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Adultery Unexpected रिश्ता

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मेरा नाम है सुमित और ये बात है 2013 के अप्रैल की जब मैंने पटना में नया नया अकाउंट्स के कोचिंग में नाम लिखवाया था....अभी तक मैं मेरी स्कूल वाली गर्लफ्रेंड के साथ रिश्ते को बनाए हुए था और मेरा माइंड बिलकुल सेट था की शादी के बंधन तक इस रिश्ते को ले के जाना है और केवल मेरा ही नही बल्कि मेरी गर्लफ्रेंड का भी....वो अभी स्कूल के लास्ट इयर (10th) में ही थी और मैंने ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में नाम लिखवा कर बाहर से तैयारी करने का फैसला लिया और साथ ही साथ बैंक की तैयारी भी शुरू करी.....खैर ये तो हो गई जीवन को एक सही ढंग से ले कर चलने की बाते....अब आते है मेरे जीवन में आए एक ऐसे मोड़ के बारे में जो ना मैने कभी सोचा था नही कभी कल्पना की थी....पटना में कोचिंग की भरमार है और यह साधारण से दिखने वाले लौंडो को लड़की पटाने में काफी दिक्कत होती है क्युकी साधारण और कम पैसे वाला होना बहुत दिक्कत देता है क्युकी आजकल की लड़कियों को या तो हैंडसम लड़के पसंद आते है या फिर पैसे वाले लड़के भले ही दिखने में वो एक नंबर का चोमू हो.....और हमारे अंदर ये दोनो खुबिया थी पर ये किस्मत ही थी की मेरी गर्लफ्रेंड जो स्कूल टाइम से मेरे साथ थी सो अभी तक साथ थी अब ये मेरी मेहनत के लीजिए या फिर कुछ और पर जो था सो था और हम इतने में ही खुश थे.....जब अकाउंट्स की कोचिंग जानी शुरू की तो वो शाम के टाइम लगती थी घर से 3 किलोमीटर दूर आराम से फोन में हेडफोन लगा के अपनी जानेमन से गप्पे लड़ाते कोचिंग पहुंच जाते और आने वक्त भी कमोबेश यही सीन रहता....अभी कुछ दिन ही हुए होंगे कोचिंग जाते की कोचिंग में एक लड़की ने आना शुरू किया पहले ही दिन मालूम चला की बंदी पहले से नाम लिखवा रखी थी पर कुछ दिन गायब थी क्युकी तबियत गड़बड़ थी और नाम है सुगंधा....और हमारे कोचिंग में लड़किया थी टोटल दो उसको मिला कर और लड़के थे तीन इसलिए सब एक दूसरे को जानते थे ऊपर से सरकारी स्कूल के परिसर में ही हमारी क्लास लगती थी मास्टर साहब उसी में...धीरे धीरे सब सही जा रहा था एक दिन मास्टर साहब ने कहा की बैंक की फॉर्म आई है ऑनलाइन जिसको जिसको इंट्रेस्ट है वो भर दे एक बार परीक्षा में बैठ कर तो देखो की सवाल कैसे आते है इससे तुमलोगो को आइडिया हो जायेगा तो आगे चल कर काम आएगा.... सर जी ने पूछा कि कौन कौन भरेगा फॉर्म तो हमने तुरंत हा कर दी जबकि किसी और ने हामी नही भरी खैर उस दिन छुट्टी हुई और सब आपस में बात करते निकल रहे थे की तभी पीछे से मुझे सुगंधा ने आवाज दी और कहा की मैं उसे अपना नंबर दू बाकी बाते वो फोन पे बतलाएगी मैने उससे पूछा की क्या बात है बतला दो ना फोन की क्या जरूरत है रोज तो मिलते ही है हम तब उसने बताया की उसकी एक बड़ी बहन है पूजा जो की ग्रेजुएशन फाइनल इयर में है और वो भी बैंक की तैयारी करती है तो जिस फॉर्म के बारे में मास्टर जी बतला रहे थे तुम उनको भी बतला देना ना ताकि वो भी फॉर्म भर देंगी....तो मैंने उसको अपना नंबर दे दिया और घर आ गया....रात के समय तकरीबन 8 बजे मेरा फोन बजा जब मैं उठाया तो वो सुगंधा थी उसने बताया की ये दीदी का नंबर है सो लो उनसे बात कर के सब बाते समझा दो....जब मैंने उसकी बहन से बाते शुरू की तो मैं उनको दीदी ही बोल के संबोधित कर रहा था क्युकी एक तो वो उमर में बड़ी और दोस्त की बहन थी....खैर हमारी बाते तकरीबन आधे घंटे हुई और उस दरमियान हमलोग में बैंकिंग की तैयारी को ले कर ही बाते हुई और काफी कुछ समान रूप से हमदोनो कर रहे थे तो बढ़िया लगा क्युकी मेरे फ्रेंड ग्रुप में कोई भी साला तैयारी के लाइन में नही था सिवाय मुझे छोड़ कर तो ये नया नया इंटरेस्टेड पर्सन मुझे अच्छा लगा क्युकी काफी कुछ डिस्कस करने के बाद मुझे मालूम चला की उनकी भी तैयारी अच्छी है और मेरी अभी होनी बाकी है जिसमे उनकी काफी मदद मैं ले सकता था......उसी हफ्ते के सन्डे के दिन हमलोगो ने फॉर्म भरने का प्लान बनाया और बताए दिन तय समय पे पहुंच गए साइबर कैफे फॉर्म भरने.....जब सुगंधा के साथ पूजा दी से मेरा सामना हुआ तो मुझे अजीब सी चुनचुनाहट महसूस हुई पता नही क्यों पर ये अजीब सा एहसास अच्छा लगा शायद ऐसा इसलिए था क्युकी बैंकिंग की पढ़ाई करने के लिए एक नए क्लासमेट जैसा कोई मिल गया था पर फिर उस आबो हवा के साए से बाहर आ कर वो किया जो करने के लिए हम आए थे......हमने फॉर्म भरा फॉर्म और हमने झारखंड सर्कल से अप्लाई किया था जिसका सेंटर रांची दिया और फॉर्म भरने के बाद वो दोनो बहने अपने घर की तरफ चल दी जबकि मैं गांधी मैदान के किताब मंडी गया कुछ खास किताबो को खरीदने जो मुझे पूजा दी ने ही बताए थे ताकि उनसे अपनी तैयारी को और जल्दी से मजबूत कर पाऊं....इस बीच अपनी पढ़ाई लिखाई मेरा और मेरी गर्लफ्रेंड का ताना बाना सब चलता रहा सब सही था कोई दिक्कत नही और इन कुछ दिनों के अंतराल में मैं सुगंधा के घर से भी आने जाने लगा सुगंधा के पापा जो की एक किराने की दुकान चलाते थे और मां थी एक भाई था वो भी लगभग लगभग हमसब के उमर का ही था पर वो पढ़ने में कम दुकान में ध्यान ज्यादा लगाता था....सुगंधा के घर में मेरे आने जाने को ले कर किसी को कोई परेशानी नहीं थी क्युकी किसी के सामने आप अपने हाव भाव कैसे रखते है कैसे पेश आते है वो आपके आचरण को दर्शाती है और मेरे मन में कोई भी गलत भाव तो थे नही तो निगेटिव मार्किंग का कोई सवाल ही नहीं बनता था......



अभी एक और बात से आप सब को मुखातिब कराता हुआ चलता हु की मेरे घर में मैं मेरी मां और पापा है पापा की कपड़े की दुकान है और मां गृहणी है...मेरा एक भाई दूसरे शहर में बैंक में नौकरी करता था और उसी के आदेशानुसार हम भी लगे थे बैंकिंग की तैयारी में....एक बड़ा भाई पटना में ही दूसरा मकान बना कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता है और पापा के साथ दुकान में हाथ बटाता है मेरी दो बहने है जिनकी शादी हो चुकी है और वो भी पटना में ही है समय समय पर वो भी घर आती है...........
और मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम माधुरी है उसका घर मेरे घर से 2 मिनट की दूरी पे था या ये कह लीजिए हम एक ही मुहल्ले से थे इसीलिए हमारा प्यार स्कूल से ही परवान चढ़ चुका था.... उससे मेरे शारीरिक संबंध थे पर वैसे वाले नही जैसा की पति पत्नी में होता है कुछ बंधन थे जिसको हम दोनो ने अपने लिए बांध कर रखा था.....ओरल सेक्स और कडलिंग तक हम लोग सीमित थे जब कभी मेरे घर पे कोई नही रहता कभी मां कही पड़ोस में या कही और गई होती थी तो स्कूल से बंक करवा के मैं अपनी माधुरी को अपने घर ले आता और फिर घंटो तक अपने कई दिनों की प्यास को ऊपर ऊपर से बुझाते....ऐसा नहीं था की मेरा मन नहीं होता था या उसका नही होता था पर ये अपने अपने बीच की एक सीमा थी जिसको लांघना खतरनाक हो सकता था क्युकी बच्चा ठहरने और अबॉर्शन के नाम से हम दोनो की गांड़ फटती थी....मुझे चिकनी चूत पसंद है मुझे सर के अलावा कही और बालो का होना बहुत खलता है इसलिए मेरी जान हमेशा अपनी मुनिया को सफाचट रखती और खास कर उस दिन जिस दिन हमे मिलना होता था.......मजे से जीवन कट रहा था और माधुरी को मैंने पूजा दी के बारे में बता रखा था इसलिए शक की कोई गुंजाइश कभी रही ही नही हमदोनों में.....

अब आते है वर्तमान समय में जो फॉर्म हमने भरा था उसका एडमिट कार्ड आ गया था और साला दिक्कत कहा आई की मेरा एग्जाम और पूजा दी का एग्जाम अलग अलग दिन था मतलब मेरा एग्जाम शनिवार को और उनका रविवार को....ये बड़ी समस्या हो गई थी क्युकी रांची जाने के लिए बेस्ट ऑप्शन था रात की गाड़ी से पटना से निकलो सुबह पहुंचो एग्जाम दो और उसी दिन रात वाली गाड़ी से रांची से निकलो सुबह अपने घर पर अब यहां समस्या ये आ गई थी की हमें रुकना होगा और उसपे सोने पे सुहागा ये की पूजा दी का एग्जाम लास्ट शिफ्ट में था जिसके कारण उस दिन की रात वाली गाड़ी तो पकड़ नही सकते थे इसलिए उसके अगले दिन यानि सोमवार को दोपहर वाली गाड़ी थी जिसको पकड़ एक हमलोग रात तक पटना आ जाते.....खैर मेरे घर में मैने ये बात बताई तो मां ने कहा की कोई बात नही एग्जाम बढ़िया से दे के आओ साथ में उनका भी दिलवा देना ( पूजा दी का) जब उन्होंने तुम्हारी मदद की है तो तुम उनकी कर दो.......
अब बेचारी पूजा दी क्या करे ना करे कुछ समझ में ना आए क्युकी तीन दिन रुकने में उनके घर में दिक्कत थी अनजान शहर में सुरक्षित नही लग रहा था उनको..... फिर हम पूजा दी के पापा से बात कर के सब कुछ प्लान कर के समझाए और फिर हम लोगो ने अपनी टिकटे करा ली यहां से शुक्रवार की.....

बस ये .....ये जो टिकटे मैने करवाई थी ना यही बनेंगी उस UNEXPECTED रिश्ते का मोड़ जो ना मैने सोचा था ना ही पूजा दी ने नाही किसी और ने......
 
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हमारी गाड़ी थी रात को सवा नौ बजे...स्लीपर की टिकटे थी दोनों बर्थ साइड वाली हमदोनों की थी नीचे वाली उनकी ऊपर वाली मेरी....और गुलाबी ठंड की दस्तक हो चुकी थी उस समय तक जिसमे सुबह और रात में ठंड महसूस होती है और दिन में समय गर्मी जैसा..... पूजा दी को छोड़ने उनके साथ पूरा परिवार आया था ऐसा लग रहा था की बेटी को विदाई देने आए है सारे लोग खैर हमारी ट्रेन चल पड़ी और हमदोनो अपने अपने बर्थ पे चादर बिछा कर नीचे वाली बर्थ पे ही बैठ गए क्युकी खाना खाने साथ में लाते थे हम लोग.....

चलते चलते मैं पूजा दी कद काठी के बारे में बता देता हु वो दिखने में सांवली रंग की थी गोरी नही कह सकते क्युकी गोरेपन में बात अलग होती है.....रंग सांवला कद भी ठीक ठाक थी बाल पीठ तक आते थे उनके मेकअप का उतना शौक तो नही पर कुछ हद तक वो मेकअप करती थी हल्का फुल्का....चूचियां मस्त 32 B की थी गांड़ का उभार भी चुचियों के मुकाबले सही अनुपात में था कुल मिला कर पूजा दी एक माल थी अगर मेरे जैसे साधारण लड़के की गंदी नजरो से देखा जाए तो......इस वक्त ट्रेन में उन्होंने एक कुर्ती नुमा टॉप जैसा पहन रखा था जिसको लड़किया अक्सर जींस के साथ पहनती है बिना दुपट्टे के....कुर्ती की लंबाई उनके जांघो तक आ रही थी.....बाल उन्होंने अधखुले टाइप से बांध रखे थे और डिओ की भीनी भीनी खुशबू मेरे नाक में जा रही थी......
हमने खाना खतम किया और कुछ देर गप्पे लड़ाने के बाद अपनी अपनी बर्थ पर हम सोने के लिए आ गए क्युकी अधिकतर लोग अब सोने जा चुके थे....रात के समय लगभग 2 बजे के आसपास पूजा दी ने मुझे धीरे से उठाया मैने जब आंखे खोली तो देखा की पूजा दी घबराई हुई है और उसके आंखों में आसू थे मैं हैरान सा उन्हे कुछ पल देखता था फिर जब नींद का असर कम हुआ तो मैं उठ कर सीधा नीचे आ गया और इससे पहले मैं उनसे कुछ पूछता वो मेरा हाथ पकड़ कर गेट की तरफ ले कर गई और वहा पे मैने उनसे पूछा की क्या हुआ पूजा दी आप रो क्यों रही है मेरी अंदर से गांड़ फट गई थी की कही किसी ने कुछ उल्टा सीधा तो नही कर दिया.....पर जब उन्होंने ने अपना मुंह खोला तो मेरे को एक पल के लिए हसी ही आ गई.....साला खोदा पहाड़ और निकला चूहा.....मेरे लिए उनकी समस्या हास्यप्रद थी पर उनके लिए काफी गंभीर थी दरअसल वो अभी कुछ मिनटों पहले मूतने के लिए बाथरूम में आई थी और मूतने के बाद उनकी झांटे जींस के चैन में फस गई और जब तक उन्हें इस बात का एहसास होता उनकी मुनिया के कुछ बाल उखड़ कर साथ में उनकी चमड़ी के कुछ हिस्से को घायल करती हुई चैन में फस गई......जिसके बेतहाशा दर्द से वो बिलबिला उठी थी और कोई रास्ता ना देख कर अंत में उन्होंने ने मेरी मदद लेने का फैसला लिया.....पर इसमें हम क्या कर सकते है दी मैने उनसे कहा इसपर वो बेचारी क्या बोलती पर नियति जो है ना वो साली जो ना करवाए....तुरंत मेरे दिमाग में आया की मेरे बैग में पेंसिल छीलने वाली एक ब्लेड है उससे आप जींस की चेन का वो हिस्सा काट के हटा दीजिए और दूसरी कोई जींस पहन लीजिए.....और हम उनको ये बोल कर अपने बैग से वो ब्लेड लाने चले गए....जब हम वापिस लौटे तो तो वो बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ कर अंदर खड़ी थी.....मैं उनको ब्लेड देता हुआ वापिस मुड़ा ही था की उन्होंने फिर बोला की मुझसे नही होगा तू ही कर दे ना और वो अपने कुर्ते को एक कोने से पकड़ कर खड़ी थी मुझे ये भी नही पता था की अंदर क्या हाल है कितना फसा हुआ है.....हम उनको बोले की दी हम कैसे करेंगे ये आप आराम आराम से कर लीजिए हो जायेगा.....इसपर वो बोली की मेरे से झुका नही जायेगा क्युकी वो चमड़ी खिंचेगी तो मुझे और दर्द होगा......

अब साला करे भी तो क्या करे बाथरूम में हम घुस गए और दरवाजा पहले बंद कर दिया इस हालत में चूत के बारे में सोच कर ही मेरे लन्ड महाराज अंगराई लेने लगे थे....पूजा दी के हाथो से मैने ब्लेड लिया आज नीचे बैठ गया चुकी मुकी......और पूजा दी में अपना कुर्ता उठाया और सामने एक तेज मादक से खुश्बू मेरे नाक से टकराई.....जिससे मैं भली भांति परिचित था.....उनके झाट बुरी तरीके से फसे थे चैन में और कमाल की बात ये है की पूजा दी ने चड्डी नही पहन रखी थी.....इस बात का एहसास जब मुझे हुआ तो मैंने उनसे नजरे मिलाई तो उन्होंने नजरे फेर ली....और अब साला मेरे अंदर का शैतान जाग गया मैंने उनको उनके कुर्ते को ठीक से पकड़ कर रखने को बोला और ब्लेड चलाने से पहले मैंने मुआयना किया की ब्लेड कहा से कैसे चलाना है और उनकी चूत की मुलायम चमड़ी को अपने हाथो से छू रहा था जिसका असर पूजा दी पे दिख रहा था वो कांप रही थी........

एक तो चैन में फसे होने कर दर्द और ऊपर से मेरे कठोर हाथी की छुअन दोहरी मार दे रही थी उनको...पहले मैने उनके फसे झाटो को काट कर अलग किया और अब बच गई थी चमड़ी और चमड़ी फसी भी तो कहा की जहा पे चूत की दरार बीच में होती है मतलब चूत के बीचों बीच इस वक्त उनकी आधी चूत मेरे आंखों के सामने थी झाटों के बीच छुपी हुई मैं सोच रहा था की काश इसने अपने झांटे साफ़ रखी होती तो मजा ही आ जाता....खैर मैंने पूजा दी को बोला की थोड़ा दर्द होगा सहने को तैयार रहना और वो अपने मुंह को आपस में दबा कर तैयार हो गई और मैंने जब चैन को थोड़ा खीच कर उसपे ब्लेड लगाई तो वो चैन कट तो गई पर इसमें पूजा दी की चूत का कुछ हिस्सा चोटिल हो गया और उनके आंख का आसू मेरे हाथो पर आ गिरा मैं तुरंत उठ खड़ा हुआ और उनको संतावना देने के लिए उनके आंखों से आसू पोंछे और शांत रहने को बोला और वापिस से नीचे बैठा और इस बार उनके चूतड़ों के तरफ हाथ ले जा कर मैने उनकी जींस को घुटने तक उतार दिया और उसकी घायल चूत पे फूक मारने लगा और बाथरूम में लगे नल से उसके पानी की कुछ छींटे मारी और फिर उनसे पूछा की दूसरी पैंट बैग में है ना तो वो ले आता हु मै.....तब तक आप यही रहिए मैं वापिस आया उनके बैग से दूसरी पैंट निकाली और साथ में मैने क्रीम का डब्बा देख कर वो भी ले लिया.....मैं वापिस आया तो पूजा दी वो पैंट निकाल कर खड़ी थी मैंने उनसे पूछा की आपने केवल जींस क्यों पहन रखी थी.....इसपर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया....मैने उनके हाथ से उनकी खराब पैंट ली उनको दूसरा पैंट दिया और नीचे बैठ गया क्युकी इस बार मेरे मन ने उसकी चूत देखने की इच्छा प्रबल हो चली थी जब मैं दुबारा नीचे बैठा तो उन्होंने मुझे बोला की अब छोड़ दे मैं लगा लूंगी मैंने बोला की आप शांति से खड़ी रहिए....कोई दिक्कत नही है.....और मैंने उनके कुर्ते को वापिस से उनको पकड़ा दिया जिसके बाद मेरे सामने पूजा कमर से पाव तक नंगी खड़ी थी.....मैने उनकी चूत को देख कर बोला its so unhygenic....दी ऐसे में ही बीमारियां होती है तरह तरह की skin problems और मैंने उनकी चूत के लबों को फिर से छुआ और क्रीम लगाने के लिए हाथ बढ़ाया पर साला क्रीम क्या लगाता सब तो बालो में ही लग जाता इसलिए वापिस से खड़ा हुआ और उनको बोला की आप फ्रेश हो कर आराम से बाहर आइए हम गेट पे ही खड़े है.....इतना कह कर मैं बाहर निकल गया.....पूरे दस मिनट बाद वो बाहर आई और अब वो थोड़ा रिलेक्स लग रही थी.....मैने उनसे पूछा की अब ठीक है तो वो बोली की हा अब ठीक है.....बस चलने में परेशानी हो रही है.....मैं बोला की रात काट लीजिए सुबह में ट्रेन से उतरते के बाद दवाई ले लीजिएगा.....बर्थ तक आने ले लिए भी उन्होंने मेरा सहारा लिया धीरे धीरे आई ताकि कपड़ा और उनकी घायल चूत में संपर्क कम से कम हो.....जैसे तैसे रात कटी मुझे तो उसके बाद नींद ही नहीं आई और जहा तक मुझे लगता है की पूजा दी को भी नींद नहीं आई थी....

सुबह हुई और हम रांची पहुंच चुके थे.....स्टेशन से बाहर निकलने वक्त भी पूजा दी मेरा हाथ पकड़ के धीरे धीरे चल रही थी इसी बीच मेरे फोन पे घर से फोन आया और उनके घर पे हमने फोन कर के बता दिया की शकुशल हमलोग पहुंच गए है.....पर रात वाली बात के बारे में ना उन्होंने कुछ जिक्र किया नाही मैने....कल रात के बाद से हमदोनो के बीच एक अजीब से खामोशी सी पैदा हो गई थी पर ये साली नियति कमिनी थी जो इन सब के लिए जिम्मेदार थी पर अब क्या ही कर सकते थे....बाहर निकल कर हमने एक रिक्शा लिया उसपे चढ़ने में भी उनकी मदद की मैने और न चाहते हुए भी उनकी चूत में दर्द हो ही गया बेचारी रात से शांत थी पर रिक्शे पे चढ़ने के बाद आंसू की धारा फूट पड़ी अब बेहेंचोद मैं क्या करता उनको फिर से शांत करवाया की अब होटल पहुंच कर दवाई लेते है.....उन्होंने ने भी हिम्मत दिखाई और रिक्शे वाले को बोला की एक अच्छा सस्ता टिकाउ होटल की तरफ ले ले.....रिक्शा वाला हमारी मनोदशा से अनभिज्ञ हमे घर से भगा हुआ जोड़ा समझ कर चल पड़ा.....कुछ 15 मिनट के बाद एक होटल पर रुका....मैने पूजा दी को बोला की आप बैठी रहो पहले मुझे उतर कर पूछने दो की रूम है या नही कितने का है....मैं अंदर गया और पूछ कर पैसे पे किए और मैंने शैतानी दिमाग लगा कर एक ही कमरा बुक किया जिसमे बाथरूम अंदर ही था.... वैलिड आईडी प्रूफ दिखाने पे रूम वालो को कोई दिक्कत नही थी अब मैं पहले ऊपर गया दोनो का बैग रखा और वापिस से नीचे आ कर रिक्शे वाले को बोला की मेडिकल की तरफ ले ले आस पास के.....थोड़ी दूर पे ही मेडिकल दुकान थी वहा भी केवल मैं ही गया और पूजा दी के तकलीफ के मुताबिक दवाई ले ली साथ में एक हेयर रिमूवर भी और साला मैं कमीना एक पैकेट कंडोम भी ले लिया....क्युकी मेरे अंदर का शैतान अब नियति के साथ मिल कर मुझे चूत की सैर करवाने के लिए योजना तैयार कर लिया था....वापिस हम होटल पहुंचे और इस बार पूजा दी को उतारने वक्त मैंने उनको कुछ इस तरह से सहारा दिया की उनको उतरने के लिए जोड़ लगाना ही नही पड़ा एक तरह से गोद में ले कर साइड से मैने उनको उतार लिया और इस तरह मुझे उनकी चुचियों का भी एहसास हो गया था आय हाय वो मुलायम मुलायम गेंद की साइज की चूचियां....मजा तो आने वाला था बेशक इसमें कोई दो राय नहीं थी पर कैसे उस मजा का लुफ्त उठाना है वो तो आगे ही मालूम चलेगा....कल रात से ले कर अब तक मेरे और पूजा दी के बीच कोई ज्यादा बात चीत नही हुई थी.....और ये संकेत थे की बेटा या तो आर या तो पार.....

जब पूजा दी को लिफ्ट में ले के ऊपर गया तब भी उनका हाथ मेरे हाथ में ही था और कमरे में जाने के बाद पूजा दी देखी की हम एक ही कमरे में ठहरे हैं तब भी उन्होंने कोई सवाल जवाब नही किया.....मैं उनको बोला की दी मुझे तो एग्जाम देने भी जाना है इसलिए आप अभी आराम से बेड पे बैठिए जो बिस्किट वैगारह बैग में पड़े है उनको खा लीजिएगा फ्रेश होने के बाद फिलहाल हम तैयार हो जाते है और इतना बोल के हम अपने बैग से कपड़े और फ्रेश होने का सामने ले के बाथरूम में घुस गए थोड़े देर में हम बाहर निकले और उनको कुछ सोचता देख कर बोले आप ना ज्यादा सोचिए मत कुछ नही हुआ है और हा ये लीजिए इसमें आपकी दवाई है एक गोली अभी एक गोली शाम में लेनी है और क्रीम का इस्तेमाल आप देख लेना करना हो तो ठीक वरना रहने देना.....बाद बाकी जो भी है कही जाने की जरुरत नही जब तक मैं ना आ जाऊं दरवाजा बंद रखिएगा...ठीक है और उनका मन बहलाने के लिए रूम में लगे टीवी में एक गाने का चैनल लगाया और जाने लगा तो वो बोली बेस्ट ऑफ़ लक और हम उनके पास गए उनकी तरफ हाथ बढ़ाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर गेट तक आई और गेट बंद कर के जाने लगीं तो हम थैंक्यू बोल के एग्जाम के लिए निकल पड़े.........
 
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इधर जब मैं एग्जाम देने चला गया तब पूजा दी धीरे धीरे उठ कर बाथरूम गई और कल रात हुए हर उस घटना को याद करने लगी जिसमे वो ये तय नहीं कर पा रही थी की कल रात जो हुआ क्या वो सही था क्युकी कल से पहले किसी पुरुष की पहुंच पूजा के उस हिस्से तक नहीं गई थी क्युकी पूजा शुरू से लडको से दूर रही है जैसा की आज के माहोल में सब को पता है लड़की की चूत पा लेने के बाद लौंडे लपाटे सब गोल हो जाते है और कई मामलों में लड़की ही रंडीपने पे उतर आती है एक से मन ही नही भरता....इसलिए वो इन सब चीजों से कोसो दूर थी पर कल रात के उस घटना के बाद से पूजा भी एक कश्मकश में थी की जो भी हुआ क्या वो सही था....खैर अभी वो बाथरूम में केवल अपने ब्रा में खड़ी थी और अपनी चूत को झांटो के ऊपर से ही छू कर देख रही थी उसकी हिम्मत नही हो रही थी की वो अपने चूत के बालो को हटा कर अपनी मुनिया का हाल देख सके....क्युकी उसे दर्द हो रहा था....अब मेरे आने का समय हो चला था सो उसने जल्दी से नहाना चालू किया और नहाने के बाद कमरे में आ कर अपना घर का एक टॉप पहन लिया और एक थ्री क्वार्टर पैंट पर इस पैंट में भी दिक्कत उसे वही थी जरा सा संपर्क होने पे एक शदीद दर्द की लहर उसकी चूत में समा जा रही थी जो रह रह कर उसको तकलीफ दे रहे थे....

इसलिए उसने फैसला किया की मेरे आने के बाद ही वो अब कुछ करेगी फिलहाल उसने दवाई खा ली थी और बेड पे लेट कर टीवी देख रही थी तभी मेरा फोन जो उसके पास था उसपे सुगंधा ने कॉल किया उसका हाल जानने के लिए....पूजा के मन में एक बार को आया की वो अपनी बहन से सब कुछ शेयर कर दे पर इस बार भी वो कुछ जाहिर कर पाने में नाकाम रही....



इधर मैं एग्जाम देने के बाद बाहर निकला और सच कहूं तो एक्जाम के प्रेशर में मैं पूजा की चूत के बारे में बिल्कुल भूल गया था पर जब बाहर निकला तो दिल दिमाग मन सब पूजा की झांटों भरी चूत की तरफ चला गया.....खैर मैंने पूजा और अपने लिए सबसे पहले खाना पैक करवाया चिकन और चावल सस्ते में हो गया और उसके बाद एक कपड़े की दुकान पे गया और वहा से एक हाफ पैंट खरीदा जिसका कपड़ा मुलायम था बिलकुल और फिर मैं मेडिकल की दुकान पे गया एक डेटॉल की शीशी एक रूई का पैकेट और एक पैकेट स्टेफ्री का खरीदा और होटल जाने से पहले कुछ चोक्लेट्स खरीदी......और चल पड़ा होटल की तरफ और ऊपर जब कमरे के पास पहुंचा तो मेरा दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था की अंदर पूजा कैसे होगी क्या कर रही होगी खैर मैंने दरवाजे पे दस्तक दी और कुछ सेकंड्स बाद पूजा ने दरवाजा खोला और जैसे उसे मुझे देख के जान में जान आई हो ऐसे मुस्कुराई.....और मुझे अंदर आने का रास्ता देते हुए वो साइड में हो गई मैं अंदर गया समान टेबल पे रखा और वापिस से दरवाजे की तरफ आया जहा पूजा दरवाजा बंद कर के आ रही थी मैने वापिस से उसका हाथ पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया पर इस बार पूजा ने हाथ नही लिया बस इशारों में बोली की ठीक है बैठ जा.....मैं कुछ बोला नहीं पहले बाथरूम गया फ्रेश हुआ और वहा मैने इसके कपड़े देखे जो बाल्टी में पड़े थे.....मैं बाहर आया और मैंने अपने कम्फर्ट के मुताबिक एक हाफ पैंट और एक टी शर्ट पहन लिया.....फिर मैं पूजा दी से पूछा की आराम आ गया है अब लगता है....ठीक हो अब आप.......चलिए खाना खा लेते है मस्त चिकन चावल लाया हु....और अगर आप ठीक रहे तो शाम को घूमने चलेंगे आस पास कही.......मैने मन में ही सोचा की बेकार ही वो पैंट और बाकी समान लाया मैं......इतने में पूजा दी ने खाना निकाल लिया था घर वाले टिफिन में ही ताकि आराम से खा सके......





मैं पूजा दी से बोला.....दी आप कुछ बात से परेशान हो क्या.....कल रात मैने कुछ गलती की हो तो मुझे माफ कीजिएगा....मेरा इरादा गलत नहीं था.....आप ऐसे गुमसुम है तो मुझे अजीब लग रहा है और हा एक और बात रूम एक ही अवेलेबल था इसलिए हम एक ही में ठहर गए पर कोई बात नही हम डोरमेट्री में शिफ्ट हो जायेंगे आप आराम से यहाँ सो जाइयेगा कोई परेशानी नहीं है समझ सकता हु हालातो के बंधन में हमसे कोई गलती हो गई है.....इतने में पूजा दी बोली बस कर भाई मै कुछ नही बोल रही क्या बकवास किए जा रहा है तू....हद्द है मतलब मुझे दर्द हो रहा है और जब तू चला गया तो मैंने नीचे देखने की कोशिश की थी पर लग रहा जख्म जैसा कुछ हो गया है पर अब पटना जाने के बाद मां कुछ देगी तो ठीक हो जायेगा नही तो फिर डॉक्टर से मिल लेंगे.....तू क्यों इतना परेशान हो रहा है मैं रूम को ले कर कुछ बोली भी नही और पैसे ज्यादा है तो मुझे दे देना डोरमेट्री में जाने की कोई जरूरत नहीं.....अब खाना खा पहले फिर देखते है......





मैं कुछ बोला नहीं और खाने पे ध्यान लगाया.....दोनो के खतम करने के बाद मैने उनसे बोला आप बैठे रहिए मैं उठा के रख देता हु फिर हाथ धोने चलेंगे....वो सब जूठा उठा कर बर्तन में डालती गई और मैं उठा कर कमरे के एक कोने में रख दिया और हाथ धो कर वापिस आया फिर पूजा धीरे धीरे गई खुद से और हाथ मुंह धो कर वापिस आई.....बेड पर धीरे से बैठी और पूछी की एग्जाम कैसा रहा मैने सब बतलाया कि कैसा था पहला अनुभव.....वो भी बोली की चलो जब तुम्हारा ठीक ठाक गया है तो मेरा भी अच्छा ही जायेगा.....इतने में मैं बोला की अच्छा ही जायेगा बस आप अपने इस दर्द से जल्दी से उबर जाओ तब तो पूरा ध्यान एग्जाम पे लगा पाइएगा....वो बोली होप सो......



हम बोले आप दवाई खाए थे कुछ खा कर तो वो बोली हा.....अच्छा एक बात पूछूं कल रात आप वैसे जींस क्यों पहन रखी थी मेरा मतलब है की......इतने में पूजा दी बोली की रात को मैं यूज नही करती और घर से जब निकले तो सोचे की रात की ट्रेन है तो क्या दिक्कत सोना ही तो है घर जैसे पर ये हो जायेगा वो भी ऐसे सोचा नहीं था....तो हम बोले की कोई बात नही पर आप खुद का थोड़ा खयाल रखा कीजिए ऐसे कौन रखता है भला.....इतने में वो बोली की तुझे बड़ा पता है कोई है क्या.....हम बोले नही कोई नही है पर इतना तो पता ही है की क्या सही है क्या नही.....इस पर वो शरमा गई तभी हम बोले की अभी आपको दर्द में कमी है या नही वो बोली दर्द कम है पर कुछ खास असर नहीं हुआ है दवाई का......छूने के बाद लग रहा की सुजन है वहा पे......और चलने में देख ही रहा है कितनी दिक्कत है......इतने में मैंने जो समान सब लाया था अपने साथ वो उठा के उनके सामने रख दिया वो सवालिया नजरो से मेरे तरफ देखते हुए पूछी ये क्या है मैं बोला आपके लिए कुछ दवाई और डेटॉल वगैरह खरीद लाया था अगर आप बोले तो मैं देख लूं क्या दिक्कत है या फिर यही किसी डॉक्टर को दिखवा दू.....गायनी डॉक्टर से......वो बोली तुरंत की नही नही रहने दे अब पटना जाने के बाद ही जो होना है वो होगा......तभी हम बोले की पागल वागल नही ना हो गई है आप अभी सोमवार तक रहना है तब तक वो चोट का चोपटा बिगड़ जायेगा.....इसपर वो कुछ नही बोली और हम फटाफट थैली में से डेटॉल रूई और एक पैड निकाल लिया मेरे हाथ में पैड देख के पूजा दी एकदम सुर्ख लाल पड़ गई थी पर क्या करते जो तय था नियति के तरफ से उसको अंजाम तक तो पहुंचना ही था.....हम उठे और पूजा दी के पास जा के उसका हाथ पकड़ के बोले घबराओ मत जब तक हम दोनों आपस में अपने अपने बंधन से बाहर नहीं आते तब तक कुछ गलत नही होगा और ये बात सुन के पूजा दी की आंखे डबडबा गई....क्युकी जो सच्चाई है उसको जब तक सामना नहीं करेंगे दिक्कत का हल निकलेगा नही इसलिए आप आराम से रहिए और इतना कह कर हम पूजा दी को बेड से नीचे खड़ा करवा दिए और नीचे बैठ कर उसके थ्री क्वार्टर पैंट को देखने लगा और अगले ही पल मैने पूजा दी की आंखे में देखा बेचारी मेरे से नजर मिलाने के बाद नजरे फेर कर कहीं और देखने लगी.....तभी मैने पूजा दी के थ्री क्वार्टर पैंट को कमर की इलास्टिक से पकड़ के नीचे खींचा और जैसा की हम सोचे थे पूजा दी नीचे से अभी भी नंगी थी और इस बार उसकी चूत को कमरे की लाइट में अच्छे से देख पा रहा था भले वो झांटों में छुपी थी पर नजर आ रही थी.....मैने पूजा दी के पैंट को उसके पैरो से अलग कर दिया जिसमे पूजा ने भी अपने पैर उठा के मेरा साथ दिया.....और ये करने के बाद मैं पूजा दी को बोला की तू बेड पे लेट जा....फिर वो बोली की बेडशीट गंदी हो सकती है इसको हटा देते है.....हम बोले सही बात है रुकिए.....और जब तक हम चादर हटाते तब तक पूजा उसी अवस्था में नंगी खड़ी रही.....चादर हटाते के बाद पूजा दी अपनी गांड़ मेरे तरफ कर के बिस्तर पे लेट गई और कसम से बताऊं ऐसा मंजर देख के मेरा लन्ड तो एकदम अपने रूप में आ गया था जिसका एहसास पूजा दी अच्छे से हो रहा था....पर ये स्वाभिक है इसलिए क्या ही कर सकती थी वो....वो जब बेड पे लेटी तो उसकी नाभि मेरे नजरो के सामने थी....दरअसल उसका टॉप थोड़ा अस्त व्यस्त हो गया था....



फिर मैने पूजा दी टांगों को थोड़ा खोल दिया और मेरे हर कदम में वो भरपूर साथ दे रही थी और इस वक्त उसने अपनी आंखे बंद कर रखी थी.....जितना हो सके वो मेरे से सीधे सीधे नजरे मिलाने से बच रही थी.....खैर मैंने उसकी चूत को फिर से छुआ तो वो सिसक पड़ी.....मैं एक पल के लिए रुका पर फिर उसको बोला मैं आपके बालो की सफाई कर देता हु पहले अगर आपको कोई आपत्ति ना हो तो.....कुछ सेकंड्स रुका और पूजा दी के तरफ से कोई प्रतिक्रिया कोई जवाब ना पा कर मैं बाथरूम में गया और बाल्टी में जितना पानी था उसको उठा लाया और बेड के किनारे रख दिया और हेयर रिमूवल क्रीम ले कर उनको बोला की आप बिलकुल रिलेक्स रहना.....फिर मेरे मन में क्या हुआ मैं बोला की आप ऐसे ही रहना मैं आया एक मिनट में..... फटाक से दौड़ के नीचे रिसेप्शन पे गया और वहा से बर्फ ले आया.....ताकि झांटों की सफाई के बाद कुछ ठंडक दी जा सके ......पूजा इस पूरे समय में अपनी जवानी को बिस्तर पे बिछाए लेटी रही.....कही ना कही पैंट उतारने के बाद उसको काफी आराम मिल रहा था.....मैं जब वापिस आया और बिना देर किए उसकी चूत पे वो क्रीम लगाना शुरू किया.....बेचारी सिसकते रही और धीरे धीरे मैंने उसकी पूरी चूत को पोत दिया उस क्रीम से.....और हेयर रिमूवल क्रीम लगाने के बाद आपको एक जलन महसूस होती है जिससे पूजा वाकिफ नहीं थी.....वो बोली की सुमित बहुत जलन हो रही है.....हटा दे इसे प्लीज मैने उसके हाथो को हाथ में ले कर कहा बस एक से सौ तक गिनती गिन उतने में ये जलन गायब हो जायेगी.....मेरे समझाने पे उसने ऐसा ही करना शुरू किया और सौ पूरे होने से पहले ही मैने स्पैचुला से उसकी चूत के ऊपर की सारी क्रीम हटानी शुरू कर दी और कसम से जो सुंदरता मेरे सामने उभर कर आई ना उसका वर्णन करना बहुत मुश्किल है......पूजा की चूत चिकनी हो चुकी थी और जो चोट थी वो केवल छिलाने की वजह से हुआ था जितना मैं सोच रहा था उससे कही कम थी ये चोट.....मैने एक मग पानी लिया उसकी चूत पे कुछ पानी का छिड़काव किया जिससे वो सिसकी फिर से और मैने पास में पड़े अपने तौलिए से उसकी चूत पोंछ दी.....उसके बाद उसकी चूत को छू कर पूछा की जलन कम हुई वो केवल हा में गर्दन हिलाई.....मैने कहा की चोट नही लगी है आपको बस छिल गया है थोड़ा मैं डेटॉल से साफ कर के क्रीम लगा देता हु फिर थोड़ी देर ऐसे ही रहिए ठीक हो जायेगा हवा लगेगा तो......ये कह कर जब मैने डेटॉल से भीगी हुई रूई उसकी चूत के उस चोटिल हिस्से पे लगाई तो पूजा की हल्की सी चीख निकल गई.....मैं बोला कुछ नही हुआ है रिलैक्स.....और इस बार अंदर तक रूई घुसाने के इरादे से मैने उनकी टांगों को और चौड़ा कर के उसकी चूत के दरार के भीतर भी रूई को रगड़ दिया जिससे वो मेरा हाथ पकड़ का बोली बस कर अब कुछ मत कर.....मैं बोला की आप अभी सब्र कीजिए ठीक हो जाएगा दर्द रुकिए तो.....और फिर लगा उसके ऊपर पानी की कुछ बूंदे छिटने......उसके बाद मैने उनकी चूत पे फूक मारी और बर्फ का एक टुकड़ा उठा कर उनकी चूत पे रगड़ दिया.....इस बार तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने आप को उठाने लगी उत्तेजना में पर चार पांच बार बर्फ फिराने के बाद मैने उनको फिर से शांत कर के लिटाया और बोला की अब बस.....हो गया और फिर स्किन हिल क्रीम उठाई और उनकी चूत के उस हिस्से पे लगाया जहा छिल गया था.....वो बेचारी आंखे बंद किए लेटी रही....मैं बोला की बस हो गया अभी आप ऐसे ही रहिए कुछ देर में आराम हो जायेगा आपको हम बाहर चले जाते है तक तक.....बाहर से रूम लॉक कर के आप यही रहिए.....वो हल्के आवाज में बोली की कहा जाएगा अब शाम हो गया है.....यही रह ना.....



अब अजीब विडंबना थी मेरे बगल में लड़की अपनी चिकनी चूत फैलाए लेटी है और गनीमत ये की कुछ कर नही सकते.......







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जब मुझे बाहर जाने से पूजा दी ने रोक दिया तो फिर मैने जो भी सामान बाथरूम से लाया था उसको वापिस रखा और बेड पे आ कर एक बगल बैठ कर टीवी देखने की कोशिश करने लगा जबकि पूजा दी आंखे बंद किए अपनी चूत फैलाए लेटी रही....बेचारी कर भी क्या सकती थी और कल रात से अब तक मैने उनकी चूत का मुआयना इतने बार कर लिया था की अब उन्हें भी कोई दिक्कत नही थी पर फिर भी एक सीमा के सिमटे हुए थे हम दोनो पर पता नही की कब वो सीमा टूट जाए.......तकरीबन 40 मिनट बाद मैंने पूजा दी को बोला की दी अब आप बाथरूम से फ्रेश हो लीजिए और जहा तक हमको लगता है अब आपको दिक्कत नही होगी.....वो अलसायी से आवाज में बोली की हा अब काफी हद तक आराम है थैंक्यू मेरी इतनी मदद करने के लिए......हम बोले क्या आप भी बेफिजूल की बाते करती है.... जाइए फ्रेश हो लीजिए....वो उठ कर बैठी और सीधा अपनी चूत को देखने लगी और मुझसे बोली की अब इस क्रीम को धो लू हम बोले की हा अब रात में लगाने का मन हो तो लगा लीजिएगा नही तो रहने देंगे.....इतने में हम उनसे बोले की अब से साफ सुथरे रहा कीजिए इतनी भी क्या लापरवाही भला.....वो बोली की आज से पहले उसने ये सब का इस्तेमाल किया ही नहीं था तो फिर.....हम मन ही मन बोले क्या गधी लड़की है......तभी मेरे मन में शैतान ने एक आइडिया फेका और मैं तपाक से बोल पड़ा आप अपने सर के अलावे बाकी सारे जगहों को साफ रखा कीजिए खुद में आपको बहुत हल्का महसूस होगा और आगे से ऐसी नौबत भी नही आयेगी......वो बोली जब तुमने किया है तो आगे भी तुम ही कर के बतला दो फिर अगली बार से खुद से करूंगी.....हम फिर एक बार नियति के हाथो फसने जा रहे थे.....

खैर हम बोले की आपके अंडरआर्म के बाल निकालने के लिए टॉप उतरना पड़ेगा और पूजा दी बिना एक पल की देरी किए अपना टॉप उतार के बेड पे रख दी और अब वो एक ब्लू रंग के ब्रा में बैठी थी मेरे सामने.....और कसम से टॉप के ऊपर से चूचियों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल था क्युकी अंदर जो कैद था वो अलग लेवल के मम्मे थे भाई साहब.....मेरा तो मन हुआ कह दू की ये भी उतार दे अब इसकी भी क्या जरूरत.....

हम बोले की हाथ ऊपर कर के लेटिए.....वो लेट गई और अब पूजा दी एक तरह से पूरी नंगी थी मेरे सामने....बस एक ब्रा ना होती तो ज्यादा मजा आता.....हम वापिस से बॉथरूम से वो सब सामान ले कर आए और उनके बगल के बालो को निकलने के प्रक्रिया में लग गया.....दोनो बाहों में क्रीम लगाने के बाद मैने उनको बोला की अब बस थोड़ी देर फिर ये भी साफ हो जायेंगे......वो हस दी बोली की तू मुझे अब टकली भी कर देगा.....हम दोनो फिर हस पड़े.....इस वक्त मेरा लंड टाइट था पर मैंने उसको अपने पैंट के इलास्टिक में फसा रखा था ऊपर की ओर कर के ताकि पूजा दी को कम से कम मेरा लंड का अनुभाव हो.......

10 मिनट होते होते हम बोले की अब जाइए अगर नहाना है तो नहा लीजिए वरना धो कर आ जाइए फिर देखते है बाहर चला जायेगा थोड़ा मार्केट घूमने.....वो उठते हुए बोली की नही अब आज कही नही जायेंगे....बस तू खाना ले आना अब जो होगा घूमना फिरना कल इतना कह कर वो बाथरूम में चली गई जब वो जा रही थी तो पीछे उनके चूतड देख के मैं बोला की रुकिए वापिस आइए वो बोली की क्यों हम बोले की सब जगह सफाई हो ही गई है तो फिर पीछे क्यों छोड़े.....वो बोली नहीं नही अब रहने दे हम बोले की कुछ नही होता है बाबा आप ना घबराती बहुत है....आइए.....वो बेमन से वापिस आई और खड़ी थी हम बोले की लेटिये बाबा खड़ी क्यू है वो बोली की इसको धो लेती हु पहले फिर करना पीछे के बाल साफ़.....हम बोले की ठीक है रुकिए....और रूई निकाल के उसको भींगा कर पहले स्पैचुला से क्रीम हटा दिए और फिर भीगे हुए रूई से वहा साफ कर दिए साफ होने के बाद पूजा दी बोली की सच में ये काफी साफ लग रहा है.....हम बोले हम्म्म आइए और वो लेट गई उल्टी हो कर कसम से क्या कयामत लग रही थी पीछे से मन तो हुआ की एक चमाट लगाऊ दोनो चूतड़ों पे पर मन मसोस के रह गया....और उनको बोली की अपने हाथो से इसको फैलाइए ताकि हम क्रीम लगा सके वो बोली की खुद से कर ले ना हमको अजीब लगेगा प्लीज.....हम फिर एक हाथ से उनके चूतड़ों को फैलाए और उसकी भूरी गांड़ का छेद मेरे सामने था आह हा क्या छेद था एकदम टाइट सील पैक.....और इधर मेरे हाथ लगते ही उधर उनकी सिसकी चालू.....फिलहाल हम अपने काम में लगे और 5 मिनट में ही काम खतम कर के उनको बोले की हम्मम अब आप एकदम क्लीन एंड क्लियर हो.....वो थोड़ा समय ले के उठी और सीधा बाथरूम गई....नहाने के लिए इधर हम बिस्तर को सही करने लगे चादर वैगारह वापिस से डाल कर.......
 
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बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी मतलब पूजा दी नहाना शुरू कर चुकी थी.....बिस्तर लगाने के बाद सोचा की जा कर देखता हु की पूजा दी ने दरवाजा बंद किया है या नही अगर बंद किया होगा तो अपना काम खतम और अगर बंद नही किया होगा तो बात कुछ बन सकती है और ये सोचते हुए हम बाथरूम के पास पहुंच गए और दरवाजे को हल्के से धक्का दे कर देखा.....दरवाजा बंद था.....मैं मायूस हुआ और लौट कर कमरे में रखे कुर्सी पर बैठ कर फोन लगाने लगा घर पे क्युकी काफी देर से मैने मां से बात ही नही करी थी.....अभी हम बात कर ही रहे थे की पूजा दी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और मुझे आवाज दी अच्छा हुआ मां ने आवाज नही सुनी क्युकी दोनो परिवारों के नजर में हमने अलग अलग रूम ले रखा था नाकी एक........मैने मां को बोला की अच्छा मां हम बाद में बात करते है अभी मार्केट जाने का मन है हमलोग का तो चलते है.....हम बाथरूम के पास गए तो दरवाजे के ओट से पूजा दी बोली की मेरे बैग में से गमछी दे ना कपड़े मैं आ कर पहनती हु....मतलब पूजा दी पूरी नंगी थी अंदर.....ये दृश्य सोच कर ही लंड फिर से टनटनाने लगा......
मैंने उनके बैग से उनको गमछी दिया और कुछ देर बाद वो उसे लपेट कर बाहर आई....और मुझे बोली की जा तू भी फ्रेश हो ले....हम भी उत्सुकता पूर्वक बाथरूम में घुस गए और वो ढूंढा जिसकी मुझे तलाश थी......उनकी ब्रा....और वो ब्रा मुझे वही बाकी सारे कल रात वाले कपड़ो के साथ बाल्टी में पड़ी मिली जो पूजा दी ने नहाने के साबुन से ही धो लिए थे.....मुझे बड़ी चुलबुलाहट हुई की काश पूजा दी की ब्रा भी मैं अपने आंखों से उतरता देख पाता पर क्या करे किस्मत की बात है.....हम भी तुरंत नंगे हुए और एक छोटा सा स्नान का कार्यक्रम कर ही लिया.....अब रात हो चली थी और भूख मिटाने का इंतजाम भी करना चाहिए था सो मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो पूजा दी ने वही टॉप पहन लिया था और मेरी लाई हुई हाफ पैंट....मुझे देखी और बोली की थैंक्यू पैंट लाने के लिए काफी बढ़िया और मुलायम कपड़ा है.....मैं बोला की हा आपकी तकलीफ को देखते हुए खरीदी थी और इसमें चैन भी नही है सो कोई डरने की बात नही..... इसपे वो हस पड़ी और बोली की बस भी कर अब कितना मजाक उड़ाएगा हम भी हसी और सॉरी बोल के उनसे पूछा.....अभी आप कैसा फील कर रही है अब तो आप ठीक लग रही है मुझे.....वो बोली की हा अब ठीक हु रात में भी दवाई लगा के और खा के सो जाऊंगी तो कल तक बिलकुल ठीक हो जाऊंगी.....इस बीच मैं अपने टी शर्ट और हाफ पैंट में आ चुका था और उनसे पूछा की रात में क्या खाना है बतलाइए....वो बोली की जो आएगा खा लेंगे कोई दिक्कत नही..... मैं बोला की फिर भी कुछ तो बताइए तो वो बोली की खाना कुछ भी हो पर गुलाब जामुन खाने का मन है मेरा......मैं उठ कर अपने बैग की तरफ गया और उसमे से एक चॉकलेट निकालते हुए उनको बोला की गुलाब जामुन तो रात में खायेंगे फिलहाल आप ये खा लो आपके लिए ही लाया था......चॉकलेट देख के उसका चेहरा खिल गया वो बोली वाह थैंक्यू थैंक्यू.....थैंक्यू सो मच...



फिर हम बोले की चलिए साथ में खाना लाने तो वो बोली पागल नही हो गया है ना हम ऐसे बाहर नही जायेंगे तू ही ले आ ना जो भी लाना है.....हमने भी ज्यादा जोर ना देते हुए रूम से बाहर निकल पड़े खाना लाने और वापिस लौटा रोटी गुलाब जामुन और पालक पनीर की सब्जी ले कर.....खाना खाते वक्त हमारे बीच कोई बात नही हुई सिवाय खाना लेने देने को ले कर....गुलाब जामुन बड़े चाव से खाई पूजा दी उसके लिए भी थैंक्यू बोली हम बोले की बस अब थैंक्यू बोला ना तो कल पूरा दिन का खाना आप ही जाना लाने को और फिर हम थैंक्यू बोलते फिरेंगे.....वो फिर हस के सॉरी बोली और खाना का सब पैकिंग कचरा उठा के डस्टबिन में फेक के मुंह हाथ धो कर वापिस बेड पे आ गई और हम भी.....टीवी पे फिल्म चल रही थी....फिर उनको देख के हम बोले की आप यहां सो जाइए मैं उधर काउच पे सो जाऊंगा.....वो बोली तो कुछ नही पर मेरा मुंह देख रही थी हम पूछे क्या हुआ तो बोली कुछ नहीं तू उधर कहा जायेगा यही सो जा ना......कौन सा हम तुझको लात मार के नीचे गिरा देंगे......हम बोले की नही कोई दिक्कत नही आप यहा आराम से सो जाइए हम उधर चलते है क्या पता हम ही आपको लात मार दे तो.....इतना कह के हम एक तकिया उठाए और चादर जो अपने साथ लाए थे वो ले कर जाने लगे तो मेरा चादर पकड़ कर बोली तू यही सो जा कोई दिक्कत नही मेरी कसम है तुझे तू यही पे सो......

हम बोले अरे भाई कसम की क्या जरूरत पड़ गई बाबा वहा सोऊ या यहां सोना ही है ना फिर क्यों परेशान होना और हमको पता है हम यहां सोएंगे तो आपको फिर से अजीब लगेगा और आप रात भर कच्ची नींद में सोइएगा कल आपका पेपर है आप आराम से निश्चिंत हो कर सोइए......पर वो बोली की तू यही सो हम निश्चित हो कर ही सोएंगे और फिर तूने मुझे दवाई भी तो देनी हैं और लगाएगा नही क्या......हम फिर साला धर्मसंकट में पड़ गए....क्युकी अभी सोचा था की कुछ देर मैं माधुरी से बाते कर लूंगा वरना हमदोनो में लड़ाई होने से कोई रोक नहीं सकता था पर यहां पर रहते हुए माधुरी से बात करना लगभग नामुमकिन सा था पर अब क्या करते सोचा की माधुरी तो अपनी है मना लूंगा मिल कर......

और हम फिर वही बेड पे बैठ कर अपना टीशर्ट उतार कर चादर खोल कर लेट गए और उनको बोला की आप भी चादर खोल के आराम से लेटिये जब नींद आने लगेगी तब बोलिएगा दवाई खाने को भी दे देंगे और लगा भी देंगे..... इसपे वो बोली की रात भर वो क्रीम लगा कर सोना सही रहेगा हम बोले की क्यों नहीं और अच्छा है ना सुबह तक वहा पे वो अपना कमाल दिखा देगा आपकी छिली हुई चमड़ी सही हो जायेगी बहुत हद तक.....पर हम सोचे की रात भर ये नंगी सोएगी तो मेरा तो हाल बुरा हो जायेगा....खैर अब आगे देखते है क्या होता है.......
 
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दोनो कोई लेटे हुए थे और सामने टीवी चल रहा था पर साला मेरा ध्यान पूजा दी की चूत पे था और दूसरी तरफ मेरा लंड महाराज अलग ही उधम मचाए हुए था मुझे मूठ मारने की बहुत ज्यादा तलब लगी थी क्युकी कल रात से मेरे लौड़े में पूजा दी की चूत ने आग लगा रखी थी जिसकी तपिश से मेरे टट्टो में दर्द होने लगा था बेहेंचोद कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू फिर सोचा अगर कुछ ना भी हुआ तो रात में बाथरूम में मूठ मार लूंगा जा कर क्युकी कुछ भी कर लूं लौड़े की आग के आगे बेबस ही था मैं......इधर पूजा दी कुछ देर बाद बोली की दवाई खा लेती हु और क्रीम का रहने देते है ठीक हो जायेगा कल तक वैसे भी काफी आराम है अब.....


तभी हम पूजा दी से बोले की क्रीम लगा लीजिए एक रात में कुछ नही जा रहा आपका और अगर कल तक आपके उस चोट में बहुत हद तक आराम हो जायेगा तो आप एग्जाम आराम से दे पाएंगी क्योंकि वहा तो आप जींस में ही जायेगा ना या फिर कोई सलवार सूट लाई है अपने साथ वो बोली की हा लाई हु और कल वही पहन कर चली जाऊंगी एग्जाम देने वो टाइट नही है ना सही रहेगा.....फिर हम उठ कर उनके बेड साइड में गए और पास में रखे दवाई को उनको खाने को दिया और बाकी वापिस रख कर क्रीम हाथ में ले लिया और एक हाथ से पानी का ग्लास उनको दिया.....उन्होंने ने दवाई तुरंत गटक ली और बोली की क्रीम रहने देते है ना.....हम उनको कुछ बोले नही बस उनके तरफ देखते रहे.......वो मेरी मनोदशा समझते हुए फिर बोली की तू अब टेंशन मत ले ठीक है हम......और कल एग्जाम भी अच्छा ही जायेगा पूरी कोशिश करूंगी की इधर उधर ध्यान ना जाए...........

हम कुछ बोले नही और वैसे ही खड़े रहे.....और एक टक से पूजा दी को देखते रहे ऐसा लग रहा था जैसे हम उनको नंगी होने के लिए बोल रहे है......और वो होने में शंकित हो रही थी.......फिर अचानक से पूजा दी खड़ी हुई और अपना पैंट नीचे उतार दी पूरा और वापिस से बेड पे बैठ गई और हम चुप चाप क्रीम को अपने हाथो पे निकालने लगे......वो अब लेट गई थी और हम क्रीम ले कर अपने बेड के साइड से बेड पे चढ़े और पूजा दी के चूत के पास झुक गए......झुकते के साथ मेरे नाक में वही मदहोश कर देने वाली चूत की खुशबू घुस गई और सारा सिस्टम मेरा हैंग हो गया और उसके बाद मैने क्रीम की जगह उनकी चूत पे अपना मुंह लगा दिया......


अब पूजा दी के हाल क्या बताऊं वो तो मेरे सामने नंगी होने के एहसास से ही गीली थी और रही सही कसर मेरे होठों और जीभ के स्पर्श ने कर दिया.......अब क्रीम गया भाड़ में और मैं एकदम एक आइसक्रीम की भांति उनकी चिकनी चूत को चाटे जा रहा था नतीजतन पूजा दी भी अब मेरे लय में आ चुकी थी और अपने चूतड उठा उठा कर मेरे मुंह पे अपनी चूत दबा रही थी और हाथ मेरे सर में फेर रही थी कभी कभी जब मेरी जुबान उनके जी स्पॉट से टकराती तो वो बालो को नोच डालती......पर उस उठ रहे तूफान में ये सब कुछ मायने नही रखता था....अब आलम ये था की ही पूजा दी के टांगों को मोड़ कर उनके बीच आ गए थे और आराम से लेट कर पूजा दी की चूत को चाटे जा रहे थे......और पूजा दी के बदन की ऐंठन देखने से लग रहा था की बंदी कभी भी झड़ सकती है और तभी हम उनके टॉप की तरफ बढ़े और दोनो हाथो से टॉप के ऊपर से ही उनकी चूचियों को धर दबोचा...... आह क्या एहसास था वो....इस वक्त माधुरी गई मां चुदाने......बचपन का प्यार भूल गया था मैं.....और इधर पूजा दी हमको अपने ऊपर खींच ली और एक गहरा स्मूच हम दोनो में होने लगा......पागलपन के हद वाली चुम्मा चाटी चल रही थी हम दोनो में.....तकरीबन 10 मिनट तक घमासान चुसाई चटायी के बाद हम अलग हुए और सासो को काबू करने लगे......पर ये तूफान अभी थमने वाला तो था नही..........


पूजा दी नीचे से नंगी थी और हम ऊपर सिर्फ एक बनियान में थे.....जो अब ही उतार चुके थे और पूजा दी की तरफ फिर से बढ़े और पूजा मेरी तरफ बढ़ी......एक झटके में हम उनका टॉप उतार फेंके.....पिछले 20 घंटो से जो लड़की अधनंगी अवस्था में मेरे साथ रह रही थी अभी वो पूरी नंगी हो कर मेरे सामने बैठी थी......अब मैं पूजा दी के ऊपर चढ़ कर उनके पेशानी उनकी गर्दन चेहरे सब जगह चूमने लगा और बस सिसकियां भरते जा रही थी.....अब उनको भी खुद को रोक पाना नामुमकिन लग रहा था वरना अब तक वो रुकना चाहती तो रुक सकती थी पर अब नही........अब मैंने एक हाथ से अपने लंड महाराज को आजाद किया और अब दोनो बदन पूर्ण रूप से नंगी अवस्था में चिपटे पड़े थे आज पूजा दी मेरी पीठ पे अपने नाखून से गड़ा कर कभी पूरी पीठ चूतड़ों तक सहला कर मेरे हर प्रहार में साथ दे रही थी.....मन में अब मैंने भी सोच लिया था की आज सुहागरात मना ही लेनी है.......यही हाल अब पूजा दी का भी था.....अब ना तो उनकी चूत की चोट उनको याद थी ना ही ये की मैं उनको दी बुलाता हु....याद था तो बस ये की आज अपना अपना कौमार्य भंग कर ही लेना है.......



चूमते चूमते मैं उनके चूचियों से होता हुआ पेट की तरफ से नीचे उनकी नाभि तक आया और माधुरी के साथ हर वो किया गया मेरा कर्मकांड यहां मुझे पूजा दी पे अपनी पकड़ बनाने में कारगर साबित हो रहा था पर पूजा दी बिलकुल अनाड़ी थी वो बस आंखे बंद किए मुंह से सिसकियां लेते जा रही थी और हाथो से मेरे बदन को सहलाए जा रही थी.......नाभि जो मैने चूसी है वो तो डबल इंजन का काम किया पूजा की सिसकियां अब तेज हो गई थी मैने अभी थोड़ा और टाइम देने का सोचा......और एक बार फिर से उसकी चूत पे मुंह लगा दिया पिछली बार वो झड़ी नही थी इसलिए इस बार वो ज्यादा उत्तेजित थी पहले के मुकाबले.....चूत तो एकदम झरने के तरफ बह रही थी बाबा......और तो और इस बार पूजा दी की चूत को ऊपर उठा के ऐसे पोजिशन में कर के चूसा जिससे मैं उनके चूतड के छेद को भी चेप रहा था और ये मार वो सहन नही कर पाई और फव्वारे के तरह फुट पड़ी और बंदी ने जो सोमरस की बरसात की है मेरे पूरे चेहरे को भर दिया......पर अभी असली काम बाकी था मैने मेरे लंड महाराज को उनकी खुली चूत के दरार में रगड़ना शुरू किया.....और पूजा दी अपना सर इधर उधर घुमा घुमा के बस पागल हुए जा रही थी.....जैसे उसकी जान किसी हलक में अटकी पड़ी हो और वो बस निकालना चाह रही थी चाहे वो कैसे भी हों........


और अभी मेरा भी पहला टाइम था और उनका भी इसलिए लंड को रगड़ने के बाद मैने एक बार फिर उनकी चूत को अपने हाथो से चुभलाना शुरू किया और एक उंगली उनकी कसी हुई चूत में घुसा दी और बेचारी पूजा दी फिर से झड़ने लगी......उफ्फ क्या मंजर था मेरी उंगली उनकी चूत में धसी पड़ी थी और वो झर झर झरने के माफिक बहते जा रही थी......अब पूजा दी के शरीर में ताकत कम बची थी पर मेरी उंगली घुसाने के वजह से वो बोली की सुमित प्लीज उसे बाहर निकाल ले दर्द हो रहा है.....मैने उनको बस चुप रहना का इशारा किया और वापिस से अपना मुंह उनकी चूत में घुसा दिया.....उंगली के साथ साथ मुंह का वार दोहरी मार से वो फिर से मदहोश होने लगी.....


और परिणामस्वरूप चूतड उठा उठा कर मेरी उंगली को ज्यादा से ज्यादा अपने अंदर लेना चाह रही थी......मैने भी मौका देख के दो उंगली घुसा दी और अब उनकी चूत मेरे उंगलियों के अभ्यस्त हो चुकी थी इतना रास्ता काफी था मेरे लंड को अपनी पहली गुफा दर्शन के लिए.....

मैं पूजा दी के ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को मुंह में ले लिया......क्युकी अभी मैने इन संतरो का रस तो पिया ही नही था और जब मैंने उनकी दोनो चुचियों को जोड़ कर आपस में दोनो निप्पल एक साथ मुंह में लिया तो पूजा दी एकदम आउट ऑफ कंट्रोल हो गई मेरे बालो को जोर जोर से खींचने लगी जैसे कह रही हो खा जाओ इन चुचियों को मेरे निप्पल को चबा जाओ.....और उनके आज तक की अनछुई जवानी का जो रसपान मैने किया था शायद पूजा दी ने सोचा भी नही होगा की कोई ऐसा उनकी इस जवानी को लूटेगा जिसे वो अपना भाई समान मानती थी.........मैं एकदम पागलों जैसे उनकी चूचियों का रसपान तकरीबन 10 मिनट से ज्यादा समय तक करता रहा और इधर मेरा लंड महाराज पूजा दी की मुनिया पे अपना सिर मार मार के उसको अपने आगोश में लेने को आतुर था.......मैं अब उनके चूत में लंड डालने के लिए अपने घुटनों के बल आ कर चूत के मुहाने पे सेट करने लगा एक लंबी सी थूक उनकी चूत पे और अपने लंड पे लगाई और लंड का दबाव बनाना शुरू किया.......पूजा दी आने वाले लम्हे को सोच कर अपने हाथो को मेरे सीने पे रख के मुझेसे दूर होने के लिए एक ढाल तैयार कर चुकी थी पर अब उनकी मुनिया पे आक्रमण हो चला था और मेरा लंड उनकी चूत में थोड़ा सा घुस गया जिसका असर ये हुआ की मेरी भी दर्द के मारे गांड़ फट गई और पूजा दी तो एक लंबे सुर में आह आह आह आआह्ह्हह्ह कर के मुझे धकेलने लगी पर अब मैंने भी हिम्मत जुटाई और एक अच्छा खासा ताकतवर धक्का लगाया और नतीजतन मेरी और उनकी दोनो की चीख से कमरा गूंज गया......एक पल को लगा की मेरा लंड गया कुछ है ही नही एकदम सुन्न हो गया था और पूजा दी के आंखो से आसुओं की धारा फूट चुकी थी पर उन्होंने अपने होठों को आपस में ज़ोर से दबा रखा था और दर्द सहने की कोशिश में लगी थी कुछ सेकंड्स के लिए दर्द को अपने काबू में किया और फिर एक और झटका लगाया और इस बार पूरा लंड पूजा दी की चूत में समा गया और बेचारी पूजा दी ने ऐसी प्रतिक्रिया दी जैसे उनकी सांसे अटक गई हो और अपने बदन को हवा में उठा दिया इस समय बिस्तर पे केवल उनेका सर था बाकी सब हवा में......और मैं अपने लंड में एक शदीद लहर का अनुभव करते हुए भी घुसाए पड़ा रहा ताकि दोनो शांत हो जाए......


अब जिस मुकाम पे हम दोनो आ चुके थे वहा से पीछे हटना नामुमकिन था और फिर कुछ देर की शांति के बाद मैने अपना लन्ड वापिस से बाहर की ओर खींचने का प्रयास किया पर दर्द था की वापिस से अपने शबाब पे आ गया था पर अब ना मैं रुक सकता था ना ही पूजा दी इसलिए मैं उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया और दोनो हाथो में उनकी चूचियों को पकड़ के अपना लन्ड बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला.....इस बार पूजा दी फिर से सिसकी और मुंह से धीमी आवाज निकली बस बस अब निकाल ले इसको प्लीज.....हम उनको आंखो से इशारा ही कर के बोले की सबर कर ले अब दर्द नही होगा भरोसा रख......और फिर एक बार अंदर जड़ तक अपना लन्ड उनकी चूत में ठोक दिया......बेचारी इस बार भी कसमसा कर रह गई पर मुझे अब दूर नहीं धकेल रही थी बल्कि दर्द को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी.....

और फिर शुरू हुआ तबरतोड अंदर बाहर होने का सिलसिला......बड़ा ही हसीन लम्हा था ये जब मैं उनके अंदर होता तो वो मुझे चूमने की कोशिश करती और ये कोशिश उनकी दो बार नाकाम रही थी क्युकी दर्द अभी भी अपने काम में लगा था साला ये जाने का नाम ही नहीं ले रहा था......इसलिए अब मैं उनपे वापिस से लेट कर केवल कमर हिलाना शुरू किया और इधर ऊपर से चूमना चाटना शुरू इस बार पूजा दी काफी जोरो शोरो से चूम रही थी.....आह क्या मंजर था पूजा दी का बार बार मेरे होठों को काटना और मेरा उनके जीभ से अपनी जीभ लड़ाना......ऊपर हम दोनो के मुंह में जीभ लड़ रहे थे नीचे उनकी मुनिया से मेरा लंड......ये सिलसिला अगले 15 मिनट से ज्यादा समय तक चला और अब हम दोनो अपने अंतिम चरण.....स्खलन की ओर बढ़ चले थे......और कुछ ही पलों में पूजा दी ओह उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह कर के झड़ने लगी और हम अपना लन्ड बाहर निकाल कर उनके पेट पे झड़ गए.....काफी ज्यादा मात्रा में मेरा मुठ निकला था पूरा पेट पे उनके फैल गया था वो इसलिए क्युकी कल रात से बार बार लंड टाइट हो कर खुद ही ढीला हो रहा था.......चुदने के बाद पूजा दी के चेहरे पे एक सुकून भरा एहसास था पर शर्मा वो अब भी रही थी.......
 

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