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तो राणा और राठौड़ अंकल ने पापा को पकड़ा और दूसरे कमरे में ले गये। फिर शर्मा और सिंह अंकल ने मुझे आगे पीछे से अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। शर्मा अंकल मेरे होंठों को चूसने लगे और सिंह अंकल मेरे ऊपर बैठ गये। तभी राणा और राठौड़ अंकल अन्दर आये और बोले- “अरे सालो, रुक जाओ, सारी रात पड़ी है! इतने बेसबरे क्यों होते हो, पहले थोड़ा मज़ा तो कर लें!”
वो मेरे ऊपर से उठ गये और मैं भी बिस्तर पर बैठ गई। मैंने कहा- “थैंक्स अंकल, आपने मुझे बचा लिया, नहीं तो ये मुझे कोई मजा नहीं लेने देते...!”
फिर राणा अंकल ने पांच पैग बनाये और सब को उठाने के लिए कहा। मैं पहले ही दो बड़े पैग पी चुकी थी और ठीक-ठाक नशे में थी इसलिये मैंने नहीं उठाया तो अंकल बोले- “अरे अब नखरे छोड़ो और पैग उठा लो। चार चार फौजी तुमको चोदेंगे। नहीं तो झेल नहीं पाओगी....!”
नशे में अगर कोई ज्यादा पीने के लिये ज़ोर दे तो काबू नहीं रहता। मैंने भी पैग उठा लिया और पूरा पी लिया। राणा अंकल ने फिर से मुझे पैग बनाने को कहा तो मैंने सिर्फ चार ही पैग बनाए। राणा अंकल बोले- “बस एक ही पैग लेना था?”
तो मैंने कहा- “नहीं!... अभी तो चार पैग और लुँगी!”
मैं राणा अंकल के सामने जाकर नीचे बैठ गई। अंकल की पैंट खोल कर और उतार दी। वो सभी मेरी ओर देख रहे थे। फिर मैंने अंकल का कच्छा नीचे किया और उनका सात-आठ इंच का लौड़ा मेरे सामने तन गया।
फिर मैंने अंकल के हाथ से पैग लिया और उनके लण्ड को पैग में डुबो दिया और फिर लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैं बार-बार ऐसा कर रही थी। राणा अंकल तो मेरी इस हरकत से बुरी तरह आहें भर रहे थे। मैं जब भी उनका लण्ड मुँह में लेती तो वो अपने चूतड़ उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में धकेलने की कोशिश करते।
मैंने जोर-जोर से उनके लण्ड को हाथों और होठों से सहलाना जारी रखा और फिर उनके लण्ड से वीर्य निकल कर मेरे मुँह पर आ गिरा। मैंने अपने हाथ से सारा माल इक्कठा किया और पैग में डाल दिया और उनका पूरा जाम खुद ही पी लिया। अब मैं काफी उत्तेजना और नशे में थी। इस हालत में अब शराब पीने पर मेरा कोई बस नहीं था।
फिर मैं राठौड़ अंकल के सामने चली गई। वो लुंगी पहन कर बैठे थे। मैंने उनकी लुंगी खींच कर उतार दी और फिर उनका लण्ड भी शराब में डाल-डाल कर चूसने लगी। उनका वीर्य भी मैंने मुँह में ही निगल लिया और उनका पैग भी।
फिर सिंह अंकल, जो कब से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, उनका लण्ड भी मैंने अपने हाथों में ले लिया और उन्होंने मेरी कमीज को उतार दिया। अब मैं सलवार और ब्रा में थी.. फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और मेरे दोनों मम्मे आजाद हो गये। उन्होंने अपना लण्ड दोनों मम्मों के बीच में नीचे से घुसा दिया। उनका लण्ड शायद सबसे लम्बा लग रहा था मुझे। उनका लण्ड मेरे मम्मों के बीचों-बीच ऊपर मेरे मुँह के सामने निकल आया था।
मैंने फिर से अपना मुँह खोला और उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वो अपने लण्ड और मेरे मम्मों के ऊपर शराब गिरा रहे थे जिसको मैं साथ-साथ ही चाटे जा रही थी। मैं अपने दोनों मम्मों को साथ में जोड़ कर उनके सामने बैठी थी और वो अपनी गाण्ड को ऊपर नीचे करके मेरे मम्मों को ऐसे चोद रहे थे जैसे चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करते हों।... और जब उनका लण्ड ऊपर निकल आता तो वो मेरे गुलाब जैसे लाल होंठों घुस जाता और उसके साथ लगी हुई शराब भी मैं चख लेती।
आखिर वो भी जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मैं समझ गई कि वो भी झड़ने वाले हैं। मैंने उनके लण्ड को हाथों में लेकर सीधा मुँह में डाल लिया। अब उनका लण्ड मेरे गले तक पहुँच रहा था और फिर उनका भी लावा मेरे मुँह में फ़ूट गया। वीर्य गले में से सीधा नीचे उतर गया।
अब शर्मा अंकल ने मुझे उठा लिया और मुझे बैड पर बिठा कर मेरी सलवार उतार दी। वो मेरी जांघों को मसलने लगे। फिर राठौड़ अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी। अब मैं मादरजात नंगी थी... बस पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे। सिंह अंकल भी मेरे सर की तरफ बैठ गये और मेरे मुँह में शराब डाल कर पिलाने लगे।
मैंने सभी के लण्ड देखे… सारे तने हुए थे।
शर्मा अंकल का नंबर पहला था। मैं उठी और शर्मा अंकल को नीचे लिटा कर उनके लण्ड पर अपनी चूत टिका दी और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी। शर्मा अंकल का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं उनके लण्ड को अपनी चूत में चारों ओर घुमाने लगी। फिर मैं ऊपर नीचे होकर शर्मा अंकल को चोदने लगी। शर्मा अंकल भी मेरी गाण्ड को पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर रहे थे और अपनी गाण्ड भी नीचे से उछाल-उछाल कर मुझे चोद रहे थे। मेरे उछलने से मेरे चूचे भी उछल रहे थे जो राणा अंकल ने पकड़ लिए और उनके साथ खेलने लगे।
फिर राणा अंकल ने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गये जिससे मेरी गाण्ड उनके सामने आ गई और वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगे। मगर उनका लौड़ा मेरी कसी सूखी गाण्ड में आसानी से नहीं घुसने वाला था। फिर उन्होंने और जोर से धक्का मारा तो मुझे बहुत दर्द हुआ जैसे मेरी गाण्ड फट गई हो। मैं उनका लण्ड बाहर निकालना चाहती थी मगर उन्होंने नहीं निकालने दिया और फिर मुझे भी पता था कि दर्द तो कुछ देर का ही है।
वैसा ही हुआ, थोड़ी देर में ही उनका पूरा लण्ड मेरी सूखी गाण्ड में था। दोनों तरफ से लग रहे धक्कों से मेरे मुँह से “आह आह” की आवाजें निकल रही थी। फिर राठौड़ अंकल ने मेरे सामने आकर अपना तना हुआ लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया। मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
जब राणा अंकल मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेलने के लिए धक्का मारते तो सामने खड़े राठौड़ अंकल का लण्ड मेरे मुँह के अन्दर तक घुस जाता। मेरी “आह आह” की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। उनका लण्ड मेरी गाण्ड में और भी अन्दर तक चोट कर रहा था। फिर उनका आखरी धक्का तो मेरे होश उड़ा गया। उनका लण्ड मेरी गाण्ड के सबसे अन्दर तक पहुँच गया था। मुझ में और घोड़ी बने रहने की ताकत नहीं बची थी। मैं नीचे गिर गयी मगर राणा अंकल ने मेरी गाण्ड को तब तक नहीं छोड़ा जब तक उनके वीर्य का एक-एक कतरा मेरी गाण्ड में ना उतर गया।
मैं बहुत थक गई थी। हम सभी ने एक-एक पैग और लगाया। मेरी गाण्ड अभी भी दर्द कर रही थी मगर मैं इतने सारे पैग ले चुकी थी और नशे में इतनी धुत्त थी कि सब कुछ अच्छा-अच्छा ही लग रहा था।
मैं अंकल राठौड़ के आगे उनकी जांघों पर सर रख के लेट गई और उनके लण्ड से खेलने लगी। सिंह अंकल मेरी टांगो की तरफ आकर बैठ गये। मैंने अपनी टांगे सिंह अंकल के आगे खोल दी और अपना सर राठौड़ अंकल के आगे रख दिया।
सिंह अंकल मेरे ऊपर आ गये और अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रख कर धीरे-धीरे से अन्दर डाल दिया और फिर अन्दर बाहर करने लगे और झड़ गए।
फ़िर राठौड़ अंकल ने मुझे अपने नीचे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरी चूत चोदने लगे। मेरी टांगों को उठा कर उन्होंने ने भी मुझे पूरे जोर से चोदा। फिर उन्होंने ने मेरी गाण्ड को भी चोदा और मेरी गाण्ड में ही झड़ गये। मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे याद भी नहीं था।
मेरा इतना बुरा हाल था कि अब मुझसे खड़ा होना भी मुशकिल लग रहा था। मैं वहीं पर लेट गई। हम सभी नंगे ही एक ही बिस्तर में सो गये। फिर अचानक मेरी आँख खुली और मैंने समय देखा तो सुबह के तीन बजे थे।
मैंने अपने कपड़े उठाये और बिल्कुल नंगी ही नीचे आने लगी। मगर सीढ़ियाँ उतरते वक्त मेरी टांगें नशे में बुरी कांप रही थी और चूत और गाण्ड में भी दर्द हो रहा था। नशे में बिल्कुल चूर थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में नंगी ही लड़खड़ती हुई कमरे तक आयी। रास्ते में तीन-चार बार लुढ़की भी।
सुबह मैं काफी देर से उठी और मुझ से चला भी नहीं जा रहा था। इसलिए मैं बुखार का बहाना करके बिस्तर पर ही लेटी रही। जब अंकल जाने लगे तो वो मुझसे मिलने आये। पापा और मम्मी भी साथ थे, इसलिए उन्होंने मेरे सर को चूमा और फिर जल्दी आने को बोल कर चले गये।
मगर मैं पूरा दिन और पूरी रात बिस्तर पर ही अपनी चूत और गाण्ड को पलोसती रही।
दो जवान कुँवारे लड़कों के साथ मस्त चुदाइ का किस्सा अपनी अगली कहानी (कॉलेज़ के गबरू) में बताऊँगी!
वो मेरे ऊपर से उठ गये और मैं भी बिस्तर पर बैठ गई। मैंने कहा- “थैंक्स अंकल, आपने मुझे बचा लिया, नहीं तो ये मुझे कोई मजा नहीं लेने देते...!”
फिर राणा अंकल ने पांच पैग बनाये और सब को उठाने के लिए कहा। मैं पहले ही दो बड़े पैग पी चुकी थी और ठीक-ठाक नशे में थी इसलिये मैंने नहीं उठाया तो अंकल बोले- “अरे अब नखरे छोड़ो और पैग उठा लो। चार चार फौजी तुमको चोदेंगे। नहीं तो झेल नहीं पाओगी....!”
नशे में अगर कोई ज्यादा पीने के लिये ज़ोर दे तो काबू नहीं रहता। मैंने भी पैग उठा लिया और पूरा पी लिया। राणा अंकल ने फिर से मुझे पैग बनाने को कहा तो मैंने सिर्फ चार ही पैग बनाए। राणा अंकल बोले- “बस एक ही पैग लेना था?”
तो मैंने कहा- “नहीं!... अभी तो चार पैग और लुँगी!”
मैं राणा अंकल के सामने जाकर नीचे बैठ गई। अंकल की पैंट खोल कर और उतार दी। वो सभी मेरी ओर देख रहे थे। फिर मैंने अंकल का कच्छा नीचे किया और उनका सात-आठ इंच का लौड़ा मेरे सामने तन गया।
फिर मैंने अंकल के हाथ से पैग लिया और उनके लण्ड को पैग में डुबो दिया और फिर लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैं बार-बार ऐसा कर रही थी। राणा अंकल तो मेरी इस हरकत से बुरी तरह आहें भर रहे थे। मैं जब भी उनका लण्ड मुँह में लेती तो वो अपने चूतड़ उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में धकेलने की कोशिश करते।
मैंने जोर-जोर से उनके लण्ड को हाथों और होठों से सहलाना जारी रखा और फिर उनके लण्ड से वीर्य निकल कर मेरे मुँह पर आ गिरा। मैंने अपने हाथ से सारा माल इक्कठा किया और पैग में डाल दिया और उनका पूरा जाम खुद ही पी लिया। अब मैं काफी उत्तेजना और नशे में थी। इस हालत में अब शराब पीने पर मेरा कोई बस नहीं था।
फिर मैं राठौड़ अंकल के सामने चली गई। वो लुंगी पहन कर बैठे थे। मैंने उनकी लुंगी खींच कर उतार दी और फिर उनका लण्ड भी शराब में डाल-डाल कर चूसने लगी। उनका वीर्य भी मैंने मुँह में ही निगल लिया और उनका पैग भी।
फिर सिंह अंकल, जो कब से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, उनका लण्ड भी मैंने अपने हाथों में ले लिया और उन्होंने मेरी कमीज को उतार दिया। अब मैं सलवार और ब्रा में थी.. फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और मेरे दोनों मम्मे आजाद हो गये। उन्होंने अपना लण्ड दोनों मम्मों के बीच में नीचे से घुसा दिया। उनका लण्ड शायद सबसे लम्बा लग रहा था मुझे। उनका लण्ड मेरे मम्मों के बीचों-बीच ऊपर मेरे मुँह के सामने निकल आया था।
मैंने फिर से अपना मुँह खोला और उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वो अपने लण्ड और मेरे मम्मों के ऊपर शराब गिरा रहे थे जिसको मैं साथ-साथ ही चाटे जा रही थी। मैं अपने दोनों मम्मों को साथ में जोड़ कर उनके सामने बैठी थी और वो अपनी गाण्ड को ऊपर नीचे करके मेरे मम्मों को ऐसे चोद रहे थे जैसे चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करते हों।... और जब उनका लण्ड ऊपर निकल आता तो वो मेरे गुलाब जैसे लाल होंठों घुस जाता और उसके साथ लगी हुई शराब भी मैं चख लेती।
आखिर वो भी जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मैं समझ गई कि वो भी झड़ने वाले हैं। मैंने उनके लण्ड को हाथों में लेकर सीधा मुँह में डाल लिया। अब उनका लण्ड मेरे गले तक पहुँच रहा था और फिर उनका भी लावा मेरे मुँह में फ़ूट गया। वीर्य गले में से सीधा नीचे उतर गया।
अब शर्मा अंकल ने मुझे उठा लिया और मुझे बैड पर बिठा कर मेरी सलवार उतार दी। वो मेरी जांघों को मसलने लगे। फिर राठौड़ अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी। अब मैं मादरजात नंगी थी... बस पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे। सिंह अंकल भी मेरे सर की तरफ बैठ गये और मेरे मुँह में शराब डाल कर पिलाने लगे।
मैंने सभी के लण्ड देखे… सारे तने हुए थे।
शर्मा अंकल का नंबर पहला था। मैं उठी और शर्मा अंकल को नीचे लिटा कर उनके लण्ड पर अपनी चूत टिका दी और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी। शर्मा अंकल का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं उनके लण्ड को अपनी चूत में चारों ओर घुमाने लगी। फिर मैं ऊपर नीचे होकर शर्मा अंकल को चोदने लगी। शर्मा अंकल भी मेरी गाण्ड को पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर रहे थे और अपनी गाण्ड भी नीचे से उछाल-उछाल कर मुझे चोद रहे थे। मेरे उछलने से मेरे चूचे भी उछल रहे थे जो राणा अंकल ने पकड़ लिए और उनके साथ खेलने लगे।
फिर राणा अंकल ने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गये जिससे मेरी गाण्ड उनके सामने आ गई और वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगे। मगर उनका लौड़ा मेरी कसी सूखी गाण्ड में आसानी से नहीं घुसने वाला था। फिर उन्होंने और जोर से धक्का मारा तो मुझे बहुत दर्द हुआ जैसे मेरी गाण्ड फट गई हो। मैं उनका लण्ड बाहर निकालना चाहती थी मगर उन्होंने नहीं निकालने दिया और फिर मुझे भी पता था कि दर्द तो कुछ देर का ही है।
वैसा ही हुआ, थोड़ी देर में ही उनका पूरा लण्ड मेरी सूखी गाण्ड में था। दोनों तरफ से लग रहे धक्कों से मेरे मुँह से “आह आह” की आवाजें निकल रही थी। फिर राठौड़ अंकल ने मेरे सामने आकर अपना तना हुआ लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया। मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
जब राणा अंकल मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेलने के लिए धक्का मारते तो सामने खड़े राठौड़ अंकल का लण्ड मेरे मुँह के अन्दर तक घुस जाता। मेरी “आह आह” की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। उनका लण्ड मेरी गाण्ड में और भी अन्दर तक चोट कर रहा था। फिर उनका आखरी धक्का तो मेरे होश उड़ा गया। उनका लण्ड मेरी गाण्ड के सबसे अन्दर तक पहुँच गया था। मुझ में और घोड़ी बने रहने की ताकत नहीं बची थी। मैं नीचे गिर गयी मगर राणा अंकल ने मेरी गाण्ड को तब तक नहीं छोड़ा जब तक उनके वीर्य का एक-एक कतरा मेरी गाण्ड में ना उतर गया।
मैं बहुत थक गई थी। हम सभी ने एक-एक पैग और लगाया। मेरी गाण्ड अभी भी दर्द कर रही थी मगर मैं इतने सारे पैग ले चुकी थी और नशे में इतनी धुत्त थी कि सब कुछ अच्छा-अच्छा ही लग रहा था।
मैं अंकल राठौड़ के आगे उनकी जांघों पर सर रख के लेट गई और उनके लण्ड से खेलने लगी। सिंह अंकल मेरी टांगो की तरफ आकर बैठ गये। मैंने अपनी टांगे सिंह अंकल के आगे खोल दी और अपना सर राठौड़ अंकल के आगे रख दिया।
सिंह अंकल मेरे ऊपर आ गये और अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रख कर धीरे-धीरे से अन्दर डाल दिया और फिर अन्दर बाहर करने लगे और झड़ गए।
फ़िर राठौड़ अंकल ने मुझे अपने नीचे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरी चूत चोदने लगे। मेरी टांगों को उठा कर उन्होंने ने भी मुझे पूरे जोर से चोदा। फिर उन्होंने ने मेरी गाण्ड को भी चोदा और मेरी गाण्ड में ही झड़ गये। मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे याद भी नहीं था।
मेरा इतना बुरा हाल था कि अब मुझसे खड़ा होना भी मुशकिल लग रहा था। मैं वहीं पर लेट गई। हम सभी नंगे ही एक ही बिस्तर में सो गये। फिर अचानक मेरी आँख खुली और मैंने समय देखा तो सुबह के तीन बजे थे।
मैंने अपने कपड़े उठाये और बिल्कुल नंगी ही नीचे आने लगी। मगर सीढ़ियाँ उतरते वक्त मेरी टांगें नशे में बुरी कांप रही थी और चूत और गाण्ड में भी दर्द हो रहा था। नशे में बिल्कुल चूर थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में नंगी ही लड़खड़ती हुई कमरे तक आयी। रास्ते में तीन-चार बार लुढ़की भी।
सुबह मैं काफी देर से उठी और मुझ से चला भी नहीं जा रहा था। इसलिए मैं बुखार का बहाना करके बिस्तर पर ही लेटी रही। जब अंकल जाने लगे तो वो मुझसे मिलने आये। पापा और मम्मी भी साथ थे, इसलिए उन्होंने मेरे सर को चूमा और फिर जल्दी आने को बोल कर चले गये।
मगर मैं पूरा दिन और पूरी रात बिस्तर पर ही अपनी चूत और गाण्ड को पलोसती रही।
दो जवान कुँवारे लड़कों के साथ मस्त चुदाइ का किस्सा अपनी अगली कहानी (कॉलेज़ के गबरू) में बताऊँगी!