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उस वक्त में 18 साल का था । गांव में हमारा घर था पिताजी किसान थे खुद की जमीन जयदार थी गांव के हिसाब से हम अमीर रुसकदार थे मगर कभी कबर जो होता है उसमे हमारा नियंत्रण नही होता हे।
एक दिन बकिए से हमारा जीवन बदल गया । एक दिन मजदूर और एक गांव के परिशित हमारे घर आ के खबर देता हे की बाबा खेत में अज्ञान हो कर गिर पड़े है। मां तब गोशाला में गाय का दूध निकाल रही थी । में भी घर पर ही मजूद था उस वक्त।
मां और में जल्दी से खेतो में पोहोचे गांव के जान पहचान के लोग जमा हो रखे थे उनके मदद से बाबा को हॉस्पिटल ले जाया गया और पता चला की बाबा की बाबा को हार्ट अटैक आया था और जल्द ही उनका हार्ट सर्जरी कारण पड़ेगा । मां और में बोहोत दर गए थे ।
खबर फैलते ही हमारे रिश्तेदार भी आ गए थे । पैसों की कमी नही थी और कम भी पड़े तो मददगार थे सहायता करने को लेकिन दिक्कत ये आई की बाबा की हार्ट सर्जरी के लिए खून चाहिए जो की बाबा का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था ।
और इतनी जल्दी दुर्लभ ओ निगेटिब खून मिलना बोहोत मुस्कील था हमारे रिश्तेदार में किसी का ओ निगेटिव खून नही था गांव में भी किसी का नही मिला । तब बाबा के दोस्त ने बताया की पास की गांव का एक इंसान है जिसके पास ओ निगेटिव खून है।
नरेन्द्र सिंह। जमींदार था पहले कुश्ती किया करता था अब काफी बड़ा जमींदार और ब्याबपारी बन गया है। हम जानते थे उसके बारे में । और ये भी जानते थे की बाबा और नरेन्द्र के बीच अनबन हे सदियों से अनवन चलता आ रहा है कभी ब्यापार को ले कर तो कभी जमीन को लेकर । बाबा और नरेन्द्र दूर के रिश्ते से भाई भाई थे जमीन की सीमा को लेकर जगरा चलते आ रहे हे हमारे ।
बाबा और मां का एक लौटा बेटा था में । मां बोहोत परेशान थी । मैने मां से कहा की मां में नरेन्द्र से मदद मांगने जाता हूं भले ही उनसे हमारा रिश्ता ठीक नही है पर बाबा की जान के लिए वो सायद मदद के लिए मना ना करे ।
मां बोली की नही तुम अकेले नही जाओगे में भी चलूंगा साथ ने मां और में तुरंत नरेंद्र सिंह के पास चले गए उनके आलीशान हवेली में हमने कदम रखा आंगन में ही कुस्ती का अखाड़ा था और वो चेले के साठ कुस्ती अभ्यास कर रहा था ।
हमें देखते ही वो भी हैरान था । लेकिन उसने अच्छे से अथिति सरकार किया हमे बैठक कक्ष में ले गए । नाश्ता भी हमारे लिए आयोजित किया । और कारण पूछा तो मां और मैने बाबा की तानबियत के बारे में बताया उनसे मदद की गुहार लगाई । नरेन्द्र सिंह में मुझे बेटा कह बाहर रुकने को कहा । मुझे कुछ समझ नही आया क्यू मुझे बाहर भेज रहे है पर में कमरे के बाहर निकल गया लेकिन में दरवाजे पे कान लगा के सुनने लगा की अंदर क्या बात होती है और चुपके से झांक रहा था ।
मैने देखा की नरेंद्र सिंह मां के पास आ के बैठ गया और मुसो को ताओ दे कर बोला " कजरी तुमको जो भी सहायता चाहिए वो में बैचक करूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है अगर तुम्हे मंजूर हो तो """"
मां की आंखे बड़ी हो गई उम्मीद टूटते हुए नजर आई उसे """ कैसी शर्त ""*
नरेन्द्र सिंह बोला """" कजरी याद हे वो दिन । जब में तुम्हारा हाथ मांगने गया था लेकिन तुझारा खरुज बूढ़े बाप ने मुझे गली का गुंडा कह कर लतार के मुझे घर से निकाला था। में तुमसे प्यार करता था और में तुम्हे अपनी दिल की रानी बनाना चाहता था । लेकिन तुम्हारी शादी उस भिंडी से कर दी तुम्हारे बाप ने । तुमने भी मुझसे ना कहा जब तुमसे मैने प्यार का इजहार किया था । और अब में इस मौके को जाने नही दूंगा तुम्हारी पति की जान के बदले तुम्हे एक रात के लिए मेरी बीवी बनना होगा """
मां झट से उठ गई """ पागल हो गए हे आप इतनी पुरानी बातो को लेकर आप मुझ लाचार औरत का फायदा उठा रहे है शर्म नही आती """
नरेन्द्र सिंह हसने लगा और बोला अपनी जांघ पर हाथ मार के बोला """" यहां मेरी जांघ पर तुम्हारी पति का जान हे और दरवाजे के बाहर मौत अब तुम फैसला कर लो वैसे तुम्हारे पति के पास वक्त बोहोत कम हे"""
मां भूत बन कर खड़ी रही । मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था और में कमरे में घुस कर नरेन्द्र सिंह को पीटने ही वाला था तभी नरेंद्र सिंह उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगा और ये देख कर मां बोली """ जी मुझे मंजूर हे """"
नरेन्द्र सिंह मुड़ कर खुश हो कर बोला """" बोलो कब खून देने आऊ"""
मां बोली """ जी आज शाम को हॉस्पिटल आ जाइएगा """
फिर हम विदा ले कर बाहर निकले । मुझे सबर नही हुआ और रास्ते पर ही मां से मैने कहा " मां में सब सुन रहा था आपने ऐसा वादा क्यू किया क्यू उसकी शर्त मान ली आपने """"
मां ने मेरे गुस्से को शांत किया और समझाया और कहा """" बेटा अभी तुम्हारा गर्म खून है तुम नही समझ रहे हो । तुम्हारी बाबा की जान पहले हे। येेही एक उपाय है। """
मां और मेरे बीच इस बात पर बहस हुई लेकिन मां ने मुझे चुप करवा दिया और मुझसे वादा लिया की में किसी को ना काहू ।
शाम को नरेंद्र सिंह हॉस्पिटल आ कर खून दे दिया दूसरे दिन बाबा की हार्ट सर्जरी हुई और सफल भी हुआ । एक हफ्ते के बाद नरेंद्र सिंह ने मां को एक रात के लिए हवेली बुलाया ।
शाम का वक्त था बाबा अभी भी हॉस्पिटल में थे । मां ने मुझसे कहा की बेटा में कुछ काम के लिए एक दोस्त की घर जा रही हूं काल सुबह को आऊंगी में । मैने कहा की मां मुझे पता हे आप कहा जा रही हो में भी जाऊंगा आपके साथ आपकी सुरक्षा हेतु।
एक दिन बकिए से हमारा जीवन बदल गया । एक दिन मजदूर और एक गांव के परिशित हमारे घर आ के खबर देता हे की बाबा खेत में अज्ञान हो कर गिर पड़े है। मां तब गोशाला में गाय का दूध निकाल रही थी । में भी घर पर ही मजूद था उस वक्त।
मां और में जल्दी से खेतो में पोहोचे गांव के जान पहचान के लोग जमा हो रखे थे उनके मदद से बाबा को हॉस्पिटल ले जाया गया और पता चला की बाबा की बाबा को हार्ट अटैक आया था और जल्द ही उनका हार्ट सर्जरी कारण पड़ेगा । मां और में बोहोत दर गए थे ।
खबर फैलते ही हमारे रिश्तेदार भी आ गए थे । पैसों की कमी नही थी और कम भी पड़े तो मददगार थे सहायता करने को लेकिन दिक्कत ये आई की बाबा की हार्ट सर्जरी के लिए खून चाहिए जो की बाबा का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था ।
और इतनी जल्दी दुर्लभ ओ निगेटिब खून मिलना बोहोत मुस्कील था हमारे रिश्तेदार में किसी का ओ निगेटिव खून नही था गांव में भी किसी का नही मिला । तब बाबा के दोस्त ने बताया की पास की गांव का एक इंसान है जिसके पास ओ निगेटिव खून है।
नरेन्द्र सिंह। जमींदार था पहले कुश्ती किया करता था अब काफी बड़ा जमींदार और ब्याबपारी बन गया है। हम जानते थे उसके बारे में । और ये भी जानते थे की बाबा और नरेन्द्र के बीच अनबन हे सदियों से अनवन चलता आ रहा है कभी ब्यापार को ले कर तो कभी जमीन को लेकर । बाबा और नरेन्द्र दूर के रिश्ते से भाई भाई थे जमीन की सीमा को लेकर जगरा चलते आ रहे हे हमारे ।
बाबा और मां का एक लौटा बेटा था में । मां बोहोत परेशान थी । मैने मां से कहा की मां में नरेन्द्र से मदद मांगने जाता हूं भले ही उनसे हमारा रिश्ता ठीक नही है पर बाबा की जान के लिए वो सायद मदद के लिए मना ना करे ।
मां बोली की नही तुम अकेले नही जाओगे में भी चलूंगा साथ ने मां और में तुरंत नरेंद्र सिंह के पास चले गए उनके आलीशान हवेली में हमने कदम रखा आंगन में ही कुस्ती का अखाड़ा था और वो चेले के साठ कुस्ती अभ्यास कर रहा था ।
हमें देखते ही वो भी हैरान था । लेकिन उसने अच्छे से अथिति सरकार किया हमे बैठक कक्ष में ले गए । नाश्ता भी हमारे लिए आयोजित किया । और कारण पूछा तो मां और मैने बाबा की तानबियत के बारे में बताया उनसे मदद की गुहार लगाई । नरेन्द्र सिंह में मुझे बेटा कह बाहर रुकने को कहा । मुझे कुछ समझ नही आया क्यू मुझे बाहर भेज रहे है पर में कमरे के बाहर निकल गया लेकिन में दरवाजे पे कान लगा के सुनने लगा की अंदर क्या बात होती है और चुपके से झांक रहा था ।
मैने देखा की नरेंद्र सिंह मां के पास आ के बैठ गया और मुसो को ताओ दे कर बोला " कजरी तुमको जो भी सहायता चाहिए वो में बैचक करूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है अगर तुम्हे मंजूर हो तो """"
मां की आंखे बड़ी हो गई उम्मीद टूटते हुए नजर आई उसे """ कैसी शर्त ""*
नरेन्द्र सिंह बोला """" कजरी याद हे वो दिन । जब में तुम्हारा हाथ मांगने गया था लेकिन तुझारा खरुज बूढ़े बाप ने मुझे गली का गुंडा कह कर लतार के मुझे घर से निकाला था। में तुमसे प्यार करता था और में तुम्हे अपनी दिल की रानी बनाना चाहता था । लेकिन तुम्हारी शादी उस भिंडी से कर दी तुम्हारे बाप ने । तुमने भी मुझसे ना कहा जब तुमसे मैने प्यार का इजहार किया था । और अब में इस मौके को जाने नही दूंगा तुम्हारी पति की जान के बदले तुम्हे एक रात के लिए मेरी बीवी बनना होगा """
मां झट से उठ गई """ पागल हो गए हे आप इतनी पुरानी बातो को लेकर आप मुझ लाचार औरत का फायदा उठा रहे है शर्म नही आती """
नरेन्द्र सिंह हसने लगा और बोला अपनी जांघ पर हाथ मार के बोला """" यहां मेरी जांघ पर तुम्हारी पति का जान हे और दरवाजे के बाहर मौत अब तुम फैसला कर लो वैसे तुम्हारे पति के पास वक्त बोहोत कम हे"""
मां भूत बन कर खड़ी रही । मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था और में कमरे में घुस कर नरेन्द्र सिंह को पीटने ही वाला था तभी नरेंद्र सिंह उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगा और ये देख कर मां बोली """ जी मुझे मंजूर हे """"
नरेन्द्र सिंह मुड़ कर खुश हो कर बोला """" बोलो कब खून देने आऊ"""
मां बोली """ जी आज शाम को हॉस्पिटल आ जाइएगा """
फिर हम विदा ले कर बाहर निकले । मुझे सबर नही हुआ और रास्ते पर ही मां से मैने कहा " मां में सब सुन रहा था आपने ऐसा वादा क्यू किया क्यू उसकी शर्त मान ली आपने """"
मां ने मेरे गुस्से को शांत किया और समझाया और कहा """" बेटा अभी तुम्हारा गर्म खून है तुम नही समझ रहे हो । तुम्हारी बाबा की जान पहले हे। येेही एक उपाय है। """
मां और मेरे बीच इस बात पर बहस हुई लेकिन मां ने मुझे चुप करवा दिया और मुझसे वादा लिया की में किसी को ना काहू ।
शाम को नरेंद्र सिंह हॉस्पिटल आ कर खून दे दिया दूसरे दिन बाबा की हार्ट सर्जरी हुई और सफल भी हुआ । एक हफ्ते के बाद नरेंद्र सिंह ने मां को एक रात के लिए हवेली बुलाया ।
शाम का वक्त था बाबा अभी भी हॉस्पिटल में थे । मां ने मुझसे कहा की बेटा में कुछ काम के लिए एक दोस्त की घर जा रही हूं काल सुबह को आऊंगी में । मैने कहा की मां मुझे पता हे आप कहा जा रही हो में भी जाऊंगा आपके साथ आपकी सुरक्षा हेतु।