Incest पापी परिवार की पापी वासना

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राज को जैसे इसी घड़ी का इंतजार था। उसकी बहन भी अब तैयार थी! पलक झपकाते ही उसने अपने लन्ड को निशाने पर दागा और करारा जहटका दे कर अपने हैवानी लन्ड को डॉली की चूत में गहरा उतार दिया।

“अमममम :: : उंघ! उंघ! उ उ उ उ हह, या ऊपर वाले! राज !”, राज का लन्ड जैसे ही टट्टों तक उसकी चूत के आगोश में समाया, तो सोनिया की चूत में ढूंसे हुए डॉली के मुँह से चीख निकली।

राज हमेशा से अपनी जुड़वाँ बहन की चूत की टाइट गिरफ़्त का कायल था। चाहे जितनी बार उसे चोद ले, उसके लन्ड पर हर वक़्त ऐसा एहसास होता था जैसे एक गरम, मखमली म्यान में जकड़ा हुआ हो! जिस वहशियाना रफ़्तार से उसका भाई अपने कमाल के मोटे लन्ड से उसकी चूत को चोद रहा था, उसी रफ़्तार से डॉली सोनिया की लिसलिसाती चूत में अपनी जुबान चलाती हुई राज के जिस्म के नीचे कराह और ऐंठ रही थी। ऐसा लगता था कि उसकी कोख राज के मजबूत लन्ड से भर गयी यै और हर दफ़ा जब उसका फूला सुपाड़ा कोख़ पर लगता था, तो उसके सारे बदन में एक तेज और खुशगवार झटका दे जाता था।

या भगवान! राज चोद मुझे ! और तेज ! आँह आँह आँह! क्या लन्ड है!” जैसे उसका भाई उसकी कंपकंपाती चूत को लम्बे, गहरे और ताकतवर झटके मार कर चोदे जा रहा था,

डॉली को अपना मुंह सोनिया की चूत पर कायम रखने में और दिक्कत हो रही थी। डॉली ने अपने मुं से नये जोश के साथ सोनिया की चूत में खौफ़नाक हरकत जारी रखि। वो सोनिया की चूत के लाल, लिसलिसाते माँस चो चाटती हुई अपनी जुबान को चूत में गहरा घुसा रही थी। सोनिया ने अपने कुल्हे नीचे को दबा कर डॉली के ऊपार ताकते चेहरे पर और कसा और अपने मखमली पेड़ को उसकी गरम टटोलती जुबान पर मसलने लगी। । “ओहहहहह ! डॉली! बढ़िया! चाट मेरी चूत हरामजादी! मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद !” हवस में दीवानी होती लौन्डिया ने कराहते हुए कहा।

सोनिया के नारंगी जैसे गोल पुख्ता और रसीले मम्मे राज के चेहरे के सामने ऊपर-नीचे झुलते हुए उसे ललचा रहे थे। बहन की चूत में अपने लन्ड की दनादन रफ़्तार को कम किये बगैर, राज आगे को झुका और सोनिया के एक सख्त, गुलाबी निप्पल को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा। सोनिया मस्ती से चीख पड़ी। अब उसके जवाँ जिस्म को दो मुँह चाट - चाट कर मचला रहे थे। ऐसी मस्ती उसके बर्दाश्त के बाहर थी!

“दोनों भाई-बहन कितने हरामी हैं! ओहह ओहह! उंह हा! राज मैं झड़ रही हूं! उंह आँह! डॉली चोचले को भी चूस! आँह आँम्ह आँह !” |

डॉली ने जब उसके धड़कते हुए चोंचले को अपने मुँह के अंदर लेकर एक छोटे से कड़क लन्ड की तरह चूसना चालु किया और अपने गाल पर सोनिया की जाँघों की माँसपेशियों को सिकुड़ते और कसते हुए महसूस करने लगी।

साथ ही राज ने भी अपने हाथ को सोनिया के निप्पल से ऊपर सरका कर पहले उसकी भींची हुई गर्दन पर सहलाया, फिर उसके खुले मुँह की ओर बढ़ाने लगा। सोनिया ने अपने मुँह को राज के मुँह पर झुकाया, दोनों के मुँह एक दूसरे से चिपके और दोनों जुबाने चूसने, टटोलने और आपस में रगड़ने ल गीं।
 
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सोनिया अपनी चूत को अपनी जाँघों के बीच चूसते मुंह और मचलती जीभ पर दबाती हुई राज के कुचलते चुंबन में जोर से कराहती हुई झड़ने लगी। सोनिया की चूत ने डॉली के मुँह को गरम, मलाईदार रिसाव से लबालब कर दिया, जिसे डॉली ने भी बड़ी खुशी से चाट लिया और उसकी चूत से आखिरी बूंद को भी निगल गयी।

जैसे सोनिया के जिस्म के धधकते शोले ठंडे पड़ने लगे, उसने अपनी टपकती चूत को डॉली के रिसाव से लथे हुए मुँह से उठाया और वहीं बिस्तर पर चकनाचूर हो कर पड़ गयी।

“लौन्डिया, कैसी रही चुदाई ?”, राज ने पूछा।

सोनिया ने मदहोश हो कर ऊपर देख और गौर किया कि राज उसकी आनन- फानन फैली हुई चूत पर और उसकी लाल - लाल गहराईयों में से चुहुते हुए गाढ़ेरिसाव पर नजरे गाड़े था।

ओह, बढ़िया थी! चुदाई में मजा आ गया !”, लौन्डिया को चुदाई के बाद वाकई बड़ा इतमिनान मिला था।

मेरा लन्ड तो रॉकेट की तरह सर्र - सर्र झड़ रहा था!”, राज ने सोनिया के बचकाने उतावलेपन पर मुस्कुराते हुए कहा।

राज का लन्ड अब भी डॉली की चूत के अंदर पुरजोर फुदक रहा था। अब जो सोनिया की चूत उसके मुंह पर नहीं दबी हुई थी, डॉली अब अपना पूरा ध्यान उसकी कोख में ठंसे हुए लम्बे मोटे लन्ड पर लगा सकती थी। राज के हैवानी लन्ड को जैसे अपनी अंतड़ियों पर महसूस कर सकती थी वो। उसकी चूत के माँस पर लन्ड की गर्मी का एहसास होता था। अपनी कोख़ के दर पर लगातार खटखटाता सुपाड़ा उसके रग रग को गुदगुदा रहा था, खासकर उसके मुंमों को। उसने अपने हाथों को ऊपर कर के राज का सर बाँहों में लिया और अपने धौंकते मम्मों के दरम्यान रख दिया। उसके चाटते मुंह को पकड़ कर एक निप्पल से दूसरे निप्पल पर लगाने लगी। जल्द ही उसके दोनों मम्मे राज की थूक से सन गये। डॉली ने हवस से भरे लहजे में कराह कर कहा, “राज , मुझे और चोद! कस के चोद! हमेशा कि तरह चोद चोद कर झड़ा दे!”

राज ने अपनी बहन के चेहरे पर बेपनाह बेटाबी देखी। मारे जुनून के डॉली उसकी पीठ पर अपने नाखून गड़ाती हुई अपने पूर बलबूते से चूत को रौंद रही थी।

बहुत हो चुका डॉली बह!”, वो गुर्राया, “अपनी टांगें ऊपर कर, हम सोनिया को असली चुदाई का नमूना दिखाते हैं !”

डॉली ने बात मानते हुए अपने घुटनों को फैला कर चौरा किया और अपनी टपकती चूत को पूरी तरह से खोल दिया। सोनिया तो डर रही थी कि राज का लन्ड उसकी बहन की चूत को फाड़ ही देगा, पर डॉली तो ऐसी ताबड़-तोड़ चुदाई की आदी थी। उसे भरोसा था कि उसकी चूत भाई के लन्ड के इन्च - इन्च को झेल सकती है! राज के लन्ड के हर फुख्ता ठेले के साथ राज का पेड़ छप्प-छप्प कर के सोनिया के चोंचले से मसल रहा था जो उसके तन-बदन में हवस की लहरें उठाये देता था। |

सोनिया ये देख कर हैरान थी कि किस जंगली जोश से राज अपनी सगी बहन को चोद रहा है! उसे ये पूरा हादसा गैर - काबिल-ए-यक़ीन सा लगता था। उसका गीला, लिसलिसा लन्ड इतनी फुर्ती डॉली की तसल्ली से फैलायी हुई चूत में सिलसिलेवार हरक़त कर रहा था कि उसे जाँघों के बीच बस एक मोटी, काली धुंधलाहट सी ही धिख पा रही थी। राज का लन्ड उस टाइट म्यान की गिरफ्त में कैद था, और सोनिया बड़ी हैरात से चूत के सुर्ख होंठों को राज के लम्बे, मोटे अंग को एक छोटे से मुंह की तरह चूसते हुए देख रही थी। बेखुदी से सिसकियाँ भरते हुए डॉली अपने भाई के रौंदते लन्ड के हर झटके के साथ अपने कूल्हे ऊंचे उठा कर अपनी फैल कर खोली हूई चूत को उस पर धकेलती जा रही थी।
 
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सोनिया ये देख कर हैरान थी कि किस जंगली जोश से राज अपनी सगी बहन को चोद रहा है! उसे ये पूरा हादसा गैर - काबिल-ए-यक़ीन सा लगता था। उसका गीला, लिसलिसा लन्ड इतनी फुर्ती डॉली की तसल्ली से फैलायी हुई चूत में सिलसिलेवार हरक़त कर रहा था कि उसे जाँघों के बीच बस एक मोटी, काली धुंधलाहट सी ही धिख पा रही थी। राज का लन्ड उस टाइट म्यान की गिरफ्त में कैद था, और सोनिया बड़ी हैरात से चूत के सुर्ख होंठों को राज के लम्बे, मोटे अंग को एक छोटे से मुंह की तरह चूसते हुए देख रही थी। बेखुदी से सिसकियाँ भरते हुए डॉली अपने भाई के रौंदते लन्ड के हर झटके के साथ अपने कूल्हे ऊंचे उठा कर अपनी फैल कर खोली हूई चूत को उस पर धकेलती जा रही थी।

“बहनचोद! उंघ! उंघ! ओओह! रहम कर भगवान !”, इस तरह डॉली चिखती रही। राज ने नीचे झुक कर अपानी एक उंगली इत्मिनान से उसकी छोटी सी टाइट गाँड में घुसा दी। राज अपनी बहन को अच्छी तरह से पहचानता था और उसे ताव देने के दो- चार शर्तिया गुर जानता था। दोनों के बीच जैसे मुक़ाबला हो रहा था, कि कौन पहले झड़ता है।

सोनिया ने राज की उंगली को डॉली की गाँड के धेद में जाते देखा और नीचे हाथ सरका कर अपनी चिकनी, गीली चूत से खेलने लगी। इस छेद का खयाल तो अब तक उसके जेहन में नहीं आया था। ताज्जुब कर रही थी कि कैसा एहसास होगा वो! सोनिया ने अपनी टांगों को पूरी तरह फैला दिया और अपनी चूत के रिसाव में एक उंगली को भिगो कर अपनी गाँड के छेद पर मलने लगी। गाँड के गुदाज छेद पर उंगली का खुशगवार एहसास पाकर उसने एक गहरी साँस भरी। अपनी नजरें चुदाई में मशरूफ़ वहशी जोड़े पर लगातार गाड़े हुए सोनिया ने धीमे-धीमे अपनी उंगली को मरोड़ते हुए गाँड के छेद में टटोला और अचानक छेद की माँसपेशी कुछ ढीली हुई और उसकी उंगली एक इन्च अपनी गाँड अंदर फिसल गयी।

“ओहह! अम्मम्म!”, सोनिया शैतानी जुनून में कराह रही थी और हैरान हो रही थी कि कितनी आसानी से उंगली गाँड में घुस गयी थी। कुछ पलों बाद सोनिया हैरान हो रही थी कि गाँड में उंगली डालने में भी इतना कमाल का मज़ा मिल सकता है! संकरी सी गाँड उसकी टटोलती उंगली पर एक गर्मा-गरम, मखमली कसाव डाल रही थी और सोनिया अपनी उंगली और भी अंदर घुसाये जा रही थी। ऐसे एहसास उसके जवाँ जिस्म में आज से पहले कभी नहीं उठे थे। अपनी टाइट गाँड में उंगली घुसा - घुसा कर चोदने की उसकी इच्छा अब बर्दाश्त के बाहर हो रही थी। भाई-बहन सोनिया को अपनी गाँड के टाइट छेद में एक उंगली डाल कर अंदर बाहर हिलाते हुए देख रहे थे। राज ने मुस्कुरा कर नीचे डॉली कि तरफ़ देखा और बोला, “देख बहन ! लगता है सोनिया गाँड मरवाने की शौक़ीन है !” | डॉली ने पलट कर देखा थो सोनिया की उंगली को उसकी गाँड में पूरा घुसा हुआ पाया। सोनिया की अनछुई गाँड अब खुल कर फैल चुकी थी और उसकी उंगली एक लन्ड की तरह सोनिया की गरम, मक्खनदार गाँड को चोद रही थी।
 
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“सोनिया, साथ-साथ, अपना अंगूठा चूत में डाल !”, डॉली ने नसीहत दी, “लन्ड जैसा ही मजा आता है !” सोनिया ने कहे अनुसार किया। चूत की चिकनी गुफ़ा में अपना अंगूठा डाल और उसकी बीच की उंगली से अपनी गाँड में खुजली जारी रखी।

“आह! मममम ! ओह! आहा !”, जवान लौन्डिया अपने दोनो छेदों को एक साथ भर कर कराह रही थी। सोनिया तो जैसे सातवें आसमान पर थी! आँखें मूंद कर अपने हाथ से खुद को चोद रहि थी। अपनी गाँड और चूत पर दनादन रफ़्तार में रगड़ते हुए लगातार चीख और कराह रही थी। अपनी हवस से तैश खाकर ऐसी बेहूदी हरकतें करती हुई सोनिया को देख कर राज और डॉली ने भी अपने जिस्मों की मशक़्क़त में और जोश और फुर्ती दिखायी। डॉली की टांगें ऊंची उठी और फैली थीं, और उसके भाई का लन्ड उसकी बेसब्र चूत में बार बार अपना लन्ड गहरा घुसाता, फीर सुपाड़े तक बाहर खिंचता और फुर्ती से अंदर ठूस देता। राज के टट्टे फिच्च आवाज के साथ डॉली की चूतड़ों से टकराते।

ऊंघ! मेरी रन्डी बहन! कैसे फड़का रही है हरामजादी! चूत है या पटाखा ? क्या ये हुनर मम्मी ने सिखाया है ?”, डॉली ने जैसे ही अपनी चूत की माँसपेशियों को सिकोड़ कर भाई के लंबे लन्ड को अंदर -ही-अंदर मसला, राज चीक उठा। डॉली मुस्कायी। उसने अपने तुरुप का पत्ता फेंका था। जानथी थी अब राज ज्यादा देर मैदान में नहीं टिक सकता। पर राज भी कच्चा खिलड़ी नहीं था। अपने मजबूत हाथों से बहन ही टांगों को ऊपर उठा कर अपने कन्धों पर टेक दिया और उसके कमसिन चूतड़ों को दोनों हाथों मे जकड़ कर अपनी पूरी ताकत से आगे ठेलने लगा। अब राज का लन्ड अपनी बहन की ऊपर उठी चूत में पहले से भी ज्यादा गहरा चोद रहा था। अपने भाई के ताबड़तोड़ बरसते लन्ड के हर झटके के साथ शबनमे के कान बज रहे थे। डॉली अपने पंजों से कुरेदती हुई अपने नाखूनों को राज की पीठ में गाड़ रही थी। उसके लन्ड को अपनी चूत के हर कोने में थूसने की चेष्टा में बिस्तर पर उचक-उचक कर चूं-चू आवाज कर रही थी।

चोद राज ! और कस के! और गहरा! उंघहहह! बहनचोद !”, डॉली चीखी, उसकी आवाज अपनी हैरतंगेज़ मेहनत के मारे घर्रा रही थी।

राज ने बहन के चूतड़ों को आपस में भींच कर अपने ठोकते लनंद पर उसकी चूत के माँस के शिकंजे को और कसा। अपने लन्ड के हर जबरदस्त झटके के साथ वो डॉली की ऐंठती गाँड को बिस्तर के गद्दे में और टूसे देता था। सोनिया भाई-बहन के बीच होती इस बेहतरीन रस्सा-कशी को गौर से देख रही थी। दोनों पूरा दम लगा कर दूसरे को झड़ाने की कोशिश कर रहे थे पर खुद और अपने जिस्मों के उबाल पर मुश्किल से क़ाबू कर पा रहे थे। बहुत ही कड़ा मुक़ाबला था, दोनों खिलाड़ी एक दूसरे के जिस्मों से अच्छी तरह वाक़िफ़ थे और सैक्स के हर हुनर में माहिर भी। पर धीरे-धीरे राज का पलड़ा भारी लग रहा था, डॉली अब बहुत देर तक खुद पर क़ाबू नहीं रख रकती थी। उसके पेड़ में से एक जबरदस्त सैलाब उठ रहा था, जिसे कोई भी ताक़त नहीं रोक सकती थी।

“हाँ राज ! ओह्ह्ह , मैं झड़ी! उंहहह! चोद डाला साले! आँहुहुहुहुहुहुहुहुह !”

अपने भाई के मोटे थूषे हुए काले लन्ड के दोनो तरफ़ डॉली की पतली गोरी टंगें कसी हुई थीं। उसके जिस्म में उबलते हुए जुनून के असर से उसकी गोश्त से भरी चूत रह-रह कर फड़क रही थी।

अपनी ऐथती बहन के ऊपर झुका हुआ राज भी अब ज्यादा देर सब्र नहीं रख सकता था। अपने अंदर खौलते हुए वीर्य को बहन की जकड़ती चूत में उडेलने की तड़प के मारे उसके टट्टे कुम्हला रहे थे। पर किसी तरह उसने चन्द और पलों के लिये सब्र किया।

“शाबाश डॉली! रन्डी! देखी मेरे लन्ड की ताक़त! तुझे झड़ा दिया !”, राज चीखता हुआ वहशी की तरह कूल्हे झटक-झटक कर अपने काले लन्ड से बहन की सुलगती सुख़ चूत को चोद रहा था।
 
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सोनिया भी अब झड़ने वाली थी। बुरी तरह से ताव खाकर अपने दोनों हाथों को खुद पर रगड़ रही थी। जिस जबरदस्त रफ़्तार से एक फ़ीत दूर राज अपनी बहन को चोद रहा था, उसी रफ़्तार में सोनिया भी अपनी चूत मसल रही थी। गाँड और चूत - दोहरी चुदाई का एहसास सोनिया को इससे पहले कभी नहीं हुआ था, और आज इसी कारं उसकी हवस के बरूद में चिंगारी का काम कर रहा! और उस पर राज के लट्ट जैसे मजबूत काले लन्ड से जुड़वाँ बहन की हवस से भीगी चूत को बेरहमी से चोदने का नजारा!

पूरे बेडरूम में सैक्स की जंगली आवाजें गूंज रही थीं। मस्ती भरी कराहें, हवस से भरी चीखें और सिलसिलेवार एक जिस्म से दूसरे जिस्म के टकराने की छप्प-छप्प आवजें। डॉली के बदन में जुनून का एक ऐसा सैलाब उमड़ रहा था, जिसका एहसास उसे पहले नहीं हुआ था। इतनी बेखुदी से उसके भाई ने उसे पहले नहीं चोदा था। डॉली का मानना था कि सोनिया की मौजूदगी से राज के गैर-मामूली जोश का गहरा ताल्लुक़ था। यही नहीं, डॉली की बे-इन्तेहाई दीवानगी की जिम्मेदार भी सोनिया की उस बिस्तर पर उनके साथ गुनाह में शिरक़त थी। एक बार तो वो झड़ चुकी थी, और अब दूसरी बार राज का बेरहम लन्ड उसकी बेचारी चूत को झड़ा डाल रहा था।

“आँह! ऊंह! बहनचोद ! ऊंह! ऊंह! बेरहम, फिर झड़ा रहा है मुझे !” , वो चीखी।

डॉली ने अपनी पीठ को बिस्तर से उचका कर ताना, और चूत को अपने भाई पर कसा। लन्ड की रगड़ाहट उसे पागल बना रही थी। उसने अपनी कमार ऐंठ कर अपनी टंगें ऊपर की और उनसे राज के जबर्दस्त चलते हुए चूतड़ों को जकड़ लिया। अपनी एड़ियों को राज के चूतड़ों पर मार-मार कर जैसे घोड़े को एड़ लगा रही थी। उसी के बगल में सोनिया मारे तड़प के बिस्तर पर ऐंठ रही थी और हाँफ़ती हुई मुं में घिघिया रही थी।

“ऊंगगग! ओहहूंघह! हरामियों! मैं भी झड़ रही हूँ !”, सोनिया चीखी और हैवानी लहजे में झड़ने लगी। उसकी जवान चूत अपने जिस्म के ताप के मारे फड़क रही थी, उसकी गाँड घुसी हुई उंगली पर और कसती जा रही थी।

राज भी अब क़ाबू खोने वाला था। सोनिया को बेहूदगी से अपनी बेलगाम हवस की नुमाइश करते देख कर और बहन डॉली की चूत की जोरदार जकड़नों का एहसास पाकर उसके लन्ड में फ़ौरी जुम्बिश चालु हो गयी थी, जिसे वो थाम नहीं सकता था। उसकी बहन को भी लन्ड की जुम्बिश का एहसास हुआ और वो नीचे से कमर को बलखाती हुई अपने कूल्हे बिस्तर से उचका उचका कर राज के हर झटके को झेल रही थी। भाई के लन्ड के सिरे से जल्द ही फूट कर उसकी प्यासी चूत को लबालब करने वाली गर्मागरम बौछार की उम्मिद में वो मस्ती से कराहने लगी। राज का पूरा बदन ऐंठ गया और उसे अपना लन्ड डॉली की लिसलिसी चूत के फड़कते माँस पर पिलता हुआ और भी सूजा हुआ लगने लगा। एक अपने राज को अपने टट्टों में उबाल का एहसास हुआ, और दूसरे ही पल लन्ड में एक अलग तरह की फड़कान हुई।

“आरघ! हराम की भोंसड़ी! ले मेरी रन्डी बहन! ले भाई के टट्टों का दूध !” फिर बहन की चूत उसके लन्ड पर इस क़दर फुर्ती से कसी कि एक पल उसे लगा कि चक्कर आ जायेगा।

अपने लन्ड पर चूत की लगातार खींचातानी ने उसके टट्टों को उसके लन्ड पर सटा दिया था। राज ने अपना सर छत की तरफ़ उठाया और अपनी पलके भींच कर बंद कीं। उसका मुं खुला हुआ था और चेहरे को मारे दीवानगी के भींच रखा था। जैसे ही उसके गाढे, मलाईदार वीर्य की बौछारें लन्ड के सिरे से फूट कर बहन की झूमती चूत की गहराईयों में बहने लगीं, राज के मुँह से एक चीख निकल गयी। डॉली भी जुड़वाँ भाई को अपनी चूत में झड़ते हुए देख कर मजे से चीखी। चूत में छलकते वीर्य और मोटे फड़कते लन्ड के गहरे दबाव के असर ने उसे भी तीसरी बार झड़ाना शुरू कर दिया।

ऊहहघहघ! ओह! राज ! और चोद मुझे! कस के चोद! ऊंगहहह !”
 
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मेरे साथ झड़! हाँ बहन! आजा! शाबाश हरामजादी! क्या गरम चूत है! कुर्बान जाऊ!”, राज चीखा। गुनाहगार भाई-बहन एक दूसरे के कांपते बदनों से लिपटते हुए अपनी हवस की प्यास बुझा रहे थे।

कराहतैइ और ससकती हुई सोनिया उनके पास बिस्तर पर लेटी, अपनी उंगलियों को अभी भी अपने दोनों टपकते छेदों में घुसेड़ी हूइ, पतली सी कमर को बेखुदी से बिस्तर पर ऊपर-नीचे उचकाती हुई थमते हुए जुनून के आगहोश मे तैर रही थी। सर फेरकर उसने राज और डॉली को देखा तो वो दोनों एक दूसरे के जिस्मों से लिपटे हुए इंतेहाई दीवानगी से एक दूसरे को चूम रहे थे। राज का लन्ड अभी भी बहन की चूत में धंसा हुआ था और वो धीमे-धीमे से अपने कुल्हे हिला रहा था। सोनिया डॉली को दबी आवाज़ में कराहते हुए सुन पा रही थी। उसकी कराहें राज के चाटते मुँह में दब रही थीं। | अपनी जाँघों से उंगलियाँ हटा कर सोनिया बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ कर अपनी उंगलियों को राज के मजबूत चूतड़ों पर मुहब्बत से सहलाने लगी। सहलाते हुए उसकी उंगलियाँ नीचे की तरफ़, राज की जाँघों के बीच पहुंचीं और उसके के टट्टों पर लिपट गयीं। राज के टट्टे सूज कर साईज मे दुगुने हो गये थे। सोनिया को यक़ीन था कि डॉली की चूत अपने भाई के गाढे, चिपचिपे वीर्य से लबालब हो रही होगी। यह खयाल उसे गुदगुदा रहा था। झट से उसने अपना हाथ और नीचे बढ़ा कर इंगिल्यों को राज के लन्ड और डॉली की चूत के संगम पर लगया तो उसे डॉली की चूत के रिसाव के गीलेपान का गरम एहसास हुआ।

राज ने पलट कर सोनिया को देखा और मुस्कुराया। “कैसे रही, सोनिया ?”, उसने पूछा, “इसे कहते हैं बहन और भाई की मुहब्बत !”

“सचमुच, दाद देनी होगी, सोनिया ने मुसुरा कर जवाब दिया, “बेपनाह मुहब्बत की भी, और सैक्स में तुम दोनो की महारत की भी! लगता है बहन-भाई ने बड़ी मेहनत से इस हुनर को निखारा है !”

हाँ भैइ, दोनो कड़ी मेहनत करते हैं! है ना शब्बो ?” राज ने बहन की तरफ़ आँख मारते हुए चुटकी ली।

डॉली ने अपने भाई की तरफ़ आँखे आधी मूंदे हुए देखा। “दोनो नहीं बेवकूफ़, हम तीनों कह! घर पर मम्मी भी तो हैं !” ।

बिगड़ती क्यों हो बहन ? मैने कभी तुम्हे लन्ड की कमी महसूस होने दी है!”, राज हँसा और खुद को अपनी बहन के जिस्म से उठ कर अलग किया। सोनिया ने गौर से देखा कि उसका आधे- कड़क लन्ड डॉली की चूत से स्लड़ाप्प की आवाज के साथ खिंच कर बाहर निकला और थप्प कर के बहन की जाँघ पर गिर गया। राज अपनी बहन के साथ बिस्तर पर लेट गया और लेटते ही उसके हाथ बहन के फूले हुए स्तनों पर काले जामुनों जैसे रसीले और नुकीले निप्पलों से खेलने लगे।

“अम्म, बेशक़ तेरे साथ सैक्स में मुझे कमाल का मजा आता है। पर सच कहूं तो कैई बार मेरे जेहन में दूसरे मर्दो के लन्डों से भी चुदने का खयाल आता है।” डॉली ने बड़ी बेतकल्लुफ़ी से दिल की ख्वाहिश बयान की। राज ने अपना हाथ बहन के मम्मों से हटा कर एक झटके से उसे अपने सीने से कसा।।

“तेरे खयालों मे जिनके लन्ड आते हैं, कौन हैं वो मर्द ?”, उसने पूछा।

सोनिया बिस्तर पर दोनो के सामने बठ गयी और अपनी बाँहों को भाई-बहन पर डाल कर बोली। । “जलते क्यों हो राज ?”, वो बोलि , “अभी-अभी तुमने मुझे डॉली के सामने चोदा, तो उसे कोई ऐतराज नहीं हुआ। अगर डॉली भी लगे हाथ किसी दूसरे मर्द के साथ मुहब्बत के दो पल गुजारती है, तो इसमें बुरा ही क्या है ?”

राज ने सोनिया की बात पर गौर किया तो तर्क को जाज़ज़ पाया। लड़की है तो अट्ठारह साल की, पर छुपी रुस्तम है।

“तुम ठीक कहती हो।”, राज अपनी बहन के होंठों पर एक हलका सा चुम्बन देता हुआ बोला, “मुझे गलत मत समझना शब्बो। मेरा मक़साद सिर्फ बहन की हिफ़ाजत ही था। पर इसका ये मतलब तो नहीं की मैं तुझे घर में कैद कर के रखू ?” इस बात पर तिनो ने खुशी से गले मिल कर खिलखिलाने पड़े।

आखिरकार, सोनिया अपनी जनाना उत्सुकता को दबा नहीं पायी, “ पर डॉली तुमने बात आधी छोड़ दी। तुम किन मर्दो के साथ चुदाई के सपने देखती हो ?”, इचकिचाते हुए उसने पूछा। जवाब देने से पहले डॉली ने एक सरसरी निगाह से भाई राज को देखा।
 
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“पहले तो तुम मुझसे ये वादा करो कि जो राज मैं तुम पर जाहिर करने वाली हूं, उसे सुन कर बिगड़ोगी नहीं।” । “हाँ भैइ, वादा रहा!”, सोनिया साँस रोके हुए जवाब क इंतजार कर रही थी, “अब कहो भी !”

अच्छा तो सुनो, जब राज मुझे चोद रहा होता है ::या फिर कभी मुझे नीचे चाट रहा होता है तो ... ।

हाँ, हाँ! तो क्या .. ”, बेचैन सोनिया ने उसे उकसाया। “म ... मैं फ़र्ज करती हूं कि मिस्टर शर्मा, यानि तेरे डैडी, मुझे चोद रहे हैं !”

मारे हैरत के, सोनिया का मुँह खुला का खुला रह गया। राज ने भी बहन के इस इक़बालिया बयान से हैरान हो कर दो सीटियाँ दीं।

इसका मतलब तुम डैडी से चुदाई करना चाहती हो ?”, सोनिया ने भौचक्के लहजे में पूछा।

हाँ सोनिया, मैं तुम्हारे डैडी पर लट्ट हूं। सच कहूं तो अपने बाप की उम्र के मर्दो पर मैं खास फ़िदा हूं।” डॉली ने अपने भाई के लन्ड को हाथ में दबोचते हुए कहा, “हूं ना बड़े भाई ?”

सोनिया ने मारे शरम और जलन के अपनी नजरें नीची कर लीं। ऐसा नहीं था कि वो डॉली से खफ़ा थी, क्योंकि अपने दिल की गहराईयों में, वो जानती थी की उसके जेहन में भी ये हवास का ये पापी खयाल आता था। जानती थी कि वो अपने डैडी से चुदना चाहती थी, पर इस बात का इक़रार डॉली के सामने भला कैसे करे ? पर वो दोनो उससे जिस क़दर ईमानदारी और खुलुस से पेश आये थे, उसे देख कर, सोनिया ने उनके सामने अपने गुनहगार दिमाग़ के खौफ़नाक इरादों को जाहिर करने की हिम्मत जुटा ली। इसमें उसे खतरा नहीं बलकी ज्यादा मजेदार और हवसनाक हादसों का इमकान हो रहा था।

सोनिया के चेहरे पर गहरी सोच के बादलों को छाया हुआ देख कर राज ने धीरे से उसकी जाँघ को छुआ, “कहाँ खो गयी ?” |

सोनिया ने ऊपर देखा और उसके खूबसूरत जवाँ चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान फै गयी, “लगता है शर्मा परीवार और शर्मा परीवार के सम्बन्ध और गहरे होने जा रहे हैं।” |

इस बात पर राज की तो बाँछे ही खिल गयीं। “हाँ हाँ, पड़ोसियों में प्यार मुहब्बत तो होनी ही चाहिये।”,

मिसेज शर्मा और उनके शहौर के बीच हुई चुदाई के सोनिया द्वारा दिये हुए ब्यौरे को याद करता हुआ राज बोला।

“मैं जानती हूं तेरा इशारा किसकी ओर है!”, डॉली ने अपनी जाँघ पर भाई के लन्ड की सरसराहट का एहसास पाकर खिलखिलाते हुए कहा।

क्या ? क्या मतलब ?” डॉली ने राज के लन्ड को दबोच कर एक झटका दिया। अब ज्यादा भोला मत बन ! जानती हूं कि तू मिसेज शर्मा की गीली और गरम चूत में इस बम्बू को ठूसने के ख्वाब देख रहा है। है ना मेरे प्यारे भैय्या ?”

राज ने अपने लन्ड पर अचानक हुए इस हमले से सकपका हर गहरी साँस ली और खुद-ब-खुद उसका लन्ड बहन की फैली हुई चूत की टोह लेने लगा। | सोनिया को तो कानों-कान यक़ीन नहीं हो रहा था! एक डॉली थी, जो उसके डैडी से चुदने का इरादा रखती थी! और अब जाहिर था कि उसका भाई राज उसकी मम्मी पर फ़िदा था। हालात ने उसे जिंदगी के उस मोड़ पर खड़ा कर दिया था जहाँ से उसे अपने आगे कैई राहें खुलती हुई दिख रही थीं। कुछ महीनों से उसके दिल में पनपती हुई मुराद लगता है कि अब पूरी हो जायेगी। उसे अपने सपनों की हक़ीक़त में तब्दीली के आसार नजर आ रहे थे।

“डॉली और राज , दोनो चुप होकर मेरी बात सुनो !”, सोनिया ने अचानक कहा, “अगर मेरा कहा मनोगे तो हम सबको अपनी मनचाही चीज हासिल हो सकती है!” लौन्डिया की बात सुनने के लिये राज और सोनिया झट से बिस्तर पर पूरा ध्यान लगा कर बैठ गये।
 
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राज ने अपने लन्ड पर अचानक हुए इस हमले से सकपका हर गहरी साँस ली और खुद-ब-खुद उसका लन्ड बहन की फैली हुई चूत की टोह लेने लगा। | सोनिया को तो कानों-कान यक़ीन नहीं हो रहा था! एक डॉली थी, जो उसके डैडी से चुदने का इरादा रखती थी! और अब जाहिर था कि उसका भाई राज उसकी मम्मी पर फ़िदा था। हालात ने उसे जिंदगी के उस मोड़ पर खड़ा कर दिया था जहाँ से उसे अपने आगे कैई राहें खुलती हुई दिख रही थीं। कुछ महीनों से उसके दिल में पनपती हुई मुराद लगता है कि अब पूरी हो जायेगी। उसे अपने सपनों की हक़ीक़त में तब्दीली के आसार नजर आ रहे थे।

“डॉली और राज , दोनो चुप होकर मेरी बात सुनो !”, सोनिया ने अचानक कहा, “अगर मेरा कहा मनोगे तो हम सबको अपनी मनचाही चीज हासिल हो सकती है!” लौन्डिया की बात सुनने के लिये राज और सोनिया झट से बिस्तर पर पूरा ध्यान लगा कर बैठ गये।

“बोलो, हमें क्या करना होगा ?”, शब्नम ने पूछा। सोनिया उनमें जगी हुए कौतुहूल को देख कर मुसुरायी। सोनिया ने तफ़सील से अपनी पूरी योजना जुड़वाँ भाई-बहन के सामने रखि।

आगे होने वाले हादसों की उपेक्षा में तीनों चर्चा करते हुए एक दूसरे को हवस भरी नज्ज्रों से देख कर मुस्कुरा रहे थे :::::::
 
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जब तक जय और उसके मम्मी-डैडी घर आयें, सोनिया ने सबके लिये खाना पका कर रख दिया। उस रात का खाना जय की जीत का जश्न साबित हुआ। मैच में जय की टीम ने फिछले बरस चैम्पियन रही टीम को हरा कर जीता था। जीत की खुशी में मिस्टर शर्मा ने एक बीयर की बोतल भी खोली। और कोई वक़्त होता, तो मिस्टर शर्मा क़तैइ अपने बच्चों के सामने शराब नहीं खोलते, पर आज तो खुशी के मौका था। मिस्टर शर्मा ने सब के लिये एक जाम का गिलास बनाया और अपने बेटे को बधाईयाँ देते हुए खुशी से परोसा।

जय भी जीत के जोश में फूला नहीं समा रहा था। जब मिस्टर शर्मा ने उसकी तन्दुरुस्ती और ताक़त की तारीफ़ की, तो जय अपनी माँ को देख कर चुपके से एक आँख कारी ल मिसेज शर्मा भी मुस्कुरायीं और अपने बेटे के लन्ड की अपनी योनि के भीतर आज सुबह दी हुई आनन्दमय अनुभूतियों को स्मरण कर अपनी जाँचें सिकोड़ने लगीं।:
 
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“बेटे ने तो सुबह अच्छी चुदाई की, देखें अब पतिदेव रात को क्या गुल खिलाते हैं !”, इस तरह सोचते हुए टीना जी ने अपने तेजी से गर्माते जननांगों को शीतल करने के वास्ते अपनी जाँघं जरा सी खोल दीं। जानती थीं कि कुछ ज्यादा ही उतावली हो रही थीं, पर उम्मिद कर रही थीं कि किसी को इसका अंदाजा नही हो। सोनिया ने माँ- बेटे का नैन -मटक्का देख कर अपनी माँ के चेहरे के भाव को ताड़ लिया था।

उधर मिस्टर शर्मा ने खाली गिलासों में दूसरा जाम भर दिया। सोनिया ने देखा कि जय ने एक ही भेंट में पूरा जाम पी लिया। टीना जी भी शौक़ से पी रही थीं। शराब के चढ़ते नशे में वे सोनिया को मैच के महत्वपूर्ण घड़ीयों का हाल बयान करते हुए खिलखिलाती जा रही थीं। मिस्टर शर्मा ने जब सोनिया का गिलास भरना चाहा, तो उसने यह कह कर मना कर दिया कि आज रात उसे अपने अपने पूरे होश-ओ-हवास में रहना है। उसकी योजना के लिये थोड़ी सी शराब लाभदायक थी, पर अधिक मात्रा में पी गयी तो बना-बनाया प्लान समझो चौपट। जब सबका खाना हो गया, तो सोनिया ने कहा कि जय और वो बर्तन समेट कर टेबल साफ़ करेंगे। टीना जी ने सहर्श स्वीकृती दे दी और अपने पति का हाथ पकड़ कर खींचती हई बेडरूम की तरफ़ ले गयीं।

जय ने बेशर्म होकर खुल्लम-खुल्ला लालसा भरी नजरों से अपनी माँ को रूम से बाहर जाते हुए देखा। सोनिया मुस्कुरायी और अपने भैइ की तरफ़ झुकी। “हरामी, तू क्या उम्मीद लगाये था ? मम्मी तेरा हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम ले जयेंगी ?” जय सटपटा कर अपनी कुर्सी से उठा और बोला, “फ़ल्तू समझ रखा है क्या मुझे। चल काम में हाथ बटा!”, झल्ला कर अपना गिलास उठाता हुआ बोला।।

सोनिया किचन में गयी और झुटे बर्तन अलग रखने लगी। उसके भाई ने भी खाने की मेज से झुठी प्लेटें ला कर सोनिया के पास रख दीं। सोनिया बर्तनों के ढेर को सिंक में रखने लगी, पर जय आराम से पास में कुर्सी पर आसन जमा कर हाथ में बीयर का गिलास थामे उसे पीने लगा।

“लाट साहब, मैं क्या अकेले ही सब काम करूंगी ?”, उसने शिकायत भरे स्वर में पूछा। जवाब में जय ने अपनी बहन के नितम्बों को पीछे से एक नजर देखा और फिर जैसे शरब का सुरूर उसके जवान दिमाग पर छाने लगा, अपने होंठों पर छलकी हुई शराब को जीभ फेर कर चाटा। सोनिया मिनी-स्कर्ट पहने हुए जब भी सिंक पर झुकती थी तो जय को उसकी जाँघों के बीच एक काले धब्बे की झलक दिख जाती थी।

वोह बेचारा क्या जानता था कि उसकी चालाक बहन ने बड़ी सावधानी से इस पोशाक का चयन किया था। दोपहर को राज और डॉली के वापस जाने के बाद, उसने नहा कर अपनी अलमारी में से सबसे छोटी मिनि - स्कर्ट ढूंढ निकाली थी, जिसे पहन कर उसके कमसिन चूतड़ों का खासा प्रदर्शन होता था, विशेष कर इसलिये क्योंकी उसने अन्दर कोई पैन्टी नहीं पहन रखी थी। | सोनिया ने ऊपर ब्रा पहनने की तकलीफ़ भी नहीं की थी। उसने जो पारदर्शी सा टॉप पहन रखा था, उसके पार उसके नारंगी जैसे स्तनों और उनके शीर्ष- बिन्दु पर दो उभरे हुए निप्पल साफ़ दृष्टीगोचर होते थे। कोई आश्चर्य नहीं कि उसके कामुक भाई के लिंग पर इसका सीधा असर हो रहा था। अपने भाई की गिद्ध-निगाहों का अपने बदन पर रेंगने का आभास पाते ही सोनिया ने पलट कर जय को देखा और मुस्कुरायी।

“अब रात भर कुर्सी पर ही डेरा लगाओगे, या मुझे भी ज़रा हाथ बँटाओगे ?” । जय ने एक नज़र अपनी बहन की मक्खन सी चिकनी और गोरी जाँघों को देख कर बीयर का एक घूट पिया। “गुरू, आज तो आर या पार !”, उसने सोचा, “आज तय हो ही जाये कि चोद्दी केवल फ़्लर्ट करती है कि ...शराब उसे और निडर करे दे रही थी ...
 

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