Incest बाप की हवस और बेटे का प्यार

Elite Leader

0

0%

Status

Posts

545

Likes

388

Rep

0

Bits

1,603

3

Years of Service

LEVEL 5
145 XP
मेरा नाम सुधा है. जब मेरी उम्र बीस साल थी, तभी मेरी शादी कर दी गई. मुझे मेरे चाचा चाची ने पाल कर बड़ा किया था.. क्योंकि मेरे माता पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे. मुझे दसवीं कक्षा तक ही पढ़ाया गया था और फिर मुझे घर के काम काज में लगा दिया गया.

मेरे चाचा एक दुकान चलाते थे, जिसमें उन्हें बहुत नुकसान हो गया. मगर काम को चलाने के लिए उन्होंने एक साहूकार से कर्ज़ा ले लिया, जो सूद की वजह से बढ़ता गया.. और उसे उतारना मेरे चाचा के बस की बात नहीं रही.

उस बनिये की पत्नी मर चुकी थी और उसका एक लड़का था, जिसकी उम्र इक्कीस साल की थी. वो कहीं दूसरे शहर में पढ़ता था. उसके लड़के का नाम मनोज था. वो लड़का जब भी मुझे देखता तो मुस्करा कर अपनी आँखें झुका लेता था. मुझे दिल ही दिल में उस लड़के से प्यार हो गया था.

एक दिन जब वो कहीं से आ रहा था, तो मैंने जानबूझ कर नाटक किया. जैसे ही वो मेरे पास से गुजरा, मैं ड्रामा करते हुए उसके सामने गिर गई. उसने झट से मुझे सहारा देते हुए उठाया और पूछा- अरे क्या हुआ?

मैंने कमजोरी का दिखावा करते हुए कहा- पता नहीं.. लगता है चक्कर आ गया है.

मेरी यह बात सुनकर उसने मुझे सहारा दिए रखा और जब मैंने कमजोरी का सा दिखावा जारी रखा, तो उसने मुझे गोद में उठा कर कहा- चलो मैं तुम्हें वहाँ पेड़ के नीचे लिटा दूं.

जब उसने मुझे गोद में उठाया हुआ था तो उसके हाथ मेरे मम्मों पर लगे हुए थे. उसने ज़ोर से पकड़ा हुआ था ताकि मैं गिर न सकूँ. उसका इस तरह से पकड़ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मैंने कहा- काश कि कोई तुम जैसा मुझे पूरी जिंदगी ऐसे ही उठा कर रखे.
उसने कहा- कोई क्यों मुझमें क्या कोई कमी है?
मैंने कहा- कहाँ मेरी किस्मत और कहाँ तुम.. जिसको तुम मिलोगे, वो तो बहुत किस्मत वाली होगी. मेरे नसीब में पता नहीं क्या लिखा हुआ है.
उसने कहा- तुम देख लेना.. एक दिन मैं तुम्हारी तकदीर अपनी तकदीर से मिला दूँगा.

इस तरह हम दोनों का प्यार चल पड़ा लेकिन मेरा उससे ज्यादा मिलना नहीं हो पाता था क्योंकि मैं अधिकतर घर में ही रहती थी.

कुछ ही दिनों में हमारा आपस में मिलना या एक दूसरे को देखना भी ख़त्म हो चुका था क्योंकि वो किसी दूसरे शहर में जा चुका था. मगर जाने से पहले वो मुझसे बोल कर गया था कि मैं जब पढ़ाई पूरी करके वापिस आऊंगा तो तुम्हारे चाचा से तुमसे अपनी शादी की बात करूँगा.

इधर मनोज का बाप जानता था कि मेरे चाचा उसका पैसा वापिस नहीं कर सकेंगे. यह सब जानते हुए भी उसने चाचा से पैसों का तक़ाज़ा बार बार करना शुरू कर दिया.

एक दिन चाचा ने बनिये के आगे अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- मैं आपका कर्ज़ वापिस नहीं कर सकूँगा. आप अगर चाहें तो मेरे घर पर कब्जा कर सकते हो.
उसकी नज़र शायद मुझ पर रही होगी, जिस वजह से उसने चाचा को बुला कर कहा- तुम पैसे नहीं दे सकते तो अपनी भतीजी की शादी मुझसे कर दो.
चाचा यह सुन कर उससे बोले- लाला, हम ग़रीब हैं.. मगर तुम्हें तो ज़रा समझना चाहिए ना कि वो तुम्हारी बेटी की उम्र की है.
मनोज के बाप ने कहा- उम्र से क्या होता है.. मेरी बेटी तो नहीं है ना. देखो किसी दिन अगर किसी लड़के ने उसके साथ कुछ कर दिया तो मुँह भी देखने लायक नहीं रहोगे. मैं उसे कोई भगा कर नहीं ले जा रहा. उससे शादी करके उसके साथ रहना चाहता हूँ.

रात में चाचा से मैंने सुना कि वो चाची से कह रहे थे कि बनिये ने कहा है कि मैं तुम्हारा कर्ज़ माफ़ कर दूँगा अगर तुम सुधा की शादी मुझसे कर दो. तुम्हें शादी में भी कुछ खर्च नहीं करना होगा. जो खर्च होगा.. वो भी वो ही उठाएगा.
चाची ये सुन कर बहुत खुश नज़र आईं और बोलीं- जल्दी से हां बोल दो.
चाचा उससे कह रहे थे- जानती हो वो 47-48 साल से भी ऊपर का है और अपनी सुधा अभी बीस की भी नहीं हुई है.
चाची यह सुन कर कुछ गुस्से से बोलीं- अरे तुम्हारी तो मति ही मारी गई है. हम जब सड़क पर आ जायेंगे, तब क्या करोगे. तुम सुधा की शादी तब कैसे कर पाओगे.. बताओ? ऐसा सुनहरा मौका फिर नहीं मिलेगा.
चाचा ने फिर से कहा- उसकी तोंद देखी है.. हमारी सुधा उस सांड़ के आगे बछिया है.
“अगर सांड कह रहे हो तो फिर किस बात की चिंता करते हो. मुझे लगता है कि वो सुधा को, तुमसे अच्छा ही चोद पाएगा. तुम तो एक मिनट में ही ठुस हो जाते हो.”

यह सुन कर चाचा की बोलती बंद हो गई और वो कुछ नहीं कह पाए. मगर मैं अपनी किस्मत पर रोती रही. कहाँ वो मेरे ससुर बनने वाला था और अब वो मेरा पति बनने लगा था. मुझे पूरा विश्वास था कि जब मनोज को पता लगेगा, तो वो यह शादी नहीं होने देगा.

मगर उस का बाप भी पूरा घाघ था, उसने अपने बेटे को कुछ भी नहीं बताया और मेरे साथ अपनी शादी की तैयारी शुरू कर दी. मेरी शादी को पूरी तरह से गोपनीय रखा. बस एक दिन पहले ही सभी को बताया ताकि उसके बेटे को कोई बता कर उसके रंग में भंग ना डाल दे.

अगले एक हफ्ते में ही मेरी शादी उससे कर दी गई.. जो मुझसे 27 साल बड़ा था. या कह सकते हैं कि बाप की उम्र से भी बड़ा था. शादी के बाद जब रात हो गई, तो वो मेरे पास आकर बोला- सुधा रानी, मैं तुम पर बहुत मरता हूँ.

यह कह कर उसने मेरा मुँह चूमना शुरू कर दिया और साथ ही एक एक करके मेरे कपड़े भी उतारने लगा. उसने मुझे ऊपर से पूरी नंगी करके मेरे मम्मों को अपने मुँह में लिया और बोला- आज पता नहीं कितने सालों बाद इनको देखना नसीब हुआ है.

वो पूरा खेला खाया हुआ था, इसलिए उसको मेरे जिस्म से खेलने में ज़रा भी टाइम नहीं लगा और ना ही कोई शरम जैसी आई.

मैंने अपनी सहलियों से सुन रखा था कि सुहागरात में उनके पति भी उनसे कुछ भी करने से पहले थोड़ा झिझक रहे थे. मगर यहाँ ऐसी कोई बात ही नहीं थी. कुछ देर बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया और मैं शरम से अपने हाथों को अपनी आँखों पर रख रही थी.
मगर वो तो पूरा बेशरम हो चुका था. उसने मेरे हाथों को खींच कर दोनों तरफ फैला दिए और बोला- आज हमारी चुदाई की पहली रात है, इसे ज़रा यादगार बना लेना चाहिए.

अब उसने भी अपने पूरे कपड़े उतार लिए थे मगर उसका लंड खड़ा तो हुआ मगर इतना सख्त नहीं हो सका था कि वो किसी कुँवारी चूत को खोल सके.
जब उसका लंड सख्त नहीं हुआ तो वो मुझसे बोला- आज इसको मुँह में डाल कर चूसो. कल मैं दवा खाकर तुम्हारी चूत पर खोलूंगा. फिर देखता हूँ कि कौन इस चुत को खुलने से बचा पाएगा.

मुझे उसके लुंजपुंज लंड को देख कर बहुत नफ़रत हो रही थी, मगर उसने मेरे मुँह को ज़बरदस्ती खोल कर मुझसे अपना लंड चुसवाया.

अगले दिन पता नहीं वो कौन सी दवा खाकर आया था कि उसका लंड पूरा लोहे का बना हुआ था. वो बोला- पूरे 500 की दवा खाई है और हकीम ने कहा था कि अगर ना हो पाए तो 5000 वापिस दूँगा.

मेरी चूत अभी तक चुदी नहीं थी, इसलिए इसे चुदाई के लिए कोई सख्त लंड चाहिए था.. जो आज उसके पास था.

उसने बिना टाइम गंवाए मुझे पूरी तरह से नंगी करके अपना लंड मेरी चुत के होंठों को खोल कर उस पर रखा और फिर जोर से एक धक्का दे मारा.. जिसका नतीजा यह निकला कि उसका सुपारा मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर चला गया और मेरी चुत से खून निकलना शुरू हो गया.
मैं रोने चिल्लाने लग गई- उई माँ मर गई.. मुझे छोड़ो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चाची बचाओ मुझे.
मगर वहाँ कौन था, जो मेरी सुनता. उसने कहा- रानी सब ठीक हो जाएगा तुम को पूरे मज़े मिलेंगे.

मुझे एक तो उसकी सूरत से ही नफ़रत थी और दूसरा उसने बहुत ही बेरहमी से यह सब किया, जिससे मेरी नफ़रत और बढ़ गई.
अब वो मेरी चूत में जोर जोर से धक्के मार मार कर अपना लंड अन्दर कर रहा था. कुछ देर बाद पूरा लंड मेरी चूत में समा गया. अब वो बिना कुछ सोचे समझे मुझे चोद रहा था.
कुछ देर बाद उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत से बाहर निकाला. अपने लंड का रस उसने मेरी चुत में छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही चढ़ा रहा.

चूंकि उस पर अभी भी दवा का असर था, इसलिए उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और बिना झिझके वो मेरी चूत पर फिर से सवार हो गया. इस तरह उसने दवा की गर्मी की वजह से मुझे चार बार चोदा.
सुबह उठकर वो गर्व से बोला- अगर कोई लौंडा भी होता तो भी तुम्हें इतनी बार ना चोद पाता.

फिर दिन में मुझे चाचा अपने साथ अपने घर पर ले गए और बोले कि रात को वापिस चली जाना.
चाची ने मुझसे पूछा- बोलो बिटिया कैसी रही?
मैं चाची से क्या कहती.

चाची ने मुझसे कहा कि सुनो सुधा.. एक बात ध्यान से सुन लो. यह जीवन बहुत मजबूर करता है.. कई बार जो काम हम करना नहीं चाहते हैं, वो भी करना होता है. हमारी भी मजबूरी थी, जो तुमको उसके साथ बाँध दिया. खैर अब जो हुआ वो तो हो गया. मगर मुझे यह भी पता है कि वो तुमसे पहले ही संसार को छोड़ जाएगा. इसलिए उसको अपनी चुत का रंग और मम्मों को दिखा दिखा कर उसे अपने कब्ज़े में कर लेना और हर रात उससे बोलना कि तुम मेरे पूरा ख्याल रखने का वादा करो. वो करेगा और तुम अपने आप ही नंगी होकर उससे वो सब करना, जो वो चाहता है. फिर उससे बोलना कि अगर मुझ पर पूरा ख़याल रखने का वादा किया है, तो बैंक में कुछ पैसे मेरे नाम से भी जमा करवा दो.. ताकि मुझे भी लगे कि मैं भी कोई सेठानी हूँ. हां मगर पहले नाम अपना ही रखना ताकि यह ना समझा जाए कि मेरे मन में कोई खोट है.

चाची की बात मेरे दिमाग में बैठ गई. मैं किसी मौके की तलाश में थी, मगर मुझे कोई मौका मिल ही नहीं रहा था.

क्योंकि वो रोज रोज दवाई खरीदना नहीं चाहता था. बस रात को मुझे नंगी करके पूरी गरम कर देता था और लंड उसका ढीला ही रहता था. कभी ज़रा सा खड़ा होने की कोशिश करता भी था, तो चूत के पास आते ही अपना पानी निकाल देता था. तब वो मुझे से अपना लंड चुसवाता था और मेरी चूत को चूसता था. महीने में एक दो बार ही दवा खा कर चोदता था.

यह सब अभी उसके लड़के को नहीं पता था. वो जब मिलने के लिए घर वापिस आया तो वो मुझे घर में देख कर बहुत हैरान हुआ. मगर जब उसको पता लगा कि जो लड़की उससे शादी कर सकती थी, वो उसकी माँ बन गई है तो वो बाप से लड़ते हुए अगले दिन ही वापिस चला गया.
मेरे पति को अपने लड़के के व्यवहार से बहुत दुख पहुँचा और वो बीमार पड़ गया. मैंने लड़के को फोन करके बताया भी मगर उसने कहा- मेरा कोई बाप नहीं है, मैं अब उसे नहीं देखने आऊंगा.

मैंने अपने पति से यह सब तो नहीं बताया.. मगर वो अब कुछ ज़्यादा ही बीमार हो गया और उनको हॉस्पिटल में ले गए. मगर वो बच नहीं पाया और उसका देहांत हो गया.
मेरा पति अपने लड़के के व्यवहार से बहुत दुखी था और उसने मरने से पहले सारा कुछ मेरे नाम कर दिया. उसने अपने लड़के के नाम कुछ भी नहीं किया.

जब मैं मनोज को अपने पति की मौत के बारे में बताया तो वो आया, मगर अंतिम संस्कार करके चला गया. जाते समय वो मुझसे बोला कि मैं तुमको ना तो माँ मानता हूँ और ना ही मानूंगा. मेरे बाप ने तुम्हारे नाम जो लिखा है, तुम उसे रखो.. मुझे उन पैसों को देखना भी नहीं है.

मैंने उससे जाने से पहले कहा कि अगर तुम्हारे पास समय हो.. तो मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ.
उसने कहा- बोलो क्या कहना है?
मैंने उससे कहा कि देखो तुम मुझे माँ एक बार नहीं सौ बार मत मानो. मैं भी तुम्हें कभी बेटा नहीं कहूँगी. अगर तुम समझते हो कि मैंने यह सब तुम्हारे बाप की दौलत के लिए किया है, तो तुम सब कुछ वापिस ले लो, तुम जहाँ कहोगे मैं साइन कर दूँगी. मुझे मेरे चाचा और चाची ने अपना कर्ज़ चुका ना पाने की वजह से तुम्हारे बाप के पास बेचा था. मैं तो एक बिकी हुई चीज़ हूँ, जिसे जब तक इस्तेमाल करना था किया गया. मेरा क्या है.. मैं तो केले का छिलका हूँ जब केला खा लिया, तो छिलका किस काम का. कभी समय मिले तो मेरे हालत पर भी गौर करना. मैं किन हालातों मैं यहां आई.. और किस हालत में अब रह रही हूँ. बस मुझे इतना ही कहना है.

मैं यह सब कह कर दूसरे कमरे में चली गई.

अगले दिन वो चला गया मगर जाने से पहले एक पत्र लिख कर मुझे देते हुए बोला कि इसे मेरे जाने के कम से कम चार घंटे के बाद खोलना.
मैंने उस बहुत देर बाद खोला तो उस में लिखा था.
सुधा जी,
जब मैंने आपको अपने घर पर देखा और पाया कि आप मेरी माँ की पदवी पा चुकी हैं, तो मैं दिल ही दिल में बहुत रोया और अगले दिन ही वहाँ से वापिस आ गया. जानती हैं किसलिए? क्योंकि मैं आपसे दिल ही दिल में बहुत प्यार करता था. मै तो अपने बाप से कहने वाला था कि मेरी शादी सुधा से करवा दो. मगर उससे पहले ही मेरे बाप ने आपको मेरी माँ बना दिया. यह सब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो पाया, इसी लिए मैं उनसे मिलने भी नहीं आया. मगर जब आपने कहा कि मुझसे जहाँ पर भी साइन करवाना चाहो.. करवा लो. मुझे कुछ नहीं चाहिए.. तो मेरे दिल को आपकी ये बात छू गई. और आपने कहा कि मैं तो एक बिकी हुई चीज़ हूँ.. जिसे इस्तेमाल करो और फैंक दो. मेरे बाप ने आपको इस्तेमाल किया और छोड़ कर चला गया. अब आपकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है. मगर क्योंकि उसने आपके नाम पर बहुत सा पैसा कर दिया है, इसलिए शायद आपको मेरी ज़रूरत ना पड़े.. मगर एक बात आप से बता दूं कि पैसा किसी काम नहीं आएगा.. यह आज है, कल पता नहीं कहाँ जाएगा. इस पैसे की वजह से आप देख लेना कि आपका वो चाचा, जिसने आपकी शादी मेरे बाप से करवा दी.. खुद ही आएगा, आपसे मीठी मीठी बातें करते हुए कि उसे कुछ पैसे की ज़रूरत है.

यही है जिंदगी का सत्य. मुझे उन पैसों की कोई ज़रूरत नहीं है. मैं आपको न माँ कह सकता हूँ और ना ही कह पाऊंगा.
आपका मनोज.

अब यहां कहानी बदल गई थी, मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.
 
Mink's SIGNATURE
OP
Mink
Elite Leader

0

0%

Status

Posts

545

Likes

388

Rep

0

Bits

1,603

3

Years of Service

LEVEL 5
145 XP
अभी मेरे पति गुज़रे कुछ ही दिन हुए थे कि मेरे चाचा और चाची मेरे पास आए और बोले कि लाला तुम्हारे नाम से सब कुछ कर गए है या नहीं.
मैंने कहा- बोल तो रहा था.. मगर पता करना पड़ेगा. मुझे पता लगा है कि उसका पैसा पुरखों का है और इसमें उसके बेटे मनोज का पूरा हक़ बनता है.

यह सुन कर उनका मुँह उतर गया, बोले- बेटी अगर हो सके तो कुछ पैसे हमें दे दो.. देख लो अगर तुम्हारे पास रखे हुए हो तो क्योंकि घर में खाने को भी कुछ नहीं है.
मैंने यह सुन कर उनको कुछ पैसे दिए और बोली- मेरे पास अब और नहीं हैं.. जब तक कि यह ना पता लग जाए कि पैसों को असली हक़दार कौन है. मुझसे पैसे न माँगना.
खैर उन्होंने मेरी बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और जो पैसे मुझसे लिए थे उनको लेकर चलते बने.

मैंने उसी रात मनोज से फोन पर बात की और बोली कि तुम ठीक कह रहे थे. मेरे चाचा चाची की नज़र अब जो मेरे पास है, उस पर है. तुम काग़ज़ बनवा कर मुझसे साइन करवा लो. मैं यह पैसे अपने पास नहीं रखना चाहती. वैसे भी इसके असली मालिक तो तुम्हीं हो. मैं तो तुम्हारे बाप की नज़रों में एक वस्तु थी, जिसे उन्होंने अपने पैसे के बलबूते पर खरीदा था.
उसने मुझसे कहा- मुझे सोचने का कुछ समय दो.. मैं फिर बात करूँगा. अभी तो तुम जैसा चल रहा, चलने दो.

कुछ दिनों बाद मनोज आया और बोला कि मैं दो दिनों के लिए आया हूँ. मुझसे तुम्हारी यह हालत नहीं देखी जा रही. मगर मैं भी मजबूर हूँ. चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता क्योंकि मेरा बाप बुढ़ापे में भी तुम्हारी जिंदगी खराब कर गया है. उसे समझना चाहिए था कि उसका बेटा शादी के लायक है, तब भी बेटे की शादी करने के बजाये अपनी कर ली. मुझे नहीं पता कि तुम दोनों के बीच पति पत्नी वाले रिश्ते कैसे थे. मैं इनको पूछ कर भी तुम्हें शर्मिंदा नहीं करना चाहता. जो मेरे बाप ने आपके नाम लिखा है उसे अपने नाम पर ही रहने दो और अगर कोई पूछे तो कह देना कि मनोज ने अपने नाम करवा लिया है. इससे तुमसे कोई कुछ माँगने लायक नहीं रहेगा. हाँ कुछ थोड़ी बहुत सहायता करनी पड़े तो कर दिया करना, आख़िर वो भी मजबूरी में ही तुम्हारे पास आते हैं.

मैंने उससे कुछ नहीं कहा और एक पत्र लिख कर उसे यह कहते हुए दिया कि तुम्हें उसकी कसम है, जिससे भी तुम सबसे ज़्यादा प्यार करते हो, अगर इस को वापिस घर पर पहुँचने से पहले खोला या पढ़ा.

उस पत्र में मैंने लिखा था:
मनोज (मैं तुम्हें प्रिय नहीं लिख रही हूँ क्योंकि मैं नहीं जानती कि मैं इसकी हक़दार हूँ)
यह तो तुम्हें पता ही है की मेरी शादी मेरी मर्ज़ी के बिना तुम्हारे बाप से कर दी गई थी. वो पति पत्नी के रिश्ते बनाने लायक नहीं थी. मगर फिर भी उन्होंने किसी हकीम की दवा खाकर मुझसे अपने संबंध बनाए. कुछ दिनों बाद उस दवा का असर भी कम हो गया और वो कुछ भी कर पाने के लायक नहीं रहे. मैं किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी.. और ना ही किसी और से अनुचित संबंध बना सकती थी. इसलिए मैंने खुद को अपनी किस्मत पर छोड़ दिया. शायद मेरी तकदीर ही यही है. मुझे लगा था कि आपके पिता ने मेरी शादी आपसे करने के लिए चाचा से कहा होगा. मगर जब मैंने चाची से बात करते हुए सुना तो मुझे पता लगा कि मेरे साथ क्या होने वाला है. खुद को अपनी फूटी तकदीर पर छोड़ कर मैं आपके पिता की पत्नी बन गई. उसके आगे क्या हुआ वो मैं आपको बता चुकी हूँ. अब मेरी आपसे यही प्रार्थना है कि आप जल्दी से जल्दी किसी अच्छी लड़की से शादी करके अपना घर बसा लो.
अभागी सुधा (क्या लिखू माँ? जो मुझसे नहीं लिखा जाएगा)

अभी मेरे पति को गुज़रे कुछ दिन ही हुए थे कि मेरी चाची एक दिन मुझसे बोली कि सुधा अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है. कुछ अपने बारे में सोचो.
मैंने कहा- चाची जब मेरी शादी की थी तब यह नहीं सोचा गया था? जो अब बोल रही हो.
उसने कहा- वो तो हमारी बहुत बड़ी मजबूरी थी.. मगर यह तो हम से नहीं देखा जा सकता कि तुम जवानी में इस तरह से रहो.
“फिर बताओ मैं क्या करूँ?”
चाची बोली- तुम दुबारा से शादी कर लो.
मैंने पूछा- किस से?

तब चाची ने अपने किसी रिश्तेदार का नाम बताया. मुझे पक्का पता लग गया था कि चाची उसको मोहरा बना कर सारी संपत्ति पर कब्जा करना चाहती हैं. जिस लड़के का नाम वो बता रही थीं, वो दो बच्चों का बाप था और उसकी बीवी की मौत हो चुकी थी.

यह सब सुन कर मेरा दिल चाचा चाची से पूरी तरह से टूट गया. मैंने सोचा कि अच्छा होगा अगर मैं यहाँ से कहीं और चली ज़ाऊं और फिर से नई जिंदगी शुरू करूँ.

इससे पहले मैं कुछ सोचती मुझे फोन आया कि मनोज बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल में भरती है. यह सुन कर मैं उसी समय वहाँ के लिए निकल पड़ी. जब मैं हॉस्पिटल में पहुँची तो वो बेहोश था और कुछ बुदबुदा रहा था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था.

मैंने जब अपने कान उस के पास ले जा कर सुना तो मैं बहुत हैरान हो गई. वो बोल रहा था ‘सुधा मुझे छोड़ कर ना जाओ.. तुम मेरी हो सिर्फ़ मेरी.. मुझे ना छोड़ कर जाओ.’
अब मुझे पता लगा कि वो अभी भी मुझसे उतना ही प्यार करता है, जितना पहले करता था.

डॉक्टर ने बताया कि इसको कोई दिमाग में किसी सोच ने असर किया है, जिससे यह बेहोश हो गया है. मुझे पता लगा कि वो पिछले दो दिनों से इसी तरह से है.

मैंने डॉक्टर से पूछा कि इसका इलाज़ क्या है?
डॉक्टर ने मुझे बताया कि जिसे यह याद करता है.. अगर वो इसके पास आकर इससे प्यार से बात करे, तो यह होश में आ जाएगा.

यह सुन कर मैंने सभी को कमरे से जाने के लिए कहा और उसके साथ उसी के बिस्तर पर लेट गई और बोलती रही कि मनोज मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली.. तुम होश में आओ.

मैं उसको अपनी बाजुओं में लेकर उसके साथ प्यार का पूरा अहसास कराती रही. डॉक्टर की सलाह पर मैं अपने ऊपर के कपड़े उतार कर उसे मम्मों को चुसवाती रही और वो बेहोशी की हालत में मेरे दूध चूसते हुए बोलता रहा- मुझे ना छोड़ कर जाना प्लीज़.. मुझे छोड़ कर ना जाना!

वो कई बार मेरे मम्मों को चूसते हुए ज़ोर से दबा भी देता था. मगर मैं उससे कुछ नहीं कह सकती थी कि ज़रा प्यार से दबाओ.. क्योंकि वो होश में नहीं था. यह सब में अपनी मर्ज़ी के बिना, डॉक्टर किस सलाह पर ही कर रही थी ताकि उसे होश आ जाए. पता नहीं इसकी वजह से या ऊपर वाले की मेहरबानी से, उसे होश आ गया.

जब उसे होश आया तो मैं उसकी बांहों में जकड़ी हुई थी. उसके हाथ मेरे मम्मों को दबा रहे थे, जो पूरी तरह से नंगे किए हुए थे.

मैंने जल्दी से अपनी दूरी उससे बना ली. मगर डॉक्टर ने उसे बताया कि इस लड़की ने तुम्हें होश में लाने के लिए अपनी जिस्म को नंगा करके तुम्हें सौंप दिया ताकि तुम्हें यह अहसास हो कि तुम अपनी प्रेमिका के साथ हो, वो तुम्हारे साथ ही है.. छोड़ कर नहीं गई. इस लड़की ने रात दिन तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारी जो सेवा की है.. वो शायद कोई नर्स भी नहीं कर सकती. फिर इसने तो अपना शरीर तक तुम्हें बेहोशी की हालत में इस्तेमाल करने दिया. उसे पता है कि तुम बिना जाने यह सब कर रहे हो, मगर वो बेचारी तो कई बार शरम करते हुए कोई कपड़ा अपने ऊपर करती थी, जिस से उनका नंगापन किसी को नज़र ना आए.

इस तरह से मनोज को पता लग गया था कि मैंने उसे होश में लाने के लिए क्या क्या किया था. जब हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई तो मैं उसे घर पर ले गई और बोली कि अब मुझे जाने की इज़ाज़त दो.
मनोज ने कहा- सुधा, मैं जानता हूँ कि तुमने मुझे होश में लाने के लिए क्या क्या किया है. अब तुम यहाँ से ना जाओ. मगर मैं तुमसे कोई ऐसे बात भी नहीं करूँगा, जिससे तुमको मेरे बारे में कोई मौका मिले कि मेरी सोच ठीक नहीं है.
मैंने उससे कहा- मनोज ऐसी कोई बात नहीं.. ना ही मुझे किसी का डर ही है कोई क्या कहेगा. मगर मुझे खुद से डर लगता है कि कहीं मेरे या तुम्हारे कदम डगमगा ना जाएं.
मनोज ने कहा- तुम फिकर ना करो.. मैं कभी तुम्हारे कमरे में झांकूंगा भी नहीं. तुम अब कहीं नहीं जाओगी.

इस तरह से अब हम दोनों एक ही छत के नीचे दो अजनबियों की तरह से रहने लगे. रात को वो अपना कमरा बंद कर लेता था और मुझे कह देता था कि अपना कमरा अन्दर से बंद रखना.

दिन में जब वो अपने ऑफिस चला जाता था तो मैं घर का कुछ इधर उधर का काम देख लेती थी. मगर उसने मुझसे कहा हुआ था कि मैं उसके कमरे में ना जाया करूँ.

मगर एक दिन मुझे पता नहीं क्या सूझी कि मैं उसके कमरे में चली गई और देखा कि उसके कमरे में बहुत सी अश्लील किताबें थीं और उनमें से बहुत सी फोटो वाली भी थीं. कई फोटो सिर्फ नंगी लड़कियों की थीं और कुछ में चुदाई करती हुई.

देखते देखते मुझे एक किताब हाथ में आई जो पिक्चर्स वाली थी. उसमें बहुत सी नंगी लड़कियों की फोटो थीं, जिसमें उन्होंने अपने मम्मों को दबा दबा कर दिखलाया था और कुछ ऐसी थीं, जिसमें वो अपनी चूत को खोल कर दिखा रही थीं. बहुत से चुदाई वाली थीं, जो कई तरह से चुदाई करते हुए दिखलाई हुई थीं. मगर मुझे तब बड़ी हैरानी हुई, जब मैंने एक फोटो पर उसकी और अपनी फोटो देखी, जिसमें हम दोनों चुदाई कर रहे थे. मैं यह देख कर हक्की बक्की हो गई क्योंकि आज तक मैंने तो मनोज को कभी नंगा ही नहीं देखा था, फिर यह कैसे हुआ. मैं बहुत देर तक उस फोटो को देखती रही, तब जा कर पता लगा कि उसने कम्प्यूटर की मदद से मेरा और अपना फेस उस फोटो पर लगाया था. अब मुझे पता लगा कि मनोज रोज़ रात को यही सब देखता रहता है. मैं अब उसको मना भी नहीं कर सकती थी. न ही उसको बता सकती थी कि मैं उसके कमरे में जाकर सब कुछ देख आई हूँ.

अब मेरी जवानी भी कूदने लगी और मेरी चूत भी उसका लंड लेने को बेताब हो गई.. क्योंकि मुझे पता लग चुका था कि वो मेरा दीवाना है.
मैंने अब जानबूझ कर उससे कुछ नज़दीकी बढ़ानी शुरू कर दी. जैसे कि उसके कमरे में उसके सामने जाना शुरू कर दिया. मैं उससे कहा करती कि इस कमरे से बाहर भी कोई दुनिया है. हमेशा इसी में ना रहा करो.

जब भी मैं उसके कमरे में जाती तो इधर उधर भी देखा करती थी ताकि कुछ ऐसा उसके सामने मिल जाए, जिससे मैं उससे पूछूँ कि यह सब क्या है. मगर शायद वो सब कुछ अलमारी में बंद कर के रखता था या बिस्तर के नीचे ताकि मैं ना देख सकूँ.

मैं अब अपना कमरा बंद भी नहीं करती थी और खुला रखती थी. जब वो घर पर होता था तो मैं उसी के सामने नहा कर जब बाहर आती थी, तो सिर्फ एक तौलिया ही लपेटा हुआ होता था, जो मेरे मम्मों और चूत को ढकता था. मैं जानबूझ कर तौलिया ऐसे बाँधती थी ताकि वो किसी दिन उसके सामने नीचे गिर जाए और वो मेरी चूत और मम्मों के दर्शन कर ले.

चुत को लंड की दरकार होती है तो चुदाई की कहानी बनती ही है.
 
Mink's SIGNATURE
OP
Mink
Elite Leader

0

0%

Status

Posts

545

Likes

388

Rep

0

Bits

1,603

3

Years of Service

LEVEL 5
145 XP
एक दिन जब वो घर पर ही था तो मैं उसे बोल कर गई कि मैं नहाने जा रही हूँ.. उसके बाद तुम नहा लेना और तब तक मैं नाश्ता बना दूँगी.

जब मैं नहाने गई तो मुझे लगा कि आज का दिन ही ठीक होगा मनोज को अपनी चुत का आशिक बनाने के लिए. यही सोच कर मैं जब नहा कर निकली तो तौलिया ढीला सा बँधा हुआ था, जो जोर से साँस लेने पर ही गिर सकता था. मैंने सीधा अपने कमरे में चली गई मगर जनबूझ कर अपना तौलिया इस तरह से गिरा दिया, जिससे उसकी पूरी नज़र मुझ पर पड़ जाए और वो मुझे अच्छी तरह से देख सके.

जैसे ही मेरा तौलिया नीचे गिरा, मैंने अपना पूरा चेहरा उसकी तरफ कर दिया और इस तरह से दिखाया कि जैसे वो मुझको नहीं देख रहा. मगर मैं शीशे में देख रही थी कि उसकी नज़र मेरे मम्मों और चुत पर पड़ गई है.
यह सब देख कर उसकी पैन्ट का अगले हिस्से में तंबू बनना शुरू हो गया.
मैं पूरी अनजान बन कर नंगी ही खड़ी रही और अपने बाल सवांरती रही.

उसके बाद मैंने कपड़े पहनने शुरू किए और बाहर आकर उससे कहा- अरे तुम अभी नहाने नहीं गए, मैं तो सोच रही थी कि तुम अब तक नहा चुके होगे. अब जल्दी से करो, ताकि मैं नाश्ता बना लूँ.
मगर वो उठ नहीं रहा था क्योंकि उसका लंड पूरी तरह से मेरी चूत को देखने के बाद बैठना नहीं चाहता था. उसे अब चुत ही ढीला होने के लिए चाहिए थी.
मैंने उससे कहा- अब जल्दी भी करो.
यह कह कर मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया ताकि वो यह ना समझे कि मैं उसके लंड को देख रही हूँ.

जैसे ही मैंने अपना मुँह मोड़ा, वो जल्दी से बाथरूम की तरफ भागा. जब वो बाथरूम में चला गया तो मैंने की-होल से देखा कि वो अपने लंड की मालिश करके उसका रस निकालना चाह रहा था.
यह सब देख आकर मैं रसोई में आ गई क्योंकि मुझे अब पता था कि अन्दर क्या हो रहा है. मनोज मेरी चूत को ख़यालों में रख कर अपने लंड को हिला रहा होगा.

नहाने के बाद हम दोनों ने नाश्ता किया. मैंने उससे पूछा कि आज का क्या प्रोग्राम है?
क्योंकि उस दिन रविवार था.
वो बोला- कुछ नहीं.. तुम बताओ?
मैंने कहा- मुझे मॉल में जाकर घर का कुछ सामान लाना है. तुम मेरे साथ चलोगे क्या?
वो बोला- अगर आपका हुक्म होगा तो चलूँगा.
मैंने कहा- नहीं, मेरा कोई हुक्म नहीं है.
“ओके मुझे साथ चलना होगा वरना आपको सामान उठाने में दिक्कत होगी.”
मैंने कहा- आज बहुत मेहरबान हो रहे हो. चलो फिर!
मनोज ने अपनी बाइक निकाली और बोला- बैठो.

मैं जैसे लड़के बाइक पर बैठते हैं.. दोनों तरफ अपनी एक एक टाँग डाल कर, वैसे बैठ गई.
अब वो जैसे ही बाइक को ब्रेक लगाता था, मैं उसके साथ लग जाती थी. मैंने कहा- ज़रा आराम से चलाओ.
उस पर वो बोला- तुम अपने हाथ मेरी कमर में फँसा लो.

मैं तो चाहती ही थी कि यह बोले. मैंने इस तरह से उसे पकड़ लिया कि मेरे मम्मे उसके शरीर से बार बार लगते थे. कुछ बाइक की वजह से, कुछ मैं अपने आप ही इस तरह से उससे चिपकती थी कि उसे मेरे मम्मों का पूरा पता लगे कि वो कैसे हैं.

मैंने उसे जितना गर्म कर सकती थी, करती रही. मैंने आज बहुत लो कट टॉप और जींस पहन रखी थी, जिससे उसे मेरे मम्मे कुछ ज़्यादा ही नज़र आ रहे थे. फिर उनका अहसास वो बाइक पर कर चुका था.

अब मैं जान चुकी थी कि इसको अगर एक भी इशारा मिल गया तो यह अपना लंड मेरी चुत में डाले बिना नहीं रह पाएगा. मगर मेरे दिल में अभी भी यह ख्याल था कि मैं इसके बाप से चुदी हुई हूँ. दुनिया की नज़र में मैं इसकी माँ लगती हूँ. अगर यह वासना में लिप्त हो कर मुझे चोद भी दे.. तो क्या यह मेरे साथ जिंदगी भर रह पाएगा.

यह ख़याल आते ही मैं सहम जाती थी और फिर उससे अपनी दूरी बना कर रखना चाहती थी. अब मैंने सोच लिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी, जिससे यह समझे कि मेरी चूत में इसके लंड को लेने की आग लगी हुई है.

घर आ कर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई और कुछ नहीं बोली. थोड़ी देर बाद मनोज आया और बोला- क्या बात है? लगता है आज कुछ उदास हो?
मैंने कहा- तुम सही कह रहे हो.
उसने पूछा- क्या बात है.. मुझे बताओ, शायद मैं उसका कोई समाधान निकाल सकूँ.
मैंने कहा- नहीं, तुम कुछ नहीं कर सकते. मैं अब वापिस जाना चाहती हूँ. अब मेरे लिए यहाँ कोई काम नहीं है और तुम भी पूरी तरह से ठीक हो. अब यहाँ रहना ठीक नहीं लगता.

मेरी बात सुन कर वो बहुत हैरान हुआ और बोला- क्यों ऐसे क्या बात हुई है.. जो एकदम से ऐसा सोच रही हो?
मैंने उससे कहा- देखो हमें सच्चाई के धरातल पर रहना चाहिए. ना तुम मुझे अपनी माँ मान सकते हो और ना ही मैं तुम्हें अपना बेटा मान सकती हूँ. तुम्हें भी पता है कि कुछ समय पहले हम दोनों एक दूसरे को किन नज़रों से देखा करते थे. मगर मेरी तकदीर मुझे कहाँ पर ले आई है.. यह मैं ही समझ सकती हूँ.. शायद और कोई नहीं समझ पाएगा. हम एक ही छत के नीचे किस रिश्ते से रह रहे हैं. ये ना मैं आज तक जान पाई हूँ और ना शायद तुम ही समझ सके हो. तुम भी जवान हो और मैं भी. हमारे कदम कभी भी डगमगा सकते हैं. जिसका नतीजा शायद पता नहीं क्या होगा. इसलिए तुम मुझे जाने से ना रोको.

मेरी बात सुन कर वो बोला- क्या तुम चाहती हो कि मैं फिर से दुबारा उसी तरह से बीमार हो जाऊं?
मैंने कहा- यह तो मैं मरते दम तक नहीं सोच सकती.
“सुनो सुधा तुम्हारी शादी मेरे बाप से एक समझौता था. उसने तुम्हें तुम्हारे चाचा से पैसे से खरीदा था. अगर तुम्हारे चाचा ने मेरे बाप से कर्ज़ा ना लिया होता तो क्या यह शादी हो सकती थी. शायद फिर मेरे साथ होती.. क्योंकि मैं खुद ही तुम्हारा हाथ माँगने वाला था. मैं तुम्हें अभी भी उन्हीं नज़रों से देखता हूँ. मुझे नहीं पता कि तुम्हारे दिल में क्या है. अगर खुल कर कहूँ तो मेरे बाप ने अपनी वासना को बुझाने के लिए अपने पैसे के बलबूते पर तुमसे शादी की थी. शादी दो दिलों का मिलन होता है. तुम सच सच बताओ क्या तुमने मेरे बाप को कभी अपने पति के रूप में देखा था.. या एक वो इंसान तो लड़की को नंगी करके अपनी हवस मिटाता था?”

अब मैं कुछ भी कहने लायक नहीं बची थी. मगर उसने पूछा- बताओ… एक बार मुझे बता दो कि तुमने अपने दिल से मेरे बाप को पति रूप में स्वीकार किया था.. बोलो चुप क्यों हो?
उसकी इन बातों को सुन कर मेरा रोना निकल आया.

मैं उससे बोली- मैंने तो शादी से पहले एक बार सोचा था कि क्यों ना रस्सी लगा कर खुद को फाँसी लगा लूँ. मगर नहीं कर पाई. तुम्हारा बाप तो शादी के लायक भी नहीं था. वो मेरे साथ कुछ भी नहीं कर पाया. पहले दिन फिर उसने किसी हकीम से दवा ले कर मेरा कुँवारापन मुझसे छीना. वो बिना दवा खाए कुछ भी नहीं कर पाता था. पहले कुछ दिनों तक तो दवा ख़ाता रहा, मगर उसके बाद तो उसने दवा खानी भी छोड़ दी और मुझ पर बहुत जुल्म करता था. वो सब मुझसे ना सुनो.. क्योंकि यह बात कहने और सुनने की नहीं है.

मनोज ने कहा- नहीं आज खुल कर बताओ और अपना दिल हल्का कर लो. फिर शायद तुम्हें जिंदगी भर यह मौका कभी ना मिले.
मैंने कहा- तुम्हारा बाप मुझे पूरी रात नंगी करके रखता था और बोलता था कि पैसे दिए हैं तुम्हें नंगी करने के.. अगर मैं कभी ना नुकर करती थी तो बोलता था कि नंगी हो जा.. वरना सुबह भी नंगी करके रखूँगा. मैं डर के मारे पूरी रात नंगी ही रहती थी. कभी वो अपना चूसने को बोलता था और कभी मेरी चूसता था. मगर मेरे साथ और कुछ भी करने से असमर्थ था.. मुझे पूरी रात नंगी रहने की वजह से और मेरी टांगों के बीच मुँह मारता रहता था, जिससे मैं पूरी गर्म हो जाती थी. मगर कर कुछ न कर सकती थी. अब बताओ ऐसे आदमी को कौन लड़की अपना पति मानेगी?

मनोज ने मुझे अपने गले से लगाते हुए कहा- मैं समझ सकता हूँ तुम्हारे साथ बहुत बड़ा जुल्म हुआ है. मेरे बाप ने अपने पैसों के बलबूते तुम्हारा मान-हरण किया था. सुधा तुम मेरी नज़रों में आज भी वो ही सुधा हो, जिसे कभी मैंने गोद में उठा कर एक पेड़ के नीचे लिटाया था. मैं तुम्हारी माँग में सिंदूर भर कर तुम्हें आज से ही अपनी पत्नी मानता हूँ.

यह कह कर उस ने मेरी माँग में सिंदूर भर दिया. फिर बोला- आज के बाद मुझे कभी याद ना दिलाना कि मेरे बाप ने तुम्हारे किसी भी अंग को हाथ लगाया था. वो सब एक भयानक सपना समझते हुए भूल जाओ.
मेरी आँखों से बस पानी ही बह रहा था और वो बोल रहा था- अब इन आँसुओं को बचा कर रखो.. शायद कभी ज़रूरत पड़े.
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर कहा- ऐसा कभी ना बोलना.. वरना मैं फिर से टूट जाऊंगी.

वो मुझे अभी भी अपने आगोश में लिए हुए था और मुझे पूरी तरह से कस कर गले लगा रहा था.
मैंने कहा- अब बस भी करो.
वो- बस नहीं.. अभी तो शुरू हुआ हूँ.
यह कहते हुए उसने मुझे चूमना चाटना शुरू कर दिया.

मैं बोल रही थी कि इतने दिनों तक सब्र किए हुए थे ना.. कुछ और नहीं कर सकते. जब तक तुम पूरी तरह से मेरे साथ शादी ना कर लो, तब तक तो रूको ना.
मेरी बात का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था. वो बोला कि उसने अदालत में एक फॉर्म भर कर दिया हुआ है, जिसमें हमारी शादी के बारे में लिखा हुआ है.

यह सुन कर मैं बहुत ही खुश हो गई कि इसने तो पहले से ही पूरा इंतज़ाम करके रखा हुआ है.

अब वो कहाँ रुकने वाला था. पूरी तरह से मेरे होंठों और गालों को चूम कर वो मेरे मम्मों तक पहुँचा और बिना कपड़े उतारे ही मम्मों को दबाने में लग गया.
मैंने कहा- मेरे कपड़े बहुत टाइट हैं.. ऐसे ना करो.
बोला- ठीक है, तुम इन्हें उतार दो.
मैंने कहा- नहीं अभी नहीं.
तब वो बोला- अच्छा फिर मुझे ही यह काम करना पड़ेगा.

उसने मेरे कपड़ों को उतारने की कोशिश की.. मगर वो नौसिखिया था. जब मुझे लगने लगा कि मेरे कपड़े फट जायेंगे तब मैंने कहा- अच्छा बाबा.. रूको मैं उतारती हूँ. मगर तुम दूसरे कमरे में जाओ.

उसका जवाब सुन कर मैं बहुत हैरान हो गई. उसने कहा- सुबह जब तौलिया जानबूझ कर उतार कर मुझे अपनी सारी दौलत दिखा रही थी, तब शरम नहीं आई.
मैंने कहा- मैंने तो कुछ नहीं दिखाया.
वो बोला- ज़्यादा चालाकी ना करो, मैं सब जानता हूँ. तुमने खुद ही हाथ मार कर अपना तौलिया नीचे गिराया था और और इस तरह से खड़ी हो गई कि मैं तुम्हें अच्छी तरह देख सकूँ और तुम शायद समझ रही थीं कि तुम मुझे नहीं देख रही हो. मैं जानता हूँ तुम शीशे से सब कुछ देख रही थीं. अब नखरे करना छोड़ो और खुद को मेरे हवाले कर दो.
मैंने कहा- ठीक है.. जब तुम जान ही चुके हो, तो मैं भी तुम्हें कुछ बता दूँगी ज़रा समय आने दो.

इतना कह कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और खुद को मनोज के हवाले कर दिया. वो मुझे पूरी नंगी देख कर कुछ देर तक देखता रहा.
 
Mink's SIGNATURE
OP
Mink
Elite Leader

0

0%

Status

Posts

545

Likes

388

Rep

0

Bits

1,603

3

Years of Service

LEVEL 5
145 XP
फिर बोला- सुनो. आज से यह सब कुछ मेरा है.
इतना कहते हुए वो मेरे मम्मों पर टूट पड़ा. बोला- तुम्हें नहीं पता.. मैं कितना तरसा हूँ इनको पाने के लिए. आज वो दिन आया है. आज ना मुझे रोको, मैं नहीं रुक पाऊंगा.. अच्छा तो यही होगा कि तुम भी पूरी तरह से मेरे को सहयोग दो. जिससे तुम्हें भी आनन्द आए और मुझे भी.

पता नहीं कितनी देर तक वो मेरे मम्मों को दबाता रहा और उनके निप्पल चूसता रहा. फिर वो मेरे पेट से होता हुआ मेरी नाभि तक पहुँच गया और उसको पता नहीं.. किस तरह से चूमने लगा कि मेरा सारा शरीर हिलने लगा.

मैं उससे बोल रही थी कि ज़रा रुक जाओ. मगर वो कहाँ मानने वाला था. वो बोलता जा रहा था कि आज ना रोको मुझे.. आज का दिन नसीबों से मिला है मुझे. मेरे बाप ने मुझसे जो छीना था, उसे मैंने आज पाया है. ना छोड़ूँगा इसे आज मैं.. चाहे कोई मुझे फाँसी भी लगा दे. मेरी दौलत मुझे आज मिल गई है.. इसे कैसे मैं छोड़ दूं.

उस पर आज पूरा जुनून चढ़ा हुआ था. उसे लग रहा था पता नहीं फिर यह मौका मिलेगा या नहीं.

मैंने उससे कुछ भी कहना छोड़ दिया क्योंकि वो आज मुझे पूर चबा जाना चाहता था. मैं भी बहुत खुश थी क्योंकि सालों बाद मुझे मेरा चाहने वाला मिला है, जिसका लंड अब मेरी चूत में जाने वाला है.
जैसे ही वो मेरी चुत पर पहुँच कर अपना मुँह मारने को हुआ, तो मैंने उससे कहा- यह कहाँ का इंसाफ़ है. तुम पूरे कपड़े डाले हो और मुझे पूरी नंगी कर के रखा हुआ है.
उसने कहा- सुधा जानेमन.. लो अभी इनको भी उतार देता हूँ.

जब उसने अपने कपड़े उतारे तो उसका लंड देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं. उसका लंड बहुत मोटा और लंबा था. उसके बाप का लंड तो दवा खाने के बाद भी इसके सामने बच्चा था. मुझे लगा कि आज इसका लंड लेने के बाद मेरी चूत पूरी फट जाएगी.

मेरी चूत को उसने इतना चूसा कि उसका पानी ही निकाल कर उसने दम लिया. चुत तो पानी छोड़ गई मगर उसका लंड तो अभी पूरी तरह से भूखा था.
उसने कहा- अब चुदाई शुरू करूँ या कोई मंतर पढ़ोगी?
मैंने हंस कर कहा- इसे ज़रा गीला तो करवा लो.
उसने लंड आगे करते हुए कहा- ठीक है मेरी मलिका.. जो चाहो कर लो मगर यह अब बिना अन्दर जाए नहीं मानेगा.
मैंने कहा- मैं कब मना कर रही हूँ लेने को.

यह कह कर मैंने उस का लंड चूसना शुरू किया.. मगर वो इतना लंबा था कि मुँह में एक चौथाई ही जा पाया. वो भी बड़ी मुश्किल से.

फिर मैंने लंड को बाहर से ही चाटना शुरू किया और पूरा गीला कर दिया. अब वो चिकना हो चुका था और मेरी चुत में घुसने को पूरी तरह से बेताब था.

उसने अपने लंड के सुपारे का माँस ऊपर करके लंड को चुत के मुँह पर रखा और फिर एक ज़ोर से धक्का मारा. मेरी चुत को आज पहली बार सही में कोई लंड मिल रहा था और वो भी बहुत लंबा और मोटा. उसके मोटे लंड को निगलने के लिए मेरी चूत अपना पूरा मुँह नहीं खोल पाई. मैं बिलख उठी. उसने एक बार फिर से धक्का मारा. मगर चूत आज पूरी अड़ियल बन चुकी थी. इस पर मनोज ने मेरी चूत को अपने थूक से भर दिया ताकि उसमें जरा फिसलन आ जाए.

अबकी बार उस ने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड सीधा मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा. कुछ ही धक्कों के बाद मनोज का पूरा लंड मेरी चूत में था.

अब मनोज ने मुझसे कहा- देखो आज हमारे जिस्म दो होते हुए भी एक बन गए हैं. हम दो हैं मगर तुम्हारी चूत और मेरा लंड हम दोनों को एक कर देते हैं. इसलिए आगे से मैं तुम्हारी चूत की पूरी सेवा करूँगा और तुम मेरे लंड की किया करना. जन्मों से बिछड़ों को यह चूत और लंड की मिलवाते हैं. मैं आज सबको हाज़िर नाजिर जान कर यह कसम ख़ाता हूँ कि ए चूत मैं तेरा सेवक बन कर रहूँगा पूरी जिंदगी भर. चुत की सेवा धक्कों से की जाती है. इसलिए मैं भी पूरे कस कस कर धक्के मारता हूँ तुमको, ताकि तुम्हें कहने का मौका ना मिले कि तुम्हारी तीमारदारी पूरी तरह से नहीं की गई.

लगभग 15 मिनट तक मेरी चूत को चोदने के बाद उसने अपना रस मेरी चूत में ही छोड़ दिया और मुझसे बोला कि अगर इस उपजाऊ ज़मीन पर मेरा बीज कुछ अपना कमाल दिखाएगा तो कोई बात नहीं. उसने लंड का रस निकाल कर भी मेरी चुत से अपना लंड निकाला नहीं.. जब तक कि वो खुद ही बाहर नहीं आ गया.

जब लंड बाहर आया तो मुझे दिखा कर अपने लंड से बोला- बच्चे.. अपनी दोस्त से मिला आया आज.
फिर मुझसे बोला कि यह कह रहा है कि अभी दिल नहीं भरा.. मैं फिर से उसी के साथ रहना चाहता हूँ.
उसने अपने लंड को मुझे पकड़ा कर बोला- पूछो यह क्या मांग रहा है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता मगर मेरी चुत इसको अभी भी मांग रही है.

बस फिर क्या था. मेरी बात सुन कर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने एक ही झटके में पूरा अन्दर कर दिया. मैं बहुत चिल्लाई कि ज़रा धीरे से करो.. मगर वहाँ कौन सुनता, उसे तो धक्के मारने की पड़ी थी.

दुबारा उसका लंड अपना रस निकालने में आना कानी करने लगा, जिसका नतीजा यह हुआ कि वो अपने कसे हुए धक्कों से मेरी चुत को बहुत देर तक चोदता रहा. लगभग आधा घंटा चूत की पूरी तरह से चुदाई करता रहा. फिर उसने अपना रस निकाला और लंड बाहर निकल आया.
“सुधा, मेरा दिल अभी भरा नहीं है.”
मैंने कहा- अब कभी भरेगा भी नहीं क्योंकि बहुत मुश्किलों से यह चुत तुम्हारे हाथ आई है ना. मगर अब यह तुम्हारे लंड को छोड़ कर कहीं जाने वाली नहीं.. निश्चिंत रहो. यह तुम्हारी है और तुम्हारी ही रहेगी.

बड़ी मुश्किल से मैंने उसको मनाया कि अब बाद में कर लेना, जो करना है. मैं कहीं जा थोड़ी रही हूँ.
उसने मुझे चूमते हुए कहा- ठीक है, मगर तुम कपड़े नहीं पहनोगी और ना ही मैं पहनूँगा.
मैंने कहा- यह क्या बात हुई? अगर कोई आ गया तो क्या दरवाजा नहीं खोलोगे?

बड़ी मुश्किल से मैंने उसे मनाया कि कम से कम एक गाउन तो डालने दो, जो जल्दी से उतर भी सकता है. मगर उसे ना जाने क्या हो गया था मुझे अपनी गोद में बिठा कर मुझे चूमता रहा और साथ ही बोलता रहा कि मेरे बाप ने मेरी ज़मीन पर कब्जा कर लिया. जिस पर मुझे अपना हल चलाना था, उसी पर उस ने अपना औजार चला दिया. मनोज बार बार मुझे गोद में बैठाए हुए जोर ज़ोर से गले लगाता रहा. उसने उस दिन एक मिनट के लिए भी मुझे नहीं छोड़ा.

मैंने शाम को उससे कहा- खाना नहीं खाना?
तो बोला- मेरा खाना तो आज मेरा लंड तुम्हारी चूत से ही खाएगा.

उसकी बातों से मुझे पता लग चुका था कि आज रात वो मुझे दबा कर पेलेगा. मेरा खुद का दिल भी यही चाहता था कि मनोज का लंड मेरी चुत में ही घुसा रहे मगर मैं शरम की वजह से कुछ बोल नहीं रही थी, बस उसकी बातें सुन रही थी.

फिर मुझे याद आया कि उसने अपने कमरे में बहुत से नंगी तस्वीरें रखी हुई हैं.
मैंने उससे कहा- छोड़ो ज़रा.. मुझे तुमको कुछ दिखाना है.
उसने छोड़ा, मैं उसके कमरे में उसको ले गई और झट से पलंग का गद्दा मय चादर के ऊपर उठा दिया. नीचे जो नंगी फोटो की किताबें थीं, उसे दिखा कर उससे पूछा- यह क्या है?

वो बहुत हैरान हो गया कि मुझे कैसे इस सबके बारे में पता चल गया.

फिर मैंने उसे वो फोटो दिखाई, जिस पर उसने अपनी कलाकारी करके किसी चुदाई करते हुए लड़के और लड़की के मुँह पर अपनी और मेरी फोटो लगा रखी थी.

वो बोला- सिवा इनको देख कर अपना मैं और क्या करता.. इसी तरह अपना दिल बहलाता रहता था.. इसीलिए तो मैं तुम को आज छोड़ना नहीं चाहता. मुझे तो लगता था कि तुम मुझे इस जन्म में नहीं मिलोगी. वो तो अच्छा हुआ कि मैं बीमार पड़ गया और तुम यहाँ आ गईं.. वरना तो कोई उम्मीद नहीं थी. बस यही किताबें और ये सब पिक्चर ही मेरी तन्हाई का मेरा सहारा थीं, जो पता नहीं कब तक चलनी थी. अब मुझे इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, तुम चाहो तो इनको जला दो. मुझे तुम मिल गई हो, इसलिए मुझे अब कुछ और नहीं चाहिए. यह कहते हुए वो फिर से मुझ से चिपक गया. अब मैं खुद भी उसकी बांहों से नहीं छूटना चाहती थी. मैं चाहती थी कि वो मुझे पूरी तरह से दबा कर अपने साथ चिपका ले.

उसने मुझे उस दिन खाना भी नहीं बनाने दिया, बस अपनी बांहों में ही जकड़े रखा. खाना भी किसी होटल से ऑर्डर कर दिया. जब खाना आया तो खा पी कर फिर से उसने मुझे जकड़ लिया और बोला कि आज ना छोड़ूँगा मैं तुमको, चाहे तुम कुछ भी कहो. यह तो मजबूरी है कि लंड अपना पानी निकाल कर चुत से बाहर आ जाता है और फिर कुछ समय बाद उसे दुबारा खड़ा होना पड़ता है, वरना मैं तो इसे तुम्हारी चूत में डाल कर निकालना ही नहीं चाहता.

फिर उसे पता नहीं क्या सूझी, वो बोला- सुधा, तुम अपनी चूत मेरे मुँह पर रख आकर बैठ जाओ, इससे मैं अपनी प्यारी चूत को पास से देख भी सकूँगा और चाट भी सकूँगा.

ये कह कर मनोज रसोई में चला गया और उधर से वो शहद ले कर आ गया, जिसको उसने मेरी चूत के अन्दर बाहर सब तरफ अच्छी तरह से लगा दिया. इसके बाद जैसे ही चूत को ले कर मेरे मुँह पर रखा तो वो दोनों हाथों से उसको खोल कर देखने लगा, जैसे कि वो कोई बहुत बड़ा जौहरी हो, जो हीरे की पहचान कर रहा हो.

फिर मनोज ने उस पर अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया. जैसे जैसे उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अन्दर जाती थी, मैं मस्ती से अपनी चूत को हिलाती थी.

फिर मैंने मनोज के सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया ताकि वो हिल ना पाए. इस तरह से कोई एक घंटे तक मनोज ने लगातार बार बार शहद लगा कर मेरी चूत को चूसा, जिसका नतीजा यह हुआ कि मेरी चूत के दोनों होंठ फूल गए. चूत देख कर ऐसा लगता था कि जैसे कोई पकौड़ा चूत पर रखा हुआ हो. इसके बाद उसने उस पकौड़े जैसी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया और उसको दबा दबा कर चोदने लगा.

चूत चुसवाई में ही कई बार झड़ चुकी थी अब तो शायद चुत में रस ही नहीं बचा था. मनोज के लंड का पानी भी शायद खत्म हो चुका था, जिसका नतीजा यह हुआ कि अब लंड भी बाहर तभी आता जब वो अपना पानी छोड़ता.

बहुत देर तक उसने मेरी चूत को चोदा.

अगले एक हफ्ते तक हम दोनों ने चुदाई का मजा लिया, फिर अदालत में जा कर शादी कर ली. शादी के बाद मनोज मुझे योरोप में कई जगह ले गया और लगभग पन्द्रह दिनों तक मुझे खूब घुमाता रहा और चोदता रहा. योरोप में तो कोई किसी की तरफ़ देखता भी नहीं.. क्योंकि वहाँ पर सभी लोग अपने में ही मस्त रहते हैं.. इसलिए मनोज को मेरे साथ चुदाई करने की पूरी आज़ादी मिली हुई थे. जहाँ भी जाता था, वहाँ पर वो मुझे अपनी गोद में बिठा कर मेरे मम्मों को दबा दबा कर मजा लेता रहता था.. चाहे कोई देख रहा हो या नहीं.. वो टैक्सी हो या पब्लिक बस.. या मेट्रो ट्रेन.. वो तो बस मेरे साथ मस्ती करते हुए मुझे अपनी गोद में बिठाए हुए मेरे मम्मों को मसलता रहता था. मैं यह तो नहीं कहूँगी कि मुझे मज़ा नहीं आता था मगर पहले कुछ दिनों तक मुझे यह सब खुले में करने में बहुत शरम आती थी. मगर एक दो दिनों बाद मैंने देखा कि यहाँ तो सभी यही कुछ कर रहे हैं. फिर मैं भी बेशरम होकर ज़ोर जोर से उसका लंड पकड़ कर दबा देती थी. पूरी मस्तियां करके हम लोग वापिस आ गए.

अब तो मनोज मुझे किसी दिन भी बिना चोदे हुए नहीं छोड़ता था. जब वो तीन दिन चूत लाल झंडी दिखाती थी, तो वो मेरे मम्मों के बीच में अपना लंड को डाल कर चुदाई करता था. मतलब कि उसने कसम खाई हुई थी कि किसी दिन भी मुझे नहीं छोड़ना है.

मुझे भी बहुत आनन्द था और मैं ऊपर से कहा करती थी कि छोड़ो ना जी.. आपको तो बस यही काम सूझता है.

मगर अन्दर से कहा करती थी ‘और करो दबा दबा कर.’

समाप्त
 
Mink's SIGNATURE

56,185

Members

322,426

Threads

2,702,168

Posts
Newest Member
Back
Top