Inspector Ajanta

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एस.पी शैतान सिंह
दुर्जन का सफाया करके इंस्पेक्टर अजंता ने वाकई एक बहदुरी का काम किया था परन्तु वह अभी आश्वस्त न थी. उसने अब शीघ्र ही शैतान सिंह को पकड़ने का फैसला किया. और क्योंकि वह उससे से छुप नहीं सकती थी, उसे एक ऐसा प्लान तैयार करना था की वह ऐन मौके पर पहुँच कर शैतान सिंह को अपनी वर्दी में और ड्यूटी में रह कर गिरफ्तार करे. कमिश्नर साहब ने जो अपना आदमी शैतान सिंह के घर पर तैनात किया था वह छुपछुप कर सब खबरें उन तक पहुंचा रहा था. इतवार वाले दिन शैतान सिंह का फॉलो देवी के अड्डे पर पहुंचना तय था. अजंता को या तो उससे पहले नहीं तो उसके एक दम बाद उस अड्डे जो के एक फार्म हाउस में था उस पर आक्रमण करना था.वह यह भी चाहती थी की शैतान सिंह को रंगे हाथों पकडे और उस अड्डे को भी ख़तम कर दे.
पर साथ ही साथ काफी पुलिस फाॅर्स को एक दम लेजाना भी खतरे से खाली न था. टाइगर के आदमी वहां मौजूद थे और वह उन पर आक्रमण करके शैतान सिंह और फॉलो देवी को बचा भी सकते थे. लेकिन अजंता ने आखिरकार वही ठीक समझा क्योंकि फॉलो देवी का कुछ साल पहले उससे वास्ता पड़ चुका था और वह भी अजंता को पहचान सकती थी.
अजंता ने अपने दो तीन साथी सादे कपड़ों में पहले भेजने का निर्णय लिया और उसके बाद वहां पर हमला करने का. उसने उस फार्महाउस का नक्शा लेकर उसकी पूरी व्यूह रचना का अध्ययन किया.

उसने अच्छी तरह से जब फार्म हाउस के अगल बगल देखा तो उसे एक छोटा सा कोना ऐसा नज़र आया जो की एक पतली सड़क से मिलता था यह सड़क लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करके एक छोटे से मैदानी इलाके से मिल जाती थी जहाँ खूब घने पेड़ पौधे थे. पर वह मैदानी इलाका ऐसा था जहाँ लोग बाग़ सैर करने भी आते थे. तब अजंता ने यह भी अंदाज़ा लगाया की हो सकता है इतवार का दिन होने के कारण वहां कुछ लोग हों, परन्तु गर्मी का मौसम होने की वजह से ११ या १२ बजे तक लोग ज्यादातर अपने घरों में सिमट जाते हों और उन्हें उस इलाके में कोई न मिले. क्योंकि उस मैदान इलाके के बाहर हो गाडी खड़ी करके अजंता पुलिस के आदमी लेकर धावा बोल सकती थी. 
इसके अलावा वह फार्म हाउस ऐसी जगह था जहाँ आस पास और कोई घर या ईमारत नहीं थी , लेकिन खुली जगह होने के कारण,वहां पर कोई भी आगुन्तक यह गाडी दूर से ही नज़र आ सकते थे. 
जब अजंता ने यह बात कमिश्नर साहब से शेयरकी तो उन्होंने कहा की अजंता तुम जैसे इस मिशन को करना चाओ करो. मैं तुम्हारे पास अपने १० आदमी भेज रहा हूँ और तुम जैसे ही वहां हमला करके अंदर घुसोगी मुझे तुरंत इतल्ला करना . मैं भी कुछ फोर्स लेकर वहां आजाऊंगा.
पर अजंता एक समस्या है 
अजंता - क्या सर
कमिश्नर - मैं बुर्के में केवल ५ आदमी दे सकता हूँ क्योंकि फुल लेंथ बुर्के नहीं हैं इस से जयादा - जैसा की तुमने खुद कहा था की बुर्के ऐसे हों की आदमी के पैर भी छुपे रहे.
अजंता - सर मेरे पास एक बुरका है परन्तु में अपने पैर _ _ _ ठीक है में साड़ी पहन कर जाउंगी. आप लेकिन बाद में फाॅर्स लेकर आ जाईये क्योंकि मेरे पास आदमी ज्यादा नहीं होंगे और उसके फार्म हाउस में गुंडों की फौज है.
कमिश्नर - ठीक है.और हाँ अजंता - मुझे एक उड़ती हुई खबर यह भी मिली है की दुर्जन के खात्मे और टाइगर के अन्य अड्डों पर हमले से यह लोग सावधान हो गए हैं और अपना ठिकाना बदलने की सोच रहे हैं.
फिर तो जल्द ही कुछ करना होगा -अजंता ने कहा 
उधर शैतान सिंह अपने बैडरूम में छुपा हुआ था और एक फ़ोन कॉल में व्यस्त था.पर उसे यह नहीं मालूम था की न केवल उसके फ़ोन टेप किये जा रहे हैं अपितु उसकी हर हरकत पर नज़र भी रखी जा रही है
शैतान सिंह - क्यों टाइगर भाई कल का प्रोग्राम पक्का है न
उधर से आवाज़ आयी - अबे शैतान सिंह के बच्चे ? हमेशा ऐय्याशी की बात ही सोचता है. तेरी उस मातहत अजंता ने हमे कितना तभा किया कुछ ध्यान है तुझे 
शैतान सिंह - जानता हूँ टाइगर भाई. अगर कमिश्नर का हाथ उसके सर पर न होता तो मैं उसे कब का कच्चा चबा जाता.
टाइगर - रहने दे. तेरे बस का कुछ नहीं 
शैतान सिंह - टाइगर भाई - अजंता का ज़रूर कुछ न कुछ करेंगे. मुझे अब कल का प्रोग्राम बताओ.
टाइगर - कल सुबह ११ बजे आ जा माँ के अड्डे पर. तुझे ऐश करवाएंगे और हाँ कल १० लड़कियां स्वामी की आश्रम पर पहुंचने हैं. और सुन - तुझसे कहा था पांच लड़कियां और चाहिए. - स्वामी कह रहा था की सऊदी अरब के शेख ने तगड़ा माल देने को कहा है. - तो अपनी भी बहुत तगड़ी कमीशन होगी.
शैतान - हाँ टाइगर भाई में कोशिश कर रहा हूँ - शिल्लोंग में एक दो लेडीज हॉस्टल में बात की है - कुछ न कुछ इंतज़ाम होगा. कल आप भी होंगे न.
टाइगर - नहीं मैं अभी कुछ दिन बाहर नहीं आऊंगा. तू माँ से सारी बात कर लेना.
शैतान सिंह - ठीक है टाइगर भाई.
शैतान सिंह ने फिर फॉलो देवी को फ़ोन लगाया - प्रणाम माताजी 
उधर से बहुत कर्कश आवाज़ आयी - औए कुत्ते कमीने भड़वें - मुझे माताजी मत कहा कर 
शैतान - गलती हो गयी फॉलो देवी. कैसी हो.
फॉलो देवी - तेरी माँ के भोंसडे जैसी. (आवाज़ से लग रहा था की पान चबा रही है).
शैतान सिंह - क्या बात है फॉलो देवी - बहुत गुस्से में हो.
फॉलो देवी - तुझ जैसे निकम्मे, मरे हुए कुत्ते को हड्डी डाली - और तूने हमारे लिए क्या किया 
शैतान सिंह - पहले टाइगर भाई खूब गाली दिया और अब आप _ _
फॉलो देवी - तो क्या पकड़ के तेरी गांड चाटुन गन्दी नाली के सूअर एक एक करके धंधों का सत्यानाश हो रहा है और तो बैठा मोटा होइ जा.
शैतान सिंह - फॉलो देवी वो _ _ _वो 
फॉलो देवी - अब जल्दी भौंक क्यों फ़ोन किया
शैतान सिंह - टाइगर भाई ने कल का प्रोग्राम _ _
फॉलो देवी - हाँ हाँ याद है. फार्म हाउस में आजाना. पर याद रखना - अब अगर हमारा कोई काम धंधा या अड्डा बंद हुआ तो तेरी पेशाब वाली नली काट कर तुझे हिजड़ा बना दूँगी- कहकर उसने फ़ोन पटक दिया.
शैतान सिंह की रूह कांप गयी और वह मन ही मन अजंता को कोसने लगा- उफ्फ्फ इस इंस्पेक्टर अजंता ने तो सब कुछ चौपट करके रख दिया.
क्या करूँ. चलो कल अड्डे पर जाकर थोड़ी ऐश करता हूँ. फिर इस फॉलो देवी से ही बात करके कोई हल निकलवाता हूँ.यह सोच कर वह सो गया.
अगले दिन शैतान सिंह छुपता छुपाता टाइगर के अड्डे पर पहुँच गया.
सबसे पहले तो तो उसे फॉलो देवी ने खूब झाड़ा और धमकाया. वह सचमुच अपनी मन मर्यादा भूल कर उस ऐय्याश औरत के पांव पड़ गया और कहा की भविष्य में सब ठीक होगा.
फॉलो देवी - ठीक है. तेरे लिए आखरी मौका है शयतान सिंह. अब अगर कहीं भी हमारी तबाही हुई तो साथ ही साथ तू भी बर्बाद हो जायेगा.
अच्छा यह अत की वह जो शिल्लोंग से माल आने वाला था वह कब आएगा. तूने कुछ इंतज़ाम किया या नहीं.
शैतान सिंह - हाँ मैंने काम से काम वहां से १० लड़कियां मंगवाई हैं. आपका आदमी फुकन सिंह है न - उसे मैंने बोल दिया था. आज कल में माल आ जाना चाहिए.
फॉलो देवी - ठीक है फिर एक शराब सर्वे करती हुई लड़की से बोली - जा वह जो आज नयी लड़की आयी है हमारे एस. पी. साहिब को उसके दर्शन करवा. जा शैतान सिंह आज ऐश कर ले.
शैतान सिंह की जीभ कुत्ते की तरह लपलपाने लगी और वह अंदर ऐसे भIगा जैसे कोई अत्यंत भूखा खाने के पीछे दौड़ता है. शैतान सिंह ने कमरे में घुसते ही देहा की एक कैबरे डांसर जैसी अर्ध नग्न युवती को बड़े ही मादक अंदाज़ में बिस्टेर पर एक शराब की बोतल के साथ लेते हुए पाया वह युवती आज शैतान सिंह के लिए बुक्ड थी. शैतान सिंह उसे देखते ही उत्तेजित हो उठा और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया.
थोडिन देर के बाद ही एक लड़का फॉलो देवी के पास आया – मैडमजी, मैडमजी 
फॉलो देवी जो की एक बहुत ही बेशकीमती सोफे पर बेथ कर सिगरेट पी रही थी ज़ोर से बोली - क्या है बे टुकड़े - माँ मर गयी क्या तेरी?
वह लड़का - बाहर कुछ लोग आये हैं और बुर्के में कमसे कम १० लड़कियां. उनके साथ आया एक आदमी बता रहा है की वह शिल्लोंग से आये हैं.
फॉलो देवी की आँखे चमक उठी - अच्छा ? तो बेवकूफ देख क्या रहा है - जा उन्हें जल्दी लेकर अंदर आजा.
तभी वहां दो -तीन आदमी और उसके साथ कुछ लड़कियां थीं जो सिर से पैर तक बुर्के में ढकी हुई थीं.
उनमे से एक आदमी ने फॉलो देवी को सलाम किया और कहा की शैतान सिंह जी ने यहाँ पर इन्हे लाने को कहा था और यह की हम बहुत ज्यादा बचते बचाते आ रहे हैं.
फॉलो देवी - तुम यह सब लड़कियां जो लाये हो इन्हे में देखना चाहूंगी. और हाँ यह बताओ की हमारे फार्म हाउस से ५० कोस दूर चौकी से तुम इन्हे सही सलामत कैसे लाये - यहाँ पर तो पुलिस की काफी नाकाबंदी है. 
तभी एक बुर्के वाली ने बड़ी फुर्ती से बुरका हटाया और रिवाल्वर निकाल ली. इससे पहले की फॉलो देवी कुछ समझती ज़ोर से तीन गोलिया चलीं और उस कमरे में उसके दो आदमी ढेर हो गए. 
देखते ही देखते सबने (उन दो - तीन आदमियों ने भी) बुर्के हटाकर बंदूकें तान लीं. उस लड़की ने आदेश दिया - भून दो इसके आदमियों को 
थोड़ी फायरिंग के बाद ही वहां फॉलो देवी की आदमियों की लाशें बिछ गयीं. फॉलो देवी एक दम हैरान और परेशान हो गयी की यह क्या हो गया. वह लड़की और कोई नहीं इंस्पेक्टर अजंता थी जिसने बुर्के के नीचे एक शिफॉन की गुलाबी साड़ी और मेल खाता ब्लाउज पहना हुआ था और जो इस समय किसी शेरनी से कम नहीं नज़र आ रही थी.
अजंता ने फॉलो देवी को बालों से पकड़ लिया और अपने कुछ आदमियों को आदेश दिया की वह बाहर जाकर बाकी के आदमियों पर फायरिंग शुरू कर दें.
अजंता ने फॉलो देवी को एक झटके से सोफे पर गिरा दिया और उसके कंधे पर पेर रख कर उसके माथे पर रिवाल्वर तान दी - क्यों फॉलो देवी पहचाना मुझे ?
फॉलो देवी भयभीत नज़रों से उसकी तरफ देखने लगी - नहीं _ __ कौन _ _
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता - वह अजंता जिसको तेरे भांजे प्रकाश ने फंसकर तेरे हवाले किया था और तेरे आदमियों ने जिसकी इज़्ज़त लूटनी चाही थी.
अजंता ने एक ज़ोर दार ठोकर फॉलो देवी के मुँह पर मारी जिससे उसके होंठ फट गए. - वह खौफ्फ़ और दर्द से मिश्रित होकर चीख उठी - अजंता तुम ?
अजंता - हाँ और आज में तेरा अंत करने आयी हूँ. 
अजंता पर जूनून सवार हो गया और वह उसे ठोकरें मारने लगी.
पर तभी धांये-२ की कुछ फायरिंग की आवाज़ ही और अजंता के आदमी ढेर हो गए. दरअसल जैसा अजंता का अंदाज़ा था वहां गुंडों की पूरी फौज थी और उसके मुक़ाबले अजंता के आदमी बहुत काम थे. जो पोलिसवाले बiहर फायरिंग के लिए गए थे उनमे भी कुछ ही बचे वो की वहां टाइगर के आदमियों की क़ैद में आ गए. तभी एक भीमकाय आदमी आया और अजंता से बोला - फॉलो देवी को छोड़ दो. अजंता ने ऐसा ही किया 
उस पर कुछ बंदूकें तन गयीं.
अब फॉलो देवी की बारी थी. उसने अपना खून पौंछा और आँखों में खूंखार भाव लिए उठ कड़ी हुई और उस भीमकाय आदमी से बोली - जम्बू इस तितली को पकड़ ले और जो कुछ साल पहले नहीं हुआ वो आज कर डाल - एक एक कपडा उतार दे और अच्छे से इसकी चुत फाड़ डाल - में नज़ारा खुद देखूंगी. चल शुरू हो जा. 
अजंता के कुछ आदमी उसकी गिरफ्त में थे फॉलो देवी बोली - अजंता रानी अब इससे मुक़ाबला करो . जीत गयीं तो ठीक वरना - वह एक क्रूर हंसी हंसने लगी - याद रख तेरे आदमी हमारे कब्ज़े में हैं. - जम्बू आ तेरे लिए बड़ी स्वाद चीज़ है यहाँ.
जम्बू ने अजंता की ओर देखा - गुलाबी साड़ी ओर ब्लाउज में उसकी खूबसूरती को चार चाँद लग गए थे. उसकी लार टपकने लगी. इससे पहले अजंता कुछ समझ पाती उसने तुरंत उसे अपने कंधो पर उठा लिया और बैडरूम की और भागा .अजंता ने पर पटकने शुरू किये पर कोई लाभ न हुआ. पीछे पीछे फॉलो देवी भी आ गयी और बैडरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया. अगले पल अजंता ने खुद को बिस्तर पर पाया. उसने बड़ी ज़ोर से उसे बिस्तर पर पटक दिया था की अजंता का शरीर एक बार गद्दे पर गिर कर उछाल गया. जम्बू अजंता पर टूट पड़ा और फॉलो देवी ने शराब की बोतल खोल ली.
उसने अजंता का हाथ पकड़ कर पीछे से मोड़ा तो वह चीख उठा - नहीं छोड़ मुझे. जम्बू और फॉलो देवी अट्टहास लगाने लगे. 

फॉलो देवी - जम्बू आज अच्छे से इसका बलात्कार कर डाल . बहुत कूदती है यह साली थानेदारनी. और इसी की में ब्लू फिल्म भी बना रही हूँ. 
अजंता - बहुत पछतायेगा जम्बू.
पर जम्बू पर इसका असर नहीं हुआ और वह अजंता पर टूट पड़ा और उसे नोचने खसोटने लगा. अजंता भी संघर्ष करने लगी. जम्बू बहुत शक्ति शाली था. उसने अजंता का पल्लू पकड़ कर सरका दिया और उसकी साड़ी का वह हिस्सा बिस्तर के नीचे सरक गया अब उसका नानग पेट और नाभि और ब्लाउज से उभरे हुए बड़े बड़े पिल्लू जम्बू को निमंत्रण दे रहे थे. 

जम्बू तो जैसे पागल हो गया - वह फॉलो देवी जी वह - क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं. आज तो मजा आ गया. और वह अजंता को पागलों की तरह चूमने लगा. उसने उसके दोनों हाथ आएं बाएं अपने हाथों से जकड लिए. अजंता ने अपनी टाँगे उठा कर वी के आकार में मोड़ दीं और जम्बू के सीने में ठोकर मार दी. जम्बू एक और गिरा और अजंता उठ कर भागी परन्तु जमाबू ने लेते हुए ही अजंता की साड़ी का पल्लू थाम लिया और उसे खींचने लगा. अजंता को अपने पेटीकोट में कुछ हरकत महसूस हुई पर इसे पहले की वह कुछ और सोचती उसकी गुलाबी साड़ी जम्बू के हाथ में थी. उसने उससे वापस साड़ी लेने का प्रयास किया परन्तु जम्बू ने वह साड़ी बिस्तर के कोने में उछाल कर फेंक दी. जम्बू की नज़र अजंता के नंगे और हलके से उभरे पेट और नाभि की ओर थी जो की इस समय अपनी अवस्था में क़यामत ढा रहे थे. 

अजंता इस समय केवल पेटीकोट ओर ब्लाउज में थी. इस अर्धनग्नवस्था में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उसने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया और जम्बू का मुक़ाबला करने लगी. दोनों अपने दांव एक दुसरे पर खेल रहे थे. तभी जम्बू ने अजंता को फिर से जकड़ने की कोशिश की पर वह दरवाज़े के निकट आ गई और उससे याचना करने लगी - नहीं जम्बू मुझे छोड़ दो प्लीज . मैं यहाँ से चली जाउंगी. और उसकी आँखों मैं आंसू आ गए. वह जम्बू के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी

फॉलो देवी और जम्बू बड़ी ही खूंखार हंसी हंसने लगे. अजंता के याचना से भरे स्वर से उन्हें अपनी विजय का आभास होने लगा.
जम्बू - फॉलो देवी तुम तो कहती थी बड़ी खतरनाक चीज़ है. यह तो बड़ी ही नाज़ुक है. इसकी तो में अभी सील तोड़ देता हूँ. कहकर जम्बू ने अपने लंगोट उतार दिया. उसका ८ इंच लम्बा मोटा तना हुआ लिंग एक दम सामने की ओर उठ गया ओर अर्धनग्न अजंता के सामने एक तोप की भाँती खड़ा हो गया. अजंता के चेहरे पर डर ओर घबराहट से मिश्रित भाव आ गए.जम्बू अजंता की ओर बढ़ने लगा. 
अजंता डर से चीखी - नहीं नहीं 
तभी जम्बू ने अपना पिस्तौल निकाला और अजंता पर तान दिया. अजंता एक दम खड़ी हो गयी 

जम्बू - चल बिस्तर पर पहुँच. अजंता चौक्कनी थी पर उसकी बात मानने की अलावा कोई चारा नहीं था उसके पास.
वह बिस्तर पर बेठ गयी 
जम्बू - चल अपना ब्लाउज उतार. जल्दी से.
अजंता के हाथ अपने सीने पर गए और वह अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी. हुक खोलते ही मानो दो सफ़ेद पर्वत सामने की ओर उभर आये हों.

अजंता ने अपना ब्लाउज उतार दिया ओर जम्बू उसकी ब्रा में से निकल रहे दो बड़े बड़े तने हुए उरोजों को बड़ी ललचायी नज़र से देखने लगा .
जम्बू - चल अपनी ब्रेज़री निकल.
अजंता के हाथ पीठ की ओर मुद्दे ओर उसने ब्रा खोल कर उतार दी. अब ऊके नंगे बड़े बड़े पिल्लू जम्बू को पागल बनाने लगे.

अब उठ कर मेरे सामने आ जा 
अजंता अपने दोनों हाथों से सीना छुपाती हुई सामने आगयी
लेकिन तभी - अजंता का पाँव एक दम फिसला ओर उसका शरीर नीचे फिसलता हुआ जम्बू के निकट जा पहुँच. उसने अपनी टांगें उठायीं ओर ज़ोर से सैंडल की नोक से जम्बू के गुप्त अंग पर वार किया. यह इतना जल्दी हुआ की कोई कुछ नहीं समझ पाया. अजंता ने भयभीत होने का केवल नाटक किया था जिससे जम्बू कुछ लापरवाह हो जाये. जम्बू ज़ोर से चीखा. अजंता ने मौका गंवाए बिना एक ओर ठोकर वहीं पर मारी और एक शेरनी की फुर्ती से उठा खड़ी हुई . उसने तुरंत फॉलो देवी के हाथ से बोतल छीन ली और उसे दीवार से टकरा कर तोड़ दिया. बिना एक पल गंवाए उसने उस टूटी बोतल का हिस्सा फॉलो देवी के मोह पर मारा जिससे वह लहूलुहान होकर चीख उठी. जम्बू भी अपना अंग पकड़ कर बैठा था. अजंता ने घुमा कर उसके चेहरे और शरीर के कई भागों पर वार किया 
इतने में बाहर फायरिंग की आवाज़ आने लगी.
जम्बू बिलकुल ही अधमरा हो गया . अजंता अब उस पर झुकी और उसके हाथ में टूटी हुई बोतल थी. उसने नोकीला हिस्सा जम्बू के अंग पर टिका दिया.जम्बू चीख उठा - नहीं नहीं 
अजंता की आँखों में खून उतरा हुआ था - मुझे याद है जम्बू - यह तेरी मेरी पहले मुलाकात नहीं. उस दिन भी तू ही था जिसने इसके कहने पर मेरी चोली उतार केर फेंक दी थी. 
और उसने ज़ोर से जम्बू के अंग पर वार किया. एक खून के फव्वारे के साथ जम्बू की ज़ोरदार चीख उभरी और वह ठंडा होकर गिर गया.फॉलो देवी भी एक ओर गिरी कराह रही थी. अजंता के ऊपर भी कुछ खून के छींटे पड़ गए थे. वह टूटी बोतल को हाथ में लेकर उठ खड़ी हुई.
अजंता ने झट से अपनी ब्रा ओर ब्लाउज पहन लिया
इतने में दरवाज़ा ज़ोर से खुला. आगुन्तक ओर कोई नहीं खुद कमिश्नर साहिब थे. - अजंता तुम ठीक हो न. 
अजंता - हाँ सर 
कमिश्नर - ठीक है तुम अपने कपडे ठीक कर लो. हमने इनके आदमी मार दिए हैं. अब शैतान सिंह को गिरफ्तार करना है. 
अजंता - मैं आती हूँ सर. इस फॉलो देवी को भी हिरासत में लेना है 
फॉलो देवी को गिरफ्तार कर लिया गया ओर अजंता अपनी साड़ी उठा कर पहन ने लगी. साड़ी पहन कर वह बाहर आयी और अपनी रिवाल्वर उठा ली. फिर वह सब कमरों में शैतान सिंह को ढूंढ़ने लगे.
एक कमरे में शैतान सिंह भी उस युवती के साथ गुलछर्रे उड़ाता बिलकुल नग्न अवस्था में मिल गया. वह पुलिस और कमिश्नर को देख कर बुरी तरह सकपका गया. 
कमिश्नर - उठो शैतान सिंह अब तुम्हर खेल ख़तम. शर्म आती है तुम जैसे नीच अफसरों पर. 
शैतान सिंह ने बड़ी मुश्किल अपना नंगा शरीर ढका. अजंता ने उस पर रिवाल्वर तान दी और कॉन्स्टेबल्स ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 
बचे हुए सारे आदमी गिरफ्तार हो गए.
वापसी पर अजंता कमिश्नर साहिब के साथ थी. 
कमिश्नर - वेळ डन अजंता .अनादर फैदर इन योर कैप 
अजंता - नहीं सर बिना आपकी मदद कुछ भी मुमकिन नहीं था.अब शैतान सिंह से टाइगर के बचे खुचे धंधे और उस स्वामी के बारे में उगलवाते हैं. 
कमिश्नर - हाँ यह कार्यवाही हम कल से शुरू कर देंगे. 
अजंता - मैं टाइगर को ख़तम किये बिना चैन से नहीं बैठूंगी.
कमिश्नर - विक्की तो मेहफ़ूज़ है ना 
अजंता - हाँ सर.
शैतान सिंह को एक अतयंत मेहफ़ूज़ ओर गुप्त स्थान पर क़ैद रखा गया ओर पुलिस सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी.कमिश्नर साहिब ओर अजंता दोनों ही नहीं चाहते थे की अब कोई चूक हो जिससे वह अपने मक़सद में काम होने से रह जाएँ. उनका सबसे पहला मक़सद था उस स्वामी की अड्डे की बिलकुल ठीक लोकेशन ओर उसके अन्य धंधों के बारे में पता लगाना. 
शैतान सिंह से अगले ही दिन पूछ ताछ शुरू हो गयी. ज़रा सी सख्ती के बाद उसने स्वामी के बारे में बताना शुरू कर दिया. अजंता ने जो कुछ भी सुना था वह काफी मिलता जुलता था. 
शैतान सिंह ने आस पास के घने जंगलों का नक्शा मंगवा कर उस पर बताना शुरू कर दिया. शहर के दक्षिणी भाग से मेघालय से एक ओर मुड़ कर बांग्लादेश की तरफ एक रास्ता जाता था जहाँ घने जंगल थे.
अजंता ने तुरंत उसक नक्शा मंगवाया ओर शैतान सिंह से कहा - आप हवा में बातें न करें. हमे पूरी जानकारी चाहिए. 
शैतान सिंह ने उस नक़्शे पर बताना शुरू किया ओर उसके पास जो भी जानकारी थी वह उसने वहां के इलाके की दे डाली. अजंता हैरान रह गयी जब शैतान सिंह ने जंगलों के अंदर के फोटो उसे दिखाए. यही हाल कमिश्नर साहब का भी था - शैतान सिंह इतना कुछ हो रहा था ओर तुम पुलिस विभाग को धोखा देते रहे. 
उन फोटोज में साफ़ दिख रहा था की जंगल से कुछ हटकर स्वामी का एक बहुत बड़ा आश्रम जिसका एक हिस्सा मठ की तरह था जो किसी आश्रम से कम नहीं था उसमे जाने के दो रास्ते थे. वहां से बहुत कुछ स्मगल होकर बांग्लादेश जाता था ओर स्वामी नई तो जैसी जंगल में अपनी चौकियां ही बनाई हुई थी.
स्वामी के उस विशाल चक्रर्वियूह का तोडना इतना आसान नहीं था. यहाँ तक की उसके बंगले तक पहुंचना भी. उसके लिए एक फूल प्रूफ प्लान की ज़रुरत थी. शैतान सिंह ने बताया की आजकल स्वामी सिंगापुर में है क्योंकि वहां पर एक अड्डे पर पुलिस की रेड पड़ गयी थी पर वह बहुत जल्द हिंदुस्तान में आ रहा है. अजंता ने अंदाज़ा लगा लिया की इन चौकियों की नज़र बचा कर या इन्हे बर्बाद करके ही समय के आश्रम पहुंचा जा सकता है. क्योंकि जंगल में एक चौकी थी जो की स्वामी के बाहरी हिस्से वाले स्थित बंगले से पूरी तरह कनेक्टेड थीं और स्वामी के बंगले में जाने का अर्थ था यहाँ से हुए जाना. चौकी पर कम से कम 5 आदमी तैनात थे जो पल पल की खबर स्वामी के बंगले में पहुँचाने के लिए पूरी तरह सक्षम थे. और शहर से होते हुए उस चौकी पर जाने के लिए एक बहुत ही दुर्गम मार्ग था जिसमे एक छोटी सी पहाड़ी और नदी का हिस्सा आता था. पर सबसे बड़ी कठिनाई थी की उस दुर्गम मार्ग का पता ऐसे नक़्शे से नहीं चल पा रहा था और वह जंगल में जाकर ढूंढ़ना और पूरी तरह उसे पता लगा कर आगे जाना कोई सरल काम नहीं था. उसके बाद उस पहाड़ी को ही पार किया जा सकता था और गाड़ी से नहीं अपितु पैदल ही पार किया जा सकता था और यह एक दिन का कार्य नहीं था. इसका मतलब अजंता और उसके पुलिस वालों को यहाँ कैंप लगIनI पड़ेगा एक या दो रात के लिए. इस चौकी के पास एक गांव था और वही एक ऐसा स्थान था जहाँ से उस आश्रम से कुछ ही दूरी तक कोई सवारी मिलती थी. अजंता गहरी सोचों में डूबी थी. 
वह यही सोच रही थी की कैसे उन जंगलों में जायI जाये. और किसी भी हालत में पुलिस की वर्दी में तो जाने का मतलब ही नहीं था. अगर सीधे आक्रमण से स्वामी के एक दो आदमी भी बच जाएँ और उसके आश्रम तक खबर पहुँच जाये तो वह सावधान होकर भाग सकता था. किन्तु ही नहीं उसे आखिर में यह भी प्लान करना था की अगर वह मठ पर पहुँच जाती है तो किस प्रकार से वह वहां पहुँचने के बाद पूरी पुलिस फार्स को बुलाने का तरीका निकलेगी - स्वामी अघोर बाबा - अब में तुझे नहीं छोडूंगी - अजंता मन ही मन बोली
 
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स्वामी का आश्रम
बहता हुआ पानी पहाड़ों के बीच से बह रहा था. पानी का रंग तो मानो दूध की तरह सफ़ेद था और जिस और से पानी बह रहा था. ऐसा लग रहा था की कई अप्सराएं एक के बाद एक अपनी कमर को लचकाते हुए उन छोटे छोटे पहाड़ों के बीच से नाचती हुई गुज़र रही हैं. और यह दख कर अजंता को को अपना बचपन याद आ गया की कैसे गांव के पास बने इन झरनो की बीच वह नहाया करती थी. अजंता ने एक सफ़ेद शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी जिसमे
उसका रूप निखार आया था और गोरा गुलाबी बदन और भी अधिक सुन्दर लग रहा था. उसके चाँद से चेहरे पर मुस्कराहट खिल उठी. तभी उसके मन में विचार आया. उस वीरान जगह पर वह अकेली थी. फिर भी उसने इधर उधर देखा और एक छोटे से कोने में ओट ली जो की झरने के किनारे के पास था. उसकी नज़रें नीचे को झुकी और वह अपनी साड़ी उतारने लग गयी. साड़ी उतार कर उसने एक कोने में रख दी 
और उसके बाद उसकी उँगलियाँ अपने ब्लाउज के मध्य में गयी. अजंता ने अपने ब्लाउज के हुक खोलकर उसे भी उतार दिया और साड़ी के ऊपर ही रख दिया. अब उसके उरोज जो की ब्रा के बाहर आने को मचल रहे थे, की मध्य रेखा काफी हद तक उजागर थी बल्कि उरोजों का काफी हिस्सा नंगा होकर ब्रेज़री से बाहर आने को बेताब था. 
उसके हाथ पीठ की ओर गए और उसने अपनी ब्रेसियर का हुक खोल दिया और कंधो से स्ट्रेप हटाकर उसे भी उतार दिया. उफ़ _ बड़े बड़े दो कलात्मक अजंता कीमूरत से उसके दोनों स्तन अब नंगे थे. अजंता ने दोनों हाथों से अपने उरोज हलके से दबाये और एक अंगराई ली - ओह माई पिल्लू .वह बोल उठी.

उसके बाद उसने पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे पकड़ा कर अपनी बड़ी बड़ी छातियों को धक् लिया और ऊपर ही नाडा बाँध लिया. वह उस झरने में कूद पड़ी और बहते हुए ठन्डे पानी का आनंद उठाने लगी. अपने हाथों से वह पानी की लहरों से खेल रही थी. नहाते हुए अजंता को गुनगुनाना बहुत पसंद था वह हलके से गाने लगी और साथ साथ नहा रही थी. तभी अचानक उसके पैरों को कोई नीचे से खींचने लगा. वह एक दम घबरा गयी और उसने ऊपर आने को कोशिश की. पर खींचने वाले की पकड़ा काफी मज़बूत थी. वह जितना ऊपर आने की कोशिश करती उतना ही खींचने वाला उसे नीचे की ओर खींच रहा था. तभी दो बड़े बड़े मज़बूत बाज़ू पानी के ऊपर उठे और अजंता के इर्द गिर्द घूम गए. अजंता जो की अभी अपने वक्षस्थल तक पानी में थी तड़पने लगी. अचानकुण्डों हाथों ने अजंता के पेटीकोट का नाडा खोल दिया. और अजंता का पेटीकोट उसके शरीर से फिसल कर झरने के ऊपर तैरने लगा. अजंता ासाहस्य अपने पेटीकोट को देख रही थी पर मज़बूत बाज़ुओं में जकड़े होने के कारण वह कुछ न कर पायी. उसका श्री अब बिलकुल नंगा था. और उन हाथों की पकड़ और भी अधिक मज़बूत होती जा रही थी.अजंता ज़ोर से चिल्लाने लगी.
थर्र्र थरर्र्र टर्रर्र - तभी अजंता के फ़ोन की घंटी बजी और वह घबराकर उठ बैठी. उसने पाया की वह सपना देख रही है. उसका पूरा बदन पसीने से पानी पानी हो रहा था 
थैंक गॉड यह सपना था - वह स्वयं से कह उठी.
तभी अजंता ने झट से फ़ोन उठाया -यस सर
कमिश्नर - अजंता सॉरी -लगता है तुम गहरी नींद में हो
अजंता - इट्स ओके सर. में आपके ऑफिस आती हूँ फिर बाकी बात करते हैं.
कमिश्नर - ठीक है
अजंता पुलिस की यूनिफार्म में माथे पर बिंदी और सिर पर पुलिस की कैप बेहद आत्मविश्वास के साथ चलती हुई कमिश्नर साहिब के ऑफिस में पहुंची 
अजंता - जय हिन्द सर
कमिश्नर - जय हिन्द . बैठो. अजंता में तुम्हे यह बताना चाहता हूँ की शैतान सिंह से हमने और पूछ ताछ की. हमे शैतान सिंह से किसी अन्य जानकारी का पता नहीं लगा. हाँ एक बात उसने कही की वह एक दो बार स्वामी के आदमियों के संपर्क में आया तो उसने चीते के पांव जैसे शब्द कई बार सुने.
अजंता ने दोहराया - चीते के पांव - कहीं इसका सम्बन्ध उस दुर्गम मार्ग से तो नहीं. 
कमिश्नर - कुछ कहा नहीं जा सकता. अजंता जंगल तो तुम्हे जाना ही होगा और वह भी अन्य वेश में. तुम्हारे साथ २ से जयादा आदमी भी नहीं होंगे. हाँ वहां का फारेस्ट डिपार्टमेंट है जो तुम्हारे साथ जो भी चाहे सहयोग हो देगा.
अजंता - ठीक है सर. मेरा एक प्लान है 
और वह अत्यंत धीमे स्वर में कमिश्नर साहेब से कुछ कहने लगी.
अगले दिन अजंता ने जंगल जाने की तैयारी कर ली. उसने एक काले रंग की जारजट की पारदर्शक साड़ी पहनी जिसमे उसका रूप खूब खिल रहा था. और साथ ही में सफ़ेद स्लीवलेस ब्लाउज. 


उसके साथ दो कॉन्स्टेबल्स भी थे जो की सादी वर्दी में थे. काली साड़ी में अजंता का स्पॉट पेट और गोल नाभि उभर कर दिख रहे थे और वह बहुत सुन्दर लग रही थी.


वह लोग जंगल में एक रिसर्च स्कॉलर की भाँती जा रहे थे जो की फूल पत्तियों पर शोध कार्य करते हैं उनके पास ऐसी कोई वस्तु न थी जो की उनके पुलिस डिपार्टमेंट से होने से तलूक रखती हों. हाँ अजंता ने अपना आइडेंटिटी कार्ड ऐसे छुपा के रखा था की कोई तलाशी भी ले तो न जान सके. उनके पास एक साधारण गाडी थी जिसमे कैंप करने का सामन और एक ड्राइवर था जिसे की सफर की एक सीमा तक ही उनके साथ रहना था.
उसके साथ दो कॉन्स्टेबल्स थे राम सिंह और श्याम जो की कमिश्नर साहिब के ऑफिस से थे और जिन्हे खास तौर पर इस मिशन के लिए यह कह कर भेजा गया था की उन्हें बोलना काम और काम पूरा करना है जैसा की अजंता कहे और गोपनीयता बना कर रखनी है.
अजंता ने जंगल तक का सफर तय किया और वह वहां के फारेस्ट विभाग में पहुंची.फारेस्ट अफसर अजंता की ही वेट कर रहा था.अजंता जैसे ही उसके केबिन में अंदर गयी वह खड़ा हो गया- गुड मॉर्निंग इंस्पेक्टर अजंता 
अजंता ने हाथ मिलते हुए - ओफ्फिसर इंस्पेक्टर अजंता नहीं रिसर्च स्कॉलर अजंता -मेरा मतलब दीवIरों के भी कान होते हैं.
अफसर मुस्कुराया - जी मैडम. अच्छा मैंने आपके और आपके आदमियों के लिए कुछ चाय और नाश्ते के इंतज़ाम किया है. फिर हम काम पर लाग जायेंगे.
अजंता मुस्कुरायी - बिलकुल सर - हमे भूख भी लगी है. 
नाश्ते के समय फारेस्ट अफसर ने अजंतासे कहा - मैडम आपके साथ हमारे विभाग के दो लोग रहेंगे जब तक आप अपनी फाइनल लोकेशन को लोकेट नहीं कर लेतीं और हमरे पास सूटेबल इक्विपमेंट और यन्त्र भी हैं जिससे आप जो ढूँढ़ने आयी हैं वह सहयक रहेगा. बट मैडम वोई नीड तो बे लकी फॉर देट.
अजंता - क्या मतलब
अफसर - मैडम हम आपको इसकी शुरुआत तो खुद ही दे देंगे. पर उसके बाद का ट्रैक मिलना. मेरा मितलाब यह एक हिट एंड ट्रायल जैसा काम है.
अजंता - अफसर जब इरादे पक्के हों और पूरी डेटर्मिनेशन तो में समझती हूँ कोशिशों को कामयाब होने में देर नहीं लगती. आयी ऍम शोअर की आपने जो म्हणत अभी तक की है हमे शुरुआत से ही कामयाबी मिलेगी.
फारेस्ट अफसर - जी मैडम में भी कुछ वक़्त आपके साथ ही होऊंगा.
नास्ते के बाद अजंता के गाडी और फारेस्ट विभाग के तीन लोग (जिसमे अफसर भी शामिल था) जंगल की और निकल पड़े. 
कुछ दूर जाने के बाद एक जगह उस अफसर ने गाडी रोक दी. और अजंता को एक कोने में ले गया. मैडम - यह देखिये हमने कल यहाँ एक निशान लोकेट किया है जो की चीते के पांव जैसा है. में समझता हूँ की हमे यही से शुरुआत करनी चाहिए.
अजंता ने एक कोने में देखा उसने उस निशान की एक फोटो ली और विभाग के एक आदमी को एक यन्त्र निकलने को कहा -उसने मोबाइल जिससे फोटो ली ठगी उसी यन्त्र में फिट कर दिया. कुछ आगे चलने पर उसे कुछ सिग्नल दिखे.
अजंता ने नीचे झुककर देखा तो वहां पास ही एक छोटी सी नदी थी और आस पास किनारे पर रेत. तभी उसने नीचे झुककर रेत एक एक हिस्सा उठाया.और जो उसने देखा उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी. उसने अपने साथ आये सब लोगों को वहां एकत्रित किया और कहा - यह देखिये.
जब प्रश्नसूचक दृष्टि से उसकी और देखने लगे. 
अजंता - अफसर मैंने आपसे कहा था की आपकी की गयी मेहनत कामयाब होगी. तो यह देखिये.
राम सिंह - मैडम हम कुछ समझे नहीं.

अजंता - रेत पर चीते के पांव के यह पक्के निशान. और इसे हाथ लगाकर देखें.
सबने देखा की वहां रेत के नीचे ज़मीन बहुत पक्की थी. 
अजंता - रेत के नीचे इतनी सख्त और पक्की ज़मीन ? यह कुदरती नहीं बल्कि बनाया गया है. आप आगे इस रास्ते पर चलें. सब चलते गए और देखा की उस यन्त्र की सहयता से कई जगह पर उन्हें चीते के निशान मिल गए.
अफसर - इसका मतलब मैडम हम उस होपफ़ुल्ली उस पहाड़ी को लोकेट करने जा रहे हैं जहाँ तक यह निशान हैं. क्योंकि यह एक बहुत ही सुनिश्चित और कहें तो एक रेगुलर रास्ता बनाया गया है. लेकिन यह बात नहीं समझ आ रही की इस रास्ते को खास तौर पर बनाने के पीछे क्या मक़सद हो सकता है. 
अजंता - यह तो सचमुच सोचने की बात है. और वह सोच में डूब गयी.
आगे चलते चलते उन्हें वह पहाड़ी नज़र आ गयी जिसको पार करके एक गाओं था और बगल में ही स्वामी ने अपनी चौकी बनवायी थी. उन्होंने वह सब लोकेट कर लिया और अपना आगे का प्लान तय कर लिया. लेकिन तब तक शाम हो चली थी. अजंता और उसके दो साथियों तथा फारेस्ट विभाग के दोनों लोगों ने कैंप लगा लिया. अजंता के लिए एक अलग से कैंप था जिसमे वह खुद ही थी. सब लोग थक चुके थे. वहां दोनों कॉन्स्टेबल्स ने लकड़ी जलाई कर रौशनी की, फिर उन्हें भोजन किया और साथ साथ ही चाय पी.
फारेस्ट विभाग के लोगों ने कहा - मैडम हम सुबह पहाड़ी पार कर के आपके साथ उस गांव की सीमा तक जायेंगे. उसके बाद का सफर आपको तय करना है. 
अजंता - ठीक है.
चाय और भोजन के बाद वह अपने कैंप में आ गए. उन लोगों ने जहाँ कैंप किया था वहां पर एक छोटी सी नहर भी थी. 
अजंता भी थक गयी थी. उसने अपनी साड़ी उतर कर टांग दी और उसके बाद अपने ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया. उसके बाद उसने अपने भीतरी वस्त्र भी उतार दिए और पूरी तरह से नंगी हो गयी. वह घर की भाँती पूरी तरह से सोने का सामन तो नहीं परन्तु एक हाफ क्रीम कलर की नाइटी और काले रंग की एक छोटी सी ब्रा और पेंटी लेकर आयी थी हालांकि वह सफ़ेद के अलावा कोई अन्य रंग के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनती थी या बहुत कम पहनती थी. 
यह सब वस्त्र उसकी नग्नता को छू[आने के लिए पर्याप्त नहीं थे. परन्तु अजंता को बस एक रात वहभी अकेले इस कैंप में गुज़ारनी थी. इस वेष्भुशा में उसका रूप निखार रहा था. उसकी ब्रा जो की एक मिनी ब्रा ही थी में से उसके बड़े बड़े पिल्लू बाहर आने को तैयार थे और आधे से अधिक नंगे थे. और उसकी लम्बी चिकनी और गोरी मुलायम टाँगे तो पूरी ही नंगी थी. 
उसने अपनी नाइटी की डोर बाँधी और लेट गयी. पर तभी उसे कुछ ध्यान आया और वह उठ गयी. उसने इधर उधर देखा तो पाया की उसके सब साथी सो गए थे. उसने अपना मोबाइल उठाया और नंबर लगाया - गुड इवनिंग सर .
उधर से कमिश्नर की आवाज़ आयी - गुड इवनिंग अजंता - व्हाट इस उप.

अजंता - सर हमने वह गांव लोकेट कर लिया है और अब एक चैलेंज एहि होगा की उस चौकी को पार करके स्वामी के आश्रम में घुसना. आयी होप मेरी दी हुई डिरेक्शंस से आप मुझे लोकेट कर रहे हैं. 
कमिश्नर - हाँ अजंता. और एक खबर यह है की स्वामी अभी दो दिन बाद ही हिंदुस्तान आ रहा है. 
अजंता - ठीक है सर शायद यह हमारे फेवर में ही हो. क्योंकि मुझे आश्रम में घुसकर जल्दी से पुलिस को यहाँ अटैक करने का रास्ता बताना है. अच्छा एक गौर तलब बात है.
कमिश्नर - क्या ?
अजंता - सर वह चीतः के पांव के निशान ही हमे हमारी मंज़िल तक लाये हैं.
कमिश्नर - गुड . इसका मतलब हमारा अंदाज़ा काफी हद तक सही था.
अजंता - सर सोचने लायक बात यह है की वह निशान कुदरती नहीं हैं और ख़ास तौर पर बनाये गए हैं. और दूसरी बात यह है की इस जंगल में चीता तो क्या कोई अन्य जंगली जानवर भी नहीं हैं.यह जंगल कहलाया ही इसलिए जा रहा है क्योंकि यह एक आइसोलेटेड जगह है. फिर यह निशान एक ऐसे बने हुए हैं जिनसे किसी का कोई भी मक़सद साबित नहीं होता. 
कमिश्नर - अजंता तुम कहना क्या चाहती हो.
अजंता -सर अगर आप सच पूछें तो में अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकती. पर में फिर कहूँगी की इस रास्ते कोई अन्य मक़सद नज़र नहीं आ रहा.अच्छा एक बात बताईये - जब आप शैतान सिंह से इसके बारे में पूछ रहे थे तो उसके क्या हाव भाव थे 
कमिश्नर - अजंता उसने सिवाए इसके की यह शब्द उसने स्वामी के आदमियों से सुने और कुछ नहीं बता पाया. और न ही उसके बात करने के तरीके में हमे कोई इस दौआर्ण कोई फर्क नज़र आया. अजंता - ठीक है सर. आप हमे ट्रैक करते रहिये. बाकि आपको में कल बताती हूँ.
कमिश्नर - ओके अजंता - बेस्ट ऑफ़ लक.
अजंता - थैंक यू सर
और अजंता गहरी नींद में सो गयी. जब अजंता की नींद खुली तो तक़रीबन सुबह के पांच बज रहे थे और अभी कुछ अँधेरा था. बाकि सब लोग अभी सो रहे थे. अजंता ने उनके जागने से पहले नहर में नहा कर तैयार होने का फैसला कर लिया. 

वह एक टोलिया रख कर नहर के किनारे पहुंची और उसने सुबह की ठंडी हवा में अंगराई ली. वातावरण काफ़ी मोहक था और आस पास का दृश्य मनोरम. 
अजंता ने नाइटगाउन की डोर खोल कर उसे उतर दिया. उसके बदन पर एक छोटी सी काली ब्रा और कच्ची मात्र रह गए. जिसमे उसका गुलाबी गोरा बदन उघड़ कर बाहर आ रहा था. उसने अपनी ब्रा और कच्छी भी उतार दी और पूरी तरह से अपने नंगे शरीर को नहर के हवेली कर दिया. नहर के ठन्डे पानी में नहाना उसे अच्छा लग रह था और यदि उसे जल्दी न होती तो वह और देर तक नहाती. वह अपने विभिन्न अंगों को हाथों से मलने लगी. 
उसके उरोज पानी में कर भी ज्यादा चमकने लगे. वह मुस्कुराती हुई नहा रही थी और इस बात से बिलकुल अनभिज्ञ थी की उसे दो आँखें दूर से देख रही हैं. न केवल देख रही हैं बल्कि उसकी तस्वीरें भी ले रही है. 
उसे निहारने वाली दो आँखों का स्वामी एक बहुत ही विचित्र सा दिखने वाला था - वह क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं. मज़ा आएगा. और वह अपनी धोती उतार कर अपना अंग जो की अजंता को देख कर उफान मार रहा था और एक दम तन कर खड़ा हो चूका था उसे रगड़ने लगा.और वह तब तक रगड़ता रहा जब तक उसकी बर्फ पिघल नहीं गयी.
इस बात से बेखबर अजंता नहर से बाहर आयी और अपने नंगे शरीर को तोलिये से पौंछ कर फिर से अपने वह कपडे पहन लिए. 
तब तक उसके साथी भी उठ चुके थे.
कुछ ही देर में सबने देखा की अजंता ने भगवा साड़ी पहन कर एक साध्वी के वेश अपना लिया था. पर इस साड़ी और वैसे ही ब्लाउज में वह काफी हसीं लग रही थी. जल्दी ही उसके कॉन्स्टेबल्स ने भी साधुओं के चेलों के भांति भगवा कपडे पहन लिए और कुछ वेश भी बदल लिया. अपने हाथों में उन्होंने कुछ वैसी सामग्री ली जिससे की वह कोई साधुओं की टोली नज़र आएं. कुछ दूर चलने के बाद उन्हें पहाड़ी नज़र आ गयी जिसको की नीचे से होकर गुज़ारना था. वहां पर एक छोटी सी गुफा थी जो की लगभग एक किलोमीटर पर थी. वहां रौशनी बहुत कम थी. और सब एक दम सावधानी से चलने लगे. एक ने टोर्च निकल ली. अजंता इधर उधर देखती हुई चल रही थी. तभी वहां उसे कुछ कागज़ के टुकड़े नज़र आये जिनमे किसी आदमी की आम लिखावट जो की बहुत अच्छी नहीं लेकिन बहुत ख़राब भी न थी. अजंता ने वह टुकड़े उठाये और पास ही एक छोटे से चबूतरे के पास खड़ी होकर उन्हें जोड़ने का यत्न करने लगी. सब लोग प्रश्नसूचक दृष्टि से उसके आस पास खड़े हो गए.
अजंता ने उन कागज़ों को जोड़ा तो उसको कुछ ऐसा लिखा मिला जो की आधा अधूरा था - निशानों की डिटेल्स - वह एक नक्शा भी बना था जिसमे कुछ एक जैसी मार्किंग थी - नीचे लिखा था चीते के पाँव. और वाले हिस्से पर किसी लीजेंड की तरह पांच अलग अलग रंगों के पत्ते बने हुए थे और सब पर १ से ५ तक गिनती लिखी थी. पास ही वैसे ही रंगों के कुछ पत्ते ज़मीन पर गिरे हुए थे. अजंता ने पिछले वाले हिस्से को और गौर से देखा तो उसमे दो लकीरें खींचकर एक सड़क की तरह दिखाया था और लिखा था गोपालपुर रोड. फिर उन्ही के मध्य से दो लकीरें विपरीत दिशा में खींच कर एक मार्ग बनाया था जिसमे वह पत्ते अलग अलग रंगों में अंकित होकर उससे एक निशान से जोड़ रहे थे. और उस निशान पर लिखा था - ASHRAM
अजंता तुरंत हरकत में आयी और सबको बुला लिया - और वह सब दिखाया जो उसने देखा. वन विभाग के अफसर ने तुरंत कहा - अरे मैडम गोपाल पुर रोड तो मेघालय और बांग्लादेश को _ _ _ उसने एक यन्त्र निकाला और उसे ऑपरेट करना शुरू कर दिया. जहाँ वह लोग खड़े थे उसके दाहिनी और एक बहुत बेदी लाल रंग की रौशनी उस यन्त्र से इशारा करने लगी. सबकी आँखों में चमक आ गयी. उन्होंने तुरंत पहाड़ी से निकल कर थोड़ा ऊपर चढ़ना शुरू किया तो उन्हें वह सब नज़र आ गया जो वह देखना चाहते थे. दूर एक बहुत भव्य आशाराम नज़र आ रहा था. दाहिनी ओर वहां एक गांव था ओर वहां से उन्हें सवारी मिलनी थी उस आश्रम की ओर जाने की. और गोपाल पुर रोड उस आश्रम के पिछले हिस्से में था.
अधिकारी - कॉन्ग्रैचुलेशन्स मैडम - मुझे लग रह है आपका आधा काम हो गया. 
अजंता - शायद. लेकिन अभी खुश होने का समय नहीं. आप यह काग़ज़ा संभल लें और इन्हे चिपका लें .और आपको अब क्या करना है मुझे बताने की ज़रुरत नहीं. 
अधिकारी - हाँ मैडम (इधर उधर देखते हुए) - में कल ही कमिश्नर साहिब से मिलूंगा - भेष बदल कर.
अब अजंता के सामने एक और भी समस्या थी - चौकी को लांघने की. उसने वन विभाग के अधिकारीयों को धन्यवाद् करके विदा ली और तीनो गांव की ओर चल पड़े.
गांव की सीमा पर ही चौकी थी. वहां उन्हें दो तीन गुंडे नज़र आने वाले लोग मिले. अजंता ने अपने मुँह घूँघट करके ढका हुआ था. 
उनमे से एक बोला - आए कौन हो तुम लोग.
साधु के वेश में राम सिंह - अरे देखते नहीं हम देवीजी के साथ हैं - हमे स्वामीजी के आश्रम जाना है 
दूसरा बोला - यहाँ पर ऐसे ही किसी को नहीं जाने दिया जाता - कर देना पड़ता है और _ _ _ _वह अजंता की ओर मुँह करके बोला - इनका चेहरा दिखाओ.
राम सिंह - क्या बात करते हो यह हमारी देवीजी हैं - साध्वी हैं.- तुम इन्हे _ _
अजंता ने उसे रोका ओर उस आदमी की ओर देख कर बोली - ठीक है भैयाजी - हम घूँघट हटा देते हैं - पर स्वामीजी के आश्रम पहुंचना बहुत ज़रूरी है. 
ओर उसने अपने घूँघट हटा दिया - अजंता का बेहद सुन्दर चाँद सा चेहरा उन लोगों के सामने था. 
दोनों एक पल के लिए चकित हुए ओर फिर एक दुसरे की ओर देखा - उनके चेहरों पर एक वेह्शी मुस्कान आ गयी - ओर आँखों में एक अजीब सी चमक - ठीक है तुम लोग सामने से बैल गाडी लो ओर जाओ. वह तुम्हे आश्रम से १.५ किलोमीटर दूर उतारेगी . वहां से पैदल चल कर जाना होगा.
अजंता - ठीक है भैया - आपका धन्यवाद 
कहते ही तीनो चल पड़े ओर बैल गाडी में सवार हो गए. पर अजंता अब और चकित हो गयी. उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी की वह इतनी जल्दी और इतनी आसानी से इस चौकी से पार हो पायेगी वह भी तब जब यहाँ स्वामी के गुंडे बैठे हुए हैं. - कुछ बात है ज़रूर. पहले वह चीते के नक़ली पांव और अब.

वह तो यह सोच रही थी की हमेशा के तरह गुंडे उस पर हमला करेंगे और उसे अपनी वासना का शिकार भी बनाना चाहेंगे. - पर यहाँ तो उन्होंने पूछ ताछ भी नहीं की और उनकी कोई तलाशी भी नहीं ली गयी. 
राम सिंह - चलिए मैडम यह तो बहुत आराम से हो गया
अजंता - नहीं राम सिंह - कुछ गड़बड़ है. हमे बहुत सतर्क रहना होगा.
जब वह बैल गाडी से उतरे तो अजंता ने उन दोनों से यही कहा - वक़्त कम है. हमे उन पत्तों के रहस्य को पूरी तरह से कन्फर्मेशन करना है. और कोई भी नक़्शा मिले तो एक दुसरे को दिखाना है.हम ज्यादा से ज्यादा साथ रहेंगे और कोड वर्ड में बात करेंगे - बात भी बहुत कम से कम 
दोनों ने कहा - जी मैडम
अजंता जैसे ही आश्रम में पहुंची वहां के मैं गेट में फिर पूछ ताछ की गयी परन्तु उन्हें अंदर आने में कोई ख़ास देर नहीं हुई. 
अजंता जैसे ही अंदर पहुंची आशा के अनुसार उसे काफी भव्य नज़ारा दिखाई दिया. बस उनसे एक गेहुआ वस्त्र धारण किये आदमी और स्त्री ने कुछ फॉर्म्स भरवाए आश्रम की एक से एक वस्तु बेशकीमती थी और अंदर का हॉल उसके अंदाज़े से भी काफी बड़ा था.
आस पास कई सेवक और उनमे भी अधिकतर सेविकाएं घूम रही थीं जीके हाथों मैन सर्व करने के लिए ट्रे और जग इत्यादि थे जिसमे वह लोगों को खाने और पीने की वस्तुएं सजा कर दे रही थीं.सेविकाओं ने साड़ी कुछ ऐसे बनधी थी की उनकी टाँगे काफी हद तक नग्न थीं. और वक्षों को एक गेहुआ रंग की छोटी सी चोली से ही ढका गया था.
तभी अजंता की नज़र हॉल के मध्य मैन गयी. वहां एक अधेड़ उम्र की स्त्री बैठी थी जो शायद ध्यान लगा रही थीं. 
एक भक्त ने कहा - यह श्रद्धा देवी हैं. यहाँ आश्रम मैन स्वामीजी की अनुपस्थिति मैन यही सब देख रेख करती हैं. और उस सेवक ने श्रद्धा देवी की ओर देख कर कहा - स्वामिनीजी यह ___
श्रद्धा देवी बीच मैन ही बोल पढ़ी - देवीजी हैं जो आश्रम मैन स्वामीजी से मिलने ओर उनकी सहरन लें आयी हैं. यह ओर इनके दोनों चेले साधु हैं जो ईश्वर की तलाश मैन भटक रहे हैं. 
अजंता ने चकित होने का अभिनय किया ओर दोनों हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया - श्रद्धा देवी आप तो तो अंतर्यामी है. 
श्रद्धा देवी - बेटी तुम ओर तुम्हरे साथियों का आश्रम मैन स्वागत है. परन्तु स्वामीजी तो कल सुबह आएंगे. शायद कल शाम को ही तुमसे भेंट हो सके.हमने तुम्हIरे रहने का प्रबंध कर दिया है. 
अजंता - आपका बहुत बहुत धन्यवाद. बस एक निवेदन है की मेरे दोनों साथियों को बीच बीच मैन मुझसे मिलने दिया जाये क्योंकि यह मेरी सेवा करते हैं ओर इनके बिना _ _ _
श्रद्धा देवी - ठीक है
अजंता को एक कमरा देइया गया ओर बगल मैन ही राम सिंह ओर श्याम भी एक कमरे में एडजस्ट हो गए. थोड़ी ही देर में अजंता ने एक आस पास घूमते सेवक को बुलाया ओर उन दोनों को भी अपने कमरे में बुला लिया. - वह पूछने लगी - भैया हम स्वामीजी से मिलकर मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं. सेवक ने कहा - इस आश्रम मैन उन्हें वह सब मिलेगा जो वह चाहते हैं. 
अजंता - हम यहाँ कितने दिन रह सकते हैं भैया 
सेवक - यह तो स्वामीजी ही बताएँगे 
अजंता - तुम्हारा यह आश्रम तो बहुत भव्य है. क्या हमे थोड़ा दिखा सकते हो.
सेवक (सोच मैन पड़ गया) - जी वह _ _वह _ _
अजंता - क्या हुआ भैया ?
सेवक - जी एक हिस्से तक तो घुमा सकते हैं पर बगल वाला हिस्सा - वह मुहे मालूम नहीं.
अजंता - कोई बात नहीं - जितने देखा दो वही सही. अभी आश्रम मैन उनकी एंट्री हो रही थी की जो आदमी गेट पर था उसे फ़ोन आया - उसने उत्तर मैन अभिवादन किया ओर कहने लगा - क्या स्वामीजी कल आ रहे हैं.- तो उनके हेलीकाप्टर _ _ _क्या अच्छा अपनी गाडी से हाईवे से आएंगे. ठीक है मैन पांच पत्ते पर दो ओर गाडी भिजवा दूंगा. तभी अजंता को देख कर वह तुरंत बोलै - अरे आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं - अंदर जाईये न. अजंता ने कहा - हाँ भैया हमारा फॉर्म तो साइन करो - ओर वह तुरंत समझ गयी की नक़्शे के अनुसार ओर इसकी बातचीत से साफ़ ज़ाहिर है. के पत्तों से बनाया वह रास्ता गोपाल पुर से कनेक्टेड है.
अजंता ओर उसके दोनों साथी आश्रम में घूमने लगे.तभी एक खिड़की के बाहर दाहिनी ओर अजंता ने इशारा किया - भैया आश्रम के उस हिस्से में क्या है - वह भी काफी बड़ा है - क्या वहां पर भी भक्त ठहरते हैं?
सेवक (कुछ उखड़े स्वर में ) - वह मुझे नहीं मालूम - देवीजी आप ज्यादा सवाल न पूछें
अजंता ने मुस्कुराते हुए कहा - ठीक है. लेकिन उस सेवक को यह नहीं मालूम था की अजंता ने दो हथियार बंद आदमी वहां घुसते देख लिए थे.वह समझ गयी की वहां कुछ अन्य गैर कानूनी काम होते हैं.
तब अजंता को दूर एक ऐसा पेड़ नज़र आया जिसका रंग उसने नक़्शे में देखा था - वह पेड़ कितने अनोखे हैं. उनके पत्तों के रंग कितने अलग है. क्या वहां भ्रमण कर सकते हैं .
सेवक - नहीं वहां सिर्फ बाहर से आने वाले या उनकी गाड़ियां _ _ _ वह मतलब - कुछ नहीं मालूम नहीं मुझे _ _ आप स्वामीजी से कल पोछ लीजिये. - ओर अजंता ने देखा के सेवक के चेहरे का रंग उड़ गया 
अजंता ने प्रत्यक्ष रूप में तो यह कहा की - ठीक है है भैया पर उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया था. तीनो ने आँखों ही आँखों में एक दूसरे को हल्का इशारा किया. बाद में तीनो ने भोजन किया ओर एक बार अपने इन दोनों 'भक्तों' को अपने कमरे में आने की अनुमति मांग ली. 
वह दोनों आकर अजंता के पैर दबाने लगे (दरअसल अजंता को शके हो गया था की उनकी हर गतिविधि पर नज़र राखी जा रही थी ) इस लिए उन तीनो ने ऐसे ही बर्ताव किया मनो जैसे वह बन कर आये थे. 
दोनों (यानि राम सिंह ओर श्याम - देवीजी के पैर दबाने लगे.)
 
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अजंता - तुम लोग अब विश्राम करना. कोई अच्छी बात नज़र आये आश्रम की तो हम देखना चाहेंगे.
राम सिंह - देवीजी हमे शहर में अपने मठ को बताना होगा की हम कितने दिन में लौटेंगे. 
अजंता - हाँ में अनंदा स्वामीजी से बात कर लूंगी - चलो तुम लोग जाओ में अब ध्यान लगा कर विश्राम करुँगी.
दोनों अपने कमरे में लौट गए. अजंता ने कमरे के हर तरफ नज़र दौड़ाई.
अजंता ने कमिश्नर साहिब से संपर्क करना था ओर पूरी पुष्टि करनी थी की जो इनफार्मेशन मिली या नहीं ओर आगे की कार्यवाही - वह यही सोच रही थी कमरे में कोई कैमरा हुआ तो वह मोबाइल पर बात करते हुए पकड़ी जा सकती है. वह साथ ही जुड़े टॉयलेट में गयी.पर उसे शके था की ज़रूर वहां भी कैमरा जाई कोई चीज़ हो सकती है. 
लेकिन टॉयलेट के किसी कोने में उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आया.वह अपनी साड़ी ऊपर उठाकर पेशाब करने के बहाने क्लोसेट पर बेथ गयी ओर फ़ोन मिलाया 
उधर से आवाज़ आयी - अजंता 
वह तुरंत बोल पढ़ी - पुजारीजी देवी बोल रही हूँ. यहाँ पर स्वामीजी कल पधारेंगे ओर में श्याम को उनसे मिल पाऊँगी. और हाँ वह भक्तजन सुबह आपसे मिले या नहीं.
उधर से आवाज़ आयी - हाँ मिल गए हैं. पर अभी और कितने भक्त आएंगे मंदिर में बताओ 
अजंता - ठीक है आपको मैसेज भेजती हूँ. 
और उसने मैसेज भेजा - पत्तों वाला रास्ता - गोपालपुर से जुड़ा - कल का ऑपरेशन. 
उधर से मैसेज आया – फाइन.
अजंता अब कमरे में आकर सो गयी. शाम को वह तीनो पूजा में समिल्लित हुए और वहां के कार्य कलाप देखते रहे.
लेकिन अजंता को उस रात भी जागना था - इसी लिए वह शाम तक अच्छी तरह सोई. वह देखना चाहती थी की और कोई अतिरिक्त ऐसी बात पता चल जाये जो की उनके काम की बात हो. 
उसने किसी तरीके श्रद्धा देवी के कमरे का पता कर लिया. उसने फैसला किया की जैसे भी हो वह इस पर रात को नज़र रखेगी. रात को भोजन के बाद वह छुपती छुपाती आश्रम के पिछले हिस्से से किसी तरीके श्रद्धा देवी के कमरे तक पहुंची और आस पास देखते हुए अंदर की ओर झाँका - वह चकित रह गयी.
अंदर श्रद्धा देवी अर्धनग्न अवस्था में एक अपने से कई साल छोटे युवक से लिपटी हुई थी और उस कमरे ज़ोर शोर से रास लीला चल रही थी .
उसी विशाल कमरे में एक दो और जोड़े भी काम क्रियाओं में व्यस्त थे. 
अजंता ने कुछ देर यह नज़ारा देखा और एक दो और कमरों में भी झाँकने में सफल हो गयी. वहां भी यही सब चल रह था.उसके बाद उसने वहीं दाहिनी तरफ देखा तो पाया की जहाँ उसने सुबह कुछ हथियार बन लोग देखे थे वहां पर से कुछ ट्रक और गाड़ियों में बड़े बड़े बक्से लोड होकर कहीं ले जाये जा रहे हैं .ट्रक चलते समय उसी दिशा में जा रहे थे जहाँ पर से विभिन्न रंगों के पेड़ों का रास्ता शुरू होता था. इतना तो वह अब समझ चुकी थी की वही रास्ता है जहाँ से सब आना जाना होता है इन आश्रम वालों का. और यह रास्ता किसी और की नज़र में नहीं आया था. सहसा लोड होते ट्रक में से एक बक्सा नीचे गिर कर खुल गया तो अजंता ने देखा की उसमे ग्रेनेड्स और बंदूकें थीं. - तो हथियारों की स्मगलिंग चल रही है. 
अजंता अब सावधानी पूर्वक वापस आ गयी और अपने कमरे में सो गयी. 
अगले दिन स्वामी का आगमन हुआ. काफी ज़ोर शोर से स्वामी अघोर बाबा का स्वागत किया गया . स्वामी अघोर बाबा कोई लगभग ५० साल का लम्बे चौड़े शरीर और रॉब दार व्यक्तित्व का स्वामी था. उसकी आँखों में एक ऐसी चमक थी जिसे की कोई भी आकर्षित हो सकता था और चेहरे पैर तैरती मुस्कराहट.उसके आते ही भक्तों ने उसे जाकर प्रणाम करना शुरू कर दिया. श्रद्धा देवी स्वामी के बिलकुल ही बगल में बैठी थीं. उन्होंने अजंता को इशारे से बुलाया. अजंता और उसके दोनों साथी हाथ जोड़जर प्रणाम करते हुए स्वामी के पास आ गए. 
श्रद्धा देवी - स्वामीजी यह देवीजी हैं जो की कल ही यहाँ पधारी हैं.कुछ दिन यहाँ रहकर शिक्षा ग्रहण करेंगी 
स्वामीजी ने सर से पैर तक अजंता को निहारा jo की सफ़ेद साड़ी में थी और किसी अप्सरा से कम नहीं lag रही थी. 
- देवीजी आज शाम को चार बजे हम आपसे स्वयं आपके कक्ष में मिलेंगे 
अजंता ने सर झुका कर अभिवादन किया- में उस पल की प्रतीक्षा करुँगी स्वामीजी. 
उसने देखा दोनों एक दुसरे की ओर देख कर मुस्कुरा रहे थे. शाम के चार बज गए थे. अजंता को मनो इसी पल का इंतज़ार था. (वैसे भी उसके ऑपरेशन के शुरू होने का समय ५ बजे था). उसे यही चिंता थी की अब पुलिस फाॅर्स यहाँ समय पर पहुँच कर अपनी कार्यवाही शुरू कर दे. शाम को चार बजे अजंता को स्वामी के कक्ष में भेज दिया गया. अजंता चकित थी की पहले तो वह स्वयं आने की बात कर रहा था. खैर वह जब स्वामी के उस कक्ष में पहुंची तो स्वामी ध्यान में डूबा था - नौटंकी बाज कहीं का. अजंता ने सोचा. 
फिर लगभग १० मिनट के इंतज़ार के बाद स्वामी ने ध्यान तोडा. वह अजंता की ओर देख कर मुस्कुराया. - आईये देवीजी 
अजंता - कहिये स्वामीजी .
स्वामी- में आपको ख़ास तौर पर इसी लिए यहाँ बुलाया है की मैं आपको कुछ दिखा सकूँ.पर उससे पहले आपसे यह कहना है की दो दिन बाद जब मैं फिर से विदेश जाऊंगा. तो आप मेरे साथ जाएँगी और मेरे हर काम मैं मेरा साथ देंगी. 
अजंता - क्या मतलब?. मेरा तो ऐसा कोई प्रयोजन नहीं था. 
स्वामी - यहाँ पर जो भी व्यक्ति हमारे पास आता है उसके हर प्रयोजन या कार्यकर्ता हम ही डीसाइड करते हैं देवीजी यानि की इंस्पेक्टर अजंता.
अजंता ने छौंकर उसकी ओर देखा . तभी स्वामी ने एक स्क्रीन लगाया ओर अजंता ने देखा की उसके दोनों साथी उसकी गिरफ्त मैं थे. 
अजंता ने स्वामी की ओर देखा - अपने आप को बहुत चालक समझती हो अजंता - पर तुम्हे पता नहीं की हम यहाँ ऐसे ही इतने देशों मैं अपना कारोबार नहीं फैला कर बैठे हैं. अजंता - स्वामी तुम ? 
स्वामी अघोर बाबा ज़ोर से हंसा - तुम खुद सोचो अजंता - चीते के वह नक़ली पैरों का रास्ता और फिर उसके बाद तुम्हारा इतनी आसानी से हमारे आदमियों बल्कि गुंडों की चौकी से निकल कर हामरे आश्रम मैं प्रवेश हो जाना. - तुमने अपनी बहादुरी बहुत दिखा थी अजंता - लेकिन अब तुम पूरी तरह हमारे चंगुल मैं हो. और हाँ एक बात - हम चाहते तो तुम्हे कभी भी अपनी गोलियों का शिकार बना सकते थे. पर क्या करें जब तुम्हारी तस्वीर हमे टाइगर ने दिखाई तो बस हम तुम्हे पाने के लिए तड़प उठे. तुम्हारी खूबसूरती ने हमे तुम्हारा दीवाना बना दिया. 
अब तुम्हे अपना यह सहरीर तो हमे सौंपना ही होगा. जान बचने का एक मात्र तरीका यही है की की तुम हमारे साथ रहो और जहाँ हम कहें और जो काम हम दें _ _
अजंता - स्वामी मेरे आदमियॉं को अभी छोड़ दो मैं वह सब करने को तैयार हूँ. 
स्वामी - ठीक है हम तुम्हारे आदमियों को छुड़वा देते हैं. और उसने फ़ोन के द्वारा अपने आदमियों को यही निर्देश दिया. स्वामी अब अजंता की ओर देखें लगा - क्या तुम्हारा यह सुन्दर ओर गुलाबी बदन कपड़ों मैं ही कैद रहेगा?
अजंता ने उसका अर्थ समझ लिया ओर उसके हाथ उसके बायें कंधे पर गए. उसने अपना पल्लू गिरा दिया ओर साड़ी उतारने लगी. 
स्वामी - अरे अरे रुक जाओ. यह काम हम खुद करेंगे. हम तुम्हारेजवानी का रस एक एक स्टेज पर भरपूर तरीके से पीयेंगे ओर उसके बाद _ _ 
स्वामी ने अजंता को पीछे से थाम लिया और उसकी पीठ चूमने लगा. स्वामी अघोर बाबा ने अजंता को पीछे से पकड़ लिया. अजंता उसकी मज़बूत पकड़ से निकलने के लिए हल्का विरोध करने लगी. स्वामी लगातार उकसे कंधो के नंगे हिस्से पर चूम रहा था. उसने कमर में सामने से हाथ दाल कर अजंता की साड़ी के प्लीट्स निकल दिए और अगले ही पल अजंता की साड़ी कमरे के फर्श को चुम रही थी. मात्र पेटीकोट और ब्लाउज में ही अजंता के निखरे रूप ने स्वामी को पागल कर दिया. 
वह झुक कर उसके नंगे पेट , कमर और नाभि पर चूमने लग गया. उसने फिर से अजंता को पीछे से कमर से पकड़ा लिया और अब उसके हाथ अजंता के ब्लाउज से खेलने लगे. उसने सारे हुक खोलकर पीछे से खुला हुआ ब्लाउज खींच कर साड़ी के ऊपर ही फेंक दिया. सफ़ेद ब्रा में कैद अजंता के बड़े बड़े उरोज लगभग ७०% नंगे थे और बाहर आने को तड़प रहे थे. स्वामी ने उसकी ब्रा खोल कर सामने से खींच ली. बस फिर क्या था. सामने का नज़ारा देख कर स्वामी तो जैसे पागल हो गया. अजंता के बड़े बड़े तने हुए कलात्मक उरोज स्वामी को निमंत्रण दे रहे थे. - वह तुम तो नाम ही नहीं बल्कि तन से भी अजंता की ही मूरत हो. और उसने अजंता को कास कर अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ और गुलाबी निप्पल्स को काटने लग गया. साथ ही उसकी उँगलियाँ अजंता की कमर पर चली और अजंता के पेटीकोट का नाडा खुल गया. पेटकीयत उसकी चिकनी और सुडोल टांगों से सरकता हुआ बिस्तर पर आ गिरा. स्वामी ने उसे भी पैर से ज़मीन पर उछाल दिया और स्वयं अपने कपडे उतार दिए. स्वामी ने देखते ही देखते अजंता की कच्छी भी उतार दी. अब अजंता पूरी तरह से नंगी थी. स्वामी भी अपने कपडे उतार चुका था और अजंता का ख़ूबसूरत शरीर जो उसे बुरी तरह उत्तेजित कर चुका था वह उत्तेजना उसके लिंग में नज़र आ रही थी जो की पूरी तरह तन कर एक नाग की तरह अपना फन उठाये बैठा था. स्वामी अब अजंता पर सवार हो गया और उसे बुरी तरह से नोचें खसोटने लगा. कभी वह उसके ऊपर के शरीर में मुँह भारत तो कभी उसकी गरम हो रही चूत पर अपने चुम्बन जड़ता. स्वामी काफी देर ऐसे ही करता रहा .उसके बाद उसका नाग पूरी तरह फन फैला कर तन गया.और उसने अब अजंता की सवारी करने की थान ली. 
स्वामी - अजंता अब खेल शुर होता है.
अजंता ने मन ही मन कहा- शुरू नहीं ख़त्म 

स्वामी अपना घोडा दौराने लगा. उधर अजंता ने खुद को एक दम से संयम किया और आँखें बंद करके हलके से मन ही मन कुछ उच्चारण करने लगी. उसका चेहरा थोड़ा लाल हो गया. 
स्वामी - वह तुम तो सुर्ख हो रही हो. हम भी मंजे खिलाडी हैं. तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी है अजंता. और मैं आज तुम्हारी सील तोडूंगा. 
सवाई अपना घोडा और ज़ोर से दौराने लगा. 
पर तभी - अचानक स्वामी को लगा की उसके शरीर मैं करंट दौर रहा है. उसे ज़ोर से पसीना आया और उसे लगा की उसके विशेष अनाज मैं अजीब सा दर्द उठा और जलन महसूस हुई. 
उसका अंग अजंता की गुलाबी दीवारों से बाहर निकल कर तड़प उठा - अअअअअअअ वह ज़ोर से चिल्लाया.
स्वामी चीख उठा - अजंता यह सब क्या है
अजंता जो अब तक लेती हुई थी अचानक उठ गयी और मुस्कुराने लगी - यह इंस्पेक्टर अजंता का कमाल है स्वामी अघोर बाबा. 
स्वामी - अरे मेरा अंग मेरा शरीर.
अजंता ने उस नंगी हालत मैं ही कमरे मैं टहलना शुर कर दिया - स्वामी मेरे पास एक दवा है जिससे तो बच सकता है. पर उससे पहले अपने काले कारनामो का सारा कच्चा चिटठा मुझे सौंप दे.
स्वामी - नहीं नहीं 
अजंता - स्वामी अव्वल तो तू बचेगा नहीं. और बच गया तो किस काम का नहीं रहेगा. 
स्वामी - इंस्पेक्टर अजंता तुमममम ?
तभी बाहर एक दम बहुत से विस्फोट हो गए मानो आक्रमण हुआ हो. स्वामी को बोर्ड से आवाज़ आयी - स्वामीजी पुलिस ने ज़ोरों शोरों से आक्रमण कर दिया 
स्वामी बुरी हालत में अजंता की ओर देखने लगा 
अजंता हंसने लगी - स्वामी वह क्या है की जिसको तूने नक़ली चीते के पांव और पेड़ों के पत्ते का डिज़ाइन दिया था वह बहुत अच्छा कलाकार था. पर एक बेवकूफी कर गया. उसने काम होने के बाद वह काग़ज़ा फाड़ के जंगल मैं फेंक दिया जिसके टुकड़े मेरे हाथ लग गए. और तू क्या मुझे बताएगा मुझे यह सब सहक पहले ही हो चुके थे के तू मेरे ही आने का इंतज़ार कर रहा है. 
खैर अब पुलिस और कमांडोज़ ने तेरे आश्रम पर हुम्ला कर दिया है. बचना है या __ __
स्वामी ने झट से दो डेरियां निकाली - यह लो अजंता मेरे इन देशों मैं आश्रम हैं और _ __ 
अजंता ने वह अपने पास रख ली और इत्मीनान से कपडे पहन ने लगी. साड़ी का पल्लू ठीक किया और एक रिवाल्वर हाथ मैं लेकर बाहर निकल गयी.
स्वामी - चीखता रहा - अजंता वह दवाई.
अजंता - गुड बाय स्वामी. अजंता के दोनों हाथों मैं रिवाल्वर था. पुलिस अंदर आ चुकी थी और स्वामी के आदमियों पर लगातार गोलियां चल रही थी. 
एक अफसर बोलै - गुड इवनिंग मैडम. हमने सिचुएशन को पूरी तरह काबू मैं ले लिया है. 
अजंता ने अपने दोनों साथी बुला लिए थे- गुड अब इस आश्रम को मिटटी मैं तब्दील करना है.
अफसर - पर मैडम वह स्वामी अघोर बाबा
अजंता - मर चुका है. और यह डेयरियां हैं उसके कारनामो का चिटठा 
अफसर हैरत से उसे देखता रहा. 
कुछ हिओ देर मैं वह आश्रम मलबे मैं बदल चुका था 
अफसर - मैडम कोंग्रटुलशियन्स.
अजंता - आप सब लोगों को भी
अफसर - पर मैडम एक खबर और भी है.
अजंता - क्या
अफसर - वह टाइगर जो यहाँ आने वाला था नहीं आया और हमारे हाथों से बस निकला 
अजंता - ओह्ह . कोई बात नहीं अफसर. उसका भी जल्दी ही इलाज हो जायेगा.
 
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रात के साढ़े ग्यारह बाज चुके थे. आज इनस्पेक्टर अजंता को आने में काफ़ी देर हो गयी थी पर वह एक चोरी का केस सुलझा करके काफ़ी प्रसन्न थी और आज उसे अपने थाने में कमिशनर का भी अप्रिसियेशन का फोन आया था. अजंता ने अपनी जीप घर के आगे रोकी और जेब से चाबी निकाली
इनस्पेक्टर अजंता वह कमरे के अंदर गयी और उसे मालूम था की उसकी कामवाली भी जा चुकी है अपन काम करके . वह अकेली ही रहती थी - उसने अपने जूते उत्तiरे और ड्रेसिंग टेबल के के आगे खड़ी हो गयी और उसकी उंगलियाँ अपने सीने की ओर बढ़ गयीं- उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. जैसे जैसे बटन खुलते गये अजंता के बड़े बड़े पिल्लू उसकी टाइट सफेद ब्रेज़री में से बाहर की और नुमाया होने लगे और काफ़ी हिस्सा दृष्टि गोचर हो उठा. अजंता ने हल्के से मुस्कुराते हुए अपनी वर्दी की शर्ट उतार दी,
अजंता ने अपने दोनो हाथ एक बार ब्रेज़री के उपर ही अपनी छातियों पर फेरे और उसकी मुस्कुराहट और गहरी हो गयी
अब उसने अपनी बेल्ट बेल्ट खोलकर पैंट की ज़िप खोली और उसे नीचे अपनी टांगों पर फिसलने के लिए छोड़ दिया
अजंता की खाकी पैंट उसकी चिकनी टाँगो से एक केले के छिलके की भाँति खिसकती गयी और कुछ ही देर में उसका मदमस्त यौवन एक गोरे और गुलाबी जिस्म के रूप में,मात्र एक ब्रेज़री और पैंटी में क़ैद होकर शीशे में खुद का दर्शा रह था. 
सचमुच क़यामत थी इनस्पेक्टर अजंता - लंबी, स्वस्थ सुन्दर टाँगों से उपर होती हुई उसी गदरायी कमर और बड़े बड़े बड़े गोल तने हुए ठोस उरोज और सबसे उपर चाँद सा सुन्दर चेहरा - आज्ञ कई अप्सराओं के सौंदर्य को मात करता था
उसे याद आया की कल दिवाली है और उसे आश्रम में दो दिन बच्चों के साथ दिवाली मनाने के लिए रहना है .अलमारी खोलकर उसने सोचा - कल क्या पहनूंगी. - फिर उसे ध्यान आया की लाल रंग की शिफॉन की साड़ी और गोल्डन फैंसी ब्लाउज पहन ने के लिए उसने पहले ही तैयार कर लिए था
उसने अपने कंधे पर एक तौलिया रखा और अटॅच्ड बाथ कम टाय्लेट में घुस गयी .वहाँ पर उसने शीशे के आगे खुद को खड़ा कर के तौलिया टांगा और उसके हाथ स्वयं अपनी पीठ पर चले गये.अजंता ने अपनी ब्रेसियर का हुक खोलकर उसे धोने वाले कपड़ो के ढेर में फेन दिया- उसके बड़े बड़े पिल्लू छिटक कर बाहर आ गये और हिलकर सामने की और तन गए मानो किसी कैद से छूटे हों 
- अजंता यह देख कर कुछ शर्मा गयी - बाप रे टू बिग एंड नाइस पिल्लूस - उसने खुद से कहा) .उसने अपनी पैंटी भी उतार कर फेंक दी और अब उसका सेक्सी शरीर बाथ टब और उसके शIवर के ठंडे पानी का आनंद ले रहता. अच्छी तरह से नहा कर उसने अपना अंग अंग तोलिये से पौंच्छा और उसक बदन पर अगले ही पल एक सफेद अंडरगार्मेंट्स का जोड़ा फिर से मौजूद था.वह बाथरूम से बाहर आ गयी.

उसने अपने रात्रि के सोने के वस्त्र पहले ही निकल कर रख लिए थे. उसने एक लाल रंग का ही पेटीकोट और पुराना ब्लाउज टंगा हुआ देखा और साथ ही एक गुलाबी नाइटी - वह सब कुछ लाल गुलाबी है आज - वह खुद ही हंसने लगी. वह घर पर सोते हुए अकेले होने के बावज़ूद ढंग से ही सोती थी और कभी बहुत ही 
मन हुआ तो खाली चादर लपेट कर सो गयी. वरना नाइटी के नीचे भी सब पहन कर रखती थी वह आम तौर कुछ हल्के रंग और पुराने हो गये ब्लाउज और पेटीकोट सोते हुए इस्तेमाल करती थी.वह अपनी आम दिनचर्या जब यूनिफॉर्म में नही होती थी तो नये और बढ़िया शानदार रंग के ब्लाउज और पेटीकोट पहनती थी. साडी पहनने की शौकीन अजंता के पास अच्छी और कई तरह की साड़ियों का कलेक्षन था. सके पास कई रंगों के पेटीकोट और तरह तरह के ब्लाउज भी थे

पेटीकोट और ब्लाउज पहनने के बाद उसने गुलाबी नाइटी निकाली और निकाली. वह अभी भी हल्के हल्के गुनगुना रही थी फिर अजंता ने किचन में जाकर अपने लिए भोजन गरम करने लगी. उसने खाने में उरद की मसालेदार तरका लगी दाल, दो रोटी और उबले चावल का आनंद लिया और अपने लिए चाय बनाई जो की वह खाने के बाद चाय पीना बहुत पसंद करती थी.
वह कुछ थकी ज़रूर थी लेकिन अभी उसे बहुत नींद नही आ रही थी. वैसे भी कल उसकी छुट्टी थी और उसे तैयार होकर आश्रम में जाना था जहाँ पंडितजी ने दिवाली की पूजा रखवाई थी और उसे आमंत्रित किया था). वह अपन पसंदीदा जासूस उपन्यास जो हॉरर और कुछ सेक्स से भरा था लेकर उसे पढ़ने बैठ गयी - अरे आज तो में एग्ज़ाइट हो जाउंगी - वह मुस्कुराते हुए चाय पीने लगी और उपनयास पढ़ने लगी.फिर उसे याद आया की सोते वक़्त तो वह ब्रेज़री नही पहनती थी पर आज कैसे पहन ली ज(उसे सीने में कुछ कसाव महसूस हुआ)
- चलो में इसे बाद में उतार दूँगी - यह सोचकर वह उपन्यास में मग्न हो गयी और उसका आनंद लेने लगी.

- थोड़े देर बाद उसने अंग्राई ली और अपना कप वापस किचन में रखने चली गयी वह किचन से बाहर आई ही थी की उसकी डोर बेल ज़ोर से बज उठी. - इस समय _ _ _ _ कौन _ _ अजंता सोचने लगी. डोर बेल फिर बाज उठी - अरे बाबा आती हूँ अभी - वह आगुन्तक की अधीर व्यवहार पर कुछ खीज गयी
उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला - अजंता ज़ोर से चिल्लाई - तूमम्म्मममम??
कमीने तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह मेरे घर और भी इस वक़्त आने की. 
आगुन्तक ने बगैर अजंता को वक़्त दिए ज़ोर से दरवाज़े को झटक दिया और लगभग अंदर आ गया - 
मेरा नाम टाइगर है है इनस्पेक्टर अजंता
अजंता - जानती हूँ पर तुम यहाँ _ _ _ 

टाइगर - तुम्हारा बहुत देर से इंतेज़ार कर रह था लेकिन लगता है तुम आज कल काफ़ी व्यस्त हो
अजंता - हा जिस शहर में तुम जैसे मुजरिमो का राज़ हो वहाँ मेरे जैसे पुलिस ऑफीसर आराम से कैसे बैठ सकते हैं.
मैं तुम्हे अरेस्ट करवाती हूँ. बहुत तलाश थी तुम्हारी टाइगर: ज़यादा शोर मत करो - मत भूलो की मैंने तुम्हारा बलात्कार होने से बचाया था_______ दुर्जन से
अजंता ज़ोर से हंस पड़ी:- मुझे बेवकूफ समझा हुआ है क्या - मुझे सब मालूम है - अभी सारा खुलासा करती हूँ चोर चोर मौसेरे भाई 

टाइगर: ऑये - बकवास बंद -अगर मैने तुम्हे नही बचाया होता तो तुम एक रंडी की तरह बाजार में 
अजंता: शूट उप - अपनी ज़बान को लगाम दो कमीने - तुम यहाँ से जाते हो या _ _ _
टाइगर: क्या कर लोगी अगर ना जाऊँ तो
अजंता- योउ बIस्टर्ड - हरामी कुत्ते - गंदी नाली के कीड़े - तुम्हे वो सबक सिखाऊंगी की याद रखोगे - तुमने अभी भी मेरा रूप पूरी तरह से
टाइगर - बहुत हो चुका लगता है तुम्हारा घमंड चूर चूर करना ही पड़ेगा. जो काम दुर्जन और उसके आदमी नही कर पाए वह में कर दूँगा

अजंता: क्या - क्या मतलब है तुम्हारा
टाइगर: अजंता.. मेरा दिल तुम पर आ गया है - पर तुम मुझे हरामी , कुत्ता और ना जाने क्या समझती हो - में आज तुम्हारी इज़्ज़त लूट कर तुम्हे तुम्हारी सही ओकIत बताऊंगा - और उसके बाद उमर भर तुम मेरी रखैल और पावं की जूती बन कर रहोगी.

अजंता: हूँ - देखते रहो दिन में ख्वाब - में तुम जैसे बदमाश, मुजरिम , घटिया इंसान से नफ़रत करती हूँ - तुमने मुझे समझ क्या रखा है?
टाइगर: तुमने ठीक कहा अजंता - पर कुछ हद तक - दुर्जन और मेरे बीच बात हुई थी पर यह फ़ैसला की जो मुक़ाबले में जीतेगा इनस्पेक्टर अजंता उसकी - जब तुम बेहोश हुई तो में चाहता तो उसी समय तुम्हारा __
अजंता के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान उभरी (टाइगर उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा था , पर उसे नहीं मालूम था की अजंता को हर बात की खबर थी) - बस - बहुत हुआ - अब निकल जाओ मेरे घर से.तुम एक पैदायशी मुजरिम, एक बाज़ारू औरत की औलाद - और हाँ दुर्जन तुम्हारा ही सौतेला और नज़ायज़ भाई था
टाइगर के चेहरे पर गुस्से और हैरत के मिले जुले भाव आ गये.
अजंता - क्यों हैरान हो गये हो तो छुपा क्यों रहे हो - मुझे क्या मामूली ऑफीसर समझ रखा है - अब तुम्हे तुम्हारी औकात और बताऊँ या _ __ 

टाइगर: बस अजंता बस - तुमने बहुत बकवास कर ली - अब तुम मेरी हरकतें देखो - यह कह कर उसने कस कर अजंता का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसका बायां वक्ष दबा दिया - वा क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं भाई - बहुत मज़ा आएगा आज तो. अभी तुझे नंगा करके तेरे इस हुस्न को बंजारन करता हूँ मगरूर औरत - तुझे रंडी की तरह , कुतिया बनाकर चोदूंगा और तेरी चूत की मलाई खाऊंगा.

अजंता: गंदे बद्ज़ात इंसान - जाकर अपनी माँ की चूत देख और उसे नंगा करके उसके पिल्लू चूस - वैसे भी तेरी माँ एक वेश्या से कम _ __
टाइगर ने उसका हाथ पकड़ कर पीछे की और मोड़ा - अजंता को दर्द हुआ - छोड़ मुझे कुत्ते हरामी - 
टाइगर - ठीक कहा तूने अजंता मेरी माँ एक रंडी थी और ना मुझे ना दुर्जन को पता था की हमारा असली बाप कौन है - पर आज तूने मुझे हरामी कह कर गाली दी है - मैं अभी तेरा बलात्कार करूँगा और तेरी कोख से मेरी नाजायज़ औलाद पैदा होगी - तू सारी उमर मुझे याद करके रोएगी, तेरी मैं वो हालत _ _ 
पर अजंता ने अपने दूसरे हाथ से उसका मुँह नोच लिया - टाइगर के चेहरे पर लाल लकीरें आ गयीं - अजंता ने उसे एक ओर झटका दिया और वह जा गिरा 
बस लेकिन एक ग़लती हो गयी अजंता - ने उसे बाहर की बजIए अंदर धकेल दिया.असल में टाइगर दरवाज़ा पहले ही बंद कर चुका था 

टाइगर को चोट महसूस हुई पर वह मज़बूत था - एक बार फिर खड़ा हो गया - अभी बताता हूँ तुझे - साली थानेदारनी - तुझे तो में - वह अजंता पर झपटा पर तभी उसके हाथों पर अजंता ने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर रोका और एक ठोकर उसके पैरों पर मारी - वह बिलबिला कर गिर गया पर फिर पलटकर उसने अजंता के पैर नीचे से पकड़ कर एक ज़ोर से झटका दिया
अजंता भी औंधे मुँह गिरी पर अपने हाथों से उसने खुद को सम्भहाल लिया पर इस चक्र में उसकी नाइटी और पेटीकोट घुटनो तक उपर उठ गये और उसकी गोरी मांसल टांगे काफी हद तक नंगी हो गयीं 
- टाइगर एक कुत्ते की तरह जीभ निकल कर होंठों पर फेरने लगा - सचमुच का सेक्सी माल हो- वह बोला - अजंता रानी कसम से उपर वाले ने बहुत टाइम लगा के बनाया है तुम्हे.
उसके बातों की परवाह ना करते हुए अजंता ने अपनी नाइटी और पेटीकोट ठीक किया और उसके कंधे पर एक लात जड़ दी 
पर टाइगर भी मज़बूत था वह अजंता पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूमने लगा 
उसने शराब पी रखी थी - अजंता को बदबू आई और उसकी नाक में कुछ होने लगा 
इसी का फ़IयदI उठाते हुए टाइगर की उंगलियों ने हरकत की और जहत से उसकी नाइटी के उपर के दो बटन खोल डाले 
अजंता का का ब्लाउज और वक्ष रेखा कुछ हद तक दिखने लगे.
अजंता ने कुछ नार्मल होने पर अपनी टांगे उठाईं और टाइगर के दोनो कंधो पर ज़ोर से हिट किया - टाइगर एक और लुढ़क गया पर उसके कंधे काफ़ी ठोस थे और विशेष प्रभाव ना हुआ
वह फिर से उठा और नीचे झुक गया अजंता तब तक खड़ी हो रही थी 

टाइगर ने तुरंत अजंता की नाइटी के बाकी बटन भी खोल दिए.
अब अजंता का पेट सामने से नंगा था और उसकी गोल नाभि जो की उसके पेटीकोट की रेखा से कम से कम 2.5-3 इंच उपर थी भली भाँति नज़र आने लगी. - उसकी नाइटी सामने से पूरी खुल चुकी थी

अब टाइगर उठा और अपने हाथ अजंता को दबोचने के लिए बदाए पर अजंता ने उन्हे पकड़ लिया और दोनो कुछ देर एक दूसरे से अपनी बाहों से ही संघर्ष करते रहे . अजंता बीच बीच में उसे किक करने की कोशिश कर रही थी जिसमे वह कभी कामयाब होती तो कभी टाइगर खुद को बचI लेता
तभी टाइगर ने अजंता को धक्का दिया वह बिस्तर पर यों गिरी की आधा हिस्सा अभी भी नीचे था 
टाइगर ने उसे दबोचा और उसेक बाज़ू अजंता की काफ़ी हद तक नंगी कमर की इर्द गिर्द घूम गया - वह उसेक नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा
तभी अजंता पलटी और उसने अपनी नाइटी खुद सरका कर टाइगर पर वार किया 
टाइगर डोर जा गिरा पर उसके हाथ अजंता की खुली नाइटी को उतIरते चले गये 

टाइगर गिर गया था और उसके हाथ में अजंता की नाइटी थी - अजंता अब अर्धनग्न अवस्था यानी की सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में टाइगर के सामने थी - पर वह विचलित ना हुई 
उधर टाइगर ने अजंता की नाइटी को किस किया और उसकी आँखों में उतरी वासना और भी त्रीव हो गयी - वा क्या सेक्सी माल हो 
कसम से अजंता इस हालत में इतनी गजब हो तो आगे क्या होगा
अजंता - कमीने क्या मतलब है तेरा
टाइगर - अभी तो नाइटी उतरी है जान - यह पेटीकोट और ब्लाउज और उसके बाद तेरी ब्रेज़री और हाँ - 
आखिर में तेरी कच्छी - हा हा हा 
अब वह उठ खड़ा हुआ और उसने अजंता की नाइटी पकड़े हुए उसकी ओर बढ़ने लगा - अजंता ने जैसे ही अपनी नाइटी वापस लेनी चाही उसने बेशर्मी से हंसते हुए उसे बिस्तर के एक कोने में फेंक दिया - अब तुम आगे के लिए तैयार हो जाओ अजंता - देखो यह मुजरिम, गुंडा और बाज़Iरू हरामी, एक पुलिस ऑफीसर को कैसे नंगी करके चोद डालता है.
और उसने फुर्ती से झपट कर अजंता को अपनी बाहों में दबाकर उसके जिस्म को दबाने लगा - अजंता भी मचल उठी और उसने संघर्ष करना शुरू कर दिया - छोड़ दे मुझे कुत्ते कमीने - देख टाइगर तो बहुत पछतायेगा.


टाइगर - अब तो तुम सारी ज़िंदगी मुझे याद रखोगी अजंता रानी.उसने टाइगर से छूटना चाहा और दोनो हाथ बाज़ू से उसका विरोध करने लगी
टाइगर - सच में तगड़ी चीज़ हो मेरी जान तुम्हे पार पाना आसान नहीं

अजंता - छोड़ मुझे कुत्ते
पर टाइगर ने अजंता को उठाकर बिस्तर पर पटक दिया और उस पर एक भेड़िये की तरह टूट पढ़ा - अजंता ने उसे किक करना चाहा लेकिन टाइगर एक ओर हो गया और अजंता की टांगे हवा में लहरा उठीं 
उसका पेटीकोट खिसक कर लगभग कमर तक आ गया और उसकी सेक्सी , चिकनी टांगे अब पूर्ण रूप से नंगी होकर उजागर हो गयी
टाइगर अपना एक हाथ उसकी जांघो पर फेरने लगा और नीचे हाथ डालकर चिकोटी काट ली

- क्या मुलायम टांगे हैं 
टाइगर उस पर पूरी तरह चढ़ गया और उसके होंठ और गालों को चूमने लगा 
उसने उसके होंठ हल्के से काट लिए जिससे अजंता के होंठ से ज़रा सा खून निकल आया.
अजंता - ओई म्‍म्म्ममम है ओई माआआआआअ छोड़ मुझे कमीने हरामी ज़लील कुत्ते
उसने अपने हाथों से टाइगर के सर को झटका दिया और उठने का प्रयास किया.लेकिन टाइगर पर प्रभाव ना हुआ और उसने अपने चुंबन जारी रखा 

अब वह नीचे की ओर अपने होंठों को सरकIता हुआ उसकी बड़ी बड़ी छातियों तक पहुँच गाय और मुँह रगड़ने लगा 
ब्लाउज के उपर वह अजंता की छातियों को चूमने लगा - इसके अलावा अजंता की वक्ष रेखा और एक्सपोज़्ड हिस्से पर उसने चूमना और काटना शुरू कर दिया
अब बारी पेट के थी 
टाइगर ने उसके पेट पर चूमा और नाभि में उंगली घुसेड़कर उसे ज़ोर से घुमाया - अजंता दर्द से चीखी
अजंता ने अपना हाथ बढ़ाया और उसका मुँह नोच दिया
टाइगर: तुम ऐसे नही मIनोगी
तुम्हे दिखता हूँ की बलात्कार कैसे होता है - अभी तक तो तुमने दूसरी औरतों के केस सॉल्व किए हैं - अब तेरा रेप केस होगा.
अजंता: थर्ड क्लास बIस्टर्ड - तुम अपने मंसूबों में कभी कामयाब नही होगे.

टाइगर: क्या करोगी तुम 
अजंता: तुमने मुझ जैसे स्त्री को कुतिया कहा - तुम खुद एक भोंकने वाले कुत्ते हो
टाइगर - देख अब यह कुत्ता तुझे कैसे काटता है.
अजंता ने फिर दोनो हाथ छुड़ा कर उसके सिर के साइड्स पर वार किया 
टाइगर को बहुत दर्द हुआ.

अब अजंता उठ खड़ी हुई पर टाइगर ने उस हालत मैं भी उसके एक पैर को झटका दिया - वह फिर बिस्तर पेर गिरी और बैठ गयी 
टाइगर और अजंता दोनो फिर से एक दूसरे से अपनी बाहों का उपयोग करते हुए लड़ाई करने लगे.
टाइगर ने उसे पीछे से दबोचा और उसकी पीठ चूमने लगा गया 
उसने उसकी पीठ में हल्के से काटकर अपने दाँत गाड़ा दिए - आहह ओईइ आउच - अजंता कराह उठी
टिगेवर - अभी तो यही दाँत तेरी चूत को काटेंगे और तेरे निप्पल नोच लेंगे मेरी जान
अजंता - हरामज़ादे कुत्ते नीच कमीने __ _ _
और बचने के लिए वह एक झटके से उठ खड़ी हुई.
परंतु तभी उसने अपने पीछे से - चचररर चर्र्ररर चिर्र की आवाज़ सुनी और उसकी पीठ पर मानो हवा लगनी शुरू हो गयी
टाइगर के दाँतों में अजंता का ब्लाउज का उपर का हिस्सा फँस गया था जो की उसके तुरंत उठने से एक दम से चीरा गया और अजंता की पीठ नंगी हो गयी.कमरे की लाइट में उसकी गोरी और गदरायी पीठ और भी चमक उठी एक सफेद ब्रेज़री के स्ट्रॅप के साथ
ब्लाउज फटने से अजंता तड़प उठी और टाइगर ख़ूँख़ार हँसी हँसने लग गया 
वा वा अजंता रानी - खुद ही अपनी ब्लाउज फड़वा दिया अपना - लगता है नंगी होने का शौक है
शाबाश अब आगे देखो 
अजंता सामने की और पलटी और दोनो में फिर एक कुश्ती शुरू हो गयी 
दोनो एक दूसरे के वार काटने काग़े
मौका ड़खटे ही टाइगर ने अजंता का फटा हुआ ब्लाउज नोच डाला और एक ओर फेंक दिया
ब्लाउज तार तार होकर उसकी नाइटी के उपर गिर गया
अजंता ने टाइगर को पकड़ा कर बिस्तर पर खड़े ही ज़ोर से झटका दिया 
टाइगर उछल कर दूर जा गिरा 
अजंता फिर उसे गालियां देने लग गयी 
इस वक़्त अजंता के शरीर के उपर के हिस्से पर केवल एक सफेद ब्रेज़री थी जिसमे से उसके पिल्लू बाहर आने को तड़प रहे थे. 
उसका नंगा पेट अब और भी चमकने लगा था और कमर के दोनो और की हिस्से पर खम था जो की उसे बहुत सेक्सी बना रहा था
उसकी छातियां उसके ज़ोर ज़ोर से बोलने के कारण उठ बैठ रही थीं
 
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अजंता - कमीने तू मुझे नंगा करेगा - वह बिस्तर के नीचे आकर उसे खूब गालियाँ देने लगी 
यहीं पर अजंता ने एक ग़लती कर दी - बजाए टाइगर पर वार करने के उसने उसे खरी खोटी सुननी शुरू कर दी और वह कुछ हद तक असावधान हो गयी
इस झगड़े में टाइगर की कमीज़ भी फट गयी थी
टाइगर मौके का फायदा उठाकर उठ खड़ा हुआ और उसने फुर्ती से अजंता को उठाकर फिर से बिस्तर पर फेंक दिया 
टाइगर फिर उस पर टूट पड़ा लेकिन अजंता कुछ पीछे हटी और टाइगर उसके पैरों पर गिरा
टाइगर - हरामजादी छिनाल.. आज तेरी चूत की माँ चोद दूंगा। भैन की लौड़ी आज तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा छिनाल रंडी साली।
अजंता – मुझे चोदेगा कुत्ते - जा जाकर अपनी उस रंडी माँ को चोद - हरामी - कमीनजात - कमीने तेरे लंड में दम भी है?
टाइगर - दिखाता हूँ अपने लंड का ज़ोर. तेरी चूत के तो आज चिथड़े उड़ा दूंगा. छिनाल आज तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूंगा. आज तुझे रांड बना कर ही छोडूंगा।

अब अजंता ने उसके मुँह पर पैर से मारा और टाइगर के होंठ से खून निकालने लगा
पर इससे पहले टाइगर उसका पेटीकोट नीचे से दोनो हाथों से पकड़ चुका था और इस सारे कार्यक्रम में उसके पेटीकोट को झटका लगा गया - फ्रर्र - फ्रर्रर - फिर से फटने की आवाज़ हुई और बीच में से पेटीकोट का निचला हिस्सा काफी हद तक फॅट गया 
अब अजंता की टांगे काफ़ी हद तक दृष्टि गोचर थीं और किस को भी नज़र आने के लिए वह पेटीकोट के खिसकने या सरकने की मोहताज नही था
उसका पेटीकोट अब एक कैबरे डांसर की ड्रेस ज़्यादा लग रहा था
पर वह अजंता थी - इनस्पेक्टर अजंता - उसने इस का फ़IयदI उठाया और टाइगर को लातों से मारना शुरू कर दिया 
टाइगर ने बचने के लिए फिर अजंता के पछले हिस्से का सहIरI लिया और उसे दबोच लिया 
उसने एक हाथ नीचे डाल कर उसके पेटीकोट का नाडा खोल दया
फटा हुआ पेटीकोट अजंता की चिकनी जांघो से होता हुआ बिस्तर पर जा गिरा

अब वह ब्रेज़री और पैंटी में थी
टाइगर ने अजंता की ब्रेज़री का हुक खोल दिया और उसके कंधे पर वार किया

अजंता को कुछ दर्द हुआ.टाइगर ने उसे सामने की और मोड़ा और उसके चेहरे पर वार किया - अजंता दर्द से कुछ सिहर गयी टाइगर ने इसी बात का लाभ उठाया और उसके सीने के मध्य में हाथ डाल कर उसकी ब्रेज़री खींच दी.
अजंता के कलात्मक ठोस और गोल गोल पिल्लू एक दम नग्न हो कर सामने की ओर तन गये और उसके गुलाबी निप्पल टाइगर को निमंत्रण देने लगे
टाइगर तो जैसे पागल हो गया उसने उसके दोनो पिल्लू दबोच डाले और मसालने लगा 
पर अजंता ने अब खूले वक्ष की परवाह किए बैगर ही उसके गुप्त अंग पर ज़ोर से लात मारी - टाइगर नीचे जा गिरा अजंता ने फिर किक किया तो टाइगर ने उसकी टाँग पकड़ कर झटका दिया अजंता फिर से बिस्तर पर गिर गयी और उसकी टांगे उपर को उठीं
वह फुर्ती से खड़ी हुई 
इसी बीच टाइगर जो की अपनी पैंट उतार चुका था पर लॉट गया और उसने अजंता की गांड में पीछे से हाथ डाला और उसकी पैंटी खींच ली

अजंता के कूदने से पैंटी उतIरना और भी आसान हो गया टाइगर के लिए
अब अजंता के बेपनाह हुस्न का ताजमहल पूरा नंगा था 
उसकी गुलाबी चुत के आस पास बस ज़रा सा जंगल था और उसकी गुलाबी चूत की फाँकें नज़र आ रही थीं
इनस्पेक्टर अजंता सम्पूर्ण रूप से नग्न थी और उसका मदमाता यौवन किसी को भी पागल कर सकता था
टाइगर का लंड बिल्कुल लोहे की रोड की तरह तन चुका था
उसके शरीर पर एक कच्छा था जिसमे से उसका टेंट साफ़ दिखने लगा था 
उसने नंगी अजंता की बाँह पकड़ी और एक रेस्लर की तरह उसे उठा कर अपने कंधे पर लाद दिया वह अजंता को बिस्तर पर फेंक देना चाहता था
पर अजंता ने कुछ ऐसा दाँव खेला अपनी टाँगो को मोड़ कर की वह फिर से उछल कर उसके सामने आ खड़ी हुई और एक भरपूर वार टाइगर पर किया 
एक कुश्ती का दौर शुरू हुआ
टाइगर ने अजंता अब बिस्तर पर खड़े खड़े टांगो में टांग फंसा कर गिरा दिया
वह समझ चुका था की अजंता से जीतना आसान नही पर अजंता को पूरी तरह नंगा करके उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी
दोनो एक दूसरे से गुथम गुथा हो रहे थे
टाइगर ने सीधे सीधे बात बनते ना देखा कर अजंता के नाज़ुक अंगों पर वार करने की सोची
उसने कमज़ोर पड़ने का नाटक किया और नीचे झुका 
दोनो बिस्तर पर ही थे.

नंगी हो उठी अजंता ने एक बार जम्प लगाई और अपनी नाइटी को उठाकर फिर से पहन कर अपना नंगा जिस्म ढकने की कोशिश की परन्तु टाइगर ने उसे दोबारा उसके जिस्म से नोच कर अलग कर दिया - बहुत शौक है इसे पहन लेने का

उसने अजंता के पैर पकड़ कर झटके से उसे गिरा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसका दायां पिल्लू मज़बूती से पकड़ा कर उमेठ दिया - अजंता फिर दर्द से चीखी 

टाइगर ने अब वक़्त जाया किए बिना अपना मुँह अजंता के pleasure zone यानी उसकी चूत के अंदर छुपा दिया और उसे एक कुत्ते की तरह चाटने लगा उसने अपनी 
उंगलियों से अजंता की चूत की दोनो हिस्से आएँ बायें किया मानो उसका द्वार खोलने की कोशिश कर रह हो 
उसकी गुलाबी चूत लाल हो उठी
टाइगर ने उसकी योनि की साइड्स में काट खाया - आआआआआआआआआआअहह अजंता ज़ोर से चीख उठी
टाइगर ज़ख़्मी था और कुछ बोल नही रहा था
उसे बस अजंता को परास्त करना था 
उसने अजंता की योनि में अपनी ज़बान डाल दी और चाटने लगा
पता नही क्यों अजंता को उसे शराब की दुर्गंध अभी भी आ रही थी और पसीने की भीपर अब जब उसको दर्द से राहत मिली तो उसे ध्यान में कुछ आया.
टाइगर व्यस्त था उसकी गुलाबी फांकों को चूसने में 
अजंता की चूत से हल्का-2 रस निकालने लगा
टाइगर ने अपना अंडरवियर थोड़ा नीचे किया तो उसका लंबा तना हुआ लंड बाहर आकर खड़ा हो गया 
वह अजंता को कहने लगा - चल चूस साली 
अजंता ने घबराने का नाटक किया और उसका लंड अपने मुँह में लिया 

तभी अजंता ने तेज़ी दिखाई और उसके को थोड़ा आगे कर के उसे दाँतों से काट लिया
टाइगर दर्द से बिलबिलाया
और फिर तभी 
अजंता ने अपना हाथ बिस्तर के कोने में गद्दे के पीछे डाला (वह सोते हुए भी रिवाल्वर या चाक़ू रखती थी)
उसने एक गरारीदार तेज़ चाकू निकIलI और इस से पहले टाइगर देख पता उसके चेहरे पर वार किया
अब चीखने की बारी टाइगर की थी (अजंता चाहती तो थोड़ा और रुक कर गोली नंबर २ से भी टाइगर का खात्मा कर सकती थी परन्तु वह हमेशा इसे आखरी हथियार के रूप में ही प्रयोग करना चाहती थी और साथ ही साथ वह यह भी चाहती थी की इस बात का पता जितने काम लोगों को हो उतना ही अच्छा) उसके गाल से खून बह निकला. अजंता ने पीछे पलटा कर टाइगर की गांड में ज़ोर से चाकू मार दिया और वहां से गाड़ा खून निकलना चालू हो गया

अजंता ने उसके चेहरे के दूसरी ओर वार किया
टाइगर अब बुरी तरह लहू लुहIन हो उठा
अजंता ने टाइगर का अंडरवियर फाड़ दिया और उसके मुँह पर मारा - ले कमीने इस से पौंच्छ ले अपने खून को.
टाइगर बदहवास हालत में ऐसा ही करने लगा
अजंता ने उसके अंग जो अब ठंडा पर गया था इतनी मार और चोट के बाद, अपने हाथ में पकड़ा लिया - चिंता मत कर कमीने तेरे लंड की प्यास अभी बुझाऊँगी 
तू मेरी चूत से खेलना चाहता था ना अब देख मेरा खेल 
और वह उसका लंड ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी 
साथ ही साथ वह उसे बताने लगी की कैसे उसने दुर्जन और उसे बेवकूफ़ बनाया.उस दिन वह दुर्जन के अड्डे पर बेहोश हुई ही नही थी.
तभी टाइगर का सारा वीर्य निकल कर चादर पर गिर गया और अब वह एक ज़ख़्मी , हारा हुआ इंसान था 
अजंता - टाइगर तो तू अभी भी एक मुसीबत से बच गया - तुझ पर मेने गोली नंबर दो का इस्तेमाल नही किया 
टाइगर दर्द पीटा बोला - गोली नंबर 2?
अजंता - इस से आगे मत पूछना - जिस ने गोली नंबर दो का रIज़ जान लिया वह ज़िंदा नही न बचा

और फिर वह उठी और उसने एक फोन मिलाया
अजंता - गोपाल सिंह
उधर से आवाज़ आई - जी मेडम
अजंता - तुम चारों आजIओ अब
और यह कह कर फिर वह वापस पलटी - टाइगर बिल्कुल अधमरा था 

उसने उसे एक और ठोकर मारी और अपनी कच्छी उठाकर पहनने लगी. पैंटी पहनकर उसने अपनी ब्रेज़री पहन ली और उसके बाद वो फटा हुआ पेटीकोट भी जिस कम से कम नाड़े से तो बाँधा जा सकता था. उसे अपने फटे हुए ब्लाउज का ध्यान नहीं रहा
फिर अपनी नाइटी पहन कर उसने एक शॉल ले ली
कुछ देर में बेल बाजी.
जय हिंद मेडम 
सब इनस्पेक्टर गोपाल सिंह जो की चार कॉन्स्टेबल्स के साथ हथियारों से लेस था अजंता के घर पहुँच चुका था
अजंता टाइगर को घसीट कर बाहर ले आई 
(दरअसल अंदर बेड भी कुछ अस्त व्यस्त हो चुका था और टाइगर (जो की अब किसी हालत में फटी कमीज़ और पैंट पहन चुका था उसका फटा हुआ अंडरवियर, अजंता का फटा हुआ ब्लाउज सब बेतरतीब पड़े थे 
टाइगर के वीर्य और खून से बेड भी गीला था.वह नही चाहती थी की गोपाल सिंह और उसके कॉन्स्टेबल जो कुछ हुआ उसका अंदाज़ा लगायें

टाइगर को पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी और बाद में उसे उसे मौत की सज़ा भी हुई
गोपाल सिंह और उसके कॉन्स्टेबल्स के जाते ही अजंता ने दरवाज़ा बंद किया और धम से बेड पर आकर बैठ गयी .
वह कुछ पल तक ख्यालों में डूबी रही


चूत रगड़े जाने से उसे बहुत ज़ोर से पेशाब आ रहा था . वह बाथरूम गयी और नाइटी उठाकर पेशाब करने लगी,. उसके बाद उसे हल्कापन महसूस हुआ फिर वह उठकर अलमारी के पास आई और उसे खोला 
वह भी थक गयी थी
उसने अपनी नाइटी उतार दी और ब्रेज़री भी उतार कर एक ओर फेंक दी
फिर उसने वो फटा हुआ पेटीकोट भी उतार फेंका
और एक दूसरा वैसा ही पेटीकोट निकIल कर पहन लिया
उसने एक दूसरा ब्लाउज निकाला और उसे पहन लिया
अपनी नाइटी उसने फिर से पहन ली और वह आकर बिस्तर पर बैठ गयी - उसने घडी में टाइम देखा तो पाँच बाज रहे थे
- पंडितजी तो चार बजे उठा जाते हैं - दरअसल वो उन्हे यह कहना चाहती थी की वह पूजा पर देर से आएगी
उसने फोन मिलाया तो पंडितजी का स्वर सुनाई दिया
राम राम पंडितजी अजंता बात कर रही हूँ
पंडितजी - राम राम बेटी कैसी हो अच्छा सुनो में तुम्हे फोन करने ही वाला था
अजंता - क्या बात है पंडितजी सब ठीक है ना - और बच्चे?
पंडितजी - सब ठीक है बेटा चिंता की कोई बात नही बस यही कहना था की पूजा अब 9 बजे की बजाय 12 बजे होगा. पूरी सूज़ी और हलवा रखवाया है दोपहर के भोजन में तुम उसी हिसाब से आ जाना. और शाम को तो हम दिवाली मनाएंगे ही
और हाँ बच्चे तुम्हे बहुत याद कर रहे थे
अजंता मुस्कुरा उठी - वह भी अभी कुछ देर आरIम करना चाहती थी - ठीक है पंडितजी बच्चों से कहिएगा की आज उनकी अजंता दीदी उनके लिए मिठाई लाएगी और सारा दिन उनके साथ दो दिन रहेगी
और वह मुस्कुरा कर बिस्तर पर लेट कर सो गयी
सुबह डोर बेल बजी तो अजंता ने दरवाज़ा खोळा. दरवाज़ा पर उसकी कामवाली खड़ी थी. कामवाली अजंता को विश किया तो अजंता ने भी उसको विश करके चाय बनवाकर रूम लाने को कहकर अपने कमरे मे घुस गयी. उसकी कमरे का हालत उसी तरह था जब की रात को टाइगर द्वारा रेप अटेंप्ट के बाद था. सनडे छुट्टी होने के कारण उसे कुछ जल्दी नही था और वो थकावट के कारण बेड मे आधा लेट कर रेस्ट ले रही थी. ज़मीन पर टाइगर का फटा हुआ अंडरवियर और अजंता की नाइटी और फटा हुआ ब्लाउज सब वैसे ही पड़ा हुआ था. वो इसकी फ़िक्र किए बिना आराम से रेस्ट ले रही थी. तभी उसकी कामवाली चाय और नाश्ता लेके अंदर घुस गयी. उसने पहले तो अस्तव्यस्त कमरे पर ध्यान नही दिया, लेकिन जब चाय नाश्ता रख के जाने ही वाली थी तो उसकी नज़र नीचे फटा हुआ पड़े टाइगर के अंडरवियर पर पड़ी. तब उसने ध्यान से एक बार कमरे को निहारा तो अस्तव्यस्त बेड, अजंता की ब्रेज़री, फटा हुआ ब्लाउज और साथ मे नाइटी भी दिखाई दी उसे. विसे तो कामवाली अजंता की साथ काफ़ी फ्री ही थी, सहेली जैसे ही बात चीत करते थे वो दोनो. कभी कभी हसी मज़ाक छेड़ चाड भी हो जाता था. अजंता की फटा हुआ ब्लाउज, ब्रेज़री, सब देखना उसे कामवाली को पहली बार तो नही था. जब अजंता घर आकर वस्त्र को उतरती तो उसकी कामवाली ही उन्हें उसे ब्रेज़री, कच्छी को धोने मे डालने की काम करती थी. जब फटा हुआ कुछ वस्त्र इस कामवाली को मिला तो वो समझती थी की मेडम आज फिर से किसी की धज्जियाँ उड़ा कर आई है. और वो इस तरह हर मौके पर अजंता की एनकाउंटर के बारे मे छेड़ते हुए डीटेल पूछा करती थी. अजंता भी उसकी हर एक एनकाउंटर को कामवाली से बताती थी, छेड़ते हुए ही. और गुडो की द्वारा अजंता की रस भरे मम्मो को पिल्लू के नाम से पुकारने का बात कामवाली भी जानती थी. और वो भी कभी कभी पिल्लू नाम से अजंता की वक्ष सौंदर्य को सम्बोधित करके अजंता को छेड़ती थी. यहा तक की उसे कामवाली ने अजंता की पिल्लू को नंगा भी देख लिया था....!! लेकिन आज कुछ बात अलग ही उसके सामने नज़र आई. क्यूंकी उसे रात को पहनी हुई नाइटी, ब्लाउज वग़ैरा देखने को मिला, साथ मे किसी मर्द का अंडरवियर, वो भी फटी हुई हालत मे. कामवाली को थोड़ा बहुत समझ यह तो आ ही गया की कल रात को अजंता पर कुछ रेप अटेंप्ट हुआ है. इस बात का सबूत अजंता की फटे हुए कपड़े दे रहे थे. फटा हुआ अंडरवियर को देख कर वो कुछ कन्फ्यूज़्ड हो गयी थी. लेकिन अजंता की चेहरे पर ऐसा कुछ भाव ही नही था की कल कुछ बुरी घटना हुई है. कामवाली - "मालकिन रूम सॉफ कर दूँ क्या? " अजंता - हा कर दो, कोई जल्दी नही आज मुझे तो छुट्टी है. कामवाली ने झुक कर फटा हुआ अंडरवियर को हाथ मे उठाया ओर अजंता की तरफ देखने लगी. अजंता इस से बेखबर हुए ही चाय पीने मे व्यस्त थी. उसे अंडरवियर मे कुछ वीर्य का दाग भी उसे नज़र आ रही थी. कामवाली - मेडम, लगता है कल आपकी इज़्ज़त को लूटने के लिए कोई घर ही आया था? अजंता सर उठाकर देखने लगी तो कामवाली के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी. अजंता को रात की घटना याद आयी है, किसे टाइगर ने उसकी चूत की दाने पर अपने दाँत गड़ाया था. उस वक़्त तो उसे कुछ मिक्स्ड फील भी हुई थी, एक तरफ टाइगर का बलात्कारी हमला जिस की वजह से क्रोध था तो दूसरी जिस की वजह से क्रोध था तो दूसरी तरफ छेड़ छाड़ से चूत का एक दम गीला हो जाना. फिर भी वो खुद को टाइगर पर प्रतिवार करके कामयाब हो गयी थी उसको पकड़ने मे. लेकिन टाइगर द्वारा चूत की पंखुरियों पर हुआ दर्द अभी भी उसकी चूत पर एहसास कर रहा था. उसे दृश्य को याद करते हुए ही उसकी चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान सी छा गयी. अजंता - हा कल एक सांड़ घर मे ही गुसा था, मेरी पिल्लू को देखखार वासना की भूख से भड़का हुआ सांड़.. 
कामवाली - आपकी पिल्लू ही ऐसे कमाल के है तो मुझे भी कभी हाथ मे लेने का मान होती है, शायद उसे सांड़ का ग़लती कोई नही.. अजंता - अच्छा, अभी तू भी सांड़ का ही सपोर्ट कर रहे हो. अगर तू कल रात को होती तो तुम्हारे ही पिल्लू को उसे सांड़ से कुचलवाती मैं. कामवाली - अरे नही बाबा नही.. मेरा पिल्लू को देख कर मेरी पीछे कोई साड भड़क कर नही आया है अभी तक. आपकी पिल्लू का कटाव ही ऐसे है मेडम, कोई भी पागला जाता है.. और हाँ इस फटे हुए ब्लाउज और आपकी ब्रेज़री को देख कर लगती है की वो सांड़ आपकी पिल्लू को नंगा देखने मे कामयाब हुआ. अजंता - अरे हा, सिर्फ़ पिल्लू को ही नही यहा तक की वो सांड़ ने मेरी कच्छी फाड़ कर गुलाबी चूयिंग गुम को भी मुँह लगाया था
कामवाली - ऑश गोद.. सच मे. कही सांड़ गाय के ऊपर चढ़ने मे सफल तो हुआ नही ना.. इस अंडरवियर को देखा तो ऐसे ही लगता है. अजंता - नही, इस पहले की सांड़ गाय के ऊपर चढ़ने में कामयाब हो जाता, उसे से पहले गाय ने उसे सांड़ को घायल कर दिया कामवाली - मतलब, चूहा गुफा मे घुसा नही अजंता - ना रे बाबा ना.. चूहे को गुफा मे घुसने से पहले ही चूहे को घायल करके साँस निकIल दी गयी...हिहीही.. कामवाली – मतलब मेडम, आपकी पिल्लू और गुफा को सांड़ ने कल कुचलने का खूब प्रयास किया, यहा तक की अंडरवियर को भी फाड़ के फेक दिया गया
अजंता - हाहाहा, वो चूहा मेरी गुफा को देख कर इतना जोशीला बन गया था की ज़्यादा देर तक अंडरवियर मे खड़ा ना रह सका, और गुफा के रास्ते को पाते ही बाहर आया. बदनसीब चूहा, जहा घुसना चाह रहा था वहा घुस नही पाया और उसे से पहले उसका साँस अटका दिया गया.. लेकिन हा, जंगल के बीच के गुफा मे तो नही घुस पाया बस थोड़ा सा गुफा का पानी निकाल दिया था. फिर अजंता ने कल की घटना सब डीटेल्स मे बता दी कामवाली को. तब तक उसकी चाय नाश्ता ख़तम हो गया. अजंता उठ खड़ी हुई बेड से, फिर कामवाली को सॉफ सफाई का काम बताकर, उसकी सामने ही अपनी नाइटी , ब्लाउज और पेटिकोट् को खोलकर सिर्फ़ कच्छी और ब्रेज़री मे खड़ी हो गयी. कामवाली के साथ हुए छेड़ छाड़ से वो थोड़ा अराउज़ तो हुई थी, इसी का नतीज़ा उसकी सफेद कच्छी पर हल्का सा वेट स्पॉट से नज़र आ रहा था. पहली बार तो नही खड़ी थी वो ब्रेज़री, कच्छी मे कामवाली के सामने. लेकिन कामवाली तो उसकी भरे हुए यौवन को देखती रही वो तौलिया ले कर नहाने के लिए बाथरूम घुसने तक,फिर अपनी काम मे लग गयी.
तब तक 9 बज रहे थे. अजंता की कामवाली काम कर चुकी तो उसने बताया की आज कुछ नही बनाना वह आश्रम में पूजा के लिए जा रही है और रात का खाना वह खुद बना लेगी.अजंता को कुकिंग का शौक था और छुट्टी वाले दिन वह अपना यह शौक पूरा करती थी.
अजंता कुछ देर बाद उठी और बाथरूम में घुस गयी उसने सारे कपड़े उतार दिए और वह बाथ टब में बैठ कर बाथरूम लेने लगी.
अच्छी तरह नहा कर वह केवल एक तौलिया में अपना मदमाते यौवन को छुपाती हुई (जो छुपने की जगह दृष्टिगोचर ज्यादा हो रहा था) हुई जिसमे की उसके कंधे बिल्कुल नंगे थे और टांगे भी घुटनो से नीचे नंगी थीं बाहर आई और शीशे में खुद को देख कर हँसने लगी.- अगर बच्चे मुझे इस हालत में देख लें तो

उसने अलमारी खोलकर पहले एक सफेद पैंटी निकIली .
आज उसने एक फैंसी बैकलेस ब्लाउज पहनने का फैसला किया जो की वह बहुत कम करती थी
उसके बाद उसने एक लाल रंग की जोर्जेट की साड़ी जिसके किनरो पर सुनेहरी कड़ाई हुई थी और साड़ी पर भी कई जगह सुनेहरी बूँदो के डिज़ाइन थे अपने लिए पहन ने को चुनी. एक लाल पेटीकोट और लाल और सुनहेरे रंग का ब्लाउज निकIल कर वह अपने कपड़े पहन ने लगी. इस ब्लाउज से उसकी पीठ काफी सारा भाग नग्न था ब्लाउज और पेटीकोट पहन ने के बाद उसने साडी खोली और उसे पहनना शुरू कर दिया 
अपनी साडी के एक छोर को उसने पेटीकोट में घुसाया और एक छोर को उसने पेटीकोट में घुसाया और बच्चों के बारे में सोच रही थी. साड़ी के विब्भिन छोरों को पेटीकोट में डालते हुए उसका ध्यान आश्रम में ही था और चेहरे पर एक मुस्कराहट. एक बहुत बड़ा केस सुलझाने की और किशन गंज को क्राइम से मुक्त करने की करने की. साड़ी के प्लीट उसने बड़े करने से सेट करके पेटीकोट के सामने वाले भाग में डाल दिए
 
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और अब उसका ध्यान सुनहरी बॉर्डर के पल्लू में गया . बड़ी शालीनता से उसने साड़ी लपेटी और अपना पल्लू कंधे पर अड्जस्ट किया. पर उसकी कमर का हिस्सा उसके अच्छी ख़ासी हाइट होने की वजह से नग्न और दृष्टिगोचर था.
अभी वह तैयार हुई ही थी की उसकी कामवाली दोबारा आ गयी – उसने जब अजंता को देखा तो कह उठी – क्या बात है दीदी बच्चों से मिलने जा रही हो यह किसी फोटो शूट पर.
अजंता- अरे नही आश्रम में जा रही हूँ बच्चों से मिलने
कामवाली – ध्यान रखना दीदी – कहीं फिर किसी ने ब्लाउज और पेटीकोट फाड़ दिया तो. बहुत सुन्दर लग रही हैं आप.

अजंता हँसने लगी – बेचारा खुद ही बूरी तरह फटेगा.
अजंता अपनी जीप में सवार हो गयी और रास्ते में रुक कर बच्चों के लिए मिठाई खरीदी.
आश्रम में सब बच्चे अपने विक्की भैया के साथ खेल रहे थे 
अजंता - कैसे हो विक्की 
अजंता को देखते ही विक्की मुस्कुरा उठा - नमस्ते दीदी अच्छा हुआ आप आ गयीं - देखिये न बच्चे मुझे छोड़ नहीं रहे और मुझे बहुत काम है - फिर बच्चों को सम्बोधित करके बोले - चलो बच्चों अब दीदी के साथ खेलो 
बच्चों को मिलने से पहले अजंता ने विक्की को कहा - विक्की सुनो 
विक्की - हाँ दीदी 
अजंता - मिशन सक्सेसफुल - और इसका श्रेय तुम्हे भी जाता है
विक्की खुश हो गया - सच दीदी - पर यह सब _ _ _
अजंता - तुम्हे बाद में बताउंगी - बस अब कोई खतरा नहीं 
विक्की - पर दीदी आपको कोई चोट तो नहीं आयी और कोई नुक्सान तो नहीं हुआ

अजंता शरारती हंसी हंसती हुई बोली - नुकसान तो हो गया 
विक्की - क्या 
अजंता (धीरे से ) - एक पेटीकोट और एक ब्लाउज फट गया 
विक्की झेंप गया - दीदी आप भी न
अजंता ज़ोर से हंस पड़ी - तो क्यों शर्मा रहा है. शर्माना तो मुझे चाहिए
विक्की चेहरे पर ख़ुशी के भाव लिए पूजा आदि के कामों में व्यस्त हो गया
बच्चे भी अजंता को देखते ही दीदी दीदी का शोर मचाते हुए उसके इर्द गिर्द इकट्ठे हो गए. सब एक दुसरे को हैप्पी दिवाली बोलने लगे

अजंता उन सब बच्चों के बीच जाकर बैठ गयी और फिर लाई हुई मिठाई को उन सब बच्चों में बाटने लगीं
अजंता की बात सुनकर और मिठाई को देख कर सब बच्चे अजंता के और इर्द गिर्द आ गए. कुछ बच्चे ऐसे शैतान थे की अजंता की गोद के ऊपर चढ़ कर "दीदी मुझे, दीदी मुझे" करके अजंता को तंग करने लगे. अजंता के पीछे पड़ गए - और अजंता को उनकी शरारतों के बीच यह भी पता नहीं लगा की उसकी साडी का पल्लू धीरे धीरे कंधे से खिसकने लग गया था
अजंता बी "अरे शैतानो. ज़रा संभलके, सब को दे देगी तुम्हारे दीदी.. हल्ला मत करो.. अरे अरे" करके झूठा गुस्सा दिखा कर डांटने लगी और फिर मुस्कुरा भी दी.
अजंता - अरे बच्चो वह कहाँ है - मेरा हीरो - मुन्ना 
एक बच्ची जिसका नाम गुड़िया था बोली - दीदी वह न आपको बहुत याद करता है और में अभी उसकी एक बात सबके ना सामने आपको बताउंगी 
और तभी मुन्ना पीछे से भागता हुआ आया और उसके पीठ पर चढ़ गया.फिर अपने छोटे छोटे कोमल हाथ अजंता की आँखों पर रख दिए . अजंता को अपनी पीठ के नंगे हिस्से पर गुदगुदी का एहसास हुआ

इस चक्कर में अजंता का पल्लू कंधे से गिर गया और उसके तने हुए उरोज एक दम सामने की और ब्लाउज में से झाँकने लगे. उसकी वक्ष रेखा भी कुछ हद तक दृष्टिगोचर थी. 

अजंता ने मुन्ना को अपनी और खींच लिया और बहुत प्यार से बोली - अले अले मेला प्याला प्याल हीलो आ गया - और अजंता ने उसे चूम लिया 
मुन्ना - दीदी में आपके बिना उदास होता हूँ 
अजंता - अच्छा - क्यों - में भी तेरे बिना उदास हो जाती हूँ
गुड़िया - कोई बात नहीं थोड़े सालों की बात है 
अजंता - अच्छा गुड़िया फिर क्या होगा - और तू मुन्ना की क्या बात बताने लगी थी?
अजंता का ध्यान अभी भी अपने गिरे हुए पल्लू पर नहीं था और उसकी कमर भी अच्छी खासी बैठे होने के बावजूद बच्चों के सामने नंगी थी. पर उसकी मदमस्त गोल राशि को देख कर उसे पर टूट पड़ने को वहा कोई गुंडे नही थे, सब मासूम बच्चे थे. 
अजंता बच्चों के साथ खुद बच्ची बन गयी थी 
गुड़िया - दीदी मुन्ना कहते है की जब में बड़ा हो जाऊंगा न तो अजंता दीदी से शादी कर लूँगा 
सब खिलखिला के हंस पड़े और मुन्ना शर्मा गया - उसने अजंता के ब्लाउज में अपना मुँह छुपा लिया और हलके से उसकी छातियों पर मुँह रगड़ने लगा
गुड़िया - यह देखो मुन्ना आप पर चढ़ा और आपका पल्लू गिर गया. और अब देखो कैसे दीदी के पिल्लू से अपना मुँह रगड़ रहा है
फिर मुन्ना ने अजंता की नाभि में ऊँगली दाल ली और घूमने लगा और अजंता को फिर गुदगुदी हुई

अजंता के गाल शर्म से लाल लाल हो गए जब उसने अपने गिरा पल्लू देखा. उसने उसे बच्चे को देखा जो अपना दोनो हाथो मे मिठाई बार के खाने मे व्यस्त था. अजंता की चेहरे पर मुस्कुराहट छा गयी बच्चों की मासूमियता पर. बड़े जिससे गन्दी हरकत करते थे बच्चे उतनी ही मासूमियत देते थे - उसे याद आया की कितनी ही बार गुंडों के सामने उसकी यही बड़ी बड़ी गोल ख़ूबसूरत छातियां नंगी हुईं और गुंडों ने उन्हें मसलने का भरपूर यत्न किया. उसने बारी बारी सब बच्चों को मिठाई खाते और मुन्ना को उसके ब्लाउज से खेलते हुए देखा - मुन्ना की कोमल उंगलिया अब उसके ब्लाउज के मध्य में थीं और प्यार से गुदगुदी कर रही थी 
मुन्ना शर्मा के बोला - अभी थोड़ी - पहले में बड़ा होकर कमाऊंगा - फिर आपको अपनी दुल्हन बनाऊंगा - वह मासूमियत से बोला

उसने फिर उसे मुन्ना को नज़दीक खींच कर अपनी बिना पल्लू के सीने से लगाया और उसका सर पर एक किस किया. 
अजंता - अच्छा शैतान- अभी से मेरे पिल्लू छेड़ रहा है - तो बड़ा होकर तो तू बहुत शरारती होगा.

मुन्ना - अरे दीदी सबके सामने थोड़ी - अकेले में - ठीक है ?
अजंता मुस्कुरा उठी - अच्छा मुझे शादी के बाद हनीमून पर कहाँ ले जायेगा 
मुन्ना - जंगल में ?
अजंता - अरे - जंगल में - क्यों ?
मुन्ना - वहां मेरे और आपके सिवा कोई नहीं होगा - तो फिर मैं और आप - समझ गए न दीदी - पर दीदी हनीमून से पहले एक ज़रूरी काम और भी है 
अजंता बड़ी मासूम बनकर बोली - वह क्या मेरे हीरो?
मुन्ना - मेरी और आपकी सुहागरात ?
अजंता और बच्चे खिल खिला कर हंस पड़े - ओहो - अजंता चेहरे को हाथों में लेकर शर्माने का अभिनय करने लगी
एक बच्चा बोला - देख मुन्ना दीदी शर्मा गयीं - अब तो तेरी हीरोइन रेडी हो गयी तेरे लिए 
अजंता की हंसी नहीं रुक रही थी - अच्छा तो सुहागरात में क्या करेगा 
मुन्ना - आपका घूँघट उठाऊंगा 
अजंता - फिर ?
मुन्ना ने अजंता का पल्लू पकड़ा लिया और कोमल हाथों से हलके खींचा 
अजंता - हाय राम - मेरी साडी उतारेगा
गुड़िया अपनी मासूम और तोतली आवाज़ में - अरे बेशरम हमारे सामने ही - अभी दीदी की साड़ी उतर गयी तो - वह सिर्फ पेटीकोट में ही हमारे सामने कैसे बैठेंगी ?
मुन्ना - तो मुँह उधर कर ले न - आप तो ऐसे कह रहे हो दीदी जैसे मैंने बिना साड़ी के आपको नहीं देखा 
अजंता - अरे शैतान - कब देखा तूने मुझे बिना साड़ी के 
मुन्ना - दो महीने पहले नहा के आये थे तो मेरे सामने ही साड़ी पहन रहे थे - आपकी कमर न बहुत सुन्दर है - बिलकुल चेहरे की तरह - इसी लिए तो मैंने फैसला किया है की आपसे शादी करूँगा
अजंता - अच्छा फिर क्या करेगा 

मुन्ना की छोटी छोटी उँगलियाँ अजंता के ब्लाउज के मध्य में चली गयी और अजंता को गुदगुदी हुई - ऐ शैतान मेरा ब्लाउज खींचेगा क्या - 
मुन्ना - आप मेरे से शरमाओगे ?
अजंता - हाँ मैं तो बहुत शर्माउंगी - तेरे सामने ब्लाउज उतारते हुए.और तुझे पता है जंगल में कई विलेन भी होते हैं - वहां किसी ने मेरा ब्लाउज फाड़ दिया तो 
मुन्ना - दीदी आप चिंता मत करो - में अपनी शर्ट उतार कर आपको दे दूंगा ताकि आप अपने पिल्लू अच्छी तरह से ढक लो - फिर में विलेन को खूब मIरूंगा और आपकी इज़्ज़त बचाऊंगा
अजंता ने भावावेश में मुन्ना को गले से लगा लिया - मेरे प्यारे प्यारे मुन्ना और उससे लिपट गयी

अजंता फिर उन बच्चों के साथ खेलती रही, और खुद भी बच्ची बन गयी. वो कभी माँ बनती, कभी दीदी और कभी दोस्त . 
इस तरह से बच्चों को प्यार करते हुए और उनके साथ खेलते हुए उसने आश्रम में सारा दिन निकाल लिया.
श्याम को अजंता , विक्की और बच्चों ने मिलकर डीप माला की और दिवाली मनाई . आज अजंता की वह दिवाली बहुत यादगार थी.


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