Incest बुआ की नादान बेटी

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गाँव की लड़की, मेरी बुआ की बेटी जवान हो चुकी थी पर थोड़ी बचकानी बातें करती थी. वो सेक्स में रूचि लेना चाह रही थी अपर शायद उसे इसके बारे में ज्यादा पता नहीं था.
 
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यह कहानी बुआ की लड़की सोनी का अनचाही, अनोखी, अनजाने में हुई चुदाई की मनोरंजक कहानी है.

घटना तब की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ रहा था और छुट्टियां चल रही थीं.मैंने सोचा कि क्यों न इस बार भी मैं बुआ के घर ही चला जाऊं.तो मैंने बुआ को फोन करके बताया.
वे खुश होकर बोलीं- कब आ रहे हो हर्षद?
तो मैंने कहा- कल ही आता हूँ.

ये बोलकर और कुछ इधर उधर की बात करके मैंने फोन रख दिया.

अब मैं आपको अपनी बुआ के बारे में बताता हूँ.

बुआ हमारे गांव से करीब पचास किलोमीटर दूर एक गांव में रहती हैं.
उनकी उम्र कोई 45 साल की रही होगी.

बुआ दिखने में खूबसूरत और सेक्सी फिगर वाली हैं.
उनके पति सरकारी नौकरी में हैं.

गांव में बड़ा सा दो मंजिल का घर है और खेती भी है. समय मिलने पर फूफाजी और बुआ खेत में भी काम करते हैं.
उनका बड़ा बेटा भी सरकारी अफसर है और वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ एक बड़े शहर में रहता है.

उसकी बहन सोनीका, उसे सभी प्यार से सोनी कहते हैं.
बुआ की बेटी गांव में उनके साथ ही रहती है.

सोनी दसवीं कक्षा तक पढ़ी है क्योंकि गांव में सिर्फ दसवीं कक्षा तक ही स्कूल था.
उसके पापा उसे बाहर भेजकर कोई रिस्क लेना नहीं चाहते थे क्योंकि उसकी बुद्धि का विकास गाँव के हिसाब से ही हुआ था, उसमें कोई चालाकी होशियारी नहीं थी.

सोनी अभी बीस साल की हो गयी थी लेकिन कभी कभी बचकाने सवाल पूछने लगती थी, बचकानी हरकतें भी करती थी.
मगर इसी के साथ साथ वो घर के कामों में अपनी माँ का हाथ भी बंटाती थी, कभी कभी खाना भी बनाती थी.

दिखने में वो अपनी माँ की तरह ही खूबसूरत है. उसकी फिगर 32-28-34 की है. कद साढ़े पाँच फुट का है.
बाहर की दुनिया से अलग, उसकी सोच बच्चों की तरह है.

मेरी और उसकी बहुत पटती थी. वह मुझसे खुलकर कुछ भी बेहूदा सवाल या अनचाही बातें करती रहती थी और मैं भी उसका समर्थन करता था. उसकी हरेक बात का जबाब देता था.
वह मेरे साथ बहुत खुश और घुलमिल कर रहती थी.

मैं दूसरे दिन ही पूरी तैयारी के साथ मतलब कुछ गिफ्ट वगैरह लेकर अपनी बाईक से बुआ के घर पर सुबह ग्यारह बजे ही पहुँच गया.

मुझे देख कर बुआ और सोनी बहुत खुश हो गयी थीं.
दोनों ने भी बारी बारी से गले लगाकर मेरा स्वागत किया.

सोनी मेरे हाथ का बैग अन्दर लेकर चली गयी.

बुआ बोलीं- हर्षद पहले फ्रेश होकर आओ, बाहर कितनी तेज धूप में से आया है.
मैं हां कह कर फ्रेश होकर आ गया.

तब तक सोनी मेरे लिए पानी और साथ में ठंडा शरबत लेकर आयी.

मैं सोफे पर बैठकर बुआ से बात करने लगा.
हम तीनों ही साथ में शरबत पीते हुए बातें कर रहे थे.

सोनी मेरे बाजू में ही बैठी थी.
बातों बातों में सोनी बोली- भैया तुम अकेले ही क्यों आए, भाभी को साथ में नहीं लाए?

इस बात पर बुआ और मैं हँसने लगे.
मैंने कहा- सोनी मैं अभी कॉलेज कर रहा हूँ. उसके बाद अच्छी जॉब मिलेगी. फिर मैं शादी करूंगा … समझी!

सोनी खुश होकर बोली- हां समझ गयी भैया. लेकिन मैं कॉलेज क्यों नहीं जाती हूँ?

बुआ उसकी बात सुनते ही खड़ी होकर मुझसे बोलीं- हर्षद अब तू ही समझा सकता है इसे!
और बुआ अन्दर चली गईं.

फिर मैंने उससे कहा- देखो सोनी, इस गांव में दसवीं कक्षा तक ही स्कूल है और कॉलेज बहुत दूर शहर में है. तुम इतनी दूर अकेली नहीं जा सकती ना!
मेरी बातों से खुश होकर बोली- हां ये सही बात है भैया!

फिर मैंने बुआ और सोनी को उनका गिफ्ट दिया.
बुआ बोलीं- इसकी क्या जरूरत थी हर्षद. हर बार कुछ ना कुछ लेकर आते हो!

सोनी ने अपना गिफ्ट खोलकर देखा, तो वो खुश होकर बोली- भैया बहुत सुंदर ड्रेस है. मै इसे पहन लूँ?
मैंने कहा- हां देखो.

मैं उसके लिए पिंक कलर की मैक्सी लाया था.

वह ऊपर अपने कमरे में जाकर पहन कर वापस आयी तो सोनी उस मैक्सी में बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी.
मैक्सी उसके गोरे बदन पर बहुत जंच रही थी.

वह अपनी माँ को दिखाने किचन में गयी.
सोनी सच में बहुत खुश हो गयी थी.

फिर वह ऊपर जाकर चेंज करके आयी और बुआ को किचन में मदद करने लगी.

खाना तैयार होने के बाद बुआ ने खाना लगाया और हम तीनों ने साथ में खाना खा लिया.

बुआ और सोनी बर्तन माँजने लगीं.
मैं ऊपर जाकर बेडरूम में आराम करने लगा.

लेकिन गर्मी के कारण पंखे की हवा भी गर्म लग रही थी.
मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए और सिर्फ अंडरवियर में ही बेड पर लेट गया.

दोपहर के डेढ़ बजे थे, गर्मी अपने चरम पर थी.
मैं आंखें बंद करके नींद आने की प्रतीक्षा कर रहा था.

थोड़ी ही देर बाद सोनी अन्दर आ गयी, उसने दरवाजा आधा बंद कर दिया.

वह बेड के पास आकर बोली- सो गए क्या भैया?
मैंने आंखें खोल कर कहा- नहीं सोनी, गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही है.

उसने स्लीवलैस शॉर्ट गाउन पहना था.
वो अपना एक पैर मेरे कमर के ऊपर से निकाल कर बेड की दूसरी ओर रखकर बोली- भैया मैं तुम्हारे पास सो जाऊं?

सोनी का एक पैर मेरे ऊपर से होकर दूसरी तरफ था और एक जमीन पर था. इस कारण उसका गाउन पूरा कमर तक ऊपर उठ गया था और उसकी चूत पैंटी के ऊपर से मेरे सोये हुए लंड के उभार पर दबाव डाल रही थी.
मैंने झट से उससे कहा- हां सो जाओ, ये बेड तुम्हारा ही है ना!

अब उसने दूसरा पैर ऊपर लिया तो उसका पूरा दबाव मेरे लंड पर आ गया.
मेरे मुँह से आह निकल गई.

सोनी बोली- क्या हुआ भैया!
मैंने कहा- मुझे वहां पर दर्द हो रहा है, जहां पर तुम बैठी हो आह आह!

सोनी उठकर मेरे बाजू में बैठकर बोली- भैया, लेकिन मुझे तो कुछ नहीं हुआ!
मेरी तो बोलती बंद हो गयी कि अब इसे कैसे कहूँ!

इतने में सोनी मेरी पैंट के उभार पर हाथ रखकर कहा- भैया यहां दर्द हो रहा है क्या?
तो मैंने कहा- हां सोनी, तुम्हें पता नहीं क्या कि वो कितनी संवेदनशील जगह है?

उसने कहा- मुझे नहीं पता भैया. मैं अभी देखती हूँ.
इतना कहकर उसने मेरी अंडरवियर को झट से नीचे खींच दिया और मेरे सोये हुए लंड को दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगी.

मैंने अपने हाथ से उसके हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा- इसे मत सहलाओ सोनी, नीचे दर्द हो रहा है.

मैंने अपनी अंडगोटियां सहलाकर उससे कहा- तुम्हारे बैठने से यहां दबकर दर्द होने लगा है.

वो अपने एक हाथ से मेरी अंडगोटियां सहलाने लगी.
मुझे अच्छा लग रहा था और वो दूसरे हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी.

अब मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
वो बोली- अब कैसा है दर्द भैया?
मैंने कहा- अब ठीक लगता है सोनी लेकिन ऐसा मत करो. तुम मेरी बहन हो ना, बहन अपने भाई के साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकती है. सोनी, ये गलत है.

लेकिन सोनी को मेरा लंड बड़ा होते हुए देखकर मजा आ रहा था.
सोनी मेरा तना हुआ मोटा और लंबा लंड सहलाते हुए बोली- ऐसा क्यों भैया? हम भाई बहन ऐसा क्यों नहीं कर सकते? बताओ ना भैया?

सोनी के इस अनोखे और बेहूदा सवाल से मैं हैरान सा हो गया था. अब इसे कैसे समझाऊं.
तो मैंने कहा- देखो सोनी ऐसी हरकतें पति पत्नी, ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड, एक पराया मर्द या परायी औरत इनके बीच ही होती है … समझी!

एक पल रुकने के बाद मैंने आगे कहा- अगर तेरी माँ ने हम दोनों को इस हाल में देख लिया तो वो दोनों को ही पीटेगी.
उसने कहा- वो तो सो रही होगी अभी … वो अब पाँच बजे ही उठेगी और वैसे उसे कौन बताएगा?

उसकी बातों से मैं हक्का-बक्का हो गया था.
फिर उसने कहा- भैया इसे क्या कहते हैं? ये इतना मोटा और लंबा क्यों है? और मेरे पास ऐसा क्यों नहीं है?

सोनी अब भी मेरा लोहे जैसा लंड मसल कर बातें कर रही थी.
उसके सवालों से मैंने खुद से सवाल किया कि अब इसे कैसे समझाया जाए?

एक पल सोचने के बाद मैंने उससे कहा कि वो मैं तुम्हें रात को बताऊंगा सोनी. अब इसे सहलाना छोड़ दो और सो जाओ.
उसने लौड़े को सहलाना बंद कर दिया और मेरे पास लेट गयी.

वो ऐसी लेटी थी कि उसका शॉर्ट गाउन कमर के ऊपर आ गया था. उसकी गोरी मखमल जैसी गदराई जांघें और उसकी काले कलर की पैंटी देखकर मेरा मन मचलने लगा था.
लेकिन मैंने खुद को काबू में रखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं.

सोनी का एक हाथ अभी भी मेरी जांघों पर था और दूसरा हाथ उसने अपनी चूत पर पैंटी के ऊपर रखा था.

वो अपनी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही एक उंगली से खुजलाती हुई बोली- भैया देखा ना … मुझे यहां पर कुछ काट रहा है. मुझे खुजली होने लगी है.

मैंने उठकर उसका हाथ हटाकर अपने एक हाथ पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रखकर कहा- यहां खुजली हो रही है क्या?
तो वो हां बोली.

मैंने उसकी पैंटी नीचे घुटनों तक उतार दी और देखा कि उसकी चूत पर घने बालों का जंगल है. मैंने सोचा कि ये कैसी लड़की है.

फिर मैंने उसके बालों को हटाकर उभरी और फ़ूली हुई उसकी कुंवारी चूत के मुँह पर उंगली रखकर सोनी से पूछा- यहां पर खुजली हो रही है ना सोनी?
मेरी उंगली रखने से उसके मुँह से आह निकल गयी और वो बोली- हां भैया.

उसकी चूत गीली हो गयी थी.
मैं आहिस्ता से अपनी उंगली चूत में डालने लगा तो सोनी मादक सिसकारियां भरने लगी थी. उसकी आंखें बंद हो गयी थीं.

मैंने आहिस्ता आहिस्ता पूरी उंगली उसकी छोटी सी चूत में डाल दी, तो सोनी ने आह आ स् स्स स्ह स्सस की मादक सिसकारियां भरते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया.
वो बोली- ऐसे ही अन्दर रहने दो, बहुत सुकून मिल रहा है. अब खुजली भी बंद हो गयी है भैया.

मैं वैसे ही उंगली चूत में रखकर उसके पास लेट गया.
सोनी ने भी एक हाथ में लंड पकड़ लिया था और वो भी लेटी थी.

कुछ मिनट बाद मैंने आहिस्ता से अपनी उंगली चूत से बाहर निकाली तो सोनी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई.

शायद वो सो गयी थी.
फिर मैंने उसके हाथ से मेरा लंड छुड़वा कर अंडरवियर ऊपर चढ़ा ली और सोनी की पैंटी और उसका गाउन भी ठीक कर दिया.
मैं फिर से लेट गया और सोनी के बारे में ही सोचता रहा.
 
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दस मिनट बाद मैंने आहिस्ता से अपनी उंगली सोनी की चूत से बाहर निकाली और अपना लंड उसके हाथ से छुड़वा लिया.
शायद वो सो गयी थी.

मैंने अपनी अंडरवियर ऊपर चढ़ा ली और सोनी की पैंटी व उसका गाउन भी नीचे करके लेट गया.
मैं सोनी के बारे में ही सोचने लगा कि यह कैसी लड़की है, इसे खुद को अपने अच्छे बुरे का ख्याल नहीं है.
इसे तो सेक्स और गुप्तांगों के बारे में भी पता नहीं है.

फिर ये सब ही सोचते हुए कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला था.

जब मेरी आंख खुली तो शाम के साढ़े पांच बजे थे.
मैंने झट से उठकर सोनी को भी जगाया और हम दोनों फ्रेश होकर नीचे चले गए.

मैंने देखा कि बुआ चाय बना रही थीं.

बुआ हमें देखकर बोलीं- अच्छा हो गया कि तुम दोनों आ गए, नहीं तो मैं तुम्हें बुलाने आने वाली थी. अब बैठो मैं चाय देती हूँ.

हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बातें करने लगे.
बुआ चाय लेकर आईं और हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

मैंने बुआ से कहा- बुआ, तुम्हारे गांव का माहौल काफी अच्छा है. चारों तरफ हरियाली और हरे-भरे पेड़, हरी-भरी खेती है. ये देखकर लगता है कि यहीं रह जाऊं.

बुआ हंस कर बोलीं- तो रहो ना … तुम्हारा मन करे, तब तक रहना. ये भी तुम्हारा ही घर है. अब जरा तुम दोनों घूम आओ. सोनी को भी अच्छा लगेगा. इसकी ना तो कोई सहेली है और ना ही कोई दोस्त है. अकेली रहते हुए इसे दुनिया के तौर तरीके, रहन सहन की कोई परवाह ही नहीं है. इसे जरा अच्छे से समझाओ और सब सिखाओ. तुम उसी के उम्र के हो और तुम ही इसे समझा सकते हो हर्षद.

मैंने बुआ से कहा- तुम चिंता मत करो बुआ, जब तक मैं यहां हूँ … मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि ये सब कुछ सीख जाए.

तब मैंने सोनी का हाथ पकड़ कर कहा-सीखोगी ना सोनी?
सोनी हंस कर बोली- हां भैया, तुम ही मुझे सब कुछ अच्छी तरह से समझा सकते हो!

मैंने कहा- तो अब चलो, बाहर चलते हैं.
बुआ से कह कर हम दोनों बाईक पर निकल पड़े.
गांव के बाहर आते ही मैंने बाईक रोक दी. सोनी मेरे पीछे अपने दोनों पैर एक बाजू लटका कर बैठी थी. शायद वो शरमाती होगी या उसे पता नहीं था.

मैंने उससे कहा- जैसे मैं बैठा हूँ, मेरे पीछे वैसे ही बैठ जाओ.
उसने पंजाबी ड्रेस पहना था तो वो आराम से बैठ गयी.

मैंने उसका एक हाथ अपने कंधे पर रखवाया और दूसरा कमर पर रखवाते हुए उससे कहा- अच्छे से पकड़ कर बैठना सोनी! बाईक पर हमेशा ऐसे ही बैठा करो समझी!

सोनी ने मुझे अपने हाथों से पकड़ कर कहा- हां भैया, समझ गई … अब चलो.
हम दोनों निकल पड़े.

रास्ता कच्चा था तो बार बार ब्रेक मारना पड़ रहा था. हर बार झटका लगता तो सोनी मेरे ऊपर आ जाती थी. उसके उभरे हुए और नोकदार चूचे मेरी पीठ पर रगड़ कर मुझे बाद सुख दे रहे थे.

एक बार तो एक गड्डे में बाईक गयी तो सोनी जोर से मेरी ऊपर आ गई और उसका कमर वाला हाथ छूट कर सीधे मेरी जांघों के बीच में मेरे लंड के उभार पर आ गया.
सोनी ने जोर से वहां पकड़ कर रखा.

थोड़ी देर बाद अच्छा रास्ता मिल गया, तो मैं तेज गति से बाईक चलाने लगा.

सोनी मुझसे जोर से चिपककर बोली- भैया, कितनी तेज चला रहे हो, मुझे डर लगता है.
मैंने कहा- डरो मत, मुझे पकड़ कर बैठो.

सोनी का हाथ मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर जाँघ पर रखा था.
वो आहिस्ता से लंड पर अपनी उंगलियां चला रही थी जिस वजह से ना चाहते हुए भी मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
मैं उसे रोक नहीं सकता था.
सोनी ने अपना सर मेरे कंधे पर रखा था.

उसको शायद मजा आ रहा था, वो मेरे कान में बोली- भैया ये तुम्हारा बड़ा हो रहा है … ऐसा क्यों हो रहा है?
मैंने कहा- तुमने उसे पकड़ा है, इसलिए वो खड़ा हो गया है.

'अच्छा अब मैं समझी, दोपहर को भी जब मैं इसके साथ खेल रही. तभी भी ये तनकर खड़ा हो गया था.'
मैंने कहा- हां सोनी, अब उसे छोड़ो. हम शहर में आ चुके हैं.
उसने हाथ हटा दिया.

मैंने एक मॉल के सामने बाईक लगायी और हम दोनों अन्दर चले गए.
मैंने एक लेडीज रेजर, शेविंग क्रीम, आफ्टर शेव लोशन, लेडीज डिओ, परफ़्यूम खरीद लिया.

मैंने सोनी से कहा- तुम्हें कुछ लेना है तो ले लो सोनी.
उसने कहा- मुझे ब्रा-पैंटी और व्हिसपर का पैकेट लेना है.

हमने वो सब ले लिया.
फिर चॉकलेट यदि लेकर हम दोनों वहां से निकल पड़े.

उसके बाद एक आईसक्रीम पार्लर में जाकर आईसक्रीम खाई और एक फैमिली पैक भी ले लिया.

मैंने सोनी से पूछा- और कुछ लेना है क्या?
सोनी बोली- कुछ नहीं भैया.

मैंने कहा- क्यों न हम सबके लिए होटल से खाना पार्सल करवा कर जाएं?
सोनी बोली- हां यह ठीक रहेगा भैया, लेकिन मम्मी को फोन करके बताना पड़ेगा. नहीं तो वो खाना बना लेंगी.

मैंने कहा- पापा कितने बजे आते हैं?
उसने कहा- आठ बजे आते हैं.

मैंने कहा- अभी तो अपने पास काफी समय है. तुम मम्मी को फोन लगाओ.
उसने फोन करके बुआ को बता दिया और हम एक अच्छे से होटल में गए.

उधर मेन्यू कार्ड लेकर और सोनी से पूछ कर सब ऑर्डर किया.
आधा घंटा में हमारा पार्सल तैयार हो गया.

मैंने पैसे देकर पार्सल लिया और हम निकल पड़े.
अब सोनी ठीक से मुझसे चिपक कर बैठ गयी थी.
वो समझ गयी थी कि बाईक पर कैसे बैठना होता है.

रास्ता अच्छा था इसलिए मैं बाईक तेज गति से चला रहा था.

थोड़ी देर बाद फिर कच्चा रास्ता आया तो मैं आहिस्ता से बाईक चलाने लगा.
अब अंधेरा भी होने लगा था.

हम दोनों ठीक आठ बजे घर पहुंचे तो फूफा जी भी आ गए थे.

सोनी हमारे लिए खरीदा हुआ सामान ऊपर के कमरे में लेकर चली गयी और मैंने बाकी खाने का पार्सल आदि बुआ के पास रख दिया.
वे बहुत खुश हो गयी थीं.

फूफा जी भी मेरे आने से बहुत खुश थे.
वे बोले- फ्रेश होकर आओ हर्षद, फिर हम आराम से बातें करेंगे.

मैं ऊपर जाकर फ्रेश होकर चेंज करके नीचे आ गया.

सोनी मेरे से पहले ही चेंज करके नीचे आ गई थी.
मैं फूफा जी के पास सोफे पर बैठकर बातें करने लगा.

इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला.

इतने में बुआ ने आवाज दी. साढ़े आठ बज गए हैं. मैं खाना लगा देती हूँ!
तो फूफा जी बोले- हां लगा दो, बहुत भूख लगी है.

सोनी और बुआ हम सबके लिए खाना परोसकर बाहर ले आयी और हम सब डायनिंग टेबल पर आ गए.

सोनी भी बुआ की मदद कर रही थी.
हम सब मिलकर खाने का स्वाद लेने लगे.

बुआ बोलीं- खाना बहुत ही स्वादिष्ट और टेस्टी है हर्षद!
मैंने कहा- ये सब तो सोनी की पसंद का है. मुझे नहीं पता था कि आपको क्या पसंद है.

इस बात पर फूफा जी खुश होकर बोले- अरे वाह, सोनी तो बहुत होशियार और समझदार हो गयी है.
सोनी बोली- तो बेटी किसकी है?
उसकी बात पर हम सब हंसने लगे.

सोनी बोली- अब भैया आया है ना, वो मुझे बहुत कुछ बातें समझाता भी है और सिखाता भी है.

फूफा जी बोले- तेरा भैया जब तक यहां है, तुम उससे सब कुछ सीख लेना. तुझे जो भी सवाल है, उसी से पूछना. वो तुम्हें बहुत खूब अच्छे तरीके से समझाएगा. वो बहुत होशियार है … इंजीनियर है वो!

ऐसे ही बातें करते करते हमारा खाना खत्म हो गया.
मैं और फूफा जी हाथ धोकर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे.

थोड़ी देर बाद बुआ और सोनी काम खत्म करके आईं और हमारे साथ ही बैठकर टीवी देखने लगीं.

टीवी देखते हुए ही सोनी बोली- भैया, क्या मैं सबके लिए आईसक्रीम ले आऊं?
मैंने कहा- हां ले आओ.

फूफा बोले- हर्षद, मुझे तो आईसक्रीम बहुत पसंद है. बहुत दिनों से खाई भी नहीं.
सोनी सबके लिए आईसक्रीम ले आयी और हम सबने हंसी मजाक करते करते आईसक्रीम खत्म की.

थोड़ी देर बाद बुआ बोलीं- हर्षद, अब बहुत देर हो चुकी है. तुम दोनों ऊपर जाकर आराम से सो जाना. इन्हें भी सुबह ड्यूटी पर जाना है.

मैं ऊपर चला गया.
सोनी आईसक्रीम के बर्तन धो रही थी.

मैंने ऊपर आकर टी-शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ अंडरवियर ही पहने बेड पर बैठ गया.

इतने में सोनी भी आ गयी, उसने दरवाजा बंद कर दिया और चेंज करने लगी.
उसने स्लीबलैस शॉर्ट गाउन पहनकर अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी.

वो ये सब मेरे सामने ही कर रही थी.

मैंने उससे कहा- सोनी ऐसे किसी लड़के या पराए मर्द के सामने चेंज नहीं करते!
सोनी बोली- तुम तो मेरे भैया हो ना? पराये थोड़े ही हो! अब तुमसे कैसी शर्म?

अब मैं कैसे उसे समझाता, मेरे ही समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से कहूँ!

मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- इधर आओ मेरे पास!

ये कह कर मैं बेड के किनारे बैठ गया.
सोनी मेरे पास आयी तो मैंने कहा- अपने हाथ ऊपर करो

उसने दोनों हाथ ऊपर किए, तो मैंने उसके कांख के बालों को सहलाया और उसका शॉर्ट गाउन ऊपर करके चूत के बालों को उंगलियों से सहला कर कहा- देखो, कितना गंदी रहती हो तुम. तेरी सहेलियों ने इसे साफ करना तुम्हें नहीं सिखाया क्या? इससे पसीना आ जाता है और बदबू भी आती है.

सोनी मासूमियत से बोली- मेरी एक सहेली ने बताया तो था लेकिन साफ कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता भैया. तुम ही बताओ ना!
मैंने कहा- हमने जो सामान खरीदा है, वो लेकर आओ. मैं तुम्हें सिखाता हूँ.

सोनी वो सारा सामान लेकर आयी तो मैंने कहा- अपना गाउन निकालो और मग में पानी लेकर आओ.

वो पानी लाई और कहा- अब तुम भी अपना अंडरवियर निकाल दो. मुझे अकेली नंगी होना अच्छा नहीं लगता.
इतना कहकर उसने मेरी अंडरवियर खींचकर निकाल दी.

मैंने उसके हाथ ऊपर किये और दोनों कांखों में क्रीम लगा दी.
फिर ब्रश पानी में भिगोकर उसकी एक कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा.

वह अपनी कमर हिलाकर बोली- भैया, गुदगुदी हो रही है.

उसकी इस हरकत से उसकी गांड का कुछ हिस्सा मेरे लंड को रगड़ रहा था तो मैंने उससे कहा- हिलो मत, शांत खड़ी रहो.

मैंने सोनी को रेजर दिखाकर कहा- इससे बाल साफ करते हैं. अब देखो मैं कैसे करता हूँ, फिर तुम्हें ही ये काम करना है.
सोनी बोली- ठीक है, मैं देखती हूँ तुम करो भैया.

मैं उसकी कांख में रेजर चलाने लगा तो सोनी की कमर मेरे आधे तने लंड को अपनी चमड़ी की रगड़ से सहला रही थी.

कुछ ही देर में मैंने उसकी एक कांख साफ करके चिकनी बना दी.

फिर हाथ से पानी लगाकर कपड़े से पौंछ दिया.
इसी बीच मेरा लंड पूरे तनाव में आकर झूलने लगा था.

अब मैं दूसरी कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा तो फिर से सोनी अपनी कमर हिलाकर हंसने लगी.

फिर से उसकी कमर मेरे लंड को सहलाने लगी थी, तो मुझसे ना रह गया.
मैंने उससे कहा- सोनी ऐसा मत करो ना … देख मेरा कितना कड़क हो गया है!

मेरे कहने पर उसने दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर कहा- तुम्हारी नुन्नी जरा सा छूने से इतनी बड़ी कैसे हो गई?
मैंने उसकी दूसरी कांख में रेजर चलाते हुए कहा- छोटे बच्चे की जो होती है, उसे नुन्नी कहते हैं और इसे लंड कहते हैं.

सोनी- अच्छा मुझे अब मालूम हुआ, नहीं तो मेरी सहेली ने उसके दोस्त की नुन्नी की फोटो मोबाईल में दिखाई थी. वो बोली थी कि ये पांच इंच की है.

मैंने कहा- हां तो अब इसे क्या कहोगी बताओ?
सोनी हंस कर बोली- अब मैं इसे लंड ही कहूँगी भैया.

मैंने उसकी कांख साफ करके चिकनी बनायी और उसे टेबल पर लिटा दिया.

फिर उसकी गांड के नीचे बड़ा सा पेपर रख कर उससे जांघें फैलाकर रखने को कहा.
उसने झट से अपनी दोनों जांघें विपरीत दिशा में फैला दीं.

पहले मैंने कैंची से उसकी चूत पर उसे हुए लंबे बालों को काटकर छोटे कर दिए. फिर चूत पर हाथ से पानी लगाने लगा, तो सोनी आह भरती हुई मेरे हाथ को पकड़ने लगी.

मैंने उसकी ओर देखा तो वो बोली- भैया ऐसे मत करो ना … मुझे कुछ कुछ हो रहा है!
मैंने कहा- थोड़ा सह लो. थोड़ी ही देर में मुझे तुम्हारी चूत को चिकनी बनानी है ना!

वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैं क्रीम लगाकर ब्रश चूत पर घुमाने लगा, तो उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी गांड हिलाते हुए बोली- मत करो ना … वहां पर बहुत खुजली होने लगी है भैया!

मैंने उसके हाथ हटाकर कहा- बस हो गया. अभी दो मिनट रुको सोनी!
यह कहकर मैं रेजर चलाने लगा और दो मिनट में ही उसकी चूत को चिकनी बना दिया.

मैंने उसकी चूत को पानी से साफ किया और कपड़े से पौंछ दिया.

चूत की झांट की सफाई से वो एकदम से गनगना आई थी और मेरा हाल भी बुरा हो गया था.
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जब मैंने सोनी की चूत के बाल साफ कर दिए और चूत को पानी से धोकर कपड़े से पौंछ दिया तो सोनी ने अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहला कर देखा.
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सफाचट चूत का स्पर्श पाते ही वो एकदम से उठकर बैठ गई और सर झुका कर चूत को देखती हुई बोली- वाह भैया, कितनी चिकनी और मुलायम दिखती है मेरी चूत! भैया तुम कितने अच्छे हो और कितना ख्याल रखते हो.
यह कहते हुए उसने मेरे लंड को सहलाकर मेरे होंठों को चूम लिया.

मैंने लंड से उसका हाथ छुड़वाते हुए उसके दोनों हाथ ऊपर करके फिर से मेज पर लिटा दिया.
सोनी के कोमल हाथों से इस खींचातानी में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया था.

मैंने उससे दो मिनट चुपचाप लेटी रहने को कहा.
फिर मैंने आफ्टर शेविंग लोशन लेकर अपनी उंगलियों से उसकी चूत पर अच्छी तरह से मल कर लगाया.

तो सोनी आह भरती हुई बोली- बहुत मजा आ रहा है भैया ऐसे ही करते रहो.
मैंने कहा- हट पगली, मैं तो ये क्रीम लगा रहा था.

मैं उसकी फैली हुई जांघों के बीच खड़ा रह कर उंगलियों पर लोशन लेकर उसकी दोनों कांख में बारी बारी से लगाने लगा.

इस पोजीशन में मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत पर रगड़ रहा था.
सोनी से मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.

मैंने कहा- क्या हुआ सोनी?
वो बोली- नीचे तुम्हारा लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा है.

अब मेरा ध्यान नीचे उसकी चूत पर गया और मैंने कहा- अरे, मेरी तो समझ में भी नहीं आया.
यह कहकर मैंने उसे उठाकर बिठा दिया और कहा- लो हो गयी साफ सफाई. अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है सोनी?

वो बोली- बहुत ही मस्त लग रहा है भैया.
यह कहती हुई वो मेरे लंड का तना हुआ, मुलायम सुपारा अपनी चूत पर रगड़ने लगी.

इस बार मैं देख रहा था तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़कर कहा- ऐसा मत करो सोनी … मुझे सहा नहीं जाता है.
सोनी बोली- मुझसे भी नहीं सहा जाता भैया, बहुत खुजली हो रही है.

यह कहती हुई वो मेरे लंड को फिर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
उसकी चूत गीली हो गयी थी.

"भैया, अब थोड़ा सा तो अन्दर डालो ना, मेरी खुजली बंद हो जाएगी."
मैंने कहा- सोनी, ऐसा नहीं हो सकता, तुम्हारी चूत बहुत छोटी है. मेरा लंड इसमें नहीं जाएगा.
मेरी बात पर वो बोली- मैं देखती हूँ … कैसे नहीं जाता है. आपको सिर्फ आगे का टोपा ही डालना है भैया.

मैंने कहा- तुम्हें जो करना है, कर लो सोनी … तुम नहीं मानोगी.

उसने अपनी छोटी, कुंवारी, उभरी हुई चूत को उंगलियों से दोनों तरफ खींच लिया तो उसकी चूत के अन्दर से गुलाबी रंगत देखकर मेरा लंड तो और मोटा और लोहे जैसा होकर फड़फड़ाने लगा.

सोनी ने मेरे लंड के नोकदार सुपारे को अपनी खुली हुई चूत के मुँह पर रखकर अपनी कमर हिलाकर एक धक्का मारा तो मेरा चिकना सुपारा आधा अन्दर घुस गया था.

मैंने अपने लंड का दबाव चूत पर बनाए रखा हुआ था.
बहुत दिनों के बाद कुंवारी चूत देखकर मेरे अन्दर का जानवर जागने लगा था.
लेकिन एक मन कह रहा था कि ये गलत कर रहे हो, तो मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं और सोचने लगा था.

इतने में सोनी ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबाया तो झट से मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया.

सोनी 'ऊंई माँ आह आह …' करके सीत्कार करने लगी थी- आह भैया, दर्द भी हो रहा है और मजा भी आ रहा है मुझे!
मैंने कहा- बस अब निकाल दो. मैंने तुम्हें पहले ही बताया था. पूरा अन्दर लोगी तो चूत फट जाएगी और खून भी निकलेगा. आज के लिए बस इतना ही काफी है.

सोनी बोली- अच्छा ऐसे ही घुसा रहने दो ना भैया … पांच मिनट ऐसे ही डाले रखो … मुझे मजा आ रहा है.
यह कहती हुई वो अपनी कमर आगे पीछे करने लगी थी.
मैं भी मजे लेने लगा था.

अब मेरा लंड अन्दर घुसने को चाह रहा था; मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
तो कुछ ही देर बाद उसके कमर को आगे पीछे करने के दौरान ही मैंने एक धक्का मार दिया.

इससे लंड अन्दर घुस गया और वो छटपटाने लगी- आह भैया, अब नहीं जा सकता अन्दर!
ये कहती हुई वो मादक सिसकारियां लेने लगी और झड़ने लगी.
उसका चुतरस मेरे लंड से होकर नीचे टपकने लगा.

मैंने झट से अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल कर उसकी चूत के मुँह पर अपना मुँह रख दिया और चुत रस चूसने लगा.
सोनी ने भी अपने दोनों हाथ से मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया और मादक आवाज 'ऊंई आह आ स् स्स स्सस' जैसी सिसकारियां लेने लगी- आह भैया … ऐसे ही चूसते रहो … बहुत मजा आ रहा है मुझे … आह कैसे बताऊं तुम्हें.

कुछ ही देर में पूरा रस चूस लेने के बाद वो सामान्य हो गयी थी.

मैंने कहा- अब कैसा लग रहा है सोनी?
सोनी निढाल स्वर में बोली- बहुत अच्छा लग रहा है भैया … काफी हल्का भी लग रहा है भैया … तुम तो बहुत मजा देते हो!

मैंने कहा- अब बस हो गया. रात के साढ़े दस बज गए हैं. चलो अब सोते हैं.
ये कहकर मैंने उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और मैं भी उसके साथ लेट गया.

सोनी ने मेरे होंठों को चूमकर मेरी तरफ पीठ कर ली और लेट गयी.
अब मेरा आधा मुरझाया लंड उसकी गांड की दरार में स्पर्श कर रहा था.

थोड़ी देर बाद सोनी और पीछे सरककर मुझसे सट गयी तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार में सट गया था.

थोड़ी देर कुछ हलचल नहीं हुई.
मैं भी आंखें बंद करके सोनी का नाटक देखने लगा कि आगे क्या होता है.

कुछ ही समय बाद सोनी अपनी गांड आहिस्ता से मेरे लंड पर दबाने लगी, तो मेरा लंड उसकी दरार में अपने सर की टक्कर मारते हुए फंसने सा लगा.

कुछ देर बाद उसकी हरकत बंद हो गयी थी लेकिन उसकी गदरायी, गोरी सी मुलायम गांड और जांघों का नाजुक सा स्पर्श लगने से मेरे लंड में वापस तनाव आने लगा था.

अब मैं उसे रोक भी नहीं सकता था.
थोड़ा समय निकल जाने के बाद शायद सोनी को महसूस हो गया था कि मैं सो गया हूँ.
तो उसने मेरा हाथ अपने हाथ से उठाकर अपनी एक चूची पर रखकर ऊपर से अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगी.

उसकी मुलायम, कसी हुई और खड़ी उभरी हुई चूची को पहली बार मेरे हाथों से स्पर्श होने से और नीचे गांड की दरार में लंड बैठने से मेरे पूरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी.

नीचे मेरा लंड सोनी की गांड की दरार में फड़फड़ाने लगा था.
ना चाहते हुए भी मेरा हाथ उसकी मुलायम चूचियों को … और कड़क निप्पल को सहलाने लगा था.

कुछ मिनट तक बाद सोनी ने करवट बदली और वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई.

उसने अपने एक पैर को मेरी कमर पर रख दिया और मेरे तने हुए लंड को सहलाती हुई मेरा हाथ अपनी चूत पर रखती हुई धीमे से बोली- भैया, मेरी चूत में एक उंगली डाल दो ना दोपहर की तरह … मुझे नींद नहीं आ रही है.

उसकी तड़प देखते हुए मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी गीली और गर्म चूत में आहिस्ता से पेली और कुछ ही पलों में चूत की जड़ तक उंगली डाल दी.
वो मादक आह भरने लगी.

फिर उसने अपने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया; दूसरा हाथ मेरे हाथ पर रखकर वो चूत पर दबाव बनाने लगी थी.

ऐसे ही हम दोनों कब नींद के आगोश में चले गए, कुछ पता ही नहीं चला.

फिर सुबह होते ही हम दोनों अलग हो गए थे.
इस तरह से हमारा दो दिन दोपहर और रात को खेल जारी रहा था.

तीसरे दिन फूफा जी की संडे की छुट्टी थी तो बुआ और फूफा जी किसी रिश्तेदार के गांव कुछ फंक्शन में जाने वाले थे.

उस दिन बुआ ने जल्दी से उठकर खाना और नाश्ता भी बनाया था.

हम सबने मिलकर नौ बजे नाश्ता चाय साथ में लिया.

बुआ हम दोनों से बोलीं- कहीं बाहर धूप में मत जाना, खाना बना कर रखा है, समय पर खा लेना. हम दोनों शाम तक वापस आ जाएंगे.
सोनी ने हां में सर हिला दिया.

उन दोनों के चले जाने के बाद सोनी ने बाहर का गेट बंद कर दिया और नीचे के भी सब दरवाजे बंद कर दिए.

हम दोनों ऊपर चले गए.

रूम में जाते ही सोनी ने खुश होकर मेरे होंठों को किस करते हुए मुझे अपनी बांहों में कस लिया.

फिर अलग होकर मेरे कपड़े निकालते हुए बोली- भैया आज मैं बहुत खुश हूँ. आज मैं जो चाहे तुम से करवा लूँगी. अब घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं है.
यह कहते हुए उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया था.

फिर वह खुद अपने कपड़े निकालकर नंगी हो गयी थी.
वह अपनी गांड को मेरे लंड से और पीठ को मेरे सीने से चिपकाकर खड़ी हो गयी.

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों हाथ पकड़े और अपनी तनी हुई चूचियों पर रखकर दबाने लगी थी.
सोनी के सेक्सी और कुंवारे बदन में आग लगी थी, उसका तपता बदन मुझे भी गर्म करने लगा था.

आखिर मैं भी तो एक मर्द था; मेरे पूरे शरीर में कामवासना की आग सुलग चुकी थी.

मेरे दोनों हाथ अपने आप तेजी से सोनी की चूचियों को मसलने लगे थे.
नीचे मेरा लंड पूरे तनाव में आकर उसकी गांड की दरार में टकरा रहा था.
साथ में मैं अपने होंठों से सोनी की गर्दन और पीठ को चूम रहा था.

सोनी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.
दस मिनट तक बाद सोनी ने पलट कर अपना मुँह मेरी तरफ कर दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.

मैं अपने दोनों हाथों से उसकी मुलायम, गोलमटोल गांड को सहलाने लगा.

मेरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत को रगड़ने लगा था.
सोनी की चूचियों के कड़े हुए निपल्स मेरे सीने पर चुभ रहे थे.

उसने अब अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाना शुरू किया था.
हम दोनों मदहोश हो रहे थे.

मैं उसकी चूचियों पर होंठ रखकर बारी बारी से चूमने लगा.
सोनी सिहर उठी और अपने मुँह से आह भरने लगी, साथ में मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियां फंसा कर सहलाती हुई मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी थी.

मैं भी जोर जोर से उसकी चूचियां मुँह में लेकर चूस रहा था, साथ में जीभ से निपल्स को रगड़ भी रहा था.

सोनी पहली बार ये सब अनुभव कर रही थी इसलिए वो कामुक होकर कसमसाने लगी थी.
साथ में नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड रगड़ने की वजह से वो ये सब सहन नहीं कर पाई और झड़ने लगी थी.

उसने कसमसा कर मुझे कस लिया और सिसकारियां लेती हुई अपना सर मेरे कंधे पर रखकर हांफने लगी थी.
 
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कुछ समय बाद वह सामान्य हो गयी थी.

बाद में उसने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- अब चलो.

वह मुझे टेबल के पास ले गयी, खुद टेबल पर लेट गयी और अपनी टांगें फैलाकर बोली- भैया, अब कुछ भी होने देना … लेकिन अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो. मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती.

ये सब कहते हुए उसने अपनी उंगलियों से चूत को दोनों तरफ फैलाकर चूत का मुँह बड़ा कर दिया.

अब मैं उसकी तड़फ देखकर मजबूर हो गया था.
उसकी गीली, उभरी, गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड भी फड़कने लगा था.

मैंने एक हाथ से अपने लोहे जैसे तने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से सोनी कमर पकड़ते हुए अपने गीले लंड को उसकी चूत पर नीचे से ऊपर तक रगडने लगा.

दो मिनट बाद सही निशाने पर लंड का सुपारा रखकर मैंने एक जोर का धक्का मार दिया.
मेरा लंड सोनी की कुंवारी चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा अन्दर चला गया था.

इस धक्के से सोनी जोर से चिल्लाने लगी- ऊई माँ … मर गई आह फट गई मेरी … ऊई माँ इस्स आह बहुत दर्द हो रहा है भैया … अब और मत डालो.
वह यही सब कहती हुई रोने लगी.

उसकी चूत और झिल्ली फट गयी थी और खून बहने लगा था.

मैंने झुककर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा, साथ में उसके आंसू अपने होंठों से पीने लगा.

सोनी छटपटा रही थी.
कुछ पल बाद उसने आंखें खोलकर कहा- क्या भैया … इतनी जोर से कोई धक्का मारता है क्या? कितना दर्द हुआ मुझे!
ये कहते हुए उसने अपने नीचे हाथ लगाकर देखा तो उसके हाथ में खून लग गया था.

खून देखकर सोनी बोली- भैया, क्या सचमुच मेरी चूत फट गयी है?
मैंने कहा- हां सोनी, मैंने तुम्हें पहले ही बोला था कि तुम पहली बार लंड ले रही हो और वह भी इतना बड़ा, तो दर्द तो बडा ही होगा ना. लेकिन अब कोई बात नहीं, अब बिना दर्द के मैं पूरा लंड अन्दर डालूँगा. तुम चिंता मत करो. अब तुम्हें बहुत मजा आएगा.

वह कुछ नहीं बोली, बस मेरी आंखों में देखती रही.

मैं फिर से बोला- अब कैसा महसूस हो रहा है तुम्हें सोनी?
सोनी अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड सहलाती हुई बोली- हां, अब दर्द कम हो रहा है और मजा सा आने लगा है. तुम्हारा इतना बड़ा लोहे जैसा लंड अपनी चूत में लेकर मैं बहुत खुश हूँ भैया.

इसके साथ सोनी नीचे से अपनी गांड आहिस्ता से हिलाती हुई बोली- भैया, अब मुझे तुमसे वह सब खुशियां देना, जो मैं जानती नहीं … और चुदाई का मजा किस तरह लेना चाहिए, क्या क्या करना होता है, वह सब मुझे सिखाना भैया. तुम्हारे सिवाए मेरा और कोई फ्रेंड नहीं है … समझे भैया!

मैंने उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से चूसते हुए कहा- अब तुम चिंता मत करो सोनी, लेकिन ये बातें सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहेंगी … समझी!

सोनी ने मेरी गांड दोनों हाथों से मसलकर कहा- हां भैया, मैं समझ गयी … अब बचा हुआ लंड भी अन्दर डाल दो भैया … लेकिन जरा आहिस्ता से डालना!

मैं उसकी दोनों चूचियां अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर आहिस्ता से आगे पीछे करने लगा था.
मेरा लंड अभी भी अन्दर बहुत टाईट जा रहा था.

मैंने कुछ सोच कर लंड थोड़ा बाहर निकाला और मुँह से ढेर सारा थूक लंड पर मल दिया और अच्छी तरह से लंड को चिकना कर लिया.

फिर मैं लंड अन्दर बाहर करने लगा.
चूत चुदाई के साथ में मैं सोनी की चूचियां भी मसल रहा था.

सोनी नीचे से गांड उठाकर चूत को लंड पर दबा रही थी.
अब लंड आहिस्ता आहिस्ता से चूत में उतरने लगा था.

सोनी की चूत अन्दर से भट्टी जैसी गर्म हो गयी थी.
चूत आहिस्ता आहिस्ता मेरे मोटे लंड को अन्दर लेने को जगह बना दे रही थी.

सोनी भी अब मादक सिसकारियां 'स् स्स स्स्स हूँ हुं आह आ हम्म.' करके मजे से लंड चूत में लेने लगी थी.

पंद्रह मिनट की इस स्लो मोशन चुदाई के बाद मेरा लंड अब दो इंच ही बाहर रह गया था.
मैं अब सुपारे तक लंड बाहर निकालकर अन्दर डालने लगा.
इससे सोनी भी कामुक होकर साथ देने लगी थी.

थोड़ी देर तक मैंने धक्कों की गति तेज करते हुए पूरा लंड निकाल कर आधे से ज्यादा लंड तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.
सोनी सिहरने लगी.

लंड का चूत की दीवारों से होने वाले घर्षण से वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी.

सोनी अपने मुँह से मादक सिसकारियां लेने लगी थी और अपनी गांड उठा उठा कर लंड चूत में लेती हुई तेजी से उत्तेजित होकर झड़ने लगी थी.

उसने जोर से मुझे उसके ऊपर कस लिया.
मैं भी उसके ऊपर लेट गया.

सोनी ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कसकर लंड का दबाव चूत पर बनाए रखती हुई हांफने लगी थी.

मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर चूमने लगा.

थोड़ी देर बाद सोनी मेरे होंठ चूमकर अपने हाथों से मेरी पीठ और गांड को सहलाती हुई बोली- भैया, सच में बहुत मजा आ रहा है मुझे … कितना मजा आता है चुदाई में, मुझे तो लग रहा था कि मैं तुम्हारे साथ एक अलग दुनिया की सैर कर रही हूँ.

मैं उसे हँसते हुए देखने लगा.
वह पूछने लगी- भैया, अब पूरा अन्दर गया ना तुम्हारा लंड?

मैंने कहा- अभी थोड़ा सा ही लगभग सिर्फ दो इंच बाकी है.
सोनी बोली- तो अब पूरा डाल दो न भैया! मुझे पूरा लंड चूत में लेकर उसे महसूस करना है.

मैंने ओके कहा और फिर से अपनी पोजीशन में आकर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
इससे उसका चुतरस हर बार लंड के साथ बाहर आकर नीचे जमीन पर टपकने लगा था.

लंड और चूत पूरी तरह से गीले होने से मस्त चुदाई चलने लगी थी. लंड पिस्टन की तरह लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था.
साथ में पचा फच पच की मादक आवाजें निकलने लगी थीं.

मैं तेज गति से सोनी की चूत पर प्रहार करने लगा था.
सोनी के मुँह से भी मादक आवाजें निकल रही थीं.

पूरे रूम में मादक आवाजें गूंजने लगी थीं.
इसी वजह से हमारी कामवासना और बढ़ने लगी थी.

हम दोनों पूरी तरह से कामवासना में डूबकर एक दूसरे को साथ देकर चुदाई का आनन्द ले रहे थे.
मेरा पूरा लंड अब उसकी चूत में समा गया था और हर धक्के के साथ मेरी अंडगोटियां उसकी गांड के फूले हुए छेद पर दस्तक दे रही थीं.

साथ में मेरा लंड का मुलायम सुपारा चूत की जड़ तक जाकर गर्भाशय के मुख को चूमने लगा था.

इधर सोनी बेहाल होकर अपनी गांड उठा उठाकर लंड को चूत में जड़ तक ले रही थी, वह साथ में अपने मुँह से मादक सिसकारियां निकालने लगी थी.

मैं उसकी चूचियां कसकर जोर से धक्के मार रहा था.
दस मिनट की इस धुआंधार चुदाई के बाद मेरा लंड अंतिम बिन्दु पर या कहें चरमसीमा पर पहुंचने वाला हो गया था.

मैंने सोनी से कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ सोनी … मैं अपना वीर्य कहां निकालूँ?
पहले तो सोनी बोली- वह क्या होता है भैया?

मैंने कहा- वह जो अपने इस खेल के बाद रस सा निकलता है उसे वीर्य कहते हैं. उसी से बच्चा पैदा होता है. इसलिए मैं पूछ रहा था कि वीर्य अन्दर निकालूँ या बाहर?
वह बोली- भैया, मुझे कुछ नहीं मालूम कि इसको अन्दर लेना चाहिए या नहीं. आप जो ठीक समझें, वह करें. मगर हां मुझे भी ऐसा लग रहा है कि मेरा भी कुछ निकलने वाला है.

मैंने कुछ सोचा कि इसे दवा दे दूंगा.
बस ये सोचते ही मैंने जोर जोर से कुछ ऐसे धक्के मारे कि टेबल तक सरकने लगी थी.

आखिरी धक्के के साथ सोनी भी झड़ने लगी. उसकी चूत ने ढेर सारा गर्म चुतरस मेरे लंड पर छोड़ दिया.
उसकी चूत के गर्म चुतरस से मेरा लंड बेकाबू हो गया और वह भी गर्म वीर्य की पिचकारियां चूत में मार कर चूत को भरने लगा.

मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियां मारते ही सोनी ने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ते हुए पूरा लंड अपनी चूत में समा लिया था.
सोनी ने चूत में लंड का दबाव बनाए रखते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया और जोर से अपनी बांहों में कस लिया.

उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ गए थे.
मैंने भी उसकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उसे अपनी बांहों में कस लिया था.
हम दोनों मदहोश हो गए थे.

उसकी चूचियां मेरे सीने में दब गयी थीं.
हम दोनों बहुत ही ज्यादा थक चुके थे.

दोनों के मुँह से गर्म सांसें निकल रही थीं.
हम दोनों ही एक दूसरे के आगोश में रहकर एक अलग सी दुनिया की सैर कर रहे थे … ना कोई हमें देखने वाला था और ना ही कोई हमें रोकने वाला था.

अब मुझे अहसास होने लगा था कि सोनी की चूत मेरे लंड को निचोड़ कर वीर्य की एक एक बूंद पी रही थी.
मेरा लंड भी उसे साथ दे रहा था.

कुछ मिनट तक बाद हम दोनों ही शांत हो गए थे.

सोनी ने मुझे अपनी टांगों की पकड़ से आजाद कर दिया.
साथ में हाथों की पकड़ भी ढीली करके अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड सहलाने लगी थी.

अब मैंने अपना सर उठाकर उसके होंठों को चूम कर अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर उसकी जीभ से जीभ लड़ाने लगा.

सोनी को इससे एक अलग सा अनुभव मिला और वह खुश होकर मजे लेने लगी थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे तो पूरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी.

इस अनोखे फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स अनुभव से सोनी का चेहरा और खिलने लगा था और उसकी आंखों में अलग सी चमक दिख रही थी.
साथ में वह फिर से गर्म होने लगी थी. इधर मेरा लंड भी उसकी चूत में अंगड़ाइयां लेने लगा था.

बात आगे बढ़ने से पहले मैंने अपने आपको रोका और उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया.

सोनी मुझे उठते देख कर बोली- क्या हुआ भैया?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मुझे जोर से पेशाब लगी है.

ये कहकर मैंने सोनी की चूत से आहिस्ता से अपना लंड बाहर निकाल दिया.
 
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चुदाई के बाद मैंने पेशाब का बहाना बनाकर अपना लंड आहिस्ता से उसकी चूत से बाहर निकाला, तो सोनी भी टेबल पर उठकर बैठ गई.
बैठते ही उसकी चूत से ढेर सारा मिश्रित रस टपकने लगा.

हम दोनों का कामरस बाहर आकर नीचे फर्श पर टपकने लगा था. मेरा लंड भी कामरस से लबालब होकर चू रहा था.
उसकी नोक से भी बूंदें टपकने लगी थीं.
सोनी ये सब आंखें फाड़कर देख रही थी.

पहले से ही नीचे फर्श पर खून से मिश्रित चूतरस फैला था. उसमें और सारा ढेर सारा वीर्य से मिश्रित चूतरस मिलकर फैलने लगा था.

सोनी ने अपने मुँह पर हाथ रखकर कहा- भैया, इतना सारा हम दोनों का? बाप रे ये कैसे हो सकता है? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है भैया!

मैंने कहा- इसमें तुम्हारा ही ज्यादा है, तुम तो तीन बार झड़ चुकी थी … साथ में खून भी मिला हुआ है. पहली बार ये सब होता है. तुम्हें चुदाई की बहुत ज्यादा उत्सुकता लगी थी ना! तुम्हारी चूत की गर्मी इस तरह से बाहर निकल रही है सोनी. अब तुम कली से फूल बन गयी हो. एक कुंवारी लड़की से औरत बन गयी हो सोनी. तुम्हें बहुत बधाई हो!

सोनी- ये तो सब सुख तुम्हारी वजह से मिला है भैया! लेकिन भैया तुम्हें कितना मनाना पड़ा इसके लिए, फिर भी मजबूर होकर तुम्हें सब करना पड़ा.

वो मेरे लंड की तरफ देखती हुई बोल रही थी.
फिर वो टेबल से नीचे उतरी तो खड़ी होते ही कराहने लगी- बहुत दर्द हो रहा है भैया!

मैंने उसकी चूत को सहलाया तो वो पूरी तरह से सूज कर लाल हो गयी थी, मैंने कहा- घबराना मत सोनी, मेरे पास दवा है इसकी. तुम ठीक हो जाओगी.

सोनी- भैया तुम्हारा वीर्य कितना गाढ़ा, सफेद और मलाई जैसा है. मैं इसका स्वाद ले लूँ क्या भैया?

मैंने कहा- हां अब तुम जो चाहो सो करो.

सोनी कराहती हुई नीचे बैठी और अपनी जीभ की नोक से मेरे लंड पर से वीर्य के धब्बे को चाटकर मुँह में लेकर बोली- वाह भैया, क्या मस्त स्वाद भरा और टेस्टी है तुम्हारे लंड का अमृत!

उसने खुशी से मेरा आधा मुरझाया लंड अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

उसने दो मिनट में ही मेरा लंड चुसकर साफ कर दिया.

मैंने उससे कहा- अब चलो बाथरूम में नहा लेते हैं.
वह कराहती हुई उठी और मेरे कंधे का सहारा लेकर पैर फैलाकर चलने लगी थी.

मैंने बाथरूम में ले जाकर पहले उसकी चूत को गर्म पानी से देर तक सेक दिया.

इससे उसे थोड़ा सा आराम मिल गया था.
फिर हम दोनों अच्छे से एक दूसरे को नहलाकर बाहर आ गए.

घड़ी में देखा तो 12 बज गए थे.

सोनी अपना गाउन पहनती हुई बोली- भैया, समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला हमें!

मैंने कहा- हां सोनी, इस खेल में ऐसा ही होता है. कितना भी कर लो कभी मन नहीं भरता.

सोनी एक कपड़े से नीचे फैला हुआ कामरस साफ करती हुई बोली- हां भैया, ऐसे ही मुझे हो रहा है.

और सोनी लंगड़ाती हुई कपड़े को बाथरूम में छोड़ आयी.

मैंने उसे कुर्सी पर बिठाया और एक क्रीम लेकर आया.
उसका शॉर्ट गाउन मैंने कमर तक ऊपर किया और उसके दोनों पैर कुर्सी के दोनों हत्थों पर रख दिए.

इससे उसकी चूत खुलकर सामने आ गयी.
मैंने अपनी उंगलियों पर क्रीम लेकर उसकी चूत पर सभी ओर लगायी, साथ में चूत के अन्दर भी उंगली डालकर अच्छी तरह से लगा दी.

सोनी चूत के अन्दर उंगली चलने के अहसास से कराहने लगी.
मैंने कहा- अब तुम दो घंटे में ठीक हो जाओगी. मेरे पास टैबलेट भी है, उसे खाना खाने के बाद लेकर सो जाना. तुम्हारा दर्द दो घंटे में गायब हो जाएगा सोनी.

ऐसे ही बातें करते करते काफी समय बीत गया था.

सोनी बोली- भैया, मुझे बहुत भूख लगी है. चलो हम नीचे जाकर खाना खाते हैं.
मैंने कहा- हां सोनी, मुझे भी बहुत भूख लगी है. चलो अब नीचे चलते हैं.
हम दोनों ऊपर के रूम को लॉक करके साथ में नीचे आ गए.

सोनी ने खाना गर्म करके हम दोनों के लिए परोस लिया.
हम दोनों ने आराम से खाना खा लिया.

मैं वहां कुर्सी पर बैठकर आराम करने लगा. सोनी सभी बर्तन उठाकर किचन में ले गयी.
थोड़ी देर में वो काम निपटाकर बाहर आ गयी.

वह भी कुर्सी लेकर बैठ गयी.

मैंने उसे दवा देकर कहा- ये लो पानी के साथ ले लो और सो जाओ यहां थोड़ी देर.
सोनी ने वो दवा पानी के साथ ले ली और बोली- चलो भैया हम दोनों थोड़ी देर मम्मी के बेड रूम में ही सो जाते हैं.

दोपहर के एक बजे थे.
हम दोनों भी थक चुके थे और खाना खाने से नींद भी आंखों पर आने लगी थी.

दोनों ही साथ में बुआ के बेड पर सो गए. हमें नींद ने अपने आगोश में कब ले लिया, पता ही नहीं चला.

मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सोनी ने करवट बदलते हुए अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया था.
शायद वो नींद में थी.

मैं पीठ के बल सोया हुआ था, मैंने घड़ी देखी तो ढाई बजे थे.
मैं आंखें बंद करके वैसे ही लेटा रहा.

थोड़ी देर के बाद सोनी के रखे हुए हाथ में हलचल होने लगी थी.
उसकी उंगलियां मेरे लंड के उभार को पैंट के ऊपर से सहला रही थीं.

मैं चुपचाप लेटा रहा.
मैंने देखा तो सोनी का शॉर्ट गाउन उसकी कमर तक आ गया था.
उसने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मैंने ही उसकी चूत पर क्रीम लगाकर कहा था कि पैंटी मत पहनना.

अब सोनी ने फिर से करवट ले ली, वह पीठ के बल हो गयी.
साथ में वह
अपनी जांघें फैलाकर अपना एक हाथ खुली चूत पर रखकर उसे सहलाने लगी और इसी के साथ उसने अपना दूसरा हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
वो बड़ी आहिस्ता से अपनी उंगलियों से मेरे लौड़े को सहलाने लगी थी.

मैं अपनी आंखें बंद करके खुद को रोकने की कोशिश कर रहा था.
दो मिनट बाद मेरा रेस्पॉन्स ना मिलने पर उसने चूत पर रखा अपना हाथ हटाया और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखवा दिया.
अब वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी थी.

साथ में पैंट के ऊपर से दूसरे हाथ से मेरा लंड सहला रही थी.
अब तो मैं अपने लंड को काबू में रख ही नहीं पा रहा था. सोनी मेरी उंगली अपनी चूत की दरार में डालकर सहला रही थी.

उसकी कोमल और गर्म चूत के स्पर्श से ही मेरा लंड पैंट के अन्दर फड़फड़ाने लगा था.
मेरी पैंट में पूरा तंबू बन गया था.

अब तो सोनी बहुत उतावली हो गयी थी. मेरी पैंट में बने तंबू को देखकर वो उठ बैठी और अपने दोनों हाथों से मेरी पैंट जांघों तक नीचे खींच दी.

मैंने भी अपनी कमर उठाकर उसे मदद की.
इससे उसने पूरी पैंट निकाल कर मुझे नंगा कर दिया और खुद भी अपना गाउन निकालकर नंगी हो गयी.

फिर वो घुटनों के बल मेरे बाजू में बैठकर अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैं भी गर्म होने लगा था और मेरा हाथ अपने आप उठकर सोनी की गोलमटोल, गदराई गांड को सहलाने लगा था, दूसरा हाथ उसकी चूचियों को बारी बारी से सहलाने लगा था.

मेरी हरकतों से सोनी सिहर कर आहें भरने लगी थी.
वो अब और भी कामुक होकर मेरे लंड पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक छोड़ कर लंड को दोनों हाथों से आगे पीछे करके रगड़ने लगी थी. उसने मेरे लंड को थूक से पूरा लबालब कर दिया था.

फिर उसने मेरे होंठों पर होंठ रखकर चूमते हुए कहा- भैया, मेरा बहुत मन कर रहा है और चूत में भी बहुत खुजली हो रही है. अब आप जल्दी से लंड डालो ना मेरी चूत में!

यह कहते हुए उसने मुझे पकड़ कर उठा दिया.
इधर मेरा लंड भी कूदने लगा था, तो मैं उठकर अपने घुटनों के बल आकर सीधा उसके पीछे सट कर बैठ गया.

सोनी भी घुटनों के बल ही बैठी थी, तो मेरा लंड सीधे उसकी गांड की दरार में रगड़ मारने लगा था.

मैं अपने दोनों हाथों से पीछे से उसकी चूचियां सहलाने लगा. वो मादक सिसकारियां लेने लगी थी.

मैंने उसकी गर्दन पर जगह जगह चूमते हुए उसके कान में कहा- सोनी तुमने कभी कुत्ते की चुदाई देखी है?
इस पर सोनी बोली- हां देखी है, उसका यहां क्या मतलब है?

मैंने कहा- आज हम भी वैसे ही चुदाई करेंगे सोनी.
मेरी बात सुनकर सोनी की जिज्ञासा जाग उठी और बोली- सच भैया! मुझे बहुत मजा आएगा. तो आप जल्दी करो ना भैया!

मैंने उसे डॉगी पोजीशन में बिठाया. अब मेरे फड़फड़ाते लंड के सामने सोनी की खुली चूत आकर मेरे लोहे जैसे कड़क और मोटे लंड को उकसा रही थी.

मैंने एक हाथ में लंड पकड़ा और उसकी चूत पर ऊपर नीचे रगड़ने लगा.
सोनी सिहर कर आहें भरने लगी थी और अपनी गांड आगे-पीछे हिलाने लगी थी.

सोनी की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
मेरा लंड भी सोनी ने थूक से गीला कर दिया था. मैंने लंड सही निशाने पर रखते हुए सोनी की कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और सटीक धक्का दे मारा.

मेरा आधे से अधिक लंड सोनी की चूत में सरसराता हुआ उतरता चला गया था.

सोनी जोर से कराहती हुई सिसकारियां लेती हुई अपनी गांड को आहिस्ता से आगे पीछे करने लगी.

मैं अपने दोनों हाथों से उसकी गांड और कमर के बीच के हिस्से को पकड़े हुए था.

लंड अन्दर सैट होते ही मैं अपनी जांघों से उसकी जांघें और एक हाथ से दोनों चूचियों को बारी बारी से सहलाने लगा था.
वह मस्त होने लगी थी.

तभी मैंने दूसरा धक्का मारकर पूरा लंड सोनी की चूत में अन्दर तक पेल दिया.
सोनी सीत्कारती हुई बोली- आह आहिस्ता से पेलो ना भैया … कितना जोर से धक्का मारा आपने … लेकिन मजा भी आया. भैया तुम्हारा मोटा लौड़ा अन्दर तक आ गया.

मैं उसकी पीठ को चूमते हुए अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
अब सोनी भी मेरे हर धक्के को साथ दे रही थी.

हर धक्के के साथ मेरी जांघें उसकी गोरी जांघों पर रगड़ मारने आगी थीं. इससे उसकी गोरी जांघें लाल होने लगी थीं.

उसकी उभरी हुई और नीचे लटकती, नुकीली चूचियां हर धक्के के साथ मस्त झूल रही थीं.

मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियां पकड़ लीं और पूरे जोर से लंड अन्दर बाहर करने लगा.

सोनी अपने एक हाथ को पीछे करके मेरी अंडगोटियां सहलाने लगी.

इससे मेरा लंड और भी उत्तेजित होकर सोनी की चूत को जोर जोर से चोदने लगा था.

हर धक्के के साथ सोनी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

पहली बार एक नए आसन के अनुभव से वो मदहोश होकर मेरे लंड पर जोर से प्रहार करने लगी थी.

बीस मिनट की चूत और लंड के बीच हो रही इस घमासान लड़ाई का अंतिम क्षण नजदीक आता जा रहा था.

अंतिम चरण में कुछ जोरदार प्रहार अपने लंड से चूत में करने के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ गए.

मेरे आखिरी धक्के से सोनी थककर अपने पैर लंबे करके नीचे लेट गयी और साथ में मैं भी उसके ऊपर लेट गया.

मेरा लंड वीर्य की पिचकारियां मारकर सोनी की चूत भरने लगा था.

सोनी की चूत अपने गर्म रस से मेरे लंड को नहला रही थी.
हम दोनों थककर तेज सांसें लेकर हांफने लगे थे. मैं अपनी गर्दन उसके कंधे पर रखकर आराम से लेट गया था.

सोनी अपनी गांड ऊपर उठाकर मेरा पूरा लंड चूत में लेकर मेरे वीर्य को निचोड़ रही थी.

कुछ मिनट के बाद मैंने उठकर अपना लंड चूत से बाहर निकाला और बेड से उतर गया.

सोनी भी उठकर खड़ी हो गयी, तो उसकी चूत से हम दोनों का कामरस बाहर आ रहा था.
मैंने उसे चूत पर हाथ रखने को कहा.

हम दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को नहलाकर बाहर आ गए और ऐसे ही नंगे हॉल में बातें करते हुए सोफे पर बैठ गए.
 
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सोनी बोली- मैं शर्बत बनाकर लाती हूँ भैया, बहुत प्यास भी लगी है.
मैंने कहा- हां सोनी, मुझे भी प्यास लगी है. मस्त ठंडा शर्बत बना कर ले आओ.

वह अपनी गांड मटकाती चली गयी.
मैं आराम से अपना सर सोफे पर पीछे टिका कर बैठा था.

मेरा लंड लंड दोनों जांघों के बीच सो रहा था.
मैंने अपने दोनों हाथ दोनों तरफ फैलाकर सोफे पर रखे थे.

दोपहर के साढ़े तीन बज चुके थे.

इतने में सोनी दो ग्लास शर्बत के लेकर आयी.
एक मेरे हाथ में देकर मेरे वह साथ ही सटकर बैठ गयी.

शर्बत पीते पीते हम दोनों बातें कर रहे थे.
सोनी- भैया, आज मैं बहुत खुश हूँ. तुमने मुझे कितनी खुशियां दी हैं. मेरी सहेली ने बताया था कि उसे इस खेल में बहुत मजा आता है. वह कहती थी कि तुम भी एक बार अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ मजे ले लो. तो मैंने उससे कहा था कि मुझे ये सब नहीं करना और ना ही मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है. अब तुम ही मेरे ब्वॉयफ्रेंड हो भैया … और आज हमें वह मौका मिला है, जो हमने कभी एक दूसरे के साथ ये सब करने का जो सोचा नहीं था. आज मुझे पहली बार कितना मजा आ रहा है. हम दोनों इतने बड़े घर में नंगे घूम रहे हैं और मजे ले रहे हैं.
मैंने कहा- हां सोनी, लेकिन ये सब ठीक नहीं है. अगर हमें ऐसे किसी ने देख लिया या किसी को पता चले तो?

वह सुन कर कुछ नहीं बोली.

हम दोनों ने शर्बत पीकर खत्म कर दिया तो सोनी मेरे हाथ से ग्लास लेकर बोली- ऐसा कुछ नहीं होगा भैया … कौन बताएगा … मैं या तुम?
इस बार मैं चुप रहा.

वह ग्लास लेकर किचन में रखकर आयी और सीधे मेरे घुटनों के दोनों ओर पैर रख कर बैठ गयी.
फिर वह अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखकर मेरे होंठ चूमने लगी.

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और मसलने लगा.
सोनी आहें भरने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ सोनी?
सोनी- कुछ नहीं, मजा आ रहा है. ऐसे ही सहलाते रहो भैया.

मैंने कहा- ऐसे ही सहलाते रहा तो तेरे दूध बड़े हो जाएंगे सोनी, तुम्हें चलेगा!
सोनी खुश होकर बोली- हां चलेगा भैया. मेरी सहेली के तो मुझसे डबल हैं. आप मेरे भी बड़े कर दो. जब तक तुम यहां पर हो, बार बार इन्हें मसलते रहो भैया और मेरी सहेली की तरह बड़े कर दो.

मैं उसकी चूचियां मसलने लगा.

सोनी मेरे लंड की तरफ देखकर अपना एक हाथ उसपर रखते हुए बोली- भैया तुम्हारा लंड अभी सोया है, फिर कितना मोटा है और ऐसे में भी कम से कम छह इंच लंबा दिखता है. तुम्हारा इतना बडा कैसे है भैया?

ऐसे सवाल करते हुए वह मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने कहा- हर आदमी का अलग अलग साइज का होता है सोनी. किसी का चार इंच का तो किसी का पाँच, छह या इससे भी बड़ा होता है. लेकिन एक बात है … लंड छोटा या मोटा हो, पहली बार चूत में जाने के बाद लड़कियों को दर्द तो होता ही है.

'अच्छा अब मैं समझ गयी. मेरे पापा का भी तुम्हारा सोया हुआ था ना … उतना ही है.'
मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता सोनी?

सोनी अब मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलने लगी और बोली- जब मैं उनके साथ सोती थी, तब मैंने बहुत बार चोरी छुपे देखा है. अब वह मुझे चार साल से अलग कमरे में सोने को कहने लगे हैं. मुझे एक अलग कमरा भी दे दिया है सोने को, तब से मैं अकेली सोती हूँ. लेकिन उस समय मुझे पता नहीं था कि वह क्या करते हैं. उन्हें जब लगता था कि मैं सो गयी हूँ, तो पापा उठकर अपनी अंडरवियर से लंड बाहर निकालकर मम्मी की साड़ी ऊपर करके बैठ जाते थे और उन पर चढ़ जाते थे.

'फिर?'
'फिर मुझे तो अभी मालूम हुआ कि वह चुदाई करते थे.'

तो मैंने कहा- इसलिए तो शादी करते हैं सोनी. शादी के बाद यही सब मजे लेने होते हैं. फिर चोरी छिपे करने की जरूरत नहीं पड़ती … समझी!

इधर सोनी ने मेरा लंड मसलकर जगा दिया.
मेरा लंड भी उसके हाथों में झूमने लगा था.

मैंने अपने दोनों घुटनों दोनों तरफ फैलाये तो सोनी की गांड की दरार बढ़ गयी.

मैं पीछे से अपने दोनों हाथों से उसकी गांड सहलाने लगा.
साथ में अपनी उंगलियां उसकी गांड के छेद और चूत पर फिराने लगा.

सोनी छटपटाने लगी और मेरे लंड को दबाती हुई बोली- बहुत मजा आ रहा है भैया … तुम कितने अच्छे हो. कितनी खुशियां दे रहे हो.
मैंने उसकी चूत में अब दो उंगलियां डाल दीं … तो उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो गयी थी.

उंगलियां अन्दर जाते ही वह बोली- ऐसे मत सताओ ना भैया. मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगती है.
मैंने कहा- अच्छा! और तुम मुझे सताती हो बार बार … तो मुझे कुछ नहीं होता?

सोनी- भैया, मुझे तुम्हारे लंड का स्पर्श होते ही चूत में खुजली होने लगती है. मन करता है कि इसे हमेशा अन्दर ही रखूँ.

इतना कहते हुए वह आगे को सरक आई और अपनी खुली चूत के मुँह पर मेरे तने हुए लंड का सुपारा रगड़ने लगी और आहें भरने लगी.

वह मेरा लंड चूत में लेने को तड़पने लगी थी.
उसकी तड़प, उसकी गीली चूत की गर्माहट से मेरा लंड चूत में घुसने को बेकरार हो गया था.

सोनी को मैंने घुटनों के बल आने को कहा तो वह मेरी दोनों बाजू में अपने घुटनों को रखकर अपनी चूत से मेरे लंड के सुपारे को रगड़ने लगी.

मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को फैलाया तो उसी वक्त सोनी ने ऊपर से लंड पर दबाव डाल दिया.
मेरा आधा लंड चूत में घुस चुका था.

सोनी ने मादक सिसकारियां भरते हुए अपना सर मेरे कंधे पर रखकर मुझे कस लिया.
इस वजह से उसकी दोनों उभरी हुई चूचियों के बीच मेरा मुँह आ गया था.

पहले तो मैंने अपने सर से उसकी दोनों चूचियों को रगड़ा, फिर मुँह बाहर को निकाल कर बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसने लगा.

सोनी मादक सिसकारियां लेती हुई अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी और पूरा लंड अपनी चूत में अन्दर ले रही थी.
अब मैं भी अपने दोनों हाथों से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहा था.
साथ में नीचे से अपनी गांड उठाकर जोर जोर से धक्के मार रहा था.

सोनी की चूत पूरी तरह से गर्म होकर चूत से चुतरस बह कर मेरी अंडगोटियां गीली करने लगा था.
उसकी चूत से मादक आवाजें भी निकल रही थीं.

हम दोनों भी कामवासना में मदहोश होकर अपनी दुनिया में सैर कर रहे थे.

बीस मिनट तक इस चुदाई से और इस नए आसन के अनुभव से वह उत्तेजित हो गई थी.
सोनी चुदास भाव से बोली- भैया, अब मेरा निकलने वाला है. तुम्हारा लंड तो अन्दर जाने के बाद और भी मोटा हो गया है, अब और नहीं सहा जाता मुझसे!

मैंने कहा- हां सोनी मेरा भी निकलने वाला है.

यह कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जांघों के नीचे डालकर कसकर पकड़ा और कहा- सोनी, अच्छी तरह से पकड़ लेना मुझे. अब मैं तुम्हें लेकर उठने वाला हूँ.

सोनी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और मैं उसे लेकर खड़ा हो गया.
उसने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया तो पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया था.
मेरी अंडगोटियां उसकी गांड के फूले हुए छेद पर रगड़ मार रही थीं.

मैं उसे हॉल में इसी पोजीशन में लेकर घूमने लगा.
उसे बेहद मजा आ रहा था.

सोनी ने खुशी से मेरे होंठों को चूम लिया और बोली- भैया, मुझे ऐसे लटक कर लंड लेने में बहुत ही मजा आ रहा है. कितनी खुशियां मिल रही मुझे … मैं बता नहीं सकती भैया. तुम्हारे चलते समय मैं तो अपने आप तुम्हारे लंड पर झूल जाती हूँ. तुम्हारा ये मूसल चूत में जड़ तक जाकर गुदगुदी कर रहा है.

मैंने कहा- हां सोनी, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है. तुम्हारी चूत ने मेरे लंड को पूरा गटक लिया है.

ये कहते हुए मैं अपने हाथों से उसकी गांड उठा उठाकर लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
सोनी के मुँह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं.

वह मादक भाव से बोली- भैया, अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने जोर से झटके मारते हुए कहा- मेरा भी निकलने वाला है सोनी … आह.
मैं उसको उठा उठा कर तेजी से ऊपर नीचे करने लगा.
हम दोनों चरमसीमा पर पहुंच कर साथ में झड़ गए.

हम दोनों ने एक दूसरे को जोर से अपनी बांहों में कस लिया था. हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं.
मेरा लंड वीर्य की गर्म पिचकारियां सोनी की चूत में भर रहा था.

सोनी मेरे लंड को अपनी चूत के रस से नहला रही थी.
हम दोनों का कामरस चूत से बाहर आकर मेरी अंडगोटियां को नहलाता हुआ दोनों जांघों से बहकर घुटनों तक पहुंच गया था.

मैं ऐसे ही चलते चलते बाथरूम में पहुंचा और सोनी को नीचे उतार कर खड़ा कर दिया.
मेरा लंड चूत से बाहर निकल आया.

लंड बाहर निकलते ही बचा हुआ कामरस चूत से बाहर आकर सोनी की जांघों पर बहने लगा था.

ये सब नजारा देखकर सोनी बहुत खुश हो गयी थी.
वह बोली- भैया, तुमने मुझे ढेर सारी खुशियां दी हैं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.

फिर हम दोनों अच्छी तरह से एक दूसरे को नहलाकर बाहर आए.
ठंडा पानी पीकर हम बेडरूम में जाकर लेट गए.
हम दोनों काफी थक चुके थे.

शाम के पाँच बज चुके थे. हम दोनों नंगे ही लेटे थे.

इतने में सोनी अपने पेट के बल सोती हुई बोली- भैया, मेरे ऊपर सो जाओ ना, मुझे तुम्हारा नंगा गठीला बदन मेरे नंगे बदन पर महसूस करना है.
मैं झट से उसके ऊपर लेट गया था.

मेरा मुरझाया लंड उसकी गदराई और उभरी गांड की दरार में फँस चुका था. मेरा सीना उसकी पीठ पर सट गया था. मेरी जांघें उसकी जांघों पर, मेरे पैर उसके पैर पर और हाथ उसके हाथों से सट गए थे.

ऐसे ही हम आधा घंटा लेटे रहे थे.
हम दोनों छह बजे उठकर फ्रेश होकर अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गए क्योंकि बुआ और फूफा जी किसी भी समय आ सकते थे.

सोनी हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में गयी.
मैं बाहर आंगन में कुर्सी डालकर बैठ गया.

थोड़ी ही देर में सोनी चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर खुद एक कुर्सी लेकर मेरे पास बैठ गयी.
हम दोनों ही बातें करते करते चाय का मजा ले रहे थे.

कुछ ही देर में अंधेरा छाने लगा था. थोड़ी ही देर में बुआ और फूफा जी आ गए.

थोड़ी देर वह दोनों भी हमारे साथ बैठकर बातें करने लगे.
फिर फूफा जी फ्रेश होने चले गए.

बुआ और सोनी खाना बनाने में जुट गईं.

जब खाना तैयार हो गया तो सोनी ने हमें बुलाया और सबके लिए खाना परोस दिया.
हम सबने मिलकर खाना खा लिया.

सोनी और बुआ सब बर्तन आदि बटोर कर किचन में ले गईं.
फूफा जी और मैं आंगन में इधर उधर की बातें कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद वह दोनों भी काम निपटाकर आ गईं.

मैंने बुआ और फूफा जी से कहा- मैं और सोनी जरा गांव की ताजा हवा में घूम आते हैं.
तो बुआ बोलीं- हां जाओ, लेकिन ज्यादा दूर मत जाना. हम दोनों सो रहे हैं. सफर से थक गए हैं और सुबह तेरे फूफा को ऑफिस भी जाना है. तुम दोनों जाओ तो जाते समय गेट लॉक कर देना हर्षद और वापसी में खुद ही खोल कर आ जाना.

रात के सवा नौ बज रहे थे, तब हम दोनों बाहर आए.
हर तरफ सन्नाटा था.
छोटा सा गांव था. शायद दो सौ के करीब घर होंगे.
गांव में सभी लोग जल्द ही सो जाते हैं.

बुआ का घर गांव के आखिर में था. घर के पीछे खेत और पेड़ थे.

सोनी बोली- हम घर के पीछे ही घूमने चलेंगे.
मैंने ओके कह दिया.

बाहर सब तरफ अंधेरा छाया हुआ था, लेकिन चाँद की रोशनी से कुछ कुछ दिख रहा था.
घर से दूर आते ही सोनी मेरे कंधे पर हाथ डालकर चलने लगी.

वह चलती हुई बोली- भैया हम नदी पर जाएंगे तो बहुत मजा आएगा.
मैंने भी उसके कंधे पर हाथ डालकर चलते हुए कहा- जैसा तुम चाहो सोनी. थोड़ी दूर आते ही खेत खत्म हो गए थे.

वहां पर रास्ते के बाजू में हमें एक पुराना टूटा हुआ घर दिखाई दिया जिसके ऊपर कोई छत नहीं थी और दरवाजा भी नहीं था.
हम उसके सामने से ही गुजर रहे थे तो सोनी ने मुझे इशारे से कहा कि चुप रहना.

वह दबे पाँव चलती चलती उस घर के पिछवाड़े में गयी.
मैं भी उसके पीछे चला गया.

सोनी एक छोटी सी खिड़की से अन्दर झाँककर देखने लगी.
तो मेरी भी जिज्ञासा जाग रही थी कि वहां क्या है!

मैं जाकर सोनी के पीछे खड़े रहकर देखने लगा.
अन्दर एक आदमी औरत को नीचे लिटा कर चोद रहा था.

वह औरत आंखें बंद करके आहें भर रही थी.
उसकी दोनों टांगें हवा में उठी हुई थी और वह औरत अपनी गांड उठा उठा कर मस्ती से चुदवा रही थी.

वे हमें नहीं देख सकते थे.

सोनी की नजर हट नहीं रही थी.
वो सब देखकर हम दोनों गर्म होने लगे थे.

सोनी मेरे लंड पर अपनी गांड रगड़ने लगी थी.
मेरा लंड पूरा तनाव में आने से पहले ही मैंने सोनी को पीछे से उठा लिया और वहां से दूर ले जाकर उसे नीचे छोड़ दिया.

सोनी बोली- क्या हुआ भैया? मुझे और देखना था. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

हम चलते चलते नदी किनारे जाकर एक बड़े से पत्थर पर जाकर बैठ गए.
मैंने सोनी से कहा- ऐसा देखकर तुम्हें क्या मिलेगा? वह दोनों चोरी छुपे ये सब करते हैं. हम अपने घर में आराम से कर सकते हैं.

मेरी बात पर सोनी बोली- भैया, मैं इस औरत को जानती हूँ, लेकिन वह आदमी उसका पति नहीं था. उस औरत के दो बच्चे भी हैं, फिर भी वह ये सब क्यों कर रही थी?

मैंने कहा- शायद उसका पति उसे अच्छी तरह से खुश नहीं कर सकता होगा, तो ऐसी औरत को अपनी प्यास बुझाने के लिए पराए मर्द का सहारा लेना पड़ता है सोनी. तुम ये सब अभी नहीं समझोगी. जब तुम्हारी शादी होगी, तब तुम्हें सब पता चलेगा. अब चलो यहां से, घर चलते है.

हम दोनों ऐसे ही बातें करते हुए घर पहुंच गए.
बुआ और फूफा जी सो गए थे.

हम दोनों ऊपर अपने रूम में गए और अन्दर जाते ही सोनी ने अपने कपड़े निकाल दिए.
वह एकदम से नंगी हो गयी.

मैं अपने बदन पर अंडरवियर पहने हुए ही सोने लगा तो सोनी ने मेरी अंडरवियर निकाल दी और बोली- चलो अब उस आदमी की तरह मुझे भी पेलो भैया!

यह कहती हुई उसने मुझे पीछे से चिपका लिया और दोनों हाथों से मेरा लंड हिलाकर लोहे जैसे कड़क बना दिया.
उसने बेड पर अपनी दोनों टांगें हवा में फैलाकर मुझे बेड पर खींच लिया.

मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया.
सोनी मेरा लंड पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी.

उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
जैसे ही सोनी ने मेरे लंड का गीला सुपारा आपनी गीली चूत के मुँह पर रखा, मैंने एक जोर से धक्का मारते हुए पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.

वह जोर से सिसकारियां लेती हुई कसमसाने लगी थी.
उसने मेरे दोनों गालों को नोचते हुए कहा- बहुत बेरहम हो भैया … तुमने इतनी जोर से धक्का मारकर पूरा डाल दिया. ऐसे कोई करता है क्या?
मैंने कहा- तुम ही बोली थी ना कि उस आदमी की तरह करो.

मैं उसकी दोनों चूचियां मसलते हुए बोला तो वह मेरी गांड और पीठ को सहलाती हुई बोली- उस आदमी का तुम्हारे जैसा मोटा और लंबा नहीं था भैया!
मैंने लंड अन्दर बाहर करते हुए कहा- अच्छा तो तुमने उसका साइज भी देख लिया!

तो सोनी झूठा गुस्सा दिखाती हुई मेरी गांड को थपथपाती हुई बोली- हटो भैया … कुछ भी बोलते हो तुम!

मैंने लंड से चूत में धक्के मारते हुए कहा- सोनी, उस औरत को तुम जानती हो ना? तुम उसके साथ मेरी पहचान करा दो ना.

मेरी बात पर सोनी बोली- क्यों?
मैं चुप रहा.

सोनी गांड उठाकर मेरा लंड चूत में लेती हुई बोली- अभी मुझसे दिल नहीं भरा है क्या?
तो मैंने कहा- ऐसा नहीं है सोनी, अगर मैं उसकी प्यास बुझा देता, तो वह भी हमेशा खुश रहेगी ना! मैं उसकी कुछ मदद कर दूँ … तो वह खुश होगी ना. जरा तुम उससे बात करो ना सोनी!

सोनी- मैं ऐसा काम नहीं करूंगी. पहले मेरे साथ करो, कल का कल देखा जाएगा. मेरे होते हुए उस गंदी औरत की चाहत रखते हो भैया? उसकी उम्र तो देखो!

ऐसी बातें करते करते मैं सोनी को जोर जोर से चोद रहा था.

बीस मिनट की धुआंधार चुदाई और चुदाई की बातें करते हुए हम दोनों जन्नत में सैर करने लगे थे और उसी वक्त हम दोनों एक साथ में झड़ने लगे थे.

हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया था. हम दोनों भी थककर ऐसे ही सो गए.

ऐसा ही हमारा दिनक्रम जारी था. हर रोज अपनी बेहन को चोदा मैंने!
मैं आठ दिन बुआ के घर में रहा लेकिन सोनी ने एक दिन या एक रात बिना चुदाई के मुझे नहीं छोड़ा.

मुझसे चुदवाकर वह बहुत खुश थी.
उसमें काफी बदलाव भी आ चुका था.
सोनी ने मुझे आखिरी दिन तक नहीं छोड़ा था.

जिस दिन मैं निकलने वाला था, उस दिन सुबह जागने के बाद से ही उसने मुझे चुदाई करने को मजबूर किया था.

उसका रहन सहन, सजना, बोलना, हेअर स्टाईल … सबमें बदलाव सा आ गया था.

मेरे आने से सोनी में हुए बदलाव से बुआ और फूफा भी बहुत खुश थे. लेकिन मेरा मन मुझे खाए जा रहा था कि मैंने सोनी के साथ ये सब गलत किया.

अभी मैं महीने दो महीने में जाकर सोनी की चुदाई करता हूँ. हर दिन वह मेरे साथ बातें करती रहती है.

कहानी यहीं समाप्त होती है.
 
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