Incest कथा एक परिवार की। (All in one)

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दोस्तों ये कहानी एक incest saga है इसलिए जिसको भी incest पसंद नही वह कृपया यहां ना इस कहानी को ना पढ़े और जिसको पसंद है वह इस कहानी का आनंद उठा सकते हैं। कहानी में रोमांस , सस्पेंस , एडल्टरी , थ्रिलर , मिस्ट्री , ग्रुप सेक्स , आदि सब कुछ होगा बस आप साथ बनाए रहना।

एक लड़का अपनी मां की उंगली पकड़ कर एक गार्डन में घूम रहा था। दोनों मां बेटे एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

औरत - ओह सच में!

लड़का - हां मम्मी,,,, उसके बाद आकाश ने कहा जब वो बड़ा हो जाएगा तो वो रुचि से शादी करेगा।

औरत - और तुम ? क्या कोई ऐसी लड़की है जो तुम्हे बहुत पसंद हो?

लड़का - मैं ?

औरत - हां बेटा तुम,,,,

लड़का (कुछ सोचकर) - मम्मी,,,, जब मै बड़ा हो जाऊंगा तो आपसे शादी करूंगा।

वह औरत ये सुनकर हस पड़ी और बोली - ओह मेरा प्यारा बेटा, आई लव यू सो मच।

लड़का - आई लव यू टू मम्मी।

....

गौरी : रूद्र ,,,, रूद्र ,,,, रूद्र ,,,, बेटा उठो ,,,, चलो जल्दी से कोचिंग के लिए तैयार हो जाओ।

रूद्र (अंगड़ाई लेते हुए) : मम्मी ,,,,

गौरी : नहा धोकर नीचे आओ , मैं तुम्हारा ब्रेकफास्ट तैयार करती हूं।

रूद्र : हां मम्मी मैं बस अभी आता हूं।,,,,

"रूद्र बारहवीं कक्षा में पढ़ता है और अभी उसकी गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं, वह मन लगाकर अपना ध्यान पढ़ाई में लगाता है जिससे उसको एक अच्छे सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिल सके इसलिए उसने एक कोचिंग ज्वाइन किया है, इसके अलावा वह अपने स्कूल की बास्केटबाल टीम का कैप्टन है, पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद में भी सबसे आगे रहता है।"

।।रूद्र।।


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रूद्र नहा धोकर तैयार होकर नीचे पहुंचता है।

रूद्र : गुड मॉर्निंग,,,,

गौरी : मॉर्निंग बेटा ,,,, तुम्हारा ब्रेकफास्ट मैंने तैयार कर दिया है तुम खाना शुरू करो , मैंने तुम्हारे लिए ब्लैक कॉफी लेकर आती हूं। ,

"रूद्र की मां का नाम गौरी है गौरी का जिस्म भरा हुआ है गदराया जिस्म, रंग गोरा है, चूचियां और गान्ड काफी भारी भरकम और बड़े हैं। गौरी की खरबूजे के समान बड़ी बड़ी चूचियां एकदम तनी हुई है थोड़ी भी लचक नहीं। ब्लाउज पहनने के बाद मानो ऐसा लगता है कि दुनिया भर का खजाना गौरी अपने ब्लाउज के अंदर समेटे हुए हो। गौरी के आकर्षण का केंद्र बिंदु हमेशा से उसके उभारदार भारी चूतड़ भी रहे हैं जिसकी भी नजर गौरी के उभारदार चूतड़ों पर जाती है वह बस देखता ही रह जाता है और अपनी नजरों से ही गौरी को चोद देता है, चूतड़ों का घेराव और उठाव इस कदर आकर्षक लगता है कि मानो रस से भरे दो बड़े बड़े तरबूजे लटक रहे हो। गौरी का मखमल की रुई से ज्यादा मुलायम पेट और पेट के बीचों बीच एक गहरी नाभी मानो कुदरत की बनाई हुई कोई घाटी हो। मोटी चिकनी सुडौल जांघें, इतनी चिकनी की उस पर से नजर भी फिसल जाए, गौरी को देख कर कोई यह नहीं कह सकता है कि वह तीन बच्चों की मां है और वह भी जवान बच्चों की।"

।।गौरी।।


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रुद्र से बड़ी उसकी दो बहनें हैं, रूपाली सबसे बड़ी है और उससे छोटी कंचन है। रूद्र के बाप का नाम अशोक है और यह बड़े ही चुदक्कड़ किस्म के इंसान है।

आगे धीरे धीरे आपको कहानी के सभी किरदारों से इंट्रोड्यूस करवाता रहूंगा, जैसे जैसे किरदार आएंगे वैसे वैसे उनका इंट्रोडक्शन देता जाऊंगा।

मैं किसी की उम्र नही बता रहा हूं क्योंकि कहानी का विवरण भूत , वर्तमान और भविष्य काल तीनों में होगा।
 
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रूद्र अपना ब्रेकफास्ट करता है और अपनी मां को देखकर उसके बारे में सोचता है।

"मां कितनी सुंदर हैं भले ही मैं उनका बेटा हूं फिर भी मैं उन्हें घूरना बंद नही कर सकता, मैं अपनी मां को एक औरत के रूप में देखने लगा हूं , मैंने इससे पहले मां को इस नजर से नहीं देखा था, मैंने कल रात से ऐसा महसूस करना शुरू कर दिया क्योंकि मैंने एक अविश्वसनीय दृश्य देखा था।

Last night :

रूद्र की जुबानी :

कल रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में पढ़ने के लिए गया लेकिन मुझे नींद आ गई। जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि घड़ी में रात के एक बज रहे थे। "मुझे अभी और अध्ययन करना है", शायद इसलिए कि मैं पढ़ाई से थक गया था, मैं दुर्घटना से सो गया था। "मुझे अपने आप को जगाने के लिए अपना चेहरा धो लेना चाहिए, हो सकता है की मैं नहा भी लूं।"

मैं अपने कमरे के बाहर निकलकर सीढ़ियों से नीचे उतरकर देखता हूं कि सोफे पर वाइन की बोतल लुढ़की पड़ी है, तभी मेरी नजर बाथरूम से आ रही रोशनी पर पड़ती है, मैं धीरे से बॉथरूम की तरफ बढ़ा और अंदर का नजारा देखकर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा।

मां बाथरूम में आईने के सामने खड़ी थी उनकी साड़ी नीचे पड़ी हुई थी, मम्मी अपना ब्लाउज उतार रही थी।

"क्या मम्मी नशे में हैं?" (मन में)

ऐसा नहीं था कि मम्मी को किसी तरह के नशे करने की कोई लत थी, लेकिन कभी कभी अपनी तनहाई और अकेलेपन को दूर करने के लिए वह वाइन का सहारा ले लेती थी।

मां एक गुलाबी रंग की ब्रा और पेटीकोट में खड़ी खुद को आईने में निहारती हुई बोली - "मुझे लगता है की मैंने बहुत अधिक वाइन पी ली है। पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे अपना जिस्म बहुत गरम मेहसूस हो रहा है।" मां ने फिर दोनों हाथों से अपना चेहरा छूकर देखा, सच में उनको अपना चेहरा बहुत गरम मेहसूस हुआ।

मुझे याद नहीं आखरी बार कब मैंने अपनी माँ को नग्न देखा था, पिछली बार जब हम एक साथ नहाए थे तब शायद मैं आठ साल का था, लेकिन उस समय की अधिकांश यादें अब धुंधली हैं।

थोड़ी देर बाद कुछ सोचते हुए मां ने अपनी पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया तो पेटीकोट उनकी उभारदार गान्ड और सुडौल जांघों से सरकते हुए नीचे चला गया। फिर मां अपने दोनो हाथों को पीछे ले गई और अपने ब्रा के हुक खोलते हुए उन्होंने अपने बड़े बड़े स्तनों को हवा में आजाद कर दिया।

मम्मी के स्तन कितने गोरे है बिलकुल दूध की तरह और कितने बड़े हैं। मुझे विश्वास नहीं होता कि मम्मी के स्तन इतने सुन्दर और बड़े हैं। माँ के स्तन कितने सुंदर हैं, वे पूरी तरह से दूध की तरह सफेद हैं, इतने नरम दिखने वाले और विशाल! जब मैं बच्चा था तो मैंने उन स्वादिष्ट चूचियों को चूसकर दूध पिया था" (मन में)

मां ने फिर आईने में देखकर अपने बड़े बड़े स्तनों पर हाथ फिराया और फिर उन्होंने धीरे से अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को उतार दिया जिससे उनकी उभारदार गान्ड मेरे आंखों के सामने हवा में मंडराने लगी।

मुझे पता नहीं क्यों, लेकिन मैं अपनी आँखें माँ से नहीं हटा सका, मेरा दिल पागलों की तरह धक धक कर रहा था! इतना अधिक कि मुझे लगा कि माँ मेरी धड़कन सुन सकती है, मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैंने अभी-अभी अपनी माँ को नग्न देखा था, लेकिन मैं और देखना चाहता था, मैं माँ के शरीर को और भी देखना चाहता हूँ।" (मन में)

मैने देखा कि मम्मी स्ट्रेचिंग कर रही हैं। माँ को योगाभ्यास करने की आदत है, यह फिट और सुंदर रहने का उनका तरीका है, वह हमेशा ऐसा करती है जब भी वह नहाती है, तब भी करती थी जब मैं छोटा बच्चा था।

फिर मां झरने की तरफ अपने बालों को बांधते हुए बढ़ी। मां की गान्ड ऐसे मटक रही थी जैसे किसी गाने की धुन पर थिरक रही हो। फिर मां ने हैंडल वाला झरना ऑन किया और बारी बारी से अपने जिस्म को पानी से साफ करने लगी।

मां को इस तरह नहाते हुए देखने से मुझे एक अजीब सी सनसनी मेहसूस हुई जिसने मुझे अन्दर तक भर दिया। मै एक बार पालक झपकाए बिना अपनी मम्मी को घूर घूर कर देखता रहा। क्या मै अपनी मम्मी को नग्न देखकर उत्साहित हो गया था? इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाता मेरा लन्ड दर्द के साथ खड़ा हो गया था।" (मन में)

जब मैं दसवीं कक्षा में था तब मै और मेरे दोस्त हमेशा सेक्स के बारे में बात करते थे। उस समय सेक्स मेरे उम्र के लड़कों की नंबर एक चिंता थी। हम हमेशा खूबसूरत फीमेल टीचर्स को देखकर उनके बारे में गंदी गंदी बातें करने लगते थे और धीरे धीरे प्लेबॉय मैगजीन में सेक्सी लड़कियों की फोटो देखते हुए मुठ भी मारने लगे थे, हमें पता भी नहीं था कि सेक्स क्या है? मै किसी भी खूबसूरत फीमेल टीचर को सोचकर मुठ मारने लगता था। मै जवान हो रहा था और यह भावना इतनी अस्पष्ट नहीं थी। यह एक गहन रूप से शक्ति देने का आग्रह था।

तभी मैं देखता हूं कि मम्मी गरम पानी के टब में बैठकर अपनी पीठ साफ कर रही थी।

मम्मी के सुन्दर जिस्म को पकड़ने और उनके साथ यौन संबंध रखना कैसा होगा? इसमें कोई शक नहीं कि यह एक पूरी तरह से शानदार अनुभव होगा, लेकिन अगर इस तरह के बेतुके अनुरोध को मम्मी ने स्वीकार नहीं किया तो? अगर मैंने मम्मी को बताया कि मैं उनके साथ सेक्स करना चाहता हूँ तो हो सकता है कि वह हमेशा की तरह दयालु हो और मुझे ऐसा करने दे लेकिन अगर ऐसा है तो मुझे क्या करना चाहिए? (मन में)

मैने अपने पैंट की चेन खोलकर अपना लन्ड बाहर निकाल लिया, मेरा लन्ड आज से पहले कभी इतना सख्त खड़ा नहीं हुआ था जितना आज हुआ था, दिखने में किसी लोहे की भांति सख्त लग रहा था मेरा लन्ड।

इधर मां गरम पानी के टब से बाहर निकली और सोप को अपने कुदरती खूबसूरत जिस्म पर लगाने लगी। पहले उन्होंने अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर सोप लगाया फिर अपने मोटे पेट पर फिर अपनी सुडौल जांघों और उभारदार गान्ड पर फिर आखिर में अपनी बालों की घाटियों से भरी चूत पर। फिर वह अपने पूरे जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ़ करने लगी और आखिर में उन्होंने हैंडल वाले झरने से अपना जिस्म धोया।

"ओह मम्मी आप सच में स्वर्ग की देवी हो" और मन में ऐसे बोलते हुए मैने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया।

मां का जिस्म बाथरूम की दूधिया रोशनी में चमक उठा था, वह बाथरूम के दीवार पर लगे झरने के नीचे आकर खड़ी हो गई थी। मां झरने के नीचे नहाते हुए अपने दोनों हाथों को अपने बड़े बड़े स्तनों पर फिराने लगी और हल्का हल्का उन्हें दबाने लगी।

"आह अब मुझसे रहा नहीं जाता।" मां सिसकती हुई बोली।

"मम्मी को क्या हो रहा है? "रहा नहीं जाता?"" ऐसा सोचकर मैंने बाथरूम का दरवाजा थोड़ा और खोला जिससे मै ठीक से नजारा देख सकूं।

मां अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाते हुए अपनी उंगलियों से उत्तेजना के मारे नोचने में लगी हुई थी।

"यह मुझे गर्म कर रहा है। मुझे पता है कि मुझे इस तरह का काम नहीं करना चाहिए। मुझे नहाते हुए ऐसा करने में बहुत शर्म आती है" मां अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़कर सिसकती हुई बोली।


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"माँ हस्तमैथुन कर रही हैं????,,,," (मन में)

"अशोक तुम मुझे प्यासा छोड़कर लंदन चले जाते हो। यह सब तुम्हारी गलती है अशोक, तुम मुझे अकेला छोड़ देते हो और मैं अकेली पड़ जाती हूं कि मैं इस तरह का बुरा काम करने लगती हूं।" मां अपनी चूत को अपनी दो उंगलियों से चोदती हुई बोली।

मां का चेहरा मेरी तरफ था, अचानक मां की नजर मेरी नजरों से टकराई गई।

"क्या मम्मी ने मुझे देख लिया? ओह नो,,, अब मैं क्या करूं?" ऐसा सोचकर मैंने जल्दी से अपना चेहरा वहां से हटा लिया।

"आह अशोक क्या वो तुम हो? क्या तुम मुझे छुपकर देख रहे हो? देखो मुझे अशोक मै कितनी प्यासी हूं,,,, मै तुम्हे कितनी बुरी तरह चाहती हूं, देखो मुझे अशोक, मै तुम्हारे लिए कितनी गंदी हरकत कर रही हूं आह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है डार्लिंग,,,," मां अपनी उंगलियों को अपनी चूत में अंदर बाहर करती हुई बोली।

मां वाइन की वजह से इतने ज़्यादा नशे में थी कि वह पहचान भी नहीं पाई कि जो इंसान उनको छुपकर देख रहा है वो उनका पति नहीं बल्कि उनका अपना बेटा है बल्कि पापा तो टूर पर गए थे , मां इतने नशे में थी कि वह भूल गई थी कि पापा घर पर नही हैं। भगवान का शुक्र है कि मुझे राहत मिली। मां कल्पना कर रही थी कि वह पापा से बात कर रही हैं।

"आह मै झड़ने वाली हूं आह" मां सिसकती हुई बोली।

"मझे सब कुछ देखना है मम्मी मुझे और दिखाओ। दिखाओ मुझे कि आपके अंदर कितनी चुदास भरी है। मैं तुम्हे देख रहा हूं मम्मी,,,," ऐसा सोचते हुए मैं अपने लन्ड को जोर जोर हिलाने लगा और मैं भी अब झड़ने के करीब था।


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"आह मै झड़ रही हूं" मां सिसकती हुई झड़ने लगी और हांफते हुए अपनी आंखों को बंद करके झड़ गई।

"मै भी आ रहा हूं मम्मी आह" मेरे लन्ड से फुवारा छूट पड़ा और मैं हांफते हुए झड़ने लगा।


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फिर मैं वहां से अपने कमरे में आ गया और रात भर मैंने अपने कमरे में आकर अपनी मम्मी के नंगे जिस्म को सोचते हुए पता नहीं कितनी बार और मुठ मारा था। मैं तबतक मुठ मारता रहा जबतक मेरा लन्ड पूरी तरह बैठ नहीं गया।

Present :

गौरी अपने बेटे रूद्र के लिए ब्लैक कॉफी लेकर आती है, रूद्र ब्रेकफास्ट कर चुका था।

मै क्या करू मां! आपको उस तरह से देखने के बाद अब मै चाह कर भी पीछे नहीं हट सकता, कल रात मुझे पता चल गया कि आप कितना अकेला मेहसूस करती हो। आप भले ही मेरे सामने मुस्कुराती देती है लेकिन उस मुस्कुराहट के पीछे कितना दर्द छुपाकर रखती हो ये कभी आप जगजाहिर होने नहीं देती। मम्मी मैंने फैसला कर लिया है मै तुम्हे संतुष्ट करूंगा अगर तुम अकेला मेहसूस करती हो तो मै पापा की जगह लूंगा और तुम्हारी ज़िन्दगी खुशियों से भर दूंगा। (मन में)

....

अगला भाग जल्दी ही दूंगा, आप सभी के प्यारे कॉमेंट्स का इंतजार रहेगा।
 
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रूद्र अपनी मां के बारे में कुछ सोच रहा था वह अपनी अलग दुनिया में गुमसुम था और कॉफी ठंडी हो रही थी।

तभी गौरी अपने बेटे की तरफ चलकर आई और आगे झुककर उसके माथे पर हाथ रखकर बोली "क्या हुआ बेटा? तुम्हारी तबियत तो बिलकुल ठीक है बुखार भी नहीं है।"

गौरी के झुकने के कारण उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की गहरी दरार उसकी ब्लाउज के अंदर से रूद्र को नजर आ गई, गौरी की चूचियां इतनी बड़ी थीं की वह थोड़ा और झुकती तो उसकी चूचियां ब्लाउज़ फाड़कर बाहर आ जाती, रूद्र का मन किया कि अभी उस दरार में डुबकी लगा दे।

रूद्र: "मै ठीक हूं मम्मी।"

गौरी: मैने तुम्हे जन्म दिया है बेटा, मुझे पता है कि जब कुछ गलत होता है, कोई बात है रूद्र????

रूद्र: "कोई बात नहीं है मम्मी।"

गौरी अपने बेटे की चुटकी लेते हुए बोली: मुझे पता है क्या बात है! तुम किसी लड़की के प्यार में पड़ गए हो। तुम्हे किसी से प्यार हो गया है। है ना रूद्र?"

रूद्र गुस्से में बोला: mom please quit saying such stupid stuff

गौरी मुस्कुराती हुई बोली: इस तरह गुस्सा आना यह साबित कर देता है कि तुम्हे सच में किसी लड़की से प्यार हो गया है।

रूद्र: ऐसी बेवकूफी भरी बातें कहना बंद करो मम्मी प्लीज़ ऐसा कुछ नहीं है।

रूद्र को इस तरह छेड़ते हुए गौरी को बहुत खुशी मिल रही थी लेकिन गौरी फिर आगे कुछ नहीं बोली।

"मां के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। यह ऐसा है जैसे मैंने सपना देखा कि मैंने कल रात बाथरूम में क्या देखा था।" (मन में)

रूद्र: "मम्मी क्या आप रात में रो रही थी ? पता नहीं मै सपना देख रहा था तो मुझे लगा कि मैंने आपका रोना सुना है शायद पिछली रात मैंने आपके बारे में सपना देखा था मम्मी।

गौरी: क्या,,,, किस तरह का सपना था ? कुछ याद है तुम्हे बेटा।

रूद्र: पता नहीं मम्मी धुंधली यादें हैं मुझे साफ़ याद नहीं आ रहा कि मैने सपने में क्या देखा?

गौरी: रूद्र बेटा यह बस तुम्हारे मन की कल्पना है तुमने ऐसा कुछ नहीं देखा होगा। तुम्हारे साथ आज सुबह कुछ ग़लत हुआ है जो ऐसे बकवास सपने की बात कर रहे हो"

"मै भी तभी से आपके साथ हूं जब आपने मुझे जन्म दिया था, इसलिए जब भी आपके साथ कुछ गलत होता है तो मुझे भी पता चल जाता है।" (मन में)

रूद्र : ठीक है मम्मी मैं चलता हूं नही तो मुझे क्लास के लिए देर हो जाएगी

रूद्र घर के गेट पर आकर जूते पहनने लगा।

गौरी : बेटा एक बात तो मैं तुम्हे बताना भूल ही गई , आज मैं कुलवंत आंटी (गौरी की सहेली) के घर जा रही हूं तो रात तक आऊंगी , मैने खाना बना दिया है तुम माइक्रोवेव में गरम करके डिनर कर लेना।

रूद्र मुस्कुराते हुए : आप मेरी चिंता मत करो मम्मी मैं अब बड़ा हो गया हूं। लव यू मम्मी।

गौरी मुस्कुराते हुए: मेरे लिए अभी भी तुम बच्चे ही हो, लव यू टू बेटा, बाय! हैव आ नाइस डे।

"मैंने विशेष अध्ययन ग्रीष्मकालीन सत्र के लिए कक्षा में भाग लिया था, लेकिन मेरे दिमाग में एक भी चीज़ नहीं थी जो पाठों में शामिल थी, मेरा सिर पहले से ही माँ के विचारों से भरा था, इसलिए और कुछ नहीं भर सकता था"

क्लास समाप्त होने के बाद रूद्र अपने घर पर पहुंचता है।

रूद्र : मां, मैं घर आ गया।

घर में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था।

रूद्र (मन में) : मां तो कुलवंत आंटी के घर गई हैं और देर से आएंगी।

रूद्र अपने जूते उतारता है और कुछ सोचते हुए अपनी मां के कमरे की तरफ बढ़ता है।

"माँ की ब्रा जो उनके विशाल स्तनों को कैद रखते हैं, मैं मां की पैंटी भी देखना चाहता हूँ जो उसके कूल्हों और योनि से दबे रहते हैं। मुझे कुछ पैंटीज चाहिए जो मां की खुशबू में सराबोर हैं।"

रूद्र अपनी मां के रूम के अंदर आता है और फिर ड्रेसर को खोलने लगता है। जैसे ही वो सबसे नीचे वाला ड्रेसर खोलता है उसको अपनी मां की ब्रा और पैंटी का भंडार मिलता है, उसमे एक से एक डिजाइन की ब्रा और पैंटी थीं। रूद्र उनमें से एक पैंटी बाहर निकाल लेता है और अपने हाथ से स्पर्श करके महसूस करता है।

"वाह क्या अच्छी महक है, यह इत्र की मीठी सुगंध है जो हवा में तैर रही है, मुझे कभी नहीं पता था कि एक महिला की पैंटी इतनी सुंदर हो सकती है और इतनी अच्छी और चिकनी भी लगती हैं।"

रूद्र बेड पर बैठ गया और अपनी मां की पैंटी को सूंघने लगा, वह सोच में पड़ गया कि कपड़े का इतना छोटा टुकड़ा उसकी मां के निजी अंगों को ढक कर कैसे रखता है!

"यह हिस्सा यहाँ है जो माँ की योनि को ढकता है"

रूद्र बेड पर लेट गया और अपनी मां के तकिए और चादर की सुगंध लेने लगा और अपनी पैंट और चड्डी एक साथ सरका कर वह अपने लंड के चारों ओर अपनी माँ की पैंटी को लपेट लिया और अपनी माँ को सेक्स करने की कल्पना करने लगा और अपने लन्ड को पकड़कर झटके देने लगा।

रात में रूद्र ने नहा कर डिनर किया और अपनी स्टडी टेबल पर पढ़ाई करने लगा।

"मैंने कक्षा से उन नोट्स का अध्ययन किया जिन पर मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर सका था क्योंकि मेरा मन मेरी माँ पर था"

तभी धम करके आवाज हुई , रूद्र अपने कमरे से बाहर निकलकर सीढ़ियों से नीचे आया तो उसने देखा कि उसकी मां जमीन पर गिरी पड़ी है।

गौरी : मैं घर आ गई बेटा,,,,

गौरी को देखकर रूद्र समझ गया कि उसकी मां ने फिर से वाइन पिया है और वह काफी नशे में हैं। रूद्र ने अपने कंधे का सहारा देकर अपनी मां को सोफे पर बैठाया

रूद्र : मां आप आज फिर कुलवंत आंटी के साथ वाइन पिया है ना?

गौरी : हां बेटा मैंने कुछ ज़्यादा ही ड्रिंक कर लिया,,,, पानी,,,, रूद्र मेरे लिए एक ग्लास पानी ले आओ।

रूद्र रसोईघर में आया।

"मम्मी भी ना कितनी बेवकूफ हैं जब संभाली नहीं जाती तो इतना वाइन पीती ही क्यों हैं?" (मन में)

रूद्र ग्लास में पानी भरके अपनी मां के पास आया "लो मां पानी"

"zzzz zzzz zzzz zzzz" इतनी देर में गौरी सोफे पर सो गई थी।

"मम्मी आपको ठंड लग जाएगी प्लीज़ यहां मत सो। उठो मम्मी।" रूद्र अपनी मम्मी के गाल थपथपाते हुए बोला।

"zzzz zzzz zzzz zzzz" गौरी सोती रही उसने रूद्र की बात का कोई जवाब नहीं दिया।

रूद्र के मन में एक विचार आया।

"मम्मी गहरी नींद में थी और ऊपर से नशे में, अगर मै मम्मी को चूम लूं तो मम्मी को एहसास भी नहीं होगा। क्या मम्मी को चूमना सही होगा?"

रूद्र अपनी मां गौरी के चेहरे के पास आया, उसके दिल की धड़कन धक धक होने लगी। रूद्र ने अपने होंठों को अपनी मां के होंठों से मिलाया,,,, कुछ सेकंड बाद रूद्र ने अपने होंठों को अपनी मां के होंठों से अलग किया।

"मुझे लगता है कि ये मेरी ज़िन्दगी का पहला चुम्बन है। हां, ये मेरी ज़िन्दगी का पहला चुम्बन है। मुझे नहीं लगता कि मम्मी अब जागने वाली हैं क्या मुझे फिर से मम्मी को चूमना चाहिए?"

रूद्र पूरी तरह से जानता था कि उसको अपनी माँ का फायदा नहीं उठाना चाहिए जबकि वह बेहोश थी उसका दिल ढोल की तरह बज उठा, उसने तय किया कि उसको पिछली रात से आगे नहीं जाना चाहिए।

रूद्र को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?

रूद्र अपनी मां के चेहरे के पास आया और अपने होंठों से अपनी मां के होंठों को दबाया और उन्हें चूसने लगा और कुछ समय बाद अलग हुआ। गौरी के स्तन उसके सांस लेने से ऊपर नीचे हो रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे गौरी को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो क्योंकि उसको कभी साड़ी में सोने की आदत नहीं थी।

"क्या मुझे मम्मी के ब्लाउज को उतार देना चाहिए? मम्मी अपने साड़ी को लेकर बड़ी असहज दिख रही हैं" (मन में)

रूद्र सोफे पर बैठ गया और अपनी मां के पल्लू को उसकी छाती से हटाकर अलग किया। फिर अपनी कांपती हुई उंगलियों से अपनी मां के ब्लाउज के हुक खोलने लगा। ब्लाउज खुलते ही गौरी की बड़ी बड़ी गगन चुंबी चूचियां फूदक्कर बाहर आ गई पर अभी भी वह उसकी गुलाबी रंग की ब्रा में कैद थी, अपनी मां के स्तन देखकर रुद्र की सांसें फूल गई।

"क्या मुझे मम्मी की ब्रा को भी उतार देना चाहिए? हां क्यों नहीं। अब इतने आगे आकर मै पीछे हटने नहीं वाला।" (मन में)

रूद्र ने गौरी की गुलाबी रंग की ब्रा को उसके स्तन से अलग कर दिया।

"ये कितने सुंदर हैं, मम्मी के स्तन कितने बड़े हैं यकीन नहीं होता कि मैं इन्हें चूसा करता था। शराब के कारण मम्मी के स्तनों का रंग गुलाबी हो गया था। मम्मी की चूचियों की निष्पक्ष त्वचा से उसकी नसों में गर्मी आसानी से दिखाई दे रही थी। मम्मी के छरहरे रंग और उसके स्तनों के शिखर पर उसके निपल्स की तरह चेरी का बेहोश रंग इतना प्यारा था कि उन्होंने मेरी सांसें खींच लीं। यद्यपि उसके शुद्ध सफेद स्तन इतने चमकीले थे, फिर भी वे बहुत दृढ़ और ताजे थे।"

रूद्र को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे!,,,, इससे ज़्यादा साहस का काम उसने आज से पहले कभी नहीं किया था।

"मम्मी नशे में हैं इससे अच्छा सुनहरा मौका शायद मुझे ज़िन्दगी भर कभी ना मिले" (मन में)

रूद्र आगे बढ़ा और उसने अपने दोनो हाथों को अपनी मम्मी के स्तनों पर रख दिया। रूद्र ने जैसे ही स्तनों को छुआ उसकी उंगलियां स्तनों के अंदर धसती चली गई।

"मुझे नहीं लगता कि अब मै पीछे मुड़ कर देखूंगा। यह कितने मुलायम हैं आज से पहले इतनी मुलायम चीज मैंने कभी नहीं छुई। मेरी उंगलियां सही में इनमें डूब गई हैं। मम्मी के निप्पल मेरे स्पर्श से धीरे धीरे सख्त हो रहे है। मम्मी का शरीर अपने स्तन को मसलने के लिए अपने आप प्रतिक्रिया दे रहा है।"

रूद्र अब अपना नियंत्रण पूरी तरह खो बैठा था वह गौरी की चूचियों को बारी बारी से मसलने लगा और आखिर में उसने अपने गरम होठों को अपनी मम्मी के निप्पल से भिड़ा दिया और उन्हें चूसने लगा।

"दूध की मीठी सुगंध मेरे मुंह में बह रही थी मैं काफी समय से लगातार इस मीठी सुगंध से घिरा हुआ था। मुझे यकीन नहीं होता कि मै मम्मी के स्तनों को मेहसूस कर रहा हूं, लेकिन मम्मी के स्तन पहले से काफी बड़े लग रहे हैं और मैं उनकी मालिश कर रहा हूं। वे नम हो रहे हैं और उनमें कुछ रंग आ रहा है। मम्मी के स्तन किसी पके हुए खरबूजे की भांति लग रहे थे।"

गौरी के मुंह से सिसकी फुट पड़ी : आह,,,,

रूद्र घबराते हुए गौरी के ऊपर से हट गया।

"नहीं,,,, मम्मी जाग गई तो मैं गहरी समस्या में पड़ जाऊंगा" (मन में)

गौरी करवट लेकर लेट गई पर उसने कोई हरकत नहीं की।

"चलो थोड़ी देर के लिए मम्मी नहीं जागेंगी, अब मैं निचले आधे हिस्से से एक अच्छा नज़ारा चाहता हूं।" (मन में)

रूद्र के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान तैर गई।

वह अब उस जगह के दर्शन करना चाहता था जहां से वो इस दुनिया में आया था।

रूद्र ने गौरी के कंधे के सहारे से पकड़कर उसको पीठ के बल सीधा लेटा दिया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को एक साथ पकड़कर उसकी कमर तक चढ़ा दिया। गौरी की चूत अब एक गुलाबी रंग की कॉटन की पैंटी में कैद थी। रूद्र ने अपनी कांपती उंगलियां पैंटी के ऊपर से ही गौरी की चूत पर रख दी।

"यह बहुत गर्म है, आह मम्मी की चूत। मैं अपनी उंगलियों के माध्यम से उसकी कोमलता महसूस कर सकता हूं।"

"इसमें कुछ गलत नही, अगर मैं इसे थोड़ा स्पर्श करता हूं। यह वह जगह है जहां एक महिला के जिस्म में दरार होती है ठीक उसकी दोनों टांगों के बीच। मुझे आश्चर्य है कि इसमें आगे क्या है?"

रूद्र अपनी मध्य उंगली पैंटी के ऊपर से ही गौरी की चूत की दरार में डालने की कोशिश करने लगा। रूद्र की इस कोशिश से गौरी का जिस्म स्वयं प्रतिक्रिया देने लगा था।

गौरी कराह उठी "आह,,,,"

"मां का जिस्म मेरे उंगलियों के स्पर्श से स्वयं प्रतिक्रिया देने लगा था, वह कराह रही थी और अभी भी लग नहीं रहा था कि वह जागने वाली हैं पर अगर मै और आगे बढ़ता हूं तो वह ज़रूर उठ जाएंगी। मै आगे क्या करूं? मै यहां तक आकर रुक नहीं सकता था लेकिन अगर रुक गया तो शायद ऐसा मौका मुझे ज़िन्दगी भर कभी ना मिले। मै मां की चूत के बारे में और जानना चाहता हूं"

"अब, मैं अपनी मम्मी की चूत का जायज़ा लेता हूँ" (मन में)

रूद्र अपने दोनो हाथों को गौरी की कमर पर ले जाता है और उसकी पैंटी को पकड़कर नीचे खींचता है पर गौरी की पैंटी इतनी जबरदस्त तरीके से उसकी गान्ड की दरार में फस रही थी कि वह नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रही थी।

"ओह fuck, मुझे पैंटी को थोड़ा सा नीचे या दाएं बाएं सरका कर ही मम्मी की चूत का जायजा लेना पड़ेगा। ये पैंटी तो मम्मी की गान्ड से नीचे सरक ही नहीं रही"

रूद्र ने फिर गौरी की पैंटी को कमर की एक तरफ से नीचे सरकाया जिससे उसको अपनी मम्मी की छोटे छोटे बालों की घाटियों से भरी चूत नजर आ गई।

"मम्मी की चूत पर बहुत अधिक बाल नहीं है, मैं इसे अपनी उंगलियों में मेहसूस करना चाहता हूं" रूद्र ने अपना सीधा हाथ अपनी मम्मी की पैंटी के अन्दर डाल दिया।

"मैं इसके दोनों ओर नरम नरम त्वचा महसूस कर सकता हूं। मैंने मम्मी की निचली दरार के बीच अपनी बीच की उंगली खो दी थी लेकिन अगर मैं अपनी उंगली से आगे बढ़ता हूं तो मम्मी जाग जाएंगी लेकिन मैं इसकी और गहराई को महसूस करना चाहता हूं।"

रूद्र अपनी बीच की उंगली को अपनी मां की चूत की गहराई में डालकर अन्दर बाहर करने लगता है।

"मम्मी की चूत गीली होती जा रही थी उसकी चूत नमी छोड़ रही थी मै उनकी चूत की नमी को महसूस कर सकता हूं।"

"आह उह आह" गौरी कराह उठी और उसका हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया। यह देखकर रुद्र ने झटके से अपना हाथ अपनी मां की पैंटी से बाहर निकाल लिया।

"मम्मी पहले की तुलना में अलग तरह से प्रतिक्रिया करती हैं, मैं अपने आप से और विरोध नहीं कर सकता था मै अब हार मानता हूं,,,,नहीं मै हार नहीं मान सकता। ऐसा मौका मुझे कभी नहीं मिलेगा। मै और क्या कर सकता हूं?"

रूद्र अपनी पैंट को अपने घुटनों तक सरका लेता है और अपना मोटा लन्ड अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगता है जो पहले से ही दर्द के मारे सख्त होकर खड़ा था। रूद्र का लंड लम्बा तो था ही पर मोटा भी बहुत था उसके लन्ड पर नसों की मोटी मोटी गाठें पड़ रही थी।

"मै अपनी मम्मी के सुन्दर हाथ को अपने लन्ड को झटका देने के लिए उपयोग क्यों नहीं करता?" रूद्र ने गौरी का दाहिना हाथ पकड़कर अपने लन्ड पर रख दिया।

"यह एक अजीब उत्तेजक दृश्य था माँ की नाज़ुक सफ़ेद उँगलियाँ मेरे खून से लथपथ गहरे लाल मर्दानी हिस्से से लिपटी थी। माँ की लंबी पतली उंगलियाँ मेरे उबलते गर्म लंड के साथ सरक रही थी जबकि मैं अपने हाथ से उसके हाथ को आगे-पीछे कर रहा था।"

रूद्र अपनी मां के हाथ के सहारे से तेज तेज झटकों के साथ मुठ मार रहा था।

"आह मम्मी मैंने कभी नहीं सोचा था कि इसे छूने वाला कोई और व्यक्ति मुझे इतना अच्छा महसूस करवाएगा, आह मम्मी मै झड़ रहा हूं, आह मम्मी आह" रूद्र कराह उठा।

रूद्र ने अपने लंड का अमृत रस गौरी के चेहरे और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर छोड़ दिया।

"झड़ने के बाद मुझे अफसोस हुआ कि यह हरकत वास्तव में मेरे दिल को खुश करने का विपरीत प्रभाव था। मुझे पता था कि माँ के बारे में अधिक जानने के लिए मेरे पास अन्य मौके होंगे। मै मम्मी के साथ असल में सेक्स करूंगा किसी दिन यह बात मै जानता हूं।" (मन में)

फिर रूद्र ने एक कपड़े की सहायता से गौरी के चेहरे और उसकी चूचियों से अपने वीर्य को साफ किया फिर अपनी मां की साड़ी को ठीक किया उसके बाद उसने अपने हाथों से गौरी को ब्लाउज़ पहनाया और फिर उसने अपनी मां की चुचियों को उसकी साड़ी के पल्लू से ढक दिया। फिर अपनी मां के रूम से एक कम्बल लेकर आया और अपनी मां को ओढ़ाकर अपने रूम में चला गया।
 
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रात को डिनर टेबल पर खाना तैयार था, गौरी अपने पति अशोक और बेटे रूद्र को डिनर सर्व कर रही थी।

अशोक : इंग्लैंड के भोजन में वह स्वाद नहीं है जो स्वाद तुम्हारे हाथों से बने भोजन में है।

गौरी : चापलूसी करने की कोशिश मत करो अशोक।

अशोक: क्या तुम नहीं मानते बेटा, क्या तुम्हारी माँ दुनिया में सबसे अच्छा खाना नहीं बनाती है?

रूद्र अपने पापा के अचानक घर आने से उतना खुश नही था लेकिन वह इस बात को दर्शाना नही चाहता था इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा : मम्मी सबसे बेस्ट हैं।

अशोक डिनर के साथ ड्रिंक भी कर रहा था।

गौरी : आप ज्यादा ड्रिंक मत कीजिए नही तो,,,, क्यूंकि वहां रूद्र भी बैठा था इसलिए गौरी आगे कुछ नहीं बोली।

अशोक : मैं समझ गया , ठीक है मैं ज्यादा ड्रिंक नही करूंगा।

"इसका मतलब आज रात पापा और मम्मी,,,," (मन में)

"जिस क्षण मेरे दिमाग में वह विचार आया, मैंने देखा कि माँ और पिताजी के नग्न शरीर वासना में एक साथ जुड़े हुए हैं। मैंने कहा, मैं कल जल्दी उठूंगा और जल्दी से रात का खाना खाकर अपने कमरे में चला आया"

"अगले कुछ घंटों के लिए मैं बिस्तर पर लेटे हुए तड़पता रहा"

"मेरा दिल एक तरह की उम्मीद से भरा हुआ था, जो मेरे भीतर एक अजीब भावना का विरोध कर रहा था, आखिरकार इन भावनाओं से प्रताड़ित होने के बाद मैंने कुछ कार्रवाई करने का फैसला किया"

रूद्र अपने बेड से उठकर रूम से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए अपने मम्मी पापा के रूम के बाहर पहुंच गया।

"दरवाजा पूरी तरह से बंद नही है, मैं अस्पष्ट रूप से उनकी आवाज सुन सकता हूँ" (मन में)

रूद्र धीरे से दरवाजा खोलता है तो देखता है कि उसके मम्मी पापा एक दूसरे से लिपटे हुए हैं दोनो के जिस्म पर कपड़े का एक रेशा तक नही था।

"मेरा विचार सही था"

अशोक गौरी की बड़ी बड़ी चूचियों की दरार में अपना मुंह दफन किया हुआ था।

अशोक : आज रात मैं तुम्हे अपना सारा प्यार देना चाहता हूं।

गौरी : आह डार्लिंग आप मुझे कितना खुश महसूस कराते हैं।

"मैंने माँ के चेहरे पर वह आकर्षण पहले कभी नहीं देखा था"

अशोक अपनी पत्नी की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रख दिया और अपनी उंगलियों को उसकी चूत की दरार में पेलने लगा और फिर पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चाटा और उसकी पैंटी को उतार दिया।

अशोक गौरी की सुडौल जांघों को फैलाते हुए उसकी चूत चाटते हुए बोला : डार्लिंग तुम्हारी चूत तो पहले से ही काफी गीली है, यह बड़ा ही सुनहरा नजारा है।

गौरी करहाती हुई बोली : आह प्लीज ऐसा मत बोलिए, आह आप मुझे बहुत गरम कर रहे हैं उफ्फ

रूद्र (मन में) : यह वह कोमल मीठा चेहरा नहीं है जो आमतौर पर मां के पास होता है, यह एक महिला का कामुक चेहरा है जो अपने जुनून के आगे झुक जाता है।

गौरी अपने पति के चेहरे को अपनी चूत पर दबाते हुए : आह उफ़ उम्म,,,, चूसते रहो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

अशोक अपनी पत्नी की चूत को अपनी जुबान से चोदते हुए: तुम्हारी चूत बड़ी स्वादिष्ट है डार्लिंग।

ऐसे ही कुछ देर तक अशोक गौरी की चूत चूसता रहता है और रूद्र अपने पापा मम्मी को देखता रहता है।

अशोक अपनी पत्नी की चूत में उंगली डालते हुए उसके होंठों को चूम कर बोला : अब तुम्हारी बारी है मेरा लन्ड चूसने की, चलो मेरा लन्ड चूसो।

गौरी : हां डार्लिंग, आगे सब मेरे ऊपर छोड़ दो।

अशोक पीठ के बल लेट गया और गौरी उठकर उसके टांगों के बीच आ गई। गौरी ने अशोक के लन्ड को अपने मुठ्ठी में थामा और अपने होंठों से उसके लन्ड को चूसने लगी, अशोक का लन्ड धीरे धीरे खड़ा हो गया उसका लन्ड साढ़े चार इंच का था पर मोटा बहुत था। रूद्र अपनी मां को अपने पापा का लन्ड चूसते हुए देखता रहा।

"मुझे आश्चर्य है कि माँ ऐसा करने से कैसा महसूस कर रही होंगी? वह शायद वास्तव में इसे पसंद नहीं करती हो, लेकिन केवल पापा को खुश करने के लिए कर रही है या शायद वह भी इसे पसंद करती है!" (मन में)

अशोक : आह डार्लिंग, उफ्फ तुम बड़ी गजब हो, क्या चूसती हो! तुम्हे तो पोर्न इंडस्ट्री में होना चाहिए।

"अगर पापा की जगह मैं होता तो मां मेरा लन्ड चूस रही होती।"

"इससे पहले मुझे कुछ पता चलता मेरा लन्ड दर्द के साथ खड़ा हो गया था भले ही मैं इतना निराश था कि पापा ने माँ को मुझसे छीन लिया था फिर भी मैं उन दोनो को सेक्स करते हुए देखने के लिए उत्साहित था मैं उस जगह को छोड़ने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सका, एक पुरुष और महिला को संभोग करते देखने की मेरी इच्छा मेरे लिए बेहतर हो गई।"

अशोक और गौरी अब ६९ पोजिशन में थे। गौरी अपने पति का लन्ड चूस रही थी और अशोक अपनी पत्नी की चूत चाट रहा था।

अशोक अपने पत्नी की चूत से अपनी जुबान को अलग करते हुए बोला : डार्लिंग जब मैं दूर रहता हूं तो तुम बहुत अकेली महसूस करती होगी?

गौरी अपने पति के लन्ड से अपने होंठों को अलग करते हुए बोली : हां मैं बहुत अकेली महसूस करती हूं।

अशोक : तुम मेरे लन्ड को बहुत याद करती हो ना?

गौरी : हां मैं तुम्हारे ल,,,,

अशोक गौरी को उसके घुटनों के बल कर देता है और किसी भूखे कुत्ते की तरह उसकी चूत चाटने लगता है।

अशोक : मेरा लन्ड चाहिए तो ठीक से बोलो,,,,

गौरी : आह, मुझे आपका लन्ड चाहिए अपनी गीली चूत में, प्लीज डार्लिंग मुझे चोदो।

अशोक : गुड गर्ल, ले मेरा लौड़ा,,,,

अशोक अपने लन्ड को गौरी की गीली चूत पर रखकर अपनी गान्ड सिकोड़ते हुए एक झटका मारता है और एक झटके में ही अशोक का लन्ड गौरी की चूत में गायब हो जाता है और फिर अशोक अपनी कमर हिलाते हुए अपने लन्ड को गौरी की चूत में अंदर बाहर करने लगता है।


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गौरी : आह उफ्फ बहुत मजा आ रहा है , आह और तेज, और जोर से चोदो आह मां मर गई, उफ्फ चोदते रहो रुकना मत।

अशोक : आह कितनी गरम चूत है , उफ्फ मुझे लग रहा है मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाऊंगा।

गौरी : आह डार्लिंग यू आर ड्राइविंग वाइल्ड, आह उफ्फ कितना लंबे समय बाद कर रहे है इसलिए पीछे मत हटो, जब चाहो झड़ जाओ। आह मेरी चूत उफ्फ बड़ा मजा आ रहा है।

अशोक : आह डार्लिंग मेरा होने वाला है आह , तुम भी मेरे साथ झड़ जाओ आह उफ्फ आह,,,,

गौरी : आह डार्लिंग उफ्फ मां , मैं झड़ रही हूं उह आह उह,,,,

और अशोक और गौरी एक साथ झड़ गए।

इसके बाद रूद्र वहां से अपने रूम में आ गया।

"पापा और मम्मी के संभोग की दृष्टि ने मुझे क्रोध और घृणा से भर दिया लेकिन साथ ही मैं पापा की जगह लेने के लिए आवेग में पागल हो गया और मेरे दिल में मेरे पापा के लिए ईर्ष्या का भँवर था जिसने मेरे दिल में मां के लिए जो प्यार था उसको और मजबूत किया।" (मन में)

....

अगले तीन दिन में अशोक के ऑफिस का काम पूरा हो गया और अब वह इंग्लैंड वापस जा रहा था।

अशोक : गौरी अपना और रूद्र का ख्याल रखना और रूद्र तुम भी अपनी मां का ख्याल रखना और एग्जाम के लिए मन लगाकर पढ़ाई करना।

रूद्र : हां पापा।

अशोक : गौरी एक ग्लास पानी लाना।

गौरी : जी।

गौरी रसोई में चली गई।

अशोक : बेटा, तुम्हारी मां बता रही थी कि वह बहुत अकेलापन महसूस करती है और मैं चाहता हूं कि अब तुम्हे अपनी मां से एक बेटे के साथ साथ एक सच्चे दोस्त की तरह पेश आना चाहिए और उसकी जरूरतों का तुम्हे ध्यान रखना चाहिए, तुम्हे अपनी मां के अकेलेपन को दूर करने के लिए अगर कुछ भी करना पड़े तो कभी पीछे मत हटना कर गुजरना समझे!

रूद्र : मैं समझ गया पापा।

गौरी ग्लास में पानी लेकर आती है।

रूद्र : अगली बार आप कब आओगे पापा?

अशोक : मेरा ट्रांसफर इंडिया होने वाला है और रूपाली और कंचन की भी आने वाली हैं। फिर हम सब साथ रहेंगे।
रूद्र (मन में) : इसका मतलब मेरे पास ज्यादा समय नहीं है।

फिर अशोक टैक्सी से एयरपोर्ट निकल गया।
 

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दोस्तों ये कहानी एक incest saga है इसलिए जिसको भी incest पसंद नही वह कृपया यहां ना इस कहानी को ना पढ़े और जिसको पसंद है वह इस कहानी का आनंद उठा सकते हैं। कहानी में रोमांस , सस्पेंस , एडल्टरी , थ्रिलर , मिस्ट्री , ग्रुप सेक्स , आदि सब कुछ होगा बस आप साथ बनाए रहना।

एक लड़का अपनी मां की उंगली पकड़ कर एक गार्डन में घूम रहा था। दोनों मां बेटे एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

औरत - ओह सच में!

लड़का - हां मम्मी,,,, उसके बाद आकाश ने कहा जब वो बड़ा हो जाएगा तो वो रुचि से शादी करेगा।

औरत - और तुम ? क्या कोई ऐसी लड़की है जो तुम्हे बहुत पसंद हो?

लड़का - मैं ?

औरत - हां बेटा तुम,,,,

लड़का (कुछ सोचकर) - मम्मी,,,, जब मै बड़ा हो जाऊंगा तो आपसे शादी करूंगा।

वह औरत ये सुनकर हस पड़ी और बोली - ओह मेरा प्यारा बेटा, आई लव यू सो मच।

लड़का - आई लव यू टू मम्मी।

....

गौरी : रूद्र ,,,, रूद्र ,,,, रूद्र ,,,, बेटा उठो ,,,, चलो जल्दी से कोचिंग के लिए तैयार हो जाओ।

रूद्र (अंगड़ाई लेते हुए) : मम्मी ,,,,

गौरी : नहा धोकर नीचे आओ , मैं तुम्हारा ब्रेकफास्ट तैयार करती हूं।

रूद्र : हां मम्मी मैं बस अभी आता हूं।,,,,

"रूद्र बारहवीं कक्षा में पढ़ता है और अभी उसकी गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं, वह मन लगाकर अपना ध्यान पढ़ाई में लगाता है जिससे उसको एक अच्छे सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिल सके इसलिए उसने एक कोचिंग ज्वाइन किया है, इसके अलावा वह अपने स्कूल की बास्केटबाल टीम का कैप्टन है, पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद में भी सबसे आगे रहता है।"

।।रूद्र।।


images-3

रूद्र नहा धोकर तैयार होकर नीचे पहुंचता है।

रूद्र : गुड मॉर्निंग,,,,

गौरी : मॉर्निंग बेटा ,,,, तुम्हारा ब्रेकफास्ट मैंने तैयार कर दिया है तुम खाना शुरू करो , मैंने तुम्हारे लिए ब्लैक कॉफी लेकर आती हूं। ,

"रूद्र की मां का नाम गौरी है गौरी का जिस्म भरा हुआ है गदराया जिस्म, रंग गोरा है, चूचियां और गान्ड काफी भारी भरकम और बड़े हैं। गौरी की खरबूजे के समान बड़ी बड़ी चूचियां एकदम तनी हुई है थोड़ी भी लचक नहीं। ब्लाउज पहनने के बाद मानो ऐसा लगता है कि दुनिया भर का खजाना गौरी अपने ब्लाउज के अंदर समेटे हुए हो। गौरी के आकर्षण का केंद्र बिंदु हमेशा से उसके उभारदार भारी चूतड़ भी रहे हैं जिसकी भी नजर गौरी के उभारदार चूतड़ों पर जाती है वह बस देखता ही रह जाता है और अपनी नजरों से ही गौरी को चोद देता है, चूतड़ों का घेराव और उठाव इस कदर आकर्षक लगता है कि मानो रस से भरे दो बड़े बड़े तरबूजे लटक रहे हो। गौरी का मखमल की रुई से ज्यादा मुलायम पेट और पेट के बीचों बीच एक गहरी नाभी मानो कुदरत की बनाई हुई कोई घाटी हो। मोटी चिकनी सुडौल जांघें, इतनी चिकनी की उस पर से नजर भी फिसल जाए, गौरी को देख कर कोई यह नहीं कह सकता है कि वह तीन बच्चों की मां है और वह भी जवान बच्चों की।"

।।गौरी।।


images-1

रुद्र से बड़ी उसकी दो बहनें हैं, रूपाली सबसे बड़ी है और उससे छोटी कंचन है। रूद्र के बाप का नाम अशोक है और यह बड़े ही चुदक्कड़ किस्म के इंसान है।

आगे धीरे धीरे आपको कहानी के सभी किरदारों से इंट्रोड्यूस करवाता रहूंगा, जैसे जैसे किरदार आएंगे वैसे वैसे उनका इंट्रोडक्शन देता जाऊंगा।

मैं किसी की उम्र नही बता रहा हूं क्योंकि कहानी का विवरण भूत , वर्तमान और भविष्य काल तीनों में होगा।
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