Erotica अर्धांगनी की कामसूत्र

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मेरा परिवार बोहोत बड़ा था हम एक गांव में रहते थे हमारी मूल वृत्ति खेती थी । मेरा नाम सुमन मिश्रा है और मेरी उम्र 26 साल है में एक साधारण लड़का था जो बड़ों की आज्ञा के हिसाब से जीवन बिताने वाला । पढ़ाई तो मैने की और उस हिसाब से मुझे शहरों में नौकरी भी आसानी से मिल जाती ।




मगर समस्या थी कुछ ।



हमारे गांव एक ठाकुर खानदान है जो गांव में राज करता है पूरा गांव उनके इशारों पर नाचता है जो की सदियों से चले आ रहा है। अभी की पीढ़ी में ठाकुर रज्जन अपनी गद्दी संभाल रहे है पर उनका बेटा विरेंद अब बड़ा हो गया हे 28 साल का । ठाकुर रज्जन ने बेटे विरेंड को धीरे धीरे कर गद्दी पे बैठने की तालीम दे रहा था । ठाकुर किसी भी युवक को गांव के बाहर नौकरी करने नही देता था पढ़ाई के बाहर जाने की इजाजत देता था मगर अपनी भविष्य गांव में ही दफना देता था । सब डरते थे सु तक आवाज नही उठता ठाकुर खानदान पर ।
ऐसा नही की अत्याचार ही करते थे ठाकुर खानदान गांव की भलाई भी करता था लेकिन उसके बदले में घर की इत्त्जत लुट लेता था पर गांव वालो को अब आदत हो गई हैं।




एक हफ्ते पहले मेरी शादी हुई दूसरी गांव की हमारी बराबर की खानदान की लड़की से । मेरी पत्नी का नाम रूपाली जिसकी उम्र 23 साल थी । रूप गुण में कोई भी कमी नही थी संस्कारी भी थी । मुझे उसकी पतली जिस्म बोहोत पसंद था ।





और दिन भी आया जो गांव का नियम था । गांव में कोई भी नई बहू आए तो एक रात के लिए ठाकुर खानदान की महल में बिताना ही पड़ता है । ठाकुर खानदान की और से मेरी पत्नी को ठाकुर खानदान की महल में रात बिताने का न्यौता आया ।




मेरी पत्नी भी हमारे गांव के रीति रिवाज के बारे ने पहले से ही जानती थी । जैसे ही खबर सुना मेरा दिल भावुक हो गया पता तो था ऐसा होना तो तय है फिर भी कौन अपनी पत्नी को किसी गैर के बिस्तर पर छोड़ के आना चाहेगा ।




ताऊजी हमारे घर के बड़े थे उन्होंने हमे आदेश दिया की जो ठाकुर बोले करो वरना कोई आखों देखा किस्से हे जिसका घर ठाकुर ने नर्क बनाया हे ।



मेरी मासूम पत्नी मुझसे रोटी हुई कहने लगी " मुझे नही जाना । हम कही भाग चलते है"


मैने ना चाहते हुए भी समझाया " हम भाग तो जायेंगे मान लो हम पकड़े भी नही गए लेकिन हमारे परिवार वालो का क्या हस्सर होगा तुम सोच भी नही सकती। सिर्फ तुम नही इस गांव की हर बहु ठाकुर की बिस्तर पर हो कर आई है। मेरे घर की हर औरत ठाकुर की बिस्तर पर जा चुकी हे यही नियम सदियों से चलता आ रहा है "




मां और ताई भी मेरी पत्नी को अकेले में समझाया और फिर मेरी पत्नी भी मान गई।




तो दूसरे दिन ही शाम को में अपने पत्नी को लेंकर उनके मेहल में ले के गया।

 
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ठाकुर खानदान ने हमारी उनके बिरादरी की तरह स्वागत किया अतिथि सत्कार में कोई कमी नही दिखाई । मेरे मन में ये सवाल था की मेरी पत्नि रूपाली को ठाकुर रज्जन या उनका बेटा विरेन्द बिस्तर पर ले के जायेगा ।




रात हुई ठाकुर वीरेन ने मुझे रूपाली को उसके कमरे में छोड़ के आने को कहा । में ना चाहते हुए भी मजबूर हो कर रूपाली को उनके कमरे में छोड़ आया एक आखरी बार रूपाली को मैने देखा बेचारी अपनी आसूं मुझसे छुपा रही थी ।




ठाकुर वीरेन ने मुझेसे कहा की " रुकना चाहोगे "



मैने हा में सर हिलाया अच्छा ही कुछ भी हुआ तो में रूपाली की खयाल रख पाऊंगा । वीरेन ठाकुर ने मुझे बगल वाला कमरा दिया ।




में कमरे की खिड़की से उस कमरे की दृश्य अच्छे से देख सकता था । रूपाली बिस्तर पर चुप चाप बैठी थी ।





वीरेन कुछ देर में कमरे में आया और रूपाली के पास बैठ कर रूपाली की सर पर हाथ फेरते हुए प्यार से बोला " घबराओ मत रूपाली तुम्हे कोई तकलीफ नही होगा । चलो आओ बाथरूम में फ्रेस हो लो तुम "




वीरेन ने बड़े प्यार से रूपाली को गोद में उठाया । वीरेन सुदरंचन युवक के साथ साथ लंबा चौड़ा बलिष्ठ भी था फूल की तरह उठाया था । बाथरूम का दरवाजा वीरेन ने बंद नही किया जिसके वजह से में सारा दृश्य देख भी पा रहा था। अंदर से मेरी आत्मा रो रहा था मगर था लाचार मजबूर ।






रूपाली शर्म से नज़रे झुका रखी थी । बाठतून पर दूध और पानी का मिश्रण था गुलाब की पंगखुरिया बिछी हुई थी । वीरेन ने एक एक कर के अपना कपड़ा निकाला अपनी और फीर रूपाली की कपड़े उतारने लगे धीरे धीरे प्यार से रूपाली शर्म से कांप उठी थी ना करने विरोध करने की उसकी वैसे भी हिम्मत नही थी ।




कूची पलों में ठाकुर वीरेन ने रूपाली को नंगा कर दिया उसकी जेवरात भी उतार दिया यहां की सुहागन की निशानी मंगलसूत्र और कंगन भी उतार दिए । रूपाली शर्म से अपनी आबरू छुपा रही थी वीरेन की होठों पर शरारती मुस्कान था।



वीरेन ने रूपाली को गोद में उठा कर बाठतूब में डाला और खुद भी बाठतुब के अंदर गया और रूपाली की जिस्म को नहलाने लगा। रूपाली आंखे बंद कर के कसमसा रहि थी । वीरेन रूपाली से कुछ कह रहा था जो मुझे सुनाई नही दे रहा था ।





कुछ देर बाद रूपाली को गोद में उठा कर कमरे की मखमल बिस्तर ले आया । दोनों ही भीगे हुए थे । सुना था की ठाकुर खानदान की लन्ड अविश्वनीय होता हे और अपनी आखों से प्रमाण भी कर लिए। वीरेन ठाकुर का लन्ड पुरी तरह से तना हुआ था जो देख के में सिहर उठा । मेरे साधारण लन्ड से दुगना लंबा और मोटा था ।




वीरेन ने रूपाली को अपनी बाहों के अंदर बिस्तर पर चूमने लगा रूपाली की रसभरी होंठ चूसने लगा रूपाली आंखे बंद कर के बास चुप चाप नियति को स्वीकार कर ली थी।




वीरेन रूपाली की सरहारी पतली जिस्म की हर एक अंग पर चूम चूम के रूपाली की गीली जिस्म सुखाने लगा ।







वीरेन ने रूपाली की झांटों से भरी गुलाबी छोटी सी चूत जीव से लब लब कर चूसने लगा । मैने देखा की अब रूपाली भी आनंद ले रही हे ये देख कर मेरा दिल रोने लगा अब मेरी बीवी भी मजबूर हो कर गैर मर्द से आनंद लेने लगी है। आखें तो बंद थी मगर होठों से सिसकारियों की आह भर रही थी गर्म सासों के कारण उसकी छाती ऊपर ऊपर उठ रही थी ।





वीरेन ने कुछ देर रूपाली की चूत चूस कर घुटनों पर खड़े हो कर अपने लंद पर तेल मालिश करने लगा। तब रूपाली ने पहली बार आंख खोल कर वीरेन ठाकुर के नंगे जिस्म को देखा और रूपाली की नजर वीरेन के लंद पर पड़ते ही उसकी आंखे फटी की फटी रही । उसके चेहरे पर खौफ दिखाई देने लगा।
 
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वीरेन ठाकुर रूपाली की मंदोषा समझ के रूपाली को प्यार से बोला ", डरो मत तुम्हे कोई दर्द नही दूंगा प्यार से करूंगा में विस्वास रखो "



रूपाली को विस्वास नही हो रहा था ठाकुर वीरेन उसकी क्यू परवा करेगा जैसे मन उसे भोगेगा आज रात वो घबरा रही थी ।


वीरेन ने रूपाली की दोनो जांघ फैला कर अपना लंद धीरे चलता से रूपाली की गीली चूत पर घुसाने लगा बड़े प्यार से धक्के दे कर पूरा लंद अंदर कर दिया ।


रूपाली दात पीछती हुई चद्दर मुट्ठी में कसती हुई इधर उधर सर पटकने लगी । वीरेन बड़े बड़े से रूपाली की छुई मुई बदन बाहों में लिया और रूपाली की मासूम चेहरे को चूम चूम के बोला " थोड़ी देर बास उसके बाद सब ठीक हो जायेगा तुम्हे भी मजा आयेगा "




वीरेन धीरे धीरे कमर हिलाने लगा और रूपाली आअआंह्हह्ह्ह उन्म्ह्ह्ह कर के सिसकने लगी । वीरेन धीरे धीरे कमर हिला कर रूपाली की गर्दन चूमने लगा रूपाली की होंठ चूसने लगा ।



कुछ समय बाद रूपाली की करहवत काम सुख की सिसकारियों में बदल गई ।




कुछ आधे घण्टे बाद रूपाली अचानक मसलने लगी कचमाने लगी और अपनी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी कर अजीब सी आवाजें करती हुई धीरे धीरे से शांत हो गई और हाफने लगी ।




वीरेन ने कमर हिलाना बंद कर दिया था और रूपाली की नाक से नाक लगा कर पूछने लगा " क्या हुआ "



रूपाली शर्म से जवाब नही दे रही थी । वीरेन ने फिर पूछा " बोलो क्या हुआ"


रूपाली दर दर के मासूमियत से बोली " में नही बताऊंगी आप बाहर किसी को इस बारे में गंदे गंदे बाते बनायेंगे "


वीरेन मुस्कुरा दिया और बोला " नही में ऐसा नही करता । में सबकी प्यार की रातों को राज रखता हूं मुझपे विस्वास रखो । अगर में दरिंदा होता जो तुम सोच रहे हो क्या में तुम्हारे साथ इतना प्यार से करता "


रूपाली गौर से वीरेन की आखों में देखने लगी और फिर बोली " पता नही क्या था मुझे इस बारे में कुछ भी नही पता कुछ हुआ बदन में "



वीरेन ने रूपाली की होठ चूम कर बोला " इसे शर्मसुख कहते हे । चुदाई की असली मजा यही है। तुम्हे कैसे नही पता तुम्हारे पति तुम्हे प्यार नहीं करता क्या "


रूपाली बोली " करता हे मगर "


रूपाली रुक गई आंखे नीचे कर ली वीरेन ने बोला " शरमाओ मत कहा ना मेरे तक ही रहेगी हर बाते जो भी हम बात करेंगे बोलो तुम खुल कर विश्वास करो मेरे "


रूपाली तब बोली " करता हे मगर उनके साथ ऐसा सुख कभी महसूस नही किया मैने आज पहली बार ऐसा हुआ हे मेरी जिंदगी में "



वीरेन ने शरारत से पूछा " अच्छा । तो कैसा था वो सुख बताओ जरा शर्मसूख क्या होता है "



रूपाली शर्मा कर बोली " बोहोत अच्छा था पता नही उम्ह्ह्हम्म अजीब सा महसूस था बोहोत सुखद था "



वीरेन ठाकुर ने बोला " मेरा अब तक हुआ नही और प्यार करू तुम्हे "


रूपाली शर्मीली मुस्कान से सर हा में हिला दी। वीरेन ने बोला " ऐसे नही ठीक से बोलो "



रूपाली पहली बार वीरेन ठाकुर के गले में अपनी पतली बाहें डाल के वीरेन ठाकुर के गाल पर चूम कर मुंह उनके कंधे पर छुपा कहती हे " हा करो मुझे प्यार करते रहो बस "



वीरेन ठाकुर मुस्कुराया और रूपाली की सर के नीचे हाथ रख कर रूपाली की सर पकड़ कर दूसरा हाथ नीचे ले जा कर रूपाली की गोल नितंब पकड़ कर फिर से धक्के देने लगा और रूपाली की आह्ह्ह्ह्ह निकलने लगी ।



विरेन ठाकुर ने पूछा " आनंद आ रहा हे??"


रूपाली जवाब दे रही थी " आआअह्हह्ह हा हाहह्ह उम्ह्ह्ह हा उफ्फ"



वीरेन पूछ रहा था " कितना "


रूपाली जवाब दे रही थी " उम्न्ह्हह बोहोत आआह्ह्ह्ह्ह बोहोत ऊऊऊ बोहोत उन्ह्ह्ह"




वीरेन ने तीव्रता से धक्के लगाने लगा रूपाली और जोरो चोरों से चीखने लगी ।




वीरेन ठाकुर बोला " रूपाली अंदर करू या बाहर हम्मम"


रूपाली मस्ती भरे स्वर में बोली " उन्ह्ह्ह आपकी इस्सा"


वीरेन बोला " नही तुम बोलो "



रूपाली कुछ जवाब देती इससे पहले ही वीरेन अठने लगा और कटे पेड़ की तरह गिर पड़ा । रूपाली सकून से आंखे बंद कर के वीरेन का पीठ सहलाने लगी ।
 
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कुछ देर बाद दोनो अलग हुए । वीरेन ने करवट में रूपाली को अपनी बाहों में खींच लिया रूपाली भी वीरेन के आखों में देखने लगी । वीरेन ने रूपाली की की एक हाथ अपने मुरझाए हुए लंद पर रख दिया और रूपाली भी अब बिना कोई शर्म के वीरेन ठाकुर के लंद से खेलने लगी ।



वीरेन ने कहा " मुझे आज तक किसी भी औरत से इतना मजा नही आया । तुम बोहोत रसीली हो रूपाली बोहोत मजेदार हो "


रूपाली भी बोली " मुझे भी आज बोहोत मजा आया मुझे पता ही नही था इसमें इतना मजा आता हे "


वीरेन ने पूछा " क्यू तुम्हारे पति के साठ मजा नही आता *"


रूपाली बोली " आता है पर आपके साथ जो आनंद आया ऐसा नही । "


वीरेन ने मुस्कुराया " अच्छा मेरे में ऐसा क्या हे जो तुम्हे इतना मजा आया "


रूपाली मुस्कुराती हुई नज़रे नीचे कर के बोली " आपका बोहोत बड़ा हे मेरी अंदर तक जा के पूरा फैला दिया हैं अलग ही मजा है। और आप बोहोत शक्तिशाली हो इतने देर तक मेरा पति कभी नही कर पता हे। आप बोहोत सुंदर आकर्षक व्यक्ति हो आपने जब अपने बड़े शरीर की बाहों में भर मुझे प्यार किया तो मेरी ना कब हा में बदल गई मुझे पता ही नही चला । आप गैर मर्द हो इस बात का अब मुझे कोई फर्क नही पड़ता । "




वीरेन ठाकुर रूपाली को अपने ऊपर खींच कर बोला " तुम भी कमाल की हो पता हे हम ठाकुर दुबारा किसी भी औरत को मुंह नही लगाते पर तुमसे मिल कर मुझे लग रहा है में तुमसे बार बार मिल के तुम्हे प्यार करूंगा । "


रूपाली मुस्कुराने लगी । वीरेन ने पूछा " बोलो मिलोगी न मेरा प्यार लोगी ना "


रूपाली बोली" पर ये तो नियमो के खिलाफ होगा ना "


वीरेन बोला " हुक ठाकुर है नियम हम बनाने है। रूपाली तुम मेरे बच्चे का मां बनना पसंद करोगी "


रूपाली एक टुक वीरेन ठाकुर को देखने लगी और बोली " सुन के अजीब सा मीठा मीठा एहसास हो रहा हे आप जैसे असली मर्द से मां बनना तो सुख की बात हैं पर मेरा पति और मेरे घरवालों को इतना धोखा नही देना चाहती "



वीरेन ठाकुर ने रूपाली की होठ चूसने लगा और कुछ समय देर बाद उसने रूपाली को अपने नीचे लिया दुबारा खड़ा हो चुका लंद एक झटके में घुसा दिया । रूपाली जोर से दर्द से चीख उठी ।



वीरेन ठाकुर रूपाली को बाहों में भर कर दमदार प्रहार से चोदने लगा और पूछा " बोलो रूपाली मां बनोगी की नही मेरे बच्चो की "



रूपाली हिचकोले खाती हुई जवाब दी" उन्ह्ह्ह वीरेन जी उह्ह्ह्ह्ह फट गई मेरी धीरे धीरे आह्ह्ह्ह्ह "



वीरेन रुका और रूपाली की आखों में देख बोला " मेरी बात जवाब दो नही तो चूत फाड़ दूंगा "



रूपाली मुस्कुराई " आह्ह्ह्ह्ह कहने सुनने को रहा ही क्या अब थोड़ी देर पहले इतना सारा पानी अंदर डाल दिया और मुझे पता है कि रात भर तीन चार बार तो आप पानी डालेंगे ही जीपाल खेतो में फसल उगेगाही नाहह्हह "


वीरेन ठाकुर मुस्कुराने लगा " मासूम भोली भाली दिखती हो पर हो नही । रोज चोदूंगा तुम्हे अब तो "



रूपाली बोली" उम्ह्ह्ह रोज कैसे हो पाएगा । मुझे मेरा परिवार बोहोत प्यारा है उनके बीच मुझे इत्तजत से रहना है "



वीरेन बोला " तुम पढ़ी लिखी हो मेरे छोटे बेटा का तुम्हारा ट्यूशन लगवा दूंगा तुम रोज आ पाओगी। एक घंटा तुम मेरे छोटे बेटे को पढ़ाना और एक घंटा तुम्हे इसी बिस्तर पर नंगा कर के खूब चोदूंगा "



रूपाली मुस्कुराने लगी । वीरेन रूपाली की होठ चूम कर बोला " जोर से करने का मन कर रहा है "



रूपाली वीरेन ठाकुर के होठ चूम कर बोली " उम्म्ह्ह्ह तो करो ना आपकी जैसी इस्सा वैसे ही मुझे प्यार करो "



वीरेन बोला " , तुम रोओगी चूत फट के दुखेगा तुम्हारा । रूपाली लगता हे मुझे तुमसे प्यार हो गया है "



वीरेन धीरे धीरे धक्का मारने लगा रूपाली आनंद मे बोली " मुझे भी आप्ह्ह्ह बोहोत अच्छे लगे उन्ह्ह्ह आज से आप मेरे दिल की पति हैं उन्ह्ह्ह खूब प्यार करिए मुझे बना दीजिए मुझे आपके बच्चो की मां। उन्ह्ह्ह इस आनंद मे तो मर ही जाऊंगी आज उह्ह्ह्ह्ह "



वीरेन जोर जोर से थाप थाप धाप धाप कर के धक्के मारने लगा और रूपाली की होठ चूस कर ओह मेरी रूपाली कह कर डहारने लगा रूपाली भले ही परम सुख ले रही थी मगर वीरेन ठाकुर की बड़े लन्ड की मार से दर्द में बिलबिला भी रही थी ।





रात भर वीरेन ठाकुर ने रूपाली को भोगा । सुबह रूपाली मेरे पास आई तो देखा उसकी हालत बोहोत खराब थी आखों के नीचे काले रंग पढ़ गए है ठीक से चल भी नही पा रही थी । हम गाड़ी से घर छोड़ कर आए ठाकुर का ड्राइवर ।




दिन बीतने लगा रूपाली रोज ठाकुर के घर वीरेन के बेटे को पढ़ाने जाती थी । असली सच्चाई घर पर किसी को पता नही था मेरे सिवाय । रूपाली को मैने कभी जाहिर नही करने दिया मुझे सच्चाई पता है।


रूपाली ने एक सुंदर कन्या जन्म दिया मुझे पता नहीं किसका संतान था क्यू की में भी रूपाली की चूत में पानी डालता था । धीरे धीरे चार साल बीत गए रूपाली ने दूसरा संतान जन्म दिया ।





मुझे नही पता था रूपाली का ठाकुर वीरेन से सिर्फ शारीरिक संबंध ही था या मन का भी कोई रिश्ता था मगर वो मेरे साथ प्यार करने वाली पत्नी की तरह ही रहती थी । और एक दिन मैने उसे कह ही दिया की मुझे सच्चाई पता है। पहले तो उसने दो दिन मुझसे कोई बात नही करी लेकिन दो दिन बाद मुझसे प्यार से समझाते हुए बोली " मुझे सक था आपको पता है। अच्छा ही हुआ मुझे भी छुपाना खल रहा था । देखिए में आपसे भी प्यार करती हूं आपकी सरल प्यार मुझे अच्छा लगता हे में आपके साथ भी खुश हूं पर मुझे अब ठाकुर वीरेन की जिस्म का आदत पड़ चुकी हैं में उसे नही छोड़ सकती मेरे हिसाब से आपको भी आदत हो गई होगी । "




मैने भी इस बात को अभ्यास का लिया ।




समाप्त
 

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