया था।

इतना कहकर सौंदर्या तेजी से वापिस

चल पड़ी। उसे चिंता हो रही थी कि अगर सीमा की मम्मी ने सबको बता दिया कि मैं घर गई हूं तो दिक्कत हो जाएगी। वो अपने जिस्म की सारी ताकत समटेकर तेजी से चल रही थी और कुछ ही मिनट में वो सीमा के घर के अंदर घुस गई।

सौंदर्या अंदर डरते हुए घुस गई कि कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए लेकिन सभी कुछ था।

सीमा की मम्मी अभी भी बाहर ही काम कर रही थी और अंदर से बाते करने की आवाज अा रही थी। सौंदर्या ने धीरे से मौका देखकर चाभी को निकाला और एक साइड में फेंक दिया और अंदर चली गई।

थोड़ी देर तक उनकी मस्ती भरी बाते चलती रही। उसके बाद धीरे धीरे शाम होने लगी और आखिरकार सीमा के वापिस जाने का समय हो गया। सीमा करीब छह बजे गाड़ी में बैठकर वापिस चली गई।

उसके बाद एक एक करके सभी लड़कियां अपने घर की तरफ लौट गई। सपना और राधा दोनो सपना के घर गई लेकिन वहां अलमारी में डिल्डो ना पाकर दोनो परेशान हो गई। खास तौर से सपना की हालत खराब थी कहीं किसी के घर में हाथ लग गया तो बहुत दिक्कत हो जाएगी।

दूसरी तरफ सौंदर्या अपने घर पहुंच गई। गर्मी ज्यादा होने के कारण उसने अपनी ब्रा निकाल दी और फिर नीचे आकर अपनी मा के साथ काम में लग गई।

सौंदर्या:" मम्मी बाहर कहीं बाहर गया है क्या ? दिख नहीं रहा है।

कमला:" अरे बेटी वो घूमने के लिए गया हुआ हैं। खेत देखने अपने, उसके बाद शाम को वापिस अा जाएगा।

सौंदर्या:" ये तो अच्छा किया भाई ने। मैं भी उसके साथ जाती लेकिन सीमा के यहां चली गई।

कमला:" कोई बात नही, तुम कल चली जाना। अब एक काम करो जल्दी से खाना बनाने में मेरी मदद करो।

सौंदर्या अपनी मा के साथ काम में लग गई और थोड़ी देर बाद ही खाना बन गया। बाहर अब हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था।

अजय खेत देखकर वापिस अा रहा था कि उसे बाथरूम लगी और वो सड़क के किनारे एक खेत में मूतने लगा। तभी उसे खेत के अंदर से कुछ आवाज आती हुई महसूस हुई और अजय सतर्क हो गया।

धीरे धीरे दबे पांव वो आगे बढ़ा और धीरे धीरे अा रही आवाज अब सिसकियों में बदल गई थी। अजय ने देखा कि एक लड़की पूरी तरह से घोड़ी बनी हुई थी और पीछे से कोई उसे चोद रहा था जिससे उसकी मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी।

अजय ने सेक्सी वीडियो तो बहुत देखी थी लेकिन आज पहली बार सच में सेक्स होते देख रहा था। अजय के लंड में तनाव आने लगा। पीछे से आदमी की गांड़ साफ हिलती हुई दिख रही थी और लड़की की सिसकियां तेज होती जा रही थी। किसी की भी शक्ल वो नहीं देख पा रहा था लेकिन शरीर साफ दिख रहे थे। उसका हाथ अपने आप अपने लंड पर पहुंच गया और पेंट के उपर से ही हिलाने लगा।

तभी आदमी ने तेजी से एक धक्का मारा और लड़की के उपर गिर गया जिससे दोनो आगे को गिर पड़े। इसके साथ दोनो झड़ते चले गए और अजय जानता था कि अब उसका रुकना ठीक नहीं हैं इसलिए बाहर निकल गया और अपने घर की तरफ चल पड़ा।

अजय घर पहुंच गया लेकिन उसके मन में अभी भी वहीं चुदाई वाला दृश्य घूम रहा था और उसके अंदर जबरदस्त हलचल मची हुई थी।

अजय को देखते ही सौंदर्या खुश हो गई और बोली:"

" भाई अा गए खेत से घूमकर तुम ? कैसा लगा ?

अजय:" हान दीदी अा गया। काफी अच्छा लगा, गांव की ताजी साफ हवा। मजा आ गया सच में।

कमला:" अच्छा अभी काफी अंधेरा हो गया है। मुझे तो सीमा के घर जाना हैं थोड़ा काम हैं। सौंदर्या तब तक तुम अपने भाई को खाना खिला देना।

सौंदर्या:" ठीक है मम्मी। चलो भाई तुम जल्दी से फ्रेश होकर अा जाओ। मैं खाना लगा देती हूं।

अजय बाथरूम में घुस गया और थोड़ी देर बाद वापिस अा गया। तब तक खाना लग गया था सौंदर्या वहीं अजय के सामने खड़ी हुई थी। उसने एक गुलाबी रंग का सुंदर सूट पहना हुआ था और उसमें काफी आकर्षक लग रही थी। अजय की नज़रे अपनी बहन पर ही टिकी हुई थी क्योंकि नीचे ब्रा ना होने के कारण उसकी चुचियों का उभार काफी दिख रहा था और सौंदर्या को इसका एहसास नहीं था।

सौंदर्या थोड़ा आगे हुई और स्माइल करती हुई बोली:"

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" भाई देखो मैंने आपकी पसंद का खाना बनाया है। मटर पनीर और रायता भी घर की दही का।

सौंदर्या के थोड़ा आगे होने से उसके उभार पहले से ज्यादा अच्छे से दिख रहे थे और अजय उन्हें देखने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा था।

अजय:" हान दीदी खुशबू तो बहुत अच्छी अा रही है। सच में मजा अा जाएगा आज तो।

सौंदर्या ने अपने भाई को खाना परोसना शुरु कर दिया और अजय खाना खाने लगा।

सौंदर्या:" कैसा बना हैं खाना ? पसंद आया मेरे भाई को ?

अजय:" दीदी बहुत सच में मजा आ गया। आपने बहुत अच्छा खाना बनाया है। दीदी थोड़ा पनीर और दो ना मुझे।

सौंदर्या पनीर देने के लिए थोड़ा सा आगे झुकी और जैसे क़यामत हो गई। सौंदर्या ये भूल गई थी कि उसने ब्रा नहीं पहनी हैं और उसके नीचे झुकते ही उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी।

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अपनी बहन की चुचियों के उभार को ऐसे उछलते देखकर अजय मस्त हो गया और उसकी नजरे सीधी वहीं टिक गई।

सौंदर्या को उसकी नज़रों का एहसास हुआ तो उसे अपनी गलती महसूस हुई लेकिन वो आंखे नीची करके पनीर डालती रही और अजय ने जी भर कर अपनी बहन के उभार को निहारा।

जैसे ही सौंदर्या वापिस पीछे हुई तो अजय ने एक आखिरी नजर उसकी चूचियों के उभार पर गड़ाई और खाना खाने में लग गया। सौंदर्या को अब थोड़ी शर्म अा रही थी कि उसे अपने भाई के घर में होते ब्रा नहीं निकालनी चाहिए थी।

अजय खाना खाते हुए बोला:"

" दीदी सच में आपने बहुत ज्यादा स्वादिष्ट खाना बनाया है। जी करता है आपकी उंगलियां चूम लूं। सच में मजा अा गया।

सौंदर्या:" बस बस ज्यादा नौटंकी मत कर। दीदी जब तक ही याद होती हैं तब तक शादी ना हो जाए।

अजय:" तुम्हारी कसम दीदी। सच में खाना अच्छा बना है। और पत्नी के आने से क्या आप मेरी दीदी नहीं रह जाओगे? वैसे वो बाद में आएगी पहले मैं आपकी शादी कर दूंगा।

सौंदर्या:" भाई शादी को छोड़। मुझे तुझसे कुछ जरूरी बात करनी थी।

अजय:" हान बोल मेरी प्यारी बहन। क्या हुआ?

सौंदर्या:" भाई वो लड़की जिसे तुमने गुण्डो से शहर में बचाया था उसे किसी ने मार दिया है।

अजय को एक झटका सा लगा और चौंकते हुए बोला:"

" इसका मतलब गुण्डो ने उसे मार दिया और शायद वो अब मुझसे ढूंढे। उनकी इज्ज़त खराब हुई होगी पिटने के कारण।

सौंदर्या:" तुम्हे भी और भाई तुमसे ज्यादा खतरा तो मुझे हैं क्योंकि मेरे मुंह पर तो मास्क भी नहीं था।

अपनी दीदी की बाते सुनकर अजय को आने वाले खतरे का एहसास हुआ और वो समझ गया कि उसकी दीदी सच में खतरे में पड़ चुकी हैं।

अजय:" दीदी आप फिक्र मत करो। आपके भाई के होते हुए कोई आपको छू भी नहीं सकता है। आज से आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी हैं।

सौंदर्या:" लेकिन भाई तुम कहां कहां मेरे साथ रहोगे ? कोई दूसरा उपाय देखना होगा।

अजय:" जब तक कोई दूसरा उपाय नहीं मिलता मैं हर टाइम आपके साथ रहूंगा। मैं जल्दी ही उन तक पहुंच कर उन्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा।
 
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अजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।

सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।

सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।

उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।

छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।

बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं

" दीदी कहां हो आप ?

छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"

" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!

अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।

अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?

सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:

:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।

अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।

अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"

" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?

अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।

सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।

इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'

" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।

सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"

" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।

सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"

" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।

सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।

अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।

अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"

" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।

अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।

सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"

" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।

अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।

सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।

अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।

तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।

सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।

देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"

" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।

सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"

" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।

बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"

" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।

सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।

अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?

सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।

इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।

बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।



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अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देखते ही अजय की धड़कन पूरी तरह से बढ़ गई और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई। वो धीरे धीरे क़दमों से चलता हुआ बिल्कुल सौंदर्या के करीब हो गया और उसकी चूचियों को गौर से देखने लगा।

तभी सौंदर्या ने अपनी आंखे खोल दी और अजय की हालत खराब हो गई लेकिन सौंदर्या को उसकी इस हरकत का एहसास नहीं हुआ और बोली:"

" ओह भाई तुम भी नहा लो अच्छे से। गांव की बारिश में देखो कितना मजा आ रहा है।

अजय ने अपनी आंखे सौंदर्या की आंखो में डाल दी और बोला:"

" सच में दीदी। बहुत अच्छा लग रहा है। बचपन में भी हम दोनों ऐसे ही साथ नहाते थे छत पर।

सौंदर्या:" हान भाई। मुझे सब कुछ याद हैं।

सौंदर्या अपने दोनो हाथ पीछे ले गई और अपने बालो को खोलने लगी ताकि खुल कर बारिश का मजा ले सके। लेकिन जल्दी के चक्कर में उसकी क्लिप बालो में फंस गई और उसके उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी।

सौंदर्या:" उफ्फ भाई। मेरी क्लिप बालो में फंस गई है। निकाल दो ना, आह कितना दर्द कर रही है।

अजय अपनी बहन के पीछे पहुंच गया और उसके बालो में फसी हुई क्लिप को निकालने लगा। अजय अपनी हाथ से क्लिप निकाल रहा था और उसकी नजरे अपनी बहन के दूध से गोरे चिट्टे कंधो पर टिकी हुई थी जिसे देखकर अजय के लंड में भी तनाव अा रहा था।

सौंदर्या:" आह क्या हुआ भाई? निकल नहीं रही हैं क्या ?

अजय ने हल्की सी ताकत लगाई तो उसके बाल खींच गए और उसे दर्द का एहसास हुआ तो सौंदर्या बोली:"

" आह भाई। थोड़ा आराम से करो ना, दर्द होता है।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से फंस गई है। थोड़ी दिक्कत हो होगी ही।

सौंदर्या:" अच्छा रुक में थोड़ी मदद करती हूं ।

सौंदर्या थोड़ी पीछे को हुई और उसने अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका दिया ताकि उसे निकालने में आसानी हो। गर्दन पीछे की तरफ झुकते ही सौंदर्या की चूचियां अपने आप उपर उठती चली गई।

पीछे होने से सौंदर्या अजय से जा लगी और उसकी कमर अजय की छाती से मिल गई। अजय को अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसने क्लिप पर अपनी नजरे टिका दी और खोलने लगा।

सौंदर्या:" आह भाई। लगता है खुल जाएगा।

क्लिप अजय के हाथ में थी और कभी भी खोल सकता था। अजय ने एक आखिरी बार अपनी बहन के कंधे को देखने का सोचा और कंधे पर नजर पड़ते ही उसे सौंदर्या की मस्त मस्त गोल चूचियां आधे से ज्यादा उपर की तरफ उठी नजर आईं तो उन्हें देखने के लिए वो थोड़ा सा और आगे की तरफ झुक गया और उसकी जांघें सौंदर्या के पिछवाड़े से मिल गई। अजय ने सौंदर्या के कुछ बाल पकड़े और उन्हें क्लिप में फिर से फंसा दिया।

सौंदर्या की कमर अजय की छाती से चिपक जाने से सौंदर्या को पहली बाद मर्द की छुवन का एहसास हुआ तो उसके जिस्म के तार झनझना उठे और बोली:"

" निकाल ना भाई, क्या कर रहा है इतनी देर से ?

अजय थोड़ा सा आगे को हुआ और उसकी जांघें अब पूरी तरह से सौंदर्या की टांगो में पीछे से चिपक गई और अजय अब बिल्कुल अपने पंजो पर खड़े होते हुए जितना हो सकता था आगे कि तरफ झुक गया जिससे उसे सौंदर्या की चूचियां पूरी नजर आ रही थी। बस निप्पल ही अंदर कैद थे और पूरी चूचियां बाहर।

अजय ने चूचियों को देखते हुए बालो को खोलना शुरू कर दिया। सौंदर्या के गर्म जिस्म की आंच पाकर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा जिसका एहसास अब सौंदर्या को हो रहा था। अजय की सांसे तेज हो गई थी और सीधे सौंदर्या की गर्दन पर पड़कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिससे उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी और उसकी चुचियों में कम्पन होने लगा और उसके जिस्म में चिंगारी सी उठने लगी और सौंदर्या मचलते हुए बोली:"

" आह भाई, तुम भी ना बस, एक क्लिप नहीं खुल रही तुमसे, इतने बड़े हो गए हो।

अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से आपके बाल फंसे हुए हैं, थोड़ा जोर लगाता हूं तो आपको दर्द होता है।

सौंदर्या:" आह लगा दे जोर, लेकिन थोड़ा ध्यान से करना, कहीं मेरे बाल ही ना फाड़ दो।

अजय ने अपने एक हाथ को सौंदर्या के कंधे पर रखकर उसकी गर्दन को पीछे की तरफ किया तो सौंदर्या अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और जिससे उसकी कमर उसकी छाती में घुस सी गई और अजय थोड़ा आगे को हुआ और तेजी से जोर से क्लिप को बाहर खींचा तो उसका पूरी तरह से खड़ा हो चुका लंड सौंदर्या की गांड़ में टकराया।

क्लिप के साथ कुछ बाल भी खींच गए और सौंदर्या को अपने पिछवाड़े में कुछ बहुत सख्त सा टकराता महसूस हुआ और सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल गई। ये आह बालो में हुए दर्द की वजह से कम और पीछे लंड टकराने की वज़ह से ज्यादा निकली थी। झटके की वजह से क्लिप निकल गई लेकिन हाथ से छूट कर वहीं गिर पड़ी छत पर।

सौंदर्या पलटी और उसने थोड़ा नाराजगी से अजय के सीने में कुछ घुस्से जमा दिए और शिकायती लहजे में बोली:"

" अज्जु भाई, पूरे ज़ालिम हो तुम, हर काम ताकत से नही होता, थोड़ा दिमाग भी लगाया करो। आज तो तुम मेरी जान ही निकाल देते। चलो लाओ मेरी क्लिप दो जल्दी।

अजय ने अपने हाथ में देखा तो क्लिप नहीं थीं। सौंदर्या ने उधर उधर देखा तो पाया कि क्लिप वहीं निकल कर गिर गई है तो वो क्लिप झुकाने के लिए जैसे ही नीचे झकी तो उसकी चूचियां काबू से बाहर होकर उछल पड़ी मानो अपनी आजादी चाहती हो।

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अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देख कर सम्मोहित सा हो गया और उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बहन की चुचियों के उभार पर ठहर गई। सौंदर्या ने क्लिप को पकड़ना चाहा लेकिन छत पर बह रहे पानी के साथ वो थोड़ी आगे पहुंच गई और ठीक अजय के सामने पहुंच गई जिसका लंड अब पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था। सौंदर्या ने तेजी से आगे होते हुए उसे पकड़ लिया और क्लिप हाथ में लेकर सौंदर्या जैसे ही उपर उठी तो उसका माथा अपने भाई के तम्बू से टकराया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। लंड पर अपनी बहन का माथा लगते ही अजय की नजरे उसकी चुचियों से हट गई और सौंदर्या ने एक बार खड़ी होते हुए उपर की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके माथे पर क्या लगा था तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई। हे भगवान उफ्फ ये क्या हो गया।

सौंदर्या तेजी से पलटी और नीचे की तरफ भागती हुई चली गई। वहीं अजय को जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। उफ्फ ये मुझसे क्या पाप हो गया, पता नहीं दीदी अब मेरे बारे में क्या सोचेगी।

अजय भी अपनी बहन के पीछे पीछे ही नीचे की तरफ अा गया। नीचे लाइट अा गई थी और सौंदर्या तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने का सोचने लगी। उसने अपनी अलमारी को खोलना चाहा लेकिन वो नहीं खुल पाई क्योंकि उसका लॉक बुरी तरह से फंस गया था।

सौंदर्या को लगा कि अजय उसकी मदद कर सकता है लेकिन वो अपने भाई की नजरो का सामना कैसे कर पाएगी। छत पर जो हुआ उसके बाद अभी तक उसकी सांसे उखड़ी हुई थी और उसके जिस्म के रोम रोम में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी।

सौंदर्या को जब कोई उपाय समझ नही आया तो उसने बेड के नीचे रखे हुए संदूक से अपने कपड़े निकालने की सोची लेकिन संदूक तो भारी था। मतलब उसे दोनो ही हालत में अजय की मदद लेनी होगी लेकिन अगर अलमारी नहीं खुल पाई तो आज रात के उसके प्लान का क्या होगा क्योंकि डिल्डो तो अलमारी में ही बंद हैं। डिल्डो के बारे में सोचते ही उसके मन में मस्ती भरी तरंगे उठने लगी और वो बिना कुछ समझे बाहर की तरफ अाई तो उसकी नजर अजय पर पड़ गई। अजय को देखते ही उसकी हालत फिर से खराब हो गई गर्दन अपने आप शर्म से नीचे झुक गई। लेकिन सौंदर्या शर्मीली जरूर थी पर हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। उसने अपनी नजरे नीचे ही रखी और बोली:"

" भाई मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं और मम्मी अा गई तो मुझे डांट पड़ेगी। क्या तुम मेरा संदूक निकाल सकते हो ? भारी हैं वो मुझसे बाहर नहीं अा रहा।

अजय अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा अच्छा महसूस किया और बोला:'

" ठीक है दीदी। मैं निकाल देता हूं इसमें कौन सी बड़ी बात हैं।

अजय उसके कमरे में घुस गया और बेड के नीचे रखे हुए संदूक को अपनी तरफ़ खींचने लगा लेकिन संदूक खड़ा हो गया था जिससे पुरा बेड हिल रहा था और सब कुछ उल्टा पुल्टा होने का खतरा था इसलिए सौंदर्या बोली:"

" भाई बस वहीं सीधा कर दो, कहीं बेड ही ना खींच जाए, मैं निकाल लुगी अंदर से ही।

अजय ने अपनी दीदी की बात मानते हुए संदूक को वहीं सीधा कर दिया और खड़ा हो गया तो सौंदर्या नीचे फर्श पर अपने घुटनों के बल झुक गई और अंदर झांकने लगी। सौंदर्या के झुकने से उसकी गांड़ पूरी तरह से उसकी गीली नाइटी में चिपक गई और पूरी तरह से खुल कर बाहर की तरफ उठ गई।

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सौंदर्या थोड़ा आगे को हुई और बेड के नीचे झांकने लगी। नाइटी उसके कंधो से हल्की सी खिसक गई और उसके दूधिया गोरे कंधे संगमरमर की तरह चमक उठे और उसके खुले हुए बाल उसकी कमर पर फैल गए। अजय ये नजारा देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। उसे आज समझ में आ रहा था कि उसकी बहन क्या चीज हैं। उसकी उठी हुई मोटी मोटी गांड़, बाहर की तरफ निकली हुई बिल्कुल जानलेवा, एकदम किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह या उससे भी कहीं बेहतर।

सौंदर्या संदूक को खोलने की कोशिश करने लगी जिससे उसका जिस्म इधर उधर लहराने लगा और तो पूरी तरह से अपने होश खो चुका था और उसका एक हाथ अपने लंड पर अपने आप ही पहुंच गया।

सौंदर्या के हाथ ठीक से संदूक तक नहीं पहुंच पा रहे थे जिससे वो थोड़ा ज्यादा आगे को हुई और उसकी नाइटी बेड के साथ फंस गई और सौंदर्या की। कमर पर खिसक गई जिसका नतीजा ये हुआ कि पीछे से सौंदर्या की गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।


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अपनी बहन के मात्र सफेद रंग की पतली से पेंटी में कैद गोरे गोरे गांड़ के पटो को देखते ही अजय के मुंह से एक आह निकल पड़ी। सौंदर्या इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी नाइटी गांड़ पर से खिसक गई है। वो संदूक को खोल चुकी थी और अपने कपड़े निकाल रही थी जिससे उसकी गांड़ बार बार इधर उधर उछल रही थी। अजय का मन कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर गांड़ को अपने दोनो हाथो में थाम कर रगड़ रगड़ कर मसल डाले। लेकिन अपनी सगी बहन पर हाथ डालने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी।


सौंदर्या ने अपने कपड़े निकाल लिए और संदूक बंद करने के लिए जैसे ही हल्की सी आगे हो हुई तो उसकी गांड़ थोड़ा और अच्छे से खुल गई और अजय अपने होशो हवास खो बैठा और बिल्कुल सौंदर्या की गांड़ के पास बैठ गया और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा। सौंदर्या ने संदूक को बंद किया और धीरे धीरे पीछे को हटने लगी। अजय सौंदर्या की गांड़ को देखते हुए पूरी तरह से मदहोश होकर पागल हो गया था और सौंदर्या के पीछे हटने से उसकी गांड़ लंड के करीब होती जा रही थी लेकिन मदहोश अजय ये सब होते देख कर तेजी से अपना लंड सहला रहा था। सौंदर्या जैसे ही एक झटके से पीछे हुई तो बेड में फंसी हुई नाइटी पीछे उसकी गान्ड पर अा गई लेकिन उसकी गांड़ अपने भाई के लंड से जोर से टकराई।

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सौंदर्या के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी और अजय ने तेजी से अपने लंड को पैंट के अंदर किया और सौंदर्या बाहर निकल गई। सौंदर्या के चेहरे का रंग एक बार फिर से उड़ गया था और उसने एक तिरछी नजर अजय की पेंट में बने हुए उभार पर डाली तो उसे समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर क्या टकराया था। हाय राम, कितना बड़ा उभार बना हुआ है इसकी पेंट में,इंसान है या घोड़ा ये मेरा भाई भी।

सौंदर्या के जिस्म में रोमांचक लहर दौड़ रही थी। लंड को देखते ही उसे फिर से डिल्डो याद अा गया लेकिन वो तो अलमारी में बंद हैं और आज उससे अलमारी तो नहीं खुल सकती।

उसने जोश में आकर एक फैसला लिया और अजय से बोली:"

" भाई तुम मेरी ये अलमारी भी खोल दो, मुझसे तो नहीं खुल रही हैं ये।

अजय बिना किसी बोले अलमारी के पास पहुंच गया और उसे खोलने लगा लेकिन उससे नहीं खुल रही थी। सौंदर्या तिरछी नजरों से बार बार उसके पेंट में बने हुए उभार को देख रही थी। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि इतना बड़ा उभार क्या सच में लंड का हो सकता हैं।

अजय से अलमारी नहीं खुल रही थी तो वो बोला:"

" दीदी कल दिन में खोल दू क्या ? अभी तो नहीं खुल रही है।

सौंदर्या उदास सी हो गई और बोली:" भाई प्लीज़ आज ही खोल दो ना आप, इतनी ताकत हैं मेरे भाई के अंदर।

अजय ने थोड़ा अच्छे से अलमारी को पकड़ा और खोलने की कोशिश करते हुए बोला:"

" उफ्फ कितनी टाइट हैं,ऐसा क्या है दीदी इस अलमारी में जो आपको अभी चाहिए ?

सौंदर्या एक पल के लिए तो सकपका सी गई क्योंकि उसे तो अलमारी से डिल्डो चाहिए था लेकिन अपने भाई से कैसे बोल सकती हैं। फिर स्माइल करते हुए बोली:"

" भाई मेरे कुछ प्रोजेक्ट हैं जो आज रात मुझे देखने हैं, कल मुझे उसकी क्लास लेनी होगी।

अजय ने अलमारी के लॉक को अच्छे से पकड़ा और उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा तो एक जोरदार झटके के साथ अलमारी खुल गई और सारा सामान बेड पर गिर पड़ा। पैकेट से बाहर निकल कर डिल्डो गिरा और अजय की आंखो के ठीक सामने। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं, उसके चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।

अजय ने आगे बढ़कर डिल्डो को हाथ में उठा लिया और एक बार अपनी बहन की तरफ देखा जो सूखे पत्ते की कांप रही थी। अजय की नजरो का सामना करते ही सौंदर्या बेहोश हो गई और नीचे हवा में गिरने लगीं लेकिन अजय ने अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और बेड पर लिटा दिया। तभी बाहर दरवाजा खुला और वो समझ गया कि उसकी मम्मी वापिस लौट अाई हैं। उसने तेजी से सारा सामान अलमारी में भरा और डिल्डो को भी वापिस अलमारी में रख दिया और एक नजर अपने बहन के चेहरे पर डालकर अपने कमरे में घुस गया।

कमला नीचे अा गई और वो भी बारिश में काफी भीग गई थी इसलिए नीचे कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने लगीं।

अजय को अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली संस्कारी दीदी के पास डिल्डो भी होगा ये उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

अपनी मा की तरफ से बेफिक्र होकर वो फिर से अपनी बहन के कमरे में घुस गया। सौंदर्या अभी तक बिस्तर पर ऐसे ही बेहोश पड़ी हुई थी। अजय ने एक नजर अपनी बहन पर डाली और उसके मन में एक विचार अाया। उसने अलमारी को खोला और डिल्डो बाहर निकाल लिया।

अलमारी खुलने की आवाज से सौंदर्या की आंखे खुल गई लेकिन अपने भाई के हाथ में डिल्डो देखकर उसने आंखे बंद रखने में ही भलाई समझी। अजय डिल्डो को अपनी नाक के पास लाया और सूंघने लगा।

सौंदर्या बिस्तर पर पड़ी पड़ी ही फिर से कांप उठी क्योंकि वो समझ गई थी कि उसका भाई डिल्डो इसलिए सूंघ रहा है कि वो उसकी चूत के रस की गंध महसूस कर सके। सौंदर्या के बदन में फिर से उत्तेजना दौड़ने लगी लेकिन उसने अपनी आंखो को बंद ही रखा और धीरे धीरे उसे बीच बीच में देख रही थी।


अजय को डिल्डो से उठती हुई खुशबू मदहोश कर रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली और जोर जोर से उसे सूंघने लगा। अजय ने मस्ती में अपना एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और उपर से ही सहलाने लगा। सौंदर्या ये सब देखते ही मचल उठी और अपने जांघो को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया। तभी अजय के दिमाग में एक विचार आया कि उसकी बहन तो बेहोश हैं तो डिल्डो से क्यों खुशबू सूंघना, क्यों ना सीधे अपनी बहन की पेंटी से ही सूंघ लू। सौंदर्या को कुछ पता भी नही चलेगा और उसके मजे हो जाएंगे। ये विचार मन में आते ही उसने एक बार सौंदर्या की तरफ देखा और सौंदर्या फिर से अपनी आंखे बंद कर ली। अजय धीरे धीरे अपनी बहन के पास बैठ गया और उसे प्यार से आवाज लगाई

" सौंदर्या दीदी। मेरी प्यारी दीदी उठ जाओ आप।

लेकिन सौंदर्या ने शर्म के मारे कोई जवाब नहीं दिया तो अजय समझ गया कि उसकी बहन अभी तक बेहोश ही हैं तो उसने धीरे से सौंदर्या की नाइटी ऊपर की तरफ सरका दी और सौंदर्या की हालत पूरी तरह से खराब हो गई। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसका भाई क्या करने जा रहा है और वो कुछ बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी इसलिए चुप लेती रही।

नाइटी के उपर जाते ही अजय ने एक नजर अपनी बहन की दूध की गोरी, केले के तने के समान चिकनी जांघों पर डाली और अगले ही पल उसकी जांघो के बीच में अपना मुंह घुसा दिया। सौंदर्या का समूचा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। अजय ने अपने मुंह को आगे किया और सीधे उसकी जांघो के जोड़ पर पेंटी के उपर से सूंघने लगा। अपनी भाई की गर्म गर्म सांसे अपनी पेंटी के ऊपर पड़ते ही सौंदर्या के मुंह से आह निकलते निकलते बची। उसने अपने एक हाथ से बेड शीट को दबोच लिया और दूसरे से अपने मुंह को कस कर बंद कर लिया।


सौंदर्या की पेंटी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीगी हुई थी और अजय ने अपनी नाक को पेंटी के उपर टिका दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या की टांगे अपने आप ही थोड़ी सी खुल गई। तभी सीढ़ियों से कमला के आने की आहट हुई और अजय फुर्ती से उठा और उसने सौंदर्या की नाइटी को ठीक किया और उसके ऊपर एक चादर डाल कर वहीं बेड पर बैठ गया और मोबाइल में वीडियो देखने लगा।

कमला अंदर अा गई और बोली:"

" अरे मैं तुम दोनों को नीचे देख रही थी और तुम दोनों यहां हो।

अजय:" मम्मी मैं उपर ही अा गया खाना खाकर और दीदी से बात करने लगा। ये बात करते करते ही सो गई।

कमला:" ओह बेचारी, थक गई होंगी, दिन भर काम किया इसने आज सीमा की मम्मी बता रही थी मुझे। अरे ये बेड शीट गीली क्यों हो रही है?

बेड पर बैठते ही कमला को शीट के गीले होने का एहसास हुआ। सौंदर्या समझ गई कि अब उसे बोलना ही पड़ेगा क्योंकि उसकी चादर के नीचे डिल्डो भी पड़ा हुआ था। भाई की नजरो में तो वो गिर ही गई और मा की नजरो में बचना चाहती थी इसलिए सौंदर्या के धीरे से अपनी आंखे खोल दी और बोली:"

" मम्मी आप कब अाई ? वो मैं छत पर भीग गई थी इसलिए गीली हो गई।

कमला ने एक झटके के साथ चादर को हटा दिया और बोली:"

" पागल लड़की गीले कपड़ों के साथ सोएगी तो बीमार पड़ जाएगी।

चादर के हटते ही डिल्डो बाहर अा गया लेकिन इससे पहले कि कमला की नजर पड़ती अजय ने उसे अपनी टांग के नीचे दबा लिया और सौंदर्या ने राहत की सांस ली।

कमला:" चलो जल्दी दे खड़ी होकर अपने कपड़े बदल लो और फिर आराम से सो जाना।

इतना बोलकर कमला उठी और चादर लेकर बाहर की तरफ निकल गई। सौंदर्या ने अजय की देखा और अजय ने बिना कुछ कहे डिल्डो को अपनी दीदी के हाथ में थमा दिया।


सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:"

" भाई मुझे क्यों दे रहे हो? मैं क्या करू इसका ?

अजय:" अब दीदी आपका हैं तो आपको ही दूंगा। आप खुद समझो क्या करना है।

सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया। वो फिर से हड़बड़ा गई और बोली:"

" भाई मेरा वो मतलब नहीं था। भाई मैं सच कहती हूं ये मेरा नहीं है। मेरा यकीन करो।

अजय:" दीदी मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है। आप अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी जियो। लेकिन आगे से इसे संभाल कर रखना, मा ने देख लिया तो आपको बहुत दिक्कत होगी।

इतना कहकर अजय बाहर निकल गया और पीछे हताश, उदास सी खड़ी सौंदर्या उसे आवाज देती रह गई।
 
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सौंदर्या अपने कमरे में बुत सी बनी खड़ी रह गई। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि वो क्या करे। उसकी सारी इज्ज़त, मान सम्मान सब कुछ आज मिट्टी में मिल गया था इस डिल्डो के कारण।

उसकी नजर हाथ में पकड़े हुए डिल्डो पर गई और उसे ऐसा लग रहा था मानो उसने कोई काला ज़हरीला सांप पकड़ रख हैं। एक झटके के साथ उसके हाथ से डिल्डो नीचे गिर गया।

सौंदर्या ने एक बार बेड पर पड़े हुए डिल्डो को नफरत से देखा मानो अपने जानी दुश्मन को देख रही हो। तभी उसे उपर किसी के आने की आहट हुई तो उसने तेजी से फिर से ना चाहते हुए भी डिल्डो को उठा लिया और अपने तकिए के नीचे छुपा दिया।

उसकी मम्मी उपर अाई थी और उसे देखते ही थोड़ा नाराजगी से बोली:"

" क्या बेटी, अभी तक गीले कपड़े पहन रखे हैं तूने, चल जल्दी से कपड़े बदल ले नहीं तो बीमार पड़ जाएगी।

कमला बेड पर बैठी तो उसके हाथ गीली चादर पर पड़ गए और वो बोली :"

" हाय राम, ये तो चादर भी गीली हैं, इसको भी बदलना पड़ेगा। तुम जल्दी से बाथरूम जाओ तब तक मैं चादर बदल देती हूं।

अपनी मम्मी की बात सुनकर सौंदर्या को उसकी सांसे रुकती हुई सी महसूस हुई। ये भगवान मैं कैसे जाऊ, मम्मी ने चादर बदलते हुए अगर डिल्डो देख लिया तो उनकी नजरो में भी गिर जाऊंगी। डर में मारे सौंदर्या का पसीना छूट गया और बोली:"

" मम्मी आप आराम कीजिए, मैं खुद कर लूंगी।

कमला:" ज्यादा बाते मत बना तू, अगर खुद करना हो तो अब तक कर नहीं लेती। चल हट मुझे काम करने दे और जल्दी से अा।

डर के मारे उसका दिल बैठ सा गया और सौंदर्या ने अपने मम्मी के हाथ पकड़ बोली:"

" मम्मी आप रहने दीजिए। मैं कर लूगी मेरी प्यारी माता जी। आप क्यों परेशान हो रही हैं ?

माता जी शब्द सुनकर कमला को अपनी बेटी पर बहुत प्यार अाया और उसके वो उसका माथा सहलाती हुई बोली:"

" मेरी प्यारी बेटी, मैं कर दूंगी, तुम जल्दी से बाथरूम जाओ। अरे तुम्हे तो पसीना अा रहा है बहुत।

तभी सौंदर्या को जोर से छींक अाई और वो कमला के गले लग गई तो कमला बोली:"

" पागल कहीं की, तुझे पसीना भी अा गया और छींख भी अा गई, चल अब जल्दी से बाथरूम जा नहीं तो एक हफ्ते तक बेड पर पड़ी रहेगी।

सौंदर्या पूरी तरह से फंस गई थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या किया जाए। तभी उसे अपने भाई की याद अाई और उसने अपनी मा को तेजी से अपने बांहों में कस लिया और दूसरे हाथ से अपना फोन निकाल लिया।

कमला अपनी बेटी की इस हरकत पर आत्म विभोर हो गई और उसकी पीठ थपथपाने लगी और बोली:"

" इतनी बड़ी हो गई है लेकिन अभी तक छोटे बच्चे की तरह मा से चिपकती हैं मेरी बेटी।

सौंदर्या ने अपने मोबाइल का पैटर्न खोला और अजय को मेसेज टाइप करते हुए बोली:"

" मम्मी मैं चाहे कितनी भी बड़ी हो जाऊ आप तो मेरे लिए मेरी मम्मी ही रहेगी और बच्चे मा के सीने से हमेशा चिपकते ही है।

सौंदर्या ने अजय को मेसेज टाइप किया:"

" भाई प्लीज़ मुझे मा की नजरो में गिरने से बचा लो। मा मुझे बाथरूम जाने के लिए कह रही हैं और तकिए के नीचे दिलदो पड़ा हुआ है, मम्मी गीला चादर बदलेगी, अज्जु भाई मेरी मदद करो। बचाओ मुझे तुम्हे मेरी राखी की कसम।

अजय ने अपने कमरे ने मेसेज पढ़ा और इसके होंठो पर स्माइल अा गई। फिर अगले ही पल हो परेशान हो गया और बाहर की तरफ दौड़ पड़ा। कमरे में गया तो उसने अपनी दीदी को अपनी मा से लिपटे हुए देखा तो सारी कहानी समझ गया।

अजय:" क्या बात है बड़ा प्यार हो रहा है मा बेटी में।

कमला मुस्कुरा उठी और बोली:"

" अरे इसे बाथरूम जाकर गीले पकड़े बदलने के लिए कह रही हूं और ये मुझसे लिपटी हुई हैं। अब तू ही समझा इसे बेटा।

अजय:" क्यों मम्मी को परेशान कर रही हो आप दीदी? जाओ गीले कपड़े बदल लो ना आप।

अजय ने सौंदर्या को कुछ इशारा किया और वो अपनी मम्मी के साथ पलट गई और अब अजय की तरफ कमला की पीठ थीं। अजय ने तेजी से अपना हाथ आगे बढाया और डिल्डो को बाहर निकाल लिया। सौंदर्या ये सब देख रही थी और जैसे ही उसकी नजरे अजय से टकराई तो सौंदर्या पहले तो शर्म से लाल हो गई लेकिन अजय को स्माइल देखते हुए उसने उसे स्माइल दी और अजय ने डिल्डो अपनी जेब में डाल लिया। सौंदर्या ने राहत की सांस ली और अपनी मम्मी से बोली:"

" मम्मी जब आप इतनी जिद कर रही हो और भाई भी बोल रहा है तो मैं कपडे बदल ही लेती हूं।

इतना कहकर सौंदर्या अपनी मम्मी से अलग हुई और सेफ से अपने कपड़े निकालने लगी।

कमला ने राहत की सांस ली और बोली:" चलो किसी तरह ये बेचारी मान तो गई। अजय बेटा तेरी ही बात मान ली इसने।

अजय:" हान मम्मी। बहुत समझदार और संस्कारी हैं मेरी दीदी। फिर बात कैसे नहीं मानती।

सौंदर्या ने अपने कपड़े लिए और बाहर निकल गई। उसे समझ नहीं आया कि अजय ने इसकी तारीफ की है या उसके उपर तीखा कॉमेंट किया है। खैर वो नहाई और एक नाइटी पहनकर बाहर अा गई। उसने हल्के गीले खुले हुए बालो से पानी की बूंदे टपक रही थी और अजय को अपनी दीदी इस रूप में बहुत सुंदर लगी।

कमला:" अच्छा बेटा अजय सीमा की मम्मी बता रही थी कि अगले हफ्ते आचार्य तुलसी दास जी पास के ही गांव में अा रहे है तो मैं उनसे मिल भी लूंगी। तुम और सौंदर्या भी मेरे साथ चलना। कोई उपाय निकल ही जाएगा।

अजय:" ठीक हैं मम्मी, ये तो बहुत अच्छी बात हैं।

कमला:" अच्छा अब तुम दोनो आराम करो। रात बहुत हो गई है। मैं भी सो जाती हूं।

इतना कहकर कमला बाहर अा गई तो अजय भी उसके साथ साथ ही पीछे अा गया और अपने कमरे में चला गया। सौंदर्या चुपचाप अपने बेड पर पड़ी हुई सोच रही थी कि आज उसने अपनी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती कर दी है और ये सब इस कमीने डिल्डो के चलते हुआ है इसलिए इसे तोड़ दूंगी। इसके टुकड़े टुकड़े कर दूंगी।

सौंदर्या डिल्डो इधर उधर देखने लगी लेकिन कहीं मिला नहीं। तभी उसे याद आया कि वो तो अजय ने अपनी जेब में डाल लिया था और मैं यहां ढूंढ रही हूं। क्या करू अजय से मांग कर तोड़ दू क्या ?

उफ्फ मै ये क्या सोच रही हूं, अजय पता नहीं पहले से ही क्या क्या सोच रहा होगा, अगर मांगा तो फिर से यहीं सोचेगा कि कहीं मैं इसे अपने अंदर अंदर घुसाने के लिए तो नहीं मांग रही। ये भगवान मैं क्या क्या सोच रही हूं, कितनी बिगड़ गई हूं मैं।

सौंदर्या अपने विचारो में डूबी हुई थी और वहीं अजय सोच रहा था कि उसकी बहन कितनी चालू निकली, कहां तो अपने सीने से पल्लू तक नीचे नहीं आने देती और कहां डिल्डो इस्तेमाल करती हैं। अजय ने डिल्डो को अपनी जेब से बाहर निकाल लिया और उसे गौर से देखने लगा। देखने में तो ठीक था काफी मोटा और लंबा भी। उफ्फ जब मैं इसे सूंघ रहा था तो इसमें से कितनी अच्छी खुशबू अा रही थी। शायद मेरी दीदी की चूत की खुशबू होगी। अगर मम्मी नहीं अाई होती तो मैं सीधे ही सूंघ लेता आज। ये सब सोचते सोचते अजय उत्तेजित हो गया और उसने डिल्डो को अपनी नाक के पास रख लिया और सूंघने लगा। एक अजीब सी खुशबू उसकी नाक से होती हुई उसके दिमाग में समा गई और लंड ने फिर से हुंकार भरी और तनकर खड़ा हो गया। अजय का एक हाथ अपने आप लंड पर पहुंच गया और उसे पेंट के उपर से ही सहलाने लगा।

दूसरी तरफ सौंदर्या को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, कैसे अपने भाई को विश्वास दिलाए कि ये डिल्डो उसका नहीं हैं और वो ऐसी लड़की नहीं हैं।कुछ विचार मन में करके सौंदर्या खड़ी हुई और उसने धड़कते दिल के साथ अपने कमरे से बाहर निकल गई।

उसने एक पल के लिए सोचा कि क्या उसका अपने भाई के रूम में ऐसे जाना ठीक होगा ? उसका भाई उसके बारे में क्या सोचेगा ? लेकिन उसने इन सभी बातों को मन से निकाल दिया क्योंकि वो सच्ची थी और खुद को किसी भी कीमत पर अपने भाई की नजरो में सही साबित करना चाहती थी। सौंदर्या के पांव कांप रहे थे और दिल धाड धाड करके धड़क रहा था लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और जल्दी ही वो अपने भाई के कमरे के सामने पहुंच गई। अजय एक बहुत हिम्मत वाला लड़का था और उसने कभी अपने कमरे के गेट बंद किए थे और सौंदर्या जैसे ही उसके कमरे से सामने आई तो उसकी नजर अंदर पड़ी और उसका मुंह खुला का खुला रह गया।

अजय सिर्फ अंडर वियर पहने हुए था और उसकी आंखे बंद थी और वो डिल्डो को अपनी नाक के पास करके सूंघते हुए अपने लंड को सहला रहा था। उसके चेहरे पर असीम आनन्द के भाव फैले हुए थे।

सौंदर्या की सांसे बहुत तेजी से चलने लगी और उसका गीला सूखता चला गया। ये राम, ये दिन में तो ऐसे ही कर रहा और अब भी। ये क्या सूंघ रहा है इसमें से ? सौंदर्या को याद आया कि उसने पढ़ा था कि सबकी चूत से एक भीनी भीनी खुशबू निकलती हैं। उफ्फ क्या ये मेरी चूत की खुशबू समझकर इसे सूंघ रहा है!!

ये विचार मन में आते ही उसके जिस्म के रोम रोम लहरा उठा और उसने अपनी जांघो को कस लिया मानो वो डिल्डो से नहीं बल्कि उसकी जांघो के बीच से खुशबू सूंघ रहा हो।

तभी अजय ने अपने हाथ को अपनी अंडर वियर के अंदर घुसा दिया और उसे नीचे करते हुए अपने लंड को बाहर निकाल लिया

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सौंदर्या की नजरे जैसे ही अपने भाई के हाहाकारी लंड पर पड़ी तो डर के मारे उसके मुंह से एक घुटी घुटी सी चींखं निकल गई। उसने अपने मुंह पर हाथ रखा लेकिन जब तक देर हो चुकी थी। वो तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई। अजय ने फुर्ती से अपने लंड को अंदर किया और बाहर की तरफ दौड़ा कि कोई दिक्कत तो नहीं हो गई।

बाहर आकर देखा तो उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और उसने एक नजर अपनी बहन के कमरे में दौड़ाई तो उसे बेड पर लेटी सौंदर्या दिखाई दी। अजय को समझ नहीं आया कि आवाज कहां से अाई थी और उसकी दीदी के कमरे की लाइट अभी तक क्यों जली हुई है।

अजय फिर से अपने कमरे में अा गया और बिस्तर पर लेट गया। उसका लंड अभी तक खड़ा हुआ था और उसने फिर से डिल्डो को हाथ में पकड़ लिया। अजय ने डिल्डो को अपनी नाक के पास रखा और सूंघने लगा। तभी उसके दिमाग में दूसरा विचार अाया कि दीदी तो अभी सोई हुई है तो क्यों ना मैं सीधे ही सूंघ लू।

लंड खड़ा हो तो दिमाग काम नहीं करता और यही अजय के साथ हुआ। उसने दीदी में लिया और मात्र अंडर वियर पहने हुए अपने खड़े लंड के साथ अपनी दीदी के रूम में घुस गया।

एक बार अपनी दीदी की पक्की नींद जानने के लिए उसने अपनी दीदी के पास जाकर धीरे से आवाज लगाई:"

" दीदी सो गई क्या आप ?

सौंदर्या जागी हुई थी और अभी तक लंड को देखकर डरी सहमी हुई थी और अपने भाई की आवाज सुनते ही वो पलटी और बोली:"

" नहीं भाई। नींद नहीं आ रही थी मुझे बिल्कुल भी।

अपनी दीदी को जागते हुए पाकर अजय के होश उड़ गए और समझ में नहीं आया कि क्या करे। फिर दिमाग से काम लेते हुए बोला:"

" ओह दीदी मैं समझ गया कि आपकों नींद क्यों नहीं अा रही है, देखो मैं आपके लिए आपकी पसंदीदा चीज लाया हूं !!

इतना कहकर अजय ने डिल्डो को आगे बढ़ा दिया। डिल्डो देखते ही सौंदर्या का मुंह फिर से शर्म से लाल हो गया।

अजय: दीदी के लो, शरमाओ मत नहीं तो आपकी इसके बिना नींद नहीं आएगी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर रोने ये लिए तैयार सी हो गई। अजय ने डिल्डो उसके पास रखा और अपनी दीदी को स्माइल देते हुए बाहर की तरफ चल पड़ा।

जैसे ही वो कमरे के गेट पर अाया तो पीछे से सौंदर्या की आवाज सुनकर रुक गया

" अजय तुम मुझे गलत समझ रहे हो भाई। ये मेरा नहीं है। मेरी बात का यकीन करो तुम।

अजय:" दीदी आप शायद मुझे गलत समझ रही हैं। मैं आपके जज़्बात समझता हूं और आपकी जरूरत भी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर खड़ी हुई और तेजी से आगे बढ़ कर उसकी कमर से चिपक गई और बोली:"

" भाई तेरी कसम, मेरा यकीन करो, ये मेरा नहीं हैं, सपना का हैं मैं तो आज ही इसे उसके घर से लाई थी।

अजय अपनी नंगी पीठ पर अपनी दीदी के चिपकने से उत्तेजना से भर उठा और बोला:"

" दीदी आपका हो या सपना दीदी का, मुझे इससे क्या? आप आराम कीजिए रात बहुत ज्यादा हो गई है। वैसे भी आपको कुछ जरूरी प्रोजेक्ट पूरा करना होगा।

सौंदर्या का मन किया कि वो रो पड़े। उसने और ज्यादा जोर से अपनी भाई की अपनी बांहों में कस लिया और बोली:"

" भाई क्या तुम्हे मेरी कसम पर भी यकीन नहीं है ? मैं सच में पहली बार आज इसे लाई थी। वो सीमा की सुहागरात की बात सुनकर मस्ती करने के लिए।

अजय को लगा कि उसकी बहन सच बोल रही है क्योंकि सच में सीमा की शादी अभी तो हुई हैं और आज वो अाई भी थी। अजय पलट गया और अपनी दीदी के सुंदर से चेहरे को अपने हाथ में भर लिया और बोला:"

" अच्छा चलो आपकी बात पर यकीन किया कि आपने सीमा की सुहागरात के किस्से सुने।

सौंदर्या समझ गई कि उसका भाई उसका यकीन कर रहा है इसलिए जल्दी से पुरा यकीन दिलाने के लिए बोली:"

"भाई नहीं सुन पाई। दिन भर काम में लगी रही और वो तीनो अंदर बाते करती रही। मैंने सब कुछ मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया। आज दिन में सपना बोल रही थी कि उसके पास डिल्डो हैं। इसलिए मैं घर जाने के बहाने उसके घर में घुस गई और घर में कोई नहीं था। इसलिए मैं ये निकाल लाई थी।


अजय समझ गया था कि उसकी बहन सच बोल रही है लेकिन उसके खड़े लंड ने कुछ और ही सोचा और अजय बोला:"

" दीदी इसका मतलब आपके पास उनकी रिकॉर्डिंग होनी चाहिए अगर आप सच बोल रही है तो।

सौंदर्या तपाक से बोली:" हान भाई मेरे फोन में होनी चाहिए। मैंने भी नहीं सुनी।

अजय:" अच्छा चलाओ तो जरा, मैं भी तो सुनो। क्या सच में ऐसा कुछ हुआ था ?

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनते ही शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह लाल हो गया। अपने भाई के सामने मै कैसे ये सब सुन सकती हूं।

अजय:" क्या हुआ दीदी? उसका मतलब आप झूठ बोल रही थी। मेरी कसम भी आप झूठी खा रही थी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर तड़प उठी और बोली:"

" भाई झूठ नहीं बोल रही। मेरा यकीन करो।

इतना कहकर सौंदर्या ने अपने मोबाइल का लॉक खोल दिया और कांपते हाथो से फाइल देखने लगी। उसकी सांसे तेज हो गई और उसकी चूचियां खुले लगे से अपना आकार दिखा रही थी। अजय की हालात ये सब देख कर खराब हो गई और अपना थूक गटकने लगा।

सौंदर्या ने फाइल तो खोल दी लेकिन चालू कर पाने की हिम्मत उसमे नहीं थी। उसने एक बार अपनी नजरे उपर उठाई और फोन को अपने भाई के हाथ में बढ़ा दिया और बोली:"

" भाई मुझसे नहीं हो पाएगा। तुम खुद ही सुन लो। शायद इसे सुनकर ही तुम मेरा यकीन करो।

इतना कहते हुए सौंदर्या ने मोबाइल अजय के हाथ में पकड़ा दिया और अपनी नजरे झुका ली। सारे ज़माने की हया उसकी चेहरे पर सिमट अाई थी और उसकी सांसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां उछल कूद कर रही थी। उसके सारे जिस्म में अजीब सी उत्तेजना छाई हुई थी।

अजय:" दीदी आप पर मुझे पूरा यकीन है लेकिन हालात ही इस तरह एक बन गए हैं।

इतना कहते हुए अजय ने रिकॉर्डिंग को शुरू कर दिया।

मोबाइल पर सबसे पहले सपना कि आवाज अाई:"

" बोल ना सीमा क्यों शर्मा रही है, क्या हुआ तेरे साथ ? सुना ना अपनी सुहागरात की कहानी ?

राधा:" उफ्फ मेरी बन्नो, बोल भी कहीं लंड मुंह में घुसा कर तेरी आवाज तो नहीं भगा दी ?

राधा की बात सुनकर सौंदर्या शर्म से दोहरी हो गई। सौंदर्या ने शर्म के मारे अपना मुंह अपने दोनो को हाथों में छुपा लिया।

अजय ने अपनी दीदी की तरफ एक नजर देखा और फिर से मोबाइल पर ध्यान लगा दिया।

सीमा:" चुप हो जाओ तुम दोनों, मैं अपने पति का इंतजार कर रही थी और रात के करीब 11 बजे वो आए तो मेरी सांसे अपने आप तेज हो गई। उसने धीरे से कमरे को बंद किया और मेरे पूरे जिस्म में उत्तेजना दौड़ गई।
 
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वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और बेड पर मेरे पास बैठ गए और मेरा मुंह देखने के बाद मुझे गिफ्ट दिया और उसके बाद उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया। मैं भी प्यासी और मेरे जिस्म का अंग अंग सेक्स के लिए तड़प रहा था इसलिए मैं खुद ही उससे लिपट गई। उसने मुझे देखा और अपने जलते हुए होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने और देखते ही देखते मेरी जीभ उसके मुंह में घुस गई।

अजय इतनी सेक्सी बाते सुनकर उत्तेजित हो गया और उसकी आंखे लाल हो गई थी। वहीं सौंदर्या तो जैसे ये सब सुनकर पूरी तरह से बेताब हो गई थी और उसके पूरे जिस्म में मस्ती छाई हुई थी। अजय के एक हाथ में डिल्डो और दूसरे में मोबाइल था।

आगे फिर सीमा की आवाज उभरी:" फिर उसने मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और उसके हाथ मेरी गांड़ पर अा गए और ज़ालिम ने पूरी ताकत से मेरी गांड़ को मसलना शुरु कर दिया। मेरे मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और किस टूट गई। फिर उसने मेरी साड़ी को खोलकर एक तरफ कर दिया और एक के बाद एक उसने मेरे जिस्म पर से कपडे उतार दिए और मैं अब सिर्फ ब्रा पेंटी में रह गई। आने वाले हसीन पलो को सोचकर मेरी चूत पहले से ही गीली हो गई थी और उसने पेंटी के उपर से ही मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया तो मैं सिसकती हुई उससे लिपट गई और उसकी उंगलिया मेरे चूत से निकल रहे रस से भीग गई तो उसने उंगली को अपनी नाक के पास किया और सूंघने लगा और फिर अपने मुंह में भर लिया और चूस कर बोला वाह मेरी जान तेरी चूत की खुशबू सच में मजा आ गया। क्या टेस्ट हैं।

सौंदर्या की हालत पूरी तरह से बिगड़ गई थी और वो अपने पैर के पंजों को एक दूसरे से मसलने लगी। वहीं अजय का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था और उसकी अंडर वियर में एक बहुत बड़ा तम्बू बन गया था और अजय के ठीक सामने एक शीशा लगा हुआ था जहां से उसे सौंदर्या साफ दिखाई दे रही है।

भाई बहन दोनो पूरी तरह से गर्म हो गए थे और उनके अंदर जिस्म की आग पल पल बढ़ती ही जा रही थी। अजय ने रिकॉर्डिंग बंद नहीं करी और सौंदर्या तो इस कदर मदहोश हो गई थी कि कुछ बोल पाने की हिम्मत उसमे नहीं रह गई थी।

सीमा की आवाज फिर से उभरी" जैसे ही उसने अपनी उंगली को मुंह में दिया तो मेरी जांघें अपने आप कसती चली गई। उफ्फ ज़ालिम ने देखते ही देखते मेरी ब्रा को उतार दिया और मेरी गोल गोल चूचियां बाहर की तरफ छलक पड़ी। हाय उसने अगले ही पल मेरी चुचियों को अपने हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा तो मेरे मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

सौंदर्या की हालत पूरी तरह से बिगड़ गई थी और उसकी चुचियों में बहुत तेजी से कम्पन हो रहा था मानो उसकी नाईटी को फाड़कर बाहर आना चाहती हो। सौंदर्या की पेंटी में उसे कुछ गीलापन महसूस हुआ और सौंदर्या के जिस्म में तेज झनझनहट सी उठने लगी और उसने अजय की नजरो से बचते हुए अपने एक हाथ को अपनी जांघ पर रख दिया और खुद ही सहलाने लगी। अजय शीशे में ये देख कर मस्त हो गया और उसने भी अपने एक हाथ को अपने लंड के पास रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगी।

सीमा की फिर से आवाज अाई " जैसे ही उसने मेरी चूचियों को अपने मुंह में भरा तो मेरे जिस्म से रस टपकना शुरू हो गया और मैं उसके ऊपर गिरती चली गई।

अजय ने धीरे से अपनी बहन की तरफ देखा जिसकी आंखे अब मस्ती से बंद हो गई थी और अजय ने एक नजर उसकी चूचियों पर डाली जो उपर नीचे हो रही थी और बस निप्पल ही अंदर रह गया था। अजय को एक समय अपनी बहन सिर्फ एक काम देवी नजर आ रही थी।

सीमा की आवाज:" जैसे ही मैं उसके ऊपर गिरी तो मेरा हाथ अपने आप उसके लंड पर चला गया और मेरे मुंह से आह निकल गई। उफ्फ ये ही वो लंड था जिसके लिए मैं तड़प रही थी। उफ्फ 7 इंच। मैंने सारी शर्म हया छोड़कर उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया।

सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने एक नजर डिल्डो पर डाली और उसकी आंखे लाल हो गई। अपनी भाई की नजरो से बचते हुए उसने एक बार उसके लंड की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि अजय अपने लंड को अंडर वियर के उपर से ही सहला रहा था। सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल पड़ी और उसके पैर जवाब दे गए और वो बेड पर गिरती चली गई। अजय ने अपनी बहन की तरफ देखा तो उसने देखा कि सौंदर्या की दोनो आंखे मस्ती में बंद हो गई थी और वो अपनी एक टांग को दूसरी पर रगड़ रही थी जिससे उसकी नाइटी उसकी घुटनो से उपर सरक गई थी और उसकी गोरी गोरी टांगे साफ नजर आ रही थी। सौंदर्या की आंखे मदहोशी में बंद हो गई थी और उसकी चुचियों और ज्यादा तेजी से उछल कूद कर रही थी।

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अजय समझ गया कि उसकी बहन पूरी तरह से बहक गई है तो उसने मासूम बनते हुए कहा:"

" दीदी क्या हुआ आप ठीक तो हैं ? अगर आप कहे तो मैं रिकॉर्डिंग बंद कर दू?

सौंदर्या की नेट वाली पेंटी पूरी तरह से भीग गई थी और उसकी जांघ तक चूत रस से भीगी हुई पड़ी थी।

सौंदर्या तो बेचारी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थी और जैसे ही चुप लेती हुई अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ती रही। अजय भी आराम से सौंदर्या के पास ही लेट गया लेकिन उससे थोड़ी दूरी पर और बोला:"

" दीदी जब भी आपको लगे कि ज्यादा हो रहा है और बंद करना हैं तो मुझे बता देना। मै बंद कर दूंगा रिकॉर्डिंग।

सौंदर्या के मुंह को छोड़कर आज उसका सारा जिस्म खुलकर बोल रहा था कि ये रिकॉर्डिंग चलने दे भाई। ऐसे ही चलने दे बस।

तभी अचानक से लाइट चली तू और कमरे में अंधेरा हो गया। उफ्फ इससे सौंदर्या को बड़ी राहत मिली क्योंकि उसे लाइट की वजह से बहुत ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी।

सीमा की आवाज:" उफ्फ कितना मोटा और अच्छा लग रहा था उसका लंड। वो फिर से मेरी जांघो के बीच में अा गया और मेरी जांघो को चूमने लगा तो मेरी चूत से चिंगारी सी निकलने लगी।

सौंदर्या से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने एक हाथ को अपनी जांघो में घुसा दिया तो उसके मुंह से खुद ही एक आह निकल पड़ी। अजय धीरे से आगे हुआ और उसने सौंदर्या का हाथ हिलता हुआ देखा तो उसका जिस्म अपने आप थोड़ा सा आगे सरक गया और वो सौंदर्या के बिल्कुल करीब पहुंच गया।

सीमा की आवाज:" फिर से उसने मेरी चूत के आस पास सूंघना शुरू कर दिया और मेरी आंखे मस्ती से बंद हो गई। मेरी जांघें अपने आप खुलती चली गई और देखते ही देखते उसने अपनी नाक को मेरी पेंटी पर रख दिया तो मेरे मुंह से आह निकल पड़ी।

सौंदर्या की जांघें अपने आप थोड़ा सा खुली जिससे वो थोड़ा सा पीछे को सरक गई और उसकी कमर में अपने भाई का लंड टकराया तो उसके जिस्म के रोंगटे खड़े हो गए। उसे एहसास ही नहीं हुआ कि कब उसका भाई उसके पास लेट गया था।

वो एक झटके के साथ पीछे हुई और अगले ही पल उसे अफसोस हुआ। अजय की हिम्मत बढ रही थी और वो धीरे धीरे आगे होता रहा और सौंदर्या के हिलने से उसके पैर अजय के पैरो से टकरा रहे थे। अजय ने एक चाल चलने की तैयारी करी और अपने लंड को बाहर निकाल लिया और धीरे से बिल्कुल उसके करीब हो गया और कान में फुसफुसाया

:" आप सच बोल रही थी, मुझे आप पर पूरा यकीन हो गया है ये रेकॉर्डिंग सुनकर।

अजय की बात सुनकर सौंदर्या खुश हो गई और वो खुशी से पलटी और अपने भाई के सीने से लिपट गई। अजय का प्लान कामयाब रहा।

उसकी चूचियां अजय के सीने में घुस गई और लंड उसकी जांघो में घुसता चला गया। सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन जब तक देर हो गई थी क्योंकि अजय ने उसे पूरी तरह से अपनी मजबूत बांहों में कस लिया था और उसके पैर पर अपने पैर रगड़ रहा था।

सीमा की आवाज:" उफ्फ जैसे ही उसने मेरी पैंटी को सूंघना शुरू किया तो मेरी सांसे अटक सी गई और मेरे हाथ अपने आप उसके सिर पर पहुंच गए।


सौंदर्या की हालत बद से बदतर होती जा रही थी और उसकी पेंटी पूरी तरह से भीग गई थी। अजय ने अपनी कमर को आगे की तरफ किया जिससे उसका लंड सौंदर्या को चूत पर जा लगा तो सौंदर्या दीवानी सी होकर उससे लिपट गई ।

अजय ने अपने एक हाथ को उसके पेट पर रख दिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" दीदी आपने दिन में जरूर ये रिकॉर्डिंग सुनी होगी।

इतना कहते हुए अजय ने अपने लंड का दबाव बढ़ाया तो सौंदर्या मचल गई और उसकी जांघ खुल गई और बोली:"

:" आह भाई, थोड़ी सी सुनी थी बस, मैं बेचैन हो गई और बंद कर दी कि रात को सुन लुगी आराम से भाई।

अजय ने अपने मुंह को सौंदर्या की गर्दन पर रखा और गर्म गर्म सांसे छोड़ते हुए बोला:"

" आह दीदी, बेचैन होकर आपने जरूर डिल्डो हाथ में लिया होगा, हैं ना मेरी प्यारी दीदी।

सौंदर्या अपनी भाई की गर्म सांसों से पिघल गई और सिसकते हुए बोली:" उफ्फ मेरे भाई, लिया था हाथ में ये मैंने।

अजय ने धीरे से अपनी जीभ को हल्का सा उसकी गर्दन पर फिरा दिया और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" हाय मेरी दीदी, क्या लिया था हाथ में बेचैन होकर?

सौंदर्या ने हाथ आगे बढाया तो उसके हाथ में डिल्डो अा गया और उसने उसे उठाया और अजय के हाथ में थमा दिया तो अजय ने डिल्डो को सौंदर्या के पेट पर रगड़ दिया और बोला:"

" हाय मेरी सौंदर्या दीदी, इसे क्या बोलते हैं ?

सौंदर्या अपने भाई की इस हरकत पर तड़प उठी और हल्की सी पीछे होते हुए बोली

" हाय उफ्फ इसे डिल्डो कहते हैं। हाय राम उफ्फ मेरी मां।

सौंदर्या के पीछे हटने से अजय तड़प उठा और उसे फिर से अपनी तरफ खींचा और अपनी पूरी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा दी और सिसका:"

" हाय दीदी सिर्फ हाथ में लिया था और वहां भी लगाया ये डिल्डो ।

इतना कहते हुए अजय ने सौंदर्या के हाथ में डिल्डो को दबा दिया और अपने दूसरे हाथ को उसकी जांघो पर टिका दिया तो सौंदर्या की उंगलियां अपने आप उस पर कस गई और सिसकी:"

" आह भाई नहीं, वहां नहीं लगाया था मैंने इसे ?

अजय:" उफ्फ फिर इसमें से इतनी अच्छी खुशबू कैसे अा सकती हैं? हाय कितना अच्छा लग रहा है इसे सूंघकर

अजय ने सौंदर्या का हाथ पकड़ा और डिल्डो सहित अपनी नाक के पास ले आया और सूंघने लगा। सौंदर्या को अपने भाई को सपना की चूत की खुशबू की तारीफ करना पसंद नहीं अाया और सौंदर्या ने अपने पैर के अंगूठे को अजय के पैर के दबा दिया और बोली:"

" उफ्फ बेशर्म, सपना ने किया होगा जरूर, उसकी ही खुशबू होगी इसमें। पता नहीं तुझे क्यों अच्छी लग रही है इतनी।



अजय:" नहीं दीदी, आपने किया होगा पक्का, यकीन नहीं आता कि उसकी खुशबू इतनी अच्छी कैसे हो सकती हैं, आप खुद ही सूंघ लिजिएं ।

रिकॉर्डिंग पर किसी का ध्यान नहीं था और सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर फिर से सिसकी:"

" उफ्फ भाई, मेरा नहीं हैं, आह मुझे मत सूंघा ये सब। हाय भाई

अजय ने डिल्डो को अपने और अपनी दीदी के चेहरे के बीच कर दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या खुद एक बार सूंघना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पाई लेकिन अजय ने खुद ही ये काम कर दिया। डिल्डो से उठ रही खुशबू सौंदर्या को महसूस हुई तो वो पागल सी हो गई और बोली:"

" आह भाई, मत कर उफ्फ, ये कैसी खुशबू अा रही है, इसमें से उफ्फ। मुझे तो इतनी ज्यादा अच्छी नहीं लगती ये। ये मेरी नहीं हो सकती है।

अजय:" दीदी आपकी ही तो खुशबू हैं , देखो ना।

इतना हुए अजय ने सौंदर्या की गांड़ को हल्का सा मसल दिया तो सौंदर्या तड़प उठी:"

" आह भाई मेरी नहीं हैं, उफ्फ मेरी तो इससे बहुत ज्यादा अच्छी होगी सच में।

नारी ईर्ष्या के कारण सौंदर्या के मुंह से जैसे ही ये निकला तो अजय तपाक से बोल पड़ा:"

" आह दीदी क्या सच में ? उफ्फ अगर ये अच्छी नहीं है तो फिर आपकी कितनी अच्छी होगी, हाय मेरी दीदी , एक बार सूंघा दो ना, सच भी पता चल जाएगा।

सौंदर्या की चूत मचल उठी और उसने अपनी जांघो को कस लिया और बोली:"

" आह नहीं, नहीं भाई। मैं कैसे सूंघा सकती हूं, हाय मुझसे नहीं ये होगा ये काम, उफ्फ भाई तुम।

अजय ने डिल्डो से अपनी दीदी के पेट पर सहलाना शुरू कर दिया और अपने लंड का दबाव बढ़ा कर बोला:"

" हाय दीदी फिर मुझे कैसे पता चलेगा कि आपकी अच्छी है या सपना की खुशबू, डिल्डो से तो बहुत अच्छी खुशबू अा रही है। उफ्फ कितना मादक लग रहा है मुझे सच में।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर तड़प उठी और अपनी जांघो को थोड़ा सा खोल दिया और उसके हाथ को पकड़ लिया जिसमें डिल्डो था। अजय ने अपनी बहन की सहमति पाकर अपनी जीभ से उसकी कान की लौ को सहलाना शुरू कर दिया और सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और उसका पेट अन्दर की तरफ सिकुड़ा और उसने खुद ही अपने भाई के हाथ को अपनी नाइटी में घुसा दिया।
हाथ के घुसते ही अजय ने पहली बार अपने दूसरे हाथ से उसकी गांड़ को कसकर मसल दिया और सौंदर्या के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। सौंदर्या का पूरा जिस्म अपने भाई की बांहों में मचल रहा था और अजय का हाथ जरूर सौंदर्या ने पकड़ा था लेकिन डिल्डो अब अजय अपनी मर्जी से सौंदर्या की जांघो पर रगड़ रहा था जिससे सौंदर्या की चूत में रस का तूफान सा अाया हुआ था। अजय ने अपने दांतो से सौंदर्या की कान की लौ को हल्का सा काटा और डिल्डो को उसकी पेंटी के साइड से अंदर घुसा दिया। सौंदर्या की चूत पर जैसे ही डिल्डो छुआ तो उसके बदन ने एक तेज झटका खाया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। अजय ने डिल्डो को अपनी बहन की चूत पर अच्छे से घुमाया और जैसे ही वो चूत के छेद पर पहुंचा तो सौंदर्या पागल सी हो गईं और उसकी चूचियों के निप्पल पूरी तरह से कड़क होकर अजय के सीने में चुभने लगे और सौंदर्या ने अपने जिस्म को अपने भाई की बांहों में पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया।

अजय डिल्डो पर जैसे ही दबाव बढ़ाता तो सौंदर्या की चूत की दीवारें झनझना जाती और सौंदर्या के मुंह से आह निकल रही थी और उसने अपने भाई की पीठ को सहला शुरू कर दिया। डिल्डो पूरी तरह से चूत रस से भीग गया था और रस की बूंदे चूत पर टपक रही थी तो सौंदर्या से बर्दास्त नहीं हुआ और आंहें भरते हुए बोली:"

" आह भाई, उफ्फ पूरा डिल्डो रस से भीग गया है, हाय मत कर अब, उफ्फ निकाल ले बाहर इसे।

अजय ने सौंदर्या की कान की लौ को हल्के हल्के चबाते हुए कहा:"

" हाय मेरी दीदी, डिल्डो किसके रस से पूरा भीग गया है, हाय बताओ ना मेरी प्यारी दीदी

इतना कहते हुए अजय ने अपने दूसरे हाथ को सौंदर्या की नाइटी के अंदर घुसा दी और उसकी गांड़ को दबोच लिया तो सौंदर्या बावली सी हो गई और उसने सब शर्म लिहाज छोड़ते हुए डिल्डो को अपनी चूत पर रगड़ दिया और अपनी चूचियों को उसके सीने पर रगड़ते हुए सिसक उठी

" हाय भाई इसके रस से भीग गया है, बिल्कुल पूरा भीग गया है, देख ना कैसे रस टपक रहा है

अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज पर पूरी तरह से बहक गया और अपनी उंगली को उसकी गांड़ के पर दबाते हुए डिल्डो को चूत की क्लिट पर रगड़ दिया और बोला:"

" हाय दीदी, सच में पूरा भीग गया है, उफ्फ नाम क्या है इसका दीदी?

सौंदर्या के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और सिसकते हुई अपनी चूत को उपर उठाते हुए डिल्डो पर रगड़ दिया और अपने जीभ को उसके गाल पर रगड़ते हुए कानो में बहुत ही कामुक अंदाज में सिसक उठी

" आह भाई, इसके, हाय जिस पर तू डिल्डो रगड़ रहा है, हाय जिसे मैं डिल्डो पर रगड़ रही हूं। तू समझ गया ना भाई।

अजय:" हाय आह उफ्फ मैं सब समझ गया दीदी।

सौंदर्या:" भाई उफ्फ, हाय निकाल ले इसे बाहर अब, उफ्फ नहीं तो तेरी दीदी मर जाएगी।

अजय पेंटी के उपर से उसकी गांड़ के छेद को सहला कर तड़प उठा:"

" हाय मेरी दीदी, तुम तो मेरी जान हो सौंदर्या। तुम्हे कैसे मरने दे सकता हूं।


अजय ने डिल्डो को खूब अच्छे से गीला किया और बाहर निकाल लिया। सौंदर्या तड़प उठी और उसने अपनी जांघो को फिर से कस लिया। अजय ने डिल्डो को फिर से अपने और सौंदर्या के चेहरे के बीच किया और उससे उठ रही मद मस्त खुशबू उसकी नाक में समा गई। उफ्फ अजय पागल सा हो गया और सौंदर्या की जांघो को अपने दूसरे हाथ से खोलते हुए लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। अपनी चूत की खुशबू सूंघकर सौंदर्या भी पागल सी हो गई और गहरी गहरी सांस लेते हुए जोर जोर से सूंघने लगी।

अजय सिसकते बोला: हाय दीदी कितनी अच्छी खुशबू हैं आपकी, सपना तो इसके आगे बिल्कुल बेकार है। हाय मेरी दीदी कितनी अच्छी हो आप।

सौंदर्या ने राहत की सांस ली और फिर से सूंघते हुए बोली:"

" हाय भाई, सच में तुझे बहुत अच्छी लगी। उफ्फ मुझे भी अच्छी लग रही है।

अजय:" हाय दीदी सच में धन्य हो गया मैं, लेकिन इसमें से आपकी खुशबू के साथ साथ सपना की बदबू भी अा रही हैं। उफ्फ दीदी अगर सिर्फ आपकी ही खुशबू होती तो हाय मेरी प्यारी दीदी।

सौंदर्या सपना की बदबू सुनकर खुश हो गई और बोली:"

" हाय भाई, मेरी खुशबू कैसी आएगी इसमें अब ?


तभी सीमा की आवाज:" मेरे पति ने अपनी नाक को मेरी पेंटी में दबा दिया और मेरी चूत में चीटियां सी दौड़ गई। मेरा जिस्म मस्ती से भर उठा और मेरी सिसकियां कमरे में गूंज उठी।उसकी गर्म गर्म सांसे मेरी चूत पर कमाल कर रही थी हाय राधा, इतना मजा कभी नहीं आया।

अजय:" हाय दीदी उफ्फ क्या मैं भी सीमा के पति की तरह सीधे ही सूंघ लू क्या? उफ्फ मेरी दीदी आपकी खुशबू

अजय ने सौंदर्या के जिस्म की आग को इस कदर भड़का दिया था कि वो पूरी तरह से अपने भाई के काबू में थी। सौंदर्या झूठा बहाना बनाते हुए बोली:"

" उफ्फ भाई किसी को पता चल गया तो क्या होगा? हाय भाई नहीं, मैं नहीं सूंघा सकती। क्या पता तू किसी को बता दे।

अजय ने सीमा को मसलते हुए अपनी तरफ खींचा और लंड का तगड़ा धक्का उसकी चूत पर पड़ा तो वो सिसक उठी। अजय बोला:"

" हाय दीदी किसी को पता नहीं चलेगा, मैं नहीं बताऊंगा आपकी कसम दीदी, बस एक बार सूंघने दो ना, हाय मेरी दीदी। आह दीदी देखो ना, सीमा का पति भी सूंघ रहा है, उफ्फ कितना अच्छा लग रहा है सीमा को ? दीदी करने दो ना, एक बार बस, नहीं तो मैं मर जाऊंगा आह।

सौंदर्या अजय से लिपट गई और सिसक उठी:" हाय भाई तू तो मेरी जान हैं, तुझे कैसे मरने दे सकती हूं, आह भाई सूंघ ले जी भर कर।

सौंदर्या मस्ती से भर उठी और अपने भाई को बांहों में तेजी से कस लिया। अजय सब समझ गया और उसने अपनी दीदी को सीधा बेड पर लिटा दिया। वो अपनी आंखे बंद किए पड़ी थी और टांगे अपने आप खुल गई। सौंदर्या के चेहरे पर मस्ती के लहरे दौड़ गई थी और वो मचल रही थी

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अजय अपनी बहन की टांगो के बीच में अा गया और उसकी नाइटी को उपर सरका दिया जिससे उसकी जांघें पूरी तरह से नंगी हो गई और अजय ने आगे बढ़ते हुए सौंदर्या की जांघो पर अपना मुंह टिका दिया और सूघने लगा। सौंदर्या मचल उठी और बोली:"

" आह भाई, बस हट जा, उफ्फ मेरी पेंटी गीली हो गई है, आह। नहीं मान जा मेरे अच्छे भाइं।

अजय ने उसकी जांघो को खोल दिया और जांघों पर लगे चूत रस पर अपनी जीभ फिरा दी और बोला:" आह दीदी ये क्या अच्छी अच्छी खुशबू हैं उफ्फ। आपकी जांघो से भी रस निकल रहा है

सौंदर्या अपनी जांघो पर जीभ फेरते ही मचल उठी और सिसक उठी:" आह भाई, मेरी पेंटी गीली गई है पूरी तरह।

अजय:" हाय दीदी, कितनी ज्यादा गीली होती है आपकी पेंटी, हाय जांघो को भी गीला कर दिया आपकी।

सौंदर्या मस्ती से सिसक उठी और अपनी चूचियों को खुद ही मसलने लगी और बोली:"

" आह भाई बहुत ज्यादा गीली होती है, उफ्फ बिल्कुल गीली,

अजय ने अपनी बहन को अपनी चुचियों को मसलते हुए देखा तो सिसक उठा:"


आह दीदी, उफ्फ गीली हो गई है तभी तो अच्छे से खुशबू आएगी मेरी प्यारी बहना। हाय उतार दूं क्या दीदी आपकी गीली पेंटी?

सौंदर्या ने शर्म के मारे अपनी जांघो को कस लिया और सिसक उठी:" आह भाई नहीं, पेंटी मत उतार देना मेरी, आह नहीं भाई।

अजय का लंड तो फटने के लिए तैयार था और अजय ने धीरे से फिर से अपनी दीदी को जांघो को खोल दिया और उसके घुटनो के उपर अपना हल्का सा वजन टिकाते हुए अपने लंड को उसके घुटनो के बीच में सरका दिया और बोला:"

" आह दीदी नहीं उतारूंगा आपकी पेंटी।

इतना कहते हुए अजय ने अपनी नाक को पेंटी के के पास किया तो सौंदर्या उसकी गर्म गर्म सांसे महसूस करके मचल उठी और उसकी चूत अपने आप उपर की तरफ उठ गई और अजय से नाक से टकरा गई।

अजय:" हाय मेरी सौंदर्या, उफ्फ कितनी तड़प रही है तेरी पेंटी, हाय खुद ही उछल उछल उछल पड़ रही है ।

सौंदर्या अब दीदी से जान बन गई थी और उसने अपने घुटनों का दबाव लंड पर बढ़ा दिया तो अजय ने धीरे से डिल्डो को सौंदर्या की गांड़ के नीचे सरका दिया बिल्कुल उसकी गांड़ के छेद के एकदम नीचे और सौंदर्या के रहा सहा धैर्य भी जवाब दे गया और वो सिसक उठी

" आह भाई, ये क्या कर दिया, उफ्फ आज तो मेरी जान ही ले लेगा, हाय मा मैं पागल हो जाऊंगी ऐसे तो।

अजय ने अपनी नाक को सौंदर्या की पेंटी पर टिका दिया तो उसकी चूत से कुछ बूंदे और छलक उठी मानो उसकी चूत ने अजय का स्वागत किया हो। सौंदर्या की जालीदार पेंटी से रस की बूंदे अजय की नाक में समा गई और अजय ने सौंदर्या की दोनो जांघो को पकड़ कर डिल्डो पर दबा दिया और बोला:'

" हाय दीदी अच्छा ना लग रहा है तो निकाल लू क्या ?

इतना कहते हुए उसने अपने हाथ को डिल्डो की तरफ बढ़ा दिया और सिसक रही सौंदर्या ने बिना कुछ बोले उसका हाथ पकड़ लिया। अजय ने अपनी नाक को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और सौंदर्या का बदन झटके पर झटके खाने लगा। अजय के लंड में तनाव बढ़ता जा रहा था और सौंदर्या उसके लंड को अपने घुटनों के बीच रगड़ सा रही थी।


पागल से हो चुके लालची अजय ने अपनी नाक के साथ साथ जीभ को भी बाहर निकाल लिया और जैसे ही उसने सौंदर्या की जालीदार पेंटी पर अपनी जीभ फिराई तो सौंदर्या के मुंह से एक एक जोरदार सिसकी निकल पड़ी और उसने अपने भाई के सिर को अपनी जांघो के बीच कस लिया और उसकी चूत से निकलती हुई रस की बूंदे अजय के मुंह को भिगोती चली गई। अजय भी ये बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके लंड ने अपनी बारिश से अपनी बहन के घुटनो को तर कर दिया।
सौंदर्या की ज़िन्दगी का पहला स्खलन इतना जबरदस्त रहा कि मदहोशी में उसकी चूत के साथ साथ उसकी आंखो से भी खुशी के आंसू छलक उठे।तूफान गुजर जाने के बाद जैसे ही सौंदर्या को होश आया तो उसने अपनी जांघो को ढीला किया तो अजय को कुछ सुकून मिला और लाइट भी आईं मानो सौंदर्या ने लाइट को अपनी जांघो में बंद कर रखा था। लाइट में शर्म की वजह से सौंदर्या की आंखे फिर से बंद हो गई और अजय ने अपनी दीदी के खूबसूरत चेहरे को अपने हाथ में भर लिया और धीरे से बोला:"

" मेरी दीदी से अच्छी संस्कारी और सुशील लड़की दुनिया में दूसरी कोई हो ही नहीं सकती। मुझे आप पर खुद से और उस भगवान से भी ज्यादा यकीन है मेरी प्यारी दीदी।

इतना कहकर अजय ने अपनी दीदी को गले लगा लिया और सौंदर्या भी उससे लिपट गई। अपने भाई का प्यार देखकर उसकी चूत के साथ साथ अब उसकी आंखे भी भर आईं अजय ने अपनी दीदी के आंसू को अपनी जीभ से चाट लिया और सौंदर्या एक बार फिर अपने भाई का प्यार देखकर उससे लिपट पड़ी।

अपनी दीदी से अजय बिना कुछ बोले चुपचापअपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
दोनो के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे लेकिन थके होने के कारण दोनो को जल्दी ही नींद आ गई
 
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अगले दिन सुबह रविवार था इसलिए आज दोनो भाई बहन देर तक सोते रहे।

कमला रोज की तरह सुबह जल्दी ही उठ गई थी और घर के काम काज को खत्म कर दिया और उसके बाद नाश्ते की तैयारी में जुट गई। उसे याद आया कि अभी तक उसके बच्चे तो उठे ही नहीं है तो वो देखने के लिए उपर की तरफ अाई ताकि उन्हें उठा सके। सबसे पहले अजय का कमरा पड़ता था इसलिए वो अजय के कमरे में घुस गई। अजय अपने कमरे में सिर्फ अंडर बाहर पहनकर सोया था और उसकी चादर में एक बहुत बड़ा उभार साफ दिख रहा था। ये देखते ही कमला के होंठो पर स्माइल अा गई और समझ गई कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है क्योंकि ऐसा उभार तो कभी उसने अपने पति की चादर में भी नहीं देखा था। कमला की अपने बेटे को इस हालत में उठाने की हिम्मत नहीं हुई और उसके रूम से बाहर निकल गई।

सौंदर्या के बाद जल्दी ही इसकी भी शादी करनी पड़ेगी ये सोचते हुए वो अपनी बेटी के रूम में घुस गई और सौंदर्या ऐसे ही सोई पड़ी हुई थी। उसकी नाइटी के जांघो तक सरकी हुई थी और चूचियां साफ़ साफ़ अपना आकर दिखा रही थी। कमला को अपने जवानी के दिन याद अा गए कि वो भी अपने जवानी के दिनों में कुछ कुछ ऐसी ही लगती थी लेकिन उसकी बेटी तो उससे भी ज्यादा ही आगे निकल गई है। कमला अपनी बेटी के पास बेड पर बैठ गई और उसे उठाने लगी

" सौंदर्या उठ जाओ बेटी। काफी समय हो गया है।

सौंदर्या अपनी मम्मी की आवाज सुनकर एकदम से उठ गई और उसने अपनी नाइटी की हालत को देखा तो अपनी मा से शर्मा गई और अपनी नाइटी ठीक करने लगी। कमला ये सब देख कर फिर से मुस्कुरा उठी और बोली:"

" इतनी उम्र हो गई है तेरी, थोड़ा ध्यान से सोया कर, अब तो तेरा भाई भी घर लौट आया है। तुझे ऐसी हालत में देखा तो क्या सोचेगा वो ?

सौंदर्या को अपने भाई का नाम सुनते ही उसकी आंखो के आगे रात हुई घटना याद आ गई। उसका मुंह शर्म से लाल हो गया और सारे बदन में सिरहन सी दौड़ गई और उसने अपना सिर अपनी मा की गोद में रख दिया। कमला अपनी बेटी के बालो को सहलाते हुए बोली:"

" चल जल्दी से नहाकर अा जा तब तक मैं नीचे कुछ बना देती हूं तुम दोनो के लिए।

सौंदर्या:"ठीक हैं मम्मी, देखो ना मौसम रात से ही कितना अच्छा हैं बस इसलिए देर तक सो गई। मा भाई उठ गया क्या ?

कमला:" क्या उठा हैं ? सोने में तो वो तुझसे भी चार कदम आगे हैं।

" मा आप और दीदी दोनो मिलकर मेरी बुराई कर रही हो ? देखो मैं तो उठ गया हूं।

अजय की आवाज सुनकर दोनो ने गेट की तरफ देखा जो उनकी बाते सुनकर उठ गया था। अपने बेटे को देखते ही कमला बोली:"

" बुराई नहीं तारीफ कर रही थी अपने बेटे की। सोने में एक्सपर्ट हो तभी तो इतना लेट उठे हो तुम। और तुम्हारी दीदी भी कम नहीं हैं सोने में। रविवार के दिन तो दोपहर से पहले कभी नहीं उठती है बेचारी।

अजय और कमला दोनो हंस पड़े तो सौंदर्या खीज सी गई और अपनी मा से लिपट गई और बोली:'

" मा ये अच्छी बात नहीं है आपकी। मेरी जैसी मेहनती लड़की गांव में कोई दूसरी नहीं मिलेगी आपको। हान बता देती हूं आपको।

कमला:" अच्छा चल बहुत बाते हो गई। जाओ जल्दी से दोनो नहा कर अा जाओ। मैं तब तक नाश्ता लगा देती हूं।

इतना कहकर कमला नीचे की तरफ अा गई और अजय अपने कमरे में घुस गया और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में का दरवाजा खोला तो उसकी नजर अपनी दीदी की नंगी कमर पड़ी क्योंकि उसने अपने पीठ पर बंधी हुई ब्रा की डोरी को खोल दिया था।

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दरवाजा खुलने से सौंदर्या एक झटके के साथ हैरानी से पलट गई और उसकी बड़ी बड़ी गोल ठोस चूचियां अजय के सामने एक पल के लिए ही सही लेकिन पूरी तरह से बिल्कुल बेपर्दा हो गई और अजय इससे पहले कुछ बोलता सौंदर्या ने एक झटके के साथ गेट को बंद कर दिया और उसे डांटते हुए बोली:"

" बदतमीज बेशर्म, ये मेरा बाथरूम हैं, भाग यहां से नीचे।

अजय अपनी बहन की चुचियों को देखकर अवाक सा खड़ा रह गया और अब उसकी डांट सुनकर बिना कुछ बोले चुपचाप नीचे की तरफ अा गया और बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया। वहीं सौंदर्या को अपने आप पर गुस्सा अा रहा था कि उसने बाथरूम का बंद क्यों नहीं किया, लेकिन वो तो पहले भी कभी नहीं करती थी लेकिन अब जरूर करना पड़ेगा क्योंकि पहले घर में मर्द नहीं था और अब उसका भाई वापिस लौट आया है।

सौंदर्या ये सब सोचते हुए नहाने में जुट गई और थोड़ी देर बाद ही वो नहाकर एक साडी सुंदर सी साडी पहनकर बाहर अा गई और खाने की टेबल पर बैठ गई जहां अजय और उसकी मम्मी पहले से ही बैठे हुए थे।

कमला:" आओ देवी जी आपका ही इंतजार था बस।

सौंदर्या स्माइल करते हुए खाने लगीं और सभी लोग नाश्ता करने लगे। अजय अपनी बहन की डांट से हल्का सा उदास था लेकिन वो जानता था कि गलती उसकी ही है और अभी तक उसकी आंखो के आगे उसकी बहन की चूचियां घूम रही थी। काश वो उन्हें थोडी देर और देखा पाता। लेकिन अब क्या हो सकता था, कुछ भी नहीं । उसने फिर से अपनी नजर उठाकर अपनी दीदी की चुचियों की तरफ देखा और उसके होंठो पर स्माइल अा गई।

अजय खाते हुए बार बार अपनी गर्दन को इधर उधर घुमा रहा था जिस पर कमला का ध्यान पड़ा तो उसने पूछा :'

" अजय क्या हुए बेटा ? तेरी गर्दन में दर्द हैं क्या ?

अजय:" हान मम्मी बहुत दर्द हैं रात से ही, घूम नहीं रही हैं ठीक से मेरी गर्दन।

कमला हल्की सी परेशान होते हुए:" क्या हुआ बेटा तुझे ?

अजय को रात हुआ हादसा याद आया कि किस कदर उसकी दीदी ने उसकी गर्दन को अपनी जांघो में कस लिया था। उसके होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" हुआ तो कुछ नहीं है मम्मी, ऐसा लग रहा है जैसे किसी शेरनी ने मेरी गर्दन को जोर से दबोच किया हो , बिल्कुल जोर से कसकर।

अजय ने अपनी मा की नजरे बचाकर अपनी दीदी की तरफ देखा तो उसकी बात का मतलब समझ कर पहले तो सौंदर्या के होंठो पर तीखी सी स्माइल अा गई कि उसका भाई उसे ही शेरनी बोल रहा है और फिर बोली:"

" लेकिन भाई तुम तो अपने कमरे में सो रहे थे, शेरनी कहां से अा गई ? सपना देखा था क्या ?

अजय से पहले ही कमला बोल पड़ी:" ज्यादा सपने मत देखा करो तुम। शेरनी बहुत ज्यादा खतरनाक होती है तुझे कुछ पता भी हैं ?

अजय ने अपनी मम्मी की तरफ देखा और स्माइल करते हुए कहा:"

" ठीक है मम्मी आगे से नहीं देखा देखूंगा, लेकिन रात तो लगता था जैसे भूखी शेरनी से पाला पड़ गया था मेरा।

भूखी शेरनी सुनते ही सौंदर्या के तन बदन में मीठी मीठी टीस सी उठ गई और चुपचाप खाती रही।कमला बोली:"

" बेटा भूखी शेरनी तो और भी ज्यादा खतरनाक होती है, ऐसे सपने मत देखा कर।

अजय:" मम्मी सपने तो सपने होते हैं, उन पर किसी का जोर थोड़े ही चलता है।

सब्जी खत्म हो गई थी तो कमला सब्जी लेने के लिए अंदर रसोई में चली गई तो सौंदर्या अपनी बड़ी बड़ी लाल लाल आंखो से अजय को घूरती हुई बोली:"

"चुपचाप खाना खा ले। आजकल बहुत ज्यादा सपने अा रहे हैं तुझे।

अजय:" दीदी खाना ही तो खा रहा हूं, वैसे ही रात जो हुआ वो किसी हसीन सपने की तरह ही तो था।

तभी कमला अा गई और दोनो चुप चाप अपना खाना खाने में जुट गए।

कमला:" अरे अजय आज राजू अपना नौकर नहीं आयेगा वो शहर किसी काम से गया है। तुम एक काम करना खेत से भैंसो के लिए घास लेते आना।

अजय:" ठीक है मम्मी, मैं चला जाऊंगा, आप फिक्र ना करे।

खाना खत्म हो गया तो सौंदर्या अपने कमला बर्तन और रसोई में साफ सफाई करने में जुट गए और अजय अपने कमरे में अा गया और पिंकी के बारे में सोचने लगा। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसके कातिलों का कैसे पता लगाया जाए। जब तब वो नहीं पकड़े जाते उसकी दीदी पर भी खतरा रहेगा।

अजय नीचे अा गया और ट्रैक्टर ट्राली को बाहर निकाला और मम्मी से बोला:"

" मम्मी में खेत में जा रहा हूं घास लेने के लिए, मजदूरों ने अब तक तो घास काट ही दिया होगा।

कमला ने एक पल के लिए सोचा और बोली:" बेटा काट दिया होगा लेकिन हल्की हल्की बारिश हो रही है रात से ही, मौसम खराब हैं, मैं चलती हूं तेरे साथ रुक जरा।

सौंदर्या को बारिश में भीगना बहुत पसंद था और उसे लगा कि ये बहुत सुनहरा मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए इसलिए बोली:"

" मम्मी आप रहने दो। मैं भाई के साथ चली जाती हूं।

कमला:" लेकिन बेटी तुम क्या करोगी वहां ? तुम्हे तो घास का काम भी नहीं आता। और जंगल में जवाब लड़की का बारिश में जाना ठीक नहीं होता।

सौंदर्या:" मम्मी आप चिंता मत कीजिए। भाई हैं ना मेरे साथ। वो सब संभाल लेगा।

इससे पहले की कमला कुछ बोलती सौंदर्या ट्रैक्टर पर बैठ गई और अजय अपनी दीदी को देखते ही खुश हो गया।

कमला:" अरे बेटे इसका ध्यान रखना, ज्यादा मत भीगने देना नहीं तो बीमार पड़ जाएगी ये। अच्छा ले छाता लगा ले ये बड़े वाला। दोनो भीगने से बच जाओगे

अजय ने अपनी मम्मी से छाता लिया और अपनी दीदी को पकड़ा दिया।

अजय:" मम्मी आप फिक्र मत करो। मैं ध्यान रखूंगा और जल्दी ही वापिस अा जाऊंगा।

अजय ने अपनी मम्मी को समझाया और ट्रैक्टर आगे की तरफ बढ़ा दी। सौंदर्या अजय के बराबर में बैठी हुई थी और हल्की हल्की बारिश बाहर पड़ रही थी। सौंदर्या ने छाता खोला तो उसके अंदर की तड़िया एक झटके से टूट गई और बोली:"

" भाई अब क्या करू , छाता तो टूट गया।

अजय:" दीदी अब क्या कर सकती हो, भीगो बारिश में वैसे भी आपको बहुत पसंद है ना भीगना।

सौंदर्या:" पसंद तो हैं भाई, लेकिन छाता टूट गया और उपर से भीग जाऊंगी तो मा मुझे बहुत ज्यादा डांट देगी।

अजय:" कोई बात नहीं दीदी, मैं सब संभाल लूंगा।

सौंदर्या ने कुछ राहत की सांस ली और जल्दी ही ट्रैक्टर गांव से बाहर निकल गया। बारिश की स्पीड अब थोड़ी बढ़ गई थी।

गांव से थोड़ी दूर जाते ही उन्हें मजदूर आते दिखाई दिए और राजू की पत्नी अजय को देखते ही बोली:"

" साहब जी घास काट कर खेत में छोड़ दी हैं, काले काले बादल उमड़ते देखकर हम तो अा गए।

अजय:" कोई बात नहीं है, मैं खुद उठा कर ट्रैक्टर में रख लूंगा। आप आराम से घर जाए।

इतना कहकर अजय ने ट्रैक्टर आगे की तरफ बढ़ा दिया। अजय को लग रहा था कि ऐसे मौसम में खेत में कोई नही होगा इसलिए उसका मन नाचने लगा जिसका असर उसके लंड पर दिख रहा था और उसने अपनी दीदी की तरफ देखते हुए कहा
 
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" दीदी बारिश तेज हो सकती हैं और जंगल में मुझे नहीं लगता कि कोई दूर दूर तक होगा। इसलिए आप एक काम कीजिए इन्हीं मजदूरों के साथ घर चली जाए।

जंगल में दूर दूर तक कोई नहीं होगा ये बात सुनकर एक पल के लिए सौंदर्या सी सिरहन सी छूट गई और फिर अगले ही पल बोली:

" भाई जब कोई नहीं तभी तो तेरे साथ कोई ना कोई जरूर होना चाहिए। मैं तुझे अकेला नहीं छोड़ सकती।

अजय:" मुझसे कोई खतरा नहीं हैं किसी से, वैसे भी एक लड़की को लड़के के साथ ऐसे मौसम में अकेले जंगल में नहीं होना चाहिए।

सौंदर्या ने उसकी तरफ तिरछी नजरों से देखा और बोली:"

" ओए मिस्टर मैं लड़की होने से पहले तेरी बहन हू। और तू जानता है कि मैं किसी से नहीं डरती समझे तुम।

सौंदर्या ने अपनी बात कहते हुए अपना सीना तान दिया जिससे उसकी चूचियां बाहर की ओर तन गई और अजय ने अपनी नजर उन पर टिका कर कहा:"

" हान दीदी आपको डरने की क्या जरूरत है, आप तो शेरनी हैं एकदम भूखी शेरनी।

भूखी शेरनी सुनते ही सौंदर्या को वो पल याद अा गया जब उसने अपने भाई का सिर अपनी जांघो के बीच कसकर दबा दिया था। सौंदर्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया और अपनी नजरे नीचे झुका ली तो अजय भी अपने ट्रैक्टर पर ध्यान देने लगा।

गांव की ईंटों वाली सड़क पर ट्रैक्टर के चलने से झटके लग रहे थे जिससे सौंदर्या का जिस्म हिलने से बार बार सौंदर्या की चूचियां उछल रही थी अजय को नजर बीच बीच में उन पर पड़ रही थी जिसका सीधा असर उसके लंड पर हो रहा था। आंखो के आगे वो दृश्य अा गया जब उसने एक पल के लिए ही सही लेकिन अपनी अपनी बहन की चुचियों को पूरी तरह से बेपर्दा देखा था और सड़क पर बने हुए गड्ढे पर उसका ध्यान नहीं गया और जैसे ही उसमे ट्रैक्टर का पहिया गिरा सौंदर्या के झटके के साथ उसकी गोद में अा गिरी और मुंह से एक दर्द भरी आह निकल गई और इसके साथ ही अजय के होंठो से भी एक कराह निकल पड़ी अजय ने ट्रैक्टर को ब्रेक लगा दिया और सौंदर्या जैसे ही उठने लगी तो उसे एहसास हुआ कि उसने गिरने से बचने के लिए जिस डंडे को हाथ में पकड़ लिया था वो उसके भाई का लंड था जिसके जोर से पकड़ने से उसके भाई के मुंह से आह निकल पड़ी थी। सौंदर्या की सांसे तेजी से चलने लगी और उसने अपने भाई के लंड को छोड़ दिया और फिर से अपनी सीट पर बैठ गई और बोली:"

" भाई ध्यान से चलाओ, अच्छा हुआ तुम्हे मुझे गिरने से बचा लिया। थैंक्स।

अजय अपनी बहन की हालत देखकर मस्ती से भर उठा और बोला:" दीदी मुझे क्यों थैंक्स बोलना, बोलना ही हैं तो उससे बोलिए जिससे पकड़ कर आप गिरने से बची हैं।

अपनी भाई की बात सुनकर सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और उसने होंठो पर हल्की अा गई तो उसने शर्म और हया के चलते अपने मुंह को दूसरी तरफ घुमा लिया और उसके होंठो पर एक गहरी मुस्कान अा गई।

अजय:" दीदी एक बार मेरी तरफ देखो ना आप, बताओ ना बोलोगी किया थैंक्स ?

सौंदर्या ने अपनी मुस्कान को जैसे तैसे रोका और अजय की तरफ देखकर आंखे निकालते हुए बोली:"

" चुप रह बेशर्म। मार दूंगी तुझे।

अजय अपनी बहन की इस अदा पर मोहित हो गया और उसकी तरफ स्माइल करते हुए बोला:"

" मार दो ना दीदी, भूखी शेरनी से मरने के लिए मैं तो कब से तैयार बैठा हू।

सौंदर्या को समझ नहीं आया कि अपने भाई को क्या जवाब दे, तभी उसकी नज़र सड़क में बने हुए दूसरे गड्डे पर पड़ी और वो चिल्ला उठी

" भाई सड़क में गढ्डा....

इससे पहले कि सौंदर्या आगे बोलती ट्रैक्टर का पहिया गड्ढे में गिर गया और वो फिर से अपने भाई की गोद में जा गिरी। अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन गलती का इनाम सोचकर खुश हो गया। उसकी बहन फिर से उसकी गोद में अा गिरी थी। लेकिन सौंदर्या सचेत थी इसलिए उसने लंड के बजाय अपने भाई के हाथ को बचने के लिए पकड़ लिया था।

सौंदर्या उठने लगी और उसे डांटते हुए बोली:" बाते तो बड़ी बड़ी करता है तू, ट्रैक्टर चला आराम से कहीं चोट लग गई तो ?

अजय ने सामने सड़क पर नजर डाली और अपनी दीदी का हाथ पकड़ते हुए बोला:"

" दीदी देखो ना सड़क टूटी हुई हैं, और बारिश का पानी भरने से गड्ढे नहीं दिख रहे हैं। आप एक काम करो मेरी गोद में बैठ जाओ, बार बार गिरने से बच जाओगी।

सौंदर्या ने उसकी तरफ एक अदा के साथ देखा और अपनी गर्दन तिरछी करती हुई बोली:"

" तुझे पता भी हैं तू क्या कह रहा है? तू मुझे अपनी सगी बहन को अपनी गोद में बैठाएगा पागल।

अजय:" तो उसमे दिक्कत क्या हैं दीदी? गिरकर चोट लग गई तो दिक्कत होगी ना ?

सौंदर्या को अपने भाई की बात ठीक लगी लेकिन अभी वो इतनी बेशर्म नहीं हुई थी अपने भाई की गोद में बैठ जाए इसलिए बोली:"

" ना बाबा ना, मुझे नहीं बैठना, तुम बस ध्यान से चलाओ। मैं इस बार सीट को अच्छे से पकड़ लूंगी।

इतना कहकर वो उसकी गोद से उठ गई और फिर से सीट पर बैठ गई। बारिश अब तेज हो रही थी, काले काले बादल होने से चारो तरफ हल्का अंधेरा हो गया था और सौंदर्या के कपडे पूरी तरह से भीग गई थी जिससे उसके जिस्म के कटाव फिर से नजर अा रहे थे और अजय अपनी दीदी को ऐसी हालत में देखकर अपनी गोद में बैठाए जाने के लिए मरा जा रहा था इसलिए अपनी टांगो को अच्छे से खोल दिया और जान बूझकर एक तेज झटके के साथ ट्रैक्टर गड्ढे में गिरा और सौंदर्या उसकी गोद में बिल्कुल उसकी जांघो के बीच।

सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और वो फिर से उठने लगी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" बस करो दीदी, आराम से मेरी गोद में ही बैठ जाओ। आप बार बार गिर रही हो।

सौंदर्या उठते हुए बोली:" भाई बैठ तो जाऊ लेकिन किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा ? कैसी बेशर्म बहन हैं जो अपने भाई की गोद में सड़क पर ही बैठी हुई है ?

अजय समझ गया कि उसकी बहन उसकी गोद में बैठना तो चाहती है लेकिन डर रही है तो उसने उठती हुई सौंदर्या का हाथ पकड़ कर फिर से अपनी गोद में गिरा दिया और बोला:"

" दीदी ऐसे मौसम में सड़क पर कोई नहीं आएगा, वैसे भी अंधेरा हो रहा है इसलिए दूर से कोई आ भी गया तो दिखेगा नहीं। अभी थोड़ी देर बैठ जाओ फिर घर जाकर चाहो तो पूरी रात अपने भाई की गोद में बैठना कोई देखेगा भी नहीं ।

अजय ने रात के लिए भी अपनी बहन को ऑफर दे दिया तो अपनी भाई की बात सुनकर सौंदर्या ने सुकून की सांस ली और अपने आपको उसकी गोद में ढीला छोड़ दिया। अजय की तो चांदी हो गई और आगे ट्रैक्टर बढ़ा दिया। सौंदर्या की जांघो में लंड चुभ रहा था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई और उसने जोर से अपने भाई के हाथ को कस कर पकड़ लिया। देखते ही देखते अजय का लन्ड पत्थर की तरह कठोर हो गया लेकिन उसकी बहन की जांघो में दबा पड़ा हुआ था। अजय ने एक बार सौंदर्या को उपर उठने का इशारा किया और सौंदर्या जैसे ही उपर उठी अजय ने अपनी टांगो को अच्छे से खोल दिया और सौंदर्या ठीक उसकी जांघो के बीच बैठ गई तो लंड उसकी गांड़ की दरार में कपड़ों के उपर से ही घुस गया। सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल पड़ी और उसने और जोर से अपनी भाई को कस लिया और अजय अपनी बहन की हालत देखकर मुस्करा दिया और बोला:_

" क्या हुआ दीदी आप ठीक तो हो ?

इतना कहकर उसने लंड को उपर की तरफ जोर दिया तो सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल पड़ी और बोली:"

" उफ्फ भाई क्या कर रहा हैं, जल्दी से चलाओ ना ट्रैक्टर जिससे खेत में पहुंच जाए।

अजय:" दीदी तेज चलाने से झटके तेज लगेंगे और गिरने का खतरा होगा।

इतना कहकर अजय ने अपनी लंड का फिर से दबाव डाला तो सौंदर्या ने दूसरे हाथ से अपनी भाई को जांघ को कस लिया और सिसक उठी:"

" लगने दे ना तेज झटके, मैं सब सह लुंगी अपने भाई की गोद में, मेरा भाई मुझे गिरने नहीं देगा इतना तो मुझे यकीन है।

अजय तो अपनी बहन की बात सुनकर पागल सा हो गया और बोला:" दीदी आपका भाई आपको अपनी बांहों से नहीं गिरने देगा। रुको पहले आप अच्छे से बैठ जाओ नहीं तो तेज धक्कों में दिक्कत होगी।

अजय ने जान बूझकर झटके की जगह धक्के शब्द का इस्तेमाल किया तो सौंदर्या को रोम रोम मस्ती से भर उठा। उसे लग रहा था मानो वो अपने भाई की गोद में चुदने के लिए बैठ रही हैं ये सोचकर उसकी चूत में गीलापन अा गया। अजय ने सौंदर्या को उपर की तरफ उठाया और लंड को बिल्कुल रॉकेट की तरह सीधा करते हुए अपनी जांघो को कस लिया और सौंदर्या को सीधे अपने लंड पर टिका दिया। लंड पर बैठते ही सौंदर्या का जिस्म पूरी तरह से कांप उठा क्योंकि लंड उसकी चूत से जा लगा था।

अजय:" दीदी ट्रैक्टर शुरू कर दू क्या ?

सौंदर्या बोल पाने की स्थिति में कहां थी उसने बस अपनी गर्दन को हिला कर अपनी सहमति दे दी। ट्रैक्टर से पहले अजय का लंड चल पड़ा और सौंदर्या हिलने लगी।

ट्रैक्टर अब स्पीड पकड़ चुका था और उससे कहीं ज्यादा स्पीड अजय का लन्ड। अजय के लंड के इशारों पर सौंदर्या तेजी से उछल रही थी जिससे उसकी साड़ी धीरे धीरे अपने आप खिसकती चली गई और अब सिर्फ पेटीकोट में अपने भाई के लंड पर बैठी हुई थी। लंड अब ज्यादा अच्छे से उसकी चूत को छू रहा था जिससे सौंदर्या की सांसे तूफान बन गई थी और उसकी चूचियां ब्लाउस में उछल उछल पड़ रही थी। तभी सड़क में एक मोड़ अाया और सौंदर्या अपने भाई पर गिरती चली गई और अजय ने मौके का फायदा उठाते हुए मोड़ की वजह से लंड उसकी चूत पर पूरी लंबाई में रगड़ दिया और सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी।

सौंदर्या की उछलती हुई चूचियों को देखकर अजय मदहोश सा हो गया और धक्के तेज करते हुए बोला:"

" दीदी इतना मत उछलो, आपका सब कुछ उछल उछल पड़ रहा है।

सौंदर्या की जुबान को जैसे लकवा मार गया था। उसके मुंह से आवाज नहीं बस सिसकियां निकल रही थी। उसने एक नजर अपनी चुचियों को देखा और वो समझ गई कि उसका भाई उसकी चूचियों की बात कर रहा है जिससे उसकी हालत हो खराब हो गई। कमीना एक तो इतने तेज धक्के मार कर खुद उछाल रहा है इसलिए उल्टा मुझे ही बोल रहा है। गिरने से बचने के लिए उसने दोनो हाथों से अपने भाई की जांघो को पकड़ लिया और खुद ही मस्ती से अपनी कमर पूरी तरह से उसकी छाती से जोड़ दी।

अजय जानता था कि खेत आने वाला है इसलिए उसने ट्रैक्टर की स्पीड पूरी बढ़ा दी और अपने लंड की पूरी आजादी दे दी जिससे सौंदर्या उसकी गोद में रबड़ की गुड़िया की तरह उछल उछल पड़ रही थी। लंड कभी उसकी जांघो पर, कभी चूत तो कभी गांड़ के छेद पर टकरा रहा था जिससे सौंदर्या मस्ती से आह भर रही थी लेकिन गिरने का डर लग रहा था इसलिए उसने खुद ही अपने भाई का हाथ उठाकर अपने सीने पर रख दिया और अजय ने उसकी दोनो चूचियों को अपने हाथ से कपड़ों के उपर से ही दबा दिया। सौंदर्या का धैर्य जवाब दे गया और उसने खुद ही अपनी गांड़ को उठाकर रगड़ना शुरू किया तो अजय ने जोश में आते हुए नीचे से एक जोरदार झटका मारा जिससे लंड का सुपाड़ा उसकी बहन की पूरी तरह से भीग गई चूत के छेद पर दबाव डालते हुए अंदर की तरफ घुसा और लंड ने पिचकारी मार दी अजय सिसक उठा और अपनी बहन के हाथ को पकड़ कर उसकी जांघो पर ले गया तो वीर्य से सौंदर्या का हाथ पूरा भीग गया और अजय सिसकते हुए बोला:"

" आह दीदी खेत अा गया, उफ्फ देखो कितनी बारिश हो रही है, उफ्फ पानी पानी हो गया है सब कुछ ।

सौंदर्या ने अपने हाथ को अपनी जांघो पर फिराया और लंड को अपने चूत की दीवारों पर महसूस करते हुए तड़प उठी और सिसकी

" आह भाई, देखो ना सारा पानी बाहर ही बह गया है।

अजय ने ट्रैक्टर को रोक दिया और अपनी दीदी को अपनी बांहों में कस लिया। अजय ने देखा कि उसके खेत से मेढ़ तोड़कर पानी बाहर निकल रहा है। सौंदर्या ने भी ये देख लिया और बोली:"

" उठो जल्दी, कहीं मेरे इस खेत से भी पानी सारा पानी बाहर ना निकल जाए।

अजय अपनी बात की बात सुनकर तेजी से उठा और ट्रैक्टर से फावड़ा निकाल कर मेढ़ को ठीक किया और उसकी जांघो में देखते हुए बोला:"

" दीदी इस खेत तो क्या मैं तो आपके किसी भी खेत से पानी बाहर ना निकलने दू।

सौंदर्या ने फावड़े के लड़की के हत्थे को देखा तो उसे लगा कि उससे भाई का लंड भी ऐसा ही ज्यादा मोटा और लम्बा होगा। उसका जिस्म पूरी तरह से दहक रहा था।

अजय ने फावड़े को एक तरफ रख दिया और खेत में पड़ी हुई घास को उठा उठा कर ट्रैक्टर में रखने लगा। बारिश के कारण भीग चुकी अपनी शर्ट को उसने उतार दिया और उसकी चौड़ी छाती देख कर सौंदर्या फिर से उसकी ओर देखने लगी।

सौंदर्या को अपनी जांघो में गीलापन महसूस हुआ तो उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर देखा तो उसके हाथ में उसके भाई का वीर्य लग गया जिसे देखते ही सौंदर्या के जिस्म में तेज सनसनाहट सी दौड़ गई और उसने तेज हो गई बारिश में उसने अपने पेटीकोट को धोने की सोची और थोड़ा सा पीछे की तरफ जाते हुए एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई और दोनो हाथ फैला कर बारिश का मजा लेने लगी। अजय घास को ट्रैक्टर में रख चुका था और अपनी दीदी को देखा तो वो उसे नहीं मिली तो उसने इधर उधर देखा और पेड़ के पीछे उसे देखने चला आया। सौंदर्या के कपडे भीग चुके थे और उसने अपनी साडी को अपने कंधे पर से हटाने लगी ताकि आराम से अपने पेटीकोट को धो सके। साडी जैसे ही उसके कंधे से हटी तो उसकी लाल रंग की ब्रा में कैद उसकी गीली भीगी हुई ठोस गोल गोल चूचियां बाहर की तरफ उछल पड़ी।

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अपनी बहन की गोल गोल पपीते के आकार की चुचियों को ऐसे हिलते हुए देखकर अजय के मुंह से आह निकल पड़ी। उफ्फ क्या माल है उसके बहन। जीती जागती क़यामत हैं। सौंदर्या ने अपनी साडी को एक तरफ किया और अपने पेटीकोट को धोने लगी लेकिन बीच में से ठीक से नहीं धो पा रही थी तो उसने अपनी जांघो को चौड़ा कर लिया ताकि अंदर तक पानी गिर सके। अजय तो पूरी तरह से बेकाबू सा हो उठा और उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया।

सौंदर्या ने अपने भाई के वीर्य को अच्छे से साफ किया और उसकी नजर ब्रा के बंद अपनी चूचियों पर गई तो उसे खुद पर गर्व हुआ। तभी जोर से बिजली कड़की और सौंदर्या बुरी तरह से डर गई और उसकी हालत में अपने भाई की तरफ दौड़ पड़ी। अजय ये सब देखा रहा था और उस पर तो जैसे क़यामत सी टूट पड़ी। सौंदर्या के भागने से उसकी लाल रंग की ब्रा में बंद चूचियां बहुत ही कामुक अंदाज में उछल उछल पड़ रही थी।

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अजय अपनी बहन की हालत देखकर उसके सामने अा गया और तेजी से उसकी तरफ दौड़ी और अपने भाई को अपनी चुचियों को उछलते हुए देखकर उसकी सांसे तेज हो गई और तभी फिर से बिजली कड़की तो एक झटके के साथ वो अपने भाई के सीने में घुस सी गई। अजय ने ऐसे अपनी बांहों में कस लिया और सौंदर्या डरते हुए बोली

" उफ्फ ये बिजली भी आज कुछ ज्यादा ही गिर रही हैं जोर जोर से

अजय ने अपनी बहन की कमर को थाम लिया और सहलाते हुए बोला:"

" हाय दीदी तुम से कहीं ज्यादा बिजलियां तो मुझ पर गिर रही हैं। उफ्फ क्या होगा आज मेरा।

सौंदर्या अपनी कमर सहलाने से मचल उठी और बोली:"

" तुम पर कहां से बिजलियां गिर गई भाई ?

अजय ने अपने मुंह को अपनी दीदी के सामने किया और उसके चेहरे को उपर किया और आंखो में देखते हुए बोला

" दीदी आप बिल्कुल क़यामत लग रही हो। आपकी हर एक अदा जानलेवा हैं उस आसमानी बिजली से कहीं ज्यादा।

सौंदर्या के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" भाई मैं कहां से तुम पर बिजलियां गिरा रही हूं। कुछ भी बोल देते हो।

अजय ने बिना कुछ कहे सौंदर्या को अपनी बांहों से आजाद किया और उसे हाथ पकड़ पर तेजी से गोल गोल घुमा दिया जिससे उसकी चूचियां फिर से उछल कर उधर उधर डोल गई और अजय उसकी चूचियों को घूरते हुए बोला:"

" दीदी देखो ना आपकी लाल लाल बिजलियां कैसे मुझ पर गिर रही हैं, बड़ी बड़ी गोल गोल बिजलियां।

सौंदर्या ने अपनी चुचियों की तरफ देखा तो उन्हें लाल रंग की ब्रा में बेलगाम उछलते हुए देखकर समझ गई कि उसका भाई उसकी चूचियों को लाल लाल बिजलियां कह रहा है तो सौंदर्या उसको मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ी और अजय उससे दूर हुआ तो सौंदर्या उसकी तरफ भागी जिससे उसकी चूचियां फिर से अपनी औकात दिखाने लगी। अजय उसे मुड मुड कर देख रहा था और सौंदर्या उसके पीछे अपनी चूचियों को उछालती हुई भाग रही थी।

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अजय ट्रैक्टर के पास रुक गया और उसकी चूचियों को देखने लगा तो सौंदर्या उसके पास अाई और उसके कान पकड़ कर खींचते हुए बोली:"

" बहुत बिगड़ गया है तू। मैं तो तुझे बच्चा समझती थी।

अजय:" आह दीदी मेरा कान छोड़ो, ये बच्चा अब बच्चे पैदा करने लायक हो गया है।

तभी फिर से आसमान में काले काले बादल छा गए और सौंदर्या डरते हुए बोली:"

" भाई शायद बारिश और ज्यादा होगी, घर जाकर तुझे ठीक करती हूं। बहुत बोलता है।

अजय ने भी मौसम के हालात को समझते हुए ट्रैक्टर को चालू कर दिया और जल्दी ही वो अपने घर पहुंच गए। कमला बहुत परेशान थी और उन्हें देखकर राहत की सांस ली।

अजय ने घास को अंदर डाला और तब तक सौंदर्या नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। घास उतारकर अजय भी नहाने के लिए घुस गया और उसके बाद दोनो भाई बहन ने अपनी मा के साथ खाना खाया।

बारिश में ज्यादा भीगने के कारण दोनो का शरीर अकड़ गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही दोनो नींद के आगोश में चले गए जबकि कमला अपने घर के काम खत्म करने में जुट गई।

शाम को सौंदर्या की आंख खुली और वो अपनी मम्मी के साथ घर के काम में जुट गई तो उसे देखते ही कमला बोली:"

कमला:" उठ गई मेरी प्यारी बेटी, काफी देर तक सोती रही।

सौंदर्या:" हान मम्मी, भीग गई थी इसलिए नींद बहुत अच्छी अाई मुझे। समय का पता ही नहीं चला।

कमला:" सो ले बेटी जी भरकर, उसके बाद तो अगले हफ्ते आचार्य जी अा रहे हैं तो तेरी कुंडली का दोष दूर होते ही तेरी शादी होते देर नहीं लगेगी। फिर कहां तुझे आराम मिलेगा ससुराल में बेटी !

सौंदर्या अपनी मम्मी की बात सुनकर स्माइल करी और बोली:"

" मैं कहीं नहीं जाऊंगी आपको छोड़कर। शादी के लिए कोई ऐसा लड़का देख लुंगी जो हमारे ही साथ रहे।

कमला:" अरे बेटी मेरे लिए तो शादी हो जाए बस वही बड़ी बात है, घर जमाई कहां मिलते है आजकल ? ।

सौंदर्या:" मिल जाएगा मम्मी, मैं कोशिश करूंगी।

कमला:" अच्छा ठीक है। सभी बन गई है। तुम रोटी बना लो तब तक मैं भैंस का दूध निकाल लेती हूं मौसम भी थोड़ा खराब है आज।

कमला बाल्टी लेकर दूध दुहने चली गई और सौंदर्या रोटी बना रही थी। उसके मन में आज दिन भर हुई घटना घूम रही थी खास तौर से वो ट्रैक्टर वाला दृश्य।

सौंदर्या सोच रही थी कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये सब गलत हैं क्योंकि वो मेरा सगा भाई है। तभी उसके मन में दूसरा विचार अाया कि सौंदर्या उसके साथ मजा बहुत अा रहा था, टू खुद ही ट्रैक्टर के बहाने उसकी गोद में उछल रही थी। नहीं नहीं ये सब मुझे बंद करना ही होगा, आज नहीं तो कल इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है।

सौंदर्या ने अपने मन को पक्का किया और रोटी बनाती रही। रोटी बन गई थी और कमला भी दूध लेकर अा गई थी।

रात के करीब आठ बज गए थे और सारा परिवार साथ में खाना खा रहा था।

अजय बार बार अपनी दीदी की तरफ देख रहा था और उससे बाते कर रहा था लेकिन सौंदर्या कोई भाव नहीं दे रही थी जिससे उसका मूड खराब हो रहा था।

कमला:" क्या हुआ बेटा ? कुछ परेशान सा लग रहा है?

अजय के चेहरे के भाव बदल से गए और बोला:"

" नहीं मम्मी, बस बारिश में भीग गया था इसलिए थोड़ा थकान महसूस हो रही है।

कमला:"इतने दिन के बाद खेत का काम किया है तो थकान तो होगी ही बेटा। अरे बेटी एक काम करना, सोने से पहले अजय को एक गर्म ग्लास दूध दे देना। थोड़ा ताकत मिलेगी तो सारी थकान दूर हो जायेगी।

सौंदर्या:" ठीक है मम्मी। मैं दे दूंगी सोने से पहले।

उसके बाद सभी लोग खाना खाकर करीब 10 बजे तक टीवी देखते रहे और फिर कमला को नींद आने लगी तो वो भी सोने के लिए चली गई। अजय को अपनी बात करने का मौका मिल गया और बोला:"

" क्या हुआ दीदी? आप जब से जंगल से अाई हो कुछ बदली बदली सी नजर आ रही हो? मुझसे कुछ गलती हुई हैं क्या ?

सौंदर्या:" नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं हैं, सब ठीक है।


अजय:" अच्छा दीदी मैं कमरे में जा रहा हूं। नींद अा रही है अगर ही सके तो एक ग्लास दूध दे देना आप मुझे।

इतना कहकर अजय ऊपर अपने कमरे में चला गया। अजय समझ रहा था कि उसकी दीदी शायद अपराध बोध महसूस कर रही है इसलिए उससे बात करनी होगी। लेकिन नीचे उसे अपनी मम्मी का खतरा था इसलिए उपर चला गया ताकि आराम से बात हो सके।

सौंदर्या भी सब समझ रही थी कि अजय ऊपर क्यों गया है और दूध के बहाने वो उसे भी उपर आने के लिए कह गया है। सौंदर्या उसकी चाल समझ गई थी लेकिन अपने भाई को दूध देना जरूरी था।

सौंदर्या ने रसोई से दूध गर्म किया और उपर की तरफ अा गई। अपने दीदी को अपने कमरे में देखकर अजय ने राहत की सांस ली और बोला:"

" आओ दीदी मैं आपका ही इंतजार कर रहा था।

सौंदर्या ने दूध का ग्लास उसकी तरफ किया और बोली:"

" लो तुम जल्दी से ग्लास पकड़ो, मुझे नींद आ रही है।

अजय ने ग्लास लिया और बोला::" दीदी इतनी जल्दी भी क्या हैं सोने की, बैठो थोड़ी देर बाते करते हैं।

सौंदर्या:" नहीं भाई। आज नहीं, मैं थक गई हूं। नींद अा रही है बहुत ज्यादा आज।

इतना कहकर वो बाहर की तरफ चल पड़ी तो अजय की कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या करे। उसने दूध का ग्लास रखा और तेजी से आगे बढ़ कर अपनी बहन का हाथ थाम लिया। सौंदर्या अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन अजय ने कसकर पकड लिया और बोला:"

" क्या दीदी ? क्यों ऐसे कर रही हो? बताओ तो मुझे ?

सौंदर्या:" अजय मेरा हाथ छोड़ो, मत भूलो कि मैं तुम्हारी बहन हूं। नहीं तो मुंह तोड़ दूंगी तेरा।

सौंदर्या ने गुस्से से कहा तो अजय के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" अच्छा जी, आप अपने लाडले भाई का मुंह तोड़ दोगी ?

सौंदर्या पूरी ताकत से अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन अजय की मजबूत पकड़ उससे टस से मस भी नहीं हुई तो उसने गुस्से से उसे घूरते हुए कहा:"

" अजय मुझे मजबुर मत कर, आखिरी बार बोल रही हो।

अजय ने अपनी पकड़ को और मजबूत किया तो गुस्से से सौंदर्या की आंखे लाल हुई और जबड़े भींच कर उसने दूसरे हाथ से एक जोरदार थप्पड़ अपने भाई के गाल पर कसकर मार दिया।

अजय की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने अपनी बहन का हाथ छोड़ दिया और सौंदर्या एक झटके के साथ पलटी और बाहर की तरफ निकल गई। अजय को समझ नहीं आया कि ये सब क्या हुआ और वो दुखी मन से वहीं अपने बेड पर बैठ गया।
 
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मनोज अपने सामने बैठे हुए आदमी की बाते बड़े गौर से सब सुन रहा था और उसके चेहरे पर ज़हरीली मुस्कान नाच रही थी।

मनोज:" मैं कैसे तुम्हारी बात का यकीन मान लु? साबित करो वरना अगर झूठ निकला तो समझो तुम्हारी कहानी खत्म।

आदमी:" मालिक सच बोल रहा हूं, रुको आपको सबूत दिखाता हूं

इतना कहकर उस आदमी ने वो सबूत उसके सामने कर दिया तो मनोज की आंखे चमक उठी। उसे यकीन हो गया कि वो सोच बोल रहा था।

मनोज:" बहुत ही बढ़िया। मजा आ गया भाई। इस काम के लिए इतने दिन से परेशान था मै और तूने तो एकदम से मेरी सारी दिक्कत दूर कर दी। आज से तू मेरा खास आदमी बनकर रहेगा और पैसा भी ज्यादा मिलेगा।

आदमी अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और बाहर की तरफ निकल गया। मनोज ने शेरा को फोन करके सारी बाते बता दी और दोनो आगे का प्लान करने लगे। दोनो जानते थे उन्हें क्या करना है।

वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनो पूरी रात अपने अपने बिस्तर पर करवटें बदलते रहे। अजय को अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि उसे अपनी दीदी के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी।

वहीं सौंदर्या सोच रही थी कि ये सब उसकी वजह से ही हुआ हैं। ना मैं डिल्डो के चक्कर में पड़ती और ना ही आज ये दिन देखना पड़ता। अजय को मैंने ही बढ़ावा दिया है लेकिन उसे भी समझना चाहिए कि ये सब ठीक नहीं हैं इसलिए ये सब बंद करना जरूरी हैं। उसे बुरा लगा होगा लेकिन ये होना बहुत जरूरी था। अब मैं आगे उससे दूरी बनाकर रखूंगी।

ये ही सब सोचते सोचते वो सो गई। अजय ने भी थक हर कर अपनी सोच को विराम दिया और सोने का फैसला किया।


वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में शादाब अपनी अम्मी के साथ मजे से रह रहा था क्योंकि उसे एक अच्छा खासा पैसा स्कॉलरशिप के रूप में मिल था। वैसे की तो वैसे भी कोई कमी नहीं थी क्योंकि जमीन बेचकर और ठेके पर देकर उसने अच्छा पैसा बचा लिया था। उन्हें गए हुए करीब छह महीने हो गए थे और दोनो की ज़िन्दगी खुशियों से भरी हुई थी।

वहां के माहौल का शहनाज़ पर बहुत गहरा असर पड़ा और उसकी सोच और कपडे पहनने का तरीका सब बिल्कुल बदल गया। घर से बाहर कदम रखते हुए डरने वाली शहनाज़ अपने बेटे के साथ काफी घूम चुकी थी और उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि अब तो अकेले ही घूम लेती थी। पहले अपने शरीर की उंगलियां तक ढक कर रखने वाली शहनाज़ अब शॉर्ट स्कर्ट और टॉप पहनकर अपने बेटे की बांहों में बांहे डालकर खुलेआम सड़को पर अपने कातिल हुस्न और कामुक अदाओं का जलवा बिखेर रही थी।


शादाब ने उसके बालो को अच्छे से कट कराया और शहनाज ने जिम भी ज्वाइन कर लिया था। उसने अपनी फिटनेस पर बहुत मेहनत करी और जल्दी ही उसकी मेहनत रंग लाई। उसका पहले से ही भारी फिगर अब क़यामत बन चुका था। जिम के कारण उसके पेट पर जो थोड़ी सी चर्बी थी अब खींच कर उसके सीने पर अा गई थी जिससे उसकी पहले से ही टाइट चूचियां अब पूरी ठोस हो गई थी और निप्पल पूरी तरह से कस गए थे। शहनाज़ की कमर अब लचक खाने लगी थी और पहले से बहुत ज्यादा पतली हो गई थी। उसकी गांड़ के तो कहने ही क्या, बिल्कुल गोल गोल नितम्ब, चौड़े पहले से ज्यादा फैले हुए लेकिन लटकन का नामो निशान तक नहीं। शादाब ने शहनाज़ पर खुलकर पैसा खर्च किया और उसकी पूरी तरह से काया पलट हो गई थी।

उसका फिगर 39:29:42 हो गया था। शहनाज़ अब 27 या 28 साल की लगती थी। कोई भी देखकर नहीं कह सकता है कि वो शादाब की अम्मी हैं। दोनो गोरे चिट्टे, लगता था जैसे दोनो एक दूसरे के लिए ही बने हुए है।

शहनाज़ की दोनो फोटो उसके जिस्म और उसकी सोच में बदलाव दिखाते हुए।।

शहनाज़ पहले ऐसी दिखती थी।

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शहनाज़ अपने बेटे से शादी के बाद कुछ ऐसी दिखती हैं।



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शहनाज़ और शादाब दोनो एक साथ की बांहों में लेते हुए थे और शादाब बोला:"

" अम्मी क्यों इतना ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?

शहनाज़ ने अपने बेटे को स्माइल देते हुए कहा:" बेटा तुम तो जानते ही हो कि मेरे पीरियड चल रहे हैं

शादाब ने शहनाज़ की चुचियों की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया और बोली:"

" नहीं मेरे शादाब। मुझे दिक्कत होगी फिर बेटा। आज और सब्र करो, आप पांचवा दिन हैं। ब्लड बस रुक सा गया है।

शादाब:" अम्मी ये आपके पीरियड भी ना मेरी जान निकाल देते हैं। इस बार तो आपने मुंह से नहीं चूसा। देखो ना कैसे अकड़ रहा है मेरा मूसल आपकी औखलीं में जाने के लिए।


शादाब ने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखना चाहा तो उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" तुझे अब तब ओखली और मूसल याद हैं क्या ?

शादाब:" क्या बात कर दी अम्मी, मैं कैसे भूल सकता हूं। ज़िन्दगी में खुशियां इसी ओखली और मूसल की वजह से तो अाई थी।

शहनाज़:' अच्छा ये बात भी है। तुम अब जल्दी से हो जाओ, नहीं तो कॉलेज कर लिए लेट हो जाओगे।

शादाब ने एक किस अपनी अम्मी के गाल पर किया और तेजी से उठकर तैयार होने लगा और फिर नाश्ता करके जाने लगा तो शहनाज़ ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके गाल चूम कर बोली:"

" जल्दी आना, मेरा मन नहीं लगता तेरे बिना।

शादाब ने जल्दी से शहनाज़ का एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोला:"

" आपके प्यारे इस मूसल के बिना या मेरे बिना?

शहनाज़ ने उसके होंठो को चूम लिया और बोली:" दोनो के बिना अब खुश। जाओ जल्दी अब और जल्दी आना।

शादाब:" अच्छा जाता हूं, अगर जल्दी अाया तो क्या दोगी ?

शहनाज़:" पहले आओ तो तुम, उसके बाद बात करते हैं।

शादाब ने अपनी अम्मी की चूत की तरफ इशारा किया और बोला:" बात कुछ नहीं करनी मुझे आज आपकी ये चाहिए।

इतना कहकर शादाब उसकी तरफ जीभ निकाल कर कॉलेज चला गया और शहनाज़ अपने विचारो में खोई हुई थी कि किस तरह उसके बेटे ने उसकी ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया था। मैं सुंदर हूं इसलिए मेरे बेटे ने मेरे जिस्म को नहीं हासिल किया बल्कि उसने एक आशिक का पूरा फर्ज़ निभाया। मायके वालों को मेरी कद्र नहीं रही अम्मी पापा के बाद और ससुराल वालों ने भी मुझे पूरी तरह से निराश ही किया।


करीब सुबह के 10 बजे रहे थे और अपने विचारो में खोई हुई शहनाज़ को याद आया कि आज उसके पीरियड खत्म हो गए हैं और उसे अच्छे से सिर धोकर नहा लेना चाहिए। शादाब पिछले पांच दिन से सेक्स के लिए तड़प रहा था लेकिन मेरे पीरियड के चलते मजबूर था और बेचारे का इस बार तो मैंने चूसा भी नहीं। सुबह आज वो पूरी खुशी के साथ कॉलेज गया है कि आज शाम को जोरदार धमाका करेगा।

शहनाज़ नहाने के लिए बाथरूम में बाथरूम में घुस गई और पूरी तरह से नंगी हो गई। उसने अपने जिस्म को देखा तो उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ। उसकी चूचियां और गांड़ सचमुच जानलेवा हो गई थी। शहनाज़ ने देखा कि उसकी चूत पर पिछले कुछ दिनों में छोटे छोटे बाल उग आए थे पीरियड की वजह से। इसलिए शहनाज ने सबसे पहले अपने बालो को साफ करने का फैसला किया। उसने क्रीम लगाई और थोड़ी देर बाद ही उसे अपनी से धो दिया। उसकी चूत बिल्कुल सुंदर और चिकनी हो गई थी, एक भी बाल नहीं। उसने कांपते हाथो से चूत को छुआ तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम हैं।

शहनाज़ अपनी चूत के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ नहीं करना चाहती थी इसलिए बस अच्छे से साफ किया और ब्रा पेंटी पहन ली और अपने कमरे में अा गई और अपने कपड़े बदल लिए।

वो टीवी देखने लगी और कब दो बज गए उसे पता ही नहीं चला। वो जानती थी कि उसके बेटे के आने का समय हो गया है तो उसन अपने बालो को खोल दिया और उसके बाद उसके खूबसूरत चेहरे के चारो और फैल गए और उसने अपनी टी शर्ट को निकाल दिया और सिर्फ एक डार्क ब्लू रंग की जीन्स और गहरे लाल रंग की डिजाइनर ब्रा में बाहर बालकनी में खड़ी हो गई और सड़क की तरफ देखने लगी।


शादाब की कार उसे सड़क पर आती दिखाई दी और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई। शादाब ने अपनी अम्मी को देखा और कार की स्पीड को कम कर दिया और शहनाज़ को बालकनी में खुले बालों में देखकर उसे खुशी के साथ साथ हैरानी भी हो रही थी। शहनाज के दूध से गोरे कंधे दूर से ही साफ नंगे नजर अा रहे थे और शादाब ने अपनी अम्मी को एक फ्लाइंग किस दी तो शहनाज़ हल्की सी शरमाई और शादाब ने गाड़ी को घर के अंदर घुसा दिया।

गाड़ी खड़ी करने के बाद शादाब तेजी से उपर की तरफ दौड़ा क्योंकि उसे अपनी अम्मी से दूरी अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी। शादाब जैसे ही उपर पहुंचा तो उसे शहनाज़ दिखाई दी जो एक डार्क ब्लू कलर की जीन्स पहने हुए थी और उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई थी। उपर उसकी कमर पर एक लाल गहरे रंग की ब्रा थी बस।

कदमों की आहट से शहनाज़ को एहसास हो गया कि शादाब आ गया है तो उसने अपनी गांड़ को पूरी तरह से बाहर की तरफ निकाल दिया ।


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शादाब पागल सा हो उठा और आगे बढकर उसने शहनाज़ की मोटी गांड़ को अपनी दोनो हाथो में भर लिया और जोर से मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी

" आह क्या करता हैं शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से बेटा।

शादाब ने अपने हाथो की पकड़ को और टाइट किया और शहनाज़ की गांड़ को कस कस कर मसलने लगा तो शहनाज़ बावली सी होकर पलटी और उससे लिपट गई और बोली।

" आह यहां नहीं बेटा, अंदर ले चल ना मुझे, अपने बेड पर

शादाब ने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और शहनाज़ ने अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी।

शादाब ने अपनी अम्मी को बेड पर लिटा दिया और शहनाज़ ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो शादाब ने अपने होंठ अपनी अम्मी के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी अपने बेटे के होंठ चूसने लगी।

शादाब ने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाते हुए शहनाज़ की ब्रा को खोल दिया तो उसकी चूचियां आजाद होकर उछल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी चूचियों को अपने हाथो में भरा तो उसका फोन बज उठा।

शहनाज़ और शादाब की नजरे मिली तो शहनाज़ ने उसे फोन उठाने का इशारा किया तो शादाब ने देखा कि उसकी बुआ का फ़ोन था इंडिया से।

शादाब कुछ बोलता उससे पहले ही रेशमा की डरी सहमी हुई आवाज आई

" शादाब तेरे फूफा की तबियत बहुत ज्यादा खराब हैं बेटा। हॉस्पिटल में एडमिट हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा हैं।

शादाब और शहनाज़ दोनो ने ये सुना तो उनकी नजरे आपस में मिली और शादाब बोला:"

" आप फिक्र ना करे बुआ, मैं अभी इंडिया के लिए निकल रहा हूं। तब तक आप उनका ख्याल रखें। पैसे की फिक्र ना करे आप।


शहनाज़ अपने कपड़े पहन चुकी थी और थोड़ी देर बाद ही उनकी फ्लाइट इंडिया के लिए उड़ चुकी थीं। शहनाज़ और शादाब दोनो को अब वसीम की चिंता हो रही थी क्योंकि उसके बाद रेशमा का क्या होगा ये ही सोचकर दोनो बहुत ज्यादा परेशान थे।

अगले दिन सुबह सौंदर्या उठी तो रात भर ठीक से ना सो पाने के कारण उसकी आंखे पूरी तरह से लाल हो गई थी। आज उसे कॉलेज जाना था इसलिए वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। सौंदर्या को अपनी टांगो के बीच हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था। उसने नहाने के लिए अपने सभी कपडे उतार दिए और अपनी जांघो के बीच झांका तो उसे अपनी चूत लाल सी नजर आईं। उसने अपनी एक उंगली की चूत जी की फांकों पर रखा तो उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी। उसकी चूत के दोनो होंठ सूजकर लाल हो गए थे और हल्का हल्का दर्द हो रहा था। उसे समझ नहीं अा रहा था कि ये सब कैसे हुआ। तभी याद याद आया कि किस तरह ट्रैक्टर पर वो अपने भाई की गोद में उछल रही थी और उसके भाई का लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था।

सौंदर्या की सांसे एक बार फिर से ये सब सोचकर तेज हो गई कि उसके भाई के अंदर इतनी ताकत हैं कि कमीने के कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत की ये हालत कर दी है। तभी सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि ये सब गलत है। मैं अपने सगे भाई के बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। सौंदर्या नहाने लगी और थोड़ी देर बाद वो नहाकर बाहर अा गई और अपने कमरे ने तैयार होने लगी। आज उसे कॉलेेज जाना था और वो अब डर रही थी क्योंकि उसे अब पिंकी की याद आ रही थी कि किस तरह से गुण्डो ने उसे मार डाला।

अकेले जाने के उसकी हिम्मत नहीं थी और रात अपने भाई को थप्पड़ मारने के बाद वो किस मुंह से उसे अपने साथ जाने के लिए कहेगी उसकी समझ में नहीं अा रहा था। उसने अजय से बात करने का फैसला किया क्योंकि वो जानती थी कि उसका भाई उसे इनकार नहीं करेगा।

आखिरकार वो अपने भाई के कमरे में अाई तो उसे अजय नहीं दिखाई दिया तो उसे चिंता हुई कि पता नहीं सुबह सुबह कहां घूमने चला गया होगा। सौंदर्या नीचे अा गई तो उसने देखा कि अजय नहा धोकर तैयार बैठा हुआ था और उसने सुकून की सांस ली।

सबने नाश्ता किया तो अजय खुद ही बोल पड़ा:"

" दीदी मुझे शहर में काम हैं। मैं आपको छोड़ दुगा और शाम को मैं काम खत्म करके आपको लेता भी आऊंगा।

सौंदर्या ने अपने भाई को प्यार भरी नजरो से देखा और बोली:"

" ये तो बहुत अच्छी बात हैं भाई। मैं भी अकेले परेशान हो जाती हूं, अच्छा हूं कि आज तुम जा रहे हो मेरे साथ भाई।

कमला अपने बच्चो का प्यार और दोनो एक दूसरे की कितनी देखभाल करते है ये देखकर बहुत खुश हुई और बोली:"

" भगवान करे कि तुम दोनो भाई बहन के बीच ये प्यार ऐसे ही ज़िन्दगी भर बना रहे।

अजय और सौंदर्या की नजरे आपस में मिली मानो अपने आपसे पूछ रहे हो कि क्या मम्मी ठीक बोल रही है।


अजय उठा और गाड़ी निकाल कर अा गया तो सौंदर्या भी गाड़ी में बैठ गई और अजय ने गाड़ी को आगे बढ़ा दिया।
 
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अजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। धीरे धीरे अपनी रफ्तार से चलती हुई गाड़ी गांव से बाहर निकल गई और सड़क पर आते ही एक तेज रफ्तार के साथ दौड़ पड़ी। गाड़ी में पूरी शांति थी, ऐसा लग रहा था मानो अजय और सौंदर्या दोनो गूंगे हो। दोनों एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे लेकिन हिम्मत नही हो रही थी। आखिकार हिम्मत करके अजय ने चुप्पी तोड़ी और बोला:"

" दीदी आप किस टाइम तक फ्री हो जाएगी शाम को ?

सौंदर्या ने एक नजर अपने भाई पर डाली और भावहीन चेहरे के साथ बोली:"

" करीब 5 बज जाएंगे। आप उससे पहले ही अा जाना भाई।

अजय;" आप फिक्र मत कीजिए। मैं आपको बाहर ही मिल जाऊंगा जब आप आओगी।

सौंदर्या ने राहत की सांस ली और कार में एक बार फिर से खामोशी ने अपना डेरा डाल दिया। सौंदर्या ने अजय की तरफ देखा जो भावहीन चेहरे के साथ गाड़ी चला रहा था तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे अपने भाई को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था। आखिर गलती उसकी भी तो हैं। थप्पड़ के बजाय उसे अपने भाई को प्यार से समझाना चाहिए था।

सौंदर्या का कॉलेज अा गया और उसने एक प्यार भरी नजर के साथ अपने भाई को देखा और अंदर चली गई। अजय उसे अंदर जाते हुए देखता रहा और थोड़ी देर बाद ही सौंदर्या आगे मुड़कर आंखो से ओझल हो गई।

अजय ने गाड़ी को शहर की तरफ घुमा दिया और उस जगह पहुंच गया जहां उसने शेरा और उसके गुण्डो को मारा था। उसने आस पास नजर दौड़ाई लेकिन उसे कुछ खास नजर नहीं आया।

पिंकी की लाश यहां से थोड़ी ही दूर मिली थी इसलिए अजय ने सोचा कि घटना स्थल पर एक बार जरूर जाया जाए। अजय ने अपनी कार आगे बढ़ाई और थोड़ी देर बाद वो उस जगह अा गया जहां से पिंकी की लाश मिली थी। चारो और लोगो की भीड़ सड़क से अा जा रही थी और अजय ने काफी देर तक इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला तो उसने अपनी गाड़ी को वापिस लिया और घूमने ही वाला था कि उसे एक बाइक पर बैठे हुए व्यक्ति पर शक हुआ लेकिन अजय ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया मानो उसने देखा ही नहीं और गाड़ी को हल्की रफ्तार से आगे बढ़ा दिया। शीशे से उसने धीरे से देखा तो उसके दिमाग़ में हलचल मच गई क्योंकि बाइक भी उसकी तरफ अा रही थी। अजय ने जान बूझकर गाड़ी को सड़क पर बाई तरफ घुमा दिया तो थोड़ी दूर जाने पर बाइक भी उसी दिशा में घूम गई। अब अजय के दिमाग में शक की कोई बात ही नहीं रह गई थी और वो समझ गया था कि बाइक उसका पीछा कर रही है। लेकिन क्यों कर रही हैं और ये बाइक पर कौन आदमी हैं और उसके पीछे यहीं से क्यों लगा जहां पिंकी की हत्या हुई हैं।

कोई तो है जो मुझे ये नहीं जानने देना चाहता हूं कि पिंकी की मौत क्यों और किसने की जबकि मैं तो कोई पुलिस ऑफिसर भी नहीं हु। अजय ने अपने दिमाग पर जोर दिया तो उसे एक बात समझ अा गई कि उसकी दीदी पिंकी को बचाने के लिए ही तो गुण्डो से भिड़ गई थी तो कहीं अब पिंकी के बाद दीदी ही तो उनके निशाने पर नहीं है।

अजय के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी और उसने तुरंत गाड़ी को सौंदर्या के कॉलेज की तरफ दौड़ा दिया। गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो कॉलेज के सामने था।

कॉलेज के बाहर पहले से पुलिस की गाडियां देखकर उसके दिमाग को झटका सा लगा और वो तेजी से नीचे उतरा तो देखा कि कॉलेज के प्राचार्य बुरी तरह से डरे हुए थे और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी।

ऑफिसर:" आपके स्कूल से दिन में ही एक महिला टीचर का किडनैप हो गया कैसे ? आपके पास तो अपने गार्ड है।

प्राचार्य: मेरे गार्ड बेहोश और जख्मी हालात में मिले हैं। ये तो आपको सोचना चाहिए कि शहर में पुलिस के होते हुए गुण्डो की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई ?

अजय का दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा और वो तेजी से आगे आया और एक महिला अध्यापक से पूछा :"

" क्या हुआ हैं यहां ? किसका किडनैप हो गया है ?

मैडम के चेहरे पर खौफ के मारे हवाइयां उड़ी हुई थी और वो डरते हुए बोली:"

" हमारे कॉलेज की एक टीचर सौंदर्या का।

अजय अपनी बहन का नाम सुनते ही परेशान हो गया क्योंकि वो जानता था कि उसकी बहन बहुत बड़े खतरे ने पड़ चुकी है। अजय ने तुरंत पीछे नजर दौड़ाई क्योंकि वो जानता था कि जो बाइक वाला उसका पीछा कर रहा हैं जरूर उसके है गैंग ने उसकी बहन का किडनैप किया है। लेकिन अजय को बाइक वाला दूर दूर तक कहीं नहीं दिखाई दिया।

अजय परेशान हो उठा और तेजी से गाड़ी से बाहर निकला और इधर उधर बाइक वाले को देखने लगा लेकिन उसे वो कहीं नजर नहीं आया। अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?

अजय तेजी से आते हुए अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी सीधे रोड की तरफ दौड़ा दी और बाइक की तलाश में जुट गया।

एक बहुत ही वीरान सा खंडर था ये शहर से बाहर की तरफ। मुख्य सड़क से हटकर एक कच्छी मिट्टी की सड़क बस यहां आने के लिए एक मात्र रास्ता थी। बरसात की वजह से सड़क पर जगह जगह पानी भरा हुआ था और कीचड़ बहुत ज्यादा हो गई थी।

इसी सड़क पर एक स्कॉर्पियो मुड़ी और धीरे धीरे खंडर की तरफ बढ़ने लगी। स्कॉर्पियो के पीछे तीन गाडियां और थी जो गुण्डो से पूरी तरह से भरी हुई थी। शेरा ने गाड़ी को खंडर के ठीक सामने रोक दिया और उसके साथ ही सारे गुंडे गाड़ी से बाहर निकल गए।

शेरा ने गाड़ी की डिक्की खोली तो उसमे सौंदर्या बेहोश पड़ी हुई थी। शेरा की आंखों चमक उठी और उसने सौंदर्या के अचेत जिस्म को कंधे पर उठाया और अंदर की तरफ चल पड़ा। एक एक करके सभी गाड़ियों से गुंडे उतर गए थे गाड़ियों को घास और लकड़ियों से ढक दिया गया। अब दूर दूर से गाड़ी नजर नहीं अा रही थी बल्कि घास का एक ढेर नजर आ रहा था।

शेरा सौंदर्या को लिए हुए एक अंदर घुस गया और शेरा को देखते ही सामने बैठे हुए मनोज की आंखे चमक उठी।

मनोज अपनी कुर्सी से उठ गया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला:" शाबाश मेरे शेर, तुम सचमुच शेर हो। मानना पड़ेगा तुम्हारी हिम्मत को क्योंकि आज तुमने जो किया हैं उसके लिए सचमुच शेर का ही दिल चाहिए।


शेरा ने सौंदर्या को एक चारपाई पर पलट दिया और स्माइल करते हुए बोला:" डरता नहीं हूं इसलिए ही तो मेरा नाम शेरा हैं। लीजिए जिसकी आपको तलाश थी आपके सामने पड़ी है।

मनोज ने एक नजर सौंदर्या की तरफ देखा और शेरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे शबासी दी और बोला:"

" शेरा मुझे अपने बाद पर सिर्फ तुम पर ही तो सबसे ज्यादा भरोसा है। सच में तुम एक सच्चे वफादार हो।

शेरा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और उसके बाद मनोज ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया तो एक के बाद एक सभी लोग बाहर चले गए। शेरा भी बाहर चला गया जबकि मनोज ने उसे जाने के लिए नहीं बोला था।

मनोज ने सौंदर्या में मुंह में ठूंसा हुआ कपड़ा बाहर निकल लिया और एक बॉटल से थोड़ा सा पानी लेकर सौंदर्या में मुंह पर छिड़क दिया तो सौंदर्या ने एक झटके के साथ अपनी आंख खोल दी और अपने आप को एक बिल्कुल अंजना जगह पर पाया।उसकी नजर अपने सामने बैठे हुए मनोज पर पड़ी तो उसकी समझ में आ गया कि ये सब उसी का किया धरा है।

सौंदर्या:" मनोज ये क्या बदतमीजी हैं ? मुझे इस तरह क्यों उठा कर लाया गया ?

इतना कहकर सौंदर्या उठ खड़ी हुई और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी। मनोज ने उसकी तरफ एक स्माइल दी और बोला:_

" मेरी प्यारी सौंदर्या तुमने और तुम्हारे भाई ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी, मेरे गुण्डो पर पहली बार किसी ने हाथ उठाया और उन्हें बुरी तरह से मारा अजय ने सिर्फ तुम्हारी वजह से।

सौंदर्या के चेहरे पर गुस्से के भाव बढ़ गए और बोली:" अच्छा तो तुम गांव में शरीफ होने का नाटक करते हो और ये शहर में फैले हुए सारे अपराध की असली वजह तुम हो।

मनोज:" सही समझी तुम सेक्सी सौंदर्या, मेरे आदमी ही सब कुछ करते हैं और पिंकी की मौत भी मेरी वजह से ही हुई हैं क्योंकि उसने मेरी बहन के खिलाफ जाने की कोशिश करी थी।

सौंदर्या की आंखे लाल सुर्ख हो गई और वो गुस्से से अपने शब्दो को चबाते हुए बोली:"

" बस मनोज, अब तुम्हारे पापो का घड़ा भर गया हैं और मैं सारी दुनिया को तुम्हारी करतूत बताउंगी।

मनोज ने उसकी तरफ देखा और जोर जोर से हंसने लगा मानो वो कोई जोक सुना रही हो।

सौंदर्या:" हंस लो अपनी आखिरी हंसी तुम क्योंकि फिर इसके बाद कोई तुम्हे जेल में रोना पड़ेगा।

मनोज:' मर गए मुझे जेल भेजने वाले, जरा पहले यहां से निकल कर तो दिखाओ तुम।

सौंदर्या तेजी से आगे की तरफ बढ़ी और मनोज ने सामने लगे स्विच को दबा दिया तो कमरे का एक मात्र दरवाजा तेजी से बंद हो गया और सौंदर्या के माथे पर परेशानी और डर को रेखाएं उमड़ अाई।

सौंदर्या:" देखो मनोज तुम मुझे जाने दो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा तुम्हारा।

मनोज थोड़ा सा आगे आया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" मेरे अंजाम की छोड़, अपनी फिक्र करो। दुनिया की कोई ताकत मेरी मर्जी के बिना ये दरवाजा नहीं खोल सकती। मान लो तुम बाहर चली भी गई तो मेरे आदमी भूखे कुत्तों की तरह तुम्हे नोच डालेंगे। ये देखो।

इतना कहकर उसने टीवी ऑन किया तो बाहर खड़े और बेहद डरावनी सूरत के गुंडे नजर आए जिन्हे देखते ही सौंदर्या का पसीना टपक पड़ा।

मनोज:" मान लो तुम गुण्डो से भी बच गई तो यहां से बाहर कैसे निकल पाओगी ? ये एक घणा जंगल हैं और तुम्हे कोई दूर रास्ता नजर नहीं आएगा। बाहर तुम्हे जंगली जानवर खा जाएंगे।


सौंदर्या समझ गई थी कि वो बेहद बुरी तरह से फंस गई है और उसका बचना मुश्किल है लेकिन उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था कि वो उसे जरूर बचा लेगा।
सौंदर्या सोच में डूब गई।

मनोज" किस सोच में डूब गई मेरी जान ? देखो तुम्हे अब सारी ज़िन्दगी यहीं रहना होगा मेरी रखैल बन कर, कहां तो तुम एक लंड के लिए तरस रही थी यहां अब तुम्हे हर रोज लंड मिलेंगे, एक नहीं काफी सारे। मेरे सारे आदमी तुम्हारी साथ बारी बारी से मस्ती करेंगे।

सौंदर्या मनोज की बात पूरी होते ही बेहोश हो गई और मनोज ने उसके उसे उठा कर बेड पर पटक कर और कमरे को बाहर से बंद करने के बाद बाहर अा गया और अपने गुण्डो से बात करने लगा।


अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी बहन को कहां तलाश करे। दोपहर हो गई थी लेकिन उसे अभी तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

अजय ने गाड़ी को सड़क के किनारे रोक दिया और सोच में डूब गया कि आखिर उसकी दीदी का किडनैप क्यों और किसने किया तो उसके आगे सिर्फ एक ही वजह उभरी। वहीं पिंकी वाली और वो समझ गया कि ये दोनो काम जरूर एक ही आदमी के है।


अजय ने अपने दिमाग को उधर इधर दौड़ाया तो उसे एक उम्मीद की किरण नजर आईं। उसे सामने सड़क पर सीसीटीवी कैमर लगा नजर अाया जिसमे वो उस बाइक का नंबर पता कर सकता था जो उसका पीछा कर रही थी।

अजय ने सावधानी से उसकी डिटेल निकाली तो बाइक सवार उसे जाना पहचाना सा लगा मानो अजय उसे बहुत अच्छे से जानता हो। अजय ने बाइक का नंबर नोट किया और बार बार वो उस आदमी की फोटो देखने लगा जो बाइक पर बैठा हुआ था।

अजय ने उस आदमी की पेंट की जेब पर ध्यान दिया तो उसकी जेब से कुछ बाहर की तरफ निकला हुआ था। अजय ने वीडियो को स्टार्ट किया तो थोड़ा आगे जाकर मोड़ पर उसकी जेब से कुछ गिरा और अजय ने बिना देर किए कार को उस दिशा में दौड़ा दिया और जल्दी ही वो उस जगह पहुंच गया और उसे सड़क पर अपना अज्जु भाई का मास्क दिखाई दिया।

अजय को आंखे चमक उठी और उसने वो मास्क उठा लिया और वो समझ गया कि ये सब इस मास्क की वजह से हुआ है क्योंकि गुण्डो को पता चल गया होगा कि मैंने ही उनके लोगो को मारा था इसलिए उन्होंने मेरी बहन को उठा लिया। अजय एक बात तो साफ समझ गया था कि उसकी दीदी बहुत बड़े खतरे में पड़ गई है।

अजय ने बहुत ध्यान से फिर से वीडियो को देखा और उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि ये कौन हो सकता हैं। अजय अपनी सोच में डूबा हुआ था कि उसका फोन बज उठा ।

उसकी मम्मी का फोन था। अजय अपनी मम्मी को अभी कुछ भी बताकर उन्हें परेशान नहीं करना चाहता था।

कमला: अरे बेटा, अजय शाम को थोड़ा जल्दी अा जाना, रामू आज काम पर नहीं आया है इसलिए घास तुम्हे ही लाना होगा। आज फिर से शहर गया है वो किसी काम से।

अजय:" ठीक है मम्मी। आप फिक्र मत कीजिए। मैं जल्दी अा जाऊंगा।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया। अचानक अजय के दिमाग में एक विस्फोट सा हुआ और उसने फिर से वीडियो देखी तो उसकी आंख हैरत से खुलती चली गई और उसे सारी कहानी समझ में आ गई।


शाम हो गई थी और अजय ने गांव से थोड़ी दूर ही अपनी कार को एक पेड़ की साइड में छुपा है और खुद एक पेड़ के पीछे छुपकर किसी का इंतजार करने लगा। थोड़ी ही देर हुई थी कि एक बाइक उसे सामने से आती हुई नजर आईं और जैसे ही बाइक उसके पास आई उसने जंप लगा दी और बाइक सवार सड़क पर गिर पड़ा और अजय ने उसे बिना कोई मौका दिए हुए उस पर हमला कर दिया।

रामू तड़प उठा। हान ये रामू ही तो था। उसके घर का नौकर। अजय ने उसे पकड़ लिया और उसकी गर्दन की एक नस दबाई तो तो वो बेहोश होता चला गया।
 
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