Adultery दोस्ती यारियां

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स्वागत नई कहानी पर
 
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एक ही थाली के चट्टे बट्टे निशुल और राजू दो बोहोत अच्छे दोस्त भी एक दूसरे के ऊपर जी तोड़ भाईसारा निभाने वाला । दोनो ही 22 साल के है दोनो ही ग्रेजुएट हो कर नौकरी की तलास में थे । लेकिन की कही कोई ढंग की नौकरी नही मिल रहा था दोनो को दोनो ही संरक्षक लेकिन मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखते थे ।



अंत में दोनो ने फैसला लिया की कुछ अपना बिजनेस शुरू करेंगे । दोनो ने पहले तो 100 आइडिया सोच के फुल कॉन्फिडेंट हो कर बिजनेस शुरू करना चाहा लेकिन जब दोनो ने अपने अपने घर में ये बात बताए तो दोनो को ही जूते पड़े ।



निशूल का घर ।




निशुल के पापा घनश्याम एक किसान थे और उसकी मां रीता एक गृहिणी वो एक अकेला संतान है अपने मां पापा का ।



निशु के पापा ....." सुन रही हो निशु की मां लौंडा आमवानी बनेंगे । शहर में बिजनेस करेंगे 5 लाख रुपए चाहिए । कहा से दूं अपने आपको बेच के "


निशु " पापा आप भड़क क्यू रहे हो । पता हे मुझे इतने पैसे घर पे नही हे । बस दो बीघा जमीन ही तो बेचना हे बाकी 8 बीघा है ना हमारे पास । और वैसे भी उस दो बीघा जमीन पर खेती होती कहा हे नदी किनारे है बार बार बाण में पूरा खेत बेह जाता हे । पी सी कंपनी वाले वोहा पे कोई प्लांट बनाना चाहता हे और दुगनी रकम देंगे सोचिए पिछड़े हुए गांव की जमीन का 3 लाख बीघा दे रहा हे। सोच के देखिए फायदा हो रहा हे "




निशु के पापा " चुप एक दम चुप । पहली बात तो ये की तू इतना भी बड़ा नही हुआ की तू इस घर फैसला ले और मुझे आदेश दो । जब तक में जिंदा हूं तब तक वो जमीन नही बिकेगी । बस एक बार कह दिया तो कह दिया । अब जा यहां से मेरा दिमाग खराब मत कर । "


निशु की मां दरवाजे पे एक दम चुप खड़ी थी । निशु पेर पटकते हुए अपने कमरे में गया गुस्से से फुबरने लगा । निशु की मां रीता उसके कमरे में गई ।



रीता अपने लाडले को दुखी नहीं देख सकती थी " मेरा बच्चा पापा की बातों का बुरा मत मान वैसे भी तू अभी बोहोत छोटा हे । मेरा बच्चा जा नहा ले खाना खा ले । चल तुझे आज में नहला देता हूं चल आजा "



निशु अपनी मां का हाथ दूर कर देता है " मां ऐसे ऐसे छूओ मत कोई दूध पीता बच्चा नही हूं में । किस दरासिंह से शादी की हे तूने । "



रीता अपने लाडले की दुख नही देख सकती थी और ना ही अपने पति से सर उठा के अपने बेटे के लिए बात करने की हिम्मत रखती थी ।



राजू का घर ।



राजू के पापा व्रिजेस एक सेवानिवृत्त अध्यापक थे । और मां सुजीता एक गृहिणी थी । राजू भी एक लौटा संतान था ।



राजू के पापा ब्रिजेस.." राजू बेटा । मुझे कुछ ठीक नही लग रहा है। तुम जो आइडिया बता रहे हो मुझे नही लगता की उनने इतना पैसा लगाना चाहिए स्टार्टिंग में । ये घर जो भी सेविंग्स हे सब तुम्हारे ही हे लेकिन ऐसे तो में तुम्हारे हाथ में नही दे सकता बरबाद करने ।"




राजू बोला " तो पापा आप चाहते की में फुडपाथ पर जा के पहले आते डाल बेचूं। या फिर में टेक्सटाइल का बिजनेस करना चाहता हूं और इस लिए में जरूरत की मशीन न खरीद के कुछ हजार की कपरे डीलर से उठा के सड़क पे बेचू। "



राजू की मां सुजीता बोली ", बेटा तेरे पापा ऐसा तो नही कह रहे हे। तू बात को समझा नही "



राजू बीच में टोकते हुए बोला " तो कैसा हे मम्मी । पापा की बातों का सीधा सीधा मतलब यूंही हे ना । बस जितना समझना था में समझ गया । पापा आप मेरे लिए पैसा जमा करते हे ना तो करते रहिए । एक दिन जब आपके उम्र का होऊंगा और मेरे पास कोई ढंग का काम नही होगा खाने को लाने पड़ेंगे तब काम आएगा थोड़ा थोड़ा कर के आपके जमे किए हुए पैसों से गुजारा कर लूंगा । यही तो जिंदगी होती है बस दो वक्त की रोटी मिले तो और क्या चाहिए । ठीक हे फिर "



राजू अपने कमरे में चला गया । राजू को मनाने सुजीता उसके कमरे में चली गई ।



सुजीता " राजू तू अपने पापा का ऐसे डिजरस्पेक्ट कैसे करते हो । कितनी ठेस पोहोची उनको तुम्हारी बाते से । तुम्हे बास सही राह दिखा रहा था ।"


राजू चिढ़ रहा था " बस मम्मी मेरा दिमाग खराब मत करो जाओ आप यहां से "


सुजीता उसके सामने बैठ के उसे एक थप्पड़ लगाती हे " तू मेरी भी डिजरेस्पेक कर रहा हे "


राजू चिल्लाया " मम्मी "



सुजीता भी गुस्से से बोली " चुप । अपनी मम्मी के सामने उंसी आवाज। मूंह तोड़ दूंगी तेरा ।"


राजू चुप हो जाता है । सुजीता राजू के गाल सहला के बोली " बेटा गुस्सा थूक दे । हम कोई और आइडिया सोचेंगे । में तुम्हारा साथ दूंगी । अब मुस्कुरा दे "



राजू उठ कर खिड़की के पास चला गया ।
 
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रात को राजू और निशु फोन पर बात करते हे।


" भाई ये तो घरवाले मान ही नही रहे हे। "

" हा अब क्या करे हम। सब फ्लॉप हो गया यार "


" नहीं राजू सब नही । "

" मतलब "


" याद हे नंदा हिल स्टेशन "


" हा यार लेकिन । "

" लेकिन क्या "


" निशु खंडार बन गया है "


" तो क्या हुआ । हम उसे ऐसा बना देंगे की लोग अपनी आखें नही हटा पाएंगे । "


" तो फिर ठीक हे सुबह को ही निकलते हे वाहा "


" ओके डॉन। गुड नाईट "



दोनो सुबह 10 बजे तैयार हो कर अपनी अपनी बाइक ले कर निकलता है और एक पॉइंट पर दोनो मिल के अपनी मंजिल की और निकलते हे। अपने गांव और अपने शहर से दूर 90 किलोमीटर पर एक हिल स्टेशन था । वोही मार्केट से अलग एक ऑन वे रास्ते पर एक टूटा फूटा दुकान था जो बंद था ।






" भाई आ गए हे हम "

निशु राजू का कंधा थपथपा के बोला " हा तो आ गए हम । अब इसका मालिक आने ही वाला हे बात करते हे "



दोनो पहाड़ की वादियों के ठंडी हवा को मेहसूस करते हुए इंतजार करने लगे । कुछ देर बाद एक बूढ़ा आदमी आया ।



" नमस्ते काका " निशु ने बूढ़े आदमी से नमस्ते किया ।



बूढ़े आदमी भी मुस्कुरा कर बोले " नमस्ते बेटा । "


निशु " ये मेरा दोस्त हे राजू "


राजू " नमस्ते काका "


बूढ़े आदमी ", नमस्ते बेटा । तो बेटा में थोड़ा जल्दी में हूं आप लोग सीधे मुद्दे पे आइए "


निशु बोला " काका जल्दी तो हमे हे। बात तो हमारी पहले भी हो चुकी हे बस उसी मुद्दे को आगे बढ़ाते है। राजू दे पैसा "



निशु ने 75 हजार और राजू ने 75 हजार पैसा निकाल के बूढ़े आदमी को दिया । बूढ़ा आदमी खुश हो कर वो पैसा लिया और जमीन के सारे दस्तावेज निशु के हाथ में दिया ।



निशु बोला " काका आप तो जानते ही की कागज देने से ये जमीन हमारे नाम लिगेली होगा नही"


बूढ़े आदमी बोला " हा बेटा पता ही मुझे । सरकारी कार्यलय में तो जाना ही पड़ेगा । जब तुम बुलाओ में आ जाऊंगा । ये कागज तो में आपको मैने चेक करने के लिए दिया है। "


बूढ़ा आदमी चला गया ।



राजू निशु से बोला " साले ऐसे कैसे तूने जमीन खरीद ली । ये भी कोई खरीदारी हुई टोमेटर टोल के खरीद रहे क्या हम । देर लाख मुस्किल से हमने जमा किए थे वो भी तूने दे दी बूढ़े को । अगर बूढ़ा फ्रोट निकला तो "




निशु बोला " मैने सब पता किया हे। बूढ़ा एक अकेला आदमी हे इसके फैमिली यात्रा पर वे थे और एक एक्सीडेंट में मारा गया सबके सब । इसके बहु बेटे ये रेस्टरेंट चलाते थे । 90 साल को हो गया हे जो भी है उसीको बेच के मरने तक जीना चाहता हे "


राजू " ये तो बड़ी sad स्टोरी हे । तूने पक्का ठीक से मालूम किया तो है ना "


निशु बोला " हा बे। गधा नहीं हूं तेरी तरह "


राजू " मेरा लन्ड तू। साले अगर कुछ भी गरबरी हुई तेरी मां चोदूंगा"



निशु बोला " और मेरी तेरी मां को चोदूंगा ",


दोनो एक दूसरे को गुस्से वाला लुक देते हे और दोनो हास पड़ते हे । अगले एक हफ्ते में निशु और राजू ने लिगेल तरीके से जमीन आधे बीघा जमीन अपने नाम कर लिया ।



दोनो घर से कुछ दिन के निकल पड़े अपने काम में । दोनो की मां बोहोत परेशान थी अपने अपने बेटे के लिए । दोनो के बाप तो पहले से ही गुस्से में थे और अब तो और भी गुस्से में थे क्यू की दोनो ने घर पर बताया नही की दोनो क्या करने जा रहा हे बस इतना कहा की नई काम ढूंढने निकले है ।





दोनो ने नंदा हिल स्टेशन पर एक छोटा सा किराए का कमरा लिया । रिनेवेशन का काम कैसे किया जाता है खुद उसपे दोनो ने काफी जानकारी हासिल की और खुद अपने हाथो से काम करेंगे ये सोच के काम में लग गए दोनो ।




रेनोवेशन के लिए भी पैसा चाहिए था तो दोनो ने अपनी स्पोर्ट्स बाइक बेच दिया अपना लैपटॉप महंगा फोन जो भी बेचने लायक थी वो सब बेच दिया । लोन के लिए भी दोनो ने अप्लाई किया पर उसमे भी कुछ समय लगेगा ।
 
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टूटी फूटी दुकान को एक महीने की कड़ी मेहनत दे कर कैफे के साथ लाइब्रेबी भी बनाया ।



शाम को दोनो बीयर पीते हुए ।


" राजू रेनोवेशन का काम तो हो गया । फर्नीचर कहा से लायेंगे अब हम । मैने पता किया की इसके लिए कामसेकम 2 लाख का फर्नीचर चाहिए वो भी नॉर्मल वाला "



" अबे हर काम में ही दिमाग लगाऊंग क्या । पुराने जो फर्नीचर हे उसमे हम अच्छे से बर्निस कर देंगे देखना कैसे चमक उठती है । हा लाइब्रेब्री के लिए सेल्फ चाहिए । हमारे पास तो चीरी लकड़ी है ना उसमे बन जायेंगे "



" ठीक हे लगभग आधे से ज्यादा काम तो गया । अब बचा हे सामने एक छोटा सा गार्डेनिंग का । और कुछ शो पीस लगाने का और क्या किताब रखेंगे हम बे कुछ सोचा हे "



" अरे और क्या मिया खलीफा की मैगजीन रख देंगे "



दोनो हसने लगे ।


" निशु कैफे तो बना लिया । पर हमें तो कॉफी तक बनाने नही आती "



" अबे हम मालिक हे। कोई चेफ हायर कर लेंगे "

" राजू तू भी बात करता है साला । छेफ को तंखा देने के लिए ये कैफे बेचना पड़ेगा । मेरे पास एक आइडिया हे हम किसी ऐसे कारीगरी बाबरजी की उठाते हे जो फूड पाठ पे मोमोस बेचता हो "



" अच्छा और वो कॉफी बनाएंगे वो सब दिसेश बनाएंगे रेस्चरेंट वाली "



" अरे मिल जायेगा कोई ऐसा जो ये सब काम जानता हो लेकिन फिर भी हमारी तरह फूटी किस्मत ले के बैठा हो । और हम पहले कुछ 3,4 चार आइटम रखेंगे । एक दिन में थोरी होगा कुछ । "



" ठीक हे फिर । रात बोहोत हो गई हे चल कमरे में जा कर सोते हे "


" मां मुझे दिन में कॉल कर रही थी । मैने उठाए नहीं "


" मुझे भी शाम से मम्मी कॉल कर रही हे । मैने भी नही उठाए चलो कॉल लगाते है लेकिन साले बताना नही इन सबके बारे में । उनको भी तड़पने ने हमे भी दिखाना हे हम भी कुछ कम नही "



दोनो कमरे में जा कर सो जाते हे
 
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दोनो का सपना पूरा हुआ और कैफे अच्छे से चलने लगा । घरवाले परेशान थे की दोनो कहा हे किस हालत में और क्या कर रहा है जो हफ्ते में एक दिन के लिए घर आता है और पूछने पर कुछ नहीं बताते घुमा फिरा के कुछ भी बहाना मार देते हे ।



दोनो के बाप ने पता किया की दोनो कहा पर रह रहा है। एक दिन दोनो के मम्मी पापा नंदा हिल स्टेशन पर आए और ढूंढते हुए निशु एंड राजू कैफे आए जो दोनो ने अपने नाम पर ही कैफे का नाम रखा था ।






दोनो के मम्मी पापा सकीट थे ।


ब्रिजेस " बेटा ये सब "


राजू " पापा ये हमारा कैफे है और हमने खुद बनाया है "

घनश्याम " बेटा लेकिन ये जमीन "

निशु " हमने खरीदा हे । हमने पैसे जमा कर के रखे थे "



ब्रिजेस " फिर भी इसमें तो बोहोत पैसा लगा होगा "

निशु " हा। पर हमने मैनेज किया किसी तरह । हमने बाइक बेच दी जो ही कुछ चीज थी हमने बेच के ये कैफे और लाइब्रेरी बनाया छोटा सा ही सही पर हमारी मेहनत रंग ला रहा हे "


घनस्याम " बेटा हम बोहोत खुश हे की तुम दोनो इतने काबिल बन गए हो "


निशु " शुक्रिया आप लोगो का पर तब हमारी काबिलियत पर विश्वास करते तो हम इससे भी कुछ बड़ा कर सकते थे । चलो कोई नही हमने कुछ किया हे और सफलता की राह पर हे हम खुश हे "



दोनो बाप की कुछ पल के लिए नज़रे झुक गए । दोनो माय तो अपने अपने बेटे के ऊपर प्यार झटने लगे ।


रीता " बच्चो तुम दोनो रहते कहा हो "


निशु " मां हम यही कैफे पर रहते हे । ऊपर एक चट्ट पर कमरा बना लिया हे हमने "

सुजीता " अच्छा जरा हमे भी तो दिखाओ "


निशु और राजू अपनी अपनी माओ को ऊपर ले गए । रीता और सुजीता की कमरे की हालत देख हैरान हो गए।



रीता " क्या हालत बना दी हे कमरे की । सब चीज बिखरे पड़े है"

सुजीता कुछ कपड़े हाथ में उठा के बोली " उम्हू कितने बु आ रही हे । कपड़े धोते भी हो की नही। ऐसे रहते हो तुम दोनो "


निशु और राजू फुसफुसाने लगे ।


रीता " क्या फुसुर फुसुर करने लगे हो तुम दोनो "

राजू " कुछ नहीं आंटी "

सुजीता " क्या कुछ नही । एक तो हमसे दूर रह के छुपा कर कैफे खोल लिया और यहां पर ही रहने लगे हो हमे कुछ बताया तक नही । इसकी सजा तो तुम दोनो को मिलेगी "



कुछ देर बाद दोनो के मम्मी पापा जाने के लिए निकले लेकिन तभी दोनो माओ ने कहा दोनो बच्चो के बाप से " हम कुछ दिन बच्चो के साथ रह जाते है। उनके कपड़े बोहोत गंदे हो गए हे और कमरे की साफ सफाई भी कर देंगे "



राजू और निशु दोनो सोक गए ।


राजू " नही। आप लोग यहां नही रुक सकते "


निशु " हा आप लोग कैसे रूक सकते हे "



दोनो के बाप बोले " क्यू अपनी मां को अपने साथ रखने में क्या प्राब्लम हे तुम दोनो को । हम जा रहें हे और तुम दोनो की मां यही रहेगी जब तक हम इन्हे लेने बापच नही आते ।


दोनो के पिता अकेले लौट गए।


दोनो के मां दोनो को घूरने लगी ।


रीता " क्यू भाई हमे क्यू अपने साथ नही रखना चाहता हे "

सुजीता " बहन मुझे तो लगता है इन दोनो का कुछ रहस्य हे जो हमारे रहते हुए इनका रहस्य खुल जायेगा इसका दर हे दोनो का "


राजू " हा हा हा । सुना दोस्त हमारा रहस्य हे जिनके लिए हमे दर हे "

निशु" हा सुना दोस्त । लेकिन अच्छा ही हुआ ना हमे काम वाली बाई की जरूरत थी अब हमारी मां झाड़ू पोछा साफ सफाई करेंगे । "


दोनो मजाक करते हुए भागे और दोनो की मां उनके पीछे ।
 
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दोनो ने अपनी मम्मियों को दोपहर का खाना खिलाया । दोनो मम्मी शाम को उन दोनो का कमरा साफ करने लगी ।

रीता बिस्तर साफ कर रही थी और जैसे ही उसने तकिया उठाया तो उसकी आखें चौड़ी हो गई सुजीता ने भी वो चीज देखी और वो चीज हाथ में उठाई उसकी भी आखें फैल गई। एक लंबी सी पैकेट जिसमे 10 कंडोम का पैकेट लगे हुए थे ।


रीता सोक हो कर " बहन हमारे बच्चे ये सब करने लगे है। "

सुजीता " हा बहन देख रही हूं । हे प्र* ये में क्या देख रही हूं । हमारे बच्चे "


रीता " नजाने किस गंदी गंदी ब्येश्या के साथ ये सब करता होगा । बुलाओ बहन दोनो को आज दोनो की चमड़ी उधेरेगी "


सुजीता चिड़ी उतर के दोनो को बुलाती हे। दोनो कस्टमर की सेवा में व्यस्त थे । कैफे पर एक बाबर्जी और दो वेटर थे उनको काम संभालने को कह कर दोनो ऊपर आए ।


सुजीता ने कंडोम की पेकेट्स दिखा के पूछा " ये क्या हैं"


राजू और निशु की गांड फट गई दोनो ने नज़रे झुका ली कुछ जवाब नहीं दे रहा था ।

रीता बोली " साप सूंघ गया । इसलिए हमें रुकने नही देना चाहते थे । बोल अब कुछ बोलेगा भी या खड़ा रहेगा खंबे की तरह ।"



निशु ने राजू की तरह इशारा कर के बोला " मां मेरा नही हे राजू का हे "


राजू हैरानी से उछल पड़ा " क्या । कुत्ते साले । 5 तो तूने यूज किया हे मैने तो सिर्फ दो किए हे "


रीता और सुजीता मुंह फेर लेते हे *" छी "


निशु और राजू एक दूसरे को आखों आखों से गालियां देने लगा ।


सुजीता बोली " हमे इतना तो मालूम हो गया की दोनो का ही हैं। बस हमे इतना बता दो तुम दोनो का गर्लफ्रेंड है या वो । वो "


सुजीता बोल नही पाई तो रीता गला खर्चते हुए बोली " या गंदी लड़की के साथ । उम्हु जवाब दो "


निशु और राजू चुप चाप खड़ा रहा कोई जवाब नही दिया ।


सुजीता " बहन जवाब मिल गया "

रीता " हा । इन दोनो को सबक सिखाना पड़ेगा"


दोनो मां रुद्र अवतार में आ गई और जो हाथ में आया उसी से पीटने लगे । दोनो की जम के धुलाई होने लगी " सॉरी मां । सॉरी मम्मी । आह मम्मी लग रही हे। आ मां मर जाऊंगा । सॉरी । माफ कर दो । माफ कर दो "


दोनो की बोहोत अच्छे से पिटाई होने के बाद दोनो कही निकल गए ।



और एक खाई के पास बैठ गए दोनो।



राजू " यार तेरी मां ने तो मुझे भी पिता हे"


निशु", और तेरी मम्मी ने भी तो पिता हे मुझे "


राजू " यार तेरी मां की हाथ बोहोत सॉफ्ट हे "


निशु ", साले कुत्ते । तेरी मम्मी भी मुझे जब पीट रही थी उनकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे कंधे पे टच हुए थे मुझे बड़ा मजा आया "


राजू ", साले तुझे तो में "


दोनो भीड़ गए एक दूसरे से और लड़ने लगा । जब दोनो थक गए तो अपना अपना जैकेट निकाल के बैठ गया ।


राजू " यार हमारे तो लौड़े लग गए ",


निशु " हा यार । "


राजू " भाई एक दिल की बात बताऊं तुझे "


निशु " हा भाई बोल ना "


राजू थोड़ा समय लेके ", तुझे मॉम स्वप अच्छे लगते हे "


निशु " साले तू ये सेक्स स्टोरी पढ़ना बंद कर "


दोनो चुप हो जाते हे ।



कुछ देर बाद निशु बोला " तू चाहता है तो करते हे ना । एक ही लाइफ हे "



राजू खुशी से निशु को गले लगाते हुए ", यार यार हो तो तेरे जैसा । तू मेरी मम्मी की और में तेरी मां का "



निशु " चल शुरुवात अपनी अपनी मां की फिगर बता के करते हे "


राजू " हा तो सुन । तूने देखा ही मेरी मम्मी बोहोत गोरी हे जैसे दूध में सिंदूर मिला दो वैसे हे। उनकी उम्र अभी 45 है हाइट उसकी 5.5 फीट हे और फिगर 36-34-38 है "


निशु " बढ़िया मजा आयेगा । अब मेरी मां का सुन । मेरी मां भी गोरी हे पर तेरी मम्मी जितनी नही। हाइट उसकी 5.4 हे और फिगर भी तेरी मम्मी की तरह सेम हे लेकिन उम्र में छोटी हे मां सिर्फ 41 की हे। "



दोनो ने एक दूसरे का लौड़ा पैंट से बाहर निकाल के हिलाने लगा ।


राजू " यार हमारा 10 इंच का शेन डिजेल जैसा मोटा लौड़ा एक दूसरे की मम्मी की चूत में जब घुसेगा तो क्या होगा "



निशु " फटेगी तो नही पर दर्द में चिल्लाएगी जरूर । हमारे बापों का लंद इतना बड़ा तो नही होगा।"


राजू " हा यार हमारा भी कब था ऐसा था । वो तो उस डाक्टर की दबाई का कमाल हे । "


दोनो एक दूसरे की मां की बारे में गंदी बाते करते हुए हिलाते रहे और देर रात कैफे लौटे।
 
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दोनो मां राह देख रही थी । दोनो को दांत के रात का खाना खिलाती हे जो दोनो ने खुद बनाया था।



चारो कमरे में थे सोने के लिए ।


राजू " ओके मम्मी और आंटी आप दोनो यही बेड पे सो जाओ हम कैफे में बिस्तर लगा के सो जायेंगे "


सुजीता बोली " क्या । नहीं हम चारो एक ही बेड पे सोएंगे । बोहोत ठंड है बर्फ गिर रहा हे बाहर रात को और ठंड पड़ेगी "


निशु " पर आंटी इस बेड पे तो हम दो मुश्किल से सोते हे चार कैसे फिट आयेगा "


रीता अपने लाडले को बाहों में खींच के बिस्तर पर सुलाती हुई बोली " ऐसे मेरे लाल "


चारों हस पड़े और एक ही बिस्तर पर चिपक के लेट गए दोनो मां बीच में और दोनो बेटे अपनी अपनी मां के साइड में ।



रीता अपने बेटे के गाल गिला करने लगी " मेरा बच्चा कितना बड़ा हो गया है मुझे तो कभी पता ही नही चला "

निशु अपना गाल पोछने लगी " में बच्चा नही हूं जो आप हर बार ऐसे मेरी गाल गिला करते है "


सुजीता और राजू ये देख के हसने लगे ।


रीता बोली " देखा बहन अब अपनी मां की चुम्मिया इसे अच्छी नही लगती "


राजू अपना गाल रीता की तरफ ले जाते हुए बोला " कोई बात नही आंटी आप मुझे दो इसकी चुम्मीय "


जिशू झट से राजू का मुंह धकेल के बोला " अब हट मेरी मां है तेरी उधर हे उधर से ले "



सबकी हसी निकल गई ।



तभी सुजीता ने राजू के होठों को अपनी उंगलियों में दबा के राजू के होठ को चूमा और प्यार से बोला " कितना मिस किया तुम्हे । आई लव यू मेरा बच्चा । "



रीता शर्मा गई ये देख के तो सुजीता बोली " क्या बहन इतना क्या शर्मा रही हो । ये आज कल का मॉडर्न प्यार है "


निशु बोला " मां मुझे भी मॉडर्न प्यार चाहिए आपसे "


रीता शर्मा के " हट मुए "


पर निशु में अपनी मां की होठों पे चूमा और देखने लगा रीता प्यार भरी निगाहों से देखने लगी " नालायक । "



सुजीता राजू की सर पे हाथ फिराने लगी " तुम लोग इतने बड़े हो गए की अपनी मम्मी को कुछ भी नही बताया । कैसे जी रही थी में तुम्हारे बिना कुछ आभास भी हे तुझे "


राजू बोला " मम्मी सॉरी । आगे से ऐसा नहीं होगा ।"


रीता सुजीता से बोली " बहन । लगता हे दोनो की शादी कर देनी चाहिए अब । क्या कहते हो बहन "



निशु बोला " मुझे आप जैसी दुल्हन चाहिए "


राजू भी अपनी मम्मी से बोला " हा मुझे भी आप जैसी दुल्हन चाहिए "


रीता और सुजीता हस पड़े ।



दोनो मां अपने अपने बेटे को छीने से लगा के सुलाने लगी ।
 
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दूसरी सुबह ।



राजू " यार हम एक दूसरे की मम्मी को पटाए कैसे "


निशु " यार ये तो में भी सोच रहा था काल से "



राजू और निशु दोनो मम्मीस घुमाने ले जाता हे। दोनो मम्मी बोहोत खुश होती है ।




राजू और निशू ने एक प्लान बनाया ।




शाम को दोनो ने दोनो मम्मीस को एक मंदिर ले के गया। जहा भक्तों की भीड़ लगी थी । और दोनो ने प्लान के अनुसार काम किया ।



निशु " वो उस पहाड़ के नीचे छोटे**** मंदिर पर चलते हे"



राजू ", हा चलो चलते हे "



चारो पहाड़ के नीचे मंदिर पर चले गए । वाहा एक पुजारी बैठा था वो बोले " आइए में आप लोगो की पूजा कर देता हूं "



चारो पुजारी के साथ बैठ गए और पुजारी उनके सामने बैठ के योग्य में मंत्र पढ़ते हुए कुछ आधे घंटे तक पूजा करवाया और काफी कुछ विधि करवाया चारो को ।



और फिर पुजारी रीता और राजू के सर पे हाथ रख के आशीर्वाद दिया ", आप दोनो की दपत्य जीवन खुशाल हो " रीता और सुजीता ये सुन के कुछ प्रतिक्रिया दे इससे पहले ही पुजारी सुजीता और निशू के सर पे हाथ रख के बोला ", आप दोनो की भी दाम्पत्य जीवन खुशाल हो ",


तब सुजीता बोली ", पुजारी जी ये आप कैसा आशीर्वाद दे रहे हे । हम चारो पति पत्नी नहीं हे ये हमारे बेटे हे ",



रीता ", हा पुजारी जी ये आपने क्या किया "


निशु और राजू चुप थे ।



पुजारी सर पकड़ के बोले " ओहो मैने समझा की आप लोग पति पत्नियां हे तो मैने पति पत्नी की खुशहाली के लिए पूजा करवा दी मुझे माफ कर दीजिए। मुझे पता नही था "



सुजीता थोड़े गुस्से में बोली " एक बार पूछ तो लेते आप "


रीता " अब क्या होगा । ये कैसी अब सगुण हो गया हमारे साथ ,",



सुजीता बोली " अरे बहन कुछ नही होगा। जो हो गया सो हो गया पुजारी जी आगे से पूछ लेना कौन क्या हे "



पुजारी " बेटी उम्र में आपकी पिता जैसा हूं भले ही मुझसे गलती हुई हे लेकिन आप ऐसे मेरे मंत्र का अपमान नही कर सकते हे । मैने जो मंत्र पढ़े हे अगर आप ठुकरा देगी तो आपका ही नुकसान होगा। "



सुजीता ", क्या मतलब हे आपका । अच्छा ठीक ठीक हे में बहस नहीं करना चाहती अब हमे बस उपाय बता दीजिए ताकि आपकी मंत्र का बांध काट जाए "


रीता बोली " हा पुजारी जी कोई उपाय ही बता दीजिए ",



पुजारी ", आप समझदार लग रही हे तो सुनिए। " पुजारी ने रीता और राजू को निशु और सुजीता को अलग अलग इशारे से बताया ", आप दोनो और आप दोनो इस पूजा को काट नही सकते और इसीलिए आप दोनो को और आप दोनो पति पत्नी बन के रहना होगा कमसे कम 4 महीने तक "



रीता और सुजीता की पेड़ो तले जमीन खिचक गई और दोनो हैरानी से चिल्लाई जो औरते सोक में चिल्लाती हे।


रीता ", पूजारी जी ये आप क्या कह रहे हे"


सुजीता बोली " हद हे कुछ भी। में ये सब नही मानती। चलो यहां से ऐसे पागल पुजारी से हमे बात करना ही नही हे । "


पुजारी बोले " अगर नही मानेगी तो जो आप दोनो के असल जिन्दगी की पति हे आज रात को उनको हार्ट अटैक आ जायेगा और फिर कुछ दिनों बाद उनके मौत हो जायेंगे ",



निशु और राजू भी थोड़ा सक थे की उनके प्लान में ये बाते नही हुई थी ।




सुजीता गुस्से से तमतमा के बोली " ये चलो रे पुजारी सठीया गया हे। "




रीता को बोहोत दर लग रहा था क्यू की वो गांव की थी धार्मिक थी पूजा पाठ करने वाली सुजीता भी धार्मिक थी लेकिन ऐसे अंधभक्त नही थी की कोई भी कुछ भी कहे पूजा पाठ के नाम और वो विस्वास कर ले ।




सुजीता ने सबको साथ ले कर वाहा से चल दिए। रीता और सुजीता का मूड ऑफ था । निशू और राजू अपने माओ की मन हल्का करता है मजाक मस्ती मे।
 
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रात के 12 बजे सुजीता और रीता को कॉल आया की उनके पति को हार्ट अटैक आया हे और हॉस्पिटल में एडमिट हे।




सुजीता और रीता को भी हार्ट अटैक से कम झटका नही लगा निशु और राजू का भी यही हाल था चारो उसी रात एक कार किराए पर ले कर घर की तरफ चले गए । दोनो के बाप एक ही हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे।




हॉस्पिटल पोहोच के ब्रिजेस और घनश्याम की खबर लिया और डॉक्टर ने उन्हे आश्वासन दिया की पेसेंट फिलहाल खतरे से बाहर हे ।



राजू और निशु साइड में जा कर बात करने लगे ।


राजू " यार ये क्या हे उस पुजारी ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ । हमारे बाप को एक ही दिन में एक ही समय में एक साथ कैसे हार्ट अटैक आ गया कैसे "


निशु " मेरी भी समझ के परे है यार । कोई काला जादू तो नहीं कर दिया । "


राजू " क्या पता । वैसे तो मुझे इन सब बातों मे कोई विस्वास नही हे लेकिन आज जो हुआ । पता नहीं क्या कहूं "


निशु " यार कुछ भी कहो ये कुछ ज्यादा हो गया"



निशु और राजू बात कर रहे थे ।



बाकी फैमिली वाले रीता और सुजीता को संभाल रही थी ।





एक हफ्ते बाद ब्रिजेस और घनश्याम को घर ले आया गया ।




राजू और निशु 10 दिन घर पर रह कर कैफे आ गए । 11 दिन से कैफे बंद था । दोनो कुछ दिनो के लिए अपने प्लान पर रोक लगा देते हे ।




उधर रीता सुजीता से अकेले में मिलती है । दोनो एक रेस्टुरेंट में मिले ।



रीता " बहन तुमने कुछ सोचा हे"



सुजीता " क्या करू कुछ समझ में नही आ रहा हे"


रीता ", देखो बहन उस पुजारी की बात सच साबित हुई हे। अब दूसरी सच भी साबित होगी । हमे हमारी पति के जान बचाने के लिए वो बात माननी होगी "


सुजीता ", पता नहीं कैसे मुझे तो विस्वास ही नही हो रहा है। "


रीता" विस्वास करना पड़ेगा बहन । तुम समझ क्यू नही रही हो "


सुजीता ", में समझ रही हूं बहन समझ रही हूं । लेकिन में तुम्हारे बेटे के साथ जो मेरे बेटे का दोस्त हे उनकी पत्नी बन के। समझ रही हो ना पति पत्नी । उनके साथ हमे सोना होगा बिस्तर पर "


रीता ने सर झुका ली .


सुजीता रीता के हाथ पकड़ के बोली " दुखी मत हो "


रीता बोली ", कोई और रास्ता हे हमारे पास "


सुजीता एक गहरी सांस ले कर बोली " ठीक हे जो होगा देखा जायेगा हम एक दूसरे की बेटे के पत्नी बनेंगे चार महीने के लिए "


रीता बोली " और वो कैसे होगा । *"


सुजीता बोली " एक काम करते हे। हम अपने बेटे को कहते हे एक किराए का घर लेने को और कभी कभी हम वाहा जा के पत्नी धर्म निभा के आयेंगे "








दोनो माए पक्का कर के अपने अपने बेटे को फोन कर के किराए का घर लेने को कहती हे।





निशू और राजू खुश हो कर एक किराए का 2bhk का फ्लैट किराए पर लेता है ।




और दोनो माए अपने बेटो के पास पोहोचती है।





अपने आपने बेटे को सभी बातों बताती हे । बेटे तो अंदर से बोहोत खुश थे लेकिन नाटक के साथ देर से मानते हुए दिखाते हे ।
 
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दोनो की सपनो की रात भी आ गई । एक कमरे में राजू और रीता और दूसरे में निशु और सुजीता।




सुजीता और निशू का कमरा ।




सुजीता एक ब्लैक लॉन्ग नाइटी में थी और राजू शॉर्ट्स एक टी -शर्ट में । ठंड थी तो इसलिए दोनो रजाई के अंदर चले गए लेकिन डिस्टेंट मेनटेन करते हुए ।



सुजीता ऊपर चट्ट की तरफ देख रही थी निशु बोहोत उतावला था कैसे बात शुरू करे वो संकोश में था ।



निशु ने सुजीता की तरफ करवट ले कर बोला " आंटी आपको नींद नही आ रही हे"


सुजीता भी उसके तरफ करवट ले कर बोली " निशू जब हम कमरे में होंगे या जब हम पति पत्नी वाला रिस्ता निभायेंगे तब तुम मुझे नाम से बुलाना"


निशु मुस्कुरा के बोला " ओके सुजीता और आप भी मेरा नाम मत लेना "


सुजीता हस पड़ी और निशु के करीब आ के निशु के चेहरे को छू के बोली " तुम्हे बोहोत सालों से जानती हूं। राजू और तू क्लास 8th में थे तब से जानती हूं ना । तुम दोनो इतने गहरे दोस्त हो भाई जैसे । और आज देखो किस्मत क्या अनहोनी दिखा रहा है हमे । तुम्हे बेटा मानती हूं "

निशु सुजीता को कमर से पकड़ के अपनी तरफ खींचा और होठ चूम के बोला ", सब कुछ भूल जाओ । में आपका पति हूं । और आप बोहोत खूबसूरत हो मर्द होने के नाते में बेहेक रहा हूं "


सुजीता भी अपनी आखें कस के बंद कर के बोली " हा निशु जो करना हे एक झटके में ही कर दो। मुझसे ये सब नही होगा "



निशु ने सुजीता की एक चूची जोर से मसल के बोला " नाम लिया पति का "


सुजीता बोली ", ओके ओके सॉरी"


निशु ने अपना टी शर्ट उतार के रजाई खींच के सुजीता बाहों में भर के सुजीता की गुलाबी होठ चूसने लगा । सुजीता शर्म के मारे साथ नही दे रही थी।



निशु तो बोहोत खुश था और उसने सुजीता की होठ गर्दन चूम चूम के सुजीता के चूची मसलने लगा । सुजीता भी मन बनाने की कशिश कर रही थी पर उससे हो नहीं पा रहा था ।



निशू सुजीता की नाइटी उतार देती हे और रजाई के अंदर सुजीता की चूचियां मसलने लगा और चूसने लगा तब सुजीता का थोड़ा थोड़ा मन बनने लगा । निपल चुसवाते हुए उसे भी सुखद मेहसूस हो रही थी ।




निशु ने अपना शॉर्ट्स रजाई के अंदर उतारा और रजाई के अंदर घुस के सुजीता का पैंटी निकाल के सुजीता की गुलाबी फूली हुई चूत चाटने लगा। सुजीता की भी अच्छा लगने लगा और वो गर्म होने लगी ।




निशू ज्यादा देर करना नही समझा या फिर वो बोहोत ज्यादा उतावला था । निशू ने सुजीता का टांगे फैलाया और अपना लौड़ा टीका थोड़ा जोर लगा के धक्का दिया । आलू जैसा सुपाड़ा सुजीता की चूत में घुस गया ।




" आई माह्ह्ह" सुजीता की आखें बाहर निकल आई । हाला की उसे मीठा सा दर्द हुई थी लेकिन वो हैरान बोहोत थी और फटी आखों से निशु को देखने लगी।


निशू ने उसकी ठंडी पे प्यार से चूमा और फिर एक ऐसा झटका मारा हरामी का 10 इंच का मोटा लंद जितना चूत में घुस सटका था घुसा । सुजीता ने गला फाड़ के चिल्लाई " हाय में मर गईईईईईई। आऊहहहह मर जाऊंगी निकालो"


लेकिन निशु ने सुजीता की होठों पे होठों रखा और तगड़े तगड़े धक्के धक्के मारने लगा । सुजीता बेचारी दर्द से बिलख बिलख के रोने लगी हाथ पाओ मारने लगी । पर निशु हे की सुजीता की होठों को दातों में दावा के ठेस ठेस कर लौड़ा पेलने लगा । सुजीता आसू बहाती हुई किसी तरह दर्द सहने की कशिश कर रही थी ।




10 मिनिट तक निशु ने ताबड़ तोड़ चोदा सुजीता की चूत। फिर रुका । सुजीता को चैन मिला और हाफ हाफ के निशु को गुस्से से देख के बोली " कमीने कुत्ते । कोई ऐसा करता हे जानवर । फट गई हे मेरी सच में । तेरे अंदर रहम हे की नही दिख नहीं रहा था में कितनी दर्द में चिल्ला रही हूं "



निशू बोला ," सॉरी वो हमारे बीच राजू और मेरे बात हुई थी वो हमारा बेट लगा है की कौन एक दूसरे की मां को लंगड़ा बनाता हे ज्यादा । सॉरी। काल सुबह लंगड़ा के चलना बोहोत ज्यादा ठीक हे "



सुजीता भूत बन के देखती रही और फिर खिलखिला के हसने लगी " तुम दोनो कितने नादान हो । उफ्फ और यहां मेरी जान जा रही हे "


निशु बोला " सिर्फ आप नहीं मेरी मां भी । वो साला कनीना राजू पता नहीं मेरी मां को कितना रुला रहा होगा । और में साबित करना चाहता था की में भी मर्द हूं कोई लड़का नही"


सुजीता मुस्कुरा के बोली ", गधे ऐसे जोर से करने से थोरी असली मर्द होता है "


निशू मुस्कुरा के बोला ", तो कैसे होता हे "


सुजीता निशु के होठ चूम के बोली " सच में मासूम हो या बन रहे हो "


निशू मुस्कुरा के बोला " हूं भी बन भी रहा हूं "



सुजीता मुस्कुराई और निशू ने कमर खीच के लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकाला सुजीता की मस्ती देखने लायक थी " उफ्फ कितना बड़ा हे मेरे कल्पना से भी बड़ा हाय मां आह"


निशू ने धीरे से धक्का लगाया सुजीता हिसकोले खा गई " आक्क आह्ह्ह्ह्ह"



निशू सुजीता को बाहों में भर के धीरे धीरे से धक्का देने लगा सुजीता को भी मीठा मीठा दर्द के साथ सुखद एहसास से आहे भरने लगी और निशू की आखों में आखें डाल के देखने लगी ।



निशू ने पूछा " कैसा लगा मेरी सुजीता "



सुजीता ने होठ चूमना चाहा लेकिन निशू ने सर ऊपर उठाया सुजीता ने भी सर ऊपर कर चूमना चाहा निशू ने मुंह हटाया शरारती मुस्कान देने लगा सुजीता ने निशु के सर पकड़ के बेताश निशू के होठों को चूसने लगी ।



निशू धीरे धीरे से धक्का देता रहा सुजीता की गर्म सांस गर्म आह निशु को तृप्ति दे रहा था । सुजीता बोली " आह्ह्ह्ह्ह और धीरे "


निशू ने सुजीता की आखों में देखते हुए रुका और धीरे से खीच के धीरे से हल्का सा कर के धक्का दिया सुजीता कामुक आखों से देखती हुई मुंह खोल दिया निशु ऐसे ही धीरे धीरे से धक्का देने लगा तो सुजीता बस कामुक प्रतिक्रिया देती ।




निशू ने पूछा ", मजा आ रहा हे मेरी बीवी को "


सुजीता मुस्कुराई और बोली " हा बोहोत। निशू मुझे ऐसा मजा जिंदगी में कभी नही मिला तेरे अंकल से आहह"


निशू शरारती आखों से देखने लगा ", नाम लिया अब सजा भुगतना होगा "


सुजीता निशु के कमर अपनी टांगों से बांध लेती हे " नही बाबा नही। मर जाऊंगी में प्लीज अपनी प्यारी पत्नी पर रहम करो "



निशू ने सुजीता को कस के जकड़ा और सुजीता की कंधो पर मुंह रगड़ के खीच के धाप कर के धक्का दिया । सुजीता की पूरा बदन हिल गया दात भींच के " उई माह्ह ममर गई । उफ्फ हू हू हु उफ्फ "

सुजीता गहरी सांस लेने लगी निशू रुका सुजीता शांत हुई और फिर निशु का सर सहला के बोली ", बोहोत अंदर मेहसूस कर रही हूं तुम्हे आह्ह्ह्ह्ह बोहोत जलन सा दर्द हुई हे अभी "


निशू सुजीता की गाल चूम चूम के बोला " आदत डाल लो पूरी रात चोदूंगा और जोर से ही करूंगा मेरा खून उबल रहा है बोहोत मन कर रहा है आपकी चूत फाड़ने का सुजीता डार्लिंग,",



सुजीता भी काम में बोली ", बुद्धू तुम मर्द हमारी चूत फाड़ के मजा ले सकते हो तो हम औरते फड़वाने का मजा उठा नही सकती शर्म के कारण हम बोलते नही। कौन औरत अपने पति के प्यार को ना कहेगी खास कर तुम जैसे घोड़े वाले लौड़े के पति जब मिले । "



निशू ने जैसे ही सुना और उसने धुनाई शुरू कर दी आधे घंटे तक और सुजीता की चीखे निकाल कर चोदा और झाड़ गया ।
 

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