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Erotica Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang

IMUNISH

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UPDATE-34
चूत की झांट साफ़ करवाने के बाद चूत चुसाई का लेस्बीयन खेल खेलने के बाद नमिता के चेहरे पर एक अलग तरीके की खुशी झलक रही थी।

खाना वगैरह निपटाने के बाद मैं और नमिता दोनों ही मेरे कमरे में सो गई।
रात को करीब आठ बजे रितेश का फोन आया, वो काफी थका हुआ था।
पूछने पर उसने बताया कि उसकी जो बॉस है वो एक लेडी है, मस्त सेक्सी है, लेकिन साली ने आज पहले दिन ही ओवर टाईम करा दिया।
मैंने भी मेरी अमित और मेरी नमिता के बीच हुई घटना के बारे में बताया तो बोला- यार तुम्हारा तो आज रात का इंतजाम हो गया और मैं यहां अपने लंड की सेवा खुद करूँगा।
बात करते करते काफी समय बीत गया, नीचे से आवाज आने के बाद मेरा फोन बंद हुआ।
नमिता के साथ मैंने भी जल्दी-जल्दी सब काम निपटाया।
फिर जब सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गये तो मैं, नमिता और अमित तीनों ही ऊपर आ गये।
अमित ने दरवाजा बन्द किया और फिर मैं अपने कमरे में और नमिता और अमित अपने कमरे में चले गये।
मैंने अपने कमरे की लाईट तो बन्द कर ली लेकिन दरवाजा नहीं बन्द किया और मेरी नजर अमित और नमिता के कमरे में ही थी।
काफी देर बाद कमरे की लाईट बन्द हुई तो मैं जल्दी से उन दोनों के कमरे में पहुँची तो देखा आज अमित गुस्से में था और चाहता था कि नमिता जल्दी सो जाये पर नमिता आज अमित को प्यार करने के मूड में थी और मान नहीं रही थी और जो डायलॉग कल रात नमिता बोल रही थी आज वही डायलॉग अमित बोल रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद अमित बोला- ठीक है, लेकिन आज तुम्हें मेरी भी बात माननी होगी।
नमिता बोली- जानू, जो तुम कहोगे, आज मैं सब तुम्हारी बात मानूँगी।
'मैं तुम्हे रोशनी में पूर्ण नंगी देखना चाहता हूँ।' एक झटके में अमित बोला।
नमिता बोली- ठीक है, पर तुम अपनी आंखें बन्द करो और जब मैं बोलूँ तभी तुम अपनी आंखें खोलना!
इतना कहने के साथ ही नमिता ने कमरे की लाइट जलाई और अमित ने अपनी आँखें बन्द कर ली।
इस समय नमिता गाउन पहने हुए थी।
नमिता बेड पर अमित को क्रास करते हुए खड़ी हो गई और अमित से बड़े प्यार से आंखें खोलने के लिये बोली।
अमित मुंह बनाते हुए बोला- क्या नमिता? यही दिखाने के लिये मुझे आंखें बन्द करने के लिये कहा था?
अमित का इतना बोलना था कि नमिता ने एक झटके में अपने गाउन को उतार फेंका।
अमित की आंखें फटी की फटी रह गई।
शायद उसे विश्वास नहीं रहा होगा कि वो इतनी जल्दी सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी।
नमिता हल्की सी नीचे झुकी और ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूची को बाहर निकाल कर अमित को दिखाने लगी।
जैसे ही अमित ने उसकी चूँची को छूने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, नमिता तुरन्त ही सीधी खड़ी हो गई।
उसने करीब चार से पाँच बार यही हरकत अमित के साथ दोहराई, नमिता झुककर अपनी ब्रा को हटाकर अपनी चूची आजाद करती और जैसे ही अमित उसकी चूची छूने को अपना हाथ आगे बढ़ाता वैसे ही नमिता सीधी खड़ी होकर फिर से अपनी चूची को ब्रा के अन्दर ढक लेती।
नमिता का इस तरह से अमित को तड़पाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
अमित परेशान था बल्कि उसने नमिता को डराने के लिये बोला भी- लाईट जल रही है, कोई इस तरह देख लेगा।
नमिता उसे फ्लांईग किस देते हुए बोली- जानू तुम डर रहे हो। तुम्हें तो रोशनी में मजा आता है और तुम तो मुझे पूर्ण रूप से नंगी देखना चाहते हो ना… और मैं अभी पूरा नंगी कहाँ हुई हूँ!
कहते हुए वो एक बार फिर झुकी और अपने ब्रा को हटाने लगी, तभी तेज हाथ चलाते हुए अमित ने उसकी पीठ को जकड़ लिया और ब्रा की हुक खोल कर उसके जिस्म से ब्रा हटा दी।
नमिता के दो गोल गोल चूचे लटकने लगे जिनको अमित ने अपने हथेलियो में जकड़ लिया और तेज तेज मसलने लगा।
नमिता कसमसाने लगी, लेकिन अमित कहाँ मानने वाला था उसे लगा कि शिकारी हाथ से छूट न जाये।
वो नमिता के निप्पल को लेकर मुँह में चूसने लगा।
नमिता ने बहुत कोशिश की कि अमित से वो अपने चूचे छुड़ा ले पर सफल न हो पाई तो थक कर वो बैठ गई जिससे अमित उसके निप्पल को आसानी से चूस सके।
अमित इस समय एक ऐसा भूखा इंसान नजर आ रहा था जिसके सामने खाने की थाली काफी दिनों के बाद रखी गई हो और वो अब उसे छोड़ने के मूड में नहीं है।
नमिता बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी।
चूची चूसते चूसते जब अमित थक गया तो उसका हाथ नमिता की पैन्टी की तरफ बढ़ने लगा, नमिता ने तुरन्त ही उसके हाथों को पकड़ा और बोली- अमित, आज मैं खुद सब कुछ दिखाऊँगी।
कहकर वो एक बार फिर खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी को एक झटके से उतार दिया।
अमित आंखें फाड़े हुए उसकी बाल रहित चूत के दर्शन करने लगा और बड़े ही आश्चर्य से उसके चूत को सहलाने लगा।
उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो औरत आज तक उसको इतना तरसाये हुए थी वो आज सब कुछ बिना कोई प्रश्न किये अपने आपको पूर्ण रूप से नंगी कर चुकी थी।
नमिता के हाथ अभी भी अमित के बालों को सहला रहे थे।
बाल सहलाते हुए बोली- अमित, इसको प्यार नहीं करोगे?
अचकचाते हुए अमित बोला- क्यों नहीं, कितना तरसाने के बाद आज तुमने वो सुख दिया है कि मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
कहने के साथ ही अमित के होंठ नमिता की चूत को चूमने लगे।
नमिता के मुँह से निकलने वाली तेज सांसें यह बताने के लिये काफी थी कि उसको भी काफी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद खुद ही नमिता बोली- अमित, थोड़ा रूको और मेरा पिछवाड़ा भी देख लो।
मुझे लगा कि उसके मुँह से गांड, चूत शब्द निकलेगा पर वो शायद चाह कर भी नहीं बोल पा रही थी।
अमित ने तुरन्त अपना मुँह हटा लिया और नमिता पलटी और थोड़ा झुक कर खड़ी हो गई।
अमित नमिता के पुट्ठे को सहला रहा था।
नमिता ने भी अपने हाथ अपने पुट्ठे पर रख लिया और उसको शायद थोड़ा सा फैला दी और अमित से बोली- अमित इस छेद को भी देखो, कैसा लग रहा है।
अमित ने उस जगह को चूमते हुए बोला- डार्लिंग, आज तुम मुझे जिन्दा मार दोगी।
'ये क्या कह रहे हो?'
'सही कह रहा हूँ!' अमित बोला- इतने दिन हो गये हैं शादी को, सुहागरात से जो तुम शर्मा रही हो आज अचानक तुम सब मेरे मन की बात कर रही हो। मेरा हार्ट अटैक नहीं होगा तो क्या होगा।
'आज से ये सब तुम्हारा है। जिसको जब तुम चाटना चाहो तुम चाट सकते हो।'
अमित उसकी गांड को शायद चाट रहा था और नमिता बोले जा रही थी- अमित, और चाटो… बहुत मजा आ रहा है।
उधर अमित भी उत्साहित होते हुए बोला- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
गांड चाटते-चाटते अमित को कुछ ख्याल आया तो उसने नमिता को अपने गोद मैं बैठाते हुए बोला- तुम्हें चटवाने का ही मजा आ रहा है कि मेरा चूसने व चाटने का मजा लोगी।
'जानू सब करूँगी, जो तुम कहोगे।'
अमित उसकी बात को सुनकर खुश होते हुए नमिता को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर को एक किनारे करते हुए उठ खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने सब कपड़े उतार दिये।
अमित का लंड वास्तव में लम्बा था।
तुरन्त ही वह अपना लंड नमिता के मुँह के पास ले गया नमिता ने लंड को पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी।
इतनी देर से उन दोनों का उत्तेजना भरा दृश्य देखकर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी और मेरा भी हाथ बार बार मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
लेकिन मैं अपने ऊपर कंट्रोल करके दोनों की रासलीला देखने में मगन थी।
डर भी नहीं था कि कोई देख लेगा क्योंकि नीचे जाने वाले रास्ते में ताला लगा हुआ था तो सवाल ही नहीं उठता था कि नीचे से ऊपर कोई आये।
दोनों अपने कमरे में खुल कर एक दूसरे के जिस्म का मजा ले रहे थे तो वहाँ से भी कोई डर नहीं था और बाहर से कोई देखे तो उसका भी कोई डर नहीं था क्योंकि हम दोनों के कमरे ऊपर छत पर थे और छत के बारजे से लगभग दस फ़ीट की दूरी पर थे।
हाँ, मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी।
मैं इधर उधर देखने लगी तो अमित के कमरे की दूसरी तरफ एक नाली बनी थी।
लेकिन उधर जाने ला मतलब कि दोनों की नजरों में आ जाना।
मैं वही बैठ गई और धीरे धीरे पेशाब करने लगी।
मैं पेशाब करके खड़ी हुई तब तक दोनों बिस्तर पर 69 की अवस्था में होकर चूमा चाटी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए नमिता बिस्तर पर अपनी टांग फैला कर लेट गई और अमित उसके ऊपर चढ़ गया और धक्के मारना शुरू कर दिया।
करीब पांच सात मिनट तक धक्के मारते रहने के बाद वो निढाल होकर नमिता के ऊपर लेट गया।
नमिता ने उसको अपने से कस कर चिपका लिया था।
फिर दोनों एक दूसरे से अलग हुये तो अमिता पास पड़ी हुई चादर लेकर उसकी चूत साफ करने को हुआ तो नमिता ने उसे रोकते हुए कहा- अमित, मैं आज आपका रस भी चखना चाहती हूँ।
कह कर उसने अपनी उंगली अपनी चूत के अन्दर डाली और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी।
अमित को भी जोश आ गया और उसने भी नमिता की चूत चाटकर साफ कर दी।
फिर नमिता के कहने पर लाईट को ऑफ कर दिया।
हाँ लाईट ऑफ करने से पहले अमित ने नमिता को एक सोने का लॉकेट दिया, शायद वो लॉकेट मेरे लिये था।
मेरा भी वहाँ का काम खत्म हो गया था।
अब मुझे देखना है कि इतनी मस्ती पाने के बाद अमित मेरे कमरे में आयेगा या नहीं।
मैं आ गई, कमरे को अपने खुला ही रखा और आदत के अनुसार मैं नंगी ही सो गई।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरी बगल में लेटा है और मेरी चूची को मसल रहा है।
मैं समझ गई कि यह अमित है लेकिन मैं कुछ बोली नही।
कभी वो मेरी चूची को कस कर मसलता रहा तो कभी मेरी गांड सहलाता और बीच-बीच में गांड के अन्दर उंगली करता रहा।
मैं अपनी आँख बन्द करके मजा लेती रही।
काफी देर वो ऐसा ही करता रहा, फिर मैं उसके तरफ मुड़ी और अपनी एक टांग को उसके ऊपर चढ़ाते हुए बोली- क्यों जीजा जी, मेरी चूची मसलने में और गांड में उंगली करने का मजा आ रहा है न?
'हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
'तो ठीक है, जो तुम मेरे साथ करना चाहते हो पहले तुम कर लो, फिर मैं तुम्हारे साथ करूँगी। लेकिन मेरी बारी में तुम ना नुकुर नहीं करोगे?'
इतना सुनते ही अमित ने मुझे पट लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा फिर मेरे चूतड़ के नीचे बैठ गया और चूतड़ों को चूची समझ कर तेज-तेज मसलने लगा।
उसके बाद जीजा मेरे उभारों को फैलाने लगा और अपनी जीभ उसमें लगा दी और उसकी जीभ के गीलेपन से मेरी गांड में सुरसुराहट सी होने लगी।
काफी देर तक उसने मेरी गांड चाटी फिर मुझे सीधी कर दिया और मेरी निप्पल को तेज-तेज खींचने लगा।
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था।
काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया… और लगा मुझे चोदने।
एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा।
अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया।
अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी।
अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
'नहीं… आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
'सॉरी भाभी…' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला, मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
'हल्का सा…' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता।
तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे।
पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था।
मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई।
अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था।
मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी।
अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर…
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े।
मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया।
मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा।
उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया, बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया।
अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा।
उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए मैं बोली- एक शर्त है।
'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है। तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
'मैं तैयार हूँ…'
'तो ठीक है कल रात हम तीनों…'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।'
इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।

रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा।
कहानी जारी रहेगी।
 

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