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मेरा नाम पुष्पेंद्र सिंह है, आज मैं आपको अपने जीवन की एक अनोखी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं.
ये तब की बात है, जब मैं जवान हो गया था. मेरे पापा कहते थे कि जब बेटे का पैर पापा के जूते में आने लगे, तो बेटा पापा का दोस्त बन जाता है.


जब मैं 18 साल का हुआ तो मेरे पापा ने मुझे एक अनोखा गिफ्ट दिया.
उन्होंने मेरे साथ बैठ कर ड्रिंक की.


मैं थोड़ा हिचका, तो पापा ने मुझे समझाते हुए कहा- अब तू मेरा बेटा कम है, दोस्त ज्यादा है.


यह कह कर उन्होंने मुझे पहली बार अपने साथ बिठा कर दारू पीना सिखाया था.


बाद में मम्मी पापा और मैं … यानि हम तीनों ने एक साथ दारू सिगरेट का मजा लेना शुरू कर दिया.
मेरी मम्मी भी दारू सिगरेट का मजा लेती थीं.


कहने का आशय ये था कि अब मैं अपने मम्मी पापा के सामने पूरी तरह से खुल गया था.
जब पापा नहीं रहते थे तो मम्मी और मैं अकेले ही बैठ कर दारू सिगरेट का मजा ले लेते थे.


मेरी मम्मी घर में एक झीनी सी नाइटी पहन कर रहती थीं और जब वो दारू पीकर टल्ली हो जाती थीं तो मैं उनसे कहता था- पापा की डार्लिंग अब मत पियो.


जिस पर वो हंस कर मेरी गोद में लेट जाती थीं और मेरे लंड को सहला देती थीं.


इस सबसे मैं गर्म तो हो जाता था, मगर अपनी माँ के साथ मैं कुछ भी करने से हिचक जाता था.


अब मेरे पापा मुझे अपना दोस्त कहते नहीं थकते थे.


एक दिन मैंने उनसे ड्रिंक के दौरान कहा- आप मुझे अपना दोस्त तो कहते हैं, लेकिन मुझे रात में अपने कमरे में नहीं सुलाते हैं.


उस समय मम्मी नहीं थीं. मेरे पापा को मेरी यह बात न जाने क्यों चुभ गयी.


वो बोले- चलो, मैं इस बारे में तुमसे बाद में बात करता हूँ.
मैंने भी कुछ नहीं कहा.


फिर एक रात जब पापा कमरे में मम्मी के साथ लेटे थे, तो मैंने दरवाजा खटखटा दिया.


पापा ने पूछा- कौन है?
मैंने कहा- मैं हूं.


तो उन्होंने गेट खोल दिया.
उस वक्त मेरे पापा के शरीर केवल कट वाली चड्डी थी. चड्डी में पापा का लंड खड़ा दिख रहा था.


मैं अन्दर आ गया उस समय मैंने भी सिर्फ चड्डी बनियान पहन रखी थी.


जब मैं पलंग के पास गया तो मम्मी पलंग पर नंगी लेटी हुई थीं. उन्होंने मुझे अन्दर आते देखकर अपने शरीर पर चादर डाल ली थी.


वो मुझसे बोलीं- कोई काम था?
मैंने कहा- नहीं मम्मी, बस यूं ही आ गया.


मम्मी मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगीं.


मैंने कहा- पापा, मुझे आप दोनों को बिना कपड़ों के देखना है और आपके लंड और मम्मी की चुत से खेलना है.
पापा मेरी तरफ देख कर कुछ नहीं बोले.


लेकिन मम्मी बोलीं- यह क्या कह रहे हो तुम … तुम्हें होश भी है कि तुम क्या कह रहे हो?
पापा मेरी मम्मी को चुप कराते हुए बोले- अरे अपना बेटा है. मम्मी पापा को नंगा देख सकता है. तुम भी तो अपने बेटे के सामने कई बार नंगी होकर कपड़े बदल लेती हो, तो अब कैसी शर्म?


मम्मी विरोध करती हुई बोलीं- जब वह छोटा था, उसे इस सबका कुछ ज्ञान नहीं था.


जब मैं छोटा था, उस समय मेरा लंड ढंग से खड़ा नहीं होता था तो मम्मी मेरे सामने नंगी होकर कपड़े बदल लेती थीं.


कई बार मैंने पापा को मम्मी के साथ बिल्कुल नंगा लेटा भी देखा था.
पापा मम्मी के दूध चूसते रहते थे या उनके होंठों पर किस करते रहते थे.


उस समय मैं नादान था, अपने पापा के लंड से खेलता रहता था. कभी मैं पापा का लंड पकड़ कर दबा देता, तो कभी मम्मी की चुत में उंगली डालकर अपने पापा के जैसे मुँह से चुत चूस लेता था.
कभी पापा के लंड और चुत की चुम्मी ले लेता था.


तभी पापा ने मम्मी की बदन से चादर खींचकर हटा दी और अपनी चड्डी उतार दी.
पापा मम्मी के पास पलंग पर लेट गए और मुझे इशारा कर दिया.


मैंने भी अपनी बनियान चड्डी हटा दी और बिल्कुल नंगा पलंग पर पापा मम्मी के पास लेट गया.


पापा ने मम्मी को किस करना शुरू कर दिया और मैंने पापा के खड़े लंड से खेलना शुरू कर दिया.


मैंने देखा कि पापा के लंड पर एक भी बाल नहीं था. उनका काला मोटा सात इंच का लंड बड़ा मस्त लग रहा था.


थोड़ी देर में पापा के लंड को मसलता रहा. मम्मी ने अपनी गोरी चुत दोनों हाथों से ढक रखी थी.


मैंने मम्मी के दोनों हाथों को हटाकर मम्मी की गोरी चुत पर चुंबन करना शुरू कर दिया.
मम्मी की चुत पर भी बाल नहीं थे और चुत पूरी हुई लालिमा लिए हुई थी.


पापा ने कहा- जितना जी चाहे मेरे लंड से … और अपनी मम्मी की चुत से खेल लो. गौर से देखो, तुम इसी चुत से बाहर निकले हो. इसमें तुम उंगली कर सकते हो, चूत को चाट सकते हो, चूस सकते हो … लेकिन इसमें अपना लंड नहीं डाल सकते क्योंकि तेरी मम्मी की चुत पर मेरे लंड का अधिकार है.


मेरे द्वारा चुत को ताबड़तोड़ चूमने से मम्मी मस्त हो गईं और थोड़ी देर पहले तक जो उन्हें मेरे सामने नंगी होने में शर्म आ रही थीं, वह अब एकदम से खुल गई थीं.
उन्होंने अपनी दोनों टांगें फैला दी थीं. उनकी चुत खुल कर सामने आ गई थी.


मैंने दोनों हाथ से चूत को फैला कर देखा तो अन्दर लाल लाल दिख रही थी और मम्मी की चुत में से लसलसा सा सफेद रस निकल रहा था.
मैंने जीभ से चाटना शुरू कर दिया.


मम्मी की चुत चाटते हुए मैं पापा का लंड पकड़ कर जोर से दबा रहा था.
पापा भी मम्मी के दूध और होंठों का रस पीने में मस्त थे.


पापा ने जब मम्मी को पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार कर लिया, तो उन्होंने मम्मी को घोड़ी बना दिया.


अब पापा ने पीछे से अपना लंड एक ही झटके में मम्मी की चुत में डाल दिया और झटके देने लगे.


मम्मी के मुँह से आह आह आह की आवाज निकलने लगी.
मैं मम्मी की दोनों जांघों के बीच में मुँह खोल कर लेट गया.


पापा मम्मी की चुत में जो भी माल पानी निकल रहा था. मैं जीभ से चाट कर अपने मुँह में ले रहा था.


उस दिन मम्मी पापा ने अपने बेटे को चुदाई में सिर्फ चाटने चूमने में शामिल करके खूब मजा लिया.


चुदाई के बाद हम तीनों एक साथ नंगे ही सो गए.


उस दिन के बाद हम लोग हर रात ऐसे ही मजे करने लगे थे.
पापा अलग-अलग पोजीशन में मम्मी की चुत चुदाई करते थे.


रोज-रोज पापा द्वारा मम्मी की चुत चुदाई देखकर मैं बेकाबू होने लगा. पापा मम्मी की चुत चुदाई करते और मैं उनके सामने मुठ मार लेता था.


एक दिन मैंने पापा से कहा- पापा, मैं कब तक मुठ मारता रहूंगा, मुझे भी किसी की चुत चोदना है.


पापा बोले- तू अपनी जुगाड़ खुद कर … या शादी तक इंतजार कर!
मैंने कहा- पापा अब मुझसे कंट्रोल नहीं होता.


मगर इस बात पर पापा कुछ नहीं बोले.


पापा की कही हुई बात ‘अपनी जुगाड़ खुद कर …’ सुनकर मैं भी सोचने लगा.


मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं.
आंटी बड़ी खूबसूरत थीं, गोरी पतली हीरोइन जैसी लगती थीं.


आंटी की फिगर बड़ी कयामत थी. आंटी मुझे बहुत पसंद करती थीं और वो अपने किसी भी काम के लिए मुझे बुला लेती थीं.
मैं भी ख़ुशी ख़ुशी उनका काम कर देता था.


मैंने उन्हें कई मर्तबा ऐसे ऐसे कपड़ों में देखा था कि उन कपड़ों में आंटी की जवानी मस्त छलकती थी.
मगर मैंने अब तक उनकी तरफ चुदाई की नजर से नहीं देखा था.


पर अब मेरी नजर उन पर टिक गई. उनको देखकर मैं उनकी चुत चोदने की सोचने लगा था.
लेकिन मुझे मौका नहीं मिल रहा था.


कई दिनों तक उनको देखकर मुठ मारता रहा था. सपने में भी उनकी चुत चुदाई कर लेता था लेकिन प्रत्यक्ष में मुझे कभी मौका नहीं मिला.


एक दिन आंटी के दोनों बच्चे और पति बाहर गए थे, घर में आंटी बिल्कुल अकेली थीं.


उन्होंने मेरी मम्मी से मुझे रात में अपने घर सोने के लिया कहा, तो मम्मी ने हां कर दी और मुझसे आंटी के घर में सोने का कह दिया.


मुझे तो मन मांगी मुराद मिल गयी थी.
मैं तैयार हो गया.


रात में मैं लोअर टी-शर्ट पहन कर आंटी के घर पहुंच गया.


थोड़ी देर टीवी देखने और इधर उधर की बातें करने के बाद आंटी ने मुझे एक कमरे में सुला दिया.
वो खुद अपने बेडरूम में सो गईं. इससे तो मेरा पूरा प्लान ही चौपट हो गया.
मुझे नींद ही नहीं आ रही थी.


थोड़ी देर में उठा और मैं आंटी के बेडरूम में पहुंच गया.
आंटी काली नाइटी पहने पलंग पर लेटी थीं.


मुझे देख कर आंटी बोलीं- बेटा क्या बात है … तुझे कुछ चाहिए?
मैंने कहा- आंटी, मुझे अकेले सोने की आदत नहीं है.


आंटी- तो ठीक है, मेरे पास आकर सो जा.
मैं आंटी के पास पलंग पर लेट गया.


आंटी चित लेटी थीं और उनकी नाइटी से सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था. आंटी ने ब्रा नहीं पहनी थी लेकिन चड्डी पहनी थी. चड्डी में आंटी की चुत उभरकर साफ सामने दिख रही थी.


यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं हाथ बढ़ा कर आंटी की चुत को मसलने लगा.


आंटी ने मुझे चोर निगाह से देखा और बोलीं- लोअर पहन कर नींद नहीं आ रही होगी, इसे उतार दे.
मैंने कुछ नहीं कहा.


तो आंटी बोलीं- चल मैं ही तेरा लोअर उतार देती हूँ. लोवर पहन कर नींद नहीं आएगी … तुम सिर्फ चड्डी पहन कर सो जाओ. मेरे सामने शर्म कैसी.


बस आंटी ने मेरा लोअर एक झटके में ही आधा उतार दिया.


मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहन रखी थी इसलिए मैं नंगा हो गया. मैंने आंखें बंद कर लीं और अपने लंड को दोनों हाथों से छुपा लिया.


आंटी बोलीं- यह क्या … तू चड्डी नहीं पहनता क्या?
मैंने कहा- आंटी आज चड्डी गीली हो गई थी … इसलिए नहीं पहनी.
आंटी बोलीं- कोई बात नहीं.


उन्होंने मेरा लोअर फिर से ऊपर चढ़ा दिया. इस दौरान आंटी ने मेरा लंड भी हल्के से दबा दिया.


मैं समझ गया कि अब रास्ता क्लियर है. मैं आंटी की गांड से लंड चिपका कर लेट गया.
मेरा लंड आंटी के चूतड़ों की दरार में घुस कर उनकी गांड से रगड़ रहा था.


आंटी कुछ नहीं बोलीं और सो गईं.


थोड़ी देर में मैंने आंटी का गाउन धीरे-धीरे ऊपर को सरकाना शुरू कर दिया.


आंटी की गोरी गोरी जांघें देखकर मेरी तबियत मस्त हो गई. मैंने जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया.


धीरे धीरे मैं आंटी की चुत तक पहुंच गया. उनकी चड्डी के ऊपर से चुत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.


आंटी ने मेरा हाथ हटा दिया.


थोड़ी देर तो मैं शांत रहा, मगर मैंने फिर से आंटी की चुत पर अपना हाथ रख दिया और धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया.


आंटी की मोटी चुत देखकर मेरा बुरा हाल था. मेरा लंड चड्डी फाड़ने पर उतारू था.
मैंने धीरे से आंटी की चड्डी में हाथ डाल दिया और चुत पर हाथ फेरने लगा.


आंटी की तरफ से कोई विरोध नहीं था.


फिर मैंने अपनी एक उंगली आंटी की चुत में डाल दी, आंटी की चुत गर्म थी और पानी छोड़ चुकी थी.
मैं समझ गया कि आंटी अपनी चुत चुदाई के लिए तैयार हैं.


मैंने धीरे-धीरे करके आंटी की चड्डी उतार दी और देखने लगा.
आंटी की गोरी गोरी चुत देखकर मैं मस्त हो गया.


इधर आंटी गहरी नींद में सोने का ड्रामा कर रही थीं.


मैंने आंटी की दोनों टांगें फैलाकर उनकी चुत को गौर से देखा और अपनी जीभ से चुत चाटने लगा.


थोड़ी ही देर में आंटी के मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं लेकिन वो अभी भी सोने का नाटक कर रही थीं.


मैंने आंटी का गाउन ऊपर करके उनके चूचे दबाने शुरू कर दिए और मुँह लगा कर चूचुक चूसने लगा.


आंटी को भी मजा आ रहा था लेकिन वह चुपचाप लेटी रहीं.


मैंने अपना लोअर बनियान उतार दी और नंगा हो गया.
फिर आंटी की दोनों टांगें फैलाकर अपना लंड चुत पर घिसने लगा और एक ही झटके में आंटी की चुत में लंड पेल दिया.


आंटी ने एक बार हल्की सी आवाज में ऊंह किया और मैं झटके देने लगा.


मेरा लंड भी मेरे पापा की तरह 4 इंच मोटा और 7 इंच लंबा था.
आंटी भी अपनी चुत चुदाई का मजा लेने लगीं.


पंद्रह मिनट बाद मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और चुत पर माल पानी छोड़ दिया.


झड़ने के बाद मैं आंटी के पास में ही नंगा लेट गया.


आधा घंटा के बाद मेरा लंड फिर से संभोग के लिए मचल गया.


इस बार मैंने आंटी की गांड चुत चुदाई करने का मन बना लिया.


आंटी चुत चुदाई के बाद भी ऐसी ही सोने का नाटक करती रहीं.


मैंने आंटी को करवट दिलाई और उनकी चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.
दूसरी उंगली से थूक लगाकर आंटी की गांड में उंगली करना शुरू कर दिया.


थोड़ी देर में आंटी को औंधा कर दिया और उनकी गांड ने ढेर सारा थूक लगा दिया.
मैंने आंटी की गांड में अपना लंड सैट किया और एक ही झटके में आंटी की गांड में लंड पेल दिया.


आंटी के मुँह से चीख निकल गई.
मैंने आंटी का मुँह दबा दिया और जोर जोर से झटके देने लगा.


आंटी आंह उन्ह करती रहीं और मैं दबादब गांड मारने लगा.


पन्द्रह मिनट की गांड चुदाई के बाद मैंने आंटी की गांड में ही अपना बीज छोड़ दिया.


आंटी इस तरह की गांड चुत चुदाई से लस्त हो गयी थीं और आंखें बंद करकी ऐसे ही पड़ी रहीं.


मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपना लंड साबुन से धोया क्योंकि बिना कंडोम के पहली बार मैंने किसी की गांड चुत चुदाई और संभोग किया था.


इसके बाद मैं आंटी के बाजू में सो गया.


सुबह आंटी उठीं और मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखने लगीं.


मैं जाग गया था तो मैंने आंटी को अपनी बांहों में खींच लिया और उन्हें बेख़ौफ़ चूमने लगा.


आंटी बोलीं- रात को इतना चोद लिया … फिर भी तेरा मन नहीं भरा क्या?


मैंने कहा- आपको मजा आया?
आंटी बोलीं- हां बहुत मजा आया.


मैंने कहा- रात को तो आपने मेरा साथ दिया ही नहीं था. अब सुबह से एक बार पूरा मजा दे दो.


आंटी बोलीं- हां यार, एक बार फिर से करो … मुझे भी खुल कर चुदाई का मजा लेना है.


मैंने आंटी को पूरी नंगी किया और उनके ऊपर चढ़ गया.
इस बार हम दोनों ने खुल कर चुदाई का मजा लिया.


अब आंटी मेरी जुगाड़ बन गई थीं.
मैंने पापा को अपने दोस्त की हैसियत से सब बता दिया.


पापा बोले- मेरी भी सैटिंग करवा दो.
मैंने हंस कर कहा- आपके पास मम्मी हैं आप उन्हीं से मजा लो.


पापा हंस पड़े.


तब मैंने कहा कि मैं आंटी से बात करूंगा, यदि वो राजी हो गईं तो हम दोनों मिलकर चुदाई का मजा लेंगे.
 
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