Erotica बाबा का त्याग

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उस वक्त में 18 साल का था । गांव में हमारा घर था पिताजी किसान थे खुद की जमीन जयदार थी गांव के हिसाब से हम अमीर रुसकदार थे मगर कभी कबर जो होता है उसमे हमारा नियंत्रण नही होता हे।



एक दिन बकिए से हमारा जीवन बदल गया । एक दिन मजदूर और एक गांव के परिशित हमारे घर आ के खबर देता हे की बाबा खेत में अज्ञान हो कर गिर पड़े है। मां तब गोशाला में गाय का दूध निकाल रही थी । में भी घर पर ही मजूद था उस वक्त।




मां और में जल्दी से खेतो में पोहोचे गांव के जान पहचान के लोग जमा हो रखे थे उनके मदद से बाबा को हॉस्पिटल ले जाया गया और पता चला की बाबा की बाबा को हार्ट अटैक आया था और जल्द ही उनका हार्ट सर्जरी कारण पड़ेगा । मां और में बोहोत दर गए थे ।


खबर फैलते ही हमारे रिश्तेदार भी आ गए थे । पैसों की कमी नही थी और कम भी पड़े तो मददगार थे सहायता करने को लेकिन दिक्कत ये आई की बाबा की हार्ट सर्जरी के लिए खून चाहिए जो की बाबा का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था ।




और इतनी जल्दी दुर्लभ ओ निगेटिब खून मिलना बोहोत मुस्कील था हमारे रिश्तेदार में किसी का ओ निगेटिव खून नही था गांव में भी किसी का नही मिला । तब बाबा के दोस्त ने बताया की पास की गांव का एक इंसान है जिसके पास ओ निगेटिव खून है।




नरेन्द्र सिंह। जमींदार था पहले कुश्ती किया करता था अब काफी बड़ा जमींदार और ब्याबपारी बन गया है। हम जानते थे उसके बारे में । और ये भी जानते थे की बाबा और नरेन्द्र के बीच अनबन हे सदियों से अनवन चलता आ रहा है कभी ब्यापार को ले कर तो कभी जमीन को लेकर । बाबा और नरेन्द्र दूर के रिश्ते से भाई भाई थे जमीन की सीमा को लेकर जगरा चलते आ रहे हे हमारे ।




बाबा और मां का एक लौटा बेटा था में । मां बोहोत परेशान थी । मैने मां से कहा की मां में नरेन्द्र से मदद मांगने जाता हूं भले ही उनसे हमारा रिश्ता ठीक नही है पर बाबा की जान के लिए वो सायद मदद के लिए मना ना करे ।



मां बोली की नही तुम अकेले नही जाओगे में भी चलूंगा साथ ने मां और में तुरंत नरेंद्र सिंह के पास चले गए उनके आलीशान हवेली में हमने कदम रखा आंगन में ही कुस्ती का अखाड़ा था और वो चेले के साठ कुस्ती अभ्यास कर रहा था ।




हमें देखते ही वो भी हैरान था । लेकिन उसने अच्छे से अथिति सरकार किया हमे बैठक कक्ष में ले गए । नाश्ता भी हमारे लिए आयोजित किया । और कारण पूछा तो मां और मैने बाबा की तानबियत के बारे में बताया उनसे मदद की गुहार लगाई । नरेन्द्र सिंह में मुझे बेटा कह बाहर रुकने को कहा । मुझे कुछ समझ नही आया क्यू मुझे बाहर भेज रहे है पर में कमरे के बाहर निकल गया लेकिन में दरवाजे पे कान लगा के सुनने लगा की अंदर क्या बात होती है और चुपके से झांक रहा था ।





मैने देखा की नरेंद्र सिंह मां के पास आ के बैठ गया और मुसो को ताओ दे कर बोला " कजरी तुमको जो भी सहायता चाहिए वो में बैचक करूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है अगर तुम्हे मंजूर हो तो """"




मां की आंखे बड़ी हो गई उम्मीद टूटते हुए नजर आई उसे """ कैसी शर्त ""*


नरेन्द्र सिंह बोला """" कजरी याद हे वो दिन । जब में तुम्हारा हाथ मांगने गया था लेकिन तुझारा खरुज बूढ़े बाप ने मुझे गली का गुंडा कह कर लतार के मुझे घर से निकाला था। में तुमसे प्यार करता था और में तुम्हे अपनी दिल की रानी बनाना चाहता था । लेकिन तुम्हारी शादी उस भिंडी से कर दी तुम्हारे बाप ने । तुमने भी मुझसे ना कहा जब तुमसे मैने प्यार का इजहार किया था । और अब में इस मौके को जाने नही दूंगा तुम्हारी पति की जान के बदले तुम्हे एक रात के लिए मेरी बीवी बनना होगा """


मां झट से उठ गई """ पागल हो गए हे आप इतनी पुरानी बातो को लेकर आप मुझ लाचार औरत का फायदा उठा रहे है शर्म नही आती """


नरेन्द्र सिंह हसने लगा और बोला अपनी जांघ पर हाथ मार के बोला """" यहां मेरी जांघ पर तुम्हारी पति का जान हे और दरवाजे के बाहर मौत अब तुम फैसला कर लो वैसे तुम्हारे पति के पास वक्त बोहोत कम हे"""



मां भूत बन कर खड़ी रही । मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था और में कमरे में घुस कर नरेन्द्र सिंह को पीटने ही वाला था तभी नरेंद्र सिंह उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगा और ये देख कर मां बोली """ जी मुझे मंजूर हे """"




नरेन्द्र सिंह मुड़ कर खुश हो कर बोला """" बोलो कब खून देने आऊ"""



मां बोली """ जी आज शाम को हॉस्पिटल आ जाइएगा """




फिर हम विदा ले कर बाहर निकले । मुझे सबर नही हुआ और रास्ते पर ही मां से मैने कहा " मां में सब सुन रहा था आपने ऐसा वादा क्यू किया क्यू उसकी शर्त मान ली आपने """"



मां ने मेरे गुस्से को शांत किया और समझाया और कहा """" बेटा अभी तुम्हारा गर्म खून है तुम नही समझ रहे हो । तुम्हारी बाबा की जान पहले हे। येेही एक उपाय है। """


मां और मेरे बीच इस बात पर बहस हुई लेकिन मां ने मुझे चुप करवा दिया और मुझसे वादा लिया की में किसी को ना काहू ।





शाम को नरेंद्र सिंह हॉस्पिटल आ कर खून दे दिया दूसरे दिन बाबा की हार्ट सर्जरी हुई और सफल भी हुआ । एक हफ्ते के बाद नरेंद्र सिंह ने मां को एक रात के लिए हवेली बुलाया ।





शाम का वक्त था बाबा अभी भी हॉस्पिटल में थे । मां ने मुझसे कहा की बेटा में कुछ काम के लिए एक दोस्त की घर जा रही हूं काल सुबह को आऊंगी में । मैने कहा की मां मुझे पता हे आप कहा जा रही हो में भी जाऊंगा आपके साथ आपकी सुरक्षा हेतु।
 
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मां ने मुझे मानने की कशिश की मगर में नही माना तो मां आखिर में राजी हुई ।



मां अपने कमरे में तैयार हो रही थी। मुझे अजीब अजीब खयाल आ रहे है मां आज उस पहलवान नरेन्द्र सिंह से चुदेगी पता नही उस अहंकारी गुंडे किस्म के नरेंद्र सिंह को कैसे कैसे चोदेगा पूरी रात चोदेगा क्या । दिखने में तो बोहोत हट्टा कट्टा लगता है 50 की उम्र चेहरे पे भी नही दिखता ।








मन किया देखने को की मां कैसे तैयार हो रही है। में चुपके से मां की कमरे में खिड़की से झांका। मां की पीठ देखी मुझे पहली बार मां को में कामुक नजरो से देख रहा था । मां नीचे से पूरी नंगी थी लेकिन ब्लाउज पहनी हुई थी और हुक लगा रही थी। पहली बार मां की जिस्म का जायजा लिया मां की गांड बोहोत बड़ी थी और बोहोत ही सुथील गोल मोटल दिख रही थी 40 से तो कम नही होगी कमर की साइड में हल्का हल्का चर्बी जमी हुई थी बोहोत आकर्षक लग रहे थे फिर मां घूम गई और पेटीकोट पहनने लगी मैने मां की चूची का जायजा लिया वासना भरी आखों से 36 का ब्रा तो जरूर पहनती होगी । मां की चूचियां भी बोहोत बड़ी थी और कितने सुथोल मोटे मोटे बहुपेश थी मां की एकदम अकरसक थी।






मां तैयार होती हे सारी ब्लाउस पहन कर बालों को जुड़ा बनाती है मां मेकअप भी करती है ये देख कर में सोचने लगा की क्या मां भी नरेंद्र सिंह से चुदने को बेताब है इतना सझ धज के तैयार हो रही है।




शाम को मां और में नरेंद्र सिंह के हवेली गए । लगता हे उसने अपना परिवार कही भेजा था उसके बीवी बच्चे कोई भी दिखाई नही दे रहे थे नौकरों के अलावा ।





नरेन्द्र सिंह हमारा अच्छा स्वागत किया रात का खाना खिलाया । और हमे रहने को दो आलीशान कमरा तैयार कर दिया । रात के 9 बज रहे थे और में मां की कमरे की खिड़की से झांकने लगा ।





मां बिस्तर पर बैठी हुई थी नरेंद्र सिंह मां के पास बैठ के एक डायमंड की हार दे कर बोला """ कजरी ये तुम्हारे लिए देखो तो तुम्हे पसंद आता है की नही """



मां भी उस खूबसूरत हार को देख के खुश थी और शर्मीली अंदाज से जवाब दी""" बोहोत खूबसूरत हे """"



नरेन्द्र सिंह ने मां बाहों में भरा और बिस्तर पर गिरा को मां को चूमने लगा । मां ने लेकिन नरेंद्र सिंह को होठों पे चूमने नही दे रही थी मां विरोध तो नहीं कर रही थी मगर बोहोत शर्मा रही थी नरेंद्र सिंह मां की गाल चूम रहे थे और नाक मुंह रगड़ रगड़ कर बोल रहे थे """ आह कजरी तुम्हारी बदन की खुशबू कितनी अच्छी है """"




नरेन्द्र सिंह मां को चूम चूम के मां की गदरई हुई हरी भरी जिस्म पर हाथ फेरने लगा """ आह कजरी रे मेरी रानी कितना गडरा गई हो तुम कितनी दुबली थी तुम पहले लगता है वो भिंडी बोहोत लेता होगा तुम्हारा । आए हाय कितना बड़ा बड़ा हो गया हे तुम्हारी गुब्बारे"""



मां की दोनो चूचियां व्लाउड के ऊपर से मसलने लगा । मां की चेहरे पर भले ही शर्म थी लेकिन मां कसमसा रही थी नरेंद्र सिंह के बड़े बड़े हाथ मां की ठोस चूचियां मर्दन हो रहे थे । ये सब देख कर तो मेरा गला सुख गया था लेकिन मेरा लंद खड़ा हो गया था और न चाहते हुए भी अपना लन्ड मसल रहा था ।



नरेन्द्र सिंह के मूसो वालो चेहरे पर जंगली हवास दिखाई दे रहा था में सोचने लगा की पता नही किस तरह आज मेरी लाचार मां को नोच नोच के खायेगा ये भेड़िया आज ।





नरेन्द्र सिंह ने मां की ब्लाउज और ब्रा फाड़ कर अलग कर दिया मां डरी सहमी हुई बोली """" क्या कर रहे हे आप """



नरेन्द्र सिंह मां की ठंडी पकड़ के बोला """" डरो मत तुम्हे बोहोत प्यार दूंगा """"



नरेन्द्र सिंह मां की छाती गर्दन और मां की स्थल बाह चूमने लगा जीव से भी चाटने लगा ।।।।
 
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मैने देखा की मां को बगल एकदम साफ हे एक भी बाल नही । मैने मन में सोचा साला लगता हे मां भी मन से चुदाने ही आई है। मां की गोरा जिस्म नरेंद्र की लार से चमक उठा था कमरे की लाइट की रोशनी में ।





नरेन्द्र सिंह मां की बड़े बड़े चूचे हाथों में मसल के निप्पल चूसने लगा । मैने देखा की मां धीरे धीरे अपना जिस्म ढीला छोड़ रही हे मैने गौर किया की मां की सांस गर्म होने लगी है और निप्पल भी खड़े हो गए थे ।






मां कभी आंख मिच्ती तो कभी नरेंद्र सिंह को देखती मां ने दोनो हाथ फैला दिए थे पूरी तरह से नरेंद्र सिंह को अपना रसीला जिस्म शॉप चुकी थी मैंने सोचा नही था की मां इतनी जल्दी हार मानेगी ।





नरेन्द्र सिंह मां की मखमली उभरी हुई पेट मसल के चूम चाटने लगा मां की जिस्म की कसमसाहट और चेहरे पर मस्ती दिखाई दे रही थी में ये सब देख कर अपने हाथ पेंट के अंदर घुसा दिया दिमाग ने कहा की मां को देख कर ऐसा नही करना चाहिए लेकिन मेरा मन काबू में नही रहा ।





नरेन्द्र सिंह अपनी धोती और कुर्ता उतार कर नंगा हो जाता हे उसने अंदर चड्डी बनियान कुछ नही पहना था । क्या बलिष्ठ बलवान बदन था छाती पे क्या घने बाल थे कुछ कुछ सफेद हो गए थे । और उसका लन्ड तो देख के में हैरान हो गया सच मूच घोड़े जैसा था मां भी हैरान थी टुकुर टुकुर नरेंद्र सिंह की मूसल को घूर रही थी नरेंद्र सिंह ने अपना लन्ड पकड़ के मां दिखाते हुए बोला """, क्यू रानी पसंद नही आया क्या """"



मां शर्म से मुंह फेर लेती है। नरेन्द्र सिंह मां पेटीकोट और सारी खींच खींच कर निकाल कर मां की टांगे चाटने लगा मां भी मदहोशी भरी आखों से नरेंद्र सिंह को देख रही थी । नरेन्द्र सिंह जब भी मां की आखों में देख के मुस्कुराता मां शर्म से आखें बंद कर लेती ।




नरेन्द्र सिंह मां की काली पेंटी उतार कर सूंघने लगा और कहा """ आह कजरी क्या खुशबू हे रै तेरी चूत की """


मां शर्म से नरेंद्र सिंह से अपना पेंटी चीन के बिस्तर के नीचे फर्श पर फेक देती है। नरेन्द्र सिंह मुस्कुराने लगा और झुक कर मां की चूत चाटने लगा । मां की चूत फूली हुई बोहोत खूबसूरत थी मां को मजा आ रहा था लेकिन वो दिखा नही रही थी ।




नरेन्द्र सिंह ने जी भर के मां की चूत चाट कर मां की दोनो टांगे कंधे पर उठा लिया और मां की कमर के नीचे तकिया लगा के अपने लंद के सुपाड़े पे थूक लगा कर मां की चूत में घुसाने लगा । मैने देखा की मां की चूत बोहोत ज्यादा फैलती हुई घुस रही थी चूत की मुंह चारो और खींची हुई रबर की तरह लग रही थी ।




धीरे धीरे से नरेंद्र सिंह ने मां की चूत पर लंद झड़ तक घुसाने लगा मां की आंख कस के मिचि हुई थी मुंह खुला खुला का था चेहरे पर दर्द का भाव थी और नरेंद्र सिंह के चौड़े छाती पर दोनो हाथ रख के ज्यादा अंदर ना आने की विरोध जता रही थी ।




नरेन्द्र सिंह मस्ती में बोला """ आह रे कजरी कितनी टाइट है तुम्हारी चूत और इतनी गर्म क्यू है तेरा भिंडी सही से लेता नही है क्या लगता है तू तो बोहोत प्यासी है""""




नरेन्द्र सिंह मां की दोनो चूचियां सहलाने लगा मसलने लगा और निप्पल मसलने लगा और धीरे से कमर हिला के मां की चूत चोदने लगा । मां की चूत वाकई में बोहोत टाइट थी और नरेंद्र सिंह की मूसल का भी कोई जवाब नही था मोटा तो था ही लंबा भी बोहोत ज्यादा था जैसे ही नरेंद्र सिंह का मूसल पूरा घुस जाता हे मां की चेहरे पर और दर्द के लहर दिखाई देने लगा ।




मगर नरेंद्र सिंह अपनी हवास में था । कुछ मिनिट बाद मां की मुंह से आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्हह कर धीरे धीरे सिसकारियां निकलने लगी ।
 
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नरेन्द्र सिंह फिर ये देख कर ना की मोटी जांघ कस के पकड़ के खींच खींच के तान तान कर झटका देने लगा मां की आंखे बड़ी हो गई और नरेंद्र सिंह की छाती पर खोरोज मारने लगी और चीखने लगी """ ऊऊऊई मां । मर गई मां। यूईईआई मर गई । आअआंह्हह्ह मर गई """"





कितना जोशीला दृश्य था मेरे लिए मां की ऐसी ठुकाई देख के मुझे भी मजा आने लगा । मैने देखा की मां झाड़ गई और हाफंने लगी तब नरेंद्र सिंह रुक कर मां को बोला """" क्या रानी इतने में ही पानी छोड़ दी तूने """"



मां शर्म से मुंह फेर लेती है नरेंद्र सिंह मां की टांगे कंधे से उतार मां की ऊपर चढ़ के मां की बगल से हाथ घुसा कर मां को जकड़ लेता है और धीरे धीरे फिर चोदने लगा और मां की होठ चूसने लगा इस बार मां ने भी खुद अपनी होठ चूस वाने लगी और खुद भी नरेंद्र सिंह की होठ चूसने लगी और नरेंद्र सिंह के गले में सुथिल बाह जकड़ ली ।




धीरे धीरे मां की ऐंठी हुई घुट्टी हुई उन्ह्ह्हह आअआंह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कर के सिसकारियां निकलने लगी नरेंद्र सिंह फिर एक बार तेज़ी से थाप थाप कर के चोदने लता मां ने दोनो टांग नरेंद्र सिंह के कमर पर बांध ली और बोली """ आऊं धीरे आराम से आराम से आह्ह्ह"""""



मगर नरेंद्र सिंह उसी रफ्तार से चोदते हुए बोला """" तेरी जैसी माल को ऐसे ही चोदा जाता हे चिल्ला साली चिल्ला मेरी रानी """""




मां भी जोर जोर से चीखने लगी और नरेंद्र सिंह पीठ कस के पकड़ के सिर पटकने लगी """" ओहो होहोहो मर गई मां """"


कमरे में चुदाई की गीत शुरू हो गई थी मां की तेज चीख सिसकारियां उनको चूड़ियों की आवाज पायल की आवाज गर्म सांसों को आहत नरेंद्र की दम लगाने की गुर्राहट । बस बिस्तर आवाज नहीं कर रही थी बोहोत मजबूत था ।




नरेंद्र सिंह बोहोत ताकतवर था उसने दिखा दिया की वो लंबे रेस की घोड़ा हे मां बार बार झाड़ रही थी नरेंद्र सिंह जोश में होश खो रहे थे जब वो थक जाता तो तो विराम लेता लेकिन फिर शुरू हो जाता और मां को पूरी तरह से बेहाल करने के बाद मां की चूत के अंदर ही झड़ गया ।





झड़ने के बाद भी मां की चूत में लन्ड डाल के पड़ा रहा और मां की नाक में नाक रगड़ के पूछा """ प्यारी बुलबुल कैसा लगा """
।।मां शर्म से मुस्कुराती हुई मुंह फेर लेती है।



नरेन्द्र सिंह मां की इस अदा पर खुश हो कर फिर से पूछा """ बोल ना कजरी कैसा लगा अपने नए एक रात की पति का प्यार """v




मां आंख बंद के बोली"""" मुझे नही पता""""




नरेन्द्र मां की होठ चूमने लगा और मां की सुथौल बाह सहलाते हुए कान चूम के प्यार से पुछा "" बोल ना """

मां तब मुस्कुराती हुई बोली """ अच्छा था मुझे तो ऐसा लगा जैसा सच में मेरी पहली बार सुहागरात हुई हे ""



नरेन्द्र सिंह मुस्कुरा के बोला """ हुई नही हो रही है अभी तो पूरी रात बाकी हे """



मां बुरी तरह शर्मा जाती हे "" छी आप कितने गंदे हो """



नरेन्द्र सिंह मां को फीर से चूमने लगा और मां की चूची मसलने लगा मां भी उसका साथ दे रही थी जब नरेंद्र सिंह मां की गीली चूत पे उंगली करने लगा तब मां भी शर्मा कर नरेंद्र सिंह के मूसल पकड़ के सहलाने लगा ।


नरेन्द्र सिंह ने पूछा """ कैसा है मेरा छोटा चूहा"""


मां ने शर्मीले अंदाज से उसका लंद से खेलते हुए बोली """ बोहोत बड़ा हे जालिम हे बड़ा दर्द दिया """




नरेन्द्र सिंह बोला """ देखा मेरे से शादी करती तो रोज ऐसे ही मजा ले पाती तुम ।""""


मां कुछ जवाब नही देती हे नरेंद्र सिंह मां की जिस्म से फीर खेलने लगा मां की चूत चाटने लगा पूरा जिस्म चाट के गिला कर दिया मां भी अब शर्म छोड़ चुकी थी और पूरा साथ दे रही थी। ।।।जब नरेंद्र सिंह मां की गांड़ चाटने लगा तब मां बोली """ क्या कर रहे हे आप गंदी जगह पर मुंह क्यू लगा रहे हे"""



नरेन्द्र सिंह बोला """ गंदी नही हे जन्नत हे तैयार कर रहा हूं ""
 
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मां घबरा गई """ नही नही मैने वाहा आज तक नही किया है ऊपर से आपका बोहोत बड़ा है""""



नरेंद्र सिंह मां को अपनी तरफ उठा के खींचा और प्यार से मनाते हुए बोला """ अपने नए पति को ये टोफा नही दोगी क्या । में प्यार से करूंगा रानी ""


मां ना नुकूर करने लगी मगर नरेंद्र सिंह मां को मानने लगा और तेल ले कर आया और मां की नखरे के बाबजूद मां की गांड की छेद पर तेल लगा एक उंगली घुसा के अंदर बाहर करने लगा मां रोने लगी "" नही नही मत करो । आगे से जितना मर्जी करो ना आप """



नरेन्द्र सिंह प्यार से दांत लगाया मां को """, चुप । प्यार से नही देगी तो जबरदस्ती लूंगा समझी ।"""



मां चुप हो गई कुछ देर उंगली करने के बाद नरेंद्र सिंह ने पूछा मां से """ अब कैसा लग रहा है रानी """



मां हल्की मुस्कान से बोली """ अच्छा लग रहा हे मुझे पता नही था यहां पर भी मजा आता है । लेकिन मुझे दर लग रहा हे आपका बोहोत बड़ा है"""




नरेन्द्र सिंह बोला "" प्यार से करूंगा पहली बार तो थोड़ा दर्द होगा ही ना """



नरेन्द्र सिंह ने मां को कुटिया बनाया मां खुद अपने हाथों से बोहोत सारा तेल लगा दिया नरेंद्र सिंह के मूसल पर । नरेंद्र सिंह अपना लन्ड पकड़ कर मां की गांड की छेद पर टिका के दवाब दिया मां दर के मारे चीख उठी""" हाय मर गई """



नरेंद्र सिंह मां की चूतर कर थप्पड़ मार के बोला "" बबली पूछ गया ही नहीं कहे नाटक कर रही हे ""*

मां की भी मुस्कान निकल गई """ आराम से हा आप बोहोत अच्छे है"""


नरेन्द्र सिंह की भी हसी निकल गई मां की मक्खन लगाने वाली बात से और जोर से दवाब दिया तो सुपाड़ा अंदर घुसा मां ने मुह जोर से खोल दी """ आ फट गई मेरी गांड उह्ह्ह्ह्ह नही मुझसे नही होगा ""**




नरेंद्र सिंह मां की कमर कस के पकड़ के बोला """ बस थोड़ी देर में दर्द खतम हो जाएगा । थोड़ा झेल ली ""



नरेंद्र सिंह और दबाव दिया तो उसका सख्त लन्ड ही आड़ा टेड़ा होने लगा इतना बड़ा लन्ड था मां की गांड में घुस ही नही रहा था और तो वो सुपाड़े से ही मां की गांड चोदने लगा और मां दर्द से चीखने लगी आआऊआऊ मार दी उह्ह्ह् धीरे से उच्च उफ्फ हूहू """





कुछ देर बाद मां की चीख थोड़ा कम हुई फीर भी कहने लगी """ जी बोहोत दर्द हो रहा हे में मर जाऊंगी """


कुछ मिनिट बाद नरेंद्र सिंह ने लंद निकाला मां की गांड से और मां को पीठ के बल लिटा के मां की चूत में लंद घुसा के मां के ऊपर आ गया। मां मस्ती में बोली "" आह्ह्ह् यहां क्यू डाल दिया """


नरेंद्र सिंह बोला """ तू ले ही नही पा रही हे """


मां बोली "" आह्ह्ह्ह् सुना हे सुहागरात में जब तक पलंग नही टूटता तब तक असली सुहागरात नही माना जाता । आपने तो पलंग की आवाज निकाली लेकिन तोड़ा नही ""


मां की चेहरे पर कामुकता और शरारत थी नरेंद्र सिंह मुस्कुरा के बोला """ तू बड़ी सियानी है। ले फीर"""


मां की ये रूप देख के मुझे लगा की मां भी कम चुड़ककड़ नही हे बाबा से खुश नही हे मां ये तो दिख रहा हे लेकिन इतनी जल्दी एक गैर मर्द के साथ इतना खुल जायेगी सोचा नही था ऊपर से दूसमन था हमारा ।


नरेन्द्र सिंह ने लंद निकाला और इशारे से बोला मां समझ गई तो मां ने खुद उसका मूसल पकड़ के अपनी गांड की शेड पर रखा और नरेंद्र सिंह ने पूरा जोर दे कर घुसा दिया और जरा भी मां को संभालने का समय नही दिया। इस आसन में उसका लंद सुपाड़े से ज्यादा जा रहा था मां को बाहों में भर के मां की गांड चोदने लगा ।



मां दर्द से बिलबिला रही थी कराह रही थी रो रही थी """ हाय मां सच में मर गई उह्ह्ह नरेन जी धीरे धीरे। आह फट गई सच में फट गई उह्ह्ह्ह् मां मार डाला मुझे आह्ह्ह्ह्ह"""



नरेन्द्र सिंह ने कोई रहम नहीं किया और मां की गांड पेलता रहा इस बार वो ज्यादा देर नृही टिका पहली बार की तरह लगता हे मां की टाइट गांड उसका मूसल निचोड़ लिया वो मां की गांड में झड़ गया और पुक्क से उसका लंद निकल गया जब ढीला पड़ गया ।


नरेंद्र सिंह प्यार से पूछा "" कैसा लगा रानी """



मां गीली आखों से मुस्कुरा के नरेंद्र सिंह के मूसो को ताव दे कर बोली """ अफसोस हो रहा है क्यू आपसे शादी नही की । हवा निकल दी आपने मेरी """


नरेंद्र सिंह बोला """ फिक्र मत कर जब जब मौका मिलेगा तेरी जी भर प्यास बुझाऊंगा """


मां बोली """ पागल हो गए हो क्या आप । लोगो पता चल जाएगा और में बार बार अपने पति को धोखा नही दे सकती """



नरेन्द्र सिंह बोला """ एक बार दे दिया हजार बार दिया एक ही बात हे वो मत सोचो । लोगो को कुछ पता नही चलेगा तेरे पति के साथ ऐसा दोस्ती कर लूंगा की उसे भी भनक नही लगेगा और खेत वाली उस हवेली पे रोज़ चोद चोद के भोसड़ा बना दूंगा तेरी चूत और गांड का """


मां मुस्कुरा के बोली "" हाय रोज उड़ी बाबा में तो मर ही जाऊंगी """



नरेंद्र सिंह मां को जकड़ के बाहों में गाल काट कर बोला """ मन तो कर रहा हे अभी तेरी रंड की तरह चोद के तेरी फाड़ दूं """



मां भी चीनली कर के बोली "" हाय मेरे राजा फटने के लिए ही आई हूं कसम से बोहोत प्यासी हूं आप जैसा मर्द की ही जरूरत है हे मुझे """



नरेन्द्र सिंह बोला """ क्यू तेरा भिंडी तेरी प्यास बुझ नहीं पता हे """

मां मुस्कुरा के छोटी उंगली दिखा के बोली """ इत्तु सा हे दो दम में ढेर हो जाता हे """


दोनो हसने लगा ""*


नरेंद्र सिंह बोला ""अब में हूं ना तेरी ऐसी चीख निकलूंगा तेरी भिंडी भी सुन के मर्द बन जायेगा """


मां कामुक अंदाज में बोली """ हाय मां । आज की तरह मैने कभी इतना नही चिंखा आपका बोहोत बड़ा है अंदर तक घुसा के मेरी जम के ली हे आपने मान गई में आपको । आज से आप ही मेरी पति है। जब मौका मिले पटक पटक चोदना आप मुझे ""*



दोनो फिर से चुम्मा चाटी करने लगे ।

 
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