दोस्त की माँ

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जीवन हर व्यकित को वो हासिल करने का भरपूर मौका देता है जो वह व्यक्ति पाने की तमन्ना करता है| जर व्यक्ति ली जीवन मे बहुत सारी ख्वाहिशें होती है। मेरा ज़ीवन भी किसी सामान्य व्यक्ति की तरह ही है पर बहुत सारी ऐसी रोचक घटनाएं मेरी ज़िन्दगी से जुड़ी हुई हैं जिन्होंने जीवन के प्रति मेरा रुख और रवैया दोनो ही बदल दिया । कई बार मैं उन घटनाओं ले बारे में सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि शायद मुझे ऐसा नही करना चाहिए था लेकिन दूसरे ही छन ऐसा लगता है कि मेरा फैसला सही था । अब मैं उन घटनाओं पर आता हूँ और यह आप सभी पर छोड़ता हूँ कि यदि आप मेरी जगह होते तो क्या करते ।

मुझे अच्छी तरह याद है कि मैने दसवी कक्षा की परीक्षा दी थी और मैं उसके बाद रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहा था । गर्मियों के दिन थे और पढाई लिखाई ले नाम पर कुछ भी नही था करने को । मेरा एक दोस्त था रमेश मैं अक्सर इसके घर चला जाता था और दोपहर वहीं बिताता था । अक्सर मैं और रमेश कविता आंटी और उनकी बेटी नीलू के बारे में बातें किया करते थे । दरसल दोपहर का समय वो समय होता था जब अधिक्तर मरद ऑफिस होते थे और औरते घरो में आराम कर रही होती थी। बच्चे भी अधिक्तर गर्मी के कारण घरो में ही होते थे। घरों से बाहर या सड़कों पर शायद ही कोई इक्का दुक्का दिखता था ।
सही कहूँ तो मैं और रमेश दोनो ही कविता आंटी और नीलू की खूबसूरती पर फिदा थे और न जाने क्या क्या बातें उन दोनों को ले कर किया करते थे। वैसे तो रमेश और मैं यहां तक पहुंच जाया करते थे की यार कविता आंटी को तो अंकल रोज़ करते होंगे। काश एक बार हमें आंटी मौका दे देती तो कितना मज़ा आ जाता वगैरह वगैरह। एक दूसरे से इतना खुला होने के बावजूद एक ऐसी बात थी जो मैंने रमेश से छुपा रक्खी थी। बात ये थी की रमेश की मम्मी यानी मोहिनी आंटी बहुत ही हसमुख औरत थी और मांसल शरीर की मालकिन थी। एकदम गोरी चिट्टी। रमेश ये नही जानता था की उसकी मम्मी के बारे में सोच के मैं कितनी ही बार मुठ मार के अपना वीर्य गिरा चुका था। रमेश ये समझता था कि मैं कविता आंटी के लिए उसके यहां आता हूँ लेकिन वो ये नही जानता था की मेरा ज़्यादा मतलब तो उसकी मम्मी की झलक पाना होता था । खैर इसी बीच रमेश ने कहा कि उसकी मम्मी बोल रही है कि वो जा के नाना नानी के यहां घूम आए। रमेश की नानी का फोन मोहिनी आंटी के पास आया था। अब मेरे लिए ये उदासी की बात थी। मेरा चेहरा उदास देख के रमेश बोला : यार जाना तो मैं भी नही चाहता पर क्या करूँ जाना तो पड़ेगा। मैं बोला यार कविता की झलक पाए बिना इतने दिन कैसे बीतेंगे। तू तो पूरे 20 दिन के लिए जा रहा है। रमेश बोला – यार तू इसकी चिंता मत कर मैं मम्मी से बोलता हूं की रमेश रोज़ आ के आपसे पूछ लिया करेगा की कोई काम तो नही है? इस तरह तुझे मेरे घर आने का मौका मिल जाएगा । और फिर यहां आ गया उसके बाद कविता डार्लिंग तो नज़र आ ही जाएगी ये कहकर रमेश ने आंख मार दी । रमेश का ये कहना था कि मेरी आँखों मे चमक आ गई। रमेश को लगा कि शायद कविता आंटी को देखने का जुगाड़ हो गया था इसलिए मैं खुश हूं लेकन उसे क्या पता था की मेरे लिए कविता आंटी से बड़ी डार्लिंग तो उसकी मम्मी यानी मोहिनी आंटी थी। खैर रमेश मुझे अपनी मम्मी के पास ले जाके बोला – मम्मी रमेश से मैंने बोल दिया है ये रोज़ आके आपसे मिल लेगा और कुछ काम हो तो आप इसे बता देना ये आपकी हेल्प कर देगा।

Update 2

मोहिनी आंटी ने प्यार से मेरी तरफ देखा और मुझे गले लगा के बोली थैंक्यू बेटा और मेरे ललाट को चूम लिया। जब उन्होंने मुझे गले लगाया तब मेरा सर उनकी चुकयों के बीच समा गया और उनके गदराए बदन का ऐसा असर मेरे ऊपर हुआ की मेरा लन्ड खड़ा हो गया। आंटी ने मेरा ललाट चूमने के बाद मुझे छोड़ दिया और मैं उनके सामने खड़ा हो गया। आंटी बोली – रमेश बेटा अब तुम्हे निकलना चाहिए, टाइम हो गया है।

मैं बोला आंटी मैं रमेश को छोड़ के आता हूँ। सो नाइस ऑफ यू बेटा कहते हुए आंटी ने मेरा माथा सहला दिया। मैं और रमेश बस स्टैंड के लिए निकल गए। रमेश को नाना के यहां पहुंचने में लगभग 4 घण्टे का टाइम लगता था।
मैने रमेश को बस पर बिठाया और घर के लिए लौट पड़ा। रास्ते मे मुझे लगा की अच्छा मौका है मोहिनी आंटी के साथ अकेले में कुछ टाइम बिताने का । ये सोच मैं रमेश के घर की तरफ मुड़ गया। दोपहर का समय था मैं दरवाज़े तक पहुंचा तो देखा की दरवाज़ा भिड़ा हुआ है लेकिन बन्द नही है सो मैं अंदर दाखिल हो गया। मैं मोहिनी आंटी को आवाज़ देने ही वाला था कि मुझे लगा की वो किसी से फोन पर बात कर रही हैं। आवाज़ उनके बेडरूम से आ रही थी। मैं सुनने लगा।
ये मोहिनी आंटी की आवाज़ थी – देखो मुझे कुछ नही पता। रमेश गया अपनी नानी के यहां और आज रात मुझे मेरी खुराक चाहिए। दे सकते हो तो बोलो वरना भूल जाओ फिर कभी भी मत कहना। उसके बाद कुछ देर कोई आवाज़ नही आई। मुझे लगा दूसरी तरफ से कोई कुछ बोल रहा होगा और आंटी सुन रही होगी। पर मैं वो कुछ भी नही सुन सका। फिर थोड़ी देर के बाद मोहिनी आंटी की आवाज़ आई – तो ठीक है मैं ठीक 2:45 बजे निकलूंगी और अपनी स्कूटी से तुम्हे पिक कर लुंगी। तुम मुझे 2:55 तक वहां मिलो। फिर थोड़ी देर कोई आवाज़ नही आई फिर मोहिनी आंटी बोली – यार तुम पूरे फट्टू हो। दोपहर में कोई घर से नही निकलता। 3 बजे दोपहर में कौन दिखता है सड़क पर। अगर फिर भी घर के सामने देख लिया तो वही पिछली बार वाला बहाना मार देना की बाइक पंचर हो गई है। फिर थोड़ी देर की चुप्पी के बाद आंटी बोली – ओके तो मैं मिलती हूं 10 मिनट में सी ब्लाक की मार्किट के गेट पर। यह कहके आंटी ने फोन काट दिया और बेड पर से उठी। मुझे उस समय कुछ नही सुझा तो मैं शोकेस के पीछे छुप के बैठ गया। अब मैं सोच रहा था कि आंटी फोन पर किसके साथ बात कर रही थी।अब मुझे क्या करना चाहिए। मुझे लगा की मुझे आंटी का पीछा करना चाहिए तो पता चल सकता है कि वो किससे मिलने जा रही है। फिर लगा कि आंटी तो स्कूटी से जाने की बात कर रही थी और मैं पैदल हूं तो कैसे इनका पीछा कर पाऊंगा। मैं यही सोच रहा था कि आंटी एकदम से बेडरूम से बाहर आई और इससे पहले की मैं कुछ कर पाता वो बाहर से लॉक करके क्ली गई। मुझे स्कूटी के स्टार्ट होने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया की आंटी गई। हालॉकि मैं अंदर से दरवाज़ा खोल के बाहर जा सकता था पर अब मुझे आंटी पर डॉउट था और मैं पूरी बात जानना चाहता था । अभी दोपहर के लगभग 3 बज रहे थे और मेरे घर वालों को पता था की मैं रमेश के यहां से रात 8 बजे तक लौटता था सो मुझे घर जाने की कोई जल्दी नही थी। मैं फटाफट आंटी के बेडरूम में घुसा और देखा तो कोई विशेष बात नज़र नही आई। अपने बारे में सोचा तो लगा कि रमेश का कमरा मेरे छुपने के लिए सबसे सही है। मैं रमेश के कमरे में गया और तब मुझे याद आया कि रमेश ने मुझे बताया था की उसके रूम के कबर्ड के अंदर से उसके मॉम डैड के रूम की सारी बातें सुनाई देती हैं। अब मैंने कबर्ड खोल तो देखा कि उसमें आराम से बैठा जा सकता था। अब मैं अपने बैठने की जगह बनाने लगा कि मेरे हाथ रमेश का हैंडीकैम आ गया। अचानक मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया और मुझे लगा कि मैं आंटी के बेदर की आवाज़ें सुनने के साथ साथ देख भी सकता हूँ कि वहां हो क्या रहा है। चुकी कबर्ड लकड़ी का था सो मैन टूलबॉक्स से ड्रिल मशीन ली और इतना बड़ा होल किया कि हैंडीकैम का लेंस वहां आराम से फिट हो जाए।सब करके मैंने देखा कि बेडरूम का काफी हिस्सा हैंडीकैम की रेंज में आ गया था। अब मैने अपने मोबाइल को एयरप्लेन मोड़ पर डाल उसकी भी वीडियो रेकार्डिंग ऑन की और उसे बेड के साइड में रक्खे फ्लावर पाट में रख दिया। सब कुछ कर के मैन हैंडीकैम के स्क्रीन पर नज़र लगाई तो लगा कि मैंने अच्छा काम किया है और मैं बेडरूम की सारी हरकतें रेकार्ड कर सकता हूँ। अभी कुछ मिनट ही बाईट होंगे की दरवाज़ा खुलने की आवाज़ हुई। मैं सतर्क हो गया। आंटी की आवाज़ सुनाई दी।  अब आओ भी । किसी ने नही देखा। दरवाज़ा बन्द है तुम्हारे घर का।और अब हैंडीकैम के स्क्रीन पर आरी की तस्वीर आई।खुले बाल, धूप से आने के8 वजह से चेहरा एकदम लाल और कमीज़ इतनी चुस्त की दोनो चुसियों के बीच की गहराई देख मेरा लौड़ा अपने उफान पर आ गया।अब मेरे मन का डर कम हो रहा था और उत्सुकता बढ़ रही थी कि कौन आया है आंटी के साथ और आगे क्या होने वाला है। तभी मैं भौंचक्का रह गया जब मैंने कविता आंटी के पति रवि को बेड पर मोहिनी आंटी के बगल में बैठ के  उनके गालों को चूमते हुए देखा। और ये क्या मोहिनी आंटी ने रवि केचेहरे को अपने हाथों के बीच लिया और अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए।अब रवि ने मोहिनी आंटी के निचले होठ को अपने दोनों हाथों की बीच दबाया और चूसने लगे। अब रवि के हाथ भी हरकत में आए और उन्होंने अपने दोनों हाथों से आती की दोनों चुचियाँ थाम ली और उन्हें मसलने लगे। जब रवि ने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से चुचियाँ मसली तो आंटी दर्द से सिस्कार उठीं और अपने हाथ रवि के होठों से आज़ाद कराते हुए बोलीं जान निकाल दी तुमने। कविता की भी इतनी जोर से ही मसलते हो क्या? रवि कुछ बोले नही बस मुस्करा दिए और आंख मार दी। मोहिनी आंटी भी मुस्करा दी और फिर दोनों एक दूसरे से लिपट के लेट गए और एक दूसरे को चुमते हुए , बदन सहलाते हुए, मसलते हुए बाते करने लगे।

Update 3
रवि:  मोहिनी मेरे कपड़ो में सलवटें पड़ जाएगी। उठो मुझे कपड़े उतार लेने दो।

मोहिनी: ये तो है, पर मैं तुम्हारे उतारूंगी और तुम मेरे।
रवि: जो आज्ञा मेरी रानी,
यह कहते हुए रवि ने मोहिनी आंटी को आलिंगन मुक्त किया एयर मोहिनी आंटी ने भी रवि को अपनी बांहों की गिरफत से आज़ाद कर दिया। द9नो बीएड पर उठ बैठे और फिर से3 एक बार एक दूसरे की बाहों में समा एक दूसरे को चूमने लगे। दो तीन मिनट बाद रवि बोला
रवि; अब बर्दाश्त नही हो रहा रानी।
मोहिनी: ( लगभग हांफते हुए ) मेरा भी यही हाल है। अब और मत तरसाओ। आ जाओ अब मेरे खेत को जोत डालो अपने हल से।
यह सुन रवि ने  बिना देर किए मोहिं8 आंटी की कमीज़ उनके बदन से जुदा कर दी और तब तक मोहिनी आंटी ने भी रवि की शर्त उतार दी। अभी रवि मोहिनी आंटी के ब्लाउज़ के हक खोल रहे थे तब तक मोहिनी ने उसकी बन्यायन भी उतार फेंकी। अब तक रवि भी मोहिनी के ब्लाउज़ के हुक खोल चुका था सो उसने ब्लाउज़ मोहिनी के बदन से जुदा कर दिया। अब तक मेरा लन्ड इतना अकड़ चुका था कि वो दर्द करने लगा था और मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था सो मैसे अपनी पेंट खोल दी और लन्ड हाथ मे ले के3 धीरे धीरे सहला के लगा। मुझ3 में में रवि से जलन भी हो रही थी की ये साला मज़े ले रहा है मोहिनी के भी और कविता को तो चोदता ही है और मुझे एक भी नही मिलती। खैर  मोहिनी का ब्लाउज़ खोलने के बाद रवि ने एक है5ह से एक चूची को थाम लिया और दूसरी चूची को मोह में भर के चूसने लगा। मोहिनी ने अब अपनी नाख3न बन्द कर ली और रवि के सर के बालों को सहलाते हुए बोलने लगीं
मोहिनी: ऊऊऊफ़्फ़फ़ हाआआआण ऐसे ही। थोड़ा ज़ोर से चुसो। हाँ हाँ ऐसी ही। आआआह इतनी जोर से नही थोड़ा प्यार से राजा।
मोहिनी इसी तरह बड़बड़ाती रही और रवि उसकी चुचियाँ मसलता और चूसता रहा। जब मोहिनी हद से ज़्यादा बेचैन हो गई तो वो बोली
मोहिनी: अब चूसते ही रहोगे की आगे भी कुछ करोगे।
यह सुन रवि ने मोहिनी को छोड़ दिया और उसके बदन से ब्रा को भी निकाल फेंका। इस बीच मोहिनी का हाथ रवि की पेंट पर जा चुका था। अब बिना देर किए मोहिनी ने रवि की पैन खोली और रवि ने अपनी कमर ऊपर उठ के पेट को टांगों से बाहर करने में मोहिनी की मदद की। अब रवि केवल अन्द्रवियर में मोहिनी के सामने बैठ था। मोहिनी ने अपनी आंखों से रवि को कुछ इशारा किया और रवि ने मोहिनी की सलवार उतार फेंकी और बोला अब हुई बराबरी की तुम भी केवल पैटी में हो और मैं भी केवल अंडरवियर में। इसपर मोहिनी बोली अभी नही। अभी काम बाकी है। यह कहते हुए मोहिनी ने रवि का अंडरवियर उतार डाला। अंडरवीयर उतरते ही तननाया हुआ रवि का लन्ड बाहर उछला जिसे मोहिनी ने अपने हाथ मे कैद कर लिया और बोली बहुत तरसाया है तुमने मेरी मुनिया को आज जाओ उसके अंदर , ना झुलस गए उसकी ग4मि से तो फिर कहना । यह सुन रवि बोला
रवि: देखो न बेचारा तुम्हारी मुन्नी से मिलने को किस तरह अकड़ा जा रहा है। अब अपनी मुन्नी के दर्शन भी तो करवाओ?
मोहिनी: तो मना किसने किया है? हटाओ पर्दा और कर लो दर्शन। मोहिनी का इशारा अपनी पैंटी की तरफ था।
रवि ने बिना समय गंवाए अपने दोनों हाथों की बीच वाली उंगलियों को मोहिनी की कमर के दोनों तरफ से उसकी पैंटी के बीच फंसाया और पैटी नीचे खींचने लगा। अब मोहिनी के नितम्ब बिस्तर पर टिके थे तो पैंटी निकल नही पाई। रवि ने मोहिनी को कमर उठाने को कहा तो वो बोली
मोहिनी: बड़े उतावले हो रहे हो दूसरे की बीवी की इच्ज़त उतारने को।
रवि: क्या करूँ तुम माल ही इतनी मस्त हो।
मोहिनी: अगर दूसरा तुम्हारी बीवी के साथ यही खेल खेल तो?
रवि: हर कोई नही लेकिन अगर मुझे तुम मिल जाओ तो अपनी बीवी से अदला बदली कर लूंगा।
मोहिनी: सच बोल रहे हो?
रवि: आज़मा के देख लो।
मोहिनी: चलो समय आने पर ये भी आज़मा लेंगे।
यह कहते हुए मोहिनी ने अपनी कमर उचका दी और बिना दर किए रवि ने मोहिनी की पैंटी नीचे सरक के उसे मोहिनी की टांगों से आज़ाद कर दिया। अब मोहिनी और रवि दोनो पूरी तरह से नग्न अवस्था मे बिस्तर पर थे। मोहिनी पीठ के बल लेटी थी और रवि बैठा था। पैटी उतरने के बाद रवि ने अपना हाथ मोहिनी की चूत पर फिराया और बीच वाली उंगली को इसकी चूत की दोनों पुत्तीयों की दरार के बीच रगड़ने लगा। मैं अपनी ज़िंदगी मे पहली बार किसी ऐसी औरत की चूत देख रहा था जिसे मैं जानता था। अंग्रेज़ी के V के आकार में बुर की पुत्तियाँ थी और उनके बीच उनके सन्धि स्थल पर एक दरार बन रही थी जिसे रवि की उंगली फैला रही थी। अब मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने मुठ मारना शुरू कर दिया लेकिन धीरे धीरे ताकि मेरा माल जल्दी से न निकले। मोहिनी आंटी अब सिसियाने लगी थी । मोहिनी ने रवि का हाथ पकड़ लिया और बोली
मोहिनी: मुंह लगाओ।
रवि: बूर गीली है, सीधा लन्ड डाल देता हूँ।
मोहिनी: बिल्कुल नही। तुम झड़ जाओगे और मैं प्यासी रह जाउंगी।
रवि: हाथ से तुम्हारा काम कर दूंगा।
मोहिनी: हाथ मेरे पास भी है फिर तुम्हारी ज़रूरत क्या है?
अब रवि निरुत्तर था सो उसने मोहिनी की टांगों को फैलाया और खुद घुटनो के बल उसकी टांगों के बीच बैठ गया।
झुको बोलते हुए मोहिनी ने उसका सर आने हाथ मे ले अपनी बूर पर हुकाया और अपनी टांगों को घुटने से मोड़ लिया। अब मोहिनी ने अपनी जांघो से रवि का सर दबाया और बोली
मोहिनी:  मेरी क्लिट को अपनी जीभ से रगड़ो। हं हँ ऐसे ही। ज़ीभ और ज़ोर से घुमाओ। आआआह हाँ हाँ ऐसे ही करो। पूरी बूर भी चाट कभी कभी। हाँ यार छेद में घुसाओ ज़ीभ। नही ऐसे नही। दो उंगलियां बूर में डाल के उंगली से बूर चोदो और क्लिट को ज़ीभ से रगड़ो। आआआह हैं यार अब रुको मत ऐसे ही करते रहो।
10 मिनट तक यही खेल चलता रहा फिर अचानक मोहिनी ने अपनी जांघों को रवि के सर पर कस लिया और अपनी कमर को ऊपर उछालने लगी।
मोहिनी: और ज़ोर से उंगलियां अंदर बाहर करो।
अब शायद रवि को सांस लेने में परेशानी हो रही थी इसलिए उसने मोहिनी की बूर में से उंगली बाहर निकाली और अपने दोनो हाथों से ज़ोर लगा के मोहिनी की टांगों की पकड़ अपने सर से ढीली की और अपना सर ऊपर उठा दिया। मोहिनी कातर दृष्टी से रवि की तरफ देखते हुए बोली
मोहिनी: प्लीज़ अब मत तरसाओ, मेरी प्यास बुझा दो। मेरी गर्मी ठंडी करो।
रवि: अभी लो मेरी जान।
यह कहते हुए रवि ने एक तकिया मोहिनी की कमर जे नीचे लगाया। तकिया लगाते देख मोहिनी बोली
मोहिनी: अब लन्ड डालोगे क्या?
रवि: हाँ
यह कहते हुए वह मोहिनी की टांगों के बीच आ गया और उसने मोहिनी की जांघें अपनी जांघों पर रख अपने लन्ड को अपने हाथ मे पकड़ मोहिनी की बूर की पुत्तियों के बीच की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया।
मोहिनी: लगता है आज फिर मैं प्यासी ही रह जाउंगी।
रवि: नही रहोगी।
यह कहते हुए रवि ने अपने बांये हाथ की दो उंगलियों से मोहिनी की बूर की फांकों को फैलाया और बूर के छेद पर दांये हाथ से अपने लन्ड को टिका दिया। अब उसने अपने हाथ से मोहिनी की दोनों चुचियों को पकड़ा और मोहिनी के गाल चूमते हुए अपने लन्ड का दबाव मोहिनी की बूर पर बढा दिया। पक्क कि आवाज़ के साथ लन्ड का सूपड़ा मोहिनी की बूर में समा गया।
आआआह मोहिनी के मुह से निकला और उसने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया।
मोहिनी: रुक क्यों गए? और अंदर डालो न?
मोहिनी के लहजे में रिक्वेस्ट थी।
रवि: बहुत टाइट और गर्म बूर है तुम्हारी धीरे धीरे डालने दो वरना घुसाने से पहले ही झड़ जाऊंगा।
अब मोहिनी थोड़ा तैश में आके बोली
मोहिनी: एक बूर भी ठंडी नही कर सकते । कैसे मर्द हो?
रवि ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसकी चुचियाँ मसलते हुए दूसरा धक्का मारा और उसका आधा लन्ड मोहिनी की बूर में समा गया।
वाह क्या धक्का मार है मेरे राजा कहते हुए मोहिनी ने अपनी कमर नीचे से उछल दी और रवि का लन्ड पूरी जड़ तक उसकी बूर में समा गया।
रवि: आह साली झड़वा के ही मानेगी क्या? बोल रहा हुँ की यूँ ही पड़ी रह और मुझे चोदने दे वरना झड़ जाऊंगा तो मुझे दोष मत देना।
मोहिनी:  मेरी किस्मत ही खोटी है पति का लन्ड भी 5 इंच का और यार का भी। अब मेरे बूर की आग कैसे बुझेगी।
रवि को अब अपनी मर्दानगी पर ठेस लगी तो ज़ोर से मोहिनी की चूची मसलते हुए मोहिनी पर पिल पड़ा और लगा धका धक उसकी बूर पर अपने लौड़े के धक्के लगाने। उसका जोश देख कर मोहिनी को भी जोश आ गया और वो भी
मोहिनी:  हाँ  मेंरे साजन वाह मेरे बालम आज दिखा दो अपनी मर्दानगी। और तेज़ धक्के मारो घुसा दो पूरा का पूरा लौड़ा मेरी चूत में।
रवि हैरान था कि मोहिनी की बूर है कि खाई। पुरा लौड़ा खाने के बाद अभी और घुसाने को बोल रही है। वो मोहिनी को चोदते चोदते हांफने लगा और उसने अपनी चुदाई की स्पीड घटा दी।
मोहिनी: ढीले क्यों पड़ गए चोदो उसी रफ्तार से। चढ़े हुए जोश को ठंडा मत होने दो।
रवि: अब क्या 8 इंच का डंडा डाल दूँ तेरी बूर में? पूरा लौड़ा डाल के तो चोद रहा हूँ अब और कहां से लम्बा करूँ इसे।
मोहिनी: अच्छा ठीक है पूरा घुस गया है तो लेकिन चुदाई की स्पीड तो कम मत करो?
रवि: ( हांफते हुए) कितनी चुदककड हो तुम। मैं थक गया चोदते चोदते और तुम हो कि और ज़ोर से करो और ज़ोर से करो कर रही हो।
मोहिनी: तो क्या करूँ। गर्म कर के मझधार में ही लटका देते हो। मेरा काम तो पूरा करो।
रवि: देखो अब ज़ोर के धक्के मारूँगा तो झड़ जाऊंगा।
मोहिनी: यार धीरे धीरे तो चोदो। तुम तो लन्ड डाल के बेजान से  पड़े हुए हो।
यह सुन कर रवि आहिस्ते आहिस्ते मोहिनी की बूर में अपने लन्ड को अंदर बाहर करने लगा। वो लन्ड को बूर से पूरी तरह बाहर खींच लेता। केवल लन्ड का सूपड़ा ही मोहिनी की बूर में अटका रहता और फिर वो कमर आगे दबा के पूरा लन्ड धीरे धीरे मोहिनी की बूर में घुसा देता। ऐसा करने में रवि को बहुत मज़ा आ रहा था जो उसका चेहरा देख के अंदाज़ा लगाया जा सकता था। लेकिन मोहिनी बेचैन होती जा रही थी। वो शायद अपनी बूर में लन्ड के तेज़ धक्के चाहती थी। रवि भी शायद ये समझ चुका था इसलिए उस के बातों का सिलसिला शुरु कर दिया।
रवि: अच्छा ये बताओ की रमेश के पापा यानी मोहित तुम्हे मतलब तुम्हारी गर्मी ठंडा कर पाते हैं क्या?
मोहिनी: ( झल्लाते हुए) मेरी बूर में लन्ड किसका है अभी?
रवि: मेरा
मोहिनी: अगर वो ठंडा कर पाते तो मैं तुम्हारे चक्कर मे क्यों पड़ती।
रवि: वो तो मोहित दुबई से साल में 30 दिन के लिए आते हैं तो पूरे साल की कमी पुरी करने के लिए तुम मुझसे चुदवाती हो।
मोहिनी: कुछ हद तक तुम्हारी बात ठीक है लेकिन मेरी तो किस्मत ही खराब है। मेरे साथ धोखा हो गया।
अब रवि के चेहरे पर उत्सुकता थी।
रवि: कैसा धोखा, किसने किया?
मोहिनी: तुम्हारी बीवी कविता ने?
यह कहते हुए मोहिनी ने अपनी कमर उस समय ऊपर उछाल दी जिस समय रवि अपना लन्ड उसकी बूर में ठेलने जा रहा था। मज़ा तो रवि को बहुत आया लेकिन उसे लगा की अगर मोहिनी इसी तरह धक्के लगाने लगी तो इसके लन्ड को लावा उगलते ज़्यादा देर नही लगेगी।रवि ने केस के मोहिनी की कि चुचीयों को मसल दिया और बोला
रवि :  आआआह साली तू मेरा पानी निकाल के ही मानेगी। बोल रहा हूँ कि तू धक्के मत मार।
मोहिनी : कैसे ढीले मर्द हो या कहूँ की मर्द हो ही नही जो एक औरत की गर्मी को ठंडा नही कर पा रहे।
रवि : तेरे जैसी चुदपककड औरत को ठंडा करना इतना आसान नही है।
मोहिनी : बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कविता तुमसे चुदवा के निहाल हो जाती है।
रवि: देखो मोहिनी, मेरा लन्ड अंदर है तुम्हारी बूर में इसलिए झूठ नही बोलूंगा। कविता एक नम्बर की चुदककड है। उसका बस चले तो रोज़ दो बार करवाए लेकिन तुम औरतों को मर्द की भी मज़बूरी समझनी चाहिए ।
मोहिनी: कैसी मज़बूरी? मोहिनी ने आंखे घुमाते हुए पूछा।
रवि: देखो यार खूबसूरत औरत देख के मर्द जोश में तो आ जाता है लेकिन बूर की गर्मी और लन्ड पर उसकी रगड़ मर्द का लावा कुछ ही देर में निकलवा देती है। मुझे कोई भी मर्द बता दो जो औरत को उसकी मर्जी ज़ितना चोद के सन्तुष्ट कर पाता हो।
मोहिनी: तो फिर कविता ने मुझे क्यों फंसाया?
अब रवि चौंक गया ।
रवि- क्या कहा तुमने? कविता ने तुम्हे कैसे फंसाया? क्या कहना चाहती हो तुम?
मोहिनी: देखो तुम मेरी बूर में लन्ड डाल के अगर सच बोल रहे हो तो मैं भी तुम्हारा लन्ड अपनी बूर में लेके झूठ नही बोलूंगी। लम्बी कहानी है , टाइम लगेगा सुनाने में।
रवि: सुनाओ न। मैं सुनना चाहता हूं।
मोहिनी ने रवि की पीठ पर अपनी बाहों का घेरा ज़ोर से कसा और बोली
मोहिमी: यार तुम धीरे धीरे ही सही लेकिन मुझे चोदते रहो वरना थारा लन्ड ढीला हो जाएगा और मैं प्यासी रह जाउंगी।
रवि: ठीक है रानी।
यह कहते हुए रवि  ने अपना लन्ड मोहिनी की बूर में अंदर बाहर करना शुरू किया और कहा
रवि: अब सुनाओ पूरी कहानी।
मोहिनी: तो सुनो और मोहिनी ने कहना शुरू किया। देखो मोहित मुश्किल से 30 दिन के लिए एक साल में मेरे साथ होता है। अब शरीर की ज़रूरत तो इतने कम समय मे पूरी हो नही सकती?
मोहिनी की बूर में लन्ड अंदर बाहर करते हुए रवि बोला
रवि: सो तो है।
मोहिनी: ऊपर से मोहित का लन्ड भी तुम्हारे जैसा ही है। और तो और मोहित चोदने में भी तुम्हारे जैसा ही ढीला है। आज तक वो मुझे पुइरी तरह से सन्तुष्ट नही कर पाया है। बावजूद इसके मेरे मन मे उससे बेवफाई करने की कोई बात नही आई थी।
रवि: तो आखिर मोहित के जाने ले बाद तुम अपनी शारिरीक ज़रूरत का कैसे ख्याल रखती थी।
मोहिनी: थोड़े धक्के तेज़ करो न। मैं बात तो बता ही रही हूं।
रवि: देख  मोहिनी मैं पिछले 15 मिनट से तुझे चोद रहा हूँ और अब मेरे लन्ड का सूपड़ा इतना सेंसिटिव हो गया है की अगर धक्कों की स्पीड बढाई तो मैं झड़ जाऊंगा।
झल्लाते हुए मोहिनी बोल पड़ी
मोहिनी: क्या किस्मत है औरतों की। मर्द जब चाहे ज़बरदस्ती चोद ले बिना औरत की मर्ज़ी के लकिन औरत ये काम भी नही कर सकती। मर्द का लन्ड ही खड़ा न हो तो बेचारी क्या करे।
ये सुन रवि को शर्मिंदगी तो बहुत हुई लेकिन वो केवल इतना ही बोला
रवि: आगे बताओ। जितना तेज़ मार सकता हूँ कोशिश करता हूँ मारने की ।
अब मोहिनी ने आगे कहना शुरू किया।
मोहिनी: देखो मैं बूर में लन्ड के सिवा केवल अपनी उंगली ही घुसा के अपनी क्लिट रगड़ के खुद को शांत कर लेती थी। लेकिन मैंने कभी भी मोहित को धोखा नही दिया। एक दिन मोहित नहाने गए हुए थे । यूँ ही मैन उनका मोबाईल हाथ मे ले लिया और देखने लगी। मैन एक वीडियो देखी जिसमे मोहित एक औरत को चोद रहा था और वो औरत कोई नही उसकी मकान मालकिन थी। वो विधवा है लेकिन उसकी उम्र यही कोई 30 के आस पास होगी।  मैं पहले तो बहुत दुखी हुई पर शांत दिमाग से सोच के मुझे लगा की जब मोहित ये कर सकता है तो मैं क्यों नही। तभी मैने  फैसला किया की मैं भी कोई ऐसा मर्द खोज निकालूंगी जिससे बदनामी होने के का डर न रहे और मेरा काम भी हो जाए।
रवि: फिर आगे क्या हुआ।
अब रवि समझ चुका था की एक प्लान बना के ही मोहिनी ने उसको लिफ्ट देनी शुरू की थी।
मोहिनी: मैंने तुम्हे कई बार मुझे घूरते हुए देखा था। मुझे लगा की शायद तुम्हे पाना मुश्किल नही होगा। मोहित की करतूत के आगे मुझे पूरा भरोसा हो गया था की बीवी कितनी ही सुंदर हो लेकिन अगर बाहार वाली इशारा कर दे तो मर्द उसकी बूर चाटने को तैयार हो जाएगा। लेकिन मेरी समस्या उससे भी बड़ी थी।
यह कह के मोहिनी चुप हो गई और उसने धीरे से अपनी कमर उछाल दी। रवि के मुंह से आआआह निकल गई।
रवि: आआआह क्या बूर है तेरी।
रवि अभी सम्भल पाता कि अपनी बुर को अंदर की तरफ सिकोड़ के मोहिनी ने नीचे से एक और धक्का ऊपर उछाल दिया।
रवि: आआआह साली मेरा निकल जाएगा। मत मार बूर टाइट कर के ऐसे धक्के। मेरे लौड़े का लावा निकल जाएगा मादरचोद।
अब मोहिनी को भी गुस्सा आ गया।
मोहिनी: अरे मेरी माँ को बाद में चोदना पहले अपने बाप को बुला के मेरे बूर की गर्मी निकालो। बोलो अपने बाप से की तुम्हारा लौड़ा मेरे बूर की गर्मी बर्दाश्त नही कर पा रहा।
रवि मोहिनी के मुंह से ऐसी बातें सुन के दंग रह गया। वो समझ गया कि मोहिनी बहुत ज़्यादा बेचैन है और उसे सम्भालना अब उसके बस की बात नही तो वो बोला
रवि: डार्लिंग आज तूने सच बात बताने की शुरुआत की है तो इसका इनाम तूझे मिलेगा। वादा करता हुँ की आज तेरे बूर की खुजली ठंडी कर के ही दम लूंगा । अब ये मत पूछना की कैसे? लेकिन पहले तू अपनी बात पूरी कर। यह कहते हुए रवि ने लन्ड के9 बूर से पूरा बाहर निकाल लिया। पल्प की आवाज़ के साथ 7स्का लन्ड बाहर आ गया। लन्ड मोहिनी के बूर के रस से चिपचिपा हो गया था और चमक रहा था। इससे पहले की मोहिनी कुछ समझ पाती रवि ने फिर से एक ही झटके में पूरा का पूरा लन्ड मोहिनी की बूर में पैबस्त कर दिया।
मोहिनी: वयः मेरे बालम, मेरे राजा। ये हुई न बात। ऐसे धक्के लगाओगे तब भी मेरी नाव किनारे लग जाएगी। बस मजधार में तड़पते हुए छोड़ के खुद झड़ मत जाना।
रवि: अपनी बात पूरी कर।
मोहिनी: ठीक है तो सुनो मुझे पता था कि तुम लमर टपकाते हुए मुझे चोदने को तैयार हो जाओगे। लेकिन मैं मोहित की चुदाई से संतुस्ट नही थी और मैं यह नही चाहती थी कि दूसरा मर्द भी मोहित की तरह ढीला निकले। सो मैनी कविता से धीरे धीरे मोहित को ले के इस बारे में बात करना शुरू की तो कविता भी खुलने लगी और उसने भी तू।हारे बारे में बताना शुरू किया।
अब रवि और ज़्यादा उत्सुक हो गया। तो क्या कहा कविता ने । यह कहते हुए रवि मोहिनी की एक चूची मसलने लगा और दूसरी चूसने लगा।
मोहिनी: हाँ और ज़ोर से चुसो।
रवि: ठीक है पर तुम बात जारी रक्खो। कविता ने कहा कि तुम्हारा बस चले तो तूम दिन में दो बार भी  कर लो और ये की तुम कविता को भरपूर सन्तुष्टि देते हो। यहीं मेरे साथ धोखा ह9 गया
अब रवि  मुस्कराते हुए बोला
रवि: तुम्हारे साथ कोई धोखा नही हुआ है।कविता ने जो कहा कि मेरा बस चले तो मैं दिन में दो बार कर लूं वो ठीक ही कहा।
मोहिनी: वो कैसे? एक बार के बाद तो तू।हार लन्ड खड़ा होने से इनकार कर देता है।
अब भी रवि के चेहरे पर मुस्कान थी और वो आहिस्ते आहिस्ते मोहिनी को चोदते हुए बोला
रवि: देखो मैं रात को तो कविता को चोदता हूँ और अपने और एक दूसरे लंड की मदद से कविता को पूरी तरह खुश कर देता हूं।
मोहिनी: है भगवान । तो क्या तुम दो मर्द एक साथ एक के बाद एक कविता को चोदते हो जब तक उसका काम नही हो जाता?
रवि: नही ऐसा नही है।
मोहिनी: अभी तो तुमने कहा कि दूसरे लंड से।
रवि: हाँ कहा। लेकिन ये कहाँ कहा कि दूसरे मर्द से?
मोहिनी: तो बिना दूसरे मर्द के दूसरा लन्ड कहाँ से?
रवि : यही तो बात है।और जानती हो वो दूसरा लन्ड मैं आज तुम्हारे लिए भी ले के आया हूँ। मेरा वादा है कि तुम्हे खुश कर दूंगा।
अब मोहिनी सतर्क हो गई।
मोहिनी: देखो तुम गैर मर्द हो और मैं तुमसे चुदवा रही हूं इसका मतलब मैं रंडी नही हूँ। किसी और को यहां बुलाने की ज़रूरत नही है।
रवि: उसके गालों को चूमते हुए, अरे मेरी जान तेरे जैसी माल को मैं खुद दूसरे से चुदते हुए नही देख सकता। तू निश्चिंत रह मेरे सिवा कोई दूसरा तुझे नही चोदेगा लेकिन तुझे दूसरे मज़बूत लौड़े का मजा आज ज़रुर मिलेगा जो तेरी मर्ज़ी की स्पीड से तेरी चुदाई कर के तेरी गर्मी को ठंडा करेगा।













 
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मोहिनी: मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा कि तुम क्या कह रहे हो।
रवि: तू दमदार चुदाई का मज़ा लेना चाहती है8 कि नही।
मोहिनी: कौन औरत नही चाहेगी।
रवि: तो मुझपर भरोसा कर और जो बोलता हूँ वो कर।
मोहिनी: क्या करूँ?
रवि: देख अब मैं तेरी ज़ोरदार चुदाई करना शुरू करूँगा और 2 मिनट में ही मेरे लौड़े के रस से तेरी बूर भर जाएगी।
मोहिनी: फिर उसके बाद तुम ठंडे हो आओगे और मैं तड़पती रह आउंगी। हर बार यही तो होता है।
रवि: इस बार खान8 थोड़ी अलग बनेगी। मेरा लौड़ा शहीद हो जाने के बाद दूसरा लौड़ा तेरी बूर  की बखिया उधेडेगा।
मोहिनी: चलो ये भी देख लेते है।
रवि: लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा।
मोहिनी: कैसा वादा?
रवि: यही की अगर तुम चुदाई से संतुस्ट हुई तो तुम मेरा लांस मुँह में ले के चुसोगी और मेरा पानी मुँह में लोगी। भले ही मुँह में लेने के बाद तुम बाद में थूक देना।
मोहिनी को लगा कि रवि संतुस्ट तो के नही पाएगा ईसलिए उसने वकबक़दम आगे बारह कर ये कहा कि
मोहिनी: तुम लन्ड का पानी मुँह में लेने की बात कर रहे हो अगर तुम मेरे मन के मुताक़बिक मेरी चुदाई कर दो तो मैं तुम्हारव लंड का पानी पी जाउंगी।
रवि: क्या बात है रानी।
यह कहते हुए रवि ने धकापेल चुदाई शुरू कर दी।ये ले साली खा मेरे लौड़े का धक्का कहते हुए रवि मानो पूरा जोर लगा मोहिनी की बूर की चुदाई करने को पिल पड़ा। कमरे में फहच फहच आह ऊफ मारो फाड़ दो मेरी बूर ले साली खा ले मेरा लन्ड आदि आवाज़ें आने लगी। लन्ड के हर धक्के के साथ बूर पर ठप ठप की आवाज़ आ रही थी। मोहिबी से बर्दाश्त नही हुआ और वो नीचे से कमर उछालने लगी।
रवि: उछाल उछाल तू भी क्या याद रखेगी की मिला था कोई चोदने वाला।
मोहिनी को छूट मिली तो वो पूरी ताकत से कमर उछालने लगी।
·         अब रवि का चेहरा देख के लग रहा था की वो ज़्यादा देर नही टिकेगा। आआआह साली कितनी टाइट बूर है तेरी। उफ्फ ऊईई ठहम्म ठहम्म कहते हुए रवि ने एक जोरदार झटका मोहिनी की कमर पर मार के मोहिनी के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा अपने लन्ड का वीर्य उसकी बूर में छोड़ने लगा। इधर मुझसे बर्दाश्त नही हुआ और मेरे लन्ड ने भी वीर्य की धार छोड़ दी जो कबर्ड की दीवार पर जा लगी। एक के बाद एक मेरे लन्ड से 5 बार वीर्य की पिचकारी छूटी और मेरे लन्ड को कुछ राहत मिली। इधर मोहिनी मानो पागल हो गई थी। छोड़ो मेरे चूतड़। मुझे चोदो। की9न झड़ गए तुम। नामर्द कहीं के। मोहिनी तड़पती रही और रवि उसकी बूर में लन्ड चांप के झड़ता रहा। अचानक रवि उठा और पलँग से न8के उतरा। मोहिनी को लगा कि अब वो वाशरूम जाएगा तो उसे बोली साले तू चला था मेरी प्यास मिटाने।  तेरे जैसे 2 मिल के भी मुझे ठंडा नही कर पाएंगे। तभी रवि ने अपनी पेंट की पैकेट से कुछ निकाला । इधर मोहिनी अपने हाथों से अपनी बूर की क्लिट रगड़ते हुए रवि को गालियां बक रही थी। अचामक उसकी नज़र रवि पर पड़ी तो उसने देखा की रवि के हाथ मे एक लन्ड झूल रहा था जो डिल्डो था। मोहिनी के कुछ कहने से पहले ही रवि ने एक ही झटके में पूरा का पूरा डिल्डो उसकी बूर में घुसा दिया और पूरी ताकत से फुल स्पीड में मोहिनी की बूर में अंदर बाहर करने लगा। अब मोहिनी आपने होशोहवाश खो बैठी। मोहिनी : आआआह ऊऊऊईईई मआआआआ हाआआ ऐसे ही चोदो। तुम्हारे लन्ड से तो अच्छा यही है।
अब कमरे में फच फच फचर फचर फचकफच की आवाज़ें गूंजने लगी थी। रवि हैरान था कि इतनी दमदार चुदाई के3 बाद भी जब वो पूरा का पूरा डिल्डो मोहिनी की बूर में पूरी स्पीड से घुसा और निकाल रहा था फिर भी मोहिनी 15 मिनट तक चुदवाती रही उसकी बाद जा के उसने झड़ना शुरू किया। उसका बदन अकड़ गया और उसने रवि के हाथ के ऊपर से डिल्डो पकड़ के पूरी ताकत से जड़ तक अपनी बूर में दबा लिया और डिल्डो अब उसकी बूर में पूरा का पूरा घुसा हुआ था और मोहिनी अधखुली आंखें लिए हुए झड़ रही थी। लगभग पांच मिनट तक उसका बदन पुइरी तरह अकड़ा हुआ था और उसके बाद उसने हाथ से डिल्डो छोड़ दिया और बिस्तर पर निढाल पड़ गई। रवि ने डिल्डो को एक बार पूरा का पूरा उसकी बूर से बाहर खींचा जो मोहिनी के बूर के रस में सना हुआ चमक रहा था और फिर से उस डिल्डो को मोहिनी के बूर में धीरे धीरे सरकाने लगा।
मोहिनी : (कातर निगाहों से रवि की तरफ देखते हुए) बस अब और नही। रुक जाओ।
रवि: बस हो गया? इतनी ही गर्मी थी?
मोहिनी को रवि का ये अंदाज कुछ चुभ सा गया सो वो बोल पड़ी
मोहिनी: मुकाबला लन्ड का बूर से होता है डिल्डो से तो कोई भी ज़ीत जाएगा।
यह कहते हुए मोहिनी ने रवि का लन्ड पकड़ के खींच दिया। रवि इसके लिए तैयार नही था सो उसके मुंह से आह निकल  फिर रवि और मोहिनी दनो हंस पड़े।
रवि: अब मुझे चलना चाहिए वरना शाम को यहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा।
मोहिनी: जाओ लेकिन यह डिल्डो यहीं छोड़ दो। तुम दुबारा आओगे तब तो काम आएगा ही बीच मे भी मैं इसका इसएमाल कर लुंगी।
रवि:  मरवाओगी क्या?
मोहिनी: क्यों ऐसा क्या कह दिया मैने?
रवि: अरे कविता भी तुम्हारे इतनी ही गर्म है और उसे भी यही डिल्डो ठंडा करता है। ये नही रहा उसे चोदते समय तो वो मुझे कच्चा कहा जाएगी।
मोहिनी: अब समझी की वो तुम्हारे साथ सन्तुष्ट कैसे हो पाती है।
रवि कुछ बोलता नही बस मुस्करा देता है। वह कपड़े पहनते हुए बोलता है
रवि: उठो तुम भी कपड़े पहन लो और मुझे मार्केट छोड़ आओ जहां से पिक किया था।
मोहिनी अंगड़ाई लेते हुए बोली अब मैं कहीं नही जा रही। आओ तुम्हारा खड़ा कर दूं और एक राउंड हो जाए।
रवि: अपना लन्ड अपने हाथ मे पकड़ते हुए बोला अब 4 घण्टे तक ये नही जागने वाला। सो उठो और मुझे छोड़ आओ।
मोहिनी: कैसे ढीले मर्द हो।
यह कह के मोहिनी ने आंख मार दी और उठ खड़ी हुई। 10 मिनट में टोनो ने कपड़े पहन लिए और स्कूटी से मोहिनी रवि को छोड़ने चली गई। घर मे अब कोई नही था। मैंने सबसे पहले  3द रूम में घुस के अपना मोबाइल फ्लावर पाट से निकाला और उसकी रेकार्डिंग सेव की। फिर उसे देख तो  वीडियो और आवाज़ें साफ साफ दिखाई और सुनाई दे रही थी । फिर मआईने हैंडीकैम की रेकार्डिंग सेव की और उसे रमेश के डेस्कटॉप कम्प्यूटर की हार्डडिस्क में एक फोल्डर बना के सेव कर दिया। फिर उसे ज़िप कर के अपनी गूगल ड्राइव पर अपलोड कर दिया। नेट फास्ट था इसलिए उपलोड जल्दी हो गया। मैने हैंडीकैम की वीडियो अपने मोबाइल में भी डाल ली। अभी ये सब कर के मैं फ्री हुआ ही था कि दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। मैं फिर  कबर्ड में छुप गया। अब मेरा बुरा हाल था। मैं यह सोच रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं अंदर से तो मोहिनी आंटी के साथ वो सब कुछ करना चाहता था जो रवि अंकल ने किया था। लेकिन हिम्मत मेरा साथ नही दे रही थी। मुझे लगा कि ये मौका हाथ से जाने दिया तो फिर मोहिनी आंटी मुझे कभी नही मिलेगी। बहुत सोच के मैं इस नतीजे पर पहुंचा की वीडियो दिखा के आंटी को मजबूर कर दूंगा की वो मेरे साथ भी करे वरना वीडियो सबको दिखा दूँगा। अगर वो मान गई तो अच्छा वरना उसी के ऊपर सबके सामने इल्ज़ाम लगा दूंगा की बोल रही थी कि तू भी मेरे साथ कर ले पर किसी को मत बता। जब मैं तैयार नही हुआ तो वे मुझे बदनाम कर रही है। मुझे विश्वास था कि मोहिनी और रवि की करतूत देख के सभी मेरी बातों का यकीन कर लेंगे। अब ये तक सोचने तक तो ठीक था लेकिन मोहिनी के सामने जाने में मेरी हालत खराब हो रही थी। इधर मोहिनी आंटी ने अपनी कपड़े खोल दिए। ब्रा और पैंटी के ऊपर एक ट्रांसपैरेंट नाइटी डाली जो सामने से खुली थी और कमर पे एक स्ट्रैप से बंधी थी। मोहिनी आंटी बिस्तर पर लेट गई। मैं हिम्मत जुटा के कबर्ड से बाहर आया।  मोहिनी आंटी के कमरे का आधा पर्दा खुला था इसलिए उसमे झांका जा सकता था। मोहिनी आंटी ने टीवी का रिमोट लिया और उसे ऑन किया। कोई हिंदी मूवी चैनल था। पूरी हिम्मत जुटा के मैने अपने फोन की रेकार्डिंग को फूल वोल्युम पर शुरू कर दिया और पर्दे के पीछे खड़ा हो गया। चुकी टीवी की आवाज़ धीमी थी इसलिए मेरे मोबाइल की आवाज़ आंटी के कानों में पड़ी। वो एकदम से चौंक के बिस्तर से उठी और बोल पड़ी
मोहिनी: कौन है?
मैं पर्दे के पीछे से सामने आ गया और बोला में हूँ आंटी।
मोबाइल उसी तरह चलते हुए मेरे हाथ मे था। मैंने उसको आंटी की तरफ  बढाते हुए बोला
मैं: यह मूवी ज़्यादा मज़ेदार है आंटी इसे देखिए।
आंटी ने झट से मोबाइल मेरे हाथों से लिया और सर झुका के एक सेकेंड देखा और वो वीडियो डिलीट करते हुए मुझपर गुर्राते हुए बोली
मोहिनी: तो दूसरों के घर मे चोरी से घुस के यही काम करता है तू। मैं अभी तेरी मम्मी को फोन लगा तेरी क्लास लगवाती आती हूँ। यह बोल के मोहिनी आंटी ने मेरा फोन बेड पे पटका और अपना फोन उठा लिया। जब मैंने देखा कि वो अब फोन करने वाली है तो मैं बोल पड़ा
मैं: क्या कहेंगी की मैं के आपको रवि अंकल के साथ करवाते हुए पकड़ लिया?
मोहिनी: रुक जा बच्चू तेरा वीडियो तो डिलीट कर दिया मैंने अब ऐसी शिकायत लगाउंगी की सारी जासूसी भूल जाएगा और कौन करेगा तेरी बात पर विश्वास?
मैं: ठीक है पर फोन लगाने से पहले ये भी देख लो आंटी। हो सकता है फोन लगा के आपको पछताना पड़े?
अब मोहिनी आंटी के कान खड़े हो गए और वो आग बबूला हो मेरी तरफ देखने लगी। मैन मोबाइल में हैंडीकैम वाली रेकार्डिंग खोल आंटी के सामने रख दी। अब आंटी की हालत खराब होने लगी। उन्होंने वो भी डिलीट कर दी और बोली अब?
मैं: ज़रा मेरा मोबाइल तो पकडाईए।
आंटी ने मोबाइल मुझे दे दिया।  मैने गूगल ड्राइव से पहली वाली वीडियो डाउनलोड कर आंटी को मोबाइल पकड़ा दिया। अब आंटी के होश उड़ गए। वो सर पकड़ के बैठ गई।
मोहिनी: कितनी कौपीस बनाई है तूने इस विडियोकी?
मैं: जितना आप डिलीट नही कर सकती
मोहिनी: मुझे बदनाम कर तुझे क्या मिलेगा। मैं तेरे दोस्त की माँ हूँ।
मैं: ठीक है तो फिर रमेश को ये वीडियो भेज देता हूँ।
अब मोहिनी आंटी  के मेरा हाथ पकड़ मुझे बिस्तर पर बिठाया और बोली
मोहिनी: नही बेटा ऐसा मत करना प्लीज़।
मैं: तो क्या इसे आपके और अपने बीच मे सीक्रेट रक्खू ?
मोहिनी: हां हां बेटा यही चाहती हूं मैं। तू मेरा प्यारा बेटा है। मेरी बात मान ले।
मैं: मान तो लूं पर -----------
मोहिनी: पर क्या? तुझे जो चाहिए मैं दूँगी। बोल क्या चाहिए।
अब मुझे लगा की मोहिनी मेरे कंट्रोल में है और अब मुझे बोल ही देना चाहिए कि मेरे मन मे क्या है।मैं बोला
मैं: तो क्या आप मुझे सब कुछ दे सकती हैं?
मोहिनी: हां बेटा। तुझे विश्वास नही तो ये ले और कहते हुए मोहिनी आंटी ने अपनी पर्स से 2000 का नोट निकाला और मुझे दे के लगी। ये ले ये तेरे लिए है।
मैं तेज़ी से सोच रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए।
मैं: नही आंटी मुझे पैसे नही चाहिए?
मोहिनी: तो फिर क्या चाहिए। कुछ खरीदना है मार्केट से?
मैं: नही।
अब मोहिनी आंटी के माथे पे बल पड़ने लगे। उन्हें समझ नही आ रहा था कि मुझे क्या चाहिए। तभी मैं बोल पड़ा
मैं: जो मांगूंगा वो देंगी?
मोहिनी: मांग के तो देख  बेटा, सब कुछ दूँगी।
मैं: आंटी एक बात सच सच बताइए।
मोहिनी: क्या?
 
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: जो रवि अंकल आपके साथ  कर रहे थे वो सब कुछ तो वो कविता आंटी के साथ भी करते होंगे न?
अब मोहिनी आंटी को समझ नही आ रहा था कि वो क्या बोलें । वो चुप रहीं।
मैं: बताइए न आंटी?
मोहिनी: प्यार से मेरे बगल में बैठते हुए देख बेटा ये  बड़े लोगों की बाते हैं तू इन सब के चक्कर मे मत पड़।
मैं: आंटी मैं भी अब बड़ा हो गया हूँ और सब समझता हूं। इसलिए आपको बताना पड़ेगा।
मेरे ऐसे तेवर देख के आंटी गुस्से से लाल हो गई लेकिन फिर भी प्यार से बोली
मोहिनी:  हाँ कविता उनकी बीवी है तो उसके साथ तो करते ही हैं।
मैं: फिर जब कविता आंटी है उसके बाद भी वो आपके साथ क्यों करते हैं?
अब मोहिनी के पास इसका कोई जवाब नही था लेकिन उनकी मज़बूरी ये थी की वो मुझपर गुस्सा भी नही कर सकती थी।
मैं: बताइए न आंटी?
मोहिनी आंटी फिर चुप रही।
मैं: आप नही बताएंगी तो मैं बताऊं आपको?
अब मोहिनी आंटी के चौंकने की बारी थी।
मोहिनी: क्या कहना चाहता है तूँ?
मैं: यही की ये काम करने में इतना मज़ा आता है कि रवि अंकल को मौका मिला तो कविता आंटी के साथ साथ आपसे भी मज़े लेने लगे और आप भी मोहित अंकल ( रमेश के पापा) के अलावा रवि अंकल से भी मज़े लेंने लगी ।
अब मोहिनी आंटी लगभग रोने की स्थिति में आ गई थी। वो रुआंसी होकर बोली:
मोहिनी: मुझे बदनाम करके तुझे क्या मिलेगा। तू अभी इतना छोटा है कि मैं तुझे हर बात नही बता सकती हूं और न ही समझा सकती हूं।
मैं: आंटी आप परेशान मत होइए। मेरा आपको बदनाम करने का कोई इरादा नही है लेकिन मैं ये सब जानना चाहता हूं क्योंकि –----------- यह बोल के मैं चुप हो गया।
मोहिनी: क्योंकि क्या? बात तो पूरी करो बेटे।
मैं: आंटी जैसे बड़े मना करते हैं कि खेलो मत लेकिन हम बच्चे उनकी बात न मानते हुए पढाई के टाइम भी खेलते है। हम ऐसा इसलिए करते हैं कि खेलने में हमे मज़ा आता है। इसी तरह अपनी बीवी या पति तो ठीक है लेकिन दूसरे की बीवी या पति के साथ सामाजिक रूप से मना होते हुए भी आप दोनों क्यों कर रहे थे।
मोहिनी: ( सर झुका के) तुम बच्चों के खेल की तरह हम बड़ों का ये खेल है और हम भी मना होने के बाद भी हम ये खेल खेलना चाहते हैं।
मैं: लेकिन क्यों ? यही तो मैं जानना चाहता हूँ।
मोहिनी :  (सर झुकाए हुए) क्योंकि बड़ों को भी ये खेल खेलने में मज़ा आता है।
मुझे लगा कि अब समय आ गया है जब मुझे मोहिनी आंटी के आगे अपने मन की बात रख देनी चाहिए। अब तक मैं ये तो जान ही गया था कि मोहिनी आंटी अब विवश है और मेरा कहना मानना उसकी मजबूरी है। अब मैने हिम्मत जुटाई और बोला
मैं: आप बोल रही थी कि मैं जो मांगूंगा  वो आप मुझे देंगी।
आंटी अब खुश हो गई। उन्हें लगा कि अब मैं शायद कुछ मांग के ये बात किसी को नही बताऊंगा। वो बोली
मोहिनी : हाँ बेटा मांग के तो देख। मैं सब कुछ देने को तैयार हूँ।
मैं: मुझे रवि अंकल वाला मज़ा लेना है।
अब आंटी के चेहरे का रंग उड़ गया। वो अपना पसीना पोछते हुए बोली
मोहिनी : बेटे ये क्या बोल रहा है तू? तू अभी छोटा है। ये सब कैसे हो सकता है।
मैं : अब मैं इतना छोटा भी नही हूँ। मेरा भी स्पर्म निकलता है। और जिसका स्पर्म निकलता है वो छोटा कैसे हो सकता है।
आंटी : अब कैसे समझाऊँ तुझे। और फिर इस खेल के लिए एक लड़की भी तो चाहिए। वो कहां है?
मैं: आप हैं न ।
अब मोहिनी सन्न हो गई। वो गुस्से से आग बबूला थी लेकिन कुछ बोल नही पा रही थी।उनका चेहरा तमतमा गया। अंत मे वो बोल पड़ी
मोहिनी : तू समझ भी रहा है कि तू क्या बोल रहा है? मैं तेरे दोस्त की मम्मी हूँ। मतलब तेरे मम्मी जैसी।
मैं : मम्मी जैसी हैं मम्मी तो नही हैं न?
मोहिनी :  तू इतना गन्दा है मैं के सोच भी नही सकती थी।
मैं : (अब मुझे भी गुस्सा आ गया)मै भी ये नही सोच सकता था कि आप और रवि इट के गंदे होंगे। मैं तो बस आप लोगों को देख के सीख रहा हूँ। कोई बात नही अब मैं जा रहा हूँ कह के मै बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और दरवाज़े की तरफ मुड़ा।
अचानक मोहिनी आंटी पीछे से लपकी और पीछे से ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और ज़बरदस्ती बेड पर लिटा मेरे ऊपर अपनी एक टांग डाल के अपनी बांहों को मेरी छाती पर रख दिया। फिर मेरे  चहरे को अपने चेहरे की तरफ मोड़ते हुए आप के होठों को बिल्कुल मेरे होटों के पास ले आके बोली
मोहिनी : तो तेरा इरादा पक्का है कि तू मेरे साथ ये खेल खेलेगा?
मैं : हाँ मैं चाहता तो यही हूँ।
मोहिनी : इसका मतलब की तू अपने दोस्त की माँ को --------- इतना कह के मोहिनी अपने होंठ मेरे कानों तक लाई। ऐसा करने से उनके उरोज मेरी छाती से रगड़ खाने लगे। अब मेरी हालत खराब होने लगी। मेरा हथियार अपनी औकात में आ गया और एकदम तन गया। मेरे कान के पास होठ लाकर मोहिनी लगभग फुसफुसाते हुए बोली
मोहिनी : चोदेगा?
यह कह के मोहिनी ने मेरे कान को अपने होठों के बीच ले के हल्के से काट लिया।
 मुझे लगा कि अब आंटी शायद लाइन पर आ गई हैं तो मैं बोल पड़ा
मैं : हाँ यही तो मैं चाहता हूँ।
अब मोहिनी ने मेरे कान अपने होठों की गिरफ्त से आज़ाद किए और मेरे बगल में लेट गई। अभी भी मेरा लन्ड मोहिनी की जांघों से दबा हुआ था और उनका एक हाथ मेरी छाती पर था। मोहिनी बोली
मोहिनी : जब तू बोलने में इतना शर्मा रहा है तो  करेगा कैसे। ये तेरे बस की बात नही।
मोहिनी के बोलने के अंदाज़ में एक छेड़छाड़ नज़र आई। मैं भी अब खुलने लगा था सो झट से बोल पड़ा
मैं : चुदाई मुँह से थोड़ी करनी है कि मुंह से बोलने से ये साबित हो जाएगा की मैं आपको चोद सकता हूँ। अगर ऐसा होता तो रवि अंकल को आपको सन्तुष्ट करने के लिए डिल्डो का प्रयोग नही करना पड़ता। अपने लन्ड से आपकी बूर को ठंडा कर पाए होते।
मोहिनी : अच्छा ज़ी बात तो बहुत बड़ी बोल गया बेटे लेकिन तेरा टेस्ट भी होगा तब तुझे पता चलेगा कि ये खेल इतना आसान नही जितना दिखता है।
 
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abhay1994 said:
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: जो रवि अंकल आपके साथ  कर रहे थे वो सब कुछ तो वो कविता आंटी के साथ भी करते होंगे न?
अब मोहिनी आंटी को समझ नही आ रहा था कि वो क्या बोलें । वो चुप रहीं।
मैं: बताइए न आंटी?
मोहिनी: प्यार से मेरे बगल में बैठते हुए देख बेटा ये  बड़े लोगों की बाते हैं तू इन सब के चक्कर मे मत पड़।
मैं: आंटी मैं भी अब बड़ा हो गया हूँ और सब समझता हूं। इसलिए आपको बताना पड़ेगा।
मेरे ऐसे तेवर देख के आंटी गुस्से से लाल हो गई लेकिन फिर भी प्यार से बोली
मोहिनी:  हाँ कविता उनकी बीवी है तो उसके साथ तो करते ही हैं।
मैं: फिर जब कविता आंटी है उसके बाद भी वो आपके साथ क्यों करते हैं?
अब मोहिनी के पास इसका कोई जवाब नही था लेकिन उनकी मज़बूरी ये थी की वो मुझपर गुस्सा भी नही कर सकती थी।
मैं: बताइए न आंटी?
मोहिनी आंटी फिर चुप रही।
मैं: आप नही बताएंगी तो मैं बताऊं आपको?
अब मोहिनी आंटी के चौंकने की बारी थी।
मोहिनी: क्या कहना चाहता है तूँ?
मैं: यही की ये काम करने में इतना मज़ा आता है कि रवि अंकल को मौका मिला तो कविता आंटी के साथ साथ आपसे भी मज़े लेने लगे और आप भी मोहित अंकल ( रमेश के पापा) के अलावा रवि अंकल से भी मज़े लेंने लगी ।
अब मोहिनी आंटी लगभग रोने की स्थिति में आ गई थी। वो रुआंसी होकर बोली:
मोहिनी: मुझे बदनाम करके तुझे क्या मिलेगा। तू अभी इतना छोटा है कि मैं तुझे हर बात नही बता सकती हूं और न ही समझा सकती हूं।
मैं: आंटी आप परेशान मत होइए। मेरा आपको बदनाम करने का कोई इरादा नही है लेकिन मैं ये सब जानना चाहता हूं क्योंकि –----------- यह बोल के मैं चुप हो गया।
मोहिनी: क्योंकि क्या? बात तो पूरी करो बेटे।
मैं: आंटी जैसे बड़े मना करते हैं कि खेलो मत लेकिन हम बच्चे उनकी बात न मानते हुए पढाई के टाइम भी खेलते है। हम ऐसा इसलिए करते हैं कि खेलने में हमे मज़ा आता है। इसी तरह अपनी बीवी या पति तो ठीक है लेकिन दूसरे की बीवी या पति के साथ सामाजिक रूप से मना होते हुए भी आप दोनों क्यों कर रहे थे।
मोहिनी: ( सर झुका के) तुम बच्चों के खेल की तरह हम बड़ों का ये खेल है और हम भी मना होने के बाद भी हम ये खेल खेलना चाहते हैं।
मैं: लेकिन क्यों ? यही तो मैं जानना चाहता हूँ।
मोहिनी :  (सर झुकाए हुए) क्योंकि बड़ों को भी ये खेल खेलने में मज़ा आता है।
मुझे लगा कि अब समय आ गया है जब मुझे मोहिनी आंटी के आगे अपने मन की बात रख देनी चाहिए। अब तक मैं ये तो जान ही गया था कि मोहिनी आंटी अब विवश है और मेरा कहना मानना उसकी मजबूरी है। अब मैने हिम्मत जुटाई और बोला
मैं: आप बोल रही थी कि मैं जो मांगूंगा  वो आप मुझे देंगी।
आंटी अब खुश हो गई। उन्हें लगा कि अब मैं शायद कुछ मांग के ये बात किसी को नही बताऊंगा। वो बोली
मोहिनी : हाँ बेटा मांग के तो देख। मैं सब कुछ देने को तैयार हूँ।
मैं: मुझे रवि अंकल वाला मज़ा लेना है।
अब आंटी के चेहरे का रंग उड़ गया। वो अपना पसीना पोछते हुए बोली
मोहिनी : बेटे ये क्या बोल रहा है तू? तू अभी छोटा है। ये सब कैसे हो सकता है।
मैं : अब मैं इतना छोटा भी नही हूँ। मेरा भी स्पर्म निकलता है। और जिसका स्पर्म निकलता है वो छोटा कैसे हो सकता है।
आंटी : अब कैसे समझाऊँ तुझे। और फिर इस खेल के लिए एक लड़की भी तो चाहिए। वो कहां है?
मैं: आप हैं न ।
अब मोहिनी सन्न हो गई। वो गुस्से से आग बबूला थी लेकिन कुछ बोल नही पा रही थी।उनका चेहरा तमतमा गया। अंत मे वो बोल पड़ी
मोहिनी : तू समझ भी रहा है कि तू क्या बोल रहा है? मैं तेरे दोस्त की मम्मी हूँ। मतलब तेरे मम्मी जैसी।
मैं : मम्मी जैसी हैं मम्मी तो नही हैं न?
मोहिनी :  तू इतना गन्दा है मैं के सोच भी नही सकती थी।
मैं : (अब मुझे भी गुस्सा आ गया)मै भी ये नही सोच सकता था कि आप और रवि इट के गंदे होंगे। मैं तो बस आप लोगों को देख के सीख रहा हूँ। कोई बात नही अब मैं जा रहा हूँ कह के मै बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और दरवाज़े की तरफ मुड़ा।
अचानक मोहिनी आंटी पीछे से लपकी और पीछे से ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और ज़बरदस्ती बेड पर लिटा मेरे ऊपर अपनी एक टांग डाल के अपनी बांहों को मेरी छाती पर रख दिया। फिर मेरे  चहरे को अपने चेहरे की तरफ मोड़ते हुए आप के होठों को बिल्कुल मेरे होटों के पास ले आके बोली
मोहिनी : तो तेरा इरादा पक्का है कि तू मेरे साथ ये खेल खेलेगा?
मैं : हाँ मैं चाहता तो यही हूँ।
मोहिनी : इसका मतलब की तू अपने दोस्त की माँ को --------- इतना कह के मोहिनी अपने होंठ मेरे कानों तक लाई। ऐसा करने से उनके उरोज मेरी छाती से रगड़ खाने लगे। अब मेरी हालत खराब होने लगी। मेरा हथियार अपनी औकात में आ गया और एकदम तन गया। मेरे कान के पास होठ लाकर मोहिनी लगभग फुसफुसाते हुए बोली
मोहिनी : चोदेगा?
यह कह के मोहिनी ने मेरे कान को अपने होठों के बीच ले के हल्के से काट लिया।
 मुझे लगा कि अब आंटी शायद लाइन पर आ गई हैं तो मैं बोल पड़ा
मैं : हाँ यही तो मैं चाहता हूँ।
अब मोहिनी ने मेरे कान अपने होठों की गिरफ्त से आज़ाद किए और मेरे बगल में लेट गई। अभी भी मेरा लन्ड मोहिनी की जांघों से दबा हुआ था और उनका एक हाथ मेरी छाती पर था। मोहिनी बोली
मोहिनी : जब तू बोलने में इतना शर्मा रहा है तो  करेगा कैसे। ये तेरे बस की बात नही।
मोहिनी के बोलने के अंदाज़ में एक छेड़छाड़ नज़र आई। मैं भी अब खुलने लगा था सो झट से बोल पड़ा
मैं : चुदाई मुँह से थोड़ी करनी है कि मुंह से बोलने से ये साबित हो जाएगा की मैं आपको चोद सकता हूँ। अगर ऐसा होता तो रवि अंकल को आपको सन्तुष्ट करने के लिए डिल्डो का प्रयोग नही करना पड़ता। अपने लन्ड से आपकी बूर को ठंडा कर पाए होते।
मोहिनी : अच्छा ज़ी बात तो बहुत बड़ी बोल गया बेटे लेकिन तेरा टेस्ट भी होगा तब तुझे पता चलेगा कि ये खेल इतना आसान नही जितना दिखता है।
 

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