Erotica Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang

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UPDATE-27
तभी मुझे ध्यान आया कि रितेश को भी पेशाब लगी थी।

अगर रितेश मेरी मूत पी सकता है तो मैं भी उसकी मूत पी सकती हूँ।

ऐसा सोचते ही मैं तुरन्त अपने घुटने के बल पर आ गई और उससे मूतने के लिये बोला।
तो रितेश ने मना कर दिया और बोला- मैं बर्दाश्त कर लूंगा और सुबह मूत लूँगा।

लेकिन मैं नहीं मानी और रितेश को मूतने के लिये जिद करने लगी।
मेरी जिद के आगे रितेश हार गया और मेरे मुँह में धीरे-धीरे मूतने लगा।

फिर हम दोनों बिस्तर पर आ गये।

रितेश मुझे अपने से चिपकाते हुए बोला- जानू, आज के बाद जब भी मैं घर पर रहूँ, तुम पैन्टी ब्रा नहीं पहनोगी।
मैंने भी हामी भर दी।

फिर मैंने अपनी ब्रा और पैन्टी को एक किनारे कर दिया और बाकी के कपड़े पहन कर सोने की कोशिश करने लगी।

न तो मुझे और न ही रितेश को नींद आ रही थी, हम एक-दूसरे की बाहों में पड़े हुए यही सोच रहे थे कि ऐसी हरकत की किसने होगी। करवट बदलते बदलते पूरी रात बीती और जैसे ही सुबह हुई, रितेश ने दरवाजा खुलवाया।
हमारे कमरे का दरवाजा बाहर से बन्द देख सभी आश्चर्य में थे केवल एक अमित जीजा को छोड़कर… उसकी कुटिल मुस्कान भी बता रही थी कि ऐसी हरकत उसी ने की है।

उसकी कुटिल मुस्कान देखकर मेरा गुस्सा और बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन रितेश की वजह से मैं कुछ भी न बोल सकी।

मैं इधर वाशरूम में फ्रेश होने के लिये जा ही रही थी कि अमित जल्दी से बेड रूम में घुस गया, वही दूध का गिलास ले आया जिसको हम दोनों ही नहीं पी सके थे।

दूध के गिलास को लिये हुए अमित उसी कुटिल मुस्कान के साथ बोला- अरे तुम दोनों ने एक दूसरे को दूध नहीं पिलाया।

रितेश लपक कर गिलास को पकड़ने की कोशिश करने लगा पर सफल न हो सका।
बल्कि रितेश बोला भी- जीजा जी, दूसरे से बिना पूछे उसके सामान को हाथ नहीं लगाना चाहिए।

पर अमित ने बेशर्मी से जवाब दिया- रात में ही मैंने कह दिया था कि तुम दोनों ने नहीं पिया तो मैं पी लूँगा।

मेरे सब्र का बांध टूट रहा था कि मेरे ससुर जी बोल उठे- बेटा, किसी का दूध इस तरह से नहीं पिया करते।

पर तब तक अमित गिलास को मुंह से लगा कर दूध पीने लगा।

अब मेरे सब्र का बांध टूट गया तो मैंने भी उसी अंदाज में जवाब दिया- जीजा जी, बच कर भी रहा करो, कहीं ऐसा न हो गलती से कोई आप को दूध की जगह कुछ और पिला दे।

लेकिन अमित बेशर्म तो बेशर्म, तुरन्त ही बोल उठा- तुम्हारी जैसी खूबसूरत हो तो वो कुछ भी पिला दे, मैं हँसते-हँसते पी जाऊँगा।
गिलास से मलाई को उँगलियों में लेते हुए बोला और ऐसी मलाई मिले तो उसे भी चट कर जाऊँगा।

सभी उसकी बातों पर हँस रहे थे लेकिन मैं मन ही मन गुस्से में बड़बड़ाने लगी 'मौका लगा मादरचोद तो तुझे अपनी अपनी पेशाब न पिलाई तो मेरा नाम भी आकांक्षा नहीं। तब पता लगेगा कि मैं क्या चीज हूँ।'

लेकिन ऊपर से मैं उस मादरचोद से बहस करना नहीं चाहती थी, मैं बाथरूम में जाकर नहाने धोने लगी।

नहाने के बाद मैंने रितेश के कहने पर सलवार सूट पहन लिया और रसोई में आकर रितेश की मम्मी के साथ काम में हाथ बंटाने लगी।
फिर धीरे-धीरे रितेश सहित सभी नहा धोकर तैयार हो गये, सभी ने नाश्ता किया।
नाश्ता करने के बाद एक बार फिर मैं रसोई में मम्मी के साथ काम में हाथ बंटाने लगी।

पर रितेश का मन नहीं लग रहा था वो कई बार इशारा करके बुला चुका था, पर मैं लिहाज के मारे रसोई से न निकल सकी और रितेश झुंझलाकर रसोई में आया और मम्मी की नजर बचा कर मेरी गांड को कस कर दबा दिया।

मम्मी रितेश की हरकत को तो न देख सकी पर समझ तो गई थी कि रितेश क्यों आया है।

मम्मी ने मेरी ननद को बुलाया और उसे डाँटते हुए बोली- अभी अभी इसकी शादी हुई है और तुम आराम कर रही हो और उससे पूरा काम कराये जा रही हो? चल मेरे काम में हाथ बँटा!
और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- जा तू थोड़ा आराम कर ले।

लेकिन मैं शर्म के मारे नहीं जा रही थी।
बार बार कहने पर मैं अपने कमरे मैं आ गई और अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया।

रितेश बिस्तर पर चादर ओढ़े लेटा हुआ था, मुझे देखते ही उसने अपने ऊपर से चादर हटाई तो उसका लंड राड की तरह एकदम सीधा तना हुआ था।

मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े उतारे और सीधा जाकर उसके लंड पर बैठ गई और जब तक उछलती रही जब तक कि हम दोनों खलास नहीं हो गये।
 

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