Adultery आज दिल खोल कर चुदूँगी

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मेरी कहानी बड़ी अजीब है। आज से 4 साल पहले की बात है मेरी शादी हुई, शादी के बाद मेरे पति की पारिवारिक आर्थिक हालत खराब चलने लगी।

उस वक्त मेरे पति का काम-धन्धा नहीं चल रहा था। मैं एक नई-नवेली दुल्हन थी, पर पति को परेशान देखती तो मुझे दु:ख होता।

मैं पूछती तो वे टाल जाते, मुझसे कहते- सब ठीक हो जाएगा.. तुम चिंता मत करो !

पर उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी, रात देर से आना, मेरी चुदाई कभी करते, कभी नहीं..! मैं चुदाने के लिए बेकरार रहती।

एक दिन मैं रात में जिद कर के पूछने लगी, तो बोले- मुझे घाटा हो गया है !

तो मैं बोली- सब ठीक हो जाएगा !

तो वो बोले- कुछ ठीक नहीं होगा… मेरे पास पूंजी नहीं है..!

मैं बोली- गहने बेच दो..!

तो बोले- नहीं.. कुछ उपाय करूँगा… तुम चिंता मत करो..!

मैं बोली- चिंता क्यूँ न करूँ.. नई-नवेली दुल्हन हूँ.. आप मुझे छोड़ कर गायब रहते हो, मुझे आपकी बाँहों का सहारा चाहिए…. मैं रातभर आपके साथ रहना चाहती हूँ..!

तो बोले- सब ठीक हो जाएगा..!

वो मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे थे, तो मैं गुस्से से बोली- मेरी जवानी को बर्बाद मत करो… मुझे सुख चाहिए…!

तो उस समय तो वे मुझे प्यार करके सो गए पर उनके दिमाग में कुछ कीड़ा कुलबुलाने लगा।

कुछ दिन बाद वे बोले- चलो, आगरा चलना है… तुम पैकिंग कर लो…!

तो मैंने सोची कि शादी के बाद तो परेशान थे, शायद मेरा और अपना दिल बहलाने के लिए आगरा मुझे भी ले चल रहे होंगे।

मुझे लगा मेरे गुस्से की वजह से तो नहीं ऐसा कह रहे हैं…!

तो मैं बोली- तुम परेशान हो.. आगरा जाओगे, पैसा खर्च होगा… रहने दो… मैं यहीं खुश हूँ..!

तो वो बोले- नहीं.. बस आगरा पहुँचना है… सब इंतज़ाम हो जाएगा..!

मैं बोली- कैसे…! आगरा में कोई जादू होगा..! तो बोले- ऐसा ही कुछ समझो…!

उनकी बात मेरी समझ में नहीं आई।

फिर मैं तैयार हो गई।

इतनी जल्दी प्रोग्राम बना था कि वगैर ट्रेन के रिजर्वेशन ही आगरा जाना पड़ा।

स्टेशन के रास्ते में बोले- आगरा में मैं एक दोस्त सुनील के बुलाने पर जा रहा हूँ… उसने बोला है कि भाभी को लेकर आगरा आ जाओ… पैसा मैं कमवा दूँगा…!

मैं बोली- मेरे जाने से क्यों… तुम भी जाते तो भी पैदा हो जाता…!

तो बोले- दोस्त बोला है… भाभी को जरूर लाना है…!

इतने में रेलव स्टेशन आ गया। प्लेटफार्म पर भीड़ थी। वाराणसी के प्लेटफार्म नम्बर 9 से मरुधर एक्सप्रेस से जाना था। पति टिकट लेकर आए, हम लोग ट्रेन में बैठ गए।

देखते ही देखते ट्रेन में भीड़ हो गई। एक लड़का जो मेरे पास बैठा था, वो मुझे लगातार घूर रहा था, मुझे उसका घूरना अच्छा लग रहा था।

ट्रेन में भीड़ बढ़ती जा रही थी, मैं तो सेक्स के मामले मे बहुत तेज हूँ। मैं निगाह बचा कर मुस्कुरा कर उसको मूक निगाहों से आमंत्रित कर रही थी। मेरी इस अदा से वो मेरे चूतड़ों को बगल से छू रहा था।

मुझे मज़ा आने लगा।

मेरे पति ने कहा- तुम ऊपर बैठ जाओ.

उन्होंने मुझे ऊपर वाली बर्थ पर भेज दिया।

तभी ऊपर एक आदमी मेरे पति से बोला- तुम भी ऊपर आ जाओ..! मैं नीचे आ जाता हूँ।

तो मेरे पति बोले- नहीं.. ठीक है, तब तक जो मेरे बगल मे लड़का नीचे था।

वो बोला- भाई साहब आप आ जाओ… मैं ऊपर आ जाता हूँ।

वो लड़का ऊपर आ गया। मैंने एक चादर बिछा ली और आराम से बैठी थी। रात के 9 बज चुके थे। एकाएक उस लड़के ने मेरी चूत को सहला दिया। मैं फुसफुसाई- कोई देख लेगा..

तो बोला- कोई नहीं देखेगा !

इतना कहते ही वो भी समझ गया कि मैं राज़ी हूँ। वैसे भी मैं कई दिन से चुदी नहीं थी।

वो धीमे से एक उंगली मेरे चूत में डाल कर आगे-पीछे करने लगा और मैं गर्म होती जा रही थी। फिर वो एक रुमाल की आड़ देकर लण्ड निकाल कर दिखाया, तो मैं मस्त हो गई। उसका 'छानू' बहुत मोटा था।

मैंने सब की निगाह बचा कर एक बार पकड़ कर छोड़ दिया पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

वो फुसफुसाया- चुदोगी..!

मैं बोली- यहाँ कहाँ..!

तो बोला- चलो बाथरूम..!

मैं बोली- बाथरूम नहीं.. कोई देख लेगा ऐसे ही ठीक है..!

मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया, फिर मज़ा लेती रही। ट्रेन तेज रफ्तार से चली जा रही थी। उसने मेरी चूत को पानी-पानी कर दिया।

मैं उसके लण्ड को मुठिया रही थी। तभी उसके लण्ड ने पानी फेंक दिया, वो शान्त हो गया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं भी ठीक से बैठ गई। वो लड़का लखनऊ में उतर गया, मैं देखती रह गई… उससे ना चुदाने का मलाल था।

खैर हम आगरा स्टेशन पर उतरे, पति से बोली- अब कहाँ चलना है?

तो बोले- फोन लगाता हूँ..!

पति ने फोन लगा कर बात की, उस आदमी ने एक पता बताया कि यहाँ आ जाओ।

पति ने फोन काट दिया, तो मैं बोली- यह कैसा दोस्त है, जो बुला कर लेने नहीं आया… और मैं आप के सभी दोस्तों को जानती हूँ। आगरा में आप के इस दोस्त को मैंने पहले कभी नहीं देखा है।

तो पति बोले- यह नेट के थ्रू मिला है…

फिर मुझे कुछ शक हुआ, मैं भी पढ़ी-लिखी हूँ, एमए (इंग्लिश) हूँ।

मैं बोली- तो वो मुझे कैसे जानता है..!

वे बोले- तुम्हारे चाहने से ही अब सब ठीक होगा..!

मैं बोली- मेरे चाहने से कैसे..!

तो बोले- सब तुम्हारे हाथ में है..!

यह कह कर मेरे पति रोने लगे।

मैं बोली- मैं आप की पत्नी हूँ.

. मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगी..!

तो बहुत पूछने पर बोले- वो आदमी, जिसने मुझे बुलाया है, वह 'फ्रेंडशिप-क्लब' चलाता है, वो मुझसे बोला है कि एक महीने में तुमको बहुत पैसा पैदा करवा देगा, वो बोला था कि आप अपनी वाइफ को ले कर आओ.. बस तुम्हारी वाइफ को फ्रेंडशिप करनी होगी। कुछ लोगों के साथ कुछ पल अकेले रहना पड़ेगा और कुछ नहीं..!

फिर मैं खुल कर गुस्से से बोली- और तुम तैयार हो गए…! जानते हो क्या होगा..! फ्रेंडशिप की आड़ में मेरी चुदाई होगी… पता है?

पति नीचे सर कर के बोले- हाँ.. पता है…!

इतना कहते मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। मैं ज़्यादा गुस्सा करने लगी।

वह रोने लगे मुझे मनाने लगे और बोले- इसके सिवा कोई चारा नहीं..!

तो मैं बोली- तुम बर्दाश्त कर लोगे?

वे बोले- बस कुछ दिनों की ही बात है… मान जाओ…!

मैं कुछ देर चुप रही, फिर सोचने लगी कि जब इसको बुरा नहीं लग रहा… तो मुझे क्या…! फिर पैसे की ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी और ट्रेन की बात याद आई, उस लड़के के साथ भी तो ग़लत कर रही थी।

सब सोच कर मैंने कहा- चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी..!

फिर हम लोग उसके बताए पते पर पहुँचे, वो पहले मेरे पति से मिला, फिर मुझसे बोला- मैडम थोड़ा अन्दर चलो… कुछ बात बतानी है। मैंने पति की तरफ देखा, पति ने जाने का इशारा किया, मैं उसके साथ अन्दर रूम में चली गई।

उसने पूछा- तुमको सब पता है ना..!

मैंने सर हिला दिया- हाँ..!

फिर वह मेरे मम्मों को छूते हुए बोला- 34 के हैं न… मस्त हैं !

मैंने 'हाँ' में सर हिलाया।

बोला- खड़ी हो ज़ा…

वो मेरी चूत में उंगली डाल कर सहलाने लगा, मैं गरम हो गई, चूत से पानी आने लगा।

वो बोला- मस्त चूत है तेरी… खूब चुदेगी..!

फिर हाथ बाहर निकाल लिया और पति को आवाज़ देकर अन्दर बुलाया और उससे बोला- एक ग्राहक आने वाला है, अपनी बीवी को समझा दो, नखरे न करे..!

पति ने हामी भर दी।

वो फिर मेरे पति से बोला- तुमको मेरे साथ चलना होगा, ग्राहक जब मीटिंग करके चला जाएगा तो हम लोग आ जाएँगे।

मुझे डर लगा, मैं बोली- आप लोग बाहर ही रहो.. कहीं और मत जाओ.. मुझे डर लग रहा है।

वह बोला- डरो नहीं.. वो बहुत बड़ा आदमी है बहुत प्यार से तेरी चूत मारेगा…!

फिर पति से बोला- तुम एक महीना रूकोगे तो एक लाख रुपया दूँगा। रोज इसको 4-5 ग्राहकों से चुदाना होगा।

वो साला मेरे पति के सामने खुल कर बोल रहा था।

फिर उसने मेरी तरफ मुँह कर के मुझसे बोला- चुद लेगी न… रोज 4-5 लोगों से?

मैं कुछ ना बोली। फिर वह मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने लगा- सेठ, मेरे फ्लैट पर आ जाओ… मेरे पास वाराणसी एक मस्त माल आया है, आपका दिल खुश हो जाएगा !

उधर से सेठ बोला- आधा घंटे में आता हूँ।

बात कर फोन रख कर बोला- तू नहा-धोकर फ्रेश हो जा.

कह कर बाहर गया, पति भी उसके साथ दूसरे कमरे में चले गए। मैं अच्छे से नहा धोकर फ्रेश होने लगी और पहली बार कपड़े उतार अपने नंगे बदन को देखने लगी, मैंने अपनी चूत सहला दी, चूत पर हल्के-हल्के रोयें थे। मैंने सोचा कि आज चूत को चिकनी कर दूँ… आज दिल खोल कर चुदूँगी.. जब पति को कोई फ़र्क नहीं, तो मैं क्यूँ चिंता करूँ…!

फिर मैंने चूत के बाल साफ कर दिए, मेरी चूत लौड़ा लेने के लिए खिल उठी। फिर मैं फ्रेश हो ली। तब तक शायद कोई आया था, क्यूँ कि बाहर बात होने की आवाज़ आ रही थी। फिर मैं जल्दी से बाहर आकर तैयार हुई।

तभी पति अन्दर आए, बोले- तुम मुझसे नाराज़ मत होना..!

मैं बनावटी क्रोध से बोली- कोई पत्नी से यह सब करवाता है..!

'प्लीज़ साहस रखो… मैं हूँ ना…!" फिर चुटीले अंदाज में बोले- क्या मस्त तैयार हुई हो… क्या तुम भी चुदाना चाहती हो..!'

मैं फिर थोड़ी बनावटी गुस्से से बोली- बिल्कुल नहीं.. बस तुम्हारी खातिर कर रही हूँ… जाओ अब मैं कुछ नहीं करूँगी।

फिर पति मिमयाने लगे- अरे तुम मेरी जान हो… मज़ाक किया यार… सॉरी !

मैं बोली- चलो, बात मत बनाओ..!

हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया।
 
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हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया, अन्दर आते ही मेरे पति से बोला- यार बड़ी देर कर दी?

फिर मुझसे बोला- तू तैयार हो गई?

मैंने 'हाँ' में सिर हिलाया।

फिर वो बोला- वाह…. खूब मस्त लग रही हो..!

और मेरे पास आया और पति से बोला- आकाश थोड़ा उधर घूम जाओ… मुझे चैक करना पड़ेगा ताकि सेठ नाराज़ ना हो जाए।

मेरे पति घूम गए, सुनील ने तुरंत मुझे बाँहों में ले कर चुम्बन करने लगा और एक हाथ मेरी पैन्टी में डाल कर चूत पर रखा और चौंक कर बोला- वाह… नाइस एंड स्मूद चूत… आज सेठ तो गया काम से…!

मैं तनिक शरमाई तो सुनील मुझसे बोला- तू सेठ को खुश कर देना..!

मैं बोली- ठीक है..!

फिर सुनील ने हाथ निकाल मुझे छोड़ दिया और बोला- आकाश, सेठ को अन्दर ले कर आओ..!

कुछ ही देर में सेठ अन्दर आ गया।

सेठ मुझे देखते ही बोला- वाह… क्या 'पटाका-आइटम' है..!

सुनील बोला- बस सेठ जी, आपकी सेवा करने के लिए आई है।

फिर सुनील ने मेरा परिचय कराया और बोला- तुम लोग बात करो… हम लोग आते हैं… वैसे भी हम लोगों का यहाँ क्या काम… क्यूँ आकाश? पति भी मरता क्या ना करता… उसने मुंडी 'हाँ' में हिला दी।

सुनील बोला- नेहा, सेठ का ख्याल रखना… हम लोगों को कुछ काम है, अभी करके आते हैं..!

मैं भी बोली- आप लोग बेफिक्र हो कर जाओ और मुझे एक बार सेठ जी की सेवा का मौका तो दीजिए, फिर बाद में सेठजी से पूछ लेना कि सेवा मे कोई त्रुटि तो नहीं हुई और अगर सेठ जी को कुछ कमी लगे तो नाचीज़ का सर कलम कर देना !

मैंने भी पहली बार खुल कर मज़ाक कर दिया।

सुनील बोला- चलो आकाश भाई.. अब हम लोग इधर से चलते हैं।

यह कह कर दोनों चले गए।

फिर सेठ ने उठ कर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गया कुछ इधर-उधर की बातें करते-करते मुझे सहलाने लगा और मुझे चुम्बन करते-करते बेड पर लेट गया।

मैं भी उसका साथ देने लगी, पर सेठ जैसे टूट पड़ना चाहता था, जैसे मुझे खा जाएगा।

मैं बोली- थोड़ा प्यार से करो सेठ..!

बोला- तेरे जैसे माल को पाकर सब्र नहीं होता रानी…!

मैं उस समय कुरती-जींस पहने हुई थी। सेठ ने कुरती उतार फेंकी, जींस भी निकाल दिया।

मैं केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी। लाल ब्रा-पैन्टी में मेरे हुस्न को देखा कर सेठ बोला- तू तो सेक्स की देवी है… आज मैं अपने लौड़े से चूत पेल कर फाड़ दूँगा…!

कहते हुए ब्रा से मेरी मम्मों को निकाल कर बारी-बारी से चूसने लगा और मुझे चूमते हुए नाभि तक आया और पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा तो मेरी चूत रोने लगी और मैं सेठ का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।

फिर सेठ ने धीमे-धीमे चूमते-चाटते पैन्टी को मेरे पैरों से निकाल दिया और सीधे मेरी चूत पर मुँह रख दिया।

मैं एकदम से कांप गई।

सेठ चूत चाटने लगा, एक हाथ से चूची मसकने लगा।

सेठ की उमर 55 के आस-पास की थी, पर गजब का प्यार कर रहा था।

उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी, चूसते-चाटते मेरी जाँघों को चूमते, चूत को चाटते मुझे पागल कर दिया।

मुझे लगा कि कुछ देर और चाटता रहा तो मैं झड़ जाऊँगी, मेरी सिसकारी फूट रही थीं।

सेठ मंजा हुआ खिलाड़ी था, उसने भांप लिया कि मैं एकदम से गर्म हो गई हूँ, उसने चूमना बंद कर दिया और खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा। जब उसने जांघिया उतारा, तो मैं देख कर पागल हो गई।

क्या मर्द था…!

उसका लौड़ा करीब 8 इंच लम्बा और मोटा 4 इंच का था, देखने में पूरा गदहे के लण्ड जैसा था।

मैं पहले डरी, फिर सोचने लगी कि आज किस्मत मेहरबान है तो फिर क्या डरना…!

सेठ लण्ड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला- चूस…!

मैंने कभी भी पति को छोड़ कर किसी और का लंड नहीं चूसा था, मैं बोली- नहीं सेठ मैं नहीं चूसूँगी.


तो सेठ बोला- नखरे मत कर… चूस न..!

सेठ जबरदस्ती मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा। मैं ना-नुकुर करती रही, पर वो नहीं माना। उसने लण्ड ठूँस दिया।

मेरी सांस रुक गई, मेरा मुँह पूरा भर गया था, दर्द के मारे आँसू आ गए, पर सेठ ने मजबूर कर के लौड़ा चुसाया और बोला- साली लौड़ा चूस… तुझे खुश कर दूँगा… बस तू मुझे खुश कर…!

इतना बोल कर वह अपने हाथ से एक सोने की अंगूठी मेरे हाथ में देकर बोला- ले तू मेरे को पसन्द आ गई है, ले रख ले… पर उन लोगों से कुछ मत कहना।

अंगूठी पाते ही मेरा मन उछल पड़ा और मैं सेठ की हर बात को मानने और खुश करने के लिए लौड़ा चाटने लगी।

सेठ भी खुश होकर बोला- चाट कुतिया… खा जा मेरे लौड़े को… कुतिया साली.. तेरी चूत भी पनिया गई है… साली लौड़ा खाने को… रो रही है…!

मैं मजे से उसका लण्ड चाटने लगी।

फिर सेठ बोला- चल अब तुझे चोदूँगा।

उसने लौड़ा मुँह से निकाल कर मुझे बेड के किनारे कर दिया। मेरे पैर नीचे कर के सारा शरीर ऊपर कर दिया और मेरे पैर उठा कर चूत चाटने लगा। मैं सोचने लगी कि ये तो फिर से चूत चाट रहा है पता नहीं जीभ से ही चोद कर छोड़ देगा..!

पर वो मेरी सोच को समझ गया और बोला- तू चिंता मत कर… मुझे चूत का पानी पीकर चुदाई करने में मज़ा आता है…!

फिर सेठ ने मेरी चिकनी और पनियाई चूत पर लौड़ा लगाया, चूत खूब रसीली थी सो जरा से धक्के में ही उसका सुपारा 'फक्क' की आवाज़ के साथ चूत की दरार में फंस गया।

मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ लौड़ा अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा लौड़ा चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।

आज तक तो पति का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा लौड़ा ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा लौड़ा से खा रही थी।

कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।

सेठ लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।

फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।

मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो.

फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।

फिर चूत से लौड़ा निकाल कर बोला- जान एक बार अपने लौड़े को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।

मैं अंगूठी के लालच में लौड़ा चाटने लगी।

लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।

सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!

सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा लौड़ा… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!

फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी लौड़े से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!

मैं झड़ने लगी, "मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !

कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।

अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।

तभी सुनील का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!

सुनील बोला- सेठ खुश हुए..!

मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।

फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा लौड़ा चाट और चूत से लौड़ा बाहर कर के चटाया।

बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!

मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर लौड़ा पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में लौड़ा डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।

शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।

उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।

'लो जान गया मैं…!' और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।

कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना 'हलब्बी-छानू' निकाल लिया, उसका लौड़ा देख कर मैं डर गई।

मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।

किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ सुनील को फोन पर बोला- आ जाओ नेहा जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!

कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- नेहा मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!

फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।

तब तक सुनील व आकाश आ गए थे।

यह है मेरी पहली चुदाई की कहानी।

आगे क्या हुआ कब-कब किससे चुदी, पति मुझसे यह सब करवा कर खुश थे कि नहीं.

आगे मेरे साथ क्या हुआ, पति के बारे में भी बताऊँगी कि वो कैसे 'गे' बने। आपको यदि मेरी कहानी पसंद आई तो मैं आपको सब लिखूँगी। तब तक के लिए विदा।
 

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हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया, अन्दर आते ही मेरे पति से बोला- यार बड़ी देर कर दी?

फिर मुझसे बोला- तू तैयार हो गई?

मैंने 'हाँ' में सिर हिलाया।

फिर वो बोला- वाह…. खूब मस्त लग रही हो..!

और मेरे पास आया और पति से बोला- आकाश थोड़ा उधर घूम जाओ… मुझे चैक करना पड़ेगा ताकि सेठ नाराज़ ना हो जाए।

मेरे पति घूम गए, सुनील ने तुरंत मुझे बाँहों में ले कर चुम्बन करने लगा और एक हाथ मेरी पैन्टी में डाल कर चूत पर रखा और चौंक कर बोला- वाह… नाइस एंड स्मूद चूत… आज सेठ तो गया काम से…!

मैं तनिक शरमाई तो सुनील मुझसे बोला- तू सेठ को खुश कर देना..!

मैं बोली- ठीक है..!

फिर सुनील ने हाथ निकाल मुझे छोड़ दिया और बोला- आकाश, सेठ को अन्दर ले कर आओ..!

कुछ ही देर में सेठ अन्दर आ गया।

सेठ मुझे देखते ही बोला- वाह… क्या 'पटाका-आइटम' है..!

सुनील बोला- बस सेठ जी, आपकी सेवा करने के लिए आई है।

फिर सुनील ने मेरा परिचय कराया और बोला- तुम लोग बात करो… हम लोग आते हैं… वैसे भी हम लोगों का यहाँ क्या काम… क्यूँ आकाश? पति भी मरता क्या ना करता… उसने मुंडी 'हाँ' में हिला दी।

सुनील बोला- नेहा, सेठ का ख्याल रखना… हम लोगों को कुछ काम है, अभी करके आते हैं..!

मैं भी बोली- आप लोग बेफिक्र हो कर जाओ और मुझे एक बार सेठ जी की सेवा का मौका तो दीजिए, फिर बाद में सेठजी से पूछ लेना कि सेवा मे कोई त्रुटि तो नहीं हुई और अगर सेठ जी को कुछ कमी लगे तो नाचीज़ का सर कलम कर देना !

मैंने भी पहली बार खुल कर मज़ाक कर दिया।

सुनील बोला- चलो आकाश भाई.. अब हम लोग इधर से चलते हैं।

यह कह कर दोनों चले गए।

फिर सेठ ने उठ कर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गया कुछ इधर-उधर की बातें करते-करते मुझे सहलाने लगा और मुझे चुम्बन करते-करते बेड पर लेट गया।

मैं भी उसका साथ देने लगी, पर सेठ जैसे टूट पड़ना चाहता था, जैसे मुझे खा जाएगा।

मैं बोली- थोड़ा प्यार से करो सेठ..!

बोला- तेरे जैसे माल को पाकर सब्र नहीं होता रानी…!

मैं उस समय कुरती-जींस पहने हुई थी। सेठ ने कुरती उतार फेंकी, जींस भी निकाल दिया।

मैं केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी। लाल ब्रा-पैन्टी में मेरे हुस्न को देखा कर सेठ बोला- तू तो सेक्स की देवी है… आज मैं अपने लौड़े से चूत पेल कर फाड़ दूँगा…!

कहते हुए ब्रा से मेरी मम्मों को निकाल कर बारी-बारी से चूसने लगा और मुझे चूमते हुए नाभि तक आया और पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा तो मेरी चूत रोने लगी और मैं सेठ का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।

फिर सेठ ने धीमे-धीमे चूमते-चाटते पैन्टी को मेरे पैरों से निकाल दिया और सीधे मेरी चूत पर मुँह रख दिया।

मैं एकदम से कांप गई।

सेठ चूत चाटने लगा, एक हाथ से चूची मसकने लगा।

सेठ की उमर 55 के आस-पास की थी, पर गजब का प्यार कर रहा था।

उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी, चूसते-चाटते मेरी जाँघों को चूमते, चूत को चाटते मुझे पागल कर दिया।

मुझे लगा कि कुछ देर और चाटता रहा तो मैं झड़ जाऊँगी, मेरी सिसकारी फूट रही थीं।

सेठ मंजा हुआ खिलाड़ी था, उसने भांप लिया कि मैं एकदम से गर्म हो गई हूँ, उसने चूमना बंद कर दिया और खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा। जब उसने जांघिया उतारा, तो मैं देख कर पागल हो गई।

क्या मर्द था…!

उसका लौड़ा करीब 8 इंच लम्बा और मोटा 4 इंच का था, देखने में पूरा गदहे के लण्ड जैसा था।

मैं पहले डरी, फिर सोचने लगी कि आज किस्मत मेहरबान है तो फिर क्या डरना…!

सेठ लण्ड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला- चूस…!

मैंने कभी भी पति को छोड़ कर किसी और का लंड नहीं चूसा था, मैं बोली- नहीं सेठ मैं नहीं चूसूँगी.


तो सेठ बोला- नखरे मत कर… चूस न..!

सेठ जबरदस्ती मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा। मैं ना-नुकुर करती रही, पर वो नहीं माना। उसने लण्ड ठूँस दिया।

मेरी सांस रुक गई, मेरा मुँह पूरा भर गया था, दर्द के मारे आँसू आ गए, पर सेठ ने मजबूर कर के लौड़ा चुसाया और बोला- साली लौड़ा चूस… तुझे खुश कर दूँगा… बस तू मुझे खुश कर…!

इतना बोल कर वह अपने हाथ से एक सोने की अंगूठी मेरे हाथ में देकर बोला- ले तू मेरे को पसन्द आ गई है, ले रख ले… पर उन लोगों से कुछ मत कहना।

अंगूठी पाते ही मेरा मन उछल पड़ा और मैं सेठ की हर बात को मानने और खुश करने के लिए लौड़ा चाटने लगी।

सेठ भी खुश होकर बोला- चाट कुतिया… खा जा मेरे लौड़े को… कुतिया साली.. तेरी चूत भी पनिया गई है… साली लौड़ा खाने को… रो रही है…!

मैं मजे से उसका लण्ड चाटने लगी।

फिर सेठ बोला- चल अब तुझे चोदूँगा।

उसने लौड़ा मुँह से निकाल कर मुझे बेड के किनारे कर दिया। मेरे पैर नीचे कर के सारा शरीर ऊपर कर दिया और मेरे पैर उठा कर चूत चाटने लगा। मैं सोचने लगी कि ये तो फिर से चूत चाट रहा है पता नहीं जीभ से ही चोद कर छोड़ देगा..!

पर वो मेरी सोच को समझ गया और बोला- तू चिंता मत कर… मुझे चूत का पानी पीकर चुदाई करने में मज़ा आता है…!

फिर सेठ ने मेरी चिकनी और पनियाई चूत पर लौड़ा लगाया, चूत खूब रसीली थी सो जरा से धक्के में ही उसका सुपारा 'फक्क' की आवाज़ के साथ चूत की दरार में फंस गया।

मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ लौड़ा अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा लौड़ा चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।

आज तक तो पति का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा लौड़ा ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा लौड़ा से खा रही थी।

कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।

सेठ लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।

फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।

मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो.

फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।

फिर चूत से लौड़ा निकाल कर बोला- जान एक बार अपने लौड़े को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।

मैं अंगूठी के लालच में लौड़ा चाटने लगी।

लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।

सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!

सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा लौड़ा… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!

फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी लौड़े से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!

मैं झड़ने लगी, "मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !

कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।

अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।

तभी सुनील का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!

सुनील बोला- सेठ खुश हुए..!

मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।

फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा लौड़ा चाट और चूत से लौड़ा बाहर कर के चटाया।

बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!

मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर लौड़ा पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में लौड़ा डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।

शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।

उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।

'लो जान गया मैं…!' और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।

कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना 'हलब्बी-छानू' निकाल लिया, उसका लौड़ा देख कर मैं डर गई।

मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।

किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ सुनील को फोन पर बोला- आ जाओ नेहा जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!

कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- नेहा मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!

फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।

तब तक सुनील व आकाश आ गए थे।

यह है मेरी पहली चुदाई की कहानी।

आगे क्या हुआ कब-कब किससे चुदी, पति मुझसे यह सब करवा कर खुश थे कि नहीं.

आगे मेरे साथ क्या हुआ, पति के बारे में भी बताऊँगी कि वो कैसे 'गे' बने। आपको यदि मेरी कहानी पसंद आई तो मैं आपको सब लिखूँगी। तब तक के लिए विदा।
Good story 👌👌👌
 
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हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया, अन्दर आते ही मेरे पति से बोला- यार बड़ी देर कर दी?

फिर मुझसे बोला- तू तैयार हो गई?

मैंने 'हाँ' में सिर हिलाया।

फिर वो बोला- वाह…. खूब मस्त लग रही हो..!

और मेरे पास आया और पति से बोला- आकाश थोड़ा उधर घूम जाओ… मुझे चैक करना पड़ेगा ताकि सेठ नाराज़ ना हो जाए।

मेरे पति घूम गए, सुनील ने तुरंत मुझे बाँहों में ले कर चुम्बन करने लगा और एक हाथ मेरी पैन्टी में डाल कर चूत पर रखा और चौंक कर बोला- वाह… नाइस एंड स्मूद चूत… आज सेठ तो गया काम से…!

मैं तनिक शरमाई तो सुनील मुझसे बोला- तू सेठ को खुश कर देना..!

मैं बोली- ठीक है..!

फिर सुनील ने हाथ निकाल मुझे छोड़ दिया और बोला- आकाश, सेठ को अन्दर ले कर आओ..!

कुछ ही देर में सेठ अन्दर आ गया।

सेठ मुझे देखते ही बोला- वाह… क्या 'पटाका-आइटम' है..!

सुनील बोला- बस सेठ जी, आपकी सेवा करने के लिए आई है।

फिर सुनील ने मेरा परिचय कराया और बोला- तुम लोग बात करो… हम लोग आते हैं… वैसे भी हम लोगों का यहाँ क्या काम… क्यूँ आकाश? पति भी मरता क्या ना करता… उसने मुंडी 'हाँ' में हिला दी।

सुनील बोला- नेहा, सेठ का ख्याल रखना… हम लोगों को कुछ काम है, अभी करके आते हैं..!

मैं भी बोली- आप लोग बेफिक्र हो कर जाओ और मुझे एक बार सेठ जी की सेवा का मौका तो दीजिए, फिर बाद में सेठजी से पूछ लेना कि सेवा मे कोई त्रुटि तो नहीं हुई और अगर सेठ जी को कुछ कमी लगे तो नाचीज़ का सर कलम कर देना !

मैंने भी पहली बार खुल कर मज़ाक कर दिया।

सुनील बोला- चलो आकाश भाई.. अब हम लोग इधर से चलते हैं।

यह कह कर दोनों चले गए।

फिर सेठ ने उठ कर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गया कुछ इधर-उधर की बातें करते-करते मुझे सहलाने लगा और मुझे चुम्बन करते-करते बेड पर लेट गया।

मैं भी उसका साथ देने लगी, पर सेठ जैसे टूट पड़ना चाहता था, जैसे मुझे खा जाएगा।

मैं बोली- थोड़ा प्यार से करो सेठ..!

बोला- तेरे जैसे माल को पाकर सब्र नहीं होता रानी…!

मैं उस समय कुरती-जींस पहने हुई थी। सेठ ने कुरती उतार फेंकी, जींस भी निकाल दिया।

मैं केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी। लाल ब्रा-पैन्टी में मेरे हुस्न को देखा कर सेठ बोला- तू तो सेक्स की देवी है… आज मैं अपने लौड़े से चूत पेल कर फाड़ दूँगा…!

कहते हुए ब्रा से मेरी मम्मों को निकाल कर बारी-बारी से चूसने लगा और मुझे चूमते हुए नाभि तक आया और पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा तो मेरी चूत रोने लगी और मैं सेठ का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।

फिर सेठ ने धीमे-धीमे चूमते-चाटते पैन्टी को मेरे पैरों से निकाल दिया और सीधे मेरी चूत पर मुँह रख दिया।

मैं एकदम से कांप गई।

सेठ चूत चाटने लगा, एक हाथ से चूची मसकने लगा।

सेठ की उमर 55 के आस-पास की थी, पर गजब का प्यार कर रहा था।

उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी, चूसते-चाटते मेरी जाँघों को चूमते, चूत को चाटते मुझे पागल कर दिया।

मुझे लगा कि कुछ देर और चाटता रहा तो मैं झड़ जाऊँगी, मेरी सिसकारी फूट रही थीं।

सेठ मंजा हुआ खिलाड़ी था, उसने भांप लिया कि मैं एकदम से गर्म हो गई हूँ, उसने चूमना बंद कर दिया और खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा। जब उसने जांघिया उतारा, तो मैं देख कर पागल हो गई।

क्या मर्द था…!

उसका लौड़ा करीब 8 इंच लम्बा और मोटा 4 इंच का था, देखने में पूरा गदहे के लण्ड जैसा था।

मैं पहले डरी, फिर सोचने लगी कि आज किस्मत मेहरबान है तो फिर क्या डरना…!

सेठ लण्ड को मेरे मुँह के पास लाकर बोला- चूस…!

मैंने कभी भी पति को छोड़ कर किसी और का लंड नहीं चूसा था, मैं बोली- नहीं सेठ मैं नहीं चूसूँगी.


तो सेठ बोला- नखरे मत कर… चूस न..!

सेठ जबरदस्ती मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा। मैं ना-नुकुर करती रही, पर वो नहीं माना। उसने लण्ड ठूँस दिया।

मेरी सांस रुक गई, मेरा मुँह पूरा भर गया था, दर्द के मारे आँसू आ गए, पर सेठ ने मजबूर कर के लौड़ा चुसाया और बोला- साली लौड़ा चूस… तुझे खुश कर दूँगा… बस तू मुझे खुश कर…!

इतना बोल कर वह अपने हाथ से एक सोने की अंगूठी मेरे हाथ में देकर बोला- ले तू मेरे को पसन्द आ गई है, ले रख ले… पर उन लोगों से कुछ मत कहना।

अंगूठी पाते ही मेरा मन उछल पड़ा और मैं सेठ की हर बात को मानने और खुश करने के लिए लौड़ा चाटने लगी।

सेठ भी खुश होकर बोला- चाट कुतिया… खा जा मेरे लौड़े को… कुतिया साली.. तेरी चूत भी पनिया गई है… साली लौड़ा खाने को… रो रही है…!

मैं मजे से उसका लण्ड चाटने लगी।

फिर सेठ बोला- चल अब तुझे चोदूँगा।

उसने लौड़ा मुँह से निकाल कर मुझे बेड के किनारे कर दिया। मेरे पैर नीचे कर के सारा शरीर ऊपर कर दिया और मेरे पैर उठा कर चूत चाटने लगा। मैं सोचने लगी कि ये तो फिर से चूत चाट रहा है पता नहीं जीभ से ही चोद कर छोड़ देगा..!

पर वो मेरी सोच को समझ गया और बोला- तू चिंता मत कर… मुझे चूत का पानी पीकर चुदाई करने में मज़ा आता है…!

फिर सेठ ने मेरी चिकनी और पनियाई चूत पर लौड़ा लगाया, चूत खूब रसीली थी सो जरा से धक्के में ही उसका सुपारा 'फक्क' की आवाज़ के साथ चूत की दरार में फंस गया।

मुझे दर्द होने लगा, चूत पनियाई तो थी, पर लण्ड चूत के हिसाब से अधिक मोटा था, अब सेठ लौड़ा अन्दर पेलने लगा। मैं छटपटाने लगी, पर सेठ ने पूरा लौड़ा चूत में बेदर्दी से पेल दिया, मैं दर्द से चिल्लाने लगी तो सेठ को मजा आने लगा कि उसको मस्त चूत मिली और वो मेरे दर्द को घटाने के लिए मेरी छातियों को चूसने लगा। तो कुछ राहत मिली।

आज तक तो पति का 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा लौड़ा ही खाया था, पर आज मेरी चूत दुगुना मोटा लौड़ा से खा रही थी।

कुछ ही पलों बाद मुझे भी मज़ा आने लगा।

सेठ लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ आने लगीं तो सेठ समझ गया कि अब मुझे अच्छा लग रहा है।

फिर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हुमच कर चोदने लगा, पैर ऊपर उठा होने के कारण मेरे पेड़ू में दर्द हो रहा था।

मैं सेठ से बोली- मेरे पैर नीचे कर दो.

फिर सेठ पैर नीचे कर कस-कस कर मेरी चूत को चोद कर निहाल कर दिया।

फिर चूत से लौड़ा निकाल कर बोला- जान एक बार अपने लौड़े को चाट ले…. फिर चूत चोदूँगा।

मैं अंगूठी के लालच में लौड़ा चाटने लगी।

लण्ड में चूत का पानी लगा था, मैंने सब चाट कर साफ कर दिया।

सेठ ने मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चूत में लण्ड ठोक कर चोदने लगा। मैं एकदम से पानी-पानी हो कर सीत्कारें ले लेकर चिल्लाने लगी- चोद राजा… मेरी चूत को मेरे राजा… आज से चूत तुम्हारे नाम कर दी.. चोद साले मेरी चूत…!

सेठ ने मेरी बात सुन कर मस्त होकर चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और बोलने लगा- ले साली… रंडी खा… मेरा लौड़ा… अपनी चूत में.. बड़ी मस्त है रे तेरी चूत… तुझे तो चोद कर अपनी रखैल बनाऊँगा..!

फिर सेठ लेट कर आगे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा। मैं भी हर धक्के पर सिसिया कर जबाब देती- हाँ… राजा तेरी रखैल बनूँगी… इसी लौड़े से चूत चुदवाऊँगी… मेरे राजा आ..स..सन्न..हस्सीए..!

मैं झड़ने लगी, "मैं गई आह…हसीए… आसहसीस…. मैं गई… राजा.. झड़ गई… !

कस कर सेठ से चिपक कर झड़ने लगी, ऐसा लगा कि मैं बरसों की प्यासी थी, मेरा पानी निकलने के बाद भी सेठ मुझे चोदे जा रहा था।

अब मुझे चूत में जलन होने लगी थी, मैं सेठ से बोली पर सेठ कहाँ मानने वाला था, सेठ तो बस चोदने में लगा था।

तभी सुनील का फोन आ गया, सेठ झुँझला कर बोला- साला मूड खराब कर दिया.. कहते हुए फोन उठाया, बोला- क्या है बे…!

सुनील बोला- सेठ खुश हुए..!

मानो सेठ के जले पर नमक छिड़क दिया, यह बात सुन कर सेठ झुंझला कर बोला- अबे साले… लण्ड तो अभी इसकी चूत में है.. फोन रखो… मैं तुझे बाद में कॉल करूँगा।

फिर सेठ बोला- रानी थोड़ा लौड़ा चाट और चूत से लौड़ा बाहर कर के चटाया।

बोला- अब तेरा पिछवाड़ा मारूँगा..!

मैं डर गई, पर सेठ ने एक न सुनी… ढेर सारा थूक लगा कर लौड़ा पिछवाड़े के छेद पर लगा कर एक ही झटके में लौड़ा डालना चाहा, पर सुपारा जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं छटपटाने लगी।

शायद सेठ को पता था दर्द होगा, तभी सेठ अपनी बाँहों में मुझे जकड़ लिया था। मैं चिल्लाती रही, रोती रही, पर सेठ ने पूरा लण्ड डाल कर ही माना और मेरी गाण्ड मारता रहा।

उसे ज़रा भी दया नहीं आई, वो मेरी गाण्ड की जड़ तक हुमच-हुमच के ठोकर मारता रहा फिर मेरी गाण्ड में झड़ने लगा।

'लो जान गया मैं…!' और सेठ का पानी से गाण्ड भर गई।

कुछ देर वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, फिर उसने अपना 'हलब्बी-छानू' निकाल लिया, उसका लौड़ा देख कर मैं डर गई।

मैं उठी, मुझसे चला नहीं जा रहा था बाथरूम में जब पेशाब करने बैठी, तो गाण्ड से खून और सेठ का वीर्य फर्श पर फैल गया।

किसी तरह धोकर बाहर आई, तो सेठ सुनील को फोन पर बोला- आ जाओ नेहा जान ने मुझे खुश कर दिया है भाई…!

कह कर उसने फोन रख दिया और मुझसे बोला- नेहा मैं तुमसे बहुत खुश हूँ… लो यह 2000 रूपए…!

फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा और अपना दिया।

तब तक सुनील व आकाश आ गए थे।

यह है मेरी पहली चुदाई की कहानी।

आगे क्या हुआ कब-कब किससे चुदी, पति मुझसे यह सब करवा कर खुश थे कि नहीं.

आगे मेरे साथ क्या हुआ, पति के बारे में भी बताऊँगी कि वो कैसे 'गे' बने। आपको यदि मेरी कहानी पसंद आई तो मैं आपको सब लिखूँगी। तब तक के लिए विदा।
Superb hot baby
 

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